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19 September 2024मीडिया
हिंसा से जूझ रहे मणिपुर की राजधानी इंफाल में आम लोगों को सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की कैंटीन से सामान मिलने लगा। इसकी शुरुआत बुधवार से से हुई। कैंटीन में सामान पर 30 से 40% डिस्काउंट भी होगा। यहां CRPF के 21 भंडार पहले से थे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्लान पर 16 आउटलेट और खोले गए हैं। जरूरत का सामान खरीदने के लिए लांगजिंग इलाके की CRPF कैंटीन में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। कैंटीन पर पहुंचे स्थानीय व्यक्ति ने कहा- यहां चीजें बहुत सस्ते दाम पर मिल रही है। मार्केट से सामान खरीदने में कठिनाई आ रही थी, क्योंकि सड़कें ब्लाक है, साथ ही सामान महंगा भी है। वहां जाने में रिस्क भी है। CRPF कैंटीन में सामान सस्ता भी है और यहां सुरक्षा की गारंटी भी है। जनता के लिए साढ़े चार घंटे खुलेगा स्टोर CRPF कैंटीन में आम लोगों के लिए सुबह 9.30 से दोपहर 1 बजे तक सामान दिया जाएगा। हफ्ते में चार दिन- सोमवार, मंगलवार, बुधावार और शुक्रवार को यह सुविधा मुहैया रहेगी। गुरुवार, शनिवार और रविवार को ये स्टोर आम लोगों के लिए बंद रहेंगे। CRPF के IG विपुल कुमार ने ANI को बताया- मिनिस्टरी ऑफ होम अफेयर्स की गाइडलाइन के तहत हमारे सभी ऑफिसर काम पर हैं। वह यह देख रहें हैं कि स्टोर में सभी सामान उपलब्ध हो। घाटी के जिलों में 16 और पहाड़ी जिलों में 8 स्टोर खोले गए हैं। हिंसा के बाद से अब तक 6,523 FIR दर्ज हुई मणिपुर में हिंसा की वजह से 120 से ज्यादा गांव, 3,500 घर, 220 चर्च, और 15 मंदिर जल गए। हिंसा के चलते स्कूल और खेत भी बर्बाद हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मणिपुर में कानून-व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। राज्य में जातीय हिंसा के दौरान करीब तीन महीने तक FIR ही दर्ज नहीं की गई। मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बर बर्ताव के शर्मनाक वीडियो भी जारी हुए थे। स्नाइपर से सब इंस्पेक्टर की हत्या हो गई थी। मणिपुर के मुख्यमंत्री ने एडिटर्स गिल्ड के खिलाफ FIR कराई थी। मणिपुर में 67 हजार लोग विस्थापित हुए जिनेवा के इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) ने 11 मई 2023 को रिपोर्ट जारी की। जिसमें कहा है कि साल 2023 में साउथ एशिया में 69 हजार लोग विस्थापित हुए। इनमें से 97 फीसदी यानी 67 हजार लोग मणिपुर हिंसा के कारण विस्थापित हुए थे। रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में साल 2018 के बाद हिंसा के कारण पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन देखने को मिला। इस हिंसा में करीब 200 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। साथ ही लगभग 67 हजार लोगों को अपना घर छोड़कर राहत शिविर या दूसरी जगहों पर आसरा लेना पड़ा था। 4 पॉइंट्स में - मणिपुर हिंसा की वजह मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST केटेगरी में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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19 September 2024वक्फ बिल में संशोधन के लिए गुरुवार (19 सितंबर) को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की चौथी बैठक जारी है। बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई। पिछले 28 दिनों में JPC की तीन बैठकें हो चुकी हैं। जिसमें चर्चा के दौरान काफी हंगामा भी हुआ। दरअसल, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल को मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष के विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था। 5 सितंबर, तीसरी बैठक: वक्फ बिल का प्रेजेंटेशन दिया गया वक्फ बिल में संशोधन के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की तीसरी बैठक में मंत्रालयों के अधिकारियों ने कमेटी को वक्फ बिल के बारे में प्रेजेंटेशन दिया। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि प्रेजेंटेशन के दौरान सरकारी अधिकारी कमेटी को बिल के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे रहे। साथ ही कहा कि मिनिस्ट्री के अधिकारी अपना स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं अपना रहे। वे बिना किसी विचार-विमर्श के सरकार के रुख को ही बढ़ावा दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा विरोध AAP सांसद संजय सिंह और TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने किया। JPC की दूसरी बैठक में विपक्षी सदस्यों ने कुछ देर के लिए बैठक से वॉक आउट किया। यह बैठक करीब 8 घंटे तक चली बैठक में ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा और इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स, राजस्थान मुस्लिम वक्फ, दिल्ली और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के विचारों को सुना। सूत्रों के अनुसार, मुस्लिम संगठनों ने बिल के कई प्रावधानों पर कहा कि यह मुसलमानों के लिए चिंता का विषय हैं। बैठक में 'वक्फ बाय यूजर्स' पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह धार्मिक आस्था और व्यवहार का मामला है। इसलिए सरकार को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। 22 अगस्त को 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक हुई थी। इसमें समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया था कि बिल पर विचार करने के दौरान सभी 44 बदलावों (अमेंडमेंट्स) पर चर्चा होगी। सभी हिस्सेदारों की बात सुनी जाएगी। मुस्लिम जानकारों से भी राय ली जाएगी। अल्पसंख्यक मामलों और कानून मंत्रालय के अधिकारी ने समिति को ड्राफ्ट कानून में जो बदलाव किये गए हैं, उसके बारे में बताया।
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19 September 2024कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस को लेकर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों और बंगाल सरकार के बीच बुधवार को दूसरे दौर की बातचीत हुई। डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर बंगाल के चीफ सेक्रेटरी मनोज पंत के साथ ढाई घंटे बैठक की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। डॉक्टरों ने कहा कि वे सरकार से हुई बातचीत से असंतुष्ट हैं और अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। डॉक्टरों ने यह आरोप लगाया कि बैठक में डॉक्टरों राज्य सरकार ने बैठक की लिखित कार्यवाही (मिनट्स ऑफ मीटिंग) मांगे थे, जिसे देने से सरकार ने इनकार कर दिया। इस बीच पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पंजीकरण रद्द कर दिया है। संदीप से पहले स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन 13 दिन से ज्यादा निकलने के बाद भी कोई स्पष्टीकरण न मिलने पर काउंसिल ने यह कदम उठाया। उधर, नए कमिश्नर मनोज वर्मा, गुरुवार को आरजी कर कॉलेज और हॉस्पिटल का दौरा करने पहुंचे। इसी घटना के विरोध में TMC से राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले 16 सितंबर को जूनियर डॉक्टर और ममता के बीच मीटिंग हुई थी। इसमें ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मान ली थीं। उन्होंने मंगलवार को पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटाया था। उनकी जगह मनोज वर्मा को कमिश्नर बनाया गया। लेकिन डॉक्टर राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। साथ ही अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इन मांगों पर चर्चा करने को लेकर डॉक्टरों ने मनोज पंत को ईमेल भेजकर एक और मीटिंग की मांग की थी। इस पर पंत ने 30 डॉक्टरों को शाम 6:30 बजे मिलने के लिए बुलाया था। बैठक 7:30 बजे शुरू हुई और 10 बजे तक चली। डॉक्टर आज भी अपने साथ स्टेनोग्राफर को ले गए थे, ताकि बैठक की डिटेल रिकॉर्ड की जा सके। डॉक्टर बोले- हमें प्रदर्शन जारी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा एक डॉक्टर ने बताया कि जब हमने बैठक की मांग की, तो हमें बताया गया कि हमें अपनी सभी जरूरतें ईमेल के जरिए भेजनी होंगी। सरकार हमारी मांगों की जांच करेगी और फिर हमसे संपर्क करेगी। जब हम बैठक में गए थे, तो हमें बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन अब हम बेहद निराश हैं। हम भी चाहते हैं कि यह प्रदर्शन खत्म हो, लेकिन हमें इसे जारी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं ममता-डॉक्टरों की मीटिंग को लेकर 7 दिन तक टकराव डॉक्टरों और ममता की मीटिंग को लेकर कोलकाता में 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें। डॉक्टरों और CM की 16 सितंबर की मीटिंग के बाद स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया। मेडिकल एजुकेशन डायरेक्टर डॉ. कौस्तुव नायक को स्वास्थ्य-परिवार कल्याण का डायरेक्टर बनाया गया। स्वास्थ्य सेवाओं के डायरेक्टर डॉ. देबाशीष हलदर को पब्लिक हेल्थ का OSD बनाया गया है। त्रिपुरारी अथर्व को DEO का डायरेक्टर चुना गया। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए। जावेद शमीम ADG कानून व्यवस्था, विनीत गोयल ADG और IG स्पेशल टास्क फोर्स, ज्ञानवंत सिंह ADG और IG इंटेलिजेंस ब्यूरो, दीपक सरकार नॉर्थ कलेक्टर, अभिषेक गुप्ता CO EFR सेकंड बटालियन का नाम शामिल है। CBI बोली- पुलिस ने 2 दिन तक अहम सबूत जब्त नहीं किए CBI ने बुधवार सुबह बताया कि कोलकाता पुलिस ने आरोपी संजय कपड़े समेत अन्य चीजों को जब्त करने में दो दिन लगा दिए। ये सबूत केस के लिए अहम हो सकते थे। दरअसल, रॉय को पुलिस ने 10 अगस्त को CCTV फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया था। इसके बाद CBI ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस के SHO अभिजित मोंडल को गिरफ्तार किया था। CBI संजय और घोष-मोंडल के कनेक्शन की जांच कर रही CBI ने बताया कि घोष और मोंडल पर दुर्भावनापूर्ण इरादे से केस के सबूतों को नष्ट करने का आरोप है। अब दोनों के बीच कनेक्शन के बारे में पता लगाया जा रहा है। साथ ही घोष-मोंडल और संजय के बीच आपराधिक साजिश थी या नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है। इसके लिए तीनों के फोन रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। CBI ने बताया कि घोष और मोंडल ने ट्रेनी डॉक्टर का अंतिम संस्कार कराने में भी जल्दी की थी, जबकि ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने दूसरी ऑटोप्सी कराने की मांग रखी थी। विक्टिम के पिता बोले- ममता ने 2021 में संदीप घोष पर एक्शन लिया होता, तो बेटी जिंदा होती विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने ममता बनर्जी पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर ममता ने 2021 में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ एक्शन लिया होता तो आज उनकी बेटी जिंदा होती। विक्टिम के पिता बोले- 'CBI अपना काम कर रही है। जो लोग इस मर्डर से किसी भी तरह जुड़े हैं, या जो सबूतों की छेड़छाड़ में शामिल हो सकते हैं, उन सबकी जांच हो रही है। जो जूनियर डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे तकलीफ में हैं। वे मेरे बच्चों जैसे हैं। उन्हें ऐसे देखकर हमें भी तकलीफ होती है। जिस दिन आरोपियों को सजा दी जाएगी, उस दिन हमारी जीत होगी। साल 2021 में भी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई गई थीं, अगर मुख्यमंत्री ने तब संदीप घोष के खिलाफ कार्रवाई की होती तो मेरी बेटी जिंदा होती।'
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19 September 2024वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शीतकालीन सत्र में बिल पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में वन नेशनल वन इलेक्शन का वादा किया था। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दी गई स्पीच में भी प्रधानमंत्री ने वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं। वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है। पैनल का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। यह रिपोर्ट स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च का नतीजा है। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है। पैनल के 5 सुझाव... सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए। हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडी के इलेक्शन कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा। कोविंद पैनल ने एकसाथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है। कमेटी में 8 सदस्य, सितंबर 2023 में बनी थी पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुआई में 8 मेंबर की कमेटी पिछले साल 2 सितंबर को बनी थी। 23 सितंबर 2023 को दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं। अभी ऐसी है वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। साथ ही इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे। पहला चरणः 6 राज्य, वोटिंगः नवंबर 2025 में बिहारः मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा। असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े 3 साल होगा। दूसरा चरणः 11 राज्य, वोटिंगः दिसंबर 2026 में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा। गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा। इन दो चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। सूत्रों के अनुसार, कोविंद कमेटी विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने की बात कही जाएगी। क्या है वन नेशन वन इलेक्शन भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
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18 September 2024दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना ने बुधवार को अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मंजूरी के लिए भेज दिया है। साथ ही उन्होंने नई मुख्यमंत्री आतिशी के शपथ ग्रहण के लिए 21 सितंबर की तारीख का प्रस्ताव भी राष्ट्रपति को भेजा है। इधर, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके अरविंद केजरीवाल अपना सरकारी आवास छोड़ेंगे। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने बुधवार को कहा कि हमने सुरक्षा को लेकर उनसे कहा कि सरकारी आवास ना छोड़ें, लेकिन वे नहीं माने। एक दिन पहले 17 सितंबर को AAP विधायक दल की मीटिंग में आतिशी को मुख्यमंत्री चुना गया था। इसके बाद केजरीवाल ने शाम को LG विनय सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। केजरीवाल पर कई बार हमले हुए, हमें चिंता-AAP संजय सिंह ने कहा, "केजरीवाल अपनी सभी सरकारी सुविधाएं छोड़ने जा रहे हैं। हम लोगों को चिंता है। केजरीवाल पर कई बार हमले हो चुके हैं। जब उनके माता-पिता घर में थे, तब भी उन पर हमला हुआ है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि केजरीवाल कहां रहेंगे। उन्होंने कहा है कि वे जनता के बीच रहेंगे, जगह अभी तय नहीं है।" बंगले का रिनोवेशन हुआ था, 52.71 करोड़ खर्च हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले और इसके कैम्पस में बने ऑफिस के रिनोवेशन किया गया था। इस पर 52.71 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। उपराज्यपाल विनय सक्सेना को भेजी गई फैक्चुअल रिपोर्ट में यह जानकारी आई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि बंगले पर 33.49 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, वहीं 19.22 करोड़ रुपए उनके कैंप ऑफिस पर खर्च हुए। उनके पुराने बंगले को गिराकर नया बंगला बनाया गया था। आतिशी ने LG से शपथ ग्रहण की तारीख मांगी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने 17 सितंबर शाम को उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना को CM पद से इस्तीफा सौंपा था। उनके साथ आतिशी और 4 मंत्री मौजूद थे। इसके बाद आतिशी ने नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया। उपराज्यपाल से शपथ ग्रहण की तारीख तय करने की भी मांग की है। दिल्ली सरकार ने 26 और 27 सितंबर को 2 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया है। 26-27 सितंबर को विधानसभा सत्र, आतिशी बोलीं- केजरीवाल को CM बनाना लक्ष्य इसी दिन सुबह AAP की विधायक दल की बैठक में केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। इस पर विधायकों ने सहमति जताई। CM चुने जाने के बाद आतिशी ने कहा था कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं। पहला- दिल्ली के लोगों की भाजपा के षड्यंत्र से रक्षा करना। दूसरा- केजरीवाल को फिर से CM बनाना। आतिशी के दो बड़े बयान... 1. ये हमारे लिए दुख का क्षण केजरीवाल के खिलाफ केंद्र सरकार ने दुष्प्रचार किया, फर्जी आरोप लगाए। 6 महीने जेल में रखा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा किया। कोई और व्यक्ति होता तो वह तुरंत CM की कुर्सी पर बैठ गया होता। केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली की जनता का फैसला मानूंगा। ये हमारे लिए दुख का क्षण है। दिल्ली के लोग इस बात का प्रण ले रहे हैं कि अगले चुनाव में वे केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएंगे। 2. दिल्ली की जनता गुस्से में है दिल्ली आज गुस्से में है। उन्हें पता है कि केजरीवाल CM नहीं रहे तो फ्री बिजली नहीं मिलेगी, सरकारी स्कूल बदहाल हो जाएंगे, अस्पतालों में अच्छा इलाज नहीं मिलेगा, मोहल्ला क्लिनिक बंद हो जाएगी, महिलाओं की फ्री बस यात्रा, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा बंद हो जाएगी। उन्होंने देखा है कि 22 राज्यों में भाजपा की सरकार है। किसी एक में भी फ्री बिजली, बस यात्रा नहीं दे पा रहे।
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18 September 2024राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जयपुर मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNIT) के दीक्षांत समारोह में 1300 से ज्यादा स्टूडेंट्स को डिग्रियां प्रदान कीं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज 20 गोल्ड मेडल में से 12 बेटियों को मिले हैं, ये अनुपात प्रमाण है कि उन्हें समान अवसर मिले तो वे सफलता हासिल कर सकती हैं। इस साल का सबसे बड़ा प्लेसमेंट भी एक बेटी को ही मिला है। बुधवार को हुए कॉलेज के 18वें दीक्षांत समारोह में स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचईडी व एमबीए की डिग्रियां प्रदान गईं। समारोह में पहुंचीं राष्ट्रपति का मंत्रोच्चार के साथ स्वागत हुआ। कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल ने कहा कि यह दौर सूचना और प्रौद्योगिकी का है। इस क्षेत्र में एमएनआईटी ने काफी अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दौर में AI काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा कि समारोह को संबोधित करते मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा के प्रदेश के युवाओं के लिए युवा नीति लाई जाएगी। सरकार अगले 5 साल में 4 लाख से ज्यादा पदों पर भर्ती की जाएगी। राष्ट्रपति के संबोधन की बड़ी बातें आपकी सफलता में शिक्षकों और अभिभावकों का अहम योगदान है। रिसर्च और डेवलपमेंट में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है। एमएनआईटी की फैकल्टी में एक तिहाई महिलाएं हैं। यह भी सराहनीय है। एमएनआईटी स्थानीय प्रतिभा को अवसर देता है। तो वहीं भारत की विविधता को भी दिखाता है। एमएनआईटी के 125 स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं। सुपरविजन पर विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है एमएनआईटी जयपुर को भविष्य में आप टॉप टेन में जगह दिलाएंगे। एनआईटी के स्टूडेंट देश विदेश की प्रतिष्ठित संस्थानों में जुड़े हैं। यहां कैंपस ग्रीन और एक मेगावाट का सोलर प्लांट लगा हुआ है। पर्यावरण संरक्षण में आप लोगों ने अपने नाम से पेड़ लगाए हैं। यह काफी महत्वपूर्ण है। आप जो भी कार्य करें वह तटस्थता और निष्ठा के साथ करें। नेशन फर्स्ट की भावना से काम करने की आप से प्रेरणा है। आपको अपने देश को आगे बढ़ाना है।
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18 September 2024सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 सितंबर) को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर स्टे नहीं दिया। मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनने का फैसला सुनाया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा- मुस्लिम पक्ष गलत तरीके से सुप्रीम कोर्ट गया। हमारी तरफ से ऑब्जेक्शन दाखिल किया गया था। पहले इनको (मुस्लिम पक्ष) हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दाखिल करनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट में 4 नवंबर को मामले में सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा- इस दौरान मुस्लिम पक्ष चाहे तो हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दाखिल कर सकता है। दरअसल, 1 अगस्त को हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से जुड़ी हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनने का फैसला सुनाया था। कोर्ट का कहना था कि सभी याचिकाएं एक नेचर की हैं। एक साथ सुनी जाएंगी। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का तर्क था कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनने योग्य नहीं है। ऐसे में मुस्लिम पक्ष ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद 6 अगस्त को हिंदू पक्ष ने कैविएट दाखिल की थी। कहा था- हमें सुने बिना मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर एकतरफा आदेश न दें। आज याचिका पर पहली बार सुनवाई हुई। हिंदू पक्षकारों के 11 तर्क ढाई एकड़ में बनी शाही ईदगाह कोई मस्जिद नहीं है। ईदगाह में केवल सालभर में 2 बार नमाज पढ़ी जाती है। ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया भगवान कृष्ण का गर्भगृह है। सियासी षड्यंत्र के तहत ईदगाह का निर्माण कराया गया था। प्रतिवादी के पास कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है। जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है। बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित कर दी। भवन पुरातत्व विभाग से संरक्षित घोषित है। पुरातत्व विभाग (ASI) ने नजूल भूमि माना है। इसे वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते। मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें समझौता 1968 का है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। मुकदमा सुनवाई लायक नहीं। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत मुकदमा आगे ले जाने के काबिल नहीं है। 15 अगस्त 1947 वाले नियम के तहत जो धार्मिक स्थल जैसा है वैसा रहे, उसकी प्रकृति नहीं बदल सकते। लिमिटेशन एक्ट, वक्फ अधिनियम के तहत इस मामले को देखा जाए। वक्फ ट्रिब्यूनल में सुनवाई हो, यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला नहीं।
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17 September 2024कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (17 सितंबर) को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने रातिरेर साथी योजना के तहत महिला डॉक्टरों की नाइट ड्यूटी खत्म करने के फैसले पर बंगाल सरकार को फटकार लगाई। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? उन्हें कोई रियायत नहीं चाहिए। सरकार का काम उन्हें सुरक्षा देना है। पायलट, सेना जैसे सभी प्रोफेशन में महिलाएं रात में काम करती हैं। कोर्ट ने विकिपीडिया को मृत ट्रेनी डॉक्टर का नाम और तस्वीर हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़ित की पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि वह एक हफ्ते के बाद अगली सुनवाई करेगा। CJI बोले- अस्पतालों में 18-23 साल की डॉक्टर्स काम कर रहीं, वहां पुलिस होनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर प्राइवेट एजेंसियों के सुरक्षाकर्मियों की नियुक्त पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम रहे लोगों को 7 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है और वे पूरे अस्पताल में घूमते हैं। इनके जरिए सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि रेप-मर्डर मामले का मुख्य आरोपी भी एक सिविक वॉलंटियर ही है। बंगाल में 28 सरकारी अस्पताल हैं। वहां 18-23 साल की युवा डॉक्टर काम कर रही हैं। राज्य के 45 मेडिकल कॉलेजों में लड़कियां 12वीं कक्षा के बाद आती हैं। वे बहुत छोटी हैं। उनमें इंटर्न भी हैं। ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पूरी तरह से असुरक्षित है। CJI ने कहा कि राज्य सरकार को सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में पुलिस बल तैनात करना चाहिए। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भी प्रोग्रेस काफी स्लो है। वहां 415 अतिरिक्त CCTV कैमरे लगाने की मंजूरी मिली है, लेकिन अब तक सिर्फ 36 लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट में इन 4 मुद्दों पर भी चर्चा हुई... 1. जूनियर डॉक्टर्स बोले- हम हड़ताल खत्म करना चाहते हैं: वकील इंदिरा जयसिंह ने जूनियर डॉक्टरों का पक्ष रखते हुए कहा कि डॉक्टर्स हड़ताल खत्म करना चाहते हैं। बंगाल सरकार ने डॉक्टरों के काम पर लौटने की तारीख पूछी। जयसिंह ने कहा कि जब तक डॉक्टर अपने एसोसिएशन की बैठक नहीं कर लेते, तब तक कोई तारीख नहीं दी जा सकती। बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। 2. कोर्ट बोला- CBI पीड़ित के माता-पिता से मिले इनपुट की जांच करे: CJI ने कहा कि बेंच खुली अदालत में CBI की जांच पर टिप्पणी नहीं करना चाहती। इससे आगे की जांच खतरे में पड़ जाएगी। बेंच ने CBI को 24 सितंबर को रेप-मर्डर और वित्तीय अनियमितता की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने CBI को पीड़ित के माता-पिता से मिले इनपुट की जांच करने का निर्देश दिया। CJI ने कहा कि पीड़ित के पिता ने 12 सितंबर को एक लेटर लिखा था, जिसमें कई चिंताएं व्यक्त की गई थीं। CBI को इन सुरागों की जांच करनी चाहिए। 3. कोर्ट का सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग से इनकार: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग की। सिब्बल ने कहा कि बंगाल सरकार का पक्ष रखने वाले वकीलों को सोशल मीडिया पर रेप और एसिड अटैक की धमकियां मिल रही हैं। हालांकि, CJI ने कहा कि कोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग बंद नहीं करेगा, क्योंकि यह जनहित का मुद्दा है। अगर किसी को ऐसा कोई खतरा है तो हम कदम उठाएंगे। 4. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पद से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज: सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील से कहा कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है। आप बार के सदस्य हैं। हम जो कहते हैं उस पर हमें आपकी वैधता की जरूरत नहीं है। कोर्ट रूम लाइव... CJI चंद्रचूड़: जांच पूरी होने में अभी वक्त है। हमें CBI को पर्याप्त समय देना होगा, वे सोते नहीं रहेंगे। उन्हें सच्चाई सामने लाने के लिए समय दिया जाना जरूरी है। वकील (डॉक्टरों की तरफ से): क्राइम सीन पर कई लोग मौजूद थे। हम उन लोगों के नाम सीलबंद कवर में CBI को सौंपने को तैयार हैं। मैं अदालत में सार्वजनिक नहीं कर रही हूं। CJI चंद्रचूड़: जांच में कुछ जरूरी सुराग मिलने को लेकर मृतक के पिता की ओर से चिंता जताई गई है। हम उनके लेटर का खुलासा नहीं करेंगे, यह गोपनीय है। हम कहेंगे कि CBI के लिए ये बहुत अहम इनपुट है। सॉलिसिटर जनरल: एक चिंता की बात है, विकिपीडिया में लड़की का नाम और फोटो अभी भी मौजूद है। CJI चंद्रचूड़: हम आदेश पारित करेंगे, नाम और फोटो नहीं हो सकता। वकील: विकीपीडिया से इसे हटाने के लिए कहा गया है। उसने कहा कि इसे सेंसर नहीं किया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल: यह सेंसरिंग नहीं है, यह अपराध न करने के लिए कहना है। CJI चंद्रचूड़: ठीक है हम इससे निपटेंगे, हम एक आदेश पारित करेंगे। वकील: कोलकाता पुलिस ने केवल 27 मिनट की CCTV फुटेज दी। पूरी फुटेज नहीं दी। CBI को पूरी फुटेज जब्त करनी होगी। सिब्बल: ये सच नहीं है। 7-8 घंटे की फुटेज दी गई है। CJI चंद्रचूड़ (सॉलिसिटर जनरल से): क्या आप पुलिस से आपको फुटेज सौंपने के लिए नहीं कह सकते? आपने ब्लॉकर डिवाइस का इस्तेमाल किया है या नहीं? हमें उम्मीद है कि CBI पूरी डीवीआर और फुटेज जब्त करेगी। वकील: जिस जगह पर कैमरा लगाया गया था वह प्रवेश कक्ष में नहीं था। वहां और कैमरे भी लगे हैं। इसमें कोई विवाद नहीं है कि कोई शव चालान भी नहीं है। CJI चंद्रचूड़ (सॉलिसिटर जनरल से): क्या आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका वकील पता लगाए कि हाई कोर्ट में क्या हुआ था, जब जहां चालान दिखाया गया था। सॉलिसिटर जनरल: जब कलकत्ता पुलिस ने दस्तावेज दिए थे तो शव चालान नहीं दिया गया था।
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17 September 2024सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि हम स्पष्ट कर दें कि इस ऑर्डर में सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइंस के अवैध अतिक्रमण नहीं शामिल हैं। केंद्र ने इस ऑर्डर पर सवाल उठाया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- अगर कार्रवाई दो हफ्ते रोक दी तो आसमान नहीं फट पड़ेगा। आप इसे रोक दीजिए, 15 दिन में क्या होगा? कोर्ट रूम लाइव... सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह: हर दिन तोड़फोड़ हो रही है। एसजी तुषार मेहता: 2022 में नोटिस दिए गए और उसके बाद कार्रवाई की गई। इस बीच अपराध किए। जस्टिस गवई: राज्य सरकार को खबर दी जानी चाहिए। 2024 में इतनी जल्दबाजी क्यों हो रही है, जब नोटिस 2022 में जारी किए गए थे तो। जस्टिस विश्वनाथन: मैं साफ कर दूं कि अगली तारीख तक, अदालत की अनुमति के बिना डिमोलिशन पर रोक होनी चाहिए। एसजी मेहता: एक नैरेटिव बनाया जा रहा है। जस्टिस विश्वनाथन: हमें कोई प्रभावित नहीं कर रहा है। हम इस समय इस सवाल पर नहीं जाएंगे कि किस समुदाय ने यह पूछा है। अगर अवैध ढंग से घर गिराने का एक भी मामला है, तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। जस्टिस गवई: हम पर कोई नैरेटिव असर नहीं डाल रहा। हमने साफ कर दिया है कि हम अतिक्रमण के बीच में नहीं आएंगे, लेकिन कार्यपालिका खुद जज नहीं हो सकती। एसजी मेहता: याचिकाकर्ताओं का दावा है कि डिमोलिशन एक धर्म विशेष के लोगों के घरों को लेकर हो रहा है। जस्टिस विश्वनाथन: इस कार्रवाई का इकलौता मकसद बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई को व्यवस्थित करना है। एसजी मेहता: जिनके घर टूटे वे कोर्ट इसलिए नहीं पहुंचते, क्योंकि वे जानते हैं उनकी संपत्ति अवैध है। सीयू सिंह: कोर्ट ने पिछली तारीख पर आदेश दिया। निर्देश के बावजूद 12, 14 तारीख को, उसी दिन पत्थरबाजी की घटना हुई। उसी रात तोड़फोड़ की गई। ऐसा रोज हो रहा है। एक ही इलाके में, ऐसा नहीं हो सकता कि सिर्फ एक घर ही अवैध हो। जस्टिस गवई: आप आवेदन दाखिल करें। एसजी मेहता: मध्य प्रदेश में, मामला यहां चल रहा है। नियमों का पालन करने के बाद 70 दुकानें तोड़ दी गईं। 50 से ज्यादा दुकानें हिंदुओं की थीं। जस्टिस गवई: मामले को 1 अक्टूबर को दोबारा लिस्ट करें। अगली तारीख पर, जब तक वैधानिक आदेश नहीं आ जाते, तब तक कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। अपने हाथ रोकिए। इस कोर्ट की परमिशन के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। हालांकि यह आदेश सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन, जल निकायों पर हुए अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा। जस्टिस विश्वनाथन: इस पर निगरानी होनी चाहिए। जस्टिस गवई: आदेश के बाद, ऐसे बयान आए हैं कि बुलडोजर एक्शन जारी रहेगा... यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि सुनवाई किसके हाथ में है। जस्टिस विश्वनाथन: 2 सितंबर के बाद बुलडोजर एक्शन पर बहुत जोर दिया गया। इसे सही ठहराया गया। क्या हमारे देश में ऐसा होना चाहिए? क्या चुनाव आयोग को नोटिस दिया जाना चाहिए? हम गाइडलाइन बनाएंगे। एसजी मेहता: तेलंगाना में कुछ नोटिस भेजे गए हैं। जस्टिस गवई: अगले हफ्ते तक ऐसी कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए। एसजी मेहता: लेकिन यह पूरे देश में नहीं रुक सकता। जस्टिस गवई : हम रोक लगा रहे हैं, आप नहीं रुक सकते। जस्टिस विश्वनाथन : 15 दिन कार्रवाई रोक दी तो आसमान नहीं गिर पड़ेगा। कोर्ट ने कहा था- अतिक्रमण को संरक्षण नहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि भले ही कोई दोषी क्यों न हो, फिर भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। हालांकि बेंच ने यह भी स्पष्ट किया था कि वह सार्वजनिक सड़कों पर किसी भी तरह अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा। लेकिन, इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की थी- किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना। यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है। एक और सुनवाई में कहा- बुलडोजर एक्शन कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को भी कहा था कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है।मामला जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच में था। सितंबर में यह दूसरा मौका है, जब SC ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, गुजरात में नगरपालिका की तरफ से एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी गई थी। याचिका लगाने वाला खेड़ा जिले के कठलाल में एक जमीन का सह-मालिक है। उनके खिलाफ 1 सितंबर 2024 को एक मामले में FIR दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था- आरोपी के खिलाफ अपराध को कानूनी प्रक्रिया के जरिए कोर्ट में साबित किया जाना चाहिए। जिस देश में कानून सर्वोच्च है, वहां ऐसी धमकियों को कोर्ट नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नगरपालिका अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। साथ ही यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। कोर्ट ने गुजरात सरकार और नगर निगम से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है तीन राज्य जहां पिछले 3 महीने में बुलडोजर एक्शन हुआ अगस्त 2024 : मध्यप्रदेश के छतरपुर में पुलिस पर पथराव के आरोपी पर एक्शन मध्यप्रदेश के छतरपुर में 21 अगस्त को कोतवाली थाने पर पथराव के 24 घंटे के भीतर सरकार ने यहां 20 हजार स्क्वायर फीट में बनी 20 करोड़ रुपए की तीन मंजिला हवेली को जमींदोज कर दिया था। जब उनकी हवेली गिराई जा रही थी, तब भी उनके परिवार का कोई सदस्य यहां मौजूद नहीं था। FIR के मुताबिक, चारों भाइयों ने भीड़ को पुलिस पर हमला करने के लिए उकसाया था।
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17 September 2024वक्फ बोर्ड की शक्तियों की सीमित करने के उद्देश्य से लाए गए वक्फ संशोधन बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है. इसे लेकर जेपीसी की अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं. इस दौरान जेपीसी की ओर से आम जनता से वक्फ संशोधन बिल को लेकर उनके सुझाव मांगे गए थे. इस मामले में जेपीसी के सामने अब तक करीब 84 लाख सुझाव ईमेल के जरिए आ चुके हैं. इसके साथ ही लगभग 70 बॉक्स लिखित सुझावों से भरे हुए भी संयुक्त संसदीय समिति के पास आए हैं. गौरतलब है कि जेपीसी ने सुझाव देने की आखिरी तारीख 16 सितंबर रात 12 बजे तक के लिए बढ़ा दी थी. 19 और 20 सितंबर को होगी अगली बैठक संयुक्त संसदीय समिति की अगली बैठक 19 और 20 सितंबर को होगी. 19 सितंबर को पटना लॉ कालेज के वीसी के साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अधिकारी को बुलाया गया है. 26 से 1 अक्टूबर के बीच देश के 6 बड़े शहरों में जेपीसी के सदस्य जाएंगे और वहां के संभ्रांत लोगों और मुस्लिम संगठनों से राय लेंगे. जेपीसी के सदस्य मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु शहरों में जाएंगे. वक्फ संशोधन बिल के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल हैं, जो बीजेपी से सांसद हैं. जेपीसी में शामिल कई सांसदों ने बिल पर जताया विरोध वक्फ (संशोधन) बिल पर जेपीसी की पहली बैठक से ही अलग-अलग विपक्षी दलों के कई सांसदों का कहना था कि बिल के मौजूदा प्रारूप से स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता व समानता के कानूनों का उल्लंघन होगा. एक बड़ा एतराज वक्फ ट्रिब्यूनल में डीएम व अल्पसंख्यक समुदाय के बाहर के सदस्यों को शामिल करने पर जताया गया है. शीतकालीन सत्र से पहले पेश होगी रिपोर्ट जेपीसी की ओर से ईमेल और लिखित सुझावों पर विचार करने के साथ ही कुछ विशेषज्ञों और हितधारकों की राय और सुझाव भी सुने जाएंगे. समिति बिल पर विचार विमर्श करने के बाद संसद के शीतकालीन सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
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16 September 2024राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- देश में कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वही इस देश के कर्ताधर्ता हैं। उन्होंने हिंदू धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा- जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों को लेकर भी चिंता जताई। कहा- देश में परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। यह चिंता का विषय है। संघ कैसे काम करता है, ये समझना जरूरी- भागवत मोहन भागवत 5 दिन के अलवर प्रवास पर हैं। नगर एकत्रीकरण कार्यक्रम के पहले दिन रविवार (15 सितंबर) को इंदिरा गांधी स्टेडियम में स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा- अगले साल संघ की स्थापना को 100 साल पूरे हो रहे हैं। संघ की कार्य पद्धति लंबे समय से चली आ रही है। हम कार्य करते हैं तो उसके पीछे विचार क्या है? यह हमें ठीक से समझ लेना चाहिए। अपनी कृति के पीछे यह सोच हमेशा जागृत रहनी चाहिए। हमें देश को समर्थ करना है। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है। हिंदू समाज इसका उत्तरदायी है। संघ प्रमुख के भाषण की 5 बातें 1. हिंदू का मतलब विश्व का सबसे उदार मानव राष्ट्र को परम वैभव संपन्न और सामर्थ्यवान बनाने का काम पुरुषार्थ के साथ करने की आवश्यकता है। हमें समर्थ बनना है। इसके लिए पूरे समाज को योग्य बनाना पड़ेगा। जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। हिंदू मतलब सब कुछ स्वीकार करने वाला। सबके प्रति सद्भावना रखने वाला। जो विद्या का उपयोग विवाद पैदा करने के लिए नहीं करता, ज्ञान देने के लिए करता है। 2. छुआछूत को लेकर मन बदलना होगा हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए हैं। इसलिए छुआछूत चला। ऊंच-नीच का भाव बढ़ा। हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है, जहां संघ का काम प्रभावी है। संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, श्मशान सब हिंदुओं के लिए खुले होंगे। यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है। सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है। 3. संघ को अब विरोधी लोग भी मानने लगे हैं पहले संघ को कोई नहीं जानता था। अब सब जानते हैं। पहले संघ को कोई मानता नहीं था। आज सब लोग मानते हैं, जो हमारा विरोध करने वाले लोग हैं वह भी। होठों से तो हमारा विरोध करते हैं, लेकिन मन से तो मानते ही हैं। इसलिए अब हमें हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए करना है। 4. नई पीढ़ी संस्कार भूल रही भारत में भी परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। इसलिए हफ्ते में एक बार निश्चित समय पर अपने कुटुंब के सब लोगों को एक साथ बैठना चाहिए। अपनी श्रद्धा अनुसार घर में भजन-पूजन, उसके बाद घर में बनाया हुआ भोजन साथ में करें। समाज के लिए भी कुछ न कुछ करें। इसके लिए छोटे-छोटे संकल्प लें। 5. बाहर के देशों का सामान तभी खरीदें, जब जरूरी हो अपने घर में स्वदेशी से लेकर स्व गौरव तक सारी बातें हैं। हमें उनके बारे में पता होना चाहिए। सबकुछ अपने देश में बनता है। वह बाहर देश का नहीं खरीदना, यदि जीवन के लिए जरूरी है तो अपनी शर्तों पर खरीदना। जीवन में कम खर्च को अपनाना होगा।
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16 September 2024कोलकाता रेप-मर्डर केस में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के जवाब गुमराह करने वाले पाए गए हैं। संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट और वॉइस एनालिसिस किया गया था। सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) की रिपोर्ट में जब घोष के बयानों की जांच की गई तो बयान भटकाने वाले मिले। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने केस से जुड़े अफसरों के हवाले से यह जानकारी दी। हालांकि, पॉलीग्राफ टेस्ट में सामने आई जानकारी को सबूत के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है। जांच एजेंसियां पॉलीग्राफ टेस्ट के आधार पर सबूत जुटा सकती हैं। CBI ने घोष को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था। उनके साथ ताला पुलिस स्टेशन के ऑफिसर इन चार्ज (OC) अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया गया था। 15 सितंबर को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया। एजेंसी को 3 दिन तक दोनों की कस्टडी दी गई है। पूर्व प्रिंसिपल और पुलिस अफसर पर CBI के आरोप CBI ने 15 सितंबर को कोर्ट में पेश किया था। CBI ने आरोप लगाया कि घोष को रेप-मर्डर की जानकारी 9 अगस्त की सुबह 9:58 मिल गई थी, लेकिन उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना नहीं दी। बाद में मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट के जरिए एक अस्पष्ट शिकायत करवाई, जबकि पीड़ितक को 12:44 बजे ही मृत घोषित कर दिया गया था। न सिर्फ FIR में देरी की गई, बल्कि सुसाइड की नई थ्योरी बनाई गई। जबकि पीड़ित की चोटें और उसकी बॉडी की स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं था। पीड़ित की बॉडी के निचले हिस्से पर कपड़े भी नहीं थे। घोष ने ताला पुलिस स्टेशन के OC मंडल को सुबह 10:03 बजे फोन किया। इसके बाद उन्होंने दोपहर 1:40 बजे उनसे मुलाकात की। अननैचुरल डेथ का केस रात 11:30 बजे दर्ज किया गया। OC मंडल को सूचना सुबह ही मिल गई थी, लेकिन वो एक घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे। केस डायरी में लिखा गया कि पीड़ित अचेत अवस्था में थी, जबकि डॉक्टर उसे पहले ही मृत घोषित कर चुके थे। अस्पताल के अधिकारियों और अज्ञात लोगों ने जनरल डॉयरी में गलत शुरुआती जानकारियां देने की साजिश की। OC मंडल की FIR में देरी और घटना स्थल पर देरी से पहुंचने की वजह से जरूरी सबूतों को नुकसान पहुंचा। OC मंडल ने आरोपी संजय रॉय और दूसरे लोगों को बचाने की कोशिश की, जिन्हें क्राइम सीन तक जाने दिया गया। इससे सबूतों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने जल्दबाजी में अपने जूनियर्स को आदेश दिया कि पीड़ित की बॉडी को मुर्दाघर ले जाया जाए। यह एक बड़ी साजिश हो सकती है, जिसमें पूर्व प्रिंसिपल घोष और OC मंडल दोनों शामिल हों। घटना के दिन दोनों एक-दूसरे के संपर्क में थे और घोष बता रहे थे कि पुलिस अफसर रेप और मर्डर के केस में किस तरह से कार्यवाही करें। दोनों ने इस घटना को दबाने की कोशिश की। पुलिस को इस जघन्य घटना के बाद खुद ही तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए थी। 5 सितंबर: जांच में खुलासा- घोष ने घटना के अगले दिन रेनोवेशन का ऑर्डर दिया 5 सितंबर को CBI की जांच में सामने आया था कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के अगले दिन ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल में ही मिला था। सूत्रों के मुताबिक, CBI को ऐसे डॉक्यूमेंट मिले हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है कि संदीप घोष ने 10 अगस्त को लेटर लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को सेमिनार हॉल से लगे कमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इस परमिशन लेटर पर घोष के साइन भी हैं। PWD स्टाफ ने सेमिनार हॉल से लगे कमरे का रेनोवेशन शुरू कर दिया था। हालांकि, कॉलेज स्टूडेंट्स ने इस केस को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिसके चलते रेनोवेशन के काम को वहीं रोक दिया गया। जांच अधिकारियों का कहना है कि रेनोवेशन लेटर से यह साफ हो रहा है कि घोष को यह काम कराने की जल्दी थी, लिहाजा यह डॉक्यूमेंट रेप-मर्डर केस और आरजी कर कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के केस के बीच कड़ी जोड़ने में मदद कर सकता है। 14 सितंबर: आरजी कर हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल को CBI ने अरेस्ट किया कोलकाता रेप-मर्डर केस मामले में 14 सितंबर को CBI ने आरजी कर कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और एक थाने के SHO अभिजीत मंडल को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक, दोनों पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगा है। अभिजीत मंडल ताला पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) के पद पर तैनात था। दोनों को 17 सितंबर तक CBI की कस्टडी में भेज दिया गया। आरजी कर मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोपी संजय रॉय को कोलकाता पुलिस ने वारदात के दूसरे दिन गिरफ्तार किया था।
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16 September 2024मणिपुर सरकार ने शुक्रवार को पांच जिलों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस पर लगे बैन को हटा दिया। हालांकि मोबाइल इंटरनेट पर लगा प्रतिबंध 15 सितंबर तक जारी रहेगा। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। सितंबर महीने की शुरुआत में कुकी उग्रवादियों ने मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट से हमला किया था। इसमें 2 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इसके बाद राजधानी इंफाल में मैतेई समुह के छात्रों ने प्रदर्शन किया था। छात्रों ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े थे। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं... 1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इम्फाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। 3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इम्फाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। 6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। 7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। CRPF की दो बटालियन और तैनात केंद्र सरकार ने 10 सितंबर को मणिपुर में CRPF की दो और बटालियन भेजने का फैसला किया था। 2,000 जवान तेलंगाना के वारंगल से और दूसरी झारखंड के लातेहार से मणिपुर आएगी। एक बटालियन का मुख्यालय चुराचांदपुर जिले के कांगवई में होगा और दूसरी बटालियन इंफाल के आसपास तैनात की जाएगी। राज्य में पहले से 16 CRPF बटालियन तैनात हैं। मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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14 September 2024मणिपुर सरकार ने शुक्रवार को पांच जिलों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस पर लगे बैन को हटा दिया। हालांकि मोबाइल इंटरनेट पर लगा प्रतिबंध 15 सितंबर तक जारी रहेगा। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। सितंबर महीने की शुरुआत में कुकी उग्रवादियों ने मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट से हमला किया था। इसमें 2 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इसके बाद राजधानी इंफाल में मैतेई समुह के छात्रों ने प्रदर्शन किया था। छात्रों ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े थे। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं... 1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इम्फाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। 3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इम्फाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। 6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। 7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। CRPF की दो बटालियन और तैनात केंद्र सरकार ने 10 सितंबर को मणिपुर में CRPF की दो और बटालियन भेजने का फैसला किया था। 2,000 जवान तेलंगाना के वारंगल से और दूसरी झारखंड के लातेहार से मणिपुर आएगी। एक बटालियन का मुख्यालय चुराचांदपुर जिले के कांगवई में होगा और दूसरी बटालियन इंफाल के आसपास तैनात की जाएगी। राज्य में पहले से 16 CRPF बटालियन तैनात हैं। मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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14 September 2024महिला फ्लाइंग अफसर से रेप मामले में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने आरोपी विंग कमांडर को प्री-अरेस्ट बेल दे दी है। आरोपी विंग कमांडर ने ही याचिका लगाकर गिरफ्तारी पर रोक की मांग की थी। कोर्ट ने शुक्रवार को जारी किए बेल ऑर्डर में कहा- याचिकाकर्ता विंग कमांडर के पद पर हैं। उनकी गिरफ्तारी की स्थिति में उनकी प्रतिष्ठा के साथ-साथ करियर पर भी फर्क पड़ेगा। कोर्ट ने कि जमानत के लिए विंग कमांडर को 50-50 हजार के दो बेल बॉन्ड भरने होंगे। वे कोर्ट की इजाजत के बिना जम्मू-कश्मीर से बाहर नहीं जा सकते हैं। इसके अलावा अदालत ने कहा कि पुलिस को मामले की जांच जारी रखनी चाहिए। हालांकि, कोर्ट की इजाजत के बिना चार्जशीट फाइल नहीं होनी चाहिए। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले को लेकर एयर फोर्स आंतरिक जांच शुरू कर चुका है। दरअसल, एयरफोर्स की एक महिला फ्लाइंग अफसर ने अपने सीनियर विंग कमांडर पर रेप का आरोप लगाया था। महिला ने कहा था कि उनके साथ 31 दिसंबर 2023 को न्यू ईयर पार्टी के दौरान यौन शोषण हुआ था। महिला ने इसकी जानकारी 9 महीने बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस को दी। जम्मू-कश्मीर के बडगाम पुलिस ने 10 सितंबर को FIR दर्ज कराई है। गिरफ्तारी से बचने के लिए ही विंग कमांडर ने 11 सितंबर को याचिका लगाई थी। याचिका लगाई थी। महिला अफसर की पूरी शिकायत पढ़ें... NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, FIR में महिला अफसर ने कहा कि वह पिछले दो साल से विंग कमांडर के हाथों हैरेसमेंट, सेक्शुअल असॉल्ट और मेंटल टॉर्चर झेल रही है। 31 दिसंबर 2023 को ऑफिसर मेस में हुई न्यू ईयर पार्टी में गिफ्ट देने के बहाने विंग कमांडर उसे अपने कमरे में ले गया और वहां उसके साथ रेप किया। महिला अफसर ने बताया कि न्यू ईयर पार्टी में विंग कमांडर ने उससे पूछा कि क्या उसे गिफ्ट मिल गया है। जब उसने कहा कि अभी नहीं मिला तो विंग कमांडर ने कहा कि गिफ्ट मेरे रूम में है। ऐसा कहकर वह महिला अफसर को अपने कमरे में ले गया। जब महिला अफसर ने पूछा कि आपका परिवार कहां है तो विंग कमांडर ने बताया कि सभी लोग कहीं गए हैं। महिला अफसर ने कहा- अपने कमरे में विंग कमांडर ने मुझे ओरल सेक्स करने के लिए मजबूर किया और मेरा रेप किया। मैंने उन्हें बार-बार रुकने के लिए कहा और खुद को बचाने की पूरी कोशिश की। आखिरकार मैंने उन्हें धक्का दिया और वहां से भाग गई। विंग कमांडर ने मुझसे कहा कि वे मुझसे शुक्रवार को मिलेंगे, जब उनकी फैमिली चली जाएगी। महिला अफसर ने कहा कि मुझे ये समझ पाने में कुछ वक्त लगा कि मेरे साथ क्या हुआ। मैं डरी हुई थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। क्योंकि ऐसे कुछ मामले पहले भी हुए थे, जब मुझे शिकायत दर्ज कराने से रोका गया था। इस घटना के बाद विंग कमांडर मेरे ऑफिस आए। उन्होंने ऐसे बर्ताव किया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। उनकी आंखों में कोई पछतावा नहीं था। विक्टिम ने कहा कि इसके बाद मैंने दो महिला अफसरों को इस घटना के बारे में बताया। उन्होंने मुझे शिकायत दर्ज कराने में मदद की। मैं बता नहीं सकती कि एक फौज में आने वाली अनमैरिड लड़की होने के नाते जिस तरीके से मुझे ट्रीट किया गया, उससे मानसिक रूप से मैं कितनी परेशान हुई। महिला अफसर बोली- विंग कमांडर के साथ ही बैठाकर मेरा बयान दर्ज कराया गया महिला अफसर ने कहा कि इस शिकायत के बाद कर्नल रैंक के अधिकारी ने मामले में जांच के आदेश दिए। इस साल जनवरी में दो बार मुझे और विंग कमांडर को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया। मैंने आपत्ति जताई कि मैं विंग कमांडर की मौजूदगी में अपना बयान नहीं दर्ज कराऊंगी। इसके बाद एडमिनिस्ट्रेशन की गलती छिपाने के लिए जांच ही बंद कर दी गई। इसके बाद मैंने इंटरनल कमेटी के पास नई एप्लिकेशन फाइल की। इस कमेटी ने दो महीने बाद मुझसे मुलाकात की। सेक्शुअल ऑफेंडर की मदद करने के लिए जिस तरीके से स्टेशन अथॉरिटीज ने काम किया, वह मेरे लिए दुखद रहा। मेरा मेडिकल चेकअप भी तब हुआ, जब मैंने कई बार इसके लिए जिद की। -विक्टिम
