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इंडिया टुडे में सीनियर एंकर के तौर पर कार्यरत नबिला जमाल ने पांच वर्षों के बाद संगठन को अलविदा कह दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, अब वह न्यूज9 (TV9 नेटवर्क का हिस्सा) में एग्जिक्यूटिव एडिटर और एंकर की नई भूमिका निभाती नजर आएंगी। 'न्यूज9' भारत का पहला पूरी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर केंद्रित अंग्रेजी न्यूज ब्रैंड है। न्यूज9, अपनी अत्याधुनिक डिजिटल पत्रकारिता के लिए जाना जाता है, कई प्लेटॉर्म्स के माध्यम से काम करता है, जिसमें प्रकाशन प्लेटफॉर्म www.news9live.com ओटीटी प्लेटफॉर्म News9 Plus और 24 घंटे की वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस शामिल है, जो कनेक्टेड टीवी और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। यह कदम नबिला जमाल के गतिशील करियर को रेखांकित करता है, क्योंकि वह भारत के बदलते डिजिटल न्यूज क्षेत्र में एक प्रमुख नेतृत्व भूमिका निभाने जा रही हैं।नबिला जमाल को पत्रकारिता में एक दशक से अधिक का व्यापक अनुभव है, जिसमें उन्होंने अपराध, राजनीति और पर्यावरणीय मुद्दों पर गहरी और प्रभावशाली कवरेज के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की है।वह सेंट जोसेफ कॉलेज, बेंगलुरु की पूर्व छात्रा हैं और अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में स्नातक डिग्री तथा मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री रखती हैं
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नेटवर्क18 (Network18) ने मंगलवार को कंपनी का वित्तीय विवरण जारी किया, जिसके अनुसार वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में न्यूज बिजनेस की आय में मामूली वृद्धि दर्ज की है, जबकि विज्ञापन के माहौल में कोई विशेष सुधार नहीं देखा गया। कंपनी ने बताया कि त्योहारों के दौरान उपभोक्ता मांग में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई, जिससे ब्रैंड्स ने विज्ञापन खर्च कम कर दिए।कंपनी के मुताबिक, टीवी न्यूज इंडस्ट्री में विज्ञापन वॉल्यूम तिमाही आधार पर मामूली रूप से बढ़ा है, लेकिन वार्षिक आधार पर इसमें 11% की गिरावट आई, जिससे राजस्व वृद्धि पर दबाव पड़ा। डिजिटल क्षेत्र में विज्ञापन आय बढ़ी, लेकिन यह वृद्धि कम आधार पर थी। कंपनी की कुल आय वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही के ₹1,930 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में ₹1,443 करोड़ रही। वहीं, वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में कंपनी का नुकसान बढ़कर ₹1,401 करोड़ हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में ₹102 करोड़ था। ऐसा इसकी सहायक कंपनियों की मान्यता समाप्त होने के कारण हुआ, जिसका लेखा-जोखा तिमाही के दौरान अनंतिम आधार पर किया गया है।तिमाही के दौरान ऑपरेटिंग खर्च में 4% की वृद्धि हुई, जिससे EBITDA कम हो गया। वित्त वर्ष 2025 की पहली नौ महीनों में EBITDA में सुधार हुआ, क्योंकि राजस्व 7% बढ़ा, जबकि खर्च में 4% की वृद्धि हुई। तिमाही में परिचालन आय ₹476 करोड़ रही, जो वार्षिक आधार पर 2% अधिक है।
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टेक कंपनी 'मेटा' (Meta) ने 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनाई है, जो कंपनी के कुल वर्कफोर्स का 5% है। इन छंटनियों के तहत "लो परफॉर्मर्स" को टारगेट किया जाएगा और उनकी जगह नए नियुक्तियां की जाएंगी। यह जानकारी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सामने आई है। जुकरबर्गकाफोकस: परफॉर्मेंसऔरनईप्रतिभा Meta के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस कदम को परफॉर्मेंस मैनेजमेंट को मजबूत करने और "सबसे बेहतर टैलेंट" को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम बताया है। जुकरबर्ग ने कहा, "मैंने परफॉर्मेंस मैनेजमेंट का स्तर ऊंचा करने और लो परफॉर्मर्स को तेजी से हटाने का फैसला किया है। हम आमतौर पर परफॉर्मेंस में कमी वाले लोगों को एक साल के अंदर मैनेज करते हैं, लेकिन इस बार हम व्यापक प्रदर्शन-आधारित छंटनियां करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि कंपनी का उद्देश्य 2025 में इन भूमिकाओं के लिए नई भर्तियां करना है। प्रभावित एम्प्लॉयीज को फरवरी 10, 2025 या अमेरिका के बाहर के एम्प्लॉयीज के मामले में बाद में सूचित किया जाएगा। जुकरबर्ग ने आश्वासन दिया कि छंटनी के दौरान प्रभावित एम्प्लॉयीज को पहले की तरह "जेनरस सेवरेंस" पैकेज दिया जाएगा।
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मैहर, 14 जनवरी 2025: पलक गुप्ता ने मिस मध्य प्रदेश 2025 का खिताब जीतकर अपने जिले का नाम रोशन किया है। इंदौर के जार्डिन होटल में आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में पलक ने अपनी खूबसूरती, आत्मविश्वास और प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया। पलक की इस सफलता से मैहर जिले में खुशी का माहौल है और लोग उनके परिजनों के साथ मिलकर इस उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं। पलक की सफलता का राजमैहर के रामनगर की निवासी पलक गुप्ता ने इस प्रतियोगिता में अपनी अविश्वसनीय सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास को प्रमुख कारण बताया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच एलेसिया राउत और अंजलि राउत से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। पलक, रामनगर के प्रतिष्ठित व्यवसायी महेंद्र गुप्ता की बेटी हैं। पलक ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, "यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। मैंने बहुत मेहनत की और इस दौरान मुझे हर कदम पर मेरे परिवार, कोच और आयोजकों का भरपूर समर्थन मिला। यह खिताब मैं अपने माता-पिता, कोच, भाई-बहन और दोस्तों को समर्पित करती हूं।" पलक की इस उपलब्धि ने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे मैहर जिले को गर्व महसूस कराया है।
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शिवना प्रकाशन ने अपने प्रतिष्ठित सम्मानों की घोषणा करते हुए, लेखक प्रवीण कक्कड़ को उनके कार्य के लिए 'शिवना कृति सम्मान' देने का निर्णय लिया है। कक्कड़ को यह सम्मान उनकी पुस्तक ‘‘दंड से न्याय तक’’ के लिए मिला है, जो भारतीय कानून पर आधारित एक महत्वपूर्ण और सामयिक लेखन है। प्रवीण कक्कड़ की पुस्तक की मिली व्यापक सराहना लेखक प्रवीण कक्कड़ की पुस्तक ‘‘दंड से न्याय तक’’ ने बहुत कम समय में देशभर में अपनी पहचान बनाई है। यह पुस्तक भारतीय दंड संहिता (IPC) और बीएनएसएस (BNS) जैसे जटिल कानूनी मामलों को सामान्य और सरल भाषा में प्रस्तुत करती है। इसे न केवल कानूनी छात्रों द्वारा पढ़ा जा रहा है, बल्कि अधिवक्ता, पुलिस अधिकारी, और आम नागरिक भी इसकी समझ से लाभ उठा रहे हैं। इस पुस्तक की बिक्री ने ऑनलाइन पोर्टल्स पर भी कीर्तिमान स्थापित किए हैं, और यह बहुत ही तेज़ी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इसकी सरल और प्रभावी शैली ने इसे एक बेस्टसेलर बना दिया है। प्रवीण कक्कड़ का लेखन और समाज में योगदान प्रवीण कक्कड़ का लेखन क्षेत्र में एक मजबूत पहचान बना चुका है। उनकी पहले प्रकाशित पुस्तक ‘‘मैन ऑफ़ मैनेजमेंट’’ भी काफी चर्चित रही है। इसके अलावा, कक्कड़ के लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। वे सोशल मीडिया पर ‘‘पीके का फंडा’’ के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करने का कार्य भी करते हैं। कक्कड़ का यह सम्मान उनके अद्वितीय योगदान का प्रतीक है, जो न केवल कानूनी क्षेत्र में, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं में सुधार और जागरूकता का काम करता है। समाज में बदलाव की दिशा में योगदान लेखक प्रवीण कक्कड़ का यह काम समाज में कानूनी समझ बढ़ाने के प्रयासों का हिस्सा है। ‘‘दंड से न्याय तक’’ जैसी पुस्तकें न केवल कानूनी पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह आम लोगों के लिए भी उपयोगी साबित हो रही हैं, जो कानून और न्याय के बारे में अधिक जानना चाहते हैं। शिवना कृति सम्मान के साथ, कक्कड़ का यह योगदान न केवल उनके लेखन को बल्कि समाज में कानूनी जागरूकता और न्याय की प्रक्रिया को समझने में एक नया आयाम जोड़ता है।
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वैश्विक शराब की दिग्गज कंपनी 'डियाजियो' (Diageo) घोषणा की है कि भारतीय शाखा 'यूनाइटेड स्पिरिट्स' ने 1 मार्च 2024 से प्रभावी रूप से प्रवीण सोमेश्वर को अपना चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर- डेजिगनेट (CEO Designate) नियुक्त किया है। प्रवीण सोमेश्वर, हिना नागराजन की जगह लेंगे, जो मैनेजिंग डायरेक्टर व CEO के रूप चार साल तक सफलतापूर्वक कंपनी का नेतृत्व कर रही हैं। फिलहाल वह अब डियाजियो की ग्लोबल एग्जिक्यूटिव कमेटी में शामिल होंगी। यूनाइटेड स्पिरिट्स' द्वारा सोमवार को शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि हिना नागराजन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन वह 31 मार्च, 2025 तक कंपनी की एमडी व सीईओ रहेंगी और 1 अप्रैल, 2025 से प्रवीण सोमेश्वर को कंपनी का एमडी और सीईओ नियुक्त किया गया है।
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जियोस्टार ने विकास कुंडू को एजेंसी पार्टनरशिप के हेड के रूप में नियुक्त किया है, जो जनवरी 2025 से प्रभावी होगी। वे पहले वायकॉम18 मीडिया से जुड़े हुए थे, जहां उन्होंने 17 वर्षों तक विभिन्न नेतृत्व भूमिकाओं में कार्य किया। हाल ही में, उन्होंने सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और रेवेन्यू हेड (रीजनल एंटरटेनमेंट) के रूप में 14 क्षेत्रीय चैनलों के राजस्व संचालन की जिम्मेदारी संभाली। इसके अलावा, उन्होंने वायकॉम18 के किड्स क्लस्टर के सेल्स और सिंडिकेशन का भी नेतृत्व किया। विकास के पास मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 23 वर्षों का समृद्ध अनुभव है और वे सहारा वन मीडिया, यूटीवी-डिज़्नी, सत्याम इंफोवे, इंडिया.कॉम और बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में काम कर चुके हैं। विकास कुंडू की शैक्षिक पृष्ठभूमि में टाइम्स स्कूल ऑफ मार्केटिंग से मार्केटिंग मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिग्री और दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री शामिल है। जियोस्टार में उनकी नियुक्ति कंपनी के विकास और एजेंसी पार्टनरशिप को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उनके पास जो नेतृत्व और विशेषज्ञता है, वह जियोस्टार को भविष्य की चुनौतियों से निपटने और नए अवसरों को पहचानने में मदद करेगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ अपने पहले पॉडकास्ट में कई मुद्दों पर खुलकर बात की। सोशल मीडिया पर उनका यह पॉडकास्ट चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच पत्रकार और एंकर गौरव शर्मा ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, पीएम मोदी का पॉडकास्ट पूरा सुना और समय निकाल कर आप भी सुनिए। देश समाज या अपने लिए भी कुछ अच्छा और बड़ा करना चाहते हैं तो इसमें आपको बहुत सारे मंत्र और टिप्स मिलेंगे। मोदी जो कह रहे हैं वो प्रभावित इसलिए करता है क्योंकि उस में कुछ बनावटी नहीं लगता, और अपने लिए उपयोगी इसलिए महसूस होता है क्योंकि मोदी की उपलब्धियाँ उसका प्रमाण हैं। आपको बता दें, पीएम मोदी ने कहा कि तीसरे टर्म में मेरी सोच बदल गई है। मेरा मनोबल ऊंचा है। मैं विकसित भारत के लिए 2047 तक सभी समस्याओं का समाधान चाहता हूं। सरकारी योजनाओं की 100% डिलीवरी होनी चाहिए। यही वास्तविक सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता है। इसके पीछे प्रेरक शक्ति है - AI- 'एस्पिरेशनल इंडिया'।
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नई नौकरी की तलाश में जुटे पत्रकारों के लिए देश के प्रमुख पब्लिकेशंस में शुमार ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) में नौकरी पाने का अच्छा मौका है। दरअसल, दैनिक भास्कर अखबार को इंदौर के लिए सिटी इंचार्ज की जरूरत है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। इस बारे में सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, इस पद पर काम करने के इच्छुक आवेदकों के पास लोकल में रिपोर्टिंग करने का कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए। कम्युनिकेशंस स्किल अच्छा होना चाहिए। हिंदी और अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। स्थानीय स्तर पर संपर्कों को बनाने और उन्हें मजबूती प्रदान करने में सक्षम होना चाहिए। इस पद पर काम करने के इच्छुक आवेदक अपना अपडेटेड रिज्युमे tshraddha1999@gmail.com पर भेज सकते हैं। इस वैकेंसी के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन आप यहां देख सकते हैं।
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प्रसार भारती ने अपने डीटीएच प्लेटफॉर्म डीडी फ्रीडिश के खाली MPEG-2 स्लॉट्स के आवंटन के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया की घोषणा की है, जो 10 फरवरी 2025 को ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। यह नीलामी 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक की वैधता अवधि वाले स्लॉट्स के लिए होगी, और इसमें भाग लेने के लिए 4 फरवरी 2025 तक आवेदन किए जा सकते हैं। प्रसार भारती ने अपनी संशोधित नीलामी नीति में बताया कि केवल वे चैनल जिनके पास सूचना और प्रसारण मंत्रालय से अनुमति और लाइसेंस है, वे इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। चैनलों को अपनी श्रेणी और भाषा के अनुसार 75% कंटेंट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा, और बिना ठोस प्रमाण के आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे। नीलामी में भाग लेने वाले चैनल विभिन्न बकेट्स में बांटे गए हैं, जैसे बकेट A+ (हिंदी और उर्दू में GEC चैनल), बकेट A (हिंदी और उर्दू में मूवी चैनल), बकेट R (क्षेत्रीय भाषाओं के चैनल), और अन्य बकेट्स में संगीत, खेल, समाचार और धार्मिक चैनल शामिल हैं। नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य ₹3 करोड़ से ₹15 करोड़ तक रखा गया है, और भाग लेने वाले चैनलों को ₹1.5 करोड़ का भागीदारी शुल्क और ₹25,000 का प्रोसेसिंग शुल्क देना होगा। प्रसार भारती ने अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक प्रसारकों को भी आमंत्रित किया है, जिनके पास मंत्रालय से लाइसेंस है, ताकि वे भी इस नीलामी में हिस्सा ले सकें।
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वरिष्ठ पत्रकार थॉमस के थॉमस को 'द हिंदू बिजनेस लाइन' में मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है। इससे पहले वह इस प्रकाशन में ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने 2004 में 'बिजनेस स्टैंडर्ड' से 'द हिंदू बिजनेस लाइन' में बतौर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट जॉइन किया था। उस समय वह टेलीकॉम और फार्मा सेक्टर को कवर करते थे। थॉमस विभिन्न क्षेत्रों को कवर करने वाले अनुभवी पत्रकारों के ब्यूरो को मैनेज कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर टेक्नोलॉजी सेक्टर का नेतृत्व किया, जिसमें समाचार प्रवाह को समन्वित करना और 'बिजनेस लाइन' के प्रमुख शहरों में स्थित ब्यूरो के माध्यम से विशेष खबरों को परिकल्पित करना शामिल था। थॉमस कई विचारशील नेताओं और सी-सूट अधिकारियों का इंटरव्यू कर चुके हैं। इनमें टेक जगत के कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं, जैसे फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, एमेजॉन के फाउंडर जेफ बेजोस, ऐप्पल के सीईओ टिम कुक, नेटफ्लिक्स के को-फाउंडर व सीईओ रीड हेस्टिंग्स, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, वॉट्सऐप के को-फाउंडर ब्रायन एक्टन, शाओमी के फाउंडर लेई जून, वनप्लस के को-फाउंडर पीट लाउ, महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, एयरटेल के फाउंडर सुनील भारती मित्तल, पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो शामिल हैं। थॉमस के इस प्रमोशन से 'द हिंदू बिजनेस लाइन' के संपादकीय नेतृत्व को और अधिक सशक्त और समृद्ध होने की उम्मीद है।
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एचटी मीडिया’ (HT Media) ने समीर सिंह को ग्रुप सीईओ के पद पर नियुक्त किया है। वह प्रवीण सोमेश्वर की जगह यह जिम्मेदारी संभालेंगे, जिन्होंने मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी द्वारा नियामक संस्थाओं को दी गई जानकारी के मुताबिक यह परिवर्तन 28 फरवरी से लागू होगा। समीर सिंह इससे पहले शॉर्ट वीडियो ऐप ‘टिकटॉक’ (TikTok) में नॉर्थ अमेरिका के ऐड सेल्स हेड के पद पर कार्यरत थे, जहां से उन्होंने कुछ समय पहले इस्तीफा दे दिया था। समीर सिंह ने टिकटॉक से इस्तीफा ऐसे समय पर दिया है जब 19 जनवरी से अमेरिका में इस प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लागू होने जा रहा है। समीर सिंह वर्ष 2019 में ‘टिकटॉक’ की पैरेंट कंपनी ‘बाइटडांस’ (ByteDance) से जुड़े और एशिया-प्रशांत (APAC) में ग्लोबल बिजनेस सॉल्यूशंस के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। ‘टिकटॉक’ में अपनी भूमिका से पहले वह ‘ग्रुपएम’ (GroupM) के दक्षिण एशिया के सीईओ के रूप में कार्यरत थे। समीर सिंह को इंडस्ट्री में काम करने का काफी अनुभव है। पूर्व में वह ‘Google’, ‘MullenLowe Lintas Group’ और ‘Procter & Gamble’ जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ काम कर चुके हैं।
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नई नौकरी की तलाश में जुटे पत्रकारों के लिए जागरण समूह की डिजिटल कंपनी 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) की अंग्रेजी टीम में काम करने का अच्छा मौका है।दरअसल, यहां सीनियर सब एडिटर (अंग्रेजी न्यूज) और टेक व ऑटो बीट पर सब एडिटर की जरूरत है। इन पदों पर नियुक्ति के लिए संस्थान की ओर से योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। ये नियुक्तियां नोएडा के लिए होनी हैं। सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, इन पदों पर काम करने के इच्छुक आवेदकों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ ही संबंधित बीट पर काम करने का कम से कम दो साल का अनुभव होना चाहिए। आवेदन के इच्छुक उम्मीदवार अपना अपडेटेड रिज्युमे namra.fatima@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं। जिस पद/बीट के लिए अप्लाई कर रहे हैं, ईमेल की सब्जेक्ट लाइन में उसका नाम अवश्य लिखें। इस बारे में सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन आप यहां देख सकते हैं।
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नई नौकरी की तलाश में जुटे पत्रकारों के लिए जागरण समूह की डिजिटल कंपनी 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) की अंग्रेजी टीम में काम करने का अच्छा मौका है।दरअसल, यहां सीनियर सब एडिटर (अंग्रेजी न्यूज) और टेक व ऑटो बीट पर सब एडिटर की जरूरत है। इन पदों पर नियुक्ति के लिए संस्थान की ओर से योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। ये नियुक्तियां नोएडा के लिए होनी हैं। सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, इन पदों पर काम करने के इच्छुक आवेदकों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ ही संबंधित बीट पर काम करने का कम से कम दो साल का अनुभव होना चाहिए। आवेदन के इच्छुक उम्मीदवार अपना अपडेटेड रिज्युमे namra.fatima@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं। जिस पद/बीट के लिए अप्लाई कर रहे हैं, ईमेल की सब्जेक्ट लाइन में उसका नाम अवश्य लिखें। इस बारे में सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन आप यहां देख सकते हैं।
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2025 में भारतीय मीडिया एक महत्वपूर्ण दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां दूरदर्शी CEOs न्यूज ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री को बदलने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये लीडर्स देश के सबसे प्रभावशाली नेटवर्क्स को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए बेहतरीन इनोवेशन, साहसिक डिजिटल इनिशिएटिव्स और नए पत्रकारिता मानकों के साथ काम कर रहे हैं। चाहे पारंपरिक मीडिया संस्थानों को नई ऊर्जा देना हो या आधुनिक कंटेंट रणनीतियों को अपनाना, इन CEOs का नेतृत्व तेजी से बदलते भारतीय मीडिया परिदृश्य में नए मानदंड स्थापित कर रहा है। आइए, इनमें से कुछ प्रमुख नामों पर नजर डालते हैं: सुमंता दत्ता, CEO, ABP नेटवर्क ABP नेटवर्क ने नवंबर 2024 में अपने नए सीईओ के रूप में सुमंता दत्ता की नियुक्ति की घोषणा की, जो अविनाश पांडे के पद छोड़ने के पांच महीने बाद हुई। दत्ता का नेतृत्व ABP नेटवर्क में इनोवेशन को बढ़ावा देने और भारत के तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य में समूह को प्रभावी रूप से आगे बढ़ाने की उम्मीद है। उनके विविध क्षेत्रों में व्यापक अनुभव का उपयोग करते हुए, नेटवर्क की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाने का लक्ष्य है। सुमंता दत्ता अपने साथ 30 वर्षों से अधिक का अनुभव लेकर आए हैं, जिसमें उन्होंने कंज्यूमर गुड्स, ड्यूरेबल और एजुकेशन जैसे इंडस्ट्री में प्रमुख कमर्शियल ऑपरेशंस, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का नेतृत्व किया है। संजय पुगलिया, होलटाइम डायरेक्टर, NDTV संजय पुगलिया एक प्रसिद्ध राजनीतिक और बिजनेस पत्रकार हैं। उनके पास डिजिटल, टेलीविजन और प्रिंट मीडिया में व्यापक अनुभव है। उन्होंने भारत में कई अग्रणी मीडिया प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनकर उन्हें शुरू किया है और 12 वर्षों तक CNBC आवाज का नेतृत्व किया।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और पीएम मोदी को प्रयागराज कुंभ मेले में आने का निमंत्रण दिया है। महाकुंभ में इस साल 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने भी इस आयोजन को अपने आप में भव्य आयोजन बताया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट कर लिखा, महाकुंभ संस्कृति और सनातन परंपराओं की अनमोल झलक है। 2025 का प्रयागराज महाकुंभ कई मायनों में खास है। इसकी भव्यता कई रिकॉर्ड तोड़ने वाली है। इस बार महाकुंभ में जहां करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 3,00,000 से 4,00,000 इंटरनेशनल टूरिस्ट्स कुंभ मेले में आ सकते हैं। इस महापर्व में दुनिया की कुल आबादी के 5% के बराबर लोग एक ही शहर में इकट्ठा हो रहे हैं। महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का दोगुनी होगी, जबकि रूस की आबादी की तीन गुना आदमी प्रयागराज पहुंच रहा है। कुंभ में आईपीएल से भी 10 गुना ज्यादा कमाई हो रही है। एक देश की सुरक्षा जितनी व्यवस्था एक शहर में देखने को मिलेगी। सनातनी श्रद्धा का महाकुंभ अपने आप में गजब का भव्य आयोजन है। आपको बता दें, इससे पहले सीएम योगी ने 30 दिसंबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय प्रमुख जेपी नड्डा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलकर प्रयागराज कुंभ मेले में आने का निमंत्रण दिया था।
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2024 की पहली तीन तिमाहियों में रेडियो विज्ञापनों में लगातार वृद्धि देखी गई। जनवरी से सितंबर 2024 के दौरान, टॉप 10 सेक्टर्स ने सामूहिक रूप से कुल विज्ञापन का 89% हिस्सा दर्ज किया। इन सेक्टर्स में सर्विसेज (30%), ऑटो (10%), बैंकिंग/फाइनेंस/इन्वेस्टमेंट (9%), रिटेल (9%), फूड व बेवरेजेस (8%), एजुकेशन (8%), पर्सनल ऐसेसीरीज (7%), बिल्डिंग, इंडस्ट्रियल व लैंड मैटेरियल/इक्वीपमेंट्स (3%), पर्सनल हेल्थकेयर (3%) और ड्यूरेबल्स (2%) शामिल हैं। सर्विसेज और ऑटो अपनी टॉप कैटेगरीज की सूची में अपनी स्थिति बनाए हुए हैं, जबकि BFSI (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा) जनवरी-सितंबर 2023 में 5वें स्थान से उछलकर 2024 में तीसरे स्थान पर पहुंच गया। रेडियो विज्ञापन में टॉप 10 कैटेगरीज का 51% विज्ञापन हिस्सेदारी पर कब्जा है। इनमें शामिल हैं: प्रॉपर्टीज/रियल एस्टेट (16%), हॉस्पिटल/क्लीनिक्स (7%), कारें (7%), रीटेल आउटलेट्स- ज्वैलर्स (6%), रीटेल आउटलेट- इलेक्ट्रॉनिक्स/ड्यूरेबल्स (3%), रीटेल आउटलेट - क्लॉथ/टेक्सटाइल/फैशन (3%), लाइफ इंश्योरेंस (3%), मल्टीपल कोर्सेज (3%), स्कूल्स (1%) और कोचिंग/कम्पटैटिव एग्जाम सेंटर (1%), जैसा कि इन सेक्टर्स में देखा गया, टॉप 2 कैटेगरीज ने जनवरी-सितंबर 2023 की तुलना में जनवरी-सितंबर 2024 में अपनी स्थिति बनाए रखी। जनवरी से सितंबर 2024 के दौरान रेडियो विज्ञापन में टॉप 10 विज्ञापनदाताओं ने कुल ऐड वॉल्यूम का 12% हिस्सा लिया। इन विज्ञापनदाताओं में LIC ऑफ इंडिया ने अपनी शीर्ष स्थिति बनाए रखी। गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन, हुंडई मोटर इंडिया, और रेनॉल्ट इंडिया नए नाम थे, जो जनवरी-सितंबर 2023 की सूची में नहीं थे। अन्य प्रमुख विज्ञापनदाताओं में मारुति सुजुकी इंडिया, एसबीएस बायोटेक, LIC हाउसिंग फाइनेंस, टाटा मोटर्स, रिलायंस रिटेल और विष्णु पैकेजिंग शामिल हैं। इस अवधि में रेडियो पर 5000 से अधिक विशेष विज्ञापनदाता भी मौजूद थे, जो 2023 की तुलना में उल्लेखनीय है। जनवरी-सितंबर 2024 में रेडियो पर टॉप 10 ब्रैंड्स में LIC हाउसिंग फाइनेंस, विमल पान मसाला, LIC जीवन उत्सव, मारुति सुजुकी एरीना, मणप्पुरम लोन अगेंस्ट गोल्ड, Acco जनरल ऑटो इंश्योरेंस, मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स, अलीशान, LIC और निसान मैग्नाइट शामिल थे। इन टॉप 10 ब्रैंड्स में से 3 ब्रैंड्स LIC ऑफ इंडिया से संबंधित थे, और 2023 की इसी अवधि की तुलना में 5 ब्रैंड्स इस सूची में नए शामिल हुए। जनवरी से सितंबर 2024 के दौरान कारों की कैटेगरी में विज्ञापन सेकंडेज (ad secondages) में सबसे अधिक 60% की वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद रिटेल आउटलेट्स - ज्वैलर्स ने 50% की वृद्धि दर्ज की, जो 2023 की इसी अवधि की तुलना में उल्लेखनीय है। गुजरात और महाराष्ट्र ने अपने पहले और दूसरे स्थान को बनाए रखा, जिनका ऐड वॉल्यूम में हिस्सा क्रमशः 18% और 16% था। टॉप शहरों में जयपुर, नई दिल्ली, नागपुर, सूरत, अहमदाबाद, हैदराबाद, इंदौर, पुणे, बैंगलोर और वडोदरा शामिल थे। इन शहरों ने मिलकर ऐड वॉल्यूम का 62% हिस्सा जोड़ा। जयपुर ने अपनी शीर्ष स्थिति बनाए रखी, जिसमें जनवरी-सितंबर 2024 के दौरान ऐड वॉल्यूम का 8% हिस्सा था। शाम का समय रेडियो पर विज्ञापन के लिए सबसे अधिक पसंद किया गया समय था, उसके बाद सुबह और दोपहर का समय था। शाम और सुबह के समय ने मिलकर ऐड वॉल्यूम का 69% हिस्सा जोड़ा। 20-40 सेकंड वाले विज्ञापन रेडियो पर जनवरी-सितंबर 2023 और 2024 में सबसे अधिक पसंद किए गए। 20-40 सेकंड और 20 सेकंड से कम अवधि के विज्ञापनों ने मिलकर रेडियो पर कुल ऐड वॉल्यूम का 95% योगदान दिया।
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‘टीवी टुडे नेटवर्क’ (TV Today Network) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। इस खबर के अनुसार, टीवी टुडे नेटवर्क अपना रेडियो बिजनेस बंद करने जा रहा है। बता दें कि नौ जनवरी को हुई बोर्ड बैठक में टीवी टुडे नेटवर्क को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से अपना रेडियो बिजनेस बंद करने की मंजूरी मिल गई है। नेटवर्क के पास मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में 104.8 एफएम की फ्रीक्वेंसी के तहत तीन एफएम रेडियो स्टेशन हैं। स्टॉक एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में कंपनी ने बताया है कि उसका रेडियो बिजनेस अगले एक से छह महीनों के भीतर बंद किया जा सकता है। इस फैसले के पीछे कारण बताते हुए कंपनी ने कहा, ‘इंडस्ट्री की वर्तमान स्थिति, इसके कामकाज और एफएम रेडियो ब्रॉडकास्टिंग बिजनेस के विकास को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कंपनी के हित में इसे जारी रखने के बजाय बंद करना उचित समझा है।’ कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में रेडियो बिजनेस का टर्नओवर 16.18 करोड़ रुपये रहा। यह टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड के कुल कारोबार का 1.70 प्रतिशत था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कंपनी के रेडियो बिजनेस ने 19.53 करोड़ रुपये का नुकसान भी दर्ज किया है।
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आज विश्व हिंदी दिवस है। हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है, जो हिंदी भाषा के महत्व और इसके वैश्विक प्रसार को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। यह दिन पहली बार 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा घोषित किया गया था। इस अवसर पर देश और विदेश में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कब और क्यों मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस? विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2006 में हुई, जब इसे हिंदी के वैश्विक प्रचार और सम्मान को बढ़ाने के उद्देश्य से मनाने का निर्णय लिया गया। इस दिन के माध्यम से भारतीय संस्कृति और भाषा की वैश्विक पहचान को मजबूती देने की कोशिश की जाती है। उद्देश्य और महत्व विश्व हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठित करना है। इसे शिक्षा, साहित्य, और कला के माध्यम से अन्य देशों में लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जाता है। यह दिन हिंदी बोलने वालों को उनकी भाषा के प्रति गर्व और सम्मान महसूस कराता है। विशेष कार्यक्रम और आयोजन इस दिन पर देश और विदेशों में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें हिंदी साहित्य सम्मेलन, सेमिनार, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, भाषण प्रतियोगिताएं और लेखन कार्यशालाएं शामिल होती हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष प्रयास करती हैं। हिंदी को बढ़ावा देने में योगदान हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने में भारत सरकार, हिंदी साहित्यकारों, और कूटनीतिक प्रयासों का बड़ा योगदान रहा है। हिंदी को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में संवाद की भाषा के रूप में पहचान दिलाने की दिशा में कई प्रयास किए गए हैं। हिंदी का वैश्विक महत्व दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक हिंदी न केवल भारत में, बल्कि अन्य देशों में भी अपनी पहचान बना रही है। विश्व हिंदी दिवस इस भाषा के महत्व को रेखांकित करने और इसे वैश्विक मंच पर सम्मानजनक स्थान दिलाने की दिशा में एक अहम भूमिका निभाता है।
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आरपी संजीव गोयनका ग्रुप (RP Sanjiv Goenka Group) की 'मैनिफेस्ट' (Manifest) मैगजीन की एडिटर चैती नरूला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। चैती नरूला इससे पहले करीब छह साल से ‘इंडिया टुडे टीवी’ (India Today TV) में एंकर व एडिटर के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से उन्होंने अगस्त 2023 में अपनी पारी को विराम दे दिया था। मीडिया से बात करते हुए नरूला ने RPSG लाइफस्टाइल मीडिया में बिताए अपने समय पर आभार व्यक्त किया, जहां उन्होंने एक लग्जरी मैगजीन 'मैनिफेस्ट' की फाउंडिंग एडिटर के रूप में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, "मैंने आरपीएसजी लाइफस्टाइल मीडिया में मैनिफेस्ट की एडिटर की भूमिका से आगे बढ़ने का फैसला किया है। इस प्रतिष्ठित मैगजीन की फाउंडिंग एडिटर के रूप में सेवा देना मेरे लिए एक सम्मान की बात रही है। मैं अवर्ना जैन और जमाल शेख का आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया और इस मैगजीन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी।" आगे की योजना साझा करते हुए नरूला ने बताया कि वह 'फ्रेंच प्रेस ग्लोबल' (French Press Global) में एडिटोरियल डायरेक्टर के रूप में अपनी नई भूमिका निभाने जा रही हैं। इस भूमिका के तहत वह अपना समय दिल्ली और दुबई के बीच बांटेंगी। उन्होंने कहा, "मेरी कुछ ऐसी योजनाएं हैं जो मेरे दीर्घकालिक करियर लक्ष्यों के अधिक करीब हैं। फ्रेंच प्रेस ग्लोबल में एडिटोरियल डायरेक्टर के रूप में मैं पब्लिकेशन्स, इवेंट्स और बड़े पैमाने पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टीज़ पर काम करूंगी। जल्द ही इस बारे में और विवरण साझा करूंगी।" 16 वर्षों के प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन मीडिया अनुभव के साथ, चैती नरूला ने अपना करियर 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' से शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने 'डेली न्यूज एंड एनालिसिस' (DNA) में रिपोर्टिंग की। टेलीविजन में उन्होंने CNBC, CNN न्यूज18 और ET नाउ जैसे प्रमुख नेटवर्क्स में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिससे वह एक प्रमुख चेहरा बन गईं।
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मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स) पर कंटेंट मॉडरेशन के तरीकों को पुनर्परिभाषित करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। कंपनी ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अमेरिका में अपने थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को समाप्त कर रही है और इसकी जगह कंपनी यूजर द्वारा संचालित ‘कम्युनिटी नोट्स’ प्रणाली को अपनाएगी, जहां यूजर्स कंटेंट को रेट और संदर्भ प्रदान कर सकेंगे। ये बदलाव मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा जॉर्जटाउन में दिए गए भाषण में किए गए फ्री एक्सप्रेशन के वादे को निभाने की दिशा में एक प्रयास हैं। जुकरबर्ग ने कहा, "हम इस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां बहुत अधिक गलतियां और बहुत अधिक सेंसरशिप हो रही है। अगर हम गलती से सिर्फ 1% पोस्ट को सेंसर कर देते हैं, तो यह भी लाखों लोगों पर असर डालता है।" नई नीति बदलाव के मुख्य बिंदु: फैक्ट-चेकर्स की जगह कम्युनिटी नोट्स: मेटा अपने फैक्ट-चेकर्स को धीरे-धीरे खत्म कर एक समुदाय-चालित प्रणाली 'कम्युनिटी नोट्स' को पेश करेगा। यह कदम पारंपरिक फैक्ट-चेकिंग तंत्रों पर बढ़ते अविश्वास के जवाब में उठाया गया है, जिन्हें मेटा ने स्वीकार किया कि ये पहले राजनीतिक रूप से पक्षपाती रहे हैं। जुकरबर्ग ने कहा, "फैक्ट-चेकर्स बहुत अधिक राजनीतिक पक्षपाती हो गए हैं और उन्होंने विश्वास बनाने के बजाय उसे नष्ट कर दिया है, तो, आने वाले कुछ महीनों में, हम एक अधिक व्यापक कम्युनिटी नोट्स प्रणाली लागू करेंगे।" कंटेंट पॉलिसियों का सरलीकरण: मेटा अपनी कंटेंट पॉलिसियों को सरल बनाएगा और इमिग्रेशन और जेंडर जैसे संवेदनशील विषयों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाएगा। कंपनी का मानना है कि ये प्रतिबंध मुख्यधारा की चर्चा से अलग और बहुत अधिक सख्त हो गए थे। जुकरबर्ग ने कहा, "जो समावेशिता बढ़ाने के लिए शुरू हुआ था, वह अब अलग-अलग विचारों वाले लोगों की राय बंद करने और उन्हें अलग करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। लिहाजा हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग हमारे प्लेटफॉर्म्स पर अपने विश्वास और अनुभव साझा कर सकें।" कंटेंट मॉडरेशन फिल्टर का समायोजन: मेटा अनावश्यक सेंसरशिप को कम करने के लिए अपने मॉडरेशन फिल्टर्स को हल्के उल्लंघनों के मामलों में ढील देगा। अब, कार्रवाई करने से पहले यूजर्स की रिपोर्ट्स पर भरोसा किया जाएगा। यह बदलाव सही पोस्ट्स को गलती से हटाए जाने की घटनाओं को कम करने के लिए किया गया है। जुकरबर्ग ने समझाया, "पहले हमारे पास ऐसे फिल्टर थे जो किसी भी नीति उल्लंघन के लिए स्कैन करते थे। अब हम इन फिल्टर्स को केवल अवैध और गंभीर उल्लंघनों पर केंद्रित करेंगे और इन्हें कम करके, हम अपने प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप को काफी हद तक घटाने जा रहे हैं।" सिविक कंटेंट की पुनः शुरुआत: यूजर्स के तनाव को कम करने के लिए राजनीतिक पोस्ट को सीमित करने के बाद, मेटा ने सिविक और राजनीतिक कंटेंट को वापस लाने का निर्णय लिया है। यह उन यूजर्स की प्रतिक्रिया के जवाब में किया गया है जो फिर से राजनीतिक चर्चाओं में भाग लेना चाहते हैं। जुकरबर्ग ने कहा, "ऐसा लगता है कि अब हम एक नए दौर में हैं, और हमें यूजर्स से यह प्रतिक्रिया मिल रही है कि वे फिर से इस प्रकार का कंटेंट देखना चाहते हैं। हम इसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स में धीरे-धीरे शामिल करना शुरू करेंगे, जबकि क्म्युनिटीज को दोस्ताना और सकारात्मक बनाए रखने के लिए काम करेंगे।" ट्रस्ट और सेफ्टी टीमों का स्थानांतरण: मेटा अपनी ट्रस्ट और सेफ्टी और कंटेंट मॉडरेशन टीमों को कैलिफोर्निया से टेक्सास स्थानांतरित करेगा। यह कदम कंटेंट समीक्षा और मॉडरेशन के लिए एक ऐसा नया वातावरण बनाने की दिशा में उठाया गया है जो कंपनी के अपडेटेड दृष्टिकोण के साथ बेहतर मेल खाता हो। जुकरबर्ग ने कहा, "अमेरिका में हमारी कंटेंट समीक्षा टीम अब टेक्सास में आधारित होगी। यह बदलाव हमारे संचालन को सरल बनाने और पूरी प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करेगा।"
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केबल इंडस्ट्री ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) से अनुरोध किया है कि वह पे टीवी चैनल्स पर विज्ञापन-मुक्त प्रोग्रामिंग (ad-free programming) लागू करे। इंडस्ट्री का तर्क है कि सर्विस का भुगतान करने के बावजूद ग्राहकों का 25% से 35% समय विज्ञापनों के कारण खराब होता है। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के अनुसार, भारतीय पे टीवी सब्सक्राइबर्स औसतन प्रत्येक लोकप्रिय चैनल के लिए प्रति माह ₹19 (करों के अतिरिक्त) तक भुगतान करते हैं। इसके बावजूद, उनके देखने के अनुभव पर अत्यधिक विज्ञापन हावी रहते हैं। सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया, “दर्शकों को अक्सर प्रति घंटे 15-20 मिनट तक विज्ञापन देखने को मजबूर होना पड़ता है। इसका मतलब है कि तीन घंटे की फिल्म चार घंटे की हो जाती है। इससे दर्शक कुल समय का 25%-35% विज्ञापन देखने में व्यतीत करते हैं।” सूत्रों ने कहा कि यह प्रथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7(11) का उल्लंघन करती है, जो प्रति घंटे 12 मिनट (10 मिनट व्यावसायिक विज्ञापनों और 2 मिनट चैनल के प्रचार) तक सीमित है। हालांकि, इस नियम को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने 2013 में चुनौती दी थी, लेकिन मामला अभी भी दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है। इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि यदि यह समस्या जारी रही तो पे टीवी प्रासंगिकता खो सकता है, क्योंकि OTT प्लेटफॉर्म जैसे विज्ञापन-मुक्त कंटेंट प्रदान करने वाले विकल्प कस्टमर्स को छीन रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पे टीवी चैनल्स पर विज्ञापन हटाने से दर्शकों की संतुष्टि बढ़ेगी, पे टीवी मॉडल में विश्वास बहाल होगा और OTT सेवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी। इंडस्ट्री से जुड़े एक एक्सपर्ट ने कहा, “आज, दर्शक न केवल हाई क्वॉलिटी का कंटेंट चाहते हैं, बल्कि इसे बिना किसी बाधा के देखने की आजादी भी चाहते हैं। इस बदलती प्राथमिकता के साथ, पे टीवी को प्रासंगिक बने रहने के लिए अपने बिजनेस मॉडल का पुनर्मूल्यांकन और नए युग के मनोरंजन की मांगों के अनुसार खुद को ढालना होगा,” हाल ही में, OTT प्लेटफॉर्म्स ने विश्व स्तर पर विज्ञापन और कंटेंट के प्रति दर्शकों के रिश्ते को बदल दिया है। नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम वीडियो जैसी सब्सक्रिप्शन सेवाओं ने विज्ञापन-मुक्त कंटेंट का चलन शुरू किया है। “यहां तक कि यूट्यूब, जो मुख्य रूप से विज्ञापन-समर्थित मॉडल पर चलता है, अपने प्रीमियम सब्सक्राइबर्स को एक सब्सक्रिप्शन शुल्क के बदले विज्ञापन-मुक्त अनुभव प्रदान करता है। इन प्लेटफॉर्म्स का संचालन सिद्धांत यह है कि यदि उपभोक्ता कंटेंट के लिए भुगतान कर रहे हैं, तो उन्हें निर्बाध अनुभव मिलना चाहिए। यह मॉडल वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हो गया है, जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन और जापान में OTT सेवाएं अब मानक बन चुकी हैं। “भारत में, मोबाइल उपकरणों के माध्यम से इंटरनेट सेवाओं की गहरी पहुंच ने इन प्लेटफॉर्म्स को लाखों लोगों के लिए सुलभ बना दिया है। इससे उपभोक्ता खुद से सवाल करने लगे हैं कि जब मैं ऑनलाइन शोज मुफ्त (विज्ञापनों के साथ) या समान/कम सब्सक्रिप्शन लागत पर (बिना विज्ञापन) देख सकता हूं, तो केबल/डीटीएच ऑपरेटर्स को पैसे क्यों दूं?” केबल इंडस्ट्री ने TRAI को सुझाव दिया कि पे टीवी चैनल्स को विज्ञापन-मुक्त बनाना न केवल दर्शकों को निर्बाध अनुभव प्रदान करेगा, बल्कि अधिक मूल्य भी देगा। उन्होंने कहा, “दर्शकों की संतुष्टि बढ़ाने के अलावा, यह पे टीवी मॉडल में विश्वास बहाल करेगा। इसके अलावा, विज्ञापन-मुक्त पे टीवी चैनल OTT प्लेटफॉर्म्स के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे और एंटरटेनमेंट मार्केट में अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सकेंगे। यदि अभी भी कोई बदलाव नहीं किया गया तो पे टीवी सब्सक्राइबर्स डिजिटल-फर्स्ट प्लेटफॉर्म्स पर और तेजी से शिफ्ट हो जाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत में पे टीवी चैनल अभी भी अपने कंटेंट का अत्यधिक विज्ञापनों के माध्यम से मुद्रीकरण कर रहे हैं, जो उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है। “यह दोहरे राजस्व मॉडल – यानी सब्सक्रिप्शन शुल्क और विज्ञापन से कमाई – न केवल उपभोक्ताओं के लिए अन्यायपूर्ण है, बल्कि शोषणकारी भी है। TRAI की हालिया टैरिफ विनियमनों में ब्रॉडकास्टर्स को मूल्य निर्धारण में स्वतंत्रता देने से स्थिति और खराब हो गई है। परिणामस्वरूप, 2018 में 180 मिलियन पे टीवी सब्सक्राइबर्स की संख्या घटकर 2024 में 120 मिलियन रह गई है।” इंडस्ट्री के सूत्रों ने कहा कि अब भारतीय उपभोक्ता अपने मनोरंजन अनुभव में अधिक मूल्य, पारदर्शिता और नियंत्रण की मांग कर रहे हैं। “एमेजॉन प्राइम वीडियो, एमएक्स प्लेयर और यूट्यूब प्रीमियम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं को ‘विज्ञापन-समर्थित मुफ्त सामग्री’ और ‘विज्ञापन-मुक्त भुगतान सामग्री’ के बीच विकल्प दे रहे हैं। साथ ही, जियो सिनेमा, एक्सस्ट्रीम प्ले और डिस्कवरी+ जैसे प्लेटफॉर्म कुछ कंटेंट मुफ्त में और अतिरिक्त कंटेंट सब्सक्रिप्शन के माध्यम से उपलब्ध करा रहे हैं। केबल ऑपरेटर्स ने कहा, "इसलिए, जब भारतीय उपभोक्ता प्रति चैनल ₹19 प्रति माह (करों के अतिरिक्त) का भुगतान करते हैं, तो वे उच्च गुणवत्ता वाले प्रोग्रामिंग की उम्मीद करते हैं, जिसमें विज्ञापनों का हस्तक्षेप न हो। हालांकि, वर्तमान स्वरूप में, पे टीवी इस मानक को पूरा करने में असमर्थ है।" उपभोक्ता-हितैषी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए, नियामकों को पे टीवी चैनलों से विज्ञापनों को हटाने के लिए कड़े कदम उठाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम भारतीय प्रसारण प्रथाओं को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगा, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करेगा और सभी कंटेंट प्रोवाइडर्स के लिए समान अवसर का निर्माण करेगा। "भारतीय पे टीवी इंडस्ट्री एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। नियामक निगरानी को आधुनिक दर्शकों की जरूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो कि पे टीवी डिजिटल कंटेंट के युग में प्रासंगिक और प्रतिस्पर्धी बना रहे। यह तभी संभव है जब भुगतान करने वाले सब्सक्राइबर्स के लिए विज्ञापनों को हटाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि विज्ञापन का राजस्व केवल फ्री टू एयर (FTA) चैनलों के माध्यम से अर्जित हो। उन्होंने कहा, "इस उपभोक्ता-केंद्रित ढांचे को अपनाने से न केवल पे टीवी इंडस्ट्री अपनी प्रासंगिकता वापस पा सकेगा, बल्कि बदलते मनोरंजन परिदृश्य में फल-फूल भी सकेगा।" वैसे बता दें कि ब्रॉडकास्टर्स और केबल ऑपरेटर्स के बीच चैनल की कीमतों को लेकर लंबे समय से विवाद बना हुआ है। हाल ही में, ब्रॉडकास्टर्स ने संशोधित रिफरेंस इंटरकनेक्ट ऑफर्स (RIOs) जारी किए हैं, जो मूल्य निर्धारण में मिले-जुले रुझान दर्शाते हैं। जियोस्टार (JioStar) ने सबसे अधिक बुके की कीमतें पेश कीं, जिसमें 18% की बढ़ोतरी हुई। इसका स्टार वैल्यू पैक (SVP) हिंदी और हिंदी बेसिक SD पैक अब ₹110 में उपलब्ध हैं, जो पहले ₹60 और ₹34 थे। जियोस्टार ने 83 चैनल पैक पेश किए हैं, जिनमें 134 चैनल शामिल हैं, जैसे कि SD, HD, और FTA विकल्प, साथ ही रीजनल भाषा के बुके। लोकप्रिय चैनल जैसे स्टार प्लस और कलर्स हिंदी अभी भी ₹19 प्रति चैनल (à la carte) पर उपलब्ध हैं, जबकि स्टार भारत ₹12 से ₹15 और स्टार प्लस HD ₹22 से ₹25 तक बढ़ गए हैं। वहीं, कुछ कीमतें कम भी हुईं, जैसे कि कलर्स सिनेप्लेक्स, जो ₹19 से ₹15 पर आ गया। जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (SPNI, अब Culver Max) ने भी अपनी कीमतों में बदलाव किया है, जिसमें बुके की कीमतें 12% तक बढ़ गई हैं। जी का ऑल-इन-वन हिंदी SD पैक अब ₹53 में उपलब्ध है, जो पहले ₹47 था, जबकि SPNI का हैप्पी इंडिया स्मार्ट हिंदी पैक ₹48 से बढ़कर ₹54 हो गया। à la carte मूल्य निर्धारण में प्रमुख बदलावों में सोनी पल की कीमत ₹0.50 से ₹1 तक दोगुनी हो गई, जबकि ज़ी कैफे ₹10 से घटकर ₹3 पर आ गया। ये मूल्य वृद्धि TRAI के NTO 3.0 के कारण हुई है, जिसने बुके में अधिकतम चैनल कीमतों को ₹19 तक बढ़ाने की अनुमति दी। हालांकि, TRAI ने आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जून 2024 तक और मूल्य वृद्धि स्थगित कर दी है।
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के शेड्यूल का ऐलान किया जा चुका है। चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग के साथ ही चुनाव परिणाम की तारीख भी बता दी है। चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा चुनाव के वोटिंग 5 फरवरी को होगी और परिणाम 8 फरवरी यानी चुनाव के 3 दिन बाद जारी कर दिए जाएंगे। इसी मसले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने एक टीवी डिबेट में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा, दिल्ली वालों के लिए 'भ्रम' वाला पहला चुनाव हैं। शीला दीक्षित जी की 13 एसी के लिए केजरीवाल कड़ी आलोचना करते थे लेकिन अभी 'शीशमहल' में कितने एसी लगाए है? शिक्षा और स्वास्थ्य की उन्होंने सिर्फ बात ही की लेकिन असल में केजरीवाल से निराशा ही हाथ लगी। आपको बता दें, चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई मतदाताओं की अंतिम सूची के मुताबिक, केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली में कुल 1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 रजिस्टर्ड वोटर हैं। वहीं, इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 84 लाख 49 हजार 645 और महिला मतदाताओं की संख्या 71 लाख 73 हजार 952 है। दिल्ली में इस बार युवा वोटरों की संख्या 25.89 लाख है। वहीं, पहली बार वोट डालने के लिए पात्र लोगों की संख्या 2.08 लाख है।
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अयोध्या/फैजाबाद में ‘आजतक’ के वरिष्ठ संवाददाता बलबीर सिंह का निधन हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बलबीर सिंह सुबह अपने बिस्तर पर गिरे हुए मिले। आनन-फानन में उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन पर पत्रकार और एंकर चित्रा त्रिपाठी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, मेरे पुराने चैनल के साथी, अयोध्या के रिपोर्टर बनवीर सिंह नहीं रहे। पता चला है कि रात को आराम से सोने गए और सुबह जगे ही नहीं। अयोध्या से जुड़ी कोई भी जानकारी हो बस एक फोन पर आपसे मिल जाती थी। ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दें और परिवार वालों को ये दुख सहने की शक्ति दे। आपको बता दें, बलबीर सिंह के निधन पर सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है। तमाम जानने वालों और शुभचिंतकों ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और उनके परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।
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प्रसार भारती ने आकाशवाणी के देहरादून केंद्र में गढ़वाल और कुमाऊंनी समाचार वाचक/अनुवादक एवं हिंदी समाचार संपादक के संविदा आधारित पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। इन पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए हैं। यह नियुक्तियां प्रसार भारती के समाचार सेवा प्रभाग के तहत की जाएंगी। रिक्त पद और योग्यता: गढ़वाली समाचार वाचक/अनुवादक (गढ़वाली न्यूज रीडर/ ट्रांसलेटर) - शैक्षिक योग्यता: मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक। अनुभव: रेडियो/टीवी पर समाचार वाचन/अनुवाद में अनुभव। अन्य योग्यताएं: संबंधित भाषा में प्रवीणता और हिंदी व अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान। आवेदन शुल्क: सामान्य वर्ग के लिए ₹300 और आरक्षित वर्ग के लिए ₹225। आयु सीमा: 10 जनवरी 2023 को 21 से 50 वर्ष। कुमाऊंनी समाचार वाचक/अनुवादक (कुमाऊंनी न्यूज रीडर/ ट्रांसलेटर) - शैक्षिक योग्यता: मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक। अनुभव: रेडियो/टीवी पर समाचार वाचन/अनुवाद में अनुभव। अन्य योग्यताएं: संबंधित भाषा में प्रवीणता और हिंदी व अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान। आवेदन शुल्क: सामान्य वर्ग के लिए ₹300 और आरक्षित वर्ग के लिए ₹225। आयु सीमा: 10 जनवरी 2023 को 21 से 50 वर्ष। हिंदी समाचार संपादक/रिपोर्टर (हिंदी न्यूज एडिटर/ रिपोर्टर) - शैक्षिक योग्यता: पत्रकारिता/मीडिया में स्नातक और डिजिटल मीडिया/समाचार संपादन का अनुभव। अनुभव: कम से कम 5 वर्षों का। अन्य योग्यताएं: हिंदी में दक्षता। आवेदन शुल्क: सामान्य वर्ग के लिए ₹300 और आरक्षित वर्ग के लिए ₹225। आयु सीमा: 20 जनवरी 2025 को 21 से 50 वर्ष। महत्वपूर्ण निर्देश: - आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 20 जनवरी 2025 है। - उम्मीदवार देहरादून नगर निगम क्षेत्र का निवासी होना चाहिए। - प्रत्येक पद के लिए अलग-अलग आवेदन करना होगा। - आवेदन शुल्क डीडीओ, आकाशवाणी, देहरादून के खाते में जमा किया जाना चाहिए। आवेदन प्रक्रिया: आवेदन डाक के माध्यम से कंसल्टेंट, आकाशवाणी, निकट रिस्पना पुल, हरिद्वार बाईपास रोड, देहरादून-248001 पर भेजा जाना है। आवेदन प्रक्रिया और अन्य शर्तों के लिए विस्तृत जानकारी प्रसार भारती की आधिकारिक वेबसाइट (https://prasarbharati.gov.in/pbvacancies/) पर उपलब्ध है।
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सूचना के इस युग में जहां हर ओर प्रतिस्पर्धी नैरेटिव्स और जानकारी का अंबार है, जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को आकार देने में मीडिया संगठनों की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गई है। ऐसे दौर में ‘आईटीवी फाउंडेशन’ (ITV Foundation) की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा अपने गहन अकादमिक अनुभव और व्यावहारिक नेतृत्व शैली के माध्यम से इस मीडिया परिदृश्य को एक अनोखा दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। समाचार4मीडिया के साथ पिछले दिनों एक खास बातचीत में डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने प्रामाणिक पत्रकारिता को बढ़ावा देने, व्युअर्स के साथ विश्वास बनाने और कम्युनिटी को सशक्त करने से जुड़े अपने दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के चुनिंदा अंश: न्यूजरूम संचालित करने में आपके यहां कौन से प्रमुख तत्वों पर फोकस रहता है? हमारी कार्यशैली पूरी तरह कंटेंट पर केंद्रित है। इसके अलावा, हम न्यूजरूम के भीतर मजबूत रिश्तों पर विश्वास करते हैं। न्यूजरूम में मैं व्यक्तिगत रूप से सभी के साथ संपर्क में रहने को प्राथमिकता देती हूं, चाहे वह PCR टीम हो, IT विभाग हो या संपादकीय टीम। मेरा मानना है कि हर किसी के लिए मेरी पहुंच और मेरी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है। कोई भी मुझसे संपर्क कर सकता है और मैं तुरंत समाधान देने की कोशिश करती हूं। हम हमेशा भरोसा बनाने और यह सुनिश्चित करने पर जोर देते हैं कि हर व्यक्ति की बात सुनी जाए। इस भूमिका को संभालने से पहले अपने संपादकों के साथ मजबूत जुड़ाव मेरे लिए अमूल्य है। मैं उनके अनुभव और विशेषज्ञता को पहचानने और उसका सम्मान करने में विश्वास करती हूं। उन्होंने वर्षों की कड़ी मेहनत और अपने हुनर के दम पर अपनी जगह बनाई है। न्यूजरूम में हम एक सहयोगात्मक माहौल बनाने की कोशिश करते हैं, जहां फैसले सामूहिक रूप से किए जाते हैं। मेरा मानना है कि सभी के अनुभव और स्वाभाविक समझ को महत्व देना बेहद जरूरी है। आप रेटिंग्स से अलग हटकर अपने न्यूज प्रोग्राम्स की सफलता को कैसे मापती हैं और ऑडियंस से गहरा व सार्थक जुड़ाव किस तरह सुनिश्चित करती हैं? आज के दौर में मीडिया पर भरोसे में गिरावट देखी जा रही है, यह काफी निराशाजनक है। किसी भी न्यूज नेटवर्क के लिए यह जरूरी है कि वह भरोसा बनाए रखे। हम हमेशा बिना किसी फिल्टर के प्रामाणिक खबरें पेश करने की कोशिश करते हैं और यही हमारे काम में झलकता है। चाहे वह NewsX हो, Sunday Guardian हो या India News, हमारी प्रतिबद्धता गुणवत्ता और अलग अंदाज में कंटेंट पेश करने की है। हम रेटिंग्स की दौड़ में यकीन नहीं रखते। हमारे लिए ऑडियंस को सटीक खबरें देना प्राथमिकता है, न कि किसी मनमाने आंकड़े को हासिल करना। फेक न्यूज और सनसनीखेज़ खबरों के दौर में तथ्यात्मक और निष्पक्ष पत्रकारिता को आप कैसे सुनिश्चित करती हैं? हमने स्पष्ट गाइडलाइन बना रखी है कि किसी भी वायरल खबर को प्रसारित या प्रकाशित करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच की जाती है। हमारा मकसद सिर्फ तथ्य प्रस्तुत करना है न कि व्यूज या रेटिंग्स के लिए खबरों को सनसनीखेज बनाना। मेरा मानना है कि ऑडियंस को तथ्य प्रदान करने चाहिए ताकि वे खुद अपने निष्कर्ष निकाल सकें, न कि ‘ब्रेकिंग’ या ‘एक्सक्लूसिव’ जैसे टैग देकर खबरों को आगे बढ़ावा जाए। परंपरागत मीडिया संस्थान टेक्नोलॉजी का उपयोग करके ऐसा प्रभावी और तथ्यात्मक कंटेंट कैसे दे सकते हैं, जो शोरशराबे वाली पत्रकारिता के बीच भी दर्शकों तक पहुंचे? मीडिया का परिदृश्य लगातार बदल रहा है। हमें डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। इस दिशा में हाइपरलोकल कंटेंट पर ध्यान देना और तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दक्षता और लागत-प्रभावशीलता बढ़ाना अहम है। आज के दौर में व्युअर्स के पास सूचनाओं की भरमार है, ऐसे में हमें ऐसा आकर्षक और तथ्यात्मक कंटेंट देना होगा जो उन्हें जोड़े रखे और बार-बार हमारे प्लेटफॉर्म पर वापस आने के लिए प्रेरित करे। मेरी शैक्षिक पृष्ठभूमि, खासकर इतिहास के अध्ययन ने, मुझे गहन शोध और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की अहमियत सिखाई है। यह दृष्टिकोण हमारी रिपोर्टिंग में विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता है, जहां हमारे रिपोर्टर गहन शोध करते हैं, विस्तृत साक्षात्कार करते हैं और अपनी स्टोरीज में मानवीय दृष्टिकोण शामिल करते हैं। आपके नए पॉडकास्ट ‘Historically Speaking’ में इतिहास से जुड़ी गलतफहमियों को दूर करने और इमरजेंसी जैसे अहम मुद्दों को सामने लाने की प्रेरणा कैसे मिली? यह प्रेरणा कई कारणों से मिली। खासकर, इतिहास से जुड़ी गलत जानकारी और खराब स्रोतों से आई खबरों के प्रसार को देखकर मैंने महसूस किया कि प्रामाणिक और मूल कंटेंट की जरूरत है। ‘Historically Speaking’ का उद्देश्य उन ऐतिहासिक घटनाओं पर गहराई से चर्चा करना है, जिनकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। हमने इमरजेंसी पर बात की क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए एक अहम सबक है। जो रोगन जैसे लोकप्रिय पॉडकास्ट अपनी प्रामाणिकता के कारण सफल होते हैं। Historically Speaking’ इसी मॉडल का अनुसरण करता है, जहां विषयों, पुस्तकों और प्रत्यक्षदर्शियों के दृष्टिकोण को बिना किसी फिल्टर और पूरी मौलिकता के साथ प्रस्तुत किया जाता है। मैंने ऐतिहासिक घटनाओं, जैसे भारत में आपातकाल, पर गहराई से चर्चा के लिए एक ऐसा मंच प्रदान करने का प्रयास किया है, जो नई पीढ़ी को इन घटनाओं के महत्व और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं नागरिक अधिकारों पर पड़े प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद करे। इस पॉडकास्ट सीरीज को किस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है? इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ प्लेटफ़ॉर्म्स पर हमें तेजी से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, जबकि अन्य पर धीरे-धीरे ग्रोथ हो रही है। मैं ऑर्गेनिक ग्रोथ में यकीन रखती हूं। शुरुआत में हमने अलग-अलग विषयों पर प्रयोग किया क्योंकि सफलता का कोई तयशुदा फॉर्मूला नहीं है।हालांकि, हाल के विषयों को ऐतिहासिक संदर्भ में प्रस्तुत करने पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। जैसे, मेरी संजय बारू के साथ भारत की पावर एलीट पर चर्चा को काफी सराहा गया। ITV फाउंडेशन की चेयरपर्सन के रूप में आप किन प्रमुख पहलों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं? ITV फाउंडेशन हमारी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का जरिया है। हमने गोरखपुर, हरियाणा और पंजाब जैसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए हैं, जिनमें महिलाओं की सेहत और इंसेफेलाइटिस जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया गया। हमने डेटॉल के साथ मिलकर इस ओर जागरूकता भी बढ़ाई। हमने ‘फेस्टिवल ऑफ आइडियाज’ का आयोजन किया, जिससे छोटे शहरों के नए लेखकों को अपनी कृतियों को प्रदर्शित करने और पब्लिशर्स से जुड़ने का मौका मिला। ‘We Women Want’ पहल के तहत आप महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से मुद्दे उठाती हैं? ‘We Women Want’ के जरिए हम महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों जैसे बांझपन, तलाक, मानसिक स्वास्थ्य और विवाह में शोषण पर खुली चर्चा करते हैं। हम कानूनी मदद भी उपलब्ध कराते हैं, खासकर छोटे शहरों में जहां भरोसेमंद वकील मिलना मुश्किल होता है। इसके अलावा, महिलाओं के लिए वसीयत की अहमियत पर भी जोर दिया जाता है, ताकि वे अपने संपत्ति अधिकारों पर खुद निर्णय ले सकें। शक्ति अवॉर्ड्स की अवधारणा क्या थी और इसे शुरू करने के पीछे क्या प्रेरणा रही? शक्ति अवॉर्ड्स के पीछे की प्रेरणा मेरी सास शक्ति रानी शर्मा हैं और यह उन्हीं को समर्पित है, जो एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में तमाम भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। वह एक कुशल गृहिणी, सफल व्यवसायी, अंबाला की मेयर रही हैं और वर्तमान में विधायक हैं। ये अवॉर्ड्स उन महिलाओं का सम्मान करते हैं और उन्हें नई पहचान देते हैं, जो तमाम भूमिकाएँ निभाती हैं और अद्वितीय बहु-कौशल क्षमता का प्रदर्शन करती हैं। ये विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा दिए गए विविध योगदानों को नई पहचान देते हैं।
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अमर उजाला’ की डिजिटल टीम (अमर उजाला वेब सर्विसेज) को नोएडा स्थित कार्यालय के लिए जूनियर और मिड लेवल पर हिंदी कंटेंट राइटर्स की जरूरत है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, चुने गए आवेदकों को विभिन्न कंटेंट प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिलेगा। इन पदों पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदक निर्धारित फॉर्मेट में अपना अपडेटेड रिज्यूमे hiring@auw.co.in पर भेज सकते हैं।
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जानी-मानी न्यूज एजेंसी 'आईएएनएस' (IANS) ने अपने यहां विभिन्न विभागों में तमाम पदों पर वैकेंसी निकाली हैं। इन पदों पर नियुक्ति के लिए एजेंसी की ओर से योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। सोशल मीडिया पर जारी विज्ञापन के अनुसार, यहां न्यूज प्रड्यूसर (मल्टीमीडिया प्रड्यूसर) के पद पर वैकेंसी है। इस पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदकों के पास न्यूज अथवा मल्टीमीडिया प्रॉडक्शन में दो साल से ज्यादा का अनुभव होना चाहिए। हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। मल्टीमीडिया टूल्स और न्यूज प्रॉडक्शन प्रक्रिया के बारे में अच्छी समझ होनी चाहिए। स्टोरीटैलिंग और एडिटोरियल पक्ष मजबूत होना चाहिए। न्यूज ब्रॉडकास्टिंग सॉफ्टवेयर और वीडियो एडिटिंग टूल्स की जानकारी हो तो बहुत ही अच्छी बात है। इसके अलावा यहां, वीडियो एडिटर के पद पर वैकेंसी है। इस पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदकों के पास वीडियो एडिटिंग का कम से कम तीन से पांच साल का अनुभव होना चाहिए। एडोब प्रीमियर प्रो पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। एडोब फोटोशॉप की जानकारी होनी चाहिए। टीम के साथ मिलकर काम करना आना चाहिए और कम्युनिकेशंस स्किल्स अच्छी होनी चाहिए। इसके साथ ही, यहां पर फोटो कैप्शन राइटर के पद पर भी वैंकेसी है। इस पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदकों के पास एक से दो साल का अनुभव होना चाहिए। ऐसे फ्रेशर्स भी इस पद के लिए अप्लाई कर सकते हैं, जिन्हें न्यूज की अच्छी समझ है और उनका लेखन अच्छा है। ये सभी नियुक्तियां नोएडा के लिए होनी हैं। इन पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदक अपना अपडेटेड रिज्युमे careers@ians.in पर भेज सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी आप नीचे दिए गए विज्ञापनों से ले सकते हैं।
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विक्रम चंदे को ZEE5 में डिजिटल का नेशनल सेल्स हेड नियुक्त किया गया है। उन्होंने अपनी इस नई भूमिका की जानकारी लिंक्डइन पर साझा की है। अपने लिंक्डइन पोस्ट पर लिखा, “मैं यह बताते हुए खुश हूं कि मैंने ZEE5 में नेशनल सेल्स हेड - डिजिटल के रूप में नई भूमिका शुरू की है,” ससे पहले, विक्रम चंदे सैमसंग एड्स में जनरल मैनेजर और सेल्स लीड (इंडिया) के रूप में 3 साल से अधिक समय तक कार्यरत थे। चंदे एक अनुभवी बिजनेस लीडर हैं, जिन्होंने राजस्व और मानव संसाधन रणनीतियों के माध्यम से विकास और परिवर्तन प्रदान किया है। उनके पास प्रोग्रामेटिक ऐडवर्टाइजिंग और परफॉर्मेंस मार्केटिंग में 17 से अधिक वर्षों का डिजिटल मीडिया का व्यापक अनुभव है। वह उभरती तकनीकों, उत्पादों और उपभोक्ता विभेदन के कट्टर समर्थक हैं। अपने पिछले कार्यकालों में, विक्रम चंदे ने Adobe, GroupM, dentsu international, और Logicserve Digital सहित अन्य कंपनियों के साथ काम किया है।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और डिज्नी स्टार (Disney Star) के नए जॉइंट वेंचर 'जियोस्टार' (JioStar) ने अपना अपडेटेड रेफरेंस इंटरकनेक्ट ऑफर (RIO) जारी किया है। इस ब्रॉडकास्टर ने 83 चैनल पैक्स पेश किए हैं, जिसमें कुल 134 चैनल्स शामिल हैं। इनमें से 85 स्टैंडर्ड डेफिनिशन (SD), 44 हाई डेफिनिशन (HD) और 5 फ्री-टू-एयर (FTA) चैनल्स के विकल्प शामिल हैं। RIO के अनुसार, 'जियोस्टार' (JioStar) का स्टार वैल्यू पैक (SVP) हिंदी और SVP हिंदी बेसिक पैक (SD चैनलों के लिए) का मूल्य ₹110 प्रति पैक रखा गया है। इन बुके में जनरल एंटरटेनमेंट, मूवी, इंफोटेनमेंट, किड्स और स्पोर्ट्स जैसे विभिन्न जॉनर के चैनल शामिल हैं। इसके अलावा, क्षेत्रीय भाषाओं जैसे मराठी, गुजराती, बांग्ला, उड़िया, कन्नड़, तेलुगू, तमिल और मलयालम के लिए भी विशेष पैकेज तैयार किए गए हैं। सबसे महंगे पैक SPP मराठी लाइट हिंदी HD और SPP बांग्ला लाइट हिंदी HD हैं, जिनकी कीमत ₹240 प्रति पैक है। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (कल्वर मैक्स) और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने भी अपने चैनलों की कीमतें घोषित कर दी हैं, जो 1 फरवरी, 2025 से लागू होंगी। नए RIO के अनुसार, SPNI के सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन (SET), सोनी मैक्स 2 और इसके पांच स्पोर्ट्स चैनल्स की कीमत ₹19 प्रति चैनल है। SPNI इस साल अप्रैल में एक और मूवी चैनल 'सोनी मैक्स 1' भी लॉन्च कर रहा है। SPNI का हैप्पी इंडिया स्मार्ट हिंदी पैक की कीमत अब ₹48 से बढ़कर ₹54 हो गई है। इसी तरह, Zee का ऑल इन वन पैक हिंदी SD, जिसमें अब इंग्लिश एंटरटेनमेंट चैनल Zee Café भी शामिल है, की कीमत ₹47 से बढ़कर ₹53 हो गई है। इंडस्ट्री से जुड़े एक एक्सपर्ट के अनुसार, DPOs (डिस्ट्रिब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स) इन कीमतों का अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही अपने सुझाव साझा करेंगे। JioStar प्रमुख क्रिकेट आयोजनों, जैसे इंडियन प्रीमियर लीग (IPL), अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) द्वारा आयोजित टूर्नामेंट्स के प्रसारण अधिकार रखता है।
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‘जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर पद से कुछ महीने पहले इस्तीफा देने के बाद मोना जैन ने नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने ‘ब्रैंडपल्स ग्लोबल’ (BrandPulse Global) की नई चीफ ग्रोथ ऑफिसर के रूप में अपना पदभार संभाल लिया है। वह नोएडा स्थित कंपनी के कार्यालय से अपनी जिम्मेदारी संभालेंगी। मोना कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ, स्ट्रीमिंग ऑपरेशंस को सुव्यवस्थित करने और लाभप्रदता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगी। बता दें कि ‘ब्रैंडपल्स ग्लोबल’ के पास भारत में सबसे बड़ा प्राइमरी रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर है, जो 3,300 से अधिक शहरी कस्बों, 5,90,000 गांवों को कवर करता है और 22 क्षेत्रीय भाषाओं में संवाद करने वाले 3.5 लाख से अधिक लोगों से जुड़ा हुआ है। यह मजबूत नेटवर्क कंपनी को कंज्यूमर बिहेवियर और मार्केट ट्रेंड्स के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने में सक्षम बनाता है। मोना जैन को मीडिया इंडस्ट्री में तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है। ‘ब्रैंडपल्स ग्लोबल’ में शामिल होने से पहले मोना जैन ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ और ‘एबीपी नेटवर्क’ में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के रूप में कार्यरत थीं, जहां उन्होंने राजस्व वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह ‘Vivaki Exchange’ की सीईओ और ‘Cheil Communications’ में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट ऐडवरटाइजिंग और मुद्रा कम्युनिकेशंस में भी काम किया है, जहां वह क्रमशः मीडिया ग्रुप हेड व मीडिया डायरेक्टर के पदों पर कार्यरत थीं और विभिन्न ब्रैंड्स के लिए मीडिया सेटअप की जिम्मेदारी निभाई थी। इतने वर्षों में मोना जैन देश के पेप्सी, व्हर्लपूल, पुदीन हरा, हॉर्लिक्स बिस्किट्स, हीरो पुच, नेस्ले चॉकलेट्स, किटकैट, मैगी, सैमसंग, मैकडॉनल्ड्स, हुंडई और माइक्रोमैक्स जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ‘ब्रैंडपल्स ग्लोबल’ में अपनी नई भूमिका के बारे में मोना जैन का कहना है, ‘ब्रैंडपल्स ग्लोबल से जुड़ना काफी शानदार और रोमांचक अवसर है। भविष्य डेटा, एनालिटिक्स और अंतर्दृष्टि की निरंतर विकसित हो रही दुनिया में निहित है, जो श्रेणियों और भौगोलिक क्षेत्रों से परे है। न केवल एक चुनौती के रूप में, बल्कि इस परिवर्तनकारी परिदृश्य को नेविगेट करने के अवसर के रूप में इस नई पारी को अपनाने के लिए मैं बेहद उत्साहित हूं। मैं कंपनी के विकास में योगदान देने और क्लाइंट्स के लिए मूल्य बढ़ाने के नए तरीके तलाशने के लिए तत्पर हूं।’ वहीं, इस बारे में ‘ब्रैंडपल्स ग्लोबल’ के फाउंडर, सीईओ और प्रमुख निवेशक पंकज कृष्णा ने कहा, ‘हम मोना का स्वागत करते हैं। उनके व्यापक अनुभव के साथ मुझे विश्वास है कि वह ब्रैंडपल्स ग्लोबल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। हम उन्हें इस नई यात्रा के लिए शुभकामनाएं देते हैं।’
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‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (PCI) और ‘इंडियन वीमेंस प्रेस कॉर्प्स’ (IWPC) ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में फ्रीलांस पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या पर गहरा शोक व्यक्त किया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। बता दें कि मुकेश चंद्राकर एक जनवरी से लापता थे। वह ‘बस्तर जंक्शन’ नामक यूट्यूब चैनल चलाते थे और भ्रष्टाचार, आदिवासी अधिकारों और बस्तर क्षेत्र की हिंसा से संबंधित मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते थे। पुलिस ने उनका शव तीन जनवरी को एक निजी ठेकेदार के परिसर में बने सेप्टिक टैंक से बरामद किया था। ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ ने इस हत्या को न केवल पत्रकारों पर हमला माना है, बल्कि इसे बस्तर क्षेत्र में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती घटनाओं का हिस्सा बताया है। संस्था ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य सरकार से मामले की जांच और कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने स्थानीय पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून की लंबे समय से चली आ रही मांग पर तुरंत ध्यान देने की अपील की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट गौतम लाहिरी और महासचिव नीरज ठाकुर की ओर से जारी एक स्टेटमेंट में बताया गया है कि अगले सप्ताह प्रेस क्लब के परिसर में इस घटना को लेकर शोक सभा और विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सभी पत्रकार, विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र को कवर करने वालो को इस बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया गया है।
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भारत के पे-डीटीएच सेक्टर ने अपने एक्टिव सब्सक्राइबर बेस (सक्रिय ग्राहकों की संख्या) में गिरावट दर्ज की है, जो जून 2024 में 62.17 मिलियन से घटकर सितंबर 2024 में 59.91 मिलियन रह गया है। यह जानकारी भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में दी गई। यह आंकड़ा दूरदर्शन द्वारा प्रदान की जाने वाली मुफ्त डीटीएच सेवा डीडी फ्री डिश का उपयोग करने वाले सब्सक्राइबर्स को छोड़कर है। यह बदलाव भारत में टेलीविजन उपभोग के बदलते रुझानों को दर्शाता है। TRAI की टेलीकॉम सर्विसेज परफॉर्मेंस इंडिकेटर रिपोर्ट में कहा गया, “पे डीटीएच का कुल एक्टिव सब्सक्राइबर बेस लगभग 59.91 मिलियन है। इसमें डीडी फ्री डिश के सब्सक्राइबर्स शामिल नहीं हैं। कुल एक्टिव सब्सक्राइबर बेस जून 2024 के 62.17 मिलियन से घटकर सितंबर 2024 में 59.91 मिलियन हो गया है।'' रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2023 में समाप्त तिमाही में कुल पे डीटीएच सब्सक्राइबर बेस 64.18 मिलियन था। इसके बाद से इसमें हर तिमाही गिरावट देखी गई है। हालांकि, मार्च 2024 से जून 2024 के बीच यह आंकड़ा दो लाख सब्सक्राइबर्स की मामूली बढ़त के साथ बढ़ा था। वर्तमान में देश में चार प्रमुख पे डीटीएच प्रोवाइडर्स हैं- डिश टीवी, टाटा प्ले, भारती टेलीमीडिया और सन डायरेक्ट। डीडी फ्री डिश प्रसार भारती की निःशुल्क डीटीएच सेवा है। TRAI के अनुसार, बाजार में टाटा प्ले की हिस्सेदारी 31.99%, भारती टेलीमीडिया की 29.38%, डिश टीवी की 19.53% और सन डायरेक्ट की 19.10% है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर 912 निजी सैटेलाइट टीवी चैनल्स को सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) द्वारा केवल अपलिंकिंग/केवल डाउनलिंकिंग/दोनों के लिए अनुमति दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया, “3 मार्च 2017 के टैरिफ आदेश के तहत प्रसारकों द्वारा की गई रिपोर्टिंग के अनुसार, भारत में डाउनलिंकिंग के लिए उपलब्ध 902 स्वीकृत सैटेलाइट टीवी चैनलों में से 30 सितंबर 2024 तक 362 पे टीवी चैनल हैं। इनमें 258 एसडी सैटेलाइट पे टीवी चैनल और 104 एचडी सैटेलाइट पे टीवी चैनल शामिल हैं। वहीं, 540 फ्री-टू-एयर (एफटीए) चैनल हैं।” 362 सैटेलाइट पे टीवी चैनलों में से 205 चैनल शीर्ष पांच प्रसारकों के हैं – स्टार इंडिया (64 चैनल), जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (49), वायाकॉम 18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (39), सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड (31) और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (22)। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम (DAS) के माध्यम से केबल टीवी सेवाएं प्रदान करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थायी पंजीकरण (10 साल) प्राप्त मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) की संख्या जून 2024 में 880 से घटकर सितंबर 2024 में 845 हो गई। एमएसओ में, सितंबर 2024 तक GTPL हैथवे ने 89.74 लाख सब्सक्राइबर्स के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया, इसके बाद हैथवे डिजिटल के 51.74 लाख और सिटी नेटवर्क्स के 48.10 लाख सब्सक्राइबर बेस रहे।
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‘इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल’ (ICC) ने यूरोपीय टी20 प्रीमियर लीग (ETPL) को आधिकारिक मंजूरी दे दी है। यह नया वार्षिक फ्रेंचाइज़ आधारित टी20 टूर्नामेंट 15 जुलाई से 3 अगस्त 2025 के बीच शुरू होने जा रहा है। बता दें कि ‘ETPL’ आयरलैंड, स्कॉटलैंड और नीदरलैंड्स के बीच एक जॉइंट वेंचर है, जो इन तीन क्रिकेट बोर्डों के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग को दर्शाती है। यह टूर्नामेंट निजी स्वामित्व वाला है और इसका उद्देश्य यूरोप में क्रिकेट की लोकप्रियता को बढ़ाना है। इसके विकास चरण के दौरान एक अंतरिम कार्य समूह का गठन किया गया था, जिसमें भाग लेने वाले बोर्डों के प्रतिनिधि शामिल थे। इसके अलावा, एक स्ट्रैटेजिक पार्टनर ‘रूल्स स्पोर्ट टेक’ (Rules Sport Tech) को वित्तीय सहायता, निर्णय प्रक्रिया को आसान बनाने और इस आयोजन की देखरेख के लिए एक प्रशासनिक निकाय बनाने में मदद करने के लिए नियुक्त किया गया था। अंतरिम कार्य समूह के अध्यक्ष वॉरेन ड्यूट्रम (Warren Deutrom) ने इस मौके पर खुशी जताते हुए कहा, ‘हमें ईटीपीएल की आईसीसी से मंजूरी की पुष्टि करते हुए खुशी हो रही है और जॉइंट वेंचर पार्टनर्स के बीच अब समझौते हो गए हैं। यह आयोजन के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इससे तीन प्रमुख क्षेत्रों - फ्रेंचाइज़ स्वामित्व, प्रसारण और खिलाड़ी ड्राफ्ट-पर काम शुरू हो गया है।’ उन्होंने बताया कि ‘ETPL’ का उद्देश्य शीर्ष स्तरीय क्रिकेट प्रतिभाओं को आकर्षित करना और यूरोप में क्रिकेट का एक नया केंद्र स्थापित करना है। फ्रेंचाइज़ संचालन और खिलाड़ी चयन से जुड़ी अधिक जानकारी आने वाले महीनों में शेयर की जाएगी।
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भारत ने वॉशिंगटन पोस्ट की दो हालिया रिपोर्टों को सख्ती से खारिज करते हुए उन्हें पूरी तरह से आधारहीन और भारत-विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया है। इन रिपोर्टों में एक ओर जहां भारत को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग की कथित साजिश से जोड़ा गया था, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में भारतीय एजेंटों द्वारा आतंकवादी तत्वों को खत्म करने के प्रयास का आरोप लगाया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इन रिपोर्ट्स को नकारते हुए कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि वॉशिंगटन पोस्ट और उसके रिपोर्टर भारत के प्रति एक बाध्यकारी शत्रुता रखते हैं। उनकी गतिविधियों में एक तय पैटर्न है। इन खबरों की विश्वसनीयता का फैसला मीडिया जगत पर छोड़ते हैं, लेकिन हमारी ओर से यह स्पष्ट है कि इनमें कोई सच्चाई नहीं है।" मालदीव पर आरोप: मालदीव पर रिपोर्ट में वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया था कि ‘डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव’ नामक एक दस्तावेज के आधार पर मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी नेताओं ने 40 सांसदों को रिश्वत देकर महाभियोग के लिए समर्थन जुटाने की योजना बनाई थी। जायसवाल ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। पाकिस्तान पर आरोप: पाकिस्तान में भारत के कथित छद्म अभियानों पर वॉशिंगटन पोस्ट ने अनाम पाकिस्तानी और पश्चिमी अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने 2021 से अब तक पाकिस्तान में कम से कम आधा दर्जन लोगों को खत्म करने के लिए कार्यक्रम चलाया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जायसवाल ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की टिप्पणी का हवाला दिया, "आप अपने पिछवाड़े में सांप नहीं पाल सकते और यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे सिर्फ आपके पड़ोसियों को काटेंगे।" भारत का स्पष्ट रुख: भारत ने इन खबरों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट्स न केवल आधारहीन हैं, बल्कि भारत के खिलाफ एक सोची-समझी रणनीति के तहत बनाई गई हैं। प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के झूठे आरोपों से भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सच्चाई खुद सामने आएगी।
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सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 4342.00 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जैसा कि 18 दिसंबर 2024 को लोकसभा और राज्यसभा में पेश किए गए 2024-25 के अनुदान की मांगों ( Demands for Grant) में बताया गया है। यह आवंटन प्रस्तावित 5017.64 करोड़ रुपये से 675.64 करोड़ रुपये कम है। 2024-25 के लिए बजट का विभाजन इस प्रकार है: केंद्र के संस्थान व्यय (Establishment Expenditure) के लिए 566.41 करोड़ रुपये (प्रस्तावित 640.80 करोड़ रुपये के मुकाबले), केंद्रीय क्षेत्र योजनाओं के लिए 1004.31 करोड़ रुपये (प्रस्तावित 1576.24 करोड़ रुपये के मुकाबले), और अन्य केंद्रीय व्यय (जिसमें सीपीएसई और स्वायत्त निकाय शामिल हैं) के लिए 2771.83 करोड़ रुपये (प्रस्तावित 2800.60 करोड़ रुपये के मुकाबले) शामिल हैं। इस बजट आवंटन में कटौती वित्तीय अनुशासन की दिशा में सरकार के रुख को दर्शाती है। इसके साथ ही, सरकार ने मीडिया और प्रसारण क्षेत्र के लिए अपने बजट प्राथमिकताओं को पुनः निर्धारित किया है, जैसा कि पिछले चार वर्षों में मंत्रालय के बजट अनुमानों और वास्तविक खर्चों में देखा गया है। बजट आवंटन और वास्तविक व्यय (BE - बजट अनुमान, RE - संशोधित अनुमान, और AE - वास्तविक व्यय) का विवरण, उपरोक्त तीन श्रेणियों के अंतर्गत, पिछले चार वर्षों के दौरान और 2024-25 के लिए बजट अनुमानों के रूप में, निम्नलिखित है- मंत्रालय से 2023-24 के दौरान किसी भी निधि के कम उपयोग के कारण पूछे गए, विशेष रूप से केंद्र के संस्थान व्यय (जिसमें मुख्य सचिवालय और संलग्न/अधीनस्थ कार्यालयों का व्यय शामिल है) और केंद्रीय क्षेत्र योजनाओं में। जवाब में, मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि निधियों का इष्टतम उपयोग किया गया, जहां 2023-24 के लिए बजट अनुमान (BE) का लगभग 97.94% केंद्र के संस्थान व्यय में उपयोग हुआ। इसी तरह, केंद्रीय क्षेत्र योजनाओं के लिए 2023-24 के संशोधित अनुमान (RE) का 100.95% उपयोग किया गया। इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा कि फिल्म, सूचना और प्रसारण क्षेत्रों में वास्तविक व्यय का प्रतिशत क्रमशः 92.97%, 117.10%, और 92.96% था, जो निधियों के इष्टतम उपयोग को दर्शाता है। 2024-25 के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के बजट अनुमान (BE) में 2023-24 की तुलना में कमी पर, मंत्रालय ने लगभग 300 करोड़ रुपये की कमी को स्वीकार किया। मंत्रालय ने कहा कि इस कमी के बावजूद, मौजूदा योजनाओं या किसी नई घोषित योजना के कार्यान्वयन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया, “यह देखा जा सकता है कि संस्थान श्रेणी के तहत बजट में कोई कमी नहीं है। हालांकि, केंद्रीय क्षेत्र योजना यानी प्रसारण बुनियादी ढांचा और नेटवर्क विकास (BIND) योजना के तहत 100.69 करोड़ रुपये की कमी हुई। इसके अलावा, अन्य केंद्रीय व्यय बजट में 279.67 करोड़ रुपये की कमी हुई, जो प्रसार भारती में प्रतिनियुक्ति पर सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के कारण वेतन, भत्तों और सेवानिवृत्ति लाभों की मांग में कमी से संबंधित है।” रिपोर्ट ने यह भी बताया कि 2024-25 के दौरान मांग में कमी के कारणों में शामिल हैं: - नए प्रोजेक्ट्स जैसे विजुअल-रेडियो की विशिष्टताओं को तय करने में लगने वाला समय, जो अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट था। - तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दों के कारण टावर कार्यों का निर्माण। - इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीद के लिए 'मेक इन इंडिया' (एमआईआई) छूट की प्रक्रिया। - आदिवासी, दूरस्थ और वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) क्षेत्रों में वितरण के लिए 1,20,000 डीटीएच सेट की निविदा खरीद के लिए कई प्रयास। मंत्रालय अब डीडी फ्री डिश के लिए सेट-टॉप बॉक्स (STB) वितरण हेतु डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) मोड अपनाने पर विचार कर रहा है, जिसके लिए गृह मंत्रालय और लंबित मुकदमों के साथ परामर्श में कार्यप्रणाली तय की जा रही है।
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लालू यादव बहुत दिनों के बाद बोले। थोड़ा बोले। लेकिन उनके एक बयान ने बिहार की राजनीति में सबको कन्फ्यूज कर दिया। लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हैं, नीतीश कुमार को भी अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए। लालू ने कहा कि उन्होंने नीतीश के सारे गुनाह माफ कर दिए हैं, पुरानी बातों को पीछे छोड़ दिया है। अब नीतीश अगर साथ आते हैं, तो उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है। लालू के इस बयान ने सबको चौंका दिया क्योंकि दो दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश के साथ अब समझौते की कोई गुंजाइश नहीं हैं, उनके लिए RJD के दरवाजे बंद हैं। लेकिन लालू यादव ने बिल्कुल उल्टी बात कह दी। इसीलिए बिहार की राजनीति में हलचल हुई। हालांकि JDU के नेताओं ने लालू यादव की बात को शिगूफा कहकर खारिज कर दिया लेकिन नीतीश कुमार ने कुछ नहीं कहा। सिर्फ मुस्कुरा कर निकल गए। नीतीश की चुप्पी ने अटकलों को और हवा दे दी। अब RJD, JD-U, BJP और कांग्रेस, सभी पार्टियों के नेता कन्फ्यूज़्ड हैं। किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर चल क्या रहा है? लालू और नीतीश कुमार के दिल में क्या है? RJD और JD-U की रणनीति क्या है? गुरुवार को तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार एक दूसरे से पटना राज भवन में मिले। मौका था, नये राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ समारोह का। नीतीश ने तेजस्वी की पीठ थपथाई। इस तस्वीर ने आग में घी का काम किया। अब सवाल ये है कि क्या लालू का बयान RJD का स्टैंड है या फिर तेजस्वी की बात सही है? या लालू और तेजस्वी के विरोधाभासी बयान नीतीश कुमार को घेरने का मिलाजुला खेल है? लालू यादव ने नीतीश को दोस्ती का न्योता चलते-फिरते हल्के-फुल्के अंदाज़ में नहीं दिया। बाकायदा इंटरव्यू अरेंज किया। गाड़ी में बैठकर इत्मीनान से पूरी बात कही। साफ-साफ लफ्ज़ों में कही। इसलिए ये तो तय है कि लालू ने जो कहा वो सोच-समझ कर कहा। उनके बयान से कन्फ्यूजन इसलिए हुआ क्योंकि तेजस्वी यादव लगातार कह रहे हैं कि नीतीश के साथ दोबारा दोस्ती का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। तीन दिन पहले तेजस्वी यादव ने सीतामढ़ी में साफ कहा था कि नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। नीतीश के लिए RJD के दरवाजे पूरी तरह बंद हैं, महागठबंधन में उनकी एंट्री बिल्कुल भी नहीं हो सकती। तेजस्वी ने बुधवार को फिर कहा कि बिहार से नीतीश की विदाई अब तय है, पुराने बीज बार-बार डालने से खेत की पैदावार कम हो जाती है, नीतीश कुमार को बीस साल हो गए, इसलिए बिहार में अब नए बीज की जरूरत है। राज भवन में जब नीतीश कुमार से लालू यादव के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो नीतीश ने कुछ कहा नहीं। सिर्फ हैरानी जताई और मुस्कुराकर चले गए। JD-U के नेता केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि “लालू यादव ने क्या कहा, क्यों कहा, ये वही जानें। रही बात नीतीश कुमार के कहीं और आने-जाने की, तो ये फिजूल की बात है”। बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जो हालत हुई उसके बाद लालू यादव घबरा गए हैं, इसलिए वो ऐसी बातें कह रहे हैं, नीतीश यादव लालू को अच्छी तरह जानते हैं, वो ऐसी बातों में आने वाले नहीं हैं। मजे की बात ये है कि लालू के बयान से कांग्रेस उत्साहित है। बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने नीतीश कुमार की तारीफ की। कहा, नीतीश कुमार विचार से गांधीवादी हैं, लेकिन गोडसेवादियों के साथ हैं, साथ बदल सकता है, लेकिन विचार तो नहीं बदलते। शकील अहमद खान ने कहा कि नीतीश कुमार को लेकर लालू यादव ने अगर कुछ कहा है तो उसका मतलब है, कौन जाने भविष्य में क्या होगा? शाम को तेजस्वी सामने आए। तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने जो कह दिया, उसका कोई मतलब नहीं निकालना चाहिए। लालू यादव ने जो कहा वो पूरी तरह planned था, सोच-समझकर छोड़ा गया शिगूफा था। लालू अपने जीते जी तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। वह जानते हैं कि बिहार में जातियों के वोट किस तरह बंटे हुए हैं, वह ये भी जानते हैं कि तेजस्वी केवल कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के भरोसे बहुमत हासिल नहीं कर सकते। आज नीतीश के पास जिस तरह का गठबंधन है, उसमें नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर आसानी से जीत सकते हैं। फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि तेजस्वी को भरोसा है कि नीतीश कुमार थके हुए, पुराने हो चुके हैं। तेजस्वी को इसमें अवसर दिखाई देता है। वह अपने दिलोदिमाग में बिलकुल साफ हैं कि अब नीतीश चाचा के साथ नहीं जाएंगे। नीतीश भी कह चुके हैं कि दो बार गलती हो गई, अब कहीं नहीं जाएंगे। बीजेपी ऐलान कर चुकी है कि नीतीश को फिर से सीएम बनाने में उसे कोई समस्या नहीं है लेकिन फिर भी लालू यादव ने ये सियासी शरारत क्यों की? लालू राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। कन्फ्यूज़न क्रिएट करने के मास्टर हैं। नीतीश का आने-जाने का रिकॉर्ड खराब है। लालू ने इसी का फायदा उठाने के चक्कर में ये बयानबाजी की। लेकिन इसका नुकसान ये हो गया कि पहली बार RJD में लालू और तेजस्वी एक दूसरे की बात को काटते हुए दिखाई दिए। एक दूसरे से असहमत दिखाई दिए। अब कन्फ़्यूज़न आरजेडी में है। ( यह लेखक के निजी विचार हैं )
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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL), इसके मैनेजिंग डायरेक्टर पुनीत गोयनका और एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा द्वारा दायर किए गए निपटान आवेदन (सेटलमेंट एप्लिकेशन) को खारिज कर दिया है। SEBI (सेटलमेंट प्रोसीडिंग्स) रेगुलेशंस, 2018 के तहत, कोई भी इकाई जिसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है या की जानी है, वह शुल्क का भुगतान करके और/या गैर-आर्थिक शर्तों का पालन करके कार्रवाई को निपटाने के लिए आवेदन कर सकती है। गुरुवार को SEBI द्वारा जारी किए गए निर्णय में कहा गया है कि ZEEL, सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को एक नया शो-कॉज नोटिस (SCN) जारी किया जाएगा। इस नोटिस में पिछले शो-कॉज नोटिस के निष्कर्षों और आगे की जांच से प्राप्त अतिरिक्त निष्कर्षों को शामिल किया जाएगा। आदेश में कहा गया, "नोटिसी 1 (ZEEL) और नोटिसी 3 (पुनीत गोयनका) ने अधिनिर्णय प्रक्रिया को निपटाने के लिए सेटलमेंट एप्लिकेशन दाखिल की थी। SEBI के पूर्णकालिक सदस्यों के पैनल ने इन सेटलमेंट एप्लिकेशन को खारिज कर दिया और मामले को आगे की जांच के लिए SEBI को सौंप दिया।" आदेश में यह भी कहा गया, "इस संबंध में, यह देखा गया है कि मामले की जांच पूरी होने के बाद, सक्षम प्राधिकरण ने SEBI अधिनियम, 1992 की धारा 11B के तहत नोटिसियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।" SEBI ने 6 जुलाई 2022 को तीनों इकाइयों को एक शो-कॉज नोटिस (SCN) जारी किया था। इस नोटिस में लिस्टिंग ऑब्लिगेशन और डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) रेगुलेशंस के उल्लंघन के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद, ZEEL और पुनीत गोयनका ने अधिनिर्णय प्रक्रिया को निपटाने के लिए आवेदन किया। हालांकि, SEBI के पूर्णकालिक सदस्यों के पैनल ने इन एप्लिकेशनों को खारिज कर दिया और मामले को आगे की जांच के लिए भेज दिया। SEBI ने कहा, "6 जुलाई 2022 का शो-कॉज नोटिस जिन्हें जारी किया गया उनसे वापस ले लिया गया है और तत्काल कार्यवाही समाप्त कर दी गई है।"
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दूरदर्शन (डीडी) के चैनल्स देखने वाले दर्शकों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2024 (सितंबर तक) में यह संख्या 656.4 मिलियन पर आ गई, जो 2022 में 724 मिलियन थी। यह आंकड़े एक संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में सामने आए हैं। दर्शकों के अनुभव को बेहतर बनाने और ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए उठाए गए कई इनिशिएटिव्स के बावजूद, भारत के सार्वजनिक प्रसारक को अपने खोए हुए दर्शकों को वापस पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। 2021 में दूरदर्शन की दर्शक संख्या 680 मिलियन थी, जो 2022 में बढ़कर 724 मिलियन हो गई। हालांकि, 2024 में इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई। 18 दिसंबर, 2024 को जारी 'संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी' पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में खुलासा किए गए डेटा में न केवल दूरदर्शन की दर्शकों की संख्या में गिरावट बल्कि प्रसारक के भीतर रिक्त पदों में तेज वृद्धि को भी दर्शाया गया है। संसदीय रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 23 में रिक्त पदों की संख्या 12,420 से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 13,708 हो गई, जो नेटवर्क को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के बीच स्टाफिंग चुनौतियों को रेखांकित करता है। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने बताया कि दूरदर्शन के पास 35 सैटेलाइट टीवी चैनल (7 अखिल भारतीय चैनल और 28 क्षेत्रीय/राज्य चैनल) हैं। मंत्रालय ने कहा, "डीडी ने प्रोग्रामिंग परिदृश्य को जीवंत करने के लिए निरंतर योजनाबद्ध प्रयास किए हैं। इन प्रयासों में दर्शकों के अनुभव को समृद्ध करने और प्रसारण क्षेत्र में चैनल की स्थिति को ऊपर उठाने के उद्देश्य से कई पहल शामिल हैं।" 2022 में, प्रसार भारती ने (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के अनुसार) बताया कि 2022 के लिए सब्सक्राइब किए गए दूरदर्शन (डीडी) चैनलों का दर्शक डेटा 724.3 मिलियन था। 2021 में, दर्शकों की संख्या 680 मिलियन से अधिक थी। संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) में रिक्त पदों की संख्या 13,966 (वित्त वर्ष 23 में) से बढ़कर 15,864 (वित्त वर्ष 24 में) हो गई है। वहीं, डीडी में रिक्त पदों की संख्या 12,420 (वित्त वर्ष 23 में) से बढ़कर 13,708 (वित्त वर्ष 24 में) हो गई है। डीडी का स्वीकृत स्टाफिंग स्ट्रेंथ 19,662 है, लेकिन वर्तमान में केवल 5,954 पदों पर ही कर्मचारी कार्यरत हैं।
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निखिल कुमार को TIME मैगजीन में एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर नियुक्त किया गया है। यह TIME के साथ उनका दूसरा कार्यकाल है। इससे पहले, वह TIME के साउथ एशिया ब्यूरो चीफ थे और अंतरराष्ट्रीय कवरेज पर काम करने वाले सीनियर एडिटर के रूप में कार्यरत थे। TIME के एडिटर-इन-चीफ सैम जैकब्स ने एक आंतरिक संदेश में कहा, "निखिल कुमार हमारे एआई, जलवायु और स्वास्थ्य टीमों का नेतृत्व करेंगे और इन प्रमुख क्षेत्रों में हमारी कवरेज का विस्तार करेंगे। साथ ही इन क्षेत्रों में प्रमुखता से काम करने वाले लीडर्स के साथ काम करेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "निखिल के पास अंतरराष्ट्रीय और व्यावसायिक पत्रकारिता का अनुभव है, जिसका उपयोग वह यह सुनिश्चित करने के लिए करेंगे कि हमारी एआई, जलवायु और स्वास्थ्य संबंधी कवरेज वैश्विक दर्शकों और इन क्षेत्रों को आकार देने वाले व्यवसायों को आकर्षित करती रहे। वह सीनियर एडिटर्स मैंडी ओकलैंडर (Mandy Oaklander), कायला मंडेल ( Kyla Mandel) और डायना सार्किसोवा (Dayana Sarkisova) और उनकी रिपोर्टिंग टीम का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा, वे हमारी सभी टीमों के साथ सहयोग करेंगे ताकि हमारी पत्रकारिता को और भी महत्वाकांक्षी बनाया जा सके।"
