शिवराज बोले -भ्रष्टाचार हुआ तो मंत्री भी होंगे जिम्मेदार
shivraj

नए साल में मंत्रियों-अधिकारियों की पहली संयुक्त बैठकमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने साफ़ कहा कि अगर भ्रस्टाचार होता है तो इसके लिए मंत्री भी जिम्मेदार होंगे ।

उन्होंने कहा कि यदि विभाग में भ्रष्टाचार होता है तो अधिकारी के साथ अब मंत्री भी जिम्मेदार होंगे। भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वे अफसर जो चेतावनी के बावजूद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन्हें अब सीधे बर्खास्त कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने बैठक में अपना रुख साफ करते हुए मंत्रियोें और अधिकारियों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के कायाकल्प के लिए जो अभियान शुरू किया है, उसमें भ्रष्टाचार के लिए कहीं भी गुंजाइश नहीं है। ऐसे में प्रदेश में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की जो नीति अपनाई गई है, उसका सख्ती से पालन किया जाएगा।

विभागों में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती हैं। जांच एजेंसियां अपना काम करती हैं, लेकिन विभागीय प्रमुख होने के नाते मंत्रियों की भी जिम्मेदारी है। वे सजग और सचेत रहें। ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलें ताकि फीडबैक मिल सके। देखने में आ रहा है कि जिन अधिकारियों को भ्रष्टाचार को लेकर बार-बार चेताया जा रहा है वे सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं, उन्हें सीधे बर्खास्त किया जाएगा।

मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए मंत्रियों-अफसरों को ताकीद करने से ठीक तीन दिन पहले राजस्व विभाग की जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए वरिष्ठ आईएएस अफसर एमके वार्ष्णेय को क्लीनचिट मिल गई। मामला लगभग 600 करोड़ रुपए कीमत की सरकारी जमीन को निजी हाथों में देने से जुड़ा है।

सचिव स्तर के अधिकारी रमेश थेटे के खिलाफ सीलिंग की जमीन मुक्त करने के मामले में लोकायुक्त लंबे समय से अभियोजन की स्वीकृति मांग रहा है, लेकिन मामला फाइलों में कैद है। आईपीएस डॉ.मयंक जैन का प्रकरण जांच में ही अटका है।

आईएफएस अफसर वीके सिंह के प्रकरण में लगभग दो-ढाई साल बाद बमुश्किल अभियोजन की स्वीकृति मिली है। सिंहस्थ 2004 के दौरान मेला अधिकारी रहे विनोद शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त ने कार्रवाई के लिए लिखा, लेकिन सिफारिश को दरकिनार कर न सिर्फ शर्मा को आईएएस अवार्ड हुआ, बल्कि लगातार महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती रही।

डॉ.एएन मित्तल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के तमाम दस्तावेज मिलने के बाद भी जांच ही चल रही है। इमारती लकड़ी से भरा ट्रक छोड़ने के ऐवज में आईएफएस अफसर अजीत श्रीवास्तव ने 55 लाख की रिश्वत मांगी थी। इस मामले की जांच करने वाले कमेटी ने कालपी डिपो की जांच की सिफारिश की थी, जो विभाग और सरकार के बीच में झूल रही है। बताया जा रहा है कि जांच में कई बड़े और चौकाने वाले खुलासे हो सकते हैं और इसकी जद में अन्य आईएफएस अफसर भी आ सकते हैं।

Dakhal News 4 January 2017

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.