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14 September 2024पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को कोलकाता में स्वास्थ्य भवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से खुद मिलने पहुंचीं। डॉक्टर्स 10 सितंबर से यहां प्रदर्शन पर बैठे हैं। ममता ने डॉक्टरों से कहा, 'मेरा पद नहीं, लोगों का पद बड़ा है। मैं मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि आपकी दीदी बनकर आपसे मिलने आई हूं।' ममता ने कहा- आप काम पर लौटिए, मैं मांगों पर विचार करूंगी। CBI से कहूंगी कि दोषियों को फांसी दी जाए। मैं आपके प्रदर्शन को सलाम करती हूं। आपके साथ अन्याय नहीं होने दूंगी। ममता ने आगे कहा कि यह मेरी तरफ से बातचीत की आखिरी कोशिश है। आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि मैं लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने में विश्वास नहीं करती। ममता ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों को भंग करने की भी घोषणा की। ममता अब तक तीन बार डॉक्टरों से बैठकर बातचीत की पहल कर चुकी हैं। हालांकि, डॉक्टरों ने उनके तीनों प्रस्तावों को खारिज कर दिया। उनकी 5 मांगें हैं। उन्होंने सरकार से बातचीत के लिए 4 शर्तें भी रखी हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में रेप-मर्डर केस को लेकर जूनियर डॉक्टर्स 36 दिनों से हड़ताल पर हैं। ममता ने 3 बार बुलाया; इंतजार करती रहीं, डॉक्टर्स नहीं पहुंचे... 10 सितंबर: डॉक्टरों ने पुलिस मुख्यालय से स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाला। ममता सरकार ने शाम 5 बजे डॉक्टरों को मीटिंग के लिए नबन्ना सचिवालय बुलाया। ममता लगभग एक घंटा 20 मिनट तक वहां बैठी रहीं। डॉक्टर्स नहीं आए। डॉक्टर्स ने कहा- हम जिसका (राज्य स्वास्थ्य सचिव) इस्तीफा मांग रहे हैं, वही बैठक के लिए बुला रहा है। उसमें भी सरकार ने सिर्फ 10 डॉक्टरों को बुलाया। ये आंदोलन का अपमान है। 11 सितंबर: जूनियर डॉक्टरों ने बंगाल सरकार को मेल भेजकर मीटिंग का समय मांगा। सरकार ने शाम 6 बजे का समय दिया। हालांकि, डॉक्टर्स मीटिंग के लिए अपनी 4 शर्तों पर अड़े रहे।सरकार ने शर्तें मानने से इनकार कर दिया। 12 सितंबर: बंगाल सरकार ने डॉक्टरों को तीसरी बार बातचीत करने के लिए बुलाया। 32 डॉक्टर सचिवालय पहुंचे। सरकार ने सिर्फ 15 को बुलाया था। उन्हें बताया गया कि बैठक का लाइव टेलीकास्ट नहीं होगा। इससे डॉक्टर आक्रोशित हो गए और बैठक में नहीं गए। वहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2 घंटे 10 मिनट इंतजार करती रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितंबर तक हड़ताल खत्म करने को कहा था सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई के दौरान जूनियर डॉक्टरों को 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आदेश न मानने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। हालांकि, डॉक्टरों ने कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे।
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14 September 2024महाराष्ट्र के नागपुर में ऑडी हिट-एंड-रन मामले में पुलिस ने दावा किया है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले के बेटे संकेत के बार जाने का CCTV फुटेज गायब है। वह रविवार (8 सितंबर) की रात अपने दोस्तों के साथ ला होरी बार गया था। वहां संकेत ने शराब पी। चिकन और मटन भी खाया। फिर दोस्तों के साथ ऑडी कार में निकल गया। संकेत की ऑडी ने 8-9 सितंबर की रात करीब 1 बजे रामदासपेठ में कई वाहनों को टक्कर मार दी, जिससे दो लोग घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक, 10 सितंबर को जांच टीम ला होरी बार गई थी। वहां मैनेजर ने CCTV फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दिखाने से इनकार कर दिया। पुलिस ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी, तब उसने रिकॉर्डिंग दिखाई। हालांकि, 8 सितंबर की रात के बाद से कोई CCTV फुटेज ही नहीं है। संकेत ने कबूला- कार में मौजूद था; FIR में नाम नहीं पुलिस ने 9 सितंबर को कहा था कि संकेत बावनकुले की ऑडी उसका दोस्त अर्जुन हावरे चला रहा था। ऑडी पहले एक कार से टकराई। फिर एक बाइक को टक्कर मारी। फिर आगे जाकर मनकापुर में एक अन्य कार को टक्कर मार दी। कार सवार लोगों ने ऑडी का पीछा किया और उसमें मौजूद अर्जुन हावरे और रोनित चित्तवम्वार का पकड़ लिया। पुलिस ने हावरे और रोनित के खिलाफ केस दर्ज किया। हावरे को 9 सितंबर की रात गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसे जमानत मिल गई। संकेत बावनकुले का नाम FIR में नहीं था। पुलिस ने पहले कहा था कि संकेत गाड़ी में नहीं था। हालांकि, 10 सितंबर को जब संकेत से पूछताछ की गई, तो उसने कबूल किया कि वह हादसे के समय कार में ही था। संजय राउत बोले- फडणवीस होम डिपार्टमेंट नहीं चला पा रहे शिवसेना (उद्धव गुट) नेता संजय राउत ने मंगलवार (10 सितंबर) को कहा, 'भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का बेटा नशे में था। हैरानी की बात यह है कि FIR में उसका नाम नहीं है। हादसे के बाद कार की नंबर प्लेट भी हटा दी गई थी। नागपुर के रहने वाले डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस अगर होम डिपार्टमेंट सही तरीके से नहीं चला पा रहे हैं तो वे इस पद के लिए योग्य नहीं हैं।' संजय राउत ने आरोप लगाया था कि भाजपा अध्यक्ष के बेटे ने बार में बीफ खाया था और शराब पी थी। पुलिस ने बुधवार (11 सितंबर) को बताया कि संकेत ने मटन-चिकन खाया था। उन्होंने 12 हजार रुपए की शराब मंगवाई थी। बीफ नहीं खाया था। इसकी पुष्टि बार का बिल देखकर हुई है। भाजपा चीफ ने माना- गाड़ी बेटे के नाम पर रजिस्टर्ड महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने भी मान चुके हैं कि गाड़ी उनके बेटे के नाम पर रजिस्टर्ड है। उन्होंने 10 सितंबर को कहा, 'कार मेरे बेटे के नाम पर है। पुलिस को हादसे की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। न्याय किसी के लिए भी अलग-अलग नहीं है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे कोई राजनीति से संबंध ही क्यों न रखता हो। कानून सभी के लिए समान होना चाहिए।' पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के नाबालिग आरोपी ने बाइक सवार सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 2.5 करोड़ की लग्जरी पोर्श कार चला रहा था। आरोपी शहर के नामी बिल्डर का बेटा है। जुवेनाइल बोर्ड ने 22 मई को नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह भेजा था। हालांकि, 25 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे दी। पुणे में 22 जून की देर रात NCP विधायक (अजित पवार गुट) दिलीप मोहिते पाटिल के भतीजे मयूर ने बाइक को टक्कर मार दी। बाइक सवार की मौके पर मौत हो गई। हादसा पुणे-नासिक हाईवे पर एकलाहारे इलाके में हुआ। आरोपी गलत दिशा में फॉर्च्यूनर कार चला रहा था। पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज करने के बाद उसे गिरफ्तार भी कर लिया। NCP विधायक दिलीप मोहिते ने बताया कि उनका भतीजा नशे में नहीं था। वह मौके से भागा भी नहीं था। मुंबई के वर्ली में 7 जुलाई को एक तेज रफ्तार BMW ने स्कूटी सवार दंपती को टक्कर मार दी। आरोपी ने मौके से भागने के दौरान 45 साल की महिला को कार से 100 मीटर तक घसीटा, जिससे उनकी मौत हो गई। कार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना के नेता राजेश शाह का 24 साल का बेटा मिहिर शाह चला रहा था। उसके साथ ड्राइवर भी था। घटना के दो दिन बाद, करीब 60 घंटे बाद पुलिस आरोपी को पकड़ने में कामयाब हुई थी।
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13 September 2024दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार, 13 सितंबर को जमानत मिल गई। केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से बाहर आएंगे। अदालत ने जमानत के लिए वही शर्तें लगाई हैं, जो ED केस में बेल देते वक्त लगाई गई थीं। केजरीवाल के खिलाफ 2 जांच एजेंसी (ED और CBI) ने केस दर्ज किया है। ED मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। AAP ने इस फैसले को सत्य की जीत बताया है। शराब नीति केस में एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने उन्हें 21 मार्च को अरेस्ट किया था। बाद में 26 जून को CBI ने उन्हें जेल से हिरासत में लिया था। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा: 1. अगर कोई व्यक्ति पहले से हिरासत में है। जांच के सिलसिले में उसे दोबारा अरेस्ट करना गलत नहीं है। CBI ने बताया है कि उनकी जांच क्यों जरूरी थी। 2. याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं है। CBI ने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। उन्हें जांच की जरूरत थी। इसलिए इस केस में अरेस्टिंग हुई। जस्टिस उज्जवल भुइयां ने कहा: 1. CBI की गिरफ्तारी जवाब से ज्यादा सवाल खड़े करती है। जैसे ही ED केस में उन्हें जमानत मिलती है। CBI एक्टिव हो जाती है। ऐसे में अरेस्टिंग के समय पर सवाल खड़े होते हैं। 2. CBI को निष्पक्ष दिखना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी में मनमानी न हो। जांच एजेंसी को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए। शराब नीति केस- केजरीवाल 156 दिन जेल में बिता चुके केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। 10 मई को 21 दिन के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया। ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी। 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। आज यानी 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई हो जाती है तो उन्हें जेल गए कुल 177 दिन हो जाएंगे। इनमें से वे 21 दिन अंतरिम जमानत पर रहे। यानी केजरीवाल ने अब तक कुल 156 दिन जेल में बिताए हैं। आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा, यह बहुत बड़ा फैसला है। 6 महीने के लंबे संघर्ष के बाद अरविंद केजरीवाल वापस लौट रहे हैं। पिछले 6 महीने AAP परिवार, केजरीवाल परिवार और पूरे I.N.D.I.A के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहे हैं। आखिरकार न्याय की जीत हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के पक्ष में फैसला सुनाया है। उनकी रिहाई से AAP मजबूत होगी। वह हरियाणा में चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगे।
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13 September 2024यूपी में अवैध धर्मांतरण मामले में लखनऊ के NIA कोर्ट ने बुधवार (11 सितंबर) को 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। 4 दोषियों को 10-10 साल की सजा दी गई। कोर्ट के फैसला सुनाते वक्त सभी दोषी कोर्ट में मौजूद थे। अवैध धर्मांतरण मामले में यह पहला केस है, जिसमें एक साथ 16 लोगों को सजा दी गई। मंगलवार को NIA-ATS कोर्ट के स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी को दोषी को करार दिया था। कोर्ट ने 10 सितंबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। ATS ने बताया कि ये लोग नौकरी समेत कई तरह का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराते थे। फतेहपुर का मोहम्मद उमर गौतम गिरोह का सरगना है, वह खुद हिंदू से मुसलमान बना था। फिर उसने करीब एक हजार लोगों का अवैध तरीके से धर्मांतरण कराया। 17 आरोपी थे, इनमें से 16 को सजा सरकारी वकील एमके सिंह ने बताया कि अवैध धर्मांतरण मामले में कुल 17 आरोपी थे। एक आरोपी इदरीश कुरैशी को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। कोर्ट ने मोहम्मद उमर गौतम, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, भुप्रियबंदों मानकर उर्फ अरसलान मुस्तफा, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, कौशर आलम, डॉक्टर फराज शाह, मौलाना कलीम सिद्दीकी, धीरज गोविंद, सरफराज अली जाफरी,अब्दुल्ला उमर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। चार दोषियों मन्नू यादव उर्फ अब्दुल, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को 10-10 साल की सजा दी गई है। विदेशी फंड से धर्मांतरण का कारोबार ATS की नोएडा यूनिट के सब इंस्पेक्टर विनोद कुमार ने 20 जून 2021 को लखनऊ के गोमती नगर थाने में FIR दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया- ATS को बीते कुछ समय से सूचना मिल रही थी कि कुछ असामाजिक तत्व विदेशी संस्थाओं की मदद से लोगों का धर्म परिवर्तन कर देश के जनसंख्या संतुलन में बदलाव की कोशिश कर रहे हैं। धर्म परिवर्तन किए गए लोगों में उनके मूल धर्म के प्रति नफरत का भाव पैदा कर कट्टरपंथी बनाया जा रहा है। उन्हें मानसिक तौर पर देश के विभिन्न धार्मिक वर्गों में वैमनस्यता फैलाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके जरिए वे देश के सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश में शामिल हैं। 1000 लोगों का किया धर्म परिवर्तन दोषी उमर गौतम ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि वह करीब एक हजार गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन करा चुका है। उनकी बड़ी संख्या में मुसलमानों से शादी कराई है। उमर ने यह भी बताया है कि धर्म परिवर्तन के लिए ही जोगाबाई एक्सटेंशन जामिया नगर दिल्ली में एक संस्था इस्लामी दवाह सेंटर (आईडीसी) चल रही है। धर्मांतरण के लिए विदेश से फंडिंग इस गिरोह का मुख्य उद्देश्य गैर मुसलमानों का धर्म परिवर्तन कराना था। इसके लिए संस्था के बैंक खातों और अन्य माध्यमों से रकम जमा कराई जाती। धर्म परिवर्तन के लिए विदेश से फंडिंग भी होती थी। इस खेल में उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के लोग शामिल हैं। ATS ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए विशेष अदालत में 17 आरोपियों के खिलाफ 5 चार्जशीट दाखिल कीं। इसमें एफआईआर से संबंधित सबूत भी पेश किए। एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर इस्लामिक स्कॉलर बना कलीम उम्रकैद की सजा पाने वाला मौलाना कलीम सिद्दीकी यूपी में मुजफ्फरनगर के फुलत गांव का रहने वाला है। उसने पिकेट इंटर कॉलेज से 12वीं करने के बाद मेरठ कॉलेज से बीएससी की शिक्षा ली। इसके बाद दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस में दाखिला लिया। लेकिन, डिग्री पूरी नहीं की। पढ़ाई छोड़कर कलीम इस्लामिक स्कॉलर बना। 18 सालों तक मौलाना दिल्ली के शाहीन बाग में रहा। उसे 22 सितंबर, 2021 की रात यूपी एटीएस ने दिल्ली-देहरादून हाईवे पर दौराला-मटौर के बीच गिरफ्तार किया था। मौलाना कलीम ने फुलत गांव में 1991 में जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया मदरसा स्थापित किया था। लेकिन, बाद में मदरसे को केरल की एक संस्था के हवाले कर दिया। वह ग्लोबल पीस फाउंडेशन का अध्यक्ष भी रहा। ATS का आरोप था कि कलीम, उमर गौतम और अन्य सभी धर्मांतरण की साजिश रचने में शामिल थे और फॉरेन फंडिंग की मदद से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे।
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12 September 2024मणिपुर के जिरीबाम जिला स्थित बोरोबेक्रा में उपद्रवियों ने बुधवार रात करीब 12.50 बजे एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आग लगा दी। घटना पुलिस चौकी से महज 150 मीटर दूरी हुई। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। घटना के पीछे कुकी समुदाय के लोगों के शामिल होने की आशंका है। दूसरी तरफ, राजधानी इंफाल में कल पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। इंफाल ईस्ट और वेस्ट में कर्फ्यू जारी है। मैतेई बहुल 5 जिलों में इंटरनेट बंद है। राज्यपाल एल. आचार्य असम चले गए। उनके पास मणिपुर गवर्नर का अतिरिक्त प्रभार है। इंफाल में 10 सितंबर को सुरक्षाबलों और स्टूडेंट्स में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें करीब 100 स्टूडेंट्स घायल हुए थे। इस प्रदर्शन में इंफाल घाटी के 100 से ज्यादा स्कूल-कॉलेजों के बच्चे शामिल थे। CRPF डीआईजी का कहना है कि हालात तनावपूर्ण, लेकिन नियंत्रण में हैं। इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन कर रहे कर्फ्यू के बावजूद इंफाल के इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन पर डटे हुए हैं। भास्कर ने प्रदर्शन को लीड करने वालों में से एक छात्र नेता दीजेन तालेख मायुम से बात की। वे धनामांजुरी यूनिवर्सिटी में छात्र संघ महासचिव हैं। उन्होंने कहा कि हम लंबी लड़ाई की तैयारी में हैं। हमने बांग्लादेश में छात्रों की ताकत देखी है। बीते 16 महीने में राज्य बर्बाद हो चुका है, इसलिए हम राज्यपाल से मांगें मनवाकर ही घर लौटेंगे। जब भास्कर ने उनसे वजह पूछी तो उन्होंने कहा- कुकी उग्रवादी ड्रोन हमले कर रहे, सरकार सुरक्षा नहीं दे पा रही है। हमारे माता-पिता प्रदर्शन करते-करते थक चुके हैं। कभी कर्फ्यू तो कभी हिंसा के चलते बाजार बंद। स्कूल-कॉलेज खुले हैं, लेकिन वहां पढ़ने कैसे जाएं? ऐसे में अब हम खुद को बचाने नहीं उतरेंगे तो कौन उतरेगा?कुकी बोले- हमने रॉकेट-ड्रोन हमले नहीं किए, मैतेई झूठ फैला रहे उधर, कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (KSO) के गृह सचिव मांग खोंगसाई ने भास्कर से कहा कि मणिपुर पुलिस आईजी और असम राइफल्स के डीजी बुधवार (11 सितंबर) को कुकी बहुल चूराचांदपुर आए थे। उन्होंने हमारे साथ बैठक की। इसमें डीजी ने मुद्दों को सुलझाने और 10 दिन के लिए सीजफायर करने की अपील की है। ड्रोन और रॉकेट हमलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि 3 मई 2023 के बाद से दोनों जनजातियां सर्विलांस के लिए ड्रोन इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन, ड्रोन से बम गिराने और रॉकेट से मिसाइलें दागने के आरोप गलत हैं। खोंगसाई ने कहा कि हम अपने इलाकों की रक्षा के लिए पुंपि का इस्तेमाल करते हैं। पुंपि धातु से बनी एक पाइप होती है, जिसमें बारूद और लोहे के टुकड़े भरे होते हैं। इसे हम 1919 के एंग्लो-कुकी वॉर के समय से बना रहे हैं। मणिपुर में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन, दो दिन कॉलेज बंद मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष जारी है। इस महीने 1 सितंबर से मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट हमलों के बाद हिंसा और बढ़ गई है। हमलों के खिलाफ 8 सितंबर से लोगों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। सरकार ने राज्य में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन कर दिया है। 12 सितंबर तक कॉलेज बंद हैं। इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट सहित तीन जिलों में कर्फ्यू लगा है। केंद्र ने मणिपुर में 2,000 और CRPF जवान भेजने का फैसला किया है। छात्रों का हिंसक प्रदर्शन; 4 जरूरी पॉइंट्स मणिपुर के लोग राज्य के डीजीपी, सुरक्षा सलाहकार, केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने, 16 महीने से छिड़े गृह युद्ध जैसे हालात खत्म करने और सुरक्षा बलों की यूनिफाइड कमांड को केंद्रीय गृह मंत्रालय के हाथ से लेकर मुख्यमंत्री को सौंपने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये सभी हमारी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। ड्रोन और रॉकेट अटैक के बाद से हम 24 घंटे डर के माहौल में जी रहे हैं। 8 सितंबर को मैतेई समुदाय के छात्रों ने इंफाल में किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च निकाला। प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। सुरक्षाबलों ने छात्रों को अगले दिन यानी 9 सितंबर को ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर रात भर प्रदर्शन करते रहे। 9 सितंबर को सैकड़ों स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की। इस दौरान सुरक्षाकर्मी भागते दिखे। सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड लगाकर रोका। कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे। इसमें 20 स्टूडेंट्स घायल हो गए। 10 सितंबर को छात्रों का प्रदर्शन और हिंसक हो गया। उन्होंने राज्य सरकार को अपनी छह मांगें सौंपी थीं। इन्हें पूरा करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन जब सरकार से कोई जवाब नहीं मिला तो करीब 2500 छात्र-छात्राएं आक्रोशित हो गए। राजभवन की ओर मार्च कर रहे स्टूडेंट्स की सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। छात्रों ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया और गुलेल से छर्रे मारे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। इस दौरान 50 से ज्यादा लोग घायल हुए। 1 सितंबर से तीन ड्रोन हमले, अब तक 8 की मौत मणिपुर में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक, एक हफ्ते के बीच हिंसा की चार घटनाएं हुईं। इनमें 8 लोगों की मौत और 12 घायल हो गए। चार में से तीन हमले ड्रोन और रॉकेट से किए गए थे। चारों घटनाएं सिलसिलेवार पढ़ें... 1 सितंबर: 1 साल से जारी हिंसा में पहली बार ड्रोन अटैक, 2 मौतें मणिपुर में मई 2023 से हिंसा जारी है। हालांकि, इस साल सितंबर में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में 1 सितंबर को उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।
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12 September 2024कर्नाटक के मांड्या के नागमंगला में बुधवार रात गणपति विसर्जन जुलूस पर पथराव हुआ। घटना रात 8 बजे की है। मैसूर रोड पर बनी दरगाह के सामने पहुंचने पर कुछ लोगों ने पत्थर फेंके। इसके बाद हिंदुओं ने भी प्रदर्शन किया। इलाके की कुछ दुकानों और वहां खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी गई। भीड़ को तितर-बितर करने पुलिस ने लाठीचार्ज किया। कन्नड़ न्यूज चैनलों के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जुलूस पर पत्थरों के अलावा तलवार, रॉड और जूस की बॉटल से भी हमला किया गया। इस घटना में 15 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। 52 लोग हिरासत में, धारा 163 लागू हिंदू समुदाय ने कार्रवाई की मांग करते हुए गणेश प्रतिमा को थाने के सामने रोक दिया था। पिछले साल भी बदरिकोप्पल के मैसूर रोड पर बनी इसी दरगाह के सामने हंगामा हुआ था। इलाके में 3 दिन के लिए BNS की धारा 163 (CrPC में यह धारा 144 थी) लागू कर दी गई है। घटना के विरोध में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने गुरुवार को बंद बुलाया है। घटना के बाद पुलिस दोनों पक्षों के 52 लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले गई। उनसे पूछताछ कर रही है। इधर कलेक्टर ने नागमंगला में आज स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी है। लखनऊ में गणेश पूजा पंडाल पर कुछ युवकों ने पथराव किया। आरती के वक्त 20-25 युवक पहुंचे। उन्होंने देखते-देखते ईंट और पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। ईंट लगने से भगवान गणेश का कलश टूट गया। आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए फरार हो गए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने चिनहट थाना घेर लिया। लोगों ने जमकर हंगामा किया। अफसरों ने मुश्किल से भीड़ को शांत कराया। गुजरात में सूरत के सैयदपुरा मोहल्ले में 8 सितंबर की रात गणेश पंडाल पर पथराव हुआ था। 6 युवकों ने पंडाल पर पथराव किया था। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद आरोपियों के घरवाले सैकड़ों लोगों के साथ प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पथराव शुरू हो गया। इलाके में देर रात तक जमकर हिंसा हुई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। इस मामले में 33 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। आरोपियों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की। सोमवार को कई आरोपियों के अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलवा दिया गया। मध्यप्रदेश के रतलाम में शनिवार 7 सितंबर की रात गणेश प्रतिमा के जुलूस में पथराव का आरोप लगाकर 500 से ज्यादा लोगों ने स्टेशन रोड थाने का घेराव किया और रोड पर जाम भी लगा दिया था। उनकी मांग पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की और जांच करने पहुंचे। पुलिस के पीछे-पीछे आई भीड़ ने हंगामा किया और पथराव शुरू कर दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने हल्का लाठी चार्ज किया। आंसू गैस के गोले भी छोड़े। रात करीब साढ़े आठ बजे शुरू हुआ हंगामा-प्रदर्शन करीब 12 बजे खत्म हुआ। इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन कर रहे कर्फ्यू के बावजूद इंफाल के इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन पर डटे हुए हैं। भास्कर ने प्रदर्शन को लीड करने वालों में से एक छात्र नेता दीजेन तालेख मायुम से बात की। वे धनामांजुरी यूनिवर्सिटी में छात्र संघ महासचिव हैं। उन्होंने कहा कि हम लंबी लड़ाई की तैयारी में हैं। हमने बांग्लादेश में छात्रों की ताकत देखी है। बीते 16 महीने में राज्य बर्बाद हो चुका है, इसलिए हम राज्यपाल से मांगें मनवाकर ही घर लौटेंगे। जब भास्कर ने उनसे वजह पूछी तो उन्होंने कहा- कुकी उग्रवादी ड्रोन हमले कर रहे, सरकार सुरक्षा नहीं दे पा रही है। हमारे माता-पिता प्रदर्शन करते-करते थक चुके हैं। कभी कर्फ्यू तो कभी हिंसा के चलते बाजार बंद। स्कूल-कॉलेज खुले हैं, लेकिन वहां पढ़ने कैसे जाएं? ऐसे में अब हम खुद को बचाने नहीं उतरेंगे तो कौन उतरेगा? कुकी बोले- हमने रॉकेट-ड्रोन हमले नहीं किए, मैतेई झूठ फैला रहे उधर, कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (KSO) के गृह सचिव मांग खोंगसाई ने भास्कर से कहा कि मणिपुर पुलिस आईजी और असम राइफल्स के डीजी बुधवार (11 सितंबर) को कुकी बहुल चूराचांदपुर आए थे। उन्होंने हमारे साथ बैठक की। इसमें डीजी ने मुद्दों को सुलझाने और 10 दिन के लिए सीजफायर करने की अपील की है। ड्रोन और रॉकेट हमलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि 3 मई 2023 के बाद से दोनों जनजातियां सर्विलांस के लिए ड्रोन इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन, ड्रोन से बम गिराने और रॉकेट से मिसाइलें दागने के आरोप गलत हैं। खोंगसाई ने कहा कि हम अपने इलाकों की रक्षा के लिए पुंपि का इस्तेमाल करते हैं। पुंपि धातु से बनी एक पाइप होती है, जिसमें बारूद और लोहे के टुकड़े भरे होते हैं। इसे हम 1919 के एंग्लो-कुकी वॉर के समय से बना रहे हैं। मणिपुर में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन, दो दिन कॉलेज बंद मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष जारी है। इस महीने 1 सितंबर से मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट हमलों के बाद हिंसा और बढ़ गई है। हमलों के खिलाफ 8 सितंबर से लोगों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। सरकार ने राज्य में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन कर दिया है। 12 सितंबर तक कॉलेज बंद हैं। इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट सहित तीन जिलों में कर्फ्यू लगा है। केंद्र ने मणिपुर में 2,000 और CRPF जवान भेजने का फैसला किया है। छात्रों का हिंसक प्रदर्शन; 4 जरूरी पॉइंट्स मणिपुर के लोग राज्य के डीजीपी, सुरक्षा सलाहकार, केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने, 16 महीने से छिड़े गृह युद्ध जैसे हालात खत्म करने और सुरक्षा बलों की यूनिफाइड कमांड को केंद्रीय गृह मंत्रालय के हाथ से लेकर मुख्यमंत्री को सौंपने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये सभी हमारी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। ड्रोन और रॉकेट अटैक के बाद से हम 24 घंटे डर के माहौल में जी रहे हैं। 8 सितंबर को मैतेई समुदाय के छात्रों ने इंफाल में किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च निकाला। प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। सुरक्षाबलों ने छात्रों को अगले दिन यानी 9 सितंबर को ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर रात भर प्रदर्शन करते रहे। 9 सितंबर को सैकड़ों स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की। इस दौरान सुरक्षाकर्मी भागते दिखे। सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड लगाकर रोका। कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे। इसमें 20 स्टूडेंट्स घायल हो गए। 10 सितंबर को छात्रों का प्रदर्शन और हिंसक हो गया। उन्होंने राज्य सरकार को अपनी छह मांगें सौंपी थीं। इन्हें पूरा करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन जब सरकार से कोई जवाब नहीं मिला तो करीब 2500 छात्र-छात्राएं आक्रोशित हो गए। राजभवन की ओर मार्च कर रहे स्टूडेंट्स की सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। छात्रों ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया और गुलेल से छर्रे मारे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। इस दौरान 50 से ज्यादा लोग घायल हुए। 1 सितंबर से तीन ड्रोन हमले, अब तक 8 की मौत मणिपुर में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक, एक हफ्ते के बीच हिंसा की चार घटनाएं हुईं। इनमें 8 लोगों की मौत और 12 घायल हो गए। चार में से तीन हमले ड्रोन और रॉकेट से किए गए थे। चारों घटनाएं सिलसिलेवार पढ़ें... 1 सितंबर: 1 साल से जारी हिंसा में पहली बार ड्रोन अटैक, 2 मौतें मणिपुर में मई 2023 से हिंसा जारी है। हालांकि, इस साल सितंबर में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में 1 सितंबर को उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।
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12 September 2024पटना के गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली में हुए सीरियल ब्लास्ट में पटना हाईकोर्ट ने 4 आतंकियों की फांसी को उम्रकैद में बदला है। सिविल कोर्ट ने सभी को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने बाकी 2 दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। ब्लास्ट में निचली अदालत ने 4 को फांसी और 2 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। स्पेशल पीपी (पब्लिक प्रोसिक्यूटर) NIA मनोज कुमार सिंह ने कहा कि 'ये बहुत अच्छा फैसला है। कोर्ट ने आरोपियों की उम्र को देखते हुए फांसी की सजा उम्र कैद में बदला है। सभी आरोपियों की उम्र कम है। हम लोगों ने घटना की गंभीरता को लेकर दलील दी थीं। न्यायालय ने कहा कि उम्र कम है, इन लोगों को भी जीने का अधिकार है। इसलिए फांसी की सजा नहीं दी गई।' फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी दोषियों के वकील इमरान घानी ने बताया कि 'अपील पर सुनवाई करते हुए 4 दोषियों को आजीवन कारावास (30 साल) की सजा सुनाई है, जबकि 2 दोषियों के लिए निचली अदालत के फैसले को सुरक्षित रखा है। यह फैसला जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने दिया है। नुमान अंसारी, मोहम्मद मजीबुल्ला, हैदर अली, इम्तियाज आलम को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। वहीं, उमैर सिद्दकी और अजरहुद्दीन कुरैशी के लिए निचली अदालत का जो आजीवन कारावास का फैसला है, उसे यथावत रखा है। बचाव पक्ष के वकील इमारन घानी ने बताया कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।'
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11 September 2024कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस में हड़ताली जूनियर डॉक्टर्स बुधवार को सरकार से बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक ईमेल भेजकर मिलने का समय मांगा। डॉक्टरों की शर्त है कि पूरी मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग की जाए। बंगाल के चीफ सेक्रेटरी ने डॉक्टरों को आज शाम 6 बजे मुलाकात का टाइम दिया है। इसमें लाइव स्ट्रीमिंग का जिक्र नहीं है। पहले डॉक्टरों ने अपने डेलिगेशन से 30 लोगों के शामिल होने की बात कही थी, लेकिन सरकार के नए मेल में 12-15 लोगों के मिलने की इजाजत दी गई है। CM ममता ने मंगलवार (10 सितंबर) को डॉक्टरों को मीटिंग के लिए सचिवालय बुलाया था। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उन्हें मेल भेजा गया। ममता ने डॉक्टर्स का करीब 80 मिनट इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आए। फिर ममता लौट गईं। डॉक्टर्स ने मीटिंग में आने से इनकार करते हुए कहा- हम जिसका (राज्य स्वास्थ्य सचिव) इस्तीफा मांग रहे हैं, वही बैठक के लिए बुला रहा है। उसमें भी सरकार ने सिर्फ 10 डॉक्टरों को बुलाया। ये आंदोलन का अपमान है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितंबर तक आंदोलन खत्म करने को कहा था कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन का आज 32वां दिन हैं। वे कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल, राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी, हेल्थ एजुकेशन डायरेक्टर (DHE) और हेल्थ सर्विसेज डायरेक्टर (DHS) को पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को जूनियर डॉक्टरों को 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का आदेश दिया था। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती, वे ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे। आंदोलनकारी डॉक्टर्स मंगलवार (10 सितंबर) से स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। कल पीड़ित के पेरेंट्स भी प्रदर्शन में पहुंचे। पीड़ित की मां ने कहा कि मेरे हजारों बच्चे सड़कों पर हैं। इसलिए मैं घर पर नहीं रह सकती थी। मुख्यमंत्री ने त्योहार में शामिल होने के लिए कहा था, अब यही मेरा त्योहार है। बंगाल कैबिनेट का फैसला- 5 और POCSO कोर्ट खुलेंगे पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने राज्य में 5 और स्पेशल POCSO कोर्ट बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद से ऐसे कोर्ट की संख्या बढ़कर 67 हो गई है। वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि 6 ई-पॉक्सो कोर्ट भी मामलों के जल्द निपटारे के लिए काम कर रहे हैं। उधर, एक सूत्र ने बताया कि बंगाल कैबिनेट में यह फैसला भी लिया गया है कि CM ममता के अलावा आरजी कर कॉलेज के मामले पर कोई भी मंत्री बयान नहीं देगा। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 51 डॉक्टरों से पूछताछ आज आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की इन्क्वायरी कमेटी ने मंगलवार को 51 डॉक्टरों को नोटिस जारी करके बुधवार (11 सितंबर) को पूछताछ के लिए बुलाया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने कॉलेज में डर की संस्कृति को बढ़ावा दिया है और लोकतांत्रिक माहौल को खतरा पहुंचाया है। इन डॉक्टरों को अस्पताल प्रशासन के सामने अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। स्पेशल काउंसिल कमेटी ने फैसला लिया है कि इन 51 डॉक्टरों को कैंपस में तब तक नहीं आने दिया जाए, जब तक इन्क्वायरी कमेटी उनसे पूछताछ पूरी नहीं कर लेती। काम पर क्यों नहीं लौटे, डॉक्टर्स ने 5 वजह बताईं सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर की सुनवाई में डॉक्टरों को 10 सितंबर शाम 5 बजे से पहले काम पर लौटने को कहा था। कोर्ट ने आदेश ना मानने पर राज्य सरकार को डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा था। जूनियर डॉक्टर्स ने काम पर लौटने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें और पीड़ित को न्याय नहीं मिला है, इसलिए वे काम पर नहीं लौटेंगे। इसलिए डेडलाइन खत्म होने के बाद भी उनका प्रदर्शन जारी रहा। संदीप घोष की पत्नी ने बंगाल सरकार की मंजूरी के बिना खरीदी प्रॉपर्टी प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि आरजी कर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की पत्नी डॉ. संगीता ने पश्चिम बंगाल सरकार की मंजूरी के बिना दो अचल संपत्तियां खरीदीं। ED ने 6 सितंबर को कोलकाता में घोष के 7 ठिकानों पर छापा मारा था। इस दौरान उसे डॉक्टर दंपती के लगभग आधा दर्जन घरों, फ्लैटों और एक फार्महाउस से जुड़े स्तावेज मिले हैं। दिलचस्प बात यह है कि डॉ. संगीता घोष को 2021 में डॉ. संदीप घोष ने ही ये प्रॉपर्टी खरीदने के लिए परमिशन दी थी। तब संदीप घोष आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल के रूप में और डॉ. संगीता घोष वहां सहायक प्रोफेसर थीं। इधर, भ्रष्टाचार केस में अलीपुर कोर्ट ने संदीप घोष और उसके दो साथियों मेडिकल इक्विपमेंट्स सेलर बिप्लब सिंघा और फार्मेसी शॉप ओनर सुमन हजारा को 23 सितंबर तक ज्यूडीशियल कस्टडी में भेज दिया है।
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11 September 2024शराब नीति केस में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में CM अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 सितंबर तक बढ़ाई गई है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। इसी मामले में आरोपी और AAP विधायक दुर्गेश पाठक को अदालत ने जमानत 1 लाख रुपए के बॉन्ड पर जमानत दे दी है। CBI की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर होने के बाद कोर्ट के समन पर वे अदालत में पेश हुए थे। दरअसल, CBI ने अरविंद केजरीवाल, दुर्गेश पाठक, विनोद चौहान, आशीष माथुर, सरथ रेड्डी के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश की थी। 3 सितंबर को कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को आज यानी 11 सितंबर तक अदालत में पेश होकर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। जवाब दाखिल होने के बाद कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ाई और दुर्गेश पाठक को जमानत दे दी। CBI केस में गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई है। 5 सितंबर को इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया। वहीं, ED मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। चार्जशीट में केजरीवाल का नाम मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल CBI ने 30 जुलाई को चौथी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें केजरीवाल को आरोपी बनाया गया था। एजेंसी ने आरोप लगाया गया कि केजरीवाल शराब नीति घोटाले में मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं। CBI को राउज एवेन्यू कोर्ट से 23 अगस्त को केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली थी। CBI ने पांचवी और आखिरी चार्जशीट में कहा- केजरीवाल शुरू से आपराधिक साजिश में शामिल रहे इस केस में CBI ने 7 सितंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी पांचवी और आखिरी चार्जशीट दाखिल की। CBI ने कहा कि जांच पूरी हो गई है और इसमें सामने आया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति बनाने और उसे लागू करने की आपराधिक साजिश में शुरू से शामिल थे। वे पहले से ही शराब नीति के प्राइवेटाइजेशन का मन बना चुके थे। चार्जशीट के मुताबिक, मार्च 2021 में जब तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में शराब नीति तैयार की जा रही थी, तब केजरीवाल ने कहा था कि पार्टी को पैसों की जरूरत है। उन्होंने अपने करीबी और AAP के मीडिया और संचार प्रभारी विजय नायर को फंड जुटाने का काम सौंपा था।
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11 September 2024देश में मंकीपॉक्स (MPox) का पहला मरीज मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार (9 सितंबर) को इसकी पुष्टि की है। मंत्रालय ने बताया कि विदेश से लौटे एक व्यक्ति को 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया था। सैंपल लेकर जांच कराई गई, जिसमें मंकीपॉक्स के स्ट्रेन वेस्ट अफ्रीकन क्लेड 2 की पुष्टि हुई है। लेकिन ये स्ट्रेन WHO की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी में शामिल स्ट्रेन क्लेड1 नहीं है। 2022 में क्लेड 2 के 30 केस मिले थे। आइसोलेशन में मौजूद व्यक्ति की हालत ठीक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि आइसोलेशन में मौजूद व्यक्ति की हालत ठीक है। उसके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है। चिंता करने की कोई बात नहीं है। प्रोटोकॉल के तहत व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग कराई गई है। उसकी ट्रैवल हिस्ट्री भी निकाली गई। WHO ने मंकीपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। भारत ने 20 अगस्त को देश के सभी पोर्ट, एयरपोर्ट के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था। यह दो साल में दूसरी बार है, जब WHO ने मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी। अफ्रीका के दस देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। इसके बाद ये तेजी से पड़ोसी देशों में फैली। आशंका है कि यह दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल सकती है। कोरोना की तरह यह विमान यात्रा और ट्रैवलिंग के दूसरे साधनों से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रही है। WHO इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है। क्या है मंकीपॉक्स मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है। भारत में 2022 से मंकीपॉक्स के 30 केस मिले WHO के मुताबिक, 2022 के बाद से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। इस साल अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें दर्ज की गई हैं। 2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स (Clade 2) के तीस मामले सामने आए हैं। आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 32 लेबोरेटरी हैं। आज ही केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंकीपॉक्स को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की। चंद्रा ने कहा- मंकीपॉक्स के खतरे को रोकने के लिए सभी राज्यों को हेल्थ एक्शन लेना चाहिए। राज्यों को मंकीपॉक्स पर स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के मंकीपॉक्स पर जारी सीडी-अलर्ट (कम्यूनिकेवल डिजीज अलर्ट) पर एक्शन लेना चाहिए। इसके अलावा राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करनी चाहिए। सीनियर अधिकारियों को जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेना चाहिए। यूपी में मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने 30 अगस्त को अलर्ट जारी किया था। शासन की तरफ से सभी 75 जिलों के डीएम और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को बाहर से आने वाले मरीजों की एंट्री पॉइंट्स पर स्क्रीनिंग कर उनको अलग करने के निर्देश दिए गए थे। अधिकारियों का निर्देश था कि कोई भी संदिग्ध मिलने पर उसे आइसोलेट कर रेफेरल हॉस्पिटल में रखा जाएगा। जांच के लिए KGMU, लखनऊ को नोडल सेंटर बनाया गया है।
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10 September 2024कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर के विरोध में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल मंगलवार को 31वें दिन भी जारी है। डॉक्टर्स करुणामयी (सॉल्ट लेक) से स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाल रहे हैं। उनकी मांग है कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव को भी बर्खास्त किया जाए। इससे पहले कोलकाता के पुलिस कश्मिनर को सस्पेंड करने की मांग उठी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर की सुनवाई में डॉक्टरों को 10 सितंबर शाम 5 बजे से पहले काम पर लौटने को कहा है। कोर्ट ने आदेश ना मानने पर राज्य सरकार को डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा है। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें और पीड़ित को न्याय नहीं मिला है, इसलिए वे काम पर नहीं लौटेंगे। डॉक्टरों ने भी सरकार को शाम 5 बजे तक मांगें मानने का टाइम दिया है। जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल जारी रखने के तर्क... राज्य सरकार किसी भी तरीके से हमारा प्रदर्शन रोकना चाहती है। वे हमें बदनाम करने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण लोग मर रहे हैं। हम बता दें कि राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में पेशेंट सर्विस चालू हैं। सीनियर डॉक्टर्स काम पर लगे हैं। राज्य में 245 सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें से केवल 26 मेडिकल कॉलेज हैं। जूनियर डॉक्टरों की संख्या 7,500 से भी कम है। जबकि 93,000 रजिस्टर्ड डॉक्टर हैं। ऐसे में सिर्फ कुछ जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मेडिकल सर्विस कैसे ध्वस्त हो सकती है। सरकार झूठ फैला रही है और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही है। ममता सरकार ने 27 अगस्त को एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा का दोष हम पर मढ़ दिया है। हम उन्हें याद दिलाना चाहते हैं कि हमने 26 अगस्त को कहा था कि हमारा उस कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं है। हम किसी भी हिंसक घटना का समर्थन नहीं करते हैं और भविष्य में भी नहीं करेंगे। घटना के 30 दिन बाद भी राज्य सरकार ने आंदोलन की मुख्य मांगों को लेकर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। वे सारा दोष CBI जांच पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस की लापरवाही या स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संदीप घोष को सस्पेंड करने का फैसला महज लीपापोती जैसा लगता है। आंदोलन के पहले दिन से ही हमने सुरक्षा से जुड़ी मांगें उठाई हैं। हमने ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों के लिए अलग से रेस्ट रूम और बाथरूम, पर्याप्त सुरक्षा कर्मी, सीसीटीवी और महिलाओं के लिए महिला सुरक्षा कर्मी की मांग की है। सिर्फ पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने और डॉक्टरों के कमरे अलग करने से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी। मुख्यमंत्री के प्रेस बयान से हमें पता चला कि पुलिस कमिश्नर ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी। उन्होंने खुद जांच में लापरवाही की बात स्वीकार की है तो उनका इस्तीफा क्यों स्वीकार नहीं किया गया? क्या पुलिस का काम सिर्फ त्योहारों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करना है? महिलाओं की सुरक्षा क्या ऐसी पुलिस फोर्स कर पाएगी। 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता रेप-मर्डर केस के बाद जारी डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर सुनवाई हुई थी। कोर्ट में राज्य सरकार की दलील और कोर्ट का आदेश... राज्य सरकार की दलील: डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से 23 लोगों की जान चली गई। 6 लाख लोगों को इलाज नहीं मिला। रेजिडेंट डॉक्टर OPD में नहीं आ रहे। 1500 से अधिक रोगियों की एंजियोग्राफी नहीं की गई। डॉक्टरों को काम पर वापस जाने के लिए कहा जाए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश: हम निर्देश देते हैं कि जूनियर डॉक्टर 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर वापस नहीं आते हैं तो हम राज्य सरकार को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते। यदि वे काम पर वापस आते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि हम मामले से अवगत हैं। ममता सरकार ने 51 डॉक्टरों को नोटिस जारी किया ममता सरकार ने 51 डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उन्हें 11 सितंबर को जांच कमेटी के सामने उपस्थित होने को कहा है। इन डॉक्टरों पर अव्यवस्था फैलाने और संस्थान में डर का माहौल पैदा करने का आरोप है। इन डॉक्टरों पर मेडिकल कॉलेज के अंदर घुसने पर भी बैन लगा है।