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रीवा नगर निगम में हाल ही में घटित घटनाओं ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। एक साल के अंतराल में दो पार्षदों की आकस्मिक मृत्यु और वर्तमान में एक पार्षद के सड़क हादसे में घायल होने के बाद से नगर निगम भवन में कोई न कोई गड़बड़ी होने की आशंका जताई जा रही है। इस मुद्दे पर बीजेपी के पार्षद स्वतंत्र शर्मा ने महापौर और नगर निगम अध्यक्ष से एक अनुष्ठान करने की मांग की है, ताकि इस वास्तुदोष को दूर किया जा सके। वास्तुदोष की आशंका रीवा नगर निगम के वॉर्ड 26 से बीजेपी के पार्षद स्वतंत्र शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से नगर निगम अध्यक्ष व्यंकटेश पाण्डेय और महापौर अजय मिश्रा से एक महत्वपूर्ण अपील की। उनका कहना है कि नगर निगम के नवीन परिषद भवन में कोई वास्तुदोष हो सकता है, क्योंकि पिछले एक साल में दो पार्षदों की आकस्मिक मृत्यु हो चुकी है, और वर्तमान में एक पार्षद सड़क हादसे में घायल हो गए हैं और वह अब भी अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं। उन्होंने इस प्रकार की घटनाओं को लेकर चिंता जताई और कहा कि नवीन परिषद भवन के निर्माण के बाद से लगातार ऐसी घटनाएँ हो रही हैं, जो इस स्थान में कोई नकारात्मक शक्ति या वास्तुदोष के होने का संकेत देती हैं। पार्षद का सुझाव स्वतंत्र शर्मा ने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए अनुष्ठान या पूजा-पाठ करवाना आवश्यक है। उनका मानना है कि यह कदम नगर निगम के कार्यों में होने वाली बाधाओं को समाप्त कर सकता है और इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है। नगर निगम अध्यक्ष की प्रतिक्रिया नगर निगम अध्यक्ष व्यंकटेश पाण्डेय ने पार्षद की इस अपील पर सहमति जताते हुए कहा कि यह घटना दुखद है। उन्होंने बताया कि नवीन परिषद भवन के उद्घाटन को दो साल हो चुके हैं और इस दौरान दो पार्षदों का आकस्मिक निधन हो चुका है, जबकि एक पार्षद वेंटिलेटर पर हैं। इसके अलावा, एक महिला पार्षद भी अस्वस्थ हैं। पाण्डेय ने कहा कि पार्षद के सुझाव के अनुसार, वह जल्द ही इस मामले पर कार्रवाई करेंगे और पूजा-पाठ और अनुष्ठान करवाने का निर्णय लिया जाएगा। महापौर का दृष्टिकोण महापौर अजय मिश्रा ने भी पार्षद स्वतंत्र शर्मा के सुझाव को उचित माना और कहा कि पार्षद द्वारा उठाई गई चिंता सही है। उन्होंने बताया कि यह नया भवन है और संभव है कि इसमें वास्तुदोष हो। उन्होंने यह भी कहा कि इस भवन का भूमिपूजन मंगलवार के दिन किया गया था, जो वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं माना जाता है। सामान्यत: मंगलवार को भूमि पूजन करना अनुचित माना जाता है क्योंकि इस दिन जमीन की रजिस्ट्री, खरीद और बिक्री नहीं होती। उन्होंने इस मुद्दे पर पूजा-पाठ करवाने पर विचार करने का संकेत दिया। वास्तुदोष का इतिहास आपको बता दें कि इससे पहले मध्यप्रदेश विधानसभा भवन में भी वास्तुदोष की शिकायतें सामने आई थीं। उस समय, वहां भी पूजा-पाठ कराए गए थे, क्योंकि विधानसभा से जुड़े तकरीबन 10 विधायकों की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। इसके बाद वहां भी वास्तुदोष को दूर करने के लिए पूजा और अनुष्ठान करवाए गए थे। रीवा नगर निगम के नवीन परिषद भवन में घटित घटनाओं के मद्देनज़र, पार्षदों द्वारा उठाए गए इस मुद्दे ने नगर निगम के भविष्य में होने वाली घटनाओं और प्रशासन की प्रतिक्रिया को लेकर नई चर्चा शुरू कर दी है।
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1994 में, बंबई (अब मुंबई) एक परिवर्तनशील शहर था। यहां मिल मजदूर सेवा-उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे थे, बॉलीवुड बड़े-बड़े सपनों को पर्दे पर उतार रहा था और महानगरीय संस्कृति के प्रति एक बढ़ती रुचि दिखाई दे रही थी। शहर उदारीकरण को अपनाने लगा था, नए मॉल, फास्ट-फूड आउटलेट्स और अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड्स यहां पदार्पण कर रहे थे। फिर भी, यह अपनी लोकल ट्रेनों, चॉल्स और स्ट्रीट वेंडर्स की अनोखी छवि को बनाए हुए था, जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम दिखता था। इसी समय पर 'बॉम्बे टाइम्स' (Bombay Times) ने कदम रखा, इस बदलाव की भावना को कैद करते हुए और एक ऐसे शहर की कहानी कहते हुए जो बदलाव की दहलीज पर खड़ा था। 20 दिसंबर 2024 को 'बॉम्बे टाइम्स' ने अपनी 30वीं वर्षगांठ मनाई, जो भारत में लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट पत्रकारिता को नए आयाम देने वाले तीन दशकों को चिह्नित करता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के एक परिशिष्ट के रूप में स्थापित 'बॉम्बे टाइम्स' मुंबई के मनोरंजन, फैशन, और सांस्कृतिक दृश्यों की जीवंत धड़कन को पकड़ने का पर्याय बन गया। फाउंडिंग एडिटर बाची करकरिया (Bachi Karkaria) के नेतृत्व में 'बॉम्बे टाइम्स' ने भारतीय मीडिया में लाइफस्टाइल सप्लीमेंट्स की अवधारणा की शुरुआत की। करकरिया की दूरदर्शी दृष्टि ने हार्ड न्यूज को बॉलीवुड, उच्च समाज और शहरी जीवनशैली की प्रेरणादायक कहानियों के साथ जोड़ा, जिससे यह एक निर्णायक सांस्कृतिक आवाज बन गया।
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नए साल का सबसे पहला और सबके बड़ा आयोजन पूर्ण महाकुंभ होगा। 144 साल के बाद ये अवसर आया है। 40 करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ की तैयारियों का जायज़ा लेने मंगलवार को खुद प्रयागराज पहुंचे। ज्यादातर काम पूरे हो चुके हैं। अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित हो चुकी है। गंगा और यमुना का जल स्वच्छ हो गया है। संगम का पानी सिर्फ स्नान के लिए नहीं, बल्कि पीने के लायक है। अब सिर्फ 13 जनवरी का इंतजार है जब पहले स्नान पर्व के साथ पूर्ण महाकुंभ की शुरुआत होगी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस बार पूरी दुनिया भारत की भव्य विरासत की ताकत को देखेगी। पूर्ण महाकुंभ के लिए गंगा पर पीपे के तीस पुल बनाए गए हैं। 28 पुलों का काम पूरा हो गया है। श्रद्धालुओं को गंगा स्नान में दिक्कत न हो इसके लिए 12 नए पक्के घाट बनाए गए हैं। करीब साढ़े बारह किलोमीटर में नदी के आसपास रिवर फ्रंट डेवलप किया गया है। साढे पांच सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चेकर्ड प्लेटें बिछाई गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को कीचड़ में न चलना पड़े। संगम नगरी में एक नया शहर बस गया है जिसे 25 अलग अलग सेक्टरों में बांटा गया है। करीब साढ़े सौ किलोमीटर लम्बी 92 नई सड़कें बनाई गई हैं। 67,000 LED लाइट्स और 2,000 सोलर लाइट्स से संगम नगरी जगमगा रही है। संगम से दो किलोमीटर की दूरी पर बीस हजार से ज्यादा गाड़ियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था है। डेढ़ लाख टेंट बनाए गए हैं। इनमें स्विस कॉटेज से लेकर डोम सिटी तक सब बनकर तैयार हैं। डोम सिटी एक तरह का फ्लोटिंग कॉटेज है। इसमें ठहरने वालों को संगम का 360 डिग्री व्यू मिलेगा। संगम क्षेत्र में डेढ़ लाख ग्रीन टॉयलेट लगाए जा रहे हैं, पन्द्रह हजार सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है। साढ़े बारह सौ किलोमीटर की पाइप लाइन डाली गई है। पचास हजार से ज्यादा नलों के कनेक्शन दिए गए हैं। एक 100 बैड का और दो 20 बीस बैड के दो अस्पताल बनकर तैयार हैं। आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को होगा। अनुमान है कि उस दिन आठ करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे। महाकुंभ में 50 हजार से ज्यादा पुलिस और पैरा मिलिट्री के लोग तैनात किए जाएंगे। 218 IPS अफसरों की तैनाती होगी। आसमान से ड्रोन के जरिए हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। महाकुंभ में पहली बार अंडरवाटर ड्रोंस का इस्तेमाल किया जाएगा। ये ड्रोन पानी में 100 मीटर की गहराई तक जाकर मॉनीटरिंग कर सकते हैं। 2,700 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। चार सेंट्रल कमांड और कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं, जहां 350 एक्सपर्ट लगातार भीड़भाड़ वाले इलाकों पर निगरानी रख सकेंगे। कुंभ में पहली बार फेसियल रिकॉगनिशन टेक्नालॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। वैसे तो कुंभ हर बारह साल के बाद होता है लेकिन इस बार महाकुंभ विशेष है। बारह-बारह साल के बाद बारह महाकुंभ का चरण पूरा होता है तो 144 साल के बाद पूर्ण महाकुंभ का योग बनता है। इसलिए प्रयागराज में होने वाले इस कुंभ को पूर्ण महाकुंभ का दर्जा दिया गया है। ज्योतिषाचार्यों ने इस महाकुंभ को खास माना है और योगी आदित्यनाथ की सरकार भी इस महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। नरेंद्र मोदी कुम्भ के आयोजन से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कुम्भ की विरासत को डिजिटल टेक्नालॉजी से जोड़ने की सलाह दी है। अध्यात्म को नई पीढ़ी से जोड़ने का निर्देश दिया है। भारत की आस्था और भक्ति का संदेश कुम्भ के माध्यम से पूरी दुनिया में पहुंचाने को कहा है। ये संयोग, ये प्रयोग अद्भुत होगा। ( यह लेखक के निजी विचार हैं )
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मीडिया व एंटरटेनमेंट कंपनी 'वायकॉम18 मीडिया' अब रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की प्रत्यक्ष सहायक कंपनी (डायरेक्ट सब्सिडियरी कंपनी) बन गई है। यह बदलाव 24.61 करोड़ से अधिक अनिवार्य रूप से कंवर्टिबल प्रेफरेंस शेयरों (CCPS) को समान संख्या में इक्विटी शेयरों में बदलने के बाद हुआ। 30 दिसंबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 24,61,33,682 CCPS को समान संख्या में इक्विटी शेयरों में बदल दिया, जिसे पहले नेटवर्क18 के शेयरधारकों की मंजूरी मिली थी। 'वायकॉम18 मीडिया' इससे पहले, नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड की एक प्रमुख सहायक कंपनी थी, जो खुद रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, “इस प्रकार, वायकॉम18 ने 30 दिसंबर, 2024 से कंपनी की सहायक कंपनी का दर्जा प्राप्त कर लिया है और नेटवर्क18 की सहायक कंपनी नहीं रही। कंपनी को वायकॉम18 से इक्विटी शेयरों के आवंटन की सूचना 30 दिसंबर, 2024 को मिली।” इससे पहले, रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास वायकॉम18 मीडिया में में पूर्णतः विनिवेश के आधार (fully diluted basis) पर 70.49 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। फाइलिंग में बताया गया कि इसमें 5,57,27,821 इक्विटी शेयर और 24,61,33,682 CCPS शामिल थे। उस समय वायकॉम18, नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड की प्रमुख सहायक कंपनी थी। परिवर्तन के बाद, RIL ने बताया कि अब नेटवर्क18 का वायकॉम18 पर नियंत्रण समाप्त हो गया है। RIL ने कहा, “इस परिवर्तन के बाद, कंपनी के पास वायकॉम18 की कुल इक्विटी शेयर पूंजी का 83.88 प्रतिशत है और पूर्णतः विनिवेश के आधार पर यह 70.49 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखता है।” मार्च 2024 में, RIL ने वायकॉम18 में पैरामाउंट ग्लोबल की 13.01 प्रतिशत हिस्सेदारी 4,286 करोड़ रुपये में अधिग्रहित की थी, जिससे उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 70.49 प्रतिशत हो गई। 14 नवंबर, 2024 को, RIL ने वॉल्ट डिज़्नी के भारतीय व्यवसाय के साथ अपने मीडिया साम्राज्य का विलय पूरा किया। यह संयुक्त उद्यम 70,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का था, जिसमें वायकॉम18 के मीडिया और जियोसिनेमाज बिजनेस को स्टार इंडिया के साथ जोड़ा गया। इस विलय के तहत, संपत्तियों और नकद के बदले वायकॉम18 और RIL को शेयर आवंटित किए गए।
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प्रसार भारती ने 'डीडी न्यूज' और 'डीडी इंडिया' के लिए कैमरा असिस्टेंट पद पर अनुबंध आधारित नियुक्ति हेतु आवेदन मांगे हैं। यह भर्ती नई दिल्ली स्थित दूरदर्शन भवन में एक वर्ष के पूर्णकालिक अनुबंध पर की जाएगी। पद का विवरण पद का नाम: कैमरा असिस्टेंट पदों की संख्या: 14 (संभावित) कार्यस्थल: दूरदर्शन भवन, डीडी न्यूज और डीडी इंडिया, नई दिल्ली अवधि: एक वर्ष (आवश्यकता और प्रदर्शन के आधार पर बढ़ाई जा सकती है) आयु सीमा: अधिसूचना जारी होने की तिथि पर अधिकतम 40 वर्ष वेतन: ₹35,000 प्रति माह (समेकित) योग्यता और अनुभव शैक्षिक योग्यता: मान्यता प्राप्त स्कूल/संस्थान से 10+2 उत्तीर्ण। अनुभव: संबंधित क्षेत्र में कम से कम 5 वर्ष का कार्य अनुभव। विशेष रूप से जिमी जिब (Jimmy Jib) का संचालन और प्रोडक्शन हाउस के अन्य प्रासंगिक कार्यों का अनुभव। वांछनीय योग्यता: कैमरा असिस्टेंट के रूप में अतिरिक्त प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन। कर्तव्य और जिम्मेदारियां जिमी जिब (Jimmy Jib) का संचालन और फ्लोर असिस्टेंट के रूप में कार्य करना। अधिकारियों द्वारा सौंपे गए अन्य कार्यों को निष्पादित करना। नियुक्ति की शर्तें - यह सेवा पूरी तरह से अनुबंध आधारित होगी। इसे नियमित नियुक्ति में परिवर्तित नहीं किया जाएगा। - अनुबंध अवधि के दौरान किसी अन्य कार्य में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी। - अनुबंध को दोनों पक्षों द्वारा एक महीने के नोटिस पर समाप्त किया जा सकता है। - पेंशन संबंधी कोई लाभ प्रदान नहीं किया जाएगा। - पदों की संख्या प्रसार भारती के विवेक के अनुसार घटाई या बढ़ाई जा सकती है। - चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा या साक्षात्कार शामिल होगा। इसमें कोई टीए/डीए प्रदान नहीं किया जाएगा। - आयु, अनुभव और शिक्षा की गणना अधिसूचना की तिथि तक की जाएगी। - केवल शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को ईमेल द्वारा संपर्क किया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया इच्छुक और योग्य उम्मीदवार प्रसार भारती की आधिकारिक वेबसाइट (https://applications.prasarbharati.org) पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि अधिसूचना जारी होने की तारीख (18/12/2024) से 15 दिनों के भीतर है। यदि आवेदन प्रक्रिया के दौरान किसी भी समस्या का सामना करना पड़े, तो उम्मीदवार hrcell413@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं। यह अवसर उन उम्मीदवारों के लिए सुनहरा है, जो मीडिया और प्रोडक्शन क्षेत्र में अपने अनुभव का उपयोग करके देश की प्रतिष्ठित प्रसार संस्था का हिस्सा बनना चाहते हैं। योग्य उम्मीदवार जल्द से जल्द आवेदन करें। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें- https://prasarbharati.gov.in/wp-content/uploads/2024/12/NIA-Camera-Assistant.pdf
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भारतीय मीडिया जगत के लिए वर्ष 2024 कई मायनों में विशेष रहा। यह साल न केवल राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित रहा, बल्कि मीडिया के कंटेंट और उसके नैरेटिव पर भी सवाल खड़े हुए। वर्ष 2024 को ‘सुधार का वर्ष’ कहा जा सकता है। लोकसभा चुनावों में ‘400 पार का नारा’ मीडिया के लिए एक सीख बन गया। 2024 का लोकसभा चुनाव एक ऐसी घटना थी, जिसमें अधिकांश मीडिया चैनलों ने ‘400 का आंकड़ा’ हासिल करने वाले नैरेटिव को बढ़ावा दिया। ऐसा लगा जैसे चुनावी बहस के बजाय ओपिनियन पोल और अनुमान खबरों का केंद्र बन गए। इसका असर यह हुआ कि चुनावी परिणामों के बाद मीडिया की साख पर सवाल उठने लगे। मीडिया ने जैसे ही यह महसूस किया कि उनकी भ्रामक रिपोर्टिंग से साख पर आंच आई है, तब जाकर उन्होंने अपने कंटेंट में सुधार की ओर कदम बढ़ाया। मीडिया के सामने क्रेडिबिलिटी का सवाल: भारतीय मीडिया का एक बड़ा वर्ग कथित तौर पर सत्ताधारी दल के समर्थन में रहा, जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म, खासकर यूट्यूब, विरोधी नैरेटिव का केंद्र बन गया। इस विभाजन ने दोनों पक्षों की साख पर असर डाला। जब आप किसी एक नैरेटिव के पक्ष में खड़े होते हैं, तो आपकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में क्रेडिबिलिटी का टेस्ट मीडिया के लिए अनिवार्य हो जाता है। मीडिया में सुधार और पाठकों की अपेक्षाएं: वर्ष 2024 की घटनाओं ने मीडिया को यह सीख दी कि संतुलन और विश्वसनीयता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। मीडिया और उसके दर्शकों के बीच का रिश्ता अब ‘साख के परीक्षण’ पर आधारित हो गया है। दर्शक खबरें सुनते और देखते हैं, लेकिन अंततः वे अपने निष्कर्ष खुद निकालते हैं। 2025 की ओर नजरें: आने वाले वर्ष 2025 में भारतीय मीडिया को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। तकनीकी क्रांति और ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (AI) के बढ़ते उपयोग के साथ, खबरों की सत्यता और नैतिकता सुनिश्चित करना और भी कठिन हो जाएगा। हालांकि, 2024 के अनुभव मीडिया जगत के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेंगे। मीडिया में सुधार और बिगड़ाव का चक्र चलता रहता है। लेकिन यह दर्शकों की जागरूकता और उनकी अपेक्षाओं पर निर्भर करता है कि मीडिया की साख कितनी बनी रह पाती है। 2024 भारतीय मीडिया के लिए आत्ममंथन का वर्ष साबित हुआ: भारतीय मीडिया एक महत्वपूर्ण मुकाम पर खड़ी है। मौजूदा दौर में ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यधारा के तमाम टीवी चैनलों और अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निष्पक्षता और तथ्यात्मक रिपोर्टिंग का स्थान धीरे-धीरे खो रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय मीडिया एक ध्रुवीकृत (polarized) स्थिति में पहुंच गई है। इससे सबसे बड़ा नुकसान वास्तविकता को होता है। आम जनता और सरकार से जुड़े मुद्दों पर न तो न्यूट्रल बहस होती है और न ही तथ्य आधारित रिपोर्टिंग। मीडिया एक ऐसा मंच होना चाहिए जो समाज के दबावों और असहमति को सहेजकर सिस्टम के लिए सुधार का रास्ता तैयार करे। यह एक प्रेशर कुकर की तरह है, जो दबाव को नियंत्रित करता है। लेकिन जब मीडिया अपने तर्कों और विमर्श से हटकर केवल ध्रुवीय विचारों (polarized opinions) को बढ़ावा देती है, तो इसका नुकसान समाज और लोकतंत्र को होता है। 2024 भारतीय मीडिया के लिए आत्ममंथन का वर्ष साबित हुआ। वर्ष 2025 में मीडिया को अपने नैरेटिव और साख के बीच संतुलन बनाकर काम करना होगा। अगर मीडिया इस चुनौती को स्वीकार करता है तो यह न केवल उसकी साख को मजबूत करेगा बल्कि पाठकों और दर्शकों के साथ उसके संबंधों को भी बेहतर बनाएगा। उम्मीद का दामन थामे रहना होगा : सभी चुनौतियों के बावजूद, उम्मीद ही वह तत्व है जो हमें आगे बढ़ने की ताकत देता है। लेकिन उम्मीद को व्यावहारिक बनाना और संवाद के जरिए समाधान निकालना सबसे जरूरी है। मुझे विश्वास है कि आत्ममंथन, सुधार और संवाद की प्रक्रिया से गुजरकर भारतीय मीडिया एक बेहतर और संतुलित भविष्य की ओर कदम बढ़ाएगी। (ये लेखक के निजी विचार हैं)
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"हम अब केवल जानकारी के युग से आगे बढ़ चुके हैं; आज यह बुद्धिमत्ता का युग है, जहां गहराई और विवेक की कीमत साधारण तथ्यों से अधिक है।" साल 2024 भारतीय मीडिया के लिए एक परिवर्तनकारी दौर साबित हुआ। डिजिटल और पारंपरिक मीडिया के बीच प्रतिस्पर्धा पहले से कहीं ज्यादा तीव्र हो गई है। तकनीकी प्रगति ने खबरों को प्रस्तुत करने, प्रसारित करने और उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स ने सटीकता बढ़ाने और उपभोक्ताओं की पसंद को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इन सबके बीच मीडिया की विश्वसनीयता को लेकर सवाल बार-बार उठे हैं। फेक न्यूज और गलत जानकारी के बढ़ते खतरे ने इंडस्ट्री को आत्ममंथन करने और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है। भारत की डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री ने 2024 में 15% की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की, जबकि टेलीविजन और प्रिंट मीडिया ने क्रमशः 7% और 4% की मध्यम वृद्धि दर हासिल की। मोबाइल डिवाइस और इंटरनेट की बढ़ती पहुंच ने डिजिटल मीडिया को देश के सबसे दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचा दिया है। 450 मिलियन से अधिक सक्रिय यूजर्स मीडिया प्लेटफॉर्म्स से जुड़ रहे थे, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि दर्शक तेज, सुलभ और अपनी सुविधा के अनुसार खबरें चाहते हैं। हालांकि, इस तेज दौड़ में, खबरों की गहराई और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण अक्सर पीछे छूट गया है। 2024, जो एक चुनावी साल था। इस साल न्यूज चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने पूरे देश में नागरिकों को रियल-टाइम अपडेट प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, इस दौरान ध्रुवीकृत सामग्री और प्रचार-प्रेरित कथाओं को लेकर चिंताएं भी सामने आईं। दर्शक अब केवल सनसनीखेज सुर्खियों से संतुष्ट नहीं हैं, वे गहन रिपोर्टिंग और सूक्ष्म विश्लेषण की मांग करते हैं, जिसे पारंपरिक मीडिया को प्रासंगिक बने रहने के लिए प्राथमिकता देनी होगी। 2025 में, मीडिया इंडस्ट्री से अपनी विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करने की दिशा में अधिक मजबूत कदम उठाने की उम्मीद की जाती है। तथ्यों पर आधारित और सभी दृष्टिकोणों को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत करने वाली गुणवत्ता पत्रकारिता समय की आवश्यकता होगी। हालांकि डिजिटल मीडिया का वर्चस्व जारी रहेगा, लेकिन टेलीविजन और प्रिंट जैसे पारंपरिक प्रारूप भी अपनी अहमियत बनाए रखेंगे, खासकर उन दर्शकों के लिए जो व्यापक और विस्तृत कवरेज चाहते हैं। 2025 में स्मार्ट टेक्नोलॉजी और इसका नैतिक उपयोग ही मीडिया के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी मॉडरेशन सिस्टम और आत्म-नियमन तंत्र बेहद महत्वपूर्ण होंगे। साथ ही, समाचार प्रस्तुति में विविधता को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री को प्रोत्साहित करना मीडिया की पहुंच को और अधिक व्यापक बनाएगा। मीडिया का भविष्य केवल खबरों का स्रोत बनने में नहीं, बल्कि समाज का दर्पण बनने में है। इस सत्य, निष्पक्षता और जवाबदेही को अपने मूल सिद्धांतों में शामिल करना होगा। दर्शकों और पाठकों का विश्वास जीतना सबसे बड़ी चुनौती रहेगा और सफलता की कुंजी भी। 2025 में प्रवेश करते हुए, मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जिम्मेदारी को पूरी तरह से अपनाना होगा। इसकी भूमिका सिर्फ खबरें देने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज को दिशा दिखाने और सार्वजनिक संवाद को सशक्त बनाने तक विस्तारित है। नई सोच, नए दृष्टिकोण और नवीन तकनीकों के साथ, मीडिया आने वाले वर्षों में अपनी प्रासंगिकता और प्रभाव को और मजबूत कर सकता है।
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न्यूज एंकर आहना पुंज ने मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत की है। मीडिया से बातचीत में आहना पुंज ने बताया कि उन्होंने अब रायपुर (छत्तीसगढ़) में ‘एशियन न्यूज’ (Asian News) चैनल में बतौर एंकर हेड/सीनियर प्रड्यूसर जॉइन किया है। बता दें कि मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली आहना को मीडिया में काम करने का करीब दस साल का अनुभव है। आहना ने वर्ष 2014 में ‘जी बिजनेस’(Zee Business) से मीडिया में अपने करियर की शुरुआत की थी। तब से वह लगातार इस मीडिया संस्थान में विभिन्न रीजनल चैनल्स में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। कुछ समय पूर्व उन्होंने यहां अपनी पारी को विराम दे दिया था। आहना पुंज ने अपनी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से ही की है। ‘गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी’ से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन करने के साथ ही उन्होंने हरियाणा के हिसार में स्थित ‘गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी’ से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से आहना पुंज को नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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'बिजनेस टुडे' (Business Today) के एडिटर के पद से हाल ही में इस्तीफा देने वाले सौरव मजूमदार को लेकर अब एक बड़ी खबर आयी है। दरअसल, अब वह 'फॉर्च्यून इंडिया' (Fortune India) के एडिटर-इन-चीफ के रूप में शामिल हो गए हैं। बता दें कि यह उनके लिए इस प्रकाशन के साथ दूसरी पारी होगी। सौरव मजूमदार ने लिंक्डइन पर लिखा, "Fortune India में वापस आकर मुझे खुशी हो रही है और मैं इसे अगले स्तर तक ले जाने के लिए तैयार हूं।" सौरव मजूमदार का करियर वित्तीय पत्रकारिता में तीन दशकों से अधिक का है और उन्होंने प्रमुख प्रकाशनों में वरिष्ठ संपादकीय भूमिकाएं निभाई हैं। वह वर्तमान में Business Today के संपादक थे, लेकिन पहले वह Fortune India और Forbes India के संपादक रहे हैं, जहां उन्होंने बिजनेस खबरों को गहरी समझ के साथ आकार दिया, विशेष रूप से कॉर्पोरेट और वित्तीय बाजारों पर।
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साल 2024 के आगमन में कुछ दिन ही शेष रह गए हैं। पूरी दुनिया नए साल का बेसब्री से इंतजार कर रही है, लेकिन हर बार गुजरता हुआ साल कुछ ऐसी भी यादें भी दे जाता है, जो किसी के करियर के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। कुछ ऐसी ही यादें मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की भी हैं, जिनमें से कई के करियर ग्राफ ने एक नए मुकाम को छुआ है और कई नए मंजिल की तलाश में संस्थान से अलग हो गए। आइए, टेलीविजन और ओटीटी इंडस्ट्री से जुड़ीं यहां ऐसी ही कुछ बड़ी शख्सियतों के बारे में जानते हैं। केविन वज़ नवंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और डिज्नी के मेगा मर्जर के बाद, केविन वज़ को जियोस्टार में एंटरटेनमेंट के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया। इससे पहले, 2023 से वायाकॉम18 में ब्रॉडकास्ट एंटरटेनमेंट के सीईओ के रूप में, उन्होंने कलर्स और एमटीवी जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स का नेतृत्व किया। केविन वज़ ने द वॉल्ट डिज्नी कंपनी इंडिया में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और इसके मल्टी-प्लेटफॉर्म विकास में योगदान दिया। जियोस्टार में अपनी नई भूमिका के अलावा, वज़ को इस महीने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) का अध्यक्ष और जनवरी में FICCI मीडिया एंड एंटरटेनमेंट कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया। किरण मणि किरण मणि, जिन्होंने 2023 में वायाकॉम18 जॉइन किया था, अब जियोस्टार में डिजिटल के सीईओ बने हैं। मणि के पास तकनीकी और मीडिया क्षेत्रों में तीन दशकों का अनुभव है। इससे पहले, उन्होंने गूगल में एक प्रमुख भूमिका निभाई और डिजिटल बिजनेस रणनीतियों को आकार दिया। गूगल के साथ 13 साल के कार्यकाल के बाद मणि पिछले साल 'वायकॉम18' में शामिल हुए थे। एनपी सिंह 2024 में एक महत्वपूर्ण बदलाव एनपी सिंह का 25 वर्षों तक सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के सीईओ के रूप में कार्यकाल का अंत था। एनपी सिंह ने अपने संदेश में कहा था, ‘ सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया और इसकी सफलता के प्रति मेरी प्रतिबद्धता मजबूत बनी हुई है। यहां मेरे कार्यकाल के दौरान हमने इंडस्ट्री में कई मानक स्थापित किए, अपनी पहुंच का विस्तार किया और कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि सफलता की हमारी विरासत नए नेतृत्व के तहत जारी रहे और आगे बढ़ती रहे।’ इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि अपनी टीम के साथ कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने के बाद मैं अब सामाजिक परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने और परिचालन भूमिकाओं से हटकर सलाहकार भूमिकाओं में बदलाव के लिए तैयार हूं। गौरव बनर्जी एनपी सिंह का सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के सीईओ के रूप में कार्यकाल खत्म होने के बाद उनकी जगह अगस्त में गौरव बनर्जी ने ली। बनर्जी ने सोनी टीवी की कंटेंट स्ट्रैटजी को फिर से तैयार किया और 2023-2031 तक के लिए विशेष ACC मीडिया अधिकार हासिल किए। बनर्जी ने स्टार इंडिया में 16 वर्षों तक काम किया और हिंदी एंटरटेनमेंट के लिए कंटेंट हेड और स्टार भारत के बिजनेस हेड के रूप में अपनी भूमिका निभाई। बनर्जी ने 2004 में प्राइम-टाइम एंकर और सीनियर प्रड्यूसर के रूप में 'स्टार न्यूज' में शामिल होने से पहले 'आजतक' में अपना करियर शुरू किया था। 2005 में, उन्होंने बंगाली न्यूज चैनल 'स्टार आनंद' को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2008 में वह नेटवर्क के रीजनल एंटरटेनमेंट चैनलों के लिए कंटेंट स्ट्रैटजी का नेतृत्व करने के लिए 'स्टार इंडिया' में चले गए। इससे कंपनी को बंगाल में 'स्टार जलसा' और महाराष्ट्र में 'स्टार प्रवाह' के लॉन्च के साथ नए बाजारों में विस्तार करने में मदद मिली। 2009 में 'स्टार प्लस' के लिए कंटेंट स्ट्रैटेजी के प्रमुख नियुक्त किए गए। बनर्जी के आने के बाद 'दीया और बाती हम' और 'ससुराल गेंदा फूल' जैसे हिट शो से चैनल को 2010 में अपनी लीडरशिप पोजीशन फिर से हासिल करने में मदद मिली। 2013 में उन्हें जनरल मैनेजर के पद पर प्रमोट किया गया और 2015 में उन्होंने कंटेंट स्टूडियो की लीडरशिप संभाली। गौरव बनर्जी के पास दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशंस रिसर्च सेंटर से फिल्म निर्माण और टीवी प्रोडक्शन में मास्टर डिग्री है। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। नीरज व्यास सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के बिजनेस हेड नीरज व्यास ने अगस्त में अपने पद से इस्तीफा दिया था। तीन दशकों के लंबे करियर के बाद, उन्होंने उद्यमशीलता के नए अवसर तलाशने का फैसला किया। ‘SPNI’ में उनकी शुरुआत सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन में सेल्स डिपार्टमेंट में हुई थी और वह अपनी काबिलियत के दम पर तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए वर्ष 2005 में चैनल के नेशनल सेल्स हेड की पोजीशन पर आ गए थे। पांच साल के अंदर ही उन्हें नेटवर्क के हिंदी म्यूजिक चैनल ‘सोनी मिक्स’ के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्ष 2011 में नीरज को सोनी मैक्स और फिर वर्ष 2017 में सोनी सब व सोनी पल और 2023 में सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। रवि आहूजा अक्टूबर में, सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन और सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट (SPE) ने घोषणा की कि SPE के चेयरमैन व CEO टोनी विंसिक्वेरा अपने पद से इस्तीफा देंगे। उनकी जगह रवि आहूजा, जो वर्तमान में SPE के ग्लोबल टेलीविजन स्टूडियोज के चेयरमैन व COO हैं, 2 जनवरी 2025 से SPE के नए चेयरमैन व CEO के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। वहीं, विंसिक्वेरा 2025 के अंत तक सलाहकार के रूप में नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन की भूमिका निभाते रहेंगे। रवि आहूजा सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन के चेयरमैन व CEO केनिचिरो योशिदा (Kenichiro Yoshida) और प्रेसिडेंट व COO हीरोकि टोटोकि (Hiroki Totoki) को रिपोर्ट करेंगे। रवि आहूजा ने 2021 में SPE में शामिल होकर कई प्रमुख टीवी शोज और प्रोडक्शन कंपनियों की जिम्मेदारी संभाली। इससे पहले, वह वॉल्ट डिज्नी टेलीविजन और फॉक्स नेटवर्क्स ग्रुप में भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। के. माधवन अक्टूबर में, डिज्नी स्टार के कंट्री मैनेजर और प्रेजिडेंट के. माधवन ने अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने कंपनी की रणनीति को आकार देने व इसके विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और डिज्नी स्टार को भारत में टीवी और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स दोनों को अग्रणी बनाया। उन्होंने जनरल एंटरटेनमेंट, स्पोर्ट्स, डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर सर्विसेज और स्टूडियो के प्रमुख क्षेत्रों में कंपनी की रणनीति और विकास का नेतृत्व किया। माधवन के कार्यकाल के दौरान, डिज़्नी स्टार ने सालाना 20,000 घंटे से अधिक का मूल कंटेंट तैयार किया, जो 70+ चैनलों के जरिए नौ भाषाओं में प्रसारित होता है और हर महीने लगभग 70 करोड़ दर्शकों तक पहुंचता है। संजोग गुप्ता नवंबर में संजोग गुप्ता को जियोस्टार में स्पोर्ट्स के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने इससे पहले स्टार इंडिया में स्पोर्ट्स विभाग का नेतृत्व किया और IPL और ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे बड़े आयोजनों को 200 देशों तक पहुंचाया। उन्होंने प्रो. कबड्डी लीग और इंडियन सुपर लीग जैसी घरेलू खेल लीग्स के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साजिथ शिवनंदन डिज्नी+ हॉटस्टार के प्रमुख साजित शिवनंदन ने इस साल अक्टूबर में इस्तीफा दे दिया था। शिवानंदन के इस्तीफे की घोषणा आंतरिक रूप से 24 अक्टूबर को की गई थी। यह खबर ऐसे समय आई थी जब डिज्नी+ हॉटस्टार प्लेटफॉर्म पर सभी लाइव स्पोर्ट्स स्ट्रीमिंग को एकीकृत करने का निर्णय लिया गया था। शिवनंदन अक्टूबर 2022 में डिज्नी+ हॉटस्टार के सीईओ के रूप में शामिल हुए थे। इससे पहले उन्होंने गूगल में 15 वर्षों तक विभिन्न नेतृत्व पदों पर कार्य किया, जिसमें एशिया पैसिफिक के लिए गूगल पे और नेक्स्ट बिलियन यूजर इनिशिएटिव्स के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में उनकी भूमिका शामिल थी। देविका प्रभु इस साल नवंबर में डिज्नी+ हॉटस्टार ‘डिज्नी स्टार’ (Disney Star) की बिजनेस हेड (Kids and Infotainment) देविका प्रभु ने कंपनी को अलविदा कह दिया था। देविका प्रभु ने वर्ष 2008 में इस कंपनी में किड्स चैनल के लिए एसोसिएट डायरेक्टर (Programming and Acquisitions) के पद पर जॉइन किया था। इस कंपनी में अपने अब तक के सफर में उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया था। खासकर बच्चों के कंटेंट कैटेगरी में उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और कंपनी की सफलता में अहम योगदान दिया था। ‘डिज्नी स्टार’ से पहले देविका प्रभु ‘सोनी’ (SONY) इंडिया से जुड़ी हुई थीं। जहां उन्होंने असिस्टेंट वाइस प्रेजिडेंट (स्ट्रैटेजिक प्लानिंग और रिसर्च) के रूप में काम किया। यहां से उन्होंने अपने करियर की मजबूत नींव रखी, जिसे डिज्नी स्टार में उन्होंने और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया। पुनीत गोयनका नवंबर में ही जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के एमडी पुनीत गोयनका ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद कंपनी में उन्हें चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के तौर पर नियुक्त किया गया। दरअसल, यह निर्णय बोर्ड और नामांकन व वेतन समिति की 15 नवंबर 2024 की बैठक में लिया गया था। कंपनी ने 18 नवंबर 2024 को कारोबार समाप्त होने के बाद उनके इस्तीफे को मंजूरी दी और उसी दिन सीईओ के तौर पर उनकी नियुक्ति की थी। पुनीत गोयनका ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को अपनी भूमिका छोड़ने और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के रूप में परिचालन संबंधी जिम्मेदारियों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की पेशकश की थी। हालांकि इसके बाद, ZEEL बोर्ड ने 18 अक्टूबर, 2024 को गोयनका के पुनर्नियुक्ति की सिफारिश की थी, जो 1 जनवरी, 2025 से पांच साल के कार्यकाल के लिए थी। लेकिन पुनीत गोयनका ने पुनर्नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया था। अविनाश पांडे व पारुल कामरा एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडे ने इस साल जून में लगभग दो दशकों के लंबे कार्यकाल के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अविनाश पांडे 2005 में 'एबीपी नेटवर्क' से जुड़े थे और कई वर्षों तक महत्वपूर्ण पदों पर रहे, जिससे यह ब्रैंड देश के सबसे सफल और सम्मानित ब्रॉडकास्टर्स में से एक बन गया। जनवरी 2019 में, अविनाश पांडे को एबीपी नेटवर्क के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया था और उनके नेतृत्व में ही, एबीपी नेटवर्क ने ब्रॉडकास्ट और डिजिटल स्पेस में तेजी से आगे बढ़ता गया। अविनाश पांडे के पास रीजनल और डिजिटल होने की क्षमता को पहचानने की दूरदर्शिता थी, लिहाजा उन्होंने भारतीय दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रीमियर कंटेंट बनाने पर जोर दिया। पारुल कामरा इसके अलावा, ABP नेटवर्क की वाइस प्रेजिडेंट और नेशनल सेल्स की डायरेक्टर पारुल कामरा ने 12 दिसंबर को नेटवर्क को अलविदा कह दिया। पारुल कामरा अपने पद पर रहते हुए ABP न्यूज और ABP अस्मिता के लिए पूरे भारत में रेवेन्यू ग्रोथ की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। फिलहाल वह अपने करियर के एक नए अध्याय की शुरुआत कर रही हैं और अब दुबई में रहेंगी। पारुल कामरा अगस्त 2007 में ABP नेटवर्क से जुड़ी थीं और उन्होंने विभिन्न नेतृत्व पदों पर कार्य किया। 17 वर्षों के करियर में उन्होंने संगठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई उपलब्धियां हासिल की।
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‘बीएजी नेटवर्क’ (BAG Network) के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज24’ (News24) को अपनी डिजिटल टीम के लिए वीडियो एडिटर की जरूरत है। संस्थान की ओर से इस पद पर नियुक्ति के लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। इस बारे में सोशल मीडिया पर शेयर जानकारी के अनुसार, इस पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदकों को FCP 10 की जानकारी होनी चाहिए। इसके साथ ही एक से तीन साल का अनुभव होना चाहिए। इच्छुक आवेदक अपना अपडेटेड रिज्युमे rimjhim.jethani@bagnetwork.in पर भेज सकते हैं। इस बारे में सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन आप यहां देख सकते हैं। News 24 की Digital Team को एक Video Editor की जरूरत है ◆उम्मीदवार को FCP 10 की जानकारी और 1 से 3 सालों तक का अनुभव होना अनिवार्य है ◆ इच्छुक उम्मीदवार अपना CV इस ID पर मेल करें - rimjhim.jethani@bagnetwork.i
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देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूहों में शुमार ‘इंडिया टुडे’ (India Today) ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी का आज 80वां जन्मदिन है। देश के पत्रकारिता जगत में जाने-माने नाम अरुण पुरी ने देश में न्यूज, मीडिया और स्टोरीटैलिंग के तरीके को नए सिरे से परिभाषित किया है। व्यवसायिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मे अरुण पुरी ने ऐसी राह चुनी, जिसमें उद्यमिता की प्रवृत्ति को प्रभावशाली पत्रकारिता के प्रति जुनून से जोड़ा। लंदन विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री और लंदन बिजनेस स्कूल से बिजनेस मैनेजमेंट में डिग्री हासिल करने के बाद, पुरी ने 1975 में इंडिया टुडे मैगजीन की लॉन्चिंग के साथ पब्लिकेशन की दुनिया में कदम रखा। यह मैगजीन, जो राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर केंद्रित एक मासिक के रूप में शुरू हुई, जल्दी ही उच्च-गुणवत्ता वाली पत्रकारिता का प्रतीक बन गई, जिसने सटीकता, गहराई और प्रस्तुति के मानक स्थापित किए। पुरी के दूरदर्शी नेतृत्व में, इंडिया टुडे ग्रुप ने अपनी पेशकश को टेलीविजन चैनल, रेडियो, डिजिटल प्लेटफार्म और इवेंट्स तक विस्तार किया। इंडिया टुडे मैगजीन आज घर-घर में पहचानी जाती है, जबकि ‘आजतक’ (AajTak) और ‘इंडिया टुडे टीवी’ (India Today TV) जैसे चैनल भारतीय प्रसारण क्षेत्र में अपनी प्रमुखता बनाए हुए हैं। पुरी का प्रभाव केवल एक मीडिया साम्राज्य बनाने तक सीमित नहीं है, वे पत्रकारिता में नवाचार और ईमानदारी के पैरोकार रहे हैं। मीडिया के बदलते परिदृश्य के अनुरूप रुझानों को पहचानने और उन्हें अपनाने की उनकी क्षमता ने यह सुनिश्चित किया कि इंडिया टुडे ग्रुप डिजिटल युग में भी प्रासंगिक और सम्मानित बना रहे। पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' शामिल है। वह पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और नैतिक रिपोर्टिंग की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भी व्यापक रूप से पहचाने जाते हैं| उनकी यात्रा दूरदर्शी नेतृत्व, सत्य के प्रति प्रतिबद्धता और दर्शकों की जरूरतों को गहरे से समझने की शक्ति का उदाहरण है। जन्मदिन मुबारक हो!
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प्रसार भारती के OTT प्लेटफॉर्म 'Waves' ने अपनी लॉन्चिंग के बाद पहले ही महीने में 1 मिलियन से अधिक डाउनलोड का रिकॉर्ड बनाया है। चना-प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, "WAVES OTT ऐप ने 1 मिलियन डाउनलोड का महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है।" test गोवा में लॉन्च हुआ था प्लेटफॉर्म 'Waves' का शुभारंभ 20 नवंबर 2024 को गोवा में आयोजित 55वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) के दौरान किया गया था। इसे गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू की उपस्थिति में लॉन्च किया था। क्या है खास 'Waves' में? इस प्लेटफॉर्म पर एंटरटेनमेंट व न्यूज चैनल्स का बेहतरीन कलेक्शन उपलब्ध है। 38 लाइव चैनल्स: एंटरटेनमेंट के लिए B4U, ABZY, SAB Group, और 9X Media जैसे चैनल शामिल हैं। न्यूज चैनल्स: India Today, News Nation, Republic, ABP News, News24 और NDTV India जैसे प्रमुख न्यूज चैनल्स भी इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं। सरकारी चैनल्स: 'Waves' पर सभी दूरदर्शन और आकाशवाणी चैनल भी उपलब्ध हैं। प्रसार भारती की डिजिटल पहल यह उपलब्धि प्रसार भारती के लिए एक बड़ी सफलता है, जो डिजिटल युग में अपने कंटेंट को दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। Waves OTT ऐप की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि प्रसार भारती के कार्यक्रम देशभर में बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित कर रहे हैं।
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सैम कोंस्टस वाले मामले पर स्टार स्पोर्ट्स जिस तरह सुबह से कोहली को डिफेंड कर रहा था, उसे देखकर मुझे तरस आ रहा है। दिनभर इस बात की चर्चा करने का क्या तुक बनता है कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कोहली का मज़ाक क्यों बनाया? 10-20 साल पहले के उदाहरण देकर ये बात establish करने का क्या सेंस है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भी तो ऐसा करते थे? अरे भाई, ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी ऐसा करते थे, तो क्या इस बात के लिए दुनिया उनकी इज्ज़त करती थी? नहीं, बिल्कुल नहीं। ऑस्ट्रेलियन प्लेयर्स की इसी रवैए की वजह से उनके खिलाड़ी पूरी दुनिया में बदनाम भी थे। रही बात ऑस्ट्रेलियन मीडिया की कोहली को लेकर हार्श होने की, तो भाई, ऑस्ट्रेलियन मीडिया क्या अपने खिलाड़ियों को लेकर हार्श नहीं होता? जिस तरह पर्थ में पहला टेस्ट हारने पर ऑस्ट्रेलिया के टीवी और प्रिंट मीडिया ने अपनी टीम की खिंचाई की, आप वैसी आलोचना की भारत में कल्पना भी नहीं कर सकते। चर्चा तो इस बात पर होनी चाहिए थी कि 36 साल के विराट कोहली को क्या ज़रूरत पड़ी थी कि वो 19 साल के यंग प्लेयर के साथ इस तरह फिज़िकल हो जाएं। वो भी उस खिलाड़ी के साथ जो उन्हें अपना आदर्श मानता है। अगर कोई यंग प्लेयर आपको अपने खेल से परेशान कर रहा है, तो आप उसके खिलाफ एग्रेसिव रणनीति बनाएं, उसके खिलाफ प्लान बी या प्लान सी लेकर आएं—न कि अपने दौर का सबसे महानतम खिलाड़ी उसके साथ गली के गुंडों की तरह धक्का-मुक्की करने लगें। बहुत सारे लोग कहेंगे कि कोहली का तो यही स्टाइल है। वो तो शुरू से ही ऐसे ही एग्रेसिव रहे हैं। उन्हें भिड़ने में मज़ा आता है। उन्हें इस बात में मज़ा आता है कि दूसरी टीमें या मीडिया उन्हें गाली दें और वो उन्हें गलत साबित करें। धीरे-धीरे कोहली की छवि क्रिकेट के ऐसे एंग्री यंग मैन की बन गई, जो हर चीज़ को head-on लेता है। गेंदबाज़ ऑफ स्टम्प के बाहर पिच करेगा, तो कोहली ड्राइव करेंगे ही करेंगे। वो शॉर्ट डालेगा, तो कोहली पुल करेंगे। गेंदबाज़ आंखें दिखाएगा, तो कोहली ईंट का जवाब पत्थर से देंगे। पर हुआ यह कि धीरे-धीरे कोहली अपनी ही इस छवि में इतना उलझ गए कि उन्हें पता ही नहीं चला कि गाड़ी को किसी और गियर में भी चलाया जा सकता है। जब तक आपकी फॉर्म चल रही है, आप युवा हैं, तब तक सब ठीक है। तब तक वो लोग भी आपके खिलाफ नहीं बोलते जो उस वक्त भी आपके उन तरीकों को पसंद नहीं कर रहे होते। मगर दिक्कत तब आई जब कोहकी फॉर्म ऊपर-नीचे हुई और तब भी वो अपनी उस एग्रेसिव छवि को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। यह उन्हें अपने ego के खिलाफ लगा। आज की पारी से पहले उनका यही रवैया था कि बॉल पांचवें स्टम्प पर आएगी, तो मारूंगा ही मारूंगा, फिर चाहे पिछले पांच पारियों में यह करते हुए ही क्यों न आउट हुआ हूं। अगर मुझे दूसरों से लड़कर ऊर्जा मिलती है, तो वो ऊर्जा पाने के लिए मैं वहां भी लड़ जाऊंगा, जहां उसकी ज़रूरत भी नहीं होगी। अपनी ही इस एग्रेसिव छवि से समझौता न करने की कोहली की इस ज़िद ने ही उन पर एक्सट्रा प्रेशर डाल दिया है। जिसके चलते वो एक ही गलती को बार-बार दोहरा रहे हैं—मीडिया से भिड़ रहे हैं, खुद को हूट करने वाले दर्शकों से भिड़ने जा रहे हैं। और अपने ज़हन में क्रिकेट के अलावा भी ऐसी लड़ाईयां लड़ रहे हैं जिसका खेल से कोई लेना-देना नहीं। मुझे लगता है कि कोहली अब भी अगर थोड़े विनम्र हो जाएं, तो अपने लिए चीज़ें आसान कर लेंगे। जब सब कुछ आपके पक्ष में चलता है तो बहुत मुमकिन है कि आपको लगने लगे कि मैंने जीवन को साध लिया है। मैंने सफलता का सूत्र ढूंढ लिया है। मैं इतनी और ऐसी मेहनत करूंगा, तो मुझे कामयाब होने से कोई नहीं रोक पाएगा। लेकिन जीवन सिर्फ गणित नहीं है। ये कविता भी है, दर्शन भी और रहस्य भी। अगर सिर्फ आपकी मेहनत से आप सफल होते हों, तो ये फॉर्मूला दुनिया के हर कामयाब इंसान में गुरूर पैदा कर देगा। और जब आप ऐसा सोचते हैं तो आपके जश्न में, अपनी सफलताओं के बखान में, अहंकार नहीं, संयम झलता है। वो संयम जो ईश्वर को नाराज़ करने के डर की वजह से आता है। वक्त के साथ जीवन आपको सिखाता है कि मेहनत तो ज़रूरी है कि लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है ये समझना कि ‘जैसे मैं वहां था, तो मेरी जगह कोई और भी हो सकता था सकता’। ऐसा कोई और जो मुझसे भी ज़्यादा काबिल था लेकिन वो गलत जगह पर था। हो सकता है आपमें सचिन तेंदुलकर से ज़्यादा प्रतिभा हो लेकिन 5 साल की उम्र में आपकी प्रतिभा पहचानने के लिए आपके पास अजित तेंदुलकर जैसा भाई न हो। हो सकता है आपके पास अजित जैसा भाई भी हो लेकिन आपके हुनर को निखारने के लिए वहां कोई रमाकांत आचरेकर जैसा गुरू न हो। ऐसी सोच इंसान को कृतज्ञता से भरती है और कामयाबी को पचाने में मदद करती है। लेकिन जब आप अपनी सफलता के लिए खुद को ही इकलौती वजह मानते हैं, तो असफलता में भी आप खुद को पूरी तरह अकेला पाते हैं। आपको लगता है कि आपकी प्रार्थना सुनने वाला कोई नहीं। फिर एक वक्त आता है जब आप भी वही होते हैं, आपमें प्रतिभा भी वैसी होती है मगर वैसे नतीजे आना बंद हो जाते हैं। जैसे हालात जितने मुश्किल होते हैं, आपको उतना ही शांत रहना होता है। उसी तरह, अगर प्लेयर अच्छे फॉर्म में नहीं है, तो उसके लिए बहुत ज़रूरी है कि वह अपने ज़ोन में रहे। अपनी सारी एनर्जी अपने खेल पर लगाए। अपना खेल खेलते वक्त उसके दिमाग में किसी को गलत या सही साबित करने की बातें न चल रही हों। लेकिन जब कोई खिलाड़ी खुद कहता रहा हो कि उसे ऐसी लड़ाईयों से ऊर्जा मिलती है, तो ये भी तय है कि ऐसी लड़ाईयों में मिली हार उसकी ऊर्जा चूस भी रही होगी। उसे भटका भी रही होगी। उस पर दबाव भी डाल रही होगी। उसे विचलित कर रही होगी। इतने सालों तक क्रिकेट देखने और खेल की थोड़ी-बहुत समझ होने के कारण मैं यह दावे से कह सकता हूं कि कोहली के साथ तकनीक की तो कोई प्रॉब्लम ही नहीं है। उनके साथ सारी दिक्कत अपनी ही बनाई छवि में उलझ जाने की है। कोहली को यहां से तीन-चार साल और बेहतरीन क्रिकेट खेलना है, तो उन्हें इस एग्रेसिव कोहली की छवि को तिलांजली देकर अपने ज़ोन में जाना होगा। जहां उन्हें न किसी को नीचा दिखाना है, न अपना लोहा मनवाना है। बस योगियों की तरह ध्यान मुद्रा में जाकर ऐसे खेलना है, जैसे उस क्षण, सामने से आती गेंद और उनके बल्ले के अलावा दुनिया में और कुछ भी नहीं।
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क्रिसमस के मौके पर आम आदमी पार्टी की तरफ से एक AI जनरेटेड वीडियो जारी किया गया जिसमें केजरीवाल को सेंटा बनाया गया, जो दिल्ली में घूम-घूम कर लोगों को क्रिसमस के तोहफे बांट रहे हैं। चूंकि आम आदमी पार्टी ने चुनाव के बाद महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने का वादा किया है, इसलिए इस वीडियो में केजरीवाल महिलाओं को 2100 रुपये का गिफ्ट देते हुए दिख रहे हैं। लेकिन केजरीवाल को लेने के देने पड़ गए। दिल्ली सरकार ने महिलाओं को 2100 रुपये देने और 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज वाले स्कीम को पूरी तरह फर्जी बता दिया। इस स्कीम के लिए जो कार्ड बनवाए जा रहें हैं, फॉर्म भरवाए जा रहे हैं, उसे फ्रॉड बताया है। असल में केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी सिंह गली-गली में घूम कर जिस महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना के फॉर्म भरवा रहे थे, कार्ड बना रहे थे, उन्हीं योजनाओं को दिल्ली सरकार ने फर्जी बता दिया। आम आदमी पार्टी सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने दिल्ली के सभी अखबारों में एक नोटिस जारी करके लोगों से इस तरह की धोखाधड़ी से सावधान रहने की अपील की। लोगों से कहा है कि ये पब्लिक का डेटा इक्कठा करने की कोशिश है, सरकार ने ऐसी किसी योजना को मंजूरी नहीं दी है, इसलिए इस तरह के झांसे में न आएं, कोई फॉर्म न भरें, वरना मुश्किल में पड़ सकते हैं। आपके दस्तावेजों और पर्सनल जानकारी का दुरूपयोग हो सकता है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी एक विज्ञापन जारी किया और साठ साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए मुफ्त इलाज के दावों को फर्जी करार दिया। दोनों विज्ञापनों में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने इस तरह की कोई योजनाएं शुरु नहीं की हैं, जब इस तरह का फैसला होगा, कोई स्कीम शुरू होगी, तब बाकायदा नोटिफिकेशन आएगा, लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी, लेकिन अभी इस योजना के नाम पर जो कैंप लगाए जा रहे हैं, जो पर्नसल डेटा लिये जा रहे हैं, वो गलत है, गैरकानूनी और फ्रॉड है। जैसे ही दिल्ली सरकार के विज्ञापन सामने आए, तो बीजेपी को मौका मिला। बीजेपी के नेताओं ने केजरीवाल और उनकी सरकार पर हमले किए। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि अब तो आम आदमी पार्टी की सरकार ही कह रही है कि केजरीवाल लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं, लोगों का पर्सनल और फाइनेंशियल डेटा इक्कठे कर रहे हैं, इसलिए इस मामले की जांच वैसे ही होनी चाहिए जैसे किसी आर्थिक अपराध या धोखाधड़ी की होती है। इस मामले में केजरीवाल बैकफुट पर आ गए। अगर जनता उनके वादे पर भरोसा करके रजिस्ट्रेशन करवा रही है तो इसमें गलत क्या है। बड़ी बात ये है कि सीएम आतिशी खुद केजरीवाल के साथ घूम घूम कर योजनाओं के फॉर्म भरवा रही हैं और उनकी ही सरकार के दो विभाग इन योजनाओं के तहत रजिस्ट्रेशन को फ्रॉड बता रहे हैं। इसलिए आतिशी सिंह ने सफाई दी और कहा कि ये सब बीजेपी की चाल है, बीजेपी ने अफसरों पर दबाव डाल कर इस तरह का विज्ञापन जारी करवाया है। वह दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। कांग्रेस भी मैदान में आई। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि केजरीवाल और बीजेपी में कोई फर्क नहीं हैं, दोनों पार्टियां दिल्ली के लोगों को धोखा दे रही हैं। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ श्वेत पत्र जारी किया। अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल एक नंबर के झूठे हैं, उनकी कोई विचारधारा नहीं हैं, वह सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। केजरीवाल के 2100 रुपये के वादे का मामला दिलचस्प है। केजरीवाल महिलाओं और बुजुर्गों से वादा कर रहे हैं, फॉर्म भरवा रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी की ही सरकार ने इन योजनाओं को फर्जी करार दे दिया। ये कैसे हुआ, ये समझने की बात है। दिल्ली की अफसरशाही उपराज्यपाल के अधीन है। केजरीवाल ने सबको बायपास करके योजनाओं का ऐलान किया। उपराज्यपाल ने गुगली फेंक दी, अखबारों में इस स्कीम को फर्जी बताने वाले विज्ञापन छपवा दिए। दूसरी तरफ केजरीवाल को पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र के चुनाव में लाडली बहन योजना ने बीजेपी को जिता दिया, मोदी की आयुष्मान योजना से बीजेपी को लाभ मिला, इसीलिए दिल्ली में उन्होंने ये कार्ड चला। केजरीवाल का ये फॉर्मूला गुजरात में काम कर गया था। केजरीवाल ने गुजरात के चुनाव से पहले महिलाओं को हर महीने दो हजार रुपये देने का वादा किया था। इसी तरह कैंप लगाकर फॉर्म भरवाए थे। गुजरात में आम आदमी पार्टी को 14 प्रतिशत वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली में महिला सम्मान योजना के लिए 22 लाख महिलाएं और संजीवनी योजना के लिए करीब दो लाख बुजुर्ग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इस बात को लेकर बीजेपी को टेंशन हो गई। बीजेपी को महिलाओं के वोट खिसकने का डर होने लगा। इसका एक सबूत बुधवार को ही मिल गया। बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने महिलाओं को घर बुला कर 11-11 सौ रुपये बांटे। प्रवेश वर्मा नई दिल्ली से अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, इसीलिए उन्होंने महिलाओं के वोट के लिए केजरीवाल का फॉर्मूला अपनाया। प्रवेश वर्मा के 20, विंडसर पैलेस वाले बंगले पर सुबह महिलाओं की भीड़ लग गई। वे अपना वोटर कार्ड लेकर पहुंच गईं। इंडिया टीवी संवाददाता ऐसी कई महिलाओं से मिले, उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने यहां आने को कहा था। जो महिलाएं निकलीं, उनके हाथ में एक फोल्डर था, जिसमें लाडली योजना का कार्ड और एक लिफाफा था। लिफाफे में 1100 रुपये थे। इन महिलाओं ने कहा कि प्रवेश वर्मा ने कहा है कि अभी तो सिर्फ 1100 रुपये दे रहे हैं, अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार आई तो लाडली बहना योजना के तहत हर महीने खाते में 2500 रुपये आएंगे। सीएम आतिशी सिंह ने आरोप लगाया कि प्रवेश वर्मा के घर अब भी करोड़ों रुपये पड़े हैं और ED या CBI को उनके घर पर छापा मारना चाहिए, उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए। प्रवेश वर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने एक NGO बनाया था, उस NGO की और से वह गरीब और जरूरतमंदों की मदद कर रहे थे। सबसे आखिर में अरविन्द केजरीवाल अपने तुनाव क्षेत्र में महिला वोटरों से मिलने पहुंच गए, उन्हें समझाया कि दूसरी पार्टी वाले 1100 रुपये दे रहे हैं, उनसे नोट ले लेना लेकिन वोट मत देना। महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना के मुद्दे पर केजरीवाल अपने ही जाल में फंस गए थे। उनके पास अपनी ही सरकार के विज्ञापन पर कोई जवाब नहीं था लेकिन प्रवेश वर्मा ने महिलाओं को 1100 रुपये के लिफ़ाफ़े बांट कर केजरीवाल को escape route दे दिया। महिलाओं और बुजुर्गों से फॉर्म भरवा कर केजरीवाल ने वोटर्स को लालच देने की कोशिश की और प्रवेश वर्मा ने भी वही काम किया। केजरीवाल से ज्यादा खुल्लमखुल्ला तरीके से किया। महिलाओं के वोट केजरीवाल को भी चाहिए और प्रवेश वर्मा को भी। लेकिन केजरीवाल पुराने खिलाड़ी हैं। उन्होंने सीधे पैसे नहीं दिए, पैसों का वादा किया और प्रवेश वर्मा ने सीधे लिफाफा पकड़ा दिया। चुनावों के वक्त ज्यादातर नेता ये काम करते हैं, लेकिन कहते हैं, चोर वही होता है जो पकड़ा जाए और प्रवेश वर्मा पकड़े गए। उनकी सफाई थोड़ी कमजोर है।
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भारत के सीनियर बल्लेबाज विराट कोहली और ऑस्ट्रेलिया के नए खिलाड़ी सैम कोन्स्टास के बीच चौथे टेस्ट मैच के पहले सत्र में पिच के बीच में बहस हो गई। यह घटना सुबह 10वें ओवर के बाद घटी जब पिच पर घूमते समय कोहली और कोन्स्टास के कंधे टकरा गए। अगर आईसीसी को पता चलता है कि कोहली जानबूझकर कॉन्स्टास से टकराए थे तो उन्हें मैच प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, विराट बनाम कोन्स्टास शोल्डर बम्प पर टिप्पणी करने से खुद को नहीं रोक सकता। बस एक शब्द 'अनावश्यक', विराट एक महान खिलाड़ी हैं, यही वजह है कि उनके जैसे कद के किसी खिलाड़ी को किसी के साथ किसी भी तरह के शारीरिक विवाद में पड़ने की जरूरत नहीं है, खासकर 19 साल के नवोदित खिलाड़ी के साथ। लेकिन ध्यान दें, ऑस्ट्रेलियाई दिमागी खेल खेलने के लिए कुख्यात हैं। विराट पर जुर्माना लगाना ठीक है, लेकिन उन्हें किसी खेल से प्रतिबंधित करने की बात का कोई मतलब नहीं है। बता दें, आईसीसी नियमों के अनुसार, किसी भी प्रकार का अनुचित संपर्क अनुच्छेद 2.12 का उल्लंघन होगा, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिबंध लगाया जाएगा।
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देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने 92 साल की आयु में दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। रात में ही उनका पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित आवास पर लाया गया था। उनके निधन पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर उनसे जुड़ा एक किस्सा याद किया। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, प्रधानमंत्री कार्यालय में डॉ मनमोहन सिंह के साथ काम कर चुके एक नेता टीवी न्यूज़ चैनलों को लेकर उनका एक क़िस्सा सुनाते हैं। यह उस समय की बात है जब यूपीए 2 में आए दिन मंत्रियों पर कोई न कोई भ्रष्टाचार के आरोप लगते थे। तब कुछ एंकर्स चीख-चीख कर इन आरोपों को दोहराते थे। टीवी न्यूज़ चैनलों पर केवल यही खबरें चला करती थीं। प्रधानमंत्री कार्यालय में डॉ मनमोहन सिंह के कक्ष में लगे टेलीविजनों पर ये न्यूज चैनल चलते रहते थे।वे नेता बताते हैं कि तब उनके कमरे में जाते ही हम ये टीवी बंद कर देते थे क्योंकि संवेदनशील डॉ मनमोहन सिंह इन आरोपों और कवरेज को देख कर परेशान हो जाते थे। कई मंत्रियों के इस्तीफ़े इसी तरह के कवरेज को देख कर ले लिए गए थे। आपको बता दें, केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम के निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा और राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम नहीं होगा।
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भारत में आर्थिक सुधार के निर्माता कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया। वे 92 साल के थे। योजना आयोग और रिजर्व बैंक से लेकर वित्त मंत्री के पद पर रहे डॉक्टर मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। उनके निधन पर पत्रकार मीनाक्षी कंडवाल ने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जितनी मीडिया में आलोचना हुई वो इसके हक़दार नहीं थे। उन्होंने एक्स पर लिखा, डॉ मनमोहन सिंह, मीडिया ने जितनी आलोचना और जिस अंदाज में आपकी आलोचना की है आप उसके इकलौते हकदार नहीं थे। लेकिन जिसके आप वाकई हकदार थे यानी वो रिफॉर्म्स जो आपकी लीडरशिप में हुए, भारत का इतिहास (लिखने और याद रखने वाले) उसके साथ न्याय करें। इस प्रार्थना के साथ आपको श्रद्धांजलि। आज की कटु और उग्र राजनीति के दौर में आपको विनम्रता, शालीनता और कर्मठता के लिए याद किया जाएगा। आपको बता दें, बतौर वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 1991 में वैश्वीकरण और उदारीकरण की शुरुआत की थी। सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जून 2005 में सूचना का अधिकार ( आरटीआई ) कानून लागू किया गया।
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मातृभूमि ग्रुप (Mathrubhumi Group) पिछले एक सदी से केरल के सामाजिक ढांचे का अभिन्न हिस्सा रहा है। लंबे समय तक एम.पी. वीरेंद्र कुमार और एम.वी. श्रेयम्स कुमार इस संस्था के मार्गदर्शक स्तंभ रहे, जिन्होंने इसकी विरासत को आकार दिया। अब यह ग्रुप एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जहां अगली पीढ़ी की लीडर मयूरा एम.एस. और देविका एम.एस. लीडरशिप की बागडोर संभाल रहीं हैं। मयूरा और देविका एम.एस. कुमार परिवार की तीसरी पीढ़ी की लीडर हैं, जिन्होंने 1970 के दशक के अंत में एम.पी. वीरेंद्र कुमार के बोर्ड में शामिल होने के बाद से समूह को दिशा दी। मातृभूमि ग्रुप के लिए लीडरशिप की जिम्मेदारी सौंपना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर पीढ़ी अपनी अनोखी सोच और दृष्टिकोण लेकर आती है। इसी कारण, परिवर्तन की लहर लगातार नई सोच और नवाचारों के माध्यम से विकसित होती रही है। मातृभूमि की पहली प्रति 1923 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें गहन देशभक्ति की भावना थी और असमानता, विभाजन और विकृतियों से मुक्त वास्तविक स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। आज, यह समूह अपने मूल्यों के प्रति अडिग रहते हुए, मीडिया व्यवसायों में विविधता लाकर प्रतिस्पर्धा से आगे बढ़ने के प्रयास कर रहा है कुमार परिवार की हर पीढ़ी ने 100 साल पुराने इस संस्थान को आधुनिक बनाने में योगदान दिया है। एम.वी. श्रेयम्स कुमार, जो Mathrubhumi Group के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, ने मल्टीमीडिया फॉर्मेट्स को शुरू करने और उनका विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब मयूरा एम.एस. (डायरेक्टर - डिजिटल बिजनेस) और देविका एम.एस. (डायरेक्टर - ऑपरेशन्स) इस ग्रुप के डिजिटल बिजनेस को अगले स्तर तक ले जाने के लिए कदम बढ़ा रही हैं, ताकि कंपनी समय के साथ तालमेल बनाए रख सके। एम.वी. श्रेयम्स कुमार, जिन्होंने अपने पिता से व्यापार का प्रशिक्षण लिया, अब खुद को एक समान स्थिति में पाते हैं। वे ईमानदारी से स्वीकार करते हैं,"मैं अपनी बेटियों को वही प्रशिक्षण नहीं दे सकता जो मुझे मिला था और मैं यह भी नहीं कह सकता कि 15 साल पहले मैंने किसी समस्या को कैसे हल किया था। उनकी समस्याएं अलग हैं, और उनके समाधान के लिए एक नई दृष्टि की आवश्यकता है।" सूक्ष्म प्रबंधन (Micromanagement) से बचते हुए, वह अपनी बेटियों को बढ़ने के लिए जरूरी स्वतंत्रता देने की कोशिश करते हैं, जैसा कि उनके पिता ने उनके साथ किया था। वह कहते हैं, "मैं उन्हें यह ऐहसास करने और सुधारने की जगह देता हूं, बजाय इसके कि मैं उन्हें कोई सुधार करने के लिए मजबूर करूं। वे अक्सर मुझे अपनी दृष्टि और नए समाधान के साथ आश्चर्यचकित कर देती हैं।" मातृभूमि में अपने शुरुआती अनुभवों को साझा करते हुए, वह उस दबाव को याद करते हैं जो उन्होंने अपनी भूमिका को संभालते समय महसूस किया था। वह कहते हैं, "मातृभूमि में सभी लोग मेरे पिता पर भरोसा करते थे। जब मैंने पदभार संभाला, तो मेरी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करने की थी कि जो अच्छा था, वह बना रहे और मैं इसे आगे बढ़ाते हुए कंपनी को लोगों के साथ आगे ले जा सकूं। इस प्रक्रिया में, मैं एक सख्त व्यक्ति बन गया, जिसे 'आतंक' के रूप में जाना जाता था!" उन्हें कभी भी अपने पिता की बिल्कुल नकल करने के लिए प्रेरित नहीं किया गया। बल्कि, उन्हें अपना व्यक्तित्व बनाने और अपनी जगह खोजने के लिए कहा गया। यही वह अपनी बेटियों को भी सिखा रहे हैं। वह कहते हैं, "मेरी बेटियां मेरे समय से अलग चुनौतियों का सामना कर रही हैं। उन्हें कुछ ऐसी सुविधाएं भी मिली हैं, जिनके लिए मुझे संघर्ष करना पड़ा। अब, उन्हें खुद को साबित करना होगा। उन्हें इंडस्ट्री में अपनी जगह खुद बनानी होगी। वे मेरे काम और नाम के सहारे नहीं चल सकतीं।" परिवार की विरासत से परे, इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने की चुनौती पर चर्चा करते हुए देविका कहती हैं, "भरोसा कायम करना और अपनी विश्वसनीयता स्थापित करना, खासकर इंडस्ट्री के इस उथल-पुथल भरे दौर में, एक कठिन कार्य रहा है। हालांकि, हम इन चुनौतियों को रचनात्मक सोचने और संभावनाओं की सीमाओं को आगे बढ़ाने के अवसर के रूप में देखते हैं।" मयूरा और देविका ने कंपनी में अपने करियर की शुरुआत सबसे निचले स्तर के कार्यकारी के रूप में की, जहां उन्होंने हर चीज को चरणबद्ध तरीके से सीखा और अपनी वर्तमान भूमिकाओं तक पहुंचीं। श्रेयम्स कुमार के अनुसार, मयूरा में एक रचनात्मक दिमाग है और संगीत में गहरी रुचि है, जो उन्हें क्रिएटिव टीमों का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त बनाता है। दूसरी ओर, देविका प्रक्रियाओं पर अधिक ध्यान देती हैं और हर चीज की गहराई से जांच करती हैं, जो उन्हें संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बनाती है। उनकी नेतृत्व भूमिकाओं में पदोन्नति महामारी और बड़े पैमाने पर आई बाढ़ जैसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान हुई। लगभग पहले दिन से ही, उनका ध्यान संचालन को स्थिर करने पर रहा, जिससे उन्हें समस्याओं को हल करने के लिए पारंपरिक तरीकों से हटकर सोचने और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा मिली। लीडरशिप में देविका की भूमिका मुख्य रूप से संचालन और राजस्व पर केंद्रित है। वह कहती हैं, "मेरी भूमिका बहुआयामी है, जो हमारे व्यवसाय के विभिन्न पहलुओं को समेटे हुए है।" इसके साथ ही, उन्हें इवेंट मैनेजमेंट का भी शौक है, जहां वह रणनीतिक सोच और रचनात्मक दृष्टि को जोड़कर टीम के विचारों और दृष्टिकोण को जीवन में बदलती हैं। मयूरा, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत रेडियो से की थी, कंपनी की डिजिटल उपस्थिति को बढ़ाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इसके अलावा, वह क्लब एफएम, कप्पा कल्ट्र और मातृभूमि बुक्स को विकसित करने में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। मयूरा कहती हैं, "मैं विविधता में विश्वास करती हूं और हमेशा यह देखने की कोशिश करती हूं कि हमारी कंपनी को आगे बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में खोज करने के लिए नए तरीके क्या हो सकते हैं।" दोनों बहनें समूह में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने और संस्थान को बदलते समय के साथ अनुकूल बनाने के लिए काम कर रही हैं। मयूरा कहती हैं, "चाहे वह नीतियों में बदलाव हो या संचालन प्रक्रियाओं को सुचारू बनाना, एक स्थापित संगठन में बदलाव लाने के लिए सावधानीपूर्वक योजना, प्रभावी संवाद और एक सुचारू बदलाव सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।" देविका ने अपने पिता से सीखे गए सबक के बारे में बताते हुए कहा, "उन्होंने हम सभी को हमेशा यह सिखाया है कि ज्ञान की शक्ति कितनी महत्वपूर्ण है। अगर आपके तथ्य सही हैं और आप जिस क्षेत्र में काम कर रहे हैं उसे गहराई से समझते हैं, तो यह आपको बहुत आगे ले जाएगा।" इसके साथ ही, उन्होंने निरंतर सीखने और मजबूत कार्य नैतिकता को जीवन में मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में सूचीबद्ध किया। मयूरा ने अपनी सीख साझा करते हुए कहा, "चुनौतियों का सामना करना आवश्यक है क्योंकि ये आपके विकास का कारण बनती हैं। आराम आपको सीमित कर सकता है, इसलिए कभी भी छोटे-छोटे विवरणों को नज़रअंदाज न करें। आपके पास जो कुछ है, उसका अधिकतम उपयोग करें बजाय इसके कि आप उस पर ध्यान दें जो आपके पास नहीं है।" वह आगे कहती हैं, "काम के दौरान खुश रहने के लिए जुनून और ऊर्जा बहुत महत्वपूर्ण हैं, इसलिए इसे जितना संभव हो, बनाए रखें।" जैसे-जैसे मयूरा और देविका मातृभूमि समूह को आगे बढ़ाने के लिए नेतृत्व कर रही हैं, नई पीढ़ी के बदलावों की शुरुआत हो रही है। एमवी श्रेयम्स कुमार कहते हैं, "हालांकि अंतिम निर्णय मुझ पर होता है, मैं कभी भी दैनिक संचालन में भाग नहीं लेता।" वह आगे कहते हैं कि वह यह देखने के लिए उत्साहित हैं कि दोनों बहनें संस्थान को कुशलता से कैसे संभालती हैं और हर मोड़ पर उन्हें बेहतर बनने की चुनौती देती हैं।
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दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में घोषणा की थी कि दिल्ली में फिर से उनकी सरकार बनी तो महिलाओं को 2100 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे लेकिन दिल्ली सरकार के दो विभागों ने अखबारों में विज्ञापन छपवाकर कहा कि राज्य में महिला सम्मान और संजीवनी जैसी कोई योजना नहीं है। इस मसले पर पत्रकार और एंकर सुशांत सिन्हा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम 2100 रुपए वाले कार्ड बनाते घूम रहे हैं और इधर दिल्ली सरकार के विभाग ऐड देकर बता रहे हैं कि ऐसी कोई योजना ही नहीं है। ये तो लोकसभा चुनाव में घूमा 1 लाख रुपए का खटाखट वाला फॉर्म हो गया फिर तो। पब्लिक किस पर भरोसा करेगी वही निर्णायक होगा दिल्ली चुनाव में। आपको बता दें, इन योजनाओं के लिए आम आदमी पार्टी की ओर से रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के स्वास्थ्य और परिवार-कल्याण विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग ने इन योजनाओं से ख़ुद को अलग कर लिया है।
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‘इंडिया टुडे’ (India Today) ग्रुप ने सिद्धार्थ जराबी का 'कद' बढ़ाते हुए उन्हें ‘बिजनेस टुडे’ (Business Today) का एडिटर नियुक्त करने की घोषणा की है।अपनी नई भूमिका में वह प्रिंट, डिजिटल और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर इस ब्रैंड की संपादकीय की कमान संभालेंगे। बता दें कि सिद्धार्थ जराबी देश के सबसे प्रसिद्ध पत्रकारों में से एक है, जिन्हें 27 साल से भी ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘ब्लूमबर्ग टीवी‘ (Bloomberg TV India),‘सीएनबीसी टीवी18‘ (CNBC TV18),‘हिंदुस्तान टाइम्स‘ (Hindustan Times),‘द फाइनेंसियल एक्सप्रेस‘ (The Financial Express) और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड‘ (Business Standard) में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। जराबी ने वर्ष 2021 में ‘बिजनेस टुडे’ में मैनेजिंग एडिटर के रूप में कार्यभार संभाला था और तब से उन्होंने इस ब्रैंड के एडिटोरियल विजन को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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साल 2024 के आगमन में कुछ दिन ही शेष रह गए हैं। पूरी दुनिया नए साल का बेसब्री से इंतजार कर रही है, लेकिन हर बार गुजरता हुआ साल कुछ ऐसी भी यादें भी दे जाता है, जो किसी के करियर के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। कुछ ऐसी ही यादें मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की भी हैं, जिनमें से कई के करियर ग्राफ ने एक नए मुकाम को छुआ है और कई नए मंजिल की तलाश में संस्थान से अलग हो गए। आइए, टेलीविजन और ओटीटी इंडस्ट्री से जुड़ीं यहां ऐसी ही कुछ बड़ी शख्सियतों के बारे में जानते हैं। केविन वज़ नवंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और डिज्नी के मेगा मर्जर के बाद, केविन वज़ को जियोस्टार में एंटरटेनमेंट के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया। इससे पहले, 2023 से वायाकॉम18 में ब्रॉडकास्ट एंटरटेनमेंट के सीईओ के रूप में, उन्होंने कलर्स और एमटीवी जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स का नेतृत्व किया। केविन वज़ ने द वॉल्ट डिज्नी कंपनी इंडिया में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और इसके मल्टी-प्लेटफॉर्म विकास में योगदान दिया। जियोस्टार में अपनी नई भूमिका के अलावा, वज़ को इस महीने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) का अध्यक्ष और जनवरी में FICCI मीडिया एंड एंटरटेनमेंट कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया। किरण मणि किरण मणि, जिन्होंने 2023 में वायाकॉम18 जॉइन किया था, अब जियोस्टार में डिजिटल के सीईओ बने हैं। मणि के पास तकनीकी और मीडिया क्षेत्रों में तीन दशकों का अनुभव है। इससे पहले, उन्होंने गूगल में एक प्रमुख भूमिका निभाई और डिजिटल बिजनेस रणनीतियों को आकार दिया। गूगल के साथ 13 साल के कार्यकाल के बाद मणि पिछले साल 'वायकॉम18' में शामिल हुए थे। एनपी सिंह 2024 में एक महत्वपूर्ण बदलाव एनपी सिंह का 25 वर्षों तक सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के सीईओ के रूप में कार्यकाल का अंत था। एनपी सिंह ने अपने संदेश में कहा था, ‘ सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया और इसकी सफलता के प्रति मेरी प्रतिबद्धता मजबूत बनी हुई है। यहां मेरे कार्यकाल के दौरान हमने इंडस्ट्री में कई मानक स्थापित किए, अपनी पहुंच का विस्तार किया और कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि सफलता की हमारी विरासत नए नेतृत्व के तहत जारी रहे और आगे बढ़ती रहे।’ इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि अपनी टीम के साथ कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने के बाद मैं अब सामाजिक परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने और परिचालन भूमिकाओं से हटकर सलाहकार भूमिकाओं में बदलाव के लिए तैयार हूं। गौरव बनर्जी एनपी सिंह का सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के सीईओ के रूप में कार्यकाल खत्म होने के बाद उनकी जगह अगस्त में गौरव बनर्जी ने ली। बनर्जी ने सोनी टीवी की कंटेंट स्ट्रैटजी को फिर से तैयार किया और 2023-2031 तक के लिए विशेष ACC मीडिया अधिकार हासिल किए। बनर्जी ने स्टार इंडिया में 16 वर्षों तक काम किया और हिंदी एंटरटेनमेंट के लिए कंटेंट हेड और स्टार भारत के बिजनेस हेड के रूप में अपनी भूमिका निभाई। बनर्जी ने 2004 में प्राइम-टाइम एंकर और सीनियर प्रड्यूसर के रूप में 'स्टार न्यूज' में शामिल होने से पहले 'आजतक' में अपना करियर शुरू किया था। 2005 में, उन्होंने बंगाली न्यूज चैनल 'स्टार आनंद' को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2008 में वह नेटवर्क के रीजनल एंटरटेनमेंट चैनलों के लिए कंटेंट स्ट्रैटजी का नेतृत्व करने के लिए 'स्टार इंडिया' में चले गए। इससे कंपनी को बंगाल में 'स्टार जलसा' और महाराष्ट्र में 'स्टार प्रवाह' के लॉन्च के साथ नए बाजारों में विस्तार करने में मदद मिली। 2009 में 'स्टार प्लस' के लिए कंटेंट स्ट्रैटेजी के प्रमुख नियुक्त किए गए। बनर्जी के आने के बाद 'दीया और बाती हम' और 'ससुराल गेंदा फूल' जैसे हिट शो से चैनल को 2010 में अपनी लीडरशिप पोजीशन फिर से हासिल करने में मदद मिली। 2013 में उन्हें जनरल मैनेजर के पद पर प्रमोट किया गया और 2015 में उन्होंने कंटेंट स्टूडियो की लीडरशिप संभाली। गौरव बनर्जी के पास दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशंस रिसर्च सेंटर से फिल्म निर्माण और टीवी प्रोडक्शन में मास्टर डिग्री है। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। नीरज व्यास सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के बिजनेस हेड नीरज व्यास ने अगस्त में अपने पद से इस्तीफा दिया था। तीन दशकों के लंबे करियर के बाद, उन्होंने उद्यमशीलता के नए अवसर तलाशने का फैसला किया। ‘SPNI’ में उनकी शुरुआत सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन में सेल्स डिपार्टमेंट में हुई थी और वह अपनी काबिलियत के दम पर तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए वर्ष 2005 में चैनल के नेशनल सेल्स हेड की पोजीशन पर आ गए थे। पांच साल के अंदर ही उन्हें नेटवर्क के हिंदी म्यूजिक चैनल ‘सोनी मिक्स’ के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्ष 2011 में नीरज को सोनी मैक्स और फिर वर्ष 2017 में सोनी सब व सोनी पल और 2023 में सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। रवि आहूजा अक्टूबर में, सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन और सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट (SPE) ने घोषणा की कि SPE के चेयरमैन व CEO टोनी विंसिक्वेरा अपने पद से इस्तीफा देंगे। उनकी जगह रवि आहूजा, जो वर्तमान में SPE के ग्लोबल टेलीविजन स्टूडियोज के चेयरमैन व COO हैं, 2 जनवरी 2025 से SPE के नए चेयरमैन व CEO के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। वहीं, विंसिक्वेरा 2025 के अंत तक सलाहकार के रूप में नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन की भूमिका निभाते रहेंगे। रवि आहूजा सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन के चेयरमैन व CEO केनिचिरो योशिदा (Kenichiro Yoshida) और प्रेसिडेंट व COO हीरोकि टोटोकि (Hiroki Totoki) को रिपोर्ट करेंगे। रवि आहूजा ने 2021 में SPE में शामिल होकर कई प्रमुख टीवी शोज और प्रोडक्शन कंपनियों की जिम्मेदारी संभाली। इससे पहले, वह वॉल्ट डिज्नी टेलीविजन और फॉक्स नेटवर्क्स ग्रुप में भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। के. माधवन अक्टूबर में, डिज्नी स्टार के कंट्री मैनेजर और प्रेजिडेंट के. माधवन ने अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने कंपनी की रणनीति को आकार देने व इसके विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और डिज्नी स्टार को भारत में टीवी और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स दोनों को अग्रणी बनाया। उन्होंने जनरल एंटरटेनमेंट, स्पोर्ट्स, डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर सर्विसेज और स्टूडियो के प्रमुख क्षेत्रों में कंपनी की रणनीति और विकास का नेतृत्व किया। माधवन के कार्यकाल के दौरान, डिज़्नी स्टार ने सालाना 20,000 घंटे से अधिक का मूल कंटेंट तैयार किया, जो 70+ चैनलों के जरिए नौ भाषाओं में प्रसारित होता है और हर महीने लगभग 70 करोड़ दर्शकों तक पहुंचता है। संजोग गुप्ता नवंबर में संजोग गुप्ता को जियोस्टार में स्पोर्ट्स के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने इससे पहले स्टार इंडिया में स्पोर्ट्स विभाग का नेतृत्व किया और IPL और ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे बड़े आयोजनों को 200 देशों तक पहुंचाया। उन्होंने प्रो. कबड्डी लीग और इंडियन सुपर लीग जैसी घरेलू खेल लीग्स के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साजिथ शिवनंदन डिज्नी+ हॉटस्टार के प्रमुख साजित शिवनंदन ने इस साल अक्टूबर में इस्तीफा दे दिया था। शिवानंदन के इस्तीफे की घोषणा आंतरिक रूप से 24 अक्टूबर को की गई थी। यह खबर ऐसे समय आई थी जब डिज्नी+ हॉटस्टार प्लेटफॉर्म पर सभी लाइव स्पोर्ट्स स्ट्रीमिंग को एकीकृत करने का निर्णय लिया गया था। शिवनंदन अक्टूबर 2022 में डिज्नी+ हॉटस्टार के सीईओ के रूप में शामिल हुए थे। इससे पहले उन्होंने गूगल में 15 वर्षों तक विभिन्न नेतृत्व पदों पर कार्य किया, जिसमें एशिया पैसिफिक के लिए गूगल पे और नेक्स्ट बिलियन यूजर इनिशिएटिव्स के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में उनकी भूमिका शामिल थी। देविका प्रभु इस साल नवंबर में डिज्नी+ हॉटस्टार ‘डिज्नी स्टार’ (Disney Star) की बिजनेस हेड (Kids and Infotainment) देविका प्रभु ने कंपनी को अलविदा कह दिया था। देविका प्रभु ने वर्ष 2008 में इस कंपनी में किड्स चैनल के लिए एसोसिएट डायरेक्टर (Programming and Acquisitions) के पद पर जॉइन किया था। इस कंपनी में अपने अब तक के सफर में उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया था। खासकर बच्चों के कंटेंट कैटेगरी में उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और कंपनी की सफलता में अहम योगदान दिया था। ‘डिज्नी स्टार’ से पहले देविका प्रभु ‘सोनी’ (SONY) इंडिया से जुड़ी हुई थीं। जहां उन्होंने असिस्टेंट वाइस प्रेजिडेंट (स्ट्रैटेजिक प्लानिंग और रिसर्च) के रूप में काम किया। यहां से उन्होंने अपने करियर की मजबूत नींव रखी, जिसे डिज्नी स्टार में उन्होंने और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया। पुनीत गोयनका नवंबर में ही जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के एमडी पुनीत गोयनका ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद कंपनी में उन्हें चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के तौर पर नियुक्त किया गया। दरअसल, यह निर्णय बोर्ड और नामांकन व वेतन समिति की 15 नवंबर 2024 की बैठक में लिया गया था। कंपनी ने 18 नवंबर 2024 को कारोबार समाप्त होने के बाद उनके इस्तीफे को मंजूरी दी और उसी दिन सीईओ के तौर पर उनकी नियुक्ति की थी। पुनीत गोयनका ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को अपनी भूमिका छोड़ने और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के रूप में परिचालन संबंधी जिम्मेदारियों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की पेशकश की थी। हालांकि इसके बाद, ZEEL बोर्ड ने 18 अक्टूबर, 2024 को गोयनका के पुनर्नियुक्ति की सिफारिश की थी, जो 1 जनवरी, 2025 से पांच साल के कार्यकाल के लिए थी। लेकिन पुनीत गोयनका ने पुनर्नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया था। अविनाश पांडे व पारुल कामरा एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडे ने इस साल जून में लगभग दो दशकों के लंबे कार्यकाल के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अविनाश पांडे 2005 में 'एबीपी नेटवर्क' से जुड़े थे और कई वर्षों तक महत्वपूर्ण पदों पर रहे, जिससे यह ब्रैंड देश के सबसे सफल और सम्मानित ब्रॉडकास्टर्स में से एक बन गया। जनवरी 2019 में, अविनाश पांडे को एबीपी नेटवर्क के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया था और उनके नेतृत्व में ही, एबीपी नेटवर्क ने ब्रॉडकास्ट और डिजिटल स्पेस में तेजी से आगे बढ़ता गया। अविनाश पांडे के पास रीजनल और डिजिटल होने की क्षमता को पहचानने की दूरदर्शिता थी, लिहाजा उन्होंने भारतीय दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रीमियर कंटेंट बनाने पर जोर दिया। पारुल कामरा इसके अलावा, ABP नेटवर्क की वाइस प्रेजिडेंट और नेशनल सेल्स की डायरेक्टर पारुल कामरा ने 12 दिसंबर को नेटवर्क को अलविदा कह दिया। पारुल कामरा अपने पद पर रहते हुए ABP न्यूज और ABP अस्मिता के लिए पूरे भारत में रेवेन्यू ग्रोथ की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। फिलहाल वह अपने करियर के एक नए अध्याय की शुरुआत कर रही हैं और अब दुबई में रहेंगी। पारुल कामरा अगस्त 2007 में ABP नेटवर्क से जुड़ी थीं और उन्होंने विभिन्न नेतृत्व पदों पर कार्य किया। 17 वर्षों के करियर में उन्होंने संगठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई उपलब्धियां हासिल की। यह वर्ष भारतीय मीडिया और ओटीटी इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण नेतृत्व परिवर्तनों और रणनीतिक दिशा में बदलावों का साक्षी रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत दौरे के दूसरे दिन सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित किया गया। पीएम मोदी ने कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा से यह सम्मान हासिल किया। इससे पहले 19 देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। इस मामले पर पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, दुनिया के बड़े-बडे मुस्लिम मुल्कों के अगुवा, पीएम नरेंद्र मोदी का न सिर्फ़ एहतराम कर रहे हैं बल्कि उनकी सोच और दृष्टिकोण आगे ले जाने में उनके संग चल पड़े हैं। दुर्भाग्य है कि अपने ही मुल्क के बड़े-बडे मुस्लिम नेता और उलेमा सिवाए मुसलमानों को मोदी से डराने के कुछ और कर ही नहीं पाए हैं। कब तक डर पर खेलेंगे? कब तक? इस झूठ को परोसने से नुक़सान सिर्फ़ क़ौम का होगा। आपको बता दें, भारत और कुवैत के बीच अच्छे संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को यह पुरस्कार दिया गया है। 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' मित्रता के संकेत के रूप में राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी संप्रभुओं और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को प्रदान किया जाता है।
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सबके अटल जी, अटल जी होते तो आज सौ बरस के होते। अटल भारतीय राजनीति का एक समदर्शी विचार हैं। नेहरू के आलोचक हैं और प्रशंसक भी। लोहिया के सखा हैं और विरोधी भी। इंदिरा से सहमत भी हैं और असहमत भी। अटल राजनीति में कट्टरता से दूर उदारता के निकट खड़े हैं। भारत आजाद होते ही हिंसात्मक और कड़वी राजनीति के मुहाने पर था। जिन नेताओं ने देश की राजनीति को मनुजता की तरफ लौटाया उसमें एक नाम अटल बिहारी का भी है, जिनकी हस्ती में अपने दल से ज्यादा बल है। नब्बे के दशक में धर्म, जाति, पंथ, संप्रदाय में फंसी राजनीति में भी अटल प्यार की पगडंडी बनाने की कोशिश करते हैं। काजल की कोठरी से साफ-सुथरे निकले हैं। जो विचारधारा से जुड़े हैं अटल उनके लिए भरोसा हैं। जो विचारधारा से दूर हैं उनके लिए उम्मीद। भारतीय राजनीति में अटल से दूर होता रास्ता आपको कटुता की तरफ ले जाएगा। अटल आदर्श भारतीय राजनेता का मानक कहे गए। वे सर्वसमावेशी राजनीति के शिखर पुरूष कहे जा सकते हैं। उनका मानना था कि बोलने के लिए वाणी चाहिए और चुप रहने के लिए वाणी और विवेक दोनों। अटल जी सोलह साल लखनऊ के सांसद रहे और उस दौरान मैं जनसत्ता का राज्य संवाददाता। तब जनसत्ता खूब पढ़ा जाने वाला अखबार था। देश में उसका असर और रसूख था। अटल जी लखनऊ में होते थे तो मुझसे जरूर बात होती थी। मैं उनका मुंहलगा था। कहीं बैठकी हुई तो किसी ने मजाकिया अंदाज में वही कहा जो अक्सर कहा जाता था। ’अटल जी आदमी अच्छे हैं लेकिन गलत पार्टी में हैं‘। कहने वाले नेताजी विरोधी पार्टी के थे। वाजपेयी जी कहते है- “अगर मैं अच्छा आदमी हूं तो गलत पार्टी में कैसे रह सकता हूं और अगर गलत पार्टी में हूं तो अच्छा आदमी कैसे हो सकता हूं। अगर फल अच्छा है तो पेड़ खराब नहीं हो सकता”। मैंने अटल जी के मिजाज के कई रंग देखे और उन्हें हर रंग में बेजोड़ पाया। ये बात 1999 की है। तब कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और अटल जी देश के प्रधानमंत्री। कल्याण सिंह ने किन्हीं विशेष कारणों से पार्टी नेतृत्व के खिलाफ झंडा उठा लिया था। वे अटल जी के भी खिलाफ हो गए। बाद में उन्हें मुख्यमंत्री पद भी छोड़ना पड़ा और रामप्रकाश गुप्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। जब यह विवाद चरम पर था, वाजपेयी जी लखनऊ आए। वे राजभवन में रुके। दोनों में आपसी कटुता इस हद तक बढ़ चुकी थी कि लखनऊ के अखबारों में उस रोज ये कयास भरी खबरें भी छपीं थी कि कल्याण सिंह राजभवन में प्रधानमंत्री से मिलने जाएंगे या नहीं। अपनी पिछली यात्रा में अटल जी ने मेरी नन्ही बिटिया से मिलने की इच्छा जताई थी। मैं अपनी बेटी को अटल जी से मिलवाने राजभवन पहुंचा। मुलाकात के इंतजार के दौरान ही मैंने देखा कल्याण सिंह अटल जी मिलकर बाहर आ रहे हैं। मेरे लिए ये ‘स्कूप’ था। मैने सोचा कि अब अटल जी मिलूंगा तो खबर पता चलेगी। जैसे ही मैं उनके कमरे में दाखिल हुआ, अटल जी ईशानी को देखकर खुश हो गए। वे उसके साथ खेलने लगे। मैंने उनसे पूछा कल्याण सिंह आए थे। उन्होंने सिर हिलाकर ‘हां’ कहा। क्या बात हुई? मेरे सवाल को उन्होंने अनसुना कर दिया। मैंने दुबारा पूछा अटल जी ने फिर अनसुना किया। दाहिने कान से उन्हें सुनने में कुछ परेशानी थी। वे ‘हियरिंग एड’ लगाते थे। मैंने दूसरी तरफ जाकर जोर देकर पूछा क्या बात हुई, कल्याण सिंह से? आपसे क्या शिकायत है उन्हें? अटल जी ने अपनी सदरी की जेब में हाथ डाला और ‘हियरिंग एड’ निकाल कर मुझे दिखाते हुए बोले- “मैंने तो कुछ सुना ही नहीं। मेरी मशीन जेब में थी।“ अप्रिय बात न सुनने की यह भी एक अटल शैली थी। अटल जी कभी कभी ऐसी बातें कर जाते थे जो राजनेताओं के लिए हमेशा से अकल्पनीय रही हैं। ये उस वक्त की बात है जब लखनऊ से फिल्मकार मुजफ्फर अली, अटल जी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। उनके लिए कई फिल्मी हस्तियां प्रचार कर रही थीं। खूब जनता जुटती थी। भीड़ को देखकर अटल जी के कैंप में चिंता की लकीरें उठने लगी थी। मैंने इस बीच एक रिपोर्ट लिखी। रिपोर्ट में साल 1950 में हुए लखनऊ के मेयर चुनाव का हवाला दिया गया था। उस वक्त लखनऊ के मशहूर हकीम शमशुद्दीन मेयर पद के प्रत्याशी थे। उनका बड़ा रसूख था। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कुछ मजा लेने वाले तत्वों ने जिनमें कुछ समाजवादी भी थे, उनके खिलाफ दिलरूबा नाम की एक तवायफ को खड़ा कर दिया। प्रचार में ठुमके लगने लगे। युवाओं की भीड़ उमड़ने लगी। लगा हकीम साहब चुनाव हार जाएंगे। तभी लखनऊ के प्रमुख शहरियों ने अमृत लाल नागर के नेतृत्व में नारा दिया ‘दिल दीजिए दिलरूबा को वोट शमशुद्दीन को’। मामला पलटा, हकीम साहब चुनाव जीत गए। मेरे जमीनी सोर्स लगातार मुझे रिपोर्ट दे रहे थे कि कुछ ऐसी ही स्थितियां अटल जी के सामने भी थीं। खबर पढ़कर अटल जी ने मुझे फोन किया। कहने लगे- “गजब, आपने यह कहानी ढूंढकर हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा दिया है। जो भीड़ से परेशान हो रहे थे। बहुत धन्यवाद।“ मैंने कहा- अटल जी इसमें धन्यवाद कैसा? जो पाया, वही लिखा। इसके बाद मैंने एक और रिपोर्ट लिखी जिसमें तमाम समीकरणों और जमीनी स्थितियों के मद्देनजर अटल जी की जीत को पक्की बताया गया था। एक रोज अटल जी ने मुझे बुलाया और कहा- “दिल्ली में आपकी विश्वनीयता बहुत है। कहीं ऐसा ना हो मेरे पक्ष में छपने वाली इन रिपोर्ट से आपकी निष्पक्षता खतरे में पड़े। आप उसका ध्यान रखें। चुनाव आते-जाते रहेंगे। मैं आपमें बहुत संभावना देखता हूं। आपकी खबरों में मेरी बहुततरफदारी नहीं होनी चाहिए”। मैं सन्न और आवाक था। पहली बार कोई राजनेता ऐसा मिला जो कह रहा है आप मेरे हक में ज्यादा न लिखें। आज तो किसी के खिलाफ लिखें तो सामने वाला दुश्मनी मान लेता है। अटल जी के भीतर भवितव्यता का अनुमान कर लेने वाली सहज बुद्धि मौजूद थी। इसका भी मुझे परिचय मिला। यह बात जुलाई 1995 की है। भाजपा में इस बात को लेकर पशोपेश था कि अटल जी के नेतृत्व में चुनाव हो या आडवाणी को आगे कर। पुणे में हुई कार्यसमिति की बैठक में अटल जी पार्टी के अध्यक्ष तो चुने गए। पर पार्टी किसके चेहरे पर चुनाव लड़े इस बात पर भीतर भीतर बहस चल रही थी। अटल जी को इस बहस का अहसास था कि कुछ लोग आडवाणी को नेता बनाना चाहते हैं। तब तक आडवाणी मंदिर आंदोलन के हीरो हो चुके थे। उसी दिन शाम की रेसकोर्स की सार्वजनिक सभा में वाजयेपी अपने चुंबकीय व्यक्तित्व के साथ मंच पर थे। उनकी आवाज का संगीत सभा पर छाया था। आरोह-अवरोह। दो शब्दों के बीचनाटकीय विराम के साथ आंख मूंदना और फिर चीरने वाली नजरों से देखना। शायद इन्हीं वजहों से वाजपेयी जी का भाषण सुना नहीं, देखा जाता था। एक झटके में वाजपेयी ने कहा “कुछ लोगों को लग रहा है मैं थक गया हूं। कुछ समझते हैं कि मैं रिटायर हूंगा। मैं ना ‘टायर्ड’ हूं ना ‘रिटायर’ होने जा रहा हूं। चलिए आडवाणी जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। हम आगे बढ़ेगे”। यह अटल जी का अपनी बात कहने का अंदाज था। विवाद खत्म हो चुका था। मगर असर ये था कि शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आडवाणी जी को कहना पड़ा कि चुनाव अटल जी के नेतृत्व में होगा। 1996 में चुनाव अटल जी के नेतृत्व में हुआ। अटल जी प्रधानमंत्री बने। एक और किस्सा याद आ रहा है । बात 1993 की है। उस रोज़ लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सनसनी फैल गई थी। लखनऊ से दिल्ली के लिए उड़ान भर रहे इंडियन एयरलाइन्स के प्लेन को हाईजैक कर लिया गया था। तारीख थी 22 जनवरी 1993 की। लखनऊ से हवाई जहाज अभी उड़ा ही था कि 15 मिनट के बाद ही अफरातफरी की स्थिति हो गई। एक आदमी हाथ में कपड़ा लपेटे हुए चेतावनी भरे लहजे में कह रहा था, 'मेरे हाथ में केमिकल बम है। इस प्लेन को फौरन लखनऊ वापस ले चलो, वरना अंजाम बेहद भयानक होगा।' यात्रियों की जान सूख चुकी थी। आनन-फानन में लखनऊ स्थित एयर ट्रैफिक कंट्रोल को प्लेन के हाइजैक होने की खबर दी गई। विमान में 48 यात्री थे। अब तक जहाज़ लखनऊ के हवाई अड्डे पर वापस लैंडिंग कर रहा था। जब हाइजैक की वजह मालूम चली तो अधिकारी सन्न रह गए। हाइजैकर अटल बिहारी वाजपेयी को बुलाने की मांग कर रहा था, वरना जहाज उड़ा देने की धमकी दे रहा था। लखनऊ के उस वक्त के डीएम अशोक प्रियदर्शी थे। वे भागे भागे अटल बिहारी वाजपेयी के पास राज्य अतिथि गृह पहुंचे। अटल जी खाना खाने की तैयारी में थे। वे खाना छोड़कर मौके पर पहुंचे। एटीसी की लाइन पर हाइजैकर से बात कराई गई। मगर वह फिर भी नही माना। वह उन्हें बुलाने पर अड़ा हुआ था। अटल जी ने कहा मुझे जाने दो। अब डीएम, लालजी टंडन और अटल बिहारी वाजपेयी एक जीप में बैठकर प्लेन तक पहुंचे। हाइजैकर बाहर से बात करने पर नही माना, सो उन्हें भीतर जाना पडा। पहले डीएम अशोक प्रियदर्शी भीतर घुसे, फिर लालजी टंडन प्लेन में घुसे।तब तक वो समझ चुके थे कि अपहर्ता चाहता क्या है। टण्डन जी ने अटल जी को जहाज़ में बुलाया। अब अटल जी उसके सामने थे। उनके सिक्योरिटी गार्ड भी अंदर घुस चुके थे। लालजी टंडन ने हाइजैकर को समझाया कि अटल जी तुम्हारे सामने हैं। तुम पहले उनका पैर छुओ। फिर अपनी बात कहो। हाइजैकर मान गया। वह जैसे ही झुका, गार्ड्स ने उसकी गर्दन दबोच ली। केमिकल बम की बात गलत निकली। पुलिस उसे पकड़कर ले गई। जनता अटल बिहारी की जय जय के नारे लगा रही थी। सारा हंगामा थम चुका था। अब लालजी टंडन ने प्लेन में नजर घुमाई। कांग्रेस के तब के कोषाध्यक्ष सीताराम केसरी उसी प्लेन में चुपचाप कोने में दुबके पड़े थे। उस रात यात्रियों का लखनऊ में ही ठहरने का इंतजाम किया गया। अगले दिन उसी फ्लाइट से सारे यात्री दिल्ली गए। फ्लाइट में उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी और लालजी टंडन भी थे। इसी साल की एक और कहानी सुना देता हूं । 1993 में हिमाचल प्रदेश में चुनाव थे। कानपुर के जेके सिंघानिया कंपनी के एक छोटे जहाज से वाजपेयी जी का दौरा था। साथ में बलबीर पुंज और एकाध लोग और थे। जहाज को धर्मशाला पहुंचना था। वाजपेयी जी जहाज में बैठते ही सो जाते थे। तभी विमान के को-पायलट कॉकपिट से बाहर निकले और पुंज जी से पूछा- “क्या आप पहले धर्मशाला आए हैं”। बलबीर पुंज ने पूछा लेकिन आप यह सब क्यों पूछ रहे हैं। पायलट ने थोड़ी लाचारी बताते हुए कहाकि हमारे पास दूसरे विश्वयुद्ध का नक्शा है। ए.टी.सी से संपर्क नहीं हो पा रहा है और धर्मशाला ऊपर से दिख नहीं रहा है। पुंज जी घबरा गए, कहा- ध्यान रखिए कहीं गलती से हम चीन की सीमा में ना पहुंच जाएं। तभी वाजपेयी जी की नींद खुली, पूछा- “सभा का समय हो रहा है। हम कब उतरेंगे? सहयोगी ने तात्कालिक समस्या बताई। वाजपेयी जी ने चुटकी ली। यह तो बहुत बढ़िया रहेगा। खबर छपेगी। ‘वाजपेयी डेड’। गन कैरेज में जाएंगे। हालांकि उनकी इच्छा के अनुसार उनकी अंतिम यात्रा ‘गनकैरेज’ में ही हुई। घबराए पुंज जी बोले, “आपके लिए तो ठीक है मेरा क्या होगा”। वाजपेयी जी ने मजे लेते हुए कहा “यहां तक आए हैं तो वहां भी साथ चलेंगे”। माहौल को हल्का करने के लिए वे फिर बोले जागते हुए अगर ‘क्रैश’ हुआ तो बहुत तकलीफ होगी। इतना कह कर वे दुबारा सो गए। सभी साथी सदमे में थे। बाद में एक दूसरे जहाज से संपर्क हुआ। और अटल जी का जहाज जहाज सकुशल कुल्लू में उतरा। हाजिरजवाबी में वाजपेयी जी का कोई सानी नहीं था। कई बार मुश्किल से मुश्किल सवाल को वे अपनी वाकपटुता से उड़ा देते थे। संसद के अंदर हो या बाहर उनकी वाकपटुता की रपटीली राह पर न जाने कितने फिसल कर गिरे। भारतीय जनता पार्टी में हमेशा वाजपेयी को उदार चेहरा माना जाता था। मंदिर आंदोलन को लेकर पार्टी में दो धड़े थे। मंदिर को लेकर तो सहमति थी पर आंदोलन के तरीके को लेकर दो राय थी। इसी मुद्दे पर वाजपेयी जी से एक बार यह सवाल पूछा गया कि भाजपा में एक नरम दल है और एक गरम दल। एक के नेता आप हैं दूसरे के आडवाणी जी। वाजपेयी जी ने फौरन जवाब दिया- मैं किसी दलदल में नहीं हूं। मैं तो औरों के दलदल में अपना कमल खिलाऊंगा। सवाल हवा में उड़ गया। मुश्किल मुद्दों के ऐसे जाने कितने अवसर आए जब वाजपेयी जी अपनी हाजिरजवाबी से उससे निकल लिए। शादी न करने पर वाजपेयी जी का जवाब बड़ा चर्चित है। उन्होंने एक बार कहा मैं अविवाहित जरूर हूं पर (पॉज़ लेकर) कुवांरा नहीं हूं। एक महिला पत्रकार उनके कुंवारे रहने के रहस्य को लेकर बेहद उत्सुक थीं। कई बार के प्रयास के बाद उन्होंने अटल जी से सीधा सवाल पूछ ही लिया- “वाजपेयी जी, आप अब तक कुंवारे क्यों हैं”? वाजपेयी जी रूके, उन्हें घूरा। फिर बोले... “आदर्श पत्नी की खोज में।” महिला पत्रकार वहीं नहीं रूकीं। उन्होंने दुबारा सवाल किया, क्या वह मिलीं? वाजपेयी ने अपने अंदाज में फिर थोड़ा रूककर जवाब दिया- “मिली तो थीं पर उन्हें भी आदर्श पति की तलाश थी”। असहज करने वाला यह सवाल ठहाकों की बलि चढ़ गया। अटल जी से जुड़ी यादें, किस्से सब जीवन दर्शन की तरह हैं। राजनीति में रहते हुए भी इतना सुलभ, सरल और सहज रह पाना उनके ही जीवन शिल्प का हिस्सा था। अपने सिद्धांतों पर अड़िग रहना और फिर भी कटु न होना, द्वेष न पालना, प्रतिद्वंदिता के युद्ध न करना, ये सब उनकी ही विरासत के अवशेष हैं जो उनके बाद अब दुर्लभ हो चले हैं। उनकी हाज़िर जवाबी गुदगुदाती थी। बांध लेती थी। जो एक बार उनसे मिलता था, उनका होकर रह जाता था। वे रिश्ते कमाते थे। मानवीय सम्बन्धों का अर्जन करते थे। इन नातों का कोई ओर छोर नही था। जितने अपनी विचारधारा के संगी साथ थे, उतने ही गैर सोच वाले भी हमराह थे। अटल जी अपने आप मे एक विलक्षण राजनीतिक संस्कृति थे। ऐसी संस्कृति समय के पटल पर हमेशा अविस्मरणीय रहेगी। (वरिष्ठ पत्रकार और ‘टीवी9’ में न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा की फेसबुक वॉल से साभार)
