Patrakar Vandana Singh
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फुटबॉल स्टार लियोनेल मेसी के ‘GOAT टूर 2025’ के तहत कोलकाता दौरे के दौरान मची अव्यवस्था अब सियासी मुद्दा बन गई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर कड़ा हमला करते हुए इसे राज्य में कानून-व्यवस्था की पूरी तरह नाकामी बताया है। उन्होंने कहा कि इस घटना की जिम्मेदारी राज्य के गृह मंत्री, जो खुद मुख्यमंत्री हैं, और कोलकाता पुलिस कमिश्नर की बनती है। सरमा ने साफ कहा कि जवाबदेही ऊपर से तय होनी चाहिए। उन्होंने अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि गुवाहाटी में जुबीन गर्ग के निधन के बाद लाखों लोगों की भीड़ रही, फिर भी शांति बनी रही। पोस्ट मालोन के कार्यक्रम और मुंबई में महिला वर्ल्ड कप फाइनल का आयोजन भी बिना किसी परेशानी के हुआ, जबकि बंगाल में हालात अनिश्चित हो चुके हैं और वीआईपी संस्कृति चरम पर है। वीआईपी भीड़, नाराज फैंस और पुलिस की कार्रवाई मेसी के कोलकाता पहुंचने को लेकर फैंस में जबरदस्त उत्साह था, लेकिन आरोप है कि वीआईपी और नेताओं की भीड़ मैदान में पहुंच गई, जिससे टिकट खरीदने वाले आम दर्शकों को मेसी की ठीक से झलक तक नहीं मिल पाई। बताया जा रहा है कि मेसी के जल्दी कार्यक्रम स्थल छोड़ने के बाद फैंस भड़क गए। नारेबाजी शुरू हुई, स्टेडियम में तोड़फोड़ की गई, बोतलें और कुर्सियां फेंकी गईं, टेंट और गोलपोस्ट को नुकसान पहुंचा और सुरक्षा घेरा भी तोड़ दिया गया। हालात काबू में करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। बाद में राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने बताया कि कार्यक्रम आयोजक को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना के बाद विपक्ष ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया है और कहा है कि प्रशासन की लापरवाही से एक बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजन की छवि खराब हुई और आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।
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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सुरक्षा को लेकर सरकार ने बड़ा और अहम कदम उठाया है। गृह मंत्रालय से मिले ताजा इनपुट के बाद उनकी सुरक्षा व्यवस्था को और ज्यादा मजबूत कर दिया गया है। पहले से ही Z+ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद अब केंद्र सरकार ने अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं, ताकि किसी भी तरह की चूक न हो।गृह मंत्रालय की ओर से इस संबंध में मध्य प्रदेश के डीजीपी, दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (सुरक्षा) और मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को स्पष्ट निर्देश भेजे गए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि शिवराज सिंह चौहान की सुरक्षा व्यवस्था हर स्तर पर पुख्ता रखी जाए और किसी भी तरह की लापरवाही न हो।इन निर्देशों के बाद दिल्ली और भोपालदोनों जगह उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। भोपाल में 74 बंगला क्षेत्र स्थित बी-8 आवास के चारों ओर अतिरिक्त बैरिकेडिंग की गई है और पुलिस बल की संख्या भी बढ़ाई गई है। वहीं, दिल्ली में उनके सरकारी आवास के बाहर भी सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया गया है।इनपुट मिलते ही दिल्ली और भोपाल में अलर्ट जारी कर दिया गया था। देर रात भोपाल स्थित बंगले के बाहर कड़ी सुरक्षा देखी गई, जहां अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहा। बैरिकेडिंग, निगरानी और चौकसी बढ़ा दी गई है। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट पर हैं और हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है, ताकि केंद्रीय मंत्री की सुरक्षा में कोई कमी न रह जाए।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित संभाग स्तरीय बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में शामिल होकर एक बार फिर बस्तर के विकास और नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि वर्षों तक नक्सलवादियों ने बस्तर के विकास को रोककर रखा। सड़क, बिजली, पानी और दूसरी बुनियादी सुविधाओं के काम में लगातार बाधाएं डाली गईं, जिससे यह खूबसूरत और समृद्ध क्षेत्र पीछे रह गया। