अच्छे कार्यों में विघ्न आते हैं,लेकिन धैर्य से काम लें
ravindr jain
 
 
 कलश स्थापना के लिए भक्तों का आना जारी
 
 
रवीन्द्र जैन 
आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि अच्छे और बड़े कामों में विघ्न तो आते हैं,लेकिन जो व्यक्ति धैर्य से काम लेता है वह विघ्नों को पार कर सफलता को प्राप्त करता है। आचार्यश्री भोपाल के   हबीबगंज जैन मंदिर में प्रवचन दे रहे थे।  आचार्यश्री के चातुर्मास कलश की स्थापना 24 जुलाई को होगी, लेकिन देश-विदेश से उनके भक्तों का आना अभी से शुरू हो गया है। भोपाल और हबीबगंज तीर्थ की तरह दिखाई देने लगे हैं। 
 
आचार्यश्री ने शुक्रवार को संक्षिप्त प्रवचन में कहा कि कमल दो तरह के होते हैं एक दिन में खिलता और दूसरा रात में। कई बार दिन में बदली आ जाने से सूरज की रोशनी छुप जाती है। इसी प्रकार जीवन में जब राहू की दशा आती है और कष्ट आने लगते हैं तब बुद्धि काम करना बंद कर देती है। यह स्थिति सदैव नहीं रहती। जैसे बदली छटती है और सूरज निकलता है वैसे ही राहू का प्रभाव भी समाप्त होता है। आचार्यश्री ने कहा कि अशुभ कर्म के उदय से जीवन में कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चारों और निराशा दिखाई देती है। यह समय परीक्षा और धैर्य का समय है। 
 
ऋषभ ने किया पाद प्रच्छालन
गुरुवार को ऋषभ जैन, मनीष जैन प्रगति ने आचार्यश्री का पाद प्रच्छालन किया। वहीं शाहपुरा दिगम्बर जैन  मंदिर के अध्यक्ष दीप जैन के चौके में आचार्यश्री ने आहार ग्रहण किए। 
 
खत्री ने लिया आशीर्वाद
बैरसिया के विधायक विष्णु खत्री शुक्रवार को आचार्यश्री के दर्शन के लिए पहुंचे। उन्होंने श्रीफल भेंट कर अपने परिवार और अपने क्षेत्र की जनता के लिए आशीर्वाद मांगा। खत्री ने आचार्यश्री से कहा कि संतों की कृपा से ही वे विधायक बने हैं। उन पर ऐसी कृपा बनी रहे। 
 
आचार्यश्री की दिनचर्या
आचार्य विद्यासागर जी महाराज सुबह लगभग साढ़े तीन बजे जाग जाते हैं।  लगभग दो घंटे प्रतिक्रमण व भक्ति के बाद 5.30 बजे गुरू भक्ति होती है। गुरू भक्ति में आचार्यश्री उनके शिष्य मुनिगण और आम लोग भी रहते हैं। सुबह 6.00 बजे आचार्यश्री शौच के लिए अरेरा पहाड़ी (डीबी माल के पीछे) जाते हैं। इस दौरान लगभग 300 से 400 भक्त उनके साथ होते हैं। 7.30 से 8.30 बजे तक वे अपने शिष्य मुनियों को पढ़ाते हैं। 9 बजे से 9.30 बजे तक मुख्य पंडाल में आचार्यश्री का पाद प्रच्छालन, उनकी पूजन एवं संक्षिप्त प्रवचन होते हैं। 9.45 बजे मुनिसंघ आहार के लिए रवाना होते हैं। दोपहर 11.30 बजे ईर्यापद भक्ति होती है। दोपहर 12 से 2.00 बजे तक ध्यान और सामयिक होती है। 2 बजे से 2.45 बजे तक आचार्यश्री स्वाध्याय करते हैं। 2.45 से 4 बजे तक मुख्य पंडाल में क्लास शुरू होती है। इसमें मुनि और आमजन शामिल होते हैं। शाम 5 बजे से प्रतिकमण। 6.00 बजे गुरू भक्ति और आरती की जाती है। इसके बाद आचार्यश्री ध्यान और सामयिक करते हैं। तत्पश्चात विश्राम के लिए जाते हैं। 
 
आचार्यश्री के साथ चातुर्मास कर रहे मुनि
 
मुनिश्री योगसागर जी महाराज
मुनिश्री प्रसादसागर जी महाराज
मुनिश्री संभव सागरजी महाराज
मुनिश्री शैल सागर जी महाराज
मुनिश्री सौम्य सागर जी महाराज
मुनिश्री दुर्लभ सागर जी महाराज
मुनिश्री विनम्र सागर जी महाराज
मुनिश्री निस्वार्थ सागर जी महाराज
मुनिश्री निर्दोष सागर जी महाराज
मुनिश्री निर्लोभ सागर जी महाराज
मुनिश्री निरोग सागर जी महाराज
मुनिश्री निर्मोह सागर जी महाराज
मुनिश्री निष्पक्ष सागर जी महाराज
मुनिश्री निष्पृह सागर जी महाराज
मुनिश्री निश्चल सागर जी महाराज
मुनिश्री  निष्कम्प सागर जी महाराज
मुनिश्री निष्पंद सागर जी महाराज
मुनिश्री निरामय सागर जी महाराज
मुनिश्री निरापद सागर जी महाराज
मुनिश्री निराकुल सागर जी महाराज
मुनिश्री निरूपम सागर जी महाराज
मुनिश्री निरीह सागर जी महाराज
मुनिश्री निस्सीम सागर जी महाराज 
मुनिश्री निर्भीक सागर जी महाराज 
मुनिश्री निराग सागर जी महाराज
मुनिश्री नीरज सागर जी महाराज
मुनिश्री निकलंक सागर जी महाराज
मुनिश्री निर्मद सागर जी महाराज
मुनिश्री निसर्ग सागर जी महाराज
मुनिश्री निस्संग सागर जी महाराज
मुनिश्री शीतल सागर जी महाराज
मुनिश्री शाश्वत सागर जी महाराज
मुनिश्री समरस सागर जी महाराज
मुनिश्री श्रमण सागर जी महाराज
मुनिश्री संधान  सागर जी महाराज
मुनिश्री संस्कार सागर जी महाराज
मुनिश्री ओंकार सागर जी महाराज
Dakhal News 22 July 2016

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