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वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार, कवि और सुप्रसिद्ध फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना को हिंदी अकादमी मुंबई ने अपने प्रतिष्ठित 'राष्ट्रीय गौरव सम्मान' से सम्मानित किया। प्रदीप सरदाना को यह सम्मान उनकी राष्ट्रीय चेतना, सारस्वत साधना, प्रेरक दृष्टिकोण, शिक्षा, समाज तथा काव्य-साहित्य क्षेत्र में किए जा रहे उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया है। मुंबई में आयोजित इस विशेष समारोह में सरदाना को यह सम्मान वरिष्ठ गीतकार, कवि डॉ धनंजय सिंह, आकाशवाणी के सहायक निदेशक राम अवतार बैरवा, सरदार पटेल विश्वविद्यालय गुजरात के प्रोफेसर और हिंदी विभाग प्रमुख डॉ दिलीप मेहरा एवं हिंदी अकादमी मुंबई के अध्यक्ष डॉ प्रमोद पाण्डेय ने मिलकर प्रदान किया। समारोह में प्रदीप सरदाना ने अपनी कविताओं का भी पाठ किया। उनकी कविता 'जग की रीत' को सुन पूरा समारोह तालियों से गूंज उठा। उल्लेखनीय है प्रदीप सरदाना ने मात्र 13 वर्ष की आयु में अपने लेखन, पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की थी। अभी तक अनेक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित सरदाना के नाम अपने क्षेत्र में किए गए असाधारण कार्यों और विभिन्न उपलब्धियों के कई रिकॉड दर्ज हैं। जिनमें देश के सबसे कम उम्र के संपादक, भारत में टीवी पत्रकारिता की शुरुआत करने के साथ राष्ट्रीय न्यूज चैनल्स पर 4 दिन में 52 घंटे लाइव रहने के रिकॉर्ड प्रमुख हैं। पत्रकारिता के तीनों प्रमुख माध्यम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल से जुड़े प्रदीप सरदाना लेखकों, पत्रकारों और कलाकारों की पुरानी संस्था 'आधारशिला' के अध्यक्ष भी हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत दौरे के दूसरे दिन सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित किया गया। पीएम मोदी ने कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा से यह सम्मान हासिल किया। इससे पहले 19 देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। इस मामले पर पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, दुनिया के बड़े-बडे मुस्लिम मुल्कों के अगुवा, पीएम नरेंद्र मोदी का न सिर्फ़ एहतराम कर रहे हैं बल्कि उनकी सोच और दृष्टिकोण आगे ले जाने में उनके संग चल पड़े हैं। दुर्भाग्य है कि अपने ही मुल्क के बड़े-बडे मुस्लिम नेता और उलेमा सिवाए मुसलमानों को मोदी से डराने के कुछ और कर ही नहीं पाए हैं। कब तक डर पर खेलेंगे? कब तक? इस झूठ को परोसने से नुक़सान सिर्फ़ क़ौम का होगा। आपको बता दें, भारत और कुवैत के बीच अच्छे संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को यह पुरस्कार दिया गया है। 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' मित्रता के संकेत के रूप में राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी संप्रभुओं और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को प्रदान किया जाता है।
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मंदिर-मस्जिद विवाद पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का दिया बयान अब विवाद का रूप ले रहा हैं। टीवी 9 भारतवर्ष के एंकर गौरव अग्रवाल से बातचीत करते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि मोहन भागवत को हिंदू धर्म की जानकारी नहीं है। दरअसल, जगद्गुरु रामभद्राचार्य आजकल सरसंघचालक मोहन भागवत से काफी नाराज हैं। गौरव अग्रवाल से बात करते हुए उन्होंने मोहन भागवत पर तुष्टीकरण से प्रभावित होने का आरोप लगाया। अपने इस विस्फोटक इंटरव्यू में उन्होंने गौरव अग्रवाल से कहा कि मोहन भागवत हिंदू धर्म के अनुशासक नहीं है। हम हिंदू धर्म के आचार्य अनुशासक हैं और हम ही अनुशासन देंगे। उन्होंने कहा 21वीं शताब्दी हिंदुओं की है और जहां-जहां भी हमारा अधिकार होगा हम लेंगे। भूलकर भी हम किसी को छेड़ेंगे नहीं लेकिन कोई अगर छेड़ेगा तो उसको छोड़ेंगे नहीं। संघ की राम मंदिर निर्माण में कोई भूमिका नहीं रही और संघ प्रमुख को केवल Z सिक्योरिटी चाहिए। वह केवल राजनीति कर रहे हैं। रामभद्राचार्य ने राम मंदिर को लेकर कहा, उनकी (आरएसएस ) राम मंदिर आंदोलन में कोई भूमिका नहीं। इतिहास इस बात का साक्षी है। गवाही हमने दी, 1984 से संघर्ष हमने किया, संघ की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।
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"सत्यं ब्रूयात, प्रियं ब्रूयात, न ब्रूयात सत्यं अप्रियम।" मीडिया का यही आदर्श वाक्य होना चाहिए, लेकिन 2024 ने इस आदर्श को कई बार कठिन चुनौती के रूप में देखा। डिजिटल युग में सत्य और प्रियता का संगम बनाना जितना जरूरी है, उतना ही कठिन भी। 2024 में मीडिया ने जहां तकनीक के नए आसमान छुए, वहीं कई बार फेक न्यूज़ और गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता की दलदल में भी फंस गया। 2024: मीडिया का डिजिटल सफर 2024 भारतीय मीडिया के लिए डिजिटल युग का एक और मील का पत्थर रहा। स्मार्टफोन और इंटरनेट की आसान पहुंच ने दर्शकों और पाठकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर खींचा। लेकिन सवाल यह है कि इस तेज रफ्तार मीडिया हाईवे पर सत्य कहां खड़ा है? सोशल मीडिया ने हर किसी को "रिपोर्टर" बना दिया। हर व्यक्ति अब एक "स्टोरी" का सूत्रधार है, लेकिन यह सूत्रधार कई बार सत्य से कोसों दूर रहता है। फेक न्यूज ने 2024 में सूचना को दुष्प्रचार का शिकार बनाया। इसी बीच, कुछ मीडिया संस्थानों ने उम्मीद की किरण भी दिखाई। "सत्य हमेशा प्रासंगिक रहेगा" - यह सोचकर कई मीडिया हाउस ने फैक्ट-चेकिंग को प्राथमिकता दी। ऐसे प्रयास इस बात का संकेत हैं कि मीडिया अभी भी अपनी जिम्मेदारी को समझता है। 2025: भविष्य के आयाम "जो सत्य है वही सुंदर है, और वही टिकेगा।" 2025 का मीडिया इस दर्शन पर चले, तो वह न केवल नई ऊंचाइयों को छुएगा, बल्कि समाज के प्रति अपनी भूमिका को भी सार्थक करेगा। 1. तकनीक और जिम्मेदारी का मेल: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसे उपकरण मीडिया के हर क्षेत्र को नया आकार देंगे। लेकिन तकनीक के साथ नैतिकता और विश्वसनीयता का संतुलन जरूरी होगा। 2.लोकल का ग्लोबल कनेक्शन: 2024 ने दिखाया कि क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट का उभार अभूतपूर्व है। 2025 में यह उभार और बढ़ेगा। "लोकल इज ग्लोबल" की धारणा मीडिया को नए दर्शकों से जोड़ेगी। 3. पॉडकास्ट और वॉइस कंटेंट: 2025 का मीडिया शायद "कानों का खेल" बन जाए। लोग अब लंबी खबरों के बजाय पॉडकास्ट और वॉइस-नरेटिव्स सुनना पसंद कर रहे हैं। आखिरी बात: भरोसे की नई इबारत "पत्रकारिता केवल सूचनाओं का संग्रहण नहीं, बल्कि समाज का दर्पण है।" 2025 में मीडिया को यह दर्पण और स्पष्ट बनाना होगा। सत्य, प्रामाणिकता और समाज की आवाज़ को प्राथमिकता देकर भारतीय मीडिया न केवल खुद को पुनर्परिभाषित करेगा, बल्कि दुनिया में एक नई पहचान भी बनाएगा। तो आइए, 2025 का स्वागत करें और इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ें कि यह नया साल मीडिया को "माध्यम" से "मार्गदर्शक" बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
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हाल ही में मुंबई के इंडिया गेट के पास फेरी हादसा हुआ। ये दुखद घटना थी। इस घटना के साथ ही स्मरण हो आया कुछ समय पहले की मुंबई से फेरी से एलिफेंटा की यात्रा। मुंबई के अपोलो बंदर, जो अब गेटवे ऑफ इंडिया के नाम से ज्यादा जाना जाता है, से अरब सागर स्थित एलिफेंटा द्वीप तक की यात्रा। जहां लोग फेरी से आते-जाते हैं। मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा तक जाने में करीब घंटे भर का समय लगता है। अरब सागर की लहरों पर हिचकोले खाती फेरियों में सावधानी से बैठे रहना पड़ता है। जब फेरी एलिफेंटा तक पहुंचती है तो ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। पुर्तगालियों ने इस द्वीप का नाम एलिफेंटा दिया। इस द्वीप पर हाथी की एक विशालकाय प्रतिमा थी जो अब मुंबई के माता जीजाबाई उद्यान में रखी गई है। एलिफेंटा द्वीप पर पहुंचने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक बोर्ड दिखता है जिसपर लिखा है कि एलिफेंटा द्वीप मूलत घारापुरी के नाम से जाना जाता है। एलिफेंटा का नाम यहां से प्राप्त शैलकृत एक विशाल हाथी के कारण रखा गया है। इस बोर्ड से ही ये ज्ञात हुआ कि आर्कियोलाजी सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई)द्वारा इन गुफाओं को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक अधिसूचना क्रमांक -2704-अ-दिनांक 26.5.1909 द्वारा घोषित किया गया है। तत्पश्चात यूनेस्को द्वारा विश्वदाय स्मारकों की सूची में एलिफेंटा गुफाओं को 1987 में शामिल किया गया है। ये गुफाएं औरर यहां मौजूद मूर्तियां इतनी महत्वपूर्ण है कि इसको वर्ल्ड हैरिटेज साइट माना गया। अब जरा इस द्वीप की ऐतिहासिकता और यहां प्रदर्शित कला के बारे में जान लेते हैं। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कहा जाता है कि 1579 में इस द्वीप पर जे एच वान नाम का एक यूरोपियन आया था जिसने अपनी पुस्तक डिस्कोर्स ऑफ वायजेज में इस द्वीप का उल्लेक पोरी के तौर पर किया गया है। इसके आधार पर भारतीय इतिहासकार ये मानते हैं कि सोलहवीं शती में इस द्वीप को पुरी के नाम से जाना जाता होगा। इस द्वीप के नाम को लेकर इतिहासकारों में कई तरह की राय है। एलिफेंटा में पुरातात्विक खोज के दौरान एक ताम्र घट मिला था। उस घट पर जोगेश्वरी देवी के श्रीपुरी में बना, ऐसा उत्कीर्ण है। इसके आधार पर कुछ लोगों का मत है कि इस द्वीप को श्रीपुरी के नाम से जाना जाता होगा। जोगेश्वरी मुंबई महानगर में एक स्थान है। स्थानीय लोग इसको घारापुरी कहते हैं और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के बोर्ड पर भी ऐसा ही लिखा है। घारा को कुछ लोग शैव मंदिरों के पुजारी से भी जोड़ते हैं। क्योंकि शिव मंदिर के पुजारियों को घारी कहा जाता था। इस द्वीप की गुफाओं में शिव के कई स्वरूप की मूर्तियां हैं।संभव है कि वहां पुजारियों की संख्या काफी रही होगी जिसके आधार पर घारापुरी नाम से जाना जाता होगा। घारापुरी की गुफाओं में स्थित जिस एक मूर्ति के बारे में चर्चा करना आवश्यक लगता है उसको त्रिमूर्ति कहते हैं। यह अद्भुत मूर्ति है। इसमें शिव के तीन दिशाओं में तीन सर और चेहरा हैं। इस मूर्ति में जटा का विन्यास इस तरह से किया गया है कि वो भव्य मुकुट का आभास देता है। सामने शिव का जो चेहरा है वो बेहद गंभीर मुद्रा में है और उसके होठ बहुत मोटे और लटके हुए हैं। आमतौर पर इस तरह के होठ वाली मूर्तियां कम मिलती हैं। इतिहासकार राधाकमल मुखर्जी के अनुसार इस मूर्ति के बीच का मुख निरपेक्ष और पारलौकिक तत्पुरुष सदाशिव का है। दायां चेहरा उग्र, भृकुटि ताने हुए और विनाश व वैराग्य की भावना वाले अघोरभैरव का है और बांयी ओर पार्वती का चेहरा है। मुखर्जी ने अपने लेख प्रतीक और प्रतिमान में लिखा है कि यह त्रिमूर्ति-स्वरूप एक समय भारत तथा गांधार, तुर्किस्तान और कंबोडिया में सुपरिचित था। चीन की युन-थाल गुफा में इसको पाया गया है तथा जापान की दाई इतोक यही है। यह शिव त्रिमूर्ति भारतीय संस्कृति की विशिष्ट विषय वस्तु का अद्वितीय और व्याक प्रतीक है। कुछ लोग इस त्रिमूर्ति को ब्रह्मा, विष्णु और शिव की तरह देखते हैं लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। अधिकतर लोग मुखर्जी से सहमत हैं। जहां शिव की ये त्रिमूर्ति स्थित है उस कक्ष के बाहर दो द्वारपाल की मूर्तियां भी हैं। इस त्रिमूर्ति के अलावा घारापुरी में कई अन्य मूर्तियां भी हैं जो भारतीय कला की श्रेष्ठता को सिद्ध करती हैं। इन मूर्तियों में अर्धनारीश्वर शिव की भी एक मूर्ति है। मंडप के सम्मुख गर्भगृह में पूर्वी द्वार की ओर एक बड़ा सा शिवलिंग है। इन मूर्तियों की खास बात है कि इनको पहाड़ियों को काटकर बनाया गया है। एक शिवलिंग को छोड़कर सभी मूर्तियां पहाड़ी को काटकर बनाई गई है। शिवलिंग का पत्थर अलग प्रतीत होता है । ऐसा लगता है कि इसको कहीं बाहर से लाकर वहां प्रतिष्टइत किया गया होगा। इतने विस्तार में घारापुरी स्थित मूर्तियों का विवरण इस कारण से दिया ताकि इस बात का अनुमान हो सके कि देश के विभिन्न हिस्सों में कितनी ऐसी चीजें हैं जो ना केवल ऐतिहासिक हैं बल्कि भारतीय कला का उत्कृष्ट उदाहरण भी हैं। जो लोग भारतीय कला को नेपथ्य में रखकर फ्रांसीसी, पुर्तगाली और मुगलकालीन कला पर लहालोट होते रहते हैं उनको घारापुरी की कलाकृतियों को देखकर उसपर विस्तार से चर्चा करनी चाहिए। एक और बात जिस ओर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है वो इन विरासत का संरक्षण। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल घारापुरी की इन गुफाओं की उचित देखभाल नहीं हो रही है। यहां पहुंचने वाले पर्यटक आसानी से इन प्रतिमाओं तक पहुंच जाते हैं। ना केवल वहां खड़े होकर फोटो खींचते हैं बल्कि चाक आदि से दीवारों पर कुछ लिख भी देते हैं। नागरिकों को अपने कर्तव्य समझने चाहिए। विरासत को संरक्षित करने रखने में सहयोग करना चाहिए। दूसरी तरफ एएसआई को भी ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि पर्यटक इन कलाकृतियों को दूर से देखें। कुछ मूर्तियों को घेरा गया है लेकिन वो नाकाफी है। इसके अलावा परिसर का रखरखाव भी एएसआई की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। वहां उपस्थितत कर्मचारी या गार्ड इन कलाकृतियों को लेकर संवेदनहीन दिखे। उनको इस बात का एहसास ही नहीं था कि उनपर वैश्विक धरोहर के रखरखाव का दायित्व है। कलाकृतियां भी रखरखाव की बाट जोहती प्रतीत हो रही थीं। पहले भी इस स्तंभ में कोणार्क मंदिर और त्रिपुरा के उनकोटि परिसर के रखरखाव में लापरवाही को लेकर लिखा जा चुका है। हमारे ये धरोहर उपेक्षा का शिकार होकर नष्ट होने की ओर बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी निरंतर अपनी विरासत के संरक्षण की बातों पर जोर दे रहे हैं लेकिन संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाली संस्था एएसआई अन्यान्य कारणों से संरक्षण में पिछड़ जा रही है। देश में एक ऐसी संस्कृति नीति की आवश्यकता है जिसमें धरोहरों के संरक्षण को प्रमुखता दी जाए। अधिकारियों का एक अखिल भारतीय काडर बने जो कला संस्कृति और धरोहरों को लेकर विशेष रूप से प्रशिक्षित हों। औपनिवेशक काल की व्यवस्था से बाहर निकलना होगा। आज संस्कृति मंत्रालय का दायित्व वन से लेकर डाक सेवा के अधिकारियों पर है। वन, डाक, रेल और राजस्व की तरह ही कला संस्कृति को नहीं चलाया जा सकता है।
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जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने कथित तौर पर जापानी मीडिया समूह सोनी से अपने 10 मिलियन डॉलर के विलय को पुनर्जीवित करने के लिए संपर्क किया है, जो मई 2024 में रद्द हो गया था। सोनी ने "समझौते की शर्तों का पालन न करने" का हवाला देते हुए यह डील खत्म कर दी थी। खबरों के मुताबिक, भारतीय मीडिया दिग्गज जी ने सोनी से समझौते की समाप्ति पर पुनर्विचार करने और इस मुद्दे पर बातचीत शुरू करने का अनुरोध किया है। बताया जा रहा है कि सोनी जी के इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। सितंबर 2021 में इस विलय की घोषणा की गई थी, जिसका उद्देश्य 14,851 करोड़ रुपये की कंपनी बनाना था। इस विलय के बाद बनने वाली संयुक्त इकाई भारत की चौथी सबसे बड़ी मीडिया कंपनी होती, जो गूगल, मेटा और डिज्नी-स्टार के बाद आती
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बॉलीवुड में ऐसे बहुत से एक्टर और एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने बहुत संघर्ष के बाद दर्शकों के बीच अपना नाम बनाया है। इंडस्ट्री में ऐसे जाने कितने ही कलाकार हैं, जिन्होंने फिल्मों में आने से पहले पर्दे के पीछे काम किया और फिर बहुत संघर्ष के बाद अपना नाम बनाया। इसमें किसी ने असिस्टेंट डायरेक्टर तो किसी ने बैकग्राउंड डांसर के तरह पर्दे के पीछे काम किया । करण जौहर, वरुण धवन, सिद्धार्थ मल्होत्रा, रणबीर कपूर, शनाया कपूर,अर्जुन कपूर ने असिस्टेंट डायरेक्टर, तो शाहिद कपूर और दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने बैकग्राउंड डांसर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की इंडस्ट्री में ऐसा ही एक और कलाकार है, जिसने बॉलीवुड में बहुत सी हिट फिल्मों में काम किया है और इसने अपने करियर की शुरुआत बतौर बैकग्राउंड डांसर की। सोशल मीडिया पर इस एक्टर की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एक्टर जितेंद्र की फिल्म में बैकग्राउंड डांसर के तौर पर नजर आ रहे हैं। क्या आपने इस एक्टर को पहचाना? संजय दत्त के साथ जमी थी जोड़ी फोटो में जितेंद्र संग नजर आ रहे ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि मुन्नाभाई एमबीबीएस के 'सर्किट' यानी अरशद वारसी हैं। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में अरशद को काले और चमकदार कपड़ों में बैकग्राउंड डांसर के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन, इस दौरान अरशद इतने अलग लगते थे कि आज सिर्फ इस तस्वीर के माध्यम से उन्हें पहचान पाना लगभग नामुमकिन है। अरशद वारसी का कोई डाय हार्ड फैन ही होगा, जो उन्हें 'HElp Me' सॉन्ग में स्पॉट कर पाए। जितेंद्र की फिल्म के गाने में बतौर बैकग्राउंड डांसर काम किया फोटो में अरशद के सामने एक्टर जितेंद्र को दिख रहे हैं। इस फिल्म का नाम 'आग से खेलेंगे' जो साल 1989 में आई। इसी फिल्म के गाने 'हेल्प मी' में अरशद वारसी ने जितेंद्र के साथ बतौर बैकग्राउंड डांसर काम किया था। इस फिल्म के डायरेक्टर सुभाष घई हैं। अरशद वारसी ने बॉलीवुड में आने से पहले खूब संघर्ष किया था। मुन्नाभाई एमबीबीएस से मिली पहचान अरशद ने फिल्मों में आने से पहले छोटे-छोटे काम कर अपना गुजारा किया। गरीबी की वजह से ना तो वो अपनी पढ़ाई पूरी कर सके और ना ही घर चला पा रहे थे, ऐसे में उन्होंने फिल्मी दुनिया का रुख किया। अरशद ने संघर्ष के दिनों में फिल्मों में काम करना शुरू किया। इसके अलावा वह छोटी-मोटी जगहों पर डांस किया करते थे और फिर धीरे-धीरे वो फिल्मों में बैकग्राउंड डांसर कि तरह काम करने लगे। अरशद को 2003 में तब पहचान मिली जब उन्होंने राजकुमार हिरानी फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में मुन्ना भाई (संजय दत्त) के 'सर्किट' के रूप में अभिनय किया , जो बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई।
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जानी-मानी पत्रकार व ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की नेशनल पॉलिटिकल एडिटर व तिहाड़ जेल के पूर्व अधिकारी सुनील गुप्ता द्वारा लिखी गई किताब ‘Black Warrant: Confessions of a Tihar Jailer’ पर नेटफ्लिक्स इंडिया नए साल पर एक सीरीज शुरू करने जा रहा है। इस सीरीज का नाम भी ब्लैक वारंट’ रखा गया है। यह सीरीज 10 जनवरी को प्रीमियर होगी। इसे विक्रमादित्य मोटवानी और सत्यांशु सिंह ने निर्देशित किया है। यह सीरीज 1980 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित है और तिहाड़ जेल की वास्तविक घटनाओं का एक काल्पनिक प्रस्तुतीकरण है। इसमें जेल के अंदर के राजनीतिक संघर्ष, हाई-प्रोफाइल केस और जेल के भीतर की कड़वी सच्चाइयों को दिखाया जाएगा। प्रोडक्शन में अप्लॉज एंटरटेनमेंट और एंडोलन प्रोडक्शंस भी शामिल हैं। बता दें कि ‘ब्लैक वारंट’ किताब तिहाड़ जेल में सुनील गुप्ता के 35 वर्षों के अनुभवों का लेखा-जोखा है। अपने सुधारवादी दृष्टिकोण और कर्तव्यपरायणता के लिए पहचाने जाने वाले तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर सुनील गुप्ता ने जेल के अंदर की स्थितियों और सरकारी सिस्टम की खामियों को भी उजागर किया है। किताब में चार्ल्स शोभराज और अफजल गुरु जैसे हाई-प्रोफाइल कैदियों की स्टोरीज भी हैं, जो अपराध और सजा के पहलुओं को दर्शाती हैं। नेटफ्लिक्स द्वारा तैयार सीरीज में कहानी के केंद्र में सुनील कुमार गुप्ता को रखा गया है, जिनकी भूमिका जहान कपूर निभा रहे हैं। इसके अलावा राहुल भट्ट, परमवीर सिंह चीमा, अनुराग ठाकुर और सिद्धांत गुप्ता जैसे प्रमुख कलाकार भी इस सीरीज में नजर आएंगे। बताया जा रहा है कि ‘ब्लैक वारंट’ केवल एक जेल ड्रामा नहीं है, बल्कि यह भारतीय जेलों में मौजूद भ्रष्टाचार, शक्ति संतुलन और सामाजिक असमानताओं को भी उजागर करेगी। इसके साथ ही यह सीरीज दर्शकों को अपराध और सजा के अपने विचारों पर पुनर्विचार करने को मजबूर करेगी।
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देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शामिल ‘जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक लगने जा रहे कुंभ मेले की व्यापक कवरेज और इस आध्यात्मिक आयोजन की भव्यता का डिजिटल अनुभव प्रदान करने के लिए ‘जी कुंभ’ (Zee Kumbh) नाम से यूट्यूब चैनल लॉन्च किया है। ‘जी मीडिया’ के अनुसार, यह ऐतिहासिक पहल पहली बार इस पवित्र महोत्सव को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास है। इस चैनल के माध्यम से दर्शक महाकुंभ के समृद्ध अनुष्ठानों, सांस्कृतिक परंपराओं और गहन आध्यात्मिकता का अनुभव कई भारतीय भाषाओं में कर सकेंगे। इस क्रम में ‘जी कुंभ’ चैनल एक अद्वितीय डिजिटल अनुभव प्रदान करेगा, जिसमें शाही स्नान जैसे प्रमुख हिंदू अनुष्ठानों की लाइव स्ट्रीमिंग होगी। इसके अलावा, चैनल पर सांस्कृतिक पहलुओं की गहन खोज, प्रसिद्ध संतों के आध्यात्मिक प्रवचन और तीर्थयात्रियों की भक्ति से भरी कहानियां भी दिखाई जाएंगी। इसके साथ ही, महाकुंभ के दौरान जुलूसों, मुख्य आयोजनों और उत्सवों की ताजा जानकारी भी मिलेगी। इस विविध और समृद्ध कंटेंट के माध्यम से, यह चैनल महाकुंभ की आध्यात्मिक ऊर्जा को दुनिया भर में साझा करेगा और इस पवित्र आयोजन से गहरी जुड़ाव की भावना पैदा करेगा। इस बारे में ‘जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ के सीईओ करण अभिषेक का कहना है, ‘एक अग्रणी मीडिया संगठन के रूप में जी मीडिया के लिए यह गर्व की बात है कि वह महाकुंभ को भारत और दुनिया भर के दर्शकों के करीब ला रहा है। व्यापक कवरेज और डिजिटल-फर्स्ट विजन के माध्यम से, हम इस आयोजन की पवित्रता को संरक्षित करते हुए दर्शकों को इस महोत्सव का समृद्ध अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ वहीं, ‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा का कहना है, ‘महाकुंभ एक गहन आध्यात्मिक आयोजन है, जो समय और सीमाओं को पार कर लाखों लोगों को आस्था, भक्ति और परंपरा में एक साथ लाता है। अच्छी स्टोरीटैलिंग, उन्नत टेक्नोलॉजी और उत्कृष्ट कंटेंट के माध्यम से हम महाकुंभ की पवित्रता, विशालता और भावना को दर्शकों को परोसने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हर दर्शक, चाहे वह घर पर हों या विदेश में, इस पवित्र यात्रा के सार से गहराई से जुड़ाव महसूस करें।’ बता दें कि हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ, दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है। यह हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित है और आस्था व एकता की गहन अभिव्यक्ति है। यह आयोजन संन्यासियों, साधुओं, साध्वियों, कल्पवासियों और लाखों तीर्थयात्रियों को एक साथ लाता है।
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‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) के नए मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) गौरव बनर्जी ने पदभार संभालने के बाद करीब तीन महीने में ही कई बड़े और अहम फैसले लिए हैं। इस दौरान सोनी टीवी की कंटेंट स्ट्रैटेजी में बदलाव करके व्युअरशिप (दर्शकों की संख्या) बढ़ाने से लेकर 2024-2031 के लिए ‘एशियन क्रिकेट काउंसिल’ (एसीसी) के मीडिया राइट्स हासिल करने तक उन्होंने कई साहसिक और रणनीतिक कदम उठाए हैं। ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ का नेतृत्व संभालने के बाद मीडिया' को दिए अपने पहले इंटरव्यू में गौरव बनर्जी ने एसीसी डील और नेटवर्क की भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश: सबसे पहले तो तीन महीने के सफल कार्यकाल के लिए आपको बधाई। आपके लिए इस सफर में क्या खास बिंदु रहे? बहुत-बहुत धन्यवाद! यह अनुभव काफी रोमांचक रहा। शुरुआती कुछ हफ्ते मैंने अपनी टीम के साथ समय बिताकर उनकी बातें सुनीं कि क्या चीज़ उन्हें भविष्य को लेकर उत्साहित करती है और किन चीजों को लेकर उनकी चिंताएं हैं। उसके बाद हमने यह तय करना शुरू किया कि हमें आगे कहां जाना है। हमने कुछ शुरुआती सफलता भी हासिल की है, जो हमारे आत्मविश्वास को और बढ़ाती है। आपने हाल ही में 2024 से 2031 तक के सभी एसीसी टूर्नामेंट्स के एक्सक्लूसिव मीडिया राइट्स हासिल किए हैं। यह स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है। भारत में सोनी अपने खेल प्रसारण को कैसे विविध बनाएगा और इस विस्तार के दीर्घकालिक लक्ष्य क्या हैं? सोनी ने भारत की स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री में हमेशा मजबूत भूमिका निभाई है। हम सोनी की मुख्य क्षमताओं को बरकरार रखते हुए चुनिंदा और समझदारी भरे निवेश करेंगे। हमारा उद्देश्य उन खेलों में निवेश करना है, जिन्हें हम इनोवेटिव प्रोडक्ट्स के जरिए विकसित कर सकते हैं, जो प्रशंसकों के लिए आकर्षक हों। सोनी ने ‘एक्स्ट्रा इनिंग्स’ जैसे इनोवेटिव कॉन्सेप्ट्स की शुरुआत की, जो हमारी ब्रैंड आइडेंटिटी का अभिन्न हिस्सा हैं। 360-डिग्री कवरेज, प्रीमियम कंटेंट और प्रभावी मार्केटिंग में हमारे स्ट्रैटेजिक निवेश हमारी सफलता के मुख्य कारण रहे हैं। हमारा लक्ष्य इन सिद्धांतों को हर खेल में लागू करना है। खासकर क्रिकेट, जो प्रमुख इवेंट्स के जरिए कई रोमांचक अवसर प्रदान करता है। आगामी भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ और T20 एशिया कप हमें सोनी की एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स क्षमताओं को दिखाने का शानदार मौका देंगे। सोनी द्वारा एसीसी के मीडिया राइट्स हासिल करने में भारी निवेश किया गया है। इन प्रॉपर्टीज से अधिकतम लाभ उठाने, प्रीमियम ब्रैंड्स को आकर्षित करने और निवेश पर मजबूत रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए क्या स्ट्रैटेजी है? हम इस पहल को लेकर बड़ी योजनाएं बना रहे हैं, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करता है। मुख्य प्रश्न यह है कि हम एक व्यापक पैकेज कैसे तैयार कर सकते हैं, जो ब्रैंड्स को हमारे साथ साझेदारी के लिए प्रेरित करे। इसके लिए हमें इनोवेशन से भरपूर दृष्टिकोण अपनाना होगा और अगले कुछ महीनों में इसे ध्यानपूर्वक तैयार करना होगा। सौभाग्य से, हमारे पास समय है। अगर हम इसे सही तरीके से लागू करते हैं, तो यह पहल हमारे टॉप लाइन में बड़ा योगदान दे सकती है। इन निवेशों के पीछे हमारा विश्वास है कि ब्रैंडिंग और स्पोर्ट्स में अपने अनुभव के साथ हम बहुत ज्यादा व्यूअरशिप नंबर हासिल कर सकते हैं। क्रिकेट का दायरा सही तरीके से पेश करने पर खास होता है, और हम इसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल करना चाहते हैं। ACC के मीडिया राइट्स में भारत-पाकिस्तान मैच जैसे हाई-प्रोफाइल मुकाबले शामिल हैं। इन खास मैचों से व्युअरशिप, लोगों का जुड़ाव और ज्यादा से ज्यादा ऐडवर्टाइजिंग रेवेन्यू जुटाने के लिए सोनी की योजना क्या है? पिछले दो वर्षों के आंकड़ों को देखें तो भारत-पाकिस्तान मैचों के अलावा सबसे ज्यादा रेटिंग्स भारत के ग्लोबल टूर्नामेंट फाइनल्स से आती हैं। उपभोक्ता दृष्टिकोण से देखें तो इन मैचों की मांग शानदार है और डेटा से इसे आसानी से समझा जा सकता है। हमारी ज़िम्मेदारी है कि प्रशंसकों को इन आयोजनों के बारे में पूरी तरह से जागरूक किया जाए और उनका उत्साह बढ़ाया जाए। इसके अलावा, नए खिलाड़ियों का उदय और मैच-अप्स दर्शकों को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, यह पहली बार हो सकता है कि यशस्वी जयसवाल जैसे नए सितारे शाहीन अफरीदी के खिलाफ खेलें। इस ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता की यही खूबी है। एक क्रिकेट प्रशंसक के रूप में, मेरी सबसे अच्छी यादें कुछ ऐतिहासिक मुकाबलों से जुड़ी हैं। जैसे, सचिन तेंदुलकर बनाम वसीम अकरम और वकार यूनिस, सुनील गावस्कर बनाम इमरान खान और हाल ही में विराट कोहली बनाम हारिस रऊफ। ऐसे मैच-अप्स प्रशंसकों को सबसे ज्यादा रोमांचित करते हैं। सही खिलाड़ियों और मुकाबलों की पहचान करना दर्शकों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हम थोड़े समय के अंतराल के बाद एलीट क्रिकेट प्रसारण में लौट रहे हैं, जिससे सोनी की पूरी टीम बेहद उत्साहित है। व्यक्तिगत रूप से, यह मेरे लिए भी पहला मौका है। मैं आशावादी हूं कि हम कुछ नए और इनोवेटिव विचार लेकर आएंगे, जो प्रशंसकों के अनुभव को बढ़ाएंगे और इसे अविस्मरणीय बनाएंगे। यह डील 2031 तक जारी रहेगी। एसीसी डील के साथ सोनी के दीर्घकालिक लक्ष्य और लाभ क्या हैं? हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने पार्टनर्स और दर्शकों को यह दिखा सकें कि क्रिकेट हमारे टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म दोनों का अभिन्न हिस्सा है। इस डील के जरिए हम इसे पूरी मजबूती के साथ साबित कर सकते हैं। हमने अब इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, श्रीलंका और एसीसी के क्रिकेट राइट्स हासिल किए हैं, जिससे हम अगले आठ वर्षों तक भारतीय टीम के बड़े क्रिकेट इवेंट्स का प्रसारण कर सकते हैं। यह निरंतरता इस डील की एक बड़ी उपलब्धि है, और हम इससे बेहद संतुष्ट हैं। हमारा लक्ष्य ऐसा नेटवर्क बनना है, जहां क्रिकेट के सबसे प्रतिष्ठित और रोमांचक पल बनते और दिखाए जाते हैं। भारत-पाकिस्तान मैच एक बड़ी खासियत है, लेकिन हम अन्य प्रतिद्वंद्विताओं को लेकर भी उत्साहित हैं, जैसे बांग्लादेश और उभरती हुई पावरहाउस टीम अफगानिस्तान। ये मैच और खिलाड़ी क्रिकेट प्रशंसकों के लिए बेहद आकर्षक हैं और हम इन रोमांचक क्षणों को जीवंत बनाने का प्रयास करेंगे। क्या क्रिकेट के अलावा अन्य स्पोर्ट्स कैटेगरी में विस्तार की योजना है? क्रिकेट के अलावा हमारा यूरोपीय फुटबॉल में मजबूत स्थान है। हमने हाल ही में यूरो चैंपियनशिप का आयोजन किया था। इसके साथ ही, हम तीन ग्रैंड स्लैम टेनिस टूर्नामेंट्स का भी सफलतापूर्वक प्रसारण करते हैं। ये क्षेत्र पहले से ही हमारी ताकत हैं और हम भविष्य में अपने खेल पोर्टफोलियो को और बढ़ाने के अवसर तलाशते रहेंगे। एसीसी डील से जुड़ी सोनी के खेल पहल की चर्चा हो रही है। इसके अलावा नेटवर्क एंटरटेनमेंट पर कैसे ध्यान दे रहा है? सोनी के एंटरटेनमेंट पोर्टफोलियो को आकार देने वाले प्रमुख विकास या पहल कौन सी हैं? पिछले चार-पांच महीनों में हमने अपने चैनल की ग्रोथ 60 प्रतिशत से अधिक दर्ज की है। मुझे विश्वास है कि हम इस ग्रोथ को और बढ़ा सकते हैं। इसका एक प्रमुख कारण है सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का मुख्य पहचान पर कायम रहना। यह चैनल अपने अलग तरह के कंटेंट और देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित नॉन-फिक्शन ब्रैंड्स के लिए जाना जाता है। इस साल की सफलता में कौन बनेगा करोड़पति (KBC) और इंडियन आइडल का बड़ा योगदान रहा है। इंडियन आइडल ने 1.5 TVR के साथ डेब्यू किया और उस हफ्ते हिंदी का नंबर वन नॉन-फिक्शन शो बन गया। इस सीज़न का प्रदर्शन पिछले सीज़न की तुलना में काफी बेहतर है। इस बार हमारा ध्यान केवल उच्च गुणवत्ता वाली गायन प्रतिभा को सामने लाने पर रहा। इस दृष्टिकोण को दर्शकों ने काफी पसंद किया है और मुझे व्यक्तिगत रूप से इस दिशा में उठाए गए कदमों पर गर्व है। इस सफलता का श्रेय हमारी टीम और पार्टनर्स को जाता है, जिन्होंने शानदार काम किया है। मेरी यही गुजारिश होगी कि आप इंडियन आइडल और हमारे एंटरटेनमेंट पोर्टफोलियो में हो रहे व्यापक विकास पर नजर बनाए रखें। ‘सीआईडी’ (CID) शो की वापसी को लेकर काफी चर्चा है। इसे वापस लाने को लेकर आप कितने उत्साहित हैं? यह हमारे लिए बेहद गर्व का विषय है, खासकर जब यह छह साल के अंतराल के बाद वापस आ रहा है। पहले और दूसरे प्रोमो को लेकर मिली प्रतिक्रिया जबरदस्त रही है। जब हमारे प्रतिष्ठित निर्माता बीपी सिंह ने पहला शॉट लिया तो हर किसी को रोंगटे खड़े हो गए। यह रिवाइवल खास है, क्योंकि इसमें ओरिजिनल क्रिएटर्स और कास्ट वापस आ रहे हैं। यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसे लेकर हम बेहद उत्साहित हैं और इसे दर्शकों तक पहुंचाने का हमें बेसब्री से इंतजार है। तीन महीनों में आपने सोनी की रेटिंग्स में सुधार के लिए कई बड़े बदलाव किए हैं। अगले साल के लिए आपकी मुख्य प्राथमिकताएं क्या होंगी? हमारे पास आगे बढ़ने का लंबा रास्ता है, और हमें भविष्य को लेकर काफी उत्साह है। हम अपने हर बिजनेस क्षेत्र में क्रिएटिविटी का उपयोग करना चाहते हैं। सोनी एक शक्तिशाली ब्रैंड है और इसे नवाचार का नेतृत्व करना चाहिए। हम भारत की आज की कहानी को दर्शाने वाली दमदार कहानियां सुनाना चाहते हैं। यह रचनात्मक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से हमारे सभी पार्टनर्स के लिए एक रोमांचक स्थान होगा।
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दिल्ली पुलिस ने संसद परिसर धक्का-मुक्की केस क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया है। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ 6 धाराओं में FIR हुई थी। गुरुवार सुबह संसद परिसर में मकर द्वार पर इंडिया ब्लॉक और भाजपा सांसद प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान दोनों पक्षों के सांसद आमने-सामने आ गए और धक्का-मुक्की हुई। अब वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर एक सवाल पूछा है ! उन्होंने एक्स पर लिखा, ऐसी दुनिया में जहां कैमरे से छिपने के लिए वस्तुतः कोई जगह नहीं है, मुख्य संसद द्वार पर जो कुछ हुआ उसका कोई वीडियो या सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक डोमेन में क्यों नहीं डाला गया, खासकर तब जब दिल्ली पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज की है। कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष पर गंभीर आरोप है। दूध का दूध, पानी का पानी वीडियो से हो जायेगा। या फिर एक बार समाचार की जगह शोर ले लेगा? आपको बता दें, लोकसभा सत्र की शुरूआत के साथ ही कांग्रेस मकर द्वार के पास अलग-अलग तरीकों से विरोध प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन कल हुई घटना के बाद अब यहां विरोध प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई है। फिलहाल लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
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बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) को म्यूचुअल फंड्स के विज्ञापनों की अनुमति वापस ले। यह याचिका एक चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा दायर की गई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 18 दिसंबर को याचिका स्वीकार करते हुए SEBI और AMFI को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि AMFI बिना किसी ठोस आधार के "म्यूचुअल फंड्स सही हैं" का प्रचार कर रही है। याचिका में कहा गया है कि ये विज्ञापन “पूरी तरह भ्रामक हैं और केवल सकारात्मक पहलुओं पर चयनात्मक और विकृत जोर देते हैं।” मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, याचिका में कहा गया है, “AMFI द्वारा प्रसारित किए जा रहे विज्ञापनों में निवेशकों को शिक्षित करने या जागरूक करने का कोई तत्व नहीं है। इन विज्ञापनों में म्यूचुअल फंड्स की विशेषताओं, उनकी सीमाओं और बाधाओं का उल्लेख नहीं किया गया है। बल्कि, केवल ‘म्यूचुअल फंड्स सही हैं (सही है)’ का जोरदार प्रचार किया जा रहा है, और वह भी एक छोटे से अस्पष्ट डिस्क्लेमर के साथ।” याचिकाकर्ता ने आगे कहा है कि इस प्रकार के प्रचार व्यावसायिक प्रकृति के हैं और केवल AMFI के सदस्यों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। इसमें निवेशकों की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा SEBI और AMFI को नोटिस जारी किए जाने के बाद अब इस मामले पर अगली सुनवाई का इंतजार है। इस याचिका ने म्यूचुअल फंड्स के प्रचार और निवेशकों के अधिकारों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
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पिछले सप्ताह प्रमुख मीडिया कंपनियों के शेयरों में महत्वपूर्ण अस्थिरता देखने को मिली, जो बाजार की बदलती भावनाओं और कंपनी-विशिष्ट घटनाओं का परिणाम था। कुछ कंपनियों के शेयरों ने सप्ताह के अंत तक सुधार किया, जबकि अन्य में तेज गिरावट दर्ज की गई। यह अस्थिरता मीडिया उद्योग की विविधता और गतिशीलता को उजागर करती है। नेटवर्क18 नेटवर्क18 के शेयरों ने सप्ताह में स्थिरता दिखाई। यह ₹75.21 पर खुला और अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद, गुरुवार तक ₹70.10 तक गिर गया। हालांकि, शुक्रवार को शेयरों ने मजबूत वापसी की और ₹73.49 तक पहुंच गए, अंततः सप्ताह का समापन ₹74.10 पर हुआ। ZEEL जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने सप्ताह की शुरुआत सकारात्मक रूप से की। इसके शेयर ₹135.80 पर खुले और सोमवार को ₹137.74 तक पहुंच गए। हालांकि, पूरे सप्ताह में लगातार गिरावट आई और शुक्रवार को शेयर ₹125 के स्तर पर बंद हुए। यह गिरावट निवेशकों के मनोबल में बदलाव या उद्योग में संभावित परिवर्तनों का संकेत हो सकती है। ZMCL जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ZMCL) के शेयरों में अपेक्षाकृत कम उतार-चढ़ाव रहा। यह ₹19.77 पर खुला और मंगलवार को ₹19.80 के उच्चतम स्तर तक पहुंचा। हालांकि, शुक्रवार तक यह ₹18.22 के निम्नतम स्तर पर गिर गया, और समापन ₹18.70 पर हुआ। यह मामूली सुधार बाजार में धीमी गति को दर्शाता है। टीवी टुडे टीवी टुडे के शेयर ₹206.21 पर खुले और मंगलवार को ₹213.14 के उच्चतम स्तर पर पहुंचे। हालांकि, उसी दिन यह ₹206.40 पर वापस आ गए। गुरुवार को शेयर ₹203.06 के निम्नतम स्तर तक गिरने के बाद, सप्ताह का समापन ₹206.99 पर हुआ, जो मध्य-सप्ताह की अस्थिरता के बाद स्थिरता की ओर इशारा करता है। NDTV NDTV के शेयरों में लगातार गिरावट आई। यह ₹172.14 पर खुले और सोमवार को ₹173.45 तक पहुंचे, लेकिन इसके बाद गिरावट जारी रही और शुक्रवार को ₹162.80 पर बंद हुए। यह गिरावट निवेशकों के बीच सतर्कता या कंपनी पर बाहरी दबाव का संकेत हो सकती है। जागरण प्रकाशन जागरण प्रकाशन के शेयर ₹86.94 पर खुले और सोमवार को ₹87.21 के उच्चतम स्तर पर पहुंचे। हालांकि, गुरुवार तक यह ₹83.50 तक गिर गए। फिर भी, यह गिरावट सीमित रही, जिससे सप्ताह की कुल अस्थिरता कम रही। HT मीडिया HT मीडिया के शेयर ₹24.53 पर खुले और सप्ताह के मध्य में ₹25.61 तक पहुंचे। हालांकि, शुक्रवार को शेयर ₹23.29 पर बंद हुए, जो मध्य-सप्ताह की बढ़त के बावजूद अस्थिरता को दर्शाता है। इस सप्ताह की अस्थिरता न केवल इन मीडिया कंपनियों के संचालन पर निवेशकों की भावनाओं को दर्शाती है, बल्कि यह उद्योग में व्यापक परिवर्तनों की ओर भी संकेत करती है।
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दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) ने उन ब्रॉडकास्टर्स को राहत देने से इनकार कर दिया है, जिन्होंने दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के डीडी फ्री डिश पर पेड चैनलों से संबंधित टैरिफ नियम को चुनौती दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, TDSAT ने ब्रॉडकास्टर्स को दो हफ्तों के भीतर नया रेफरेंस इंटरकनेक्ट ऑफर (RIO) दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश TDSAT की एक पीठ द्वारा दिया गया, जिसमें अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी. एन. पटेल और सदस्य सुबोध कुमार गुप्ता शामिल थे। इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी 2025 को निर्धारित की गई है। इस मामले में याचिका इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) द्वारा दायर की गई थी। इसके साथ ही डायरेक्ट-टू-होम (DTH) ऑपरेटर जैसे टाटा प्ले, भारती टेलीमीडिया व डिश टीवी और ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) भी इस मामले में पक्षकार बन गए हैं। TRAI के जिस नियम को लेकर विवाद है, उसके अनुसार प्रसार भारती के फ्री डीटीएच प्लेटफॉर्म डीडी फ्री डिश पर दिखाए जाने वाले फ्री-टू-एयर (FTA) चैनलों को हैथवे केबल और टाटा प्ले जैसे प्लेटफॉर्म पर पेड चैनल नहीं घोषित किया जा सकता। IBDF ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि डीडी फ्री डिश को अन्य डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (DPOs) के समकक्ष नहीं रखा जा सकता, क्योंकि इसके लिए किसी सब्सक्रिप्शन शुल्क की आवश्यकता नहीं होती। याचिका में यह भी कहा गया है कि TRAI का यह नियम चैनलों की पहुंच को सीमित कर सकता है।
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देश में टेलिविजन ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधित्व वाले प्रमुख संगठन ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन‘ (IBDF) की 25वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) 20 दिसंबर को नई दिल्ली में हुई। हाल ही में फाउंडेशन के प्रेजिडेंट के. माधवन द्वारा इस्तीफा देने के बाद बैठक की अध्यक्षता ‘इंडिया टीवी’ (India TV) के चेयरमैन और IBDF के वाइस प्रेजिडेंट रजत शर्मा ने की। वार्षिक आम बैठक के दौरान गौरव द्विवेदी (प्रसार भारती), अरुण पुरी (इंडिया टुडे) और जयंत एम मैथ्यू (एमएमटीवी) को भी इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन के बोर्ड में शामिल करने की घोषणा की गई। इनके अलावा रजत शर्मा (इंडिया टीवी), आई. वेंकट (ईनाडु टीवी), केविन वज (जियोस्टार), आर. महेश कुमार (सन नेटवर्क), गौरव बैनर्जी (कल्वर मैक्स), नचिकेत पंतवैद्य (बांग्ला एंटरटेनमेंट), पुनीत गोयनका (जी मीडिया) और आशीष सहगल (जी एंटरटेनमेंट) को बोर्ड मेंबर्स के तौर पर शामिल किया गया है। वार्षिक आम बैठक के बाद IBDF के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक आयोजित की गई, जिसमें सुमंतो बोस (जियोस्टार) और जॉन ब्रिटास (कायराली टीवी) को बोर्ड में शामिल किया गया। इसके साथ ही बोर्ड ने नए पदाधिकारियों का चुनाव भी किया, जिनमें केविन वज को प्रेजिडेंट, रजत शर्मा, गौरव बैनर्जी व आर. महेश कुमार को वाइस प्रेजिडेंट और आई. वेंकट को कोषाध्यक्ष चुना गया।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा के खिलाफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीक के माध्यम से तैयार की गए सभी कंटेंट को हटाने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अमित बंसल द्वारा पारित किया गया। अंतरिम आदेश पर अदालत का फैसला यह अंतरिम आदेश रजत शर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ज्ञात और अज्ञात व्यक्ति उनके नाम, छवि, फोटो, वीडियो और अन्य पहचान व प्रचार अधिकारों का दुरुपयोग और उल्लंघन कर रहे हैं। शर्मा ने यह भी कहा कि इस मामले में उनके पंजीकृत ट्रेडमार्क का भी उल्लंघन किया जा रहा है। याचिका में लगाए गए आरोप याचिका में रजत शर्मा ने कहा कि विवादित कंटेंट को प्रचारित किया जा रहा है ताकि मधुमेह, प्रोस्टेट की समस्या और जोड़ों के दर्द के लिए कथित दवाओं को बढ़ावा दिया जा सके। इन दवाओं को कुछ प्रतिष्ठित डॉक्टरों द्वारा तैयार किया गया बताया गया है या इसे सरकार द्वारा प्रमाणित दावा किया गया है। इसके साथ ही, यह सामग्री शर्मा के स्वास्थ्य सुझावों के रूप में प्रचारित की जा रही है, जिसमें अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व जैसे अमिताभ बच्चन और डॉ. नरेश त्रेहन के नाम भी जोड़े गए हैं। यह सब उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव का डर रजत शर्मा ने कहा कि उनके नाम और छवि का इस तरह दुरुपयोग लोगों को गलत स्वास्थ्य संबंधी दावों की ओर प्रेरित कर सकता है, जिससे कई व्यक्तियों की सेहत और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। यह झूठे दावों को बढ़ावा देकर गंभीर नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है। स्थायी रोक की मांग रजत शर्मा की याचिका में उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है। दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश फर्जी सामग्री और झूठे दावों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत देता है, जो डिजिटल युग में पहचान और प्रचार अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
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संसद में 'भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' पर चली चर्चा पर जवाब देने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भीमराव आंबेडकर पर की गई एक टिप्पणी को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बना दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार सौरव शर्मा ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, गृह मंत्री अमित शाह ने अंबेडकर पर कुछ भी ग़लत नहीं कहा,अपमान की बात तो दूर है।कांग्रेस के नेताओं को भी कल जब अमित शाह भाषण दे रहे थे तब कुछ ग़लत दिखायी नहीं दिया, खड़गे जी तो ख़ुद सामने बैठ कर ही सुन रहे थे, कोई प्रोटेस्ट नहीं हुआ उस वक्त, ये तो बाद में उन्हें समझ आया की अरे इस भाषण को तो ऐसे भी घुमाया जा सकता है। राजनीति के हथकंडे हैं और कुछ नहीं। आपको बता दें, कांग्रेस ने जो कुछ सेकंड की क्लिप निकालकर अमित शाह पर आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया है, उसमें उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है, अभी एक फैशन हो गया है, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। वहीं बीजेपी ने साफ किया है कि कांग्रेस ने वीडियो के एक हिस्से को काटकर बयान को तोड़ा-मरोड़ा है, जबकि पूरे भाषण में उस टिप्पणी का मतलब यह नहीं था।
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केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया को बताया कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म को विनियमित करना सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब दूरसंचार विभाग (DoT) दूरसंचार ऑपरेटर्स के अनुरोधों की जांच कर रहा है, जिन्होंने मंत्रालय से अपील की है कि वह OTT प्लेटफॉर्म्स को उनके साथ बुनियादी ढांचे की लागत साझा करने के लिए बाध्य करें। केंद्रीय संचार मंत्री ने कहा कि उनके द्वारा गठित छह सलाहकार समूहों में से एक ने इस मुद्दे को उठाया है, जिसमें दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के दृष्टिकोण से चिंताओं को उजागर किया गया है।वही, ऑपरेटर्स का कहना है कि डेटा खपत की वृद्धि के मुकाबले दूरसंचार बुनियादी ढांचे का विस्तार अपेक्षित गति से नहीं हुआ है। इन प्लेटफॉर्म्स ने इस थोपे गए नियम का विरोध किया है और कहा है कि टेलीकॉम सेक्टर के लिए बनाए गए ऐसे नियम OTT में इनोवेशन को बाधित करेंगे और उन्हें उपभोक्ताओं से उन सेवाओं के लिए शुल्क लेने पर मजबूर कर देंगे, जो पहले मुफ्त में उपलब्ध थीं। सिंधिया ने एक समर्पित मैन्युफैक्चरिंग जोन स्थापित करने का समर्थन भी किया है, जहां दूरसंचार उपकरण बनाए जा सकें। उन्होंने कहा कि BSNL को पुनर्जीवित करने और 4G के विस्तार को बढ़ावा देने के बाद यह DoT की प्राथमिकता होगी।
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने विजय दिवस (16 दिसंबर 1971) के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट की निंदा करते हुए कहा कि भारत इस जीत में केवल एक सहयोगी था, इससे ज्यादा कुछ नहीं। इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर इस रवैये पर हैरानी जताई। उन्होंने एक्स पर लिखा, इतिहास कैसे तोड़ा-मरोड़ा जाता है यह 16 दिसंबर को मनाए गए विजय दिवस से पता चलता है।बांग्लादेश की अंतरिम सरकार 1971 की जीत में भारत के योगदान को झुठला रही है। यह तो हाल का इतिहास है। जरा सोचिए ! जो घटना घटित होते पूरी दुनिया ने देखी उसे ही सिरे से नकारा जा रहा है, तो फिर हमारे एक हज़ार साल के इतिहास को कैसे तहस-नहस किया गया होगा। आपको बता दें, 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किए जाने की याद में प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है। पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक जीत में भारतीय सैनिकों के योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक पोस्ट की थी।
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जैसे-जैसे अखबारों और पत्रिकाओं की भौतिक प्रतियों के पाठकों की संख्या घटती जा रही है, वैसे-वैसे दुनिया भर के प्रकाशनों को अपने व्यवसाय मॉडल में बदलाव करना पड़ रहा है, क्योंकि डिजिटल और वीडियो ने सुर्खियाँ बटोरी हैं। अब जब उपभोक्ता ऑडियो की ओर आकर्षित हो रहे हैं, तो चेन्नई स्थित मीडिया हाउस विकटन ने हाल ही में विकटन ऐप पर विकटन प्ले लॉन्च करके पॉडकास्ट का रास्ता अपनाया है। इस पहल का उद्देश्य उन दर्शकों को आकर्षित करना था जिनके पास पढ़ने के लिए समय नहीं था, लेकिन वे पॉडकास्ट सुन रहे थे। विकटन ग्रुप के प्रबंध निदेशक श्रीनिवासन बी कहते हैं, "विकटन प्ले का जन्म सुविधा और प्रौद्योगिकी के मेल से हुआ है। ऑडियो प्रारूप पिछले कुछ समय से मेरे लिए एक आकर्षक विषय रहा है, और हम लिखित शब्द को ऑडियो प्रारूप में लाने पर काम कर रहे हैं।" हालाँकि, यह कहना जितना आसान था, करना उतना ही मुश्किल था। पत्रिका को पेशेवर रूप से पढ़वाना एक महंगा प्रस्ताव था और Google टेक्स्ट टू स्पीच का उपयोग करने से स्वचालित आवाज़ आती थी जो सुखद अनुभव नहीं था। इन प्रयोगों के बाद, विकटन की तकनीकी टीम ने एक AI सक्षम आवाज़ को संश्लेषित करने का एक तरीका खोजा जो पत्रिका को पढ़ सकती थी और इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। श्रीनिवासन कहते हैं, "हमें आदर्श रूप से विकटन प्ले को पत्रिका के लिए Spotify बनाना चाहिए जहाँ प्लेलिस्ट को क्यूरेट किया जा सके। उपयोगकर्ताओं को भी अपनी खुद की प्लेलिस्ट बनानी चाहिए जिसे फिर उनके सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर साझा किया जा सके। हम तब अपने दर्शकों के साथ सामाजिक रूप से बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं। हालाँकि, यह अभी भी प्रगति पर है।" 98 वर्षों की समृद्ध विरासत के साथ, विकटन विभिन्न विधाओं में सात पत्रिकाएँ प्रकाशित करता है। इस संग्रह ने इसकी अभिलेखीय सामग्री में गहराई से उतरने का अवसर प्रदान किया। शुरुआत करते हुए, विकटन ने अपनी लोकप्रिय पत्रिका श्रृंखला, कोट्टईपुरथु वीडू को एक ऑडियो श्रृंखला में बदल दिया। श्रीनिवासन कहते हैं, "हमने कुछ मौलिक सामग्री, संश्लेषित सामग्री पेश की है और फिर हमारे पास हमारे अभिलेखागार हैं जो मुझे लगता है कि चीजों को आगे बढ़ाएँगे। हम दर्शकों से एक भावना जानने की कोशिश कर रहे हैं और उनसे पूछ रहे हैं कि वे क्या सुनना पसंद करेंगे।" वे आगे कहते हैं, "हमारा मानना है कि हम उस चरण में हैं जहाँ हम प्रिंट फ़र्स्ट प्लेयर से ऑडियो फ़र्स्ट प्लेयर बनना चाहते हैं। हम वीडियो से एक कदम पीछे हट रहे हैं, इसका कारण यह है कि जब आप सुनते हैं, तो आपकी कल्पनाएँ जंगली हो सकती हैं, ठीक वैसे ही जैसे जब आप पढ़ते हैं। हमारा मानना है कि यह आपकी इंद्रियों को उड़ा सकता है। हम उस क्षेत्र में रहना चाहेंगे।" शुरुआती प्रतिक्रिया "बेहद उत्साहजनक" रही है, और लॉन्च के बाद से पिछले तीन हफ़्तों में विकटन प्ले को करीब 100,000 लोगों ने सुना है। वर्तमान में, हर बार सुनने में औसतन 3:00 से 3:30 का समय लगता है, जबकि औसत उपयोगकर्ता महीने में लगभग 4 से 5 बार वापस आता है। चूंकि अभी शुरुआती दिन हैं, इसलिए विकटन अभी भी मुख्य डेटा बिंदुओं को ठीक करने और समझने की प्रक्रिया में है, जैसे कि दर्शक कौन सी सामग्री सुन रहे हैं, कब, कितना और कितनी बार आदि। विकटन ने अपने पाठकों को विकटन प्ले का नमूना देने के लिए भी संदेश देना शुरू कर दिया है। वे कहते हैं, “अगर हमें यह उछाल मिलता है, तो यह किसी बड़ी चीज़ की शुरुआत है। कुछ मिलियन तमिलों तक पहुँचने के बजाय, जो अपना समय पढ़ने में बिताते हैं, मैं अपने 70 मिलियन तमिलों के पूरे दर्शकों तक क्यों नहीं पहुँच सकता जो सुन सकते हैं। एनआरआई भी हमारे लिए बहुत बड़ा आकर्षण हैं।” विकटन सिर्फ़ तमिल दर्शकों को ही नहीं देख रहा है, बल्कि इसे और आगे बढ़ाने की भी योजना बना रहा है। हालाँकि शुरुआती योजना विकटन की इन-हाउस सामग्री पर ध्यान केंद्रित करने की है, अगला कदम तमिल में विभिन्न शैलियों में सामग्री को एकत्रित करना है, उसके बाद कई भाषाओं में सामग्री को शामिल करना है। वे कहते हैं, “हम इसे दर्शकों और भाषा से आगे बढ़ने के लिए एक मंच के रूप में उपयोग करना चाहते हैं। हम इसे एक ऐसा मंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं जहाँ आप अच्छी, क्यूरेटेड, गुणवत्तापूर्ण सामग्री सुन सकें जो अच्छी तरह से पढ़ी और निर्मित हो।” मुद्रीकरण की बात करें तो, शुरुआती फोकस सैंपलिंग की ओर ले जाने वाले उत्साह को पैदा करने पर है और फिर AVOD मार्ग पर चलते हुए SVOD को एक अंतर्निहित अवसर के रूप में बनाए रखना है। ब्रांड और विज्ञापनदाताओं के ऑडियो कंटेंट की ओर आकर्षित होने के साथ, विकटन ने पहले महीने में ही कुछ विज्ञापनदाताओं के साथ रुचि देखी है। श्रीनिवासन कहते हैं, "हम ऑडियो के शुरुआती खिलाड़ियों में से हैं और हमें विश्वास है कि हम पर्याप्त विज्ञापन प्राप्त करने में सक्षम होंगे। अभी, हमने इस प्रायोगिक चरण में विज्ञापनदाताओं को प्रतिबंधित कर रखा है और विज्ञापनदाताओं को इसमें शामिल नहीं करना चाहते हैं। हम अपने दर्शकों, उनके व्यवहार और मैट्रिक्स को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, कुछ विज्ञापनदाता इस यात्रा का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं और इसमें शामिल हो गए हैं। हम उनके लिए विशेष रूप से कंटेंट बना रहे हैं और इसे विकटन प्ले पर होस्ट कर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "अभी मैं विकटन के हर एक उपयोगकर्ता को देखना चाहता हूँ जो कि लगभग 9 से 10 मिलियन मासिक सक्रिय यूनिक हैं, वे विकटन प्ले को उतना ही सुनें जितना वे विकटन पढ़ते हैं। मैं प्रति सुनने का समय और सुनने की संख्या बढ़ाना चाहता हूँ। हम लगभग 100,000 श्रोताओं पर हैं। मैं चाहता हूँ कि यह 100 मिलियन श्रोताओं तक पहुँच जाए, लेकिन 100,000 से 1 मिलियन, 1 मिलियन से 10 मिलियन और 10 मिलियन से 100 मिलियन तक का सफ़र इस मामले में बिल्कुल अलग होगा कि हमें इस पर कैसे काम करना है और इसे सही तरीके से कैसे करना है।” अन्य व्यवसायों पर बात करते हुए, श्रीनिवासन कहते हैं कि 2024 "पूर्ण त्वरण का वर्ष रहा है क्योंकि हम कई मोर्चों पर हरे अंकुर देख रहे हैं।" उत्पादन शाखा को देखें तो, विकटन टेलीविस्टास सबसे सफल तमिल प्रोडक्शन हाउस में से एक रहा है, लेकिन हिंदी सामग्री की बात आने पर यह एक मिश्रित बैग था। 2009 में, विकटन ने अपने सबसे सफल धारावाहिकों में से एक, ' थिरुमति सेल्वम ' को बालाजी टेलीफिल्म्स को लाइसेंस दिया, जो ज़ी टीवी पर बहुत लोकप्रिय 'पवित्र रिश्ता' बन गया । इसके बाद, यूटीवी के साथ एक संयुक्त उद्यम में, एक अन्य लोकप्रिय तमिल धारावाहिक, कोलांगल को स्टार प्लस पर ' मायेके से बंधी डोर' के रूप में रूपांतरित किया गया, जिसने उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया। एक दशक से अधिक समय के बाद, विकटन एक बार फिर हिंदी बाजार की ओर देख रहा है, इस बार रोलिंग टेल्स प्रोडक्शन के रूप में - इसका पहला शो, 'उड़ने की आशा' - जो कि बहुत लोकप्रिय तमिल धारावाहिक 'सिरागडिक्का आसाई' का रीमेक है, मार्च 2024 में स्टार प्लस पर प्रसारित होना शुरू हुआ और श्रीनिवासन गर्व से कहते हैं कि यह धारावाहिक आज स्टार प्लस और पूरे भारत में नंबर वन कार्यक्रम है। कंपनी ने अपने एक और लोकप्रिय तमिल शो 'देवीमागल' को भी कलर्स को पेश किया है, जिसके अगले साल जनवरी में प्रसारित होने की उम्मीद है। इसके अलावा, स्टार प्लस के लिए एक और शो पेश किया जा रहा है। विकटन के इवेंट वर्टिकल ने अपने चार प्रमुख पुरस्कारों, आनंद विकटन सिनेमा अवार्ड्स, नाम्बिकई अवार्ड्स 2024, अवल अवार्ड्स और नान्याम विकटन अवार्ड्स के अलावा, 2024 में विकटन टीवी अवार्ड्स लॉन्च किए। अब जल्द ही खेल पुरस्कार शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। अंत में श्रीनिवासन कहते हैं, "प्रिंट हमारा आधार और नींव है। प्रिंट ही वह सब कुछ है जिसके लिए हम मूल्य प्रणालियों, सामग्री, क्यूरेशन, आउटरीच और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के मामले में खड़े हैं। हम जो कुछ भी बनाते हैं, उसे प्रिंट के आधार पर बनाते हैं। हम जल्द ही अपने 100वें वर्ष में पहुँच जाएँगे और मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि हमारा आधार मजबूत है। हम बढ़ रहे हैं और हरियाली दिखाई दे रही है। हम यह समझने के लिए भी बातचीत करते हैं कि हमारे दर्शक कहाँ खड़े हैं। उन बातचीत से परे, हम समझते हैं कि दर्शक क्या चाहते हैं। हमारे लिए प्रासंगिक बने रहने का एकमात्र तरीका यह सुनिश्चित करना है कि हम उनके जीवन में मूल्य जोड़ें।"
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अगर 2023 वह साल था जब ने भारत में अपनी धाक जमानी शुरू की, तो 2024 में इसने कुछ गंभीर ताकत दिखाई- और वाणिज्य मीडिया भी पीछे नहीं रहा। ई-कॉमर्स दिग्गजों, डेटा परिष्कार और विज्ञापनदाताओं की ROI-संचालित अभियानों के लिए बढ़ती भूख से प्रेरित डिजिटल विज्ञापन के दोहरे पावरहाउस ने भारतीय मीडिया मिश्रण में एक दुर्जेय स्थान बना लिया है। लेकिन इससे पहले कि हम इस मामले के सार में उतरें, आइए कुछ पल के लिए साधारण बैनर विज्ञापनों और स्थिर छापों की लुप्त होती प्रासंगिकता पर शोक व्यक्त करें जो अब विपणक या दर्शकों को प्रेरित नहीं करते हैं। जैसे-जैसे उपभोक्ता तेजी से विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर खरीदारी (और स्क्रॉल) कर रहे हैं, विज्ञापनों के लिए रियल एस्टेट केवल खुदरा विक्रेता के होमपेज तक सीमित नहीं है। यह हर जगह है। फ्लिपकार्ट कार्ट स्क्रीन से लेकर कॉमर्स डेटा द्वारा संचालित YouTube पर मिड-स्क्रॉल वीडियो तक - यदि आपने एक बार जूते खोजे हैं, तो आपको वे जूते ऐसी जगहों पर दिखेंगे, जिनके बारे में आपको पता भी नहीं था कि वे विज्ञापन होस्ट कर सकते हैं। अमेज़न, फ्लिपकार्ट और रिलायंस रिटेल की बढ़ती डिजिटल शाखा जैसी कंपनियों के नेतृत्व में खुदरा मीडिया ने भारत के विज्ञापन चर्चा में अपना दबदबा बनाए रखा। अमेज़न इंडिया के विज्ञापन राजस्व ने कथित तौर पर इस साल 6,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है - 2023 की तुलना में 25% की वृद्धि - प्रायोजित उत्पादों, प्रदर्शन विज्ञापनों और पीक फेस्टिव सीजन के दौरान प्रमुख स्थान पाने के लिए ब्रांडों की होड़ के कारण। फ्लिपकार्ट विज्ञापन, हालांकि बहुत पीछे नहीं है, इसने विज्ञापन राजस्व में साल-दर-साल 30% की वृद्धि की घोषणा की, जो लगभग 5,000 करोड़ रुपये (4972 करोड़ रुपये) के मील के पत्थर को छू रहा है, क्योंकि ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म ने ब्रांडों के डिजिटल बजट पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। लेकिन 2024 में खुदरा मीडिया और वाणिज्य मीडिया के बीच की रेखाएँ धुंधली हो गई हैं। कॉमर्स मीडिया, एक व्यापक क्षेत्र है जो लेन-देन संबंधी डेटा द्वारा संचालित गैर-खुदरा प्लेटफ़ॉर्म पर विज्ञापन प्लेसमेंट को शामिल करता है, ने इस वर्ष गंभीर प्रगति की है। इनमोबी और क्रिटियो जैसी कंपनियों ने इस दिशा में पहल की है, उन्होंने ऐसे समाधान पेश किए हैं जो विज्ञापनदाताओं को ई-कॉमर्स ऐप की सीमाओं से परे खरीदारी के लिए तैयार उपभोक्ताओं को लक्षित करने की अनुमति देते हैं। भारत में वाणिज्य मीडिया पर खर्च 2024 में 40% से अधिक बढ़ गया, क्योंकि ब्रांडों को एहसास हुआ कि उपभोक्ता अब खरीदारी करते समय या खरीदारी करने का निर्णय लेते समय किसी एक प्लेटफ़ॉर्म से बंधे नहीं रहते हैं। यह वास्तव में एक सरल तर्क है: जब आप YouTube, Instagram और समाचार पोर्टल पर वही विज्ञापन दिखा सकते हैं, तो खुद को Amazon विज्ञापनों तक सीमित क्यों रखें, जो उन खरीदारों के डेटा पर आधारित हैं, जिन्होंने आपका उत्पाद लगभग खरीद लिया था, लेकिन एक बिल्ली के वीडियो से विचलित हो गए? दक्षता, मापनीयता और उच्च रूपांतरणों का वादा ही वह कारण है जिसके कारण विपणक अपने बजट का कुछ हिस्सा वाणिज्य मीडिया पर स्थानांतरित कर रहे हैं, भले ही खुदरा मीडिया निचले-फ़नल प्रदर्शन के लिए आधार रेखा बना हुआ है। उत्सव का उत्साह और बढ़ती प्रतिस्पर्धा भारत का त्यौहारी सीजन हमेशा से ही विज्ञापनदाताओं के लिए एक अग्निपरीक्षा रहा है और 2024 भी इससे अलग नहीं रहा। रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की नवंबर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर ने 2024 के त्यौहारी सीजन के दौरान, जो 15 सितंबर से 31 अक्टूबर तक फैला हुआ है, साल-दर-साल 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जिसका सकल माल मूल्य (GMV) लगभग 14 बिलियन डॉलर है। अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट ने कस्टम विज्ञापन समाधानों के साथ कथा पर अपना दबदबा कायम रखा, जबकि रिलायंस रिटेल ने अपने जियोमार्ट विज्ञापन की पेशकश को बढ़ाना जारी रखा, जिससे छोटे व्यवसायों और राष्ट्रीय ब्रांडों दोनों को आकर्षित किया गया। लेकिन बड़ी कहानी वाणिज्य मीडिया के व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र की थी। उदाहरण के लिए, इनमोबी ने नए एकीकरण शुरू किए, जिससे विज्ञापनदाताओं को खुदरा संकेतों को वीडियो और सोशल विज्ञापन सूची से जोड़ने की अनुमति मिली, जिससे खरीदारी के लिए निर्बाध मार्ग बने। इस बीच, क्रिटियो ने भारतीय खुदरा विक्रेताओं और प्रकाशकों के साथ अपनी साझेदारी का विस्तार किया, जिससे लेनदेन संबंधी डेटा प्रोग्रामेटिक अभियानों का मुख्य आधार बन गया। जैसा कि अपेक्षित था, इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और FMCG जैसे डिजिटल-फर्स्ट सेक्टर रिटेल और कॉमर्स मीडिया दोनों में सबसे ज़्यादा खर्च करने वाले थे, लेकिन इस साल कुछ आश्चर्यजनक भी हुए। ऑटो ब्रांड, जो पारंपरिक रूप से सर्च और सोशल पर निर्भर थे, ने कॉमर्स मीडिया के साथ काफ़ी प्रयोग किया, रिसर्च मोड में खरीदारों को लक्षित करने के लिए शॉपिंग डेटा का इस्तेमाल किया। इसी तरह, घरेलू D2C ब्रांड, जो 2024 में तेज़ी से बढ़े, ने पाया कि कॉमर्स मीडिया Instagram और Google Ads से आगे बढ़ने के लिए एक किफ़ायती चैनल है। एडटेक विकसित हुआ, रिटेल की जीत हुई बेशक, खुदरा और वाणिज्य मीडिया का विकास अलग-थलग नहीं रहा है। भारत के डिजिटल विज्ञापन परिदृश्य में बड़े रुझानों ने इस बदलाव को प्रभावित किया है और इससे प्रभावित भी हुए हैं। शुरुआत के लिए, प्रोग्रामेटिक विज्ञापन , जो अब भारत में सभी डिजिटल विज्ञापन खर्च का लगभग 70% हिस्सा है, ने वाणिज्य मीडिया की डेटा-संचालित सटीकता के साथ अच्छी तरह से तालमेल बिठाया है। जैसे-जैसे खुदरा मीडिया प्लेटफ़ॉर्म प्रोग्रामेटिक एक्सचेंजों के साथ एकीकृत होते हैं, इरादे और डिलीवरी के बीच का अंतर कम होता जाता है। फिर एआई क्रांति है। प्लेटफ़ॉर्म वास्तविक समय में उत्पाद विज्ञापनों को अनुकूलित करने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं, न केवल यह अनुमान लगाते हुए कि उपभोक्ता क्या खरीदने की संभावना रखते हैं बल्कि यह भी कि वे इसे कब खरीदने की संभावना रखते हैं। अमेज़ॅन के मशीन-लर्निंग-संचालित विज्ञापन प्लेसमेंट ने कथित तौर पर इस साल ब्रांडों के लिए 30% अधिक आरओएएस (विज्ञापन खर्च पर रिटर्न) दिया। समानांतर रूप से, भारत में छोटे एडटेक खिलाड़ी ब्रांडों को वाणिज्य डेटा का विश्लेषण करने और खुदरा और ओपन-वेब प्लेटफ़ॉर्म पर गतिशील रूप से बजट आवंटित करने में मदद करने के लिए एआई का लाभ उठा रहे हैं। यह बात तो स्पष्ट है कि खुदरा और वाणिज्य मीडिया अब हाशिये के चैनल नहीं रह गए हैं; वे भारत की डिजिटल विज्ञापन पुस्तिका के केंद्र में हैं। जैसे-जैसे साल खत्म हो रहा है, एक सच्चाई सामने आ रही है: भारत में खुदरा और वाणिज्य मीडिया की वृद्धि उसके खरीदारों का प्रतिबिंब है। खंडित लेकिन अति-जुड़े हुए, समझदार लेकिन आवेगी, वे अपने इरादे से मेल खाने वाले विज्ञापनों की मांग करते हैं, चाहे वे कहीं भी हों। चाहे वह फ्लिपकार्ट का बैनर हो, अमेज़ॅन का कैरोसेल हो, या न्यूज़ ऐप पर डूमस्क्रॉल करते समय वाणिज्य-संचालित वीडियो विज्ञापन हो, भारत के 2024 के उपभोक्ता ने अपनी बात कह दी है - और ब्रांड सुन रहे हैं।
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बुधवार को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा आयोजित ओपन हाउस चर्चा (ओएचडी) के दौरान कुछ हितधारकों द्वारा व्यक्त की गई सबसे बड़ी चिंताओं में से एक यह थी कि प्रसारण सेवाओं को दूरसंचार अधिनियम के अंतर्गत लाने से दूरसंचार और प्रसारण की भूमिकाओं के बीच की रेखाएं धुंधली हो जाएंगी। OHD, TRAI के परामर्श पत्र पर था, जिसका शीर्षक था दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत प्रसारण सेवाओं के प्रावधान के लिए सेवा प्राधिकरणों का ढांचा , जिसकी काफी आलोचना हुई है, कई प्रसारकों ने इसे "अनावश्यक" और TRAI के अधिकार क्षेत्र से बाहर माना है। चर्चा के दौरान की गई सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणियों में से एक भारतीय प्रसारण और डिजिटल फाउंडेशन (आईबीडीएफ) का प्रतिनिधित्व करने वाले सिबोनी सागर द्वारा की गई, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामग्री विनियमन, जो प्रसारण के लिए केंद्रीय है, को दूरसंचार अधिनियम में शामिल करने के बजाय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के दायरे में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे प्रसारण के रचनात्मक और संवैधानिक पहलुओं को नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि इसे दूरसंचार की तरह महज एक उपयोगिता सेवा माना जाएगा, जिससे प्रसारण की विशिष्ट पहचान और सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है। प्रसारण सेवाओं को दूरसंचार अधिनियम के दायरे में लाने के सुझाव से उद्योग पर इसके प्रभाव को लेकर बहस छिड़ गई है। इस दस्तावेज में बताया गया है कि विभिन्न प्रसारण प्लेटफॉर्म, जैसे डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवाएं, एचआईटीएस, आईपीटीवी, एफएम रेडियो आदि को वर्तमान में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) से लाइसेंस और अनुमति प्राप्त होती है। एमआईबी ने ट्राई से इन प्रसारण सेवाओं के लिए शुल्क सहित नियम और शर्तें सुझाने का अनुरोध किया था। इसका लक्ष्य विनियमों को मानकीकृत करना और उन्हें नए दूरसंचार अधिनियम के साथ संरेखित करना है। इस पत्र का उद्देश्य प्रसारण सेवाओं से संबंधित सेवा प्राधिकरणों के लिए एक नया ढांचा स्थापित करना है। सागर ने कहा, "हम विनम्रतापूर्वक यह कहते हैं कि दूरसंचार अधिनियम के तहत प्रसारण लाइसेंसिंग ढांचा पेश करना अनुचित होगा , क्योंकि यह अधिनियम प्रसारण के बड़े हिस्से को शामिल नहीं करता है, जो कि सामग्री विनियमन है। हमने और भी विस्तार से प्रस्तुत किया है, लेकिन इस अवसर पर हम दोहराना चाहते हैं कि प्रसारण और दूरसंचार के बीच अंतर को पहचानने की आवश्यकता है।" ओएचडी में हितधारकों का स्वागत करते हुए, ट्राई के अध्यक्ष ए.के. लाहोटी ने कहा कि 30 अक्टूबर 2024 को जारी किया गया यह परामर्श पत्र 25 जुलाई 2024 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय से प्राप्त संदर्भ पर आधारित है। मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान में डीटीएच, एचआईटीएस, टेलीपोर्ट्स, डीएसएनजी, एसएनजी, टीवी चैनलों की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग, एफएम रेडियो प्रसारण, सामुदायिक रेडियो स्टेशन और आईपीटीवी जैसी सेवाओं के लिए विभिन्न लाइसेंस, अनुमति और पंजीकरण भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 4 के तहत दिए जाते हैं। "हालांकि, दूरसंचार अधिनियम, 2023 की धारा 60 की अधिसूचना के साथ, भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 नियत तिथि से निरस्त हो जाएगा। नतीजतन, पात्र संस्थाओं को दूरसंचार अधिनियम, 2023 की धारा 3.1 के तहत प्रसारण सेवाओं से प्राधिकरण प्राप्त करना आवश्यक होगा, जब इसे अधिसूचित किया जाएगा। तदनुसार, प्रसारण सेवाओं के नीति दिशानिर्देशों की सीमा को दूरसंचार अधिनियम, 2023 के प्रावधानों के साथ संरेखित करना अनिवार्य है," लाहोटी ने कहा। चर्चा के दौरान, टाइम्स नेटवर्क के उपाध्यक्ष और एनबीडीए का प्रतिनिधित्व कर रहे संजय अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि प्रसारण सेवाएं दूरसंचार से अलग हैं, जहां प्रसारण सामग्री निर्माण और अभिव्यक्ति पर केंद्रित होता है, जबकि दूरसंचार केवल संचार के लिए एक बुनियादी ढांचे के रूप में कार्य करता है। उन्होंने तर्क दिया कि तकनीकी प्रगति के बावजूद दूरसंचार अवसंरचना के माध्यम से प्रसारण की अनुमति है, लेकिन दोनों को एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने प्रसारण की विशिष्ट पहचान को बनाए रखने के लिए सामग्री और कैरिज को अलग रखने के महत्व पर जोर दिया और प्रसारण को दूरसंचार अधिनियम में एकीकृत करने का विरोध किया, क्योंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से सामग्री को विनियमित करेगा, जिससे प्रसारण के लिए स्थापित ढांचे को कमजोर किया जाएगा। भारती एयरटेल के मुख्य नियामक अधिकारी राहुल वत्स ने कई महत्वपूर्ण बिंदु रखे, जिसमें निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचे में ओटीटी प्लेटफार्मों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि वे वर्तमान में डीटीएच और केबल जैसी विनियमित सेवाओं के विपरीत बिना किसी दायित्व के काम करते हैं। उन्होंने डीटीएच और प्रसारण जैसी विभिन्न सेवाओं के लिए अलग-अलग शर्तों के साथ एक अनुकूलित विनियामक दृष्टिकोण का भी आह्वान किया, ताकि उनकी विशिष्ट परिचालन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। वत्स ने नए प्राधिकरण ढांचे में स्वैच्छिक प्रवास का समर्थन किया, जिससे मौजूदा ऑपरेटरों के लिए स्थिरता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने डीडी फ्रीडिश को निजी डीटीएच ऑपरेटरों के समान विनियामक ढांचे में शामिल करने, निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान डीटीएच शुल्क को बनाए रखने और व्यावसायिक दक्षता में सुधार के लिए टेलीपोर्ट के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की वकालत की।
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प्रधानमंत्री म्यूजियम और लाइब्रेरी ने राहुल गांधी से एक बड़ी मांग की है। पूर्व पीएम नेहरू ने कई महान हस्तियों को तत्कालीन समय के दौरान कई लेटर लिखे थे। 2008 में ये दस्तावेज 51 गत्ते में भरकर सोनिया गांधी के पास पहुंचाए गए थे। अब राहुल गांधी से पत्र के जरिए इन दस्तावेजों का वापस देने की मांग की गई है। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन ने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, पंडित जवाहर लाल नेहरू की चिट्ठियां देश की हैं और देश को ये जानने का हक है कि उनकी जयप्रकाश नारायण से क्या बातें हुई? एडविना माउंटबेटन ने नेहरू जी को क्या कहा? इसलिए जनहित और देशहित में पंडित नेहरू की चिट्ठियां प्रधानमंत्री म्यूज़ियम वापस पहुंचनी चाहिए। आपको बता दें, इतिहासकार, लेखक और प्रधानमंत्री म्यूजियम और लाइब्रेरी के सदस्य रिजवान कादरी ने कहा, बाबू जगजीवन राम, जय प्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन और इतिहास से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण पत्रों सहित कई जरूरी पत्र उसमें मौजूद हैं। साथ ही पंडिट नेहरू और लेडी माउंटबेटन के बीच जरूरी पत्राचार, साथ ही जेपी नाराणा और अन्य के लिखे पत्र उसमें शामिल हैं।
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वर्तमान युग में मीडिया इंडस्ट्री तीव्र गति से परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। तकनीकी प्रगति और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव के चलते, मीडिया और मनोरंजन के पारंपरिक स्वरूप में काफी परिवर्तन हुआ है। वर्ष 2024 ने इस बदलाव को और गति दी है, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बढ़ते प्रभाव के कारण। वर्ष 2025 की ओर देखते हुए, यह स्पष्ट है कि एआई, डिजिटल मीडिया और नई तकनीकों का प्रभाव मीडिया इंडस्ट्री की दिशा को और अधिक प्रभावित करेगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के योगदान से मीडिया में क्रांति आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) ने मीडिया इंडस्ट्री में न केवल कार्यप्रणाली को सरल बनाया है, बल्कि नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। एआई के माध्यम से सामग्री निर्माण, उपभोक्ता डेटा का विश्लेषण और दर्शकों की पसंद का सटीक अनुमान लगाना अब आसान हो गया है। उदाहरणस्वरूप: - सामग्री निर्माण और संपादन: एआई-संचालित उपकरण जैसे GPT मॉडल्स, डीपफेक टेक्नोलॉजी और इमेज जनरेशन प्लेटफॉर्म कंटेंट क्रिएटर्स के लिए समय और लागत बचाते हैं। न्यूज़ चैनल्स अब रियल-टाइम न्यूज़ अपडेट्स और अनुकूलित समाचार प्रस्तुति के लिए एआई-सक्षम वर्चुअल एंकर का उपयोग कर रहे हैं। - डिजिटल विज्ञापन: एआई एल्गोरिदम उपभोक्ताओं की सर्च और ब्राउज़िंग आदतों का विश्लेषण करके व्यक्तिगत विज्ञापन तैयार करते हैं। इससे न केवल विज्ञापनदाता, बल्कि उपभोक्ता भी लाभान्वित होते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी पसंद का ही कंटेंट देखने को मिलता है। - ऑडियंस इंगेजमेंट: चैटबॉट्स और वर्चुअल असिस्टेंट दर्शकों के सवालों का जवाब देकर और उनकी पसंद के कंटेंट का सुझाव देकर मीडिया कंपनियों की पहुंच और प्रभाव को बढ़ा रहे हैं। एआई से जुड़ी चुनौतियां हालांकि एआई ने मीडिया इंडस्ट्री में असंख्य अवसर प्रदान किए हैं, लेकिन यह नई चुनौतियां भी लेकर आया है। - नैतिकता और पारदर्शिता: एआई आधारित फेक न्यूज़ और डीपफेक टेक्नोलॉजी की वजह से गलत सूचनाओं का प्रसार बढ़ सकता है। - मानव संसाधन का विस्थापन: पारंपरिक कार्यबल को एआई द्वारा रिप्लेस किए जाने का खतरा बना हुआ है। - डेटा गोपनीयता: एआई को प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। भारत और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का बाजार भारत, विश्व में एआई के विकास और उपयोग के मामले में अग्रणी देशों में शामिल हो रहा है। वर्ष 2024 में भारत का एआई बाजार लगभग $7 बिलियन तक पहुंच चुका है। अनुमान है कि 2025 तक यह $12 बिलियन तक बढ़ जाएगा। भारतीय एआई क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 20-25% के आसपास है। वर्ष 2024 में, भारत में एआई के क्षेत्र में लगभग 4 लाख पेशेवर काम कर रहे हैं। सरकार और निजी कंपनियां मिलकर एआई स्टार्टअप्स और अनुसंधान में भारी निवेश कर रही हैं। 2025 तक, एआई आधारित नौकरियों की संख्या में 30% तक वृद्धि की उम्मीद है। भारतीय मीडिया कंपनियां एआई-संचालित ट्रेंड एनालिसिस, कंटेंट पर्सनलाइजेशन और विज्ञापन ऑप्टिमाइज़ेशन पर भारी ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर रिलायंस जियो और टाटा जैसे बड़े कॉर्पोरेट्स मीडिया और एआई के समागम के लिए बड़े स्तर पर निवेश कर रहे हैं। भारत में डिजिटल मीडिया का बढ़ता प्रभाव भारत में डिजिटल मीडिया का प्रभाव पारंपरिक मीडिया की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2024 में, भारत में लगभग 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से अधिकांश स्मार्टफोन के माध्यम से डिजिटल सामग्री का उपभोग कर रहे हैं। नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम, डिज़्नी+ हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भारत में मनोरंजन का नया केंद्र बन गए हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम, और यूट्यूब पर स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री का उपभोग बढ़ रहा है। डिजिटल न्यूज़ पोर्टल्स जैसे इनशॉर्ट्स और स्क्रॉल ने पारंपरिक न्यूज़ चैनल्स की जगह लेनी शुरू कर दी है। वर्ष 2024 में, भारत में डिजिटल विज्ञापन का आकार लगभग $4.5 बिलियन था। 2025 तक, यह $6.8 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है। डिजिटल मीडिया में पर्सनलाइज्ड विज्ञापन और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग एक नया ट्रेंड बन चुका है। भारत में 70% इंटरनेट उपयोगकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। सरकार की डिजिटल इंडिया पहल और सस्ती डेटा सेवाओं के कारण ग्रामीण भारत में डिजिटल कंटेंट का उपभोग तेजी से बढ़ रहा है। 2025 की उम्मीदें: मीडिया इंडस्ट्री का भविष्य - तकनीकी प्रगति का तेज़ी से उपयोग: वर्ष 2025 में एआई और मशीन लर्निंग के उपयोग से मीडिया इंडस्ट्री में और अधिक नवाचार की उम्मीद है। दर्शक लाइव पोल्स, क्विज़ और अन्य इंटरैक्टिव माध्यमों के ज़रिए कंटेंट के साथ जुड़ेंगे। वर्चुअल रियलिटी और ऑग्मेंटेड रियलिटी आधारित कंटेंट मीडिया इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा। - स्थानीय और क्षेत्रीय कंटेंट का विस्तार: स्थानीय भाषाओं में कंटेंट की माँग बढ़ेगी, जिससे क्षेत्रीय मीडिया कंपनियों को नए अवसर मिलेंगे। 2025 तक, 60% से अधिक डिजिटल कंटेंट स्थानीय भाषाओं में होगा। - नियामक और नैतिकता पर ज़ोर: एआई और डिजिटल मीडिया के बढ़ते उपयोग को ध्यान में रखते हुए सरकार डेटा सुरक्षा और फेक न्यूज़ की रोकथाम के लिए सख्त नियम लागू कर सकती है। "मीडिया ट्रांसपेरेंसी" के लिए नए मानक स्थापित होंगे। - उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण: मीडिया इंडस्ट्री उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए व्यक्तिगत और अनुकूलित सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फ्री-टू-व्यू और पे-पर-व्यू जैसे मॉडल और प्रचलित होंगे। कुल मिलाकर वर्ष 2024 का वर्ष भारतीय मीडिया इंडस्ट्री के लिए नवाचार और चुनौतियों का संगम रहा है। एआई और डिजिटल मीडिया ने पारंपरिक मीडिया के स्वरूप को बदलते हुए उपभोक्ताओं की नई पीढ़ी की जरूरतों को पूरा किया है। वर्ष 2025 में, तकनीकी प्रगति और क्षेत्रीय कंटेंट के विस्तार के साथ, भारतीय मीडिया इंडस्ट्री विश्व स्तर पर अपनी पहचान और मजबूत करेगी। हालांकि, नैतिकता, डेटा सुरक्षा, और फेक न्यूज़ जैसे मुद्दों से निपटना महत्वपूर्ण होगा। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वर्ष मीडिया इंडस्ट्री के लिए अनंत संभावनाओं का दौर होगा। (ये लेखक के निजी विचार हैं)
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बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किसी भी अधिवक्ता को फुल-टाइम या पार्ट-टाइम आधार पर पत्रकारिता करने की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने बीसीआई के इस रुख को रिकॉर्ड पर लिया, जिसमें बीसीआई ने अपने नियम 49 का हवाला दिया। पीठ ने कहा, “हमने बीसीआई के वकील को सुना, जिन्होंने कहा कि बीसीआई के नियमों के अनुसार किसी अधिवक्ता को पार्ट-टाइम या फुल-टाइम पत्रकारिता करने की अनुमति नहीं है। याचिकाकर्ता ने हलफनामा दायर कर कहा है कि वह अब पत्रकार के रूप में कार्य नहीं करेंगे और केवल अधिवक्ता के रूप में ही अभ्यास करेंगे।” मामले की पृष्ठभूमि यह मामला मोहम्मद कामरान द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिन्होंने खुद को अधिवक्ता और स्वतंत्र पत्रकार के रूप में पहचाना था। बीसीआई ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया कि फुल-टाइम पत्रकारिता तो अधिवक्ताओं के लिए पूरी तरह निषिद्ध है, साथ ही पार्ट-टाइम पत्रकारिता भी आमतौर पर वर्जित है।हालांकि, बीसीआई ने कहा कि “यदि पार्ट-टाइम पत्रकारिता में केवल विद्वतापूर्ण लेख, कानूनी विषयों पर राय या संपादकीय योगदान शामिल हो, जो विधि व्यवसाय से ‘सार्थक संबंध’ रखता हो, तभी इसे अनुमति दी जा सकती है।” लेकिन इसके बावजूद, यह अधिवक्ता के विधि अभ्यास पर प्रतिबंध के रूप में कार्य करेगा। बीसीआई ने बताई शर्तें बीसीआई ने कहा कि किसी भी अधिवक्ता की पत्रकारिता गतिविधि उनके प्राथमिक पेशेवर कर्तव्यों के विपरीत नहीं होनी चाहिए और न ही यह उनके कानूनी पेशे की गरिमा व स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती है। बीसीआई ने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं के लिए दोहरे पेशे को अपनाना पूरी तरह प्रतिबंधित है बीसीआई नियम 51 में अधिवक्ताओं को कुछ हद तक पत्रकारिता करने की छूट दी गई है, लेकिन यह केवल उन्हीं योगदानों तक सीमित होना चाहिए जो कानूनी अभ्यास और समझ से सीधे जुड़े हों। सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अगली सुनवाई न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कामरान के उस हलफनामे को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह अब पत्रकार के रूप में कार्य नहीं करेंगे और केवल अधिवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं देंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी, 2025 को होगी। मामला कैसे शुरू हुआ? यह याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को खारिज कर दिया गया था। दरअसल, सितंबर 2022 में बृजभूषण शरण सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखे थे, जिनमें कामरान को “षड्यंत्रकारी और चोर” बताया गया था। ये पत्र सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में भी प्रसारित हुए, जिसके बाद कामरान ने मानहानि का आरोप लगाते हुए सिंह के खिलाफ कार्यवाही को बहाल करने की मांग की। यह भी उल्लेखनीय है कि बृजभूषण शरण सिंह एक अन्य मामले में यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे हैं, जो छह भारतीय पहलवानों द्वारा लगाए गए थे। बीसीआई के इस रुख से साफ हो गया है कि अधिवक्ता को पत्रकारिता जैसे अन्य पेशे को अपनाने की अनुमति नहीं है। इससे संबंधित कानूनी स्थिति को और स्पष्ट करने के लिए मामले की सुनवाई अगले वर्ष फरवरी में होगी
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अगर आप स्पोर्ट्स से जुड़ी खबरों में रुचि रखते हैं और डिजिटल कंटेंट तैयार करने का अनुभव है, तो ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) में आपके लिए नौकरी का शानदार अवसर है। दरअसल, ‘नवभारत टाइम्स’ की डिजिटल टीम (navbharattimes.com) में प्रिंसिपल डिजिटल कंटेंट प्रड्यूसर (हिंदी स्पोर्ट्स डेस्क) के पद पर वैकेंसी है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, यह नियुक्ति नोएडा के लिए होनी है। इस पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदकों के पास पांच से आठ साल का अनुभव होना चाहिए। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर बड़े खेल आयोजनों, टीमों, लीग और प्लेयर्स की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
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सरकार द्वारा मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) इंडस्ट्री पर सख्त कार्रवाई के चलते पंजीकृत ऑपरेटर्स की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। नवंबर 2024 तक केवल 843 MSOs ही परिचालन में हैं, जो पिछले साल के 998 पंजीकृत ऑपरेटर्स की तुलना में काफी कम है। 10 वर्षों में 1,000 से अधिक पंजीकरण रद्द या सरेंडर सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी सूची के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में 1,000 से अधिक MSOs के पंजीकरण या तो रद्द कर दिए गए हैं या ऑपरेटर्स ने खुद उन्हें सरेंडर कर दिया है। मंत्रालय ने पंजीकरण रद्द करने के पीछे अनुपालन न करना और संचालन में न रहना जैसे प्रमुख कारण बताए हैं। इसके अलावा, पिछले एक दशक में 114 MSOs के पंजीकरण आवेदन खारिज किए गए हैं। 843 पर सिमटी संख्या अगस्त 2024 तक पंजीकृत MSOs की संख्या 850 थी, लेकिन मंत्रालय ने इसके बाद 7 और ऑपरेटर्स के लाइसेंस रद्द कर दिए, जिससे यह संख्या घटकर 843 रह गई। सख्त नियमों का असर एक्सपर्ट्स का मानना है कि MSOs की संख्या में यह गिरावट सरकार के सख्त नियामक रवैये का परिणाम है। इस सख्ती का उद्देश्य इंडस्ट्री को सुव्यवस्थित करना और उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाना है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है, जिससे MSO इंडस्ट्री का परिदृश्य पूरी तरह बदल सकता है। बड़े खिलाड़ी अब भी मजबूत हालांकि MSOs की संख्या घटी है, लेकिन कुछ बड़े ऑपरेटर्स अब भी बाजार में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। 31 दिसंबर 2023 तक, 11 MSOs और 1 HITS ऑपरेटर के पास 1 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स थे। GTPL Hathway ने 8 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स के साथ शीर्ष स्थान पर अपनी स्थिति मजबूत रखी। छोटे ऑपरेटर्स के लिए चुनौती, बड़े खिलाड़ियों को फायदा सरकार की कंसोलिडेशन पॉलिसी और कड़े नियम छोटे ऑपरेटर्स के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। वहीं, बड़े ऑपरेटर्स को बढ़ते बाजार हिस्सेदारी और आर्थिक पैमाने का लाभ मिलने की उम्मीद है। इंडस्ट्री के भविष्य पर प्रभाव सरकार की इस सख्ती और नियामकीय सुधारों से यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में MSO इंडस्ट्री एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है। यह प्रक्रिया उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने और इंडस्ट्री को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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यदि आप पत्रकार हैं और नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो प्रतिष्ठित हिंदी अखबार ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) की डिजिटल टीम से जुड़ने का आपके पास काफी अच्छा मौका है। सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, प्रभात खबर की डिजिटल टीम में बिहार हेड, वीडियो प्रड्यूसर, सीनियर कंटेंट राइटर और जूनियर कंटेंट राइटर समेत कई पदों पर वैकेंसी है। यही नहीं, पत्रकारिता के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए भी यहां पेड इंटर्नशिप/ऑन जॉब ट्रेनिंग का शानदार मौका है। इच्छुक आवेदक अपना अपडेटेड रिज्युमे vacancies.hr@prabhatkhabar.in पर भेज सकते हैं। पदों की संख्या व किस पद के लिए क्या योग्यता/अनुभव चाहिए और नौकरी की लोकेशन क्या रहेगी, इस बारे में ज्यादा जानकारी आप नीचे दिए गए विज्ञापन से ले सकते हैं।
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हॉकी इंडिया लीग (HIL) 2024-25 के व्यापक प्रसारण के लिए सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क को शामिल किया गया है। प्रशंसक सोनी स्पोर्ट्स टेन 1 (अंग्रेजी), सोनी स्पोर्ट्स टेन 3 (हिंदी) और सोनी स्पोर्ट्स टेन 4 (तमिल और तेलुगु) चैनलों पर स्टैंडर्ड डेफ़िनेशन (SD) और हाई डेफ़िनेशन (HD) दोनों में सभी एक्शन को लाइव देख सकेंगे। एचआईएल 2024-25 की शुरुआत 28 दिसंबर 2024 को होने वाली है, सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क की मल्टी-चैनल, बहुभाषी प्रसारण रणनीति अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगु में कमेंट्री की पेशकश करेगी, एसएसएन का लक्ष्य विभिन्न क्षेत्रों के प्रशंसकों को जोड़ना और खेल को अधिक समावेशी बनाना है। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के मुख्य राजस्व अधिकारी - वितरण एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा खेल व्यापार प्रमुख राजेश कौल ने कहा: "हॉकी ने भारत में उल्लेखनीय लोकप्रियता हासिल की है, जिसमें भारतीय टीम की लगातार ओलंपिक में सफलता ने पुनरुत्थान में योगदान दिया है। सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क में, हम हमेशा भारतीय प्रशंसकों के लिए विविध खेल पोर्टफोलियो के साथ खेल प्रशंसकों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं। हमारी पेशकशों में दुनिया की प्रमुख फ्रैंचाइज़-आधारित हॉकी लीगों में से एक को शामिल करने से निस्संदेह प्रशंसक खेल के और करीब आएंगे। हम इस तीन सीज़न की साझेदारी को लेकर उत्साहित हैं और इसे 'हॉकी के घर' के रूप में खुद को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखते हैं, जैसा कि हमने अपने पोर्टफोलियो में अन्य प्रमुख खेलों के साथ किया है।" हॉकी इंडिया लीग (HIL) गवर्निंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने कहा, "हम HIL 2024-25 के प्रसारण के लिए सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क के साथ साझेदारी करके रोमांचित हैं। कई चैनलों और भाषाओं में उनका व्यापक कवरेज यह सुनिश्चित करेगा कि देश के सभी कोनों से प्रशंसक लीग का आनंद ले सकें। यह सीज़न बड़ा, बेहतर और बोल्ड होने वाला है और हमें विश्वास है कि सोनी की बेजोड़ प्रसारण क्षमताएँ भारतीय हॉकी के उत्साह को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में मदद करेंगी।" हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) की गवर्निंग कमेटी के सदस्य भोला नाथ सिंह ने कहा, "हमारा ध्यान हमेशा हॉकी को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने पर रहा है और सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क के साथ यह साझेदारी हमें ऐसा करने का मौका देती है। उनकी बहुभाषी प्रसारण योजना के साथ, हम खेल को बड़े दर्शकों तक पहुँचा रहे हैं, उन्हें खेल के करीब ला रहे हैं। हमारा मानना है कि यह सीज़न दर्शकों की संख्या और प्रशंसकों की सहभागिता के मामले में एक नया मानक स्थापित करेगा।"