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और सरकार पूरी ताकत के साथ बस्तर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ रही है।गृह मंत्री अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा कि अगले साल मार्च तक देश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले पांच वर्षों में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाया जाएगा। बस्तर के हर घर तक बिजली पहुंचेगी, हर घर में पानी की सुविधा होगी और लोगों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विकास के साथ-साथ बस्तर की समृद्ध और सुंदर आदिवासी संस्कृति को पूरी तरह संरक्षित किया जाएगा, ताकि यह क्षेत्र अपनी पहचान को और मजबूत कर सके। नक्सलवाद अंतिम दौर में जिस लाल गलियारे को कभी देश की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती माना जाता था, वह अब लगातार सिमटता जा रहा है। माडवी हिडमा जैसे खूंखार माओवादी कमांडरों का खात्मा, करोड़ों के इनामी नक्सलियों का एक-एक कर आत्मसमर्पण और तय समय से पहले नक्सल मुक्त राज्यों की घोषणाएं साफ संकेत देती हैं कि नक्सलवाद अपने आखिरी दौर में पहुंच चुका है। सुरक्षाबलों की रणनीति बदली है, कार्रवाई तेज हुई है और अब जंगलों में बचे नक्सली कैडर के सामने सिर्फ दो ही रास्ते बचे हैं या तो हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटें, या फिर सुरक्षाबलों की सख्त कार्रवाई का सामना करें।अमित शाह ने यह भी याद दिलाया कि साल 2024 में उन्होंने घोषणा की थी कि 31 मार्च 2026 तक देश से लाल आतंक का पूरी तरह खात्मा कर दिया जाएगा। उस समय कई लोगों ने इसे सिर्फ एक राजनीतिक बयान माना था, लेकिन ज़मीन पर हुई कार्रवाई ने साबित कर दिया कि यह सिर्फ तारीख नहीं थी, बल्कि एक ठोस लक्ष्य था। डेडलाइन से करीब चार महीने पहले ही रेड कॉरिडोर के दो राज्यों ने खुद को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया है। जिन इलाकों में कभी पुलिस कैंप बनाना भी जान जोखिम में डालने जैसा था, आज वहीं विकास की गाड़ियां बिना डर के दौड़ रही हैं।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर एक बार फिर राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई सांसदों की महत्वपूर्ण बैठक से अनुपस्थित रहे। यह लगातार तीसरी बार है जब वे पार्टी की रणनीतिक चर्चा में शामिल नहीं हुए। इससे थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच बढ़ती दूरी की चर्चाएं और तेज हो गई हैं। पिछले कुछ महीनों में थरूर कई बार बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की खुले तौर पर तारीफ कर चुके हैं, जिससे उनके और कांग्रेस आलाकमान के बीच असहजता बढ़ती गई है। पार्टी के भीतर भी अब यह धारणा बनने लगी है कि थरूर कांग्रेस में होते हुए भी मुख्यधारा से अलग-थलग होते जा रहे हैं। राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह 99 लोकसभा सांसदों की बैठक बुलाई थी, जिसका उद्देश्य संसद के शीतकालीन सत्र में पार्टी की रणनीति को मजबूत करना और बीजेपी पर हमले तेज करने पर चर्चा करना था। इस महत्वपूर्ण बैठक में न सिर्फ थरूर, बल्कि चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी भी शामिल नहीं हुए। बैठक में न जाने के बजाय थरूर कोलकाता में अपने पूर्व सहायक जॉन कोशी की शादी और अपनी बहन स्मिता थरूर के जन्मदिन में शामिल हो रहे थे। उन्होंने इस बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया। यह पहली बार नहीं है — इससे पहले नवंबर में भी राहुल द्वारा आयोजित दो रणनीतिक बैठकों में वे नहीं पहुंचे थे।