महिलाओं की मदद के लिए साइबर वेलफेयर सोसाइटी
cyber society

 

 

ऋतु साहू 

भारत की पहली साइबर वेलफेयर सोसाइटी की शुरुआत मध्यप्रदेश में हो गयी है जिसका गठन साइबर लॉ कंसलटेंट शकील अंजुम एवं आई टी इंजीनियर्स और नेटवर्किंग एक्सपर्ट द्वारा किया गया है .  भारत की पहली साइबर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा   महिलाओं को निशुल्क साइबर सुरक्षा सलाह दी जाएगी  आई टी साइबर एक्सपर्ट एवं  युवा साइबर सुरक्षा पेशेवरों की मदद से . इसके लिए फेसबुक एंड ट्विटर क माध्यम से भी सलाह दी जाएगी एवं जीमेल की ईमेल के माध्यम से भी मदद की जाएगी . साइबर वेलफेयर सोसाइटी गैर सरकारी संगठन है . संस्था का उद्देश्य  महिलाओं के लिए सुरक्षित साइबर स्‍पेस बनाना है .इस समय जितने साइबर अपराध हो रहें हैं वे सारे रिपोर्ट नहीं हो रहें शायद न लोगों का समझ में आता है कि उनसे कैसे निपटा जाय और न ही उन्हें विश्वास है कि इसका संतोषजनक हल निकल सकता है। सच यह भी है कि  इस समय हमारे पास इस तरह के अपराधों को जांच करने के लिये न ही प्रशिक्षित अन्वेषक हैं और न ही तय करने वाले न्यायधीश। लेकिन यह बदल रहा है।

 

लोग अक्सर साइबर अपराध यह सोच कर करते हैं कि वे अज्ञात हो कर साइबर अपराध कर सकते हैं लेकिन यह सच नहीं है।

 

महिलायों क साथ होने वाले ज्यादातर इंटरनेट अपराध क मामले या तोह साइबर स्टाकिंग क होते हे या अश्लीलता एवं नकली प्रोफाइल क होते है.साइबर क्राइम एक बढ़ती वैशिवक समस्या है जिसे कठोर कदम उठाकर रोकना ही होगा। सुचना प्रौधोगिकी के आगमन से साइबर क्राइम और महिलाओं पर अपराध बढ़ रहे  हैं और इस प्रकार साइबर क्राइम किसी भी व्यकित की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाली लगभग तीन चौथाई महिलाएं किसी न किसी किस्म की साइबर हिंसा का शिकार हैं

 

महिलाओं को निशाना बनाकर सबसे ज्यादा जिस अपराध को अंजाम दिया जाता है, वह है- साइबर स्टाकिंग यानी साइबर वर्ल्ड में पीछा करना । 

 

१.इंटरनेट  पर पीछा करना (Cyber Stalking)

 

पीछा करना, तंग करना, इस हद तक घूरना कि दूसरा खीज जाये, डर जाय। यही काम जब इंटरनेट  पर हो तो साइबर स्टॉकिंग कहलाता है।बार-बार टेक्स्ट मैसेज भेजना, मिस्ड कॉल करना, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना, स्टेटस अपडेट पर नजर रखना और इंटरनेट मॉनिटरिंग इसी अपराध की श्रेणी में आते हैं। आईपीसी की धारा 354डी के तहत यह दंडनीय अपराध है।

 

२.साइबर अशलीलता जो दूसरे तरीके का अपराध जो महिलाओं पर केंद्रीत है- वह है साइबर पॉर्नोग्राफी। इसके तहत महिलाओं के अश्लील फोटो या वीडियो हासिल कर उन्हें ऑनलाइन पोस्ट कर दिया जाता है। अधिकांश मामलों में अपराधी फोटो के साथ छेड़छाड़ करते हैं और बदनाम करने, परेशान और ब्लैकमेल करने के लिए उनका इस्तेमाल करता है। इस तरह के अपराधों में आईटी एक्ट की धारा 67 और 67ए के तहत केस चलता है।अशलील ईमेल, अशलील चित्र, चित्रों को बदल कर किसी अन्य का चित्र लगा देना, यह सब अशलीलता के अन्दर आता है। इस तरह के साइबर अपराध सबसे अधिक हैं। 

 

३. साइबर स्पाइंग भी एक अन्य तरह का साइबर अपराध है। आईटी एक्ट की धारा 66ई के तहत यह दंडनीय अपराध है। इसमें चैंजिंग रूम, लेडिज वॉशरूम, होटल रूम्स और बाथरूम्स आदि स्थानों पर रिकॉर्डिंग डिवाइस लगाए जाते हैं।

 

४. साइबर बुलिंग इसी क्रम में चौथे तरह का अपराध है। इसको बड़े ही शातिर तरीके से अंजाम दिया जाता है। साइबर अपराधी पहले महिलाओं या लड़कियों से दोस्ती करते  हैं और फिर उन्हें अपना शिकार बनाते हैं। विश्वास में लेकर और लालच के चलते नजदीकियां बढ़ाने के बाद महिला या लड़की के निजी फोटो हासिल कर लेेते हैं। इसके बाद पीड़िता से मनचाहे काम करवाने के लिए ब्लैकमेल करते हैं। साइबर बुलिंग का दुष्परिणाम है कि कई मामलों में युवा लड़कियों से अश्लील अपराध  हुए हैं, उनका यौन उत्पीड़न हुआ है, वहीं अधिक उम्र वाली महिलाओं को पैसों के लिए ब्लैकमेल किया गया है। वक्त आ गया है कि महिलाएं उक्त जोखिमों में समझें और साइबर जगत में अपने ऊपर मंडरा रहे खतरों को लेकर तत्काल साइबर जागरूक बनें।