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पहले हरियाणा में हार को जीत में बदल कर तीसरी बार सरकार बनाने और फिर महाराष्ट्र में आशा के विपरीत एकतरफा तूफानी बहुमत हासिल करके भारतीय जनता पार्टी और उसके नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए ने लोकसभा चुनावों में मिले खासे झटके के सदमे को नए हौसले में बदल दिया है। हालांकि, इसी दौर में जम्मू कश्मीर और झारखंड में विपक्षी इंडिया गठबंधन की भी जीत हुई है, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत के जश्न और शोर में इन दोनों राज्यों में भाजपा की नाकामयाबी की चर्चा दब गई है। भाजपा की इस जीत का श्रेय यूं तो हर बार की तरह पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति को दे रही है, लेकिन दूसरी तरफ इन दोनों राज्यों की सफलता को भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने हजारों स्वयंसेवकों की मेहनत का नतीजा बताया है। आमतौर पर संघ पर्दे के पीछे रहकर ही काम करता है और चुनावी सफलता का श्रेय संघ कभी सीधे नहीं लेता है, लेकिन पहली बार उसने खुलकर इसका श्रेय अपने स्वयंसेवकों को दिया है। इसके साथ ही संघ अब मोदी युग के बाद भाजपा के नेतृत्व को गढ़ने में जुट गया है। संघ के इस रुख के कई संकेत हैं। पहला ये कि लोकसभा चुनावों में जब भाजपा के 370 और एनडीए के चार सौ पार के नारे की हवा निकली और भाजपा बमुश्किल 240 सीटें ही जीत पाई और तीसरी बार उसे अपनी सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों के समर्थन पर निर्भर होना पड़ा है। तब संघ की तरफ से यह संदेश दिया गया कि ऐसा इसलिए हुआ कि लोकसभा चुनावों में आरएसएस के स्वयंसेवक उदासीन हो गए और संघ ने इन चुनावों को पूरी तरह मोदी शाह और भाजपा के भरोसे छोड़ दिया था। नतीजा ये कि भाजपा को अपने बलबूते बहुमत के आंकड़े के भी लाले पड़ गए।यह एक तरह से चुनावों के बीच में एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान कि भाजपा अब अपने पैरों पर खडी हो गई है और उसे अब संघ के सहारे की जरूरत नहीं है,का संघ की तरफ से दिया गया जवाब भी माना जा सकता है। लोकसभा चुनावों के झटके के बाद भाजपा ने हरियाणा महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों के लिए संघ की तरफ देखा और संघ ने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। संघ के हजारों स्वयंसेवक इन राज्यों में फैल गए। बताया जाता है कि अकेले हरियाणा में संघ ने छोटी बड़ी सब मिलाकर करीब बीस हजार बैठकें कीं। यह संख्या महाराष्ट्र में और भी ज्यादा थी। इन विधानसभा चुनावों के पूरे सियासी विमर्श को संघ ने ही गढ़ा। सबसे पहले उत्तर प्रदेश में संघ के चहेते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नया नारा दिया बटेंगे तो कटेंगे जो लोकसभा चुनावों में विपक्ष द्वारा सामाजिक न्याय के नाम पर किए गए जातीय ध्रुवीकरण की काट के तौर पर दिया गया था। योगी के इस नारे पर संघ प्रमुख सर संघ चालक मोहन भागवत ने मुहर लगाई और फिर नारा विधानसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी नारा बन गया। महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे थोड़ा परिष्कृत करके कहा एक हैं तो सेफ हैं। इन दोनों नारों का संदेश साफ था कि हिंदुओं जातियों में न बंट कर एकजुट होकर भाजपा के लिए मतदान करो। हरियाणा में जहां इस नारे के जरिए जाटों के वर्चस्व के जवाब में गैर जाटों का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण किया गया वहीं महाराष्ट्र में विपक्ष के मुस्लिम और जातीय ध्रुवीकरण के जवाब में यह नारा हिंदू ध्रुवीकरण का मंत्र बन गया। कोशिश झारखंड में भी की गई लेकिन वहां हेमंत सोरेन के आदिवासी ध्रुवीकरण ने बटेंगे तो कटेंगे को बेअसर कर दिया। इस नारे से बने चुनावी विमर्श और उससे आए महाराष्ट्र के नतीजों ने भाजपा पर संघ की पकड़ को फिर से मजबूत कर दिया है, जो 2019 के बाद धीरे धीरे कमजोर हो चली थी। इसका सबसे बड़ा परीक्षण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के चयन सामने आया जब करीब दो सप्ताह तक चली भारी कशमकश के बाद आखिरकार देवेंद्र फडणनवीस के नाम पर ही पार्टी ने मुहर लगाई। हालांकि, लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में भाजपा को मिली करारी हार से देवेंद्र फडणनवीस के करिश्मे पर भी ग्रहण लग गया था और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी लेते हुए उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के पेशकश भी की थी, लेकिन उसे नामंजूर करते हुए पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनावों के लिए जुट जाने को कहा और देवेंद्र फडणनवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा नीत महायुति गठबंधन की जीत के लिए रणनीति बनाने से लेकर प्रत्याशी चयन,सीटों के बंटवारे और प्रचार अभियान का नेतृत्व करते हुए जी तोड़ मेहनत की और महायुति की महाजीत का श्रेय भी सबसे ज्यादा उन्हें ही मिला। इसलिए जब मुख्यमंत्री के नाम पर अटकलें लगीं तो सबसे ऊपर उनका ही नाम था। इसके बावजूद करीब 13 दिनों तक भाजपा उनके नाम की घोषणा इसलिए नहीं कर सकी, क्योंकि पार्टी में ही एक धड़ा उनका विरोध कर रहा था और फडणनवीस के विरोधियों ने निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक को भी इसके लिए इस्तेमाल किया कि फडणनवीस का रास्ता रोका जा सके, लेकिन आखिरकार विरोधी नाकाम हुए और संघ के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन ने देवेंद्र फडणनवीस को फिर से महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद सौंप दिया। लोकसभा चुनावों के बाद घटे इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम ने भाजपा की राजनीति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को फिर सत्ता के एक निर्णायक केंद्र की भूमिका में ला दिया है। संघ का अगला मिशन भाजपा के संगठन को फिर अपने प्रभाव में लेने का है, जो पिछले कुछ वर्षों में उसके हाथ से काफी हद तक फिसल गया था। इसके लिए अब संघ भाजपा अध्यक्ष पद पर किसी ऐसे नेता को बिठाने की कवायद में है जो संघ निष्ठ होने के साथ साथ पार्टी संगठन को भी संघ के विचारों संस्कारों और कार्यशैली में ढाल सके। हालांकि, अपनी इस कवायद में संघ अपने परिवार के सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नाराज और अनदेखा नहीं कर सकता है, इसलिए उसकी कोशिश है कि अध्यक्ष पद पर किसी ऐसे नेता के नाम को आगे बढ़ाया जाए जिस पर मोदी को भी कोई खास एतराज न हो, लेकिन साथ ही संघ की कोशिश है कि अध्यक्ष भले ही प्रधानमंत्री के साथ तालमेल बिठाकर चले लेकिन वह पूरी तरह सरकार और उसके सत्ता केंद्रों के आगे नतमस्तक भी नहीं होना चाहिए। संघ अब भारतीय जनता पार्टी में मोदी के आगे के युग की तैयारी में जुट गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भाजपा के सर्वोच्च नेता हैं और जब तक वह प्रधानमंत्री हैं वही सर्वोच्च रहेंगे, लेकिन उनकेक पंक्ति संघ तैयार कर रहा है। इन नेताओं में प्रमुख रूप से गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही अब नया नाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणनवीस का भी जुड़ गया है। जहां तक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की भूमिका का सवाल है तो संघ के मुताबिक ये मोदी युग के ही महारथी हैं। संघ को 2029 के लोकसभा चुनावों और उसके बाद की राजनीति के लिए भाजपा नेतृत्व विकसित करना है। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष की भूमिका खासी अहम होगी और जो भी नया अध्यक्ष होगा उसे भी भाजपा की अगली पंक्ति के नेता के रूप में देखा जाएगा और उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह पार्टी को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर सके। संघ वैसी गलती दोहराना नहीं चाहती है जैसी कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार जाने के बाद हुई और पार्टी लाल कृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी जैसे पुराने दिग्गजों के भरोसे ही ही रही और दस साल तक उसे केंद्रीय सत्ता से वंचित रहना पड़ा।
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देश के प्रमुख हिंदी न्यूज चैनलों में से एक ‘न्यूज नेशन’ में इन दिनों हालात ठीक नहीं चल रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चैनल में बड़े स्तर पर छंटनी की गई है, जिसमें टीवी, डिजिटल और नेशनल टीम के कई पत्रकारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।खबर है कि कुछ समय पहले चैनल में छंटनी हुई थी, हालांकि बीच में यह रुक गई थी और पिछले महीने इंक्रीमेंट भी हुए थे, लेकिन 13 दिसंबर को अचानक से कई पत्रकारों को मेल कर, फोन कर और बुलाकर नौकरी से हटाने की सूचना दी गई। इनमें आउटपुट, इनपुट, रिसर्च, टेक्निकल, कैमरा, एंकर्स की भी नौकरी गई। नाम न छापने की शर्त पर दखल से बातचीत में कई पत्रकारों ने बताया कि मैनेजमेंट ने मौखिक रूप से कई एंप्लॉयीज को इस्तीफा देने के लिए कहा और कुछ मामलों में उनसे जबरन इस्तीफा भी ले लिया गया। हालांकि, इस मुद्दे पर अब तक मैनेजमेंट की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि यह छंटनी चैनल के आंतरिक संकट और लागत को कम करने की योजना का हिस्सा है। यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में छंटनी का यह सिलसिला और तेज हो सकता है, जिससे कई और एंप्लॉयीज पर गाज गिरने की आशंका है। चैनल को बेचे जाने की चर्चाओं ने पकड़ा जोर: इंडस्ट्री में इस तरह की चर्चाएं भी तेजी से चल रही हैं कि ‘न्यूज नेशन’ नेटवर्क को बेचने की तैयारी है। इसको लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए चैनल प्रबंधन द्वारा बड़े पैमाने पर कॉस्ट कटिंग की जा रही है। ऐसे में वर्कफोर्स को कम करने का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत छंटनी की जा रही है और इसकी चपेट में टीवी, डिजिटल और अन्य टीमों के कई पत्रकार आए हैं, जबकि कई पर अभी नौकरी जाने की तलवार लटकी हुई है। पत्रकारों में चिंता और असुरक्षा का माहौल: छंटनी की इस लहर के चलते न्यूज़ नेशन के एंप्लॉयीज में असुरक्षा और भय का माहौल बन गया है। कई पत्रकार जो लंबे समय से चैनल से जुड़े हुए थे, उन्हें अचानक बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इससे इंडस्ट्री में भी हलचल मच गई है और लोग इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। प्रबंधन से संपर्क का प्रयास जारी: इस पूरे मामले पर दख़ल द्वारा न्यूज नेशन के मैनेजमेंट से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हालांकि, संस्थान से जुड़े उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि कॉस्ट कटिंग की जा रही है और इसलिए वर्कफोर्स को कम किया जा रहा है। वहीं, चैनल को बेचे जाने की चर्चाओं को उन्होंने महज अफवाह करार दिया है। ‘न्यूज नेशन नेटवर्क’ की ओर से कुछ एंप्लॉयीज को भेजे गए मेल का स्क्रीन शॉट (विश्वसनीय सूत्रों द्वारा समाचार4मीडिया को उपलब्ध कराई गई कॉपी) आप यहां देख सकते हैं।
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पिछले सप्ताह (9-13 दिसंबर) के दौरान प्रमुख मीडिया व एंटरटेनमेंट कंपनियों के शेयरों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई, जो इस क्षेत्र में कमजोर निवेशक भावना का संकेत है। आइए देखते हैं कि इन कंपनियों का प्रदर्शन शेयर मार्केट में कैसा रहा- जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) पिछले पांच दिनों में जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के शेयर में 6.39% की गिरावट आई। 9 दिसंबर को यह 142.03 रुपये के उच्चतम स्तर पर था, जो 13 दिसंबर को 132.95 रुपये पर आ गया। यह स्थिर गिरावट निवेशकों की सतर्कता और मंदी के रुझान को दर्शाती है, जो संभवतः कंपनी से जुड़ी समस्याओं या व्यापक बाजार प्रवृत्तियों के कारण हो सकता है। 12,760 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण और 114.30 रुपये से 293.20 रुपये के 52-सप्ताह के दायरे के साथ, इसका मूल्य अब अपने वार्षिक निचले स्तर के करीब पहुंच गया है। टीवी टुडे नेटवर्क (TV Today Network) टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड के शेयर पिछले पांच दिनों में 5.60% गिर गए। 13 दिसंबर को यह 203.54 रुपये पर बंद हुआ। इस अवधि में इसका उच्चतम स्तर 204.50 रुपये और न्यूनतम स्तर 201 रुपये रहा। लगातार गिरावट कमजोर निवेशक भावना को दर्शाती है। एनडीटीवी (NDTV) एनडीटीवी का शेयर सप्ताह की शुरुआत 175.20 रुपये पर हुआ। गुरुवार को यह 177.65 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचा, लेकिन शुक्रवार को 170 रुपये तक गिर गया, जो इसका सबसे निचला स्तर था। सप्ताहांत में यह 171.25 रुपये पर बंद हुआ। यह हल्की गिरावट बेचने के दबाव को दर्शाती है। नेटवर्क18 (Network18) नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड ने सप्ताह की शुरुआत मजबूती से 80.01 रुपये पर की, लेकिन मध्य सप्ताह में इसमें भारी गिरावट देखी गई। शुक्रवार को यह 73.84 रुपये तक गिर गया और 74.57 रुपये पर बंद हुआ। यह गिरावट और अस्थिरता के साथ मंदी के रुझान को दर्शाती है। जी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (ZMCL) जी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (ZMCL) का शेयर सोमवार को 20.80 रुपये पर खुला और 20.90 रुपये तक बढ़ा, लेकिन फिर लगातार गिरावट दर्ज करते हुए शुक्रवार को 19.40 रुपये के निचले स्तर पर आ गया। यह सप्ताहांत में हल्के सुधार के साथ 19.55 रुपये पर बंद हुआ, लेकिन गिरावट का रुझान स्थिर बना रहा। जागरण प्रकाशन (Jagran Prakashan) जागरण प्रकाशन लिमिटेड का शेयर सोमवार को 88.90 रुपये पर खुला और 90 रुपये के उच्चतम स्तर तक पहुंचा, लेकिन सप्ताहभर धीरे-धीरे गिरावट दर्ज करते हुए शुक्रवार को 86.50 रुपये पर बंद हुआ, जो इसका साप्ताहिक निम्नतम स्तर था। एचटी मीडिया (HT Media) एचटी मीडिया का शेयर सोमवार को 24.94 रुपये पर खुला और मंगलवार को 25.25 रुपये के उच्चतम स्तर तक पहुंचा। इसके बाद सप्ताहभर इसमें गिरावट देखी गई और शुक्रवार को यह 24.05 रुपये पर बंद हुआ, जो सप्ताह का सबसे निचला स्तर था। यह निवेशकों की कमजोर भावना को स्पष्ट करता है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में हाल के दिनों में मंदी का दौर चल रहा है और निवेशक इन कंपनियों के प्रदर्शन को लेकर सतर्क हैं।
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बिजनेस टुडे' (Business Today) के एडिटर के पद से हाल ही में इस्तीफा देने वाले सौरव मजूमदार को लेकर अब एक बड़ी खबर आयी है। दरअसल, अब वह 'फॉर्च्यून इंडिया' (Fortune India) के एडिटर-इन-चीफ के रूप में शामिल हो गए हैं। बता दें कि यह उनके लिए इस प्रकाशन के साथ दूसरी पारी होगी। सौरव मजूमदार ने लिंक्डइन पर लिखा, "Fortune India में वापस आकर मुझे खुशी हो रही है और मैं इसे अगले स्तर तक ले जाने के लिए तैयार हूं।" सौरव मजूमदार का करियर वित्तीय पत्रकारिता में तीन दशकों से अधिक का है और उन्होंने प्रमुख प्रकाशनों में वरिष्ठ संपादकीय भूमिकाएं निभाई हैं। वह वर्तमान में Business Today के संपादक थे, लेकिन पहले वह Fortune India और Forbes India के संपादक रहे हैं, जहां उन्होंने बिजनेस खबरों को गहरी समझ के साथ आकार दिया, विशेष रूप से कॉर्पोरेट और वित्तीय बाजारों पर।
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पीआर और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन इंडस्ट्री एक तेजी से बदलता और गतिशील क्षेत्र है, जहां नए और क्रिएटिव विचारों से भरी आउट-ऑफ-द-बॉक्स कैंपेन इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाते हैं। इन कैंपेंस के पीछे के प्रोफेशनल अपने नवीन दृष्टिकोण और नई ऊर्जा से इस क्षेत्र के परिदृश्य को बदलने का प्रयास करते हैं। इसी कड़ी में एक्सचेंज4मीडिया (e4m) एक बार फिर पीआर और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन इंडस्ट्री के सबसे बड़े इवेंट PR & Corp Comm IPRCCA के साथ लौट आया है, जोकि इसका 15वां संस्करण है। यदि आपके पास कोई प्रभावशाली, रचनात्मक और असरदार पीआर या कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन कैंपेन है, तो इसे IPRCCA 2024 में नामांकित करने का शानदार मौका है। कौन कर सकता है नामांकन? नामांकन पीआर एजेंसियां, क्रिएटिव एजेंसियां, संगठन, विज्ञापनदाता/कॉर्पोरेट ब्रैंड्स या अन्य इच्छुक व्यक्ति और संगठन (PR Agencies, Creative Agencies, Organizations, Advertisers/Corporate Brands, or other interested individuals or organizations) द्वारा किया जा सकता है, बशर्ते वे किसी ग्रुप कैटेगरी या इंडिविजुअल कैटेगरी के लिए पात्र हों। - प्रस्तुत किए जाने वाले सभी कार्य 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच पहली बार क्रियान्वित किए गए होने चाहिए। - सभी कैटेगरीज में प्रविष्टियां अंग्रेजी सहित सभी भारतीय भाषाओं के लिए खुली हैं। नामांकन प्रक्रिया, प्रविष्टि जमा करने का शुल्क व अन्य नियमों की अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें-
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राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन ने हॉकी को एक राष्ट्रव्यापी उत्सव में बदलने और हॉकी खिलाड़ियों को देशभर में जाना-पहचाना नाम बनाने के लिए हॉकी इंडिया लीग के साथ साझेदारी की है। 28 दिसंबर 2024 को शुरू होने वाली हॉकी इंडिया लीग (HIL) के लिए यह साल ऐतिहासिक है, क्योंकि इस बहुप्रतीक्षित पुरुष प्रतियोगिता के साथ-साथ महिला हॉकी इंडिया लीग का आगाज भी हो रहा है। यह ऐतिहासिक लीग 28 दिसंबर 2024 से शुरू होगा। पुरुष और महिला टीमें करेंगी मुकाबला इस लीग में 8 पुरुष टीमें और 4 महिला टीमें हिस्सा लेंगी, जो राउरकेला और रांची में मुकाबला करेंगी। भारत और दुनिया भर के शीर्ष खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। महिला लीग का आयोजन हॉकी इंडिया की लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। दूरदर्शन की व्यापक पहुंच दूरदर्शन, भारतीय खेलों को बढ़ावा देने की अपनी परंपरा के तहत, HIL के रोमांचक मैचों को देशभर के करोड़ों दर्शकों तक पहुंचाएगा। हॉकी इंडिया लीग (HIL) संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिलीप टिर्की ने कहा, "दूरदर्शन की पहुंच और खेलों के प्रति प्रतिबद्धता हॉकी को हर कोने तक ले जाने के हमारे विजन से मेल खाती है। महिला लीग का शुभारंभ खेल में समानता और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" महिला खिलाड़ियों के लिए बड़ा मंच संचालन समिति के सदस्य भोला नाथ सिंह ने कहा कि हॉकी केवल एक खेल नहीं, बल्कि देश की एकता और गौरव का प्रतीक है। महिला HIL का आयोजन महिला खिलाड़ियों के लिए समानता और सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है। प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने कहा, "यह साझेदारी हॉकी की भावना को शहरों और गांवों तक पहुंचाने का हमारा प्रयास है। महिला HIL के ऐतिहासिक पदार्पण सहित, हमारा लक्ष्य हॉकी के खेल को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देना है।" सभी राष्ट्रीय चैंपियनशिप पर कवरेज दूरदर्शन अब न केवल हॉकी इंडिया लीग बल्कि सभी हॉकी इंडिया राष्ट्रीय चैंपियनशिप और भारत में आयोजित हॉकी के अन्य आयोजनों का भी प्रसारण करेगा। यह साझेदारी भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास है। अब, भारत के कोने-कोने में हॉकी प्रेमी दूरदर्शन पर HIL का सीधा प्रसारण देख सकेंगे, जिससे राष्ट्रीय खेल का उत्साह हर घर तक पहुंचेगा।
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NBF ने अपने बयान में कहा, “इस घृणित हिंसा ने पत्रकार रंजीत कुमार को गंभीर चोटें पहुंचाई हैं और यह घटना पत्रकारों को उनके कर्तव्यों के दौरान आने वाले खतरों की स्पष्ट याद दिलाती है। इस तरह के हमले न केवल व्यक्तियों पर हमला हैं बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जनता के सूचना के अधिकार पर भी प्रहार करते हैं।” फेडरेशन ने इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस हमले की पूरी जांच और दोषी पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। NBF ने यह भी कहा, “हम उन पुलिस अधिकारियों से भी जवाबदेही की मांग करते हैं, जो घटना स्थल पर मौजूद थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। यह घटना पत्रकार सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए तत्काल सुधारों की आवश्यकता को उजागर करती है।” ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए, NBF ने पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय कानून की आवश्यकता पर जोर दिया है। “इस कानून में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, धमकी या उत्पीड़न के सभी रूपों को अपराध घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही उन सार्वजनिक अधिकारियों और कानून प्रवर्तन कर्मियों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए जो ऐसी घटनाओं के सामने निष्क्रिय रहते हैं। इसके अलावा, पत्रकारों को बिना किसी डर के अपने कार्य करने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल और दिशा-निर्देश अनिवार्य किए जाने चाहिए। NBF ने नागरिकों, सार्वजनिक हस्तियों और कानून प्रवर्तन से अपील की है कि वे समाज में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करें। फेडरेशन ने कहा, “सार्वजनिक चर्चाएं और असहमति सम्मानजनक तरीके से होनी चाहिए, जिसमें डराने-धमकाने या हिंसा का सहारा न लिया जाए।” तेलुगू अभिनेता मोहन बाबू के खिलाफ एक पत्रकार पर हमले का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बुधवार को जानकारी दी कि मोहन बाबू और उनके दोनों बेटों विष्णु एवं मनोज के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 126 के तहत संभावित रूप से शांति भंग होने को लेकर 11 दिसंबर को रचकोंडा पुलिस आयुक्त के समक्ष उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किया गया, जिसके बाद मनोज पुलिस आयुक्त के समक्ष पेश हुए। इस मामले में आरोप है कि मोहन बाबू ने एक वीडियो पत्रकार पर हमला किया, जब वह उनके परिवार के विवाद को कवर करने के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे। पत्रकार की शिकायत के मुताबिक, वह 10 दिसंबर को उजलपल्ली स्थित मोहन बाबू के घर पहुंचे, जब उन्होंने अभिनेता और उनके छोटे बेटे मनोज के बीच विवाद को कवर करने की कोशिश की, तो अभिनेता ने उन पर हमला कर दिया। पत्रकार का आरोप है कि मोहन बाबू ने उनका माइक्रोफोन छीन लिया, अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया और उन पर शारीरिक हमला किया, जिससे उनके सिर में चोट आई। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने पहाड़ीशरीफ थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 118 (1) के तहत मामला दर्ज किया है। इस घटना की निंदा करते हुए मीडियाकर्मियों ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन भी किया और मोहन बाबू से माफी की मांग की। वहीं, मोहन बाबू के बड़े बेटे विष्णु ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह पारिवारिक मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करेंगे और उम्मीद जताई कि मामला शांति से हल हो जाएगा। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया और कहा कि यह जानबूझकर नहीं हुआ। मनोज ने भी पत्रकारों से माफी मांगी और कहा कि यह घटना उनके पिता और बड़े भाई की ओर से नहीं की गई थी। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वह इसे सनसनीखेज न बनाएं। इस बीच, मोहन बाबू को स्वास्थ्य समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मोहन बाबू के परिवार के भीतर मतभेद 9 दिसंबर को तब सार्वजनिक हो गए जब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई कि मनोज और उनकी पत्नी ने उनके घर पर कब्जा करने की योजना बनाई है। हालांकि, मनोज ने स्पष्ट किया कि उनका यह संघर्ष संपत्ति को लेकर नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और अपनी पत्नी व बच्चों की सुरक्षा के लिए था। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही अपने परिवार के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।
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ZEE5 से खबर है कि श्रेष्ठ गुप्ता को यहां इंडिया व ग्लोबल स्तर पर मार्केटिंग (SVOD) के वाइस प्रेसिडेंट के पद पर प्रमोट किया गया है। अगस्त 2020 में ZEE5 से जुड़े श्रेष्ठ गुप्ता अब हिंदी, बंगाली और मराठी में ओरिजिनल सीरीज और फिल्मों के लॉन्च व प्रमोशन का नेतृत्व करेंगे, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सब्सक्रिप्शन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। रणनीतिक योजना और ब्रैंड निर्माण में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले श्रेष्ठ गुप्ता ने सन टीवी नेटवर्क, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क में लीडरशिप की भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने प्रभावशाली कैंपेंस का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है, जिनमें Zindagi और &Prive HD की लॉन्चिंग शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने ईस्टर्न मार्केट्स में सन बांग्ला को इंट्रोड्यूज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ZEE5 के प्रमुख लॉन्च जैसे 'ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड', 'सिर्फ एक बंदा काफी है' और 'ग्यारह-ग्यारह' के लिए उत्कृष्ट कैंपेंस को संभाला। डिजिटल मार्केटिंग, स्टोरीटेलिंग और उपभोक्ता अंतर्दृष्टि में अपनी विशेषज्ञता के लिए व्यापक रूप से पहचाने जाने वाले श्रेष्ठ ने हमेशा ऐसे कैंपेंस प्रस्तुत किए हैं जो दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ते हैं। उन्होंने MICA से कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और राजस्थान विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है।उनका यह प्रमोशन ZEE5 की अपनी मार्केटिंग रणनीति को मजबूत करने और SVOD सेवाओं को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो इसे भारत के प्रमुख डिजिटल एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म के रूप में मजबूती प्रदान करती है।
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9 दिसम्बर को सोनिया गांधी का जन्मदिन था। उसी दिन बीजेपी ने संसद में सोनिया गांधी पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने राज्यसभा में आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के संगठन से करीबी रिश्ते हैं। नड्डा ने कहा कि कारोबारी जॉर्ज सोरोस कांग्रेस के साथ मिलकर खुलेआम भारत विरोधी एजेंडा चलाते हैं, सोरोस कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते। वह मोदी सरकार को हटाने और भारत में अस्थिरता पैदा करने का काम करते हैं सवाल ये है कि आखिर जॉर्ज सोरोस के नाम से कांग्रेस के नेता इतने परेशान क्यों हो गए? जॉर्ज सोरोस अरबपति अमेरिकी कारोबारी हैं, दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में उनका संगठन काम करता है। फोरम फॉर डेमोक्रेडिट लीडर्स फाउंडेशन को जॉर्ज सोरोस से फंडिग मिलती है। इस संगठन के चार सह-अध्यक्ष हैं जिनमें राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी भी एक हैं। फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स फाउंडेशन का एजेंडा भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक रहा है। बीजेपी प्रवक्ता सुधाशुं त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि कि जॉर्ज सोरोस के संगठन से जुड़े लोग राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल थे। अब कांग्रेस को साफ करना पड़ेगा कि क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी भारत में जॉर्ज सोरोस के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। जॉर्ज सोरोस कश्मीर में जनमतसंग्रह की मांग का समर्थन करते हैं, वह कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते, नरेन्द्र मोदी को तानाशाह बताते हैं, इसीलिए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ऐसे व्यक्ति के संगठन के साथ सोनिया गांधी के रिश्तों पर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ेगी क्योंकि ये रिश्ता देशद्रोह जैसा है। राहुल का नया इल्जाम ये है कि सोरोस और उसके संगठनों ने अडानी को एक्सपोज किया और मोदी अडानी का बचाव कर रहे हैं। लेकिन इस पूरे मामले में जॉर्ज सोरोस का रोल बहुत दिलचस्प है। लंदन के आखबार 'फायनेंशियल टाइम्स' से जॉर्ज सोरोस का कनेक्शन है, चार साल पहले 2020 में 'फाइनेंशियल टाइम्स' ने लिखा अगर मोदी को कमजोर करना है तो गौतम अडानी को टारगेट करना होगा राहुल गांधी बिलकुल इसी राह पर चलते हैं और इसकी कई मिसाल हैं- G20 समिट से पहले राहुल ने अडानी का नाम लेकर मोदी पर हमला किया। उसके बाद चाहे हिंडनबर्ग रिपोर्ट हो या अमेरिका में अडानी के खिलाफ जांच की खबर, सोरोस खबर बनाते हैं और राहुल मोदी के खिलाफ उसका पूरा पूरा इस्तेमाल करते हैं।
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डिजिटल और सोशल में मीडिया में लंबे समय से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं अनुभा त्रिपाठी ने ‘टीवी9’ (TV9) से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अब ‘इंडिया टीवी’ (India TV) के साथ अपनी नई पारी शुरु की है, जहां वह सीनियर सोशल मीडिया मैनेजर की भूमिका निभाएंगी। अनुभा त्रिपाठी ‘आजतक’ (AajTak) समेत कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में रह चुकी हैं। अनुभा त्रिपाठी वर्ष 2017 में ‘आजतक’ की सोशल मीडिया टीम का हिस्सा बनीं। यहां पर उन्होंने करीब पांच साल तक अहम जिम्मेदारी निभाई। दिसंबर 2022 में अनुभा त्रिपाठी ने ‘आजतक’ में अपनी पारी को विराम दिया और बतौर सोशल मीडिया मैनेजर उन्होंने ‘टीवी9’ के डिजिटल नेटवर्क को जॉइन किया। करीब दो साल के कार्यकाल के बाद अनुभा त्रिपाठी ने पिछले महीने ‘टीवी9’ से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अब 9 दिसंबर 2024 को उन्होने ‘इंडिया टीवी’ जॉइन कर लिया है, जहां पर वह सोशल मीडिया टीम को लीड करेंगी। अनुभा ने ‘नेटवर्क18’ (Network18) में भी करीब दो साल काम किया, जहां वह ‘न्यूज18 इंडिया’ (News18 India) की सोशल मीडिया टीम में थीं। वर्ष 2014 में अनुभा ‘न्यूज 24’ (News24) की डिजिटल टीम का हिस्सा भी रही हैं। कानपुर की रहने वाली अनुभा त्रिपाठी कॉमर्स ग्रेजुएट हैं, लेकिन लेखन और पत्रकारिता में रुचि के चलते उन्होंने मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद जर्नलिज्म को ही अपना करियर बना लिया। दख़ल डॉट नेट की ओर से अनुभा त्रिपाठी को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने भारत के 13 प्रमुख शहरों में डिजिटल FM रेडियो प्रसारण शुरू करने की योजना बनाई है। यह कदम रेडियो इंडस्ट्री को आधुनिक बनाने और स्पेक्ट्रम दक्षता (spectrum efficiency) को बेहतर करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। डिजिटल प्रसारण की इस पहल से रेडियो प्रसारण की गुणवत्ता बेहतर होगी और रेडियो इंडस्ट्री के विकास को बढ़ावा मिलेगा। मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने बताया कि आगामी FM रेडियो स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग लेने के लिए 20 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। ये नीलामी हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत 254 कस्बों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को कवर करेगी। नीलामी अगले महीने से शुरू होने वाली है। एक इंडस्ट्री कार्यक्रम में, जिसे इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) और एसोसिएशन ऑफ रेडियो ऑपरेटर्स फॉर इंडिया (AROI) ने आयोजित किया था, जाजू ने संभावित बोलीदाताओं से इस अवसर का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "अगले महीने हम नीलामी प्रक्रिया शुरू करेंगे और मैं सभी 20 कंपनियों से अनुरोध करता हूं कि वे इन अप्रयुक्त क्षेत्रों में विस्तार करने के इस शानदार अवसर का उपयोग करें।"सूचना और प्रसारण मंत्रालय डिजिटल रेडियो में बदलाव को आसान बनाने के लिए चार वैश्विक डिजिटल रेडियो तकनीकों पर विचार कर रहा है। इस बदलाव में प्रसारकों की मदद के लिए "सिमुलकास्ट" तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो एक ही समय पर एनालॉग और डिजिटल दोनों प्रसारण करने की सुविधा देगा। इसका उद्देश्य यह है कि प्रसारणकर्ता डिजिटल फॉर्मेट में बदलाव के दौरान अपनी आय को बनाए रख सकें। निजी ऑपरेटर्स की फीस को लेकर चिंताओं का समाधान करते हुए मंत्रालय ने नॉन-रिफंडेबल फीस (non-refundable fee) और 2.5% वार्षिक लाइसेंस शुल्क को हटा दिया है। मंत्रालय ने इन शर्तों को वर्तमान नीलामी प्रक्रिया से हटाकर इसे सरल बना दिया है। अब यह प्रक्रिया पूरी तरह से प्रसारकों की टॉप-लाइन आय (revenue) पर निर्भर होगी। सचिव संजय जाजू ने बताया कि सरकार का "लाइट-टच" रेगुलेशन का दृष्टिकोण व्यवसायों को आसान बनाने पर केंद्रित है।प्रसारकों की राजस्व स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए जाजू ने निजी एफएम स्टेशनों पर विज्ञापनों के बेस रेट (base rates) में 40% की वृद्धि की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय इंडस्ट्री की अन्य चुनौतियों का समाधान करने और नई विकास संभावनाओं को खोलने के लिए काम कर रहा है। डिजिटल एफएम रेडियो के रोलआउट के लिए महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड और तकनीकी उन्नति की आवश्यकता होगी। फ्रीक्वेंसी प्लानिंग कमेटी ने पहले चरण के डिजिटल लॉन्च के लिए आवश्यक चैनलों की पहचान कर ली है। संजय जाजू ने कहा, "हमारा लक्ष्य अगले कुछ महीनों में इस प्रक्रिया को पूरा करना है और इन शहरों में डिजिटल रेडियो प्रसारण शुरू करना है।" यह घोषणा सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के बीच निजी ऑपरेटर्स के लिए एक समग्र डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति पर जारी बातचीत के बीच हुई है। जाजू ने यह भी कहा कि डिजिटल रेडियो की क्षमता, जो मौजूदा फ्रीक्वेंसी पर कई चैनल्स को समायोजित कर सकती है, यह प्रसारकों और श्रोताओं दोनों के लिए फायदेमंद होगी। उन्होंने बताया, "डिजिटल रेडियो भविष्य की दिशा है। यह मौजूदा स्पेक्ट्रम पर कई चैनल्स को अनुमति देता है, जिससे ऑपरेटर अपनी आय को अनुकूलित कर सकते हैं और श्रोताओं को अधिकतम मूल्य प्रदान कर सकते हैं।" इसके अतिरिक्त, सरकार का उद्देश्य प्रॉपर्टरी तकनीकों पर निर्भरता को कम करना और खुले मानकों को प्रोत्साहित करना है, ताकि डिजिटल संक्रमण सहज हो सके। जाजू ने प्रसारकों को आश्वस्त करते हुए कहा, "हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि संक्रमण सुचारू रूप से हो और इसे आधुनिक तकनीकी सहायता प्राप्त हो।"इन रणनीतिक पहलों के साथ, मंत्रालय का उद्देश्य भारत के एफएम रेडियो परिदृश्य को पुनर्जीवित करना और पहले से अनसेवा क्षेत्रों में प्रसारण सेवाओं का विस्तार करना है, जिससे उद्योग में विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
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प्रसार भारती ने दूरदर्शन के जयपुर केंद्र की रीजनल न्यूज यूनिट (आरएनयू) में स्ट्रिंगर पैनल के पुनर्गठन के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिसमें शामिल होने के लिए अब आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ा अब बढ़ा दी गई है। राजस्थान के 10 जिलों में स्ट्रिंगर के पैनल के लिए आवेदन की अंतिम तिथि अब 23 दिसंबर 2024 कर दी गई है। यह नियुक्तियां राजस्थान के विभिन्न जिलों जैसे अजमेर, कोटा, राजसमंद, जैसलमेर, जालौर, अनूपगढ़, प्रतापगढ़, ब्यावर, सांचोर और अलवर के लिए हैं। पहले आवेदन की अंतिम तिथि 8 नवंबर 2024 से तीस दिनों के भीतर निर्धारित की गई थी। यह निर्णय सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के बाद लिया गया है। आवेदन करने के इच्छुक अभ्यर्थियों के पास अब और समय है ताकि वे अपने दस्तावेज़ तैयार कर रीजनल न्यूज यूनिट, डीडीके, जयपुर में अपना आवेदन जमा कर सकें।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार डॉ. संदीप सेठ ने ‘जी मीडिया’ (Zee Media) के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत की है। उन्होंने इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ (Zee News) में बतौर इनपुट एडिटर जॉइन किया है। डॉ. संदीप सेठ को मीडिया में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। ‘जी न्यूज’ जॉइन करने से पहले वह ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) में नेशनल एडिटर (असाइनमेंट) के पद पर कार्यरत थे। पूर्व में वह ‘आजतक’, ‘रिपब्लिक नेटवर्क’ और ‘इंडिया टीवी’ में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। ‘रिपब्लिक भारत’ और ‘टीवी9 भारतवर्ष’ की लॉन्चिंग टीम में भी वह शामिल रहे हैं। डॉ. संदीप सेठ की इंटरनेशनल अफेयर्स (खासकर-पाकिस्तान, बांग्लादेश औऱ भारत से संबंधित दूसरे देशों) पर अच्छी पकड़ है। डॉ. संदीप सेठ की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ से उन्होंने इतिहास में ग्रेजुएशन व पोस्टग्रेजुशन करने के बाद यहां से पत्रकारिता में दो साल का पीजी डिप्लोमा किया है। इसके बाद उन्होंने हरियाणा में हिसार स्थित ‘गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी’ से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। इसके साथ ही उन्होंने पत्रकारिता में पीएचडी की हुई है। समाचार4मीडिया की ओर से डॉ. संदीप सेठ को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर के सुसाइड का मामला सामने आया है। 34 साल के अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और सास पर पैसों के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए सुसाइड कर लिया। अतुल ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपना रोष प्रकट किया और कहा कि भारत की न्यायिक व्यवस्था सड़ गल रही है। उन्होंने एक्स पर लिखा, अतुल हार गया। न्यायिक सिस्टम जीत गया। उन पर तो कत्ल का इल्ज़ाम भी नहीं। लेकिन उनके उत्पीड़न भरे न्यायिक आदेशों की पालना में अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली। भारत की न्यायिक व्यवस्था सड़ गल रही है। दुर्गंध से युक्त है। सब इसके पीड़ित हैं। कुछ एक को छोड़कर जिन्हें इंसाफ की जगह जज साहब ने कुछ और थमा दिया। अतुल को आत्महत्या के लिए बेबस किया गया। वो मरने को मजबूर किया गया। क्योंकि उनकी आंखों में सिक्कों की खनक और अमीन जायदाद पर अपना कब्जा चाहिए था। जब तक जिंदा हो अपने ही मरने का इंतजाम भी करते रहे मेंटिनेंस के नाम पर।भारतीय कानून ऐसे मामलों स्पष्टता के साथ न्याय दिलाने में सक्षम नहीं है। मध्यस्थता केनाम पर दलाली होती है। रेट लगते हैं। जो ऊंचे मनोबल के है वो ठीक है। जो कमजोर है उनके लिए मौत बाहर बाहें फैलाए खड़ी है। समाज समग्रता से सोचे और इसका मुक्कमल हल निकाले वरना अतुल मरते रहेंगे और रीता वशिष्ठ जैसे जज वही करती रहेंगी जो अब तक करती आई है। किसी ने क्या बिगाड़ लिया उनका। बता दें, मूल रूप से बिहार के अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। पड़ोसियों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा तो उनकी बॉडी फंदे पर लटकी मिली। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ यानी ‘न्याय बाकी है’ लिखी एक तख्ती मिली।
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शेयरचैट (ShareChat) ने नितिन जैन को अपना नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (Chief Technology Officer) नियुक्त किया है। इस भूमिका में नितिन, शेयरचैट और इसके शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म 'मोज' (Moj) पर तकनीक के विकास और अनुप्रयोग की जिम्मेदारी संभालेंगे। नितिन जैन एक अनुभवी तकनीकी विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने विज्ञापन, ई-कॉमर्स, फिनटेक और उन्नत डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में कई बदलावकारी परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। उन्होंने शुरुआती विचारों को विकसित कर प्रभावशाली वैश्विक मंचों में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपने करियर में नितिन ने Tokopedia, Gojek और हाल ही में TikTok जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में काम किया है। उन्होंने शून्य से तकनीकी व्यवसायों को खड़ा करने और उन्हें तेजी से बढ़ाने का अनुभव हासिल किया है। उनकी विशेषज्ञता कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन और आधुनिक देवऑप्स प्रथाओं जैसे अत्याधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में है। नितिन के स्वागत में शेयरचैट और मोज के सीईओ व को-फाउंडर अंकुश सचदेवा ने कहा, “नितिन एक वैश्विक तकनीकी लीडर हैं, जिनके पास विभिन्न क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों में काम करने का दो दशकों से अधिक का अनुभव है। शेयरचैट और मोज में विकास के अगले अध्याय की शुरुआत के लिए नितिन का अनुभव और तकनीकी व्यवसायों को स्केल करने की उनकी सिद्ध क्षमता गेम-चेंजर साबित होगी। उनके टीम में शामिल होने और हमारे तकनीकी संगठन का नेतृत्व करने को लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं।” अपनी नियुक्ति पर नितिन जैन ने कहा, “मैं ग्राहक-केंद्रित उत्पादों को विकसित करने के लिए अत्यधिक जुनूनी हूं, जो नवाचार और तकनीकी अनुप्रयोगों के माध्यम से वास्तविक मूल्य प्रदान करते हैं। शेयरचैट के साथ काम करने और इतने प्रतिभाशाली टीम से सीखने का अवसर मेरे लिए बेहद रोमांचक है। मैं अपने अनुभव का उपयोग करके हमारे बढ़ते उपयोगकर्ताओं और क्रिएटर्स समुदाय को एक अत्यधिक व्यक्तिगत सामाजिक अनुभव प्रदान करने के लिए तत्पर हूं
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पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) समूह के हिंदी अखबार 'नवोदय टाइम्स' के कार्यकारी संपादक अकु श्रीवास्तव की नई किताब 'मोदी 3.0 और आगे: पटरी पर साख' ने मार्केट में दस्तक दे दी है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ.सुधांशु त्रिवेदी के मुख्य आतिथ्य में दिल्ली स्थित ‘कॉन्स्टीट्यूशन क्लब’ के डिप्टी स्पीकर हॉल में नौ दिसंबर, 2024 को आयोजित एक कार्यक्रम में इस पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार व ‘सी वोटर’ के संस्थापक यशवंत देशमुख और ‘डीडी न्यूज’ में वरिष्ठ सलाहकार संपादक अशोक श्रीवास्तव बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए, वहीं ‘प्रभात प्रकाशन’ के प्रभात कुमार और पीयूष कुमार ने भी मंच की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम में डॉ. सुधांशु त्रिवेदी का कहना था कि 16 मई 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। उस समय एक सरकार परिवर्तन की शुरुआत हुई। 2019 में फिर से नरेंद्र मोदी पीएम बने, इस बार लोगों ने व्यवस्था परिवर्तन होते देखा और मोदी-3 में लोगों की सोच में बदलाव स्पष्ट झलक रहा है। आलम यह है कि विश्व भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मान रहा है कि भारत वर्ल्ड का ग्रोथ इंजन भी बनेगा। उन्होंने बौद्धिक वर्ग की खास बिरादरी का तमगा ओढ़े रहने वाले सफेदपोश अथवा राजनीतिक दल से जुड़े वर्ग पर निशाना साधते हुए कहा कि दरअसल किताब में जो विषय और नाम दिया गया है, वास्तव में पटरी पर तो साख उन लोगों और उस विपक्षी दलों की है, जो स्वयंभू बौद्धिक जगत के सिरमौर बने हुए हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि तमाम राजनीतिक भविष्यवाणी के बीच तीसरी बार नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनने के साथ कई तरह के समीकरण और फेक नैरेटिव भी इस बार देश के सामने आए। खासतौर पर चुनाव के परिणाम के बाद कुछ फेक नैरेटिव गढऩे की पुरजोर तरीके से कोशिशें की गईं। लेकिन सब को धता बताते हुए मोदी-3 कार्यकाल आरंभ हो चुका है। उन्होंने कहा कि वासतव में जिस तरह के चुनावी परिणाम सामने आए हैं, चाहें बात लोकसभा चुनाव की हो या फिर हरियाणा अथवा महाराष्ट्र के परिणाम की, सभी में महिला वोटरों का योगदान और उनका प्रभाव भी गौर करने लायक है। उन्होंने कहा कि मोदी ने पीएम बनने के बाद पहले भाषण में स्वच्छता और बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ का जो नारा देते हुए अभियान शुरु किया था, उसका परिणाम सभी के सामने है। भाजपा सांसद ने कहा कि एक भी ऐसा मुस्लिम देश नहीं है, जहां लेफ्ट जमात को बैन न किया हुआ हो और एक भी ऐसी लेफ्ट पार्टी की सरकार वाला देश नहीं, जहां मुस्लिमों की मस्जिद को न तोड़ा गया हो। चीन से लेकर चेक रिपब्लिक तक इसमें शामिल हैं। लेकिन दोनों ही एक दूसरे के तारीफ का नैरेटिव गढ़ते हैं और लेफ्ट लिबरल की बात की जाती है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के कार्य का ही असर है कि आज चार मुस्लिम देश जिसमें फिलिस्तीन जैसा मुल्क भी है, वहां मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया गया है। राम मंदिर अगर अयोध्या में बना है तो आबू धाबी में भी मंदिर बना है। यह मोदी शासन के तीसरे कार्यकाल में लोगों की सोच में हुए परिवर्तन को दर्शाता है। ‘सी वोटर’ के संस्थापक यशवंत देशमुख ने कहा कि नरेंद्र मोदी की इस जीत में महिलाओं का योगदान काफी अहम है। मुस्लिम वर्ग की महिलाओं ने भी खुलकर मोदी के समर्थन में वोट किया है। उन्होंने कहा कि 2009 में मनमोहन सिंह की सरकार के गठन में सबसे बड़ा योगदान नैरेटिव का था, उस समय जब मनमोहन सिंह पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे थे, तब लोगों में उनकी ईमानदार और बेदाग छवि अहम साबित हुई। लेकिन 2014 के आते-आते लोगों ने माना कि ईमानदार व्यक्ति अगर भ्रष्ट सरकार में है तो कोई लाभ नहीं। यशवंत देशमुख ने मुफ्त की रेवड़ी को लेकर मचे घमासान पर कहा कि निश्चित रूप से चुनाव में फ्री का सब्जबाग और सुविधाओं का खेल नया नहीं है। लेकिन महिलाओं को फ्री मिलने वाला लाभ न केवल उनके लिए फायदेमंद होता है,बल्कि उनके परिवार और आर्थिक भरण-पोषण में भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए बदलते समय के साथ मंडल, कमंडल के बाद अब नया आभामंडल तैयार हो रहा है और महिलाओं को मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं को रेवड़ी अथवा चुनाव के दौरान फ्री के सुविधाओं से जोडऩा उचित नहीं। वहीं, अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि देश में मोदी सरकार के गठन और 2024 के चुनावी परिणाम के बाद फेक नैरेटिव गढऩे की प्रक्रिया काफी बढ़ी है। लेकिन लोग फेक नैरेटिव को समझने लगे हैं। उन्होंने कहा कि 2024 का चुनावी परिणाम के बाद मोदी 3 पुस्तक प्रकाशित होने के साथ ही कई बातें चुनावी परिणाम को समझने में मददगार साबित होंगे। ऐसी उम्मीद है। पुस्तक के लेखक अकु श्रीवास्तव ने कहा कि दरअसल जिस तरह से लोकसभा के चुनाव परिणाम आए और हरियाणा, महाराष्ट्र के परिणाम आए, इस कारण पुस्तक में कई तरह के बदलाव लेखन और तथ्य एवं विश्लेषण की दृष्टि से करने पड़े। इसलिए पुस्तक के आने में कुछ विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सामयिक विषय पर लिखी गई पुस्तक में कई बातें रह जाना स्वाभाविक है, जैसा कुछ लोग पुस्तक को पढऩे के बाद अपने विचारों के जरिये व्यक्त भी करेंगे, लेकिन यह तय है कि मोदी-2 के बाद मोदी-3 में कई महत्वपूर्ण विश्लेषण बदलती राजनीतिक परिवेश को लेकर किया गया है, जिससे लोगों को भी समझने में सहायता मिलेगी, ऐसी उम्मीद है। पुस्तक विमोचन के मौके पर अकु श्रीवास्तव की पत्नी ज्योति श्रीवास्तव एवं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ-साथ कई वरिष्ठ पत्रकार और साहित्य जगत एवं राजनीतिक क्षेत्र की दिग्गज हस्तियां शामिल रहीं।
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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 2025 से प्रेम भाटिया पत्रकारिता पुरस्कारों की जिम्मेदारी संभालने का निर्णय लिया है। ये पुरस्कार दो श्रेणियों में दिए जाते हैं— राजनीतिक पत्रकारिता में उत्कृष्टता और पर्यावरण पत्रकारिता में उत्कृष्टता। इस फैसले के तहत, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया हर साल 'प्रेम भाटिया मेमोरियल लेक्चर' का आयोजन भी करेगा। यह पुरस्कार और व्याख्यान 1995 में दिवंगत प्रेम भाटिया की स्मृति में शुरू किए गए थे, जो 'द ट्रिब्यून' के पूर्व संपादक रहे थे। एडिटर्स गिल्ड ने प्रेम भाटिया मेमोरियल ट्रस्ट के साथ एक समझौते के तहत इन दोनों जिम्मेदारियों को अपने हाथ में लिया है। इस समझौते के तहत, प्रेम भाटिया मेमोरियल ट्रस्ट ने अपनी पूरी निधि एडिटर्स गिल्ड को दान कर दी है, जिससे गिल्ड इन दोनों पुरस्कारों और वार्षिक व्याख्यान को अगले साल से आयोजित कर सकेगा। पिछले कुछ वर्षों में, ये वार्षिक पुरस्कार और स्मारक व्याख्यान भारतीय पत्रकारिता में अत्यधिक प्रतिष्ठित आयोजन बन चुके हैं। एडिटर्स गिल्ड ने इन परंपराओं को भविष्य में भी उसी गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई है। इन दोनों पुरस्कारों के पूर्व विजेताओं में पीपल्स आर्काइव ऑफ इंडिया (PARI), राजदीप सरदेसाई, नीरजा चौधरी, आकार पटेल, जोसी जोसेफ और दैनिक भास्कर जैसे नाम शामिल हैं। वहीं, स्मारक व्याख्यान देने वाले प्रमुख व्यक्तियों में डॉ. करन सिंह, डॉ. एमएस स्वामीनाथन, ज़ोया हसन, सोली सोराबजी, प्रताप भानु मेहता, श्याम सरन, इंदर मल्होत्रा और टीएन निनन शामिल हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने घोषणा की है कि वह इन परंपराओं को उसी गरिमा और सम्मान के साथ निभाते हुए पत्रकारिता को और मजबूती प्रदान करेगा।
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कांग्रेस सहित कई राजनैतिक पार्टियां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, मुआवजे , मुफ्त बिजली इत्यादि की मांगों को लेकर नया तूफान खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। किसानों को उनके खेतों की उपज का उचित मूल्य मिलना निश्चित रूप से जरुरी है लेकिन देश की आवश्यकता के अनुसार अनाज , तिलहन के उत्पादन की प्राथमिकताएं तय होने पर ही सही दाम मिल सकते हैं। इसी तरह भारत के फल, सब्जी का निर्यात करने के लिए सड़क , रेल, हवाई सुविधाओं और आर्थिक संसाधन सरकार और प्राइवेट क्षेत्र को बड़े इंतजाम करने होंगे। मांगों और अपेक्षाओं की फेहरिस्त लगातार बढ़ सकती है। एक बार फिर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसानों ने 6 दिसंबर को अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली कूच आंदोलन तेज कर दिया। वे समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा, किसान कृषि कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न करने, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगें हैं। इस बार किसानों के दिल्ली कूच में वह मरजीवड़ा जत्था है, जो शख्स किसी मकसद के लिए खुद को कुर्बान कर देता है। बताया जाता है कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने मरजीवड़ा जत्था (दल) बनाया था और इसमें भाई मतीदास, सतीदास और भाई दयाला को भी शामिल किया था। मतलब राजनीति के साथ धार्मिक भावना जोड़ दी है। 101 किसानों का यह जत्था निहत्थे और पैदल ही चलेगा। जत्थे में शामिल किसानों से सहमति फॉर्म भी भरवाया गया है। किसानों का जो आंदोलन हो रहा है, उसके पीछे संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा है। किसान 26 अक्टूबर को सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और समय पर धान खरीद सहित अपनी कई मांगों पर दबाव डालने के लिए संगरूर जिले के बदरुखा में बड़ी संख्या में जुटे हुए थे। शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि मोर्चे को चलते 297 दिन हो गए है और खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन 11वें दिन में प्रवेश कर गया। शंभु बॉर्डर पर किसान करीब 300 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। दूसरी तरफ संसद में कांग्रेस और अन्य प्रतिपक्षी दल हमलावर हुए हैं। संगरूर के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला ने किसानों की मांगों को लेकर उपराष्ट्रपति धनखड़ को चिट्ठी भी लिखी। इस पर श्री धनकड़ इतने भावुक और उत्तेजित हो गए कि मुंबई में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के शताब्दी समारोह में कृषि मंत्री शिवराज सिंह को कहने लगे, एक-एक पल आपका भारी है। कृपया करके मुझे बताइये कि किसानों से क्या वादा किया गया था? उनसे किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन हो रहा है. कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है। उप राष्ट्रपति ने अपने पद का उल्लेख करते हुए शिवराज सिंह चौहान पर सवालों की बौछार कर दी। बाद में शायद उन्हें इस रुख का अहसास हुआ या ध्यान दिलाया गया कि सरकार दो दिन पहले भी संसद में विस्तार से बता चुकी है कि सरकार कितना लाभ और फसल का अधिकाधिक मूल्य किसानों को दे रही है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में कहा कि सभी कृषि उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा, यह मोदी सरकार की गारंटी है। कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। बातचीत के दरवाजे उनके लिए खुले हैं। किसानों के साथ अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 साल में किसान कल्याण के लिए कई बड़े फैसले किए हैं। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ढाई गुना और 3 गुना एमएसपी बढ़ाया है तो नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने बढ़ाया है और जब उधर (विपक्ष) की सरकार थी तो ये खरीदते नहीं थे। केवल एमएसपी घोषित करते थे। इन्होंने दलहन की खरीदी 6 लाख 29 हजार मीट्रिक टन की थी। पिछले साल करीब 250 मिलियन क्विंटल निर्यात से करीब 776 मिलियन डॉलर की आमदनी भारत को हुई है लेकिन असली समस्या किसानों के नेतृत्व की है। चौधरी चरण सिंह या चौधरी देवीलाल के किसान नेता होने पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा पाया। हम, जैसे पत्रकार तो उनके उपप्रधान मंत्री रहते हुए सरकारी बंगले में गाय भैंस रखे जाने की खबर बना देते थे। जार्ज फर्नांडीज या मधु लिमये या दत्तोपंत ठेंगड़ी किसी भी राज्य में मजदूरों के लिए उनके साथ आंदोलन करने , जेल जाने लाठियां खाने में आगे रहते थे। नम्बूदरीपाद ,ज्योति बसु या भूपेश गुप्त और हरकिशनसिंह सुरजीत सही अर्थों में कम्युनिस्ट विचारों और कार्यकर्ताओं के बल पर प्रभावशाली रहते थे। ऐसे सभी नेताओं को किराये पर भीड़ जुटाने की जरुरत नहीं होती थी। इस पृष्ठभूमि में सवाल उठता है कि गरीब किसान और मजदूरों का नेतृत्व क्या कोई एक या दो नेता इस समय बताया जा सकता है। देश भर में पार्टियों, जातियों ,देशी विदेशी चंदे से चलने वाले संगठनों के अनेकानेक नेता हैं। तभी तो भारत सरकार दो महीने से किसानों के दावेदार नेताओं कई बैठक कर चुकी है और आज भी बातचीत को तैयार है। सिंधु बॉर्डर पर पुलिस से थोड़े टकराव के बाद प्रर्दशनकारी नेताओं ने तात्कालिक स्थगन कहकर बातचीत के लिए सहमति अवश्य दिखाई है ,लेकिन मांगों की लम्बी सूची होने के कारण क्या जल्दी समझौता संभव होगा या राजनीतिक दांव पेंच चलते रहेंगे?
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भारत में उपभोक्ता (consumers) की सोच, पसंद और व्यवहार में तेजी से बदलाव आ रहा है। परंपरा और आधुनिकता के मेल के कारण उपभोक्ता अब पर्यावरण के अनुकूल (sustainability), नैतिक मूल्यों (ethical practices), स्वास्थ्य (health), और तकनीक (technology) को अधिक महत्व दे रहे हैं। इस बदलाव ने बाजार की स्थिति को पूरी तरह से नया रूप दिया है, जिससे कंपनियों को नए अवसरों का लाभ उठाने और नई चुनौतियों का सामना करने का मौका मिल रहा है। यह उभरती हुई मानसिकता बाजार की गतिशीलता को फिर से परिभाषित कर रही है, व्यवसायों को नए अवसर और चुनौतियां प्रदान कर रही है। इन परिवर्तनों को समझने और तेजी से बढ़ते प्रतिस्पर्धी माहौल में आगे रहने के लिए नए भारतीय उपभोक्ता मानसिकता को समझना आवश्यक है। जैसे-जैसे उपभोक्ता अधिक समझदार और जागरूक होते जा रहे हैं, वे जिम्मेदारी से तैयार किए गए, व्यक्तिगत और नवीन (innovative) उत्पादों की मांग कर रहे हैं। व्यवसायों को बदलती प्राथमिकताओं के साथ खुद को अनुकूलित करना होगा, ताकि वे इस बदलते और प्रतिस्पर्धी बाजार में टिके रह सकें पर्यावरणीय स्थिरता (sustainability) भारतीय उपभोक्ताओं के व्यवहार में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभर कर सामने आई है। NielsenIQ (2024) के अनुसार, 57% भारतीय उपभोक्ता पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के लिए अधिक पैसे देने को तैयार हैं, जो यह दर्शाता है कि पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। हालांकि, कीमतों को लेकर संवेदनशील वाली इस मार्केट में, किफायती (affordable) उत्पादों की कमी अब भी कई लोगों के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है। इस अंतर को पाटने के लिए कुछ नवाचारी उपायों की जरूरत है, जैसे कि टिकाऊ वस्तुओं पर सरकारी सब्सिडी देना, उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ाकर लागत घटाना और व्यवसायों द्वारा पारदर्शी कार्बन लेबलिंग अपनाना ताकि उपभोक्ता सूचित विकल्प ले सकें। ये उपाय पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को व्यापक दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं, वह भी गुणवत्ता से समझौता किए बिना। स्वास्थ्य व कल्याण ने भी उपभोक्ता मूल्यों को आकार देने में प्रमुख स्थान प्राप्त कर लिया है। FSSAI (2024) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 72% भारतीय उपभोक्ता सक्रिय रूप से जैविक (ऑर्गेनिक) या प्राकृतिक खाद्य विकल्पों की तलाश करते हैं, जो पोषण संबंधी लाभों के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है। इस बदलाव के कारण लेबलिंग में स्पष्टता और दावों की प्रामाणिकता (authenticity) की मांग बढ़ गई है। इसे हल करने के लिए, नियामक संस्थाएं कड़े लेबलिंग मानकों को लागू कर सकती हैं और भ्रामक दावों पर दंड लगा सकती हैं। साथ ही, ब्रैंड्स शैक्षिक अभियानों की शुरुआत कर सकते हैं, जो उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्पों के लाभों के बारे में ज्ञान प्रदान करें और उन्हें सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाएं, जिससे उनकी समग्र भलाई में सुधार हो सके। भारत में डिजिटल क्रांति ने उपभोक्ता की अपेक्षाओं को नया रूप दिया है, जिसमें शहरी आबादी ने प्रौद्योगिकी-आधारित अनुभवों को अपनाया है। KPMG (2024) के अनुसार, 80% शहरी भारतीय उपभोक्ता ब्रैंड्स के साथ व्यक्तिगत डिजिटल इंटरएक्शन को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि, इस डिजिटल परिवर्तन के साथ डेटा गोपनीयता और नैतिक प्रथाओं को लेकर परेशानियां भी जुड़ी हुई हैं। व्यवसायों को भरोसा बनाने के लिए मजबूत डेटा सुरक्षा उपायों को लागू करना चाहिए और उपभोक्ताओं को उनकी जानकारी पर पारदर्शिता और नियंत्रण प्रदान करना चाहिए। यूजर्स को डेटा डैशबोर्ड और स्पष्ट गोपनीयता नीतियों के माध्यम से सशक्त बनाना एक बढ़ते हुए जुड़े हुए बाजार में विश्वास और निष्ठा को बढ़ा सकता है। नैतिक प्रथाएं, विशेष रूप से श्रमिक स्थितियों और समावेशन से संबंधित, भारतीय उपभोक्ता मूल्यों का अभिन्न हिस्सा बनती जा रही हैं। मिलेनियल्स और जनरेशन Z, जो उपभोक्ता आधार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, वे न्याय और समानता की अपनी अपेक्षाओं को लेकर मुखर हैं। LocalCircles (2024) की रिपोर्ट के अनुसार, 60% से अधिक भारतीय मिलेनियल्स ने अमानवीय श्रमिक प्रथाओं या पारदर्शिता की कमी के कारण ब्रैंड्स का बहिष्कार किया है। इन दृष्टिकोणों के अनुरूप आने के लिए, व्यवसायों को उचित वेतन, मानवाधिकारों की श्रमिक स्थितियाँ और हायरिंग में विविधता को प्राथमिकता देनी चाहिए। इन प्रयासों के बारे में वास्तविक कथाएं सोशल मीडिया या प्रत्यक्ष संचार के माध्यम से साझा करना ब्रैंड्स और उनके उपभोक्ताओं के बीच भावनात्मक संबंध को मजबूत कर सकता है। हालांकि, उपभोक्ताओं की आकांक्षाओं और वास्तविकता के बीच तालमेल बैठाने में चुनौतियां बनी हुई हैं। विभिन्न क्षेत्रों और आय समूहों में आर्थिक विषमताओं के कारण सभी उपभोक्ता प्रीमियम स्थिरता या नैतिक उत्पादों को वहन नहीं कर सकते हैं। नीति निर्माता और व्यवसायों को मिलकर ऐसे उत्पादों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिए सहयोग करना चाहिए। स्थिर उत्पादन विधियों को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना लागत को कम करने में मदद कर सकता है।सरकारी पहल जैसे स्थिरता व्यवसायों के लिए कर लाभ और जन जागरूकता अभियान भी उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को जिम्मेदार प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। एक और चुनौती भारत में उपभोक्ताओं की पसंद और प्राथमिकताओं की विविधता को संबोधित करने में है। ग्रामीण और शहरी उपभोक्ता अक्सर अलग-अलग दृष्टिकोण और मूल्यों का प्रदर्शन करते हैं। जबकि शहरी उपभोक्ता तकनीकी और नवाचार को प्राथमिकता देते हैं, ग्रामीण बाजार अधिकतर किफायती और उपयोगिता पर जोर देते हैं। डेटा एनालिटिक्स व्यवसायों को इन विभिन्नताओं की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिससे वे प्रत्येक खंड के लिए अनुकूलित रणनीतियाँ डिज़ाइन कर सकें। उदाहरण स्वरूप, ग्रामीण उत्पादों के लिए किफायती कीमतों पर पर्यावरणीय पैकेजिंग पेश करना या ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम बनाना बाजार की पहुंच को बढ़ा सकता है, साथ ही विशिष्ट जरूरतों को भी पूरा कर सकता है। भारत की सांस्कृतिक समृद्धि उपभोक्ता मूल्यों को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पारंपरिक त्यौहार, रीति-रिवाज और समुदाय केंद्रित जीवनशैली खरीद निर्णयों को प्रभावित करती हैं। जो ब्रैंड इन सांस्कृतिक कथाओं के साथ मेल खाते हैं, वे उपभोक्ताओं के साथ गहरे संबंध बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, त्यौहारों के दौरान पर्यावरणीय चेतना को बढ़ावा देना या त्योहारों के मौसम में स्थानीय कारीगरी को बढ़ावा देना सार्थक संबंध बना सकता है। साथ ही, कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सांस्कृतिक गलतियां न करें, इसके लिए उन्हें स्थानीय समुदायों और विशेषज्ञों के साथ जुड़कर मार्केटिंग कैंपेंस की रचना करनी चाहिए। नवाचार उपभोक्ताओं के बदलते दृष्टिकोणों को संबोधित करने के लिए एक प्रभावशाली उपकरण बना हुआ है। ब्लॉकचेन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी प्रौद्योगिकियां पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की अपार क्षमता प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, ब्लॉकचेन उत्पादों के स्रोत का पता लगा सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को नैतिक रूप से स्रोत प्राप्त और स्थिर प्रथाओं के बारे में सत्यापित जानकारी मिल सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपभोक्ता व्यवहार का विश्लेषण करके पेशकशों को व्यक्तिगत बना सकता है, जिससे प्रासंगिकता सुनिश्चित होती है, जबकि गोपनीयता बनी रहती है। ये उन्नति व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बाजार में आगे रहने में मदद कर सकती हैं, जबकि उपभोक्ताओं की बढ़ती जिम्मेदारी की मांग को पूरा करती हैं। भारत में, स्थिरता, डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य और नैतिक विचार उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण और मूल्यों को आकार देते रहेंगे। जैसे-जैसे ये बदलाव स्पष्ट होते जाएंगे, व्यवसायों को लचीला और प्रतिक्रियाशील बने रहना चाहिए, और इन बदलती प्राथमिकताओं के साथ मेल खाने वाली रणनीतियां बनानी चाहिए। सरकार, निजी क्षेत्र और उपभोक्ताओं के बीच सहयोग चुनौतियों को पार करने और एक ऐसे बाजार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा जो आधुनिक भारतीय समाज की आकांक्षाओं से मेल खाता हो। इन रुझानों को पहचानकर और व्यावहारिक समाधान लागू करके, व्यवसाय न केवल आर्थिक सफलता के लिए बल्कि सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में अपनी स्थिति बना सकते हैं, और एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहां उपभोक्ता मूल्य स्थिर और नैतिक प्रथाओं के साथ मेल खाते हों, जिससे एक स्वस्थ और अधिक समान दुनिया में योगदान हो सके।
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इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड (Eros International Media Ltd.) ने हाल ही में अपने निदेशक मंडल में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। नामांकन और पारिश्रमिक समिति की सिफारिश पर, कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने अरुण पांडुरंग पवार को अतिरिक्त गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक ( Additional Non-Executive Independent Director) के रूप में नियुक्त किया। यह नियुक्ति 5 दिसंबर 2024 से प्रभावी हो गई है. अरुण पी. पवार का कार्यकाल पांच वर्षों के लिए निर्धारित किया गया है। हालांकि, इसे आगामी वार्षिक आम बैठक (AGM) में शेयरधारकों की मंजूरी मिलना अनिवार्य होगा। इरोज इंटरनेशनल ने इस नियुक्ति से संबंधित जानकारी शेयर मार्केट को दी है। बता दें कि 74 वर्षीय अरुण पवार विज्ञान (वनस्पति विज्ञान) में पुणे विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने 1975 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की परीक्षा पास की और 1976 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में शामिल हुए। अपने 34 साल के सेवाकाल (1976-2010) के दौरान उन्होंने आयकर विभाग में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें आयकर अधिकारी, सहायक आयुक्त, आयकर आयुक्त और मुख्य आयकर आयुक्त शामिल हैं। उन्होंने विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पदों पर काम किया, जैसे महाराष्ट्र (ठाणे और मुंबई), कर्नाटक (बैंगलोर), तमिलनाडु (मदुरै और कोयंबटूर), आंध्र प्रदेश (हैदराबाद)। 1996 से 2001 तक, भारत सरकार ने उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MOCA) में एयर इंडिया के कर सलाहकार (Advisor -Tax) के रूप में प्रतिनियुक्त किया। इस दौरान उन्होंने कर संबंधी जटिल मुद्दों को हल करने और कर योजना उपायों को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सेवानिवृत्ति के बाद गतिविधियां- 2010 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्ति के बाद अरुण पी. पवार ने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं, जिनमें शामिल हैं: पुणे में भारत फोर्ज ग्रुप की एक 'कंपनी कल्याणी स्टील्स लिमिटेड' में स्वतंत्र निदेशक। फोनिक्स पार्क इन (Phoenix Park Inn) में स्वतंत्र निदेशक। YBC Chavan Pratisthan, मुंबई के कर सलाहकार। नेहरू सेंटर, मुंबई के सलाहकार। Vikhe Patil Group, श्रीरामपुर, अहमदनगर के सलाहकार। MIT Group ग्रुप, पुणे के सलाहकार। अरुण पी. पवार की विशेषज्ञता और अनुभव को देखते हुए, यह नियुक्ति कंपनी के लिए सकारात्मक कदम साबित हो सकती है। इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड ने शेयरधारकों और हितधारकों से इस फैसले को समर्थन देने की उम्मीद जताई है।
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विज्ञापन होल्डिंग कंपनी इंटरपब्लिक ग्रुप ने कथित तौर पर मुंबई स्थित रिटेल एनालिटिक्स फर्म इंटेलिजेंस नोड का अधिग्रहण कर लिया है, जिसकी कीमत लगभग 100 मिलियन डॉलर आंकी गई है, जिसमें एकीकरण लागत भी शामिल है। समूह ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "यह रणनीतिक कदम इंटरपब्लिक की वाणिज्य क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है, ग्राहकों को दुकानदारों के रुझान को समझने, बिक्री में वृद्धि करने और गतिशील डिजिटल बाजार में प्रदर्शन को अनुकूलित करने के लिए वास्तविक समय उत्पाद और बाजार की जानकारी प्रदान करता है।" यह 34 वैश्विक बाज़ारों में 1,900 से अधिक खुदरा श्रेणियों में अरबों डेटा बिंदुओं को एकत्रित करने और उनका विश्लेषण करने के लिए AI का लाभ उठाता है। अधिग्रहण के साथ, समूह ग्राहकों को रियल-टाइम मार्केट एजिलिटी, प्रेसिजन रिटेल मीडिया ऑप्टिमाइजेशन और डिजिटल कंटेंट एवं सर्च ऑप्टिमाइजेशन की पेशकश कर सकेगा। इंटरपब्लिक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी फिलिप क्राकोव्स्की ने कहा, "चूंकि वाणिज्य और खुदरा मीडिया तेजी से एक दूसरे के करीब आ रहे हैं, इसलिए ब्रांड के प्रदर्शन को अधिकतम करने के लिए कार्रवाई योग्य डेटा बहुत महत्वपूर्ण है।" "इंटेलिजेंस नोड का मजबूत प्लेटफॉर्म वास्तविक समय में बाजार-व्यापी संकेत प्रदान करता है, जिसकी ब्रांड को खुदरा मीडिया अभियानों, वाणिज्य रणनीतियों को अनुकूलित करने और अंततः आज के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी डिजिटल परिदृश्य में प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए आवश्यकता होती है।" इंटेलिजेंस नोड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव सुलारिया ने कहा, "इंटरपब्लिक के साथ मिलकर काम करने से हमें आज के वाणिज्य परिदृश्य की जटिलताओं से जूझ रही कंपनियों को सर्वश्रेष्ठ संयुक्त समाधान प्रदान करने में मदद मिलेगी।" "एक साथ मिलकर, हम बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने और सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक व्यापक डेटा, उन्नत विश्लेषण और रणनीतिक विशेषज्ञता प्रदान कर सकते हैं।"
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टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड में विशेष परियोजनाओं की प्रबंध संपादक अंजना ओम कश्यप को इम्पैक्ट की 2024 की शीर्ष 50 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया है। टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड में स्पेशल प्रोजेक्ट्स की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप को 2024 की IMPACT टॉप 50 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया है। अपनी तीखी पत्रकारिता और निडर दृष्टिकोण के लिए जानी जाने वाली कश्यप के स्वीकृति भाषण में महिला सशक्तिकरण के प्रति आभार और गहरी प्रतिबद्धता दोनों झलकती है। कश्यप ने मजाकिया अंदाज में कहा, "यह जानते हुए कि किसी न्यूज़ एंकर को माइक देना हमेशा बहुत खतरनाक होता है, उन्होंने इसे मुझे दे दिया, इसलिए आपको यह सुनना होगा। इस सम्मान के लिए इम्पैक्ट मैगज़ीन और श्री अनुराग बत्रा, और पूरे जूरी और मंच पर मौजूद आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद," कश्यप ने अपने प्रेरणादायक शब्दों के लिए स्वर निर्धारित करते हुए मज़ाकिया अंदाज़ में कहा। कश्यप ने न केवल अपनी यात्रा को मान्यता दी, बल्कि रोजमर्रा की भूमिकाओं में अनगिनत महिलाओं के योगदान को भी मान्यता दी। उन्होंने कहा, "हर लड़की, हर महिला जो इस समय आजतक या इंडिया टुडे ग्रुप ऑफिस में काम कर रही है, वह भी उतनी ही इसकी हकदार है जितनी मैं हूं। हर महिला जो इस समय मेट्रो या लोकल ट्रेन से घर वापस जा रही है, वह भी इसकी उतनी ही हकदार है।" साहस के महत्व पर जोर देते हुए कश्यप ने महिलाओं को साहसिक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। "पहला कदम साहस है, और वहां से अनुभव के साथ आत्मविश्वास आता है," उन्होंने मिगुएल गेन को उद्धृत करते हुए कहा: "नहीं, चुप रहो तुम सुंदर नहीं हो। जब आप संघर्ष करते हैं, जब आप अपने लिए लड़ते हैं और आपके शब्द चुभते हैं तो आप खूबसूरत लगते हैं।" कश्यप ने श्रोताओं को यह याद दिलाते हुए समापन किया कि समानता के लिए लड़ाई जारी है। उन्होंने सभी पृष्ठभूमियों की महिलाओं के लिए एकजुटता और सशक्तिकरण का आग्रह करते हुए कहा, "हमें अपनी लड़कियों को यह सिखाना होगा कि यह लड़ाई उनकी है।" अंत में, उन्होंने अपनी बेटी और परिवार को उन्हें प्रेरित करने तथा उनकी ताकत का स्तम्भ बनने के लिए धन्यवाद दिया।
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ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ज़ी) और यामाहा मोटर्स, इंडिया ने लंबे समय से चल रहे संगीत रियलिटी शो सा रे गा मा पा के प्रतियोगियों के साथ सहयोग के माध्यम से यामाहा के प्रतिष्ठित 'द कॉल ऑफ द ब्लू' अभियान में नई जान फूंकने के लिए हाथ मिलाया है। यह साझेदारी एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है, जहां नवोदित संगीत प्रतिभाओं द्वारा गान को फिर से तैयार किया गया है, जिससे एक शक्तिशाली और भावनात्मक रूप से गूंजने वाला अनुभव तैयार हुआ है, जो ज़ी टीवी, ज़ी तमिल और ज़ी तेलुगु सहित ज़ी के विशाल नेटवर्क पर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। सा रे गा मा पा , जो लगभग तीन दशकों से एक सांस्कृतिक घटना रही है, अब अपनी तरह के पहले एकीकरण के लिए कैनवास बन गई है, जहाँ भारत भर के प्रतियोगी अपनी अनूठी शैली को यामाहा गान में लाते हैं। यह पहल पारंपरिक मार्केटिंग से आगे बढ़ती है, जिससे यामाहा की भावना को संगीत और कहानी कहने के माध्यम से एक अभिनव, ताज़ा तरीके से प्रतिध्वनित किया जा सकता है। सा रे गा मा पा पर पहली बार , प्रतियोगियों ने एक ब्रांड गान की अपनी खुद की प्रस्तुति बनाई और प्रस्तुत की, यह एक ऐसा कदम है जो जितना अनूठा है उतना ही प्रभावशाली भी है। यह सहयोग संगीत की सार्वभौमिक शक्ति के दिल पर प्रहार करता है जो लोगों को जोड़ता है, प्रेरित करता है और स्थायी यादें बनाता है। जैसे-जैसे प्रतियोगियों ने यामाहा के गान में अपने जुनून, ऊर्जा और व्यक्तिगत रचनात्मकता को शामिल किया, परिणाम एक विद्युतीय मिश्रण था जो ब्रांड के मूल मूल्यों जैसे साहस, स्वतंत्रता और भाईचारे को दर्शाता था। यह साझेदारी महज प्रचार से परे है - यह रचनात्मकता, कलात्मकता और व्यक्तित्व का उत्सव है। इस अभियान ने ZEE के प्लैटफ़ॉर्म पर लगभग 25 मिलियन दर्शकों तक अपनी पहुँच बनाई, जिससे यामाहा के रोमांच और जुनून के संदेश को बढ़ावा मिला और इसे संगीत प्रेमियों, खासकर युवाओं के साथ जोड़ा गया। इस सहयोग के ज़रिए, यामाहा और ZEE ने अपने दर्शकों के साथ एक सार्थक संबंध स्थापित किया है, जिससे एक बार फिर साबित हुआ है कि संगीत और कहानी सुनाना सामान्य से परे जाकर असाधारण अनुभव पैदा कर सकता है। ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चीफ ग्रोथ ऑफिसर – डिजिटल और ब्रॉडकास्ट रेवेन्यू, आशीष सहगल ने कहा, “ज़ी हमेशा से ही ऐसे अभिनव एकीकरणों में सबसे आगे रहा है जो ब्रांड को उनके दर्शकों के करीब लाते हैं। यामाहा के साथ हमारी साझेदारी उस दर्शन का आदर्श उदाहरण है। यामाहा की साहसिक भावना और सा रे गा मा पा प्रतियोगियों की रचनात्मक ऊर्जा के बीच तालमेल ने एक रोमांचक और प्रभावशाली सहयोग को जन्म दिया है जिसने न केवल यामाहा के मूल संदेश को बढ़ाया है बल्कि एक वाकई यादगार अनुभव भी बनाया है। यह अभियान दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ा है, जिसने ब्रांड के मूल्यों को इस तरह से जीवंत किया है जो आकर्षक और प्रेरणादायक दोनों है। यह एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे संगीत और कहानी कहने का तरीका एक साथ मिलकर कुछ उल्लेखनीय बना सकता है।” यामाहा मोटर इंडिया के मार्केटिंग महाप्रबंधक विजय कौल ने कहा, "मोटरसाइकिल और संगीत दुनिया भर से जुड़ने के दो बेहतरीन तरीके हैं। इस सहयोग के ज़रिए, हम युवा संगीत प्रेमियों से ज़्यादा आंतरिक स्तर पर जुड़ने और आज़ादी, जुनून और आत्म-अभिव्यक्ति के साझा मूल्यों का जश्न मनाने के लिए तत्पर हैं। खुली सड़क का रोमांच संगीत की लय को दर्शाता है, जो ऐसे अनुभव पैदा करता है जो प्रेरित और ऊर्जावान करते हैं। सा रे गा मा पा पर पहली बार, प्रतियोगियों ने एक ब्रांड एंथम की अपनी अनूठी प्रस्तुति तैयार की है, जिसका हर टुकड़ा आज़ादी, व्यक्तित्व और सवारी के आनंद का सार दर्शाता है।" मोटिवेटर इंडिया के मुख्य विकास अधिकारी और प्रबंध भागीदार अमन कोचर ने कहा, "सा रे गा मा पा के साथ तीन ज़ी नेटवर्क चैनलों पर हमारा सहयोग असाधारण था। मंच पर प्रतिभाशाली प्रतियोगियों ने ब्रांड की आवश्यकताओं को समझने और उन्हें स्टाइल के साथ पेश करने में अपार क्षमता दिखाई। कॉल ऑफ़ द ब्लू एंथम को उनके अनूठे अंदाज़ में फिर से प्रस्तुत करने से हमें युवा दर्शकों से जुड़ने में मदद मिली, जिससे ब्रांड को खुले तौर पर ब्रांड प्लेसमेंट का उपयोग करने के बजाय ताज़ा, जीवंत ऊर्जा के साथ कंटेंट में सहजता से एकीकृत किया जा सका।" जैसा कि द कॉल ऑफ़ द ब्लू एंथम ने पूरे देश में दर्शकों के दिलों में जगह बना ली है, यामाहा और ज़ी ने रचनात्मक सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। यह सहयोग सिर्फ़ एक शुरुआत है जो एक स्थायी साझेदारी होने का वादा करती है जो संगीत, कहानी कहने और ब्रांड मूल्यों को मिलाकर प्रभावशाली, अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है
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अमृतसर में एक बड़ी अनहोनी टल गई। पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल को जान से मारने की कोशिश हुई लेकिन सुरक्षा कर्मियों की मुस्तैदी की वजह से बादल बाल-बाल बच गए। सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्म के मुताबिक स्वर्ण मंदिर के द्वार पर चौकीदारी कर रहे थे। चूंकि बादल के पैर में फ्रैक्चर है, इसलिए वह व्हीलचेयर पर बैठकर दरबान की ड्यूटी दे रहे थे। इसी दौरान एक शख़्स श्रद्धालु के भेष में स्वर्ण मंदिर के गेट पर आया। वह सुखबीर बादल के क़रीब पहुंचा और उसने पिस्तौल निकालकर गोली चलाने की कोशिश की लेकिन सादे लिबास में तैनात एक सुरक्षकर्मी ASI जसबीर सिंह हमलावर को पिस्तौल निकालते हुए देखते ही उस पर टूट पड़ा। सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर को वहीं दबोच लिया। नारायण सिंह चौड़ा, गुरदासपुर ज़िले के डेरा बाबा नानक का रहने वाला है। उसके खालिस्तानी संगठनों से पुराने रिश्ते रहे हैं। नारायण सिंह चौड़ा खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन के साथ जुड़ा हुआ था। सुखबीर बादल पर हमले की जितनी निंदा की जाए, वह कम है। दरबार साहिब में, भगवान के घर में, सेवा करते व्यक्ति पर गोली चलाना गंभीर जुर्म है, पाप है। हमला करने वाले ने सिर्फ इस बात का फायदा उठाया कि दरबार साहिब की मर्यादा के मुताबिक वहां जाने वालों की चेकिंग नहीं की जाती। अगर सुखबीर के सिक्योरिटी वाले सावधान न होते, तो एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। जहां तक इस मामले में राजनीति का सवाल है, यह तो अपेक्षित था कि अकाली दल के नेता सीएम भगवंत सिंह मान को दोषी ठहराएंगे और कांग्रेस पर भी आरोप लगाएंगे। कांग्रेस से भी यही उम्मीद थी कि वो पंजाब सरकार को जिम्मेदार बताएगी। लेकिन अकाली दल के नेता विक्रमजीत सिंह मजीठिया ने इस हमले के पीछे कांग्रेस का हाथ बताया और कहा कि हमलावर कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा का करीबी है। बीजेपी ने इस घटना के पीछे खालिस्तानियों का हाथ बताया। अब जिम्मेदारी पंजाब पुलिस की है कि वह इस मामले की तह तक जाए, अपराधी के पीछे कौन है इसका पता लगाए और जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक बाकी पार्टियां इधर-उधर की बयानबाज़ी न करें तो बेहतर होगा।
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नई दिल्ली में आयोजित एनडीटीवी के "इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स 2024" कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शिरकत की और भारत के बदलते वैश्विक रुतबे पर बात की। उन्होंने कहा कि आजादी के करीब 8 दशक बाद भारतीय लोकतंत्र के असली फल देखने को मिल रहे हैं, और भारत का रुतबा दुनिया में बढ़ा है। विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि आज किसी भी बड़े मसले पर भारत से सलाह किए बिना निर्णय नहीं लिया जाता। एस जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत के बारे में दुनिया का नजरिया बदल चुका है, और यह बदलाव सिर्फ भारत के विकास से जुड़ा नहीं, बल्कि इसके वैश्विक प्रभाव से भी संबंधित है। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि आज भारतीय लोग बुनियादी जरूरतों के लिए संतुष्ट हैं, जो पहले पिछली सरकारों के दौरान संभव नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने न केवल गवर्नेंस में सुधार किया, बल्कि यह लोगों के लिए विकास के नए रास्ते भी खोलने में मददगार साबित हुआ है। जयशंकर ने सवाल उठाया कि कैसे हालात इतने बदल गए, और यह बदलाव किस तरह भारत के लिए नए अवसरों का द्वार खोल रहा है।
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02 दिसंबर से 06 दिसंबर, 2024 के हफ्ते में भारत के मीडिया सेक्टर के प्रमुख खिलाड़ियों के प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव देखा गया। एनडीटीवी, टीवी टुडे, नेटवर्क18, ZEEL, ZMCL, HT मीडिया और जागरण प्रकाशन जैसी कंपनियों के स्टॉक्स में कुछ ने अच्छा मुनाफा कमाया, जबकि अन्य में मामूली वृद्धि देखी गई। जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड का स्टॉक 10% से अधिक चढ़ा, जिससे निवेशकों का मजबूत भरोसा झलका। सोमवार को स्टॉक 130.20 रुपये पर खुला और शुक्रवार को 143.75 रुपये पर बंद हुआ, जो हफ्ते का उच्चतम स्तर 143.91 रुपये था। टीवी टुडे (TV Today) टीवी टुडे ने भी इस हफ्ते उल्लेखनीय मुनाफा कमाया। सोमवार को इसका स्टॉक 200.65 रुपये पर खुला, जो हफ्ते का न्यूनतम स्तर था और शुक्रवार को 214.99 रुपये पर बंद हुआ। इसने 7.5% की वृद्धि दर्ज की। यह वृद्धि निवेशकों के सकारात्मक रुझान और संभावित रूप से कंपनी से जुड़े वित्तीय घोषणाओं का परिणाम हो सकती है। जागरण प्रकाशन (Jagran Prakashan) जागरण प्रकाशन के स्टॉक में 5.6% की बढ़त देखी गई। सोमवार को इसका स्टॉक 84.24 रुपये पर खुला और शुक्रवार को 89 रुपये पर बंद हुआ। हफ्ते के दौरान इसका उच्चतम स्तर 89.59 रुपये रहा। नेटवर्क18 (Netwok18) नेटवर्क18 का स्टॉक सोमवार को 78.80 रुपये पर खुला, जो हफ्ते का न्यूनतम स्तर था और शुक्रवार को 79.75 रुपये पर बंद हुआ। इसका उच्चतम स्तर 80.78 रुपये था। हालांकि, इसमें ज्यादा स्थिरता नहीं देखी गई। एनडीटीवी (NDTV) एनडीटीवी के स्टॉक में मामूली गिरावट आई। सोमवार को यह 176.23 रुपये पर खुला और शुक्रवार को 175.50 रुपये पर बंद हुआ। हफ्ते के दौरान इसका उच्चतम स्तर 179.59 रुपये रहा, लेकिन यह स्थिरता बनाए रखने में असफल रहा। जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (ZMCL) जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड ने सोमवार को 19.87 रुपये के न्यूनतम स्तर पर शुरुआत की। इसके बाद स्टॉक में धीरे-धीरे बढ़त आई और शुक्रवार को यह 21.42 रुपये पर बंद हुआ। हफ्ते का उच्चतम स्तर 21.94 रुपये था, जो कंपनी के प्रति निवेशकों के सकारात्मक रुझान को दर्शाता है। एचटी मीडिया (HT Media) एचटी मीडिया का स्टॉक सोमवार को 23.76 रुपये पर खुला और हफ्ते के उच्चतम स्तर 24.90 रुपये तक पहुंचा। शुक्रवार को यह 24.58 रुपये पर बंद हुआ, जो 3.5% की स्थिर वृद्धि को दर्शाता है। इससे कंपनी की बाजार स्थिति और निवेशकों का विश्वास झलकता है।
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दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवा अंतरसंयोजन विनियमों के लेखापरीक्षा प्रावधानों पर ट्राई के परामर्श पत्र पर एक महत्वपूर्ण खुली चर्चा आयोजित की गई, जिसमें प्रमुख हितधारकों ने लेखापरीक्षा प्रक्रियाओं और बुनियादी ढांचे के साझाकरण के भविष्य पर अपने मजबूत विचार व्यक्त किए। इस चर्चा के दौरान, डिजिटल प्लेटफॉर्म ऑपरेटरों (डीपीओ) द्वारा की जा रही विलंबित ऑडिट और अधूरी रिपोर्टों पर चिंता जताई गई। इससे क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को लेकर सभी ने एकमत होकर सहमति जताई, ताकि अनुपालन और प्रसारण क्षेत्र की उभरती गतिशीलता के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके। विचाराधीन मुख्य मुद्दा इंटरकनेक्शन विनियमन, 2017 का खंड 15(1) था, जो डीपीओ के लिए ऑडिट की आवश्यकता से संबंधित है। इस प्रावधान के तहत, डीपीओ को अपने सिस्टम का वार्षिक ऑडिट करना अनिवार्य है, जिसे ट्राई-सूचीबद्ध ऑडिटर द्वारा किया जाना चाहिए। राधाकृष्णन नायर की टिप्पणियांभारतीय प्रसारण और डिजिटल फाउंडेशन (आईबीडीएफ) के सचिव राधाकृष्णन नायर ने कहा कि ग्राहक डेटा रिपोर्टिंग में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए कड़े ऑडिट तंत्र की आवश्यकता है। उन्होंने डीपीओ द्वारा अधूरे या विलंबित ऑडिट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे न केवल राजस्व सृजन पर असर पड़ता है, बल्कि सिस्टम की अखंडता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नायर ने यह सुझाव दिया कि ब्रॉडकास्टरों को डीपीओ का ऑडिट करने का प्राथमिक अधिकार होना चाहिए, जिससे सब्सक्राइबर संख्या, डेटा और सिस्टम की अखंडता का समय पर और सटीक सत्यापन किया जा सके। इससे छोटे डीपीओ को ऑडिट के वित्तीय बोझ से राहत मिल सकेगी। अजय सिंह का दृष्टिकोणहालांकि, हैथवे डिजिटल लिमिटेड के गैर-कार्यकारी निदेशक अजय सिंह ने खंड 15(1) का समर्थन किया और कहा कि यह प्रावधान "बहुत अच्छा" काम कर रहा है। सिंह के अनुसार, इस ऑडिट से संबंधित ब्रॉडकास्टर और डीपीओ के बीच होने वाले कानूनी विवादों में कमी आई है। उनका कहना था, "अगर डीपीओ अपना ऑडिट नहीं कर रहे हैं, तो ब्रॉडकास्टर उन्हें सिग्नल क्यों दे रहे हैं? अगर वे ऑडिट नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें सिग्नल न दें।" मनोज छंगानी की रायऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (एआईडीसीएफ) के महासचिव मनोज छंगानी ने खंड 15(1) को बिना संशोधन के बनाए रखने का समर्थन किया। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि इस खंड की प्रभावकारिता को बढ़ाने के लिए कुछ सुधार किए जाने चाहिए, जैसे कि ब्रॉडकास्टर को उन एमएसओ की सूची साझा करनी चाहिए जो समय पर ऑडिट नहीं कर रहे हैं। साथ ही, ट्राई को अपनी वेबसाइट पर गैर-अनुपालन करने वाले एमएसओ की मासिक रिपोर्ट जारी करनी चाहिए। संशोधन और नियामक अनुपालन की आवश्यकताइस चर्चा का उद्देश्य डीपीओ के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना था, ताकि नियामक निरीक्षण और निर्धारित मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने बुधवार को केरल के कई लोकसभा सदस्यों के साथ गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और वायनाड में भूस्खलन प्रभावित लोगों की मदद का आग्रह किया। यह मुलाकात संसद भवन परिसर स्थित शाह के कार्यालय में हुई। वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने इस मुलाकात के सियासी मायने को लेकर अपनी राय व्यक्त की और इसे लेकर एक पोस्ट किया। सुशांत सिन्हा ने लिखा, "बहन प्रियंका ही राहुल गांधी के लिए बड़ी सियासी चुनौती साबित होने वाली हैं। कल उस वक्त इसका संकेत मिला जब प्रियंका गांधी अपने संसदीय क्षेत्र के काम के लिए टीम के साथ सीधे गृहमंत्री अमित शाह के पास चली गईं। राहुल गांधी से ऐसी उम्मीद भी करना मुश्किल है।" उन्होंने यह भी कहा कि प्रियंका गांधी ने यह साबित कर दिया है कि वह अपने संसदीय क्षेत्र के काम के लिए व्यक्तिगत अहंकार को बीच में नहीं लातीं, जो राहुल गांधी की इगोइस्टिक छवि से बिलकुल उलट है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में राहुल गांधी को उनके खुद के लोग भी नकारने न लग जाएं, क्योंकि उनके गठबंधन साथी पहले ही उन्हें नकार चुके हैं। सुशांत सिन्हा ने यह भी कहा कि गांधी परिवार की तरफ से केंद्र सरकार के किसी मंत्री, विशेष रूप से गृह मंत्री से इस तरह की मुलाकातें दुर्लभ रही हैं, और यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रियंका गांधी ने इसे एक सियासी संदेश के रूप में पेश किया है।
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महाराष्ट्र में हाल ही में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और उनके साथ एकनाथ शिंदे तथा अजित पवार ने डिप्टी सीएम के तौर पर जिम्मेदारी संभाली। हालांकि, एकनाथ शिंदे के इस पद में शामिल होने को लेकर पहले ही काफ़ी सस्पेंस था। इस पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट के ज़रिए अपनी प्रतिक्रिया दी और अपनी राय व्यक्त की। हर्षवर्धन त्रिपाठी ने ट्वीट किया, "यह वही हुआ था, जैसा मैं लगातार कह रहा था। भाजपा और शिवसेना दोनों के लिए यही सबसे बेहतर था कि एकनाथ शिंदे खुद उप मुख्यमंत्री बनें। हालांकि, शिंदे जी ने यह बात देर से समझी, लेकिन अच्छा हुआ कि समझ में आ ही गया। हालांकि, उन्होंने अनावश्यक रूप से रहस्य बनाए रखकर अपना ही नुकसान किया। अब उन्हें आगे अपरिपक्व और बचकाना व्यवहार से बचने की ज़रूरत है।" राजनीति के जानकारों का कहना है कि एकनाथ शिंदे के पास इससे बेहतर विकल्प नहीं था। शिवसेना के लिए यह बेहद ज़रूरी था कि वे सत्ता में बने रहें, और इसके लिए उन्हें भाजपा के साथ समंजस्य बनाकर ही चलना था। खासतौर पर इस स्थिति में, बीजेपी के पास सबसे ज्यादा विधायकों की संख्या थी, जिससे शिंदे को उनके कहे अनुसार ही कदम उठाने थे। इस पोस्ट के जरिए त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि शिंदे को अपनी राजनीतिक यात्रा में और परिपक्वता दिखानी चाहिए, ताकि वे भविष्य में राजनीतिक फैसले और व्यवहार में बेहतर दिशा में बढ़ सकें।
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दिसंबर 2024— इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर बताया कि वह डीपफेक का शिकार हो रहे हैं। उनके वीडियो और आवाज का इस्तेमाल करके लोग नकली दवाइयां बेच रहे हैं। रजत शर्मा ने एक्स पर लिखा, "आजकल नकली दवाईयां बेचने वाले मेरे कई फेक वीडियो पोस्ट करते हैं। ये डीपफेक हैं, फ़र्ज़ी हैं। ये लोग मेरे वीडियो इस्तेमाल करते हैं, उन पर AI से मेरी जैसी आवाज़ लगाते हैं, पर वो आवाज़ मेरी नहीं है। मैं कोई दवाई नहीं बेचता। किसी शुगर की दवा को, किसी वजन घटाने की दवा को, किसी घुटनों के दर्द की दवा को प्रचारित नहीं करता। ये सारे वीडियो झूठे हैं। इन पर विश्वास न करें।" शिकायतें और कानूनी कदम रजत शर्मा ने बताया कि उन्होंने साइबर क्राइम सेल में शिकायतें की हैं और पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई है। इसके अलावा, हाई कोर्ट में भी केस किया है, लेकिन एक वीडियो हटवाने पर दूसरा आ जाता है। उन्होंने कहा, "कभी अमिताभ बच्चन के साथ, तो कभी डॉ नरेश त्रेहन के साथ। ये सारे फेक हैं, फ़र्ज़ी हैं।" जनता से अपील रजत शर्मा ने जनता से अपील की है कि वे इन फर्जी वीडियो को एक्सपोज करने में उनकी मदद करें। अगर आपको कहीं ऐसे फर्जी वीडियो दिखाई दें, तो तुरंत 9350593505 पर सूचित करें।
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दिसंबर 2024— किसान आंदोलन को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीधे केंद्र सरकार से सवाल उठाए हैं। उन्होंने मंगलवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधा सवाल पूछा कि आखिर किसानों से जो लिखित में वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उपराष्ट्रपति का गंभीर सवाल उपराष्ट्रपति ने गंभीरता से सरकार से किसानों की समस्याओं के निवारण और उनकी मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, "दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है। मान कर चलिए अपने रास्ता भटक गए हैं। हम उस रास्ते पर गए हैं जो खतरनाक है।" वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार की प्रतिक्रिया वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने एक्स पर लिखा, "उपराष्ट्रपति ने बातें काफ़ी गंभीरता से सामने रखते हुए, सरकार से किसानों की समस्याओं के निवारण और किसानों की मदद की गुहार लगाई है। पद पर रहते किसी उपराष्ट्रपति ने शायद, अपनी सरकार से पहली बार इतने कड़े सवाल पूछे और कृषि मंत्री से मंच पर ही समस्या के निदान के लिए आग्रह किया।" पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का बयान पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पद से हटने के बाद किसानों के मुद्दे पर सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा, "किसानों की समस्या वास्तविक है। ये किसी एक सरकार की वजह से नहीं है। लेकिन समस्या का समाधान निकालने वाली तो कोई एक सरकार ही होगी, तो मौजूदा सरकार क्यों नहीं?"