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10 September 2024मणिपुर में जारी हिंसा के बीच सोमवार को तीन जिलों इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट और थाैबल में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही राज्य में 15 सितंबर की शाम 3 बजे तक के लिए इंटरनेट बैन कर दिया गया है। राज्य में ड्रोन हमलों के बाद मैतेई समुदाय के लोगों ने 8 और 9 सितंबर को राजभवन और मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन किया था। 9 सितंबर को प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे थे। इसमें 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। देर रात को महिलाओं ने मशाल जुलूस निकाला था। इसके बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। छात्रों का नेतृत्व कर रहे एम. सनाथोई चानू ने बताया- हमने DGP, राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग की है। साथ ही CRPF के पूर्व DG कुलदीप सिंह के नेतृत्व में बनी यूनिफाइड कमांड राज्य सरकार को सौंपने की मांग की है। महिलाओं के प्रदर्शन की तस्वीरें मणिपुर राजभवन पर पथराव हुआ था, सुरक्षाकर्मी जान बचाकर भागे थे इंफाल में 9 सितंबर को सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। मैतेई समुदाय के ये छात्र मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं को लेकर 8 सितंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च के बाद प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। सोमवार को सुरक्षाबलों ने ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर प्रदर्शन करते रहे। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे यहां डटे रहेंगे। इस दौरान उनकी सुरक्षाबलों के साथ झड़प भी हुई। स्टूडेंट्स 1 और 3 सितंबर को मैतेई इलाकों में हुए ड्रोन हमलों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य के 60 में से 50 मैतेई विधायकों से अपना रुख स्पष्ट करने या इस्तीफा देने को कहा। इन स्टूडेंट्स ने यह भी डिमांड की है कि राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। 11 दिन में 8 की मौत मणिपुर में जारी हिंसा और अराजकता थम नहीं रही है। बीते 11 दिन में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। कुकी बहुल कांग्पोक्पी के थांगबू गांव में रविवार शाम संदिग्ध मैतेई हथियारबंद लोगों ने गोलीबारी की थी, जिसमें नेंगजाखल लहुगडिम (50) की मौत हो गई। विष्णुपुर के सुगनू गांव पर भी हमला हुआ। दरअसल, विष्णुपुर मैतेई बहुल इंफाल और कुकी बहुल चूराचांदपुर के बीच बफर जोन है। यहां ज्यादातर मैतेई रहते हैं, लेकिन सुगनू गांव में कुकी हैं, जो चूराचांदपुर से सटा है। मैतेई बहुल कोत्रुक, मोइरांग में सन्नाटा; 20 गांव निशाने पर थे इंफाल से 20 किमी दूर कोत्रुक गांव में कुछ परिवारों को छोड़ दें तो 500 लोग घर छोड़ चुके हैं। जो बचे हैं, वो कई रात से सोए नहीं, क्योंकि हर वक्त ड्रोन हमले का खतरा है। यहीं 1 सितंबर को ड्रोन बम हमले हुए थे। विष्णुपुर जिले के मैतेई हिस्से में आने वाले मोइरांग में रॉकेट हमला हुआ था। यह 80% गांव खाली है। कोत्रुक के रहने वाले एन. मैक्रॉन सिंह ने बताया, ज्यादातर लोग रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। उन्होंने दावा किया कि 1 सितंबर को उग्रवादी 20 गांवों पर बम गिराने वाले थे, लेकिन सुरक्षाबलों ने फायरिंग करके रोक दिया। सेना मोइरांग से कांग्पोक्पी तक सर्च ऑपरेशन चल रही है। इसमें कई जगह हथियार जब्त किए गए हैं। इसमें RPG और हाई एंड असॉल्ट राइफल शामिल हैं। रिटायर्ड जवान की हत्या मणिपुर के इंफाल वेस्ट में सोमवार सुबह असम राइफल्स के रिटायर्ड जवान लालबोई माते का शव मिला है। माते कुकी बहुल कांग्पोक्पी के मोटबुंग के रहने वाले थे। बताया गया है कि माते बफर जोन को पार कर मैतेई क्षेत्र में घुस आए थे। बीते 7 दिनों में हिंसा बढ़ी, 8 लोगों की मौत हुई मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। बीते 7 दिनों से हिंसा बढ़ गई है। इसमें 8 लोगों की मौत हुई है। 15 से ज्यादा घायल हैं। हाल ही में मणिपुर में ड्रोन से भी हमले हुए हैं। इनमें 2 लोगों की मौत हुई है। 1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। 3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। 6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। 7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया। मणिपुर के आईजी (इंटेलिजेंस) के. कबीब ने शनिवार (7 सितंबर) को बताया कि एक मजबूत एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के नए हथियार खरीदे जा रहे हैं। सीनियर पुलिस अफसर ग्राउंड पर उतारे गए हैं। आर्मी के हेलिकॉप्टर के जरिए हवाई पेट्रोलिंग जारी है। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कर्मियों तैनात हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की शक्तियां बढ़ाने की मांग की सीएम बीरेन सिंह ने गवर्नर लक्ष्मण आचार्य को 8 सूत्रीय मांगों की एक लिस्ट सौंपी है। इसमें संविधान के अनुसार राज्य सरकार को पावर और जिम्मेदारियां देने की बात कही गई है। साथ ही CM ने कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौते को रद्द करने की मांग की है, ताकि सिक्योरिटी फोर्सेज पूरी ताकत से कुकी उग्रवादियों पर कार्रवाई कर सकें। इसके अलावा नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया शुरू करने और सभी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की भी बात कही गई है। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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10 September 2024कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर केस में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने तीन मुद्दों - CBI जांच रिपोर्ट, डॉक्टरों की हड़ताल और CISF जवानों की सुविधाओं पर सुनवाई की। CBI की स्टेटस रिपोर्ट में कई बातें सामने आईं। कोर्ट ने कहा कि, FIR में 14 घंटे की देरी हुई है। वहीं कुछ जरूरी दस्तावेज भी गायब हैं। ऐसे में मामला गड़बड़ लगता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को मिसिंग डॉक्यूमेंट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। वहीं हड़ताल को लेकर कोर्ट ने डॉक्टरों से तुरंत काम पर लौटने को कहा है। CJI ने कहा, 'अगर मंगलवार शाम 5 बजे तक डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं लौटे तो उनके खिलाफ राज्य सरकार को कार्रवाई करने से नहीं रोका जा सकता। डॉक्टरों का पेशा ही मरीजों की सेवा करना है।' उधर CISF जवानों की सुविधाओं पर कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को आदेश दिया कि सभी जवानों को रहने के लिए घर मुहैया कराया जाए। ये जवान अस्पताल की सुरक्षा के लिए आए हैं। उनको अतिरिक्त सुरक्षा उपकरण भी दिए जाएं। मामले में अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। 2 मुद्दों पर कोर्ट रूम LIVE... पहला मुद्दा- ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर पर CBI जांच की स्टेटस रिपोर्ट CJI: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल के घर के बीच कितनी दूरी है?SG: 15 से 20 मिनट CJI: अननैचुरल डेथ का केस कितने बजे रजिस्टर्ड हुआ। SG: कृपया चार्ट देखें। आखिर वह हम सभी की बेटी है। सिब्बल: डेथ सर्टिफिकेट दोपहर 1:47 बजे दिया गया। पुलिस स्टेशन में अननैचुरल डेथ की एंट्री दोपहर 2:55 बजे की गई। CJI: क्या अननैचुरल डेथ नंबर 861 है? सिब्बल: हां CJI: घटनास्थल की जांच और सबूत कब जुटाए गए? सिब्बल: रात 8:30 बजे से 10:45 बजे तक। यह शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाने के बाद की बात है। SG: लेकिन यह किसके द्वारा की गई? यह भी ध्यान रखने वाली बात है। CJI: देखिए सीसीटीवी फुटेज से साफ पता चलता है कि आरोपी किस समय सेमिनार रूम में गया और कब बाहर आया। उसके बाद 4:30 बजे के बाद की फुटेज होगी। क्या वह फुटेज CBI को दी गई। SG: हां, हमें सारी रिकॉर्डिंग मिली है। हमें सीन रिक्रिएट करना था। CJI: क्या कोलकाता पुलिस ने सुबह 8:30 बजे से रात 10:45 बजे तक की पूरी फुटेज सौंप दी है? CJI: हां, 5:42 बजे; 5:65 बजे; 5:76 बजे और 6:81 बजे की एंट्री संदेह में डालती है। CBI यह जानती है और वह जांच कर रही है। CJI: जब जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है, तो एक चालान भेजा जाता है, इसके बिना पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर शव को लेते नहीं हैं। CJI: चालान कहां हैं? हम इसे देखना चाहते हैं। सिब्बल: कृपया हमें समय दें। हम इसे अदालत में पेश करेंगे। जहां तक मुझे पता है चालान को CJM ने खुद भरकर भेजा था। CJI: इसका मतलब है, क्या बिना चालान भेजे पोस्टमॉर्टम कर दिया गया? SG: ऐसा नहीं हो सकता। यह एक कानूनी प्रक्रिया है। जस्टिस पारदीवाला: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तीसरे कॉलम में फॉर्म ले जाने वाले कॉन्स्टेबल का नाम है। चालान का कहीं जिक्र नहीं है। अगर यह दस्तावेज गायब है तो कुछ गड़बड़ है। एक अन्य वकील: मेरे पास उन बदमाशों के नाम हैं जो अस्पातल में घुस आए थे, जिन्होंने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की। सिब्बल: सीबीआई ने खुद नहीं कहा है कि सील टूटी है। गीता लूथरा: यह पूरी तरह से गड़बड़ है। लूथरा: एक तो लोगों को बिना पहचान पत्र देखे अस्पताल के अंदर जाने दिया जा रहा है। लूथरा: एक और रिक्वेस्ट है कि सोशल मीडिया पर ट्रेनी डॉक्टर की तस्वीरें वायरल की जा रही हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए CJI: हम सभी तस्वीरों को हटाने का आदेश देते हैं। CJI: हम उम्मीद करते हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार टास्क फोर्स की रिपोर्ट का इंतजार किए बिना डॉक्टरों के काम करने के लिए सुरक्षित जगह बनाने के बारे में सोचे। सिब्बल: कृपया स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट देखें। कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। CCTV से निगरानी भी हो रही है। CJI: ठीक है, जैसा कि बताया जा रहा है कि 3,700 CCTV पहले से ही काम कर रहे थे। फिर यह अपराध क्यों हुआ? सरकार हमें यह बताए कि मामला कोर्ट में आने के बाद आरजी कर अस्पताल में राज्य सरकार ने सुरक्षा को लेकर क्या-क्या किया है? सिब्बल: डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से 23 लोगों की जान चली गई। 6 लाख लोगों को इलाज नहीं मिला। रेजिडेंट डॉक्टर ओपीडी में नहीं आ रहे। 1500 से अधिक रोगियों की एंजियोग्राफी नहीं की गई। डॉक्टरों को काम पर वापस जाने के लिए कहा गया। अब यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यदि वे काम पर नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। CJI: डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से कौन पेश हो रहा है? सीनियर एडवोकेट नंदी: हम यहां आए हैं। डॉक्टरों के दो समूह हैं। एडवोकेट लूथरा भी डॉक्टर की तरफ से हैं। CJI: क्या सभी डॉक्टर ड्यूटी पर हैं? एडवोकेट लूथरा: पश्चिम बंगाल के मेडिकल डॉक्टर और जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं हैं। 1700 अस्पताल हैं, 1500 में डॉक्टर ड्यूटी पर हैं लेकिन कलकत्ता में जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं हैं। उन्हें अभी भी धमकियां मिल रही हैं। CJI: हम निर्देश देंगे कि यदि डॉक्टर काम पर वापस नहीं आते हैं तो हम राज्य सरकार को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते। यदि वे काम पर वापस आते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी क्योंकि हम मामले से अवगत हैं। एडवोकेट लूथरा: लेकिन डॉक्टरों को धमकियां मिल रही हैं। इनमें से कई डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया और इसलिए उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। CJI: बेहतर होगा कि आप उन अस्पतालों में वापस चले जाएं जहां आपको काम करना चाहिए। CJI: अगर डॉक्टर कल शाम 5 बजे या उससे पहले ड्यूटी पर रिपोर्ट करते हैं तो उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि अगर डॉक्टर लगातार काम से दूर रहते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में पिछली 2 सुनवाई... 22 अगस्त: सुनवाई में कोर्ट ने कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह 22 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में CBI ने कोर्ट में कहा था कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है। इस पर जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। मैंने जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 अगस्त को CISF के 92 जवान आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं।
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9 September 2024दिल्ली सरकार ने इस साल भी त्योहारों पर आतिशबाजी के उपयोग पर बैन लगाया है। पटाखों के स्टोर करने, प्रोडक्शन, बिक्री पर पूरी तरह से बैन रहेगा। दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पटाखों की ऑनलाइन बिक्री/डिलीवरी पर भी बैन लगाया गया है। ये बैन 1 जनवरी 2025 तक लागू रहेगा
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9 September 2024बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सोमवार को भारत और अमेरिका की सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू हुआ। इसमें पहली बार अमेरिका के हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) का प्रदर्शन किया जा रहा है। इस आर्टिलरी की मारक क्षमता 310 किलोमीटर है। यूक्रेन वॉर के दौरान इसी सिस्टम से रूसी गोला-बारूद ढेर किए गए थे। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है। इसमें भारत-अमेरिका के कुल 1200 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। आज सुबह करीब 10:30 बजे परेड समारोह के साथ युद्धाभ्यास का आगाज हुआ। दोनों देशों के झंडों को फहराया गया। दुश्मन के ड्रोन हमलों से बचाव का भी होगा अभ्यास युद्धाभ्यास में भारत की साउथ वेस्टर्न कमांड के 600 और अमेरिका के 600 जवान हिस्सा ले रहे हैं। दोनों देशों के जवान मिलकर 15 दिन तक दुश्मन को घेरकर मारने सहित कई रणनीतियों का अभ्यास करेंगे। इस दौरान एयरबोर्न और हेलीबोर्न ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा। गांव में छिपे आतंकियों को खोजकर मारने के अलावा ड्रोन हमलों से बचाव का भी अभ्यास किया जाएगा। एक-दूसरे के हथियार चलाना सीखेंगे इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं की आंतरिक क्षमता को बढ़ाना और जरूरत पड़ने पर एक साथ काम करने की संभावनाओं को मजबूत करना है। संयुक्त अभियान में कई सैन्य रणनीति और जॉइंट एक्सरसाइज शामिल हैं, जिसका उद्देश्य एक-दूसरे देश की विशेषताओं और क्षमताओं का आदान-प्रदान है। यह अभ्यास भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों काे देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिका का रॉकेट सिस्टम मुख्य आकर्षण युद्धाभ्यास का मुख्य आकर्षण अमेरिकी सेना का हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है। इस सिस्टम का उपयोग यूक्रेन में रूस के खिलाफ हो चुका है। इसे सी-130 विमान पर ले जाना आसान है। मात्र 20 सेकेंड में रॉकेट तैयार किए जा सकते हैं। 45 सेकेंड के भीतर सभी रॉकेट दागे जा सकते हैं। ये छह मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम के साथ एक ही पॉड में समाहित हैं। इसकी मारक क्षमता करीब 310 किलोमीटर तक है। आर्मी टैक्टिकल मिसाइल (ATACMC) के रूप में जाना जाता है। यूक्रेन में 2022 में युद्ध के दौरान इस सिस्टम को रूसी लक्ष्यों के खिलाफ बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था।कई रूसी कमांड पोस्ट, गोला-बारूद भंडारण, सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों के जमावड़े तथा पुलों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था, जिनमें से कई अग्रिम पंक्तियों से बहुत दूर थे। यह सिस्टम लंबी दूरी तक सटीक हमले करने में सक्षम है। अभ्यास के दौरान भारत अपनी नई पीढ़ी की हथियार प्रणाली का प्रदर्शन भी करेगा। संयुक्त सैन्य अभियानों में अत्याधुनिक तकनीक को एकीकृत करने पर जोर दिया गया है। दोनों देशों की सेना का एक साथ 20वीं बार युद्धाभ्यास ऐसा 20वीं बार हो रहा है, जब दोनों देशों की सेना एक साथ मिलकर हथियारों को चलाने का अभ्यास कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेश के बाद दोनों देशों ने साथ में अभ्यास शुरू किया था। एक बार भारत और एक बार अमेरिका में होने वाले इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के जवान हिस्सा लेते हैं। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में इससे पहले युद्धाभ्यास का 16वां संस्करण फरवरी 2021 में हुआ था। भारत जहां इस युद्धाभ्यास में स्वदेशी हथियारों का प्रदर्शन करेगा, वहीं अमेरिका अपने सर्वश्रेष्ठ हथियारों की शृंखला से रूबरू करवााएगा। सुबह से रात तक चलेगा युद्धाभ्यास दोनों देशों के जवान अब रोज सुबह उठने से लेकर रात को सोने से पहले तक युद्धाभ्यास में ही रहेंगे। सुबह जवान वॉक और रन करेंगे। इसके अलावा सुबह फायरिंग और आर्टिलरी ट्रेनिंग होगी। भारत की 9 राजपूत इंफेंट्री सेना है। अमेरिका की सेना एयर बोर्न 1-24 आर्कटिक डिवीजन है, जिनके हथियार माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तापमान में युद्ध कौशल दिखाने में सक्षम हैं।
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9 September 2024भारतीय वायु सेना का सबसे बड़ा अभ्यास 'तरंग-शक्ति' (फेज 2) जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर चल रहा है। शनिवार को ओपन-डे शो हुआ। आसमान में भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई-30, तेजस और हेलिकॉप्टर प्रचंड ने करतब दिखाए। सूर्यकिरण के 9 हॉक्स विमान ने आसमान में तिरंगा बनाया और दर्शकों को रोमांचित किया। इससे पहले आज सुबह 6 बजे एयरफोर्स स्टेशन पर भारत सहित 24 देशों के 400 जवानों ने सामूहिक योग किया। एयरफोर्स स्टेशन पर हरक्यूलिस सी-130 विमान के सामने यूएई, सिंगापुर, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और श्रीलंका के जवानों ने प्राणायाम व आसन किए। हेलिकॉप्टर प्रचंड ने दिखाई ताकत, सूर्यकिरण ने बनाई फॉर्मेशन सुबह 11 बजे ओपन-डे शो की शुरुआत में अग्निवीर वायु की महिला जवानों ने प्रस्तुति दी। इसके बाद फाइटर जेट ने करतब दिखाना शुरू किया। सबसे पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस आसमान में उड़ा। तेजस ने करीब 10 मिनट तक आसमान में करतब दिखाए। तेजस के बाद सूर्यकिरण के हॉक्स विमान उड़े। ये दर्शकों के एकदम ऊपर से निकले तो सभी रोमांचित हो गए। सूर्यकिरण के 9 हॉक्स विमान ने लो लेवल फ्लाइंग की। धुएं से 'तिरंगा' बनाया। इन विमान में बैठे विंग कमांडर हवा में एक-दूसरे को क्रॉस करते हुए अपने-अपने विमान को लेकर गए। हॉक्स विमान 360 डिग्री राउंड लेते हुए हवा में उड़े। सूर्यकिरण के 9 हॉक्स विमान ने यूथ को डेडिकेट करते हुए 'Y' फॉर्मेशन बनाई। डीएनए और राइट एंड लेफ्ट फॉर्मेशन भी बनाई। इसके बाद सुखोई-30 एमकेआई ने उड़ान भरी। सुखोई-30 ने करीब 150 मीटर की ऊंचाई पर लूप और 180 डिग्री में उड़ते हुए वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन बनाया। हेलिकॉप्टर प्रचंड ने भी आकाश में कलाबाजियां दिखाईं। इंडियन एयरफोर्स की एयर वॉरियर ड्रिल टीम के 28 मेंबर ने हाथ में राइफल लेकर म्यूजिक पर परफॉर्मेंस दी। इस दौरान उन्होंने राइफल से करतब दिखाते हुए डिफरेंट फॉर्मेशन बनाई। एयर वॉरियर ड्रिल टीम (AWDT) सुब्रतो इंडियन एयरफोर्स की इवेंट टीम है। तरंग-शक्ति 2024 का दूसरा फेज तरंग-शक्ति 2024 का ये दूसरा फेज है। इससे पहले 6 से 14 अगस्त तक तमिलनाडु के सुलार में इसका पहला फेज पूरा हुआ था। इसमें 30 देशों के वायुसेना के जवान शामिल हुए थे। जोधपुर में हो रही इस एक्सरसाइज के दूसरे चरण में भारत, अमेरिका, ग्रीस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, श्रीलंका की वायुसेना के जवान एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड एक्सरसाइज कर रहे हैं। अमेरिकी एयरफोर्स चीफ उड़ाएंगे तेजस 12 सितंबर को 12 देशों के एयर चीफ जोधपुर आएंगे। पहली बार जोधपुर के आसमान में दुनिया की सबसे शक्तिशाली अमेरिकी एयरफोर्स चीफ जनरल डेविड डब्ल्यू एल्विन तेजस उड़ाएंगे। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल स्टीफन चैपल, जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के चीफ जनरल हिरोआकी उच्कुरा, यूएई डिफेंस फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इस्सा अल मजरूई और भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चौधरी एक-दूसरे देश के लड़ाकू विमान उड़ाएंगे।
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7 September 2024कोलकाता रेप-मर्डर केस में CBI की जांच लगभग पूरी हो गई है। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसी को ट्रेनी डॉक्टर के साथ गैंगरेप के सबूत नहीं मिले हैं। 10 पॉलीग्राफ टेस्ट, 100 लोगों से पूछताछ और अबतक की जांच में CBI का मानना है कि वारदात को आरोपी संजय रॉय ने अकेले अंजाम दिया है। ट्रेनी डॉक्टर की बॉडी और क्राइम सीन से मिले सैंपल से आरोपी संजय का DNA भी मैच हो गया है। CBI ने DNA रिपोर्ट, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य सबूतों को AIIMS दिल्ली के डॉक्टरों को भेजा है। डॉक्टरों के फाइनल ओपिनियन के बाद एजेंसी जांच खत्म कर संजय के खिलाफ चार्जशीट फाइल करेगी। दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। अस्पताल के सेमिनार हॉल में उनकी अर्धनग्न बॉडी मिली थी। उनकी आंखें, मुंह और प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। गर्दन की हड्डी भी टूटी थी। CBI को आशंका थी कि गिरफ्तार किए गए सिविक वॉलेंटियर संजय के अलावा वारदात में और भी लोग शामिल हैं, लेकिन अब तक इसके सबूत नहीं मिले हैं। 3 घंटे तक चले पॉलीग्राफ टेस्ट में संजय ने जुर्म कबूला, 3 बातें कहीं... 1. CBI और सेंट्रल फोरेंसिक टीम के मेंबर्स ने 25 अगस्त को 3 घंटे संजय का पॉलिग्राफ टेस्ट किया। संजय ने कबूला कि उसी ने ट्रेनी डॉक्टर का रेप करने के बाद हत्या की थी। 2. संजय ने पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान CBI को बताया कि उसने 8 अगस्त को अपने एक दोस्त के साथ शराब पी थी। इसके बाद वह रेड लाइट एरिया गया। रास्ते में उसने एक लड़की को मॉलेस्ट किया। इसके बाद संजय ने देर रात अपनी गर्लफ्रेंड से वीडियो कॉल पर बात की न्यूड तस्वीरें मांगीं। 3. संजय ने बताया कि सुबह करीब 4 बजे संजय हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल पहुंचा, जहां ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद वह सुबह अपने दोस्त के घर गया। उसका दोस्त कोलकाता पुलिस में ऑफिसर था। संजय के साइकोलॉजिकल टेस्ट की रिपोर्ट- पोर्न देखने का आदी था पॉलीग्राफ टेस्ट से पहले संजय रॉय की साइकोएनालिटिकल प्रोफाइल से कुछ बातें सामने आई। CBI के अधिकारी ने बताया कि वह विकृत मानसिकता का व्यक्ति और पोर्नोग्राफी का आदी था। उसके फोन में कई अश्लील वीडियो भी मिले हैं। CFSL की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस में वॉलेंटियर संजय की प्रवृत्ति जानवरों जैसी है। पूछताछ के दौरान भी उसे कोई पछतावा नहीं था। उसने बिना किसी हिचकिचाहट के पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया। ब्लूटूथ इयरफोन से पकड़ाया था संजय 9 अगस्त को सुबह क्राइम सीन पर कोलकाता पुलिस को एक ब्लूटूथ ईयरफोन मिला था। CCTV फुटेज में आरोपी संजय सुबह 4 बजे सेमिनार हॉल में अंदर जाते दिखाई दिया। इस दौरान उसने कानों में ईयरफोन लगाया हुआ था। कुछ देर बाद जब वह हॉल से बाहर आया तो उसके पास ईयरफोन नहीं था। इसके बाद संजय समेत कुछ संदिग्धों को पूछताछ के लिए बुलाया गया। पुलिस ने क्राइम सीन पर मिले ईयरफोन को सभी संदिग्धों के फोन से कनेक्ट करने की कोशिश की। ईयरफोन संजय के फोन से कनेक्ट हो गया। पूछताछ के दौरान संजय ने रेप और मर्डर की बात कबूली। स्टूडेंट्स का आरोप- संजय पैसे लेकर मरीजों को बेड दिलाता था आरजी कर अस्पताल में PGT की स्टूडेंट गौरी सरकार ने दैनिक भास्कर से कहा- कई डॉक्टरों ने हमें बताया कि संजय अस्पताल में दलाली करता था। वो मरीजों को बेड दिलाने के नाम पर अस्पताल लाता और बदले पैसे लेता था। घटना की रात ट्रॉमा सेंटर में मौजूद डॉ. सौरभ भी संजय के बारे में यही बताते हैं। वे कहते हैं, 'सिविल वॉलंटियर ही मरीजों को अस्पताल लेकर आते हैं। रात में इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में भीड़ होती है। ये सिविल वॉलंटियर दिखने में पुलिस जैसे होते हैं, इसलिए इन्हें कोई नहीं रोकता।’ ‘संजय की बड़े अधिकारियों से पहचान थी। वो उन्हें कॉल कर देता था और वो बेड दिलवा देते थे। इमरजेंसी और ट्रॉमा में सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, न्यूरोसर्जरी में डॉक्टर उसकी पहचान वाले थे। वो वहां अक्सर आता-जाता था।' पश्चिम बंगाल के गवर्नर आनंद बोस ने बंगाल विधानसभा से पास हुआ अपराजिता बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया है। इसकी जानकारी उन्होंने शुक्रवार (6 सितंबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी। गवर्नर ने कहा- बिल में कई खामियां थीं। पहले तो बिल के साथ भेजी जाने वाली टेक्निकल रिपोर्ट नहीं दी गई थी।
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7 September 2024दिल्ली शराब नीति घोटाले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जांच एजेंसी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी पांचवी और आखिरी चार्जशीट दाखिल कर दी है। CBI ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति बनाने और उसे लागू करने की आपराधिक साजिश में शुरू से शामिल थे। वे पहले से ही शराब नीति के प्राइवेटाइजेशन का मन बना चुके थे। चार्जशीट के मुताबिक, मार्च 2021 में जब तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में शराब नीति तैयार की जा रही थी, तब केजरीवाल ने कहा था कि पार्टी को पैसों की जरूरत है। उन्होंने अपने करीबी और AAP के मीडिया और संचार प्रभारी विजय नायर को फंड जुटाने का काम सौंपा था। केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। फिर CBI ने भ्रष्टाचार मामले में उन्हें तिहाड़ जेल से ही 26 जून को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ED मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन भ्रष्टाचार मामले में वे जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर को CBI केस में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसले सुरक्षित रख लिया है। वहीं, उनके करीबी विजय नायर को 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। नायर लगभग दो साल बाद जेल से बाहर आए हैं। CBI ने उन्हें नवंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था।नायर से पहले मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त और BRS नेता के कविता को 27 अगस्त को जमानत मिली थी। CBI का दावा- विजय नायर ने साउथ ग्रुप से 100 करोड़ वसूले नायर दिल्ली एक्साइज बिजनेस के स्टेकहोल्डर्स के संपर्क में थे। वे शराब नीति में उन्हें फायदा देने के बदले पैसों की मांग करते थे। नायर वो जरिया थे, जिन्होंने केजरीवाल के लिए BRS नेता के. कविता की अध्यक्षता वाले साउथ ग्रुप के लोगों से डील की। नायर ने ही शराब नीति में फायदा देने के बदले में साउथ ग्रुप के लोगों से 100 करोड़ रुपए वसूले थे। दो अन्य आरोपियों- विनोद चौहान और आशीष माथुर के माध्यम से इन पैसों को गोवा भेजा गया। एजेंसी बोली- CM के कहने पर गोवा विधानसभा चुनाव में पैसा खर्च हुआ CBI का आरोप है कि केजरीवाल ने ही साउथ ग्रुप से वसूले 100 करोड़ रुपए गोवा विधानसभा चुनाव में खर्च करने का निर्देश दिया था। इसलिए वे चुनाव के दौरान गलत तरीके से कमाए पैसों का इस्तेमाल करने के भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि इसका फायदा आम आदमी पार्टी को ही मिला है। एजेंसी के मुताबिक, साउथ ग्रुप ने अपने हिसाब से शराब नीति बनवाने के लिए AAP को करीब 90 से 100 करोड़ रुपए दिए थे। इसमें से 44.5 करोड़ कैश चुनाव-संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए गोवा भेजे गए थे। दो पूर्व विधायकों ने चुनाव में पार्टी से पैसे मिलने का दावा किया CBI के अनुसार, AAP के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले गोवा के दो पूर्व विधायकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें एक पार्टी वालंटियर ने चुनाव खर्चों के लिए कैश दिए थे। एजेंसी ने अवैध रुपए लेने और उसके इस्तेमाल के लिए AAP के गोवा प्रभारी दुर्गेश पाठक को भी जिम्मेदार ठहराया है। एजेंसी का दावा है कि शराब नीति के तीन स्टेकहोल्डर्स- शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं का एक गुट तैयार हुआ था। सभी ने अपने-अपने फायदे के लिए नियमों का उल्लंघन किया। पब्लिक सर्वेंट्स और साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को आर्थिक लाभ मिला, लेकिन सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
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7 September 2024कोलकाता में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के बाद से ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच मीडिया एजेंसी PTI ने खुद की खबरों के हवाले से देशभर में रेप केसेस की एक रिपोर्ट जारी की। यह आंकड़ा 1 जुलाई से 31 अगस्त के बीच का है। 18 साल से छोटी बच्चियों के साथ सबसे अधिक रेप केस इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 2 महीने में देश में 149 रेप केस दर्ज हुए हैं। इनमें सबसे अधिक 93 केस 13 से 18 साल की बच्चियों के साथ हुए हैं। यौन हिंसा की शिकार हुई सबसे छोटी बच्ची की उम्र सिर्फ 18 महीने है। वहीं रेप केस के ज्यादातर मामलों में आरोपी कोई पहचान वाला या फिर रिश्तेदार था। रिपोर्ट के अनुसार देशभर में सबसे अधिक रेप के मामले महाराष्ट्र के ठाणे, यूपी के बलिया और राजधानी दिल्ली से आए। पश्चिम बंगाल विधानसभा में 3 सितंबर को एंटी रेप बिल पास हो गया। नए कानून के तहत रेप केस की 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। इसके अलावा पीड़ित के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा होगी। भाजपा ने भी बिल का समर्थन किया है। इसे अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) नाम दिया गया है। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके बाद यह राष्ट्रपति के पास जाएगा। दोनों जगह पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा।
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6 September 2024कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष के 6 ठिकानों पर शुक्रवार को ED ने छापा मारा। अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर यह कार्रवाई की। इससे पहले CBI इसी मामले में भ्रष्टाचार के आरोप पर घोष को गिरफ्तार कर चुकी है। ED ने सुबह घोष के बेलियाघाटा स्थित घर और उनके करीबियों के हावड़ा और सुभाषग्राम स्थित दो ठिकानों पर छापेमारी की। 7 घंटे की कार्रवाई के बाद ED ने संदीप घोष के करीबी प्रसून चटर्जी को सुभाषग्राम के डे पारा इलाके में उनके आवास से हिरासत में लिया। चटर्जी को आरजी कर के सेमिनार हॉल से वायरल हुए वीडियो में भी देखा गया था। घोष को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका मिला। घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी का मामला CBI को सौंपने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को CBI को आरजी कर रेप-हत्या केस और अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी की जांच सौंपी थी। CBI ने घोष को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था। पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग घोष को सस्पेंड कर चुका है। 28 अगस्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी संदीप घोष की सदस्यता रद्द कर दी थी। CBI की जांच में खुलासा- संदीप घोष ने घटना के अगले दिन रेनोवेशन का ऑर्डर दिया इस बीच 5 सितंबर को CBI की जांच में सामने आया है कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के अगले दिन ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल में ही मिला था। सूत्रों के मुताबिक CBI को ऐसे डॉक्यूमेंट मिले हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है कि संदीप घोष ने 10 अगस्त को लेटर लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को सेमिनार हॉल से लगे कमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इस परमिशन लेटर पर घोष के साइन भी हैं। रेप-मर्डर केस और वित्तीय गड़बड़ी के बीच कड़ी बन सकता है यह लेटर जांच अधिकारियों का कहना है कि रेनोवेशन लेटर से यह साफ हो रहा है कि घोष को यह काम कराने की जल्दी थी, लिहाजा यह डॉक्यूमेंट रेप-मर्डर केस और आरजी कर कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के केस के बीच कड़ी जोड़ने में मदद कर सकता है। स्टूडेंट्स के विरोध के बाद रोक दिया गया था रेनोवेशन का काम 13 अगस्त की शाम को जब कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने CBI को यह केस हैंडओवर किया था, उसके कुछ ही घंटों बाद PWD स्टाफ ने सेमिनार हॉल से लगे कमरे का रेनोवेशन शुरू कर दिया था। हालांकि, कॉलेज स्टूडेंट्स ने इस केस को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिसके चलते रेनोवेशन के काम को वहीं रोक दिया गया। विरोध प्रदर्शन कर रहे पश्चिम बंगाल की मेडिकल फ्रेटरनिटी के सदस्यों का कहना है कि आरजी कर कॉलेज अकेला कॉलेज नहीं था, जहां रेप और मर्डर किए जा रहे हैं। ट्रेनी डॉक्टर को इसलिए मारा गया क्योंकि उसे कॉलेज की वित्तीय गड़बड़ियों के बारे में पता चल गया था।
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6 September 2024सुप्रीम कोर्ट ने IFS अफसर राहुल को उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व का डायरेक्टर बनाने पर नाराजगी जताई है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्र, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुधवार को कहा- जिस अफसर को पेड़ों की अवैध कटाई के केस में जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से हटाया गया, उसे रिजर्व का डायरेक्टर क्यों बना दिया? कोर्ट ने कहा, हम सामंती युग में नहीं हैं कि जैसा राजा जी बोलें वैसा ही होगा। वन संबंधी मामलों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी समिति ने बताया- उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने राहुल को डायरेक्टर बनाया है, जबकि विभागीय मंत्री व मुख्य सचिव इस पक्ष में नहीं थे। हालांकि, राज्य सरकार ने बताया कि नियुक्ति आदेश 3 सितंबर को वापस ले लिया गया है। जिम कार्बेट में गड़बड़ी का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और CBI जांच जारी है। उत्तराखंड सरकार के वकील ने अगली सुनवाई पर स्पष्टीकरण देने की बात कही। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। जस्टिस गवई ने पूछा- वे मुख्यमंत्री हैं तो क्या कुछ भी कर सकते हैं? मंत्री, मुख्य सचिव से मतभेद हों तो लिखित कारण के साथ विवेक का इस्तेमाल करना था। उत्तराखंड सरकार के वकील एएनएस नाडकर्णी: CM के पास किसी की भी नियुक्ति करने का विशेषाधिकार होता है। जस्टिस गवई: आपने सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंक दिया। भ्रष्टाचार के आरोपी के निलंबन की जगह ट्रांसफर सही नहीं। वे मुख्यमंत्री हैं तो क्या कुछ भी कर सकते हैं? नाडकर्णी: राहुल अच्छे अफसर हैं। CBI को जांच में कुछ नहीं मिला है। IFS अफसर को केवल इसलिए पीछे नहीं कर सकते कि उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। परमेश्वर (न्यायमित्र): सरकार अफसर को संत बनाने पर तुली है। सिविल सेवा बोर्ड से सिफारिश न होने के बावजूद राहुल को निदेशक बनाया। नाडकर्णी: जब तक ठोस सामग्री नहीं मिलती, विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकती। जस्टिस गवई: जब तक उन्हें विभागीय जांच से मुक्त नहीं किया जाता, तब तक हम उन्हें केवल अच्छा अधिकारी कह ही सकते हैं। नाडकर्णी: मीडिया गलत रिपोर्टिंग कर उनकी छवि खराब कर रहा है। जस्टिस गवई: कोई गलत रिपोर्टिंग नहीं हुई है। सरकार की नोटिंग्स से साफ है कि मंत्री और मुख्य सचिव ने ट्रांसफर की अनुशंसा नहीं की। इसमें गलत क्या है? टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिए काटे गए थे पेड़ यह मामला 2017 से 2022 के बीच का है। जब जिम कार्बेट में टाइगर सफारी और दूसरी टूरिज्म सर्विस स्पॉट बनाने के लिए पेड़ों को काटा गया था। राष्ट्रीय उद्यान में चारदीवारी और इमारतों को भी बनाया गया। उस समय हरक सिंह रावत राज्य के वन मंत्री थे। देहरादून की रहने वाली अनु पंत ने भी उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। तब याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कार्बेट में 6,000 पेड़ों की कटाई की गई थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा। CBI भी मामले की जांच कर रहा है।
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5 September 2024दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (5 सितंबर) को विकिपीडिया से कहा कि हम भारत में आपका बिजनेस बंद कर देंगे। सरकार से विकिपीडिया बंद करने के लिए कहेंगे। अगर आपको भारत पसंद नहीं है तो यहां काम मत करिए। दरअसल, मामला विकिपीडिया के खिलाफ मानहानि केस से जुड़ा है। न्यूज एजेंसी ANI ने जुलाई 2024 में विकिपीडिया पर मुकदमा किया था। ANI का आरोप है कि विकिपीडिया पर उसे केंद्र सरकार का प्रोपेगेंडा टूल बताया गया है। ANI ने विकिपीडिया से इसे हटाने की मांग की और 2 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है। ANI बोला- विकिपीडिया ने बदनाम करने के लिए झूठा कंटेट पब्लिश किया न्यूज एजेंसी ने दावा किया कि विकिपीडिया फाउंडेशन ने न्यूज एजेंसी की इमेज खराब करने और उन्हें बदनाम करने के लिए झूठा और अपमानजनक कंटेट पब्लिश किया। ANI का आरोप है कि प्लेटफॉर्म अपने पेज पर यूजर्स को एडिट करने की इजाजत देता है। हाईकोर्ट ने 9 जुलाई को विकिपीडिया को एक समन जारी किया था। 20 अगस्त को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने विकिपीडिया से ANI पेज पर एडिट करने वाले 3 सब्सक्राइबर्स की जानकारी मांगी थी। कोर्ट ने विकिपीडिया को नोटिस जारी किया हालांकि, विकिपीडिया ने कोर्ट को सब्सक्राइबर्स की जानकारी नहीं दी। ANI ने कोर्ट का आदेश नहीं मानने का आरोप लगाते हुए 5 सितंबर को विकिपीडिया के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर विकिपीडिया को नोटिस जारी किया है। विकिपीडिया का पक्ष रखने वाले वकील ने कहा कि भारत में उनकी यूनिट नहीं है। इसलिए उन्हें जवाब देने में और समय लगेगा। जस्टिस नवीन चावला ने इस दलील पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने 25 अक्टूबर को विकिपीडिया के प्रतिनिधि को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। विकिपीडिया पर लिखा- ANI पर गलत रिपोर्टिंग करने का आरोप विकिपीडिया के पेज पर न्यूज एजेंसी ANI के बारे में लिखा है- ANI पर मौजूदा केंद्र सरकार के लिए प्रोपेगेंडा टूल के रूप में काम करने, फेक न्यूज वेबसाइटों के विशाल नेटवर्क से कंटेट बांटना और कई मौकों पर घटनाओं की गलत रिपोर्टिंग करने का आरोप है। विकिपीडिया ने जुलाई में कहा- हम कंटेट एडिट नहीं करते विकिपीडिया ने जुलाई में एक बयान में कहा था कि विकिपीडिया अपने प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित कंटेट में कुछ भी एडिट नहीं करता है। विकिपीडिया का कंटेट उसके वॉलंटियर एडिटर्स की ग्लोबल कम्युनिटी (विकिपीडिया कम्युनिटी) तय करती है, जो जरूरी विषयों पर जानकारी इकट्ठा और साझा करते हैं।
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5 September 2024डेरा सच्चा सौदा प्रमुख एवं यौन शोषण का दोषी राम रहीम 21 दिन की फरलो काटने के बाद बुधवार को रोहतक स्थित सुनारिया जेल में आएगा। फरलो के दौरान वह बागपत के बरनावा आश्रम में रहा। वहीं विधानसभा चुनाव से पहले यह फरलो दी गई थी। इधर, जेल जाने के बाद राम रहीम 10वीं बार जेल से बाहर आया था। साध्वियों के यौन शोषण और कत्ल केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो मंजूर हुई थी। इससे 2 दिन पहले ही पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को कहा था कि वह राम रहीम को सोच-समझकर ही फरलो या पैरोल दे। इसके बाद सरकार ने राम रहीम को इस शर्त पर फरलो दी कि वह सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में नहीं जाएगा। वह पूरे 21 दिन बागपत स्थित बरनावा आश्रम में रहेगा। इसलिए वो 21 दिन की फरलो के दौरान बागपत के बरनावा आश्रम में रहा। पहले भी चुनाव से पहले बाहर आ चुका विधानसभा चुनाव से पहले राम रहीम को फरलो दी थी। राम रहीम का चुनाव से पहले जेल से बाहर आना नई बात नहीं है। इससे पहले भी उसे अलग-अलग चुनाव से पहले पैरोल-फरलो मिल चुकी है। वह हरियाणा के पंचायत चुनावों के अलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में बाहर आ चुका है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी राम रहीम जेल से बाहर आना चाहता था। उसने कहा था कि वह 14 दिन की पैरोल का हकदार है। हालांकि हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने राम रहीम को पैरोल नहीं दे सकी।
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4 September 2024भारतीय वायुसेना का सबसे बड़े अभ्यास तरंग-शक्ति की एयर एक्सरसाइज जोधपुर में की जा रही है। भारत सहित 8 देशों की वायुसेना के जवान एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड एक्सरसाइज कर रहे हैं। इस एयर एक्सरसाइज में यूएसए के A10 ने भारत के सुखोई 30 एमकेआई के साथ उड़ान भरी। वहीं ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स के EA18 के साथ तेजस ने एयर एक्सरसाइज की। हवा के साथ ही ग्राउंड लेवल पर भी एक्सरसाइज जारी है। ये एक्सरसाइज 30 अगस्त से 14 सितंबर तक चलेगी। 7 सितंबर को ओपन डे रखा गया है। एक्सरसाइज के तहत पहली बार सूर्यकिरण के 9 हॉक्स ने जोधपुर के आसमान में तिरंगा बनाया। वहीं एयर एक्सरसाइज में अमेरिकी एयरफोर्स के चीफ भारत का तेजस विमान उड़ाएंगे। सुखोई के साथ अमेरिकी वॉटहॉग ने भरी उड़ान यह एक्सरसाइज 30 अगस्त से शुरू हो चुकी थी। मंगलवार को जोधपुर एयरबेस से भारतीय लड़ाकू विमानों के साथ अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स के सहायक लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरने के साथ टारगेट फिक्स किए। भारतीय वायुसेना के सुखोई 30 एमकेआई के साथ अमेरिका के ए10 वॉटहॉग ने उड़ान भरी। अमेरिका का ए 10 क्लोज एयर सपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जो जमीन पर मौजूद सेना को सहायता देने के लिए विशेष तौर पर अमेरिकी एयरफोर्स के लिए तैयार किया गया है। तेजस के साथ ऑस्ट्रेलिया के ग्रावलर्स की एयर एक्सरसाइज एयर एक्सरसाइज में भारत के स्वदेशी तेजस के साथ ऑस्ट्रेलियाई ईए 18 ग्रावलर्स ने उड़ान भरी। यह इलेक्ट्रॉनिक अटैक एयरक्राफ्ट है, जो रडार, कम्युनिकेशन सहित अन्य मिलिट्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को खराब कर देता है। इस आयोजन में सुखोई 30 एमकेआई का भी सोलो डिस्प्ले होगा। करीब 17 देश ऑब्जर्वर के रूप में हिस्सा ले रहे हैं। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश भी अपनी वायुसेना के ऑफिसर को ऑब्जर्वर के रूप में भेजेगा। श्रीलंका एयरफोर्स के जवान सी 130 हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के साथ पहुंचेंगे। ये देश हो रहे हैं शामिल भारत अमेरिका ग्रीस यूएई ऑस्ट्रेलिया जापान सिंगापुर श्रीलंका कई देशों के वायुसेना के अधिकारी लेंगे हिस्सा तरंग-शक्ति 2024 का ये दूसरा फेज है। इससे पहले 6 से 14 अगस्त तक तमिलनाडु के सुलार में इसका पहला फेज पूरा हुआ था। इसमें 30 देशों के वायुसेना के जवान शामिल हुए थे। जोधपुर में हो रही इस एक्सरसाइज के दूसरे चरण में तेजस, सुखोई के साथ लूफ्तवाफे जर्मन एयरफोर्स, स्पेनिश एयरफोर्स के यूरोफाइटर टाइफून उड़ान भरेंगे। तरंग शक्ति की मेजबानी करके भारत सैन्य मजबूती और ताकत के साथ सुरक्षा ग्लोबल डिफेंस इको सिस्टम में भागीदारी निभाने का संदेश देगा। इंटर ऑपरेटीबिलिटी के साथ इंटेरिगेशन को बढ़ावा मिलेगा। इस एक्सरसाइज से दुश्मन देश को कड़ी चेतावनी मिलेगी। अमेरिकी एयरफोर्स चीफ उड़ाएंगे तेजस 12 सितंबर को 12 देशों के एयर चीफ जोधपुर आएंगे। पहली बार जोधपुर के आसमान में दुनिया की सबसे शक्तिशाली अमेरिकी एयरफोर्स चीफ जनरल डेविड डब्ल्यू एल्विन तेजस उड़ाएंगे। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल स्टीफन चैपल, जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के चीफ जनरल हिरोआकी उच्कुरा, यूएई डिफेंस फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इस्सा अल मजरूई और भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चौधरी एक-दूसरे देश के लड़ाकू विमान उड़ाएंगे। भारतीय हथियारों का होगा दुनिया के सामने प्रदर्शन भारत में बने हथियारों और लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन दुनिया के सामने होगा। तमिलनाडु के सुलार एयरबेस में प्रचंड और तेजस ने जलवा बिखेरा था। अब पश्चिमी राजस्थान में विश्व की शक्तिशाली एयरफोर्स के सामने स्वदेशी फाइटर तेजस और अटैक हेलिकॉप्टर प्रचंड की ताकत दिखाई जाएगी। एक्सरसाइज के दौरान विदिन विजयुल रेंज (वीवीआर) कॉम्बेट मिशन, बीवीआर (बियोंड विजयुल रेंज) मिशन, लार्ज फोर्स इंगेजमेंट, एयर मोबिलिटी ऑपरेशन्स, डायनेमिक टारगेटिंग, एयर टू एयर रिफ्यूलिंग मिशन, कॉम्बेट सर्च एंड रेस्क्यू जैसे कई मिशन का अभ्यास किया जाएगा।
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4 September 2024सलमान खान के घर पर फायरिंग करने के आरोप में जेल में बंद विक्की गुप्ता और सागर पाल को अपनी हत्या का डर सता रहा है। न्यूज एजेंसी ANI को आरोपियों के वकील ने बताया कि दोनों ने जेल अधिकारियों से इसकी शिकायत की है। उनके परिवार वालों ने महाराष्ट्र और बिहार सरकार से शिकायत करके सुरक्षा की मांग की है। उनका दावा है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गों द्वारा विक्की और सागर की हत्या की साजिश रची जा रही है। हालांकि, वकील ने यह नहीं बताया कि दोनों शूटर्स को जेल में धमकी किस माध्यम से दी गई है। इसी साल 14 अप्रैल को मुंबई के बांद्रा इलाके में सलमान खान के घर पर फायरिंग हुई थी। दोनों शूटर्स के भाइयों ने लिखा पत्र अब शूटर विक्की गुप्ता के भाई सोनू गुप्ता और शूटर सागर पाल के भाई राहुल पाल ने सरकार को एक पत्र लिखा है। दोनों ही बिहार के पश्चिमी चंपारण के मझरिया का रहने वाले हैं। दोनों आरोपी इस वक्त मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद हैं। कहा जा रहा है कि पत्र लिखने से पहले दोनों आरोपियों के भाइयों ने जेल में उनसे मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान आरोपियों ने उन्हें बताया था कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गे उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं। सह-आरोपी अनुज थापन जैसा हश्र होगा इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि दोनों आरोपियों का भी वही हश्र होगा जो उनके सह-आरोपी अनुज थापन का हुआ था। अनुज की मई में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने जेल में फांसी लगा ली थी। आरोपियों को डी कंपनी की ओर से मिली धमकी जेल में बंद आरोपी विक्की गुप्ता के वकील ने भी इस मामले पर ANI से बात की। उन्होंने कहा, ‘विक्की गुप्ता और सागर पाल ने अपनी जान की सुरक्षा के लिए अधिकारियों को एक आवेदन दिया है। उनका कहना है कि उन्हें डी कंपनी की ओर से धमकाया जा रहा है। आरोपियों ने अपने परिवार को इस बारे में सूचित कर दिया है।’ सलमान पर लगाए आरोप वकील ने आगे बताया, ‘आरोपियों (विक्की गुप्ता और सागर पाल) का आरोप है कि सलमान खान के किसी गैंगस्टर से संबंध हैं, शायद वह आरोपी को मरवाना चाहता है। हमने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र और बिहार सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए लिखा है।’ गुजरात से गिरफ्तार हुए थे आरोपी 14 अप्रैल को दो बाइक सवार लोगों ने सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग की थी। इस घटना के बाद मुंबई पुलिस ने फायरिंग करने वाले शूटर्स विक्की गुप्ता और सागर पाल को गुजरात से गिरफ्तार किया था। अनुज थापन (32) को इस मामले में एक अन्य व्यक्ति के साथ 26 अप्रैल को पंजाब से गिरफ्तार किया गया था। गैंगस्टर अनमोल ने ली थी हमले की जिम्मेदारी मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि गैंगस्टर लॉरेंस और उसके भाई अनमोल को इस मामले में वांछित आरोपी घोषित किया गया है। अनमोल ने हमले के बाद फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर सलमान के घर के बाहर हुई फायरिंग की जिम्मेदारी ली थी। इससे पहले सलमान को कब-कब मिली धमकी जून 2022 में मॉर्निंग वॉक पर निकले सलमान के पिता सलीम खान जब घर लौटे तब उन्हें एक अज्ञात पत्र मिला था, जिसमें उन्हें और सलमान को जान से मारने की धमकी दी गई थी। पत्र में लिखा था- 'तेरा मूसेवाला जैसा हाल बना देंगे सलमान खान।' इसके बाद सलीम खान ने अपने सुरक्षाकर्मी की मदद से पुलिस से संपर्क किया और बांद्रा थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया। पिछले साल मुंबई पुलिस ने फोन कर सलमान को जान से मारने की धमकी देने वाले को हिरासत में लिया था। धमकी देने वाला 16 साल का एक नाबालिग था। उसने मुंबई पुलिस को एक कॉल के जरिए धमकी देते हुए अपना नाम रॉकी भाई बताया था। कहा कि वो राजस्थान के जोधपुर का रहने वाला है और 30 अप्रैल को सलमान को मार देगा। पिछले साल ही जोधपुर के रहने वाले धाकड़राम ने सलमान के ऑफिशियल मेल पर 3 ई-मेल किए थे। इसमें लिखा था कि सलमान खान अगला नंबर तेरा है, तू जोधपुर आते ही सिद्धू मूसेवाला की तरह मारा जाएगा। जनवरी 2024 में सलमान खान के फार्म हाउस में 2 अनजान लोगों ने फेंसिंग के तार तोड़कर अंदर जाने की कोशिश की थी। पुलिस ने जब पकड़ा तो दोनों ने खुद को सलमान का फैन बताया। उनके पास से फर्जी आधार कार्ड बरामद हुए थे। इस वजह से दोनों पर FIR भी दर्ज की गई है। सलमान खान लॉरेंस गैंग के निशाने पर हैं।
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4 September 2024नेटफ्लिक्स अपनी सीरीज IC 814- द कंधार हाईजैक के कंटेंट की समीक्षा करेगा। नेटफ्लिक्स की इंडिया कंटेंट हेड मोनिका शेरगिल ने मंगलवार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सामने यह बात कही। द कंधार हाईजैक में आतंकियों के हिंदू नामों पर विवाद हुआ था और इसे बैन करने की मांग उठी। इसके बाद मंत्रालय ने मोनिका को जवाब देने के लिए बुलाया था। मोनिका ने मंत्रालय को भरोसा दिलाया कि हम सीरीज के कंटेंट का रिव्यू करेंगे। उन्होंने गारंटी दी कि नेटफ्लिक्स पर भविष्य में भी कंटेंट लाते वक्त देश की भावनाओं का ध्यान रखा जाएगा। मंत्रालय ने कहा था, "किसी को भी देश के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का हक नहीं है। भारत की संस्कृति और सभ्यता का सम्मान हमेशा सर्वोपरि है। किसी भी चीज को गलत तरीके से दिखाने से पहले आपको सोचना चाहिए। सरकार इसके प्रति बेहद सख्त है।' 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर IC 814 सीरीज रिलीज हुई है, जो कि कंधार विमान हाईजैक पर बेस्ड है। इसमें आतंकियों के नाम भोला और शंकर रखे गए हैं। इसी पर विवाद है। सीरीज पर विवाद, 3 पॉइंट 1. हाईकोर्ट में बैन की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को एक जनहित याचिका के जरिए OTT सीरीज 'IC 814: द कंधार हाईजैक' को बैन करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने फिल्म मेकर पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया गया। यह याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने दायर की है। 2. आतंकियों के हिंदू नाम सुरजीत सिंह ने कहा कि कि सीरीज में आतंकवादियों के हिंदू नाम दिखाए गए हैं, जिनमें भगवान शिव के अन्य नाम 'भोला' और 'शंकर' शामिल हैं, जबकि उनके असली नाम कुछ और थे। याचिका में कहा गया है कि इससे हिंदू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। हाईजैक करने वाले आंतकियों के नाम इब्राहिम अख्तर, शाहिद अख्तर, सन्नी अहमद, जहूर मिस्त्री और शाकिर थे, लेकिन वेबसीरीज में इनके नाम बदल भोला, शंकर, चीफ, डॉक्टर और बर्गर किए गए हैं। 3. BJP बोली- गलत काम छिपाने का वामपंथी एजेंडा सीरीज रिलीज होने के बाद पिछले दिनों भाजपा IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इसके कंटेंट पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने गलत काम को छिपाने के लिए वामपंथियों के एजेंडे का सहारा लिया। IC 814 के हाईजैकर्स खूंखार आतंकी थे। उन्होंने अपनी मुस्लिम पहचान छिपाने के लिए काल्पनिक नाम अपनाए थे। सीरीज की कहानी क्या है? इस सीरीज की कहानी 24 दिसंबर 1999 की सत्य घटना पर आधारित है। जब पांच आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान IC 814 को काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरते वक्त हाईजैक कर लिया था। जिसमें 176 यात्री सफर कर रहे थे। आतंकवादी प्लेन को अमृतसर, लाहौर, दुबई होते हुए कंधार में ले जाते हैं। यात्रियों को सात दिन तक बंधक बना कर रखा गया था। इस दौरान प्लेन के अंदर यात्रियों का क्या हाल होता है। उनके परिवार वालों पर क्या बीतती है। सरकार के सामने इन यात्रियों को छुड़ाने के लिए क्या शर्त रखी जाती है। यह सब इस सीरीज में दिखाया गया है। किताब फ्लाइट इन टु फियर से ली गई सीरीज की कहानी इस सीरीज की कहानी सीनियर जर्नलिस्ट श्रींजॉय चौधरी और देवी शरण की किताब 'फ्लाइट इन टु फियर- द कैप्टंस स्टोरी' से ली गई है। सीरीज के डायरेक्टर अनुभव सिन्हा हैं। 6 एपिसोड की इस सीरीज में नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, विजय वर्मा, दीया मिर्जा, पत्रलेखा,अरविंद स्वामी और कुमुद मिश्रा ने मुख्य भूमिका निभाई है। डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने वेब सीरीज 'IC 814 द कंधार हाईजैक’ के जरिए OTT पर डेब्यू किया है। यह सीरीज नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुकी है। 6 एपिसोड की इस सीरीज में नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, विजय वर्मा, दीया मिर्जा, पत्रलेखा,अरविंद स्वामी और कुमुद मिश्रा की मुख्य भूमिका है। दैनिक भास्कर ने इस सीरीज को 5 में से 3.5 स्टार रेटिंग दी है।