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कोर्ट में लंबित मामलों पर की जाने वाली बाहरी टिप्पणियों और नैरेटिव निर्माण पर चिंता जताते हुए सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान जज की टिप्पणियों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है और इससे अनावश्यक विवाद खड़े होते हैं। CJI ने साफ कहा— “सोचना भी नहीं, कोई मुझे डरा-धमका सकता है।” यह टिप्पणी उन्होंने पूर्व सांसद प्रज्जवल रेवन्ना की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें रेवन्ना ने अपने खिलाफ चल रहे रेप केस के ट्रायल को दूसरी जगह ट्रांसफर करने की मांग की थी। माना जा रहा है कि CJI की यह प्रतिक्रिया हाल ही में पूर्व जजों और वकीलों के उस ओपन लेटर से जुड़ी है, जिसमें रोहिंग्या मुद्दे पर उनके बयान पर आपत्ति जताई गई थी। रेवन्ना की ओर से पेश वकीलों सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि ट्रायल के दौरान जजों द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां आपत्तिजनक हैं और उन्हें रिकॉर्ड से हटाया जाना चाहिए। उन्होंने इन्हीं टिप्पणियों के आधार पर ट्रायल ट्रांसफर की मांग की। हालांकि, CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि न्यायिक टिप्पणियों को पक्षपात का आधार नहीं माना जा सकता। बेंच ने कहा कि हमें ऐसा कोई कारण नहीं लगता कि जज पुराने मामलों के आधार पर प्रभावित होंगे या वर्तमान केस में सबूतों से अलग निष्कर्ष निकालेंगे।
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मध्यप्रदेश में मोहन सरकार के दो साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विस्तृत प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर अपने कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियों और योजनाओं की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, कृषि, उद्योग, महिला सुरक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में निर्णायक कदम उठाए गए। इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस का उद्देश्य जनता के सामने पारदर्शिता के साथ कामकाज की जानकारी देना और भविष्य की योजनाओं का रोडमैप प्रस्तुत करना था। सीएम ने बताया कि सरकार ने 18 नई नीतियों को मंजूरी दी, जिसके परिणामस्वरूप 32 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव सामने आए। इनमें से 8.57 लाख करोड़ रुपये का निवेश ज़मीन पर उतारा जा चुका है। 26 नए औद्योगिक पार्कों को मंजूरी और 33 मौजूदा क्लस्टर्स को उन्नयन मिला। इन्वेस्टर समिट में 23 लाख से अधिक रोजगार सृजन के प्रस्ताव आए। वहीं नक्सलवाद पर कठोर कार्रवाई करते हुए पिछले 42 दिनों में 42 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और 10 की मुठभेड़ में मौत हुई। सीएम ने कहा कि नक्सल समस्या अब निर्णायक रूप से कमजोर पड़ी है। जल संसाधन क्षेत्र में केन–वेता और पार्वती–चंबल–कालिसिंध लिंक परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है, जिससे पानी की कमी और राज्यों के बीच जल विवाद दोनों कम होंगे। सिंहस्थ की तैयारियों के तहत क्षिप्रा नदी पर 29 किमी लंबे घाट निर्माण और 21 बैराजों का काम पूरा कराया गया। कृषि के क्षेत्र में सागर में खाद कारखाने के शुरू होने की तैयारी है, जबकि ऊर्जा क्षेत्र में मुरैना में देश की पहली सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना से 2.70 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलने लगी है। सीएम ने कहा कि एमपी अब कॉटन से लेकर कपड़ा उत्पादन तक ‘वैल्यू ऐडिशन’ की दिशा में आत्मनिर्भर हो रहा है।
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दिल्ली के रामलीला मैदान में एसआईआर और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ कांग्रेस की विशाल रैली आयोजित हुई, जिसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भाजपा, आरएसएस और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है और उनके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि गांधीजी और भारत की हर धर्म परंपरा सत्य को सबसे ऊपर मानती है, जबकि आरएसएस की सोच सत्ता को ही सब कुछ मानती है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा वोट चोरी करती है, चुनाव के समय पैसे बांटे जाते हैं और चुनाव आयुक्तों को सरकार का संरक्षण मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कानून बदलकर चुनाव आयुक्तों को बचाने की कोशिश की है, लेकिन कांग्रेस सत्ता में आकर इस कानून को बदलेगी। राहुल गांधी ने भरोसा दिलाया कि भले ही समय लगे, लेकिन अंत में भारत में सत्य की जीत होगी और संविधान पर हमला करने वालों को सत्ता से हटाया जाएगा।