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दिसंबर 2024— कंटेंट राइटिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए जागरण समूह की डिजिटल कंपनी 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) एक शानदार अवसर लेकर आई है। अंग्रेजी टीम के लिए कंटेंट राइटर्स की जरूरत है और इसके लिए इच्छुक व योग्य आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। ये नियुक्तियां नोएडा के लिए हैं। पदों की जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, निम्नलिखित पदों पर वैकेंसी है: स्कूल सेक्शन कंटेंट राइटर एजुकेशन न्यूज कंटेंट राइटर एग्जाम प्रेप कंटेंट राइटर जनरल नॉलेज कंटेंट राइटर आवश्यक योग्यताएं इन पदों पर काम करने के इच्छुक आवेदकों के पास अंग्रेजी में लेखन कौशल होना चाहिए। साथ ही, 1 से 3 साल का अनुभव भी आवश्यक है। इसके अलावा, कंटेंट लेखन में रुचि के साथ-साथ नवाचार के साथ काम करने की क्षमता होनी चाहिए। आवेदन कैसे करें इच्छुक उम्मीदवार अपना अपडेटेड रिज्युमे hiba.khan@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं। जिस पद के लिए आवेदन कर रहे हैं, ईमेल की सब्जेक्ट लाइन में उसका नाम अवश्य लिखें। साथ ही, मेल में अपने अनुभव, वर्तमान सैलरी (Current CTC), अपेक्षित सैलरी (Expected CTC) और नोटिस अवधि (Notice Period) की जानकारी भी दें। सोशल मीडिया पर शेयर किए गए विज्ञापन को आप यहाँ देख सकते हैं और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह अवसर उन युवाओं के लिए है जो कंटेंट राइटिंग के फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं और उनके पास आवश्यक योग्यता और अनुभव है।
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डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए यह खबर काफी काम की है। दरअसल, देश का प्रमुख पब्लिशिंग हाउस ‘आउटलुक पब्लिशिंग इंडिया प्रा. लि’ (Outlook Publishing (India) Pvt. Ltd.) अपनी ऑनलाइन टीम के लिए योग्य और खबरों की समझ रखने वाले पत्रकारों की तलाश कर रहा है। इसके तहत सब एडिटर और सुपरवाइजरी भूमिकाएं के लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। इस बारे में सोशल मीडिया पर जारी विज्ञापन के अनुसार, सब एडिटर पद पर काम करने के इच्छुक आवेदकों के पास डिजिटल न्यूज डेस्क पर काम करने का एक से तीन साल का अनुभव होना चाहिए। वहीं, सुपरवाइजरी रोल के लिए पांच से आठ वर्षों का अनुभव होना चाहिए और आवेदकों के पास न्यूज पब्लिशिंग टीम का नेतृत्व करने की क्षमता होनी चाहिए। अन्य योग्यताओं में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों की अच्छी समझ होनी चाहिए। अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। ऑनलाइन पत्रकारिता के लिए डिजिटल टूल्स के इस्तेमाल का अनुभव होना चाहिए। और सुपरवाइजरी रोल के लिए नेतृत्व क्षमता होनी चाहिए। शैक्षिक योग्यता की बात करें तो किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से पत्रकारिता में डिग्री को प्राथमिकता दी जाएगी। इच्छुक उम्मीदवार अपना आवेदन careers@outlookindia.com पर भेज सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी नीचे दिए गए विज्ञापन से ले सकते हैं।
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बांग्लादेश में हिंदुओं और इस्कॉन पुजारियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखते हुए इस्कॉन कोलकाता ने हिंदुओं और पुजारियों को एक सलाह दी है कि वे तिलक मिटा दें और तुलसी की माला छिपा लें, अपना सिर ढक लें और भगवा पहनने से बचें। जानकारी के मुताबिक हिंदुओं पर हमले बढ़ते ही जा रहे हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी बात रखी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, बांग्लादेश में जो लोग प्रताड़ित हो रहे हैं वो हिंदू हैं और हिंदुओं के लिए दुनिया में 56 या 57 देश नहीं हैं। उनके लिए सिर्फ भारत हैं। उनकी उम्मीदें सिर्फ भारत पर टिकी है। ऐसे में भारत को बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए अब जल्द से जल्द खड़ा हो जाना चाहिए, क्योंकि हिंदुओं की जान की भी कीमत है। आपको बता दें, बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की चुप्पी निंदनीय है। तख्ता पलट के बाद से नई सरकार हिंदुओं पर अत्याचार रोकने पर पूरी तरह से नाकाम रही है। बांग्लादेश में चिन्मय दास प्रभु समेत कई पुजारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। राधारमण दास ने ये भी दावा किया कि चिन्मय दास के वकील रमण रॉय को इतना पीटा गया कि वह आईसीयू में जिंदगी मौत की जंग लड़ रहे हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार, जाने माने लेखक और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म ‘मनीकंट्रोल’ (moneycontrol.com) में मैनेजिंग एडिटर डॉ. नलिन मेहता ने हाल ही में मीडिया से खास बातचीत की। इस बातचीत के दौरान नलिन मेहता ने ‘मनीकंट्रोल’ को लेकर उनके विजन और मीडिया से जुड़े तमाम अहम मुद्दों पर विस्तार से अपने विचार रखे। इसके अलावा डॉ. नलिन मेहता ने आज के डिजिटल दौर में फाइनेंसियल न्यूज के बदलते परिदृश्य के बारे में व्यापक जानकारी दी। यही नहीं, उन्होंने विश्वनीयता बनाए रखने की चुनौतियों, डेटा आधारित फैसलों के महत्व और कंटेंट व ग्रोथ में इस प्लेटफॉर्म द्वारा अपनाई जा रहीं नई पहलों के बारे में भी चर्चा की। फाइनेंसियल न्यूज यानी फाइनेंस की दुनिया से जुड़ी खबरों की बात करें तो ऑडियंस के व्यवहार और कंटेंट के उपभोग (consumption) में बड़ा बदलाव आया है। उदाहरण के लिए, मनीकंट्रोल के पास अब हर महीने 100 मिलियन यूनिक विजिटर्स हैं। यह न केवल मनीकंट्रोल के लिए बल्कि पूरे फाइनेंसियल न्यूज परिदृश्य के लिए एक मानदंड है। अगर आप पारंपरिक बिजनेस अखबारों की संख्या देखें तो वे इस आंकड़े से काफी दूर हैं। इसका मतलब है कि ऑडियंस पूरी तरह या बड़े पैमाने पर डिजिटल की ओर बढ़ चुके हैं। इससे हमारी कार्यप्रणाली बदल गई है। इस देश में बिजनेस के बारे में जानने की लोगों में काफी इच्छा है। ऐसे में जैसे-जैसे अधिक लोग औपचारिक अर्थव्यवस्था में प्रवेश कर रहे हैं, इन अवधारणाओं को समझने की मांग बढ़ रही है। लेकिन यह सब डिजिटल पर हो रहा है। जो लोग डिजिटल मार्केट पर अपनी अच्छी पकड़ बनाए हुए हैं, वही आज इस खेल में आगे हैं। इस साल की ही बात करें तो पिछले 10 महीनों में मनीकंट्रोल ने अपने ऑडियंस की संख्या काफी बढ़ा ली है। इन 10 महीनों में हमने न केवल अपने मंथली व्युअर्स बल्कि पेड सबस्क्रिप्शंस की संख्या भी दोगुनी कर दी है। इस पैमाने पर यह बदलाव अभूतपूर्व है। इससे पता चलता है कि विकास की प्रकृति कैसी है और परिवर्तन कितनी तेजी से हो रहा है। मूल रूप से, भारत में निवेशकों के लिए उपयोगी जानकारी की बड़ी मांग है क्योंकि इक्विटी संस्कृति तेजी से फैल रही है और लोग विश्वसनीय जानकारी के स्रोत खोज रहे हैं। जो लोग यह जानकारी प्रदान कर सकते हैं, वही ऑडियंस को आकर्षित कर रहे हैं। यही कारण है कि लोग हमारे प्लेटफॉर्म को पसंद करते हैं, क्योंकि वे निवेश से जुड़े अपने निर्णयों के लिए विश्वसनीय और भरोसेमंद जानकारी की तलाश करते हैं। इसके लिए एक अभूतपूर्व पैमाने पर विश्वसनीयता और गति दोनों की आवश्यकता होती है। हमने MC Pro के लिए एक मिलियन पेड सबस्क्राइबर्स का आंकड़ा पार कर लिया है। इन आंकड़ों को देखने पर आपको पता चलेगा कि बाकी मीडिया के लिए स्थितियां कितनी कठिन हैं। ज्यादातर प्लेटफॉर्म्स के दर्शकों की संख्या घट रही है। मीडिया के लिए इस कठिन माहौल में हमारे सबस्क्राइबर्स की संख्या दुनिया भर में टॉप 15 में शामिल है। यह हमें फाइनेंशियल टाइम्स, अमेरिकी मीडिया समूह ‘Barron’ और चाइनीज मीडिया समूह ‘Caixin’ जैसे प्लेटफॉर्म्स के समकक्ष लाता है। इसलिए, अवसर बहुत बड़ा है, लेकिन इसका मतलब यह भी है कि इस हिसाब से काम और जिम्मेदारी भी उतनी ही बढ़ जाती है क्योंकि भारतीय पाठक उतनी ही सूझबूझ वाले और जागरूक हैं, जितने कि भारतीय मतदाता। जैसे भारतीय मतदाता अपने वोट के प्रति गंभीरता से सोचता है और सही विकल्प चुनने के लिए सावधान रहता है, वैसे ही भारतीय पाठक भी अपने कंटेंट के लिए गुणवत्तापूर्ण और प्रासंगिक सामग्री का चयन करने में सतर्क रहता है। डेटा हमारी हर गतिविधि का मूल आधार है। यही कारण है कि हमने सबस्क्रिप्शन के मामले में रिकॉर्ड तोड़े हैं। एक मिलियन सबस्क्राइबर्स के साथ हम न केवल दुनिया के शीर्ष 15 में शामिल हैं, बल्कि भारत में किसी भी अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म की तुलना में न्यूज सबस्क्रिप्शन में कहीं आगे हैं। मनीकंट्रोल ने सामान्य निवेशकों के लिए वह सूचना उपलब्ध कराई है, जो पहले केवल संस्थागत निवेशकों के लिए ही सुलभ थी। जो जानकारी पहले केवल बड़े निवेशकों को ही मिलती थी, अब वह कॉमन यूजर्स और रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए बहुत कम कीमत पर उपलब्ध है। मनीकंट्रोल यही काम करता है। हमारे डेटा और डेटाबेस टूल इस प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा हैं। यह डेटा का एक प्रमुख उपयोग है। हम जो कंटेंट तैयार करते हैं, उसमें डेटा केंद्रीयकृत भूमिका में रहता है। दूसरा, हम नियमित रूप से अपने यूजर्स के व्यवहार को ट्रैक करते हैं और देखते हैं कि वे हमारे द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे कंटेंट पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यानी हम लगातार अपने पाठकों से जुड़े रहते हैं, उनकी प्रतिक्रिया लेते हैं और यह जानने की कोशिश करते रहते हैं कि वे किस तरह का कंटेंट चाहते हैं और उसी के अनुसार अपनी सेवाओं को मार्केट की आवश्यकताओं के मुताबिक़ ढालते हैं। मैं खुद व्यक्तिगत रूप से डेटा का विश्लेषण करने में काफी समय लगाता हूं। मुख्य रूप से, हम ट्रैफ़िक और यूजर्स की बदलती आदतों को लगातार ट्रैक करते हैं और उसी के अनुसार अपने कंटेंट को तैयार करते हैं। आज के दौर की बात करें तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी एडिटर ट्रैफ़िक के पैटर्न को देखे बिना और यह समझे बिना कि उनका कंटेंट ऑडियंस/पाठकों तक पहुंच रहा है या नहीं, काम अच्छे से कर सकता है। मेरी नजर में अगर आपके कंटेंट को ऑडियंस नहीं मिल रहे हैं तो उस कंटेंट को तैयार करने का कोई मतलब नहीं है। विश्वसनीयता सुनिश्चित करने, बेहतरीन कंटेंट तैयार करने और टैलेंट को अपने साथ बनाए रखने के लिए आप किस तरह के कदम उठाते हैं? सबसे पहली बात तो यह है कि अच्छी क्वालिटी यानी गुणवत्ता का कोई विकल्प नहीं है। आखिरकार पाठक गुणवत्ता की ही तलाश करते हैं। यदि आपके कंटेंट में अच्छी क्वालिटी नहीं है, तो कोई भी आपके पास नहीं आएगा। उदाहरण के लिए, कई प्लेटफॉर्म्स पाठकों को ऑफर्स देकर भ्रमित करने और अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश करते हैं: जैसे- ‘यह लें और इसके साथ 10 और चीजें फ्री में पाएं।‘ लेकिन मेरा मानना है कि इस तरह आप पाठकों को एक बार तो धोखा दे सकते हैं, लेकिन दूसरी बार अथवा बार-बार नहीं। क्योंकि जब कोई पाठक अपने सबस्क्रिप्शन का नवीनीकरण करता है तो यह आसान नहीं होता, खासकर भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाज़ार में। लोग केवल उसी चीज के लिए पैसे देंगे, जिसे वे वास्तव में महत्व देते हैं, विशेष रूप से जब वे इसे दोबारा खरीदते हैं, इसलिए आपका कंटेंट उच्च गुणवत्ता का होना चाहिए। इसलिए, हम मानते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में हमारे भारतीय पाठक मनीकंट्रोल का सबस्क्रिप्शन ले रहे हैं और उसे जारी रख रहे हैं, तो इसका यही कारण है कि हमारे कंटेंट की गुणवत्ता पर उन्हें पूरा भरोसा है। आप आप पूछेंगे कि हम यह कैसे करते हैं? तो हम लगातार ऐसे उन्नत प्रॉडक्ट बनाते हैं, जो हमारे पाठकों को बाज़ार की गहरी जानकारी प्रदान करते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य है कि हम लोगों को उनके पैसे को और अधिक स्मार्ट तरीके से निवेश करने में कैसे मदद कर सकते हैं? हमारा हर कंटेंट इसी सोच के साथ तैयार किया जाता है। उदाहरण के लिए, हमारे पाठकों में अनुभवी निवेशक और संस्थागत निवेशक, ट्रेडर्स और ब्रोकर्स समेत ऐसे लोग भी शामिल हैं जो पहली बार पैसा कमा रहे हैं और शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहते हैं। इसीलिए, हमारे पास प्रॉडक्ट्स की एक विस्तृत श्रृंखला है। उदाहरण के लिए, हमारे पास ‘Expert Edge’ है, जहां हम दैनिक ट्रेडिंग कॉल और साप्ताहिक निवेश के सुझाव प्रदान करते हैं। हमारे पास ‘Trade Like a Pro’ है, जहां हम तकनीकी जानकारी, रेटिंग्स और ट्रेंड्स प्रदान करते हैं। ‘Spot the Winners’ में लगभग 200 प्रभावशाली स्टॉक स्कैनर्स हैं। ‘Deep Dive’ में क्वांट-आधारित विश्लेषण उपलब्ध है। इसके अलावा, आप मार्केट के प्रमुख खिलाड़ियों के पोर्टफोलियो को ट्रैक कर सकते हैं। इस तरह की कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। इन सबके केंद्र में हमारी एक मजबूत रिसर्च टीम है, जिसमें शोध विश्लेषक शामिल हैं जो 25 अलग-अलग क्षेत्रों की 270 प्रमुख भारतीय कंपनियों पर गहन जानकारी प्रदान करते हैं। हमारे सभी शोध विश्लेषक ‘सेबी’ (SEBI) द्वारा प्रमाणित हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके लिए विशेष कौशल और प्रमाणन की आवश्यकता होती है, और हमारी रिसर्च टीम इसी पृष्ठभूमि से आती है। हमारी रिसर्च टीम निवेशकों के लिए विषयगत पोर्टफोलियो भी तैयार करती है, जो अक्सर बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इन सब से मिलकर यूजर्स का विश्वास बनता है। हमारा मानना है कि यूजर तभी आपकी ओर देखेगा और आपके प्लेटफॉर्म पर आएगा, जब उसे लगेगा कि आपकी दी गई जानकारी उनके जीवन में मूल्य जोड़ रही है और उनके लिए काम की साबित हो रही है। यदि आप इसमें गलती करते हैं, तो पाठक दोबारा आपके पास नहीं आएगा। इसके अलावा, अब हम फिनटेक क्षेत्र में अपनी पहुंच का विस्तार कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हमारे प्लेटफॉर्म पर पाठक अब अपने बैंक खाते ट्रैक कर सकते हैं, अपनी रेटिंग्स देख सकते हैं, ऋण ले सकते हैं, फिक्स्ड डिपॉजिट कर सकते हैं और अपना क्रेडिट स्कोर जांच सकते हैं। इस प्रकार, आप तमाम सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं। अब हम देश का सबसे बड़ा फाइनेंसियल प्लेटफॉर्म हैं। कोई अन्य प्लेटफॉर्म हमारे आसपास भी नहीं है। हम न्यूज, बिजनेस इंटेलिजेंस, मार्केट इंटेलिजेंस और निवेश के लिए उपयोगी टूल्स जैसी कई सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।
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देश के जाने-माने टीवी पत्रकार शरद शर्मा ने 17 साल के बाद एनडीटीवी को अलविदा कह दिया है। उन्होंने इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिये दी। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि पत्रकारिता की पढ़ाई के दिनों से ही एनडीटीवी में काम करने का सपना था और 2007 में यह सपना पूरा हुआ। शरद शर्मा ने 17 साल तक एनडीटीवी में काम किया। उन्होंने अपने जीवन में एनडीटीवी के अलावा किसी और चैनल में काम करने के बारे में कभी सोचा ही नहीं। चाहे हालात कैसे भी रहे, लेकिन पिछले दो सालों से वह एक अजीब सी कशमकश में थे। दिल और दिमाग के बीच के लंबे वैचारिक संघर्ष के बाद उन्होंने अपने दिल की बात सुनने का फैसला किया। आखिरकार शरद शर्मा ने एनडीटीवी छोड़ दिया है। वह अब स्वतंत्र हो गए हैं और खुले मैदान में आ गए हैं। उन्होंने थोड़ा आसान और आराम वाला जीवन छोड़कर संघर्ष का रास्ता चुन लिया है। शरद शर्मा ने 'The Swatantra' के नाम से अपना खुद का यूट्यूब चैनल शुरू किया है, जिसमें उन्होंने लोगों से सहयोग नहीं बल्कि भागीदारी की अपील की है। शरद शर्मा ने टीवी पत्रकारिता को छोड़कर अब अपना खुद का डिजिटल चैनल शुरू कर दिया है। उनके इस निर्णय ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है और लोग उन्हें उनके नए सफर के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं। उनके फैंस और शुभचिंतक इस नए चैनल के जरिए उनसे जुड़ने के लिए उत्साहित हैं और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सामग्री का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस नए चैनल के माध्यम से शरद शर्मा अपने स्वतंत्र विचार और पत्रकारिता के प्रति अपने दृष्टिकोण को और भी बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर पाएंगे।
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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद से देश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमले और उत्पीड़न की खबरें आ रही हैं। हाल ही में, एक भारतीय नागरिक सयान घोष ने बांग्लादेश में अपनी यात्रा के दौरान हुए एक दर्दनाक अनुभव को साझा किया है, जिसने एक बार फिर इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई है। 23 नवंबर को अपने दोस्त से मिलने ढाका गए सयान घोष को 26 नवंबर को भारत लौटते समय हिंदू होने के कारण हिंसक हमले का सामना करना पड़ा। हमलावरों ने उन पर चाकू से हमला किया और साथ ही उनकी यात्रा साथी प्रतिमा दास को भी परेशान किया। इस घटना के बाद दोनों सदमे में वापस भारत लौटे। घोष और दास का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं को जातीय सफाए का निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्थानीय अधिकारियों और चिकित्सा सेवाओं ने उनकी मदद करने के बजाय उन पर ही आरोप लगाए। किसी भी पुलिस स्टेशन ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की। वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में एक ऐसा इकोसिस्टम है जो हिंदू नरसंहार को कम आंकता है। उन्होंने कहा कि घोष और दास की कहानियों को सुनना और उन्हें दुनिया के सामने लाना बहुत जरूरी है। यह घटना एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करती है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक कितने असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हिंसा और उत्पीड़न की इन घटनाओं ने भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को भी प्रभावित किया है। यह मामला एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की ओर खींचता है। यह आवश्यक है कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस मुद्दे पर आवाज उठानी चाहिए और बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करे।
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मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के प्रसिद्ध नाम राज नायक पिछले पांच वर्षों से एक सफल उद्यमी और हाउस ऑफ चीयर्स नेटवर्क्स के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। अपने व्यापक अनुभव और व्यवसायिक कौशल से उन्होंने मीडिया इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अपनी कंपनी 'हैपटेक' (HappTech) के माध्यम से उन्होंने बिजनेस, सेल्स, मार्केटिंग और बिजनेस स्ट्रैटजी लीडरशिप में उत्कृष्ट कार्य किया है। राज नायक ने न केवल व्यवसाय को रूपांतरित किया है बल्कि कुछ नए लीडर्स को मार्गदर्शन देकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद की है। राज नायक ने आठ साल से अधिक समय तक 'वायाकॉम18' से जुड़े रहते हुए, 2011 से 2019 तक चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उद्यमी बनने से पहले वे वायाकॉम18 में कार्यरत थे, जहां उन्होंने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। राज नायक ने अपने साढ़े तीन दशकों से अधिक के अनुभव में कई सी-सूट (C-suite) लीडर्स को तैयार किया और प्रशिक्षित किया। उनके मार्गदर्शन में इंडस्ट्री ने कई प्रभावशाली लीडर्स पाए हैं, जो आज तमाम संगठनों का नेतृत्व कर रहे हैं और नई पहल शुरू कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में प्रोफेशनल और व्यक्तिगत करियर के सफर में राज नायक एक महत्वपूर्ण कड़ी रहे हैं। राज नायक ने अप्रैल 2010 में 'Aidem Ventures' की स्थापना की, जो मीडिया सेल्स, मार्केटिंग और कंसल्टिंग की सबसे बड़ी स्वतंत्र कंपनियों में से एक है। इस कंपनी ने लोगों को अपने नेटवर्क, शोध और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अपनी संपत्तियों का मुद्रीकरण (monetization) करने, अपने विज्ञापनों को स्वचालित (automate) करने और अपने बाजार का विस्तार करने में मदद की है। यानी यह कंपनी लोगों और कंपनियों को अपने मौजूदा संसाधनों का उपयोग कर अधिक लाभ कमाने और अपने बिजनेस का विकास करने में सक्षम बनाती है। राज नायक की नेतृत्व क्षमता और उद्यमिता कौशल ने उन्हें मीडिया इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बना दिया है। उनकी नेतृत्व में कंपनियों ने न केवल व्यवसायिक सफलता प्राप्त की है बल्कि उन्होंने कई लोगों को मार्गदर्शन देकर उन्हें भी सफलता की राह पर अग्रसर किया है। राज नायक का योगदान मीडिया इंडस्ट्री के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है और उनकी कहानी नई पीढ़ी के उद्यमियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जम कर हिंसा हुई। बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर चटगांव में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ख़ूब उत्पात मचाया। जुमे की नमाज़ के बाद हिज़्बुत तहरीर, हिफ़ाज़ते इस्लाम और जमाते इस्लामी के कार्यकर्ता चटगांव के हिन्दू बहुल ठाकुरगांव, कोतवाली और टाइगर पास मुहल्लों में घुस गए।कट्टरपंथियों ने पहले इस्कॉन के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की, इसके बाद इस्लामिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं की दुकानों और घरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। हिंदुओं के साथ मार-पीट शुरू कर दी। तीन बड़े मंदिरों में तोड़फोड़ की। मौक़े पर पुलिस मौजूद थी लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। पुलिस तमाशा देखती रही। इसके बाद जब हालात बेक़ाबू हो गए तो, चटगांव में फौज को तैनात कर दिया गया। राजधानी ढाका में इस्कॉन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए। ढाका की बैतुल मुकर्रम मस्जिद में जुमे की नमाज़ के बाद, हिफ़ाज़ते इस्लाम संगठन के हज़ारों कार्यकर्ताओं ने इस्कॉन के ख़िलाफ़ मार्च किया। इस्कॉन पर पाबंदी लगाने की मांग की।प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इस्कॉन एक आतंकवादी हिंदू संगठन है, उस पर बैन लगना चाहिए और इस्कॉन के कार्यकर्ताओं को जेल में डाल देना चाहिए। बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन के 17 सदस्यों के बैंक खाते 30 दिन तक फ्रीज़ कर दिए हैं। इनमें इस्कॉन के गिरफ़्तार चिन्मय दास का भी बैंक खाता है। कोलकाता में इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि खाते फ्रीज़ होने से इस्कॉन के सदस्यों के भूखों मरने की नौबत आ जाएगी।बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ कोलकाता में प्रदर्शन हुए। इंडियन सेक्यूलर फ्रंट के वर्कर्स ने बांग्लादेश के डिप्टी हाई कमिशन के बाहर प्रोटेस्ट किया। इंडियन सेक्यूलर फ्रंट, फुरफुरा शरीफ़ के मौलाना अब्बास सिद्दीक़ी की पार्टी है। विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने भी बंगाल में प्रदर्शन किया। ब्रिटेन की संसद में कंज़रवेटिव पार्टी के सांसद, बॉब ब्लैकमैन ने सरकार से इस मामले में दख़ल देने की मांग की।बॉब ब्लैकमैन ने कहा कि इस्कॉन जैसे शांतिप्रिय संगठन को आतंकवादी संगठन बताकर लोगों को मारा जा रहा है, हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा है, उनकी जायदाद लूटी जा रही है। लोकसभा में विदेश मंत्री जयशंकर ने एक लिखित उत्तर में बताया कि भारत सरकार ने हिन्दुओं की स्थिति पर बांग्लादेश की सरकार से बात की है और हिंदुओं को पूरी सुरक्षा देने को कहा है। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के जान-माल की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी वहां की अंतरिम सरकार की है और सरकार को उम्मीद है कि बांग्लादेश की सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाएगी।शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने एक बयान में भारत सरकार से अपील की कि वह बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए विश्व जनमत बनाना शुरू कर दे। होसबाले ने इस्कॉन के गिरफ्तार साधु चिन्मय दास को जेल से तुरंत रिहा करने की मांग की।ये बात सही है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर भारत सरकार चिंतित है। गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर की बैठक हुई। लेकिन मामला पड़ोसी मुल्क का है। इसलिए सिर्फ डिप्लोमेटिक चैनल्स का सहारा लिया जा सकता है। सिर्फ बांग्लादेश की सरकार पर दबाव बनाया जा सकता है।समस्या यह है कि बांग्लादेश में मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार कट्टरपंथियों के दबाव में है, उनसे डरती है। जिस तरह से हिंसा पर उतारू भीड़ ने शेख हसीना को हटाया, उसके बाद सब भीड़ से डरते हैं। अब सरकार पर नियंत्रण होने के बाद जमात-ए-इस्लामी और हिफाज़त-ए-इस्लाम जैसे संगठन हिंसा पर उतारू हैं। उन्हें न पुलिस का डर है, न फौज का, न ही उन्हें बांग्लादेश की छवि की परवाह है। इसलिए बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुल्म को रोकने में वक्त लगेगा।
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जियोस्टार (JioStar) ने इंग्लिश प्रीमियर लीग (EPL) के मीडिया राइट्स के लिए तीन साल का करार किया है। बता दें कि बता दें कि यह डील 65 मिलियन डॉलर की बतायी जा रही है, जोकि 2025-26 सत्र के लिए है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 65 मिलियन डॉलर में से 54 मिलियन डॉलर की फीस मीडिया राइट्स के लिए हैं और 11 मिलियन डॉलर भारत में EPL इवेंट को बढ़ावा देने को लेकर मार्केटिंग के लिए हैं। इस साल नवंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वायकॉम18 मीडिया और वॉल्ट डिज्नी कंपनी ने एक जॉइंट वेंचर बनाया, जिससे 'जियोस्टार' की स्थापना हुई है।जियोस्टार के वाइस प्रेजिडेंट उदय शंकर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि यह जॉइंट वेंचर अगले आईसीसी अधिकार चक्र के लिए बोली लगाने की संभावना नहीं रखता है।
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दूरदर्शन (डीडी) ने हॉकी इंडिया लीग (HIL) के साथ साझेदारी की है, जिससे 2024-25 सीजन के मैचों का सीधा प्रसारण देशभर के दर्शकों तक पहुंचेगा। यह सीजन 28 दिसंबर 2024 से शुरू होगा, जिसमें आठ पुरुष और चार महिला टीमें हिस्सा लेंगी। मैच राउरकेला और रांची में खेले जाएंगे। इस सीजन की खास बात यह है कि इस इस लीग में पहली बार महिला हॉकी टीम भी शामिल होगी। प्रसार भारती के चेयरमैन नवीन सहगल ने इस साझेदारी पर खुशी जताते हुए कहा, “प्रसार भारती के लिए यह गर्व की बात है कि हम हॉकी इंडिया लीग के साथ जुड़ रहे हैं। यह मंच हमारे राष्ट्रीय खेल का उत्सव है जो विभिन्न वर्गों के लोगों को एकजुट करता है। हमारे व्यापक प्रसारण के माध्यम से, हम HIL में महिला हॉकी के ऐतिहासिक आगाज को पूरे देश में ले जाने का प्रयास करेंगे, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच के अंतर को कम किया जा सके।” प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने कहा, “टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में लगातार पदक जीतने के बाद, भारतीय खेल प्रेमी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भारतीय हॉकी एक सुनहरे युग में प्रवेश कर रही है। सार्वजनिक प्रसारक के रूप में, दूरदर्शन इस दृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित है। हम हॉकी के प्रसारण और प्रोडक्शन को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखते हैं। अब, खेल प्रेमी डीडी स्पोर्ट्स और हमारे नए ओटीटी प्लेटफॉर्म, वेव्स, पर पुरुष और महिला दोनों हॉकी लीग का आनंद ले सकते हैं। प्रसारण 28 दिसंबर 2024 से शुरू होगा।” हॉकी इंडिया लीग गवर्निंग कमेटी के चेयरपर्सन डॉ. दिलीप टिर्की ने कहा, “डीडी के साथ आधिकारिक प्रसारण साझेदार के रूप में जुड़ना हमारे लिए बेहद खुशी की बात है। इस साल महिला एचआईएल की शुरुआत के साथ, यह सीजन विशेष रूप से खास है, जो महिला हॉकी को बढ़ावा देने का एक बड़ा कदम है। दूरदर्शन की अनोखी पहुंच और खेलों के प्रति समर्पण हमारी दृष्टि के साथ पूरी तरह मेल खाता है। हमारा लक्ष्य है कि हॉकी को भारत के हर कोने तक पहुंचाया जाए और एचआईएल को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जाए।” हॉकी इंडिया लीग का यह सीजन न केवल भारतीय हॉकी को बढ़ावा देगा बल्कि महिला हॉकी के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगा। दूरदर्शन और हॉकी इंडिया लीग की यह साझेदारी भारतीय खेलों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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हाल ही में नेशनल न्यूज चैनल भारत24 ने वोमेन एंपॉवरमेंट को लेकर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर भारत24 के एडिटर इन चीफ और सीईओ जगदीश चंद्रा ने उपराष्ट्रपति धनखड़ को वोमेन एंपॉवरमेंट का सबसे बड़ा ब्रांड एम्बेस्डर बताया। चंद्रा ने कहा कि धनखड़ हर कार्य में अपनी पत्नी को आगे रखते हैं, इसलिए वे इस अभियान के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेस्डर हैं। कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिला सशक्तिकरण के महत्व पर जोर दिया और कहा कि महिलाएं समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी भूमिका को सशक्त करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना महत्वपूर्ण है। धनखड़ ने कहा कि महिलाओं को हर क्षेत्र में अवसर मिलना चाहिए और उन्हें अपनी पहचान बनाने का पूरा हक है। कार्यक्रम में जगदीश चंद्रा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, "मैं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को 50 सालों से जानता हूं। यह हर साल जवान होते जा रहे हैं। देश के कुछ अरबपति जो अपनी उम्र को कंट्रोल करने की चाहत रखते हैं, उन्हें इन्हें अपना गुरु बना लेना चाहिए। जगदीश चंद्रा जानते हैं कि उम्र को कैसे नियंत्रण में रखा जाए।" चंद्रा ने मजाकिया अंदाज में कहा कि धनखड़ एक प्रेरणा स्रोत हैं और उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। चंद्रा ने यह भी बताया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ उनकी मित्रता कितनी पुरानी है। उन्होंने कहा कि उनके साथ बातचीत करने के लिए सबसे अच्छी जगह उनका निवास है, जहां वे जयपुर स्थित निवास के पीछे वाले गार्डन में बैठा करते थे। इस गार्डन में बैठकर वे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे और कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। कार्यक्रम में महिलाओं की उन्नति और सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। जगदीश चंद्रा ने बताया कि महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं का महत्व कितना अधिक है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें शिक्षा के अवसर प्रदान करने चाहिए और रोजगार के लिए उन्हें हर संभव सहायता देनी चाहिए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने उद्बोधन में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए समाज के हर वर्ग को जागरूक करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को समान अधिकार मिलना चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार की भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए। धनखड़ ने यह भी कहा कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना जरूरी है ताकि वे अपने अधिकारों का सही उपयोग कर सकें। कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने भाग लिया और महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया कि महिलाओं का सशक्तिकरण समाज की उन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने महिलाओं की विभिन्न उपलब्धियों को सराहा और कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं को प्रेरित करना चाहिए ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। कार्यक्रम के अंत में उपराष्ट्रपति ने सभी महिलाओं को बधाई दी और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने चाहिए ताकि वे अपनी क्षमता को पहचान सकें और समाज में अपनी जगह बना सकें। इस प्रकार, भारत24 द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक प्रयास था, बल्कि समाज के हर वर्ग को महिलाओं के अधिकारों और उनके महत्व के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण कदम था। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और जगदीश चंद्रा जैसे प्रमुख व्यक्तियों की भागीदारी ने इस कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बना दिया और इसे समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देने में सफल बनाया।
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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने गूगल के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जांच का आदेश दिया है, जिसमें प्ले स्टोर पर असली पैसे वाले गेम की लिस्टिंग के संबंध में कथित अनुचित व्यापार की जांच की जाएगी। यह आदेश विंजो नामक एक कंपनी की शिकायत पर आधारित है। विंजो ने गूगल पर आरोप लगाया है कि वह अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है और कुछ विशेष गेमिंग श्रेणियों में अनुचित प्राथमिकता देकर प्रतिस्पर्धा में हस्तक्षेप कर रहा है। सीसीआई ने अपने आदेश में कहा कि आयोग ने महा निदेशक को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है और इस जांच को साठ दिनों के भीतर पूरा करके रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है। विंजो ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि गूगल अपने प्ले स्टोर पर डेली फेंटेसी स्पोर्ट्स (डीएफएस) और रम्मी जैसे गेमिंग ऐप्स को विशेष रूप से प्रमोट कर रहा है, जिससे इन ऐप्स को अन्य गेमिंग ऐप्स के मुकाबले अतिरिक्त फायदा मिलता है। गूगल के इस प्रकार के कदम से अन्य रियल मनी गेमिंग ऐप्स (आरएमजी) को नुकसान हो सकता है, क्योंकि इन्हें वही प्रमोशन और एक्सपोजर नहीं मिलता जो डीएफएस और रम्मी ऐप्स को मिलता है। सीसीआई ने गूगल द्वारा साइडलोडिंग के दौरान दिए जाने वाले चेतावनी संदेशों पर भी चिंता जताई है। विंजो ने आरोप लगाया कि ये चेतावनियां उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं और यह यूजर्स को उनकी ऐप तक पहुंचने से हतोत्साहित करती हैं। विंजो ने यह भी कहा कि साइडलोडिंग और भुगतान पर दी गई चेतावनियां केवल यूजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामान्य उपाय हैं, लेकिन गूगल इनका दुरुपयोग कर रहा है। सीसीआई ने यह भी पाया कि गूगल के पायलट कार्यक्रम और विज्ञापन नीतियां पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं और उनमें सुसंगतता की कमी है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि जिन ऐप्स को गूगल द्वारा चुना गया है, उन्हें लंबे समय तक फायदा मिल रहा है, जबकि अन्य ऐप्स को यह लाभ नहीं मिल पाता है। सीसीआई ने गूगल से इस मुद्दे पर स्पष्टता और पारदर्शिता की उम्मीद जताई है। इस प्रकार की जांचें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये यह सुनिश्चित करती हैं कि बाजार में सभी खिलाड़ियों के लिए एक समान अवसर हो और किसी भी कंपनी को अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने का मौका न मिले। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की इस कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि प्रतिस्पर्धा आयोग किसी भी प्रकार की अनुचित व्यापार प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा और बाजार में सही प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस जांच के परिणाम क्या होते हैं और गूगल इस मामले में क्या कदम उठाता है। गूगल के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपनी नीतियों और प्रथाओं को स्पष्ट और पारदर्शी बनाए, ताकि वह प्रतिस्पर्धा में निष्पक्षता बनाए रख सके और ग्राहकों की विश्वास को बनाए रख सके। गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें और सुनिश्चित करें कि वे बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में मदद करें। सीसीआई की यह जांच इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में ऐसी कोई भी अनुचित व्यापार प्रथाएं नहीं हो। आखिरकार, इस प्रकार की जांचें और कार्रवाइयां उपभोक्ताओं के हित में होती हैं, क्योंकि ये सुनिश्चित करती हैं कि उन्हें विभिन्न विकल्पों में से चयन करने का अवसर मिले और वे सबसे बेहतर सेवाओं का उपयोग कर सकें। यहां उम्मीद की जा सकती है कि इस जांच के परिणाम जल्द ही सामने आएंगे और इससे गूगल के लिए एक उदाहरण स्थापित होगा कि वह अपनी नीतियों और प्रथाओं को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की इस कार्रवाई से बाजार में प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित करेगा कि सभी कंपनियों को समान अवसर मिलें।
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विमानन उद्योग इस समय अभूतपूर्व ऊंचाइयों का अनुभव कर रहा है, विशेष रूप से भारतीय यात्रियों के बीच तेजी से बढ़ती राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के चलते। इस तेजी ने प्रासंगिक और क्षेत्रीय सामग्री की महत्वपूर्ण मांग को भी बढ़ा दिया है। इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट (IFE) प्रदान करने वाली वैश्विक अग्रणी कंपनी शेमारू कंटेंटिनो ने इस प्रवृत्ति का कुशलतापूर्वक लाभ उठाया है और खुद को भारतीय कंटेंट बाजार में प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया है। शेमारू कंटेंटिनो, शेमारू एंटरटेनमेंट की एक सहायक कंपनी है, जो छह दशकों से अधिक समय से भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग में एक विश्वसनीय नाम है। कंपनी ने अपने विशाल और विविध कंटेंट की एक विस्तृत लाइब्रेरी के साथ, दुनिया भर के यात्रियों के लिए इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट अनुभव में क्रांति ला दी है। शेमारू कंटेंटिनो 15 से अधिक भाषाओं में 3,000 से अधिक फिल्में, 25,000 से अधिक टीवी एपिसोड और 1,500 से अधिक संगीत ट्रैक, वेब सीरीज प्रदान करता है। सूची में सबसे लोकप्रिय हालिया ब्लॉकबस्टर फिल्मों में पठान, महाराजा, प्रेमलु, नच गा घुमा, जट्ट एंड जूलियट 3, तूफान, झमकुड़ी और कई अन्य शामिल हैं। 130 से ज्यादा एयरलाइन्स में अपनी वैश्विक उपस्थिति के साथ, शेमारू कंटेंटिनो दुनिया भर की एयरलाइन्स के लिए एक भरोसेमंद भागीदार बन गया है। इसमें एयर इंडिया, एमिरेट्स, कतर एयरवेज, सिंगापुर एयरलाइंस और एतिहाद एयरवेज जैसी प्रमुख एयरलाइन्स शामिल हैं। भारतीय प्रवासियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सेवा देने वाली एयरलाइन्स के लिए, शेमारू कंटेंटिनो की विशाल कंटेंट कैटलॉग इसे विविध भाषाई पृष्ठभूमि वाले यात्रियों की सेवा करने वाली एयरलाइन्स के लिए एक आदर्श समाधान बनाती है। शेमारू कंटेंटिनो की पेशकशों की विविधता और गुणवत्ता एक प्रमुख कारण है कि दुनिया भर की एयरलाइन्स अपने यात्रियों की मनोरंजन मांगों को पूरा करने के लिए कंपनी की ओर रुख कर रही हैं। जीवन को जीवन में लाने के अपने सिद्धांत पर कायम रहते हुए, शेमारू कंटेंटिनो ने इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट को एक नया आयाम दिया है। कंपनी का उद्देश्य है कि वह अपने दर्शकों को हर समय ताजा और रोचक सामग्री प्रदान करे। इसके लिए शेमारू कंटेंटिनो विभिन्न भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन हाउसेस के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि वह अपनी कंटेंट लाइब्रेरी को और भी अधिक समृद्ध बना सके। शेमारू कंटेंटिनो ने इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली है और खुद को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। कंपनी की विविध और उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री ने इसे दुनिया भर की एयरलाइन्स के बीच एक भरोसेमंद भागीदार बना दिया है। भारतीय यात्रियों के लिए विशेष ध्यान और उनकी मनोरंजन मांगों को पूरा करने के लिए शेमारू कंटेंटिनो ने अपनी सामग्री की पेशकश को और भी अधिक रोचक और आकर्षक बना दिया है। भविष्य में भी कंपनी अपनी कंटेंट लाइब्रेरी को और भी विस्तृत और विविध बनाने की योजना बना रही है, ताकि वह अपने दर्शकों को हर समय ताजा और रोचक सामग्री प्रदान कर सके।
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25 नवंबर से 29 नवंबर 2024 के सप्ताह के दौरान शेयर बाजार में कई मीडिया कंपनियों में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव देखा गया। इन कंपनियों में एनडीटीवी (NDTV), टीवी टुडे, नेटवर्क18, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL), जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (ZMCL), एचटी मीडिया और जागरण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। इन कंपनियों के शेयरों में बदलाव न केवल बाजार की स्थिति को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि किस तरह निवेशकों की भावना और बाहरी कारकों ने इन कंपनियों के प्रदर्शन को प्रभावित किया। इस सप्ताह के दौरान विभिन्न कंपनियों के शेयरों का उतार-चढ़ाव विशेष रूप से मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह उस सेक्टर की मौजूदा स्थिति को उजागर करता है। एनडीटीवी (NDTV) के लिए यह सप्ताह अपेक्षाकृत अप्रत्याशित रहा। सोमवार को इसका स्टॉक ₹170.31 प्रति शेयर पर खुला, जो एक स्थिर शुरुआत को दर्शाता था। हालांकि, मंगलवार को यह गिरकर ₹165 तक पहुंच गया, जिससे यह संकेत मिला कि बाजार में कुछ अस्थिरता आ सकती है। इस गिरावट के बावजूद, एनडीटीवी ने अगले दो दिनों में तेज वृद्धि दर्ज की और गुरुवार तक यह ₹184.8 के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया, जो सप्ताह का शिखर था। शुक्रवार को स्टॉक ₹177 प्रति शेयर पर बंद हुआ, जिससे निवेशकों को यह संदेश मिला कि कंपनी के प्रदर्शन में सुधार हुआ है, हालांकि अस्थिरता अभी भी बनी हुई थी। सप्ताह के दौरान इसका सबसे निचला स्तर ₹164.5 था, जो इस बात का संकेत था कि बाजार में कुछ बाहरी दबाव और अनिश्चितता थी। एनडीटीवी के प्रदर्शन में यह उतार-चढ़ाव निवेशकों के मनोबल और अनिश्चितता को दर्शाता है, जो बाजार की स्थिति और बाहरी कारकों के प्रभाव से उत्पन्न हुई थी। टीवी टुडे (TV Today), इसके विपरीत, पूरे सप्ताह स्थिरता और सकारात्मक रुख दिखाने में सफल रहा। सोमवार को ₹195 प्रति शेयर पर खुलने के बाद, शुरुआती दिनों में इसमें थोड़ी अस्थिरता देखने को मिली। हालांकि, बाद में यह शेयर मजबूत हुआ और शुक्रवार तक ₹203.92 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जहां पर यह ₹202.50 पर बंद हुआ। सप्ताह का सबसे निचला स्तर ₹195 था, जिस पर यह खुला था। टीवी टुडे के प्रदर्शन ने स्पष्ट रूप से निवेशकों का भरोसा बढ़ाया और यह संकेत दिया कि कंपनी का प्रदर्शन और उसकी मार्केट पोजिशन सकारात्मक है। यह प्रदर्शन दर्शाता है कि निवेशकों ने कंपनी के स्थिर और सकारात्मक रुख को स्वीकार किया और इससे कंपनी के शेयर में विश्वास का निर्माण हुआ। नेटवर्क18 (Network18) का प्रदर्शन भी इस सप्ताह अपेक्षाकृत स्थिर रहा। सोमवार को इसका स्टॉक ₹78.76 पर खुला और इसी दिन यह मामूली बढ़कर ₹81.30 तक पहुंच गया, जो सप्ताह का उच्चतम स्तर था। हालांकि, सप्ताह के अंत तक यह ₹78.90 पर बंद हुआ, जो शुरुआत के ₹78.76 से थोड़ा कम था। सप्ताह का सबसे निचला स्तर ₹77.85 था, जो सोमवार को ही दर्ज हुआ। नेटवर्क18 का प्रदर्शन बहुत कम अस्थिरता दर्शाता है, और इसके स्थिर प्रदर्शन ने इसे एक भरोसेमंद निवेश विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। निवेशकों ने इस कंपनी के बारे में आत्मविश्वास दिखाया और इसके शेयर में उतार-चढ़ाव बहुत कम था, जो दर्शाता है कि इस कंपनी की मार्केट पोजिशन मजबूत थी और निवेशकों को इसमें कोई बड़ा जोखिम नहीं दिखाई दे रहा था। जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने सप्ताह की शुरुआत में गिरावट का सामना किया। इसका स्टॉक सोमवार को ₹120.67 पर खुला, लेकिन कुछ समय बाद ₹118.60 पर बंद हुआ, जो सप्ताह का सबसे निचला स्तर था। यह गिरावट निवेशकों के लिए चिंताजनक हो सकती थी, लेकिन सप्ताह के दौरान स्टॉक में सुधार हुआ और शुक्रवार तक यह ₹130.75 के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया। अंत में यह ₹129.10 पर बंद हुआ, जो यह दर्शाता है कि सप्ताह के अंत तक निवेशकों का भरोसा लौट आया। ZEEL का प्रदर्शन यह दिखाता है कि कभी-कभी कंपनी के प्रदर्शन में शुरुआती गिरावट के बावजूद बाजार में सुधार हो सकता है, और निवेशक समय के साथ अपनी स्थिति को सुधारने में सक्षम होते हैं। जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (ZMCL) में इस सप्ताह मामूली उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सोमवार को इसका स्टॉक ₹18.66 पर खुला और ₹18.25 पर बंद हुआ, जो थोड़ा गिरावट दिखाता था। सप्ताह के दौरान इसका सबसे निचला स्तर ₹17.68 था, जो चिंता का कारण हो सकता था, लेकिन शुक्रवार को यह ₹19.05 के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया और ₹18.96 पर बंद हुआ, जो दर्शाता है कि सप्ताह के अंत में इसमें हल्का सुधार हुआ। ZMCL का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि जब एक कंपनी में उतार-चढ़ाव होते हैं, तो भी सुधार की संभावना बनी रहती है और बाजार में निवेशकों का विश्वास कभी-कभी इन उतार-चढ़ावों के बाद वापस लौटता है। एचटी मीडिया (HT Media) का स्टॉक भी इस सप्ताह थोड़ी अस्थिरता का सामना कर रहा था। सोमवार को इसका स्टॉक ₹23.06 पर खुला, लेकिन इसमें गिरावट आई और यह ₹22.44 पर बंद हुआ, जो सप्ताह का सबसे निचला स्तर था। इसके बावजूद, सप्ताह के दौरान इसमें सुधार हुआ और शुक्रवार को यह ₹23.82 के उच्चतम स्तर तक पहुंचा। अंत में, यह ₹23.77 पर बंद हुआ। इन उतार-चढ़ावों ने निवेशकों की सतर्क आशावादिता को दर्शाया, जो यह दर्शाता है कि एचटी मीडिया के शेयर में सुधार की संभावना बनी हुई है, हालांकि यह गिरावट से बाहर निकलने में कुछ समय ले सकता है। जागरण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड को इस सप्ताह चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसका स्टॉक ₹85.39 पर खुला, लेकिन सप्ताह के दौरान यह धीरे-धीरे गिरता गया। सप्ताह का सबसे निचला स्तर ₹82.99 था, जो कि एक चिंता का विषय हो सकता था। हालांकि, शुक्रवार को यह थोड़ा सुधरकर ₹84.45 पर बंद हुआ। इस सप्ताह के समग्र प्रदर्शन ने निवेशकों के विश्वास में गिरावट को दर्शाया, और इसने यह संकेत दिया कि जागरण प्रकाशन को बाजार में कुछ सुधार की आवश्यकता हो सकती है। कुल मिलाकर, 25 नवंबर से 29 नवंबर 2024 के सप्ताह में विभिन्न मीडिया कंपनियों के प्रदर्शन ने यह स्पष्ट किया कि निवेशकों का रुख और बाहरी कारक, जैसे कि वैश्विक और स्थानीय आर्थिक स्थितियां, इन कंपनियों के शेयरों के उतार-चढ़ाव को प्रभावित कर रहे हैं। इस सप्ताह के दौरान कुछ कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि कुछ को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन इन उतार-चढ़ावों के बावजूद, यह निश्चित रूप से दिखाता है कि मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर में निवेशकों का विश्वास मजबूत है, और बाजार में कुछ अस्थिरता के बावजूद, कंपनियां अपने प्रदर्शन में सुधार करने की कोशिश कर रही हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार पाणिनि आनंद ने ‘टीवी9 नेटवर्क’ में अपनी पारी को समाप्त कर दिया है। पाणिनि आनंद ने मार्च 2023 में ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (डिजिटल) में ग्रुप एडिटर के रूप में जॉइन किया था, जहां उन्होंने डिजिटल से जुड़े समस्त कार्यों की जिम्मेदारी संभाली थी। हालांकि, पाणिनि आनंद ने इस्तीफा क्यों दिया और उनका अगला कदम क्या होगा, इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है। पाणिनि आनंद इससे पहले ‘इंडिया टुडे’ समूह में कार्यरत थे, जहां वह बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर ‘आजतक’ (डिजिटल) में अपनी भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने इस समूह में करीब सात साल बिताए थे, जहां उन्हें पहले डिप्टी एडिटर (डिजिटल) के तौर पर जॉइन किया गया था और बाद में उनकी मेहनत को देखते हुए उन्हें एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया था। इससे पहले पाणिनि आनंद ‘कैच न्यूज’ में सीनियर असिस्टेंट एडिटर के रूप में काम कर चुके थे और इसके पहले वे राज्यसभा टीवी में न्यू मीडिया डिपार्टमेंट के हेड थे। पाणिनि आनंद का पत्रकारिता करियर करीब दो दशकों पुराना है और वह एक अनुभवी लेखक भी हैं। उनका जन्म रायबरेली में हुआ था और उन्होंने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत प्रतिष्ठित संस्थान ‘बीबीसी’ से की थी। दिल्ली स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेश (IIMC) से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के दौरान पाणिनि ने ‘नवभारत टाइम्स’, ‘हिन्दुस्तान’ और ‘जनसत्ता’ जैसे प्रमुख अखबारों के लिए लेखन किया। ‘बीबीसी’ से जुड़ने से पहले पाणिनि आनंद ने 2002-2004 तक दो टैब्लॉयड्स के संपादन का कार्य किया और फिर 2004-2006 तक बीबीसी के साथ कंट्रीब्यूटर के रूप में जुड़े रहे। इसके बाद उन्होंने 2006-2010 तक बीबीसी हिंदी में कॉरेस्पॉन्डेंट/प्रड्यूसर के तौर पर कार्य किया। 2010 में पाणिनि आनंद सहारा मीडिया से जुड़ गए, जहां उन्होंने सहारा की वेब डिवीजन के एडिटोरियल हेड के रूप में कार्य किया। एक साल के बाद, उन्होंने 2011 में सीएसडीएस की फेलोशिप प्राप्त की और फिर 2012 में आउटलुक (अंग्रेजी) मैगजीन के साथ बतौर प्रिंसिपल कॉरेस्पॉन्डेंट जुड़ गए। पत्रकारिता के अलावा, पाणिनि आनंद एक कवि, ब्लॉगर और थिएटर आर्टिस्ट भी हैं। वे समय-समय पर अपनी कला और विचारों को विभिन्न रूपों में प्रस्तुत करते रहते हैं। इसके साथ ही, पाणिनि आनंद डॉक्यूमेंट्री मेकिंग से भी जुड़े रहे हैं, जो उनकी बहुआयामी प्रतिभा को दर्शाता है। पाणिनि आनंद की पत्रकारिता में एक लंबी और प्रेरणादायक यात्रा रही है, और उनके इस्तीफे के बाद उनके अगले कदम को लेकर मीडिया जगत में कई सवाल उठ रहे हैं। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि वे आगे किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं और उनके द्वारा किए गए योगदानों को मीडिया उद्योग किस रूप में याद करता है।
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वरिष्ठ पत्रकार पाणिनि आनंद ने ‘टीवी9 नेटवर्क’ में अपनी पारी को समाप्त कर दिया है। पाणिनि आनंद ने मार्च 2023 में ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (डिजिटल) में ग्रुप एडिटर के रूप में जॉइन किया था, जहां उन्होंने डिजिटल से जुड़े समस्त कार्यों की जिम्मेदारी संभाली थी। हालांकि, पाणिनि आनंद ने इस्तीफा क्यों दिया और उनका अगला कदम क्या होगा, इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है। पाणिनि आनंद इससे पहले ‘इंडिया टुडे’ समूह में कार्यरत थे, जहां वह बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर ‘आजतक’ (डिजिटल) में अपनी भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने इस समूह में करीब सात साल बिताए थे, जहां उन्हें पहले डिप्टी एडिटर (डिजिटल) के तौर पर जॉइन किया गया था और बाद में उनकी मेहनत को देखते हुए उन्हें एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया था। इससे पहले पाणिनि आनंद ‘कैच न्यूज’ में सीनियर असिस्टेंट एडिटर के रूप में काम कर चुके थे और इसके पहले वे राज्यसभा टीवी में न्यू मीडिया डिपार्टमेंट के हेड थे। पाणिनि आनंद का पत्रकारिता करियर करीब दो दशकों पुराना है और वह एक अनुभवी लेखक भी हैं। उनका जन्म रायबरेली में हुआ था और उन्होंने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत प्रतिष्ठित संस्थान ‘बीबीसी’ से की थी। दिल्ली स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेश (IIMC) से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के दौरान पाणिनि ने ‘नवभारत टाइम्स’, ‘हिन्दुस्तान’ और ‘जनसत्ता’ जैसे प्रमुख अखबारों के लिए लेखन किया। ‘बीबीसी’ से जुड़ने से पहले पाणिनि आनंद ने 2002-2004 तक दो टैब्लॉयड्स के संपादन का कार्य किया और फिर 2004-2006 तक बीबीसी के साथ कंट्रीब्यूटर के रूप में जुड़े रहे। इसके बाद उन्होंने 2006-2010 तक बीबीसी हिंदी में कॉरेस्पॉन्डेंट/प्रड्यूसर के तौर पर कार्य किया। 2010 में पाणिनि आनंद सहारा मीडिया से जुड़ गए, जहां उन्होंने सहारा की वेब डिवीजन के एडिटोरियल हेड के रूप में कार्य किया। एक साल के बाद, उन्होंने 2011 में सीएसडीएस की फेलोशिप प्राप्त की और फिर 2012 में आउटलुक (अंग्रेजी) मैगजीन के साथ बतौर प्रिंसिपल कॉरेस्पॉन्डेंट जुड़ गए। पत्रकारिता के अलावा, पाणिनि आनंद एक कवि, ब्लॉगर और थिएटर आर्टिस्ट भी हैं। वे समय-समय पर अपनी कला और विचारों को विभिन्न रूपों में प्रस्तुत करते रहते हैं। इसके साथ ही, पाणिनि आनंद डॉक्यूमेंट्री मेकिंग से भी जुड़े रहे हैं, जो उनकी बहुआयामी प्रतिभा को दर्शाता है। पाणिनि आनंद की पत्रकारिता में एक लंबी और प्रेरणादायक यात्रा रही है, और उनके इस्तीफे के बाद उनके अगले कदम को लेकर मीडिया जगत में कई सवाल उठ रहे हैं। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि वे आगे किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं और उनके द्वारा किए गए योगदानों को मीडिया उद्योग किस रूप में याद करता है।
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गुरुग्राम की पॉक्सो अदालत ने एबीपी न्यूज़ की वरिष्ठ पत्रकार और वाइस प्रेसिडेंट चित्रा त्रिपाठी की जमानत अर्जी को फिर से खारिज कर दिया है। अदालत के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश, अश्विनी कुमार मेहता ने आदेश दिया कि चित्रा त्रिपाठी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। यह मामला 11 नवंबर 2024 को तब सामने आया, जब अदालत ने चित्रा त्रिपाठी को सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया था। उनके वकील ने पेशी से छूट की मांग करते हुए तर्क दिया कि चित्रा महाराष्ट्र चुनाव में अजीत पवार का इंटरव्यू कर रही थीं। अदालत ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए उनकी जमानत रद्द कर दी और गिरफ्तारी वारंट जारी किया। हालांकि अदालत का आदेश स्पष्ट था, लेकिन गुरुग्राम पुलिस अब तक चित्रा त्रिपाठी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। इसके विपरीत, वह विभिन्न मीडिया डिबेट्स में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं, जो पुलिस की निष्क्रियता और प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रति कानून के रवैये पर सवाल उठाती है। यह मामला सिर्फ कानूनी पहलुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और न्याय तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है। क्या कानून सभी के लिए समान है, या फिर प्रभावशाली लोगों के लिए अलग मापदंड अपनाए जाते हैं? चित्रा त्रिपाठी का यह मामला मीडिया की निष्पक्षता, न्याय व्यवस्था में समानता और प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रति कानून के अलग रवैये पर गंभीर चर्चा को जन्म दे रहा है। अब यह देखना होगा कि पुलिस कोर्ट के आदेश का पालन करती है या नहीं। इस मामले से जुड़े अन्य कानूनी पहलुओं पर भी निगाहें बनी हुई हैं। यह प्रकरण देशभर में कानून और मीडिया की स्वतंत्रता के महत्व पर गहरी बहस शुरू कर रहा है।
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भारत की प्रमुख समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) ने अपनी दिल्ली स्थित दफ्तर में एसोसिएट प्रोड्यूसर के पद के लिए वैकेंसी निकाली है। यह एक शानदार अवसर है उन कैंडिडेट्स के लिए जो मीडिया और जर्नलिज़म के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। इस पद के लिए विभिन्न जिम्मेदारियां और आवश्यकताएं निर्धारित की गई हैं, जिन्हें पूरी तरह से समझना महत्वपूर्ण है। कामकाजी स्थान और कार्य की जिम्मेदारी एसोसिएट प्रोड्यूसर का कामकाजी स्थान PTI का दिल्ली दफ्तर होगा, जहां उम्मीदवार को एजेंसी के देशभर में फैले रिपोर्टर्स के साथ डेली प्लानिंग करनी होगी। उन्हें हर दिन वायरल, ट्रेंडिंग और फीचर स्टोरीज़ की पहचान करनी होगी, और संबंधित रिपोर्टर्स को इन स्टोरीज़ पर काम करने के लिए निर्देशित करना होगा। इसके अलावा, उम्मीदवार को स्टोरीज़ के फॉलो-अप पर भी नज़र रखनी होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी रिपोर्ट्स समय पर और सही जानकारी के साथ सामने आ रही हैं। आवश्यक योग्यताएं इस पद के लिए आवेदकों के पास कुछ विशेष योग्यताएं होनी चाहिए: मजबूत स्टोरी प्लानिंग: उम्मीदवार को स्टोरी प्लानिंग में दक्षता होनी चाहिए ताकि वह महत्वपूर्ण समाचार और फीचर्स को सही समय पर कवर कर सके। इसके साथ ही, ट्रेंडिंग और वायरल खबरों की पहचान भी महत्वपूर्ण है। मल्टी-टास्किंग क्षमता: इस भूमिका में एक ही समय में कई कार्यों को प्राथमिकता देनी होती है, इसलिए उम्मीदवार को मल्टी-टास्किंग में सक्षम होना चाहिए। समय प्रबंधन: समय के भीतर कार्यों को निपटाने की क्षमता भी आवश्यक है, ताकि सभी कार्य नियत समय पर पूरे हो सकें और समाचार एजेंसी के संचालन में कोई रुकावट न आए। अंग्रेजी भाषा में कुशलता: एसोसिएट प्रोड्यूसर को अंग्रेजी भाषा पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए, क्योंकि अधिकांश रिपोर्टिंग और कम्युनिकेशन अंग्रेजी में होती है। इसके अलावा, उम्मीदवार को बेहतरीन संवाद कौशल (Communication Skills) का भी होना जरूरी है। कवरेज और रिपोर्टिंग एसोसिएट प्रोड्यूसर को नियमित रूप से सभी अपडेट्स को फॉलो करना होगा। उन्हें रिपोर्टर्स से काम के निष्पादन पर फीडबैक भी लेना होगा, ताकि खबरें जल्दी और सटीक रूप से तैयार हो सकें। इस पद में उम्मीदवार को समय-समय पर उच्च गुणवत्ता वाली रिपोर्ट और स्टोरीज को तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि PTI की समाचार एजेंसी हमेशा अपडेटेड और विश्वसनीय बनी रहे। आवेदन प्रक्रिया इच्छुक और योग्य कैंडिडेट्स अपना कवर लेटर और अनुभव के साथ आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पत्र shuja.thakur@pti.in पर भेजा जा सकता है।
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जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज के सीईओ पुनीत गोयनका को कंपनी के बोर्ड में निदेशक के रूप में बने रहने के लिए आवश्यक शेयरधारकों की मंजूरी नहीं मिली. गुरुवार को शेयरधारक वोट के दौरान प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. इस पूरे धटनाक्रम के बावजूद, गोयनका जी एंटरटेनमेंट के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) बने रहेंगे. कंपनी ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि जी एंटरटेनमेंट में पुनीत गोयनका को निदेशक के रूप में फिर से नियुक्त करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया, 50.4% शेयरधारकों ने इसके खिलाफ और 49.5% ने इसके पक्ष में मतदान किया. इन परिणामों के साथ, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज के बोर्ड पर पुनीत गोयनका का दीर्घकालिक कार्यकाल समाप्त हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1992 में सुभाष चंद्रा द्वारा कंपनी की स्थापना के बाद यह पहली बार है जब उनके परिवार के किसी भी सदस्य को जी की चार सूचीबद्ध संस्थाओं में से किसी के बोर्ड में प्रतिनिधित्व नहीं किया गया है. 18 अक्तूबर को, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के बोर्ड ने निदेशक के रूप में पुनीत गोयनका की पुनर्नियुक्ति का समर्थन किया था. हालांकि, ठीक एक महीने बाद, गोयनका ने सीईओ के रूप में अपनी भूमिका पर ध्यान केंद्रित करने को प्राथमिकता देते हुए प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था.
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‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) ने सौरव अधिकारी को अपने बोर्ड में नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर कैटेगरी में एडिशनल डायरेक्टर के रूप में शामिल किया है। उनकी नियुक्ति कंपनी की कॉर्पोरेट गवर्नेंस को और सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इस पद पर उनकी नियुक्ति ‘जी’ के बिजनेस ऑपरेशंस और दीर्घकालिक स्ट्रैटेजी को मजबूती प्रदान करेगी। सौरव अधिकारी के पास कॉर्पोरेट जगत में काम करने का करीब चार दशक का अनुभव है। वह टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और बिजनेस डेवलपमेंट के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं।एचसीएल में वर्ष 2000 से 2019 के दौरान अपने लगभग दो दशक के सफर में उन्होंने कई लीडरशिप भूमिकाएं निभाईं और एचसीएल की स्टार्टअप एंटरप्राइज नेटवर्किंग फर्म के संस्थापक अध्यक्ष (Founding President) के रूप में कार्य किया। उनके पास यूनिलीवर में कई वरिष्ठ ग्लोबल लीडरशिप और कार्यकारी भूमिकाओं का अनुभव है। उन्होंने पेप्सिको में वाइस प्रेजिडेंट और ग्रुप SEB में सीईओ (इंडिया बिजनेस) के रूप में भी काम किया है।‘Indus Tech Edge Fund’ के फाउंडर और सीनियर पार्टनर के अलावा वह भारत में सूचीबद्ध कंपनियों ‘Goodricke Group Limited’ और ‘Accelya Solutions India Limited’ के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित यूके की कंपनी ‘Bridgeweave Limited’ के बोर्ड मेंबर में भी हैं।
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डिजिटल केबल टेलीविजन ऑपरेटर्स की शीर्ष संस्था ‘ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन’ (AIDCF) ने केबल टीवी और ब्रॉडबैंड सर्विस देने वाली कंपनी ‘डेन नेटवर्क्स’ (Den Networks) के सीईओ एसएन शर्मा को अपना नया प्रेजिडेंट नियुक्त किया है। वह मई 2024 से ‘AIDCF’ में कार्यवाहक प्रेजिडेंट के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। एसएन शर्मा को ‘Fastway Transmission Private Limited’ के सीईओ पीयूष महाजन की जगह नियुक्त किया गया है, जिन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इस नियुक्ति के बारे में एसएन शर्मा का कहना है, ‘मैं पीयूष महाजन का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए, जिससे केबल टीवी इंडस्ट्री को काफी लाभ हुआ। मैं AIDCF के सभी सदस्यों का भी आभारी हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया। प्रेजिडेंट के रूप में मैं फेडरेशन की पहलों को आगे बढ़ाने, उभरती चुनौतियों का समाधान करने और इंडस्ट्री में स्थायी विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।’
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प्रसार भारती ने हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म 'वेब्स' (Waves) लॉन्च किया है, जिसने केबल और डीटीएच ऑपरेटर्स के बीच गंभीर चिंता पैदा कर दी है। यह प्लेटफॉर्म वर्तमान में 60 से अधिक लीनियर टीवी चैनल्स की मेजबानी करता है, जिनमें प्रमुख न्यूज नेटवर्क भी शामिल हैं और इसे बिना किसी सब्सक्रिप्शन के मुफ्त में उपलब्ध कराया गया है। हालांकि इसमें अभी तक शीर्ष चार ब्रॉडकास्टर्स के एंटरटेनमेंट चैनल शामिल नहीं हैं, फिर भी इसने केबल इंडस्ट्री में अशांति पैदा कर दी है। 'वेब्स' (Waves) पर लीनियर टीवी चैनल्स की उपलब्धता ने मौजूदा व्यवस्था को हिला दिया है। इस कदम से पारंपरिक टीवी ऑपरेटर्स ने आपत्ति जताई है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनकी व्यावसायिक रणनीति को कमजोर करेगा और उनके बाजार हिस्से को और अधिक घटाएगा। media ने एक्सपर्ट्स की उन चिंताओं की रिपोर्ट दी है, जो Waves द्वारा लीनियर टीवी चैनल्स मुफ्त में उपलब्ध कराने को लेकर हैं। "सब्सक्राइबर्स का बदलता रुझान केबल और डीटीएच ऑपरेटर्स की चिंताओं की जड़ में पहले से ही प्रसार भारती के 'डीडी फ्री डिश' का दबाव है, जो मुफ्त सैटेलाइट टीवी सेवाएं प्रदान करता है और तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। नाम न बताने की शर्त पर एक ब्रॉडकास्ट एक्सपर्ट ने कहा, 'अधिकांश दर्शक अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर रहे हैं, जो ऑन-डिमांड कंटेंट और अधिक लचीलापन चाहते हैं और ऐसे में पारंपरिक टीवी ऑपरेटर्स ने सब्सक्रिप्शंस में गिरावट देखी है। Waves पर टीवी चैनल्स की उपलब्धता इन चुनौतियों को और बढ़ा सकती है, क्योंकि यह उन सब्सक्राइबर्स को भी अपनी ओर खींच सकती है, जो पहले से ही डिजिटल और स्ट्रीमिंग विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।' प्रसार भारती का ओटीटी प्लेटफॉर्म Waves अब लीनियर और ऑन-डिमांड कंटेंट का मिश्रण पेश कर रहा है, ऐसे में ऑपरेटर्स को चिंता है कि इससे ओटीटी की ओर बदलाव और तेज़ हो जाएगा, जिससे अंततः उनके सब्सक्राइबर बेस और मुनाफ़े में कमी आएगी। केबल टीवी ऑपरेटर्स का कहना है कि ब्रॉडकास्टर्स के टीवी चैनल्स का उपयोग करके प्रसार भारती सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्धारित डाउनलिंकिंग दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहा है। इंडस्ट्री के एक एक्सपर्ट ने कहा कि यह कदम मौजूदा नियमों के विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि सैटेलाइट टीवी चैनल रिसेप्शन डिकोडर केवल केबल ऑपरेटर्स को ही दिए जाने चाहिए। एक्सपर्ट ने कहा, "ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लीनियर चैनल पेश करना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। यह न केवल अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है, बल्कि केबल ऑपरेटर्स के सामने आने वाली चुनौतियों को भी बढ़ाता है, जो पहले से ही हर साल ग्राहकों की संख्या में भारी कमी का सामना कर रहे हैं।" नियमों के उल्लंघन को लेकर चिंता इससे पहले, ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय को एक पत्र में कहा है कि प्रसार भारती ने अपने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लीनियर टीवी चैनल्स को शामिल करने के लिए आवेदन आमंत्रित करते समय, 2022 की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग गाइडलाइंस के क्लॉज 11(3)(f) का उल्लंघन किया है। क्लॉज 11(3)(f) के अनुसार टीवी चैनल सिग्नल रिसेप्शन डिकोडर्स केवल निम्नलिखित संस्थाओं को ही दिए जा सकते हैं: - एमएसओ/केबल ऑपरेटर्स: जो केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट 1995 के तहत पंजीकृत हैं। - डीटीएच ऑपरेटर्स: जो भारत सरकार द्वारा जारी डीटीएच गाइडलाइंस के तहत पंजीकृत हैं। - आईपीटीवी सेवा प्रदाता: जो मौजूदा टेलीकॉम लाइसेंस के तहत अधिकृत हैं या जिन्हें दूरसंचार विभाग द्वारा स्वीकृति मिली हुई है। - एचआईटीएस ऑपरेटर्स: जिन्हें एचआईटीएस ऑपरेटरों के लिए मंत्रालय द्वारा जारी नीति दिशा-निर्देशों के तहत स्वीकृति दी गई है। सितंबर में लिखे गए एक पत्र में, केबल इंडस्ट्री ने कहा था कि डिस्ट्रीब्यूशन इंडस्ट्री ने पिछले 6 वर्षों में अपने सब्सक्राइबर संख्या में भारी उथल-पुथल देखी है, जिसमें 2018 में, केबल टीवी और डीटीएच इंडस्ट्री का संयुक्त सब्सक्राइबर बेस लगभग 180 मिलियन था, जो 2024 में काफी कम होकर 120 मिलियन रह गया है, जो कुल सब्सक्राइबर बेस का 33% कम है। केबल टीवी ऑपरेटर, जैसे कि सिटी, हैथवे, डेन और जीटीपीएल, ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह प्रसार भारती को अपने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर निजी टीवी चैनलों को शामिल करने से रोकें। प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफॉर्म Waves पर फिलहाल लगभग 71 लीनियर चैनल उपलब्ध हैं। इस मुद्दे पर एक वरिष्ठ ब्रॉडकास्ट एक्सपर्स ने कहा, "प्रसार भारती 'प्रसार भारती एक्ट' के तहत कार्य करता है, इसलिए प्रसारक (ब्रॉडकास्टर्स) को अपने सैटेलाइट टीवी चैनल प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रदान करने की अनुमति है।" What’s on offer? Prasar Bharati's much-anticipated OTT platform, Waves, was officially launched on Wednesday, marking the broadcaster's foray into the competitive streaming market. Waves was launched at the 55th International Film Festival of India (IFFI) in Goa by Chief Minister Pramod Sawant, in the presence of Sanjay Jaju, Secretary, I&B Ministry. The app has stories embracing Indian culture with an international outlook, in 12+ Languages - Hindi, English, Bengali, Marathi, Kannada, Malayalam, Telugu, Tamil, Gujarati, Punjabi, Assamese. It will be spread across 10+ Genres of Infotainment. It will provide Video on demand, free-to-play gaming, Radio streaming, Live TV streaming, 71 live Channels, several App in App integrations for video and gaming content, and online shopping through Open Network for Digital Commerce (ONDC) supported e-commerce platform. The platform features a lineup of live channels, including entertainment networks like B4U, ABZY, SAB Group, and 9X Media, alongside major news channels such as India Today, News Nation, Republic, ABP News, News24, and NDTV India. It also offers all Doordarshan and Akashvani channels, according to sources. However, some prominent broadcasters' channels are currently absent from the service. क्या है खास? प्रसार भारती के बहुप्रतीक्षित ओटीटी प्लेटफॉर्म Waves का आधिकारिक लॉन्च बुधवार को हुआ, जिससे प्रसार भारती ने प्रतिस्पर्धी स्ट्रीमिंग बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। Waves का उद्घाटन गोवा में आयोजित 55वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू की उपस्थिति में किया। इस ऐप में भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने वाली कहानियां शामिल हैं। यह 12+ भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, मराठी, कन्नड़, मलयालम, तेलुगु, तमिल, गुजराती, पंजाबी, असमिया) में उपलब्ध है। यह 10+ शैलियों (Genres) में इन्फोटेनमेंट कंटेंट प्रदान करता है। Waves पर मिलने वाली सेवाएं: वीडियो ऑन डिमांड। फ्री-टू-प्ले गेमिंग। रेडियो स्ट्रीमिंग। लाइव टीवी स्ट्रीमिंग। 71 लाइव चैनल। वीडियो और गेमिंग सामग्री के लिए "ऐप इन ऐप" इंटीग्रेशन। ONDC समर्थित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन शॉपिंग। प्लेटफॉर्म में लाइव चैनल्स की सूची भी शामिल है, जिनमें एंटरटेनमेंट चैनल जैसे B4U, ABZY, SAB ग्रुप और 9X मीडिया हैं। प्रमुख न्यूज चैनल जैसे इंडिया टुडे, न्यूज नेशन, रिपब्लिक, एबीपी न्यूज, न्यूज24 और एनडीटीवी इंडिया भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, इसमें सभी दूरदर्शन और आकाशवाणी चैनल शामिल हैं। हालांकि, कुछ प्रमुख ब्रॉडकास्टर्स के चैनल वर्तमान में इस सेवा में शामिल नहीं हैं। 'लिमिटेड ऑफर' अपने लॉन्च को लेकर उत्साह के बावजूद इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स सतर्क हैं और शहरी दर्शकों के बीच इसके तात्कालिक प्रभाव को सीमित मान रहे हैं। एक सीनियर ओटीटी एक्सपर्ट ने कहा, "यह प्लेटफॉर्म, न्यूज से जुड़े कुछ वर्गों को छोड़कर, सीमित पहुंच रखने वाला है।" इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य पुराने जमाने की यादों को फिर से ताजा करना है, साथ ही आधुनिक डिजिटल रुझानों को अपनाते हुए क्लासिक और समकालीन कार्यक्रमों का समृद्ध मिश्रण प्रदान करना है।इसकी लाइब्रेरी में रामायण, महाभारत, शक्तिमान और हम लोग जैसे सदाबहार शोज शामिल हैं, जो उन दर्शकों को आकर्षित करते हैं जो भारत के सांस्कृतिक और भावनात्मक अतीत से जुड़ाव चाहते हैं। इसके अलावा, यह न्यू, डॉक्यूमेंट्री और रीजनल कंटेंट भी प्रदान करता है, जो समावेशिता और विविधता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। लॉन्च के बाद मंत्रालय ने कहा था, "दूरदर्शन का ओटीटी प्लेटफॉर्म परंपरागत टीवी और आधुनिक स्ट्रीमिंग के बीच की खाई को पाटता है और अपनी दशकों पुरानी विरासत व राष्ट्रीय विश्वास का उपयोग करते हुए तकनीक-प्रेमी युवाओं और बुजुर्ग पीढ़ी दोनों तक पहुंच बनाता है।" पहले, सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने पुष्टि की थी कि प्लेटफॉर्म का एक छोटा हिस्सा सब्सक्रिप्शन-आधारित होगा, जबकि बाकी कंटेंट देखने के लिए मुफ्त होगा। अगस्त में, प्रसार भारती ने टीवी चैनल्स को अपने नए ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़ने का निमंत्रण दिया। यह कदम उसकी डिजिटल उपस्थिति को बढ़ाने और एक ऐसा राजस्व-साझाकरण मॉडल पेश करने का प्रतीक था, जो बाजार में विशिष्ट है। इस मॉडल के तहत ब्रॉडकास्टर्स को विज्ञापन राजस्व का 65% मिलेगा, जबकि प्रसार भारती 35% रखेगा। सितंबर में, एक्सचेंज4मीडिया को सूत्रों से पता चला कि प्रमुख चार टीवी नेटवर्क ने प्रसार भारती के आगामी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपने लिनियर चैनल को स्ट्रीम नहीं करने का निर्णय लिया है। हालांकि सरकार ने आकर्षक राजस्व-साझाकरण मॉडल की पेशकश की थी, इन नेटवर्क्स ने शायद इसलिए भाग नहीं लिया क्योंकि उनकी पहले से ही अपने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर मजबूत उपस्थिति है। इन शीर्ष नेटवर्क्स के आवेदन न करने के बावजूद, मामले से परिचित सूत्रों ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया कि प्रसार भारती को विभिन्न शैलियों के 106 चैनल्स से आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 44 चैनल्स का चयन किया गया और 40 चैनल्स प्लेटफॉर्म से जुड़ने के लिए सहमत हुए।
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने देश में एफएम रेडियो स्टेशनों के विस्तार और मौजूदा स्थिति पर लोकसभा में जानकारी दी। रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिकी व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस संबंध में पूछे गए सवालों का उत्तर देते हुए कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री ने अश्विनी वैष्णव बताया कि भारत में रिले स्टेशनों सहित कुल 625 आकाशवाणी एफएम ट्रांसमीटर और 388 प्राइवेट एफएम स्टेशन संचालित हैं। इसके अलावा, देश में 521 सामुदायिक रेडियो स्टेशन (सीआरएस) भी कार्यरत हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में सूचना और मनोरंजन का प्रसार कर रहे हैं। प्रसार भारती के तहत एफएम नेटवर्क को बढ़ाने के लिए प्रसार भारती की प्रसारण अवसंरचना ऑडियंस रिसर्च और नेटवर्क विकास योजना (BIND) के तहत आकाशवाणी नेटवर्क का आधुनिकीकरण और विस्तार किया जा रहा है। नए एफएम ट्रांसमीटर को स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रीमंडल ने तमिलनाडु के 11 शहरों सहित 234 नए अछूते शहरों में 730 प्राइवेट एफएम चैनलों की ई-नीलामी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सूचना-प्रसारण मंत्री ने कहा कि इस कदम से विविध और स्थानीय सामग्री तक पहुंच बढ़ेगी, जिससे सृजनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय भाषा के साथ-साथ संस्कृतियों का भी संवर्धन होगा।लोकसभा में चर्चा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि एफएम रेडियो का महत्व न केवल मनोरंजन के लिए, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में सूचना के आदान-प्रदान के लिए भी है। इसके विस्तार से ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में संचार को और सशक्त बनाया जा सकेगा। सरकार एफएम रेडियो नेटवर्क को मजबूत करने और नई तकनीकों के माध्यम से इसे और प्रभावी बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस कदम से न केवल शहरी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी एफएम रेडियो की पहुंच में वृद्धि होगी।एफएम रेडियो स्टेशनों का विस्तार भारत में सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के लिए एक सकारात्मक कदम है। सरकार की नई योजनाओं और तकनीकी नवाचारों से एफएम रेडियो का भविष्य और भी उज्जवल दिखता है।
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लंबे समय से ‘अमर उजाला’ से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार श्यामाकांत दुबे का मंगलवार को आकस्मिक निधन हो गया है। मीडिया में करीब 40 साल से सक्रिय श्यामाकांत दुबे लगभग 60 वर्ष के थे। दुबे ने अमर उजाला में एसोसिएट एडिटर के पद पर रहते हुए 2022 में सेवानिवृत्ति ली थी। फिलहाल वह एक्सटेंशन के तौर पर इस अखबार में नोएडा में अपनी सेवाएं दे रहे थे। अमर उजाला, नोएडा से पहले उन्होंने जयपुर, भोपाल, मेरठ और चंडीगढ़ जैसे स्थानों पर लंबे समय तक कार्य किया था। श्यामाकांत दुबे अपने पीछे पत्नी, बेटा-बेटी और बड़ा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन से मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। तमाम पत्रकारों ने श्यामाकांत दुबे के निधन पर शोक जताते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है और शोक संतप्त परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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एनडीटीवी ने अपने ब्रैंडेड कंटेंट यूनिट को नया नाम देकर 'एनडीटीवी ब्रैंड स्टूडियो' के रूप में पुनः लॉन्च किया है और इसे नया रूप दिया है। यह इकाई ब्रैंड्स को उनके विभिन्न जरूरतों के लिए अनुकूलित और व्यापक कंटेंट समाधान प्रदान करेगी। 'एनडीटीवी ब्रैंड स्टूडियो' का उद्देश्य है वैल्यू चेन के हर पहलू को कवर करते हुए ब्रैंड्स के लिए कंटेंट की परिकल्पना, निर्माण और उसकी रीच बढ़ाने तक की सेवाएं प्रदान करना। इसके तहत, बाजार की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फोकस्ड और प्रभावशाली कंटेंट प्रोजेक्ट्स तैयार किए जाएंगे। इस अवसर पर एनडीटीवी ब्रैंड स्टूडियो के रेवेन्यू हेड गौरव दिवानी ने कहा, "डिजिटल-फर्स्ट दुनिया में ब्रैंड्स को ऐसे पार्टनर की जरूरत होती है जो उनके लिए अनोखी और प्रभावशाली कहानियां तैयार कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि "एनडीटीवी ब्रैंड स्टूडियो के साथ, हम एक ऐसा रचनात्मक मंच (क्रिएटिव हब) प्रदान करने को लेकर उत्साहित हैं, जहां ब्रैंड्स एनडीटीवी की पत्रकारिता की उत्कृष्टता का उपयोग करके सटीक और प्रभावशाली संदेश तैयार कर सकते हैं और दर्शकों को गहराई तक जोड़ने वाले प्रभावशाली ब्रांडेड कंटेंट अनुभव प्रदान कर सकते हैं।"स्टूडियो को ब्रैंडेड कंटेंट विशेषज्ञों और अनुभवी पत्रकारों की एक टीम द्वारा संचालित किया गया है, जिनकी एनडीटीवी की सामाजिक अभियानों और उच्च प्रभाव वाली पहलों की विरासत में गहरी जड़ें हैं।
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नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड ने अपने बोर्ड में शुवा मंडल को अतिरिक्त स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 25 नवंबर 2029 तक प्रभावी रहेगी, और शुवा मंडल इस पद पर पांच वर्षों तक कार्य करेंगे। शुवा मंडल एक अनुभवी कानूनी विशेषज्ञ हैं, जिनके पास कानून के क्षेत्र में दो दशकों से अधिक का गहरा अनुभव है। उन्होंने भारत की प्रमुख कानूनी फर्मों और टाटा ग्रुप के साथ काम किया है। उनकी विशेषज्ञता मर्जर्स और एक्विजिशन्स, सिक्योरिटीज लॉ, शेयरहोल्डर्स गवर्नेंस, प्राइवेट इक्विटी निवेश और कॉर्पोरेट लिटिगेशन में है। इसके अतिरिक्त, वह कई क्षेत्रों में कार्य कर चुके हैं, जैसे कि कमोडिटीज, ऑटोमोटिव, रिटेल, फाइनेंशियल सर्विसेज, हेल्थकेयर, एविएशन, डिफेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर। नेटवर्क18 के बोर्ड में शुवा मंडल ने ध्रुव सुबोध काजी की जगह ली है, जिन्होंने कंपनी के अतिरिक्त निदेशक के रूप में दो कार्यकालों तक अपनी सेवाएं दी थीं। शुवा मंडल की नियुक्ति से कंपनी को अपने कानूनी और रणनीतिक निर्णयों में एक और मजबूत हाथ मिला है। शुवा मंडल ने अपनी कानूनी यात्रा की शुरुआत भारत की शीर्ष कानूनी फर्मों में की थी, और बाद में उन्होंने टाटा सन्स, जो टाटा ग्रुप की प्रमुख निवेश होल्डिंग कंपनी है, में ग्रुप जनरल काउंसल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके पहले, उन्होंने शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी और AZB एंड पार्टनर्स जैसी प्रतिष्ठित फर्मों में सीनियर पार्टनर के रूप में भी कार्य किया। उनकी प्रतिष्ठित कानूनी और रणनीतिक विशेषज्ञता, विशेष रूप से कंपनी कानून, निवेश, और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के क्षेत्र में, नेटवर्क18 को दीर्घकालिक रणनीतिक विकास के लिए मजबूती प्रदान करेगी। शुवा मंडल का योगदान कंपनी की आगामी योजनाओं और कानूनी निर्णयों में अहम भूमिका निभाएगा, जिससे नेटवर्क18 को अपने व्यवसाय और वित्तीय मामलों में अधिक पारदर्शिता और दक्षता की उम्मीद है। शुवा मंडल के नेतृत्व में, नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड अपने नए कानूनी और रणनीतिक दिशा की ओर अग्रसर होगा, जो कि कंपनी की स्थिरता और विकास को सुनिश्चित करेगा।
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उत्तर प्रदेश के संभल में कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस की मौजूदगी में मुगलों के समय की मस्जिद का सर्वेक्षण हो रहा था। इस दौरान कई लोग सर्वेक्षण का विरोध करने आ गए और पुलिसकर्मियों के साथ उनकी झड़प हो गई। इस झड़प में चार लोगों की मौत हुई और करीब 20 सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य घायल हो गए। इस विवाद पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, संभल में 4 लोगों की मौत दुःखद है। अगर प्रशासन ने सावधानी बरती होती, तो इतनी भीड़ इकट्ठा नहीं होती और भीड़ को मज़हब के नाम पर भड़काया न गया होता, तो वो पुलिस पर हमला नहीं करते। मेरा तो ये कहना है कि मंदिर, मस्जिद के नाम पर रोज़-रोज़ के ये झगड़े बंद होने चाहिए। टकराव से कभी किसी का भला नहीं हुआ। जब भी रास्ता निकला है तो आपसी बातचीत से निकला है। अगर किसी को लड़ना ही है तो अदालत में जाकर लड़े।आपको बता दें, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि हालिया विधानसभा उपचुनावों में हुई ‘धांधली और लूट’ को छिपाने के लिए यह घटना कराई गई है।
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एबीपी नेटवर्क (ABP Network) ने सुमांता दत्ता को अपना नया चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) नियुक्त करने की घोषणा की है। सुमांता दत्ता एक अनुभवी इंसडस्ट्री एक्सपर्ट हैं, जिनके पास 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों जैसे कंज्यूमर गुड्स, ड्यूरेबल और एजुकेशन इंडस्ट्री में बड़े बहुराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम किया है। सुमांता ने अपने करियर का एक बड़ा हिस्सा कोका-कोला में बिताया, जहां उन्होंने अपने नेतृत्व और प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन किया। इसके बाद, उन्होंने लॉजिटेक में क्लस्टर हेड और मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) के रूप में कार्य किया। हाल ही में वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस में एमडी के पद पर कार्यरत थे। इन भूमिकाओं में उन्होंने बिजनेस ऑपरेशंस, मार्केटिंग व डिस्ट्रीब्यूशन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। सुमांता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के प्रतिष्ठित कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के फ्रैंकलिन एंड मार्शल कॉलेज से स्नातक किया और फिर रटगर्स यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। सुमांता अपने परिवार के साथ एक खुशहाल जीवन जीते हैं। वे एक प्यारे पति और दो बच्चों के स्नेही पिता हैं। सुमांता की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है, जब एबीपी नेटवर्क डिजिटल और टेलीविजन मीडिया के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है। इस नई जिम्मेदारी को संभालते हुए सुमांता का लक्ष्य कंपनी को प्रौद्योगिकी और कंटेंट के क्षेत्र में अग्रणी बनाना होगा। यह नियुक्ति दर्शाती है कि एबीपी नेटवर्क अपने लीडरशिप को सशक्त बनाने और मीडिया इंडस्ट्री में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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जी मीडिया (Zee Media) से खबर है कि कंपनी के नॉन एग्जिक्यूटिव नॉन इंडिपेंडेंट (Non-Executive Non-Independent) डायरेक्टर पुरुषोत्तम वैष्णव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जी मीडिया ने इसकी जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दी है। कंपनी के मुताबिक, पुरुषोत्तम वैष्णव ने 25 नवंबर 2024 से कार्य समाप्ति समय के बाद अपनी पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि पुरुषोत्तम वैष्णव ने निजी कारणों और अन्य अनिवार्य परिस्थितियों के कारण इस्तीफा दिया है। हालांकि, बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस्तीफे के पीछे कोई अन्य महत्वपूर्ण कारण नहीं है, सिवाय व्यक्तिगत कारणों के जो इस्तीफा पत्र में दिया गया है। बता दें कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की ओर से वैष्णव की नियुक्ति दिसंबर 2022 में नॉन एग्जिक्यूटिव नॉन इंडिपेंडेंट (Non-Executive Non-Independent) डायरेक्टर की कैटेगरी में की गई थी। अजमेर की महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट पुरुषोत्तम वैष्णव को मीडिया इंडस्ट्री में काम करने का दो दशक से भी ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ में क्लस्टर-2 चैनल्स के सीईओ रह चुके हैं, जिसके तहत हिंदी और अन्य रीजनल न्यूज चैनल्स आते थे।
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एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) ने घोषणा की है कि सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (एसपीएनआई) (कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड) ने 2024 से 2031 तक सभी एसीसी टूर्नामेंटों के लिए विशेष मीडिया अधिकार हासिल कर लिए हैं। यह ऐतिहासिक सौदा पिछले मीडिया अधिकार चक्र की तुलना में 70% से अधिक की वृद्धि दर्शाता है, जो एसीसी एशिया कप टूर्नामेंटों के लिए बढ़ते वैश्विक कद और रुचि को उजागर करता है। इस सौदे में पुरुष और महिला एशिया कप, पुरुष और महिला अंडर-19 एशिया कप और पुरुष और महिला इमर्जिंग टीम एशिया कप के सभी संस्करण शामिल हैं। यह साझेदारी टेलीविजन, डिजिटल और ऑडियो प्लेटफार्मों पर एशियाई क्रिकेट के प्रमुख टूर्नामेंटों की व्यापक और अभिनव कवरेज सुनिश्चित करती है।एशिया में क्रिकेट के लिए ACC का दृष्टिकोण समावेशी और अग्रगामी है। SPNI के साथ यह महत्वपूर्ण साझेदारी न केवल ACC के प्रमुख टूर्नामेंटों के लिए उच्च-गुणवत्ता वाली कवरेज सुनिश्चित करती है, बल्कि सभी सदस्य देशों में विकास कार्यक्रमों को चलाने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन भी प्रदान करती है।SPNI की व्यापक प्रसारण विशेषज्ञता और खेल को बढ़ाने के लिए ACC की प्रतिबद्धता के साथ, यह साझेदारी एशिया और उससे आगे क्रिकेट केलिए नए मानक स्थापित करने के लिए तैयार है। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया के साथ हमारे नए मीडिया पार्टनर के रूप में, हम विश्व स्तरीय कवरेज और दुनिया भर के प्रशंसकों के लिए एक इमर्सिव व्यूइंग एक्सपीरियंस देने की उनकी क्षमता में आश्वस्त हैं।प्रसारण उद्योग में सोनी की व्यापक विशेषज्ञता के साथ, हम इस नई साझेदारी को शुरू करने के लिए उत्साहित हैं। सोनी की विशेषज्ञता और अभिनव दृष्टिकोण एशियाई क्रिकेट के कवरेज में एक नया दृष्टिकोण लाने, नए दर्शकों तक पहुँचने और नए मानक स्थापित करने का वादा करता है।अधिकारों के मूल्य में पर्याप्त वृद्धि ACC को जमीनी स्तर के कार्यक्रमों, बुनियादी ढाँचे के विकास और प्रतिभा मार्गों, विशेष रूप से सहयोगी देशों के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों को चैनल करने में सक्षम बनाएगी। यह सहयोग पूरे एशिया में क्रिकेट के निरंतर विकास को बढ़ावा देगा और इसके जीवंत भविष्य को सुनिश्चित करेगा।एसपीएनआई द्वारा एसीसी टूर्नामेंट (2024-2031) के मीडिया अधिकार अपने नाम करने पर, एसपीएनआई के एमडी और सीईओ गौरव बनर्जी ने कहा: "एसीसी टूर्नामेंट के अधिकारों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी बोली प्रक्रिया आयोजित करने के लिए एसीसी को बधाई! हम इन एक्शन से भरपूर टूर्नामेंटों को अपने दर्शकों के लिए अगले 8 वर्षों तक लाने में प्रसन्न हैं, जिसमें भारत और पाकिस्तान के मैच भी शामिल होंगे। एसीसी टूर्नामेंटों ने अविस्मरणीय क्षण बनाए हैं और सबसे तीव्र एशियाई क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता के लिए मंच तैयार किया है। हम इन मैचों के रोमांच और भावना को क्रिकेट प्रशंसकों के साथ साझा करने के लिए उत्सुक हैं।"
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18 नवंबर से 22 नवंबर तक के कारोबारी सप्ताह में मंगलवार से गुरुवार के दौरान मीडिया कंपनियों में अचानक गिरावट देखी गई, तथा कारोबारी सप्ताह के अंत तक यह थोड़ी कम दर पर बंद हुई। यहां इन मीडिया एवं मनोरंजन कंपनियों में से प्रत्येक का बाजार में प्रदर्शन कैसा रहा, इसका सारांश दिया गया है। नेटवर्क18 ने सप्ताह की शुरुआत 83.28 रुपये से की, लेकिन धीरे-धीरे गिरावट के साथ 79.44 रुपये पर बंद हुआ। मंगलवार को शेयर 86.78 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, लेकिन जल्दी ही इसकी गति कम हो गई और सप्ताह के अंत तक यह 79.49 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया। शेयर में 4.60% की गिरावट आई, जो मुनाफावसूली या नकारात्मक भावना का संकेत है, जिससे यह सप्ताह के लिए कमजोर प्रदर्शन करने वाला शेयर बन गया। टीवी टुडे टीवी टुडे ने स्थिरता दिखाई, सप्ताह के दौरान 0.07% की मामूली वृद्धि के साथ, जो स्थिरता को दर्शाता है। यह 188.55 रुपये पर खुला और 188.69 रुपये पर थोड़ा ऊपर बंद हुआ। शेयर का 192.30 रुपये का उच्चतम स्तर सकारात्मक निवेशक रुचि का संकेत देता है, लेकिन 184.34 रुपये का निचला स्तर इंट्राडे अस्थिरता को दर्शाता है। कुल मिलाकर, इसने न्यूनतम साप्ताहिक लाभ के साथ एक संतुलित प्रक्षेपवक्र बनाए रखा। एनडीटीवी एनडीटीवी ने मजबूती दिखाई, 167.61 रुपये पर खुला और 169.10 रुपये पर बंद हुआ। 171.99 रुपये का उच्चतम स्तर आशावाद को दर्शाता है, लेकिन गुरुवार को 150.76 रुपये पर तेज गिरावट अचानक नकारात्मक दबाव को दर्शाती है। रिकवरी के बावजूद, अस्थिरता के कारण सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। शेयर में 0.89% की बढ़त हुई, जो मध्यम वृद्धि दर्शाता है। ज़ेडएमसीएल ZMCL ने 18.58 रुपये पर शुरुआत की और 18.40 रुपये पर बंद हुआ, पूरे सप्ताह में सीमित उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। मंगलवार को 19.43 रुपये के उच्च स्तर ने थोड़े समय के लिए सकारात्मक भावना को दर्शाया, लेकिन समापन मूल्य में थोड़ी मंदी दिखी, जो 0.97% की मामूली गिरावट को दर्शाता है। ज़ील ZEEL अपेक्षाकृत स्थिर रहा, जिसमें 0.92% की मामूली वृद्धि देखी गई और मध्यम आशावाद का संकेत मिला। यह 115.88 रुपये पर खुला और 116.95 रुपये पर थोड़ा ऊपर बंद हुआ। सप्ताह का उच्चतम स्तर 125.42 रुपये सकारात्मक दृष्टिकोण का संकेत देता है, हालांकि 115.25 रुपये का न्यूनतम स्तर सतर्क व्यापार का संकेत देता है। यह मामूली वृद्धि क्षमता के साथ मध्यम प्रदर्शन करने वाला बना हुआ है। एचटी मीडिया एचटी मीडिया, जो 3.04% तक गिर गया, मंदी की गतिविधि का संकेत देते हुए, मामूली नुकसान का सामना कर रहा था, 23.00 रुपये पर खुला और 22.30 रुपये पर बंद हुआ। मंगलवार को 23.58 रुपये के उच्च स्तर ने कुछ शुरुआती आशावाद को दर्शाया, लेकिन गिरावट ने निवेशकों के आत्मविश्वास में कमी और सतर्क दृष्टिकोण का संकेत दिया। जागरण प्रकाशन जागरण प्रकाशन ने सप्ताह की शुरुआत 85.30 रुपये पर मजबूती के साथ की, लेकिन 83.66 रुपये पर गिरावट के साथ बंद हुआ। गुरुवार को इसका साप्ताहिक निचला स्तर 82.31 रुपये था, जो सप्ताह के अंत में मंदी की भावना को दर्शाता है, जो इसे थोड़ा कम प्रदर्शन करने वाला स्टॉक बताता है। सप्ताह के दौरान स्टॉक में 1.93% की गिरावट आई, जो हल्की गिरावट का संकेत है।
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एक बार फिर गौतम अडानी राजनीति का मुद्दा बन गए। राहुल गांधी ने एक बार फिर गौतम अडानी का नाम लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला किया। राहुल गांधी ने इस बार बहाना बनाया अमेरिका के कोर्ट में गौतम अडानी पर लगे इल्जाम का। अमेरिका की एक कोर्ट में FBI ने आरोप लगाया है कि गौतम अडानी ने भारत में सौर बिजली के वितरण का ठेका दिलवाने के लिए एक अमेरिकन कंपनी से की राज्य सरकारों के अफसरों को रिश्वत दिलवाने की कोशिश की। छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओड़िशा के अफसरों को दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत ऑफर करवाई। FBI का कहना है कि गौतम अडानी ने अमेरिका में बॉन्ड्स के जरिए लोगों से पूंजी ली, लेकिन रिश्वत की बात निवेशकों से छुपाई। फेडरल कोर्ट ने इसे निवेशकों के साथ धोखा मानकर इसकी जांच का आदेश दिया। इस आधार पर गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और कंपनी के डायरेक्टर विनीत जैन समेत सात लोगों पर आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा। अमेरिका में देर रात ये हुआ और सुबह सूरज निकलने से पहले विपक्ष के नेता सक्रिय हो गए। राहुल गांधी ने राशन पानी लेकर नरेन्द्र मोदी पर हमला बोल दिया। इसके बाद अखिलेश यादव, संजय राउत, फारुक़ अब्दुल्ला समेत तमाम नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि वो लिखकर दे सकते हैं कि गौतम अडानी गिरफ्तार नहीं होंगे क्योंकि अडानी बीजेपी की फंडिग का स्रोत हैं, नरेन्द्र मोदी अडानी के कब्जे में हैं। न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में FBI ने ये आरोप लगाया है कि 2020 से 2024 के बीच गौतम अडानी और उनकी कंपनी के अधिकारियों ने सोलर एनर्जी का प्लांट लगाने और प्लांट में बनी बिजली को बेचने के ठेकों के लिए सरकारी अफसरों को 2029 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की। FBI का कहना है कि गौतम अडानी ने अमेरिकी निवेशकों से करीब पौने दो हजार करोड़ रुपये इन्वेस्ट कराए , लेकिन इस रिश्वत की जानकारी निवेशकों को नहीं दी। इसलिए ये धोखाधड़ी का मामला बनता है। FBI ने अदालत में दावा किया कि अडानी ने जो ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को घूस ऑफर की, उस कॉन्ट्रैक्ट से अडानी ग्रुप को अगले 20 साल में करीब 17 हजार करोड़ रुपये का मुनाफ़ा होने वाला था। इसके बाद अमेरिका के सिक्योरिटीज़ ऐंड एक्सचेंज कमीशन ने भी गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी के अलावा सीरिल कैबनीज़ के ख़िलाफ़ सिविल सूट दाख़िल किया। अमेरिका में अडानी के खिलाफ इल्जाम लगे। पहला असर शेयर बाज़ार पर हुआ। अडानी ग्रुप के शेयर्स में 10 से 20 परसेंट तक की गिरावट आई, जिसके कारण निवेशकों के करीब ढाई लाख करोड़ रुपये डूब गए। दूसरा असर ये हुआ कि अडानी ग्रीन कंपनी ने अमेरिका में शेयर मार्केट से पैसे जुटाने के लिए 60 करोड़ डॉलर का जो बॉन्ड जारी किया था, उसको वापस ले लिया गया। अडानी ग्रुप ने अपने बयान में ग्रुप पर लगाए गए सारे इल्ज़ामात को ग़लत और बेबुनियाद बताया। बयान में कहा गया कि अडानी ग्रुप क़ानून का पालन करता है, जो आरोप लगाए गए हैं, उनका जवाब कानूनन दिया जाएगा। अडानी के मामले के दो पहलू हैं। एक राजनीतिक, दूसरा वित्तीय। राहुल गांधी पिछले 10 साल से गौतम अडानी को नरेन्द्र मोदी पर हमला करने का हथियार बनाए हुए हैं। अडानी बहाना, मोदी निशाना, लेकिन राहुल इसमें ज्यादा कामयाब नहीं हो पाए। आज भी जिन राज्यों में अफसरों को रिश्वत देने का इल्जाम लगा, उनमें कहीं बीजेपी की सरकार नहीं है। इसमें कोई मोदी कनेक्शन नहीं मिला। इसीलिए मोदी की इमेज पर तो चोट नहीं पहुंची लेकिन शेयर मार्केट में अडानी के शेयरों में पैसे लगाने वालों को भारी नुकसान हुआ। ये भी एक पैटर्न है। केस उस वक्त आया जब अमेरिका में अडानी की कंपनी का 600 मिलियन डॉलर का बॉन्ड मार्केट में था। इस खबर के बाद अडानी को बॉन्ड वापस लेना पड़ा। मार्केट में अडानी के शेयर बहुत बुरी तरह गिरे। पिछली बार जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी, उस वक्त भी अडानी 20 हजार करोड़ का FPO लाने वाले थे। उस वक्त भी उन्हें शेयर मार्केट में नुकसान हुआ था। तो क्या ये महज संयोग है? पिछली बार जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी। उस वक्त संसद का सत्र शुरू होने वाला था और पूरा सत्र हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर हंगामे की भेंट चढ़ गया। इस बार भी जब अमेरिका से अडानी के खिलाफ चार्जशीट की खबर आई तो तीन दिन बाद संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है और आज राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया कि विपक्ष अडानी के मुद्दे पर सरकार को घेरेगी, यानी फिर संसद में हंगामा होगा। क्या ये भी एक संयोग है? या सोचा समझा प्रयोग है?
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राजस्थान सरकार ने अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपनी उपस्थिति मजबूत करने की योजना बनाई है। इस रणनीति के तहत, अब राज्य सरकार का आधिकारिक यूट्यूब चैनल 24 घंटे सक्रिय रहेगा, जो मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों और सरकारी योजनाओं की लाइव स्ट्रीमिंग और प्रचार सुनिश्चित करेगा। 10 करोड़ का टेंडर जारी राज्य के सूचना और जनसंपर्क विभाग (DIPR) ने यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को मैनेज करने के लिए 10 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है। इच्छुक एजेंसियों के लिए बिडिंग की अंतिम तिथि 27 नवंबर तय की गई है। फॉलोअर बढ़ाने का टारगेट और जुर्माने का नियम चयनित एजेंसी को हर तीन महीने में DIPR के सोशल मीडिया हैंडल्स पर कम से कम 5% फॉलोअर बढ़ाने होंगे। यदि एजेंसी यह लक्ष्य पूरा करने में विफल रहती है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ेगा। इस प्रक्रिया से सोशल मीडिया पर सरकार की पहुंच बढ़ाने के प्रयासों को गति मिलेगी। 204 सोशल मीडिया हैंडल्स की देखरेख टेंडर की शर्तों के मुताबिक, चयनित एजेंसी को DIPR के 204 सोशल मीडिया हैंडल्स का प्रबंधन करना होगा। इनमें शामिल हैं: राज्य स्तर पर: यूट्यूब चैनल, फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर) और इंस्टाग्राम के आधिकारिक अकाउंट। जिला स्तर पर: 50 यूट्यूब चैनल्स, 50 फेसबुक अकाउंट्स, 50 एक्स हैंडल्स, 50 इंस्टाग्राम अकाउंट्स। एजेंसी का कार्य केवल अकाउंट्स को अपडेट करना नहीं होगा, बल्कि उनकी रीच, सब्सक्राइबर्स और फॉलोअर्स बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा। 24 घंटे ऑपरेशन और कंटेंट निर्माण सरकार के इस नए डिजिटल प्रयास के तहत, यूट्यूब चैनल को 24 घंटे सक्रिय मोड में ऑपरेट किया जाएगा। इसके लिए विशेष वीडियो और कंटेंट तैयार किए जाएंगे, जो मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों और सरकारी योजनाओं को प्रचारित करेंगे। सोशल मीडिया इंटीग्रेशन: यूट्यूब पर अपलोड किए गए कंटेंट को फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर साझा किया जाएगा ताकि व्यापक पहुंच सुनिश्चित की जा सके। हर विधानसभा क्षेत्र में प्रतिनिधि की नियुक्ति राज्य के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक प्रतिनिधि नियुक्त किया जाएगा। ये प्रतिनिधि: सरकार के कार्यक्रमों की कवरेज करेंगे। वीडियो सामग्री तैयार करेंगे। इसके अलावा, संभाग और राज्य स्तर पर भी सोशल मीडिया मैनेजमेंट के लिए अलग-अलग टीमें तैनात की जाएंगी। मुख्यमंत्री कार्यक्रमों की लाइव स्ट्रीमिंग अनिवार्य मुख्यमंत्री के सभी कार्यक्रमों की लाइव स्ट्रीमिंग यूट्यूब चैनल पर अनिवार्य रूप से की जाएगी। लाइव स्ट्रीमिंग की सामग्री को तुरंत सोशल मीडिया पर साझा किया जाएगा। इसके लिए एजेंसी को अलग-अलग स्तर के प्रोफेशनल्स की एक मजबूत टीम बनानी होगी। राजस्थान सरकार का डिजिटल प्रचार: एक नया आयाम DIPR पहले से ही राज्य और जिला स्तर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब चैनल्स का संचालन कर रहा है। अब इस पहल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए चैनलों को निरंतर अपडेट और व्यापक स्तर पर प्रचारित करने की योजना बनाई गई है। उद्देश्य और लाभ योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी जनता तक तेजी से पहुंचाना: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए राज्य सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी अब अधिक तेजी से और प्रभावी तरीके से जनता तक पहुंचेगी। जनता को सरकार की नीतियों और योजनाओं से जोड़ना: डिजिटल माध्यमों के द्वारा जनता को सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में जागरूक किया जाएगा। जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित करना: यह पहल जनता को सरकारी निर्णयों और कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी। राजस्थान सरकार की यह डिजिटल पहल न केवल सरकारी योजनाओं की पहुंच बढ़ाएगी, बल्कि जनता के साथ संवाद स्थापित करने का भी नया मंच प्रदान करेगी। डिजिटल युग में यह एक आधुनिक और प्रभावी प्रयास है, जो राज्य सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुँचाने में सहायक साबित होगा।By: Sumit Giri
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जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में तीन दिवसीय News9 Global Summit 2024 का आगाज हो गया है। यह प्रतिष्ठित शिखर सम्मेलन 21-23 नवंबर तक चलेगा और इसे भारत के प्रमुख मीडिया हाउस TV9 Network द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस मेगा इवेंट का मुख्य उद्देश्य भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और स्थायी विकास के लिए साझेदारी के नए आयाम तलाशना है। जर्मनी के औद्योगिक शहर के स्टटगार्ट के फुटबॉल मैदान MHP एरिना में News9 ग्लोबल समिट के शुभारंभ पर TV9 नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ बरुण दास ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े न्यूज नेटवर्क को स्टटगार्ट में आमंत्रित करने के लिए हम जर्मनी के आभारी हैं। यह हमारे लिए और हमारे को होस्ट Fau ef B स्टटगार्ट के लिए ऐतिहासिक क्षण है।" बरुण दास ने अपनी जुड़ाव की भावना साझा करते हुए कहा, "मैंने अक्सर अपने परिवार और दोस्तों से कहा है किअगर मुझे रहने के लिए भारत के अलावा किसी और देश को चुनने का मौका मिले, तो वह जर्मनी होगा।" उन्होंने भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का उल्लेख करते हुए बताया कि मैं नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर की धरती से हूं। टैगोर ने 1921, 1926 और 1930 में जर्मनी का दौरा किया था और यहां उनके साहित्य को व्यापक सराहना मिली थी। टैगोर के विचार और जर्मनी के साथ उनका जुड़ाव आज भी भारत और जर्मनी के सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि टैगोर की रचनाओं का अनुवाद जर्मन लेखक मार्टिन काम्पचेन ने किया है। टैगोर के बारे में मार्टिन ने कहा है कि वह जहां भी बोले हॉल खचाखच भरे थे, जिन्हें हॉल में एंट्री देने से मना कर दिया जाता था वह हाथापाई और झगड़े पर उतर आते थे, समाचार पत्रों में ऐसी कई खबरें प्रकाशित हुई हैं। जर्मनी के मीडिया ने भारतीय कवि की ‘पूरब के बुद्धिमान व्यक्ति’ और एक ‘रहस्यवादी और मसीहा’ के रूप में सराहना की है। यह लगभग एक सदी पहले की बात है। बरुण दास ने संस्कृत और जर्मन भाषा के बीच अद्वितीय संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि "संस्कृत और जर्मन के बीच का ऐतिहासिक जुड़ाव दोनों देशों को एक खास सांस्कृतिक DNA से जोड़ता है। जर्मनी के कई शीर्ष विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाती है और यह भाषा हमारे सांस्कृतिक संवाद का आधार है।" TV9 नेटवर्क के MD व CEO बरुण दास ने कहा कि यह एक संयोग ही है कि आज आप सभी का स्वागत करने के लिए मैं यहां आपके सामने खड़ा हूं। एक न्यूज मीडिया के शिखर सम्मेलन में जो एक वैश्विक स्थल पर हो रहा है और वह जर्मनी का स्टटगार्ट शहर है। उन्होंने कहा कि इनोवेशन की राजधानी में एक नया मीडिया टेम्पलेट तैयार करना, विकास को बढ़ावा देना और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में योगदान देने का एक अलग ही एहसास है। भारत और जर्मनी के राष्ट्रगान को एक साथ गाना, एक ऐसा क्षण है जिसे मैं हमेशा संजोकर रखूंगा। बरुण दास ने कहा कि टैगोर से जुड़ाव के अलावा मैं भारत की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत और जर्मन के बीच लैंग्वेज बॉन्ड से भी आश्चर्यचकित हूं।हेनरिक रोथ पहले ऐसे जर्मन थे जिन्होंने संस्कृत में मास्टर्स किया था। उन्होंने भारत की यात्रा की और भारतीय संस्कृति के रहस्यों से मंत्रमुग्ध हो गए। फ्रेडरिक श्लेगल और ऑगस्ट श्लेगल ने संस्कृत भाषा के पीछे की विशिष्टताओं पर गहराई से शोध किया। अब जर्मनी के शीर्ष विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जा रही है। यह ऐसा मूल डीएनए है, जो भारत और जर्मनी को जोड़ता है। बरुण दास ने कहा कि मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पास इस न्यूज9 ग्लोबल शिखर सम्मेलन में जर्मनी और भारत के बीच संबंधों को नई ऊंचाई देने के लिए रोडमैप पर चर्चा करने वाले कई नेता यहां उपस्थित हैं। मैं अत्यंत आभारी हूं रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और संचार और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का जो भारत से लंबा सफर तय कर इस महत्वपूर्ण आयोजन में हिस्सा लेने आए हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि जर्मनी के दो वरिष्ठ नीति निर्माता फेडरल मिनिस्टर केम ओजडेमिर और बाडेन-वुर्टेमबर्ग के मंत्री विल्फ्रेंड क्रेश्चमैन अगले दो दिन में हमारे साथ जुड़ेंगे।
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दैनिक जागरण के डिजिटल प्लेटफॉर्म जागरण न्यूज मीडिया को सब एडिटर्स की तलाश है. कामकाज का लोकेशन नोएडा सेक्टर 16 स्थित दफ्तर रहेगा. यह पद हेल्थ बीट पर काम करने के लिए निकाले गए हैं. इस बीट पर काम करने का अनुभव 6 माह भी चलेगा. हिंदी लिखना और हिंदी में टाइप करना आना चाहिए.