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3 September 2024मणिपुर में इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में सोमवार (3 सितंबर) की शाम उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। जिसमें में एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि यह 2 दिन में दूसरा ड्रोन अटैक है। सोमवार शाम करीब 6.20 बजे सेजम चिरांग के रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए। जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। सेजम चिरांग गांव, कोत्रुक से करीब 3 किमी दूर है, जहां रविवार 1 सितंबर को ड्रोन हमले और गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी और 9 लोग घायल भी हुए थे। ये आशंका जताई जा रही है कि कुकी उग्रवादियों को ड्रोन वॉरफेयर के लिए म्यांमार से टेक्निकल सपोर्ट और ट्रेनिंग मिल रही है, या वे सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं। ड्रोन से आबादी और सुरक्षा बलों पर बम गिराना आतंकवाद है। मैं इस कायरता की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। राज्य सरकार कार्रवाई करेगी। मणिपुर के लोग नफरत और अलगाववाद के खिलाफ एकजुट होंगे।- एन बीरेन सिंह, मुख्यमंत्री (मणिपुर) 2 बम घरों पर गिरे, तीसरा नदी किनारे फटा ड्रोन से पहला बम सेजम चिरांग गांव के मानिंग लीकाई में 65 साल के वाथम गंभीर के घर की छत पर बम गिरा, दूसरा बम उसके घर के बगल वाली गली में गिरा, जबकि तीसरा बम नदी के किनारे फटा। वाथम गंभीर की बेटी सनातोम्बी (23) के पेट में छर्रे लगे। उसे तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। सनातोम्बी को शिजा अस्पताल रेफर कर दिया गया। गंभीर के छोटे भाई जोतिन (56) को भी विस्फोट में कंधे पर मामूली चोट लगी। पुलिस को तलाशी में गोला-बारूद मिला मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि तलाशी अभियान के दौरान कांगपोकपी जिले के खारम वैफेई गांव के पास से एक ड्रोन बरामद किया है। कांगपोकपी जिले के कांगचुप पोनलेन में सुरक्षा बलों के तलाशी अभियान के दौरान हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए। इनमें दस 12 इंच की सिंगल-बोर बैरल राइफलें, एक इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार, नौ इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार बैरल, 20 जिलेटिन रॉड, 30 डेटोनेटर, दो देशी रॉकेट जब्त किए गए। रविवार 1 सितंबर को हुए हमले के बाद की तस्वीरें... खाली पड़े 5 घरों में भी आग लगाई रविवार को इंफाल से 18 किमी दूर बना कोत्रुक गांव में मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं। रविवार दोपहर 2 बजे गोलीबारी हुई। जिसके बाद लोग वहां से जान बचाकर भागे। उग्रवादियों ने खाली पड़े घरों में लूटपाट की। साथ ही 5 घरों और वहां खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी। हालांकि सुरक्षा बलों ने रविवार रात को हमलावरों को खदेड़ दिया। ड्रोन हमले के बाद गांव के सभी 17 परिवार भागे इंफाल वेस्ट जिले के कौत्रुक गांव समेत 3 गांव में रविवार रात कुकी हथियारबंद उग्रवादियों ने ड्रोन से बम गिराकर हमला किया था। इसके बाद कौत्रुक गांव के सभी 17 परिवार गांव छोड़कर भाग गए हैं। सभी अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर सुरक्षित जगहों जैसे इंफाल, खुरखुल और सेक्माई चले गए हैं। लोगों में डर है। उन्हें अंदेशा है कि एक बार फिर बड़े स्तर पर हिंसा भड़क सकती है। कौत्रुक निवासी प्रियोकुमार ने बताया कि गांव में अब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं, जिससे सभी ने डर कर गांव छोड़ दिया है। इस बीच, कौत्रुक और आसपास के क्षेत्रों के छात्रों को डर है कि हिंसा भड़कने के कारण कॉलेज फिर से बंद हो सकता है। विधायक व CM के दामाद की केंद्रीय बलों को हटाने की मांग भाजपा विधायक व सीएम बीरेन सिंह के दामाद राजकुमार इमो सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिख केंद्रीय बलों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है। उनकी मांग है कि सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अब राज्य को दी जानी चाहिए। राज्य में 60 हजार केंद्रीय बलों की मौजूदगी से शांति बहाल नहीं हो पा रही है, इसलिए बेहतर है कि सुरक्षा बलों को हटा दिया जाए। कुकी वॉलंटियर्स की धमकी- 3 दिन में गांव खाली करें CM बीरेन सिंह के बयान से नाराज कुकी-जो विलेज वॉलंटियर्स ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने धमकी दी है कि मैतेई लोगों ने 3 दिन में गांव खाली नहीं किए तो कुकी वॉलंटियर्स उन्हें खदेड़ देंगे। वीडियो में एक कुकी वॉलंटियर यह कहता दिख रहा है- मैतेई उग्रवादी चूराचांदपुर-कांग्पोकपी को लगातार निशाना बना रहे हैं, और CM ने कहा है कि राज्य में शांति है। वे हमें मूर्ख समझते हैं। कुकी-जो संगठनों की मणिपुर में कुकीलैंड की मांग कुकी-जो समुदाय के लोगों ने 31 अगस्त को मणिपुर के चुराचांदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल में रैलियां निकालीं। इन संगठनों की मांग है कि मणिपुर में अलग कुकीलैंड बनाया जाए, जो केंद्र शासित प्रदेश हो। इन संगठनों का कहना है कि पुडुचेरी की तर्ज पर विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाना ही राज्य को जातीय संघर्ष से बाहर निकालने का इकलौता रास्ता है। CM बीरेन के इंटरव्यू और वायरल ऑडियो का विरोध मणिपुर में 31 अगस्त को निकाली गई रैलियों में CM बीरेन सिंह के न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू का विरोध किया गया। मुख्यमंत्री ने कुकी समूहों की अलग प्रशासन (कुकीलैंड) की मांग को खारिज कर दिया था। CM बीरेन ने कहा था कि वे राज्य की पहचान को कमजोर नहीं होने देंगे। बीरेन मैतेई समुदाय से आते हैं, हालांकि उन्होंने जिस इलाके में कुकी रहते हैं, उस क्षेत्र के लिए एक विशेष विकास पैकेज देने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा CM बीरेन के एक अन्य वायरल ऑडियो पर भी बवाल मचा है। इस ऑडियो को CM बीरेन सिंह का बताया गया है। ऑडियो में मणिपुर में मई 2023 से जारी हिंसा पर आपत्तिजनक टिप्पणियां सुनाई दे रही हैं। हालांकि, मणिपुर सरकार का कहना है कि ऑडियो क्लिप में मुख्यमंत्री की आवाज से छेड़छाड़ की गई है। यह हिंसा से प्रभावित राज्य में शांति की पहल को पटरी से उतारने के लिए किया जा रहा है। BJP नेता के घर में आग लगाई गई मणिपुर के पेनियल गांव में 31 अगस्त को BJP प्रवक्ता टी माइकल एल हाओकिप के पिता के घर पर आग लगा दी गई। हाओकिप ने X पर वीडियो शेयर करते हुए आरोप लगाया था कि यह काम कुकी लोगों का है। हाओकिप ने कहा था कि उनके घर पर एक साल में तीसरी बार हमला हुआ। पिछले हफ्ते भी 30 से ज्यादा हथियारबंद लोगों ने कई राउंड फायरिंग की थी। मई 2023 से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा लोग मारे गए मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा की अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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3 September 2024गुजरात के पोरबंदर तट के पास इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) का एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ध्रुव) अरब सागर में गिर गया। हेलिकॉप्टर पर सवार 4 में से 3 क्रू मेंबर्स लापता हैं। एक को बचाया गया है। हेलिकॉप्टर का मलबा मिल गया है। घटना सोमवार (2 सितंबर) की है। ICG ने मंगलवार (3 सितंबर) को सुबह 10:12 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर हादसे की जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि हेलिकॉप्टर पोरबंदर तट से 45 किलोमीटर दूर कार्गो शिप पर रेस्क्यू मिशन के लिए गया था। हेलिकॉप्टर पर 2 पायलट और 2 गोताखोर सवार थे। इनमें 1 गोताखोर को बचाया गया है। कोस्ट गार्ड ने सर्च के लिए 4 जहाज और 2 विमान भेजे कोस्ट गार्ड ने बताया कि दोनों पायलट और एक गोताखोर की तलाश के लिए 4 जहाज और 2 विमान भेजे हैं। ALH ने हाल ही में गुजरात में बाढ़ प्रभावित इलाकों से 67 लोगों का रेस्क्यू किया था। कार्गो शिप पर घायल क्रू मेंबर को लाने गया था हेलिकॉप्टर कोस्ट गार्ड के मुताबिक, कार्गो शिप हरि लीला पर एक क्रू मेंबर घायल था। उसे निकालने के लिए सोमवार रात 11 बजे हेलिकॉप्टर गया था। हेलिकॉप्टर हरि लीला के पास पहुंचा ही था, तभी उसे इमरजेंसी हार्ड लैंडिंग करनी पड़ी। इस दौरान वह समुद्र में गिर गया। 2023 में ध्रुव हेलिकॉप्टर कई बार हादसे का शिकार हुआ एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) को ध्रुव भी कहा जाता है। कोस्ट गार्ड, सेना और नेवी, तीनों इसका इस्तेमाल करती हैं। इसे बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने हाल ही में सेना के AHL बेड़े में सुरक्षा से जुड़े अहम अपग्रेडेशन किए हैं। पिछले साल डिजाइन से जुड़ी दिक्कतों के कारण ध्रुव हेलिकॉप्टर कई बार दुर्घटनाओं का शिकार हुआ था, जिससे इसके सेफ्टी पर सवाल खड़े हो गए थे। मई, 2023 में आर्मी ने ध्रुव हेलिकॉप्टर का ऑपरेशंस एक महीने के लिए रोक दिया था। मार्च में नेवी और कोस्ट गार्ड ने ध्रुव हेलिकॉप्टर की अपनी फ्लीट के ऑपरेशंस पर रोक लगाई थी। 2023 में ध्रुव हेलिकॉप्टर से जुड़े तीन बड़े हादसे... 8 मार्च: अरब सागर में नेवी के ध्रुव हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग मुंबई से भारतीय नौसेना के ALH ध्रुव की अरब सागर में इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। घटना 8 मार्च, 2023 को सुबह हुई, जब नेवी इस हेलिकॉप्टर से पेट्रोलिंग के लिए निकली थी। पावर और हाइट की कमी के कारण पायलट ने हेलिकॉप्टर को पानी पर ही उतारा। टेक्निकली इसे डिचिंग कहते हैं, यानी पानी पर इमरजेंसी लैंडिंग करना। इस घटना की जानकारी इंडियन नेवी ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए दी। जिसमें लिखा था- मुंबई से नियमित उड़ान पर निकले ALH को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। सेना ने तुरंत ही दूसरे एयरक्राफ्ट को भेजकर क्रू के तीन लोगों को बचाया। इसके बाद नौसेना ने घटना की जांच के आदेश दिए थे और जांच पूरी होने तक फ्लीट को ग्रांउड कर दिया था। 26 मार्च: केरल में कोस्ट गार्ड के ध्रुव हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग की गई केरल के कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास 26 मार्च, 2023 को इंडियन कोस्ट गार्ड के एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) ध्रुव मार्क 3 हेलिकॉप्टर की टेस्ट उड़ान की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई थी। लैंडिंग के समय हेलिकॉप्टर 25 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। हादसे में एक ट्रेनी पायलट का हाथ फ्रैक्चर हुआ था। 4 मई: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में ध्रुव हेलिकॉप्टर क्रैश, 1 जवान की मौत, दो घायल जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में 4 मई, 2023 को ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। हादसे में क्राफ्ट्स मैन पब्बल्ला अनिल की मौत हो गई थी। दो पायलटों को चोटें आई थीं। आर्मी के मुताबिक सुबह 11:15 बजे हेलिकॉप्टर ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को तकनीकी खराबी की जानकारी दी थी। इसके बाद वह एहतियाती लैंडिंग के लिए आगे बढ़े। खराब और अंडरग्रोथ जमीन की वजह से हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। भारतीय सेनाओं के पास 300 ध्रुव हेलिकॉप्टर भारत की तीनों सेनाओं में 300 से ज्यादा ध्रुव हेलिकॉप्टर शामिल हैं। इनमें एयरफोर्स के पास 70, आर्मी के पास 191 और नेवी के पास 14 हेलिकॉप्टर्स हैं। कोस्ट गार्ड भी ध्रुव हेलिकॉप्टर का ही इस्तेमाल करता है। ध्रुव हेलिकॉप्टर का रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन, रेकी, मेडिकल इमरजेंसी में रेस्क्यू, सैन्य परिवहन, इंटरनल कार्गो जैसे काम में इस्तेमाल होता है। यह सियाचिन ग्लेशियर और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में भी अच्छा परफॉर्म करता है। इसने समुद्र में भी अपनी क्षमता साबित की है।
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3 September 2024पश्चिम बंगाल में OBC सर्टिफिकेट रद्द किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (2 सितंबर) को सुनवाई होगी। इससे पहले 27 अगस्त को मामले की सुनवाई हुई थी। इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने बहुत सारे दस्तावेज पेश किए हैं। इन्हें पढ़कर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए। दरअसल 22 मई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य में 2010 के बाद कई जातियों को मिले OBC स्टेटस को रद्द कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और राज्य द्वारा के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में मिलने वाले आरक्षण को अवैध ठहराया था। इसके विरोध में बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने OBC में शामिल नई जातियों से जुड़ा डेटा मांगा था सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की अपील पर 5 अगस्त को कोर्ट ने कहा था, ‘मुस्लिम कम्युनिटी समेत 77 नई जातियों को OBC लिस्ट में क्यों शामिल किया गया। राज्य सरकार इन नई जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का डेटा दें।’ इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग की। राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट के फैसले की वजह से NEET-UG 2024 पास करने वाले उम्मीदवारों को प्रवेश में दिक्कतें आ रही हैं। ममता बोलीं थी- हाईकोर्ट का आदेश नहीं मानेंगे हाईकोर्ट के फैसले को लेकर बंगाल सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि वे हाईकोर्ट और भाजपा के आदेश को नहीं मानेंगी। राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा। एक रैली में ममता ने कहा था कि ओबीसी आरक्षण लागू करने से पहले कई सर्वे कराए गए थे। इस मामले में पहले भी कई केस दर्ज कराए गए हैं, पर उनका कोई नतीजा नहीं निकला। ये लोग भाजपा शासित प्रदेशों में नीतियों पर बात क्यों नहीं करते हैं। ममता ने यह भी कहा था कि पीएम मोदी लगातार बात करते आए हैं कि कैसे माइनॉरिटीज तापाशिली आरक्षण को छीन लेंगी और इससे संविधान ध्वस्त हो जाएगा। माइनॉरिटीज कभी तापाशिली या आदिवासी रिजर्वेशन को हाथ भी नहीं लगा सकती हैं, लेकिन भाजपा के शातिर लोग एजेंसियों के जरिए अपने काम करवाते हैं। अमित शाह बोले- हम सुनिश्चित करेंगे कि कोर्ट का आदेश लागू हो इस मामले पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी ने बिना किसी सर्वे के 118 मुस्लिमों को OBC रिजर्वेशन दिया। कोई कोर्ट चला गया और कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए 2010 से 2024 के बीच दिए सभी OBC सर्टिफिकेट रद्द कर दिए। ममता बनर्जी पिछड़े वर्गों का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को देना चाहती हैं। मैं कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। ममता जी का कहना है कि वे हाईकोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी। मैं बंगाल के लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या ऐसा कोई मुख्यमंत्री हो सकता है, जो कहे कि कोर्ट का फैसला न माने। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। हम सुनिश्चित करेंगे कि कोर्ट का फैसला लागू हो। 2011 में दाखिल की गई थी हाईकोर्ट में याचिका ममता सरकार के ओबीसी आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ 2011 में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इसमें दावा किया गया कि 2010 के बाद दिए गए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट 1993 के पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम को दरकिनार कर दिए गए। याचिका में ये भी कहा गया कि जो लोग वास्तव में पिछड़े वर्ग से थे, उन्हें उनके सही सर्टिफिकेट नहीं दिए गए। इसे लेकर अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को 1993 के कानून के मुताबिक आयोग की सिफारिश विधानसभा को सौंपनी होगी। इसी के आधार पर ओबीसी की लिस्ट बनाई जाएगी। तपोब्रत चक्रवर्ती की बेंच ने कहा, ‘ओबीसी किसे माना जाएगा, इसका फैसला विधानसभा करेगी। बंगाल पिछड़ा वर्ग कल्याण को इसकी सूची तैयार करनी होगी। राज्य सरकार उस लिस्ट को विधानसभा में पेश करेगी। जिनके नाम इस लिस्ट में होंगे उन्हीं को ओबीसी माना जाएगा।
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2 September 2024जम्मू-कश्मीर के सुंजवान मिलिट्री स्टेशन पर सोमवार सुबह आतंकियों ने सेना पर फायरिंग की है। इसमें एक जवान शहीद हो गया है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने मिलिट्री स्टेशन के बाहर से छिपकर स्नाइपर गन से गोलियां चलाई थीं। जवान के घायल होने के बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। सेना और पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। ड्रोन से भी इलाके की निगरानी की जा रही है। सांबा में 3 पिस्तौल और गोला-बारूद बरामद जम्मू-कश्मीर के सांबा में सुरक्षाबलों ने 3 पिस्तौल और गोला-बारूद बरामद किया है। सुरक्षाबलों ने बताया कि ये हथियार ड्रोन से गिराए गए थे। BSF और पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है। सर्च ऑपरेशन भी तेज कर दिया गया है। कुपवाड़ा में 5 दिन पहले 3 आतंकी ढेर हुए थे जम्मू-कश्मीर में 5 दिन में यह दूसरा हमला है। इससे पहले 29 अगस्त को कुपवाड़ा में एनकाउंटर में 3 आतंकी मारे गए थे। इनमें दो टेररिस्ट माछिल और एक तंगधार में मारा गया था। सेना ने बताया था कि माछिल और तंगधार में 28-29 अगस्त की देर रात खराब मौसम के बीच संदिग्ध गतिविधि देखी गई थी। इसके बाद यहां सेना और पुलिस ने सर्चिंग शुरू की। इस दौरान मुठभेड़ शुरू हो गई थी। डोडा में 18 दिन पहले कैप्टन दीपक सिंह शहीद हुए थे 14 अगस्त को डोडा में आतंकियों से एनकाउंटर में राष्ट्रीय राइफल के आर्मी कैप्टन दीपक सिंह शहीद हो गए। वह डोडा में असार फॉरेस्ट एरिया में चल रहे एनकाउंटर में टीम को लीड कर रहे थे। एनकाउंटर में एक आतंकी मारा गया। 16 जुलाई को भी डोडा के डेसा इलाके में मुठभेड़ के दौरान एक कैप्टन समेत 5 जवान शहीद हुए थे।
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2 September 2024सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देशभर में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा, "अगर कोई दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।" सुप्रीम कोर्ट जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें आरोप लगाया गया है कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। अब इस केस की सुनवाई 17 सितंबर को होगी। बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट के कमेंट, केंद्र का जवाब हम यहां अवैध अतिक्रमण के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं- सुप्रीम कोर्ट किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना! यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है- सुप्रीम कोर्ट किसी भी आरोपी की प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई क्योंकि उसने अपराध किया। आरोपी के अवैध कब्जों पर म्युनिसिपल एक्ट के तहत एक्शन लिया है- केंद्र सरकार याचिका में आरोप-पीड़ितों को बचने का मौका नहीं दिया जमीयत के वकील फारूक रशीद का कहना है कि अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न करने और उन्हें डराने के लिए राज्य सरकारें घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर एक्शन को बढ़ावा दे रही हैं। याचिका में यह भी आरोप है कि सरकारों ने पीड़ितों को अपना बचाव करने का मौका ही नहीं दिया। बल्कि कानूनी प्रक्रिया का इंतजार किए बिना पीड़ितों को तुरंत सजा के तौर पर घरों पर बुलडोजर चला दिया। तीन राज्य जहां पिछले 3 महीने में बुलडोजर एक्शन हुआ अगस्त 2024 : मध्यप्रदेश के छतरपुर में पुलिस पर पथराव के आरोपी की कोठी पर एक्शन मध्यप्रदेश के छतरपुर में 21 अगस्त को कोतवाली थाने पर पथराव के 24 घंटे के भीतर सरकार ने यहां 20 हजार स्क्वायर फीट में बनी 20 करोड़ रुपए की तीन मंजिला हवेली को जमींदोज कर दिया था। जब उनकी हवेली गिराई जा रही थी, तब भी उनके परिवार का कोई सदस्य यहां मौजूद नहीं था। FIR के मुताबिक, चारों भाइयों ने भीड़ को पुलिस पर हमला करने के लिए उकसाया था। अगस्त 2024 : राजस्थान के उदयपुर में दो बच्चों में चाकूबाजी के बाद आरोपी के घर चला बुलडोजर उदयपुर के एक सरकारी स्कूल में 10वीं में पढ़ने वाले एक बच्चे ने दूसरे को चाकू मारकर घायल कर दिया था। इसके बाद पूरे शहर में आगजनी और हिंसक प्रदर्शन हुए। 17 अगस्त को आरोपी छात्र के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ था। इससे पहले सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने आरोपी के पिता सलीम शेख को अवैध बस्ती में बने मकान को खाली करने का नोटिस दिया था। जून 2024 : उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और बलिया में 2 आरोपियों की 6 संपत्तियां तोड़ी गईं मुरादाबाद में विवाहिता के अपहरण की कोशिश करने वाले के घर पर बुलडोजर चला था। आरोपी ने अपहरण का विरोध कर रहे महिला के मां-बाप और भाई को गोली मार दी थी। वहीं, बरेली में रोटी के विवाद में युवक की पीट-पीटकर हत्या करने वाले होटल मालिक जीशान का होटल जमींदोज कर दिया गया। सनी का 26 जून को बर्थडे था। सनी ने मशाल होटल के मालिक जीशान को 150 रोटी का आर्डर दिया था। जीशान ने सिर्फ 50 रोटी दी और 100 रोटी देने से मना कर दिया था। विवाद बढ़ा तो जीशान ने अपने साथियों के साथ मिलकर सनी की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
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2 September 2024कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस के 20 दिन बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पहला बयान आया है। उन्होंने कहा कि मैं घटना को लेकर निराश और डरी हुई हूं। अब बहुत हो चुका। समाज को ऐसी घटनाओं को भूलने की खराब आदत है। राष्ट्रपति मुर्मू ने मंगलवार (27 अगस्त) को ‘विमेंस सेफ्टी: इनफ इज इनफ’ नाम के एक आर्टिकल को लेकर PTI के एडिटर्स से चर्चा में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह की अत्याचारों की इजाजत नहीं दे सकता। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8-9 अगस्त की रात 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। उनका शव सेमिनार हॉल में मिला था। उनकी गर्दन टूटी थी। मुंह, आंखों और प्राइवेट पार्ट्स से खून बह रहा था। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जब स्टूडेंट्स, डॉक्टर्स और नागरिक कोलकाता में प्रोटेस्ट कर रहे थे, तो अपराधी दूसरी जगहों पर शिकार खोज रहे थे। विक्टिम में किंडरगार्टन की बच्चियां तक शामिल थीं। समाज को ईमानदारी, निष्पक्षता के साथ आत्म-विश्लेषण करने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को खुद से कुछ कठिन सवाल पूछने होंगे। अक्सर घृणित मानसिकता वाले लोग महिलाओं को अपने से कम समझते हैं। वे महिलाओं को कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान के रूप में देखते हैं। द्रौपदी मुर्मू ने कहा- निर्भया कांड के बाद 12 सालों में रेप की अनगिनत घटनाओं को समाज ने भुला दिया है। समाज की भूलने की यह सामूहिक आदत घृणित है। इतिहास का सामना करने से डरने वाला समाज ही चीजों को भूलने का सहारा लेता है। राष्ट्रपति ने कहा- अब समय आ गया है कि भारत अपने इतिहास का पूरी तरह से सामना करे। हमें जरूरत है कि इस विकृति का सब मिलकर सामना करें ताकि इसे शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाए। द्रौपदी मुर्मू ने कहा- महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझते हैं लोग महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करते हुए द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिलाओं ने हर एक इंच जमीन जीतने के लिए लड़ाई लड़ी है। सामाजिक धारणाओं और कई परंपराओं और प्रथाओं ने महिलाओं के अधिकारों को बढ़ने से रोका है। यह एक घटिया सोच है जो महिलाओं को कम समझती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग महिलाओं को उपभोग की वस्तु की तरह देखते हैं। यही महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की वजह है। ऐसे लोगों के दिमाग में महिलाओं को लेकर यह सोच गहरी हो चुकी है। राष्ट्र और समाज का काम है कि इस सोच के खिलाफ खड़े हों। मुर्मू ने कहा कि रेप रोकने के लिए कानून बने हैं और सोशल कैंपेन भी चलाए गए हैं। हालांकि, फिर भी कोई न कोई चीज हमारे रास्ते में आ जाती है और हमें परेशान करती है। इतिहास अक्सर हमें तकलीफ देता है और इसलिए समाज इतिहास का सामना करने से बचने के लिए चीजों को भूल जाता है। राष्ट्रपति बोलीं- समाज को खुद के अंदर झांकने की जरूरत उन्होंने कहा कि समाज शुतुरमुर्ग की तरह रेत में अपना सिर छिपा लेता है। अब समय आ गया है कि हम न सिर्फ इतिहास का हिम्मत से सामना करें, बल्कि अपनी आत्मा के अंदर झांकें और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की मानसिकता समझने की कोशिश करें। राष्ट्रपति ने कहा- हमें मिलकर सामना करने की जरूरत है, ताकि इसे शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाए। हम ऐसा तभी कर पाएंगे, जब हम पीड़ितों की याद को सम्मान देंगे। समाज पीड़ितों को याद करने की एक संस्कृति तैयार करें ताकि हमें याद रहे कि हम कहां चूके थे और इसे याद रखकर हम भविष्य में चौकन्ने रहें। मुर्मू ने कहा- समाज को खुद के अंदर झांकना होगा और मुश्किल सवाल पूछने होंगे। हमसे कहां गलती हुई? इन गलतियों को दूर करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? इन सवालों का जवाब ढूंढ़े बिना, आधी आबादी उतनी आजादी से नहीं जी पाएगी, जितनी आजादी से बाकी आधी आबादी जीती है भाजपा ने ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में छात्र संगठनों के प्रोटेस्ट मार्च के एक दिन बाद बुधवार (28 अगस्त) को 12 घंटे का बंगाल बंद बुलाया है। बंद के दौरान कई जिलों में पुलिस और भाजपा समर्थकों के बीच झड़प हुई। कई नेताओं-वर्कर्स को हिरासत में लिया गया है। नॉर्थ 24 परगना जिले के भाटपारा में भाजपा नेता प्रियंगु पांडे की कार पर फायरिंग हुई। प्रियंगु ने बताया- TMC के लगभग 50-60 लोगों ने हमला किया। गाड़ी पर 6-7 राउंड फायरिंग की और बम फेंके गए। ड्राइवर समेत दो लोगों को गोली लगी है। एक गंभीर है।
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28 August 2024इंदौर के एरोड्रम पुलिस ने हाईकोर्ट एडवोकेट के साथ हुई ठगी के मामले में धोखाधड़ी की धाराओं मे केस दर्ज किया है। बताया जाता है कि आरोपी ने लिंक भेजकर उसे क्लिक करने के लिए कहा। जिस पर क्लिक करने के बाद मोबाइल का कंट्रोल अपने हाथ में लेकर आरोपी ने वकील के क्रेडिट कार्ड अकाउंट से करीब 51 हजार रुपए निकाल लिए। एरोड्रम पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक विस्मित पनौत निवासी अशोक नगर की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात मोबाइल कस्टमर के खिलाफ 318 (4) बीएनएस काे लेकर केस दर्ज किया है। विस्मित ने पुलिस को की गई शिकायत में बताया कि वह हाईकोर्ट एडवोकेट है। 2 अगस्त 2024 को उनके पास एक नंबर से कॉल आया। बात करने वाले वन कार्ड क्रेडिट कार्ड कंपनी का एजेंट बताया। पुरानी शिकायत के निवारण को लेकर विस्मित के ई मेल आईडी से खुद ईमेल आईडी पर एक लिंक भेजी। उसे खोलने के बाद विस्मित को दूसरी लिंक भेजी गई। उसे ओपन करते ही गूगल मीट के माध्यम से एडवोकेट के मोबाइल का कंट्रोल खुद करने लगा। क्रेडिट कार्ड से धोखाधड़ी करते हुए 51 हजार से अधिक की अमाउंट का ट्रांजैक्शन कर लिया। विस्मित के मोबाइल पर उक्त राशि को लेकर मैसेज आया। उन्होंने समझदारी दिखाते हुए तुंरत कॉल काट दिया। इसके बाद क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवा दिया। उन्होंने मामले की साइबर सेल में शिकायत भी कर दी। जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की है। कोर्ट के लॉकर से फाइल और रुपए चोरी जिला कोर्ट में बने लॉकर से एक वकील की फाईल और रूपए चोरी हो गए। पुलिस ने केस दर्ज कर मामला जांच में लिया है। एमजी रोड़ पुलिस के मुताबिक मंजुलता चौहान निवासी सत्य साई बाग कॉलोनी की शिकायत पर पर अज्ञात चोर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मंजू ने बताया कि किसी व्यक्ति द्वारा जिला कोर्ट के टेबल टेनिस हॉल में बने लॉकर से उनकी फाईल ओर करीब 5 हजार रूपए नकदी किसी ने चुराए है। पुलिस ने इस मामले में सीसीटीवी के आधार पर आरोपी की तलाश शुरू की है।
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28 August 2024सुनो बे, ...जैसी शकल वाले मनोज वाजपेयी, इसकी (कोर्ट नोटिस) बत्ती बना और…उखाड़ क्या उखाड़ना…तेरा बाप हूं मैं…। ये पोस्ट फिल्म क्रिटिक केआरके (कमाल राशिद खान) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर की है। इसे फिल्म एक्टर मनोज वाजपेयी को टैग भी किया है। पोस्ट के साथ केआरके ने इंदौर कोर्ट का वो नोटिस भी लगाया है, जो 30 मई 2024 को इंदौर जिला कोर्ट से जारी हुआ है, जिसमें 24 जुलाई 2024 को उन्हें पेश होने के लिए कहा गया था। लेकिन केआरके कोर्ट में पेश नहीं हुए। एक्टर मनोज वाजपेयी ने केआरके पर इंदौर में मानहानि का केस लगाया है। केस में तारीख पर तारीख लग रही है। 24 जुलाई के बाद 30 जुलाई फिर 5 अगस्त, 8 अगस्त, 9 अगस्त, 20 अगस्त, 27 अगस्त तारीख लगी। मंगलवार को अगली तारीख 4 सितंबर लगी है। जज के छुट्टी पर होने के कारण केस में लगातार तारीख मिल रही है। केआरके की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट ने फिर से मामले को गर्मा दिया है, क्योंकि मनोज वाजपेयी की तरफ से जो मानहानि का केस लगाया गया है वो केआरके की इसी तरह की पोस्ट को लेकर है। केस के बावजूद केआरके लगातार मनोज के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं। इस बार तो उन्होंने कोर्ट का नोटिस तक पोस्ट के साथ टैग किया और उसे लेकर भी आपत्तिजनक बातें लिखी है। केआरके ने ये पोस्ट भी की है “मनोज वाजपेयी मुंबई में रहते हैं लेकिन उन्होंने इंदौर जाकर मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जो कोर्ट में चल रहा है। यह आदमी मेरे प्रति इतना जुनूनी है कि फिर, वह मेरे खिलाफ एक और मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए इंदौर तक चला गया। इसलिए वह पूरी तरह से मां-बहन…की का हकदार हैं।'’ अब पूरा मामला समझिए बात 26 जुलाई 2021 की है। ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE…से एक ट्वीट किया गया ‘These are Biggest Charsi of Bollywood! Manoj Bajpayee, Nawazuddin, Naseeruddin Shah, Anurag Kashyap and … (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ये हैं बॉलीवुड के सबसे बड़े चरसी! मनोज वाजपेयी, नवाजुद्दीन, नसीरुद्दीन शाह, अनुराग कश्यप और…। इस तरह KRK ने मनोज वाजपेयी को सबसे बड़ा चरसी कह दिया था।) वहीं 26 जुलाई 2021 को ही ट्विटर हैंडल KRK@kamaalrk...से एक ट्वीट किया गया। ‘I am not a Lukka and Faaltu in life, So I don't watch web series. Better you ask Sunil Pal. But why do you like to watch a Charsi, Ganjedi Manoj? You can't be selective. If you hate Charsi Ganjedi in Bollywood, So you should hate everyone.’ (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ‘मैं लाइफ में लुक्खा और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता। बेहतर होगा आप सुनील पाल से पूछें। लेकिन आप एक चरसी, गंजेड़ी मनोज को क्यों देखना पसंद करते हैं? आप चयनात्मक नहीं हो सकते। अगर आप बॉलीवुड में चरसी गंजेड़ी से नफरत करते हैं तो आपको सबसे नफरत करनी चाहिए।’) बवाल इसलिए बढ़ गया क्योंकि उसी वक्त एक्टर मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन 2 रिलीज हुई थी। केआरके के इस ट्वीट को उसी से जोड़कर देखा गया था। इसी ट्वीट से नाराज होकर एक्टर ने KRK के खिलाफ इंदौर कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया। केस में KRK के खिलाफ वारंट जारी हुआ, जिसके बाद उन्हें इंदौर आना पड़ा। केस को लेकर KRK ये सफाई दे चुके KRK कह चुके हैं कि ‘मुझे प्रताड़ित करने के लिए झूठा केस उन्होंने (मनोज वाजपेयी) किया है। मुझे तो याद भी नहीं है कि 'वो ट्वीट' कब किए? और किस हैंडल से किए गए हैं। वो जिस हैंडल की बात कर रहे हैं, ऐसा कोई हैंडल ट्विटर पर है ही नहीं। जाहिर सी बात है फेक केस है। इस तरह से वो मुझे हरेस (परेशान) करना चाह रहे हैं। वो अकेले नहीं है, बॉलीवुड में इस तरह के बहुत सारे लोग हैं जो मुझे हरेस करना चाहते हैं। उनको क्या बीमारी है, क्या तकलीफ है ये तो वो ही बता सकते हैं।’ हाई कोर्ट से भी केआरके को लगा था झटका ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE में मनोज वाजपेयी को बॉलीवुड का सबसे बड़ा चरसी कहने के मामले में मानहानि केस दर्ज होने के बाद KRK कोर्ट में पेश नहीं हुए। साथ ही जिला कोर्ट में मनोज बाजपेयी की याचिका को रद्द कराने के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। हालांकि इसका फैसला उनके पक्ष में नहीं आया। KRK ने दलील दी थी कि ये वाला (केआरकेबॉक्सऑफिस) ट्विटर हैंडल उनका है ही नहीं। वे इस ट्विटर हैंडल को 22 अक्टूबर 2020 को सलीम अहमद को बेच चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने उनकी ये दलील नहीं मानी। कोर्ट ने माना कि जब 2021 में ट्वीट हुए तब दोनों ट्विटर हैंडल का उपयोग KRK ही कर रहा था। घटना से पहले उसने ट्विटर हैंडल बेच दिया, ये मैटर ऑफ एविडेंस है। लिहाजा 13 दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया। सवाल है कि वाजपेयी ने मुंबई के बजाय इंदौर में केस दर्ज क्यों कराया? अब सवाल ये उठता है कि KRK पर इंदौर में ही केस क्यों किया गया तो इसका जवाब फरियादी और कलाकार मनोज बाजपेयी के वकील परेश जोशी बताते हैं कि ‘ट्वीट से संबंधित खबर मनोज वाजपेयी के मित्र ने इंदौर में पढ़ी। इसके बाद उन्होंने मनोज को सूचना दी कि इस तरह KRK ने ट्वीट कर मानहानि की है। इसके बाद मनोज की तरफ से KRK पर मानहानि का केस किया गया।’ लिहाजा इंदौर दोनों के बीच शुरू हुई कानूनी लड़ाई का केंद्र बन गया है। वकीलों का कहना है कि जहां से मानहानि पता चलती है, न्यायालयीन क्षेत्र वही बनता है। तब मनोज वाजपेयी की आई थी ये वेब सीरीज कलाकार मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन वर्ष 2021 में आई थी। जिसे मनोज के फैंस ने काफी पसंद किया था। KRK के ट्वीट से मनोज के प्रशंसक नाराज हुए थे और उन्होंने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। KRK ने अपने ट्वीट में भी लिखा कि ‘मैं लाइफ में लुक्का और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता।’ उनके ट्वीट के जवाब में मनोज के प्रशंसकों ने ट्वीट भी किए थे।
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28 August 2024सुनो बे, ...जैसी शकल वाले मनोज वाजपेयी, इसकी (कोर्ट नोटिस) बत्ती बना और…उखाड़ क्या उखाड़ना…तेरा बाप हूं मैं…। ये पोस्ट फिल्म क्रिटिक केआरके (कमाल राशिद खान) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर की है। इसे फिल्म एक्टर मनोज वाजपेयी को टैग भी किया है। पोस्ट के साथ केआरके ने इंदौर कोर्ट का वो नोटिस भी लगाया है, जो 30 मई 2024 को इंदौर जिला कोर्ट से जारी हुआ है, जिसमें 24 जुलाई 2024 को उन्हें पेश होने के लिए कहा गया था। लेकिन केआरके कोर्ट में पेश नहीं हुए। एक्टर मनोज वाजपेयी ने केआरके पर इंदौर में मानहानि का केस लगाया है। केस में तारीख पर तारीख लग रही है। 24 जुलाई के बाद 30 जुलाई फिर 5 अगस्त, 8 अगस्त, 9 अगस्त, 20 अगस्त, 27 अगस्त तारीख लगी। मंगलवार को अगली तारीख 4 सितंबर लगी है। जज के छुट्टी पर होने के कारण केस में लगातार तारीख मिल रही है। केआरके की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट ने फिर से मामले को गर्मा दिया है, क्योंकि मनोज वाजपेयी की तरफ से जो मानहानि का केस लगाया गया है वो केआरके की इसी तरह की पोस्ट को लेकर है। केस के बावजूद केआरके लगातार मनोज के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं। इस बार तो उन्होंने कोर्ट का नोटिस तक पोस्ट के साथ टैग किया और उसे लेकर भी आपत्तिजनक बातें लिखी है। केआरके ने ये पोस्ट भी की है “मनोज वाजपेयी मुंबई में रहते हैं लेकिन उन्होंने इंदौर जाकर मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जो कोर्ट में चल रहा है। यह आदमी मेरे प्रति इतना जुनूनी है कि फिर, वह मेरे खिलाफ एक और मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए इंदौर तक चला गया। इसलिए वह पूरी तरह से मां-बहन…की का हकदार हैं।'’ अब पूरा मामला समझिए बात 26 जुलाई 2021 की है। ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE…से एक ट्वीट किया गया ‘These are Biggest Charsi of Bollywood! Manoj Bajpayee, Nawazuddin, Naseeruddin Shah, Anurag Kashyap and … (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ये हैं बॉलीवुड के सबसे बड़े चरसी! मनोज वाजपेयी, नवाजुद्दीन, नसीरुद्दीन शाह, अनुराग कश्यप और…। इस तरह KRK ने मनोज वाजपेयी को सबसे बड़ा चरसी कह दिया था।) वहीं 26 जुलाई 2021 को ही ट्विटर हैंडल KRK@kamaalrk...से एक ट्वीट किया गया। ‘I am not a Lukka and Faaltu in life, So I don't watch web series. Better you ask Sunil Pal. But why do you like to watch a Charsi, Ganjedi Manoj? You can't be selective. If you hate Charsi Ganjedi in Bollywood, So you should hate everyone.’ (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ‘मैं लाइफ में लुक्खा और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता। बेहतर होगा आप सुनील पाल से पूछें। लेकिन आप एक चरसी, गंजेड़ी मनोज को क्यों देखना पसंद करते हैं? आप चयनात्मक नहीं हो सकते। अगर आप बॉलीवुड में चरसी गंजेड़ी से नफरत करते हैं तो आपको सबसे नफरत करनी चाहिए।’) बवाल इसलिए बढ़ गया क्योंकि उसी वक्त एक्टर मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन 2 रिलीज हुई थी। केआरके के इस ट्वीट को उसी से जोड़कर देखा गया था। इसी ट्वीट से नाराज होकर एक्टर ने KRK के खिलाफ इंदौर कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया। केस में KRK के खिलाफ वारंट जारी हुआ, जिसके बाद उन्हें इंदौर आना पड़ा। केस को लेकर KRK ये सफाई दे चुके KRK कह चुके हैं कि ‘मुझे प्रताड़ित करने के लिए झूठा केस उन्होंने (मनोज वाजपेयी) किया है। मुझे तो याद भी नहीं है कि 'वो ट्वीट' कब किए? और किस हैंडल से किए गए हैं। वो जिस हैंडल की बात कर रहे हैं, ऐसा कोई हैंडल ट्विटर पर है ही नहीं। जाहिर सी बात है फेक केस है। इस तरह से वो मुझे हरेस (परेशान) करना चाह रहे हैं। वो अकेले नहीं है, बॉलीवुड में इस तरह के बहुत सारे लोग हैं जो मुझे हरेस करना चाहते हैं। उनको क्या बीमारी है, क्या तकलीफ है ये तो वो ही बता सकते हैं।’ हाई कोर्ट से भी केआरके को लगा था झटका ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE में मनोज वाजपेयी को बॉलीवुड का सबसे बड़ा चरसी कहने के मामले में मानहानि केस दर्ज होने के बाद KRK कोर्ट में पेश नहीं हुए। साथ ही जिला कोर्ट में मनोज बाजपेयी की याचिका को रद्द कराने के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। हालांकि इसका फैसला उनके पक्ष में नहीं आया। KRK ने दलील दी थी कि ये वाला (केआरकेबॉक्सऑफिस) ट्विटर हैंडल उनका है ही नहीं। वे इस ट्विटर हैंडल को 22 अक्टूबर 2020 को सलीम अहमद को बेच चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने उनकी ये दलील नहीं मानी। कोर्ट ने माना कि जब 2021 में ट्वीट हुए तब दोनों ट्विटर हैंडल का उपयोग KRK ही कर रहा था। घटना से पहले उसने ट्विटर हैंडल बेच दिया, ये मैटर ऑफ एविडेंस है। लिहाजा 13 दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया। सवाल है कि वाजपेयी ने मुंबई के बजाय इंदौर में केस दर्ज क्यों कराया? अब सवाल ये उठता है कि KRK पर इंदौर में ही केस क्यों किया गया तो इसका जवाब फरियादी और कलाकार मनोज बाजपेयी के वकील परेश जोशी बताते हैं कि ‘ट्वीट से संबंधित खबर मनोज वाजपेयी के मित्र ने इंदौर में पढ़ी। इसके बाद उन्होंने मनोज को सूचना दी कि इस तरह KRK ने ट्वीट कर मानहानि की है। इसके बाद मनोज की तरफ से KRK पर मानहानि का केस किया गया।’ लिहाजा इंदौर दोनों के बीच शुरू हुई कानूनी लड़ाई का केंद्र बन गया है। वकीलों का कहना है कि जहां से मानहानि पता चलती है, न्यायालयीन क्षेत्र वही बनता है। तब मनोज वाजपेयी की आई थी ये वेब सीरीज कलाकार मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन वर्ष 2021 में आई थी। जिसे मनोज के फैंस ने काफी पसंद किया था। KRK के ट्वीट से मनोज के प्रशंसक नाराज हुए थे और उन्होंने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। KRK ने अपने ट्वीट में भी लिखा कि ‘मैं लाइफ में लुक्का और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता।’ उनके ट्वीट के जवाब में मनोज के प्रशंसकों ने ट्वीट भी किए थे।
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28 August 2024दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में CM अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत मंगलवार को 3 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। केजरीवाल तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका शुगर लेवल डाउन हो रहा है। इसी वजह से लंच करने की इजाजत मांगी है। CBI ने 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी की मांग की थी, लेकिन अदालत ने एक हफ्ते ही हिरासत बढ़ाई। इससे पहले 20 अगस्त को लोअर कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 27 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी थी। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 अगस्त को केजरीवाल की CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही जमानत के लिए लोअर कोर्ट जाने को कहा था। 23 अगस्त को CBI ने कोर्ट को बताया कि उन्हें शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल और आप विधायक दुर्गेश पाठक पर केस चलाने की मंजूरी मिल गई है। CBI ने केजरीवाल के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है। इस पर भी आज सुनवाई होगी। 26 जून को CBI ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था शराब नीति केस में केजरीवाल के खिलाफ ED और CBI का केस चल रहा है। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इस मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। वहीं CBI केस में वह जेल में बंद हैं। CBI ने 26 जून को शराब नीति केस में भ्रष्टाचार के आरोपों पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल को 12 जुलाई को ED केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी सुप्रीम कोर्ट ने ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई को जमानत दे दी थी। जमानत देते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है।
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27 August 2024महाराष्ट्र के बदलापुर में स्कूल के अंदर 2 बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में मंगलवार (27 अगस्त) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में प्रोसीजर फॉलो न करने पर पुलिस को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- यह साफ दिख रहा है कि पुलिस ने केस को रजिस्टर करने में प्रोसीजर फॉलो नहीं किया। पुलिस ने बच्ची और उसके परिवार को शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जो असंवेदनशील और नियमों के खिलाफ है। इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच कर रही है। सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट में पक्ष रखा। कोर्ट रूम लाइव... जस्टिस मोहिते डेरे: यह साफ दिख रहा है कि पुलिस ने केस को रजिस्टर करने में प्रोसीजर फॉलो नहीं किया। पुलिस ने बच्ची और उसके परिवार को शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जो असंवेदनशील और नियमों के खिलाफ है। AG सराफ: हम केस प्रक्रिया को तेज कर रहें हैं। अब तक 3 अधिकारियों को सस्पेन्ड किया जा चुका है। जस्टिस मोहिते डेरे: जांच कहां तक पहुंची। AG सराफ: टेस्ट आईडेंटीफिकेशन परेड (TIP) प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है जस्टिस चौहान: क्या आरोपी स्कूल का शौचालय साफ करने अकेला स्वीपर था? क्या उसने पहले भी मैनेजमेंट के साथ काम किया था? क्या उसका स्कूल मैनेजमेंट में कोई परिचित था? आरोपी का बैकग्राउंड क्या है? AG सराफ: वह पहले चौकीदार के तौर पर काम करता था। उसके माता-पिता और चचेरे भाई उसी स्कूल में काम करते हैं। उसकी तीन बार शादी हुई थी। उसकी पत्नि का बयान भी दर्ज करा लिया गया है। 22 अगस्त को कोर्ट ने पुलिस को जांच में देरी पर फटकार लगाई थी कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे संज्ञान के बाद दूसरी बच्ची और उसके परिवार का बयान दर्ज किया गया। अब तक इसमें देर क्यों हुई। कोर्ट ने कहा कि अगर स्कूल ही सेफ नहीं है तो शिक्षा के अधिकार और बाकी चीजों की बात करने का क्या मतलब। हाईकोर्ट ने मामले की जानकारी छिपाने के आरोप में स्कूल प्रशासन के खिलाफ पॉक्सो के तहत केस दर्ज करने को कहा है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने सरकार से केस डायरी और FIR की कॉपी भी मांगी है। एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा- स्कूल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं किया 21 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले को स्वतः संज्ञान में लिया था। 22 अगस्त को कोर्ट ने मामले की सुनवाई की थी। इस दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा, क्या बच्चियों ने स्कूल प्रशासन से यौन शोषण की शिकायत की थी। सरकार ने कहा- हां। कोर्ट ने स्कूल प्रशासन को भी आरोपी बनाने को लेकर भी सवाल किया। सरकार ने कहा कि SIT का गठन किया गया है। अब केस दर्ज किया जाएगा। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि बच्ची के पेरेंट ने जैसे ही FIR दर्ज कराई, आपको स्कूल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि हम यह जानकर हैरान हैं कि बदलापुर पुलिस ने दूसरी बच्ची के परिवार का बयान भी दर्ज नहीं किया था। हमने संज्ञान लिया तब पुलिस ने दूसरी बच्ची के पिता के बयान दर्ज किए, वह भी आधी रात के बाद। आप आधी रात के बाद बयान कैसे दर्ज कर सकते हैं? इतनी देरी क्यों? हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चियों ने खुद यौन शोषण की जानकारी दी है। इसके बारे में बोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत है। कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस से कहा कि अगर आपने किसी भी तरह मामले को दबाने की कोशिश की, तो हम एक्शन लेने से नहीं हिचकिचाएंगे। आरोपी को दादा बोलती थीं बच्चियां पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी 1 अगस्त को ही स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। बच्ची उसे दादा (बड़े भाई के लिए मराठी शब्द) पुकारती थी। बच्ची के मुताबिक ‘दादा’ ने उसके कपड़े खोले और गलत तरीके से छुआ। स्कूल में जहां घटना हुई, वहां महिला कर्मचारी नहीं थी। MVA के महाराष्ट्र बंद पर बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक बदलापुर घटना को लेकर 21 अगस्त को महाविकास अघाड़ी (MVA) ने 24 अगस्त को बुलाया था, लेकिन इससे एक दिन पहले 23 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बंद बुलाए जाने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति या फिर राजनीतिक पार्टी को बंद बुलाना गैरकानूनी है। इसके बाद MVA ने बंद का फैसला वापस लिया और 24 अगस्त को काली पट्टी बांध कर विरोध जताया। बाल आयोग बोला- स्कूल प्रशासन ने केस दबाने की कोशिश की महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने आरोप लगाया कि स्कूल ने बच्चियों के पैरेंट्स की मदद करने के बजाय अपराध को छुपाया। स्कूल समय पर संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज करवाता तो अराजक स्थिति से बचा जा सकता था। मामले को लेकर आयोग ने CM शिंदे को रिपोर्ट पेश की है। बाल आयोग की रिपोर्ट की 2 बड़ी बातें... रिपोर्ट में बताया गया है कि एक बच्ची के माता-पिता ने यौन शोषण के बारे में प्रिंसिपल को जानकारी दी थी। 14 अगस्त को प्रिंसिपल ने स्कूल मैनेजमेंट को घटना के बारे में बताया था। फिर भी दो दिनों तक अभिभावकों से कोई बातचीत नहीं की। मैनेजमेंट को दूसरी बच्ची के साथ हुए यौन शोषण की जानकारी भी 16 अगस्त मिल गई थी। बच्चियों के अभिभावकों ने पुलिस और पॉलिटिक्स से जुड़े लोगों के साथ स्कूल से संपर्क किया था, लेकिन मैनेजमेंट ने खुद से पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
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27 August 2024कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर को लेकर मंगलवार (27 अगस्त) को छात्रों और राज्य कर्मचारी संगठनों का प्रदर्शन जारी है। पश्चिम बंग छात्र समाज और संग्रामी जौथा मंच नबन्ना अभिजान मार्च निकाल रहे हैं। नबन्ना, पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय है, जहां मुख्यमंत्री, मंत्री और अफसरों के दफ्तर हैं। प्रदर्शनकारियों की रैली दोपहर करीब 12.45 बजे शुरू हुई। विरोध कर रहे लोगों ने हावड़ा से लगे संतरागाछी में बैरिकेडिंग तोड़ दी। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का इस्तेमाल भी किया। पुलिस ने हिंसा का हवाला देते हुए प्रदर्शनकारियों की रैली को गैर-कानूनी करार दिया। वहीं, पुलिस की कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी जख्मी हुए हैं। प्रदर्शनकारियों को नबन्ना (सचिवालय) जाने से रोकने के लिए 7 रास्तों पर तीन लेयर में 6 हजार की फोर्स तैनात है। 19 पॉइंट्स पर बैरिकेंडिंग और 21 पॉइंट्स पर डीसीपी तैनात किए गए हैं। हावड़ा ब्रिज बंद कर दिया है। निगरानी के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। राज्य सचिवालय नबन्ना के पास BNS की धारा 163 (CrPC की धारा 144) लगा दी गई है। यहां एक साथ 5 से ज्यादा लोग नहीं जुटेंगे। इसके अलावा यहां क्रेन के जरिए भारी कंटेनर भी सड़कों पर रखे गए हैं, ताकि प्रदर्शनकारी आगे न बढ़ पाएं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8 अगस्त की रात को ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की बॉडी मिली। इसके बाद देशभर के डॉक्टर सड़क पर उतर आए थे। सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद कई अस्पतालों के डॉक्टरों ने हड़ताल कैंसिल कर दी। हालांकि, प्रदर्शन का दौर जारी है। केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 3 सितंबर तक बढ़ी दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में CM अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत मंगलवार को 3 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। केजरीवाल तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका शुगर लेवल डाउन हो रहा है। इसी वजह से लंच करने की इजाजत मांगी है। CBI ने 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी की मांग की थी, लेकिन अदालत ने एक हफ्ते ही हिरासत बढ़ाई। इससे पहले 20 अगस्त को लोअर कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 27 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी थी। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 अगस्त को केजरीवाल की CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही जमानत के लिए लोअर कोर्ट जाने को कहा था। 23 अगस्त को CBI ने कोर्ट को बताया कि उन्हें शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल और आप विधायक दुर्गेश पाठक पर केस चलाने की मंजूरी मिल गई है। CBI ने केजरीवाल के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है। इस पर भी आज सुनवाई होगी। 26 जून को CBI ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था शराब नीति केस में केजरीवाल के खिलाफ ED और CBI का केस चल रहा है। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इस मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। वहीं CBI केस में वह जेल में बंद हैं। CBI ने 26 जून को शराब नीति केस में भ्रष्टाचार के आरोपों पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल को 12 जुलाई को ED केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी सुप्रीम कोर्ट ने ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई को जमानत दे दी थी। जमानत देते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है।
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27 August 2024पुरानी पेंशन व्यवस्था की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है. केंद्र सरकार ने शनिवार को नई पेंशन व्यवस्था लागू कर दिया है. इसी बीच मोदी सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए एक और बड़ा फैसला ले सकती है. यूक्रेन की यात्रा से वापस आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (24 अगस्त) संयुक्त सलाहकार तंत्र (जेसीएम) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में जेसीएम के प्रतिनिधियों ने न्यूनतम वेतन में संशोधन की मांग उठाई है. इस दौरान उन्होंने कहा कि पेंशन की मांग तो लगभग पूरी हो गई. न्यूनतम वेतन को लेकर उठाई ये मांग इस बैठक में जेसीएम की राष्ट्रीय परिषद के प्रमुख ने सरकारी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन को संशोधित कर 32,500 रुपये प्रति माह करने की मांग रखी है. इसके अलावा सरकारी विभागों, खासकर रेलवे में नए पदों के सृजन पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह भी किया है. इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा था, 'केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए जेसीएम के कर्मचारी पक्ष के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने यूपीएस के बारे में कैबिनेट के फैसले पर खुशी जताई.' बता दें कि जेसीएम, सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए बातचीत के लिए एक वैधानिक निकाय है. इसमें एक तिहाई से अधिक लोग रेलवे कर्मचारी हैं. इस बैठक के बाद जेसीएम प्रमुख एम राघवैया ने कहा, 'सरकार के सामने हमने जो भी मुद्दे उठाए थे, उनमे से अधिकांश को माना लिया गया है.' जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कही ये बात इस बैठक को लेकर जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, 'PM में हमारी लगभग सभी मांगों को मान लिया है'. ये पहली बार हुआ जब प्रधानमंत्री ने जेसीएम को बुलाकर उनसे चर्चा की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि प्रधानमंत्री ने जेसीएम की लगभग सभी मांगों को मान लिया है. जेसीएम 32 लाख केंद्रीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है.
