आठ साल में दोगुना बढ़ी बाबाजी की दाढ़ी
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जबलपुर में  नर्मदा के तट पर रविवार की शाम श्री निर्विकार पथ के प्रणेता 'श्रीबाबाश्री की दाढ़ी की लंबाई गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अफसरों ने दर्ज की। 2008 में उनकी दाढ़ी 1.84 मीटर यानी करीब 6 फीट थी। तब उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल हो गया। 8 साल बाद उनकी दाढ़ी की लंबाई 11 फीट 4 इंच यानी 3 मीटर 45 सेमी. हो गई। इससे उनका पूर्व रिकार्ड टूट गया है और नया रिकार्ड कायम होगा।
 
श्री निर्विकार पथ आश्रम सिद्धघाट में गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड के अधिकारी, सांसद राकेश सिंह, विधायक जालम सिंह पटेल, मेडीकल कॉलेज के डीन आरएस शर्मा और सैकड़ों भक्तों की मौजूदगी में बाबाश्री की दाढ़ी की लंबाई नापी गई। बाबाश्री ने खड़े होकर अपनी दाढ़ी खोली। सांसद राकेश सिंह ने मीटर पकड़ा और पहला हिस्सा बाबाश्री की दाढ़ी पर रखा गया। इसके बाद दाढ़ी के दूसरे छोर पर सांसद ने फीता रखकर उसकी लंबाई नापी गई।
 
बाबाश्री का परिचय
 
बाबाश्री का जन्म 27 सितम्बर 1942 को नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव तहसील में हुआ। 27 अप्रैल 1984 को गंगा सप्तमी से नर्मदा परिक्रमा शुरू करने के बाद उनकी दाढ़ी बढ़ना शुरू हो गई। बाबाश्री 25 वर्षों से मां नर्मदा की अनवरत परिक्रमा कर रहे हैं। वह निराहार रहकर मात्र नर्मदाजल पीकर वर्तमान में गाडरवारा से 20 किमी. दूर सोकलपुर में तप, साधना में हैं। उनका कहना है कि सिर्फ साधना के बल पर उनकी दाढ़ी की लंबाई बढ़ती जा रही है।
 
एग, लेग और पैग संस्कृति अपना रहे लोग
 
श्री निर्विकार संत बाबाश्री ने पत्रकारों के सामने भारतीय संस्कृति का हृास होने पर गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्राचीन युग में भारत का एक भगवा रंग का ध्वज रहा, जो बदलकर अब 3 रंग का तिरंगा हो गया है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का हम सम्मान करते हैं, लेकिन भारत के 3 नाम क्रमश: भारत, इंडिया व हिन्दुस्तान हैं। इससे भारत के नागरिक एग (अंडा), लेग (मटन-चिकन), पैग (शराब) संस्कृति अपना रहे हैं।
 
बाबाश्री ने कहा कि साधु-संतों का दाढ़ी-बाल बढ़ाना वैराग्य की निशानी है, लेकिन सभी साधु-संत एक से नहीं होते। वर्तमान में भारतीय राजनीति धर्म के खिलाफ है। प्राचीन युग में राजा का प्रजा के साथ पुत्रवत व्यवहार रहता था, लेकिन आज सत्तासीन नेता भाई-भतीजावाद परंपरा को बढ़ावा देकर मित्रवत व्यवहार कर रहे हैं। साधु-साध्वी राजनीति में जाएं, तो उन्हें धर्मनीति का साथ देना चाहिए।
 
युवाओं को चाहिए कि भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए वह निर्विकार पथ अपनाएं। निर्विकार पथ पर चलने से सिर्फ एक सप्ताह में नतीजे मिलने लगते हैं। इस पथ पर चलने के लिए लहसुन, प्याज, मांस खाने और नशा करने की आदत छोड़ना जरूरी है।
Dakhal News 27 June 2016

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