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जागरण न्यू मीडिया ने अपने डिजिटल परिवार का विस्तार करते हुए गुजराती जागरण ऐप लॉन्च किया है। यह नया ऐप बिल्कुल मुफ्त है और इसे खासतौर पर गुजराती भाषा में खबरें और जानकारी देने के लिए डिजाइन किया गया है। इस ऐप के जरिए अब पाठकों को अपनी स्थानीय भाषा में विश्वसनीय और ताजा समाचार आसानी से मिल सकेंगे। यह ऐप गुजराती भाषा में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, व्यापार, मनोरंजन, स्वास्थ्य और जीवनशैली जैसी विभिन्न श्रेणियों में समाचार प्रदान करता है। ऐप को आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए इस तरह डिजाइन किया गया है कि पाठक आसानी से नेविगेट कर सकें और अपनी पसंद की खबरें पढ़ सकें। इसमें डार्क और लाइट मोड का ऑप्शन भी दिया गया है, जिससे यूजर्स अपनी सुविधा के अनुसार इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। जागरण न्यू मीडिया के प्रधान संपादक राजेश उपाध्याय ने इस मौके पर कहा, कि गुजराती जागरण ऐप का लॉन्च हमारी चल रही इंडिक भाषा विस्तार रणनीति में एक अच्छा कदम है। प्रौद्योगिकी का फायदा उठाते हुए सिर्फ एक क्लिक करने पर विश्वसनीय और नए अपडेट देता है। हमारा मिशन यही है कि आप तक आसान तरीके से भरोसेमंद समाचार पहुंचाया जाए, वो भी नए गुजराती ऐप के जरिए। यह लॉन्च स्थानीय और वैश्विक स्तर पर गुजराती भाषा समुदाय के साथ हमारे संबंधों को और मजबूत करेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि वे सूचित रहें और अपनी जड़ों से जुड़े रहें। प्रौद्योगिकी और डिजाइन के एवीपी प्रदीप सिंह रावत ने कहा कि हम गुजराती जागरण ऐप लॉन्च करके बहुत खुश हैं, जिसे बहुत ही खूबसूरत तरीके से डिजाइन किया गया है। इसमें कई कैटेगरी को बनाया गया है जैसे शहर-विशिष्ट, यूआई/यूएक्स आदि। इसे गुजराती समाचार, जीवनशैली, ट्रेंडिंग सामग्री आप तक बहुत ही आसानी से पहुंचेंगी। हमारा लक्ष्य भी यही है कि हम इस ऐप के जरिए आप तक सही समाचार पहुंचाएं और गुजराती लोगों से तकनीक का रिश्ता जोड़ें। ऐप का इंटरफेस यूजर्स के लिए बेहद आसान और आकर्षक है। किसी भी खबर का अपडेट वास्तविक समय में मिलता है। यह ऐप आईओएस और एंड्रॉइड दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। इसे आप मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।हालांकि, जागरण न्यू मीडिया पहले ही अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी, मराठी, तमिल आदि कई भाषाओं में प्लेटफॉर्म के जरिए खबरें प्रदान करता आ रहा है। मगर अब रीडर्स गुजराती जागरण ऐप के जरिए गुजराती भाषा में खबरों को जानेंगे। बता दें जागरण न्यू मीडिया ने साल 2022 में गुजराती जागरण.कॉम लॉन्च किया था और यह तब से अंतरराष्ट्रीय पाठकों और भारत में गुजराती भाषा आबादी के बीच लोकप्रिय है।
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भारतीय अंतररष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) का 55वां संस्करण 20 नवंबर 2024 को गोवा में भव्य उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो संदेश के माध्यम से उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि IFFI भारतीय फिल्म उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन गया है। उन्होंने कहा, "भारत एक जीवंत और तेजी से बढ़ती सामग्री सृजन अर्थव्यवस्था विकसित करने पर केंद्रित है।"केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत कंटेंट क्रिएटर्स की अर्थव्यस्था को बढ़ावा देने पर फोकस कर रहा है, जिससे देश की समृद्ध धरोहर, संस्कृति, भाषाओं और साहित्यिक विविधता को वैश्विक स्तर पर दिखाया जा सके। एक वीडियो संदेश के जरिए वैष्णव ने कहा कि भारत तकनीकी और कंटेंट क्रिएटर्स के पारिस्थितिकीतंत्र के विकास के साथ मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मंत्री ने भारत के रचनात्मक क्षेत्र को आर्थिक विकास में योगदान देने वाली एक गतिशील शक्ति बताया, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा, "लोग भारत की विविध संस्कृतियों, व्यंजनों, समृद्ध विरासत और साहित्य एवं भाषाओं के रत्नों को रोचक और रचनात्मक तरीकों से प्रस्तुत करने वाली नवीन सामग्रियां बना रहे हैं।" अश्विनी वैष्णव ने कंटेंट क्रिएटर्स से आह्वान किया कि वे अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके ऐसी कहानियां रचें, जो वैश्विक दर्शकों के साथ जुड़ सकें और भारत की अनूठी पहचान को प्रतिबिंबित करें। उन्होंने कहा, "तकनीक के एकीकरण और एक सुदृढ़ सृजनात्मक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के साथ, हमें विश्वास है कि भारत का रचनात्मक क्षेत्र लगातार प्रगति करेगा।"मंत्री ने भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था की प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र अब 30 अरब डॉलर का हो चुका है, जो भारत की जीडीपी में 2.5% का योगदान देता है और देश की 8% कार्यबल को आजीविका प्रदान करता है। प्रभावशाली विपणन क्षेत्र (इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग) की कीमत 3,375 करोड़ रुपये है, जिसमें 2 लाख से अधिक पूर्णकालिक कंटेंट क्रिएटर्स शामिल हैं।उन्होंने यह भी बताया कि गुवाहाटी, कोच्चि और इंदौर जैसे शहर रचनात्मक हब के रूप में उभर रहे हैं, जो देश में विकेंद्रीकृत सृजनात्मक क्रांति को गति दे रहे हैं। अश्विनी वैष्णव ने भारतीय रचनात्मक उद्योगों के वैश्विक प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि बॉलीवुड, क्षेत्रीय सिनेमा और अन्य सांस्कृतिक उत्पादों के माध्यम से भारत की वैश्विक सॉफ्ट पावर को भी मजबूत कर रहा है।सरकार की पहल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) भारत को सामग्री सृजन और नवाचार में एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने का एक ऐतिहासिक कदम है। केंद्रीय मंत्री ने फिल्म प्रेमियों, फिल्म निर्माताओं और IFFI के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करते हुए कहा कि यह महोत्सव रचनात्मक दिमागों के लिए नए साझेदारी और सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि युवा रचनाकारों को यहां मार्गदर्शन और परामर्श मिलेगा, जिससे उद्योग की दिशा तय होगी।IFFI का यह नौ दिवसीय महोत्सव 28 नवंबर 2024 तक चलेगा, जो फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को सिनेमा की खुशी को साझा करने और मनाने का मंच प्रदान करता है।
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प्रसार भारती ने 20 नवंबर, 2024 को गोवा में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में अपने खुद के स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया। इस प्लेटफॉर्म का उद्घाटन सूचना-प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा किया गया। यह नया प्लेटफॉर्म दूरदर्शन और आकाशवाणी सहित प्रसार भारती के सभी आर्काइव्स (अभिलेख) को होस्ट करेगा। प्लेटफॉर्म के लॉन्च की जानकारी हाल ही में प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत कुमार सहगल ने दी। प्लेटफॉर्म की विशेषताएं मल्टी-डिवाइस उपलब्धता: यह प्लेटफॉर्म एंड्रॉयड प्ले स्टोर, iOS ऐप स्टोर और एक वेबसाइट के रूप में एक साथ लॉन्च होगा, जिससे यूजर्स को विभिन्न उपकरणों पर सेवा प्राप्त होगी। तकनीकी पार्टनर्स: प्लेटफॉर्म को 'रेलटेल' द्वारा विकसित किया गया है, जबकि AWS (एमेजॉन वेब सर्विसेज) इसके कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क (CDN) और क्लाउड सेवा प्रदाता के रूप में काम करेगा। स्टोरेज और क्षमता: प्लेटफॉर्म की प्रारंभिक स्टोरेज क्षमता 500 TB होगी, जिसे भविष्य में बढ़ाकर 1 PB (1,000 TB) तक किया जा सकेगा। प्लेटफॉर्म को 10 मिलियन यूजर्स के लिए सेवा देने के लिए तैयार किया गया है, और यह 100 मिलियन तक स्केलेबल होगा। कंटेंट क्वालिटी: यह प्लेटफॉर्म स्टैंडर्ड डेफिनिशन (SD), हाई डेफिनिशन (HD) और 4K जैसी उच्च गुणवत्ता वाली कंटेंट प्रदान करेगा। साफ-सुथरा और पारिवारिक कंटेंट: प्लेटफॉर्म का मुख्य फोकस परिवारों के लिए "साफ-सुथरा" और सुरक्षित कंटेंट प्रदान करना है। अद्वितीय विशेषताएं किड्स गेमिंग और ऑनलाइन शॉपिंग: प्लेटफॉर्म में "ऐप-इन-ऐप" फीचर के तहत बच्चों के लिए गेम्स और ONDC (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) के जरिए ई-कॉमर्स की सुविधा होगी। लाइव स्पोर्ट्स और एक्सक्लूसिव कंटेंट: यह लाइव टीवी, खेल, और विशेष रूप से प्लेटफॉर्म के लिए तैयार की गई सामग्री भी स्ट्रीम करेगा। भाषाई समर्थन: प्लेटफॉर्म अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, बंगाली, पंजाबी और गुजराती जैसी प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा। AI और सबटाइटल: प्लेटफॉर्म में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके भाषाओं का अनुवाद किया जाएगा और सबटाइटल सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी। राजस्व मॉडल और अन्य फीचर्स राजस्व मॉडल: यह प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से मुफ्त रहेगा और विज्ञापनों के माध्यम से राजस्व अर्जित करेगा। हालांकि, प्रीमियम प्लान भी उपलब्ध होंगे। विज्ञापन यूजर्स की प्रोफाइल, सामग्री प्रकार और भूगोल के आधार पर पर्सनलाइज्ड होंगे। प्रोग्रामेटिक ऐड: विज्ञापनदाताओं को उनके विज्ञापन के प्रदर्शन का विस्तृत डेटा मिलेगा। एप्लिकेशन-इन-एप्लिकेशन इंटीग्रेशन: Eros Now और Lionsgate जैसे प्रोड्यूसर्स के कंटेंट को राजस्व साझाकरण मॉडल पर पेश किया जाएगा। अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से मुकाबला यह प्लेटफॉर्म Netflix और Amazon Prime जैसे अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से प्रतिस्पर्धा करेगा, लेकिन इसका खास फोकस "साफ-सुथरे पारिवारिक कंटेंट" पर रहेगा। प्रसार भारती का यह प्रयास डिजिटल युग में एक सशक्त कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो भारतीय दर्शकों को एक नया और सुरक्षित विकल्प प्रदान करेगा। इस स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लॉन्च के साथ प्रसार भारती ने डिजिटल मनोरंजन क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है, जो आने वाले समय में भारतीय ओटीटी बाजार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
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गोवा सरकार ने अपने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स के लिए एक नई पॉलिसी लॉन्च की है, जिसके तहत वे ऑडियो-विजुअल कंटेंट बनाने के लिए 50,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। इस पॉलिसी का उद्देश्य गोवा की सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों, जैसे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI), का प्रमोशन करना है। कमाई के अवसर इंफ्लुएंसर की कमाई उनके सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या पर निर्भर करेगी। पॉलिसी के अनुसार, इंफ्लुएंसर को निम्नलिखित ग्रेड के आधार पर भुगतान किया जाएगा: ग्रेड A (1 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स): इन इंफ्लुएंसर को सबसे अधिक भुगतान मिलेगा। ग्रेड D (10,000-25,000 फॉलोअर्स): इन इंफ्लुएंसर को कम दर पर भुगतान होगा। कंटेंट के प्रकार के आधार पर, इंफ्लुएंसर ₹2,000 से ₹50,000 तक की कमाई कर सकते हैं। इस पॉलिसी से जुड़ी अन्य शर्तों के अनुसार, केवल गोवा के निवासी सोशल मीडिया पर कम से कम एक साल से सक्रिय इंफ्लुएंसर ही इस योजना का हिस्सा बन सकते हैं। इसके अलावा, उन्हें हर छह महीने में कम से कम 60 पोस्ट करने की आवश्यकता होगी। नियम और शर्तें गोवा का निवासी होना आवश्यक: केवल गोवा में रहने वाले इंफ्लुएंसर इस पॉलिसी का लाभ उठा सकते हैं। एक साल की सक्रियता: सोशल मीडिया पर कम से कम एक साल से सक्रिय रहना जरूरी है। 60 पोस्ट का शर्त: हर छह महीने में कम से कम 60 पोस्ट करना अनिवार्य है। सरकारी मंजूरी: सभी कंटेंट को पोस्ट करने से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी। बजट और विवाद गोवा सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए बजट तो निर्धारित किया है, लेकिन खर्च अपेक्षाओं से कम रहा है। इस पॉलिसी को तैयार करते समय स्थानीय क्रिएटर्स या विभागों से राय नहीं ली गई, जिससे कुछ सवाल उठ रहे हैं। अन्य राज्यों में समान पहल यह पहली बार नहीं है जब किसी राज्य ने इस तरह की पॉलिसी लागू की है। उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में पहले ही सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों के लिए ऐसी नीतियां लागू हैं। वहीं, महाराष्ट्र जैसे राज्य भी बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए इस तरह के मॉडल को अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। गोवा सरकार की यह नई पॉलिसी सोशल मीडिया पर सक्रिय इंफ्लुएंसरों के लिए एक अवसर बन सकती है, लेकिन इसके साथ ही कुछ सवाल भी उठ रहे हैं कि यह नीति स्थानीय क्रिएटर्स के लिए कितनी फायदेमंद साबित होगी। By: Sumit Giri
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दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूज एजेंसी ANI की शिकायत पर OpenAI को समन जारी किया है, जिसमें ANI ने आरोप लगाया है कि OpenAI ने ChatGPT को प्रशिक्षित करने के लिए उसकी सामग्री का उपयोग किया है, जो भारतीय कॉपीराइट कानूनों का उल्लंघन है। ANI का कहना है कि OpenAI ने उसके प्रकाशित समाचार लेखों का इस्तेमाल बिना अनुमति के किया, जो कि कानूनन अवैध है। यह मामला सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में पहली बार सुनवाई के लिए आया। कोर्ट ने OpenAI को ANI के आरोपों का विस्तृत जवाब देने का आदेश दिया, हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में OpenAI के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। ANI ने दावा किया कि ChatGPT ने उसके समाचार लेखों को शब्दशः (verbatim) इस्तेमाल किया, जिससे कॉपीराइट उल्लंघन हुआ है। ANI का कहना है कि इसके समाचार लेख भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत संरक्षित हैं और किसी भी बाहरी संस्थान को इन्हें बिना अनुमति के उपयोग करने का अधिकार नहीं है। ANI ने यह भी तर्क दिया कि सिर्फ इसलिए कि इसका कंटेंट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी इसे कॉपी कर सकता है या अपने उपयोग के लिए इसे इस्तेमाल कर सकता है। OpenAI की ओर से एक बयान में कहा गया कि वे अपने AI मॉडल को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा के आधार पर प्रशिक्षित करते हैं, जो "फेयर यूज" और अन्य कानूनी सिद्धांतों के तहत आता है। OpenAI के प्रवक्ता ने कहा, "हमारे द्वारा इस्तेमाल किए गए कानूनी आधार लंबे समय से मान्यता प्राप्त हैं और व्यापक रूप से स्वीकार किए गए हैं।" ANI ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सामग्री का मतलब यह नहीं है कि कोई भी इसे अपनी इच्छानुसार इस्तेमाल कर सकता है। ANI का यह आरोप है कि OpenAI ने उसका कंटेंट बिना किसी अनुमति के अपने AI मॉडल में इस्तेमाल किया, जिससे उसकी मेहनत और बौद्धिक संपदा का उल्लंघन हुआ है। यह मामला भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कॉपीराइट कानूनों के बीच बढ़ती जटिलताओं को उजागर करता है। जैसे-जैसे AI और मशीन लर्निंग तकनीकों का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे इस तरह के कानूनी विवाद भी बढ़ सकते हैं। इस मामले से संबंधित और अपडेट्स सामने आने के बाद यह देखने योग्य होगा कि अदालत इस विवाद को किस दिशा में ले जाती है। अब तक के फैसले के अनुसार, कोर्ट ने OpenAI को ANI के आरोपों पर विस्तृत प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया है। हालांकि, इस मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है, लेकिन यह मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है कि कैसे वैश्विक तकनीकी कंपनियों और स्थानीय कानूनों के बीच विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।By: Sumit Giri
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एनडीटीवी समूह ने हाल ही में अपने कर्मचारियों के लिए एक अनूठी और परिवार-केंद्रित पहल की शुरुआत की है। कंपनी ने अपने कार्यस्थल पर 'इनहाउस डेकेयर सुविधा' प्रदान करने का फैसला किया है, जो न केवल कर्मचारियों के बच्चों की देखभाल को आसान बनाएगी, बल्कि माता-पिता को अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताने का अवसर भी प्रदान करेगी। यह कदम कंपनी की कर्मचारी भलाई को प्राथमिकता देने वाली नीतियों का हिस्सा है और कॉर्पोरेट जगत में वर्क-लाइफ बैलेंस को प्रोत्साहित करने के लिए एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करता है। क्या है एनडीटीवी की इनहाउस डेकेयर सुविधा? इनहाउस डेकेयर या क्रेच सुविधा का मतलब है कि कंपनी अपने कार्यालय परिसर के भीतर बच्चों के लिए एक देखभाल केंद्र स्थापित करती है, जहां कर्मचारी अपने बच्चों को सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से छोड़ सकते हैं। एनडीटीवी की यह पहल विशेष रूप से कर्मचारियों के परिवारों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए डिज़ाइन की गई है। एनडीटीवी के अनुसार, इस सुविधा के तहत कर्मचारी अपने 14 साल तक के बच्चों को ऑफिस में लेकर आ सकते हैं और वे डेकेयर की सभी सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इससे न केवल बच्चों को उनकी जरूरतों के अनुसार देखभाल, भोजन और मनोरंजन मिलेगा, बल्कि उन्हें अपने माता-पिता के कार्यस्थल का अनुभव भी प्राप्त होगा, जो उनके विकास में मदद कर सकता है। यह पहल कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने की सुविधा देती है कि वे अपने बच्चों के साथ रहकर कार्य कर सकते हैं, जिससे उनका मानसिक तनाव कम होता है और वे अपने काम में पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। कर्मचारियों के लिए इसके लाभ इस इनहाउस डेकेयर सेवा से कर्मचारियों को कई तरह के लाभ हो सकते हैं, जो उनके कामकाजी जीवन और व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं उन प्रमुख लाभों के बारे में, जो एनडीटीवी की इस नई पहल से कर्मचारियों को प्राप्त हो सकते हैं। 1. सुविधाजनक और तनावमुक्त देखभाल बच्चों की देखभाल एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, खासकर जब माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं। एनडीटीवी की इस पहल से कर्मचारियों को बच्चों की देखभाल के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। वे अपने बच्चों को अपने पास ऑफिस लेकर आ सकते हैं और उन्हें एक सुरक्षित, सुविधा संपन्न वातावरण में देख सकते हैं। इससे कर्मचारियों को मानसिक शांति मिलती है और वे काम के दौरान पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। 2. वर्क-लाइफ बैलेंस में सुधार वर्क-लाइफ बैलेंस अब किसी भी कंपनी के लिए एक अहम पहलू बन चुका है। कर्मचारियों के निजी जीवन और कार्य जीवन के बीच संतुलन बनाना न केवल उनकी मानसिक भलाई के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उनकी उत्पादकता और कार्यक्षमता पर भी सकारात्मक असर डालता है। इनहाउस डेकेयर सेवा के माध्यम से एनडीटीवी अपने कर्मचारियों को एक बेहतर संतुलन बनाने का अवसर प्रदान कर रहा है। वे बिना किसी चिंता के काम पर ध्यान दे सकते हैं, क्योंकि उनके बच्चे पास ही हैं और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी का भार भी हल्का हो जाता है। 3. बच्चों को कार्यस्थल का अनुभव यह सुविधा बच्चों को उनके माता-पिता के कार्यस्थल का पहला अनुभव प्रदान करती है। छोटे बच्चों के लिए यह अनुभव उनके भविष्य की समझ को गहरा करने में मदद कर सकता है। वे देख सकते हैं कि उनके माता-पिता का कार्यस्थल कैसा होता है, उनकी दिनचर्या कैसी होती है, और काम करने के क्या मायने होते हैं। यह अनुभव उन्हें भविष्य में उनके करियर के बारे में विचार करने में मदद कर सकता है। 4. एम्प्लॉयीज की उत्पादकता में वृद्धि एक बड़ा लाभ यह है कि कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारियों को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी। जब माता-पिता को यह विश्वास होता है कि उनके बच्चे सुरक्षित और अच्छे हाथों में हैं, तो वे अपने कार्य में अधिक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इस प्रकार, कर्मचारियों की कार्यक्षमता में सुधार होता है और वे अपने काम को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं। 5. सकारात्मक कार्यस्थल संस्कृति का निर्माण यह पहल एनडीटीवी के कार्यस्थल में एक सकारात्मक और परिवार-केंद्रित संस्कृति को बढ़ावा देती है। जब कर्मचारियों को लगता है कि कंपनी उनके व्यक्तिगत जीवन को समझती है और उन्हें परिवार के सदस्यों के साथ संतुलन बनाने का मौका देती है, तो उनकी निष्ठा और योगदान कंपनी के प्रति बढ़ता है। इससे कर्मचारियों में एक अच्छा संबंध स्थापित होता है और उनकी मेहनत और वफादारी में इजाफा होता है। अन्य कंपनियों के लिए प्रेरणा एनडीटीवी की इस पहल का संदेश स्पष्ट है: कर्मचारियों का भला करना न केवल उनके जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि यह कंपनी के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। यह पहल उन कंपनियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हो सकती है, जो अपने कर्मचारियों के कामकाजी और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए नए उपायों पर विचार कर रही हैं। वर्कप्लेस में कर्मचारियों की भलाई को लेकर लगातार बढ़ती जागरूकता के साथ, अब कई कंपनियां इस दिशा में कदम उठा रही हैं। एनडीटीवी की इनहाउस डेकेयर सेवा एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे एक कंपनी अपने कर्मचारियों की व्यक्तिगत और पारिवारिक जरूरतों का सम्मान करती है और उन्हें काम और परिवार दोनों के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है। By: Sumit Giri
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आने वाले समय में यूट्यूब पर काम करने वाले क्रिएटर्स के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। हाल ही में यूट्यूब ने अपनी नीतियों में कुछ बदलाव की घोषणा की है, जिनके चलते न्यूज़ कैटेगरी से जुड़े क्रिएटर्स और रिपोर्टर्स के लिए मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही, फेसबुक जैसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स ने पहले ही न्यूज कैटेगरी के कंटेंट पर पैसे देने में कमी कर दी है और उनकी रीच को भी घटा दिया है। यूट्यूब ने भी अब 3 मिनट तक के वीडियो को शॉर्ट्स कैटेगरी में शामिल करने का निर्णय लिया है, जो कि क्रिएटर्स के लिए एक नया सिरदर्द बन सकता है। यूट्यूब के नियमों में आने वाले बदलावों का सबसे बड़ा असर उन क्रिएटर्स पर पड़ने वाला है जो न्यूज या छोटी-छोटी जानकारियों को लेकर वीडियो बनाते थे। पहले, 3 मिनट तक के वीडियो को लंबे फॉर्मेट में कैटेगरी में रखा जाता था और उन पर अच्छा खासा पैसा मिल जाता था। लेकिन अब यूट्यूब ने 3 मिनट तक के वीडियो को शॉर्ट्स कैटेगरी में डालने का फैसला किया है, जिससे इन वीडियो की कमाई में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। शॉर्ट्स वीडियो को लेकर पहले से ही यूट्यूब के अंदर और बाहर दोनों ही जगह विवाद रहा है। चूंकि शॉर्ट्स वीडियो का मुख्य उद्देश्य तेजी से उपभोक्ताओं को ध्यान में लाना और उन्हें संक्षिप्त कंटेंट दिखाना होता है, इसलिए इन पर मिलने वाली कमाई और दर्शकों की संख्या में भी उतनी बड़ी वृद्धि नहीं होती, जैसा लंबे वीडियो में देखने को मिलता था। अब, यदि एक वीडियो को शॉर्ट्स कैटेगरी में डाला जाता है, तो उसके व्यूज पर मिलने वाली कमाई बहुत कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए, 1 लाख से डेढ़ लाख व्यूज पर एक वीडियो को लगभग 1 डॉलर (लगभग 80-90 रुपये) ही मिलेगा। यह आंकड़ा सुनकर किसी भी क्रिएटर के लिए यह समझना मुश्किल नहीं होगा कि अब बड़े पैमाने पर वेरिफाइड जानकारी और न्यूज़ से जुड़े कंटेंट के लिए यह एक मुश्किल दौर हो सकता है। न्यूज़ क्रिएटर्स के लिए हालात पहले से ही कठिन हो चुके हैं। फेसबुक ने पहले ही न्यूज़ कैटेगरी में पैसे देने वाली स्कीमों को लगभग समाप्त कर दिया है। न केवल पैसे कम हो गए हैं, बल्कि रीच भी घटा दी गई है। इसका असर उन छोटे और मझले क्रिएटर्स पर ज्यादा पड़ा है, जो न्यूज़ कंटेंट पर आधारित चैनल चलाते थे। अब यूट्यूब की नई नीतियों से यह स्थिति और भी विकट होने वाली है। यूट्यूब के प्लेटफार्म पर न्यूज आधारित वीडियो पर दर्शकों का ध्यान आकर्षित करना पहले भी कठिन था, और अब ये और भी मुश्किल हो जाएगा। शॉर्ट्स कैटेगरी में वीडियो डालने से न केवल कमाई कम होगी, बल्कि इन वीडियो के व्यूज पर भी असर पड़ेगा। यदि वीडियो 3 मिनट से ज्यादा का होता है, तो फिर भी उसे दर्शकों से पर्याप्त वॉच टाइम चाहिए होगा, तब जाकर वह वीडियो अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन यदि कंटेंट कमजोर हुआ, तो दर्शक जल्दी ही वीडियो छोड़ देंगे और क्रिएटर की मेहनत बेकार चली जाएगी। नए नियमों के चलते यह साफ हो गया है कि अब बिना तैयारी के किसी भी वीडियो को बनाना और अपलोड करना संभव नहीं होगा। यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के दर्शक अब पहले से कहीं ज्यादा समझदार हो चुके हैं। उन्हें किसी भी वीडियो के सिर्फ शीर्षक या थंबनेल देखकर आकर्षित करना अब उतना आसान नहीं रहेगा। अब दर्शक गुणवत्तापूर्ण और ज्ञानवर्धक कंटेंट की तलाश में रहेंगे। किसी भी वीडियो को वायरल करने के लिए अब आपको मेहनत करनी होगी, पढ़ाई करनी होगी और पूरी तरह से कंटेंट पर शोध करना होगा। खासकर न्यूज़ कैटेगरी में काम करने वाले क्रिएटर्स के लिए यह एक बडी चुनौती हो सकती है। आपको पहले से जानकारी जुटानी होगी और फिर उसके बाद उस जानकारी को अपने वीडियो में अच्छे तरीके से प्रस्तुत करना होगा। केवल 8-10 मिनट के वीडियो से ही अब ज्यादा कमाई होने की संभावना है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वीडियो में दर्शक का ध्यान लंबे समय तक बना रहे। यूट्यूब पर कमाई बढ़ाने के लिए अब सिर्फ वीडियो का लंबा होना जरूरी नहीं है। इसका मुख्य कारण है 'वॉच टाइम'। अगर वीडियो लंबा है, लेकिन दर्शक पूरी तरह से उसे नहीं देखते हैं, तो उसे कोई फायदा नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 8-10 मिनट का वीडियो बनाते हैं, लेकिन दर्शक केवल 2-3 मिनट ही देखते हैं, तो यूट्यूब आपके वीडियो को प्रमोट नहीं करेगा और न ही आपको ज्यादा कमाई मिलेगी। वहीं, छोटे वीडियो जो शॉर्ट्स कैटेगरी में आते हैं, अगर उनकी गुणवत्ता अच्छी होगी और दर्शक उन्हें अंत तक देखेंगे, तो उनका प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि अब क्रिएटर्स को न सिर्फ वीडियो की लंबाई पर ध्यान देना होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वीडियो में दिलचस्पी बनाए रखी जाए। कुल मिलाकर, यूट्यूब पर न्यूज़ और अन्य कैटेगरी में काम करने वाले क्रिएटर्स के लिए यह समय बदलाव का है। पहले जो आसान तरीका था—छोटे और बिना तैयारी के वीडियो बनाकर तुरंत पैसे कमाने का—अब वह तरीका नहीं चलेगा। अब सफलता पाने के लिए आपको कंटेंट में गुणवत्ता लानी होगी, दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए नई तकनीकों को अपनाना होगा और सबसे महत्वपूर्ण, मेहनत करनी होगी। यूट्यूब का नया अपडेट यह संकेत देता है कि अब मार्केट में एक तरह का करेक्शन आ चुका है। अब सिर्फ मनोरंजन या हल्की-फुल्की बातें करने से काम नहीं चलेगा। न्यूज कैटेगरी में जो भी कंटेंट चलेगा, उसे पूरी तरह से सोचा-समझा और तैयार किया गया होना चाहिए। केवल इस प्रकार की तैयारी के बाद ही क्रिएटर्स अपना अच्छा भविष्य बना सकते हैं। By Sumit Giri
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आने वाले समय में यूट्यूब पर काम करने वाले क्रिएटर्स के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। हाल ही में यूट्यूब ने अपनी नीतियों में कुछ बदलाव की घोषणा की है, जिनके चलते न्यूज़ कैटेगरी से जुड़े क्रिएटर्स और रिपोर्टर्स के लिए मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही, फेसबुक जैसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स ने पहले ही न्यूज कैटेगरी के कंटेंट पर पैसे देने में कमी कर दी है और उनकी रीच को भी घटा दिया है। यूट्यूब ने भी अब 3 मिनट तक के वीडियो को शॉर्ट्स कैटेगरी में शामिल करने का निर्णय लिया है, जो कि क्रिएटर्स के लिए एक नया सिरदर्द बन सकता है। यूट्यूब के नियमों में आने वाले बदलावों का सबसे बड़ा असर उन क्रिएटर्स पर पड़ने वाला है जो न्यूज या छोटी-छोटी जानकारियों को लेकर वीडियो बनाते थे। पहले, 3 मिनट तक के वीडियो को लंबे फॉर्मेट में कैटेगरी में रखा जाता था और उन पर अच्छा खासा पैसा मिल जाता था। लेकिन अब यूट्यूब ने 3 मिनट तक के वीडियो को शॉर्ट्स कैटेगरी में डालने का फैसला किया है, जिससे इन वीडियो की कमाई में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। शॉर्ट्स वीडियो को लेकर पहले से ही यूट्यूब के अंदर और बाहर दोनों ही जगह विवाद रहा है। चूंकि शॉर्ट्स वीडियो का मुख्य उद्देश्य तेजी से उपभोक्ताओं को ध्यान में लाना और उन्हें संक्षिप्त कंटेंट दिखाना होता है, इसलिए इन पर मिलने वाली कमाई और दर्शकों की संख्या में भी उतनी बड़ी वृद्धि नहीं होती, जैसा लंबे वीडियो में देखने को मिलता था। अब, यदि एक वीडियो को शॉर्ट्स कैटेगरी में डाला जाता है, तो उसके व्यूज पर मिलने वाली कमाई बहुत कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए, 1 लाख से डेढ़ लाख व्यूज पर एक वीडियो को लगभग 1 डॉलर (लगभग 80-90 रुपये) ही मिलेगा। यह आंकड़ा सुनकर किसी भी क्रिएटर के लिए यह समझना मुश्किल नहीं होगा कि अब बड़े पैमाने पर वेरिफाइड जानकारी और न्यूज़ से जुड़े कंटेंट के लिए यह एक मुश्किल दौर हो सकता है। न्यूज़ क्रिएटर्स के लिए हालात पहले से ही कठिन हो चुके हैं। फेसबुक ने पहले ही न्यूज़ कैटेगरी में पैसे देने वाली स्कीमों को लगभग समाप्त कर दिया है। न केवल पैसे कम हो गए हैं, बल्कि रीच भी घटा दी गई है। इसका असर उन छोटे और मझले क्रिएटर्स पर ज्यादा पड़ा है, जो न्यूज़ कंटेंट पर आधारित चैनल चलाते थे। अब यूट्यूब की नई नीतियों से यह स्थिति और भी विकट होने वाली है। यूट्यूब के प्लेटफार्म पर न्यूज आधारित वीडियो पर दर्शकों का ध्यान आकर्षित करना पहले भी कठिन था, और अब ये और भी मुश्किल हो जाएगा। शॉर्ट्स कैटेगरी में वीडियो डालने से न केवल कमाई कम होगी, बल्कि इन वीडियो के व्यूज पर भी असर पड़ेगा। यदि वीडियो 3 मिनट से ज्यादा का होता है, तो फिर भी उसे दर्शकों से पर्याप्त वॉच टाइम चाहिए होगा, तब जाकर वह वीडियो अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन यदि कंटेंट कमजोर हुआ, तो दर्शक जल्दी ही वीडियो छोड़ देंगे और क्रिएटर की मेहनत बेकार चली जाएगी। नए नियमों के चलते यह साफ हो गया है कि अब बिना तैयारी के किसी भी वीडियो को बनाना और अपलोड करना संभव नहीं होगा। यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के दर्शक अब पहले से कहीं ज्यादा समझदार हो चुके हैं। उन्हें किसी भी वीडियो के सिर्फ शीर्षक या थंबनेल देखकर आकर्षित करना अब उतना आसान नहीं रहेगा। अब दर्शक गुणवत्तापूर्ण और ज्ञानवर्धक कंटेंट की तलाश में रहेंगे। किसी भी वीडियो को वायरल करने के लिए अब आपको मेहनत करनी होगी, पढ़ाई करनी होगी और पूरी तरह से कंटेंट पर शोध करना होगा। खासकर न्यूज़ कैटेगरी में काम करने वाले क्रिएटर्स के लिए यह एक बडी चुनौती हो सकती है। आपको पहले से जानकारी जुटानी होगी और फिर उसके बाद उस जानकारी को अपने वीडियो में अच्छे तरीके से प्रस्तुत करना होगा। केवल 8-10 मिनट के वीडियो से ही अब ज्यादा कमाई होने की संभावना है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वीडियो में दर्शक का ध्यान लंबे समय तक बना रहे। यूट्यूब पर कमाई बढ़ाने के लिए अब सिर्फ वीडियो का लंबा होना जरूरी नहीं है। इसका मुख्य कारण है 'वॉच टाइम'। अगर वीडियो लंबा है, लेकिन दर्शक पूरी तरह से उसे नहीं देखते हैं, तो उसे कोई फायदा नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 8-10 मिनट का वीडियो बनाते हैं, लेकिन दर्शक केवल 2-3 मिनट ही देखते हैं, तो यूट्यूब आपके वीडियो को प्रमोट नहीं करेगा और न ही आपको ज्यादा कमाई मिलेगी। वहीं, छोटे वीडियो जो शॉर्ट्स कैटेगरी में आते हैं, अगर उनकी गुणवत्ता अच्छी होगी और दर्शक उन्हें अंत तक देखेंगे, तो उनका प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि अब क्रिएटर्स को न सिर्फ वीडियो की लंबाई पर ध्यान देना होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वीडियो में दिलचस्पी बनाए रखी जाए। कुल मिलाकर, यूट्यूब पर न्यूज़ और अन्य कैटेगरी में काम करने वाले क्रिएटर्स के लिए यह समय बदलाव का है। पहले जो आसान तरीका था—छोटे और बिना तैयारी के वीडियो बनाकर तुरंत पैसे कमाने का—अब वह तरीका नहीं चलेगा। अब सफलता पाने के लिए आपको कंटेंट में गुणवत्ता लानी होगी, दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए नई तकनीकों को अपनाना होगा और सबसे महत्वपूर्ण, मेहनत करनी होगी। यूट्यूब का नया अपडेट यह संकेत देता है कि अब मार्केट में एक तरह का करेक्शन आ चुका है। अब सिर्फ मनोरंजन या हल्की-फुल्की बातें करने से काम नहीं चलेगा। न्यूज कैटेगरी में जो भी कंटेंट चलेगा, उसे पूरी तरह से सोचा-समझा और तैयार किया गया होना चाहिए। केवल इस प्रकार की तैयारी के बाद ही क्रिएटर्स अपना अच्छा भविष्य बना सकते हैं।
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हिमाबिंदु चिट्टा, जो एक इनसाइट्स और स्ट्रैटेजी प्रोफेशनल हैं, को जियोस्टार के दक्षिणी बाजारों के लिए डिजिटल ग्रोथ स्ट्रैटेजी की हेड नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वायकॉम18 मीडिया और द वॉल्ट डिज्नी कंपनी के बीच संयुक्त उद्यम की सफलता के बाद हुई है। इससे पहले, चिट्टा डिज्नी+ हॉटस्टार में तेलुगु, तमिल और मलयालम के लिए स्ट्रैटेजी और ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालती थीं। यहां उन्होंने कंटेंट, मार्केटिंग, कॉमर्शियल, फाइनेंस और टेक्नोलॉजी टीमों के साथ मिलकर काम किया। उनका काम कंटेंट स्ट्रैटेजी, हॉटस्टार स्पेशल्स के लिए कंटेंट डिवेलपमेंट, मूवी अधिग्रहण और लॉन्च कैलेंडर सुनिश्चित करना था। डिज्नी स्टार में उन्होंने 15 वर्षों तक विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। 2009 में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में शुरुआत करते हुए उन्होंने अब तक विभिन्न पदों पर काम किया। 2017 से 2020 तक, चिट्टा स्टार इंडिया के साथ 'स्टार विजय' के लिए स्ट्रैटेजी हेड के रूप में तीन वर्षों तक जुड़ी रहीं। हिमाबिंदु चिट्टा ने मार्केटिंग, मार्केट रिसर्च और मीडिया मैनेजमेंट में MICA से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (PGDM) प्राप्त किया है। रिलायंस, जिसके पास 56% बहुमत हिस्सेदारी है, ने इस संयुक्त उद्यम के तहत वायकॉम18, जियोसिनेमा और स्टार इंडिया की मीडिया संपत्तियों को मिलाकर एक विशाल मीडिया समूह तैयार किया है। इस समूह का मूल्य लगभग 70,352 करोड़ रुपये (8.5 अरब अमेरिकी डॉलर) है। रिलायंस ने इसमें 11,500 करोड़ रुपये (1.4 अरब अमेरिकी डॉलर) का निवेश किया है। यह नया उद्यम 100 टीवी चैनलों का संचालन करेगा, हर साल 30,000 घंटे से अधिक कंटेंट तैयार करेगा और 50 मिलियन से अधिक डिजिटल सब्सक्राइबर तक पहुंचेगा।
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वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजदीप सरदेसाई ‘2024: द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ नाम से एक नई किताब लेकर वापस आए हैं। यह किताब हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित की गई है। 2014 और 2019 चुनावों पर आधारित उनकी बेस्टसेलर किताबों की सफलता के बाद, सरदेसाई की यह नई किताब भारत के अब तक के सबसे अप्रत्याशित और विभाजनकारी चुनावों पर प्रकाश डालती है। प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध यह किताब भारत के 2024 के आम चुनाव की जटिल राजनीतिक तस्वीर को समझने के इच्छुक पाठकों के लिए एक जरूरी किताब है। ‘द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ में राजदीप सरदेसाई ने इस ऐतिहासिक चुनाव को आकार देने वाली ताकतों पर विस्तार से चर्चा की है। इस किताब में पर्दे के पीछे की राजनीति, हर मोड़ और घटनाक्रम का गहराई से विश्लेषण किया गया है। कोविड लॉकडाउन से लेकर अनुच्छेद 370 पर विवाद तक। हिंदुत्व के उदय से लेकर किसान आंदोलनों तक। सरदेसाई ने इस किताब में ऐसी ही कई घटनाओं का विश्लेषण किया है, जिन्होंने हाल के इतिहास में भारत के सबसे विवादास्पद चुनावों में से एक को प्रभावित किया। बड़े सवालों का सामना इस किताब में सरदेसाई ने कई बड़े सवालों का जवाब देने की कोशिश की है, जैसे- - बीजेपी का आत्मविश्वास भरा नारा “चार सौ पार” आखिर क्यों वोटों में नहीं बदल सका? - राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने उम्मीदों को धता बताते हुए वापसी कैसे की? - प्रवर्तन एजेंसियों और गौतम अडानी जैसे शक्तिशाली व्यक्तित्वों की इस राजनीतिक नाटक में क्या भूमिका रही? मोदी-शाह की जोड़ी और मीडिया की भूमिका पर चर्चा किताब में मोदी-शाह की जोड़ी, जिसे अब "जोडी नंबर वन" कहा जाता है, के राजनीतिक प्रभाव पर गहराई से चर्चा की गई है। साथ ही, मुख्यधारा मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें चुनाव चक्र के दौरान उभरे एकतरफा नैरेटिव की समीक्षा की गई है। यह किताब महज राजनीतिक विश्लेषण से आगे बढ़ते हुए उन महत्वपूर्ण राज्यों को भी कवर करती है जहां अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिले। साथ ही, यह सवाल भी उठाती है कि क्या चुनावी प्रक्रिया उतनी स्वतंत्र और निष्पक्ष थी जितनी होनी चाहिए? सरदेसाई की ‘2024: द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ भारत की इस राजनीतिक यात्रा को बारीकी से समझाती है। पहले दो बेस्टसेलर की तरह, यह किताब भी अंदरूनी कहानियों और चौंकाने वाले किस्सों से भरी हुई है। यह भारतीय लोकतंत्र की राजनीति और ताकत के समीकरण का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है। बता दें कि यह किताब अब एमेजॉन और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध है।
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जागरण समूह की डिजिटल कंपनी 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) को हेल्थ बीट पर हिंदी में काम करने के लिए सब एडिटर्स की जरूरत है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं। ये नियुक्तियां कंपनी के नोएडा में सेक्टर-16 स्थित कार्यालय के लिए होनी हैं। सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, इस पद पर काम करने के इच्छुक आवेदकों के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। हेल्थ बीट पर काम करने का कम से कम छह महीने का अनुभव होना चाहिए। हिंदी टाइपिंग और हिंदी कंटेंट लेखन आना चाहिए। इच्छुक आवेदक अपना अपडेट रिज्युमे namra.fatima@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं। इस बारे में जारी विज्ञापन आप यहां देख सकते हैं।
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आज देश राष्ट्रीय प्रेस दिवस मना रहा है। यह भारत में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय दिवसों में से एक है। यह दिन एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) प्रत्येक वर्ष '16 नवंबर' को मनाया जाता है। विश्व में अब लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को 'वॉचडॉग' एवं प्रेस परिषद इंडिया को 'मोरल वॉचडॉग' कहा गया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एवं जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही यह दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। वैसे भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ (Right to Expression) के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। दरअसल, प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसने 16 नवंबर, 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से प्रतिवर्ष 16 नवंबर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्वयं को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है।
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आज (16 नवंबर) भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जा रहा है, जो भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का प्रतीक है। इस दिन भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) का गठन 1966 में हुआ था, जिसका उद्देश्य देश में पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बनाए रखना और इसकी नैतिकता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पत्रकारिता समाज को सशक्त बनाने, सच्चाई को उजागर करने और लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। साथ ही, यह पत्रकारों को उनके कर्तव्यों और नैतिक जिम्मेदारियों की याद दिलाने का भी अवसर है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिरी ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। 'समाचार4मीडिया' से बातचीत में उन्होंने कहा, "हम स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।" इस मौके पर लाहिरी ने मीडिया के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य न केवल जनता तक सटीक और प्रासंगिक जानकारी पहुंचाना है, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में इसे मजबूत बनाना भी है।
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भारत के न्यूज टीवी इंडस्ट्री के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। जुलाई से सितंबर के बीच कुछ चैनलों के ऑपरेटिंग राजस्व में अप्रैल-जून की तुलना में औसतन 30-40% की गिरावट आई, जबकि कुछ चैनलों ने इस दौरान अच्छी बढ़त हासिल की। इस गिरावट का कारण चुनावों के बाद का कूलिंग-ऑफ पीरियड (मतलब चुनावों के बाद का ठहराव) और न्यूज टीवी के राजस्व का चक्रीय स्वभाव (एक निश्चित चक्र में आने वाली उतार-चढ़ाव) है। जिन चैनलों ने अपनी कमाई में बढ़त दर्ज की, उनके लिए यह वृद्धि मुख्य रूप से डिजिटल विज्ञापनों में इजाफा, फेस्टिवल सीजन की शुरुआत, बेहतर कंटेंट स्ट्रैटेजी और नई डिजिटल पहलों के कारण हुई। नाम न बताने की शर्त पर एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने बताया कि चुनावों के बाद न्यूज चैनल्स की कमाई में गिरावट आम बात है, क्योंकि चुनावों के दौरान राजनीतिक दल और उनसे जुड़े समूह न्यूज चैनल्स पर ज्यादा खर्च करते हैं ताकि वे मतदाताओं से जुड़ सकें। लेकिन चुनाव समाप्त होते ही यह खर्च कम हो जाता है, जिससे चैनलों के विज्ञापन राजस्व पर असर पड़ता है। चुनावों के बाद न्यूज चैनल्स के राजस्व पर पड़ा असर क्वार्टर-ऑन-क्वार्टर (QoQ) प्रदर्शन: Network18 के न्यूज पोर्टफोलियो में सितंबर की तिमाही में 1.6% की गिरावट आई, जिससे इसका राजस्व ₹445 करोड़ पर पहुंच गया। TV Today Network (जो आज तक और इंडिया टुडे जैसे प्रमुख चैनल चलाता है) ने 33% की गिरावट दर्ज की। पहली तिमाही में इसका राजस्व ₹311.79 करोड़ था, जो दूसरी तिमाही में घटकर ₹206.77 करोड़ रह गया। Zee Media (ZMCL) ने दूसरी तिमाही में 25% की गिरावट दर्ज की। एक्सपर्ट का मानना है कि जुलाई-सितंबर अवधि में विज्ञापनदाता अपनी प्राथमिकता त्योहारों और छुट्टियों से जुड़े कैंपेन पर अधिक केंद्रित कर लेते हैं, जिससे न्यूज चैनल्स को मिलने वाले विज्ञापनों का हिस्सा कम हो जाता है। चुनावों के बाद दर्शकों की राजनीतिक कवरेज में रुचि कम हो जाती है, जिससे दर्शकों की संलग्नता (एंगेजमेंट) और विज्ञापन राजस्व पर असर पड़ता है। कंपनियों के राजस्व में उछाल इसके विपरीत, NDTV ने 18.5% की वृद्धि दर्ज की। पहली तिमाही में इसका संयुक्त राजस्व ₹93.9 करोड़ था, जो दूसरी तिमाही में बढ़कर ₹111.32 करोड़ हो गया। कंपनी के अनुसार, यह बेहतरीन प्रदर्शन NDTV की बेहतर कंटेंट रणनीति, नए इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टीज (IPs) के विस्तार और डिजिटल योजनाओं के कारण हुआ है।साल-दर-साल के आधार पर न्यूज चैनल्स के राजस्व में मामूली गिरावट साल-दर-साल के आधार पर भी अधिकांश न्यूज चैनल्स के राजस्व में हल्की गिरावट देखी गई। जी मीडिया का राजस्व Q2 2023 में ₹151.59 करोड़ से घटकर Q2 2024 में ₹130.70 करोड़ पर आ गया। NDTV का राजस्व Q2 2023 में ₹61.90 करोड़ से घटकर ₹59.8 करोड़ पर आ गया, यानी 3.4% की कमी। वहीं, TV Today Network का राजस्व भी 3.3% कम हो गया, जो 2023 की समान तिमाही में ₹213.86 करोड़ था और 2024 की दूसरी तिमाही में घटकर ₹206.77 करोड़ हो गया। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, Network18 ने 6% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले वर्ष ₹420.31 करोड़ से बढ़कर ₹445.27 करोड़ हो गया। कंपनी के अनुसार, यह वृद्धि डिजिटल विज्ञापनों के बढ़ते राजस्व के कारण हुई। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल-दर-साल राजस्व में गिरावट का कारण आर्थिक चुनौतियां हो सकती हैं, जैसे कि महंगाई और वित्तीय अनिश्चितताएं। इसके अलावा, कई विज्ञापनदाता Q3 के त्योहारी सीजन (जैसे दिवाली, क्रिसमस, और नववर्ष) के लिए अपने बजट को बचाकर रखते हैं। इससे दूसरी तिमाही में विज्ञापन खर्च में कमी होती है। मार्केटिंग और प्रचार खर्च में वृद्धि: भले ही राजस्व में मामूली गिरावट आई हो, लेकिन न्यूज चैनल्स का मार्केटिंग और प्रचार खर्च में वृद्धि देखने को मिली है। Network18 का खर्च पिछले वर्ष ₹97.6 करोड़ से बढ़कर ₹106.5 करोड़ हो गया, जो लगभग 9% की वृद्धि है। NDTV ने भी अपने मार्केटिंग खर्च में बड़ी वृद्धि दर्ज की, जो जुलाई-सितंबर 2023 के ₹157.4 करोड़ से बढ़कर 2024 में ₹335.7 करोड़ हो गया, यानी 113% की वृद्धि। यह वृद्धि इस ओर इशारा करती है कि न्यूज चैनल ब्रैंड की पहचान को मजबूत करने और दर्शकों को आकर्षित करने के लिए डिजिटल मीडिया से प्रतिस्पर्धा करते हुए अपने विज्ञापन और प्रचार पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। भविष्य की संभावनाएं कुल मिलाकर, चुनाव के बाद राजस्व में गिरावट के बावजूद, भारत का न्यूज टेलीविजन सेक्टर स्थिर बना हुआ है। कई प्रसारण कंपनियों के लिए अब चुनौती अपने कंटेंट को विविधता देना और डिजिटल ट्रेंड्स के साथ तालमेल बिठाना है ताकि वे दर्शकों की दिलचस्पी बनाए रख सकें और विज्ञापन से अधिक राजस्व कमा सकें। इंडस्ट्री अब धीरे-धीरे डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ रही है, जहां कई प्रसारण कंपनियां अपने ऑनलाइन उपस्थिति को मजबूत कर रही हैं ताकि युवा दर्शकों तक पहुंचा जा सके और अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया जा सके। यह बदलाव भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि पारंपरिक टीवी कंपनियां तेजी से डिजिटल-प्रथम (डिजिटल-फर्स्ट) बन रही दुनिया में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। Network18 ने अपने मीडिया रिलीज में कहा, "जैसे-जैसे उपभोक्ता और विज्ञापनदाता अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में ओमनी-चैनल अनुभवों की ओर बढ़ते जा रहे हैं, टीवी और डिजिटल मीडिया में गहरी और एकीकृत उपस्थिति होना Network18 और उसके अन्य साझेदारों को अपने उपभोक्ताओं और विज्ञापनदाताओं की सेवा करने में और अधिक सक्षम बनाएगा।" इंडस्ट्री के एक स्रोत ने बताया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे मोबाइल ऐप्स और सब्सक्रिप्शन सेवाओं का विकास नए राजस्व साधनों को खोल सकता है। विशेष कंटेंट, जैसे एक्सक्लूसिव रिपोर्ट्स और बिहाइंड-द-सीन फुटेज, लॉयल क्लाइंट्स को आकर्षित कर सकता है। इसके अलावा, इंडस्ट्री अवॉर्ड, एक्सपर्ट्स पैनल और लाइफस्टाइल इवेंट्स जैसे आयोजनों से स्पॉन्सरशिप और टिकट बिक्री से भी राजस्व कमाया जा सकता है। शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव : - Network18 के शेयर की कीमत अप्रैल में लगभग ₹90.40 थी, जो अगस्त में ₹99.92 के उच्चतम स्तर पर पहुंची और सितंबर के अंत में ₹81.97 पर बंद हुई। इसकी सबसे कम कीमत जून में ₹75.60 रही, लेकिन दूसरी तिमाही के अंत तक रिकवरी के संकेत दिखे। - ZMCL का नया वित्तीय वर्ष अप्रैल में ₹11.55 के साथ शुरू हुआ और मई में इसका न्यूनतम मूल्य ₹10.55 पर था। सितंबर के अंत में, यह बढ़कर ₹22.82 पर पहुंच गया, जो कि सितंबर के अंतिम सप्ताह में निवेशकों की बढ़ती रुचि का परिणाम है। - TV Today का वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत ₹219.55 के साथ हुई, जो जून में ₹207.25 तक गिर गया। अगस्त की शुरुआत में यह ₹287 तक पहुंचा और H1 के अंतिम दिन ₹234.05 पर बंद हुआ, जो बाजार में सकारात्मक रुचि को दर्शाता है। - NDTV का नया वित्तीय वर्ष ₹222.65 के साथ शुरू हुआ और सितंबर के अंत में ₹187.34 तक गिर गया, जबकि जून की शुरुआत में इसका उच्चतम मूल्य ₹263.40 पर था। इस गिरावट से यह संकेत मिलता है कि व्यापक उद्योग परिवर्तनों के बीच बाज़ार पुनः मूल्यांकन कर रहा है। इस प्रदर्शन से साफ है कि न्यूज टीवी इंडस्ट्री में चुनौतियां तो हैं, लेकिन डिजिटल मंचों और रणनीतिक योजना के माध्यम से यह इंडस्ट्री अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए तैयार है।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज' (Reliance Industries) की 'वायकॉम18' (Viacom18) और डिज्नी (Disney) की 'स्टार इंडिया' (Star India) के बीच विलय की औपचारिक घोषणा के साथ ही मीडिया क्षेत्र के अनुभवी व्यक्तित्व के धनी उदय शंकर को नए $8.5 बिलियन मूल्य की नए इकाई 'जियोस्टार' (Jiostar) का वाइस चेयरपर्सन बनाया गया है। घोषणा के तुरंत बाद 'फाइनेंशियल टाइम्स' (Financial Times) को दिए एक इंटरव्यू में उदय शंकर ने टेलीविजन माध्यम में अपने विश्वास को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ड्रामा से लेकर डेली सोप्स तक के इनोवेटिव कंटेंट में नए निवेश के कारण पारंपरिक टेलीविजन राजस्व आने वाले वर्षों में "महत्वपूर्ण दो अंकों की वृद्धि" देख सकता है। 'जियोस्टार' (Jiostar) के वाइस चेयरपर्सन उदय शंकर, जिनकी कंपनी का विलय गुरुवार को पूरा हुआ, ने इंटरव्यू में कहा, “ऐसा एक नैरेटिव है कि टीवी खत्म हो रहा है और सब कुछ स्ट्रीमिंग की ओर जा रहा है। लेकिन मेरा मानना है कि इस देश में टीवी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।” उदय शंकर ने मजबूत लीनियर पे-टीवी इंडस्ट्री पर भी बात की और कहा कि हर साल बड़ी संख्या में लोग आर्थिक मुख्यधारा में आ रहे हैं और उनके लिए टेलीविजन एक ऐसा उपभोक्ता उत्पाद है जिसे वे हासिल करना चाहते हैं। Disney और Reliance के इस बड़े विलय पर प्रतिक्रिया देते हुए उदय शंकर ने इसे एक “मॉनेस्टर मर्जर” (monster merger) कहा। उन्होंने आगे कहा, “इसलिए कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है... हमें इस बाजार को फिर से बनाना और इसे बहुत बड़ा करना होगा।” इसके अलावा, शंकर ने कहा कि स्पोर्ट्स में प्रभुत्व को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है और Disney व Reliance के स्पोर्ट्स राइट्स पर आलोचना “कुछ हद तक गलत तथ्यों पर आधारित है” क्योंकि भारत में स्पोर्ट्स राइट्स की अवधि बहुत छोटी होती है, जो तीन से पांच साल तक सीमित होती है। यानी, उनका कहना था कि स्पोर्ट्स में किसी का प्रभुत्व लंबे समय तक नहीं रहता, क्योंकि स्पोर्ट्स राइट्स को बहुत कम समय के लिए दिया जाता है, इसलिए इसके बारे में आलोचना करना उचित नहीं है।
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देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘आईटीवी नेटवर्क’ (ITV Network) ने डॉ. अमित आर्य को सीनियर कंसल्टिंग एडिटर के पद पर नियुक्त किया है। इसके साथ-साथ डॉ. अमित आर्य को इंडिया न्यूज (हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर) की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। मूल रूप से हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले अमित आर्य ने दिल्ली और चंडीगढ़ के साथ-साथ हिमाचल व हरियाणा में करीब बीस वर्ष तक पत्रकारिता में अपनी सेवाएं दीं हैं। अमित आर्य हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और छात्र आंदोलन से जुड़े रहे हैं। वह हिमाचल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ के सचिव रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक अमित आर्य मनोहर लाल खट्टर के मीडिया सलाहकार रह चुके हैं। इस दौरान चंडीगढ़ में उन्होंने पांच साल तक अपने पद और दायित्व का निर्वहन किया। इसके बाद करीब चार साल तक अमित आर्य दिल्ली और चंडीगढ़ दोनों जगह मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार का दायित्व निभा चुके हैं। पिछले साल केंद्र सरकार ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए वरिष्ठ मीडिया कंसलटेंट के पद पर नियुक्त किया था। उन्हें पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर आदि का कार्यभार दिया गया था। यहां अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान वह केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सुझाव देने का कामकाम भी संभाल रहे थे। अमित आर्य को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव है। आर्य ने वर्ष 1994 में पत्रकारिता में अपने करियर का आगाज किया। कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में करीब दो दशक तक आर्य ने पत्रकारिता में अपनी सेवाएं दीं व अपनी एक अलग पहचान कायम की। वह कई चैनलों और मीडिया हाउस की लॉन्चिग टीम का भी हिस्सा रहे। अमित आर्य ने अपने करियर की शुरुआत ‘बी.ए.जी फिल्म्स’ से की थी। फिर ‘दैनिक भास्कर’, शिमला के स्टाफ रिपोर्टर और ‘दैनिक भास्कर’ चंडीगढ़ में हिमाचल पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। इसके बाद वह दोबारा ‘बी.ए.जी’ के साथ जुड़ गए और कई वर्षों तक वहां अपनी सेवाएं दीं। यहां उन्होंने लोकप्रिय कार्यक्रम 'रूबरू' में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर अपनी भूमिका निभाई। अमित आर्य ‘इंडिया टी.वी’ में असाइनमेंट के शिफ्ट इंचार्ज भी रह चुके हैं। वह ‘इंडिया न्यूज’ की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रहे और उन्होंने एडिटर (इनपुट) सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। इसके बाद वह कुछ समय ‘लाइव इंडिया’ में भी रहे। कुछ समय तक उन्होंने ‘पी7’ न्यूज चैनल में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली थी। ‘इंडिया न्यूज’ की दूसरी पारी के दौरान कई अहम जिम्मेदारियां संभालते हुए उन्होंने बतौर हेड ‘इंडिया न्यूज’ हरियाणा की लॉन्चिंग टीम का नेतृत्व भी किया था। इसके अलावा वह ’एम.एच1’ न्यूज की लांचिंग टीम का हिस्सा भी रहे। यहां उन्होंने संपादक (इनपुट) के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाली।
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IWMBuzz 14 नवंबर 2024 को कोलकाता के फेयरफील्ड बाय मैरियट (Fairfield by Marriott) में अपने बहुप्रतीक्षित मीडिया समिट का आयोजन करने जा रहा है। इस वर्ष की शुरुआत में "बंगाल का सबसे स्टाइलिश" (Bengal’s Most Stylish) पुरस्कार समारोह की सफलता के बाद, IWMBuzz एक बार फिर मीडिया, एंटरटेनमेंट और कंटेंट इंडस्ट्री के लीडर्स और इनोवेटर्स को चर्चाओं और नेटवर्किंग के लिए एकजुट कर रहा है। समिट में प्रसिद्ध वक्ताओं का शानदार लाइनअप: समिट में कई प्रतिष्ठित वक्ता, जैसे CEO, CMO, मीडिया कंटेंट लीडर्स, टॉप इन्फ्लुएंसर्स और डिजिटल क्षेत्र के अग्रणी लोग शामिल होंगे। प्रमुख संगठनों जैसे ITC, Emami, The Viral Fever, Hoichoi, BW Businessworld, Ultratech, Havas Media Network, Colors Bangla, Dollar Industries, Concreto Cement, Wow Momo, Ei Samay, Zee Media, White Frames Technology, Workmates Core2Cloud और NDTV से प्रमुख व्यक्ति इस समिट में भाग लेंगे। विचारोत्तेजक पैनल चर्चाएं और व्यक्तिगत सत्र: मीडिया समिट में टेलीविजन का भविष्य, डिजिटल मीडिया, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, ब्रैंडेड कंटेंट, मीडिया में AI और अन्य विषयों पर विचारोत्तेजक पैनल चर्चाएं और व्यक्तिगत सत्र होंगे। एक महत्वपूर्ण विषय यह होगा कि क्या टीवी विज्ञापन प्रासंगिक बने रहेंगे या डिजिटल मीडिया कंटेंट खपत और मार्केटिंग के प्रमुख माध्यम के रूप में आगे बढ़ता रहेगा। नेटवर्किंग और नए दृष्टिकोण: यह समिट प्रोफेशनल्स, मार्केटर्स, क्रिएटर्स और बिजनेस लीडर्स के लिए एक बेहतरीन नेटवर्किंग का अवसर है। प्रतिभागी यह जान सकेंगे कि मीडिया इंडस्ट्री को इस प्रतिस्पर्धात्मक व्यवसाय में कैसे अपनाना, बढ़ाना और सफल बनाना संभव है। IWMBuzz के फाउंडर व एडिटर सिद्धार्थ लाइक कहते हैं, "हम IWMBuzz में हमेशा ऐसे मंच बनाने में विश्वास करते हैं जो सार्थक बातचीत को बढ़ावा दे सके और मीडिया व मनोरंजन की दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लीडर्स को एक साथ लाएं। मीडिया समिट कंटेंट और कॉमर्स के भविष्य को समझने, हमारे गतिशील इंडस्ट्री में चुनौतियों और अवसरों का सामना करने और इनोवेशन को प्रेरित करने वाले पायनियर्स का सम्मान करने का एक अनूठा अवसर है। हमें कोलकाता में इस आकर्षक आयोजन की मेजबानी करने और ऐसे चर्चाओं को प्रोत्साहित करने की खुशी है जो भारत में मीडिया के भविष्य को आकार देंगे।'' मीडिया इंडस्ट्री के सबसे बेहतरीन लीडर्स के साथ जुड़ने का मौका न चूकें। लिहाजा, IWMBuzz मीडिया समिट के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर अभी पंजीकरण करें: https://www.mediasummit.in
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अगर आपके पास वीडियो एडिटिंग में अनुभव, टेक्नोलॉजी का अच्छा ज्ञान एवं स्टोरीटैलिंग की क्षमता है तो अपनी रचनात्मकता को निखारने और अमर उजाला की डिजिटल टीम का हिस्सा बनने का आपके पास यह एक बेहतरीन मौका है।दरअसल, ‘अमर उजाला’ की डिजिटल टीम (अमर उजाला वेब सर्विसेज) को नोएडा स्थित कार्यालय के लिए वीडियो एडिटर की तलाश है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन मांगे गए हैं।सोशल मीडिया पर शेयर विज्ञापन के अनुसार, इस पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदकों के पास वीडियो एडिटिंग (खासकर पत्रकारिता अथवा मीडिया के क्षेत्र में) में एक से तीन साल का अनुभव होना चाहिए। एडोब प्रीमियर में निपुणता होनी चाहिए। इंस्टाग्राम कवर फोटो और यूट्यूब थंबनेल बनाने का हुनर होना चाहिए। कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम और सोशल मीडिया के साथ वीडियो पब्लिशिंग और ऑप्टिमाइजेशन में कुशल चाहिए। आफ्टर इफेक्ट्स और फोटोशॉप की जानकारी है तो उसे अतिरिक्त योग्यता में गिना जाएगा, जिसका लाभ भी आवेदक को मिलेगा।शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो जिन आवेदकों के पास पत्रकारिता, कम्युनिकेशंस, फिल्म स्टडीज या संबंधित क्षेत्र में स्नातक की डिग्री होगी, उन्हें वरीयता दी जाएगी।अगर आपके पास उपरोक्त योग्यताएं हैं और आप इस पद के लिए खुद को उपयुक्त मानते हैं तो अपना अपडेटेड रिज्यमे और कवर लेटर hiring@auw.co.in पर भेज सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी नीचे दिए गए विज्ञापन से ले सकते हैं।
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पत्रकार चंद्र गौरव को लेकर खबर आ रही कि उन्होंने भारत एक्सप्रेस न्यूज चैनल ज्वाइन किया है. संस्थान में उन्हें बतौर ब्यूरो चीफ, कानपुर नियुक्त किया गया है. वर्ष 2004 में अमर उजाला, कानपुर से करियर शुरू करने वाले चंद्र गौरव 2010 में अमर उजाला नोएडा में ब्यूरो चीफ रहे. 2012 में अमर उजाला कॉम्पैक्ट के एडिटोरियल हेड रहे. अमर उजाला के बाद कुछ वर्ष दैनिक जागरण के आईनेक्स्ट में भी कार्यरत रहे. प्रिंट मीडिया के अलावा उन्होंने डिजिटल में लोकल हेडिंग, हिन्द न्यूज और न्यूज जंगल के जरिए हाथ आजमाया और अब भारत एक्सप्रेस के जरिए टीवी की तरफ रुख किया है.
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ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर बैन लगाने का फ़ैसला किया है। थनी अल्बनीस की सरकार इस बारे में एक क़ानून इसी महीने ऑस्ट्रेलिया की संसद में पेश करने जा रही है। स नए क़ानून का एलान करते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने कहा कि बच्चों पर सोशल मीडिया का बहुत बुरा असर पड़ रहा है और उन्होंने बहुत से माता-पिताओं, अभिभावकों, विशेषज्ञों और बच्चों से बात करने के बाद ये फैसला किया है। इस नए कानून के तहत, सोशल मीडिया को 16 साल तक के बच्चों के लिए बैन लागू करने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों की होगी। 16 साल तक के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश होगा। अल्बनीस ने कहा कि 'सोशल मीडिया हमारे बच्चों को बहुत नुक़सान पहुंचा रहा है और अब मैं इसको बंद करने जा रहा हूं। मैंने हजारों अभिभावकों से बात की है। मेरी तरह वो भी ऑनलाइन दुनिया में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं, और मैं ऑस्ट्रेलिया के अभिभावकों और परिवारों को ये बताना चाहता हूं कि अब सरकार उनके साथ है। अब अभिभावक अपने बच्चों से कह सकेंगे कि सोशल मीडिया उनके लिए नहीं है। कानून उनको इसकी इजाज़त नहीं देता।' पूरी दुनिया में इस बात को लेकर चिंता है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से, डिजिटल मीडिया से बच्चों का कितना नुकसान होता है और ये चिंता जायज़ है लेकिन हमें ये याद रखना चाहिए कि नुकसान तो बड़ों का भी होता है, दूरियां तो मां-बाप में भी बनती हैं और बच्चे इसी से सीखते हैं। घर में एक कमरे में चार लोग बैठे होते हैं, आपस में बात करने की बजाय सब फोन देखने और मैसेज भेजने में लगे रहते हैं। इसीलिए कानून बनाने से कुछ नहीं होगा। अगर बच्चों को इस त्रासदी से बचाना है तो मां-बाप को अपने ऊपर भी पाबंदी लगानी होगी, उन्हें अपने मोबाइल और डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल पर कंट्रोल करना होगा। तभी वो बच्चों को समझा पाएंगे। आजकल तो जब बच्चा रोता है, तो मां-बाप उसे चुप कराने के लिए प्यार करने की बजाय उसके हाथ में मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं। जबतक हम ऐसी आदतों से बाज नहीं आएंगे तब तक बच्चों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल से नहीं रोक पाएंगे।
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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) के रविवार को हुए चुनाव में वरिष्ठ पत्रकार गौतम लाहिरी एक बार फिर अध्यक्ष चुने गए हैं। गौतम लाहिरी पैनल ने सभी पदों पर शानदार जीत दर्ज की और इस चुनाव में अपने दबदबे को बरकरार रखा। इस बार अध्यक्ष पद पर गौतम लाहिरी ने सबसे अधिक 1045 मत प्राप्त किए, जबकि महासचिव के तौर पर नीरज ठाकुर ने 913 मत हासिल किए। 'द वायर' की संगीता बरुआ पिशारोटी उपाध्यक्ष चुनी गईं, जिन्हें 927 वोट मिले। 'न्यूज़ नेशन' के मोहित दुबे को कोषाध्यक्ष चुना गया, जिनके पक्ष में 782 वोट आए, जबकि 'नवभारत' के अफ़ज़ल इमाम संयुक्त सचिव पद पर निर्वाचित हुए। प्रबंधन समिति के 16 सदस्यों के लिए 28 प्रत्याशी मैदान में थे। सदस्यों में एनडीटीवी की अदिति राजपूत को सबसे अधिक 985 वोट मिले, जबकि 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की मेघना धूलिया 905 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। अन्य निर्वाचित सदस्यों में सुरभि कांग, प्रज्ञा सिंह, नलिनी रंजन महांती और सुनील नेगी शामिल हैं, जो विभिन्न मीडिया संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अध्यक्ष पद पर परचम लहराने के बाद गौतम लाहिरी ने कहा कि मीडिया की आजादी को बरकरार रखने के साथ-साथ मीडिया संस्थानों की स्वायत्तता बनाये रखने के लिए हमारी टीम निरंतर कोशिश करती रही है और आगे भी करती रहेगी। स्वतंत्र मीडिया स्वस्थ लोकतंत्र की बुनियाद है और इसे सुरक्षित करना हमारा दायित्व है। पत्रकारों की समस्याओं को आने वाले दिनों में भी मुखरता से उठाते रहेंगे।
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भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी को दक्षिण एशियाई दूरसंचार विनियामक परिषद (एसएटीआरसी) का नया अध्यक्ष चुना गया है। लाहोटी इससे पहले एसएटीआरसी के उपाध्यक्ष थे। लाहोटी बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) के अध्यक्ष मोहम्मद मोहिउद्दीन अहमद का स्थान लेंगे। नियुक्तियों की घोषणा 11 से 13 नवंबर तक नई दिल्ली में आयोजित एसएटीआरसी की 25वीं बैठक के दौरान की गई। SATRC के सदस्य नौ दक्षिण एशियाई देशों के विनियामक निकायों के प्रमुख हैं, अर्थात् अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, ईरान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका। इन देशों के संबद्ध सदस्य भी SATRC की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं।
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डिज़नी, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और वॉल्ट डिज़नी की स्टार इंडिया की विलयित इकाई से अलग, लगभग 200 कर्मचारियों को बनाए रखेगी। इनमें से कुछ कर्मचारी, जिनमें डिज्नी स्टार के पूर्व स्टूडियो प्रमुख बिक्रम दुग्गल भी शामिल हैं , सीधे डिज्नी के लिए काम करेंगे। दुग्गल जहां भारत के बाजार पर ध्यान केंद्रित करेंगे, वहीं इस समूह के अन्य लोग भारत और अन्य क्षेत्रों दोनों को पूरा कर सकते हैं। बिक्रम दुग्गल ने विलय की गई इकाई से बाहर निकलने का विकल्प चुना है, लेकिन वह अभी भी डिज्नी के साथ बने रहेंगे।जैसा कि पहले बताया गया है, दोनों मीडिया घरानों ने अपने क्रिकेट अधिकारों के लिए टेलीविजन और ओटीटी विज्ञापन स्लॉट बिक्री को बंडल नहीं करने पर सहमति व्यक्त की है - जिसमें आईपीएल, आईसीसी और बीसीसीआई शामिल हैं - अपने मौजूदा अधिकारों की शेष अवधि के लिए। जबकि उद्योग जगत में इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि नेतृत्व संरचना किस तरह विकसित होगी, विलय के बाद बनी इकाई अपने पुनर्गठित नेतृत्व की घोषणा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जहाँ कुछ अधिकारियों के उन्नत पदों पर आने की उम्मीद है, वहीं अन्य पूरी तरह से सिस्टम से बाहर हो सकते हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सूर्यबलि सिंह को लेकर सूचना है कि उन्हें छत्तीसगढ़ के राज्य स्थापना दिवस समारोह में मधुकर खेर पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मूलरूप से वाराणसी के रहने वाले सुरेंद्र ने छत्तीसगढ़ का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त कर अपने जनपद का नाम राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार छत्तीसगढ़ राज्य के 24वें स्थापना दिवस के अवसर पर, दिनांक 6 नवंबर को, नवा रायपुर में आयोजित राज्योत्सव-2024 के समापन समारोह के दौरान प्रदान किया गया। इस गरिमामयी अवसर पर भारत के माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कर-कमलों द्वारा यह सम्मान प्रदान किया गया। समारोह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, सभी वरिष्ठ मंत्रीगण, विधायकगण, छत्तीसगढ़ प्रशासन के शीर्ष अधिकारीगण और छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। मुकेश एस सिंह, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित द हितवाद समाचार पत्र में न्यूज़ एडिटर के रूप में कार्यरत हैं, वह पिछले 28 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र मैं कार्यरत हैं। उन्होंने इस सम्मान को वाराणसी की माटी, अपने माता-पिता, परिवार, सहयोगियों और मार्गदर्शकों को समर्पित किया है। गौरतलब है कि द हितवाद मध्य भारत का अग्रणी अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र है, नागपुर, विदर्भ, रायपुर, भोपाल और जबलपुर से एकसाथ प्रकाशित होता है और इसकी व्यापक पाठक संख्या इसे इस क्षेत्र का सबसे विश्वसनीय समाचार स्रोत बनाती है।
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित रानी घाट पर गंगा किनारे अवैध तरीके से बनाए जा रहे होटल का निर्माण वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र चड्ढा के नाम पर किया जा रहा था। इस होटल की मरम्मत और पुनर्निर्माण की अनुमति को वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने निरस्त कर दिया है। इस निर्णय का मुख्य कारण गलत सूचनाओं के आधार पर स्वीकृति प्राप्त करना और शासनादेश का उल्लंघन है।आपको बता दें कि राघवेंद्र चड्ढा दैनिक जागरण कानपुर में समाचार संपादक के अलावा वाराणसी, हल्द्वानी इत्यादि यूनिटों में संपादक रह चुके हैं. भवन संख्या ए-11/4-ए-5-ए, मोहल्ला नया महादेव, वार्ड-आदमपुर, वाराणसी, को मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए अनुज्ञा- 1 जनवरी, 2024 को जारी की गई थी। यह अनुमति वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र चड्ढा के नाम पर ली गई थी। परंतु उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में इस पर पुनः जांच की गई, जिसमें यह पाया गया कि गुमराह करने वाली सूचनाओं के आधार पर अनुमति प्राप्त की गई थी और गंगा के 200 मीटर के भीतर निर्माण पर शासनादेश का उल्लंघन भी किया गया था। शिकायत के आधार पर, वीडीए ने इस भवन के विभिन्न वर्षों के उपग्रह चित्रों का अध्ययन किया और पाया कि गूगल अर्थ और अन्य स्रोतों से लिए गए चित्रों में भवन की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। आवेदक द्वारा प्रस्तुत किए गए फोटोग्राफ्स भी अस्पष्ट पाए गए, जिससे भवन की वास्तविक स्थिति संदेह के घेरे में आ गई। शासनादेश के अनुसार, गंगा के किनारे स्थित किसी भी पुराने निर्माण का पुनर्निर्माण तभी किया जा सकता है जब भवन की वास्तविक स्थिति मौजूद हो और आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए हों। इन मानकों के अनुरूप दस्तावेज़ न होने के कारण समिति की सिफारिशों पर वाराणसी विकास प्राधिकरण ने 6 नवंबर 2024 को इस अनुमति को निरस्त कर दिया है।
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डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। कमला हैरिस को बड़े मार्जिन से हराया। अमेरिका में 132 साल बाद ऐसा हुआ है जब एक बार चुनाव हारने के बाद कोई पूर्व राष्ट्रपति दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीता हो। ये कारनामा करने वाले ट्रंप अमेरिकी इतिहास में दूसरे राष्ट्रपति हैं। बड़ी बात ये है कि स्विंग स्टेटस में भी ट्रंप को एकतरफा जीत मिली। नतीजे आने के बाद ट्रंप ने निर्वाचित उपराष्ट्रपति जे डी वेंस और परिवार के सदस्यों के साथ समर्थकों को संबोधित किया।ट्रंप ने कहा, वो अगले चार साल तक बिना रुके, बिना थके अमेरिका की बेहतरी के लिए काम करेंगे। ट्रंप ने कहा कि आने वाले चार साल अमेरिका के लिए स्वर्णिम होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले सोशल मीडिया पर ट्रम्प को बधाई दी और उसके बाद टेलीफोन पर ट्रंप को जीत की बधाई दी। सूत्रों के मुताबिक, फोन पर बातचीत के दौरान ट्रम्प ने भारत को “एक शानदार देश” और मोदी को “एक शानदार नेता” बताया, “जिन्हें दुनिया भर के लोग प्यार करते हैं।” सवाल ये है कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से हमारे देश और हमारे पड़ोसी देशों पर क्या असर होगा ? क्या मोदी और ट्रंप की अंतरंग मित्रता दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने में काम आएगी? ट्रंप व्यापारी हैं और एक ज़बरदस्त सौदेबाज़ हैं। क्या ट्रंप के आने से भारत के व्यापार पर असर पड़ेगा? ट्रंप अमेरिका में प्रवेश करने वालों के बारे में सख्त नीति बनाए जाने के हिमायती हैं। क्या इसका असर अमेरिका जाने वाले भारतीयों पर पड़ेगा? ट्रंप की सत्ता में वापसी को अमेरिका के राजनीतिक इतिहास की सबसे ज़बरदस्त वापसी में रूप में देखा जा रहा है। 2020 में जो बाइडेन से चुनाव हारने के बाद ट्रंप ने एक के बाद एक कई मुश्किलों का सामना किया। समर्थकों ने, रिपब्लिकन पार्टी के बड़े नेताओं ने ट्रंप का साथ छोड़ दिया था, लेकिन ट्रंप ने हार नहीं मानी और वो एक बार फिर से अमेरिका के बिग बॉस बन गए। पिछले चार साल में ट्रंप ने तमाम राजनीतिक और अदालती चुनौतियों का सामना किया। आखिर में सभी चुनौतियों को मात देकर उन्होंने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत ने अमेरिका को एक मजबूत स्थिति में ला दिया है। अब वहां सरकार को लेकर कोई अनिश्चितता नहीं है।ट्रंप की जीत का असर पूरी विश्व व्यवस्था पर दिखाई देगा। ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने की कोशिश करेंगे। इसमें भारत की भूमिका अहम हो सकती है। नरेंद्र मोदी पिछले कुछ महीनों में तीन बार पुतिन से और दो बार जेलेंस्की से मिलकर शांति का रास्ता निकालने की कोशिश कर चुके हैं। ट्रंप की जीत का असर अरब जगत और इजरायल के रिश्तों पर भी पड़ेगा। भारत के संदर्भ में ट्रंप की जीत को दो तरीके से देखा जा सकता है। एक तो ट्रंप और मोदी के रिश्ते के लिहाज से। जाहिर है कि कमला हैरिस के मुकाबले ट्रंप से मोदी के रिश्ते ज्यादा व्यक्तिगत हैं, पुराने हैं। दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते और समझते हैं। ट्रंप की कूटनीति का अंदाज व्यक्ति आधारित है। व्यक्तिगत रिश्तों पर वो जोर देते हैं और ट्रंप ये कह चुके हैं कि नरेंद्र मोदी उनके दोस्त हैं और एक मजबूत नेता हैं। इस सोच का फायदा भारत को मिलेगा। दूसरा पैमाना है, भारत की कूटनीतिक जरूरतें। भारत को चीन हमेशा चुनौती देता रहा है। अब ट्रंप और मोदी की दोस्ती का असर यहां दिखाई देगा। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो भारत के लिए नई मुसीबत बन गए हैं। वो खालिस्तानियों का समर्थन करते हैं। बायडेन प्रशासन कनाडा का समर्थन करता हुआ दिखाई दे रहा था। अब ये समीकरण भी बदलेंगे और इस मामले में भारत और ज्यादा मजबूत होगा। इन सबसे ऊपर, ट्रंप का ये कहना कि मैं इंडिया का फैन हूं और हिंदुओं का फैन हूं। अगर मेरी जीत होती है, व्हाइट हाउस में हिंदुओं का एक सच्चा दोस्त होगा। किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले 200 साल में इस तरह की बात नहीं कही और इसका असर नजर आएगा। ट्रंप ने बयान दिया था, जिसमें कहा था, “मैं हिंदुओं का बहुत बड़ा फ़ैन हूं और मैं भारत का भी बहुत बड़ा फ़ैन हूं। मैं सीधे सीधे ये बात कहते हुए शुरुआत करना चाहता हूं कि अगर मैं राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो व्हाइट हाउस में भारतीय समुदाय और हिंदुओं का एक सच्चा दोस्त होगा। मैं इसकी गारंटी देता हूं।” ट्रंप ने इसी तरह का जज्बा हिंसा के शिकार बांग्लादेश के हिन्दुओं के लिए भी दिखाया था। इसीलिए इस बात में कोई शक नहीं है कि अमेरिका में ट्रंप की जीत का असर भारत के पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश पर भी असर होगा। कुछ-कुछ असर तो आज ही दिखने लगा। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ट्रंप को जीत की बधाई दी। शेख हसीना इस वक्त दिल्ली में हैं। उन्होंने कहा कि वो ट्रंप के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं। अवामी लीग की अध्यक्ष के नाते शेख हसीना के इस बयान के बड़े मतलब हैं। क्योंकि बांग्लादेश में इस वक़्त मुहम्मद यूनुस की अन्तरिम सरकार है। यूनुस क्लिंटन परिवार के करीबी हैं। बाइडेन प्रशासन की मदद से उन्होंने बांग्लादेश में तख्ता पलट करवाया, अन्तरिम सरकार के मुखिया बने। लेकिन, बांग्लादेश को लेकर ट्रंप का रुख़ बिल्कुल साफ़ है। ट्रंप ने दिवाली के दिन ट्वीट करके, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की कड़ी निंदा की थी। ट्रंप ने लिखा था कि जो बाइडेन और कमला हैरिस ने दुनिया भर के हिंदुओं की अनदेखी की, लेकिन वो ऐसा नहीं होने देंगे। ट्रंप ने वादा किया कि राष्ट्रपति बनने पर वो हिंदुओं की हिफ़ाज़त के लिए काम करेंगे, जबरन धर्म परिवर्तन रोकेंगे। इसीलिए, ट्रंप की जीत से बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के लिए ख़तरे की घंटी बज गई है। इसी पृष्ठभूमि में शेख हसीना के बयान को समझने की जरूरत है।
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प्रसिद्ध अभिनेता प्रभास ने लेखकों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक नई वेबसाइट "द स्क्रिप्ट क्राफ्ट" लॉन्च की है। यह वेबसाइट लेखकों को अपने कहानी विचारों को साझा करने और अपनी रचनात्मकता को दिखाने के लिए एक बेहतरीन मंच प्रदान करती है। प्रभास, जो कहानियों से गहरा लगाव रखते हैं, ने इस पहल का समर्थन किया है ताकि लेखकों को एक व्यापक दर्शकों तक पहुंचने का मौका मिल सके। इस बारे में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई। जानिए, क्या है 'द स्क्रिप्ट क्राफ्ट' इस वेबसाइट पर लेखक 250 शब्दों में अपनी कहानी का सारांश प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके बाद, दर्शक इन प्रस्तुतियों को पढ़ सकते हैं और उन्हें रेट कर सकते हैं। सबसे अधिक रेटिंग पाने वाली कहानियां शीर्ष पर पहुंचेंगी। खास बात यह है कि फीडबैक सिस्टम में टिप्पणियों के बजाय रेटिंग पर जोर दिया गया है, जिससे लेखकों को एक सकारात्मक और प्रेरणादायक माहौल मिलता है और वे अपनी कहानियों पर आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं। विशेष प्रतियोगिता लॉन्च के अवसर पर, "द स्क्रिप्ट क्राफ्ट" ने एक विशेष प्रतियोगिता भी शुरू की है जिसका नाम है "इमेजिन योर फेवरेट हीरो विद सुपरपावर्स!" इसमें लेखकों को 3,500 शब्दों तक की कहानी प्रस्तुत करने का मौका मिलता है, जिसमें वे एक हीरो को सुपरपावर के साथ कल्पना में उकेर सकते हैं। इस प्रतियोगिता में दर्शकों की प्रतिक्रिया के आधार पर एक लेखक को चुना जाएगा, जिसे एक असली प्रोजेक्ट में सहायक लेखक या सहायक निर्देशक के रूप में काम करने का मौका मिलेगा। यह एक अनूठा अनुभव होगा जो उभरते हुए लेखकों को अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका देगा। ऑडियोबुक्स का विस्तार "द स्क्रिप्ट क्राफ्ट" में आगे चलकर ऑडियोबुक्स का फीचर जोड़ने की योजना है, जिससे लेखक अपनी कहानियों को ऑडियो अनुभव में बदल सकेंगे। इस विकास से लेखकों को ऐसे दर्शक भी मिल सकेंगे जो सुनने में अधिक रुचि रखते हैं और जो ऑडियो कहानियों को पसंद करते हैं। प्रभास द्वारा समर्थित और थाला वैष्णव और प्रमोद उप्पलापति द्वारा स्थापित "द स्क्रिप्ट क्राफ्ट" नए लेखकों के लिए एक अद्भुत अवसर प्रस्तुत करता है, जहां वे अपनी रचनात्मकता को दुनिया के सामने ला सकते हैं और अपनी कहानी कहने की क्षमता को निखार सकते हैं।
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टाइम्स नेटवर्क ने इंटर्नशिप के लिए आवेदन मांगे हैं, जिसमें खेल और सोशल मीडिया में रुचि रखने वाले उम्मीदवारों के लिए बेहतरीन अवसर है। यह इंटर्नशिप नोएडा लोकेशन के लिए है और इसमें पिकलबॉल जैसे खेल से जुड़े कंटेंट और सोशल मीडिया पर इसकी पहल को संभालने की जिम्मेदारी होगी। आवश्यकताएं: 1. पिकलबॉल से संबंधित कंटेंट और सोशल मीडिया गतिविधियों का प्रबंधन करना। 2. सोशल मीडिया, विशेषकर इंस्टाग्राम की अच्छी समझ होना। 3. खेल के प्रति जुनून रखने वाले व्यक्ति होना चाहिए। उम्मीदवार इस इंटर्नशिप के लिए दिए गए QR कोड को स्कैन कर आवेदन कर सकते हैं। यह इंटर्नशिप उनके लिए खास मौका है जो खेल और सोशल मीडिया दोनों में रुचि रखते हैं और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं।
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सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया (SPNI) ने सिबाजी बिस्वास को अपना नया चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) नियुक्त किया है। वह जनवरी 2025 से अपनी नई जिम्मेदारी संभालेंगे। इस भूमिका में सिबाजी SPNI की वित्तीय रणनीति, कॉर्पोरेट फाइनेंस और प्लानिंग का नेतृत्व करेंगे, जिसमें कंपनी की परिचालन दक्षता को बढ़ाने और चैनलों एवं डिजिटल प्लेटफार्मों के विविध पोर्टफोलियो में विस्तार में सहयोग करने पर ध्यान दिया जाएगा। सिबाजी बिस्वास को वित्तीय नेतृत्व और रणनीतिक परिवर्तन में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। इससे पहले, वह Syngene International (बायोकॉन ग्रुप की सहायक कंपनी) में CFO और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। वहां उन्होंने कंपनी के राजस्व को दोगुना करने और बाजार पूंजीकरण को तीन गुना करने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में सप्लाई चेन और डिजिटल परिवर्तन के कार्य सफलतापूर्वक किए गए, जिससे कंपनी को दीर्घकालिक सफलता के लिए तैयार किया गया। अपने करियर के शुरुआती दौर में, सिबाजी ने वोडाफोन में 12 साल बिताए, जहां उन्होंने विभिन्न नेतृत्व भूमिकाएं निभाईं। वे वोडाफोन रोमानिया के CFO, कॉर्पोरेट डेवलपमेंट के EVP, और हेड ऑफ प्रोक्योरमेंट जैसे पदों पर रहे। उन्होंने भारत सहित अन्य बाजारों में कंपनी के रणनीतिक विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, उन्होंने हचिसन इंडिया में हेड ऑफ कॉर्पोरेट फाइनेंस के रूप में भी कार्य किया, जहां कंपनी की वित्तीय रणनीतियों को मजबूत करने में योगदान दिया। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO, गौरव बनर्जी ने सिबाजी के इस नियुक्ति का स्वागत किया और कहा, "सिबाजी की वित्तीय विशेषज्ञता और रणनीतिक दृष्टिकोण SPNI के नेतृत्व टीम के लिए महत्वपूर्ण होंगे। उनका अनुभव परिचालन दक्षता को बढ़ाने और जटिल वित्तीय क्षेत्रों में मार्गदर्शन करने में सहायक होगा, जिससे हम अपने ब्रैंड को मजबूत कर सकते हैं और दर्शकों के अनुभव को और भी बेहतर बना सकते हैं। हमें उनके योगदान का बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि हम विकास के इस नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं।"
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बहुप्रतिष्ठित बिजनेस पत्रिका 'बिजनेस टुडे' के संपादक सौरव मजूमदार ने इस प्रतिष्ठित प्रकाशन को अलविदा कह दिया है। मजूमदार ने अपने लिंक्डइन पोस्ट के जरिए अपनी टीम का आभार जताया और पिछले तीन सालों में बनी “अनमोल” यादों को साझा किया। सौरव मजूमदार ने लिंक्डइन पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि बिजनेस टुडे में अपने आखिरी दिनों में वह टीम और सहकर्मियों द्वारा मिले प्यार और सम्मान से अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि बिजनेस टुडे के संपादक के रूप में काम करना और ब्रांड को BT मल्टीवर्स में बदलने की रोमांचक यात्रा का हिस्सा बनना उनके लिए एक सौभाग्य की बात रही है। यहां बिताए गए तीन से अधिक वर्षों की यादें हमेशा उनके दिल में रहेंगी और उनके लिए यह अनमोल हैं। तीन दशकों के समृद्ध करियर वाले सौरव मजूमदार का नाम वित्तीय पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रमुखता से लिया जाता है। 'बिजनेस टुडे' के संपादक के रूप में, उन्होंने कॉर्पोरेट और वित्तीय बाजारों पर गहरी जानकारी के साथ बिजनेस न्यूज को एक नई दिशा दी। इसके पहले, वह 'फॉर्च्यून इंडिया' और 'फोर्ब्स इंडिया' के संपादक भी रह चुके हैं, जहां उन्होंने बिजनेस पत्रकारिता में अपनी खास पहचान बनाई। 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' में उन्होंने प्रमुख संपादकीय पहल का नेतृत्व किया और 'बिजनेस स्टैंडर्ड' कोलकाता के रेजिडेंट एडिटर के रूप में भी कई महत्वपूर्ण कॉर्पोरेट घटनाओं को कवर किया। प्रिंट, डिजिटल, वीडियो और ऑनलाइन पत्रकारिता में महारत रखने वाले सौरव मजूमदार ने भारत के मीडिया क्षेत्र में अपनी विशेष जगह बनाई है।
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प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। वे दिल्ली एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम गंभीर स्थिति में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके निधन पर पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, शारदा सिन्हा जी का निधन हम सभी के लिये अपूरणीय क्षति हैं। बरसों पुराना रिश्ता रहा आपसे। सालों पहले पटना वाले आपके घर पर जाकर मैंने “बेटियाँ” कार्यक्रम आपके साथ रिकॉर्ड किया था। ना जाने कितने अनगिनत गाने आपने मुझे सुनाये थे उस दिन। माँ सरस्वती का साक्षात आशीर्वाद था आपको। हरा पान खाने की आप ख़ूब शौकीन थीं। मुझसे बातचीत में कहा कि चित्रा यही एक बुराई है जो मुझसे नहीं छूटती। मैंने प्यार किया फ़िल्म में जब आपने गाना गया - कहे तोसे सजना” इसके बाद आपको फ़िल्म इंडस्ट्री से तमाम ऑफ़र आये। सबने कहा कि बिहार छोड़कर मुंबई में बस जाओ, लेकिन आपने बिहार को नहीं छोड़ा। शारदा जी आप हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन यकीन मानिये पटना में जब आज आप पंचतत्व में विलीन हो रही होंगी तो ठीक उसी समय वो तमाम छठ व्रती जो देश और दुनिया के किसी भी कोने में होंगे वो आपके गाये हुए छठ गीत को सुनकर आपको अंतिम विदाई दे रहे होंगे।
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प्राइम वीडियो ने हिंदी ओरिजिनल फिल्मों के हेड के तौर पर चेतन झावर को नियुक्त किया है। चेतन झावर इससे पहले नेटफ्लिक्स इंडिया में इंटरनेशनल ओरिजिनल फिल्मों का प्रबंधन संभाल रहे थे। चेतन झावर ने लगभग 6 साल नेटफ्लिक्स में काम किया। उन्होंने नेटफ्लिक्स के इंटरनेशनल ओरिजिनल फिल्म सेक्शन में क्रिएटिव हेड के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाई और अपनी रचनात्मक दृष्टि से इस क्षेत्र में कई योगदान दिए। नेटफ्लिक्स से पहले, झावर AltBalaji से जुड़े हुए थे, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा से डिजिटल कंटेंट की दुनिया में एक मजबूत पहचान बनाई। इसके अलावा, झावर स्टार टीवी नेटवर्क के साथ भी काम कर चुके हैं और वहां भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। प्राइम वीडियो में उनकी नई भूमिका के साथ, उम्मीद की जा रही है कि वह हिंदी ओरिजिनल फिल्मों में नए और रोमांचक कंटेंट को दर्शकों तक पहुंचाने में मदद करेंगे।
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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) ने वाइस चांसलर (कुलगुरु) के रिक्त पद पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह विज्ञापन 30 अक्टूबर, 2024 को जारी किया गया है। विश्वविद्यालय में चयन हेतु निर्धारित योग्यताएं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अधिनियम, 1990 के तहत निर्धारित की गई हैं, जिसका विस्तृत विवरण विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (http://www.mcu.ac.in) पर उपलब्ध है। इच्छुक उम्मीदवार सभी आवश्यक योग्यताओं और प्रमाणित अनुभवों के साथ अपना आवेदन 14 नवंबर, 2024 तक शाम 5 बजे तक MCU के रजिस्ट्रार कार्यालय, भोपाल में जमा कर सकते हैं। आवेदन पत्र डाक द्वारा भी भेजा जा सकता है या ईमेल (registrar@mcu.ac.in) पर सबमिट किया जा सकता है। बता दें कि अंतिम तिथि के बाद प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दिए गए विवरणों को देख सकते हैं या MCU के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। डाक द्वारा आवेदन पत्र भेजने का पता: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, माखनपुरम, शूटिंग एकेडमी के सामने, बिशनखेड़ी, भोपाल, मध्य प्रदेश (462044)
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केबल टीवी, डिजिटल टीवी और इंटरनेट के आने से पहले दूरदर्शन हर भारतीय घर का अभिन्न हिस्सा था। उस समय दूरदर्शन के न्यूजरीडर्स और एंकर्स बिना किसी सनसनी के, सरल और निष्पक्ष तरीके से खबरें प्रस्तुत करते थे। इन्हीं में से एक थे शम्मी नारंग, जो जाने-माने न्यूज एंकर और वॉयस ओवर आर्टिस्ट रहे हैं। इस बार 3 नवंबर को 'डीडी न्यूज' के स्थापना दिवस पर शम्मी नारंग विशेष रूप से फिर से 'डीडी न्यूज' के मंच पर लौटे। दूरदर्शन का यह न्यूज चैनल, जो 24 घंटे खबरें प्रसारित करता है, 2003 में शुरू हुआ था रविवार को शम्मी नारंग ने दर्शकों के लिए एक “विशेष सरप्राइज” के रूप में बुलेटिन पढ़ा। वीडियो में वे कहते हैं, “यह ऐसा है जैसे दुल्हन अपने मायके लौट रही हो।” उन्होंने इस अनुभव को अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा, “लगभग 23 साल बाद, मैंने @DDNewslive के स्थापना दिवस पर बुलेटिन पढ़ा, जो मेरे लिए भी एक खास अनुभव था।” इस वीडियो को 16,000 से अधिक व्यूज मिल चुके हैं और इसे देखकर लोग अपने पुराने दिनों की यादों में खो गए। एक यूज़र ने लिखा, “बहुत सुंदर और भावुक कर देने वाला अनुभव। ये हमें उन दिनों में वापस ले गया जब न्यूज देखना एक खास आयोजन होता था। आपकी आवाज सुनना बहुत भावुक कर गया, ईश्वर आपका भला करे।” एक और यूज़र ने टिप्पणी की, “वो अच्छे दिन थे जब आप, सलमा सुल्तान, मीना तलवार और सरला एम न्यूज़ एंकर हुआ करती थीं। असली खबरें होती थीं, बिना शोर-शराबे के, बिना व्यक्तिगत राय के और बिना किसी बहस के।” एक तीसरे यूज़र ने लिखा, “अच्छा लगा ये देखना और उन दिनों को याद करना जब मैं 8:40 बजे का समाचार अपने माता-पिता के साथ देखता था।” बता दें कि 'डीडी न्यूज' हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू और संस्कृत में रोजाना खबरें प्रसारित करता है। चैनल पर रोजाना 17 घंटे से अधिक का लाइव प्रसारण और 30 से अधिक न्यूज़ बुलेटिन प्रसारित किए जाते हैं, जो दर्शकों को हर भाषा में खबरों से जोड़ने का काम करते हैं।
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BARC इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, 'एनडीटीवी इंडिया' ने हिंदी न्यूज HSM कैटेगरी में 2% बाजार हिस्सेदारी दर्ज की है। मार्च 2022 में, एनडीटीवी ने BARC सिस्टम से बाहर निकलने का निर्णय लिया था। उन्होंने इसके पीछे कई कारण बताए थे, जैसे कि मीटरों की कमी, सिस्टम में कमजोरियां, पारदर्शिता का अभाव और भ्रष्टाचार की धारणा। एनडीटीवी ने तब कहा था, "एनडीटीवी ने बार-बार इस ओर इशारा किया है कि यदि बार्क एक ऐसी मापन प्रणाली (measurement process) सुनिश्चित करने के लिए गंभीर है, जिसमें हेराफेरी या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है, तो एक बड़े सैंपल साइज (मीटर) की आवश्यकता है।‘ उनका कहना था कि रेटिंग में गड़बड़ी उजागर होने से वर्षों पहले से एनडीटीवी इस सिस्टम की तमाम कमजोरियों की ओर इशारा कर रहा है। दुर्भाग्य से, टीआरपी की रिपोर्टिंग फिर से शुरू करने के लिए बार्क जो बदलाव पेश कर रहा है, वे चिंताजनक रूप से अपर्याप्त हैं। ‘एनडीटीवी’ ग्रुप की प्रेजिडेंट सुपर्णा सिंह ने कहा था, "दुर्भाग्यवश, BARC द्वारा TRP रिपोर्टिंग फिर से शुरू करने पर जो बदलाव किए जा रहे हैं वे बेहद अपर्याप्त हैं।" इसके साथ ही सुपर्णा सिंह का यह भी कहना था कि ब्रॉडकास्टर को बार्क इंडिया की रेटिंग प्रणाली को फिर से शुरू किए जाने पर तक इसे सबस्क्राइब करना सुसंगत नहीं लगता, जब तक कि इसमें आवश्यक सुधार नहीं हो जाते। उन्होंने कहा था कि बार्क को ज्यादा मीटर लगाने और अधिक पारदर्शी बनाने की जरूरत है। अब एनडीटीवी का वापस आना दर्शाता है कि वे अपने दर्शकों और बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं।
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भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग की और चुनाव आयोग ने कल इसकी घोषणा कर दी। ऐसा ही हरियाणा में हुआ था और वहां अप्रत्याशित चुनाव परिणाम आये थे। अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग पूरी कर दी गई है। खबर बड़ी है लेकिन वैसे छपी नहीं है। अंग्रेजी अखबारों में सिर्फ द हिन्दू में सेकेंड लीड है। कई अखबारों में यह पहले पन्ने पर नहीं है या छोटी सी है। अमर उजाला में यह दो कॉलम में है। खबर के अनुसार, अब 13 नवंबर को इन सीटों पर वोट नहीं डाले जाएंगे। नए शेड्यूल के मुताबिक इन सभी सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी। विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाया है और कहा है कि चुनाव टालने से योगी आदित्यनाथ सरकार की अगुआई वाली भाजपा अपनी हार नहीं टाल सकती। दूसरी ओर, इस निर्णय़ को उचित ठहराने के लिए दलील दी गई है कि 13 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है। गंगा स्नान के चलते बीजेपी और रालोद ने चुनाव की तारीखों में बदलाव की मांग की थी। अमर उजाला की खबर, “तीन राज्यों की 14 सीटों पर अब 20 को मतदान” में कहा गया है, यूपी में भाजपा, बसपा और रालोद ने कहा था कि कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को है। कांग्रेस ने कहा था कि केरल की पलक्कड़ विधानसभा सीट पर बड़ी संख्या में मतदाता 13 से 15 नवंबर तक कल्पती रथोत्सवम का त्योहार मनाएंगे। पार्टी ने कहा था कि पंजाब में 15 नवंबर को श्री गुरु नानक देव के 555वां प्रकाश पर्व है। इसके लिए अखंड पाठ 13 नवंबर से शुरू हो जाएगा। इस लिहाज से अगर यह मान लिया जाये कि चुनाव की तारीख बढ़ाना बिल्कुल जायज है तो सवाल पैदा होता है कि पहले की तारीखें घोषित करने से पहले इन बातों का ख्याल क्यों नहीं रखा गया? अगर 13 तारीख को मतदान वाले कुछ चुनाव क्षेत्रों में लोगों और उम्मीदवारों को राहत दी जा रही है तो सबको क्यों नहीं? त्यौहार का कारण अपनी जगह है लेकिन चुनाव प्रचार और उसके लिए समय भी कोई चीज है। किसी चुनाव क्षेत्र में उम्मीदवारों और मतदाताओं को कम या ज्यादा समय क्यों? चुनाव की तारीख तय करना और समय पर चुनाव कराना – चुनाव आयोग के दो महत्वूपूर्ण कार्यों में है। चुनाव आयोग इन दो कामों में लगातार चूक रहा है और चिट्ठी लिखने में उस्तादी दिखा रहा है। चिट्ठी लिखना और किसी पार्टी की छवि खराब करना (या बनाना) चुनाव आयोग का काम नहीं है। कुल मिलाकर, चुनाव आयोग अपने मूल काम में कमजोर दिख रहा है। अखबारों ने तारीख बदलने के कारण बताये हैं लेकिन इससे ज्यादा जरूरी यह बताना है कि पहले की तारीखें घोषित करने में इन बातों का ख्याल क्यों नहीं रखा गया या इन त्यौहारों के बावजूद चुनाव रखा ही क्यों गया था? अखबारों में इसके जवाब के बिना खबर अधूरी है। समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव की तारीखों में बदलाव को लेकर बीजेपी पर जोरदार हमला बोला है। यह भी खबर है और इसलिए भी इसे पहले पन्ने पर होना चाहिये था। सपा प्रवक्ता आजम खान ने कहा, “चुनाव में हार के डर से चुनाव की तारीखों को आगे बढ़ाया जा रहा है। आरोप है कि बीजेपी चुनावी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है। कहा कि इसका असर चुनाव के नतीजों पर नहीं पड़ेगा। समाजवादी पार्टी उपचुनाव में जीत दर्ज करेगी।” चुनाव की तारीख में बदलाव को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर बीजेपी पर निशाना साधा, लिखा – “टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे! पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाक़ी सीटों के उपचुनाव की तारीख़, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी। दरअसल बात ये है कि यूपी में ‘महा बेरोज़गारी’ से जो लोग पूरे देश में काम-रोज़गार के लिए जाते हैं। वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर यूपी आए हुए हैं। उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालनेवाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया। इससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं।” ऐसा नहीं है कि ये तर्क निराधार हैं और कांग्रेस ने भी मांग की थी इसलिए तारीख बदल दिया जाना जायज हो गया है। महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में भाजपा का मुद्दा हिन्दू-मुसलमान है और कल प्रधानमंत्री ने अपने भाषण से साबित कर दिया कि वे अपने मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व सरमा से अलग बिल्कुल नहीं हैं। ऐसे में आज कनाडा में मंदिर पर खालिस्तान समर्थकों का हमला, शीर्षक लीड अमर उजाला में छह कॉलम में है। इसके बुलेट प्वाइंट से प्रधानमंत्री और सरकार की परेशानी का पता चलता है। पीएम मोदी का सख्त बयान : जानबूझकर किया गया हमला निन्दनीय …. भारतीय राजनयिकों को डराना कायरता। प्रदर्शनकारियों ने श्रद्धालुओं को लाठी-डंडों से पीटा। कनाडा पुलिस ने भी दिया हिसंक भीड़ का साथ : हमले के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे तीन लोगों को ही कर लिया गिरफ्तार। मैं इस खबर पर कुछ नहीं कहूंगा पर बताना चाहूंगा कि नवोदय टाइम्स में यह खबर लीड नहीं है। चार कॉलम की खबर जरूर है। कनाडा के मंदिर में हिंसा, भारत ने कड़ा विरोध जताया। इसमें कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की यह अपील भी है कि सरकार सख्ती से विरोध करे। मतलब कड़ा विरोध पर्याप्त नहीं है। जो भी हो, भारत में 10 साल से भाजपा के सत्ता में होने के बावजूद अगर हिन्दू खतरे में हैं और बंटेंगे तो कटेंगे तथा विपक्ष सत्ता में आ गया तो जो सब होने की जानकारी प्रधानमंत्री ने दी है और चुनाव आयोग ने चुप-चाप सुना है तो जाहिर है आरएसएस अभी पर्याप्त मजबूत और सक्षम नहीं हुआ है। खबर यह होनी चाहिये थी आरएसएस और भाजपा को अभी मजबूत किये जाने की जरूरत है और तब तक इन्हें सत्ता किसी और को सौंप देनी चाहिये जो इनसे बेहतर सरकार चलाते थे और भ्रष्टाचार किया भी तो पकड़ा नहीं गया न कि इलेक्टोरल बांड जैसा कुछ गैर कानूनी किया। सुप्रीम कोर्ट की हालत यह बना दी कि इसपर और कई अन्य मामलों में कार्रवाई तो नहीं ही हुई। आज मुख्य न्यायाधीश ने जो कहा है वह प्रचारक जैसा है। नवोदय टाइम्स में शीर्षक है, “भारतीय समाज मजबूत, संविधान पर कोई खतरा नहीं : सीजेआई। कहने की जरूरत नहीं है सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग, सीबीआई की भूमिका, ईडी का दुरुपयोग आदि ही नहीं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपालों के चुनाव प्रचार भी बताते हैं कि संविधान खतरे में है। चुनावी पूर्वानुमान गलत होने लगे हैं, ईवीएम शक के घेरे में है और संतोषजनक जवाब नहीं हैं। एक समय ईवीएम का विरोध करने वाले अब सरकार के साथ हैं। ईवीएम पर चुप हैं और सरकार उनके समर्थन से टिकी हुई है। दूसरी ओर, एक साल पहले ईडी ने उन्हें जिस घोटाले में गिरफ्तार किया था अब उसके पास उसमें उनके शामिल होने का कोई संबंध नहीं है। आप समझ सकते हैं कि क्या कैसे हुआ होगा और क्या चल रहा है। उधर, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में चुनाव नहीं हुए, जब हुए तो भाजपा जीत नहीं पाई और अब तक सरकार बन गई है तो पीडीपी के सदस्य ने अनुच्छेद- 370 पर प्रस्ताव पेश किया। भाजपा सदस्यों ने इसका विरोध किया है। दि एशियन एज में यह खबर फोटो के साथ पांच कॉलम में छपी है। इंडियन एक्सप्रेस में दो कॉलम की खबर है और एक कॉलम की फोटो। संविधान पर हमले का एक और उदाहरण जेपीसी का काम और उसमें भाजपा सदस्यों की भूमिका है। इसका नतीजा यह है कि सेबी प्रमुख, माधवी पुरी बुच संसदीय समित के समझ उपस्थिति ही नहीं हुईं। आज इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार संयुक्त संसदीय समिति के विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल पर एकतरफा फैसलों का आरोप लगाया है और कहा है कि वे जेपीसी से अलग होने के लिये मजबूर हो सकते हैं। खबर है कि विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को इस मामले पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात करने वाले हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के नाम लिखे पत्र में यह दावा भी किया कि समिति की कार्यवाही में उनको अनसुना किया गया। खबर है कि विपक्षी सांसद मंगलवार को इस मामले पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलेंगे। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के नाम लिखे पत्र में यह दावा भी किया कि समिति की कार्यवाही में उनको अनसुना किया गया। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर पहले पन्ने पर एक कॉलम में है। दूसरे अखबार में यह खबर दिखी नहीं। तीन नंवंबर की तारीख वाले इस पत्र पर छह विपक्षी सांसदों के दस्तखत हैं। इनमें एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, द्रमुक के एमएम अब्दुल्ला और तृणणूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमूल हक शामिल हैं। आज इन और ऐसी खबरों के बीच, “पटाखों पर प्रतिबंध के निर्देशों पर अमल नहीं होने पर चिन्ता” कई अखबारों में लीड है। उदाहरण के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया में यह पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर लीड है जबकि हिन्दुस्तान टाइम्स में यह पहले पन्ने पर लीड है। शीर्षक है, वायु संकट के बीच पटाखों पर प्रतिबंध के उल्लंघन की सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की। टाइम्स ऑफ इंडिया का शीर्षक है, पटाखों पर प्रतिबंध का उल्लंघन कैसे हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, सरकार को नोटिस भेजा। टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड कनाडा के मंदिर और वहां हिन्दुओं पर हमले की प्रधानमंत्री ने आलोचना है। पर दिलचस्प खबर दि एशियन एज में है। इसके अनुसार प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया है – जेएमएम कांग्रेस घुसपैठियों का गठजोड़ है। मेरे लिये तो यह समझना मुश्किल है कि ऐसा कैसे कहा जा सकता है। इसका आधार या सिर पैर कहां -क्या होगा। पर प्रधानमंत्री हैं, कहा है तो खबर है ही। इसका फ्लैग शीर्षक है, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण की राजनीत चरम पर। मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि अपनी कमजोरी को स्वीकार करने का यह कौन सा तरीका है। अगर यह गलत है और भ्रष्टाचार तो गलत है ही, तो केंद्र में प्रधानमंत्री के पद पर बैठकर नरेन्द्र मोदी 10 साल से क्या कर रहे हैं? जनता को लगेगा कि राज्य सरकार भ्रष्ट है तो हटा ही देगी जैसे 2014 में केंद्र सरकार को हटाया था पर ना खाउंगा ना खाने दूंगा के बावजूद झारखंड की सरकार भ्रष्टाचार करती रही तो आप क्या कर रहे थे? स्थिति यह है कि वाशिंग मशीन में धुले सभी दलों के भाजपाई नेताओं और इलेक्टोरल बांड के रूप में मौजूद दस्तावेज भाजपा के बड़े भ्रष्टाचार की कहानी कहते हैं फिर भी प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के ऐसे हल्के और हवाई आरोपों से क्या उम्मीद कर रहे हैं। वे ऐसे आरोप लगा रहे हैं और मीडिया कुछ कह-लिख या बता नहीं पा रहा है यह उसके शीघ्र पतन का लक्ष्ण है। आप जानते हैं कि आप आदमी पार्टी ने दिल्ली के उपराज्यपाल को इस बारे में पहले ही लिखा था अब दिल्ली सरकार से पूछा जा रहा है। आग जो होगा वह तो बाद में पता चलेगा पर सबको पता है कि पटाखों को हिन्दुओं के त्यौहार से जोड़ दिया गया था, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और पिछली बार तो भाजपा के कई नेताओं ने खुलेआम प्रतिबंध का उल्लंघन किया। पटाखा समर्थकों को यह बताने-समझाने की कोई कशिश नहीं हुई कि इस धार्मिक उत्साह और प्रतिबंध के उल्लंघन का असर आम लोगों के साथ बच्चों-बुजर्गों और बीमारों पर होगा।
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BW बिजनेसवर्ल्ड ने हाल ही में अपनी नई अंक जारी किया है, जिसमें भारत में बदलती लग्जरी की परिभाषा और त्योहारी सीजन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण पर गहराई से विचार किया गया है। इस अंक में विशेष रूप से उन तरीकों पर प्रकाश डाला गया है जिनसे लग्जरी ब्रैंड्स उपभोक्ताओं की बदलती पसंद को ध्यान में रखते हुए खुद में बदलाव ला रहे हैं और टिकाऊ व तकनीकी समायोजन कर रहे हैं। इस अंक में लग्जरी क्षेत्र में बढ़ती टिकाऊपन और तकनीकी विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो आज के जागरूक उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करता है। इस बदलाव से पता चलता है कि कैसे ब्रैंड्स उपभोक्ता की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए अपने उत्पादों में बदलाव कर रहे हैं। इस अंक की कवर स्टोरी में बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना शामिल हैं, जिन्होंने स्टाइल, लग्जरी और दर्शकों के साथ सार्थक संबंधों पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लग्जरी ब्रैंड्स को अपने ग्राहकों के साथ ठोस और सार्थक जुड़ाव बनाना चाहिए। इस सोच को कई इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने भी समर्थन दिया है और आने वाले रुझानों पर अपने विचार साझा किए हैं। इस अंक में यह भी बताया गया है कि अत्याधुनिक तकनीक लग्जरी सेक्टर में कैसे बदलाव ला रही है। ग्राहक अनुभव को और अधिक निजीकरण की ओर ले जाते हुए, तकनीक न केवल उपभोक्ताओं के लिए विशेष अनुभव देने में मददगार है, बल्कि यह ब्रैंड्स को उनकी टिकाऊ यात्रा में भी सहायक सिद्ध हो रही है। डेटा-ड्रिवन इनसाइट्स का उपयोग करके, लग्जरी ब्रैंड्स ऐसे अनूठे अनुभव बना रहे हैं जो ग्राहकों की व्यक्तिगत पसंद के अनुकूल हों, जिससे उनकी सफलता सुनिश्चित होती है। इस अंक में एक और महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान दिया गया है, जो भारत के लग्जरी बाजार में बड़ा बदलाव ला रहा है- सेकेंड-हैंड लग्जरी मार्केट। एक अनुमान के अनुसार, यह सेक्टर 2032 तक 1,556.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। खासकर जागरूक उपभोक्ता अब अधिक टिकाऊ विकल्प के तौर पर प्री-ओन्ड लग्जरी वस्तुओं को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे कई बड़े लग्जरी ब्रैंड्स भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इस विशेष अंक में भारत के त्योहारी सीजन, खासकर दीवाली का आर्थिक प्रभाव भी विश्लेषण किया गया है। Flipkart और Amazon जैसे बड़े रिटेल ब्रैंड्स ने अक्टूबर से दिसंबर के बीच बिक्री में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि की उम्मीद जताई है। इसी तरह, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी त्योहारी छूट, नए मॉडल्स की लॉन्चिंग और उपभोक्ता मांग के कारण 15-20 प्रतिशत तक की बिक्री वृद्धि का अनुमान है। ज्वेलरी बाजार में भी त्योहारी सीजन एक महत्वपूर्ण अवसर लेकर आता है, विशेष रूप से युवा ग्राहकों की बढ़ती रुचि के कारण। इस अवधि में सोने की खरीददारी को भी शुभ माना जाता है, जो समृद्धि का प्रतीक है। त्योहारी सीजन केवल आभूषण ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान और FMCG जैसे अन्य उद्योगों के लिए भी एक वरदान साबित होता है। खुदरा विक्रेता आकर्षक छूट और ऑफर्स के साथ उपभोक्ताओं को लुभाते हैं, जिससे बाजार में तेजी आती है। सांस्कृतिक उत्सवों और आर्थिक समृद्धि के बीच का यह गहरा संबंध आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अवधि में स्टॉक मार्केट में भी वृद्धि देखी जाती है, जो समृद्धि और शुभता से जुड़ा हुआ है। BW Businessworld की यह नई अंक डिजिटल और प्रिंट दोनों प्रारूपों में उपलब्ध है। अधिक जानकारी और सभी खबरों को विस्तार से पढ़ने के लिए BW Businessworld की नवीनतम डिजिटल संस्करण पर क्लिक करें।
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प्रसार भारती में वेब डेवलपर के पदों पर वैकेंसी है. आवेदक के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बीटेक, एमसीए या एमएससी की डिग्री होनी अनिवार्य है. इसके अलावा उम्र सीमा 38 वर्ष और संबंधित क्षेत्र में करीब 6 वर्ष के कामकाज का अनुभव होना भी जरूरी है. वेब डेवलपर (PHP) के पद पर चयनित होने वाले उम्मीदवार को प्रति माह 1,20,000 रुपये वेतन दिया जाएगा. एग्जाम और इंटरव्यू के बाद पोस्टिंग दिल्ली में दी जाएगी. यह पद कांट्रैक्ट बेस पर हैं जिसकी अवधि दो वर्ष रहेगी और कुल तीन पद हैं. अधिक जानकारी व आवेदन करने के लिए https://prasarbharati.gov.in/pbvacancies/ पर जाये
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यूपी के गाजियाबाद में एक खबर प्रकाशित करने पर संपादक इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर पीसीआई (प्रेस क्लब ऑफ इंडिया) ने कड़ी निंदा की है। पीसीआई ने एक ट्वीट कर लिखा है कि- “हम यूपी के गाजियाबाद में पत्रकार इमरान खान की रिपोर्टिंग को लेकर हुई गिरफ्तारी से चिंतित हैं। उनकी रिपोर्टिंग लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान एक विपक्षी नेता की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कवरेज पर आधारित थी। चुनाव के महीनों बाद स्थानीय सांसद की शिकायत पर यूपी पुलिस ने करीब एक महीने पहले एफआईआर दर्ज की और कल सुबह उसे गिरफ्तार कर लिया। मैसेंजर को गोली मारना अब पूरे देश में एक नई सामान्य बात बन गई है। हम आग्रह करते हैं यूपी सरकार पत्रकारों की कार्यप्रणाली और कामकाज के संबंध में पुलिस कर्मियों को जागरूक करे।” बता दें कि गाजियाबाद में लोकसभा चुनाव के दौरान इमरान खान ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा के एक भाषण को लेकर सांसद व पूर्व मंत्री अतुल गर्ग को लेकर एक लेख प्रकाशित किया था, जिसके बाद अतुल गर्ग ने कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इमरान को इसी मामले में अब गिरफ्तार कर लिया गया है।
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अयोध्या नगरी 25 लाख से ज़्यादा दीपों के बीच जगमगायी। दीपोत्सव का दिव्य नज़ारा देखने को मिला। अय़ोध्या के 55 घाटों पर एक साथ 25 लाख 12 हजार 585 दीए जलाकर गिनीज़ बुक का विश्व रिकॉर्ड बनाया गया। सरयू के तट पर 1,121 वेदाचार्यों ने एक साथ सरयू की आरती की। ऐसा अयोध्या में पहली बार हुआ है। अयोध्या में सनातन धर्म की विरासत औऱ त्रेतायुग की दिवाली की झलक दिखाई दी। दीपोत्सव से पहले 1,121 संतों-महंतो ने सरयू घाट पर भव्य आरती की। योगी ने दीपोत्सव पर राजनीति करने वालों को करारा जवाब दिया। सनातन धर्म का विरोध करने वालों को कड़ी चेतावनी दी। राम मंदिर के निर्माण पर योगी आदित्यनाथ ने डंके की चोट पर कहा कि हमने जो कहा वह करके दिखाया। अयोध्या में रिकॉर्ड दीये जलाने के उत्सव में कई संदेश छिपे हैं। एक तो ये कि रामलला के मंदिर में विराजमान होने के बाद ये दीपोत्सव का पहला उत्सव है, जो याद दिलाता है कि नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के निर्माण का वादा पूरा किया। इसलिए योगी ने याद दिलाया, जो कहा वह करके दिखाया है। दूसरा, दीपोत्सव के बहाने योगी ने हिंदू समाज को एक होने का आह्वान किया। सनातन पर हमला करने वालों को चेतावनी दी। तीसरी बात, राम मंदिर को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपनी गलती दोहराई। उन्होंने एक बार फिर अयोध्या में दीपोत्सव का विरोध किया। एक ने भेदभाव का नाम लिया तो दूसरे ने दीयों के तेल से फैलने वाली गंदगी को बहाना बनाया। अयोध्या में दिवाली के अवसर पर दीपोत्सव के प्रति लोगों के उत्साह को देखते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का स्टैंड बचकाना लगता है। ये वही काम है जो उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के समय किया था । अयोध्या में राम का मंदिर बना है, रामलला विराजमान हुए हैं, इसके बाद पहली दीपावली है। सबको इसे मिलकर मनाना चाहिए। इसपर विवाद खड़ा करने का क्या फायदा? लेकिन विवाद सिर्फ अयोध्या के दीपोत्सव को लेकर नहीं हुआ, पटाखों और आतिशबाजी पर भी सवाल उठाए गए।
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हाल ही में सीएनएन के एक पत्रकार ने अल जज़ीरा के मुस्लिम पत्रकार मेहदी हसन के खिलाफ नस्लवादी बयानबाजी की थी. मामले में सीएनएन ने पत्रकार के अगेंस्ट सख्त कदम उठाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चैनल ने अपने पत्रकार रयान गिर्डुस्की को चैनल से बाहर कर दिया है. साथ ही सीएनएन ने अपने जर्नलिस्ट की इस हरकत पर माफी भी मांगी है. अमेरिका में रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प की रैली को लेकर सीएनएन पर डिबेट चल रहा था. चर्चा में बैठे सीएनएन के पत्रकार रयान गिर्डुस्की ने पत्रकार मेहदी हसन से कहा कि- “आपका बीपर बंद नहीं होगा.” इससे पहले हसन ने कहा- “वे फिलिस्तीनी सपोर्टर हैं.” सीएनएन ने अपने बयान में कहा- चैनल में नस्लवाद के लिए कोई जगह नहीं है. रयान गिर्डुस्की को हमारे नेटवर्क में कभी दोबारा नहीं आने दिया जाएगा.