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26 August 2024पूजा खेडकर केस ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नई बहस छेड़ दी है. इसे लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. इस बीच एक ऐसा डेटा सामने आया है जो काफी हैरान करने वाला है. दरअसल, 2019 तक नौ साल तक चली एक आधिकारिक जांच में फर्जी जाति प्रमाण पत्र सरकारी नौकरियां हासिल करने की 1,084 शिकायतों का पता लगा है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के रिकॉर्ड से पता चलता है कि इन मामलों में से 92 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से प्राप्त रिकॉर्ड से इस बात का खुलासा हुआ है. सरकार के अधीन 93 मंत्रालयों और विभागों में से 59 के लिए आरटीआई रिकॉर्ड उपलब्ध कराए गए थे. ये आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में रेलवे ने 349 ऐसी शिकायतें दर्ज कीं, इसके बाद डाक विभाग (259), जहाजरानी मंत्रालय (202) और खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (138) ने शिकायतें दर्ज कीं. डीओपीटी के सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई मामले विभिन्न अदालतों में भी लंबित हैं. संसदीय समिति की शिकाय के बाद डेटा किया गया कलेक्ट जुलाई में पूजा खेडकर विवाद के बाद द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से दायर एक ऐप्लिकेशन पर आए जवाब से इसका खुलासा हुआ है. इस जवाब से पता चलता है कि डीओपीटी ने 2010 में तत्कालीन लोकसभा भाजपा सांसद रतिलाल कालिदास वर्मा की अध्यक्षता वाली एससी/एसटी के कल्याण पर तत्कालीन संसदीय समिति की सिफारिश के बाद ऐसी शिकायतों का डेटा एकत्र करना शुरू किया था. समिति ने तब सभी मंत्रालयों/विभागों, पीएसयू, बैंकों, स्वायत्त निकायों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सिफारिश की थी कि झूठे जाति प्रमाणपत्रों के मामलों की प्रगति और निपटान की निगरानी के उद्देश्य से नियमित रूप से जानकारी प्राप्त करते रहें, ताकि इनसे निपटने की प्लानिंग की जा सके. DOPT समय-समय पर कार्रवाई के लिए जारी करता है निर्देश रिकॉर्ड से पता चलता है कि इस तरह के डेटा की मांग करने वाला आखिरी कम्यूनिकेशन 16 मई, 2019 को जारी किया गया था. डीओपीटी ने 8 अगस्त, 2024 को अपने आरटीआई जवाब में कहा, “आज तक, इन विभागों में ऐसा कोई डेटा केंद्रीय रूप से बनाए नहीं रखा गया है. डीओपीटी ने जाति प्रमाण पत्र का समय पर सत्यापन सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को समय-समय पर निर्देश जारी किए हैं. जाति प्रमाण पत्र जारी कर
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26 August 2024सऊदी अरब सरकार ने 2025 से हज यात्रा पर जाने वाले भारतीय पति-पत्नी को एक ही कमरे में रुकने पर रोक लगा दी है. सऊदी अरब सरकार ने 2025 से हज यात्रा पर जाने वाले भारतीय पति-पत्नी को एक ही कमरे में रुकने पर रोक लगा दी है. इसे लेकर हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी गाइडलाइन जारी कर दी हैं. सऊदी अरब सरकार ने ऐसा फैसला इसलिए लिया है क्योंकि कुछ लोगों की शिकायत आती थी कि पति और पत्नी के एक ही कमरे में रुकते हैं, जिससे उनके बीच बेपर्दगी होती है. इस बात की जानकारी हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी अरब सरकार को दी थी. इसे लेकर हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी गाइडलाइन जारी कर दी हैं. सऊदी अरब सरकार ने ऐसा फैसला इसलिए लिया है क्योंकि कुछ लोगों की शिकायत आती थी कि पति और पत्नी के एक ही कमरे में रुकते हैं, जिससे उनके बीच बेपर्दगी होती है. इस बात की जानकारी हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी अरब सरकार को दी थी. हज कमेटी ऑफ इंडिया ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नियम तैयार किए हैं. पति-पत्नी के कमरे आस-पास में रखे जाएंगे. हज कमेटी ऑफ इंडिया ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नियम तैयार किए हैं. पति-पत्नी के कमरे आस-पास में रखे जाएंगे. हज कमेटी के मुताबिक, जहां पर हज यात्रियों को ठहराया जाएगा उसके हर फ्लोर पर एक रिसेप्शन का इंतजाम किया जाएगा, ताकि पति-पत्नी उस जगह बैठकर एक-दूसरे से बातचीत कर सकें. हज कमेटी के मुताबिक, जहां पर हज यात्रियों को ठहराया जाएगा उसके हर फ्लोर पर एक रिसेप्शन का इंतजाम किया जाएगा, ताकि पति-पत्नी उस जगह बैठकर एक-दूसरे से बातचीत कर सकें. इससे पहले केवल भारतीय पुरुष और महिला को ही सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान एक कमरे में रहने की अनुमति थी. दुनियाभर के दूसरे देशों से आए पति-पत्नी अलग-अलग कमरे में ही रहते थे. इससे पहले केवल भारतीय पुरुष और महिला को ही सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान एक कमरे में रहने की अनुमति थी. दुनियाभर के दूसरे देशों से आए पति-पत्नी अलग-अलग कमरे में ही रहते थे. भारत को यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि भारत से हज यात्रा पर जाने वाले अधिकतर लोग कम पढ़े-लिखे और ज्यादा उम्र के होते थे. भारत को यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि भारत से हज यात्रा पर जाने वाले अधिकतर लोग कम पढ़े-लिखे और ज्यादा उम्र के होते थे.
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26 August 2024मध्य प्रदेश में जन्माष्टमी के अवसर पर हर साल शैक्षणिक संस्थाओं की छुट्टी घोषित रहती है, लेकिन इस बार जन्माष्टमी के पर्व पर स्कूल खुले रहने वाले हैं. इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से आदेश भी जारी किया गया है. आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी स्कूलों और कॉलेजों में भी मनाई जाएगी. राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के अपर मिशन संचालक की ओर से यह आदेश जारी किया गया है, जिसमें मध्य प्रदेश के सभी प्राचार्य, जिला परियोजना समन्वयक को निर्देशित किया गया है कि जन्माष्टमी पर्व पर स्कूलों में विशेष आयोजन किए जाएं. पूरे मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाएगी जन्माष्टमी पत्र में यह भी लिखा गया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में 7 अगस्त 2024 को आयोजित समीक्षा बैठक में निर्णय लिया गया था कि पूरे प्रदेश में 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व का आयोजन किया जाएगा. इस संबंध में स्कूलों में भी अलग-अलग प्रकार के आयोजन होंगे. योग समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रम शासकीय, गैर शासकीय विद्यालयों और महाविद्यालय में भारतीय विशिष्ट परंपरा, योग आदि पर व्याख्यान और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएंगे. इसी आदेश के तहत जन्माष्टमी पर भी बच्चों को स्कूल आना होगा. बच्चे जानें श्रीकृष्ण का जीवन दर्शन राज्य शिक्षा केंद्र ने 26 अगस्त को विद्यालय और महाविद्यालय खुले रहने के निर्देश जारी करते हुए आयोजन को लेकर भी विषय बताए हैं. इसमें कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा और मित्रता के प्रसंग और जीवन दर्शन पर आधारित विभिन्न विषयों पर व्याख्यान तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. फोटो और वीडियो अपलोड करने के निर्देश आदेश में यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश के जिलों में आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी राज्य शिक्षा केंद्र जिले को मेल की गई गूगल शीट पर 29 अगस्त तक अपलोड करें. इसके साथ इ
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25 August 2024पटना के बापू सभागार में आयोजित जन सुराज महिला संवाद में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जाति जनगणना को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने विकास के मुद्दे को लेकर बिहार के नेताओं पर भी तंज कसा. उन्होंने पूछा कि जातीय गणना से क्या बिहार में गरीबी दूर गई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस शासित राज्य में जातीय गणना कराना चाहिए. मोदी सरकार के स्कीम की तारीफ की केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए शनिवार (25 अगस्त 2024) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी. प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिये यूपीएस स्कीम लाई है, जिसमें 23 लाख कर्मचारी आते हैं. केंद्र ने ओपीएस और एनपीएस की बीच रास्ता निकालने की कोशिश की है." तेजस्वी यादव पर निशाना साधा प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब विकास की बात करते हैं तो हास्यपद लगता है. उन्होंने कहा, "तेजस्वी यादव 6 महीना पहले तक तो नीतीश कुमार के साथ थे. नीतीश कुमार ने पहले ही कर्मचारी का हक मार लिया है." प्रशांत किशोर ने कहा, "जन सुराज 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 40 फीसदी महिला प्रत्याशी होंगी. बिहार में महिला की स्थिति बहुत खराब है. अब बिहार को लालू यादव, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का राज नहीं जनता का राज चाहिए." प्रशांत किशोर ने कहा, "जिन नेताओं ने बिहार को लूटा है, जिन नेताओं ने यहां के लोगों को गरीब बनाया है, बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है, उसे वोट नहीं देना है." उन्होंने वहां मौजूद महिलाओं से अपील की है कि आधा पेट खाएं, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढाएं. उन्होंने कहा कि जब तक आपके बच्चे पढ़ेंगे नहीं तब तक उन्हें कोई डॉक्टर-इंजीनियर नहीं बना सकता.
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25 August 2024पटना के बापू सभागार में आयोजित जन सुराज महिला संवाद में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जाति जनगणना को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने विकास के मुद्दे को लेकर बिहार के नेताओं पर भी तंज कसा. उन्होंने पूछा कि जातीय गणना से क्या बिहार में गरीबी दूर गई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस शासित राज्य में जातीय गणना कराना चाहिए. मोदी सरकार के स्कीम की तारीफ की केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए शनिवार (25 अगस्त 2024) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी. प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिये यूपीएस स्कीम लाई है, जिसमें 23 लाख कर्मचारी आते हैं. केंद्र ने ओपीएस और एनपीएस की बीच रास्ता निकालने की कोशिश की है." तेजस्वी यादव पर निशाना साधा प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब विकास की बात करते हैं तो हास्यपद लगता है. उन्होंने कहा, "तेजस्वी यादव 6 महीना पहले तक तो नीतीश कुमार के साथ थे. नीतीश कुमार ने पहले ही कर्मचारी का हक मार लिया है." प्रशांत किशोर ने कहा, "जन सुराज 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 40 फीसदी महिला प्रत्याशी होंगी. बिहार में महिला की स्थिति बहुत खराब है. अब बिहार को लालू यादव, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का राज नहीं जनता का राज चाहिए." प्रशांत किशोर ने कहा, "जिन नेताओं ने बिहार को लूटा है, जिन नेताओं ने यहां के लोगों को गरीब बनाया है, बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है, उसे वोट नहीं देना है." उन्होंने वहां मौजूद महिलाओं से अपील की है कि आधा पेट खाएं, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढाएं. उन्होंने कहा कि जब तक आपके बच्चे पढ़ेंगे नहीं तब तक उन्हें कोई डॉक्टर-इंजीनियर नहीं बना सकता.
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25 August 2024पटना के बापू सभागार में आयोजित जन सुराज महिला संवाद में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जाति जनगणना को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने विकास के मुद्दे को लेकर बिहार के नेताओं पर भी तंज कसा. उन्होंने पूछा कि जातीय गणना से क्या बिहार में गरीबी दूर गई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस शासित राज्य में जातीय गणना कराना चाहिए. मोदी सरकार के स्कीम की तारीफ की केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए शनिवार (25 अगस्त 2024) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी. प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिये यूपीएस स्कीम लाई है, जिसमें 23 लाख कर्मचारी आते हैं. केंद्र ने ओपीएस और एनपीएस की बीच रास्ता निकालने की कोशिश की है." तेजस्वी यादव पर निशाना साधा प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब विकास की बात करते हैं तो हास्यपद लगता है. उन्होंने कहा, "तेजस्वी यादव 6 महीना पहले तक तो नीतीश कुमार के साथ थे. नीतीश कुमार ने पहले ही कर्मचारी का हक मार लिया है." प्रशांत किशोर ने कहा, "जन सुराज 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 40 फीसदी महिला प्रत्याशी होंगी. बिहार में महिला की स्थिति बहुत खराब है. अब बिहार को लालू यादव, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का राज नहीं जनता का राज चाहिए." प्रशांत किशोर ने कहा, "जिन नेताओं ने बिहार को लूटा है, जिन नेताओं ने यहां के लोगों को गरीब बनाया है, बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है, उसे वोट नहीं देना है." उन्होंने वहां मौजूद महिलाओं से अपील की है कि आधा पेट खाएं, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढाएं. उन्होंने कहा कि जब तक आपके बच्चे पढ़ेंगे नहीं तब तक उन्हें कोई डॉक्टर-इंजीनियर नहीं बना सकता.
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25 August 2024PM नरेंद्र मोदी ने आज ( 25 अगस्त) को मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया. यह मन की बात का 113वां एपिसोड था. इस दौरान PM मोदी ने कहा, 'हमारे देश के युवा बड़ी संख्या में राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं. बस उन्हें सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है.' PM मोदी ने कहा, 'इस साल मैंने लाल किले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीतिक प्रणाली से जोड़ने का आह्वान किया है. मेरी इस बात पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया आई है.' राजनीती में आने को तैयार हैं युवा-PM पीएम मोदी ने कहा, इस साल मैंने लाल क़िले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीतिक प्रणाली से जोड़ने का आह्वान किया था. इस पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है. इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी संख्या में हमारे युवा, राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं. बस उन्हें सही मौक़े और सही मार्गदर्शन की तलाश है. मुझे इस विषय पर कई युवाओं के पत्र मिले हैं. सोशल मीडिया पर लोगों का रिएक्शन मिल रहा है. लोगों ने मुझे कई तरह के सुझाव भेजे हैं. इसमें कई युवाओं ने लिखा कि अपने दादा या माता-पिता की ओर से कोई राजनीतिक विरासत न होने के कारण वे चाहते हुए भी राजनीति में प्रवेश नहीं कर सके. ' सुझाव भेजने के लिए PM मोदी ने किया सभी का धन्यवाद मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "सुझाव भेजने के लिए हर किसी का धन्यवाद करता हूं . मुझे उम्मीद है कि अब हमारे सामूहिक प्रयास से ऐसे युवा, जिनकी कोई राजनतिक पृष्ठभूमि नहीं है, वे भी राजनीति में आगे आ सकेंगे, उनका अनुभव, और उनका जोश, देश के काम आएगा.' स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र से ऐसे अनेकों लोग सामने आए थे, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्टभूमि नहीं थी. उन्होनें खुद को भारत की आजादी के लिए झोंक दिया था. आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी स्पिरिट की जरूरत है. मैं अपने सभी युवा साथियों को कहूंगा इस अभियान से जरूर जुड़ें.
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25 August 2024गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना 2 अक्टूबर 2012 को हुई। अपनी स्थापना के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा था कि वो भ्रष्टाचार का अंत करने के लिए आएं हैं. हालांकि अब आम आदमी पार्टी पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले केस में मनीष सिसोदिया पिछले 17 महीने से जेल में थी. हाल में ही उन्हें जमानत मिली है. जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फिलहाल शराब घोटाला मामला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद हैं. हाल में ही आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट पर हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को लेकर बात की. पॉडकास्ट में उन्होंने प्रशांत किशोर को लेकर भी बात की. उन्होंने प्रशांत किशोर की तारीफ करते हुए कहा कि वो बिहार में अच्छा काम कर रहे हैं. 'मैंने दोनों को मना किया था' इस पॉडकास्ट में शुभांकर मिश्रा ने कुमार विश्वास से सवाल किया था कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया में कौन ज्यादा ईमानदार है. इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने दोनों को बता दिया कि दोनों चोट्टापना ना करो. तो उन्होंने कहा कि तू निकल ले यहां से. उसके बाद मैं वहां से निकल लिया. अब इस बात को कोर्ट जानें और जज जानें.' इसी बीच शुभांकर मिश्रा ने उनसे कहा कि अच्छा हुआ ना, वरना शायद आप भी तिहाड़ से वापस लौट रहे होते. इस पर कुमार विश्वास ने कहा, 'तिहाड़ जाना या जेल जाना कोई खराब बात नहीं हैं. लोक मंगल के लिए अगर जेल हो रही है, जनता के कष्ट निवारण के लिए जेल हो रही है, सत्य की रक्षा के लिए अगर जेल हो रही है तो ठीक है. लेकिन ये चोरी-चकारी, दारू के घोटाले के लिए अगर जेल हो रही है तो ये नीचताएं हैं.' प्रशांत किशोर को लेकर कही ये बात कुमार विश्वास जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की तारीफ की. उन्होंने कहा, 'बिहार में प्रशांत किशोर अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन लोग उन्हें भी शंका की निगाहों से देख रहे हैं क्योंकि एक व्यक्ति ने उसी तरह के मॉडल को अपनाकर उनका विश्वास तोड़ दिया है.'
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24 August 2024बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदुओं के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर जाने-माने कवि और पूर्व आप नेता कुमार विश्वास ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार बांग्लादेश में हिंदुओं की बेटियों के साथ ही क्यों अत्याचार हुआ. भारत का पड़ोसी देश को लेकर जो रुख रहा, वह उससे बहुत खुश नहीं हैं. स्वतंत्र पत्रकार शुभांकर मिश्रा के साथ पॉडकास्ट के दौरान कुमार विश्वास ने बांग्लादेश को लेकर कहा, "शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ते हुए देखा. जो भीड़ उनकी मूर्ति तोड़ रही है, उनके पूर्वजों ने अत्याचार सहे हैं. जो लोग मूर्ति तुड़वा रहे हैं, उन्हीं लोगों के अत्याचार इस भीड़ के पूर्वजों ने सहे. अगर बांग्लादेश में यह आरक्षण के खिलाफ विरोध है तो हिंदू मंदिरों को क्यों जलाया जा रहा है. हिंदू बेटियों के साथ क्यों बदतमीजी की जा रही है?" मैं तो भारत से भी बड़ा चिंतित हूं: कुमार विश्वास बांग्लादेश को लेकर भारत के रुख के बारे में कुमार विश्वास बोले, "मैं तो भारत से भी बड़ा चिंतित हूं. भारत को जिस तरह का विरोध करना चाहिए था उस तरह का विरोध किया नहीं. यह सन 1964 का भारत नहीं रहा. यह 150 करोड़ की आबादी वाला देश है. ये राफेल जेट विमान किस लिए रखे हैं? घूमने के लिए तो राफेल रखे नहीं है?" "स्त्री का कष्ट हम नहीं समझ सकते" भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर भी कुमार विश्वास ने बातचीत के दौरान टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "मैडम गांधी ने क्या किया था…बदतमीजी कर रहे थे, इंदिरा गांधी ने कहा था कि बदतमीजी में करने नहीं दूंगी." उन्होंने आगे बताया कि स्त्री का कष्ट पुरुष नहीं समझ सकते हैं. पश्चिम बंगाल सरकार पर साधा निशाना कुमार विश्वास ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल अस्पताल में हुई ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या को लेकर बंगाल सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बंगाल की मुखर आवाजें इस मामले पर खामोश हैं. कवि ने इसके अलावा सांसद जया बच्चन को लेकर भी कहा कि नाम में पति का नाम न आ जाए कहने वाली जो विजयी आवाजें खामोश हो जाती है, वह पार्टी की स्त्रियां हैं.
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24 August 2024आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस का मुख्य आरोपी संजय रॉय ईयरफोन के साथ क्राइम सीन पर दिखा है. सीबीआई को यह सीसीटीवी फुटेज मिल गई है. संजय रॉय की यह फुटेज सेमिनार रूम के पास की है. आरोपी के गले में ब्लूटुथ ईयरफोन भी नज़र आ रहा है. बताया जा रहा है कि कोलकाता पुलिस ने हॉस्पिटल के इन्हीं सीसीटीवी फुटेज और ब्लूटुथ के आधार पर संजय रॉय को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी. जिसके बाद संजय रॉय ने अपना गुनाह कबूल किया था. फिलहाल संजय रॉय सीबीआई की हिरासत में है. आज सीबीआई उसका पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की तैयारी में है. आरोपी ने कोर्ट में खुद को बताया निर्दोष वहीं सीबीआई ने संजय रॉय को शुक्रवार को सियालदह कोर्ट में पेश किया. सूत्रों के अनुसार जब मैजिस्ट्रेट ने उससे पूछा कि वह पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमति क्यों दे रहा है तो वह फूट-फूटकर रोने लगा. उसने मजिस्ट्रेट से कहा, "मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मुझे फंसाया जा रहा है. शायद पॉलीग्राफ टेस्ट से यह साबित हो जाए." इससे अलग सीबीआई ने आरोपी संजय रॉय को शनिवार को 6 सितंबर तक के लिए जेल हिरासत में भेज दिया. मां भी बेटे को बता रही बेकसूर एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी संजय रॉय की मां ने कहा, "जो किया वो समझेगा. इस घटना में एक आदमी नहीं हैं, बल्कि कई आदमी है. मेरे बेटे ने कुछ भी गलत नहीं किया है, वह बेकसूर है." आरोपी की मां ने बताया कि उसके बेटे ने एक ही शादी की थी, उसकी चार शादी नहीं हुई है. जहां संजय रॉय की मां रहती हैं वहीं पास में उनकी बड़ी बहन भी रहती है. उन्होंने बताया कि संजय की दो शादी हुई थी. उन्होंने कहा कि रेप और हत्या मामले का जानकारी उन्होंने टीवी के माध्यम से मिली. आरोपी की बहन ने कहा कि अगर उसने कुछ गलत किया है तो उसे सजा मिले.
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24 August 2024केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चार कर्मचारियों का पॉलिग्राफ टेस्ट कराएगा. इनमें तीन जूनियर डॉक्टर भी शामिल हैं. दरअसल सीबीआई पता लगाना चाहती है कि क्या ये लोग जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या में शामिल थे. इस क्रूर अपराध का आरोपी संजय रॉय का भी पॉलिग्राफ टेस्ट कराया जाएगा. महिला डॉक्टर 9 अगस्त को मृत पाई गई थी. रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, संजय रॉय सुबह 4 बजे सेमिनार हॉल में दाखिल हुआ, जहां पीड़िता अपनी 36 घंटे की शिफ्ट करने के बाद सो रही थी. इसके बाद वो 4 बजकर 40 मिनट पर बाहर निकला. कोलकाता पुलिस ने उसे सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया. सीबीआई क्यों कराएगी जूनियर डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई फर्स्ट ईयर ग्रेजुएशन के ट्रेनी डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराएगी क्योंकि उनके फिंगरप्रिंट सेमिनार रूम के अंदर पाए गए थे. महिला के सेमिनार रूम में आराम करने से पहले, दोनों पीजी डॉक्टरों ने उसके साथ खाना खाया. एक इंटर्न का भी टेस्ट किया जाएगा क्योंकि वह सेमिनार रूम में गया था और उससे बातचीत की थी. बाद में वह कमरे से बाहर चला गया और महिला वापस सो गई. एक हाउस स्टाफ सदस्य को भी यह परीक्षण करवाना होगा, क्योंकि उस कर्मचारी को फर्स्ट फ्लो के इमरजेंसी वार्ड से तीसरी मंजिल पर जाते देखा गया था. ये कर्मचारी रात 2.45 बजे तीसरी मंजिल पर गया और 3.45 बजे वापस लौटा. चारों लोगों में से किसी ने भी सेमिनार कक्ष से कोई शोर नहीं सुना. डॉ. संदीप घोष को भी होगा पॉलीग्राफ टेस्ट अधिकारियों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की भी अनुमति प्राप्त कर ली है, जिन्होंने घटना के दो दिन बाद इस्तीफा दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हत्या की एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी करने के लिए संदीप घोष और पश्चिम बंगाल पुलिस की खिंचाई की है. कोर्ट ने यह भी कहा कि घोष ने हत्या को आत्महत्या बताने की कोशिश की.
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23 August 2024•मामला: कर्नाटक हाई कोर्ट का है, जहां राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। •तारीख: 20 अगस्त को राधा के वकील ने खर्चों का विवरण दिया और कहा कि उन्हें हर महीने 6,16,300 रुपये की जरूरत है। •खर्चों का विवरण: oकपड़े, जूते और अन्य वस्तुओं के लिए 15,000 रुपये oखाने-पीने के लिए 60,000 रुपये oचिकित्सा उपचार के लिए 4-5 लाख रुपये •जज की प्रतिक्रिया: जज ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर राधा को इतना खर्च करना है, तो उन्हें खुद कमाना चाहिए। गुजारा भत्ता से संबंधित कानून के प्रावधान •प्रश्न 1: पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगने का पूरा मामला क्या है? oउत्तर: मामला कर्नाटक हाई कोर्ट का है। राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मांगा। oसुनवाई: 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान, राधा के वकील ने कपड़े, भोजन, दवा, उपचार और अन्य खर्चों का हवाला देते हुए 6 लाख 16 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। जज ने एक अकेली महिला के लिए इतने खर्च की आवश्यकता पर सवाल उठाया। •जज की टिप्पणी: oजज ने राधा के वकील से कहा, ‘कोर्ट को यह न बताएं कि यह सब एक व्यक्ति की जरूरत है। 6.16 लाख रुपये प्रति माह! क्या एक अकेली महिला अपने ऊपर इतना खर्च करती है? अगर वह खर्च करना चाहती है, तो खुद कमाए।’ oजज ने कहा कि धारा 24 का उद्देश्य पति को सजा देना नहीं है कि पत्नी के साथ विवाद होने पर पति को 6 लाख रुपये देने होंगे। एक उचित मांग लाएं। अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो याचिका खारिज कर दी जाएगी। •वीडियो: इस सुनवाई का वीडियो वायरल हो गया है।
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23 August 2024•मामला: कर्नाटक हाई कोर्ट का है, जहां राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। •तारीख: 20 अगस्त को राधा के वकील ने खर्चों का विवरण दिया और कहा कि उन्हें हर महीने 6,16,300 रुपये की जरूरत है। •खर्चों का विवरण: oकपड़े, जूते और अन्य वस्तुओं के लिए 15,000 रुपये oखाने-पीने के लिए 60,000 रुपये oचिकित्सा उपचार के लिए 4-5 लाख रुपये •जज की प्रतिक्रिया: जज ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर राधा को इतना खर्च करना है, तो उन्हें खुद कमाना चाहिए। गुजारा भत्ता से संबंधित कानून के प्रावधान •प्रश्न 1: पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगने का पूरा मामला क्या है? oउत्तर: मामला कर्नाटक हाई कोर्ट का है। राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मांगा। oसुनवाई: 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान, राधा के वकील ने कपड़े, भोजन, दवा, उपचार और अन्य खर्चों का हवाला देते हुए 6 लाख 16 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। जज ने एक अकेली महिला के लिए इतने खर्च की आवश्यकता पर सवाल उठाया। •जज की टिप्पणी: oजज ने राधा के वकील से कहा, ‘कोर्ट को यह न बताएं कि यह सब एक व्यक्ति की जरूरत है। 6.16 लाख रुपये प्रति माह! क्या एक अकेली महिला अपने ऊपर इतना खर्च करती है? अगर वह खर्च करना चाहती है, तो खुद कमाए।’ oजज ने कहा कि धारा 24 का उद्देश्य पति को सजा देना नहीं है कि पत्नी के साथ विवाद होने पर पति को 6 लाख रुपये देने होंगे। एक उचित मांग लाएं। अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो याचिका खारिज कर दी जाएगी। •वीडियो: इस सुनवाई का वीडियो वायरल हो गया है।
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23 August 2024उत्तर प्रदेश के कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस (19168) पटरी से उतर गई। 22 डिब्बे डिरेल हुए हैं। ट्रेन वाराणसी से अहमदाबाद जा रही थी। गनीमत रही कि हादसे में किसी की जान नहीं गई। कुछ यात्री घायल हुए हैं। हादसा देर रात 2.35 बजे कानपुर शहर से 11 किमी दूर भीमसेन और गोविंदपुरी स्टेशन के बीच हुआ। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा- ट्रेन का इंजन पटरी पर रखी किसी भारी चीज से टकराया। इंजन पर टकराने के निशान हैं। सबूत सुरक्षित रखे गए हैं। IB और UP पुलिस जांच कर रही है। नॉर्दन सेंट्रल रेलवे के GM उपेंद्र चंद्र जोशी ने कहा- यह तय है कि हादसा इंजन के किसी चीज से टकराने से हुआ है। मौके पर कोई चीज नहीं मिली है। हादसे के वक्त ट्रेन की स्पीड 70 से 80 के बीच थी। एक पहिया उतरते ही प्रेशर कम हुआ। ड्राइवर ने वक्त रहते इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए, जिस वजह से बड़ा हादसा होने से बच गया। UP के DGP प्रशांत कुमार ने कहा- दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार मौके पर पहुंचे। आसपास के लोगों से पूछताछ की। पटरी के टुकड़े को भी देखा। आशंका जताई जा रही है कि इसी टुकड़े को पटरी पर रखा गया था, जिस वजह से ट्रेन डिरेल हुई। हादसे से पटरियां उखड़ गईं। लोहे की क्लिप उखड़कर दूर जा गिरी। रेल अफसरों ने बताया- हादसे से 1 घंटे 20 मिनट पहले पटना-इंदौर एक्सप्रेस ट्रैक से गुजरी थी, तब तक ट्रैक सुरक्षित था। हादसे के बाद 16 ट्रेनों को रद्द किया गया। 10 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं। रेलवे का कहना है कि 24 घंटे में ट्रैक क्लियर कर देंगे।
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17 August 2024कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर की घटना के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का शनिवार को 8वां दिन है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी 24 घंटे के लिए अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चालू रखने की बात कही है। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टर्स से हड़ताल खत्म करने को कहा है। मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा- डॉक्टरों की मांग को लेकर कमेटी बनाई जाएगी। सुरक्षा के लिए राज्य सरकारों से भी सुझाव मांगे जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के इस फैसले के पहले IMA चीफ ने शनिवार को कहा- इमरजेंसी सेवाएं छोड़कर अस्पतालों में कामकाज बंद है। हमारी मांग है कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हमने ऐसा कुछ नहीं मांगा जो सरकार नहीं कर सकती है। दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या की गई थी। 14 अगस्त की देर रात इसी अस्पताल में हिंसा हुई, जिसके बाद IMA ने देशभर में प्रदर्शन का फैसला किया था। हड़ताल और रेप-मर्डर केस को लेकर आज के अपडेट्स IMA चीफ बोले- हम जीवन के अधिकार की मांग कर रहे हैं। यह मौलिक अधिकार है। हम प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे। मामले में उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए। PM ने 15 अगस्त की स्पीच में महिलाओं की सुरक्षा की बात कही थी। IMA के समर्थन में बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी के मेडिकल छात्र भी प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने ट्रेनी डॉक्टर को न्याय मिलने और पीड़ित परिवार को मुआवजा मिलने की मांग रखी है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों ने चिट्ठी लिखी। उन्होंने कहा कि कोलकाता वाली घटना से देश की आत्मा पर हमला हुआ है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। पश्चिम बंगाल सरकार ने अलग-अलग कॉलेज के 42 प्रोफेसर्स का तबादला किया। इनमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 2 प्रोफेसर्स डॉ. संगीता पॉल और डॉ. सुप्रिया दास भी हैं। हड़ताल का देशभर में असर 1. राजस्थान में जोधपुर में सबसे ज्यादा प्रदर्शन, 200 ऑपरेशन टाले गए राजस्थान के जोधपुर में शनिवार को रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से एमडीएम हॉस्पिटल, एम्स, महात्मा गांधी हॉस्पिटल और उम्मेद हॉस्पिटल में प्लान किए गए करीब 200 ऑपरेशन को टाल दिया गया है। हॉस्पिटल में भर्ती व इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की जिम्मेदारी सीनियर डॉक्टर्स पर आ गई है। 3. मध्य प्रदेश में सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टरों ने काम बंद किया भोपाल में एम्स सहित मध्य प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया। इससे राज्यभर में मेडिकल सेवाओं पर असर देखने को मिला। कई अस्पतालों में मरीजों को बिना इलाज के छोड़ दिया गया। OPD और OT सेवाएं ठप हैं। सिर्फ इमरजेंसी और ICU चालू रखा गया है। 2. कर्नाटक में सरकारी डॉक्टरों की छुट्टियां सस्पेंड IMA की हड़ताल को लेकर कर्नाटक सरकार ने सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारियों और सर्जनों की छुट्टियां सस्पेंड कर दीं। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित न होनी चाहिए, जिससे लोगों को परेशानी हो। 4. दिल्ली में 5 दिन में 1 लाख से ज्यादा मरीजों को नहीं मिला इलाज दिल्ली में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर की हड़ताल को 5 दिन हो गए हैं। हड़ताल के चलते दिल्ली में रोजाना करीब एक लाख से अधिक मरीजों को उपचार के बिना अस्पतालों से लौटना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, डॉक्टरों की काम रोको हड़ताल के चलते रोजाना लगभग 250 से 300 सर्जरी भी नहीं हो पा रही हैं।
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17 August 2024चीन की मदद से पाकिस्तान भारतीय वायुसेना से ज्यादा मजबूत होने की तैयारी कर रहा है. अभी तो भारतीय वायुसेना के सामने पाकिस्तान की एयरफोर्स टिक नहीं पाती है, लेकिन अगर जैसा पाक चाह रहा है, वैसा ही होता है तो ये भारत के लिए चिंता की खबर है. इसको लेकर पाकिस्तानी एयरफोर्स के रिटायर्ड एयर कमोडोर जिया उल हक शम्सी ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट के अधिग्रहण करेगा. इससे अगले 12-15 साल तक भारतीय वायुसेना पर महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी. शम्सी ने ये भी कहा कि इस अवधि में भारत बराबरी की क्षमता हासिल नहीं कर पाएगा, जिससे पाकिस्तान को लाभ मिलेगा. बता दें कि साल की शुरुआत में ही पाकिस्तानी एयरफोर्स के चीफ ने ऐलान किया था कि पाकिस्तान चीन में बने एफसी-31 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदेगा. इस जेट को J-31 नाम दिया गया है. यह 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे एफ-35 जैसे अपग्रेड विमानों की तरह लड़ने के लिए डिजाइन किया गया है. यह पाकिस्तानी एयरफोर्स के लिए बड़ा मददगार साबित होगा, जिससे उसे काफी लाभ मिलेगा. चीन की नेवी कर रही है इस्तेमाल पाकिस्तानी मीडिया बोल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए पाक के पायलट एफसी-31 को चलाने की चीन में ट्रेनिंग भी ले रहे हैं, जो दिखाता है कि पाकिस्तान इन फाइटर जेट्स को खरीदने के लिए गंभीर है. हालांकि रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं बताया गया कि कितने जेट खरीदे जाएंगे, क्योंकि अभी तक एफसी-31 को चीन की एयरफोर्स में भी शामिल नहीं किया गया है, पर इसका इस्तेमाल चीन की नेवी करती है. अगर पाकिस्तान चीन से एफसी-31 लेता है तो यह भारत के लिए टेंशन वाली बात होगी. जानें अभी क्या है भारत की स्थिति? अगर पाकिस्तान ऐसा कर पाता है तो यह भारत के लिए काफी बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि अभी भारत के पास चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं. हालांकि, राफेल और तेजस को अपग्रेड किया जा रहा है. भारतीय वायुसेना एफसी-31 का मुकाबला करने के लिए 5वीं पीढ़ी का विमान खरीदने की योजना नहीं बना रहा. इसकी जगह भारत खुद के अपने एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बना रहा है.
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16 August 2024जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है. खासतौर पर जम्मू डिविजन में, जो कभी बिल्कुल शांत इलाका हुआ करता था. ऐसे में अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फैसला किया है कि वह आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए जम्मू डिविजन के 10 में से आठ जिलों के लिए 19 स्पेशल काउंटर टेरर यूनिट्स स्थापित करेगी. यह तब हुआ जब केंद्र सरकार ने पूर्व एनएसजी प्रमुख नलिन प्रभात को जम्मू-कश्मीर के विशेष डीजीपी के रूप में नियुक्त किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस सूत्रों ने बताया है कि स्पेशल यूनिट्स बनाने का फैसला बुधवार को लिया गया था. हर एक यूनिट का नेतृत्व डिप्टी एसपी रैंक का एक अधिकारी करेगा. सूत्रों ने कहा कि यूनिट्स का गठन जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की तर्ज पर किया गया है. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को 2000 के दशक के मध्य में शांति बहाली के बाद जम्मू डिविजन में अधिकांश स्थानों पर से भंग कर दिया गया था. हालांकि, अब फिर से इसी तरह की यूनिट्स आतंक का खात्मा करेगी. किन जिलों में तैनात की जाएगी स्पेशल काउंटर टेरर यूनिट्स? स्पेशल यूनिट्स को उन जिलों में तैनात किया जाएगा, जहां आतंकवादियों की आवाजाही देखी जा रही है. कठुआ जिले के मल्हार और बानी जैसे क्षेत्रों में एक यूनिट तैनात होगी. रियासी जिले के पौनी-रांसू, माहौर, चसाना और गुलाबगढ़ इलाकों के अलावा सीमावर्ती पुंछ जिले के बफलियाज-बेहरामगल्ला, मंडी-लोरन और गुरसाई इलाकों में एक-एक यूनिट तैनात की जाएगी. कठुआ और रायसी में हाल के दिनों में कई बार आतंकी हमले भी हुए हैं. सूत्रों ने कहा कि उधमपुर जिले के लाटी और पंचेरी इलाकों; डोडा जिले के देसा-कास्तीगढ़ और असर क्षेत्रों; किश्तवाड़ जिले के दच्छन और द्रबशल्ला; राजौरी जिले के कालाकोट और रामबन जिले के रामसू, चंदरकोट-बटोटे और संगलदान-धर्मकुंड क्षेत्र में एक-एक यूनिट तैनात की जाएगी. सूत्रों ने कहा कि ये स्पेशल पुलिस यूनिट्स आतंकवाद विरोधी अभियान चलाएंगी और इन इलाकों में होने वाले अपराध को भी रोकेंगी.
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16 August 2024मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए बुधवार (14 अगस्त) की देर रात लिस्ट जारी कर दी गई है. चिकित्सा विभाग के अफसरों के अनुसार आज 15 अगस्त को आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं. बता दें प्रदेश के 30 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से प्रतिवर्ष करीब 5 हजार डॉक्टर तैयार होंगे. बुधवार देर रात चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा नीट यूजी काउंसलिंग के लिए सीट चार्ट जारी किया गया है. मध्य प्रदेश में 30 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें सरकारी कॉलेजों की संख्या 17, जबकि 13 प्राइवेट कॉलेज हैं. सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की 2488 सीटें और निजी कॉलेजों में 2450 सीटें सहित कुल 4938 सीटें हैं. हालांकि ऑल इंडिया, केन्द्र सरकार को कोटा और एनआरआई कोटे में 773 सीटें आरक्षित की गई हैं. जिससे प्रदेश के छात्रों को 4,165 सीटों पर ही दाखिल मिल सकेगा. यह है सीटों की स्थिति प्रदेश में कुल 17 सरकारी कॉलेज हैं, जिनमें कुल 2488 सीटें है, इनमें से 370 ऑल इंडिया कोटा, 29 जीओआई कोटा है. एमपी के छात्रों के लिए 2089 सीटें हैं, जबकि जीएस/पीडब्ल्यू/कोटा 334 और ओपन टू ऑल 1755 सीटें हैं. इसी तरह निजी कॉलेजों की संख्या 13 है, इनमें कुल सीटें 2450 हैं, एनआरआई कोटा 374, मध्य प्रदेश के लिए 2076 सीटें, जीएस/पीडब्लयू/कोटा 208 और ओपन टू ऑल सीटें 1868 हैं. 13 निजी डेंटल कॉलेज मध्य प्रदेश में 13 निजी डेंटल कॉलेज भी हैं. होने वाली काउंसलिंग में एमबीबीएस के साथ बीडीएस में भी दाखिला दिया जाएगा. प्रदेश में 13 निजी डेंटल कॉलेज, जिसमें कुल बीडीएस की 1220 सीटें हैं. इनमें अन्य कोटा हटाने के बाद सामान्य 1067 सीटें बचेंगी.
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16 August 2024रामलला की मूर्ति बनाने वाले कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज और उनके परिवार का वीजा एप्लिकेशन अमेरिका ने रिजेक्ट कर दिया है। अमेरिकन एम्बेसी ने इसकी वजह नहीं बताई। योगीराज को वर्जीनिया के रिचमंड में आयोजित विश्व कन्नड़ सम्मेलन में शामिल होना है। यह कार्यक्रम 30 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा। इसे कन्नड़ कूटस एसोसिएशन के द्वारा किया जा रहा है। वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होने पर अरुण के परिवार ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अरुण की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होना हैरान करने वाली बात है।मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं अरुण 37 साल के अरुण मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया, फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। फिर इस पेशे में आए। हालांकि, मूर्ति बनाने की तरफ उनका झुकाव बचपन से था। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं। अयोध्या में रामलला की प्रतिमा अरुण ने ही बनाई है अयोध्या में 22 जनवरी को अरुण की बनाई रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इससे 2 दिन पहले 20 जनवरी को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई थी।लोगों ने अरुण योगीराज की खूब तारीफ की। योगीराज ने काले रंग के एक ही पत्थर से पूरी प्रतिमा बनाई। इस पत्थर को कहीं से जोड़ा नहीं गया। अरुण की मां ने कहा था- चाहती थीं बेटा जॉब करे अरुण योगीराज की मां सरस्वती योगीराज ने कहा था कि बेटे अरुण की स्कूलिंग मैसूर के GSS बाल जगत स्कूल से हुई। 12वीं की परीक्षा मरीमाला स्कूल से पास की, बीकॉम की डिग्री JSS कॉलेज से की थी। उसके बाद उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया। मैं चाहती थी कि वो भी 8 घंटे की कॉर्पोरेट जॉब करें, सूट-बूट पहनकर ऑफिस जाएं। मेरी इच्छा का मान रखने के लिए अरुण ने बेंगलुरु की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब भी किया था, लेकिन सिर्फ दो महीने में ही उसे छोड़कर शिल्पकला में वापस आ गया। तुलसीदास की रामचरित मानस के बालकांड में भगवान राम के बाल स्वरूप का वर्णन है। उसमें राम के श्याम वर्ण, मुस्कान और शरीर के बाकी अंगों की सुंदर व्याख्या की गई है। अयोध्या के राम मंदिर में लगाए गए कृष्णशिला से बनी श्रीरामलला की मूर्ति बहुत हद तक वैसी ही है।
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15 August 2024कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के विरोध में गुरुवार रात प्रदर्शन हिंसक हो गया। भीड़ पुलिस बैरिकेड तोड़कर कॉलेज में घुस गई। ये लोग कौन थे यह साफ नहीं हो पाया है। BJP और TMC प्रदर्शनकारियों के बीच दंगाइयों को भेजने का आरोप लगा रही हैं। पहले इस भीड़ ने पुलिस के वाहनों में तोड़-फोड़ की, पुलिस पर पत्थर फेंके। इसके बाद भीड़ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भी घुसी और यहां भी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया। तोड़फोड़ करने वाले ज्यादा थे और पुलिस फोर्स कम, इसलिए वह भीड़ को कंट्रोल नहीं कर पाई। उन्हें काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस छाेड़ी। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि उपद्रवियों की संख्या एक हजार से ज्यादा थी। यह गलत मीडिया कैंपेन के चलते हुआ- पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल: जो कुछ यहां हुआ है वह गलत मीडिया कैंपेन के चलते हुआ है। यह दुर्भावनापूर्ण कैंपेन कोलकाता पुलिस के खिलाफ चलाया जा रहा था। कोलकाता पुलिस ने क्या नहीं किया? हमारे खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं। हमने कुछ गलत नहीं किया है फिर भी मीडिया के दुर्भावनापूर्ण अभियान की वजह से लोगों ने कोलकाता पुलिस पर भरोसा करना बंद कर दिया है। हमने कभी नहीं कहा कि एक ही आरोपी है। हम साइंटिफिक एविडेंस का इंतजार कर रहे हैं। इसमें समय लगता है। सिर्फ अफवाहों के आधार पर मैं किसी युवा पीजी छात्र को गिरफ्तार नहीं कर सकता, यह मेरे जमीर के खिलाफ है। मीडिया की तरफ से बहुत दबाव है। हमने वही किया जो सही था। अब जांच CBI के पास है। वह निष्पक्ष जांच करेगी। हम CBI को पूरा सहयोग देंगे। यहां बहुत झूठा प्रचार हो रहा है कि हड्डियां टूटी हुई हैं, यह किया गया है, वह किया गया है। गुंडागर्दी की सीमाएं पार हुईं- TMC नेता अभिषेक बनर्जी : तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने X पर पोस्ट किया कि आज रात आरजी कर में गुंडागर्दी और तोड़फोड़ सभी सीमा पार कर दी गईं। मैंने कोलकाता पुलिस कमिश्नर से बात की और उनसे कहा है कि वे इस हिंसा के लिए जिम्मेदार हर व्यक्ति की पहचान करें और अगले 24 घंटे में उन्हें कानून के घेरे में लाया जाए, चाहे उनका राजनीतिक संबंध कुछ भी हो। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की मांगें सही हैं। क्या वे सरकार से इतनी भी उम्मीद नहीं कर सकते हैं? उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ममता बनर्जी ने अपने गुंडे भेजे- भाजपा सुवेंदु अधिकारी : ममता बनर्जी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में चल रही गैर-राजनीतिक प्रदर्शन रैली में अपने गुंडे भेजे। ममता समझती हैं कि वे दुनिया की सबसे शातिर इंसान हैं और लोग उनका यह प्लान समझ नहीं पाएंगे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों जैसे दिखने वाले गुंडे भेजे जिन्होंने भीड़ में शामिल होकर कॉलेज में उपद्रव मचाया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रास्ता दिया, ताकि वे सबूतों को मिटा सकें और CBI को वे सबूत न मिल सकें, लेकिन ये गुंडे बेवकूफ थे और अपना प्लान अच्छे से पूरा नहीं कर सके। जब उन्होंने धरना मंच पर तोड़फोड़ की तो उन्होंने अपनी पहचान उजागर कर दी। अगर कोई प्रदर्शन का हिस्सा बनने आया है तो वह प्रदर्शन की जगह को नुकसान क्यों पहुंचाएगा? प्रदर्शन तो पूरे राज्य में हो रहे हैं, तो हिंसा सिर्फ आरजी कर कॉलेज में ही क्यों हुई? देशभर में 'रिक्लेम द नाइट' प्रदर्शन जारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई रेप और मर्डर की घटना के विरोध में देशभर में रात 11:55 बजे रिक्लेम द नाइट नाम का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। इसका मतलब है- रात पर अपना अधिकार हासिल करना। इस प्रदर्शन को आजादी की आधी रात में महिलाओं की आजादी की खातिर प्रदर्शन का नाम दिया गया है। 2012 में निर्भया कांड के बाद भी देशभर में कई जगहों पर रिक्लेम द नाइट प्रदर्शन किया गया था।
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15 August 2024बांग्लादेश में एक के बाद एक घटनाएं हो रही हैं, जिसपर पूरी दुनिया की नजर है. सबसे पहले शेख हसीना के हाथ से देश की सत्ता छीन ली गई और उनको देश से भागने पर मजूबर किया गया. इसके बाद मोहम्मद यूनुस को पेरिस से बुलाकर उनके हाथ में बांग्लादेश की सत्ता दे दी गई. इसके बाद भी बांग्लादेश में बवाल कम नहीं हो रहा है. अब बांग्लादेश में 15 अगस्त को लेक नया बवाल शुरू हो गया है. अब जब भारत 15 अगस्त को आजादी का जश्न मना रहा होगा, तभी बांग्लादेश में छुट्टी को लेकर बवाल मचा रहेगा. क्योंकि बांग्लादेश की नई सरकार ने 15 अगस्त को होने वाली छुट्टी को रद्द कर दिया है. शेख हसीना के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है. बांग्लादेश में 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी. स्वतंत्र बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और देश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान को राजधानी ढाका के धानमंडी में उनके घर पर परिवार समेत 15 अगस्त 1975 को मार डाला गया था. इस हत्याकांड को सेना की एक टुकड़ी ने अंजाम दिया था. हसीना ने की शोक दिवस मनाने की अपील बांग्लादेश की नई सरकार की तरफ से 15 अगस्त की छुट्टी रद्द करने पर अब नया बवाल शुरू हो गया है. इस मसले पर बांग्लादेश की नई सरकार और शेख हसीना आमने-सामने आ गई हैं. शेख हसीना ने इस फैसले का विरोध करते हुए आम बांग्लादेशियों से शोक दिवस मनाने को कहा है. शेख हसीना ने कहा कि 'मैं आपसे अपील करती हूं कि 15 अगस्त को पूरी श्रद्धा और गरिमा के साथ शोक दिवस मनाएं. बंगबंधु भवन जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करें, जिससे सभी आत्माओं को शांति मिले.' शेख हसीना की तरफ से यह पोस्ट उनके बेटे सजीब वाजेद ने अपने एक्स हैंडल पर किया है. मुजीबुर रहमान पर हो रहे हमले मुख्य सलाहकार कार्यालय ने बताया कि 15 अगस्त की छुट्टी को रद्द करने का फैसला सलाहकार परिषद की बैठक में हुआ है. फिलहाल, इस फैसले को लेना नई सरकार के लिए इतना आसान नहीं था. इस दौरान खूब कहासुनी भी हुई. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कई दल छुट्टी रद्द करने के विरोध में थे, जबकि कुछ लोग चाहते थे कि छुट्टी को रद्द कर दिया जाए. ऐसे में माना ये जा रहा है कि अब बांग्लादेश में 15 अगस्त को बवाल होना तय है. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यदि 15 अगस्त को बड़ा विरोध होता है, तो इसका मतलब है कि अब भी बांग्लादेश में शेख हसीना की जमीन बची हुई है. हालांकि देखेने में ये आया है कि जब से शेख हसीना की पकड़ कमजोर हुई है, उनके पिता से जुड़ी चीजों पर जमकर हमले हुए हैं.