 

महिलाओं को आसान शिकार मानते हैं साइबर अपराधी, साइबर जागरूकता इसलिए जरुरी है .आजकल हर हाथ में स्मार्ट फ़ोन है इंटरनेट डेटा पैक  और फ्री वाई फाई क जरिये हर कोई इंटरनेट से जुड़ा हुआ हे मगर साइबर अपराध क प्रति जागरूक नहीं है , साइबर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा महिलायों , युवाओं एवं बुजुर्गो को साइबर सुरक्षा क प्रति जागरूक किया जायेगा एवं उनकी ऑनलाइन मदद की जाएगी .खासतौर पर महिलाएं इस वर्चुअल वर्ल्ड में दुर्भावनापूर्ण अपराधों की लगातार शिकार हो रही हैं। वास्तव में, भारत में कुछ खास तरह के साइबर क्राइम महिलाओं एवं युवाओं पर ही अंजाम दिए जाते हैं। यह एक बेहद ख़राब  स्थिति है। 

 

हालांकि साइबर  सुरक्षा एजेंसियां तेजी से बढ़ते इन अपराधों को रोकने और अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं।इन हालात का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिए जरूरी है साइबर जागरूकता। महिलाओं के बीच उन अपराधों और आपराधिक तरीकों को लेकर साइबर जागरूकता फैलाने की जरूरत है।वरिष्ठ नागरिकों को जागरूक बनाने की जरूरत है।

 

सोशल नेटववर्किंग साइट फेसबुक पर आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों द्वारा किए जाने वाले कमेंट्स और तस्वीरों को बड़ी असानी से लाइक और शेयर करते हैं। लेकिन आपके इन लाइक्स और शेयर का कुछ लोग गलत फायदा उठा रहे हैं जो आपके लिए खतरनाक हो सकता है। सोशल नेटवर्किंग साइट पर आप जिन पोस्ट और तस्वीरों को लाइक और शेयर करते हैं उन पर कुछ हैकर्स की नजर रहती है। यह हैकर्स आपने जिस तस्वीर या पोस्ट का लाइक या शेयर किया है उसे बदल कर आपत्तिजनक कंटेट डाल देते हैं जिससे महिलाओं की बदनामी होती है 

 

महिलाएं एवं युवा ऐसे रहें साइबर स्पेस में  सुरक्षित

 

१. महिलाओं को उस शख्स की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करना चाहिए, जिन्हें वे जानती नहीं हैं।

 

असल दुनिया में जिसे आप जानते हैं और विश्वास करते हैं, उन्हें ही वर्चुअल वर्ल्ड मेंं फ्रेंड बनाएं। इंटरनेट या साइबर स्पेस पर किसी भी स्थिति में अपनी निजी जानकारी या तस्वीरें शेयर नहीं करना चाहिए।अक्सर ये गलती नयी उम्र की लड़कियां करदेती है .

 

२. सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को खासतौर पर सावधान रहना चाहिए कि कहीं किसी तरह का कैमरा या ऑडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस तो नहीं है? अवांछित और बार-बार के एसएमएस, ईमेल, कॉल्स, फ्रैंड रिक्वेस्ट को लेकर भी उन्हें खुद को बचाना चाहिए। मोबाइल नंबर की भी सुरक्षा करनी चाहिए .

 

३. जरूरत पड़ने पर उन्हें किसी साइबर सुरक्षा  जानकार व्यक्ति या सुरक्षा एजेंसी को इसकी जानकारी देना चाहिए। पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेसियां आपकी सेवा के लिए हैं। यह उनका दायित्व है कि वे सुरक्षा संबंधी आपकी समस्याओं का हल करें।

 

साइबर सुरक्षा सलाहकार  शकील अंजुम  का कहना है कि किसी देश की सुरक्षा के संदर्भ में साइबर सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। अमरीका, जोकि साइबर सुरक्षा को लेकर बेहद सर्तक रहता है, ने तमाम नीतियां साइबर सुरक्षा के संबंध में बना रखी हैं, उसके बाद भी अमरीका की तमाम गुप्त जानकारियां "विकीलीक्स" नामक वेबसाइट ने सार्वजनिक कर दीं, जिसके कारण अमरीका परेशान है। यह घटना अमरीका के लिए साइबर सुरक्षा के महत्व को प्रकट करती है। भारत के भी तमाम महत्वपूर्ण संस्थान इंटरनेट के जरिए सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रहे हैं तथा तमाम महत्वपूर्ण सूचनाएं इंटरनेट के जरिए सर्वर पर रहती हैं। अगर इस तरह से साइबर सुरक्षा ढीली होगी तो महत्वपूर्ण सूचनाएं ऐसे लोगों के हाथों में जा सकती हैं। जो इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत में हाल के दिनों में साइबर सुरक्षा को दुरुस्त करने के लिए कोशिशें तो बहुत  हुई हैं, लेकिन अभी भी हम उच्च  स्तर तक नहीं पहुंचे हैं । उस तरह की साइबर नीतियां भी नहीं हैं जो उन महत्वपूर्ण सूचनाओं को बचाने में कारगर साबित हों।

 

समाज के सभी वर्गों को साइबर क्राइम के जोखिम को समझने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही इससे बचने के उपाय भी करना चाहिए। केवल तभी वे इस बड़े खतरे से खुद को बचा पाएंगे .

Dakhal News 28 July 2016

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