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फ्लिपकार्ट इंटरनेट (Flipkart Internet) ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है। बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म 'टॉफलर' (Tofler) की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने इस वित्त वर्ष में कुल 17,907.3 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो सालाना आधार पर लगभग 21% की वृद्धि है। इसके साथ ही, कंपनी का घाटा 41% घटकर 2,358 करोड़ रुपये पर आ गया। यह लगातार दूसरा साल है जब फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 20% से अधिक वृद्धि दर्ज की है और घाटे में कमी आई है। वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने इस साल मार्केटप्लेस फीस से 3,734 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले वर्ष के 3,713.2 करोड़ रुपये से अधिक है। कलेक्शन सेवाओं से आय बढ़कर 1,225.8 करोड़ रुपये हो गई, जो पहले 1,114.3 करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञापन से हुई आय ने विभिन्न मार्केट फीस को भी पीछे छोड़ दिया है। फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति के मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करने के लक्ष्य के साथ, कंपनी की आय बढ़ी है और घाटा घटा है। संगठनात्मक पुनर्गठन के कारण कंपनी के संचालन खर्च भी कम हुए हैं, जो इसके मुनाफे में योगदान दे रहे हैं। फ्लिपकार्ट का बाजार खंड मुख्य रूप से विक्रेताओं से कमीशन, विज्ञापन और अन्य सेवाओं की फीस से कमाई करता है।
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डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है, लेकिन वह डिज्नी के साथ जुड़े रहेंगे। स्टार में विक्रम दुग्गल ने डिज्नी, पिक्सर, मार्वल, लुकासफिल्म, 20th सेंचुरी स्टूडियोज और सर्चलाइट पिक्चर्स जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स की वैश्विक फिल्मों और फॉक्स स्टार स्टूडियोज के तहत स्थानीय प्रोडक्शंस का जिम्मा संभाला है। उन्होंने देश में इन ग्लोबल फिल्मों की मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के अलावा, स्थानीय प्रोडक्शंस के लिए क्रिएटिव, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रैटजी का नेतृत्व किया है। उनके नेतृत्व में स्टूडियो का कारोबार उपभोक्ता, रचनात्मकता और स्थानीयकरण पर केंद्रित रहकर तेजी से बढ़ा है। उनके मार्गदर्शन में 'एवेंजर्स: एंडगेम' (2019 में भारत में नंबर 1 फिल्म), 'एवेंजर्स: इनफिनिटी वॉर', 'थॉर रग्नारोक', 'ब्लैक पैंथर', 'द लॉयन किंग' और 'फ्रोजन 2' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर नए रिकॉर्ड बनाए। इससे पहले, विक्रम ने स्टूडियोज बिजनेस के लिए मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का नेतृत्व किया था और डिज्नी इंडिया में कॉर्पोरेट रणनीति और बिजनेस ग्रोथ की जिम्मेदारियां भी संभाली थीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मीडिया नेटवर्क्स बिजनेस के लिए मार्केटिंग और डिजिटल इनीशिएटिव्स का नेतृत्व किया और भारत में डिज्नी के टीवी बिजनेस के निर्माण में रचनात्मक सहयोग किया। रिलायंस इंडस्ट्रीज और वॉल्ट डिज्नी कंपनी के स्टार इंडिया के बीच मर्जर नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे पहले डिज्नी स्टार के कंट्री मैनेजर और प्रेसिडेंट के. माधवन और डिज्नी + हॉटस्टार के प्रमुख सजीत सिवानंदन भी अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं
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इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म पर केंद्रित ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘गोवा क्रॉनिकल’ (Goa Chronicle) के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सावियो रोड्रिग्स ने हाल ही में अपने न्यूज पोर्टल को लेकर बड़ी घोषणा की। उन्होंने सोशल मीडिया पर संकेत दिए कि आर्थिक चुनौतियों और सच्चाई की पत्रकारिता के प्रति उनके समर्पण के चलते पोर्टल को जल्द ही बंद करने पर विचार किया जा सकता है। सावियो ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘गोवा क्रॉनिकल हमारी मेहनत, लगन और सच्ची पत्रकारिता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का परिणाम है। पिछले 14 वर्षों से हम सच्चाई का साथ देने के लिए कई कुर्बानियां कर चुके हैं, लेकिन अब इसे जीवित रखना कठिन हो गया है क्योंकि सच्चाई की पत्रकारिता लाभदायक नहीं है और हम सच्चाई से इतर कुछ भी नहीं लिख सकते।’ उन्होंने आगे कहा कि आने वाले हफ्तों में टीम को कुछ कठोर निर्णय लेने होंगे कि क्या इस राह पर चलना जारी रखा जाए या नहीं। दिल तो टूटेगा, पर एक हद के बाद आपको छोड़कर आगे बढ़ना ही होता है। उन्होंने अपने पाठकों से उन्हें याद रखने की अपील करते हुए कहा, ‘हमने हमेशा देश और मानवता के हित के लिए कठिनाइयों का सामना किया है।’
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जानी-मानी न्यूज एंकर प्रतिमा मिश्रा एक बार फिर ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) में शामिल हो गई हैं। उन्होंने यहां पर एंकर कम सीनियर स्पेशल करेसपॉन्डेंट के पद पर जॉइन किया है। इस बारे में प्रतिमा मिश्रा ने अपने ‘एक्स’ (X) हैंडल पर भी जानकारी शेयर की है। बता दें कि इससे पहले प्रतिमा मिश्रा करीब दो साल से 'टीवी9 भारतवर्ष' में स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट व एंकर की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। वह यहां ‘एबीपी न्यूज’ में अपनी करीब दस साल पुरानी पारी को विराम देकर आई थीं। उस समय वह एबीपी न्यूज में प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट व एंकर के पद पर कार्यरत थीं। मुंबई में जन्मी व दिल्ली-एनसीआर में पली-बढ़ी प्रतिमा मिश्रा ने ‘एबीपी न्यूज’ जून, 2012 में बतौर रिपोर्टर जॉइन किया था। उन्होंने अब तक देश में राजनीति, दंगे, अपराध, खेल, घोटाले और चुनावों पर रिपोर्टिंग की है। 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में उन्होंने बड़े पैमाने पर रिपोर्ट की, जिसने देश को हिलाकर रख दिया था। उन्होंने कश्मीर बाढ़, आईपीएल सीजन-8 और दिल्ली चुनावों को भी कवर किया है। इसके अलावा वर्ष 2020 में हुए हाथरस दुष्कर्म मामले में उन्होंने नॉनस्टॉप 27 घंटे रिपोर्टिंग की थी। प्रतिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के महाराजा अग्रसेन कॉलेज से पत्रकारिता में स्नातक किया और इसके बाद उन्होंने ‘सीएनएन-आबीएन’ में इंटर्नशिप की। प्रतिमा मिश्रा को 2017 में बहुप्रतिष्ठित अवॉर्ड रामनाथ गोयनका व 2021 में एक्सचेंज4मीडिया के बहुप्रतिष्ठित अवॉर्ड ‘enba’ से सम्मानित किया जा चुका है। Dakhal.Net की ओर से प्रतिमा मिश्रा को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई औऱ शुभकामनाएं
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भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने हाल ही में ग्राउंड-बेस्ड ब्रॉडकास्टर्स के लिए एक नियामक ढांचा विकसित करने के संबंध में एक परामर्श पत्र जारी किया है। यह पहल नॉन-सैटेलाइट ब्रॉडकास्टिंग तकनीकों के उपयोग और उनके नियमन पर स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रियाएं प्राप्त करने के लिए की गई है। इस पत्र का उद्देश्य भारतीय ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री में नये विकास और अवसरों को सामने लाना है, खासकर ग्राउंड-बेस्ड टेरेस्ट्रियल ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र वर्तमान स्थिति वर्तमान में, भारत में ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत काम कर रही है। ये दिशा-निर्देश टेलीविजन चैनलों को सैटेलाइट आधारित अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के माध्यम से कंटेंट वितरण प्लेटफॉर्म ऑपरेटरों (DPOs) तक पहुंचाने की अनुमति देते हैं। यह प्रणाली लंबे समय से उद्योग का मुख्य आधार रही है। हालांकि, नई तकनीकों के आगमन ने ग्राउंड-बेस्ड टेरेस्ट्रियल तकनीकों का उपयोग संभव बना दिया है। इससे न केवल ब्रॉडकास्टर्स को अधिक विकल्प मिलते हैं, बल्कि DPOs को भी वितरण के नए तरीके उपलब्ध होते हैं। ग्राउंड-बेस्ड चैनल, सैटेलाइट चैनलों की तरह ही, कई DPO नेटवर्क के माध्यम से वितरित किए जा सकते हैं, और व्यावसायिक शर्तों पर ग्राहकों तक पुनः प्रसारित किए जा सकते हैं। TRAI का उद्देश्य इस तकनीकी बदलाव को ध्यान में रखते हुए, TRAI का उद्देश्य एक ऐसा नियामक ढांचा तैयार करना है जो टेरेस्ट्रियल ब्रॉडकास्टिंग तकनीकों के उपयोग को सुगम बनाए और उद्योग के मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करे। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तकनीकी क्षेत्र में निरंतर परिवर्तन हो रहा है, और ब्रॉडकास्टर्स को नए समाधान और तकनीकें अपनाने की आवश्यकता है। पूर्वी सिफारिशें TRAI ने पहले भी नवंबर 2014 में MIB को प्लेटफॉर्म सेवाओं के नियमन पर कुछ सिफारिशें दी थीं, जिसमें ग्राउंड-बेस्ड ब्रॉडकास्टिंग से संबंधित तत्व शामिल थे। हालांकि, MIB ने 22 मई, 2024 को एक पत्र के माध्यम से बताया कि 2014 से अब तक इस संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बदलाव हो चुके हैं। इन परिवर्तनों की समीक्षा के बाद, MIB ने TRAI से अनुरोध किया है कि वह वर्तमान प्रसारण परिदृश्य के अनुसार नई सिफारिशें प्रदान करें। यह प्रक्रिया TRAI अधिनियम, 1997 की धारा 11(1)(a) के तहत की जा रही है, जो TRAI को अपने दायित्वों को निभाने का अधिकार देती है। ### परामर्श पत्र की प्रक्रिया TRAI ने इस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में परामर्श पत्र जारी किया है और इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रिया आमंत्रित की है। स्टेकहोल्डर्स को 15 नवंबर तक अपने लिखित सुझाव प्रस्तुत करने होंगे, जबकि काउंटर-कमेंट्स 29 नवंबर तक स्वीकार किए जाएंगे। यह प्रक्रिया विभिन्न खिलाड़ियों को अपनी आवाज उठाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, ताकि सभी संबंधित पक्षों की चिंताओं और सुझावों को ध्यान में रखा जा सके। संभावित लाभ TRAI का यह कदम भारतीय ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री में कई संभावित लाभ लेकर आ सकता है। सबसे पहले, यह ग्राउंड-बेस्ड ब्रॉडकास्टिंग के उपयोग को बढ़ावा देगा, जिससे दर्शकों को बेहतर और विविध सामग्री मिल सकेगी। इससे नई तकनीकों का विकास और अपनाना भी संभव होगा, जो कि इंडस्ट्री के लिए दीर्घकालिक लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा, इस कदम से न केवल ब्रॉडकास्टर्स के लिए बल्कि DPOs के लिए भी नए व्यापार मॉडल विकसित करने का अवसर मिलेगा। इससे वे अपने ग्राहकों के लिए अधिक मूल्य प्रदान कर सकेंगे। चुनौतियाँ हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियाँ भी हो सकती हैं। विभिन्न तकनीकों और मानकों के बीच संतुलन बनाना एक कठिन कार्य होगा। इसके अलावा, पुराने सैटेलाइट सिस्टम और नए ग्राउंड-बेस्ड सिस्टम के बीच समन्वय स्थापित करना आवश्यक होगा। इंडस्ट्री के विभिन्न हितधारकों के बीच मतभेद भी एक समस्या हो सकती है। इसीलिए, TRAI को एक ऐसा ढांचा विकसित करने की आवश्यकता है जो सभी पक्षों की चिंताओं का समाधान कर सके और इंडस्ट्री के विकास में सहायक हो। समापन भारतीय ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री में चल रहे इस परिवर्तन का TRAI द्वारा जारी परामर्श पत्र के माध्यम से एक महत्वपूर्ण दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी है। यह न केवल तकनीकी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह स्टेकहोल्डर्स के लिए संवाद और सहयोग का एक मंच भी प्रदान करता है। TRAI का यह प्रयास इंडस्ट्री के सभी खिलाड़ियों को एक साथ लाने और एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी ब्रॉडकास्टिंग वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके द्वारा न केवल उद्योग के वर्तमान परिदृश्य को बेहतर बनाया जाएगा, बल्कि यह भविष्य में भी नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। इस संदर्भ में, सभी स्टेकहोल्डर्स को अपनी राय और सुझाव प्रस्तुत करने का अवसर मिला है, जो कि उद्योग की दिशा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अब देखना यह है कि क्या TRAI और MIB इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू कर पाते हैं और ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में सक्षम होते हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार रजनीश आहूजा ने कुछ समय पहले ही देश के जाने-माने न्यूज नेटवर्क्स में शुमार ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज एंड प्रॉडक्शन) के रूप में कार्यभार संभाला है। रजनीश आहूजा की पहचान पारंपरिक पत्रकारिता को आधुनिक डिजिटल तकनीक के साथ कुशलतापूर्वक जोड़ने के लिए की जाती है। इस महत्वपूर्ण नेतृत्व भूमिका में उनका विजन ‘एबीपी न्यूज’ को नए युग में अग्रणी बनाने का है, जहां पारंपरिक पत्रकारिता और डिजिटल प्लेटफार्म्स के बीच सामंजस्य बैठाया जाएगा। ‘Dakhal News के साथ खास बातचीत में उन्होंने मीडिया के तेजी से बदलते परिदृश्य में ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) को आगे बढ़ाने के अपने विजन को साझा किया। इस बातचीत में रजनीश आहूजा ने स्पष्ट रूप से अपनी सोच और प्राथमिकताओं को शेयर किया। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश: आपने कुछ समय पहले ही ‘एबीपी नेटवर्क’ में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट के रूप में पदभार संभाला है। इस जिम्मेदारी को संभालते समय आपको सबसे बड़ी चुनौती क्या लगी और आपकी मुख्य प्राथमिकताएं क्या हैं? इस जिम्मेदारी को संभालना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण और रोमांचक दोनों रहा है। मीडिया परिदृश्य लगातार बदल रहा है और इन नए ट्रेंड्स के साथ तालमेल बिठाते हुए ‘एबीपी न्यूज’ की समृद्ध पारंपरिक विरासत को बनाए रखना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मेरी प्राथमिकता ‘एबीपी न्यूज’ को पुनः दर्शकों के बीच में अग्रणी स्थान दिलाना है। हमने हमेशा बड़े और महत्वपूर्ण समाचारों को सबसे पहले प्रस्तुत किया है और मेरी कोशिश रहेगी कि हम इस प्रतिष्ठा को पुनः हासिल करें। इसके लिए कई क्षेत्रों पर ध्यान देना जरूरी है। एक मुख्य बिंदु है हमारी पहुंच को और व्यापक बनाना, न केवल दर्शकों के मामले में बल्कि समाचार संकलन और प्रस्तुतिकरण के तरीकों में भी। पिछली बार जब मैंने यहां काम किया तो हमने डिजिटल और टीवी के एकीकरण की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया था। अब एक मजबूत टीम और उचित साधनों के साथ मैं इस एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करूंगा और सभी प्लेटफार्म्स पर अधिकतम कंटेंट प्रड्यूस करना सुनिश्चित करूंगा। इस बड़ी भूमिका में आपके नेतृत्व में ‘एबीपी न्यूज’ में संपादकीय स्तर पर क्या बदलाव या इनोवेशन देखने को मिल सकते हैं? चैनल की सबसे बड़ी ताकत हमेशा से इसकी विश्वसनीयता और गहन रिपोर्टिंग रही है। हालांकि, हमें अपने संपादकीय दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण प्रगति करनी होगी ताकि हम दूसरों से आगे रह सकें। कंटेंट में भिन्नता एक प्रमुख क्षेत्र होगा, जहां हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम अन्य हिंदी न्यूज चैनल्स से अलग कैसे दिखें। टेक्नोलॉजी और कंटेंट दोनों महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हमें अपने दर्शकों की ज़रूरतों को समझते हुए उनके साथ मजबूत संबंध बनाना होगा। कंटेंट की गुणवत्ता के साथ-साथ दर्शकों से कैसे जुड़ें और उन्हें कैसे अपने साथ बनाए रखें, यह भी अहम है। मेरी दृष्टि में सिर्फ एक चीज पर ध्यान केंद्रित करना सही नहीं है। टेक्नोलॉजी, कंटेंट और दर्शकों से जुड़ाव, हमें तीनों को एक साथ लेकर चलना होगा। इसके साथ ही हमें नई प्रतिभाओं को तैयार करना है और उन्हें पारंपरिक समाचार प्रस्तुतिकरण से आगे सोचने के लिए प्रेरित करना है। हम पहले से ही नई प्रतिभाओं की पहचान कर रहे हैं और उन्हें आगे बढ़ने व इनोवेशन करने के लिए साधन और प्लेटफॉर्म प्रदान करेंगे। आप पारंपरिक टीवी पत्रकारिता की जरूरतों और डिजिटल पत्रकारिता की मांग में कैसे सामंजस्य स्थापित करेंगे? डिजिटल प्लेटफार्म्स की ग्रोथ को अनदेखा नहीं किया जा सकता। लेकिन, पारंपरिक टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना भी जरूरी है। हमें एक ऐसा मॉडल विकसित करना होगा जो दोनों प्लेटफार्म्स की ताकतों का लाभ उठाए। इसी वजह से मैंने ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को टीम में शामिल किया है, जो टीवी और डिजिटल दोनों को समझते हैं, ताकि हम दोनों माध्यमों के बीच एक सेतु बना सकें और सभी प्लेटफार्म्स पर न्यूज कवरेज को सहज बना सकें। आज के दौर में प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए हमें खुद को ढालना होगा। हम अपनी न्यूज कलेक्शन टीमों को टीवी और डिजिटल दोनों के लिए एकीकृत कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, लखनऊ का एक रिपोर्टर, जो पहले सिर्फ डिजिटल कंटेंट पर काम करता था, अब टीवी और डिजिटल दोनों के लिए कंटेंट तैयार कर रहा है। हमारा उद्देश्य यह है कि हम अपनी विश्वसनीयता बनाए रखें और साथ ही अपनी पहुंच का विस्तार करें। आपने अपने करियर में बड़े नेटवर्क्स के साथ काम किया है। आपके अनुसार, हिंदी टीवी पत्रकारिता में पिछले वर्षों में क्या बदलाव हुए हैं और आपने कौन से मुख्य बदलाव देखे हैं? हिंदी टीवी पत्रकारिता का परिदृश्य, खासकर डिजिटल प्लेटफार्म्स के आगमन के साथ काफी बदल चुका है। एक बड़ा बदलाव है जिस गति से आज समाचार उपभोग (News Consumption) किए जाते हैं। लेकिन, गति के चलते सटीकता नहीं खोनी चाहिए। अब चुनौती यह है कि हम तेज़ी और सटीकता के बीच संतुलन बनाए रखें। हमें लगातार विकसित होना होगा, यह ध्यान में रखते हुए कि डिजिटल तेज़ है, लेकिन टीवी आज भी गहन और प्रमाणित न्यूज प्रदान करने में अपनी जगह बनाए हुए है। हिंदी टीवी पत्रकारिता को अक्सर सनसनीखेज बनाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ता है। आप कैसे प्रभावी न्यूज और सनसनीखेजी से बचने के बीच संतुलन बनाए रखने की योजना बना रहे हैं? खबरों में बेवजह सनसनी से दीर्घकालिक रूप से विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है। ‘एबीपी न्यूज’ में हम बिना सनसनीखेज़ी का सहारा लिए प्रभावी और सार्थक समाचारों पर ध्यान देंगे। हमारा फोकस हमेशा सच्चाई और गहराई पर रहेगा, ताकि दर्शकों को सही और जरूरी जानकारी मिले, न कि सिर्फ ध्यान खींचने वाली खबरें। आपके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत कौन रहे हैं और क्या ऐसा कोई निर्णायक क्षण रहा है जिसने आपके पत्रकारिता के दृष्टिकोण को नया आकार दिया है? मैंने हमेशा अपने आस-पास के लोगों से सीखने में विश्वास किया है। ऐसा नहीं है कि किसी एक व्यक्ति या घटना ने मुझे प्रेरित किया हो, बल्कि हर अनुभव से मैंने कुछ न कुछ सीखा है। हर चुनौती ने मुझे निखारा है और हर निर्णय मैंने सीखे हुए पाठों को ध्यान में रखकर लिया है। नेतृत्व का अर्थ है विभिन्न क्षेत्रों से जितना हो सके उतना ज्ञान प्राप्त करना और उन सबकों को अपने सफर में लागू करना।
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'स्पोर्ट्स फॉर ऑल' (SFA) ने देश में युवा फुटबॉल प्रतिभाओं को खोजने और उन्हें निखारने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए 'टीवी9 नेटवर्क' (TV9 नेटवर्क) के साथ करार किया है। इस पहल के तहत ‘Indian Tigers and Tigresses’ कैंपेन चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 14 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों के बीच फुटबॉल प्रतिभाओं की खोज करना है। 'SFA चैंपियनशिप्स', जो इस समय हैदराबाद में चल रही हैं और देश की सबसे बड़ी स्कूल-स्तरीय खेल प्रतियोगिता मानी जाती हैं, में युवा फुटबॉल खिलाड़ी ‘Indian Tigers and Tigresses’ कैंपेंस के लिए उपलब्ध कियोस्क पर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। हैदराबाद SFA चैंपियनशिप्स में करीब 400 स्कूलों के 23,000 से अधिक छात्र हिस्सा ले रहे हैं। 2024 का संस्करण 15 अक्टूबर को शुरू हुआ और 28 अक्टूबर को समाप्त होगा। SFA चैंपियनशिप्स का आयोजन स्पोर्ट्स फॉर ऑल (SFA) के उस बड़े प्रयास का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत में ग्रासरूट स्तर पर खेलों को प्रोफेशनल, संगठित और लाभदायक बनाना है। इस पहल का लक्ष्य देश में एक मजबूत खेल संस्कृति का निर्माण करना और युवाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है। 2024-25 की चैंपियनशिप्स 10 भारतीय शहरों में आयोजित की जाएंगी, जिसमें 7000 से अधिक स्कूलों के 150,000 छात्र 31 खेलों में भाग लेंगे। SFA चैंपियनशिप्स की लोकप्रियता हर साल बढ़ती जा रही है और यह नई-नई शहरों और प्रतिभागियों को जोड़ते हुए आगे बढ़ रही है। TV9 नेटवर्क के साथ हुई यह साझेदारी SFA चैंपियनशिप्स के जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है। ‘Indian Tigers and Tigresses’ कैंपेंस की शुरुआत अप्रैल 2024 में TV9 और प्रमुख फुटबॉल संगठनों जैसे Deutscher Fußball-Bund (DFB), Bundesliga (DFL Deutsche Fußball Liga), बोरुसिया डॉर्टमुंड (BVB) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी में की गई थी। इस साझेदारी पर बोलते हुए, SFA के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर दर्पण कुमार ने कहा, “हमें TV9 और ‘Indian Tigers and Tigresses’ के साथ हैदराबाद में SFA चैंपियनशिप्स में साझेदारी करके बेहद खुशी हो रही है। यह सहयोग हमें युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करने और भारत में ग्रासरूट स्तर पर खेलों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में मदद करेगा, जिससे भविष्य की खेल प्रतिभाएं उभरेंगी।” TV9 नेटवर्क के एमडी व सीईओ बरुण दास ने ‘Indian Tigers and Tigresses’ पहल पर टिप्पणी करते हुए कहा, “यह पहल हमारे लिए गर्व की बात है, क्योंकि यह भारत में फुटबॉल को एक नई दिशा में ले जाती है। हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं, जहां भारतीय फुटबॉलरों को वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी, जैसे पश्चिमी देशों के बड़े फुटबॉल खिलाड़ी। इसका उद्देश्य इन प्रतिभाशाली युवाओं को एक समान अवसर देना और उन्हें विश्व स्तरीय खिलाड़ी बनाने के लिए कम उम्र से ही प्रशिक्षण देना है।” SFA चैंपियनशिप्स के सभी फुटबॉल मैचों के साथ-साथ 25 अन्य खेलों का लाइव प्रसारण Sfaplay.com/live वेबसाइट पर किया जाएगा, जिससे दर्शक इन प्रतियोगिताओं को देख सकेंगे। इस साझेदारी और पहल से भारत में फुटबॉल और अन्य खेलों के विकास को नई दिशा मिलेगी, जिससे युवाओं के सपनों को पूरा करने का मौका मिलेगा।
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देश की प्रमुख न्यूज एजेंसियों में शुमार ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) में नौकरी का शानदार मौका है। दरअसल, यहां असाइनमेंट डेस्क पर वैकेंसी है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। एजेंसी की ओर से सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट के अनुसार, यह पद दिल्ली के लिए है। इस पद पर नियुक्ति के लिए आवेदक के पास दो से पांच साल का अनुभव होना चाहिए। इसके साथ ही अंग्रेजी और हिंदी भाषा पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए।
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गुंजन फाउंडेशन ने आज शिक्षा और सामाजिक उत्थान के लिए अपनी 20 साल की सेवा पर हुए 'दस्तक ए दिल' कार्यक्रम में ‘भारत एक्सप्रेस’ के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय को पत्रकारिता और अन्य सामाजिक कार्यों में उनके अहम योगदान के लिए सम्मानित किया। यह कार्यक्रम दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। इसमें देश के पूर्व चीफ जस्टिस आर.एम. लोढ़ा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जे.एस. खेहर और पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर अहमद जावेद समेत कई जाने-माने लोग शामिल हुए। शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन का समर्थन करने आए तमाम समाजसेवी, शिक्षाविद और अन्य क्षेत्र के लोगों की मौजूदगी में हुए इस समारोह में प्रसिद्ध गायक व संगीतकार शंकर महादेवन ने अपने गानों की प्रस्तुति से वहां मौजूद सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारतीय और ग्लोबल मीडिया में उपेंद्र राय को उनकी अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। उनके नेतृत्व में भारत एक्सप्रेस ने प्रभावशाली रिपोर्टिंग के नए मानक स्थापित किए हैं और उनका दूसरा मीडिया वेंचर द प्रिंटलाइन्स मीडिया ग्रुप भी विश्व स्तर पर आगे की ओर बढ़ रहा है।
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भारतीय न्यूज मीडिया का जाना-पहचाना व भरोसेमंद चेहरा बन चुकीं चित्रा त्रिपाठी ने ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) में अपनी धमाकेदार वापसी करने के बाद चैनल पर दो नए शो शुरू किए हैं। हालांकि उनका पहला शो ‘जनहित’ प्राइम टाइम स्लॉट में पहले ही लॉन्च हो चुका है, जो रात 9 बजे प्रसारित हो रहा है। लेकिन अब वह अपना दूसरा शो ‘महादंगल’ लेकर आयी हैं, जो 19 अक्टूबर यानी आज शाम 5 बजे से प्रसारित किया जाएगा। बता दें कि चित्रा त्रिपाठी ने हाल ही में ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) में न्यूज एंड प्रोग्रामिंग का वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर वापसी की है। ‘एबीपी न्यूज’ में चित्रा की तीसरी पारी है। इससे पहले, उन्होंने चैनल के कई प्रमुख कार्यक्रमों को होस्ट किया था, जिनमें ‘मास्टर स्ट्रोक’ और ‘2019 कौन जीतेगा’ जैसे शो शामिल थे। इसके साथ ही, चित्रा ने ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस’ जैसे बड़े वीकली शो को भी होस्ट कर चुकी हैं। उनके बेहतरीन पत्रकारिता कौशल के कारण उन्हें सियाचिन से रिपोर्टिंग करने पर ‘बेस्ट रिपोर्टर अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। चित्रा त्रिपाठी ने अपने करियर के दौरान कई फ्लैगशिप शो किए हैं, जिनमें ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री?’, ‘मोदी के चार साल’, और ‘बिहार का नेता कैसा हो?’ जैसे चर्चित शो शामिल हैं, जिनसे उन्हें देशभर में बड़ी पहचान मिली। ‘एबीपी न्यूज’ में अपनी पहली पारी के दौरान उन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया था और अब उनकी तीसरी पारी भी चैनल के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। हालांकि दूसरी पारी उनकी बहुत ही संक्षिप्त रही थी। चित्रा त्रिपाठी का पत्रकारिता सफर बहुत ही प्रतिष्ठित और प्रभावशाली रहा है। उन्होंने अपनी बेहतरीन पॉलिटिकल एंकरिंग और चुनाव के दौरान फील्ड रिपोर्टिंग के लिए एक अलग पहचान बनाई है। चित्रा की वापसी ‘एबीपी न्यूज’ के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आई है और उनके नए शो ‘जनहित’ को भी दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। अब देखना यह होगा कि वह अपनी नई भूमिका में क्या नया रंग लाती हैं और कैसे चैनल के दर्शकों को और अधिक आकर्षित करती हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 24 घंटे सिंधी भाषा में दूरदर्शन चैनल शुरू करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। एनजीओ 'सिंधी संगत' द्वारा दायर इस याचिका में सिंधी भाषा के संरक्षण के लिए एक समर्पित चैनल शुरू करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को भी ऐसा कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भाषा को संरक्षित करने के अन्य भी कई उपाय हो सकते हैं और इस तरह की मांग को लेकर सरकार पर कोई आदेश नहीं थोपा जा सकता। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी याचिका को खारिज कर दिया था। नीतिगत मामला है, कोर्ट का हस्तक्षेप संभव नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि यह मामला नीतिगत है और न्यायालय का इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने दूरदर्शन की ओर से दिए गए बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सिंधी भाषा के कार्यक्रम पहले से ही तीन चैनलों– 'डीडी गिरनार', 'डीडी सह्याद्री' और 'डीडी राजस्थान' पर प्रसारित हो रहे हैं। ये चैनल्स उन क्षेत्रों में विशेष रूप से सिंधी समुदाय की सेवा कर रहे हैं जहां उनकी आबादी अधिक है। सिंधी भाषा के संरक्षण पर अदालत की राय कोर्ट ने कहा कि भाषा को संरक्षित करने के कई अन्य तरीके हो सकते हैं, जैसे कि शिक्षा, साहित्यिक कार्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से। कोरट ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत यह दावा नहीं किया जा सकता कि किसी विशेष भाषा के लिए सरकार को एक अलग चैनल शुरू करना चाहिए। सरकार के फैसले पर सवाल नहीं उठाया जा सकता दूरदर्शन द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, लगभग 26 लाख सिंधी बोलने वालों के लिए एक अलग चैनल की वार्षिक लागत 20 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है, जो एक आर्थिक चुनौती हो सकती है। अदालत ने सरकार के इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि यह नीतिगत निर्णय है और इसमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। इस फैसले के बाद, यह स्पष्ट है कि सिंधी भाषा के संरक्षण के लिए केवल एक चैनल की मांग को लेकर अदालत का सहारा लेना उचित नहीं माना जाएगा, बल्कि इसके लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।
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पावेल चोपड़ा को जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों के लिए चीफ ह्यूमन रिसोर्सेस ऑफिसर (CHRO) के रूप में नियुक्त किया गया है। पावेल जी मीडिया के नोएडा स्थित कार्यालय से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे। इस नई भूमिका में, पावेल चोपड़ा जी मीडिया की मानव संसाधन रणनीतियों को आगे बढ़ाएंगे, ताकि कंपनी की नीतियां, संस्कृति और काम करने की प्रणाली उच्च प्रदर्शन और संगठनों की क्षमता को बढ़ावा दे सकें। वे संगठनात्मक विकास के प्रमुख होंगे, परिवर्तन के पहलुओं को लागू करेंगे, और कंपनी के दीर्घकालिक व्यावसायिक और मानव संसाधन लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान देंगे। पावेल के पास मानव संसाधन नेतृत्व का दो दशकों से अधिक का अनुभव है और उन्होंने कई प्रमुख उद्योगों जैसे लॉजिस्टिक्स, हेल्थकेयर, फाइनेंशियल सर्विसेज और मीडिया में काम किया है। उन्होंने Genpact, Sony Pictures और भारतीय समूहों जैसे- आदित्य बिड़ला कैपिटल और Allcargo के साथ भी काम किया है। Zee में शामिल होने से पहले, पावेल ने एक टेक-लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप OxyZEN Express की सह-स्थापना की थी। उनका विशेषज्ञता क्षेत्र मानव संसाधन, प्रोक्योरमेंट, टेक्नोलॉजी डिवेलपमेंट, संगठनात्मक क्षमता निर्माण और परिवर्तन प्रबंधन में फैला हुआ है। इस व्यापक अनुभव ने उन्हें ग्रोथ और ट्रांसफॉर्मेशन को प्रभावी ढंग से लागू करने की गहरी समझ दी है। पावेल की इस नियुक्ति से जी मीडिया के विकास और मानव संसाधन प्रबंधन में नए आयाम जुड़ने की उम्मीद है, जिससे कंपनी के दीर्घकालिक लक्ष्यों को मजबूती मिलेगी।
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उत्तराखंड में मिलावटी मसलों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा. और गलत ब्रांडिंग वाले मसाला कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने मसालों के संदर्भ में एक विशेष अभियान चलाया. इस अभियान के दौरान मिली रिपोर्टों के आधार पर अब विभाग असुरक्षित और गलत ब्रांडिंग वाले मसालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जा रहा है. एफडीए के कुमाऊँ डिप्टी कमिश्नर अनुज थपलियाल ने बताया कि कई मसाले और उत्पाद ऐसे हैं जिनमें भारी धातुओं और कीटनाशकों की मात्रा असुरक्षित स्तर पर पाई गई है. संबंधित जिलों के अधिकारियों द्वारा इन मामलों की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ संबंधित अदालतों में मामलों को प्रस्तुत किया जाएगा.
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हाल ही में 'आजतक' को छोड़कर 'एबीपी समूह' से जुड़ी एंकर चित्रा त्रिपाठी की छवि को सोशल मीडिया के माध्यम से धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। एक्स पर निगार परवीन नाम की एक यूजर ने लिखा कि चित्रा त्रिपाठी को 'आजतक' से टीआरपी न लाने के लिए निकाला गया था और 'एबीपी न्यूज' में भी उन पर वही दबाब है। निगार की इस पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए चित्रा त्रिपाठी ने इसका जवाब दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, बीते 18 सालों में चित्रा त्रिपाठी ने हर जगह अपनी शर्तों पर नौकरी की है। लोगों का प्यार मिला और उन्होंने मुझे देश का बड़ा पत्रकार बना दिया। एक छोटे से शहर की बेहद सामान्य परिवार की लड़की एबीपी न्यूज़ जैसे चैनल में वाइस प्रेसिंडेट कैसे बन गई? ये बात लोगों को हज़म नहीं हो रही है। जिस दिन आजतक छोड़ा था उस दिन सुबह से रात तक 10 घंटे की एक ही दिन में एंकरिंग की थी, जो मेरा पैशन है। मेरा शो लगातार TRP का नंबर 1 शो रहा है। आजतक के लोग मेरा बहुत सम्मान और प्यार करते हैं। जीवन में किसी भी व्यक्ति को बड़े मौक़े हमेशा नहीं मिलते, जब मिलें तो अपनी क़ाबिलियत पर भरोसा रखकर उसे स्वीकार करना चाहिये। आप एक महिला है, दूसरी महिला से जलें मत, बल्कि बराबरी करने के लिये मेहनत करे। इस ट्वीट की शुरू की दो लाइन आप हटा दें, वरना एक बड़े चैनल की एंकर की छवि ख़राब करने के लिये मैं आप पर लीगल कारवाई करूंगी। मुझे नौकरी से कहां से निकाला गया है? मेरे बारे में इस तरह की बातें करके किसके इशारे पर आप मुझे बदनाम कर रही हैं? माफ़ी मांगे, ट्वीट डिलीट करें, वरना अपने उपर लीगल कारवाई के लिये तैयार रहें।
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जी मीडिया कॉरपोरेशन (ZMCL) ने एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक बदलाव की घोषणा की है। इस नए ढांचे के अनुसार, सभी डिजिटल हेड्स अब सीईओ करण अभिषेक सिंह को रिपोर्ट करेंगे। यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। कंपनी ने सभी कर्मचारियों को सूचित किया है कि फैक्टशीट्स और अन्य संबंधित दस्तावेजों की स्वीकृति अब करण अभिषेक सिंह के माध्यम से होगी। सभी दस्तावेजों की समीक्षा और स्वीकृति सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा, ताकि प्रक्रिया में कोई देरी न हो। यह कदम संगठन के भीतर एक समन्वित और सुचारु बदलाव लाने के उद्देश्य से उठाया गया है। नया ढांचा संगठनात्मक संरचना को और अधिक प्रभावी और कुशल बनाने पर केंद्रित है। कंपनी ने इस बदलाव में सभी कर्मचारियों के सहयोग की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि यह बदलाव सफलतापूर्वक लागू होगा।
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सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 57 नए सामुदायिक रेडियो (Community Radio) स्टेशनों को मंजूरी दी है। मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि 31 मार्च 2024 तक देश में कुल 494 सामुदायिक रेडियो स्टेशन काम कर रहे हैं। इनमें से 283 गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) द्वारा, 191 शैक्षणिक संस्थानों द्वारा और 20 कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सरकार सामुदायिक रेडियो क्षेत्र को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसके तहत "भारत में सामुदायिक रेडियो आंदोलन को समर्थन" (Supporting Community Radio Movement in India) नामक एक केंद्रीय योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत नए और मौजूदा रेडियो स्टेशनों को उपकरण खरीदने या बदलने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके अलावा, क्षमतावर्धन, जागरूकता कार्यक्रम, क्षेत्रीय सम्मेलनों और वार्षिक सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों को भी इस योजना के तहत प्रोत्साहित किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, सामुदायिक रेडियो आंदोलन की शुरुआत से अब तक कुल 680 संस्थानों को सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के लिए इच्छापत्र (LoI) जारी किए गए हैं, जिनमें से 603 संस्थाओं ने अनुमति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 31 मार्च 2024 तक 494 सामुदायिक रेडियो स्टेशन सक्रिय हो चुके हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में निजी एफएम रेडियो स्टेशनों की जानकारी भी दी गई है। 31 मार्च 2024 तक 113 शहरों में 388 निजी एफएम चैनल सक्रिय हैं, जो 26 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। वर्ष 2000 में निजी एफएम रेडियो की शुरुआत के बाद से सरकार ने विभिन्न शुल्कों के माध्यम से 6,647.77 करोड़ रुपये की कमाई की है, जिसमें एक बार की प्रवेश शुल्क, लाइसेंस शुल्क और टॉवर किराया शामिल हैं।
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देश के प्रमुख DTH प्लेटफॉर्म्स जैसे- Tata Play और Dish TV ने ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) से अपनी वित्तीय समस्याओं पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि उन पर लगाई गई ऊंची लाइसेंस फीस के कारण उन्हें भारी आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस फीस का मुद्दा DTH ऑपरेटर्स को उनकी Adjusted Gross Revenue (AGR) यानी समायोजित सकल राजस्व पर 8% लाइसेंस फीस चुकानी होती है, जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) द्वारा तय की गई है। हालांकि, ट्राई ने पिछले साल अगस्त में सिफारिश की थी कि इसे घटाकर 3% किया जाए, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। Tata Play ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि DTH ऑपरेटर्स पर अत्यधिक लाइसेंस फीस का बोझ है, और कई बार सरकार से राहत की अपील करने के बावजूद कोई रियायत नहीं दी गई है। कंपनी ने कहा, "DTH प्लेटफॉर्म्स पर ही लाइसेंस फीस का बोझ डाला गया है, जबकि अन्य कंटेंट डिलीवरी सेवाओं को ऐसी कोई फीस नहीं देनी होती।" Dish TV ने भी इसी प्रकार की शिकायत करते हुए कहा कि उन्होंने लंबे समय से सभी ऑपरेटर्स के लिए समान नियमों की मांग की है। Dish TV ने कहा, "हम बराबरी का अवसर चाहते हैं, क्योंकि DTH ऑपरेटर्स ने कई सालों तक लाइसेंस फीस के रूप में भारी रकम चुकाई है, जबकि अन्य ऑपरेटर्स को इसका फायदा मिला है।" ट्राई की सिफारिशों की सराहना हालांकि, DTH ऑपरेटर्स ने ट्राई की सिफारिशों की सराहना की है, जिसमें लाइसेंस फीस को घटाकर 3% करने और 2026-27 तक इसे पूरी तरह से समाप्त करने का प्रस्ताव है। DTH ऑपरेटर्स ने उम्मीद जताई कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय इन सिफारिशों को जल्द लागू करेगा। लाइसेंस फीस का भार वित्तीय वर्ष 2023-24 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चार प्रमुख DTH ऑपरेटर्स से 692 करोड़ रुपये लाइसेंस फीस के रूप में वसूले। यह फीस 8% AGR पर आधारित थी, जिसमें GST को बाहर रखा गया था। DTH सेवाओं के नियम 2022 में जारी किए गए दिशा-निर्देशों के तहत, DTH ऑपरेटर्स को AGR का 8% लाइसेंस फीस के रूप में हर तिमाही चुकाना होता है। इसके अलावा, प्लेटफॉर्म सेवा (PS) चैनलों के लिए DTH ऑपरेटर्स को कुल चैनल कैपेसिटी का 5% तक PS चैनल्स ऑपरेट करने की अनुमति है, और प्रत्येक PS चैनल के लिए 10,000 रुपये की एकमुश्त नॉन-रिफंडेबल पंजीकरण फीस भी चुकानी होती है। DTH सेवाएं सेटेलाइट आधारित टीवी प्रोग्राम डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम हैं, जो भारत भर में ग्राहकों तक पहुंचती हैं। Tata Play, Bharti Telemedia, Dish TV और Sun Direct जैसे ऑपरेटर्स वर्तमान में देश में DTH सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में DTH ऑपरेटर्स का कहना है कि यदि लाइसेंस फीस कम की जाती है, तो यह उद्योग के लिए राहत लेकर आएगा और यह क्षेत्र और तेजी से विकास कर सकेगा।
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जानी-मानी टीवी पत्रकार और सीनियर न्यूज एंकर चित्रा त्रिपाठी ने 'आजतक' से इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर हिंदी न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) जॉइन कर लिया है। उन्होंने यहां पर वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज एंड प्रोग्रामिंग) जॉइन किया है। वह यहां रात नौ बजे का प्राइम टाइम शो होस्ट करेंगी। ‘एबीपी न्यूज’ में चित्रा त्रिपाठी की वापसी चैनल के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि चैनल अपनी प्राइम टाइम प्रोग्रामिंग को मजबूत करने का लक्ष्य बना रहा है। विभिन्न प्रमुख न्यूज आउटलेट्स में काम करने के कारण चित्रा त्रिपाठी की गहरी विशेषज्ञता और ऑन-स्क्रीन उपस्थिति उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक न्यूज परिदृश्य में नेटवर्क की लीडरशिप टीम के लिए उपयुक्त बनाती है। अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि चित्रा के जुड़ने और नए एडिटर रजनीश आहूजा द्वारा किए जा रहे संपादकीय पुनर्गठन के बाद 'एबीपी न्यूज' की व्युअरशिप और रेटिंग में कितना सुधार होता है। आपको बता दें कि चित्रा त्रिपाठी की ‘आजतक’ में यह दूसरी पारी थी। पहली पारी करीब पौने चार साल तक निभाने के बाद चित्रा ने 2022 में 'आजतक' से इस्तीफा देकर ‘एबीपी न्यूज’ जॉइन कर लिया था। लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने दोबारा से ‘आजतक’ में बतौर सीनियर एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) जॉइन कर लिया था, तब से वह इसी पद पर कार्यरत थीं। अपनी पहली पारी में वह ‘आजतक’ में एडिटर व सीनियर एंकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। चित्रा त्रिपाठी का पत्रकारिता सफर बहुत ही प्रतिष्ठित और प्रभावशाली रहा है। उन्होंने अपनी बेहतरीन पॉलिटिकल एंकरिंग और चुनाव के दौरान फील्ड रिपोर्टिंग के लिए एक अलग पहचान बनाई है। चित्रा ‘आजतक’ पर शाम पांच बजे का डिबेट शो ‘दंगल’ कर रही थीं। इसके अलावा चित्रा शाम सात बजे न्यूज बुलेटिन ‘शंखनाद’ में नजर आती थीं। चित्रा त्रिपाठी को कश्मीर में आई बाढ़ पर रिपोर्टिंग के लिए प्रतिष्ठित ‘रामनाथ गोयनका’ अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा वह समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40 के पहले एडिशन के विजेताओं की लिस्ट में भी शामिल रह चुकी हैं। ‘आजतक’ से पहले भी चित्रा त्रिपाठी ‘एबीपी न्यूज’ से जुड़ी हुई थीं। वह ‘एबीपी न्यूज’ में ‘2019 कौन जीतेगा’ शो करती थीं, साथ ही उनके पास 'प्रेस कॉन्फ्रेंस' जैसा बड़ा वीकली प्रोग्राम भी था। ‘एबीपी’ में उन्हें सियाचिन में की गई रिपोर्टिंग के लिए बेस्ट रिपोर्टर का अवॉर्ड भी मिल चुका है, जबकि #कौनबनेगामुख्यमंत्री, #मोदीकेचारसाल और #बिहारकानेता कैसा हो, जैसे फ्लैगशिप शो जो लोगों के बीच जाकर किए गए, के जरिये उन्हें बड़ी पहचान मिली और एबीपी प्रबंधन ने उन्हें सम्मानित किया। चित्रा त्रिपाठी इंडस्ट्री में अपनी पॉलिटिकल एंकरिंग/रिपोर्टिंग के लिए जानी जाती हैं। चुनाव के दौरान उनका फील्ड में उतरना उनकी यूएसपी (USP) मानी जाती है। कई-कई घंटों तक नॉनस्टॉप काम करके चित्रा ने अपनी अलग पहचान बनाई है। । यूपी के एक गांव में आधी रात को की गई उनकी एक बड़ी स्टोरी, जिसमें बीजेपी विधायक के घर बिजली और पूरे गांव में अंधेरे पर रिपोर्टिंग थी, जिसके बाद यूपी सरकार के बिजली मंत्री ने तीन दिन के अंदर गांव में खंभे लगवाए और आजादी के बाद वहां पहली बार लोगों के घरों में बिजली आई। सपा सरकार के बिजली मंत्री के गांव में भी उन्होंने बिजली पर रात के अंधेरे में रिपोर्टिंग की तो पता चला मंत्रीजी ने अपने धर्म के लोगों के घरों में बिजली पहुंचाई और दूसरे घरों में अंधेरा-कार्यक्रम का नाम था हिंदुओं के घर में अंधेरा। जहां बाद में बिजली पहुंची। फेसबुक के माध्यम से अयोध्या की एक बूढ़ी अम्मा के साथ भोजपुरी में की गई राम मंदिर पर उनकी बातचीत को तीन करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा था। ‘एबीपी न्यूज’ के पहले चित्रा ‘इंडिया न्यूज’ चैनल में एसोसिएट एडिटर/प्राइम टाइम न्यूज एंकर थीं। चित्रा ने खास उपलब्धि हासिल करने वाली भारतीय युवा महिलाओं पर आधारित शो ‘बेटियां’ का भी सफलतापूर्वक संचालन किया था। उनका ये शो चैनल के फ्लैगशिप शो में गिना जाता था, जिसके 65 एपिसोड्स प्रसारित हुये थे और उनके द्वारा फेसबुक के माध्यम से भानुमति नाम की यूपी के एक गांव की महिला को राष्ट्रपति पुरस्कार के लिये नॉमिनेट किया गया था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में सम्मानित किया था। इसके अलावा चित्रा को उनकी स्टोरी ‘हिन्दुस्तान का मिशन जय हिन्द’ के लिए भारतीय सेना की ओर से प्रशंसा पत्र भी मिल चुका है। ‘इंडिया न्यूज’ से पहले ‘सहारा समय’ (Sahara Samay) में न्यूज एंकर/प्रड्यूसर के पद पर कार्यरत थीं। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर से रहने वाली चित्रा त्रिपाठी को मीडिया में काम करने का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। उन्होंने अपना करियर गोरखपुर दूरदर्शन से शुरू किया था। इसके बाद वह विभिन्न चैनल जैसे ‘ETV’ उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड और ‘न्यूज 24’ में भी काम कर चुकी हैं। चित्रा ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से ‘डिफेंस स्टडीज’ में स्नातकोत्तर किया है और इसमें उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला था। एनसीसी सी सर्टिफिकेट प्राप्त चित्रा को वर्ष 2001 में रिपब्लिक डे गॉर्ड ऑफ ऑनर में कमांड करने के लिये गोल्ड मेडल मिल चुका है और उन्हें इसी उपलब्धि के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी उनके आवास जाकर मिलने का मौका मिला था।
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जिन उम्मीदवीरों को पीएम इंटर्नशिप स्कीम के लिए अप्लाई करना है उन सभी के लिए एक शानदार खबर है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने पीएम इंटर्नशिप योजना 2024 के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दी है। जो उम्मीदवार इंटर्नशिप योजना के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे पीएम इंटर्नशिप योजना की आधिकारिक वेबसाइट pminternship.mca.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। कैसे करें अप्लाई? पीएम इंटर्नशिप योजना 2024 के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवार नीचे दिए गए चरणों का पालन कर सकते हैं। -सबसे पहले कैंडिडेट्स पीएम इंटर्नशिप योजना की आधिकारिक वेबसाइट pminternship.mca.gov.in पर जाएं। -इसके बाद रजिस्टर लिंक पर क्लिक करें, और एक नया पेज खुलेगा। -फिर पंजीकरण विवरण भरें और सबमिट पर क्लिक करें। -अब उम्मीदवारों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर, पोर्टल द्वारा एक रिज्यूमे तैयार किया जाएगा। -इसके बाद वरीयताओं- स्थान, क्षेत्र, कार्यात्मक भूमिका और योग्यता के आधार पर 5 इंटर्नशिप अवसरों के लिए आवेदन करें। -एक बार हो जाने के बाद, सबमिट पर क्लिक करें और पुष्टिकरण पृष्ठ डाउनलोड करें। -आखिरी में आगे की ज़रूरत के लिए उसी की हार्ड कॉपी रखें। क्या है अप्लाई करने की योग्यता? इसके लिए कौन अप्लाई करने वाले आवेदक भारत का स्थायी निवासी होना चाहिए। आवेदक की आयु 21 से 24 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आवेदक पूर्णकालिक रोजगार में संलग्न नहीं होना चाहिए। उम्मीदवारों ने अपना माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र (एसएससी) या इसके समकक्ष, उच्चतर माध्यमिक प्रमाणपत्र (एचएससी) या इसके समकक्ष पूरा किया होगा, या औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) से प्रमाणपत्र, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या बीए, बीएससी, बीकॉम, बीसीए, बीबीए या बी.फार्मा जैसी स्नातक डिग्री प्राप्त की होगी। जानकारी दे दें कि इस इंटर्नशिप स्कीम के माध्यम से युवाओं को 12 महीने तक विभिन्न व्यवसायों और रोजगार के अवसरों के वास्तविक कारोबारी माहौल का अनुभव प्राप्त होगा। इसमें भाग लेने वाली 500 कंपनियों में अडानी ग्रुप, कोका-कोला, डेलोइट, महिंद्रा ग्रुप, मारुति सुजुकी, पेप्सिको, विप्रो, आईसीआईसीआई और हिंदुस्तान यूनिलीवर शामिल हैं। ये कंपनियां अलग-अलग क्षेत्रों में इंटर्नशिप के विविध अवसर प्रदान करेंगी।
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यूट्यूब अपने क्रिएटर्स और व्यूअरशिप को लेकर तरह-तरह के बदलाव करता रहता है. अब एक बार फिर यूट्यूब ने कुछ ऐसा ही फैसला लिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से स्पैम, फेक और धोखाधड़ी नियमों के उल्लंघन के कारण कई चैनलों को रिमूव कर दिया गया है. इसका असर उन यूजर्स पर भी पड़ा है जिन्होंने कभी वीडियो ही अपलोड नहीं किए थे. इसके अलावा यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्राइबर्स भी प्रभावित हुए, ऐसी खबरें सामने आई हैं. यूजर्स को उनके अकाउंट पर बैन और चैनल हटाए जाने की जानकारी ईमेल के माध्यम से दी गई और कई यूजर्स ने विशेष रूप से अपनी सहेजी हुई प्लेलिस्ट और म्यूजिक लाइब्रेरी तक पहुंच खोने पर निराशा व्यक्त की है. कुछ उपयोगकर्ताओं ने प्रतिबंधों के खिलाफ अपील करने में सफलता पाई, जिससे उनकी अकाउंट पहुंच बहाल हो गई है. हालांकि कुछ यूजर्स ने अपील के बाद भी अपनी प्लेलिस्ट नहीं देखी है, जबकि अन्य को पूरी तरह से अपनी रीच वापस मिल गई है. यूट्यूब ने इस समस्या को स्वीकार करते हुए चैनलों को फिर से बहाल करने और यूट्यूब टीवी, यूट्यूब प्रीमियम और यूट्यूब म्यूजिक की सशुल्क सदस्यताओं तक पहुंच को फिर से शुरू करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. जिनका खाता बहाल हो गया है लेकिन प्लेलिस्ट गायब है, उन्हें जल्द ही उनकी सामग्री मिल जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके अलावा यूट्यूब की तरफ से एक बड़ा बदलाव भी किया गया है. इसमें अब आप शार्ट में लंबी वीडियो को भी अपलोड कर सकते हैं. यानी कोई लंबी वीडियो है तो इसे आप यूट्यूब शार्ट के रूप में अपलोड कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए तीन मिनट की सीमा तय की गई है. यानी इससे लंबी को आप यूट्यूब पर अपलोड तो कर सकते हैं, लेकिन वह नॉर्मल वीडियो सेक्शन में ही अपलोड होंगी.
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फर्जी खबरों पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधी स्थायी समिति ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़े मुद्दों पर भी निगरानी करेगी. समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद निशिकांत दुबे करेंगे. इस समिति को सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी व संचार मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा करने का अधिकार है.
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देश की प्रमुख न्यूज एजेंसियों में शुमार ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल’ (ANI) को अपने एडिटोरियल डिपार्टमेंट के लिए कॉपी एडिटर की जरूरत है। इसके लिए एजेंसी की ओर से योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस बारे में सोशल मीडिया पर शेयर जानकारी के अनुसार, यह नियुक्ति साउथ दिल्ली स्थित ऑफिस के लिए होनी है। इस पद पर नियुक्ति के इच्छुक आवेदकों की अंग्रेजी पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए। आवेदकों के पास किसी प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी में काम करने का पांच साल से ज्यादा का अनुभव होना चाहिए। चुने गए आवेदक को विभिन्न शिफ्टों (Rotational Shifts) में काम करना होगा। आवेदन तभी करें जब वह इस तरह काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार और सहज हों। इच्छुक आवेदक अपना अपडेटेड रिज्युमे amanpreet.k@aniin.com पर भेज सकते हैं।
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इसमें दो राय नहीं कि हरियाणा में नरेंद्र मोदी की जीत बीजेपी के लिए संजीवनी का काम करेगी। बीजेपी के जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी की क्षमता पर शक होने लगा था, उनमें नई हिम्मत का संचार होगा। जिन लोगों के मन में ये सवाल था कि क्या मोदी की लोकप्रियता कम हुई है, उनको जवाब मिल गया होगा। जैसे बीजेपी को इस जीत की उम्मीद नहीं थी, वैसे ही कांग्रेस को इस हार की ज़रा भी आशंका नहीं थी। ये हार कांग्रेस के उन नेताओं का मनोबल गिराएगी जिन्हें ये भरोसा हो चला था कि राहुल गांधी को कोई ऐसी शक्ति मिल गई है जिससे वो कांग्रेस को पुनर्जीवित कर देंगे। अब उन्हें लग रहा होगा कि राहुल की जड़ी-बूटी तो फेक निकली। हरियाणा में कांग्रेस ने सारी ताकत झोंक दी थी। लड़ाई इस बात के लिए नहीं हो रही थी कि पार्टी कितनी सीटें जीतेगी। संघर्ष इस बात पर होने लगा था कि जीत के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा? जो राहुल गांधी सोच रहे थे कि अब वो एक के बाद एक प्रदेश जीतते जाएंगे और मोदी को हरा देंगे, उन्हें झटका लगेगा। जिन राहुल गांधी को मोदी के कंधे झुके हुए लगने लगे थे, उन्हें सपने में अब 56 इंच की छाती दिखाई देगी। हरियाणा की ये जीत नरेंद्र मोदी में भी नई ऊर्जा का संचार करेगी और अब बीजेपी झारखंड और महाराष्ट्र में नए जोश के साथ लड़ेगी। महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस की bargaining power कम हो जाएगी। अब एक हरियाणा की जीत INDI अलायंस में राहुल गांधी की ताकत को कम कर देगी। मंगलवार को ही अलायंस के पार्टनर्स ने ये कहना शुरू कर दिया कि जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर होती है, वहां कांग्रेस का जीतना मुश्किल हो जाता है। लेकिन सवाल ये है कि कांग्रेस की हार की वजह क्या है? इस सवाल का जवाब खोजने में कांग्रेस के नेताओं को वक्त लगेगा क्योंकि अभी वो हार के सदमे से ही नहीं उबरे हैं। मोदी की ये बात सही है कि कांग्रेस जब-जब चुनाव हारती है तो EVM पर सवाल उठाती है, चुनाव आयोग पर इल्जाम लगाती है, ये ठीक नहीं है। केजरीवाल की ये बात सही है कि हरियाणा में कांग्रेस को अति आत्मविश्वास ले डूबा। कांग्रेस के नेता जीत पक्की मान चुके थे। राहुल को ये समझा दिया गया कि किसान बीजेपी के खिलाफ हैं, विनेश फोगाट के आने से जाटों और महिलाओं का वोट पक्का है, अग्निवीर स्कीम के कारण नौजवान भी बीजेपी के खिलाफ हैं, इसलिए अब बीजेपी की लुटिया डूबनी तय है। माहौल ऐसा बनाया गया मानो कांग्रेस की वापसी पक्की है। इसका असर ये हुआ कि कुर्सी का झगड़ा शुरू हो गया। रणदीप सुरजेवाला कैथल से बाहर नहीं निकले और कुमारी सैलजा घर बैठ गईं। इसका कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। इस बार हरियाणा की जनता ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि जो जमीन पर काम करेगा, जनता उसका साथ देगी। दूसरी बात, अब क्षेत्रीय और छोटी-छोटी परिवारवादी पार्टियों का दौर खत्म हो गया। जनता ने चौटाला परिवार को घर बिठा दिया। BSP और केजरीवाल को भी भाव नहीं दिया। ये सही है कि शुरू में ऐसा लग रहा था कि हवा बीजेपी के खिलाफ है, दस साल की anti-incumbency थी लेकिन नरेन्द्र मोदी ने चुपचाप, खामोशी से रणनीति बनाई। सारा फोकस इस बात पर शिफ्ट कर दिया कि चुनाव सिर्फ हरियाणा का नहीं है, ये चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच किसी एक को चुनने का है, परिवारवाद और जातिवाद के खिलाफ चुनाव है, चुनाव नामदार और कामदार के बीच है। मोदी का फॉर्मूला काम आया और हरियाणा ने इतिहास रच दिया।
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देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने 86 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उम्र से जुड़ी बीमारी के चलते उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। बॉलीवुड के सितारों ने दी श्रद्धांजलि सुष्मिता सेन ने रतन टाटा के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, "कितने सम्मानित व्यक्ति थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।" तारा सुतारिया और अनन्या पांडे** ने भी अपनी स्टोरी पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अनुष्का शर्मा ने साझा की गई स्टोरी में लिखा, "रतन टाटा जी के बारे में दुखद खबर सुनकर बहुत दुखी हूं।" करण जौहर ने इंस्टाग्राम पर लिखा, "आज दुनिया ने एक दूरदृष्टि और अतुलनीय विजन रखने वाले दिग्गज को खो दिया।" वहीं, संजय दत्त ने कहा, "भारत ने आज सच्चा दूरदर्शी खो दिया, जिनका योगदान अनगिनत जिंदगियों तक था। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।" प्रियंका चोपड़ा ने भी अपने आधिकारिक अकाउंट पर रतन टाटा को नमन किया। अजय देवगन ने लिखा, "दुनिया एक दूरदर्शी व्यक्ति के निधन पर शोक मना रही है। रतन टाटा की विरासत हमेशा पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।" रणवीर सिंह ने इंस्टाग्राम पर रतन टाटा की फोटो साझा की और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। सलमान खान और रितेश देशमुखने भी अपने-अपने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। नयनतारा ने भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "आपने हम सभी को प्रेरित किया है।" निष्कर्ष:रतन टाटा का निधन केवल एक उद्योगपति की नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी और इंसानियत के प्रतीक की हानि है। उनकी विरासत हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
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इंडिया टुडे ग्रुप ने सोशल मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए भर्तियां शुरू की हैं। इन पदों के लिए वे उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं, जिनका पत्रकारिता में बैकग्राउंड हो और सोशल मीडिया (विशेष रूप से मीडिया इंडस्ट्री) में 1-2 साल का अनुभव हो। इस पद के लिए प्रमुख योग्यताएं निम्नलिखित हैं: - इंस्टाग्राम, फेसबुक और X (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर काम करने की जानकारी। - कंटेंट राइटिंग में दक्षता। - अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में लेखन में निपुणता (बाइलिंगुअल)। - प्रूफरीडिंग और एडिटिंग की योग्यता। - अच्छा डिजाइन और क्रिएटिव सेंस होना अनिवार्य। - CANVA पर काम करने में दक्षता आवश्यक। - वीडियो मेकिंग और एडिटिंग का ज्ञान एक अतिरिक्त योग्यता के रूप में देखा जाएगा। इच्छुक उम्मीदवारों से आग्रह है कि वे तुरंत आवेदन करें। आवेदन भेजने के लिए ईमेल: itsocialmedia16@gmail.com यह अवसर उन प्रोफेशनल्स के लिए है जो मीडिया के तेजी से बढ़ते डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी दक्षता साबित करना चाहते हैं।
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कवरेज के दौरान पत्रकार-यूट्यूबर अजीत अंजुम एक्स पर टीवी चैनलों व अन्य प्लेटफॉर्मों को पछाड़कर सबसे आगे निकल गए हैं. एक्स पर अजीत के चैनल पर सबसे ज्यादा लोगों ने हरियाणा कवरेज को पसंद किया है. उन्होंने एक्स पर साझा किए गए आंकड़ों के साथ लिखा है- “X पर सबसे अधिक देखा जाने वाला डिजिटल प्लेटफॉर्म- नंबर वन.”
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पंजाब | कैलगरी के समाचार संपादक ऋषि नागर पर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा किए गए हमले के बाद अब टोरंटो के रेडियो होस्ट और प्रतिनिधि जोगिंदर सिंह बस्सी को जान से मारने की धमकी दी गई है. जोगिंदर ने इस धमकी को लेकर ओंटारियो पुलिस के अलावा भारत में भी पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी है. पुलिस ने जोगिंदर बस्सी को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है. दरअसल, बस्सी पर पहले भी कनाडा में हमला हो चुका है और सितंबर, 2021 में हमलावरों ने उनके घर पर गोलियां चलाई थीं. बस्सी साल में कुछ महीने भारत में रहते हैं और उनका परिवार भी पंजाब में रहता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में जोगिंदर बस्सी ने अपने रेडियो शो के दौरान भारतीय झंडे की बेअदबी करने वालों को फटकार लगाई थी. उन्होंने कहा था- भारत से आकर जो लोग कनाडा में बस गए उनकी मातृभूमि भारत ही है और तिरंगे का अपमान करना उनके लिए मातृभूमि का अपमान करने के बराबर है. इसके अलावा उन्होंने अपने रेडियो पर हाल ही में कनाडा में फिरौती मांगने वाले खालिस्तानी समर्थक गुरसेवक सिंह को लेकर भी खबर प्रसारित की थी. इस खबरों से बौखलाए खालिस्तानी समर्थकों द्वारा अब जोगिंदर बस्सी को जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं.
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ग़ाजियाबाद | यूपी के गाजियाबाद से खबर है कि यहां के थाना कवि नगर में फैक्ट चेकर पत्रकार मोहम्मद जुबैर पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. जुबैर पर भड़काऊ स्पीच पोस्ट करने का आरोप है. ALT न्यूज के को–फाउंडर मोहम्मद जुबैर पर BJP नेत्री उदिता त्यागी ने गाजियाबाद, यूपी में FIR दर्ज कराई है. बीजेपी नेत्री का आरोप है कि जुबैर ने यति नरसिंहानंद गिरी की वीडियो काट–छांटकर पोस्ट की. जिससे भड़के मुस्लिमों ने डासना देवी मंदिर पर हमला किया. अब, इस मुकदमे को लेकर सोशल मीडिया पर अलग तरह का विवाद छिड़ गया है. वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म डायरेक्टर विनोद कापड़ी ने जुबैर को तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की सलाह दी है. पत्रकार जाकिर त्यागी ने ट्वीट कर लिखा है- पुलिस में यति के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है इसलिए पत्रकार और फैक्ट चेकर के खिलाफ 5 धाराओं में कार्रवाई की गई है.
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जाने-माने लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह की याद में 13वें लिटरेचर फेस्टिवल (लिटफेस्ट) का आयोजन 18 से 20 अक्तूबर तक किए जाने की घोषणा हो चुकी है. कार्यक्रम में अमिताभ कांत, निर्माता निर्देशक इम्तियाज अली, मनीष तिवारी समेत विभिन्न हस्तियों के शामिल होने की बात सामने आई है. इस आयोजन में द हिंदू समूह के निदेशक अनंत कृष्णन की किताब द कॉमरेड्स एंड द मुल्लाज और पूर्व सेना नायक प्रोबल दासगुप्ता की कैमोफ्लेज्ड- फॉरगॉटन स्टोरीज फ्रॉम बैटलफील्ड्स सहित कई किताबों पर भी चर्चा की जाएगी. कार्यक्रम के 37 वक्ताओं की लिस्ट फाइनल हो चुकी है. जिनमें मुंबई के पॉडकास्टर अमित वर्मा, पूर्व पत्रकार बच्ची करकारिया, लेखक बालाजी विट्ठल, लेखक और चित्रकार देवदत्त पटनायक, पत्रकार धीरेंद्र के. झा, मॉडल फिरोज गुजराल, न्यूज एंकर गार्गी रावत, सेना वीरता पदक से सम्मानित जनरल इयान कार्डोजो, लेखक जेनीता सिंह, द ट्रिब्यून की प्रधान संपादक ज्योति मल्होत्रा का नाम शामिल है. इनके अलावा, न्यूक्लियर फिजिसिस्ट डॉ कल्पना शंकर, सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी के ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एशियाई अध्ययन के विल्मर प्रोफेसर और रिसर्च के वाइस डीन कांति बाजपेयी, पूर्व आईपीएस मीरन चड्ढा, पूर्व आईएएस और वानकानेर के शाही परिवार से एमके रंजीत सिंह, लेखिका नमिता देवीदयाल, सेक्स और ट्रॉमा थेरेपिस्ट नेहा भट्ट, पूर्व पत्रकार और लेखिका निरुपमा दत्त, आईआरएस अधिकारी निरुपमा कोटरू, सिनेमाटोग्राफर नुसरत एफ. जाफरी, प्रसिद्ध विज्ञापन फिल्म निर्माता प्रह्लाद कक्कड़, सर्वोच्च न्यायालय के नॉन बाइनरी वकील रोहिन भट्ट, पत्रकार सारा जैकब, लेखक सरबप्रीत सिंह, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट सौरभ किरपाल, द हिंदू की पॉलिटिकल एडिटर सुहासिनी हैदर, पद्मश्री सैय्यद सैय्यदैन हमीद, कला संस्कृति से जुड़ीं तस्नीम जकारिया मेहता, शोधकार वीरांगना कुमारी सोलंकी और इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल का नाम है. आयोजन में अभिनेता और हिमाचल निवासी अनुपम खेर ने भी सोशल मीडिया पर लिटफेस्ट का जिक्र किया है, साथ ही उन्होंने आयोजकों को बधाई भी दी है. हालांकि उनके आने न आने पर अभी संशय की स्थिति बनी हुई है. बता दें कि खुशवंत सिंह के साहित्य में दिए गए योगदान और कसौली के प्रति लगाव को देखते हुए उनके बेटे राहुल सिंह ने वर्ष 2012 में लिटफेस्ट का आयोजन शुरू किया था. तब से प्रतिवर्ष इसे आयोजित किया जाता है.
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यूट्यूब अपने क्रिएटर्स और व्यूअरशिप को लेकर तरह-तरह के बदलाव करता रहता है. अब एक बार फिर यूट्यूब ने कुछ ऐसा ही फैसला लिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से स्पैम, फेक और धोखाधड़ी नियमों के उल्लंघन के कारण कई चैनलों को रिमूव कर दिया गया है. इसका असर उन यूजर्स पर भी पड़ा है जिन्होंने कभी वीडियो ही अपलोड नहीं किए थे. इसके अलावा यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्राइबर्स भी प्रभावित हुए, ऐसी खबरें सामने आई हैं. यूजर्स को उनके अकाउंट पर बैन और चैनल हटाए जाने की जानकारी ईमेल के माध्यम से दी गई और कई यूजर्स ने विशेष रूप से अपनी सहेजी हुई प्लेलिस्ट और म्यूजिक लाइब्रेरी तक पहुंच खोने पर निराशा व्यक्त की है. कुछ उपयोगकर्ताओं ने प्रतिबंधों के खिलाफ अपील करने में सफलता पाई, जिससे उनकी अकाउंट पहुंच बहाल हो गई है. हालांकि कुछ यूजर्स ने अपील के बाद भी अपनी प्लेलिस्ट नहीं देखी है, जबकि अन्य को पूरी तरह से अपनी रीच वापस मिल गई है. यूट्यूब ने इस समस्या को स्वीकार करते हुए चैनलों को फिर से बहाल करने और यूट्यूब टीवी, यूट्यूब प्रीमियम और यूट्यूब म्यूजिक की सशुल्क सदस्यताओं तक पहुंच को फिर से शुरू करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. जिनका खाता बहाल हो गया है लेकिन प्लेलिस्ट गायब है, उन्हें जल्द ही उनकी सामग्री मिल जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके अलावा यूट्यूब की तरफ से एक बड़ा बदलाव भी किया गया है. इसमें अब आप शार्ट में लंबी वीडियो को भी अपलोड कर सकते हैं. यानी कोई लंबी वीडियो है तो इसे आप यूट्यूब शार्ट के रूप में अपलोड कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए तीन मिनट की सीमा तय की गई है. यानी इससे लंबी को आप यूट्यूब पर अपलोड तो कर सकते हैं, लेकिन वह नॉर्मल वीडियो सेक्शन में ही अपलोड होंगी.
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अयोध्या । रामनगरी के दीपोत्सव ने अयोध्या के कुम्हारों का जीवन बदल दिया है। कभी रोजी-रोटी के लिए परेशान दिखने वाले कुम्हार अब दीपोत्सव के दौरान ही एक-एक लाख रुपये कमा लेते हैं। दीपोत्सव शुरू होने के बाद कुम्हार परिवार के युवा बाहर जाने के बजाय अब इलेक्ट्रिक चाक घुमाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इस बीच जयसिंहपुर गांव में दीपोत्सव को लेकर व्यापक तैयारियां शुरू हो गई हैं। वर्ष 2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही सर्वप्रथम अयोध्या को सजाने-संवारने का बीड़ा उठाया गया। इसके बाद भगवान राम के वनवास से लौटकर आने की खुशी में मनाई जाने वाली दिवाली पर दीपोत्सव मनाने का ऐलान कर दिया। हर वर्ष राम की पैड़ी पर इसका आयोजन होता है। इस दौरान लाखों की संख्या में दीप प्रज्ज्वलित होते हैं। दीयों की खरीदारी के लिए भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के कुम्हारों को वरीयता दी। नतीजा यह है कि इस वर्ष दीपोत्सव का आठवां संस्करण होने जा रहा है। कुम्हारों ने बड़ी संख्या में दीयों को बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस बार रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं इसलिए कहा जा रहा है कि आठवां दीपोत्सव और भी भव्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने 25 लाख दीपों को जलाने का ऐलान किया है। जलने हैं 25 लाख दीये, जुटा हुआ है परिवार अयोध्या के विद्याकुण्ड के निकट स्थित जयसिंहपुर गांव में बड़े स्तर पर कुम्हार दीयों को बनाने में जुटे हुए हैं। यहां का 40 परिवार दीपोत्सव के लिए दीप बना रहा है। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका जीवन बदल दिया। दीपोत्सव में बिक्री होती ही है, लेकिन स्थानीय कुम्हारों के लिए की गई अपील के बाद लोग मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता दे रहे हैं। 30 से 35 हजार दीये बेच देते हैं: लक्ष्मी जयसिंहपुर गांव की लक्ष्मी प्रजापति बताती हैं कि योगी सरकार की योजना ने हमारे घर को रोशन कर दिया है। दीपोत्सव में दीये बनाने का ऑर्डर मिलते ही पूरा परिवार जुट जाता है। 30 से 35 हजार दीये बनाकर बेचे जाते हैं। मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद बढ़ी आमदनी: राकेश जयसिंहपुर गांव के राकेश प्रजापति बताते हैं कि अभी हमें ठेका नहीं मिला है, लेकिन विगत वर्षों में मिले ऑर्डर को देखते हुए हम लोगों ने दीये बनाने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद हमारी आमदनी बढ़ी है। पहले लोग चाइनीज झालरों से सजाते थे घर: आशा गांव की आशा बताती हैं कि हम लोग हर वर्ष 20 से 25 हजार दीये बनाकर दीपोत्सव के लिए देते हैं। दीपोत्सव शुरू होने के बाद शहर के लोग दीयों से अपना घर सजाते हैं, नहीं तो लोग पहले चाइनीज झालरों का प्रयोग करते थे। मुख्यमंत्री योगी ने दिलाई पहचान: राजेश गांव के राजेश प्रजापति ने बताया कि ये मुख्यमंत्री योगी की ही देन है कि दीपोत्सव के बाद से प्रजापति की भी पहचान हो गई है। नहीं तो हमें कोई पहचानता नहीं था। अभी टेंडर नहीं हुआ है, लेकिन हम लोगों ने अब तक 2 लाख से अधिक दीप तैयार कर लिए हैं। शुरू हो चुका है दीपोत्सव का काउंटडाउन आठवें दीपोत्सव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। उसके बाद अयोध्या नगरी एक नया कीर्तिमान रच देगी। दीपोत्सव को लेकर प्रशासनिक तौयारियां शुरू हो गई हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा अवध विश्वविद्यालय प्रशासन और वहां के छात्र भी जुट गए हैं। दीपोत्सव में कब कितने दीप जले वर्ष 2017 में 1.71 लाख दीप, वर्ष 2018 में 3.01 लाख दीप, वर्ष 2019 में 4.04 लाख दीप, वर्ष 2020 में 6.06 लाख दीप, वर्ष 2021 में 9.41 लाख दीप, वर्ष 2022 में 15.76 लाख दीप, वर्ष में 2023 में 22.23 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए गए।
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चुनावों का एग्जिट पोल बताने वाली संस्था एक्सिस माई इंडिया समूह और इंडिया टुडे के बीच करार समाप्त हो जाने की खबर सामने आई है. ये पार्टनरशिप हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में मतदान समाप्त होने से ठीक पहले समाप्त हो गई है. बता दें कि एक्सिस माई इंडिया और इंडिया टुडे समूह के बीच पिछले 9 वर्षों से यह पार्टनरशिप चल रही थी. जो 5 अक्तूबर को दोनों राज्यों के मतदान सम्पन्न होने के बाद एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे के साथ एग्जिट पोल के नतीजे नहीं बताएगी. माना जा रहा है कि एक्सिस माई इंडिया किसी दूसरी कंपनी के साथ पार्टनरशिप कर सकती है. हालांकि प्रदीप गुप्ता की तरफ से किए एक ट्वीट में बताया गया कि 5 अक्तूबर को शाम 6 बजे एक्सिस माई इंडिया रेड माइक नामक यूट्यूब चैनल पर एग्जिट पोल दिखाएगी. गौरतलब है कि एक्सिस माई इंडिया का अपना खुद का भी यूट्यूब चैनल है.
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रायपुर | भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष व जनतंत्र टीवी के छत्तीसगढ़ ब्यूरो चीफ नितिन चौबे (49) का निधन हो जाने की जानकारी सामने आई है. उनकी अंतिम यात्रा महावीर नगर निवास से आज शनिवार सुबह 11 बजे न्यू राजेंद्र नगर मुक्ति धाम के लिए निकलेगी. चौबे के निधन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गहरा दु:ख जताया है. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार श्री नितिन चौबे जी के निधन का समाचार बहुत दु:खद है. ईश्वर परिवार को दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करे. बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार अपने पीछे पत्नी शिवांगी, दो पुत्र आस और आरिस चौबे को छोड़ गए हैं.
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बीते सालों की तरह इस बार भी सारे देश ने 5 सितंबर को गर्मजोशी से अध्यापक दिवस मनाया। सोशल मीडिया पर तो अध्यापकों का उनके राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए विशेष रूप से आभार व्यक्त किया जा रहा था। पर अब सुधी अध्यापकों, मनोचिकित्सकों और अन्य जागरूक नागरिकों को यह भी सोचना होगा कि नौजवानों का एक बड़ा वर्ग निराशा और नाकामयाबी की स्थितियों में अपनी जीवनलीला खत्म करने पर क्यों आमादा है। अब शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता हो जब अखबारों में किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा के खुदकुशी करने संबंधी दिल दहलाने वाला समाचार ना छपता हो। यह बेहद गंभीर मसला है और इस पर सारे देश को सोचना होगा। इसी तरह आजकल बिजनेस में घाटा होने के कारण भी आत्महत्या करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। अभी कुछ दिन पहले एक साइकिल बनाने वाली मशहूर कंपनी के अरबपति मालिक ने भी खुदकुशी कर ली थी। पिछले साल 6 दिसंबर को लोकसभा में बताया गया था कि देश में 2019 से 2021 के बीच 35,000 से ज़्यादा छात्रों ने आत्महत्या की। छात्रों के खुदकुशी करने के मामले 2019 में 10,335 से बढ़कर 2020 में 12,526 और 2021 में 13,089 हो गए। इसमें कोई शक नहीं है किसी भी हालत में किसी खास परीक्षा में सफल होने के लिए माता-पिता, अध्यापकों और समाज का भारी दबाव और अपेक्षाएं छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल रही हैं। राजस्थान का एक शहर है कोटा। यहां हर साल एक अनुमान के मुताबिक, हजारों नहीं लाखों छात्र-छात्राएँ देश के शीर्ष कॉलेजों में से एक में प्रवेश पाने की उम्मीद में कोटा पहुंचते हैं। इनके जीवन का एक ही लक्ष्य होता है कि किसी तरह आईआईटी/एनआईटी या मेडिकल की प्रवेश परीक्षा को क्रैक कर लिया जाए। आप कोटा या फिर देश के किसी भी अन्य शहर में चले जाइये जहां मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ-साथ सिविल सेवाओं वगैरह के लिए कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। वहां पर छात्र अत्यधिक दबाव और असफलता के डर से मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत कष्ट की स्थिति में हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल कहते हैं कि हमें खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर सिर्फ चिंता ही व्यक्त नहीं करनी। हमें इसे रोकना ही होगा। हमने युवाओं, कारोबारियों और अन्य लोगों के आत्महत्या करने के कारणों और इस समस्या के हल तलाशने के लिए विश्व आत्महत्या निवारण दिवस (12 सितंबर) को राजधानी दिल्ली में एक महत्वपूर्ण सेमिनार का भी आयोजन किया है, जहां पर मनोचिकित्सक, पत्रकार और सोशल वर्कर अपने अनुभवों के आधार पर अपने पेपर पढ़ेंगे। उन निष्कर्षों के बाद हम आगे की रणनीति बनाएँगे। कुछ कोचिंग सेंटर चलाने वाले भी इस तरह के प्रयास तो कर रहे हैं ताकि छात्र बहुत दबाव में न रहें। राजधानी के एक कोचिंग सेंटर के प्रमुख ने बताया कि हम छात्रों की लगातार काउंसलिंग करते रहते हैं। उनके अभिभावकों के भी संपर्क में रहते हैं। कहा जाता है कि भारत में दुनिया भर में सबसे अधिक युवा आत्महत्या दर है। इस बीच, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2020 में हर 42 मिनट में एक छात्र ने अपनी जान दे दी। यह आंकड़ा सच में डराता है। देखिए, नौजवानों को बिल्कुल रीलेक्स माहौल देना होगा माता-पिता और उनके अध्यापकों को, ताकि वे बिना किसी दबाव में पढ़ें या जो भी करना चाहते हैं, करें। हरियाणा के सोनीपत में सेंट स्टीफंस कैम्ब्रिज स्कूल चलाने वाली दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी (डीबीएस) के अध्यक्ष और सोशल वर्कर ब्रदर सोलोमन जॉर्ज कहते हैं कि हम पूरी तरह से सुनिश्चित करते हैं कि हमारे स्कूल या सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे बिना किसी दबाव में पढ़े-लिखे। हम अपने अध्यापकों की भी क्लास लेते हैं कि किसी भी बच्चे के साथ कक्षा में उसकी जाति न पूछी जाए और न ही उसके पिता की आय। कुछ गैर-जिम्मेदार अध्यापक अपने विद्यार्थियों से इस तरह के गैर-जरूरी सवाल पूछते हैं। फिर वे एक ही कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों की एक-दूसरे से तुलना भी करने लगते हैं। इस कारण वे जाने-अनजाने एक बच्चे को बहुत सारे बच्चों को कमजोर साबित कर देते है। जाहिर है, इस वजह से उस छात्र पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है जो कमतर साबित कर दिया गया होता है। इसी तरह के बच्चे कई बार निराशा और अवसाद में डूब जाते हैं। देखिए बच्चे को पालना एक बीस वर्षीय प्लान है। कौन नहीं चाहता कि उसका बच्चा समाज में ऊंचा मुकाम हासिल करे, शोहरत-नाम कमाए? पर इन सबके लिए जरूरी है कि बच्चे को उसकी काबिलियत और पसंद के अनुसार मनचाहा करियर चुनने की आजादी भी दी जाए। यह एक कड़वा सच है कि हमारे समाज में सफलता का पैमाना अच्छी नौकरी, बड़ा घर और तमाम दूसरी सुख-सुविधाएं ही मानी जाती हैं।अफसोस कि हम भविष्य के चक्कर में अपने बच्चों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर करने लगे हैं। ब्रदर सोलोमन जॉर्ज कहते हैं कि हम अपने यहां बच्चों को इस बात के लिए तैयार करते हैं कि वे कठिन परिस्थितियों का भी सामना करें। असफलता से हार मान लेने से जीवन नहीं चलता। यह तो कायरता है। महान कवि पद्मभूषण डॉ. गोपाल दस नीरज की पंक्तियाँ याद आ रही हैं, “ छुप-छुप अश्रु बहाने वालों, जीवन व्यर्थ लुटाने वालों, इक सपने के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।” सफलता और असफलता का चक्र तो चला करता है, उसे स्वीकार करने में ही भला है। जैसा कि मैंने ऊपर जिक्र किया कि बीते दिनों एक अरबपति बिजनेसमैन ने राजधानी के अपने भव्य बंगले में गोली मारकर सुसाइड कर लिया। पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है। कहा जा रहा है कि बिजनेस में नुकसान होने के कारण ही साइकिल बनाने वाली कंपनी के मालिक ने आत्महत्या की। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चला है कि 2020 में जब कोविड की लहर ने व्यापार को तबाह कर दिया था। उस समय 11,716 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी, जो 2019 की तुलना में 29% अधिक थी, जब 9,052 व्यापारियों ने अपनी जान ले ली थी। कर्नाटक में 2020 में व्यवसायियों द्वारा आत्महत्या से सबसे अधिक मौतें (1,772) दर्ज की गईं - जो 2019 से 103% अधिक है, जब राज्य में 875 व्यवसायियों ने अपनी जान ले ली थी। महाराष्ट्र में 1,610 व्यवसायियों ने आत्महत्या की, जो पिछले वर्ष से 25% अधिक है और तमिलनाडु में 1,447 व्यवसायियों ने अपनी जान ली, जो 2019 से 36% अधिक है। यह सबको पता है कि भारत के व्यवसायी समुदाय का बड़ा हिस्सा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से जुड़ा है, जो बड़े झटकों को सहन नहीं कर पाता है। इसके चलते कई कारोबारियों ने कर्ज में डूबने या बिजनेस में नुकसान के कारण आत्महत्या कर ली। लब्बोलुबाव यह है कि भारत में युवाओं और कारोबारियों के साथ-साथ अन्य लोगों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को भी प्रभावी ढंग से रोकना होगा।
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मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के मामले अबतक थम नहीं रहे। शोषण, अत्याचार के अनेक सनसनीखेज मामलों के सार्वजनिक होने से केरल की फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल-सा आ गया है। मौलिवुड में मलयाली के एक और अभिनेता जयसूर्या के विरुद्ध एक अभिनेत्री ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी। इससे पूर्व मशहूर एक्टर सिद्दिकी को हाल ही में एक हीरोइन के साथ दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पहला मामला फ़िल्म निर्देशक रंजीत का आया, जिसमें बंगाल की एक्ट्रेस ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। उपरोक्त सभी मामलों में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। मामला इतना गंभीर है कि सिद्दिकी को एसोसिएसन ऑफ़ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स के महासचिव के पद से हाथ धोना पड़ गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए ऐसे सभी मामलों की जाँच एसआईटी को सौंप दी गई है। जस्टिस के. हेमा कमिटी की रिपोर्ट को केरल की एलडीएफ सरकार ने जारी किया, जिसमें महिला अभिनेत्रियों के साथ हो रहे अत्याचार का ब्योरेवार वर्णन है। रिपोर्ट में साफ शब्दों में जिक्र है कि केरल फ़िल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के काम करने का उचित माहौल नहीं है। वर्ष 2017 में गठित कमिटी ने 2019 को राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी किन्तु अगस्त, 2024 में राज्य सरकार ने इसे सार्वजनिक किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विजयन सरकार फ़िल्म इंडस्ट्री और सेक्स रैकेट माफिया के चंगुल में है। एफआईआर तो शोर को कम करने के लिए है। दागियों को जिस तरह सरकार बचा रही है, यह शर्मनाक है। रिपोर्ट में साफ-साफ उल्लेख है कि फ़िल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ यौन शोषण के अतिरिक्त शारीरिक उत्पीड़न भी किया जाता है। उसी को एक्ट्रेस के रूप में मौका दिया जाता है जो शारीरिक सम्बन्ध बनाने को तैयार हो। ऐसी लड़कियों को अभिनेत्री बनाया जाता है। उसे बहुत कम धनराशि दी जाती है। इनकार करने पर स्थापित एक्ट्रेस को जान से मारने की धमकी के साथ ब्लैकमेलिंग भी की जाती है। इसके उलट जो “सहयोग” करने से इनकार करती है, उसे कभी अवसर नहीं दिया जाता। अश्लीलता को फिल्मों में खूब परोसा जा रहा है और उस आड़ में सेक्स रैकेट के साथ ड्रग्स का हजारों करोड़ का धंधा फल-फूल रहा है। अभिनेत्रियों से कम कपड़े और अश्लील हरकतों को शूटिंग में करने को कहा जाता है। सफल तारिका की अब यही पहचान बन गई है। आयोग की आंतरिक शिकायत समिति ने साफ शब्दों में कहा है कि फ़िल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को कार्य नहीं करना चाहिए। आयोग ने चिंता जाहिर की है कि ऐसे अपराधों की थानों में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है और बहुत दबाव में शिकायत दर्ज कर ली गई तो गिरफ्त्तारी कभी होती नहीं है। फ़िल्म इंडस्ट्री की आड़ में सरकार की शह पर घिनौने धंधे चल रहे हैं। बढ़ती किरकिरी के कारण एसोसिएशन ऑफ़ मलयालम मूवी आर्टिस्ट के अध्यक्ष और मशहूर अभिनेता मोहनलाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालाँकि, उनका कार्यकाल 2027 तक था। जगदीश और आर. जयन सहित कई पदाधिकारियों को लोकलाज के कारण इस्तीफा देना पड़ा। विशेष जाँच टीम के राडार पर कई नामचीन फिल्मी हस्तियों के अतिरिक्त सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारी भी शामिल हैं। ऐसे में “मैनेज” के चक्कर में गिरफ्तारी की हरी झंडी न मिलना लोकतंत्र को शर्मसार कर रहा है। एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने कहा कि किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा। यह जाँच दल, रिपोर्ट केवल भरमाने का तरीका है। जनरोष को मद्देनजर रखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने माकपा विधायक सह अभिनेता एम. मुकेश के इस्तीफे की मांग की है। उल्लेखनीय है कि 17 फरवरी 2017 को कोच्चि में एक सुप्रसिद्ध नायिका का पहले अपहरण हुआ, फिर चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म हुआ। पीड़िता की रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद मुख्यमंत्री पिनार्याई विजयन ने केरल हाई कोर्ट की सेवानिवृत जज के. हेमा की अध्यक्षता में कमिटी का गठन कर दिया। रिपोर्ट तो आ गई, किन्तु दोषी कौन? सजा किस-किस को मिलेगी? इत्यादि प्रश्न तो अनुत्तरित हैं। सात वर्षों बाद आई रिपोर्ट भी लगता है मामले को शांत करने और लीपापोती के लिये है। तभी तो फ़िल्म इंडस्ट्री पोर्न इंडस्ट्री के रूप में तब्दील हो गया। सरकार के कई मंत्री-विधायक इस काले धंधे में संलिप्त हैं, इसलिये यह रिपोर्ट शो-पीस बन कर रह गया। आश्चर्यजनक तथ्य है कि 31 दिसंबर,2019 को कमिटी ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी, किन्तु इसे लगभग पांच वर्षों तक जानबूझ कर रोके रखा। इसे जारी कराने के लिये जब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तो संस्कृति विभाग ने गोपनीयता का हनन होना बता कर इसे देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट में भी याचिकाओं के जरिये रोकने का प्रयास किया गया। अंततः राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप और कोर्ट के आदेश के बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जा सका। कास्टिंग काउच साफ-साफ दिखता है। अनेक गवाहों के कैमरे पर आने, ऑडियो क्लिप्स, वीडियो क्लिप्स, स्क्रिन शॉट्स, इंटरव्यू, गवाहों के बयान आदि से इसकी साफ-साफ पुष्टि होती है। समिति के समक्ष कुछ महिलाओं ने यहाँ तक कहा कि रात में पुरुष उनके दरवाजे को जोर-जोर से पीटते हैं. कई महिलाओं ने यह भी बयान में कहा कि सच बोलने से उन्हें पुलिस का भय है कि कहीं उनके रिश्तेदारों पर झूठे मुकदमे न लाद दिये जायें। एक सुप्रसिद्ध अभिनेता ने बयान में कहा कि पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री को माफिया चला रहा है, जिसमें पुरुष प्रोड्यूसर, निर्देशक, अभिनेता शामिल हैं। सिनेमा के तकनीकी सेक्शन में महिला कर्मी नाममात्र की है। फ़िल्म इंस्टीट्यूट के. आर. नारायणन नेशनल इंस्टीटूट ऑफ़ विजुअल साइंस एंड आर्ट्स में 44 में केवल दो छात्राएं हैं। विपक्ष की मांग है कि पूरे मामले की जाँच वरिष्ठ पुलिस महिला अधिकारियों के द्वारा कराई जाये। मौलिवुड में महिलाओं को दो शब्द समझौते और समायोजन के इर्द-गिर्द घूमना होता है। केवल एक ही सन्देश दिया जाता है- अपने को मांग के अनुसार सेक्स के लिये तैयार रहना है। न बोलने पर काम से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। दिलचस्प तथ्य है कि दृश्य में महिला-पुरुष या पति-पत्नी के एक शॉट के 17 री-टेक होते थे। यह पहले से मान लिया जाता था कि अभिनेता तो अभिनेत्री से दुर्व्यवहार करेंगे। इच्छा के विपरीत महिलाकर्मियों को काम करना पड़ता था। 10 से 15 केवल पुरुष ही मोलिवुड में हैं जो अत्यंत धनी हैं और फ़िल्म इंडस्ट्री में इन्हीं का आधिपत्य है। जूनियर कलाकारों को कलाकार के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। साहस कर बयान दे चुके कुछ कलाकारों के अनुसार उन्हें शारीरिक यातनाएं दी जाती हैं। काम करने के बाद रुपये नहीं दिए जाते हैं। हालाँकि, जब इसकी भनक माफिया को लगी तो परिवारवालों को धमकियां दी जाने लगी। इसकी शिकायतें भी थाने में की गई, किन्तु कार्रवाई तो दूर पुलिस उलटे जूनियर कलाकारों को ही केस वापस करने को कह रही है। भोजन और पानी भी नहीं उपलब्ध कराना बड़ी शिकायत है। जूनियर कलाकार गवाहों ने बताया कि सबसे ज्यादा अत्याचार जूनियर महिला कलाकारों पर होता है। उनके साथ यौन शोषण के साथ कार्यावधि ज्यादा किन्तु पारिश्रमिक काफी कम मिलता है। केरल में जन्मी और पली-बढ़ी गीथा जे. जो अब न्यू कैस्टल यूनिवर्सिटी, ग्रेट ब्रिटेन में फ़िल्म प्रैक्टिस पढ़ाती हैं, उसने साफ शब्दों में कहा कि केरल का पूरा फ़िल्म उद्योग सड़ चुका है। अप्रैल, 2010 में ख्याति को चूम रहे थिलाकन को “सच” बोलने की सजा मिल गई थी। फिल्में मिलनी बंद हो गई थी। 2022 में एक्टर- प्रोड्यूसर विजय बाबू पर महिला अभिनेत्री से दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद आंतरिक शिकायत कमिटी का गठन भी दिखावा साबित हुआ। निराश होकर तीन महिला सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। विरोध प्रदर्शन हुए, किन्तु परिणाम शून्य। वाम सरकार के समर्थन से यह माफिया उद्योग में तब्दील हो गया। हेमा कमिटी की रिपोर्ट बहुत देर से ही सही सार्वजनिक होने के बाद भी दोषियों को बचाने की जी-तोड़ कोशिश के कारण केरल की फ़िल्म इंडस्ट्री ध्वस्त हो गई।
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कोरबा | वरिष्ठ पत्रकार और जिले से निकलने वाले दैनिक ब्लैकआउट के पूर्व संपादक प्रदीप महतो के निधन की सूचना है. आज शुक्रवार सुबह 5 बजे एक निजी अस्पताल में उनका निधन होने की जानकारी सामने आई है. महतो, कोरबा के बरपाली गांव के रहने वाले थे और पत्रकारिता जगत में अपनी अलग पहचान रखते थे. बरपाली में प्रेस क्लब की स्थापना करवाने में भी उनका अहम योगदान था. उनके निधन से कोरबा के पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है.
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देहरा | हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला स्थित देहरा में तैनात एसडीएम शिल्पी बेक्टा की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने हंगामा खड़ा कर दिया है. एसडीएम ने एक पत्रकार पर सीधा आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायत भी दी है. एसडीएम ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि, “ब्लैकमेल करने वाले और प्रेस एवं पत्रकार होने का गलत फायदा उठाने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए.” इसके अलावा एसडीएम ने देहरा पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है. शिकायत में उन्होंने एक अज्ञात नंबर से उन्हें धमकाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि फोन करने वाला शख्स द्वारा खुद को पत्रकार बताते हुए बदतमीजी करने के साथ ही धमकी भी दी गई. शिल्पी बेक्टा के अनुसार, शख्स ने फोन पर उनसे कहा – “आपको पता नहीं मैं क्या कर सकता हूं?” एसडीएम ने इस फोन कॉल के बाद अपनी जान को खतरा बताया है. इस मामले में डीएसपी देहरा अनिल ठाकुर ने बताया कि एसडीएम देहरा शिल्पी बेक्टा ने एक लिखित शिकायत दी है और मामले की छानबीन की जा रही है. बता दें कि एसडीएम शिल्पी बेक्टा मूलरूप से शिमला की रहने वाली है, देहरा से पहले वह कांगड़ा में एसडीएम के पद पर कार्यरत थीं.
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सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म पर दिखाई जाने वाली फिल्मों और सीरीज को लेकर नई गाइडलाइन जारी की जाएगी. नई गाइडलाइन के अनुसार अब ओटीटी प्लेटफॉर्म गाली-गलौज या अश्लील भाषा का कंटेंट प्रसारित नहीं कर सकेंगे. सूत्रों की माने तो सूचना प्रसारण मंत्रालय इस संबंध में मंत्रालय से जुड़ी कंपनियों, एक्सपर्ट्स और हिस्सेदारों से विचार विमर्श भी कर रहा है. इसमें महिलाओं से जुड़े कुछ कानूनों के उल्लंघन से बचने का रास्ता भी तलाशा जाएगा. कहा जा रहा है कि इन नियमों से ये सुनिश्चित किया जाएगा कि बिना किसी उल्लंघन के फिल्मों की कहानी को अभिव्यक्त किया जाए. ये प्रमुख बदलाव हो सकते हैं हिन्दी अख़बार अमर उजाला की वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि नए गाइडलाइंस में गाली-गलौज को बीप करने, अश्लील दृश्यों को धुंधला करने के निर्देश होंगे. वहीं किसी डायलॉग में गाली-गलौज अनिवार्य है तो उसे तोड़ मरोड़कर दिखाने की बात हो सकती है. इसके अलावा कपड़े बदलने या अंतरंग संबंधों वाले सीन के अन्य विकल्प तलाशने के निर्देश हो सकते हैं. कंटेंट पर रहेगी नजर ओटीटी कंटेंट और प्लेटफॉर्म पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय नजर रखेगा. मंत्रालय यह भी अपेक्षा रख सकता है कि निर्माता ऐसे लोगों को अपनी टीम में जोड़ें जो जरूरत के अनुसार वैकल्पिक शब्द गढ़ सकें. इसके अलावा निर्माताओं को ओटीटी सीरीज पर सेंसर बोर्ड और मंत्रालय को शपथ पत्र भी देना होगा.
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दि प्रिंट की टीम एडिटोरियली पुअर है। इंग्लिश मीडियम एजुकेशन ने भारत में मानसिक गुलामों की पूरी फौज खड़ी कर दी है। ऐसा न होता तो यहाँ हर दूसरे दिन कोई न कोई नया नीरद सी चौधरी अपनी हीनता ग्रन्थि यूँ उजागर न करता। चलिए लेखक वैशाखनन्दन है कोई बात नहीं मगर क्या दि प्रिन्ट के एडिटर सो रहे थे जो ऐसी अहमकाना हेडिंग दे दी। कुछ और नहीं कर सकते थे तो प्रश्नवाचक या विस्मयादिबोधक चिह्न ही लगा देते। कल ही मैं कोक स्टूडियो के पहले छह अंक के प्रोड्यूसर रोहेल हयात का साल 2015 का एक संवाद सुन रहा था। रोहेल बता रहे थे कि किस तरह पश्चिमी संगीत में पगे उनके जेहन पर हिन्दुस्तानी संगीत का रंग चढ़ा था। मैं संगीत का जानकार नहीं हूँ, श्रोता भर हूँ। रोहेल जानकार हैं। उन्होंने पश्चिमी नोट और आक्टेव की हिन्दुस्तानी संगीत के सुरों से तुलना करके बताया कि शुरू में उन्हें हिन्दुस्तानी संगीत के नोट ग्रहण करने में क्या दिक्कत हुई। यह ठीक बात है कि आर्थिक और मानसिक गुलामी ने भारत को बहुत से मामलों में गरीब कर दिया है मगर गुलामी के दौर में भी हिन्दुस्तानी संगीत ऐसे जीनियस पैदा करती रही है जिनको दुनिया के किसी अन्य महान संगीतकार के बराबर रखा जा सकता है। हालाँकि भारत के आजाद होने के बाद हर उस चीज पर ग्रहण लग गया जिसमें हिन्दुस्तानी परम्परा झलकती है। दि प्रिन्ट का लेख पढ़कर आपको पता चलेगा कि बन्दे का असल दर्द संगीत नहीं है बल्कि विदेशी बैण्डबाजा वालों के लिए भारत में पर्याप्त मार्केट न तैयार होना है। बन्दे का दुख ये है कि एक ब्रिटिश बैण्ड की टिकट भारत में नहीं बिकी। भाई तुम्हारा दुख हम समझ सकते हैं मगर इंग्लिश म्यूजिक की मानसिक गुलामी को लेकर निराश होने की जरूरत नहीं है। चाहो तो एक बार “के पॉप” के नौनिहालों को भारत में बुलाकर देख लो। माँ-बाप से तलाक लेकर बच्चे-बच्चियाँ बम्बई या दिल्ली जाम कर देंगे! ऐसा भी नहीं है कि इंग्लिश गवैयों से कोई दिक्कत है। भारत के सबसे अमीर लोग उन्हीं के गाने सुनते हैं। गरीब लोग मनोरंजन के लिए शाहरुख खान के गाने सुनते हैं और शाहरुख खान एड शीरन के गाने सुनते हैं। सीधा समीकरण है। अब अमीरों का क्राउड तो होता नहीं है। आज भी वे कुल आबादी के दो प्रतिशत ही हैं तो इतने थोड़े से लोग किस-किस का और कितना टिकट खरीदेंगे। अमीरों की आबादी में मिडिल क्लास को भी जोड़ दो तो कुल 10-20 प्रतिशत होते हैं। मगर मिडिल क्लास की दिक्कत ये है कि वह इतना अमीर भी नहीं होता कि ब्रिटेन से बैण्ड आने की खबर सुनकर टिकट लेने दौड़ पड़े! उसके पास पैसे हैं, मगर इतने नहीं कि हर किसी पर लुटा सके। बाबा कार्ल मार्क्स ने भाषा को मनुष्य की व्यावहारिक चेतना कहा है। भाषा बदलने से मनुष्य की व्यावहारिक चेतना बदल जाती है। यह बात अरब और ब्रिटिश भलीभांति समझते थे। युद्ध के मैदान में हारने के बावजूद ईरानियों ने कल्चर के मैदान पर अरब को बैकफुट पर धकेल दिया। ब्रिटिश इस मामले में ज्यादा होशियार निकले। उन्होंने अरबों से अलग लम्बा मगर ठोस रास्ता चुना। इंग्लिश मीडियम मनुष्य की चेतना बदल सकती है इसका उन्हें विश्वास था और यह सच साबित हुआ मगर इसमें थोड़ा सा पेंच ये आ गया कि वह बदली हुई चेतना अपनी जड़ों से कटकर हवा में लटकेगी तो उसका मुँह कब किधर घूम जाएगा, यह जानना किसी के वश की बात नहीं है। अब ये जरूरी नहीं है कि जड़ों से कटे मानसिक गुलाम का सांस्कृतिक आस्वाद ब्रिटेन या ब्रिटिश कॉलोनियों की तरफ ही घूमे। वह फ्रांस, स्पेन, इटली, जर्मनी या कोरिया की तरफ भी घूम सकता है। आजकल कोरिया की तरफ ज्यादा घूमा हुआ है। मगर ऐसा भी नहीं है कि भूरे अंग्रेज ब्रिटिश संगीत से भेदभाव करते हैं। बीटल्स के कई गाने मेरे भी फेवरेट गानों में हैं। एड शीरन का शेप मुझे भी पसन्द आया था। बाकी देश में उनके चाहने वाले लाखों में होंगे। भारत अपने मूल दर्शन में अतिथि को देव समझने वाला देश रहा है। संगीत के मामले में भी यह परमसत्य है मगर संगीत में भारतीय उपमहाद्वीप इतना धनी है कि उसके पास नई दुकान से पकवान खरीदने की उतनी जरूरत नहीं है। पकवान पसन्द भी हो तो ब्रिटेन द्वारा 200 साल तक लूटे जाने कारण हर टिकट खरीदने के पैसे नहीं हैं। अगर बात कटिंग-एज टेक्नोलॉजी से बने वाद्ययंत्रों की करें तो इस मामले में भी भारतीय उपमहाद्वीप के लोग खुले विचार के रहे हैं। इसका सर्वोत्तम उदाहरण हिन्दी फिल्म संगीत और ताजा उदाहरण कोक स्टूडियो है। अमीर देशों में बने कथित कटिंग-एज ढोल, ताशे, हारमोनियम, संतूर इत्यादि का इस्तेमाल करके हिन्दी सिनेमा का संगीत और कोक स्टूडियो का संगीत सुनकर जड़कटी इंग्लिश मीडियम टाइप पीढ़ी भी ब्रिटेन से बेवफा हो जाती है। फ्लुएंट इंग्लिश वाली पीढ़ी भी पसूरी गा रही है। हर दम आपकी महँगी टिकट कब तक खरीदेंगे! कुछ चीजों में भारतीय उपमहाद्वीप जीनियस रहा है, उनमें एक है, संगीत। हो सकता है कि ब्रिटेन वालों के खून में केवल आरबीसी और डब्ल्यूबीसी होता हो मगर इस खित्ते वालों के ब्लड में संगीत भी होता है। यही कारण है कि भारत में संगीत सीखने वाले आते रहे हैं, मगर किसी भारतीय को संगीत सीखने कहीं बाहर नहीं जाना पड़ता। कटिंग-एज वाद्ययंत्र सीखना और उसका इस्तेमाल करना एक बात है, संगीत सीखना दूसरी बात है। यूरोप घूमने के बाद रविशंकर को संगीत सीखने बाबा अल्लाउद्दीन खाँ के पास मैहर जाना पड़ा था। यूरोप ने महान संगीतकार दिये हैं मगर उनके 12 नोट और हमारे सात सुर के बीच अमीरी-गरीबी का कोई भेद नहीं है। न हमारी जनता में संगीत के कद्रदानों की कमी रही है। यह कहने की बात नहीं है कि हमारा संगीत पर्याप्त अमीर है। अब अगर कोई सऊदी अरब को पेट्रोल बेचना चाहता है तो उसे उसमें कुछ अतिरिक्त प्रस्तुत करना होगा। जिन ब्रिटिश संगीतकारों ने कुछ अतिरिक्त पेश किया, उनका भारत में स्वागत हुआ। मगर वो यहाँ टिक न सके क्योंकि हर पौधे की अपनी प्रिय मिट्टी, अपनी प्रिय आबोहवा होती है। मिट्टी से उपजा संगीत इकतारे पर मन मोह सकता है। मिट्टी से कटा संगीत मौसम की तरह आता है, चला जाता है। अगर किसी को टेक्नोलॉजी और संगीत में फर्क नहीं समझ आ रहा है, तो उसे इन विषयों पर लिखने से परहेज करना चाहिए मगर जब फूफा सम्पादक हों तो फिर ऐसे लेख छपने से कौन रोक सकता है!