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14 August 2024आरजी मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना पर पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने कोलकाता पुलिस के शुरुआती दावों का खंडन किया है. जिसमें पुलिस का कहना था कि अपराध में केवल एक शख्स ही शामिल था. डॉ. सुवर्ण गोस्वामी ने कहा कि मृतक के शरीर पर चोटों के निशानों से पता चलता है कि अपराध में एक से ज्यादा लोग शामिल थे. साथ ही पोस्टमार्टम में पीड़िता के शरीर में 150 मिलीग्राम सीमन मिला था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. सुवर्ण गोस्वामी का कहना है कि पीड़िता के शरीर में पाया गया सीमन एक शख्स का नहीं हो सकता. क्योंकि, इस बात की संभावना है कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप में एक से ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं. हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सामने आते ही कोलकाता पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने शुरु हो गए हैं. कोलकाता पुलिस ने आरोपी संजय रॉय को किया था अरेस्ट दरअसल, कोलकाता पुलिस ने रेप के बाद हत्या का मामला सामने आते ही 24 घंटे से भी कम समय में आरोपी संजय रॉय (35) को गिरफ्तार कर लिया था. जिसमें पुलिस का कहना था कि इस घटना में केवल एक ही शख्स शामिल है. जहां शुक्रवार, 9 अगस्त की सुबह लगभग 7.30 बजे, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर का शव अर्धनग्न अवस्था में मिला था. पीड़िता ने आखिरी बात सहकर्मियों से की थी बातचीत इस बीच मृतक महिला के सहकर्मी का कहना है कि "वह वार्ड में भर्ती मरीजों की जांच करने के लिए राउंड लगाती थी और रात में देर तक मरीजों की देखभाल में व्यस्त रहती थी. सिवाय रात 11 बजे के आसपास डिनर करने के लिए कुछ मिनट बिताने के. सहकर्मी ने आगे बताया कि "वह थोड़ा आराम करना चाहती थी और पढ़ाई भी करना चाहती थी और इसलिए अपने जूनियर को किसी भी आपात स्थिति में उसे बुलाने के लिए कहने के बाद सेमिनार रूम में चली गई और वह आखिरी बार था जब उसने सहकर्मियों से बातचीत की थी. आरोपी संजय रॉय को CBI को सौंपा गया कोलकाता पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार संजय रॉय को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में मेडिकल टेस्ट कराने के बाद सीजीओ कॉम्प्लेक्स में सीबीआई को सौंप दिया है. दरअसल, मंगलवार शाम को 2 सीबीआई अधिकारी टाला पुलिस स्टेशन गए और कोलकाता पुलिस की जांच से जुड़े दस्तावेज अपने साथ ले गए. क्योंकि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता पुलिस को निर्देश दिया था कि वह शाम तक केस डायरी केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को सौंप दे और सभी दस्तावेज 14 अगस्त की सुबह 10 बजे तक सौंप दें.
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14 August 2024देश में जाति के मुद्दे पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. हर गुजरते दिन के साथ नेताओं की बयानबाजी तेज होती जा रही है. अब इस कड़ी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र पांचजन्य के संपादकीय में जाति के मुद्दे को उठाया गया है. पांचजन्य के संपादकीय में जाति व्यवस्था को भारत को जोड़ने वाला अहम कारक बताया है.साप्ताहिक के संपादक हितेश शंकर ने लिखा, 'जाति व्यवस्था को मुगल नहीं समझ पाए और अंग्रेज इसे भारत पर आक्रमण में बाधा के रूप में देखते थे. जाति व्यवस्था एक जंजीर थी जो भारत के विभिन्न समुदायों को उनके पेशे और परंपरा के मुताबिक वर्गीकृत करके एक साथ रखने का काम करती थी. दावा किया गया कि जाति व्यवस्था को पूंजीपतियों ने देश के रक्षक के रूप में देखा था.' मुगलों और मिशनरियों पर निशाना संपादकीय में तर्क दिया गया, 'जाति व्यवस्था हमेशा से आक्रमणकारियों के निशाने पर रही है. मुगलों ने तलवार के बल पर तो मिशनरियों ने सेवा और सुधार की आड़ में जाति व्यवस्था को निशाना बनाया. भारत ने बहुत पहले ही ये बात समझ ली थी कि जाति से दगा करना देश से दगा करने जैसा होगा. भारत और उसके स्वाभिमान को तोड़ने के लिए जाति व्यवस्था या इसे एकजुट करने वाले कारकों को बाधा बताकर तोड़ने की कोशिशें हुई.' कांग्रेस पर भी साधा निशाना इस संपादकीय में लिखा गया है कि अंग्रेजों ने जाति व्यवस्था को फूट डालो और राज करो की नीति के लिए अपनाया था. अहम ये है कि इस लेख में कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए लिखा गया कि कांग्रेस ने इस व्यवस्था को हिंदू एकता के कांटे के रूप में देखा. कहा गया 'कांग्रेस इसलिए जाति जनगणना कराना चाहती है, क्योंकि उसका लक्ष्य देश में बंटवारे को बढ़ाना है.'
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13 August 2024बैंक अकाउंट आपके पैसों का मैनेजमेंट करने के लिए होता है. इसमें आप पैसा जमा और निकासी करते रहते हैं. हालांकि, आपका बैंक अकाउंट कई तरह के नियमों से बंधा होता है. यदि इसमें चूक की जाए तो आपको 60 फीसदी तक टैक्स चुकाना पड़ सकता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार, अगर आप अपने अकाउंट में कैश जमा करते हैं और आय का स्त्रोत बताने में असफल रहे तो आपसे यह भारी भरकम टैक्स वसूला जाएगा इसमें 25 फीसदी सरचार्ज और 4 फीसदी सेस भी शामिल है. आइए आपको कैश डिपॉजिट के नियमों से परिचित करवा देते हैं. इनकम का सोर्स न बता पाने पर देना होगा 60 फीसदी टैक्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) को इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) की धारा 68 के अनुसार, यह ताकत मिली हुई है कि वह इनकम का सोर्स न बता पाने के खिलाफ नोटिस जारी कर 60 फीसदी टैक्स की वसूली शुरू कर सकता है. सरकार की लगातार कोशिश यह रही है कि लोग कम से कम संख्या में कैश का इस्तेमाल करें. सेविंग अकाउंट में कैश डिपॉजिट लिमिट लगाकर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और अवैध वित्तीय गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है. 10 लाख रुपये से ज्यादा कैश डिपॉजिट करने पर देनी होगी सूचना इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, अगर आप सेविंग अकाउंट में एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा कैश डिपॉजिट करते हैं तो आपको टैक्स अधिकारियों को सूचना देनी पड़ेगी. करेंट अकाउंट में यह लिमिट 50 लाख रुपये है. हालांकि, यह जानना आवश्यक है कि लिमिट से ज्यादा कैश जमा करने पर तत्काल कोई टैक्स नहीं लगता है. साथ ही अगर आप सही जानकारी देने में सफल रहते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. एक करोड़ रुपये से ज्यादा विड्रॉल पर 2 फीसदी टीडीएस कटेगा इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 194N कहता है कि एक करोड़ रुपये से ज्यादा पैसा बैंक अकाउंट से निकालने पर 2 फीसदी टीडीएस काटा जाएगा. हालांकि, अगर आपने पिछले 3 साल से आईटीआर नहीं भरा है तो 20 लाख से ज्यादा रकम निकालने पर ही आपको 2 फीसदी टीडीएस और 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी पर 5 फीसदी टीसीएस देना होगा.
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13 August 2024कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरजी मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्याकांड की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने सभी दस्तावेज तत्काल सीबीआई को सौंपने को कहा है. इस दौरान हाई कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बनाने पर पश्चिम बंगाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया है कलकत्ता हाई कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से कहा कि वह अपने आप छुट्टी पर चले जाएं, वरना कोर्ट आदेश पारित करेगी. इस दौरान हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल पूछा है कि जब एक छात्र की मौत हुई थी, तो फिर उस मामले में प्रिंसिपल की तरफ से कोई शिकायत क्यों नहीं दी गई? यह संदेह को पैदा करता है. CBI को केस सौंपने की देरी होगी घातक इस बीच न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में एडवोकेट बिलवदल भट्टाचार्य ने कहा कि, "...मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया था कि उन्हें मामले को सीबीआई को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह समयबद्ध किया गया था कि इस विशेष समयावधि की समाप्ति के बाद, हम इसे सीबीआई को सौंप देंगे. लेकिन हमारा कहना है कि यह देरी बहुत घातक होगी. क्योंकि सबूत नष्ट हो जाएंगे. इसलिए हाई कोर्ट ने पक्षों की दलीलें सुनी हैं. आज पीड़ित लड़की के माता-पिता भी एक याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट के सामने मौजूद थे. पुलिस ने बरती लापरवाही- बिलवदल भट्टाचार्य एडवोकेट बिलवदल भट्टाचार्य ने आगे कहा कि मैंने अपने मुवक्किलों की ओर से तर्क दिया कि इस जघन्य हत्या के बावजूद, शव के इतनी रक्तरंजित अवस्था में और अर्धनग्न होने के बावजूद, पुलिस ने सुसाइड का मामला दर्ज करने में लापरवाही बरती है. जिसके कारण पुलिस को केस दर्ज करने और उसके बाद किसी को गिरफ्तार करने में काफी समय लगा. इसलिए यह दिखाने के लिए पर्याप्त था कि पुलिस का रवैया कितना लापरवाही भरा था. मृतका के माता-पिता की सुरक्षा के लिए उठाए जाएंगे जरूरी कदम उन्होंने कहा कि हम हाई कोर्ट के आभारी हैं कि मामला अब सीबीआई को सौंप दिया गया है. हम यह भी चाहते थे कि कोर्ट जांच की निगरानी करे. हालांकि, अब हाई कोर्ट ने सीबीआई को समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. यदि मृतक लड़की के माता-पिता को खतरा महसूस होता है, तो सीबीआई को हमेशा गवाह संरक्षण योजना के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए. देश भर में हड़ताल का ऐलान एफएआईएमए (फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन) ने (13 अगस्त मंगलवार) से देश भर में हड़ताल का एलान किया था. इसमें देश भर में ओपीडी सेवाओं को बंद करने को कहा गया. हालांकि, इससे पहले एफओआरडीए (फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने भी ऐलान किया था कि देश भर में हड़ताल की जाएगी.
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13 August 2024रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. यूक्रेन ने रूस की सेना को झटका दिया है. खबर है कि यूक्रेन की सेना रूस की सीमा में घुसकर कार्रवाई कर रही है. यूक्रेनी सेना रूस के क्षेत्र में 30 किलोमीटर तक अंदर घुस गई है. इमारतों पर यूक्रेनी सैनिक अपने देश का झंडा भी लगा रहे हैं. इसे रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का इसको लेकर ऑफिशियल बयान भी आया है. उन्होंने यूक्रेन की सेना के रूस में घुसने की पुष्टि की है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान वहीं, रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से भी बयान जारी किया गया है. रूस ने कहा कि उसकी सेना ने टोलपिनो और ओब्श्ची कोलोदेज गांवों के पास यूक्रेनी सैनिकों से मुठभेड़ की है. वहीं, यूक्रेन के अधिकारी कई दिनों तक इस खबर के बारे में चुप्पी साधे रहे. रूस के अंदर यूक्रेनी सैनिकों की तस्वीरें, विडियो और रिपोर्ट सामने आने के बाद ही बयान जारी किया गया.पुतिन के लिए इस घटना को शर्मिंदगी वाला बताया जा रहा है, क्योंकि रूस की सेना रविवार को छठे दिन भी यूक्रेन के सैनिकों को रोक नहीं पाई. कुर्स्क ऑपरेशन के जरिए ऐसा पहली बार हुआ है, जब यूक्रेन की सेना रूस में घुसी है. इसे रूस की सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. फेंक दिया रूस का झंडा वहीं, सोशल मीडिया पर भी कुछ ऐसे वीडियो सामने आए, जिनमें दिखाया गया था कि यूक्रेनी सेना बल रूसी क्षेत्र के गांव में हंसते जा रही है. एक विडियो में तो यूक्रेनी सैनिक अपने देश का झंडा लेकर इमारत तक जाता है और उसे दीवार पर खड़े साथी सैनिक को सौंपता है. सैनिक इमारत पर यूक्रेन का झंडा फहरा देते हैं. विडिया में रूस का झंडा जमीन पर फेंकते हुए भी यूक्रेनी सैनिक दिख रहे हैं.
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12 August 2024भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर कोई जज रिटायर होता है, तो उसके बाद उसे थोड़ा समय खुद को भी देना चाहिये. अगर वो राजनीति में जाना चाहते हैं तो भी पर्याप्त समयांतराल होना चाहिये. मुख्य न्यायाधीश के इस इंटरव्यू ने कूलिंग ऑफ पीरियड को फिर से चर्चा में ला दिया है. ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये कूलिंग ऑफ पीरियड क्या है, चर्चा में क्यों है और क्या अब जज रिटायरमेंट के बाद नहीं बन सकेंगे सांसद? क्या है कूलिंग ऑफ पीरियड यह किसी सरकारी कर्मचारी का रिटायरमेंट के बाद का समयांतराल है, जिस दौरान वह कोई अन्य पद स्वीकार नहीं कर सकता है. उदाहरण के लिए चुनाव आयोग और सरकारी अधिकारी का पद ही ले लीजिये. जब कोई सरकारी अधिकारी चुनावों में किसी पद पर होता है, तो उसे चुनाव से संबंधित कोई भी निर्णय लेने के बाद एक निश्चित अवधि तक कोई अन्य पद नहीं ग्रहण करना होता है. इसे ही कूलिंग ऑफ पीरियड कहा जाता है निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में कूलिंग ऑफ पीरियड: जब कोई व्यक्ति निजी क्षेत्र से सार्वजनिक क्षेत्र में आता है, तो उसे भी कूलिंग ऑफ पीरियड का पालन करना पड़ सकता है, ताकि वह अपने पिछले कार्यस्थल से जुड़ी कोई भी जानकारी या प्रभाव का अनुचित लाभ न उठा सके. कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरत क्यों न्यायाधीशों के संदर्भ में, कूलिंग ऑफ पीरियड का मतलब उस समयावधि से होता है जिसके दौरान एक न्यायाधीश यानी जज अपने पद से रिटायर होने के बाद किसी भी अन्य पद, खासकर सरकारी या राजनीतिक पद, को ग्रहण नहीं कर सकता. इसका उद्देश्य न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखना है, ताकि न्यायाधीश के फैसले में किसी भी तरह का संभावित हितों का टकराव न हो. भारत में, न्यायाधीशों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरत इसलिए होती है ताकि वह रिटायरमेंट के बाद कुछ वक्त तक किसी भी राजनीतिक या सरकारी पद को न स्वीकारें. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि न्यायाधीश अपने कार्यकाल के दौरान कोई ऐसा निर्णय न लें जो उनके भविष्य के लाभ के लिए हो. हालांकि, यह कूलिंग ऑफ पीरियड हर न्यायिक प्रणाली में अलग अलग हो सकता है और भारत में इस संबंध में अभी भी व्यापक चर्चा और बहस चल रही है. कौन से लोग हैं जो रिटायरमेंट के बाद राजनीति में नहीं आ सकते भारत के नियंत्रक लेखा महापरीक्षक गृह सचिव कैबिनेट सचिव जजों के राजनीति में शामिल होने पर और क्या बोले CJI चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "जजों को राजनीति में जाना चाहिए या नहीं, यह मामला अलग है. यह बहस का मुद्दा है. लेकिन अगर राजनीति में जा रहे हैं तो कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए. मुझे लगता है कि अगर आप एक बार जज नियुक्त हो जाते हैं तो आजीवन जज ही रहते हैं. चाहे आप अदालत में कार्यरत हैं या नहीं या फिर आप रिटायर हो जाएं. लेकिन आम नागरिक आपको देखता है तो सोचता है कि आप तो जज हैं." न्याय न केवल हो बल्कि होते हुए दिखे भी: CJI डीवाई चंद्रचूड़ सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "जज की बोलचाल, व्यवहार ये सब रिटायर होने के बाद भी वैसा ही दिखना चाहिए. मैं किसी और के फैसले की समीक्षा नहीं करना चाहता हूं. हम कहते हैं कि न्याय न केवल होना चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. मान लीजिए कि आज जज साहब अदालत में थे और कल रिटायर होकर उन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन कर लिया तो आम आदमी क्या सोचेगा?" रिटायरमेंट के बाद कितने जजों ने राजनीति को चुना भारत में कुछ ऐसे न्यायाधीश हुए हैं जो सेवानिवृत्ति यानी रिटायरमेंट के बाद राजनीति में शामिल हुए हैं. यह अक्सर चर्चा का विषय बनता है क्योंकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि न्यायाधीश राजनीति से दूर रहें. यहां कुछ प्रमुख न्यायाधीशों का उल्लेख किया गया है जो सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए. न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा: रंगनाथ भारत के 21वें मुख्य न्यायाधीश (1990-1991) वो रिटायरमेंट के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया. न्यायमूर्ति बहारुल इस्लाम: बहारुल इस्लाम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (1980-1983) थे. वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके थे. न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा. न्यायमूर्ति मीर कासिम: कासिम कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद, नेशनल कांफ्रेंस पार्टी में शामिल होकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है. न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू: मार्कंडेय काटजू सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (2006-2011) रह चुके हैं. उन्होंने प्रत्यक्ष राजनीति में प्रवेश नहीं किया, लेकिन कई बार अपने विचारों के माध्यम से राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर टिप्पणियां की हैं. हालांकि, वे सक्रिय राजनीति में नहीं आए, लेकिन उन्होंने राजनीतिक मामलों पर चर्चा करते हुए एक प्रमुख सार्वजनिक व्यक्तित्व के रूप में अपनी पहचान बनाई है.
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12 August 2024सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 अगस्त) को यूजीसी-नेट एग्जाम के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया. याचिकाकर्ताओं ने 18 जून को आयोजित हुई यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती दी थी. इस संबंध में दायर की गई याचिका पर शीर्ष अदालत ने इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया. यूजीसी-नेट परीक्षा का आयोजन दोबारा से 21 अगस्त को हो रहा है.चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 9 लाख लोग परीक्षा देने वाले हैं. उन्हें अनिश्चितता में नहीं डाला जा सकता. कुछ छात्रों का कहना था कि जून में हुई परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. उसकी सीबीआई जांच जारी है. ऐसे में जब तक सीबीआई जांच चल रही है, तब तक छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित नहीं करवाई जाए. यूजीसी नेट परीक्षा 18 जून को आयोजित हुई थी, लेकिन अगले ही दिन इसे रद्द कर दिया गया, क्योंकि सरकार को इस परीक्षा में गड़बड़ी होने की जानकारी मिली थी
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12 August 2024सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त, 2024) को मुंबई के एक कॉलेज के उस परिपत्र पर आंशिक रूप से रोक लगा दी है, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर पाबंदी लगाई गई है. कोर्ट ने कहा कि अगर कॉलेज का इरादा छात्राओं की धार्मिक आस्था के प्रदर्शन पर रोक लगाना था, तो तिलक और बिंदी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया. कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी कहा कि छात्राओं को यह चुनने की आजादी होनी चाहिए कि वह क्या पहनें. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शैक्षिक संस्थान छात्राओं पर अपनी पसंद को नहीं थोप सकते. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने एन जी आचार्य और डी के मराठे कॉलेज चलाने वाली चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी को नोटिस जारी किया और 18 नवंबर तक उनसे जवाब तलब किया है. बेंच ने मुस्लिम छात्रों के लिए ड्रेस कोड को लेकर उत्पन्न नए विवाद को लकेर चर्चा में आए कॉलेज प्रशासन से कहा, 'छात्राओं को यह चुनने की आजादी होनी चाहिए कि वे क्या पहनें और कॉलेज उन पर दबाव नहीं डाल सकता... यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अचानक पता चलता है कि देश में कई धर्म हैं.' कोर्ट ने एजुकेशनल सोसायटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील माधवी दीवान से पूछा कि क्या छात्रों के नाम से उनकी धार्मिक पहचान उजागर नहीं होती? हालांकि, पीठ ने कहा कि छात्राओं को कक्षा के अंदर बुर्का पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती और न ही परिसर में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति दी जा सकती है. बेंच ने कहा कि उसके अंतरिम आदेश का किसी के द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी दुरुपयोग के मामले में एजुकेशनल सोसायटी और कॉलेज को अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी. सुप्रीम कोर्ट परिसर के अंदर हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के कॉलेज के फैसले को बरकरार रखने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जैनब अब्दुल कयूम समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेस और वकील अबिहा जैदी ने कहा कि प्रतिबंध के कारण छात्राएं कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रही हैं.
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9 August 2024बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के चीफ रामदास अठावले ने एक बार फिर कोटे में कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असहमति जताई है. हालांकि उन्होंने पीएम मोदी पर भरोसा जताया है.रामदास अठावले ने कहा कि PM ने पूरा भरोसा दिया है कि SC, ST आरक्षण में क्रीमी लेयर नहीं होगा. उन्होंने पीएम का आभार जताते हुए कहा कि SC, ST आरक्षण में क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए. हालांकि मैं निजी तौर पर कोटे में कोटा का समर्थन करता हूं. बीजेपी एससी-एसटी वर्ग के सांसदों ने पीएम को सौंपा ज्ञापन बता दें कि रामदास अठावले की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) एससी और एसटी वर्ग के सांसदों ने शुक्रवार (9 अगस्त 2024) को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. पीएम ने सांसदों को दिया ये भरोसा इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससी-एसटी वर्ग के इन सभी सांसदो को इस बात से आश्वस्त किया कि एससी और एसटी के आरक्षण में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. ये सभी सांसद भी पीएम के आश्वासन से संतुष्ट दिखे. बीजेपी के कई और सहयोगी दल कर चुके हैं विरोध सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध सिर्फ रामदास अठावले ही नहीं, बल्कि एनडीए में शामिल कई और दल कर चुके हैं. पीएम मोदी के काफी विश्वसनीय माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास गुट) के प्रमुख चिराग पासवान भी इस फैसले का विरोध कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि वह इसे किसी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे. SC की 7 जजों की बेंच ने SC/ST पर क्या कहा? सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को 6:1 बहुमत से फैसला सुनाया था. इसमें उन्होंने कहा था कि राज्य इन समूहों में सबसे वंचित जातियों के लिए कोटा सुनिश्चित करने के लिए एससी और एसटी को और उप-वर्गीकृत कर सकते हैं. इस फैसले का समर्थन करने वाले 6 में से 4 जजों ने अलग-अलग फैसले लिखे, जिसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया गया.
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9 August 2024मुंबई के चेंबूर के एक कॉलेज में नकाब, हिजाब, स्टोल या कैप पर रोक के सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (09 अगस्त) को रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह में होगी. मुंबई के चेंबूर के एनजी आचार्य एंड डीके मराठे कॉलेज ने यह रोक लगाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म कोड के आधार पर सही ठहराया था.सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए यह साफ किया कि कॉलेज में बुर्का पहनने की इजाजत नहीं दी जा सकती. जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कॉलेज की वकील से यह सवाल भी किया कि अगर वह धार्मिक पहचान के कॉलेज में प्रदर्शन के विरुद्ध है, तो क्या उसने तिलक या बिंदी लगाने पर भी रोक लगाई है? कॉलेज का कहना था कि उसके यहां 441 मुस्लिम लड़कियां पढ़ती हैं. उनमें से सिर्फ 3 कॉलेज में नकाब पहनने की जिद कर रही हैं. कब और कैसे शुरू हुआ विवाद? दरअसल, ये विवाद 1 मई को शुरू हुआ, जब चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे. नोटिस में एक ड्रेस कोड की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी, बैज और स्टोल पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह "कानून के अनुसार गलत, निरर्थक और अमान्य" है. कॉलेज प्रशासन ने नहीं सुनी तो छात्र पहुंचे हाई कोर्ट इसके बाद छात्रों ने शुरू में कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल से संपर्क किया और क्लास में अपनी पसंद, सम्मान और गोपनीयता के अधिकार का हवाला देते हुए हिजाब, नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. जब उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया तो उन्होंने मामले को मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उप-कुलपति के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सामने उठाया और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्रदान करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर छात्रों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील अल्ताफ खान ने कुरान की आयतें पेश करके तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक जरूरी हिस्सा है. याचिका में कहा गया कि कॉलेज की कार्रवाई "मनमाना, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत" है. कॉलेज प्रशासन ने क्या कहा? कॉलेज प्रबंधन ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह एक समान ड्रेस कोड लागू करने और अनुशासन बनाए रखने का एक उपाय है. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करने के किसी भी इरादे से इनकार किया. कॉलेज का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड सभी धर्मों और जातियों के छात्रों पर लागू होता है. इसके बाद कोर्ट ने ये स्टे जारी रखा. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
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9 August 2024मुंबई के चेंबूर के एक कॉलेज में नकाब, हिजाब, स्टोल या कैप पर रोक के सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (09 अगस्त) को रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह में होगी. मुंबई के चेंबूर के एनजी आचार्य एंड डीके मराठे कॉलेज ने यह रोक लगाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म कोड के आधार पर सही ठहराया था.सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए यह साफ किया कि कॉलेज में बुर्का पहनने की इजाजत नहीं दी जा सकती. जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कॉलेज की वकील से यह सवाल भी किया कि अगर वह धार्मिक पहचान के कॉलेज में प्रदर्शन के विरुद्ध है, तो क्या उसने तिलक या बिंदी लगाने पर भी रोक लगाई है? कॉलेज का कहना था कि उसके यहां 441 मुस्लिम लड़कियां पढ़ती हैं. उनमें से सिर्फ 3 कॉलेज में नकाब पहनने की जिद कर रही हैं. कब और कैसे शुरू हुआ विवाद? दरअसल, ये विवाद 1 मई को शुरू हुआ, जब चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे. नोटिस में एक ड्रेस कोड की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी, बैज और स्टोल पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह "कानून के अनुसार गलत, निरर्थक और अमान्य" है. कॉलेज प्रशासन ने नहीं सुनी तो छात्र पहुंचे हाई कोर्ट इसके बाद छात्रों ने शुरू में कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल से संपर्क किया और क्लास में अपनी पसंद, सम्मान और गोपनीयता के अधिकार का हवाला देते हुए हिजाब, नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. जब उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया तो उन्होंने मामले को मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उप-कुलपति के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सामने उठाया और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्रदान करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर छात्रों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील अल्ताफ खान ने कुरान की आयतें पेश करके तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक जरूरी हिस्सा है. याचिका में कहा गया कि कॉलेज की कार्रवाई "मनमाना, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत" है. कॉलेज प्रशासन ने क्या कहा? कॉलेज प्रबंधन ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह एक समान ड्रेस कोड लागू करने और अनुशासन बनाए रखने का एक उपाय है. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करने के किसी भी इरादे से इनकार किया. कॉलेज का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड सभी धर्मों और जातियों के छात्रों पर लागू होता है. इसके बाद कोर्ट ने ये स्टे जारी रखा. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
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9 August 202478वें स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के चलते राजधानी दिल्ली में पुलिस समेत अन्य सुरक्षाबल अलर्ट पर हैं। गुरुवार (8 अगस्त) को दिल्ली पुलिस के जवानों ने खान मार्केट के पास अलकायदा और खालिस्तान से जुड़े आतंकियों के पोस्टर लगाए हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त को दिल्ली स्थित लाल किले से प्रधानमंत्री देश के नाम संबोधन देंगे। यह स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित होने वाला देश का सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जाता है। ऐसे में सुरक्षाबल राजधानी के चप्पे-चप्पे पर कड़ी निगरानी रख रही है। सुरक्षा में जुटी पुलिस ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस के चलते सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। ऐसे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए आतंकियों को पोस्टर लगाए जा रहे हैं। सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने अंतराज्यीय पुलिस ने बैठक की दिल्ली पुलिस के कमिश्नर संजय अरोड़ा ने बुधवार (7 अगस्त) को बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक संकट के चलते पुलिस अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। पुलिस अधिकारियों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रह रहे और अपराध में शामिल बांग्लादेश के नागरिकों की पहचान करने को भी कहा है। ताकि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने अधिकारियों से कहा कि वे अपने एरिया में मोटर वर्कशॉप और गैराज से पता लगाएं कि क्या पिछले 10 दिनों में किसी वाहन में बदलाव किया गया है। पुलिस अधिकारियों को कूरियर कंपनियों के जरिए पिछले दो महीनों में बिना स्पष्ट जानकारी वाले पतों पर की गई डिलीवरी के बारे में भी पता लगाने का निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के मद्देनजर कई राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ दिल्ली पुलिस मुख्यालय में एक अंतरराज्यीय समन्वय बैठक भी की। बिहार में सीएम हाउस को उड़ाने की धमकी मिली थी इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। धमकी भरा ई-मेल सीधे तौर पर CMO के आधिकारिक ई-मेल आईडी पर भेजा गया था। ई-मेल में CMO को बम से उड़ाने की बात लिखने के साथ ही 'अलकायदा ग्रुप' लिखा हुआ था। पुलिस के मुताबिक सीएमओ के सरकारी मेल आईडी पर मेल आया कि सीएमओ को बम से उड़ा दिया जाएगा। बिहार की स्पेशल पुलिस भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। इसे हल्के में लेने की कोशिश न करें। मेल अलकायदा ग्रुप के नाम से भेजा गया था। शुरुआती जांच के बाद सचिवालय थाना में 2 अगस्त को इस मामले में FIR दर्ज की गई
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8 August 2024बांग्लादेश में बेशक अंतरिम सरकार का गठन हो गया हो, लेकिन वहां स्थिति अब भी तनावपूर्ण है. हालात को देखते हुए भारत सरकार ने बांग्लादेश में सभी भारतीय वीजा आवेदन केंद्र को अगले नोटिस तक बंद रखने का फैसला किया है. भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने के ऑनलाइन पोर्टल पर भी मैसेज लिखा आ रहा है कि अस्थिर स्थिति के कारण सभी आईवीएसी अगले नोटिस तक बंद रहेंगे. आवेदन की अगली तारीख मैसेज के जरिये जल्द बताई जाएगी. आपसे अनुरोध है कि पासपोर्ट अगले कार्य दिवस पर प्राप्त करें. सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश में हिंसा बढ़ने और अस्थिर स्थिति बनने के बाद भारत सरकार ने वहां अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों से गैर-आवश्यक कर्मचारियों और उनके परिवारों को वापस बुला लिया था. हालांकि, भारतीय राजनयिक वहां बने हुए हैं और अपना काम कर रहे हैं. चटगांव, राजशाही खुलना और सिलहट में है वाणिज्य दूतावास बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भारत का उच्चायोग है और चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में वाणिज्य दूतावास हैं. बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों ने 76 वर्षीय नेता को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत भागने को मजबूर कर दिया था. वहां अंतरिम सरकार का रास्ता साफ हो गया है. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व करेंगे. विदेश मंत्री ने कहा- बांग्लादेश में फंसे भारतीयों के संपर्क में टीम विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को पड़ोसी देश की स्थिति पर संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि बांग्लादेश में लगभग 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 9,000 छात्र हैं. उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद कई छात्र भारत लौट आए थे. सरकार वहां भारतीय समुदाय के साथ निकट संपर्क में है. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों के संबंध में स्थिति की निगरानी कर रही है.
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8 August 2024भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर से सीमा पर तनाव बढ़ने लगा है. भारतीय सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने गुरुवार (8 अगस्त) को कहा है कि पीर पंजाल क्षेत्र में अचानक से गतिरोध बढ़ा है. सीडीएस ने कहा कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा की वजह से चिंताएं पैदा हो गई हैं. उन्होंने ये भी कहा कि पड़ोसी देश में सत्ता में हुए बदलाव के बीच दूसरे देशों के साथ सीमा पर तनाव पहले से ही कायम है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 'मिलिट्री एम्यूनिशन' को लेकर आयोजित कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, "भारत के पास सुरक्षा चुनौतियों का अपना हिस्सा है. हम पहल से ही जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के जरिए छेड़े गए प्रॉक्सी वॉर से निपट रहे हैं. इसमें अब अचानक से पीर पंजाल रेंज में इजाफा देखने को मिला है." उन्होंने आगे कहा, "चीन के साथ लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है." बांग्लादेश हिंसा का सीडीएस ने किया जिक्र सीडीएस अनिल चौहान ने बांग्लादेश हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, "हम इस वक्त दो प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिसमें हमारे पड़ोस में अस्थिरता भी हमारे लिए चिंता की एक और वजह है. भारत जैसे बड़े देश के लिए सुरक्षा संबंधी बहुत सारी समस्याएं होती हैं." उन्होंने आगे कहा, "भारत जैसा देश युद्धक हथियारों के लिए विदेशी आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है. खासतौर पर तब जहां वैश्विक सुरक्षा और सरकार हमेशा अस्थिर स्थिति का सामना करती है." कश्मीर में आतंकी घटनाओं और बांग्लादेश हिंसा के बीच आया CDS का बयान सीडीएस चौहान का बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में काफी ज्यादा इजाफा देखने को मिला है. जुलाई के महीने में कई बार आतंकी घटनाएं हुईं, जिसमें सेना के कई जवान भी शहीद हुए. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उनका बयान ऐसे मौके पर भी आया है, जब बांग्लादेश राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. शेख हसीना पीएम पद से इस्तीफा देकर भारत में शरण ली हुई हैं. फिलहाल सेना ने बांग्लादेश की कमान संभाली हुई है.
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8 August 202412 राज्यसभा सदस्यों के चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीख का ऐलान कर दिया है. बुधवार (07 अगस्त) को चुनाव आयोग ने कहा कि तीन सिंतबर को 12 राज्यसभा सदस्यों को चुनने के लिए उपचुनाव होगा. बता दें कि 12 राज्यसभा सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं.हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यसभा सदस्यों के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने की वजह से दस पद रिक्त हुए हैं. वहीं दो अन्य पद राज्यसभा सांसदों के इस्तीफा देने की वजह से खाली हुए हैं. राज्यसभा के लिए सदस्यों को मनोनीत किया जाना उनके कला, साहित्य, विज्ञान या सामाजिक सेवा में योगदान पर भी निर्भर करता है. किन नेताओं के पद हुए हैं खाली? लोकसभा चुनाव 2024 में कई राज्यसभा सांसदों ने चुनाव लड़ा और वो उच्च सदन से हटकर लोकसभा के सदस्य बन गए. जिन राज्यसभा सांसदों ने लोकसभा चुनाव लड़ा उसमें महाराष्ट्र से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, हरियाणा से दीपेंद्र सिंह हुड्डा, मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान से कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल भी शामिल हैं. क्यों खेला इन नेताओं पर दांव? इन राज्यसभा सांसदों पर राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव 2024 पर दांव खेला और ये नेता पार्टी आलाकमान के फैसले को सही ठहराने में कामयाब हुए. बता दें कि पीयूष गोयल, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और केसी वेणुगोपाल काफी अनुभवी नेता हैं. जब-जब इनके राजनीतिक दलों को इनकी जरुरत महसूस हुई, इन्होंने पार्टी को मजबूत करने का काम किया है. राज्यसभा से किन नेताओं ने दिया इस्तीफा? राज्यसभा में दो पद सांसदों के इस्तीफा देने से खाली हुए जिनमें भारत राष्ट्र समिति के सांसद के. केशव राव और बीजू जनता दल की सांसद ममता मोहंता शामिल हैं. जहां के. केशव राव ने पांच जुलाई को तो वहीं ममता मोहंता ने 31 जुलाई को राज्यसभा से इस्तीफा दिया. कब जारी होगी अधिसूचना? हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 राज्यसभा सदस्यों के उपचुनाव की अधिसूचना 14 अगस्त को जारी होगी जबकि 21 अगस्त तक नॉमिनेशन दाखिल किए जाएंगे. चुनाव आयोग की मानें तो 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि वोटों की गिनती तीन सितंबर को ही होगी.
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7 August 20247 अगस्त 1942 की शाम. बॉम्बे में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक हुई और इस बैठक में ये तय हुआ कि अगले रोज बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) अंग्रेजों से सत्ता हासिल करने की मुहिम में एक विशाल जनसभा होगी. अगले दिन शाम को इसी मैदान महात्मा गांधी ने चर्चित भाषण दिया.इसी भाषण में उन्होंने करो या मरो का नारा दिया. इसके साथ ही बापू ने भीड़ की ओर ताकते हुए जोरदार आवाज में कहा, "भारत छोड़ो." इस नारे के साथ ब्रितानी सरकार का सूरज हमेशा के लिए डूबाने का इरादा बुलंद किया गया. यही से भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत हुई, इसे अगस्त क्रांति आंदोलन भी कहा जाता है. किन लोगों ने दिया था भाषण? 8 अगस्त 1942 को बॉम्बे के गोवालिया टैंक स्वतंत्रता सेनानियों के भाषण देने का सिलसिला शाम 6 बजे शुरू हुआ और ये रात 10 बजे तक चलता रहा. इस दिन कुल चार लोगों ने भाषण दिया था और ये भाषण इतिहास में दर्ज हो गया.सबसे पहले मौलाना अबुल कलाम आजाद ने भाषण दिया. इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और आखिरकार मोहनदास करमचंद गांधी ने जनसभा को संबोधित किया. इस दिन ही स्वतंत्रता आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के नाम से मशहूर अरुणा आसफ अली गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराया था.इस आंदोलन के नाम को लेकर बहुत चर्चा हुई थी. महात्मा गांधी चाहते थे कि आंदोलन का नाम ऐसा हो जो लोगों के जेहन में घर कर जाए. इसके लिए कई नाम सुझाए गए. आखिरकार 'भारत छोड़ो' का नारा यूसुफ मेहरअली ने दिया. यूसुफ ने ही 'साइमन वापस जाओ' का नारा भी दिया था. अंग्रेजों ने भर दिए थे जेल भारत छोड़ो आंदोलन के आगाज के साथ ही अंग्रेजी हूकूमत के कान खड़े हो गए. साल 1942 के अंत तक 60,000 से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया गया और सैकड़ों लोग मारे गये. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल सहित कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया. क्यों करना पड़ा भारत छोड़ो आंदोलन? भारत में ब्रितानी सरकार के खिलाफ हो रहे आंदोलन को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने स्टैफोर्ड क्रिप्स को एक नए संविधान और स्वशासन और भारतीय लोगों की दुविधा को हल करने के लिए मिशन भेजा गया था. यह मिशन विफल रहा. इसकी वजह ये कि ब्रिटिश सरकार भारत पूर्ण स्वतंत्रता नहीं बल्कि विभाजन के साथ-साथ भारत को डोमिनियन स्टेटस देने की पेशकश कर रही थी. डोमिनियन स्टेटस यानी ब्रितानी सरकार के आधिपत्य को स्वीकार करते हुए अपनी सरकार बनाना. इसके अलावा भारतीय स्वतंत्रता सेनानी दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय नागरिकों को भेजने के खिलाफ थे.
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7 August 2024सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court ) की एकल पीठ की ओर से अवमानना के एक मामले में शीर्ष अदालत के खिलाफ की गई टिप्पणियों को बुधवार (07 अगस्त) को हटा दिया और कहा कि वे ‘‘अनुचित’’ और ‘‘अपमानजनक’’ थीं. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजबीर सेहरावत की आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. पीठ में कौन था शामिल? पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे. पीठ ने ‘‘न्यायिक अनुशासन’’ का उल्लेख किया और कहा कि उसे उम्मीद है कि भविष्य में ऊंची अदालतों के आदेशों पर विचार करते समय अधिक सावधानी बरती जाएगी. 'भारत का संविधान सर्वोच्च है' पीठ ने कहा कि न तो सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है और न ही हाई कोर्ट, वास्तव में भारत का संविधान सर्वोच्च है. पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने संबंधी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले में सुनवाई की और कहा कि उसे हाई कोर्ट के न्यायाधीश की टिप्पणियों से पीड़ा पहुंची है. किसने कीं अनावश्यक टिप्पणियां? पीठ ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कई चीजों के संबंध में अनावश्यक टिप्पणियां की हैं. उसने कहा कि न्यायाधीश ऊंची अदालतों द्वारा पारित आदेशों से खिन्न नहीं हैं, लेकिन न्यायिक अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति सहरावत ने उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना की थी. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सख्ती से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना पसंद का मामला नहीं है बल्कि ये एक संवैधानिक दायित्व है. बता दें कि ये मामला भूमि विवाद से जुड़ा है. भूमि विवाद के इस मामले पर जाब और हरियाणा हाई कोर्ट की सिंगल-जज बेंच ने टिप्पणी की थी.
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7 August 2024भारत एक विविध निर्यातक देश है और बांग्लादेश से निर्यात में गिरावट से समूचे वित्त वर्ष की उसकी समग्र व्यापार स्थिति पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को यह बात कही. बांग्लादेश 1971 में स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे खराब राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है. वहां भारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा. बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने सोमवार को घोषणा की थी कि एक अंतरिम सरकार देश की बागडोर संभालेगी. भारत का व्यापार द्विपक्षीय व्यापार संबंधों से काफी बड़ा - S&P सॉवरेन एंड इंटरनेशनल पब्लिक फाइनेंस रेटिंग्स के निदेशक (एशिया-प्रशांत) एंड्रयू वुड ने कहा, ‘‘ एसएंडपी को उम्मीद है कि इस दौरान बांग्लादेश में घरेलू मांग की स्थिति कमजोर रहेगी और संभवतः भारत सहित अन्य देशों से बांग्लादेश में निर्यात को कम समर्थन मिलेगा. ’’उन्होंने एक वेबिनार में कहा, ‘‘ भारत एक विविध निर्यातक है और उसका व्यापार बांग्लादेश जैसी अर्थव्यवस्थाओं के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों से काफी बड़ा है.’’ भारत को ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं वुड ने कहा, ‘‘ इसका जो भी प्रत्यक्ष प्रभाव होगा, उससे वित्त वर्ष की समग्र व्यापार स्थिति पर कोई सार्थक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है... ’’बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, जबकि भारत एशिया में पड़ोसी देश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है. वित्त वर्ष 2022-23 में बांग्लादेश को भारत का निर्यात 12.21 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2023-24 में 11 अरब डॉलर रह गया. बांग्लादेश को इन चीजों का निर्यात करता है भारत भारत के मुख्य निर्यात में सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, चीनी, रिफाइंड पेट्रोलियम तेल, रसायन, कपास, लोहा और इस्पात तथा वाहन आदि शामिल हैं. मुख्य आयातित चीजों में मछली, प्लास्टिक, चमड़ा और परिधान आदि शामिल हैं.
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6 August 2024बांग्लादेश में बिगड़े हालातों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में जानकारी दी है. राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री ने मंगलवार (06 अगस्त) को कहा कि हम हालात पर नजर रख रहे हैं. बांग्लादेश में जनवरी 2024 में हुए चुनाव के बाद से ही टेंशन का माहौल है. इसकी वजह से जून में छात्रों का प्रदर्शन शुरू हुआ.उन्होंने कहा कि सरकारी इमारतों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला किया गया है. जुलाई में पूरे महीने हिंसा चली है. हमने शांति के जरिए समाधान निकालने की गुजारिश की. विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे लिए चिंता की बात ये रही है कि अल्पसंख्यकों के दुकानों और मंदिरों में कई जगहों पर हमला हुआ है. अभी तक पूरी जानकारी सामने नहीं आ पाई है. एस. जयशंकर ने कहा, "बांग्लादेश हमारे बहुत करीब है. जनवरी से वहां टेंशन है. हिंसा जून जुलाई में हु़ई. हम वहां राजनीतिक पार्टियों के टच में थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बंग्लादेश में हालात बदले और हालात ऐसे बदले कि हसीना को इस्तीफा देना पड़ा. 4 अगस्त को सबसे ज्यादा हालात बिगड़े. सबसे ज्यादा वहां अल्पसंख्यकों पर हमले चिंता का विषय है. शेख हसीना फार द मूमेंट (कुछ वक़्त के लिए) भारत में हैं. हम भारतीय कम्युनिटी के टच में हैं. कई स्टूडेंट लौटे हैं. हमारा दूतावास सक्रिय है. हमें आशा है वहां की सरकार हमारे नागरिकों को सुरक्षा मुहैया करवाएगी. अल्पसंख्यकों पर हमले चिंता का विषय हैं. हम बंग्लादेश में संपर्क में हैं." ऑल पार्टी मीटिंग में विदेश मंत्री ने क्या कहा? इसके अलावा, जयशंकर ने सभी दलों के नेताओं को हिंसा प्रभावित देश की स्थिति और इस स्थिति के संभावित सुरक्षा, आर्थिक और कूटनीतिक नतीजों से निपटने के लिए भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्री ने अपदस्थ नेता का समर्थन करने के लिए बांग्लादेश में नई सरकार के साथ टकराव को सीमित करने की केंद्र की रणनीति पर चर्चा की. जयशंकर ने कथित तौर पर सांसदों से कहा, "यह एक मौजूदा स्थिति है. सरकार सही समय पर उचित कार्रवाई करेगी." जयशंकर ने कहा कि वे शेख हसीना को समय देना चाहते हैं, ताकि वे केंद्र को अपनी भावी कार्रवाई के बारे में बता सकें. वो वर्तमान में दिल्ली में हैं.
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6 August 2024फिजी के दौरे पर पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित किया गया है. फिजी के राष्ट्रपति रातू विलियामे मैवलीली कटोनिवेरे ने उन्हें पुरस्कार सौंपा. दक्षिण प्रशांत के इस छोटे से देश के दौरे पर गईं राष्ट्रपति मुर्मू ने फिजी की संसद को भी संबोधित किया. उन्होंने वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत भी की.विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा को लेकर जानकारी दी. उन्होंने कहा, "फिजी के राष्ट्रपति ने हमारे राष्ट्रपति को 'द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित किया, जिसकी राष्ट्रपति ने बहुत सराहना की. उन्होंने फिजी संसद को भी संबोधित किया. राष्ट्रपति ने सुवा में समुदाय के लोगों के साथ बातचीत भी की." राष्ट्रपति मुर्मू ने फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका के साथ भी बातचीत की. अमित शाह-जेपी नड्डा ने सम्मान मिलने पर दी राष्ट्रपति को बधाई 'कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित होने पर गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राष्ट्रपति मुर्मू को बधाई दी. अमित शाह ने कहा, "राष्ट्र के सर्वोच्च नागरिक सम्मान कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी से सम्मानित होने पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को मेरी हार्दिक बधाई. यह सम्मान न केवल वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राजनयिक संबंधों को भी मजबूत करता है. ये मानवता की भलाई के लिए हमारी साझेदारी को भी दिखाता है." स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को फिजी के राष्ट्रपति रातू विलियामे मैवलीली कटोनिवेरे के जरिए देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक बधाई. भारत और फिजी के बीच आपसी सम्मान, सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित एक लंबा रिश्ता है. यह सम्मान हमारी मजबूत रणनीतिक साझेदारी और हमारे वैश्विक भागीदारों के साथ मजबूत संबंध बनाने के राष्ट्रपति के प्रयासों को दर्शाता है."
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6 August 2024बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सोमवार (5 अगस्त) को देश को संबोधित किया. सेना प्रमुख ने कहा कि देश में 48 घंटे के भीतर एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी. बांग्लादेश में शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया है और भारत के अगरतला शहर की तरफ रवाना हो गई हैं. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. हसीना साल 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं. PM शेख हसीना ने दिया इस्तीफा- सेना प्रमुख सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने कहा कि प्रधानमंत्री हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, अंतरिम सरकार देश को चलाएगी. हम देश में शांति वापस लाएंगे. हम नागरिकों से हिंसा रोकने का अनुरोध करते हैं. हम पिछले कुछ हफ्तों में हुई सभी हत्याओं की जांच करेंगे. सेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना ने सारी जिम्मेदारी ले ली हैं. सभी हत्याओं का मुकदमा होगा. उन्होंने कहा कि आइए हम सब संघर्ष नहीं, शांति के रास्ते पर लौटें. मैं सारी जिम्मेदारी लेता हूं.. सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से हुई बातचीत बांग्लादेश आर्मी के चीफ वकर-उज-जमान ने कहा कि समावेशी सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से बातचीत हुई है. जिसमें से बीएनपी, जमात इस्लाम अमीर, मामुनुल हक, डॉ. आसिफ नजरूल चर्चा में थे. हालांकि, अवामी लीग से कोई नहीं था. इस दौरान सेना प्रमुख सभी से घर वापस लौटने का आह्वान कर रहे हैं. हज़ारों छात्रों ने PM आवास पर की पत्थरबाज़ी वहीं, बांग्लादेश में हज़ारों छात्र शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं. रविवार (4 अगस्त) को हुए प्रदर्शन के दौरान कम से कम 90 लोगों की मौत हुई थी. बांग्लादेश में कुछ प्रदर्शनकारियों को ढाका में मौजूद प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में घुसते देखा गया है, जबकि हज़ारों छात्रों ने पीएम आवास पर पत्थरबाज़ी भी की है. जानें क्या है मामला? बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के ख़िलाफ़ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग है कि देश में ऊंचे सरकार पदों पर नौकरी में आरक्षण को खत्म किया जाए. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. छात्र बाद में शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.