रैली में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि संसद में जनता के असली मुद्दों—बेरोजगारी, महंगाई और पेपर लीक—पर चर्चा से सरकार डरती है। उन्होंने चुनौती दी कि अगर भाजपा ईमानदारी से चुनाव लड़े, बैलेट पेपर पर चुनाव हो, तो वह कभी जीत नहीं पाएगी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी देश और जनता के लिए जो लड़ाई लड़ रहे हैं, उसे मजबूत करना हर कांग्रेस कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा ही देश को बचा सकती है और एकजुट होकर आगे बढ़ना ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
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कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू की। ईडी की टीम ने लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर और सहारनपुर में सिंडिकेट से जुड़े 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। लखनऊ में बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की कोठी पर भी रेड की गई। एजेंसी वित्तीय लेन-देन, हवाला नेटवर्क और विदेशी लिंक की गहराई से जांच कर रही है। कफ सिरप तस्करी का यह रैकेट लंबे समय से विभिन्न राज्यों में सक्रिय है, जिस पर अब सख्ती बढ़ा दी गई है। इससे पहले 4 दिसंबर को जौनपुर एसआईटी ने कोडीन युक्त सिरप तस्करी में बड़ी कार्रवाई की थी। तीन दिनों में 16 फर्म संचालकों के 30 बैंक खाते फ्रीज किए गए। दर्ज एफआईआर में 18 आरोपी शामिल हैं, जिनसे जुड़े करीब 45.06 करोड़ रुपये के लेन-देन सामने आए। जांच में 12 फर्में सीधे सिंडिकेट के मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल और उनके पिता की रांची स्थित कंपनी “सेल ट्रेडर्स” से जुड़ी मिलीं, जिन्होंने 42.45 करोड़ रुपये का अवैध कारोबार किया। वहीं, दिल्ली की “वानिया इंटरप्राइजेज” से जुड़े 3 फर्मों में 261 करोड़ रुपये की बड़ी हेराफेरी का खुलासा हुआ, जिसे विशाल उपाध्याय संचालित करता है।
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निर्देशक आदित्य धर की फिल्म धुरंधर बॉक्स ऑफिस पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन इसके साथ ही सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर नेगेटिव रिव्यू और तीखी बहस भी चल रही है। अब इस पूरे विवाद पर फिल्म के अहम कलाकार आर. माधवन ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। Esquire India से बातचीत में माधवन ने साफ कहा कि उन्हें पहले से अंदाजा था कि फिल्म को लेकर ऐसा माहौल बनेगा।आर. माधवन ने कहा, “मुझे शुरू से पता था कि यह फिल्म समाज पर असर डालेगी। कुछ लोग इसे पहले बहुत खराब रेटिंग देंगे और बाद में कहेंगे—‘वाह, ये तो कुछ अलग ही था।’ मैं यह बात गुस्से में नहीं कह रहा हूं, लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम एक्टर्स के तौर पर बदलें और इस तरह की सोच को समझें।” उन्होंने आगे बताया कि फिल्म के रिलीज होने से पहले ही कुछ लोगों ने मानो इसकी ‘ओबिचुअरी’ लिख दी थी और रिलीज के दिन ही इसे ‘डिजास्टर’ बताकर रिव्यू डाल दिए गए। माधवन के मुताबिक, जब ऐसा होता है तो मन में सवाल उठता है कि कहीं इसके पीछे कोई एजेंडा तो नहीं, लेकिन उन्होंने कहा कि कलाकार ऐसे ही माहौल में काम करना और आगे बढ़ना सीखते हैं। धुरंधर पार्ट 2 को लेकर उत्सुकता फिल्म के सीक्वल को लेकर बात करते हुए आर. माधवन ने ज्यादा खुलासा नहीं किया, लेकिन इशारों में बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा, “मैं ज्यादा नहीं बता सकता, लेकिन पहला पार्ट तो सिर्फ ट्रेलर था। असली कहानी अभी बाकी है।” धुरंधर पार्ट 2 अगले साल 19 मार्च 2026 को रिलीज होने वाली है, जिसे लेकर दर्शकों में पहले से ही उत्सुकता बढ़ गई है।गौरतलब है कि धुरंधर 5 दिसंबर को रिलीज हुई थी। इस फिल्म में रणवीर सिंह, अक्षय खन्ना, अर्जुन रामपाल, आर. माधवन, सारा अर्जुन और राकेश बेदी जैसे दमदार कलाकार नजर आए हैं। जहां एक ओर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर चल रही बहस ने इसे और ज्यादा चर्चा में ला दिया है।