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5 August 2024बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सोमवार (5 अगस्त) को देश को संबोधित किया. सेना प्रमुख ने कहा कि देश में 48 घंटे के भीतर एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी. बांग्लादेश में शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया है और भारत के अगरतला शहर की तरफ रवाना हो गई हैं. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. हसीना साल 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं. PM शेख हसीना ने दिया इस्तीफा- सेना प्रमुख सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने कहा कि प्रधानमंत्री हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, अंतरिम सरकार देश को चलाएगी. हम देश में शांति वापस लाएंगे. हम नागरिकों से हिंसा रोकने का अनुरोध करते हैं. हम पिछले कुछ हफ्तों में हुई सभी हत्याओं की जांच करेंगे. सेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना ने सारी जिम्मेदारी ले ली हैं. सभी हत्याओं का मुकदमा होगा. उन्होंने कहा कि आइए हम सब संघर्ष नहीं, शांति के रास्ते पर लौटें. मैं सारी जिम्मेदारी लेता हूं.. सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से हुई बातचीत बांग्लादेश आर्मी के चीफ वकर-उज-जमान ने कहा कि समावेशी सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से बातचीत हुई है. जिसमें से बीएनपी, जमात इस्लाम अमीर, मामुनुल हक, डॉ. आसिफ नजरूल चर्चा में थे. हालांकि, अवामी लीग से कोई नहीं था. इस दौरान सेना प्रमुख सभी से घर वापस लौटने का आह्वान कर रहे हैं. हज़ारों छात्रों ने PM आवास पर की पत्थरबाज़ी वहीं, बांग्लादेश में हज़ारों छात्र शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं. रविवार (4 अगस्त) को हुए प्रदर्शन के दौरान कम से कम 90 लोगों की मौत हुई थी. बांग्लादेश में कुछ प्रदर्शनकारियों को ढाका में मौजूद प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में घुसते देखा गया है, जबकि हज़ारों छात्रों ने पीएम आवास पर पत्थरबाज़ी भी की है. जानें क्या है मामला? बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के ख़िलाफ़ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग है कि देश में ऊंचे सरकार पदों पर नौकरी में आरक्षण को खत्म किया जाए. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. छात्र बाद में शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.
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5 August 2024बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सोमवार (5 अगस्त) को देश को संबोधित किया. सेना प्रमुख ने कहा कि देश में 48 घंटे के भीतर एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी. बांग्लादेश में शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया है और भारत के अगरतला शहर की तरफ रवाना हो गई हैं. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. हसीना साल 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं. PM शेख हसीना ने दिया इस्तीफा- सेना प्रमुख सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने कहा कि प्रधानमंत्री हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, अंतरिम सरकार देश को चलाएगी. हम देश में शांति वापस लाएंगे. हम नागरिकों से हिंसा रोकने का अनुरोध करते हैं. हम पिछले कुछ हफ्तों में हुई सभी हत्याओं की जांच करेंगे. सेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना ने सारी जिम्मेदारी ले ली हैं. सभी हत्याओं का मुकदमा होगा. उन्होंने कहा कि आइए हम सब संघर्ष नहीं, शांति के रास्ते पर लौटें. मैं सारी जिम्मेदारी लेता हूं.. सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से हुई बातचीत बांग्लादेश आर्मी के चीफ वकर-उज-जमान ने कहा कि समावेशी सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से बातचीत हुई है. जिसमें से बीएनपी, जमात इस्लाम अमीर, मामुनुल हक, डॉ. आसिफ नजरूल चर्चा में थे. हालांकि, अवामी लीग से कोई नहीं था. इस दौरान सेना प्रमुख सभी से घर वापस लौटने का आह्वान कर रहे हैं. हज़ारों छात्रों ने PM आवास पर की पत्थरबाज़ी वहीं, बांग्लादेश में हज़ारों छात्र शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं. रविवार (4 अगस्त) को हुए प्रदर्शन के दौरान कम से कम 90 लोगों की मौत हुई थी. बांग्लादेश में कुछ प्रदर्शनकारियों को ढाका में मौजूद प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में घुसते देखा गया है, जबकि हज़ारों छात्रों ने पीएम आवास पर पत्थरबाज़ी भी की है. जानें क्या है मामला? बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के ख़िलाफ़ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग है कि देश में ऊंचे सरकार पदों पर नौकरी में आरक्षण को खत्म किया जाए. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. छात्र बाद में शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.
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5 August 2024ये पहला मामला नही है जब सांसद द्वारा निजी ठेकेदार कंपनी वीना ट्रेड्स के फर्जीवाड़े से संबंधित समाचार को प्रकाशित करने से रोकने हेतु पत्रकारों पर ब्लैकमेलर का आरोप लगाते हुए शासन प्रशासन को पत्र जारी किया गया। उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम में वीना ट्रेडर्स द्वारा करोड़ों रुपए का हेर फेर के घोटाले की खबरें लिखे जाने पर कैसरगंज संसद सदस्य ब्रजभूषण शरण सिंह द्वारा शासन प्रशासन को कुश्ती का अखाड़ा बना दिया और खबर लिखने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ साम, दाम, दंड, भेद के सारे दांव आज़माइश पर लगा दिए लेकिन दमदार, ईमानदार खबरनवीस से सामना था, साथी बाराती यहाँ तक पत्रकारों के तमाम संघठन चुप्पी मारकर बैठे रहे, ऐसा लगता था कि बाहुबली के नाम से ही चौथे स्तंभ की मज़बूत दीवार हिलने लगती है लेकिन कुश्ती नरेश के सारे दांव से बिना डरे निडर भाव से पत्रकारो के हितों के लिए चल रहा संघर्ष रंग लाता दिख रहा । सांसद जी का इतिहास और भूगोल कौन नही जानता, भाजपा पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी दबंगई का बखान खुद ही कर डाला. उन्होंने एक मंच को साझा करते हुए कहा कि शुरुआत से ही उनका दबदबा कायम है. इतना ही नहीं भाजपा पूर्व सांसद ने कहा कि वह 8वीं में तीन बार फेल हो गए थे. परीक्षा के दौरान बगल बैठे छात्र से कॉपी लिखने के लिए कहा तो मना करने पर उसका पैर-हाथ तोड़ने की धमकी दे दी थी तो ऐसे में पत्रकारो के लिए कुछ भी लिखने वाले पूर्व संसद सदस्य की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है।
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5 August 2024लव जिहाद की शिकार एक हिंदू महिला ने सुनवाई के दौरान अश्लील सवाल पूछने और उसका चरित्र हनन करने का आरोप लगाया था। इसको लेकर महिला संगठनों ने प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति ज्ञापन सौंपकर जज के निलंबन की माँग की है। इसके साथ ही रेप की शिकार लव जिहाद पीड़िता ने अपना केस किसी और कोर्ट में ट्रांसफर कराने के लिए इंदौर के सीजेएम (प्रधान न्यायधीश) के यहाँ आवेदन दिया है।पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसके मामले की सुनवाई के दौरान क्रॉस क्वेशचन करते हुए जज ने उससे अश्लील व्यवहार किया था और उसकी मर्यादा को ठेस पहुँचाई थी। इसको लेकर लड़की ने राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), राष्ट्रीय महिला आयोग और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज को पत्र लिखा था। इसमें महिला ने जज का नाम भी लिखा है। पीड़िता ने कहा कि उससे सवाल करते समय स्त्री लज्जा का भी ध्यान नहीं रखा गया और उसे बाजारू औरत बता दिया गया। इस दौरान कोर्ट रूम में बैठे हुए लोग ठहाके लगाते रहे और वह शर्म से पानी-पानी होती रही। अपनी शिकायत में पीड़िता ने कोर्ट में पूछे गए सवालों के बारे में बताया है और लिखा कि अगर उसे न्याय नहीं दिया जा सकता है तो उसे इच्छामृत्यु की अनुमति दे दी जाए। पीड़िता ने बताया कि सुनवाई के दौरान उसके साथ धोखा देकर रेप करने वाले अशरफ मंसूरी के वकील को सवाल करने थे। इस दौरान जज ने वकील को रोक दिया और कहा, “इस तरह की लड़कियों से क्रॉस क्वेश्चन तो मैं स्वयं करता हूँ।’ उन्होंने सवाल करने से पहले कोर्ट रूम के बंद दरवाजे खुलवा दिए। इसके बाद जज ने पूछा, “एक गाड़ी में कैसे रेप हो सकता है? रेप के बाद तुम्हें रुपए मिल गए थे ”पीड़िता का कहना है कि जज के सवाल पर उसने अपने वकील के माध्यम से आपत्ति जताई तो जज ने वकील को डाँटकर चुप करा दिया। पीड़िता ने शिकायत में कहा “जज ने कोर्ट रूम का दरवाजा खुलवाकर मेरे बयान लिए। मुझसे ऐसे सवाल पूछे कि सिर शर्म से झुक गया। कोर्ट रूम में मौजूद सभी लोग हँस रहे थे। जज ने मुझे बाजारू लड़की कहा। पूछा कि तुम्हें रेप के बाद पैसे मिल गए कि नहीं?” जज पर सवाल उठाते हुए पीड़िता ने आगे कहा,“उन्होंने खुद के लिए कहा कि मैं भी जींस-टी शर्ट पहनकर निकलूँगा तो तुम्हारे जैसी लड़कियाँ मेरे साथ घूमने निकल जाएँगी। आजकल इस तरह की बाजारू लड़कियों का कोई चरित्र नहीं बचा है और ये रुपए लेने की नीयत से झूठे केस दर्ज कराती हैं। इस तरह के शब्द सुनकर कोर्ट में मौजूद आरोपित के वकील सहित सभी लोग ठहाके मारकर हँस रहे थे।“ पीड़िता बोली, “जिन शब्दों के साथ न्यायाधीश महोदय ने मेरे चरित्र और गरिमा का हनन किया है, वह वापस लौटना संभव नहीं है। जिस प्रकार से न्यायाधीश महोदय के द्वारा मेरे साथ अश्लील तरीके से चर्चा की गई है… आरोपित के वकील को जैसा विश्वास दिलाया गया… उससे ऐसा लग रहा है कि मुझे उनके न्यायालय में न्याय नहीं मिलेगा। मुझे न्याय नहीं दिलवा सकते तो इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करें।” क्या था मामला? पीड़िता ने बताया था कि साल 2015 में उसकी शादी हुई थी, लेकिन उसके पति किसी और को प्यार करते थे। इसके कारण दोनों साल 2017 में अलग हो गए। 2019 में ‘हेलो’ ऐप के माध्यम से आरोपित अशरफ मंसूरी उसके संपर्क में आया। अशरफ लगातार युवती को मैसेज भेजता था। के बाद एक दिन युवती ने कहा कि वो उससे दोस्ती नहीं कर सकती क्योंकि वो मुस्लिम है। घरवाले रिश्ते के लिए नहीं मानेंगे।उस दौरान अशरफ ने उसे बहुत मनाने की कोशिश की, लेेकिन युवती ने साफ मना कर दिया था। कुछ दिन के बाद अशरफ ने आशु नाम से आईडी बनाकर युवती से संपर्क किया। उसने खुद को हिंदू बताकर युवती से दोस्ती कर ली। धीरे-धीरे दोनों के बीच मुलाकात हुई और रिश्ता आगे बढ़ा। युवती ने कहा कि उसे शादी करनी है टाइम पास नहीं। तब अशरफ ने कहा कि भाई-बहन की शादी के बाद वह शादी करेगा। अशरफ की सुनकर युवती मान गई। आशु बनकर अशरफ बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ लाकर युवती को घुमाने लगा, दोस्तों के फ्लैट पर ले जाने लगा, संबंध बनाने लगा, मगर एक दिन अचानक उसका फोन बंद हो गया। युवती ने परेशान होकर उसके दोस्त को फोन किया और तब उसे पता चला कि वो आशु नहीं अशरफ मंसूरी है। पीड़िता यह सुन सदमे में आ गई।कुछ दिन के बार अशरफ का फोन आया तो उसने विरोध किया और अशरफ से बातचीत बंद कर दी। तब अशरफ उसके घर और दफ्तर के बाहर आकर तंग करने लगा। फोटो लीक करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल करने लगा। अंत में पीड़िता ने थाने में शिकायत दी। अशरफ के खिलाफ धारा 376, 354, एससी-एसटी एक्ट और मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया।
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5 August 2024नया कानून यूट्यूब पत्रकारों को खत्म कर सकता है दशकों पुराने केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की जगह नया कानून लाने का एक प्रयास है. संस्करण में स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए, अपने मंचों पर जारी की जाने वाली सामग्री से पहले उसकी स्क्रीनिंग के लिए जांच समितियों का गठन करें.विधेयक में सरकारी सदस्यता वाली एक प्रसारण सलाहकार परिषद के गठन का भी प्रावधान है, जो प्रसारकों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करेगी. इन आवश्यकताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक साधारण अधिसूचना के साथ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन इंफ्लुएंसर्स पर लागू किया जा सकता है.रिपोर्ट में राजनीतिक मुद्दों पर सामग्री अपलोड करने वाले यूट्यूबर एस. मेघनाद का हवाला दिया गया है. मेघनाद के 64 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. हाल ही में उनके द्वारा इस विषय पर प्रसारित एक वीडियो का शीर्षक था, यह नया कानून यूट्यूब पत्रकारों को खत्म कर सकता है.IFF ने अपने हालिया बयान में कहा है, “मंत्रालय के नियामक दायरे में आने वाले हर प्रसारक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा, और ऐसा न करने पर आर्थिक दंड या कारावास भी हो सकता है.”इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने ऑनलाइन समाचार और एंटरटेनमेंट माध्यमों को नियमों के दायरे में लाने वाले गुप्त बदलावों की निंदा की है. यह बदलाव प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक के मसौदे के तहत लाए जाने बताये गए हैं.द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, आईएफएफ ने अपने एक बयान में कहा कि, “सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नागरिक समाज, पत्रकारों या अन्य हितधारकों की मौजूदगी के बिना सिर्फ मीडिया के कुछ चुनिंदा लोगों से इस विषय पर मुलाकात की. संस्था का कहना है कि यह विधेयक ऑनलाइन मंचों के लिए और ज्यादा सेंसरशिप पैदा करेगा.”द हिंदू ने उसके पास एक विधेयक की कॉपी मौजूद होने की बात कही है, हालांकि इसे सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं किया गया है. इसका कारण दस्तावेज में ऐसे पहचान चिन्ह मौजूद हैं, जिससे मसौदा प्राप्त करने वाले व्यक्ति की पहचान खुल सकती है.विधेयक को लेकर जारी प्रेस नोट में जनता की टिप्पणी हेतु कहा गया है कि, यह दशकों पुराने केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की जगह नया कानून लाने का एक प्रयास है. संस्करण में स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए, अपने मंचों पर जारी की जाने वाली सामग्री से पहले उसकी स्क्रीनिंग के लिए जांच समितियों का गठन करें.विधेयक में सरकारी सदस्यता वाली एक प्रसारण सलाहकार परिषद के गठन का भी प्रावधान है, जो प्रसारकों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करेगी. इन आवश्यकताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक साधारण अधिसूचना के साथ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन इंफ्लुएंसर्स पर लागू किया जा सकता है.रिपोर्ट में राजनीतिक मुद्दों पर सामग्री अपलोड करने वाले यूट्यूबर एस. मेघनाद का हवाला दिया गया है. मेघनाद के 64 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. हाल ही में उनके द्वारा इस विषय पर प्रसारित एक वीडियो का शीर्षक था, यह नया कानून यूट्यूब पत्रकारों को खत्म कर सकता है.IFF ने अपने हालिया बयान में कहा है, “मंत्रालय के नियामक दायरे में आने वाले हर प्रसारक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा, और ऐसा न करने पर आर्थिक दंड या कारावास भी हो सकता है.”केंद्र सरकार नेगेटिव कंटेंट डालने वाले यूट्यूबर्स इंफ्लुएंसर्स को लेकर चिंता भी व्यक्त कर चुकी है. इसके तहत सरकार के मंत्रियों पर 2021 की एक रिपोर्ट में सरकार कहती है, “कुछ नकारात्मक प्रभाव डालने वाले लोग गलत बयान देते हैं और सरकार को बदनाम करते हैं, इन पर लगातार नजर रखने की जरूरत है, ताकि उचित समय प्रतिक्रिया दी जा सके.”
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3 August 2024ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, बुधवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने पूजा खेडकर के बतौर ट्रेनी IAS अधिकारी चयन को रद्द कर दिया है। साथ ही उनके भविष्य में यूपीएससी की कोई भी परीक्षा देने पर रोक लगा दी है। बता दें कि पूजा खेडकर कई बार फर्जी पहचान बताकर परीक्षा देने की आरोपी हैं और मामला कोर्ट में चल रहा है। गुरुवार को इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट अहम सुनवाई भी करने वाला है। यूपीएससी ने अपनी जांच में पाया दोषी हालांकि कोर्ट की सुनवाई के दूसरी तरफ संघ लोक सेवा आयोग ने अपनी जांच में पूजा खेडकर को फर्जी पहचान बताकर परीक्षा देने का दोषी पाया है और इसीलिए उनपर यह कार्रवाई हुई है। यूपीएससी ने एक बयान में कहा है, “पूजा खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा के नियमों के उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। पूजा खेडकर ने आयोग द्वारा 18 जुलाई, 2024 को आयोजित की गई सिविल सेवा परीक्षा-2022 (सीएसई-2022) में धोखाधड़ी की थी। नियमों के उल्लंघन के तहत उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था।” इस नोटिस में उनसे पूछा गया था कि इस धोखाधड़ी के लिए उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया जाए। गुरुवार को हाईकोर्ट सुनाएगी अग्रिम जमानत अर्जी पर फैसला यूपीएससी के इस एक्शन के बीच पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत पर दिल्ली हाईकोर्ट गुरुवार को अहम फैसला सुना सकती है। अगर उनकी यह याचिका खारिज हो जाती है तो उनके गिरफ्तारी संभव है। एडिशनल सेशन जज देवेंद्र कुमार जंगला ने बुधवार को खेडकर द्वारा दायर अर्जी पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। खेडकर ने अपने वकील के माध्यम से दायर अर्जी में दावा किया कि उन्हें ‘‘गिरफ्तारी का आसन्न खतरा’’ है। पूजा खेडकर से जुड़ा विवाद क्या है? आपको बता दें कि 2023 बैच की ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर के खिलाफ UPSC ने पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के मामले में FIR दर्ज कराई थी। यूपीएससी ने बताया कि पूजा के खिलाफ जांच में सामने आया है कि उन्होंने अपना नाम, माता-पिता का नाम, हस्ताक्षर, फोटो, ईमेल ID, मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलकर UPSC का एग्जाम दिया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और डिसेबिलिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। पूजा पर लगे ये भी आरोप पूजा पर ट्रेनिंग के दौरान पद का गलत इस्तेमाल करने और खराब आचरण का भी आरोप लगा। पुणे के डीएम ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया था। पूजा पर पहचान छिपाने और OBC , विकलांगता कोटे के दुरुपयोग करने का भई आरोप लगा। 16 जुलाई को पूजा की ट्रेनिंग रोक दी गई और उन्हें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) वापस बुला लिया गया। पूजा ने अपनी विकलांगता सर्टिफिकेट की पुष्टि के लिए दिल्ली में मेडिकल जांच के लिए कई बार अपॉइंटमेंट लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में बनी रिपोर्ट को UPSC में जमा कर दिया।
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2 August 2024SC-ST वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के मामले पर 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट की 7 न्यायधीशों की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुत से ऐतिहासिक फैसला दिया। पीठ ने इस दौरान आरक्षण के भीतर आरक्षण तय करने पर मुहर लगाई। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने एससी, एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमीलेयर को चिन्हित कर बाहर किए जाने की जरूरत है ताकि समानता आ सके। इस फैसले के दौरान 7 जजों में से एक मात्र दलित जस्टिस बीआर गवई ने पूरे मामले पर बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की।जस्टिस बीआर गवई ने कहा आरक्षण का सही उद्देश्य है कि देश में समानता को समझा जाए। असमानता वाले समूह में आखिर कैसे सबको एकसमान माना जाता है। इस दलील के आधार पर बेंच ने कहा कि एससी और एसटी में भी क्रीमी लेयर को लागू करना चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा, “सरकार को क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए कोई नीति बनानी चाहिए और लाभ पा चुके लोगों को उससे बाहर करना चाहिए। समानता को पाने का यही एकमात्र तरीका है।”जस्टिस गवई ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या एक आईएएस और आईपीएस के बच्चे या किसी सिविल सर्विस अधिकारी के बच्चे की तुलना एक ऐसे शख्स से करना उचित है जिसे आरक्षण का लाभ न मिला हो या वो ग्राम पंचायत या जिला परिषद के स्कूल में पढ़ता हो। उन्होंने कहा कि किसी अधिकारी बन चुके व्यक्ति के बच्चे को जाहिर है कि अच्छी शिक्षा मिलेगी। शायद उन्हें अतिरिक्त कोचिंग आदि भी मिले और घर का माहौल भी अच्छा मिले। वहीं दूसरे बच्चे को हर चीज उसके मुकाबले कम मिलेगा या उसके पास अच्छी शिक्षा उपलब्ध के स्रोत ही उपलब्ध नहीं होंगे। वह ऐसे माता-पिता के साथ रहेगा जो खुद इतने पढ़े-लिखे नहीं है कि बच्चे को पढ़ा सकें।उन्होंने यह गौर भी कराया कि असमानताएँ और सामाजिक भेदभाव आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक प्रचलित हैं। शहर और महानगरों में इनका असर कम होने लगता है। उन्होंने अपनी टिप्पणी के दौरान स्पष्ट कहा, “मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि सेंट पॉल हाई स्कूल और सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे और देश के पिछड़े और दूरदराज के क्षेत्र के एक छोटे से गाँव में पढ़ने वाले बच्चे को एक ही श्रेणी में रखना संविधान में निहित समानता के सिद्धांत को नकार देगा।” उन्होंने यह कहा कि अगर आज ये कहा जाए कि एससी-एसटी समुदाय से आने वाले दोनों श्रेणी के बच्चे एक समान हैं तो गलत होगा। वो बच्चा जिसके माता-पिता में से कोई आरक्षण के लाभ से उच्च पद पर पहुँच गया है और सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा नहीं है उसे गाँव में मजदूरी करने वाले के बेटे से तुलना करना संवैधानिक आदेश को पराजित करेगा।आगे उन्होंने इस बात को भी ध्यान में रखा कि संविधान स्वयं अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को समाज का सबसे पिछड़ा वर्ग मानता है इसलिए इस श्रेणी में आने वाले व्यक्ति को आरक्षण से अलग करने के मापदंड एक जैसे नहीं हो सकते। ऐसे में यदि इस श्रेणी का कोई व्यक्ति आरक्षण का लाभ पाकर चपरासी या शायद सफाई कर्मचारी का पद प्राप्त कर लेता है, तो वह सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग से संबंधित रहेगा। साथ ही, इस श्रेणी के लोग, जो आरक्षण का लाभ उठाकर जीवन में उच्च पदों पर पहुँच गए हैं, उन्हें सकारात्मक कार्रवाई का लाभ उठाने के लिए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा नहीं माना जा सकता। वे पहले ही उस स्थिति में पहुँच चुके हैं जहाँ उन्हें अपनी मर्जी से विशेष प्रावधानों से बाहर निकल जाना चाहिए और योग्य और जरूरतमंद लोगों को रास्ता देना चाहिए।
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2 August 2024राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा है। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह है, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी है। कहा है कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। इसके लिए दो शर्तें होंगी पहली: अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं। दूसरी: अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए। फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का है। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। फैसले का आधार: अदालत ने फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है, जिनमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों को सब-कैटेगरी में नहीं बांट सकते। फैसले के मायनेः राज्य सरकारें अब राज्यों में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेंगी। यानी अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा। मसलन- 2006 में पंजाब ने अनुसूचित जातियों के लिए निर्धारित कोटे के भीतर वाल्मीकि और मजहबी सिखों को सार्वजनिक नौकरियों में 50% कोटा और पहली वरीयता दी थी। CJI डीवाई चंद्रचूड़ : सब-क्लासिफिकेशन (कोटे में कोटा) आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि सब-कैटेगरीज को सूची से बाहर नहीं रखा गया है। आर्टिकल 15 और 16 में ऐसा कुछ नहीं है जो राज्य को किसी जाति को सब-कैटेगरी में बांटने से रोकता हो। SC की पहचान बताने वाले पैमानों से ही पता चल जाता है कि वर्गों के भीतर बहुत ज्यादा फर्क है। जस्टिस बीआर गवई : सब कैटेगरी का आधार राज्यों के आंकड़ों से होना चाहिए, वह अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकता। क्योंकि आरक्षण के बाद भी निम्न ग्रेड के लोगों को अपने पेशे को छोड़ने में कठिनाई होती है। ईवी चिन्नैया केस में असली गलती यह है कि यह इस समझ पर आगे बढ़ा कि आर्टिकल 341 आरक्षण का आधार है। जस्टिस गवई : इस जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता, एससी/एसटी के भीतर ऐसी कैटेगरी हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। सब कैटेगरी का आधार यह है कि बड़े समूह के अंतर्गत आने वाले एक समूह को ज्यादा भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अनुसूचित जातियों के हाई क्लास वकीलों के बच्चों की तुलना गांव में मैला ढोने वाले के बच्चों से करना गलत है। जस्टिस गवई : बीआर अंबेडकर ने कहा है कि इतिहास बताता है कि जब नैतिकता का सामना अर्थव्यवस्था से होता है, तो जीत अर्थव्यवस्था की होती है। सब-कैटेगरी की परमिशन देते समय, राज्य केवल एक सब-कैटेगरी के लिए 100% आरक्षण नहीं रख सकता है। जस्टिस शर्मा : मैं जस्टिस गवई के इस विचार से सहमत हूं कि एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान का मुद्दा राज्य के लिए संवैधानिक अनिवार्यता बन जाना चाहिए। असहमति जताने वाले जजों का बयान... जस्टिस बेला एम त्रिवेदी इस फैसले में असहमति जताने वाली इकलौती जज रहीं। उन्होंने कहा कि यह देखा गया कि आंध्र प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में स्टेटवाइज रिजर्वेशन के कानूनों को हाईकोर्ट्स ने असंवैधानिक बताया है। आर्टिकल 341 को लेकर यह कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रपति की अधिसूचना अंतिम मानी जाती है। केवल संसद ही कानून बनाकर सूची के भीतर किसी वर्ग को शामिल या बाहर करती है। अनुसूचित जाति कोई साधारण जाति नहीं है, यह केवल आर्टिकल 341 की अधिसूचना के जरिए अस्तित्व में आई है। अनुसूचित जाति वर्गों, जनजातियों का एक मिश्रण है और एक बार अधिसूचित होने के बाद एक समरूप समूह बन जाती है। राज्यों का सब-क्लासिफिकेशन आर्टिकल 341(2) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना के साथ छेड़छाड़ करने जैसा होगा। इंदिरा साहनी ने पिछड़े वर्गों को अनुसूचित जातियों के नजरिए से नहीं देखा है। आर्टिकल 142 का इस्तेमाल एक नया बिल्डिंग बनाने के लिए नहीं किया जा सकता है जो संविधान में पहले से मौजूद नहीं थी। कभी-कभी सकारात्मक कार्रवाई की नीतियों और संविधान में कई तरह से मतभेद होते हैं। इन नीतियों को समानता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। मेरा मानना है कि ईवी चिन्नैया मामले में निर्धारित कानून सही है और इसकी पुष्टि होनी चाहिए। पिछले सुनवाइयों में क्या-क्या हुआ 8 फरवरी 2024: कोर्ट ने कहा- सबसे पिछड़ों को फायदा पहुंचाने के लिए दूसरों को बाहर नहीं किया जा सकता सुनवाई के तीसरे दिन था। बेंच ने कहा कि मान लीजिए बहुत सारे पिछड़े वर्ग हैं और राज्य केवल दो को ही चुनता है। ऐसे में जिन्हें बाहर रखा गया है वे इसे चुनौती दे सकते हैं। सबसे पिछड़ों को लाभ देते समय राज्य सरकारें दूसरों को बाहर नहीं कर सकतीं। वरना यह तुष्टिकरण की एक खतरनाक प्रवृत्ति बन जाएगी। कुछ राज्य सरकारें कुछ जातियों को चुनेंगी, कुछ अन्य जातियों को चुनेंगी। हमें इसका पैमाना बनाना होगा।
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1 August 2024मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को यह फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी।जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया मस्जिद नहीं है। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का गर्भगृह है।वहीं, मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1968 में हुए समझौते के तहत मस्जिद के लिए जगह दी गई थी। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुस्लिम पक्ष की इस दलील को स्वीकार नहीं किया। अब 12 अगस्त से हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई होगी। विष्णु जैन ने कहा-अब हम सबूत पेश करेंगे हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा- 25 सितंबर 2020 को पहली याचिका दायर हुई थी। 4 महीने सुनवाई हुई। आज हाईकोर्ट ने 18 याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना। अब इस केस में ट्रायल चलेगा। हम लोगों को मौका मिलेगा कि हम सबूत पेश कर सकें। अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी पक्षकार बोले-अयोध्या की तरह मुस्लिम पक्ष केस लंबा खींचना चाहता था श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा- श्रीकृष्ण जन्मभूमि के इतिहास में आज का दिन मील का पत्थर साबित होगा। शुरू से ही शाही ईदगाह पक्ष के लोग रहे हों, या सुन्नी वक्फ बोर्ड के लोग... कहते रहें कि केस सुनवाई योग्य नहीं है। आज हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट कर दिया गया कि यह केस सुनवाई योग्य है। ये लोग (मुस्लिम पक्ष) लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट में केस को अयोध्या की तरह से लंबा खिंचना चाहते थे। हिंदू पक्ष बोला- नियमों के खिलाफ शाही ईदगाह कमेटी को जमीन दी गई हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल 18 याचिकाओं को शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने बहस के दौरान कहा- मथुरा कोर्ट में दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। मामला पूजा स्थल अधिनियम 1991 और वक्फ एक्ट के साथ लिमिटेशन एक्ट से बाधित है। इसलिए इस मामले में कोई भी याचिका न तो दाखिल की जा सकती है और न ही उसे सुना जा सकता है। हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया- इस मामले पर न तो पूजा स्थल अधिनियम का कानून और न ही वक्फ बोर्ड कानून लागू होता है। शाही ईदगाह परिसर जिस जगह मौजूद है वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन है। समझौते के तहत मंदिर की जमीन शाही ईदगाह कमेटी को दी गई, जो नियमों के खिलाफ है।
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1 August 2024सहारा इंडिया परिवार के लाखों निवेशक और कार्यकर्ता आज असमंजस और पीड़ा के दौर से गुजर रहे हैं। करोड़ों निवेशकों की रकम अभी भी फंसी हुई है, और हजारों कार्यकर्ता बेरोजगारी की कगार पर हैं। इस गंभीर स्थिति को लेकर सहारा इंडिया परिवार ने शनिवार 20 जुलाई को एक याचना पत्र बैतूल के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डीडी उइके को सौंपा है।इस याचना पत्र में सहारा इंडिया के कार्यकर्ताओं ने राज्य मंत्री से आग्रह किया है कि करोड़ों निवेशकों के भुगतान और लाखों सहारा इंडिया के कार्यकर्ताओं की बेरोजगारी की समस्या से केंद्र सरकार को अवगत कराएं। उन्होंने यह भी मांग की है कि सभी भुगतान सहकारिता विभाग की देखरेख में सहारा इंडिया के काउंटर से कराए जाएं। पीड़ितों ने बताया की सहारा इंडिया के निवेशकों की समस्याएं तब शुरू हुईं। जब सहारा समूह की सहकारी समितियों से जुड़े करोड़ों निवेशकों की जमाराशि के भुगतान के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। अमित शाह ने किया था वादा गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 18 जुलाई 2023 को इस पोर्टल का शुभारंभ किया था और कहा था कि पोर्टल पर पंजीकरण के उपरांत 45 दिनों के भीतर 10 हजार रुपये प्रत्येक जमाकर्ता के खातों में पहुंच जाएंगे। हालांकि, एक साल पूरा होने को है और बैतूल जिले के लाखों निवेशक अभी भी इस लाभ से वंचित हैं। कुछ प्रतिशत निवेशकों को ही 10 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई है। इसके बाद शेष जमा राशि और ब्याज का भुगतान कैसे और कब तक होगा, इसके बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं दिये जा रहे हैं। मार्च-2023 के बाद के खातों पर अनिश्चितता वर्तमान में केवल 31 मार्च 2023 के पहले पूर्ण हुए खातों का ही पोर्टल पर पंजीकरण हो पा रहा है। जिनकी परिपक्वता तिथि मार्च 2023 के बाद और आज दिनांक तक पूरी हो गई है। उनके बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलने से भ्रांतियों के कारण निवेशकों और कार्यकर्ताओं के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
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1 August 2024बिहार के मुजफ्फरपुर में फिर एक पत्रकार की हत्या किए जाने की जानकारी सामने आई है. जिले के तुर्की थाना क्षेत्र खरियार गांव में पत्रकार गौरव कुशवाहा की डेड बॉडी आम के पेड़ से लटकी पाई गई है. इस घटना से इलाके में हड़कंप का माहौल है.वारदात की जानकारी मिलते ही पुलिस और एफएसएल टीम ने मौके पर पहुंचकर छानबीन शुरू की. लोग पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि कुछ दिन पहले ही जिले में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई थी, अब फिर से यह दूसरा मामला है.मृतक के परिजनों का कहना है कि गौरव की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. ये समझ में नहीं आ रहा है कि किसने और क्यों उसकी हत्या कर दी. उसकी डेड बॉडी घर से मात्र 300 मीटर दूर बगीचे में आम की टहनी से लटकती मिली है.थाना प्रभारी तुर्की प्रमोद कुमार ने बताया कि शव पेड़ से लटकता हुआ पाया गया है. पुलिस हत्या के एंगल जांच कर रही है. गौरव के करीबियों और दोस्तों से जानकारी ली जा रही है. उनकी कॉल डिटेल्स भी खंगाली जा रही है.बता दें कि इससे पहले बी मुजफ्फरपुर में पत्रकार शिवशंकर झा की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी.
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30 July 2024मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से फेक न्यूज पेडलर मोहम्मद जुबैर को फॉलो करने की बात सामने आते ही सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। जिसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग के हैंडल को छोड़कर सभी को अनफॉलो कर दिया भारत में लोकसभा चुनाव हो या राज्यों में विधानसभा चुनाव। उस समय देश में सबसे ज्यादा ताकतवर पद कोई होता है, तो वो होता है मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) का। लेकिन भारत के मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, जिनके नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 2 माह पहले ही दुनिया के सबसे बड़े चुनाव अभियान को संपन्न कराया है, वो सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने की फैक्ट्री मोहम्मद जुबैर को फॉलो करते पाए गएयही नहीं, चुनाव आयोग पर सबसे ज्यादा हमला बोलने वाले राहुल गाँधी को भी वो एक्स पर फॉलो करते पाए गए। हालाँकि सोशल मीडिया पर जिस बात को लेकर लोगों का गुस्सा फूटा, वो मामला जुबैर को फॉलो करने से जुड़ा था। राजीव कुमार की फॉलोविंग लिस्ट में चुनाव आयोग का आधिकारिक हैंडल, आल इंडिया रेडियो न्यूज, राहुल गाँधी और मोहम्मद जुबैर था। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से फेक न्यूज पेडलर मोहम्मद जुबैर को फॉलो करने की बात सामने आते ही सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। जिसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग के हैंडल को छोड़कर सभी को अनफॉलो कर दिया। इस मामले में कई यूजर्स ने उन पर गुस्सा निकाला और पूछा कि मुख्य चुनाव आयुक्त मोहम्मद जुबैर को क्यों फॉलो करते हैं, जो कि फेक न्यूज फैलाने वाला व्यक्ति है। वो चुनाव आयोग के खिलाफ फेक न्यूज फैलाकर उसे बदनाम करता रहा है। कई लोगों ने बॉलीवुड फिल्म ‘द कश्मीर फाइल’ की मशहूर लाइन को लिखा, “सरकार भले ही आपकी हो, सिस्टम हमारा है। मिक्कू नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, “राजीव साब एक ऐसे आदमी को फॉलो कर रहे हैं जिसने चुनाव के समय चुनाव आयोग और ईवीएम में धांधली का दावा करने वाली हर पोस्ट को बढ़ावा दिया।”जयपुर डायलॉग्स ने लिखा, “भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ट्विटर पर सिर्फ़ 4 अकाउंट फ़ॉलो कर रहे हैं: चुनाव आयोग, राहुल गाँधी, एआईआर न्यूज़ और मोहम्मद ज़ुबैर, लेकिन अंदाज़ा लगाइए कि भारत में चुनावों को कौन प्रभावित कर रहा है?”सोशल मीडिया पर जबरदस्त गुस्सा देखते हुए सीईसी राजीव कुमार ने चुनाव निकाय को छोड़कर फर्जी खबर फैलाने वाले मोहम्मद जुबैर के एक्स हैंडल और विपक्ष के मौजूदा नेता राहुल गाँधी समेत बाकी सभी अकाउंट को अनफॉलो कर दिया। अपनी मौजूदा फॉलोइंग लिस्ट के अनुसार, सीईसी राजीव कुमार अब केवल चुनाव निकाय के आधिकारिक एक्स हैंडल को ही फॉलो कर रहे हैं।
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30 July 2024बीजेपी प्रवक्ता शाजिया इल्मी का मामला तूल पकड़ रहा है. अब भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. यह आरोप राजदीप द्वारा शाजिया इल्मी की एक वीडियो ट्वीट कर वीडियो जर्नलिस्ट के खिलाफ किए गए उनके व्यवहार को लेकर की गई आलोचना के बाद लगा है. मालवीय ने आरोप लगाते हुए कहा कि, “वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे चैनल के एंकर राजदीप सरदेसाई ने पार्टी प्रवक्ता शाजिया इल्मी का एक वीडियो जारी किया, जब वह अपने कपड़ों से माइक खोल रही थीं. उन्होंने कहा कि राजदीप का कृत्य यौन उत्पीड़न से कम नहीं है.” अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा है, “शो खत्म होनेया उसमें शामिल होने की सहमति वापस लेने के बाद भी किसी अतिथि की शूटिंग जारी रखना अनुबंध का घोर उल्लंघन है. शाजिया इल्मी की निजता और शारीरिक अखंडता का उल्लंघन करने के लिए इस विकृत व्यक्ति को अवश्य ही दोषी ठहराया जाना चाहिए.” वहीं इस मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “शाजिया इल्मी द्वारा शो से बाहर जाने का फैसला करने के बाद कैमरामैन द्वारा उनका वीडियो रिकॉर्ड करना शर्मनाक है और राजदीप सरदेसाई द्वारा वीडियो फुटेज जारी करना और भी शर्मनाक है.” बता दें शाजिया इल्मी द्वारा इंडिया टुडे के कैमरामैन से किए गए बर्ताव को लेकर सुबह से एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल है. अब यह वीडियो एक नए मोड़ की तरफ चल पड़ा है. बहुत से लोग इस वीडियो पर अपनी तरह से टिप्पणी कर रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने वीडियो साझा कर लिखा है, “TV शो से असहमति हो सकती है, एंकर से हो सकती है, किसी गेस्ट से हो सकती है, शो छोड़ सकते हैं लेकिन कैमरामैन के साथ इस अभद्रता का हक़ इनको किसने दिया है? वो तो अपना काम कर रहा था एक पत्रकार रहने के बावजूद यह बर्ताव-इतना अहंकार? Say sorry शाजिया इल्मी.”
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29 July 2024नोटिस पीरियड… ये शब्द कुछ लोगों के लिए सुखदायी होगा. पर इतनी ही पीड़ादायक भी है. पीड़ादायक तो क्या है मानसिक तनाव से कम नहीं है. नोटिस पीरियड कितने समय का होना चाहिए इसकी नियमावली कौन तय करेगा? क्या कंपनी अपने हिसाब से तय करे, या फिर लेबर कोर्ट कोई नियम लेकर आए? कहीं दो महीने का नोटिस पीरियड तो कहीं तीन महीने का. नोटिस पीरियड सर्व न करो तो तरह-तरह की धमकियां और दबाव बनाए जाते हैं. कंपनी केस करने की बात भी कहती है. क्या नोटिस पीरियड सर्व न करना एक बड़ा क्राईम है. दो से तीन महीने का नोटिस पीरियड करने का नियम किसने बनाया? सवाल इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि नोटिस पीरियड के दौरान सैलरी रोक दी जाती है. और आखिरी दिन के, कहीं 30 तो कहीं 45 दिन बाद सैलरी देने का प्रावधान है. अब मैं एचआर, उनके मैनेजमेंट और टॉप लेवल पर बैठे अधिकारियों से पूछना चाहता हूं कि दो महीने यानी 30 दिन + 45 दिन कुल मिलाकर 105 दिन तक किसी की तनख्वाह न देना कहां तक उचित है? कम से कम एक महीने की सेलरी तो दीजिए ताकि वो अपने खर्चे को नियमित कर आगे का काम कर सके. 105 दिन बिना रुपये के गुजारा कैसे किया जाए जनाब? चलो माना कि 2 महीने का 3 महीने तक का नोटिस पीरियड कर भी लिया जाए. पर जब आपको जरूरत होती है तो आप क्यों नहीं किसी कर्मचारी के लिए 2 महीने का इंतजार कर सकते हैं? तब तो सभी को एक हफ्ते के अंदर अंदर कर्मचारी ड्यूटी पर मिलना चाहिए. वर्ना तपाक से कह दिया जाता है कि अगर आप एक हफ्ते में ज्वाइन नहीं कर सकते तो हम दूसरे किसी को देख लेंगे. क्या यहां कर्मचारियों की कोई कीमत नहीं है? उसकी भावनाओं की जगह नहीं है? जब आप एक हफ्ते का इंतजार नहीं कर सकते तो अपनी कंपनी के कर्मचारियों पर दो महीने तीन महीने रुकने का दवाब क्यों बनाते हैं. जब ये सवाल मैंने कुछ सीनियर्स से पुछा तो उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि आपकी रिप्लेसमेंट को तलाशने में समय मिले. मैंने कहा चलिए ठीक है मेरी या किसी अन्य की रिप्लेसमेंट के लिए आपने 2 से 3 महीने का समय लिया. ये आपका मसला है. पर दो से तीन महीने तनख्वाह को रोक देना कहां तक उचित है? क्या दो महीने के नोटिस पीरियड में एक महीने की तनख्वाह नहीं देनी चाहिए? जब नोटिस पीरियड के नियम कंपनी बनाती है तो इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता व्यक्ति विशेष को मानसिक रुप से क्या क्या झेलना पड़ रहा होगा. 3 महीने के नोटिस पीरियड में न तनख्वाह हाथ में है न ही नई नौकरी का पता. ये तो वही बात धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का. कमाल है नोटिस पीरियड करे तो न सैलरी मिलेगी नई नौकरी का अता-पता होगा. नोटिस पीरियड नहीं करे तो सैलरी भी रोक दी जाएगी. केस होने का डर अलग से, और अनुभव प्रमाण पत्र न मिलने के कारण नई कंपनी में भी तलवार लटकी रहेगी. क्या इन सवालों का कोई जवाब है. यदि हां तो कृपया मेरी सभी मानव संसाधन, बोले तो एचआर हेड से निवेदन है कि इसका कोई तोड़ निकालें. और कर्मचारियों के हितों का भी ध्यान रखें. कल को वही कर्मचारी आपकी कंपनी में दोबारा आए तो फ्रेशनेस के साथ आए. मन में HR के प्रति नकारात्मकता लेकर नहीं!
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29 July 2024दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों की कई एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया। जस्टिस अनूप भंभानी की बेंच ने बाबा रामदेव को आदेश दिया है कि रामदेव 3 दिन के अंदर टिप्पणी वापस लें, जिसमें उन्होंने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। जस्टिस भंभानी ने कहा, ''मैंने पतंजलि, बाबा रामदेव और उनके प्रमोटरों को 3 दिनों में कुछ ट्वीट हटाने का निर्देश दिया है। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मीडिएटर इन ट्वीट को हटा देंगे।" दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। इसे लेकर डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी। डॉक्टरों ने पतंजलि के दावे के संबंध में अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोरोनिल से जुड़े बयानों को हटाने की अंतरिम राहत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 21 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। डॉक्टरों की याचिका में अपील- कोरोनिल को इम्यूनो बूस्टर का लाइसेंस मिला था डॉक्टरों की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि रामदेव ने कोरोनिल को कोविड की दवा बताते हुए कई भ्रामक दावे किए थे। जबकि, उन्हें कोरोनिल के लिए सिर्फ इम्यूनो-बूस्टर होने का लाइसेंस मिला था। डॉक्टरों के वकील ने यह मांग भी की थी कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोकने के लिए निर्देश दिए जाएं। रामदेव के वकील ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दर्ज कराए हैं, वे उन पर कायम हैं और हाईकोर्ट में उन बयानों को दोहरा सकते हैं। इस पर डॉक्टरों के वकील ने कहा था कि पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में यह वादा किया था कि वे बिना सोचे समझे ऐसे बयान नहीं देगा, जो कानून के मुताबिक न हों। कोरोनिल का मामला उस मामले से अलग है, लिहाजा इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला सुनाना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया दूसरी तरफ, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज पतंजलि आयुर्वेद पर कपूर उत्पाद बेचने पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश का उल्लंघन करने पर 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। 30 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने पतंजलि को कपूर उत्पाद बेचने से रोका था। एक हलफनामे में पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगी और अदालत के आदेशों का पालन करने की बात कही थी। अंतरिम आवेदन के जरिए कोर्ट को बताया गया था कि पतंजलि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। जस्टिस आरआई चागला ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ उसके कपूर प्रोडक्ट के संबंध में ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे में मंगलम ऑर्गेनिक्स के दायर अंतरिम आवेदन पर यह आदेश पारित किया है। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने दावा किया था कि पतंजलि ने 24 जून के बाद भी कपूर प्रोडक्ट बेचे। इसने आगे बताया कि 8 जुलाई को पतंजलि की वेबसाइट पर कपूर उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध थे। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने कहा कि पतंजलि के पेश हलफनामे में इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। पतंजलि ने 20 दिन पहले रोकी थी 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने 9 जुलाई सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि उसने बाजार में अपने 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री रोक दी है। उत्तराखंड ने अप्रैल में इन प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस सस्पेंड किए थे। यह जानकारी पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस से जुड़ी थी। यह केस IMA ने पतंजलि के खिलाफ दाखिल किया था।कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच को बताया कि लाइसेंस रद्द होने के बाद 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर्स को 14 प्रोडक्ट्स वापस लेने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मीडिया प्लेटफार्म्स से भी प्रोडक्ट्स के विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है। बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को दो सप्ताह के भीतर एक एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया। इसमें कपंनी को बताना है कि क्या सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर्स ने इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और क्या उन्होंने विज्ञापन वापस ले लिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि भ्रामक केस पर हुई थी सुनवाई पतंजलि भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं। उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने पतंजलि को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था। सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी इलाज के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। उत्तराखंड स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पूछा था- विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं। उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने पतंजलि को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था। सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी इलाज के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। उत्तराखंड स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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29 July 2024पुणे पोर्श केस में पुलिस ने करीब दो महीने बाद 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। सेशन कोर्ट में गुरुवार को दाखिल किए गए 900 पेज की चार्जशीट में 17 साल के नाबालिग आरोपी का नाम शामिल नहीं किया गया है। नाबालिग का मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के सामने है। वहीं, 7 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने और साक्ष्य मिटाने से संबंधित धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया है। इनमें नाबालिग के माता-पिता, ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टर और एक कर्मचारी और दो बिचौलिए शामिल हैं। नाबालिग ने पोर्श कार से बाइक को टक्कर मारी थी, दो लोगों की मौत हुई थी आरोपी ने 18-19 मई की रात पुणे के कल्याणी नगर इलाके में IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पोर्श स्पोर्ट्स कार चला रहा था। नाबालिग आरोपी को हाईकोर्ट ने जमानत दी बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून को नाबालिग को जमानत दे दी थी। तब कोर्ट ने कहा कि हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो।हाईकोर्ट के आदेश के बाद किशोर को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया और उसकी हिरासत उसकी मौसी को सौंप दी गई थी। हाईकोर्ट ने 3 आधार पर नाबालिग को जमानत दी... 1. हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी की उम्र 18 साल से कम, उसे ध्यान में रखना जरूरी आरोपी लड़के की आंटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिहाई की याचिका लगाई थी। इस याचिका में कहा गया था कि लड़के को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस भारती डांगरे और मंजुशा देशपांडे ने आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम भेजने के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया था। बेंच ने यह भी नोट किया कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश अवैध था और बिना जुरिस्डिक्शन के जारी किया गया था। एक्सीडेंट को लेकर रिएक्शन और लोगों के गुस्से के बीच आरोपी नाबालिग की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया। CCL 18 साल से कम उम्र का है, उसकी उम्र को ध्यान में रखना जरूरी है। 2. कोर्ट बोला- नाबालिग आरोपी के साथ बड़े आरोपियों जैसा बर्ताव नहीं कर सकता कोर्ट ने कहा कि हम कानून और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के उद्देश्य से बंधे हुए हैं और हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो। आरोपी रिहैबिलिटेशन में है, जो कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुख्य उद्देश्य है। वह साइकोलॉजिस्ट की सलाह भी ले रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा। 3. कोर्ट ने कहा था- एक्सीडेंट के बाद से आरोपी भी सदमे में है कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि, ये सही है कि इस एक्सीडेंट में दो लोगों की जान गई, लेकिन ये भी सच है कि नाबालिग बच्चा भी सदमे में है। कोर्ट ने पुलिस से भी पूछा था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने किस नियम के आधार पर अपने बेल ऑर्डर में बदलाव किया था। बेंच ने नोट किया था कि पुलिस ने जुवेनाइल बोर्ड के जमानत के आदेश के खिलाफ किसी ऊपरी अदालत में याचिका दाखिल नहीं की थी। इसे लेकर कोर्ट ने पूछा कि यह किस तरह की रिमांड है? इस रिमांड के पीछे कौन सी ताकत का इस्तेमाल किया गया है। यह कौन सी प्रक्रिया है जिसमें एक शख्स को बेल मिलने के बाद उसे कस्टडी में भेजने का आदेश दिया जाता है। नाबालिग को जमानत दे दी गई थी, लेकिन अब उसे ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है। क्या ये बंधक बनाने जैसा नहीं है। हम जानना चाहते हैं कि आपने किस ताकत का प्रयोग करके यह कदम उठाया है। हमें लगता था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड जिम्मेदारी से काम करेगा। महाराष्ट्र सरकार ने जुवेनाइल बोर्ड के मेंबर्स को भेजा था नोटिस 16 जून को महाराष्ट्र सरकार ने नाबालिग आरोपी को जमानत देने वाले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के दो सदस्यों को शो-कॉज नोटिस भेजा था।आरोपी को हादसे के बाद हिरासत में लिया गया था, लेकिन जुवेनाइल बोर्ड ने उसे 15 घंटे बाद ही जमानत दे दी थी। जमानत की शर्तों के तहत उसे सड़क दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने, ट्रैफिक पुलिस के साथ कुछ दिन काम करने और 7,500 रुपए के दो बेल बॉन्ड भरने को कहा गया था। राज्य सरकार ने जुवेनाइल बोर्ड के दो सदस्यों के कामकाज की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया कि दोनों ही सदस्यों के काम करने के तरीके में गड़बड़ियां मिली हैं। इसके बाद महिला व बाल विकास विभाग के कमिश्नर प्रशांत नरणावरे ने दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
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27 July 2024संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारतीय मीडिया क्षेत्र में 2023 में 1.7 लाख फ्लेक्सी या अनुबंधित कर्मचारी कार्यरत हैं। सर्वेक्षण में भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह संख्या ई-कॉमर्स क्षेत्र में नियोजित अनुबंधित कर्मचारियों के बराबर है।यह उन पत्रकारों के लिए अनिश्चित रोजगार स्थिति को दर्शाता है, जिन्हें सरकार को जवाबदेह ठहराना चाहिए। एक मीडिया प्रमुख ने नाम न बताने की शर्त पर हमारी सहयोगी वेबसाइट एक्सचेंज4मीडिया को बताया कि अनुबंधित और स्वतंत्र कर्मचारी स्थायी नियुक्तियों से जुड़ी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के बिना ही बदलते मार्केट ट्रेंड्स और प्रोजेक्ट्स की जरूरत के हिसाब से काम में फुर्ती दिखाते हैं। कुछ पत्रकारों के अनुसार, न केवल पारंपरिक और विरासत मीडिया घराने, बल्कि भारत और दुनिया भर में नए युग के डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म भी कम लागत पर कंटेंट क्रिएटर्स के अपने नेटवर्क को व्यापक बनाने के लिए फ्रीलांस कर्मचारियों को प्राथमिकता देते हैं डेटा सभी प्रमुख क्षेत्रों की फ्रीलांस, स्व-नियोजित या अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के काम पर निर्भरता को रेखांकित करता है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 15 प्रमुख क्षेत्रों में 54 लाख से अधिक लोग संविदा कर्मचारियों के रूप में कार्यरत हैं। ऐसे कर्मचारी अब विधायी प्रावधानों पर निर्भर नहीं रह सकते। 476 पन्नों का आर्थिक सर्वेक्षण इस बात पर जोर देता है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने कोविड के बाद अपनी रिकवरी को मजबूत किया है। नीति निर्माताओं ने आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वैश्विक अस्थिरता के बावजूद अर्थव्यवस्था का विस्तार जारी है।
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27 July 2024सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक मिनट से ज्यादा की अवधि का एक वीडियो वायरल है। बे-आवाज इस वीडियो में बीजेपी प्रवक्ता शाजिया इल्मी दिखाई पड़ रही हैं। शाजिया कान से ईयरफोन निकालती हैं, थोड़ी ही देर बाद वह किसी पर झपट्टा सा मारती दिखाई दे रही हैं। इस वीडियो को यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने शेयर कर लिखा है, “इंडिया टुडे के एक वीडियो जर्नलिस्ट के साथ भाजपा की संस्कारी प्रवक्ता शाजिया इल्मी द्वारा ये बर्ताव देखिये, माइक फेंका गया, गालियां दी गयी, घर के बाहर धक्के मारकर निकाला गया। क्यों? क्योंकि वो अपना काम कर रहा था? क्या BJP कार्यवाही करेगी? क्या चैनल भाजपा का बहिष्कार करेगा।”इससे पहले बीजेपी नेता शाजिया इल्मी ने एक्स पर राजदीप सरदेसाई, इंडिया टुडे और आजतक को टैग कर लिखा है, “क्या तुम फिर कभी मेरे साउंड फेडर को नीचे गिराओगे। याद रखें कि मैं दोनों पक्षों में रही हूं और जानती हूं कि आप जैसे बदमाशों को कैसे संभालना है। वैसे, पत्रकारों के भेष में उपदेश देने वाले राजनीतिक प्रचारकों को यह शोभा नहीं देता। और केवल शरारत पैदा करने के लिए एक पूर्व सेना प्रमुख को अन्य सभी रक्षा प्रमुखों के खिलाफ खड़ा करने से पहले अपने तथ्य जान लें। शाजिया ने आगे लिखा है, सेना प्रमुख का कहना है कि अचानक नहीं, अग्निपथ योजना ‘उचित परामर्श’ के बाद आई थी।” वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने शाजिया के ट्वीट को कोट कर जवाब दिया है कि, “महोदया, शाजिया इल्मी मैं हमेशा अपने सभी मेहमानों का सम्मान करता हूं। यदि कुछ भी हो, तो मैं बहुत अधिक कृपालु हूं: शो में क्रॉस टॉक और शोर से बचने के लिए ही साउंड फ़ेडर को नीचे किया गया है। यदि शो में आपकी मुझसे या सेना के किसी जनरल से शिकायत है, तो निःसंदेह यह आपका विशेषाधिकार है। और मैं उसका भी सम्मान करता हूं. लेकिन आपके लिए माइक को चकमा देना और हमारे वीडियो पत्रकार को गाली देना और उसे अपने घर से बाहर फेंकना अभी पूरा नहीं हुआ है। वह सिर्फ अपना काम कर रहे थे. बुरे व्यवहार के लिए कोई बहाना नहीं. बाकी मैं आप पर छोड़ता हूं. आपका सप्ताहांत मंगलमय हो.”