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साउथ सुपरस्टार नंदमुरी बालकृष्ण की मोस्ट अवेटेड एक्शन फिल्म ‘अखंडा 2: थांडवम’ 12 दिसंबर को रिलीज हो गई। निर्देशक बोयापति श्रीनु और बालकृष्ण की चौथी सहयोगी फिल्म दर्शकों के बीच उत्साह का कारण बनी है। फिल्म में बालकृष्ण के एक्शन, डायलॉग और थ्रिलर सीन ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया है। हर्षाली मल्होत्रा, संयुक्ता मेनन, आदी पिनिसेट्टी और कबीर दुहन सिंह ने भी प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं। सोशल मीडिया पर शुरुआती रिएक्शन में फिल्म की ओपनिंग को धमाकेदार बताया जा रहा है। कई दर्शकों ने बालकृष्ण की स्क्रीन प्रेजेंस की तारीफ करते हुए कहा कि इस बार उनका अंदाज पहले से कहीं अधिक आक्रामक और स्ट्रांग है। ओपनिंग रेस्पॉन्स देखकर माना जा रहा है कि फिल्म वीकेंड में शानदार कमाई कर सकती है।
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मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े मामलों पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है। न्यायमूर्ति अवनीश कुमार सक्सैना की अदालत में लगभग 18 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई निर्धारित है। सूत्रों के अनुसार, हिंदू पक्ष अदालत से वाद बिंदु तय करने (Framing of Issues) की मांग करेगा, जिससे मुकदमे की आगे की प्रक्रिया तेज गति से आगे बढ़ सके। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष अदालत से अनुरोध करेगा कि विभिन्न पक्षों द्वारा दायर कई लंबित वादों को निरस्त किया जाए। सुनवाई के दौरान विशेष रूप से वाद संख्या 3 पर भी चर्चा होने की संभावना है, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को अपना जवाब दाखिल करना है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्री कृष्ण का विग्रह दबा हुआ है, ऐसे में ASI की रिपोर्ट को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
हनुमानगढ़ के टिब्बी क्षेत्र में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर जारी तनाव चौथे दिन भी कम नहीं हुआ। राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड प्लांट के विरोध में आंदोलन कर रहे ग्रामीणों और प्रशासन के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थिति नियंत्रित रखने के लिए शुक्रवार को भी इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं। कई परिवार अपने घरों में ताले लगाकर बाहर चले गए हैं, जबकि बड़ी संख्या में लोग गुरुद्वारे में शरण लिए हुए हैं। यहां घायल ग्रामीणों का प्राथमिक उपचार भी किया जा रहा है। गुरुद्वारे में जुटे किसान नेताओं की कोर कमेटी ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक जिले के कलेक्टर और एसपी का ट्रांसफर नहीं होता, वे किसी तरह की बातचीत नहीं करेंगे। महिलाओं ने आरोप लगाया है कि बवाल वाले दिन पुलिस ने गोलियां चलाईं और उन्होंने कथित कारतूस के खोल भी दिखाए। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की सख्ती और डर के माहौल के कारण लगभग 30 से ज्यादा परिवारों ने घर खाली कर दिए। दूसरी ओर, प्रशासन ने पुलिस फायरिंग से इनकार किया है। एडीजी वीके सिंह ने दावा किया कि स्थिति बिगाड़ने में बाहरी तत्व शामिल थे, जबकि किसान नेता इसे प्रशासन की नाकामी बता रहे हैं। 10 दिसंबर की हिंसक झड़प ने हालात को और बिगाड़ दिया है। किसानों ने उस दिन फैक्ट्री की बाउंड्री वॉल तोड़ दी थी और ऑफिस में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई, जिसमें करीब 70 लोग घायल हुए। कई महिलाओं ने कहा कि फैक्ट्री शुरू हुई तो पानी और हवा प्रदूषित होगी—दमा, कैंसर और त्वचा रोग जैसे खतरे बढ़ेंगे। उधर कंपनी का कहना है कि 40 मेगावाट क्षमता वाला यह प्लांट एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल मिशन को बढ़ावा देगा और 700–800 लोगों को रोजगार मिलेगा। 17 दिसंबर को किसान संघर्ष समिति ने कलेक्ट्रेट घेराव की चेतावनी दी है, जिससे तनाव और बढ़ने की आशंका है।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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