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27 July 2024कारगिल विजय दिवस पर जेपी बोले जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "बीजेपी का एक-एक कार्यकर्ता आज अपने जिले और इलाकों में फौजी भाइयों और देश के रक्षकों के साथ और जांबाज शूरवीरों के साथ गर्व से कारगिल विजय दिवस मना रहा है. हम लोगों के लिए ये दिन इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ रजत जयंती के रूप में मना रहे हैं. ये विजय सिर्फ कोई टाइगर हिल्स की विजय नहीं थी, ये विजय सिर्फ द्रास सेक्टर की विजय नहीं थी, ये विजय किसी पहाड़ी पर तिरंगे झंडे की विजय नहीं थी. ये भारत के शौर्य और अस्मिता की जीत थी. हमारा इतिहास है कि हम किसी पर पहले अटैक नहीं करते, लेकिन कोई अगर हम पर अटैक करे तो उसे नेस्तनाबूद करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते." करगिल दिवस पर क्या बोले अमित शाह? करगिल विजय दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "करगिल के युद्ध में वीर जवानों ने हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में पराक्रम की पराकाष्ठा का परिचय देते हुए दुश्मन की सेना को घुटने टेकने पर मजबूर किया और करगिल में पुन: तिरंगा लहराकर देश को गौरवान्वित किया. गृह मंत्री ने आगे बताया कि भारतीय सैनिकों के त्याग, समर्पण और बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं पाएगा. अमित शाह ने कहा, "आज “करगिल विजय दिवस” पर इस युद्ध में अपने साहस से मातृभूमि की रक्षा करने वाले वीर जवानों को नमन करता हूं." लोकसभा ने करगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी लोकसभा ने शुक्रवार को करगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. संसद के निचले सदन ने इस दौरान उनके सर्वोच्च बलिदान को याद किया. कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने करगिल युद्ध में शहीद होने वाले सैन्यकर्मियों और जवानों के पराक्रम का उल्लेख किया.
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26 July 2024पूर्व पत्रकार और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभात झा का निधन हो जाने का समाचार सामने आया है. आज सुबह गुरुग्राम के मेदांता में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. झा को लगभग 26 दिन पहले भोपाल के एक निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर गुरुग्रां ले जाया गया था. उनके बेटे अयत्न ने निधन की जानकारी देते हुए कहा कि अंतिम संस्कार ग्वालियर या पैतृक गांव कोरियाही, सीतामढ़ी (बिहार) में किया जाएगा. प्रभात झा मूलरूप से बिहार के रहने वाले थे. 4 जून 1957 को उनका जन्म दरभंगा स्थित हरिहरपुर गांव में हुआ था. वे परिवार के साथ मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जाकर बस गए थे. ग्वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी और माधव कॉलेज से पॉलिटिक्स में एमए और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी किया था. शादी के बाद उन्होंने स्वदेश नामक अखबार में रिर्पोर्टर की नौकरी की. पत्रकारिता के बाद राजनीति में प्रवेश किया. एमपी में मीडिया सेंटर की स्थापना करवाई. वे बीजेपी के मुखपत्र कमल संदेश के लंबे समय तक संपादक भी रहे थे. मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर कराने में उनका भी खासा योगदान रहा था. प्रभात झा अपनी कार्यकुशलता के चलते लंबे समय तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर काबिज रहे. उनके परिवार में पत्नी रंजना झा के अलावा दो पुत्र तुष्मुल और अयत्न झा हैं.
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26 July 2024बीजेपी के सीनियर लीडर और पूर्व मध्यप्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा का निधन हो गया है। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आज सुबह 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 67 वर्षीय झा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे अयत्न ने कहा कि अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर 3 बजे बिहार के सीतामढ़ी जिले के कोरियाही गांव में होगा। प्रभात झा को करीब 26 दिन पहले भोपाल के एक निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर गुरुग्राम ले जाया गया था। एक नजर प्रभात झा के जीवन पर.. प्रभात झा मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे। उनका जन्म 4 जून 1957 को बिहार के दरभंगा के हरिहरपुर गांव में हुआ था। वे परिवार के साथ मध्यप्रदेश के ग्वालियर आ गए थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद प्रभात झा ने ग्वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी, माधव कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री ली। उनकी शादी रंजना झा से हुई थी। दो बेटे हैं। बड़े बेटे तुष्मुल और छोटे अयत्न झा हैं। शादी के बाद वे पत्रकारिता करने लगे। लंबे समय तक पत्रकारिता के बाद वे राजनीति में आए और बीजेपी के सदस्य बने। 8 मई 2010 से 16 दिसंबर 2012 तक बीजेपी के मध्यप्रदेश अध्यक्ष रहे। 2008 में पहली और 2014 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने कई किताबें भी लिखी थीं। पत्नी से कहा था- अंतिम संस्कार पैतृक गांव में हो प्रभात झा के बेटे तुष्मुल ने सोशल मीडिया पर लिखा- जिस सुबह का डर पिछले 20 दिन से था, आखिर वह सुबह आज आ ही गई। मेरे बाबा आज सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर अनंत लोक प्रस्थान कर गए। तुष्मुल और अयत्न को अकेला छोड़ गए। हम सब चाहते थे कि बाबा की कर्मस्थली मध्यप्रदेश (ग्वालियर) में उनकी अंत्येष्टि हो। लेकिन बाबा ने हमारी माता जी से कभी इच्छा जाहिर की थी कि उनकी अंत्येष्टि जन्म धरती पर जहां मेरे दादाजी की अंत्येष्टि हुई थी, वहीं हो। अतः हम लोगों ने निर्णय लिया है कि बाबा की अंत्येष्टि कल 27 जुलाई को 3 बजे हमारे पुश्तैनी गांव कोरियाही, जिला सीतामढ़ी, बिहार में होगी। लौटा दी थी माल्या की 'लिकर' गिफ्ट वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली ने बताया कि प्रभात झा कई कारणों से चर्चाओं में रहे। अक्टूबर 2009 में लिकर किंग विजय माल्या (तत्कालीन राज्यसभा सदस्य) ने उनके घर बतौर तोहफा शराब की बोतल भेजी थी। झा ने बोतल लौटाते हुए पत्र लिखा, ‘मेरा आपसे न तो कोई परिचय है और न ही मेरे आपके अंतरंग संबंध हैं। मैं शराब का शौकीन भी नहीं हूं। आपने शराब की जगह कोई किताब भेजी होती तो अच्छा होता।’ उन्होंने यह पत्र सार्वजनिक भी किया। इसकी देश-विदेश के मीडिया में चर्चा भी हुई थी। सिंधिया को भूमाफिया कहकर सुर्खियों में रहे प्रभात झा सामंतवाद के विरोधी थे लेकिन राजमाता विजयाराजे सिंधिया के लिए सदैव समर्पित रहते थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के साथ भी मित्रता का भाव निभाया लेकिन उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ तब तक मोर्चा खोले रखा, जब तक ज्योतिरादित्य भाजपा में शामिल नहीं हो गए। उनको भू माफिया तक कहा लेकिन सिंधिया ने हमेशा दरियादिली दिखाई और वे प्रभात के पुराने आचरण को भूलकर उनसे मिलते-जुलते रहे। प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि प्रभात झा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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26 July 2024भारतीय जनता पार्टी ने पत्रकार प्रदीप भंडारी को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता घोषित किया है। इस तरह अब भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की संख्या 31 हो गई है, जिसमें सांसदों संबित पात्रा और सुधांशु त्रिवेदी जैसे बड़े नाम भी शामिल है। अनिल बलूनी BJP के मुख्य प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी हैं। प्रदीप भंडारी ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद अर्णब गोस्वामी के चैनल ‘रिपब्लिक वर्ल्ड’ पर कवरेज के दौरान सुर्खियाँ बटोरी थी, वो महाराष्ट्र की तत्कालीन MVA सरकार के खिलाफ खुल कर सामने आए थे।प्रदीप भंडारी ‘जन की बात’ नामक सेफोलॉजिकल ब्रांड के संस्थापक भी हैं, कई चुनावों में उनके अनुमान सटीक साबित हुए हैं। साथ ही वो ITV नेटवर्क के ‘इंडिया न्यूज़’ के न्यूज़ डायरेक्टर भी रहे हैं, उसके बाद वो ‘Zee News’ से जुड़े रहे। हर चैनल पर उनके शो को खासी लोकप्रियता मिली। ‘ज़ी न्यूज़’ में उन्हें कंसल्टिंग एडिटर का पद दिया गया था। उन्होंने कर्नाटक स्थित ‘मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ (MIT) से इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्युनिकेशंस में इंजीनियरिंग कर रखा है।प्रदीप भंडारी अब तक 40 चुनावों को लेकर अनुमान लगा चुके हैं। ‘इंडिया न्यूज़’ पर वो रोज रात 8 बजे ‘जनता का मुकदमा’ नामक शो लेकर आते थे। फरवरी 2021 में उन्होंने ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ से बतौर कंसल्टिंग एडिटर इस्तीफा दे दिया था। ‘रिपब्लिक टीवी’ पर उन्हें ‘ललकार’ नामक शो के जरिए शोहरत मिली थी। वो थैलेसेमिया बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाते हैं, इसके ब्रांड एम्बेस्डर हैं। प्रदीप भंडारी अब टीवी पर भाजपा का पक्ष रखते हुए दिखेंगे।मुंबई में NCB की दफ्तर के बाहर कवरेज के दौरान प्रदीप भंडारी पर कुछ पत्रकारों ने ही हमला कर दिया था। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स के चलन को लेकर आवाज़ उठाने के कारण उन पर मुकदमा भी दर्ज किया गया था। खार पुलिस थाने में मुंबई पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया था। ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ जैसे प्रपंची मीडिया संस्थान अक्सर उनके खिलाफ झूठ फैलाते रहते हैं। प्रदीप भंडारी काफी ऊर्जावान तरीके से रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते रहे हैं।
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25 July 2024सरकार के विज्ञापन आवंटन को लेकर बात की जाए तो नरेंद्र मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल मोदी 2.0 से अलग होने वाला नहीं है।बजट दस्तावेजों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए सूचना एवं प्रचार का बजट 1,089.23 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। सूचना एवं प्रचार के लिए 38 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय भी आवंटित किया गया है। इन आवंटन को सामाजिक सेवाओं के तहत शामिल किया गया है। इस वर्ष का आवंटन पिछले तीन वर्षों के आवंटन- 1,078.09 रुपये (संशोधित वित्त वर्ष 2023-24) और 1,001.15 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2022-23) की तुलना में थोड़ा अधिक है, लेकिन यह लगभग समान सीमा में है। यह भारत के कुल विज्ञापन राजस्व का लगभग एक प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 23 में लगभग एक लाख करोड़ रुपये था और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के बजट का लगभग एक चौथाई है। अंतरिम बजट सत्र में की गई घोषणा के अनुसार, 2024-2025 में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के लिए आवंटित राशि 4,342.55 करोड़ रुपये है। प्रसारण के लिए आवंटित की गई राशि को 3,071.52 करोड़ रुपये से घटाकर 2,959.94 करोड़ रुपये कर दिया गया है। प्रसारण का मुख्य रूप से मतलब प्रसार भारती व सरकारी टेलीविजन, ऑल इंडिया रेडियो, सामुदायिक रेडियो और डीटीएच जैसे संबंधित बुनियादी ढांचे से है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही समाप्त हो चुकी है, जो कि काफी हद तक लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत रही। ऐसा माना जाता है कि प्रचार राशि का अधिकांश हिस्सा अगले नौ महीनों के लिए है।पिछले वर्षों में, प्रचार बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रिंट और टेलीविजन विज्ञापनों पर खर्च किया गया था, जो कि लगभग 40 प्रतिशत था। बड़े मीडिया के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा सरकारी विज्ञापन से आता है। आर्थिक मंदी के समय, मीडिया कंपनियां राज्यों और केंद्र सरकारों द्वारा किए जाने वाले विज्ञापन खर्च पर और भी अधिक निर्भर हो जाती हैं।
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25 July 2024राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से मंगलवार को OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स को समन जारी किया गया, जिसमें नेटफ्लिक्स इंडिया की वाइस प्रेजिडेंट (कंटेंट व पॉलिसी हेड) मोनिका शेरगिल को 29 जुलाई को आयोग के समक्ष पेश होने को कहा गया है।आयोग ने यह समन तब जारी किया जब उसे यह शिकायत मिली थी कि नेटफ्लिक्स के प्लेटफॉर्म पर सेक्सुअल कंटेट दिखाया जाता है और ये कंटेंट नाबालिगों के लिए भी बड़ी आसानी से उपलब्ध है। NCPCR ने नेटफ्लिक्स को भेजे पत्र में कहा है कि आयोग को सेव कल्चर भारत फाउंडेशन के उदय माहुरकर की ओर से शिकायत मिली थी। आयोग ने मंगलवार को नेटफ्लिक्स को भेजे पत्र में कहा है कि नेटफ्लिक्स विचित्र दृश्य दिखा रहा है और यह कंटेंट नेटफ्लिक्स पर नाबालिगों के लिए आसानी से उपलब्ध है। नाबालिगों तक अश्लील कंटेंट की बिना रोक टोक पहुंच पॉक्सो अधिनियम-2012 का उल्लंघन है। आयोग ने कहा है कि इसी मामले पर जून की शुरुआत में नेटफ्लिक्स को पत्र लिखा गया था, लेकिन उसका जवाब नहीं मिला था। इसलिए अब आयोग को मिले कानूनी शक्तियों के तहत कंपनी के अधिकारियों को पेश होने को कहा गया है। वहीं, कमीनश के जारी नए समन पर नेटफ्लिक्स की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया। आयोग ने CPCR एक्ट 2005 की धारा 14 के तहत नेटफ्लिक्स से जुड़े अधिकारियों से इस मामले में अबतक के उनके उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ 29 जुलाई को दोपहर 3 बजे फिजिकली उपस्थित होने का कहा है।
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24 July 2024पाकिस्तान अपने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के बजाय आतंकवाद को बढ़ावा देता है, यही वजह है आज पाकिस्तान की माली हालत है. उसे बार-बार कर्ज लेकर देश को संभालना पड़ रहा है. हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान की जितनी जीडीपी ही है, उससे कहीं ज्यादा तो केवल अकेले महाराष्ट्र की है. वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी जहां 3397 अरब डॉलर रही, वहीं पाकिस्तान की जीडीपी महज 338 अरब डॉलर पर सिमट गई. आज अकेले महाराष्ट्र की जीडीपी ही पाकिस्तान से कहीं ज्यादा है. इस वक्त महाराष्ट्र की जीडीपी 439 अरब डॉलर के करीब है, जो पाकिस्तान की 338 अरब डॉलर जीडीपी से कहीं ज्यादा है. तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश भी काफी आगे महाराष्ट्र के बाद भारत में तमिलनाडु और यूपी काफी मजबूत राज्य हैं. तमिलनाडु की जीडीपी 23.6 लाख करोड़ रुपये तो वहीं 22.6 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी के यूपी की है. 22.4 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी के साथ कर्नाटक चौथे स्थान पर, वहीं गुजरात पांचवें स्थान पर आता है, जिसकी जीडीपी 19.4 लाख करोड़ रुपये है. भारत में सबसे कम जीडीपी वाला राज्य मिजोरम है, इसकी जीडीपी 0.3 लाख करोड़ रुपये है. यूपी और बिहार में सबसे कम आय टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति आय भी कई देशों के बराबर है. दिल्ली, गोवा और सिक्किम की स्थिति दक्षिण अफ्रीका के बराबर है, वहीं यूपी और बिहार जैसे राज्यों का हाल रवांडा और सोमालिया जैसा है. रिपोर्ट में कहा गया कि सिक्किम में प्रति व्यक्ति सालाना जीडीपी 5.20 लाख रुपये है. वहीं गोवा में 4.72 लाख, दिल्ली में 4.45 लाख रुपये हैं. तेलंगाना में 3.12 रुपये प्रति व्यक्ति जीडीपी है, वहीं 3.02 लाख प्रति व्यक्ति आय के साथ कर्नाटक पांचवें स्थान पर है. दूसरी तरफ मेघालय, झारखंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे पिछड़े राज्य हैं. बिहार में सालाना प्रति व्यक्ति आय महज 54 हजार रुपये है, वहीं उत्तर प्रदेश सालाना 84 हजार रुपये प्रति आय के साथ नीचे से दूसरे स्थान पर है.
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24 July 2024अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए 5 नवंबर को चुनाव होने हैं, इसी बीच रविवार को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन अपनी दावेदारी से पीछ हट गए हैं. इसके साथ ही बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का समर्थन किया है. अब इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि नवंबर में होने वाले चुनाव में कमला हैरिस रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के सामने हो सकती हैं.साल की शुरुआत में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी में बाइडेन ने 19-22 अगस्ते के बीच होने वाले डेमोक्रेटिक सम्मेलन के लिए सभी प्रतिनिधियो में से करीब 95 प्रतिशत जीत हासिल की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि बाइडेन के समर्थन के बाद ये प्रतिनिधि कमला हैरिस का भी समर्थन करेंगे. बाइडेन की दावेदारी से पीछे हटने से पहले अमेरिका के एबीसी न्यूज ने इप्सोस पोल का आयोज किया था, जिसमें डेमोक्रेटिक मतदाताओं ने 60-39 से बाइडेन के हटने का समर्थन किया. ट्रंप के सामने बाइडेन हुए पीछे इसके अलावा ट्रंप की बात की जाए तो 15-18 जुलाई के बीच रिपब्लिकन सम्मेलन के बाद ट्रंप का वोट प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद जताई गई है. राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से बता चला है कि ट्रंप की बाइडेन पर बढ़त 13 जुलाई को 1.9 अंक से बढ़कर 3.2 अंक हो गई है. वोटों की हिस्सेदारी ट्रंप के लिए 43.5 प्रतिशत और बाइडेन के लिए 40.2 प्रतिशत आंकी गई है. दरअसल , अमेरिका में राष्ट्रपति पद का फैसला वोट से नहीं बल्कि ईवी से होता है. ऐसे में यह अनुमान लगाया गया कि ईवी प्रणाली में बाइडेन काफी पीछे चल रहे हैं. दो चीजों से हैरिस को मिलेगा फायदा मेलबर्न विश्वविद्यालय के चुनावी विश्लेषक एड्रियन ब्यूमोंट ने कमला हैरिस की उम्मीदवारी पर अपना विश्लेषण दिया है. इसमें उन्होंने कहा कि अभी हैरिस बनाम ट्रंप चुनाव का विश्लेषण करना जल्दबाजी होगी, फिलहाल उन्होंने हैरिस की उम्मीदवारी को उचित बताया है. चुनावी विश्लेषक ने दो चीजों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि दो चीजें हैं जिनकी वजह से हैरिस को फायदा हो सकता है. उम्र के मामले में हैरिस को मिलेगी बढ़त एड्रियन ब्यूमोंट ने कहा कि अमेरिका में आर्थिक आंकड़ों में सुधार हुआ है और मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, इसका फायदा सीधे तौर पर हैरिस को मिल सकता है. इसके अलावा बाइडेन चुनाव तक 82 साल के हो चुके हैं, जबकि हैरिस उस समय 60 साल की रहेंगी. दूसरी तरफ ट्रंप 78 साल के हैं, ऐसे में बाइडेन के लिए जो उम्र का मसला था, वह हैरिस के लिए अब फायदेमंद हो सकता है. फिर भी ऐसे उम्मीदवार का चयन करना जिसका प्राइमरी में चयन नहीं हुआ यह काफी जोखिम भरा हो सकता है. नया उम्मीदवार लाना समझदारी- चुनावी विश्लेषक हालांकि, बाइडेन की उम्र मतदाताओं के लिए चिंता का विषय है, साथ ही वह ट्रंप से पहले ही पीछे चल रहे हैं. ऐसे में एक नए उम्मीदवार को लाना यह डेमोक्रेटिक के लिए समझदारी भार कदम है. चुनावी विश्लेषक ने बताया कि ऐसे कदम पहले भी अन्य देशों में भी उठाए गए हैं.
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24 July 2024इजराइल-ग़जा युद्ध में अब तब 39,000 लोगों ने जान गंवाई है, इनमें 108 पत्रकार भी शामिल हैं. यह आंकड़ा सीपीजे ने जारी करके हुए कहा है कि, “यह1992 के बाद पत्रकारों के लिए सबसे घातक अवधि है.”7 अक्तूबर 2023 से शुरू हुए इस युद्ध को लेकर सीपीजे की तरफ से 22 जुलाई 2024 तक के आंकड़े जुटाए गए हैं. जिसके अनुसार अब तक मारे गए, घायल और लापता हुए पत्रकारों का रिकॉर्ड दिया गया है. नीचे देखें… 108 मीडियाकर्मियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जिनमें 103 फ़िलिस्तीनी, 2 इजराइली और 3 लेबनानी हैं. 32 पत्रकारों के घायल होने की खबर है. दो पत्रकारों के लापता होने की सूचना. 51 पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा अनेक हमले, धमकियां, साइबर हमले, सेंसरशिप और परिवार के सदस्यों की हत्याएं शामिल हैं. CPJ अन्य पत्रकारों के मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लेने, चोट पहुंचाने या धमकाने सहित मीडिया कार्यालयों तथा पत्रकारों के घरों को नुकसान पहुंचाने संबंधी रिपोर्टों की जांच कर रहा है. क्या है सीपीजे? सीपीजे (CPJ) पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बना एक अंतरार्ष्ट्रीय संगठन है, जो दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है. यह प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन और पत्रकारों पर हमलों की निगरानी और रिपोर्ट करता है. हिरासत में लिए गए पत्रकारों की ओर से कूटनीतिक और कानूनी वकालत करता है, साथ ही जरूरतमंद पत्रकारों को आपातकालीन सुविधा मुहैया कराता है.
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23 July 2024यूट्यूब की आड़ में अपहरण कर जबरन जिस्मफरोशी का धंधा कराने वाली एक महिला YouTuber को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी महिला का नाम सबा खान बताया जा रहा है। सहारनपुर की रहने वाली शहजादी (बदला हुआ नाम) ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उसका अपहरण कर सबा खान को डेढ़ लाख रुपये में बेच दिया गया था। जिसके बाद सबा ने उसे जबरन जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया। पुलिस ने 26 जून को इस आधार पर एक एफआईआर दर्ज की थी। जिसके बाद कथित यूट्यूबर सबा खान को गिरफ्तार किया गया है। एसएचओ सिटी जगदीश चंद्र के मुताबिक, सबा खान नामक महिला को हिरासत में लिया गया है। उसे न्यायालय में पेश कर तीन दिन की रिमांड की मांग की जाएगी। उससे गहनता से पूछताछ की जा रही है ताकि सभी पहलुओं की पड़ताल की जा सके। पुलिस ने बताया कि वह अपने आप को यूट्यूब पत्रकार बताती है और एक चैनल चलाती है। इसी की आड़ में उसने अवैध धंधे, जबरन जिस्मफरोशी और अपहरण इत्यादि संचालित किए हुए हैं। पीड़िता ने लगाए ये आरोप इसके अलावा पुलिस ने यह भी दावा किया कि सबा खान के खिलाफ कई और मामलों की भी जांच की जा रही है ताकि उससे जुड़े अन्य संदिग्धों की भी पहचान और भूमिका सुनिश्चित की जा सके। रुकसाना (काल्पनिक नाम) ने पुलिस को दिए अपने बयान में यह भी बताया कि सबा खान ने उसे मानसिक और शारीरिक यातनाएं दीं और जबरन इस घिनौने धंधे में शामिल किया। पुलिस ने रुकसाना (काल्पनिक नाम) को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है।
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23 July 2024कहते हैं कि अगर दिल में नेकी करने का इरादा हो तो राहें अपने आप बन जाती हैं. फिर भले ही आपके पास बहुत ज्यादा पैसा न हो लेकिन अच्छे काम के लिए साधन जुट जाते हैं. और इस बात को साबित कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के विशाल सिंह, जिन्हें आज फूडमैन के नाम से जाना जाता है. क्योंकि उनके प्रयासों के कारण ही सरकारी अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले 1,200 से ज्यादा गरीब लोग भूखे नहीं रहते हैं. 43 वर्षीय विशाल सिंह लखनऊ के तीन अस्पतालों – किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अपने गंभीर रूप से बीमार रिश्तेदारों के साथ आने वाले लोगों को फ्री में खाना खिलाते हैं. इस काम को उन्होंने अपने जीवन का मिशन बना लिया है. खुद के अनुभव से मिली प्रेरणा इस निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा विशाल सिंह को अपने अनुभवों से मिली. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2003 में, वह गुरुग्राम के एक अस्पताल में अपने बीमार पिता की देखभाल कर रहे थे. इलाज में उन्हें काफी खर्च करना पड़ा और एक मध्यम-वर्गीय परिवार के लिए यह खर्च काफी बड़ा था. इस कारण एक वक्त ऐसा आया कि उनके लिए दो वक्त के खाने की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा था. उनके पिता को अस्थमा के साथ-साथ फेफड़ों का संक्रमण भी था.रूड़की के मूल निवासी विशाल ने बीमारी के कारण अपने पिता को खो दिया. इसके बाद वह नौकरी के लिए लखनऊ आए और यहां बहुत मुश्किलों से अपना काम शुरू किया. लेकिन उनके भीतर एक संकल्प पनप रहा था. उन्होंने ठाना कि जब भी वह सक्षम होंगे तो वह सुनिश्चित करेंगे की अपने बीमार परिवारजन की देखभाल करने वाला एक भी व्यक्ति भूखा न रहे. ज्योतिष में स्नातक विशाल का मानना है कि नर (मनुष्य) की सेवा करना नारायण (भगवान) की सेवा करना है. साल 2005 से कर रहे हैं यह काम उन्होंने अपनी पहल शुरू करने के लिए सरकारी अस्पतालों को चुना क्योंकि इनमें ज्यादातर गरीब लोग आते हैं, जो इलाज का खर्च मुश्किल से वहन कर पाते हैं. सरकारी अस्पताल मरीजों को मुफ्त दवा और भोजन देते हैं, लेकिन इन अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले लोग शायद ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर पाते हैं. 2005 में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के अधिकारियों ने मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों की सेवा के लिए उनसे संपर्क किया था.उन्हें अपनी रसोई बनाने के लिए जगह भी दी गई. इसके साथ, उन्होंने ‘प्रसादम सेवा’ शुरू की, जो लगभग 100 लोगों को प्रतिदिन तीन बार भोजन परोसती थी. ‘प्रसादम सेवा’ तुरंत हिट हो गई और उनकी पहल को जो प्रतिक्रिया मिली इससे उन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिला. मरीजों के परिजनों को खाना खिलाने का क्रम दिन-ब-दिन चलता रहा. केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी उनके समर्पण को देखकर उन्हें अपनी रसोई चलाने के लिए जगह देने पर सहमति जताई. अब, उनकी पहल का दायरा तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों और लखनऊ में नई बनी डीआरडीओ कोविड सुविधा तक बढ़ गया है.लखनऊ में विशाल के शुरुआती दिन बहुत मुश्किल थे. सिंह ने हजरतगंज में पार्किंग अटेंडेंट के रूप में काम किया, साथ ही आजीविका चलाने के लिए एक छोटे रेस्तरां में बर्तन भी धोए. लेकिन उनका सपना कभी ओझल नहीं हुआ. उन्होंने एक चाय की दुकान भी चलाई. लगभग चार वर्षों के संघर्ष के बाद, वह एक इलेक्ट्रोड फैक्ट्री और अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के जरिए कुछ बेहतर स्थिति में पहुंचे. साल 2007 में उन्होंने अपने पिता विजय बहादुर सिंह के नाम पर विजयश्री फाउंडेशन का गठन किया.वर्तमान में, विशाल सिंह की ‘प्रसादम सेवा’ हर दिन 1200 से ज्यादा लोगों को बिना एक पैसा लिए खाना खिलाती है।.कोविड महामारी के दौरान यह संख्या लगभग 2500 तक पहुंच गई. महामारी की दूसरी लहर के दौरान उनके फाउंडेशन ने 7.5 लाख से अधिक भोजन पैकेट वितरित किए. इसके लिए उन्हें यूपी के राज्यपाल से पुरस्कार मिला. निःशुल्क भोजन सेवा के लिए तीनों अस्पतालों में प्रतिदिन दोपहर 12.30 बजे से 3.30 बजे के बीच ‘प्रसादम सेवा’ के टोकन वितरित किए जाते हैं. नियमित मेनू में रोटी, दाल, चावल, दो सब्जियां, सलाद और पापड़ शामिल हैं. वह जो भी परोसते हैं उसकी गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते. वह कहते हैं, ”मुझे लगता है कि मैं अपनी बेटी की शादी में मेहमानों को खाना खिला रहा हूं. यह कम क्वालिटी का कैसे हो सकता है?” कोविड महामारी के दौरान जब कोई व्यक्ति अपने घर से निकलने तक को तैयार नहीं था तब फूडमैन विशाल सिंह द्वारा पांच कम्युनिटी किचन बनाकर, खासतौर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बिहाफ पर डीआरडीओ कोविड केंद्र एवं हज हाउस कोविड सेंटर का संचालन उन्हें दिया गया था. यहां उन्होंने सैकड़ों की तादाद में मरीजों व उनके परिजनों को निशुल्क भोजन कराने के साथ ही ऑक्सीजन रेगुलेटर बनाकर लाखों लोगों की जिंदगी बचाई.
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23 July 2024सीतापुर के थाना रेउसा क्षेत्र में बीती 17 जुलाई को पत्रकार प्रेम प्रकाश वाजपेयी पर दर्ज किए गए मुकदमे को लेकर पत्रकारों में काफी रोष रहा। इस मामले को लेकर शुक्रवार को पत्रकारों ने एसपी चक्रेश मिश्रा से मिल कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पत्रकार प्रेम वाजपेयी पर दर्ज केस से गंभीर धाराएं हटाने और दूसरे पक्ष पर भी केस दर्ज करने की मांग रखी गई। ज्ञात हो आई बीती 17 जुलाई की शाम को रेउसा के रहने वाले पत्रकार प्रेम प्रकाश वाजपेयी का संदीप अवस्थी नाम के एक व्यक्ति से विवाद हो गया था। जिसके चलते संदीप अवस्थी ने अपने साथियों के साथ मिल कर पत्रकार की लात घूसों से पिटाई कर दी थी। वहीं जब पत्रकार द्वारा अपने बचाव के लिए हाथापाई की गई तो हमलावरों में इसका वीडियो बना कर प्रेम वाजपेयी पर ही मारपीट करने का आरोप लगा दिया। इतना ही नहीं लूट का आरोप लगाते हुए रेउसा थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी थी। इधर जब प्रेम वाजपेयी प्रार्थना पत्र लेकर थाने पहुचें तो पुलिस ने उनका केस दर्ज करने के बजाय उन्हें ही थाने में बैठा दिया था। जिसके बाद 18 जुलाई को प्रेम वाजपेयी के पेट व अन्य अंगों में भारी दर्द की शिकायत होने पर पुलिस उन्हें सीएचसी ले गई, बाद में उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। जहां पर उनका इलाज जारी है।प्रेम वाजपेयी पर लूट समेत अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज केस के विरोध में शुक्रवार को पत्रकारों ने एसपी चक्रेश मिश्रा से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें मांग की गई कि पत्रकार प्रेम वाजपेयी पर लगी फर्जी लूट की धारा हटाई जाए। इस पर एसपी ने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि प्रेम के केस से सभी गंभीर धाराएं हटा दी जाएगी। इसके साथ ही एसपी ने बताया कि संदीप अवस्थी की ओर से उनके साथ हुई मारपीट का वीडियो साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराया गया है। यदि पत्रकार की ओर से भी ऐसा कोई साक्ष्य मिल जाये तो इस पक्ष की ओर से भी केस दर्ज करा दिया जाएगा।एसपी ने पत्रकारों को आश्वासन दिया है कि मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच कराते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मौके पर पत्रकार सुधांशु सक्सेना, अजय विक्रम सिंह, सुभाष शुक्ला, श्रेष्ठ सक्सेना, अमरजीत सिंह, आशीष मिश्र, आनंद शुक्ला, ओम प्रकाश मिश्रा, हिमांशु सिंह, वैभव दीक्षित, रोहित मिश्रा, ज्ञान प्रकाश सिंह ष्प्रतीकष् साकेत चौहान, अनुज सिंह भदौरिया समेत अन्य कई पत्रकार साथी मौजूद रहे।
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22 July 2024छतरपुर: बागेश्वरधाम में भी दुकानदारों को अपनी दुकान के बाहर नेम प्लेट लगानी पड़ेगी, जिसमें इस बात का जिक्र करना होगा कि वह दुकान किसकी है। खुद बागेश्वर धाम सरकार के नाम से प्रसिद्ध धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ये बात कही है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने क्या कहा? धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि दुकानदारों को दस दिन के अंदर दुकान के बाहर नेम प्लेट लगानी पड़ेगी। शास्त्री ने कहा कि न हमें राम से दिक्कत है, न रहमान से दिक्कत है। हमें कालनेमियों से दिक्कत है। धीरेंद्र ने कहा कि नाम बताने में कोई दिक्कत नहीं है, आप जो हो, वो अपनी नेम प्लेट में बाहर टांग दो। धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं का धर्म भ्रष्ट न हो, यह मेरी आज्ञा है, नहीं तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी। अपने बाप को बाप कहना चाहिए दूसरे के बाप को नहीं: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हालही में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था कि दुकानों के बाहर नाम लिखना अच्छा काम है। उन्होंने सरकार के उस फैसले का स्वागत किया और साधूवाद दिया था, जिसमें दुकान के मालिकों से उनका पूरा नाम दुकान के बाहर लिखने के लिए कहा गया है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था, 'हमें अपने बाप को बाप कहना चाहिए, दूसरे के बाप को अपना बाप नहीं, सच सामने आना चाहिए। नाम लिखने मे क्या तकलीफ है।'
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22 July 2024मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, पूर्व मंत्री और पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की मुश्किलें खत्म नहीं होने का नाम ले रही हैं. प्रदेश के भिंड जिले के लहार स्थित मकान को अतिक्रमण बताने की प्रशासनिक कार्रवाई वाले मामले में उन्हें राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. उनके द्वारा मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में दायर रिट अपील में भी कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा है. वहीं उनकी कोठी के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है. जबकि डॉ सिंह ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है. जानिए आखिर क्या था पूरा मामला पूरा मामला जिला भिंड के लहार के मझतोरा चौराहे के पास बनी पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की कोठी से जुड़ा हुआ है. इस कोठी को लेकर आरोप है कि यह कोठी सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनाई गई है. इस मामले में 15 जुलाई को राजस्व निरीक्षक ने सीमांकन के लिए डॉ गोविंद सिंह को नोटिस जारी किया था. संभावित कार्रवाई की आशंका से गोविंद सिंह के बेटे अमित प्रताप ने हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर कर कोठी तोड़े जाने की आशंका जताई थी. हाईकोर्ट का कहना था कि नोटिस में सिर्फ सीमांकन की बात थी, गोविंद सिंह के परिवार को भी वहां मौजूद रहने को नोटिस में कहा गया था. इसलिए हाईकोर्ट का हस्तक्षेप फिलहाल इस याचिका में नहीं किया जा सकता. यह कहते हुए हाईकोर्ट ने डॉ गोविंद सिंह के बेटे की याचिका को खारिज कर दिया था. इसके खिलाफ डीबी में रिट अपील में सिंगल बेंच केन कोर्ट के आदेश को फिर चुनौती दी गई. इस पर भी डिवीजन बेंच ने डॉ गोविंद सिंह को कोई राहत नहीं दी है.हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए ये कहा डॉ गोविंद सिंह ने भिंड जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक अंबरीश शर्मा पर आरोप लगाया है कि सरकार उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है और उनका मकान तोड़ने पर आमादा है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन सत्ता पार्टी के दवाब में हमारा मकान तोड़ने पर आमादा है. डॉ सिंह ने कहा कि दो दिन की जांच में टीम को चिन्ह नहीं मिला अब पता चला कि वह सेटेलाइट के गलत नक्शे के आधार पर प्रशासन हर हाल में मकान तोड़ने पर आमादा है. बदले की भावना से की जा रही है कार्रवाई डॉ सिंह ने कहा कि मकान के लिए हमने जमीन खरीदी है और सभी से रजिस्ट्री करवाई थी. फिर भी अगर उन्हें लगता है कि हमने कुछ गलत किया है तो हमें नोटिस दें. अगर गलत होगा तो हम खुद अपने हाथों से तोड़ लेंगे. उन्होंने कहा स्थानीय विधायक चुन - चुनकर हमारे कार्यकर्ताओं को टारगेट कर रहे हैं और उन्हें जेल में डलवा रहे हैं. अब हमारा मकान तोड़कर हमें अपमानित करने का काम कर रहे हैं.
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22 July 2024पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) खर्च के मामले में देश की सबसे बड़ी रीजनल पार्टी है। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में पार्टी की कमाई 333.45 करोड़ रुपए थी, जबकि खर्च 181.1 करोड़ रुपए किए।वहीं, कमाई के मामले में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) टॉप पर रही। 2022-23 में पार्टी की कमाई 737 करोड़ रुपए रही, जबकि खर्च के 57.47 करोड़ रुपए रहा। आंध्र प्रदेश के पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSR कांग्रेस कमाई के मामले में तीसरे और खर्च के मामले में दूसरे नंबर पर रही। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में देश की 57 में से 39 रीजनल पार्टियों की कमाई और खर्च का ब्योरा जारी किया है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, सभी पार्टियों को अपनी सालाना आय-व्यय की रिपोर्ट आयोग का सौंपनी होती है। रीजनल पार्टियों ने कमाई के मुकाबले एक चौथाई कम खर्च किया ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में 39 क्षेत्रीय पार्टियों की कुल आय एक हजार 740 करोड़ रुपए थी जो पिछले साल 2021-22 की तुलना में 20 करोड़ रुपए अधिक है। वहीं पार्टियों का खर्च केवल 481 करोड़ रुपए ही रहा। यानी कमाई के मुकाबले खर्च एक चौथाई से भी कम है। 18 पार्टियों ने ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करवाई ADR के मुताबिक, देश की 18 रीजनल पार्टियों ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की अपनी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को जमा नहीं की। इसमें शिवसेना, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, J&K नेशनल कॉन्फ्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (UBT) भी शामिल हैं। पार्टियों को 31 अक्टूबर, 2023 तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर एनुअल ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी थी। केवल 16 ने समय ही समय सीमा का पालन किया और 23 पार्टियों ने अपनी रिपोर्ट देरी से जमा की। 20 पार्टियों ने कमाई से ज्यादा किया खर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 19 रीजनल पार्टियों ने अव्ययित आय (अनस्पेंट इनकम) घोषित की। BRS की अव्ययित आय सबसे अधिक 680 करोड़ रुपए थी। उसके बाद बीजू जनता दल की 171 करोड़ रुपए और डीएमके की 161 करोड़ रुपए रही थी। इसके विपरीत 20 पार्टियों ने कमाई से ज्यादा खर्च होने की जानकारी दी। इसमें जनता दल (सेक्युलर) ने अपनी आय से 490% अधिक खर्च किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि दान और चुनावी बांड से पार्टियों को सबसे ज्यादा पैसा मिला, जिसकी राशि एक हजार करोड़ रुपए थी।
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20 July 2024UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि इस्तीफे के बाद सामाजिक और धार्मिक कामों पर ध्यान देंगे। उन्होंने 14 दिन पहले अपना इस्तीफा कार्मिक विभाग (DOPT) को भेजा था, इसकी जानकारी आज (20 जुलाई को) सामने आई है। अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। उनका कार्यकाल मई 2029 तक था। उन्होंने 16 मई 2023 को UPSC के अध्यक्ष के रूप में शपथ ली थी।राज्यसभा सांसद ने कहा- विवादों के बीच पद से हटाया गया इस्तीफे की जानकारी आने के बाद मनोज सोनी ने कहा है कि उनका इस्तीफा ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के विवादों और आरोपों से किसी भी तरह से जुड़ा नहीं है। वहीं, कांग्रेस लीडर और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने चेयरमैन के इस्तीफे पर कहा है कि उन्हें UPSC से जुड़े विवादों के बीच पद से हटाया गया है।उन्होंने कहा कि 2014 से अबतक लगातार संवैधानिक बॉडी की शुचिता बुरी तरह प्रभावित हुई है।मनोज सोनी के कार्यकाल के दौरान IAS ट्रेनी पूजा खेडकर और IAS अभिषेक सिंह विवादों में रहे। इन दोनों पर OBC और विकलांग कैटेगरी का गलत फायदा उठाकर सिलेक्शन लेने का आरोप लगा। पूजा खेडकर ने लो विजन का हवाला देते हुए विकलांग कैटेगरी से सिलेक्शन हासिल किया था। अभिषेक सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा विकलांग कैटेगरी से पास की थी। उन्होंने लोकोमोटिव डिसऑर्डर यानी खुद को चलने-फिरने में अक्षम बताया था। अभिषेक ने अपने एक्टिंग करियर के लिए IAS से इस्तीफा दे दिया थाUPSC भारत के संविधान में अनुच्छेद 315-323 भाग XIV अध्याय II के तहत संवैधानिक बॉडी है। यह आयोग केंद्र सरकार की ओर से कई परीक्षाएं आयोजित करता है। यह हर साल सिविल सेवा परीक्षाएं आईएएस, भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और केंद्रीय सेवाओं- ग्रुप ए और ग्रुप बी में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। आयोग में अध्यक्ष के अलावा 10 मेंबर गवर्निंग बॉडी में होते हैं। शुक्रवार तक अध्यक्ष के अलावा बॉडी में सात सदस्य थे। इनमें गुजरात लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष दिनेश दासा भी शामिल थे।
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20 July 2024रूस के साथ भारत की नजदीकियां बढ़ने की वजह से अमेरिका अपनी मनमानी करने लगा है. अब खबर है कि अमेरिका भारत को तेजस लड़ाकू विमान में इस्तेमाल होने वाले इंजन की सप्लाई में देरी कर रहा है. इसकी वजह से तेजस के प्रोडक्शन में कमी देखने को मिली है. स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट का कहना है कि अगर इसकी सप्लाई में देरी होती है तो भारत अमेरिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी खत्म कर सकता है स्पुतनिक ने भारतीय वायुसेना के एक रिटायर्ड अधिकारी के हवाले से लिखा, "अगर वाशिंगटन भारत के स्वदेशी विमान तेजस के लिए जेट इंजन की सप्लाई में पिछड़ता रहा तो अमेरिका के ऊपर सवाल उठ जाएंगे. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट को भी समाप्त किया जा सकता है." इंजन की सप्लाई नहीं होने से पड़ेगा IAF पर असर एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एम. माथेस्वरन ने कहा, "अमेरिकी F404 इंजन की सप्लाई में देरी से भारतीय वायुसेना पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि तेजस Mk1 और तेजस Mk1A के 6 स्क्वाड्रन जल्द ही सर्विस में शामिल किए जाने वाले हैं वहीं, रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय सेना से मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त पीके सहगल ने बताया कि भारत के लिए दूरदृष्टि रखना बहुत जरूरी है. 15 साल बाद क्या तकनीक आएगी, यह भी देखना है. पांचवीं पीढ़ी के अलावा छठी पीढ़ी की तकनीक भी आ सकती है. ऐसे में भारत को भी तकनीक के मामलों में दूसरों से आगे रहना है तो खत्म हो जाएगा भारत-अमेरिका का कॉन्ट्रैक्ट माथेस्वरन ने कहा, भारतीय वायु सेना 45 की जगह 32 स्क्वाड्रन से काम चला रही है. अगर तेजस लड़ाकू विमान की अगली पीढ़ी के Mk2 वर्जन के लिए F414 इंजन भारत को नहीं मिलते हैं तो कॉन्ट्रैक्ट खतरे में पड़ जाएगा वहीं, मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि तेजस को बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विमान के लिए विकल्पों के बारे में सोचना शुरू कर दिया है. जब तेजस योजना शुरू हुई थी, तब रूस कावेरी इंजन के लिए भारत के साथ हाथ मिलाने के लिए उत्सुक था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था. उनका मानना है कि इस क्षेत्र में रूस के साथ साझेदारी निश्चित रूप से भारत के लिए फायदेमंद होगी. कितने तेजस बनाने हैं अभी? तेजस अपनी कैटेगरी का सबसे छोटा और सबसे हल्का विमान है. इस विमान का इस्तेमाल जमीनी हमले, हवा से हवा में युद्ध और वायु रक्षा जैसी कई भूमिकाओं के लिए किया जा सकता है. तेजस Mk1, Mk1A और Mk2 वेरिएंट भविष्य में भारतीय वायु सेना के मिग-21, मिग-29 और जगुआर की जगह लेंगे. इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कर रही है तेजस मार्क 2 एक अधिक शक्तिशाली जेट है और इसे एक बड़े इंजन की आवश्यकता है. एचएएल ने आठ F414 इंजन खरीदे हैं. भारतीय वायु सेना तेजस Mk2 के 6 स्क्वाड्रन बनाना चाहती है और प्रोटोटाइप का परीक्षण 2026 में किए जाने की उम्मीद है.
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20 July 2024यूपी पीसीएस जे 2022 भर्ती परीक्षा में कॉपियों की अदला बदली और गड़बड़ी के विवाद से जुड़ी खबर सामने आ रही है. इस विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. यूपी लोक सेवा आयोग के चेयरमैन की तरफ से कोर्ट में दाखिल सप्लीमेंट्री एफिडेविट किया गया. हाईकोर्ट ने चेयरमैन के एफिडेविट पर जवाब दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता को दो हफ्ते का समय दिया गया है. याचिकाकर्ता श्रवण पांडेय की तरफ से आज अलग से एक अर्जी दाखिल की गई है. इस अर्जी में याचिका को संशोधित किए जाने की अपील भी की गई है श्रवण पांडेय की याचिका को जनहित याचिका के तौर पर सुने जाने की मांग भी की गई है. इसके अलावा पूरे मामले की जांच सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी से कराए जाने की भी मांग की गई. वहीं आयोग पहले ही 50 अभ्यार्थियों के कॉपियों की अदला-बदली की बात