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आपसी संबंधों में दरार का नया कारण सोशल मीडिया का नया चलन बनता जा रहा है। सोशल मीडिया पर कुछ समय से फ्लैगिंग का नया ट्रैंड चल रहा है। पहली बात तो यह कि सोशल मीडिया की तरफ लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है और कोढ़ में खाज यह कि सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया का दौर भी तेजी से चल रहा है। सोशल मीडिया पर रिएक्शन नहीं आना भी डिप्रेशन का कारण बन रहा है तो सोशल मीडिया पर कुछ अप्रिय रिएक्शन भी तनाव का कारण बनती जा रही है। इन दिनों फ्लैगिंग का दौर चल पड़ा है पर इसमें भी अधिक तो यह कि बेज फ्लैगिंग का नया ट्रेंड साथी को अधिक प्रताड़ित करने लगा है। प्रताड़ना का मतलब तनाव का प्रमुख कारण होने से है। देखा जाए तो सोशल मीडिया पर पिछले साल से चल रहे ट्रेंड से आपसी संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वहीं सोशल मीडिया से जुड़े लोगों में नकारात्मकता और डिप्रेशन का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। नए ट्रेंड को भले ही सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता गंभीरता से नहीं ले रहे हो पर जिस किसी पर नए ट्रेंड के अनुसार फ्लैगिंग के माध्यम से कमेंट्स किये जा रहे हैं उसका असर अंदर तक पहुच रहा है। दरअसल पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया में इशारों-इशारों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का नया चलन तेजी से चला है। एक और जहां इमोजी का प्रयोग आम है तो फ्लैगिंग का नया चलन उससे भी अधिक गंभीर है। सोशल मीडिया पर इन दिनों बेज फ्लैग का चलन कुछ ज्यादा ही चला है। बेज फ्लैग का सीधा मतलब यह निकाला जा रहा है कि इस तरह का व्यवहार जो ना तो अच्छा है और ना ही बुरा, लेकिन इस तरह की प्रतिक्रिया संबंधित को सोचने को मजबूर कर देती है। खासतौर से इसका चलन आपसी रिश्तों को लेकर किया जा रहा है। इससे संबंधित में एक तरह की हीन भावना आती है और उसका दुष्परिणाम हम सब जानते ही हैं। इससे पहले साथियों को रेड फ्लैग और ग्रीन फ्लैग का लेबल दिया जाता रहा है। हालांकि यह भी नकारात्मक ही है। रेड फ्लैग जहां समस्या से ग्रसित व्यवहार को दर्शाता है तो ग्रीन फ्लैग को अच्छे व्यवहार के रूप में देखा जाता रहा है। यानी आप अपने साथी को लेबल दे रहे हैं और वह लेबल ही साथी का आपके प्रति और आपका साथी के प्रति व्यवहार को दर्शाता है। दरअसल, बेज फ्लैग जैसे रिमार्क से रिश्तों में कड़वाहट आती ही आती है। शिकागो की चिकित्सक मिशेल हर्जोंग तो चेतावनी देते हुए कहती है कि ऐसे लेबलिंग से रिश्तों में खटास तय हैं। बेज फ्लैग जैसे लेबल जहां कोई समस्या नहीं हैं वहां भी संभावित समस्या पैदा कर देते हैं। हालाकि यह नए नए ट्रेंड सोशियल मीडिया पर अपने फालोअर्स बढ़ाने और इंफ्लूएसर मार्केटिंग के किये जाते हैं पर इनका असर काफी गहरा देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर साइबर बूलिंग आम होती जा रही है। साइबर बूलिंग में डराने धमकाने के मैसेजों के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से टार्चर किया जाता है। संबंधित व्यक्ति अपने आत्म सम्मान पर ठेस समझता है और इसके कारण अत्यधिक सेंसेटिव व्यक्ति तो तनाव में चला जाता है। इससे उसकी दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित होने लगती है। देखा जाए तो सोशल मीडिया आपसी जुड़ाव का माध्यम होना चाहिए पर जिस तरह का ट्रेंड चल रहा है वह जुड़ाव के स्थान पर विलगाव का अधिक कारण बन रहा है। जाने-अनजाने सामने वाले को गहरी ठेस लगती है। भले हमारी प्रतिक्रिया मजाक में हो रही हो पर सोशल मीडिया पर हमारी प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रियाओें का सिलसिला किस दिशा और हद तक चल निकले इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए हमें सामने वाले की भावनाओं का भी ध्यान रखना होगा। अन्यथा और कुछ नहीं तो संबंधों में अलगाव तय है। ऐसे में सोशल मीडिया को हमें सकारात्मक दिशा में ले जाना होगा। अनपेक्षित प्रतिक्रियाओं से बचना होगा। सोशल मीडिया दरअसल समय काटने या दूसरे को बुली करने का माध्यम नहीं है और ना ही होना चाहिए। बल्कि होना तो यह चाहिए कि सोशल मीडिया के माध्यम से सकारात्मकता का विस्तार और मोटिवेशन का माध्यम बनना चाहिए ताकि सामाजिक सरोकारों को मजबूती प्रदान की जा सके। इस भागदौड़, ईर्ष्या व प्रतिस्पर्धा की जिंदगी मेें लोगों को निराशा व तनाव से बाहर लाया जा सके। हमारी प्रतिक्रिया किसी को मोटिवेट करने का माध्यम बने तभी प्रतिक्रिया की सार्थकता है। ऐसे में सोशल मीडिया में नित नए प्रयोग करते समय कुछ अधिक ही गंभीर होना होगा। खासतौर से समाज विज्ञानियों और मनोविश्लेषकों को गंभीरता से ध्यान देना ही होगा।
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भारत में होने वाले कोल्डप्ले कॉन्सर्ट की टिकट की बड़े स्तर पर कालाबाजारी हो रही है। हमने स्टिंग ऑपरेशन में 3500 का टिकट 70 हजार में खरीदा था। इस खुलासे के बाद ब्रिटिश रॉक बैंड कोल्डप्ले के मुंबई कॉन्सर्ट के ऑफिशियल टिकट पार्टनर बुक माय शो ने कोल्डप्ले कॉन्सर्ट की नकली टिकट बेचने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थीं। वहीं दूसरी तरफ बुक माय शो के खिलाफ एक वकील ने टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग करने की भी शिकायत दर्ज कराई थी। अब इसी शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बुक माय शो के CEO और को-फाउंडर आशीष हेमराजानी को समन जारी किया। उनके अलावा कंपनी के CTO को समन जारी किया गया है। मुंबई पुलिस के अधिकारी के मुताबिक, वकील की शिकायत पर मामले की जांच शुरू की गई है। पुलिस ने शनिवार को कंपनी के CEO और CTO को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था। हालांकि CEO और CTO बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे। इसे लेकर पुलिस ने कहा कि हम दोनों के नाम नया समन जारी करेंगे। बुक माय शो ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई इससे पहले 25 सितंबर को बुक माय शो ने कोल्डप्ले कॉन्सर्ट की नकली टिकट बेचने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए एक बयान जारी कर कहा था- बुक माय शो भारत में कोल्डप्ले के म्यूजिक ऑफ द स्फीयर्स वर्ल्ड टूर 2025 के टिकट सेल और रीसेल के लिए Viagogo और Gigsberg और किसी भी थर्ड पार्टी से नहीं जुड़ा है। कंपनी ने कहा था कि हम भारत में स्केलिंग की सख्त निंदा करते हैं। ऐसा करने पर सजा का कानून है। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मामले की जांच में पूरा सहयोग देंगे। बुक माय शो ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसे घोटाले से बचें। अगर कोई अनअथॉराइज्ड सोर्स से टिकट खरीदता है कि तो सारा जोखिम उसका होगा। खरीदा गया टिकट नकली हो सकता है। बुक माय शो ऐप पर भी 500 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप BYJM (भारतीय जनता युवा मोर्चा) ने भी बुक माय शो पर धोखाधड़ी के आरोप लगाते हुए EOW में शिकायत रजिस्टर करवाई है। बुक माय शो पर आरोप है कि इसके मैनेजमेंट ने टिकट सेलिंग के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग और 500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। पार्टी के सदस्य तेजिंदर सिंह तिवाना ने कहा है कि बुक माय शो को पहले ऐप पर आने वाले लोगों को पहले टिकट देनी थी, हालांकि ऐप ने ब्लैकमार्केटिंक करने वाले एजेंट के लिए स्पेशल लिंक तैयार की, जिससे वे टिकट खरीदकर उसे महंगे दामों में बेच सकें। वहीं टिकट खरीदने वालों को वर्चुअल क्यू में डाल दिया गया, जिससे वो टिकट बुक नहीं कर सके। इस धांधली से बुक माय शो ऐप ने 500 करोड़ रुपए की कमाई की है। उन्होंने ये भी कहा है कि टिकट ब्लैकमार्केटिंग का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले वर्ल्डकप और IPL के टाइम भी टिकट की ब्लैकमार्केटिंग हुई है। विआगोगो जैसी साइट्स पर 12500 रुपए की टिकट को 3 लाख रुपए में बेचा जा रहा था। क्या होती है स्केलिंग स्केलिंग का मतलब है कि किसी प्रोग्राम और म्यूजिक कॉन्सर्ट के टिकटों को थोक में खरीदना। इसके बाद जब टिकट लोगों को नहीं मिलते तो उन्हें वही टिकट महंगी कीमत पर बेचे जाते हैं। जो टिकट ब्लैक में खरीदे या बेचे जाते हैं, उनका कोई डेटा नहीं होता। यह सीधे-सीधे टैक्स में चोरी है। सरकार को इससे काफी नुकसान होता है। सरकार को कम रेट में टिकट बिक्री दिखाई जाती है, जबकि बाहर उसे काफी ज्यादा पैसों में बेचा जाता है। इसके अलावा जो साधारण लोग हैं, उन्हें कभी भी ऐसे इवेंट के टिकट नहीं मिल पाते, क्योंकि पहले से ही ब्लैक में टिकट बेच दिए जाते हैं। जिनके पास पैसे होते हैं, वे तो आसानी से ऊंचे दामों पर टिकट खरीद लेते हैं, लेकिन साधारण लोग इससे वंचित रह जाते हैं। भारत में टिकटों की जालसाजी को लेकर कोई विशेष कानून नहीं क्या भारत में टिकटों की जालसाजी को लेकर कोई कानून है? दैनिक भास्कर ने इसका जवाब जानने के लिए हमने वकील अली काशिफ खान देशमुख से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘सिनेमा के टिकटों के अलावा मनोरंजन के साधनों के टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग पर प्रतिबंध के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। फिलहाल, सिर्फ IPC की धारा 406, 420 या BNS और IT एक्ट के प्रावधान ही इस मामले में लागू होते हैं। इसलिए सरकार को इस तरह के गैरकानूनी कामों पर रोक लगाने के लिए एक ठोस कानून बनाना चाहिए।’ पूर्व ACP मुंबई वसंत ढोबले ने कहा कि बुक माय शो के खिलाफ अगर जालसाज ऐसी बातें कर रहे हैं तो उन्हें सामने आकर सफाई देनी चाहिए। उनकी शिकायत को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई हो सकती है। भारत में 9 साल बाद कोल्डप्ले की परफॉर्मेंस कोल्डप्ले बैंड ने 2016 में मुंबई में आयोजित गोल्डन सिटिजन फेस्टिवल में परफॉर्म किया था। 80 हजार लोग इस शो का हिस्सा बने थे, जिनमें कई बॉलीवुड सेलेब्स भी शामिल थे। अब 9 साल बाद बैंड फिर भारत में आ रहा है। भारत में कोल्डप्ले के गाने हाय्म फॉर द वीकेंड, यलो, फिक्स यू बेहद पॉपुलर हैं। लंदन में शुरुआत, 7 बार ग्रैमी अवॉर्ड जीते कोल्डप्ले बैंड की शुरुआत साल 1997 में लंदन में हुई थी। क्रिस मार्टिन, जॉनी बकलैंड, गाय बैरीमैन, विल चैम्पियन और फिल हार्वे इस बैंड के मेंबर हैं। 39 नॉमिनेशन में कोल्डप्ले 7 बार ग्रैमी अवॉर्ड हासिल कर चुका है।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु यानी गंभीर रूप से बीमार मरीजों का लाइफ सपोर्ट हटाने को लेकर नई गाइडलाइन का ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि डॉक्टरों को कुछ शर्तों को ध्यान में रखकर बेहद सोच-समझकर ये फैसला लेना होगा कि मरीज का लाइफ सपोर्ट हटाया जाना चाहिए या नहीं। गाइडलाइन्स में चार शर्तें तय की गई हैं, जिनके आधार पर यह फैसला लिया जाएगा कि लाइफ सपोर्ट को रोकना मरीज के हित में उचित है। यह तब किया जाएगा जब यह साफ हो कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीज को लाइफ सपोर्ट से कोई फायदा होने की संभावना नहीं है, या लाइफ सपोर्ट पर रखने से मरीज की तकलीफ बढ़ने और गरिमा को नुकसान पहुंचने की संभावना हो। IMA अध्यक्ष बोले- इन गाइडलाइन से डॉक्टर तनाव में आएंगे सरकार की इन गाइडलाइन्स को लेकर मेडिकल फ्रेटरनिटी में असंतोष देखा जा रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रेसिडेंट डॉ. आर.वी. अशोकन ने कहा कि ये दिशा-निर्देश डॉक्टरों को कानूनी जांच के दायरे में लाएंगे और उन पर तनाव डालेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे क्लिनिकल फैसले डॉक्टर्स नेक-नीयत से लेते हैं। ऐसे हर केस में मरीज के परिजन को स्थिति समझाई जाती है और पूरी जानकारी दी जाती है। हर पहलू पर अच्छे से गौर करने के बाद ही फैसला लिया जाता है। ऐसी गाइडलाइन बनाना और कथित तौर से ऐसा दावा करना कि डॉक्टर गलत फैसले लेते हैं या फैसले लेने में देर करते हैं, ये हालात को गलत तरीके से दिखाने की बात है। पहले यह नजरिया और धारणा ही गलत है कि बिना मलतब के ही मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है और इससे जिंदगी को बढ़ाया जाता है। इससे डॉक्टर कानूनी जांच के दायरे में आ जाएंगे। डॉक्टर-मरीज के रिश्ते में जो कुछ भी बचा है, उसे काले-सफेद दस्तावेजों के चार कोनों में परिभाषित करना, जिसे बाद में कानूनी तौर पर जांच परखा जाएगा, इससे डॉक्टर स्ट्रेस में आ जाएंगे। डॉ. आर वी अशोकन बोले- कुछ चीजों को विज्ञान और परिस्थिति के हिसाब से परिजन, पेशेंट्स और डॉक्टरों पर छोड़ देना चाहिए। डॉ. अशोकन ने कहा कि IMA इस डॉक्यूमेंट को पढ़ेगा और ड्राफ्ट गाइडलाइन्स के रिव्यू की मांग करते हुए अपने विचार शेयर करेगा। क्या हैं टर्मिनल बीमारी स्वास्थ्य मंत्रालय के ड्राफ्ट के मुताबिक टर्मिनल बीमारी को ऐसी अपरिवर्तनीय या लाइलाज स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें निकट भविष्य में मृत्यु की बड़ी संभावना रहती है। इसमें वे गंभीर मस्तिष्क चोटें (traumatic brain injury) भी शामिल हैं, जिनमें 72 घंटे या उससे अधिक समय तक कोई सुधार नहीं दिखता। ड्राफ्ट के मुताबिक, ICU में कई मरीज टर्मिनली बीमार होते हैं और उनके लिए लाइफ सस्टेनिंग ट्रीटमेंट (LST) जैसे मैकेनिकल वेंटिलेशन, वासोप्रेसर्स, डायलिसिस, सर्जिकल प्रोसीजर्स, ट्रांसफ्यूजन, पैरेंट्रल न्यूट्रीशन या एक्स्ट्रा-कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजन थेरेपी से कोई लाभ होने की संभावना नहीं होती। गंभीर बीमारी में लाइफ सपोर्ट सिस्टम मरीज की तकलीफ बढ़ाते हैं ड्राफ्ट के मुताबिक ऐसे हालात में LST मरीज को फायदा नहीं पहुंचाते हैं, बल्कि उनकी तकलीफ ही बढ़ाते हैं। इसलिए उन्हें ठीक नहीं माना जाता है। इसके अलावा ये ट्रीटमेंट मरीज के परिवार का इमोशनल स्ट्रेस बढ़ाते हैं और प्रोफेशनल केयरगिवर्स के लिए नैतिक संकट खड़ा करते हैं। ऐसे मरीजों के लिए LST हटाना दुनियाभर में ICU केयर का स्टैंडर्ड माना जाता है और इसे कई जगह कानूनी मान्यता भी दी गई है। ऐसे फैसले मेडिकल, एथिकल और लीगल पहलुओं को देखने के बाद ही लिए जाते हैं। ये माना जा सकता है कि किसी मरीज को लाइफ सपोर्ट ट्रीटमेंट पर रखने से पहले भी इन बातों का खयाल रखना जरूरी है।
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कोलकाता में 8-9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर मामले के बाद 42 दिन तक हड़ताल करने वाले जूनियर डॉक्टर्स फिर से हड़ताल कर सकते हैं। डॉक्टरों ने शनिवार रात को कहा कि सोमवार यानी 31 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी। इस दौरान राज्य सरकार वर्कप्लेस पर सेफ्टी और सिक्योरिटी को लेकर जवाब दाखिल करेगी। राज्य सरकार के जवाब के बाद हम हड़ताल फिर से शुरू करने फैसला ले सकते हैं। दरअसल, कोलकाता के सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 27 सितंबर को एक मरीज की मौत के बाद 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया था। इसी घटना से जूनियर डॉक्टर्स नाराज हैं। उन्होंने अस्पताल में प्रदर्शन भी किया। इस मामले में 4 प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है। 42 दिन तक हड़ताल करने के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय से साल्ट लेक स्थित CBI कार्यालय तक (लगभग 4 KM) मार्च निकालने के बाद 21 सितंबर को काम पर लौटे थे। डॉक्टर बोले- सरकार के साथ हमारी बैठक को गंभीरता से नहीं लिया गया शनिवार को एक डॉक्टर ने कहा कि राज्य सरकार हमें सुरक्षा देने पूरी तरह से विफल रही है। इसलिए शुक्रवार को सगोर दत्ता हॉस्पिटल में हमला हुआ। हम ममता सरकार को कुछ समय दे रहे हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद शाम 5 बजे हम फैसला लेंगे। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ हमारी बैठकों को गंभीरता से नहीं लिया गया। मरीजों के परिवार के सदस्य हमारी एक महिला सहकर्मी को धमका रहे हैं। वे कह रहे हैं कि आरजी कर अस्पताल में जो हुआ, वही दोहराएंगे। ये लोग ऐसी धमकी कैसे दे सकते हैं। ममता-डॉक्टरों की मीटिंग को लेकर 7 दिन टकराव चला डॉक्टरों और ममता की मीटिंग को लेकर कोलकाता में 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें। डॉक्टरों की मांग पर बंगाल सरकार ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटा दिया था। उनकी जगह मनोज वर्मा ने पद संभाला। स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए। 19 सितंबर को डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमारी मांग पर कोलकाता पुलिस कमिश्नर, मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर और हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर को हटाया गया है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि आंदोलन खत्म हो गया है। हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने और अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की हमारी मांग अभी भी जारी है।
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दिल्ली से न्यूयॉर्क जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट के नाश्ते में एक कॉकरोच मिला। घटना 17 सितंबर की है। एक महिला ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके मामले की जानकारी दी। पैसेंजर महिला ने बताया कि उन्हें और उनके 2 साल एक बेटे को फूड पॉइजनिंग हुई। अब वे एअर इंडिया की फ्लाइट में सफर नहीं करेंगी। एअर इंडिया ने कहा कि वे मामले की जांच करेंगे। साथ ही खाना परोसने वाली एजेंसी से भी बात करेंगे। महिला की शिकायत 2 पॉइंट्स में पढ़ें… 1. फूड पॉइजनिंग के शिकार हो गए मां-बेटे सुयशा सावंत नाम की एक महिला अपने दो साल के बच्चे के साथ दिल्ली से न्यूयॉर्क जा रही थी। इस दौरान नाश्ते में ऑमलेट मिला। उन्होंने अपने बेटे के साथ नाश्ता किया। हम नाश्ता ही कर रहे थे कि मुझे कॉकरोच दिख गया। मैं घबरा गई। थोड़ी ही देर में पेट दर्द होने लगा। महिला ने बताया कि इसके बाद उन्हें और उनके बेटे को फूड पॉइजनिंग हो गई। 2. एअर इंडिया की फ्लाइट में सफर करने में डर लग रहा महिला ने बताया कि उनकी फैमिली ज्यादातर एअर इंडिया में ही सफर करते हैं। कई बार बहुत परेशानी झेली है, लेकिन अब कॉकरोच का मिलना कुछ ज्यादा ही बड़ी घटना है। अब हमें एअर इंडिया के साथ सफर करने में डर लग रहा है। एअर इंडिया इंटरनेशनल फ्लाइट में खाने में ब्लेड मिली थी इसी साल 16 जून को एअर इंडिया की इंटरनेशनल फ्लाइट में एक पैसेंजर के खाने में ब्लेड मिली थी। इसके बाद एअर इंडिया ने माफी मांगी थी। दरअसल, मैथुरेस पॉल नाम का पैसेंजर एअर इंडिया की फ्लाइट से बेंगलुरु से सैन फ्रांसिस्को जा रहा था। जब उसे खाने में ब्लेड मिली तो उसने सोशल मीडिया पर दो फोटो शेयर कीं। पॉल ने लिखा, 'एअर इंडिया का खाना चाकू की तरह काट सकता है। भुने हुए शकरकंद और अंजीर चाट में एक मेटल का टुकड़ा मिला, जो ब्लेड जैसा दिख रहा था। मुझे इसका एहसास कुछ सेकेंड तक खाना चबाने के बाद ही हुआ। शुक्र है, मुझे कोई नुकसान नहीं हुआ। बेशक, इसका दोष पूरी तरह से एअर इंडिया की कैटरिंग सर्विस पर है। क्या होता अगर मेटल का टुकड़ा किसी बच्चे को परोसे गए खाने में होता? पहली फोटो में वह मेटल का टुकड़ा दिखाया गया है, जिसे मैंने थूक दिया और दूसरी तस्वीर में वह खाना दिखाया गया है, जो मुझे सर्व किया गया था।'
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इजराइली हमले में हिजबुल्लाह का चीफ हसन नसरल्लाह मारा गया है। इजराइल डिफेंस फोर्स ने शनिवार को यह दावा किया है। यरुशलम पोस्ट के मुताबिक, IDF ने 27 सितंबर को लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर पर 80 टन बंकर बस्टर बम से हवाई हमला किया था। तब नसरल्लाह भी यहीं मौजूद था। IDF ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि अब दुनिया को नसरल्लाह से डरने की जरूरत नहीं है। वह आतंक नहीं फैला पाएगा। हालांकि हिजबुल्लाह की तरफ से अब तक नसरल्लाह की मौत की पुष्टि नहीं हुई है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को UN में भाषण देने के बाद अपने होटल रूम से हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर पर हमले की इजाजत दी थी। अटैक के बाद इजराइली PM ऑफिस ने नेतन्याहू की एक तस्वीर जारी की थी, जिसमें वे लैंडलाइन फोन से लेबनान में हमले का आदेश दे रहे हैं। दूसरी तरफ, नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान में सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई को सुरक्षित जगह शिफ्ट कर दिया गया है। बेरूत की सड़कों पर रह रहे हजारों लेबनानी BBC के मुताबिक, इजराइल और हिजबुल्लाह में 11 दिन से जारी टकराव के बीच हजारों लेबनानी बेघर हो गए हैं। UN एजेंसी ने लेबनान में लोगों को शरण देने के लिए 500 शेल्टर बनाए हैं। बमबारी के बीच साउथ लेबनान में बेघर हुए हजारों लोग सड़कों, कारों और पार्क में सो रहे हैं। लेबनान में सेना भेजने की तैयारी में ईरान ईरान में विदेश मंत्रालय के अधिकारी आयतुल्लाह मोहम्मद अखतारी ने कहा है कि ईरान आने वाले कुछ दिनों में लेबनान और सीरिया में सैनिकों की तैनाती की तैयारी में है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिया गया है। अखतारी ने कहा, "वरिष्ठ अधिकारी जल्द ही गोलन हाइट्स में सैनिकों को तैनात करने की इजाजत दे देंगे। हम लेबनान में इजराइल से लड़ाई के लिए 1981 की तरह ही सेना भी भेज सकते हैं।" खामेनेई बोले- हिजबुल्लाह के लिए साथ आएं सभी मुस्लिम ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा, "सभी मुस्लिमों को इस वक्त लेबनान और हिजबुल्लाह के साथ खड़े होने की जरूरत है। उन्हें साथ आकर दुष्ट इजराइल से लड़ाई लड़नी होगी। इस क्षेत्र का भविष्य अब इस बात पर टिका है कि हम कितनी ताकत से इजराइल को रोक सकते हैं। हिजबुल्लाह इस अभियान में हमारा नेतृत्व कर रहा है।" नसरल्लाह को मारने के लिए इजराइल ने चलाया था 'न्यू ऑर्डर' ऑपरेशन इजराइली सेना ने बताया कि नसरल्लाह को मारने के लिए जो ऑपरेशन चलाया गया था उसे 'न्यू ऑर्डर' नाम दिया गया था। बेरूत पर हमले के दौरान इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट और IDF के चीफ ऑफ स्टाफ कमांड सेंटर से ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे।
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केरल में मंकीपॉक्स (MPox) का दूसरा मरीज मिला है। भारत में मंकीपॉक्स का यह तीसरा मामला है। 29 साल का युवक UAE से केरल के एर्नाकुलम लौटा था। उसे तेज बुखार था। जांच में MPox की पुष्टि हुई। अभी स्ट्रेन का पता नहीं चला है। केरल हेल्थ डिपार्टमेंट ने बताया कि मरीज का कोच्चि के प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसके सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जीनोमिक सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। जांच के बाद पता चलेगा कि मरीज MPox के खतरनाक और तेजी से फैलने वाले क्लैड-1बी स्ट्रेन से संक्रमित है या नहीं। 18 सितंबर को भारत में MPox का दूसरा और क्लेड-1बी स्ट्रेन का पहला मरीज मिला था। 38 साल का संक्रमित मरीज UAE से केरल के मलप्पुरम लौटा था। उसने 17 सितंबर को खुद को क्वारंटीन कर लिया था। हरियाणा में मिला था भारत का पहला MPox मरीज 9 सितंबर को देश में मंकीपॉक्स के पहले मरीज मिलने की पुष्टि हुई थी। हरियाणा के हिसार में एक 26 साल के युवक में पुराना स्ट्रेन क्लैड-2 पाया गया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि व्यक्ति विदेश से लौटा था। उसे 8 सितंबर को आइसोलेशन में रखा गया था। सैंपल लेकर जांच कराई गई, जिसमें मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी। क्या है मंकीपॉक्स मंकीपॉक्स वायरस से फैलने वाली बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है। वायरस के दो अलग-अलग ग्रुप हैं: क्लैड-1 (सब क्लैड 1ए और 1बी) और क्लैड-2 (सब क्लैड 2ए और 2बी)। क्लेड-1बी स्ट्रेन को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। क्लैड-2 के मुकाबले क्लेड-1 ज्यादा घातक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की राज्यों को एडवाइजरी 9 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंकीपॉक्स को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की थी। चंद्रा ने कहा था कि मंकीपॉक्स के खतरे को रोकने के लिए सभी राज्यों को हेल्थ एक्शन लेना चाहिए। राज्यों को मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के मंकीपॉक्स पर जारी कम्युनिकेबल डिजीज अलर्ट (सीडी अलर्ट) पर एक्शन लेना चाहिए। इसके अलावा राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करनी चाहिए। सीनियर अधिकारियों को जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेना चाहिए। WHO की एडवाइजरी- मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले युवा पुरुषों में सामने आए हैं, जिनकी औसत आयु 34 वर्ष (सीमा 18-44 वर्ष) है। सबसे ज्यादा मामले सेक्शुअल कॉन्टैक्ट से संक्रमण के हैं। इसके बाद पर्सन-टू-पर्सन नॉन सेक्शुअल कॉन्टैक्ट के मामले हैं। WHO ने मंकीपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। भारत ने 20 अगस्त को देश के सभी पोर्ट्स, एयरपोर्ट के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था। यह दो साल में दूसरी बार है, जब WHO ने मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी। अफ्रीका के दस देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। इसके बाद यह दुनिया के बाकी देशों में फैला। कोरोना की तरह मंकीपॉक्स विमान यात्रा और ट्रैवलिंग के अन्य साधनों के जरिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रहा है। WHO इसलिए भी चिंतित है, क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग मामलों में मृत्यु दर भी अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी ज्यादा रही है।
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बेंगलुरु में 29 साल की महालक्ष्मी के 59 टुकड़े करने वाले आरोपी मुक्ति रंजन राय का सुसाइड नोट सामने आया है। उसके शव के पास से डायरी मिली थी। उसमें उसने लिखा, 'उसने शादी के लिए राजी नहीं होने पर मेरे साथ कई बार मारपीट की थी। मैं उसके टॉर्चर से तंग आ चुका था। इसलिए उसे मार डाला।' आरोपी के परिवार ने आरोप लगाया कि महालक्ष्मी मारपीट के अलावा मुक्ति रंजन से पैसे और कीमती सामान भी वसूलती थी। महिला ने उसे एक सोने की अंगूठी, एक महंगा मोबाइल फोन और एक नेकलेस देने के लिए मजबूर किया था। महालक्ष्मी ने एक बार मुक्ति रंजन को पुलिस से गिरफ्तार भी करवाया था। बेंगलुरु के व्यालिकावल इलाके में बसप्पा गार्डन के पास तीन मंजिला मकान के वन बेडरूम अपार्टमेंट में 20 सितंबर को महालक्ष्मी की लाश मिली थी। उसके शव के 59 टुकड़े फ्रिज में रखे थे। महालक्ष्मी वहां अकेले रहती थी। महालक्ष्मी और मुक्ति रंजन रिलेशनशिप में थे। दोनों एक मॉल में काम करते थे। मुक्ति रंजन ने 25 सितंबर को ओडिशा के भद्रक जिले में अपने गांव के पास सुसाइड कर लिया था। उसका शव एक पेड़ पर लटकता मिला। पास से उसकी बाइक और एक डायरी मिली थी। आरोपी का भाई बोला- 3 सिंतबर को हत्या की थी, घर आकर मुझे बताया आरोपी के छोटे भाई सत्या ने पुलिस को बताया कि मुक्ति रंजन ने 3 सितंबर को ही महालक्ष्मी की हत्या की थी। दोनों रिलेशनशिप में थे। महालक्ष्मी शादी की जिद करती थी, जिससे दोनों के बीच मनमुटाव पैदा हो गया। सत्या के मुताबिक, 3 सितंबर को इसी बात पर दोनों के बीच झगड़ा हुआ था। इसके बाद मुक्ति रंजन ने महालक्ष्मी की गला घोंटकर हत्या कर दी। रात में उसने कुल्हाड़ी से उसके शरीर के टुकड़े किए और रेफ्रिजरेटर में छिपा दिया। इसके बाद वह बेंगलुरु से घर आ गया। सत्या ने बताया, 'मेरा भाई पिछले नौ-दस दिनों से मेरे साथ था। मेरे साथ तीन दिन रहने के बाद उसने महालक्ष्मी की हत्या करने की बात कबूल कर ली। वह दो-तीन महीने के बाद महालक्ष्मी के शव के टुकड़े फेंकने की प्लानिंग में था।' त्या का आरोप है कि एक बार मुक्ति रंजन केरल जा रहा था। तब महालक्ष्मी ने उसकी बाइक को रोका और किडनैपिंग की बात कहकर उसकी पिटाई करवा दी थी। वहां मौजूद लोगों ने उसे बहुत मारा और पुलिस के हवाले कर दिया। मुक्तिरंजन पुलिस को 1 हजार रुपए देकर छूटा था। महालक्ष्मी के भाई उक्कम सिंह और उसके दोस्तों ने भी मुक्तिरंजन को धमकाया था। उसकी पिटाई की थी। कहा था कि जैसा महालक्ष्मी बोल रही है, वैसा ही करो। अगर नहीं किया तुम्हें और तुम्हारे भाइयों को मार डालेंगे। मुक्तिरंजन के भाई के बयान पर अब पुलिस उक्कम से पूछताछ कर रही है। घर से बदबू आने पर हुआ था मर्डर का खुलासा 20 सितंबर तो महालक्ष्मी के मर्डर का खुलासा तब हुआ जब उसकी बिल्डिंग में रहने वाले जीवन प्रकाश को तेज बदबू का एहसास हुआ। बदबू मकान के टॉप फ्लोर से आ रही है, जहां महालक्ष्मी रहती थी। जीवन महालक्ष्मी के दरवाजे पर पहुंचे तो बदबू इतनी बढ़ गई कि खड़ा होना मुश्किल हो गया था। दरवाजे बाहर से लॉक लगा था। जीवन ने तुरंत महालक्ष्मी के भाई उक्कम सिंह और बहन को फोन लगाया। देर रात करीब 12.30 बजे महालक्ष्मी की फैमिली पहुंची। इसके बाद दरवाजे का लॉक तोड़ा गया था। कमरे में खून बिखरा पड़ा था और जमीन पर कीड़े रेंग रहे थे। घर का सारा सामान बिखरा पड़ा था। महालक्ष्मी की मां ने फ्रिज खोला तो अंदर बेटी का कटा सिर, पैर और डेडबॉडी के 59 से ज्यादा टुकड़े थे। पुलिस ने महालक्ष्मी के परिवार को बताया था कि CCTV फुटेज में मर्डर की रात 2 लोग स्कूटी से महालक्ष्मी के घर आए थे। पुलिस ने इस मामले में अशरफ नाम के हेयर ड्रेयर से पूछताछ की थी। महालक्ष्मी 4 साल से पति से अकेले रहती थी महालक्ष्मी के भाई उक्कम सिंह ने बताया था कि उनका परिवार नेपाल के कठंद राज्य के टीकापुर गांव का रहने वाला है। 30 साल पहले मम्मी-पापा काम के लिए बेंगलुरु आए और यहीं बस गए। महालक्ष्मी की शादी नेलमंगला में रहने वाले हेमंत दास से हुई थी। हेमंत मोबाइल एसेसरीज की शॉप में काम करता है। महालक्ष्मी एक मॉल में काम करती थी। उनकी 4 साल की एक बेटी भी है।महालक्ष्मी और हेमंत करीब 4 साल से अलग-अलग रह रहे थे। हालांकि, दोनों का अभी तलाक नहीं हुआ था। बेटी हेमंत के साथ रहती थी। उक्कम ने बताया कि महालक्ष्मी अक्टूबर 2023 से व्यालिकावल में किराए के मकान में रह रही थी। वह इंडिपेंडेंट महिला थी। घर में मौजूद सारा सामान उसने अपने पैसों से खरीदा था। सोफा, अलमारी समेत घर का सारा सामान खुद लाई थी। जिस फ्रिज में उसकी लाश मिली है, वो भी उसने कुछ ही दिन पहले खरीदा था।
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जगन मोहन रेड्डी कल यानी 28 सितंबर को तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में विशेष अनुष्ठान करने वाले हैं। इससे पहले पुलिस ने शुक्रवार को YSR कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस अधिनियम की धारा 30 का उल्लंघन न करने का नोटिस जारी किया है। एक अधिकारी के मुताबिक, पुलिस पूर्व मुख्यमंत्री को तिरुमाला जाने से पहले रेनिगुंटा एयरपोर्ट पर उतरने के बाद नोटिस भी जारी कर सकती है। इसमें यह मांग की जाएगी कि वे भीड़ न जुटाएं। इधर, आंध्र प्रदेश सरकार की बनाई हुई 9 सदस्यों वाली SIT ने तिरुपति के प्रसादम में एनिमल फैट पाए जाने के मामले की जांच शुरू कर दी है। SIT को गुंटूर रेंज के IG सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी लीड कर रहे हैं। लड्डू विवाद तब शुरू हुआ, जब CM चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को यह आरोप लगाया कि YSR कांग्रेस सरकार में तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी वाला वनस्पति तेल और फिश ऑयल मिलाया गया था। ऐसा है जगन का तिरुपति मंदिर विजिट का शेड्यूल पूर्व CM रेड्डी गन्नवरम एयरपोर्ट (कृष्णा जिला) से शुक्रवार शाम 4 बजे रेनिगुंटा जाएंगे और वहां से वे तिरुमाला जाएंगे, जहां वे शाम 7 बजे पहुंच सकते हैं। जगन यहां रात में रुक सकते हैं। शनिवार 28 सितंबर सुबह 10.20 बजे वे तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करने के लिए गेस्ट हाउस से निकलेंगे। पुलिस के मुताबिक जिले में पुलिस अधिनियम की धारा 30 लागू है, जो सार्वजनिक सभाओं और जुलूसों पर पाबंदी लगाती है। पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों से तिरुपति में इकट्ठा होने की अपील वाली कई पोस्ट देखी हैं। इसलिए जगन को भी धारा 30 के तहत नोटिस दिया जा सकता है YSR के कई नेताओं को पुलिस का नोटिस तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष करुणाकर रेड्डी ने कहा कि उन्हें और पार्टी के कई नेताओं को पुलिस ने आधी रात को नोटिस जारी किया है कि वे घर के बाहर न आएं। हालांकि, रेड्डी ने कहा कि TTD के पूर्व अध्यक्ष के रूप में वे 7 सदस्यों के साथ दर्शन के हकदार हैं। दरअसल, जगन के 28 सितंबर को पूजा के ऐलान के बाद TDP ने कहा है कि उन्हें एंट्री तभी मिलेगी, जब वे मंदिर के उस घोषणापत्र पर साइन करेंगे, जिसमें लिखा हो कि उन्हें भगवान बालाजी पर विश्वास है। पार्टी का आरोप है कि इतने साल से वे साइन किए बिना ही मंदिर में गए हैं। 2012 से तिरुपति मंदिर जा रहे हैं जगन मोहन रेड्डी मई 2012- जगन तब कडप्पा से सांसद और YSR कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उनके साथ कई कार्यकर्ता मंदिर पहुंचे थे। किसी ने भी घोषणापत्र साइन नहीं किया था। सितंबर 2019 - मुख्यमंत्री बनने के बाद जगनमोहन तिरुपति मंदिर गए थे। इस दौरान उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर को पट्टू वस्त्रम भेंट किए थे। रेड्डी परिवार में पिता के बाद ऐसा करने वाले वे दूसरे CM थे। सितंबर 2020- मंदिर के सालाना ब्रह्मोत्सव में शामिल होने पहुंचे। इससे पहले मंदिर प्रशासन पर आरोप लगा था कि CM जगन की यात्रा के लिए उसने घोषणा पत्र फॉर्म रद्द कर दिए। सितंबर 2022- कोरोना काल के बाद जगन तिरुपति मंदिर गए। इस बार उनकी पत्नी भारती के सरकारी विमान से निजी यात्रा करने पर विवाद हुआ। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने 24 सितंबर को यह भी साफ कर दिया कि लड्डू प्रसादम में तंबाकू की थैली होने की बात झूठ है। TTD के CPRO के मुताबिक, तिरुमाला में लड्डू श्री वैष्णव ब्राह्मण बनाते हैं। इसके लिए नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। हर दिन लाखों लड्डू तैयार होते हैं। इस सिस्टम के बारे में गलत खबर फैलाना दुर्भाग्यपूर्ण है। पांच सप्लायर में से एक का घी जांच में फेल कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) पिछले 50 साल से रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। तिरुपति मंदिर में हर छह महीने में 1400 टन घी लगता है। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन सरकार (YSRCP) ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। इसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी। TDP सरकार आई, जुलाई में सैंपल की जांच, चर्बी की पुष्टि TDP सरकार ने जून 2024 में सीनियर IAS अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का नया एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अपॉइंट किया था। उन्होंने प्रसादम (लड्डू) की क्वॉलिटी जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई। प्रसाद के टेस्ट और क्वॉलिटी को बेहतर बनाने के लिए कमेटी ने कई सुझाव दिए। साथ ही घी की जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB), गुजरात में सैंपल भेजे। जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में फैट का जिक्र था। इसके बाद TTD ने तमिलनाडु के डिंडीगुल की एआर डेयरी फूड्स की तरफ से भेजे गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। इसके बाद TTD ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदना शुरू कर दिया। पुराने सप्लायर से घी 320 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से खरीदा जाता था। अब तिरुपति ट्रस्ट कर्नाटक को-ऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) से 475 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से घी खरीद रहा है। घी की शुद्धता जांचने वाली लैब NDDB CALF (आणंद, गुजरात) ने तिरुपति को घी की शुद्धता की जांच करने के लिए एक मशीन दान करने पर सहमति दी है। इसकी लागत 75 लाख रुपए है। CM नायडू ने लैब रिपोर्ट सार्वजनिक की, विवाद बढ़ा जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में लड्डुओं में चर्बी की पुष्टि हो गई थी। हालांकि, टीडीपी ने दो महीने बाद रिपोर्ट सार्वजनिक की। CM नायडू ने 18 सितंबर को आरोप लगाया था कि पूर्व जगन सरकार में तिरुपति मंदिर के लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल मिलाया गया था। TDP ने एक लैब रिपोर्ट दिखाकर अपने आरोपों की पुष्टि का दावा भी किया। नायडू ने कहा, जब बाजार में 500 रुपए किलो घी मिल रहा था, तब जगन सरकार ने 320 रु. किलो घी खरीदा। ऐसे में घी में सप्लायर की ओर से मिलावट होनी ही थी। जगन सरकार द्वारा कम दाम वाले घी को खरीदने की जांच हाेगी। पशु चर्बी वाले घी से बने लड्डुओं से तिरुपति मंदिर की पवित्रता पर दाग लगाया है।
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बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की अंतरिम जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई फिर टल गई। मामले से जुड़े वकीलों कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए और समय मांगा है। अब इस केस की सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी, तब तक पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से भी मिली छूट भी जारी रहेगी। इससे पहले 5 सितंबर को हुई सुनवाई में पूजा ने कोर्ट से कहा था कि वह अपनी विकलांगता की जांच AIIMS में कराने को तैयार हैं। दरअसल, 4 सितंबर को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को दी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि पूजा की तरफ से UPSC में जमा कराए गए दो डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट में से एक फर्जी होने का शक है। सुनवाई के बाद जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा था कि पुलिस ने मामले में और जांच करने के लिए 10 दिन का समय मांगा है, इसलिए सुनवाई स्थगित की जा रही है। इस बीच, 19 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने UPSC की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर नोटिस जारी कर पूजा से 26 सितंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा। UPSC ने पूजा खेडकर पर झूठे दस्तावेज देने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी। बुधवार को पुलिस ने हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार (4 सितंबर) को नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर जानकारी दी कि सस्पेंड की गई ट्रेनी IAS पूजा खेडकर ने दो डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जमा कराए थे, इसमें से एक सर्टिफिकेट फर्जी होने का शक है। दिल्ली पुलिस ने इस स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि हमने UPSC की तरफ से जमा कराए गए डॉक्यूमेंट की जांच की। इसमें सामने आया कि पूजा खेडकर ने सिविल सर्विसेज एक्जामिनेशन- 2022 और 2023 के दौरान दो डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट (मल्टीपल डिसेबिलिटी) जमा कराए थे, जो उनके (पूजा के) मुताबिक महाराष्ट्र के अहमदनगर की मेडिकल अथॉरिटी की तरफ से जारी किए गए थे। पुलिस ने अहमदनगर मेडिकल अथॉरिटी ने इन दोनों सर्टिफिकेट की जांच कराई। अथॉरिटी ने बताया- ‘हमारे सिविल सर्जन के ऑफिस रिकॉर्ड के मुताबिक डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट (मल्टीपल डिसेबिलिटी) नंबर MH2610119900342407 को इस अथॉरिटी ने जारी नहीं किया। लिहाजा इस बात की संभावना है कि इस डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट को जाली तरीके से बनाया गया है।’ पूजा बोलीं- UPSC को मेरे खिलाफ एक्शन लेने का अधिकार नहीं UPSC ने 31 जुलाई को पूजा का सिलेक्शन रद्द किया था और भविष्य में कोई एग्जाम देने पर भी रोक लगाई थी। UPSC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पूजा को CSE-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया था। आयोग ने दिल्ली पुलिस में केस भी दर्ज कराया था। पूजा ने 28 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि UPSC के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। पूजा ने कहा कि UPSC ने 2019, 2021 और 2022 के पर्सनैलिटी टेस्ट के दौरान कलेक्ट किए बायोमेट्रिक डेटा (सिर और उंगलियों के निशान) के जरिए मेरी पहचान वैरिफाई की है। मेरे सारे डॉक्यूमेंट को 26 मई 2022 को पर्सनैलिटी टेस्ट में आयोग ने वैरिफाई किया था। इस सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व IAS अफसर पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम जमानत दी थी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा था कि दिल्ली पुलिस इस मामले में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है, इसलिए खेडकर की अंतरिम जमानत याचिका की सुनवाई 5 सितंबर तक के लिए टाली जाती है। पूजा पर तय सीमा से ज्यादा बार एग्जाम देने का आरोप दिव्यांग कैटेगरी से कोई कैंडिडेट 9 बार परीक्षा दे सकता है। जनरल कैटेगरी से 6 अटेम्प्ट्स देने की इजाजत होती है। पूजा पर गलत उम्र, सरनेम बदलने, माता-पिता की गलत जानकारी, गलत तरीके से आरक्षण का फायदा लेने और तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम देने का आरोप है। पूजा को CSE-2022 में 841वीं रैंक मिली थी। 2023 बैच की ट्रेनी IAS पूजा जून 2024 से पुणे में ट्रेनिंग कर रही थीं। पूजा ने हाईकोर्ट को बताया था- मैं 47% दिव्यांग हूं 30 अगस्त को पूजा ने दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया था कि था कि UPSC की परीक्षा में आरक्षण के लिए कैंडिडेट का 40% दिव्यांग होना जरूरी है। मैं 47% दिव्यांग हूं। इसलिए UPSC परीक्षा में मेरे सिर्फ दिव्यांग कैटेगरी वाले अटेम्प्टस को गिना जाए। उन्होंने कहा कि उनके पास महाराष्ट्र के हॉस्पिटल का सर्टिफिकेट है, जिसमें उन्हें ओल्ड ACL (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) के फटने और बाएं घुटने में अस्थिरता की पुष्टि की गई है। पूजा ने बताया कि उन्होंने सिविल सर्विसेज एग्जाम के 12 अटेम्प्ट्स दिए हैं। इनमें 7 अटेम्प्ट्स जनरल कैटेगरी से दिए हैं। पूजा ने जनरल कैटेगरी के सातों अटेम्प्ट्स नजरअंदाज करने की अपील की। पूजा के विकलांगता सर्टिफिकेट से जुड़े विवाद विकलांगता सर्टिफिकेट में पूजा खेडकर का एड्रेस ‘प्लॉट नंबर 53, देहू अलंदी रोड, तलावडे, पिंपरी चिंचवाड़, पुणे’ लिखा गया था। जबकि इस एड्रेस पर कोई घर नहीं, बल्कि थर्मोवर्टा इंजीनियरिंग कंपनी नाम की एक फैक्ट्री है। पूजा की जिस ऑडी को जब्त किया गया था, वह इसी कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। सरकारी नियमों के तहत विकलांगता सर्टिफिकेट बनाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, लेकिन पूजा के सर्टिफिकेट में राशन कार्ड लगाया गया था। विकलांग कोटे से UPSC में सिलेक्शन होने के बाद से पूजा के कई विकलांगता सर्टिफिकेट सामने आ चुके हैं। पूजा खेडकर ने 2018 और 2021 में अहमदनगर डिस्ट्रिक्ट सिविल हॉस्पिटल की ओर से जारी 2 विकलांग सर्टिफिकेट UPSC को सौंपे थे। पूजा ने अपनी विकलांगता सर्टिफिकेट की पुष्टि के लिए दिल्ली में मेडिकल जांच के लिए कई बार अपॉइंटमेंट लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में बनी रिपोर्ट को UPSC में जमा कर दिया। यशवंत राव चह्वाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल ने साफ कर दिया है कि पूजा खेडकर का लोकोमीटर सर्टिफिकेट बनाने में कोई गलती नहीं हुई। सर्टिफिकेट में पूजा को 7% लोकोमीटर डिसेबिलिटी बताई गई थी। अस्पताल को पिंपरी चिंचवाड नगर निगम संचालित करता है। पूजा ने UPSC को दिए एक हलफनामे में दावा किया था कि वह मानसिक रूप से अक्षम हैं और उन्हें देखने में भी दिक्कत होती है। पूजा ने मेडिकल टेस्ट देने से 6 बार मना किया था, जबकि मेडिकल टेस्ट देना जरूरी होता है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा का पहला मेडिकल टेस्ट दिल्ली AIIMS में अप्रैल 2022 में शेड्यूल हुआ था। उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का हवाला देकर इसमें शामिल होने से मना कर दिया था।
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24 सितंबर को दैनिक भास्कर ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर खुलासा किया था कि भारत में होने वाले कोल्डप्ले कॉन्सर्ट की टिकट की बड़े स्तर पर कालाबाजारी हो रही है। हमने स्टिंग ऑपरेशन में 3500 का टिकट 70 हजार में खरीदा था। खुलासे के बाद अब बुक माय शो ने कोल्डप्ले कॉन्सर्ट की नकली टिकट बेचने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। ऑनलाइन टिकट एग्रीगेटर बुक माय शो कोल्डप्ले के कॉन्सर्ट का ऑफिशियल टिकटिंग पार्टनर है। बुक माय शो की तरफ से जारी बयान में स्पष्ट रूप से कहा गया कि बुक माय शो भारत में कोल्डप्ले के म्यूजिक ऑफ द स्फीयर्स वर्ल्ड टूर 2025 के टिकट सेल और रीसेल के लिए Viagogo और Gigsberg और किसी भी थर्ड पार्टी से नहीं जुड़ा है। कंपनी ने कहा- हम भारत में स्केलिंग की सख्त निंदा करते हैं। ऐसा करने पर सजा का कानून है। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मामले की जांच में पूरा सहयोग देंगे। बुक माय शो ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसे घोटाले से बचें। अगर कोई अनअथॉराइज्ड सोर्स से टिकट खरीदता है कि तो सारा जोखिम उसका होगा। खरीदा गया टिकट नकली हो सकता है। बुक माय शो एप पर भी 500 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप BYJM (भारतीय जनता युवा मोर्चा) ने भी बुक माय शो पर धोखाधड़ी के आरोप लगाते हुए EOW (इकोनॉमिक्स ऑफेंस विंग) में शिकायत रजिस्टर करवाई है। बुक माय शो पर आरोप है कि इसके मैनेजमेंट ने टिकट सेलिंग के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग और 500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। पार्टी के सदस्य तेजिंदर सिंह तिवाना ने कहा है कि बुक माय शो को पहले एप पर आने वाले लोगों को पहले टिकट देनी थी, हालांकि एप ने ब्लैकमार्केटिंक करने वाले एजेंट के लिए स्पेशल लिंक तैयार की, जिससे वो टिकट खरीदकर उसे महंगे दामों में बेच सकें। वहीं टिकट खरीदने वालों को वर्चुअल क्यू में डाल दिया गया, जिससे वो टिकट बुक नहीं कर सके। इस धांधली से बुक माय शो एप ने 500 करोड़ रुपए की कमाई की है। उन्होंने ये भी कहा है कि टिकट ब्लैकमार्केटिंग का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले वर्ल्डकप और आईपीएल के टाइम भी टिकट की ब्लैकमार्केटिंग हुई है। विआगोगो जैसी साइट्स पर 12500 रुपए की टिकट को 3 लाख रुपए में बेचा जा रहा था। क्या होती है स्केलिंग स्केलिंग का मतलब है कि किसी प्रोग्राम और म्यूजिक कॉन्सर्ट के टिकटों को थोक में खरीदना। इसके बाद जब टिकट लोगों को नहीं मिलते तो उन्हें वही टिकट महंगी कीमत पर बेचे जाते हैं। जो टिकट ब्लैक में खरीदे या बेचे जाते हैं, उनका कोई डेटा नहीं होता। यह सीधे-सीधे टैक्स में चोरी है। सरकार को इससे काफी नुकसान होता है। सरकार को कम रेट में टिकट बिक्री दिखाई जाता है, जबकि बाहर उसे काफी ज्यादा पैसों में बेचा जाता है। इसके अलावा जो साधारण लोग हैं, उन्हें कभी भी ऐसे इवेंट के टिकट नहीं मिल पाते, क्योंकि पहले से ही ब्लैक में टिकट बेच दिए जाते हैं। जिनके पास पैसे होते हैं, वे तो आसानी से ऊंचे दामों पर टिकट खरीद लेते हैं, लेकिन साधारण लोग इससे वंचित रह जाते हैं। भारत में टिकटों की जालसाजी को लेकर कोई विशेष कानून नहीं क्या भारत में टिकटों की जालसाजी को लेकर कोई कानून है? दैनिक भास्कर ने इसका जवाब जानने के लिए हमने वकील अली काशिफ खान देशमुख से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘सिनेमा के टिकटों के अलावा मनोरंजन के साधनों के टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग पर प्रतिबंध के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। फिलहाल, सिर्फ IPC की धारा 406, 420 या BNS और IT एक्ट के प्रावधान ही इस मामले में लागू होते हैं। इसलिए सरकार को इस तरह के गैरकानूनी कामों पर रोक लगाने के लिए एक ठोस कानून बनाना चाहिए।’ पूर्व ACP मुंबई वसंत ढोबले ने कहा कि बुक माय शो के खिलाफ अगर जालसाज ऐसी बातें कर रहे हैं तो उन्हें सामने आकर सफाई देनी चाहिए। उनकी शिकायत को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई हो सकती है। भारत में 9 साल बाद कोल्डप्ले की परफॉर्मेंस कोल्डप्ले बैंड ने 2016 में मुंबई में आयोजित गोल्डन सिटिजन फेस्टिवल में परफॉर्म किया था। 80 हजार लोग इस शो का हिस्सा बने थे, जिनमें कई बॉलीवुड सेलेब्स भी शामिल थे। अब 9 साल बाद बैंड फिर भारत में आ रहा है। भारत में कोल्डप्ले के गाने हाय्म फॉर द वीकेंड, यलो, फिक्स यू बेहद पॉपुलर हैं। लंदन में शुरुआत, 7 बार ग्रैमी अवॉर्ड जीते कोल्डप्ले बैंड की शुरुआत साल 1997 में लंदन में हुई थी। क्रिस मार्टिन, जॉनी बकलैंड, गाय बैरीमैन, विल चैम्पियन और फिल हार्वे इस बैंड के मेंबर हैं। 39 नॉमिनेशन में कोल्डप्ले 7 बार ग्रैमी अवॉर्ड हासिल कर चुका है।
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भारत का पहला शुक्र मिशन मार्च 2028 में लॉन्च किया जाएगा। केंद्र सरकार ने 19 सितंबर को इस मिशन की मंजूरी दी। यह मिशन चार साल का होगा। वीनस यानी शुक्र ग्रह धरती से करीब 4 करोड़ किमी दूर है। वीनस को पृथ्वी का जुड़वां ग्रह भी कहा जाता है। हालांकि, यहां का दिन-रात पृथ्वी की तुलना में काफी लंबा होता है। दरअसल वीनस अपनी धुरी पर बहुत धीमे घूमता है। इसकी वजह से वीनस का एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है। मिशन वीनस क्या है भारत का यह मिशन वीनस के ऑर्बिट का अध्ययन करेगा। ग्रह की सतह, वायुमंडल, ऑयनोस्फियर (वायुमंडल का बाहरी हिस्सा) की जानकारी जुटाएगा। वीनस सूर्य के नजदीक (करीब 11 करोड़ किलोमीटर) है। ऐसे में सूर्य का इस पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसका भी पता लगाएगा। वीनस की स्टडी क्यों जरूरी है, इसके 3 कारण वीनस ग्रह को अक्सर पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है क्योंकि यह आकार और डेंसिटी (घनत्व) के मामले में पृथ्वी जैसा है। इसलिए, वीनस के अध्ययन से पृथ्वी के विकास को समझने में मदद मिल सकती है। माना जाता है कि वीनस पर भी कभी पानी था, लेकिन अब यह सूखा और धूल भरा ग्रह बन गया है। 1. यहां टेंपरेचर 462 डिग्री सेल्सियस वीनस की सतह का तापमान लगभग 462 डिग्री सेल्सियस है। यह बुध से भी ज्यादा गर्म है, जबकि बुध सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह है। वीनस के ज्यादा गर्म होने की वजह ग्रीनहाउस इफेक्ट है। इसमें सूर्य की गर्मी वायुमंडल में आती है तो वहीं कैद हो जाती है और वायुमंडल से बाहर नहीं जाती। इससे ग्रह की सतह ज्यादा गर्म हो जाती है। 2. लैंडर 2 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर पाया वीनस की गर्मी के कारण यहां अब तक भेजे गए लैंडर दो घंटे से ज्यादा काम नहीं कर पाए हैं। इसके वायुमंडल का दबाव भी पृथ्वी से बहुत ज्यादा है। आसान भाषा में समझें तो, यहां इतना प्रेशर है, जितना पृथ्वी में समंदर के नीचे महसूस होता है। 3. वीनस का एक चक्कर पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर शुक्र पृथ्वी की तुलना में अपनी धुरी पर बहुत धीरे घूमता है। शुक्र का एक चक्कर लगभग पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है। वीनस अन्य ग्रहों की तुलना में अपनी धुरी पर उल्टा (पूर्व से पश्चिम) घूमता है। इसका मतलब है कि शुक्र ग्रह पर सूर्य पश्चिम में उगता है और पूर्व में अस्त होता है। भारत वीनस ग्रह पर कैसे जाएगा भारत मार्च 2028 में वीनस मिशन लॉन्च करेगा। तब यह सूर्य से सबसे दूर और पृथ्वी से सबसे करीब होगा। अगर इस समय लॉन्चिंग टली तो अगला मौका 2031में मिलेगा, क्योंकि तब यह फिर पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। सैटेलाइट को पृथ्वी से लॉन्च किया जाएगा। अर्थ ऑर्बिट में पहुंचते यह तेजी से शुक्र ग्रह की तरफ बढ़ेगा। सैटेलाइट के अर्थ ऑर्बिट से बाहर निकलने के बाद, शुक्र तक पहुंचने में लगभग 140 दिन लगेंगे। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट इस साल दिसंबर में लॉन्च करेगा। इसमें इंसान को नहीं भेजा जाएगा। मिशन की दूसरी फ्लाइट में रोबोट व्योम मित्र और तीसरी उड़ान में चार अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा। ISRO ने अभी दूसरी और तीसरी उड़ान का समय नहीं बताया है। चार साल तक करेगा शुक्र ग्रह की स्टडी वीनस मिशन की लाइफ चार साल की होगी। उम्मीद है कि शुक्रयान को GSLV मार्क-2 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। शुक्रयान का वजन करीब 2500 किलोग्राम होगा। इसमें 100 किलोग्राम के पेलोड्स होंगे। कितने पेलोड्स जाएंगे, इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा। हालांकि जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस और रूस के पेलोड्स भी लगाए जा सकते हैं।
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भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ बिल पर मिले एक करोड़ से ज्यादा फीडबैक पर चिंता जताई है। दरअसल, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल को मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष के विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेज दिया गया था। JPC ने बिल में सुधार के लिए फीडबैक मांगा था। अब तक 1.25 करोड़ सुझाव आएं हैं। हालांकि, निशिकांत दुबे ने फीडबैक की संख्या पर सवाल उठाए। दुबे का आरोप है कि, ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इसमें ISI और चीन का हाथ हो सकता है। उधर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी आंकड़ों पर हैरानी जताई थी। दुबे बोले- यह कट्टरपंथी संगठनों, ISI और चीन की साजिश निशिकांत दुबे 31 सदस्यीय JPC का हिस्सा हैं। उन्होंने कमेटी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को लेटर लिखकर इस मामले की जांच की मांग की है। दुबे ने लेटर में लिखा, करोड़ों की संख्या में आए फीडबैक में साजिश नजर आ रही है। ये कट्टरपंथी संगठनों, जाकिर नाइक जैसे व्यक्तियों, ISI और चीन की साजिश लगती है। दुबे का दावा है कि, यह असंभव है कि अकेले भारत से 1.25 करोड़ रिएक्शन मिलें। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि JPC कमेटी को हमारी विधायी प्रक्रिया की अखंडता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए।' JPC में लोकसभा से 21 सदस्य- भाजपा के 7, कांग्रेस के 3 सांसद 1. जगदंबिका पाल (भाजपा) 2. निशिकांत दुबे (भाजपा) 3. तेजस्वी सूर्या (भाजपा) 4. अपराजिता सारंगी (भाजपा) 5. संजय जायसवाल (भाजपा) 6. दिलीप सैकिया (भाजपा) 7. अभिजीत गंगोपाध्याय (भाजपा) 8. श्रीमती डीके अरुणा (YSRCP) 9. गौरव गोगोई (कांग्रेस) 10. इमरान मसूद (कांग्रेस) 11. मोहम्मद जावेद (कांग्रेस) 12. मौलाना मोहिबुल्ला (सपा) 13. कल्याण बनर्जी (TMC) 14. ए राजा (DMK) 15. एलएस देवरायलु (TDP) 16. दिनेश्वर कामत (JDU) 17. अरविंत सावंत (शिवसेना, उद्धव गुट) 18. सुरेश गोपीनाथ (NCP, शरद पवार) 19. नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना, शिंदे गुट) 20. अरुण भारती (LJP-R) 21. असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) JPC में राज्यसभा से 10 सदस्य- भाजपा के 4, कांग्रेस का एक सांसद 1. बृज लाल (भाजपा) 2. डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी (भाजपा) 3. गुलाम अली (भाजपा) 4. डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल (भाजपा) 5. सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस) 6. मोहम्मद नदीम उल हक (TMC) 7. वी विजयसाई रेड्डी (YSRCP) 8. एम मोहम्मद अब्दुल्ला (DMK) 9. संजय सिंह (AAP) 10. डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत) 5 सितंबर, तीसरी बैठक: वक्फ बिल का प्रेजेंटेशन दिया गया वक्फ बिल में संशोधन के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की तीसरी बैठक में मंत्रालयों के अधिकारियों ने कमेटी को वक्फ बिल के बारे में प्रेजेंटेशन दिया। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि प्रेजेंटेशन के दौरान सरकारी अधिकारी कमेटी को बिल के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे रहे। साथ ही कहा कि मिनिस्ट्री के अधिकारी अपना स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं अपना रहे। वे बिना किसी विचार-विमर्श के सरकार के रुख को ही बढ़ावा दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा विरोध AAP सांसद संजय सिंह और TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने किया।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जजों को हिदायत दी कि वे किसी समुदाय पर कमेंट करते वक्त लापरवाही ना बरतें। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच कर्नाटक हाईकोर्ट के जज के विवादित कमेंट का मामला सुन रही थी। जिसमें जज ने बेंगलुरु के एक हिस्से को पाकिस्तान कह दिया था। CJI ने कहा कि आप देश के किसी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कह सकते हैं। यह देश की एकता के मौलिक सिद्धांत के खिलाफ है। कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वी श्रीशनंदा के इस कमेंट का वीडियो वायरल हो गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले की सुनवाई शुरू की। वीडियो के वायरल होने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने बिना परमिशन के कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगा दी थी। इस पर CJI ने कहा, 'कोर्ट की प्रक्रिया में अधिकतम पारदर्शिता लाने के लिए उसे ज्यादा से ज्यादा प्रकाश में लाने की जरूरत है। कोर्ट में जो कुछ भी होता है उसे दबाना नहीं चाहिए। सब कुछ बंद कर देना नहीं है।" इसके बाद जस्टिस श्रीशनंदा ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली। CJI की बेंच ने माफी मंजूर करते हुए केस बंद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जजों की 3 सलाह लापरवाह तरीके से किए गए कमेंट किसी व्यक्ति का पक्षपात पूर्ण नजरिया बताते हैं, खासतौर से तब जब वे किसी जेंडर या कम्युनिटी पर किए गए हों। सुनवाई के दौरान जज ऐसे कमेंट से बचें, जो किसी समुदाय के खिलाफ हों या उसे नुकसान पहुंचाने वाला हो। इस केस को हम बंद कर रहे हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक एज के दौर में न्यायधीशों और वकीलों को उचित कमेंट करना चाहिए और अपने व्यवहार को इस दौर के मुताबिक ढालना चाहिए। यूट्यूब चैनल से वीडियो क्लिप वायरल होने के एक दिन बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपनी अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने से आधा घंटे पहले एक डिस्क्लेमर दिया। इसमें बिना परमिशन वीडियो रिकॉर्ड करने पर रोक लगा दी गई थी। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई थी। मैसेज में कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति, संस्था, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लाइव-स्ट्रीम की गई कार्यवाही को रिकॉर्ड, शेयर या पब्लिश नहीं करेगा। इसके लिए पहले से परमिशन लेनी होगी। कोर्ट में मौजूद लोगों पर अतिरिक्त जिम्मेदारी- लाइव स्ट्रीमिंग पर SC सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर आए एक मैसेज का जिक्र किया। SG ने इस मैसेज को बहुत कठोर बताया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है और यह बहुत खतरनाक है। इस पर CJI ने कहा, "इसका उत्तर यह नहीं है कि दरवाजे बंद कर दिए जाएं, सबकुछ बंद कर दिया जाए। कोर्ट में जो कुछ हो रहा है, उसे दबाना नहीं चाहिए। बेंच ने कहा, "सोशल मीडिया की पहुंच व्यापक है, इसमें कोर्ट की कार्यवाही की रिपोर्टिंग भी शामिल है। ऐसे में अब ज्यादातर हाईकोर्ट्स ने लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नए नियम अपना लिए हैं। कोविड के समय इसकी जरूरत थी। न्याय देने के लिए अदालतों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और लाइव स्ट्रीमिंग को अपनाया था, ये तब अदालतों के लिए न्याय दिलाने का अहम जरिया थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- न्यायिक व्यवस्था से जुड़े हर व्यक्ति जज, वकील और पक्षकारों को इस बात को लेकर सतर्क रहना होगा कि कोर्ट की कार्यवाही सिर्फ कोर्ट में मौजूद लोगों सीमित नहीं है, इसे देखने वाले भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्याय की आत्मा ही निष्पक्ष और न्यायसंगत होना है। हर जज को अपने झुकाव का ध्यान होना चाहिए। इसी जागरूकता के आधार पर हम ईमानदारी से निष्पक्ष और न्याय संगत फैसला दे सकते हैं। हम इस बात पर इसलिए जोर दे रहे हैं, क्योंकि हर किसी को यह समझना जरूरी है कि फैसला सुनाने के पीछे सिर्फ वही मूल्य होने चाहिए, जिनका जिक्र भारतीय संविधान में किया गया है।
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देश में पिछले 6 साल में कामकाजी महिलाएं 18% और पुरुष 5% बढ़ गए। 2023-24 में महिलाओं का वर्कर पॉपुलेशन रेश्यो (डब्ल्यूपीआर) 40% पर पहुंच गया, जो 2017-18 में 22% ही था। यानी 18% का इजाफा हुआ। वहीं, पुरुषों में यह 76% हो गया, जो 71% था यानी 5% की बढ़ोतरी हुई। इस हिसाब से कामकाजी महिलाएं पुरुषों से 3 गुना तेजी से बढ़ीं। मगर, 6 साल में पुरुषों की बेरोजगारी दर 2.9% घटी, जबकि महिलाओं की 2.4% ही कम हुई। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की जुलाई 23 से जून 24 की रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं। कामकाजी लोगों में सबसे ज्यादा 58.4% लोग स्वरोजगार वाले आंकड़े के मुताबिक, कामकाजी लोगों में सबसे ज्यादा 58.4% लोग स्वरोजगार, 21.7% नियमित नौकरी और 19.8% दिहाड़ी मजदूरी में हैं। 2022-23 के मुकाबले स्वरोजगार वाले 1.1% और नौकरीपेशा 0.8% बढ़े, जबकि दिहाड़ी मजदूरी वाले 2% तक घट गए। काम करने वालों में सबसे ज्यादा 46% लोग कृषि, 12.2% ट्रेड, होटल और रेस्टोरेंट, 12% निर्माण और 11.4% मैन्युफैक्चरिंग में लगे हैं। 2022-23 के मुकाबले निर्माण में काम करने वाले सबसे ज्यादा 1% कम हुए। 15-29 साल वालों में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा 10.2% रही है देश में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग की बेरोजगारी दर में एक साल के दौरान मामूली इजाफा हुआ है। जुलाई 2022- जून 23 में 10% की तुलना में जुलाई 2023- जून 24 में यह 10.2% हो गई है। शहरी इलाकों में यह दर 15.7% से घटकर 14.7% हो गई है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 8% से बढ़कर 8.5% हो गई है। नौकरीपेशा की औसत मासिक आय स्वरोजगार वालों से 7203 रुपए ज्यादा अप्रैल से जून-2024 के दौरान स्वरोजगार के जरिए देश में औसतन मासिक आय 13,900 रुपए रही। वेतनभोगी कर्मियों का औसत मासिक वेतन सबसे ज्यादा 21,103 रु. है। दिहाड़ी मजदूर औसतन 433 रुपए रोजाना कमा रहे हैं। इस हिसाब से देखें तो नौकरीपेशा लोग स्वरोजगार वालों से हर महीने 7203 रुपए ज्यादा कमा रहे। जबकि जुलाई-सितंबर 2023 में स्वरोजगार में मासिक आय 12,685 रुपए और वेतनभोगी में 20,095 रुपए थी। दिहाड़ी मजदूर 404 रुपए रोजाना कमा रहे थे। 61.1% नियमित वेतनभोगी कर्मी बिना किसी लिखित कांट्रैक्ट के काम करते हैं, 52.2% को पेड लीव नहीं मिलती और 58.8% कर्मचारियों को पीएफ, ग्रेच्युटी, पेंशन और मैटरनिटी लीव जैसी सुविधाएं नहीं हैं। आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल भारत में अगले साल मार्च तक 2 लाख डायरेक्ट जॉब देगी। इनमें से 70% जॉब महिलाओं के लिए होंगे। एपल और भारत में उसके सप्लायर्स ने ये आंकड़े केंद्र सरकार को दिए हैं। दरअसल, एपल प्रोडक्शन के मामले में चीन पर निर्भरता कम कर भारत पर फोकस करना चाहता है। एपल के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन (अब टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स) और पेगाट्रॉन ने भारत में पहले 80,872 लोगों को सीधी नौकरियां दी हुई हैं।
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बदलापुर रेप केस में एनकाउंटर की जांच मंगलवार को CID को सौंप दी गई। ठाणे क्राइम ब्रांच ने 23 सिंतबर को केस के आरोपी अक्षय शिंदे का ठाणे में एनकाउंटर कर दिया था। क्राइम ब्रांच अक्षय को तलोजा जेल से बदलापुर लेकर गई थी। शाम करीब 6:15 बजे उसका एनकाउंटर कर दिया गया। सरकार ने कहा था कि अक्षय ने पुलिस की रिवॉल्वर छीनकर फायर किए, सेल्फ डिफेंस में पुलिस ने गोली चलाई और अक्षय मारा गया। फैमिली ने कहा कि अक्षय को कस्टडी में जमकर पीटा गया था। उसके बाद मामले को दबाने के लिए एनकाउंटर कर दिया गया। उसका शव भी नहीं देखने दिया। विपक्ष ने एनकाउंटर पर सवाल किया- अक्षय हथकड़ी में था, वो फायरिंग कैसे कर सकता है। संजय शिंदे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में रह चुके आरोपी पर गोली चलाने वाले इंस्पेक्टर संजय शिंदे ठाणे क्राइम ब्रांच के एंटी-एक्सटॉर्शन सेल के हेड रह चुके हैं। वे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में भी थे। 2017 में इस टीम ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के भाई इकबाल कासकर को गिरफ्तार किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 मार्च को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को आजीवन जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें 2006 में गैंगस्टर छोटा राजन के करीबी के फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी माना गया था। प्रदीप शर्मा की टीम के एनकाउंटर की कहानी पर डॉक्युमेंट्री सीरीज भी बन चुकी है। संजय शिंदे के खिलाफ 2012 में इन्क्वायरी भी हुई थी। 2012 में दो हत्या मामलों का आरोपी विजय पलांडे पुलिस हिरासत से भाग निकला था। वह जिस SUV से भागा था, उसमें संजय की वर्दी मिली थी। साल 2000 में भी किडनैपिंग केस में वे विवादों में आए थे। आरोपी की मां बोलीं- हम शव नहीं लेंगे उधर, आरोपी शिंदे की मां ने कहा है कि पुलिसवालों ने हमें अक्षय का शव भी देखने नहीं दिया था। हम अस्पताल में घंटों इंतजार करते रह गए। अक्षय के खिलाफ यौन शोषण के आरोप साबित नहीं हुए थे। वह पटाखे फोड़ने से डरता था। पुलिस पर गोली कैसे चला सकता है। एनकाउंटर एक साजिश है। हम अब उसका शव नहीं लेंगे। अक्षय ने बताया था कि पुलिस वाले उसे पीटते थे। दबाव डालकर बयान भी लिखवाते थे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे: अक्षय शिंदे की पूर्व पत्नी ने उस पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है। पुलिस उसे जांच के लिए ले गई थी। इस दौरान उसने एक पुलिसकर्मी नीलेश मोरे पर गोली चलाई, जो घायल हो गया। पुलिस ने सेल्फ डिफेंस में यह कार्रवाई की। जांच के बाद और जानकारी सामने आएगी। डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस: पुलिस वारंट के साथ अक्षय शिंदे को जांच के लिए ले जा रही थी। उसने पुलिस की पिस्टल छीन ली। उसने पुलिस कर्मियों पर गोली चलाई और हवाई फायरिंग भी की। पुलिस ने आत्मरक्षा में उस पर गोली चलाई। विपक्ष हर बात पर सवाल उठाता है। वही विपक्ष आरोपी को फांसी देने की मांग कर रहा था। आरोपी की मौत पर विपक्ष ने क्या कहा NCP (शरद गुट) सांसद सुप्रिया सुले- बदलापुर में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न मामले में महायुति सरकार का रवैया चौंकाने वाला है। पहले FIR दर्ज करने में देरी हुई और अब मुख्य आरोपी की हिरासत में हत्या कर दी गई। यह कानून प्रवर्तन और न्याय प्रणाली का पूरी तरह से पतन है। शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी- आरोपी मर चुका है, और POCSO के तहत अन्य सह-आरोपी, जो स्कूल बोर्ड का सदस्य और भाजपा पदाधिकारी था, वह अभी भी फरार है। अयोग्य सरकार की गोली मारो और भाग जाओ रणनीति बहुत किताबी केस है। जल्द सुनने में आएगा कि किसी ने भी 6 साल के बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया ही नहीं। रीटेन, स्पॉन्सर्ड एंड एग्जीक्यूटेड बाय स्टेट गवर्नमेंट। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले- इस घटना ने कुछ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बदलापुर अत्याचार मामले में स्कूल ट्रस्टी अभी भी गिरफ्तार नहीं हुए हैं, वे फरार हैं उन्हें अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है? क्या इस मामले में फरार आरोपियों को बचाने के लिए मुख्य आरोपी का एनकाउंटर कर मामले को खत्म करने की कोशिश की जा रही है? क्या पूरे मामले को दबाने की कोशिश के तहत पुलिस ने आरोपी का एनकाउंटर किया है? इस मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए हाईकोर्ट के जजों से जांच कराई जानी चाहिए। 1 अगस्त को अक्षय ने स्कूल जॉइन किया था, 12-13 अगस्त को यौन शोषण किया बच्चियों से रेप का आरोपी अक्षय शिंदे स्कूल में स्वीपर का काम करता था। वह 1 अगस्त को ही कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। 12 और 13 अगस्त को उसने स्कूल के गर्ल्स वॉशरूम में किंडरगार्टन में पढ़ने वाली 3 और 4 साल की दो बच्चियों का यौन शोषण किया। घटना के बाद दोनों बच्चियां स्कूल जाने से डर रही थीं। एक बच्ची के माता-पिता को शक हुआ तो उन्होंने बेटी से पूछताछ की। इसके बाद बच्ची ने सारी बात बताई। फिर उस बच्ची के माता-पिता ने दूसरी बच्ची के पेरेंट से बात की। इसके बाद दोनों बच्चियों का मेडिकल टेस्ट हुआ, जिसमें यौन शोषण का खुलासा हुआ। आरोपी को दादा बोलती थीं बच्चियां, 17 अगस्त को गिरफ्तार हुआ था पुलिस पूछताछ में सामने आया था कि बच्ची आरोपी शिंदे को दादा (बड़े भाई के लिए मराठी शब्द) कहकर बुलाती थी। बच्ची के मुताबिक, ‘दादा’ ने उसके कपड़े खोले और गलत तरीके से छुआ। स्कूल में जहां घटना हुई थी, वहां महिला कर्मचारी नहीं थी। दोनों बच्चियों का परिवार जब केस दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचा, तो पुलिस ने भी FIR दर्ज करने में टालमटोल की। पीड़ित परिवारों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं से मदद मांगी। दो दिन बाद 16 अगस्त की देर रात पुलिस ने शिकायत दर्ज की। पुलिस ने 17 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया था।
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आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) के लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने के आरोपों के बीच अब तंबाकू मिलने का दावा किया गया है। तेलंगाना की एक महिला ने प्रसादम को लेकर आरोप लगाया है कि उसे लड्डू के अंदर कागज में लिपटे तंबाकू के टुकड़े मिले हैं। उसने इसका वीडियो जारी किया है। आरोप लगाने वाली डोंथु पद्मावती खम्मम जिले के गोल्लागुडेम की रहने वाली हैं। 19 सितंबर को वे तिरुमाला मंदिर गई थीं। वे वहां से लड्डृ लाई थीं। लड्डू में कागज मिलने का वीडियो इंडिया टुडे, ABP नाडु समेत कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर किया गया है। हालांकि, दैनिक भास्कर इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता। इससे पहले 18 सितंबर को आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि राज्य में YSR कांग्रेस सरकार में तिरुपति मंदिर के लड्डू (प्रसादम्) में जानवरों की चर्बी वाला वनस्पति तेल और फिश ऑयल मिलाया गया था। इसके अगले दिन TDP ने एक लैब रिपोर्ट दिखाकर अपने आरोपों की पुष्टि का दावा किया था। प्रसादम विवाद पर अब तक के अपडेट्स केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 4 कंपनियों के घी सैंपल मंगवाए। इनमें से एक कंपनी एआर डेयरी फूड्स का घी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया। उसमें सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। स्वामी ने प्रसादम में एनिमल फैट के इस्तेमाल के खिलाफ कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। राज्यसभा के सदस्य और देवस्थानम (TTD) के पूर्व अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने भी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली समिति से मामले की जांच करने की मांग की है। श्री ललिता पीठम में विश्व हिंदू परिषद की बैठक हुई। विहिप ने सुप्रीम कोर्ट से तिरुपति लड्डू में मिलावट के आरोपों पर एक्शन लेने और दोषियों की पहचान के लिए जांच शुरू करने की अपील की है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। हैदराबाद के सैदाबाद पुलिस स्टेशन में एक वकील ने यह शिकायत दर्ज कराई है। YSR कांग्रेस पार्टी ने लड्डू में चर्बी विवाद पर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, सुनवाई 25 सितंबर को होगी। तिरुपति मंदिर की शुद्धि के लिए महाशांति यज्ञ तिरुपति मंदिर की शुद्धि के लिए महाशांति यज्ञ किया गया। 23 सितंबर को सुबह 6 से 10 बजे तक चले पंचगव्य प्रोक्षण (शुद्धिकरण) में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड के अधिकारी समेत 20 पुजारी शामिल हुए। अनुष्ठान में लड्डू और अन्नप्रसादम रसोई की शुद्धि की गई। मंदिर के मुख्य पुजारियों में से एक कृष्ण शेषाचल दीक्षितुलु ने कहा, 'सरकार एक प्रस्ताव लेकर आई कि मंदिर को शुद्ध करने के लिए क्या किया जाए। इसलिए हम शांति होम करने के प्रस्ताव के साथ प्रबंधन के पास गए। सुबह 6 बजे हम सभी भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद और अनुमति लेने के लिए गर्भगृह में गए। अब सब कुछ शुद्ध हो गया है, मैं सभी भक्तों से अनुरोध करता हूं कि उन्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। भगवान बालाजी के दर्शन करें और प्रसाद घर ले जाएं।" यह विवाद कैसे सामने आया कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) पिछले 50 साल से रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। तिरुपति मंदिर में हर छह महीने में 1400 टन घी लगता है। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन सरकार (YSRCP) ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। इसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी। TDP सरकार आई, जुलाई में सैंपल की जांच, चर्बी की पुष्टि TDP सरकार ने जून 2024 में सीनियर IAS अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का नया एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अपॉइंट किया था। उन्होंने प्रसादम (लड्डू) की क्वॉलिटी जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई। प्रसाद के टेस्ट और क्वॉलिटी को बेहतर बनाने के लिए कमेटी ने कई सुझाव दिए। साथ ही घी की जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB), गुजरात में सैंपल भेजे। जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में फैट का जिक्र था। इसके बाद TTD ने तमिलनाडु के डिंडीगुल की एआर डेयरी फूड्स की तरफ से भेजे गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। इसके बाद TTD ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदना शुरू कर दिया। पुराने सप्लायर से घी 320 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से खरीदा जाता था। अब तिरुपति ट्रस्ट कर्नाटक को-ऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) से 475 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से घी खरीद रहा है। घी की शुद्धता जांचने वाली लैब NDDB CALF (आणंद, गुजरात) ने तिरुपति को घी की शुद्धता की जांच करने के लिए एक मशीन दान करने पर सहमति दी है। इसकी लागत 75 लाख रुपए है। CM नायडू ने लैब रिपोर्ट सार्वजनिक की, विवाद बढ़ा जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में लड्डुओं में चर्बी की पुष्टि हो गई थी। हालांकि, टीडीपी ने दो महीने बाद रिपोर्ट सार्वजनिक की। CM नायडू ने 18 सितंबर को आरोप लगाया था कि पूर्व जगन सरकार में तिरुपति मंदिर के लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल मिलाया गया था। TDP ने एक लैब रिपोर्ट दिखाकर अपने आरोपों की पुष्टि का दावा भी किया। नायडू ने कहा, जब बाजार में 500 रुपए किलो घी मिल रहा था, तब जगन सरकार ने 320 रु. किलो घी खरीदा। ऐसे में घी में सप्लायर की ओर से मिलावट होनी ही थी। जगन सरकार द्वारा कम दाम वाले घी को खरीदने की जांच हाेगी। पशु चर्बी वाले घी से बने लड्डुओं से तिरुपति मंदिर की पवित्रता पर दाग लगाया है। तिरुपति मंदिर दुनिया के सबसे लोकप्रिय और अमीर धर्मस्थलों में से है। यहां हर दिन करीब 70 हजार श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करते हैं। इसका प्रशासन तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD) संभालता है। मंदिर परिसर में बनी 300 साल पुराने किचन ‘पोटू’ में शुद्ध देसी घी के रोज 3.50 लाख लड्डू बनते हैं। यह मंदिर का मुख्य प्रसाद है, जिसे करीब 200 ब्राह्मण बनाते हैं। लड्डू में शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और शुद्ध घी होता है। ट्रस्ट ने करीब एक लाख लड्डू जनवरी 2024 में हुई राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त अयोध्या भेजे थे।
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पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने पर पति के खिलाफ केस चलना चाहिए या नहीं, इस पर मंगलवार (24 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI)डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच इस पर सुनवाई करेगी। कर्नाटक हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के दो फैसलों के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इसके अलावा कई और जनहित याचिकाएं दायर की गईं थीं। इन सभी को एक साथ मर्ज करके सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद 2 के मुताबिक मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। हालांकि इस मामले पर केंद्र सरकार को भी जवाब दाखिल करना है। केंद्र का कहना है, कानूनों में बदलाव के लिए विचार-विमर्श की जरूरत है। ल्ली हाईेकोर्ट और कर्नाटक हाईकोट का फैसला आने के बाद इसकी मांग और तेज हो गई। सुप्रीम कोर्ट में दो मुख्य याचिकाएं हैं, जिन पर सुनवाई होगी। एक याचिका पति की तरफ से लगाई गई, तो दूसरी अन्य मामले में एक महिला ने याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट का मामला: साल 2022 में एक महिला ने पति द्वारा जबरन शारीरिक संबंध बनाने पर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई। 11 मई 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग फैसला दिया था। जस्टिस राजीव शकधर ने वैवाहिक बलात्कार के अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था। वहीं, जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि पति को मिली छूट असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है। कर्नाटक हाईकोर्ट का मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट में एक पति ने पत्नी की तरफ से लगाए रेप के आरोपों पर हाईकोर्ट का रुख किया था। 23 मार्च 2023 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति पर लगाए गए रेप के आरोपों को समाप्त करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपवाद को मानने से इनकार कर दिया। कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने इस मामले में कहा था कि तथ्यों के आधार पर इस तरह के यौन हमले/दुष्कर्म के लिए पति को पूरी छूट नहीं दी जा सकती है। मैरिटल रेप को अपराध मानने से इनकार कर चुकी है भारत सरकार 2016 में मोदी सरकार ने मैरिटल रेप के विचार को खारिज कर दिया था। सरकार ने कहा था कि देश में अशिक्षा, गरीबी, ढेरों सामाजिक रीति-रिवाजों, मूल्यों, धार्मिक विश्वासों और विवाह को एक संस्कार के रूप में मानने की समाज की मानसिकता जैसे विभिन्न कारणों से इसे भारतीय संदर्भ में लागू नहीं किया जा सकता है। 2017 में, सरकार ने मैरिटल रेप को अपराध न मानने के कानूनी अपवाद को हटाने का विरोध किया था। सरकार ने तर्क दिया था कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो जाएगी और इसका इस्तेमाल पत्नियों द्वारा अपने पतियों को सजा देने के लिए किया जाएगा। केंद्र ने पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप पर चल रही सुनवाई के दौरान कहा था कि केवल इसलिए कि अन्य देशों ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया है, भारत को भी ऐसा करने की जरूरत नहीं है। 19वीं सदी में इंग्लैंड के कानून ने माना कि मैरिटल रेप होता है जोनाथन हेरिंग की किताब फैमिली लॉ (2014) के मुताबिक, ऐतिहासिक रूप से दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में ये धारणा थी कि पति पत्नी का रेप नहीं कर सकता, क्योंकि पत्नी को पति की संपत्ति माना जाता था। 20वीं सदी तक अमेरिका और इंग्लैंड के कानून मानते थे कि शादी के बाद पत्नी के अधिकार पति के अधिकारों में समाहित हो जाते हैं। 19वीं सदी की शुरुआत में नारीवादी आंदोलनों के उदय के साथ ही इस विचार ने भी जन्म लिया कि शादी के बाद पति-पत्नी के सेक्स संबंधों में महिलाओं की सहमति का अधिकार उनका मौलिक अधिकार है।
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आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) की शुद्धि के लिए महाशांति यज्ञ किया गया। सोमवार सुबह 6 से 10 बजे तक चले पंचगव्य प्रोक्षण (शुद्धिकरण) में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड के अधिकारी समेत 20 पुजारी शामिल हुए। अनुष्ठान में लड्डू और अन्नप्रसादम रसोई की शुद्धि की गई। आंध्र के सीएम CM चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP ने 18 सितंबर को आरोप लगाया था कि राज्य में YSR कांग्रेस सरकार में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू (प्रसादम्) में जानवरों की चर्बी वाला घी और फिश ऑयल मिलाया गया था। इसके अगले दिन TDP ने एक लैब रिपोर्ट दिखाकर अपने आरोपों की पुष्टि का दावा किया। राज्य सरकार ने तिरुपति मंदिर के लड्डुओं की जांच के लिए SIT बना दी है। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि SIT की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। प्रसादम विवाद से जुड़े 3 अपडेट्स... भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। स्वामी ने प्रसादम में एनिमल फैट के इस्तेमाल के खिलाफ कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। राज्यसभा के सदस्य और देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने भी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली समिति से मामले की जांच करने की मांग की है। श्री ललिता पीठम में विश्व हिंदू परिषद बैठक हुई। विहिप ने सुप्रीम कोर्ट से तिरुपति लड्डू में मिलावट के आरोपों पर एक्शन लेने और दोषियों की पहचान के लिए जांच शुरू करने की अपील की है। पुजारी बोले- अब मंदिर पूरी तरह शुद्ध, प्रसाद घर ले जा सकते हैं मंदिर के मुख्य पुजारियों में से एक कृष्ण शेषाचल दीक्षितुलु कहते हैं, "सरकार एक प्रस्ताव लेकर आई कि मंदिर को शुद्ध करने के लिए क्या किया जाए। इसलिए हम शांति होम करने के प्रस्ताव के साथ प्रबंधन के पास गए। सुबह 6 बजे हम सभी भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद और अनुमति लेने के लिए गर्भगृह में गए। अब सब कुछ शुद्ध हो गया है, मैं सभी भक्तों से अनुरोध करता हूं कि उन्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। भगवान बालाजी के दर्शन करें और प्रसाद घर ले जाएं।" विहिप ने कहा- प्रसादम में जानवरों की चर्बी मिलाना, भक्तों का अपमान बैठक के बाद विहिप ने कहा कि इस घटना ने दुनिया भर में श्री बालाजी के करोड़ों भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, क्योंकि लड्डू प्रसादम आस्था और दिव्य आशीर्वाद के रूप में माना और खाया जाता है। लड्डू में मिलावट के आरोपों ने भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के भक्तों का घोर अपमान किया है। इस मामले में लापरवाही और देरी की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि ऐसा होने पर हिंदू समुदाय राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर सकता है। डिप्टी सीएम बोले- भगवान से क्षमा मांगी, उपवास रख रहा आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM पवन कल्याण ने कहा- जब हिंदू मंदिरों को अपवित्र किया जाता है तो हमें चुप नहीं रहना चाहिए। अगर ऐसा मस्जिदों या चर्चों में होता तो देश में गुस्सा भड़क उठता। पवन कल्याण ने रविवार (22 सितंबर) से 11 दिनों की प्रायश्चित दीक्षा की शुरुआत की। इस दौरान वह उपवास करेंगे। पवन ने कहा- मुझे अफसोस है कि मैं मिलावट के बारे में पहले क्यों नहीं पता लगा पाया। मुझे दुख हो रहा है। इसके लिए प्रायश्चित करूंगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कंटेंट का स्टोरेज, इसे डिलीट ना करना और इसकी शिकायत ना करना बताता है कि इसे प्रसारित करने की नीयत से स्टोर किया गया है। हाईकोर्ट ने ये केस खारिज करके अपने फैसले में गंभीर गलती की है। हम उसका फैसला रद्द करते हैं और केस को वापस सेशन कोर्ट भेजते हैं। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा- चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह 'चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉएटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल' शब्द का इस्तेमाल किया जाए। केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर बदलाव करे। अदालतें भी इस शब्द का इस्तेमाल न करें। सुप्रीम कोर्ट के 2 कमेंट हम संसद को सुझाव देते हैं कि POCSO एक्ट में बदलाव करें और इसके बाद चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द की जगह चाइल्ड सेक्शुअली एब्यूसिव एंड एक्सप्लॉइटेटिव मटेरियल (CSEAM) का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए अध्यादेश भी लाया जा सकता है। CSEAM शब्द सही तरीके से बताएगा कि यह महज अश्लील कंटेंट नहीं, बच्चे के साथ हुई घटना का एक रिकॉर्ड है। वो घटना जिसमें बच्चे का यौन शोषण हुआ या फिर ऐसे शोषण को विजुअली दिखाया गया हो। बच्चों के खिलाफ अपराध सिर्फ यौन शोषण तक ही सीमित नहीं रहते हैं। उनके वीडियो, फोटोग्राफ और रिकॉर्डिंग के जरिए ये शोषण आगे भी चलता है। ये कंटेंट साइबर स्पेस में मौजूद रहते हैं, आसानी से किसी को भी मिल जाते हैं। ऐसे मटेरियल अनिश्चितकाल तक नुकसान पहुंचाते हैं। ये यौन शोषण पर ही खत्म नहीं होता है, जब-जब ये कंटेंट शेयर किया जाता है और देखा जाता है, तब-तब बच्चे की मर्यादा और अधिकारों का उल्लंघन होता है। हमें एक समाज के तौर पर गंभीरता से इस विषय पर विचार करना होगा। केरल हाईकोर्ट ने भी मद्रास HC जैसा फैसला सुनाया था केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर दूसरे को दिखा रहा है तो यह गैरकानूनी होगा। इसी फैसले के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ SC पहुंचा था NGO मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद NGO जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और नई दिल्ली के NGO बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस ने कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे सकता है। फैसले से ऐसा लगेगा कि ऐसा कंटेंट डाउनलोड करने और रखने वाले लोगों पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। हाईकोर्ट के फैसले 1. केरल हाईकोर्ट- पोर्नोग्राफी सदियों से प्रचलित, यह निजी पसंद केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने यह फैसला दिया था। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा था, पोर्नोग्राफी सदियों से प्रचलित है। आज डिजिटल युग में इस तक आसानी से पहुंच हो गई। बच्चों और बड़ों की उंगलियों पर ये मौजूद है। 2. मद्रास हाईकोर्ट- फोन में चाइल्ड पोर्न डाउनलोड करना अपराध नहीं केरल हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को आधार बताते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को पॉक्सो एक्ट के एक आरोपी के खिलाफ केस को रद्द कर दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अपनी डिवाइस पर ऐसा कंटेंट देखना या डाउनलोड करना अपराध के दायरे में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसी फैसले को खारिज किया और नए सिरे से केस सेशन कोर्ट को सौंप दिया है। भारत में अश्लील वीडियो पर 3 कानून भारत में ऑनलाइन पोर्न देखना गैर-कानूनी नहीं है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में पोर्न वीडियो बनाने, पब्लिश करने और सर्कुलेट करने पर बैन है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 67 और 67A में इस तरह के अपराध करने वालों को 3 साल की जेल के साथ 5 लाख तक जुर्माना देने का भी प्रावधान है। IPC के सेक्शन-292, 293, 500, 506 में भी इससे जुड़े अपराध को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। POCSO कानून के तहत कार्रवाई होती है।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कंटेंट का स्टोरेज, इसे डिलीट ना करना और इसकी शिकायत ना करना बताता है कि इसे प्रसारित करने की नीयत से स्टोर किया गया है। हाईकोर्ट ने ये केस खारिज करके अपने फैसले में गंभीर गलती की है। हम उसका फैसला रद्द करते हैं और केस को वापस सेशन कोर्ट भेजते हैं। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा- चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह 'चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉएटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल' शब्द का इस्तेमाल किया जाए। केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर बदलाव करे। अदालतें भी इस शब्द का इस्तेमाल न करें। सुप्रीम कोर्ट के 2 कमेंट हम संसद को सुझाव देते हैं कि POCSO एक्ट में बदलाव करें और इसके बाद चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द की जगह चाइल्ड सेक्शुअली एब्यूसिव एंड एक्सप्लॉइटेटिव मटेरियल (CSEAM) का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए अध्यादेश भी लाया जा सकता है। CSEAM शब्द सही तरीके से बताएगा कि यह महज अश्लील कंटेंट नहीं, बच्चे के साथ हुई घटना का एक रिकॉर्ड है। वो घटना जिसमें बच्चे का यौन शोषण हुआ या फिर ऐसे शोषण को विजुअली दिखाया गया हो। बच्चों के खिलाफ अपराध सिर्फ यौन शोषण तक ही सीमित नहीं रहते हैं। उनके वीडियो, फोटोग्राफ और रिकॉर्डिंग के जरिए ये शोषण आगे भी चलता है। ये कंटेंट साइबर स्पेस में मौजूद रहते हैं, आसानी से किसी को भी मिल जाते हैं। ऐसे मटेरियल अनिश्चितकाल तक नुकसान पहुंचाते हैं। ये यौन शोषण पर ही खत्म नहीं होता है, जब-जब ये कंटेंट शेयर किया जाता है और देखा जाता है, तब-तब बच्चे की मर्यादा और अधिकारों का उल्लंघन होता है। हमें एक समाज के तौर पर गंभीरता से इस विषय पर विचार करना होगा। केरल हाईकोर्ट ने भी मद्रास HC जैसा फैसला सुनाया था केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर दूसरे को दिखा रहा है तो यह गैरकानूनी होगा। इसी फैसले के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ SC पहुंचा था NGO मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद NGO जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और नई दिल्ली के NGO बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस ने कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे सकता है। फैसले से ऐसा लगेगा कि ऐसा कंटेंट डाउनलोड करने और रखने वाले लोगों पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। हाईकोर्ट के फैसले 1. केरल हाईकोर्ट- पोर्नोग्राफी सदियों से प्रचलित, यह निजी पसंद केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने यह फैसला दिया था। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा था, पोर्नोग्राफी सदियों से प्रचलित है। आज डिजिटल युग में इस तक आसानी से पहुंच हो गई। बच्चों और बड़ों की उंगलियों पर ये मौजूद है। 2. मद्रास हाईकोर्ट- फोन में चाइल्ड पोर्न डाउनलोड करना अपराध नहीं केरल हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को आधार बताते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को पॉक्सो एक्ट के एक आरोपी के खिलाफ केस को रद्द कर दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अपनी डिवाइस पर ऐसा कंटेंट देखना या डाउनलोड करना अपराध के दायरे में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसी फैसले को खारिज किया और नए सिरे से केस सेशन कोर्ट को सौंप दिया है। भारत में अश्लील वीडियो पर 3 कानून भारत में ऑनलाइन पोर्न देखना गैर-कानूनी नहीं है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में पोर्न वीडियो बनाने, पब्लिश करने और सर्कुलेट करने पर बैन है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 67 और 67A में इस तरह के अपराध करने वालों को 3 साल की जेल के साथ 5 लाख तक जुर्माना देने का भी प्रावधान है। IPC के सेक्शन-292, 293, 500, 506 में भी इससे जुड़े अपराध को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। POCSO कानून के तहत कार्रवाई होती है।
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बृह्मनमुंबई नगर निगम (BMC) के अधिकारियों की एक टीम शनिवार सुबह धारावी पहुंची। यहां महबूब-ए-सुभानी मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराया जाना था। टीम सुबह 9 बजे धारावी की 90 फीट रोड पर पहुंची। खबर लगते ही मुस्लिम समाज समेत बस्ती के लोग इकट्ठा हो गए और टीम को रोक दिया। बाद में प्रदर्शनकारियों ने BMC की दो गाड़ियों में तोड़-फोड़ कर दी। हालात संभालने के लिए बड़ी तादाद में पुलिस को तैनात किया गया है। प्रदर्शनकारियों को एक दल पुलिस और BMC से चर्चा करने गया। इसके बाद BMC ने आज डिमोलिशन की कार्यवाही को रोक दिया है। साथ ही मस्जिद कमेटी को 8 दिन का समय दिया है। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने BMC के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला किया है। पुलिस स्टेशन से 100 मीटर दूर है मस्जिद धारावी की जिस 90 फीट रोड पर यह मस्जिद बनी है, वह पुलिस स्टेशन महज 100 मीटर दूर है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि BMC ने पिछले साल भी मस्जिद कमेटी को नोटिस भेजा था। लेकिन तब भी कोई हल नहीं निकला था। इधर, कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड ने भी इस कार्यवाही के खिलाफ CM मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। गायकवाड का दावा किया कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया की कार्यवाही पर रोक लगा दी जाएगी। 1882 में अंग्रेजों ने बसाई थी धारावी बस्ती, फिल्मों से बढ़ी लोकप्रियता एशिया की सबसे बड़ी बस्ती धारावी को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था। मजदूरों को किफायती ठिकाना देने के मकसद से इसे बसाया गया था। धीरे-धीरे यहां लोग बढ़ने लगे और झुग्गी-बस्तियां बन गईं। यहां की जमीन सरकारी है, लेकिन लोगों ने झुग्गी-बस्ती बना ली है। धारावी में कितने लोग रहते हैं, इसका कोई डेटा नहीं है। सिर्फ अनुमान है कि यहां की छोटी-छोटी झुग्गियों में करीब 10 लाख लोग रहते हैं। इन्हीं झुग्गियों में 13 हजार से ज्यादा छोटे-मोटे कारोबार चलते हैं। गलियां इतनी संकरी हैं कि अगर कोई बीमार हो जाए, तो अंदर स्ट्रेचर भी नहीं जा सकता है। धारावी के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर करीब 23 हजार करोड़ खर्च होने हैं। जुलाई, 2023 में ये प्रोजेक्ट अडाणी ग्रुप को मिला था। इसमें 60 हजार से ज्यादा परिवारों को फ्री में नए घर मिलेंगे। शर्त ये है कि परिवार 1 जनवरी 2000 से पहले धारावी में रहता आया हो। साल 2008 में 'स्लमडॉग मिलियनेयर' फिल्म के रिलीज होने के बाद इस क्षेत्र को लोकप्रियता मिली। फिल्म ने कई अवॉर्ड भी जीते। इसके बाद फिल्म गली बॉय में ये देखने को मिली थी। कई टूरिस्ट यहां भारत की बस्ती में रहने वालों के जीवन की झलक देखने आते हैं।
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गुजरात के सूरत में शुक्रवार रात किम रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक के साथ छेड़छाड़ की गई। कुछ अनजान लोगों ने अप लाइन की पटरी से फिश प्लेट और कीज हटा दी थी। उन्हें उसी पटरी पर रख दिया था। साथ ही रेलवे पटरियों को जोड़ने वाले 71 ताले भी हटा दिए थे। स्थानीय लोगों से मामले की जानकारी मिलने पर अप स्टेशन सुपरिटेंडेंट ने की-मैन सुभाष कुमार को सतर्क कर दिया। ट्रैक की जांच की गई तो पता चला कि किसी ने ट्रेन को पटरी से उतारने की साजिश रची थी। इसके बाद रूट को बंद कर दिया गया। हालांकि थोड़ी ही देर में नई फिश प्लेट लगने के बाद रेलवे सेवा फिर से शुरू कर दी। भारत में लगातार ट्रेन को नुकसान पहुंचाने की साजिशें सामने आ रही हैं। 9 सितंबर को यूपी के कानपुर में रेलवे ट्रैक पर एक लोहे का खंभा पड़ा हुआ मिला था। इससे साफ पता चलता है कि किसी ने ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश की, हालांकि पायलट की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। ट्रेनों की निगरानी मुश्किल, इसलिए ये सबसे सॉफ्ट टारगेट ट्रेन का नेटवर्क इतना बड़ा है कि उसकी 24x7 निगरानी मुश्किल है। भारत में टेरर ऑर्गनाइजेशन का अगला बड़ा टारगेट ट्रेन ही हैं। वे इसके सहारे सबसे आसानी से और सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। पाकिस्तानी आतंकी फरहतुल्लाह गौरी का वीडियो इसकी पुष्टि करता है। वह भारत में मौजूद अपने स्लीपर सेल को एक्टिव कर रहा है और उन्हें ट्रेन डिरेलकरने की कोशिश के लिए कह रहा है।
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आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) के लड्डूओं की पवित्रता विवाद के बीच मंदिर प्रबंधन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने कहा कि प्रसादम अब पूरी तरह से शुद्ध और पवित्र है। इसे आगे भी रखने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। उधर TTD के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने घी में जानवरों की चर्बी इस्तेमाल होने की बात मानी। शुक्रवार, 20 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि लड्डू जिस घी से बनाए जा रहे थे, उसके सैंपल्स के 4 लैब रिपोर्ट्स में इसकी पुष्टि हुई है। राव ने कहा कि मंदिर प्रबंधन के पास अपना लैब नहीं था। घी सप्लायर एआर डेयरी फूड्स ने इसका फायदा उठाया। इस बीच शनिवार को केंद्र और राज्य सरकार में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अधिकारी तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स की फैक्ट्री में जांच करने पहुंचे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वाराणसी में कहा- 'कल रात मेरे कुछ सहयोगी बाबा विश्वनाथ धाम गए थे। रात में मुझे बाबा का प्रसादम दिया, तो मेरे मन में तिरुमाला की घटना याद आई। मेरे मन में थोड़ा खटका। हर तीर्थ स्थल में ऐसी घटिया मिलावट हो सकती है। हिंदू धर्म के अनुसार ये बहुत बड़ा पाप है। इसकी ढंग से जांच हो।' प्रसादम विवाद कहां पहुंचा... सुप्रीम कोर्ट: वकील सत्यम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। कहा, यह हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों के मूल सिद्वांतों का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। हाईकोर्ट: YSR ने लड्डू में चर्बी विवाद पर हाईकोर्ट का रुख किया। जगन रेड्डी की पार्टी ने इस मामले में मौजूदा जज की निगरानी में जांच का अनुरोध किया है। मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर का होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय: स्वास्थ्य मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, मैंने CM चंद्रबाबू नायडू से बात की है। मंदिर के प्रसाद (लड्डू) की जांच कराई जाएगी। CBI जांच की मांग: TDP, कांग्रेस और भाजपा ने इस मामले में CBI जांच की मांग की है। हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी यह केस जांच एजेंसी को नहीं सौंपा है। यह विवाद कैसे सामने आया... कर्नाटक कोआपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) पिछले 50 साल से रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। हर छह महीने में 1400 टन घी मंदिर में लगता है। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन सरकार (YSRCP) ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। जिसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी। TDP सरकार आई, जुलाई में सैंपल की जांच, चर्बी की पुष्टि TDP सरकार ने जून 2024 में सीनियर IAS अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का नया एक्जीक्यूटिव ऑफिसर अपॉइंट किया था। उन्होंने प्रसादम (लड्डू) की क्वॉलिटी जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई। प्रसाद के टेस्ट और क्वॉलिटी को बेहतर बनाने के लिए कमेटी ने कई सुझाव दिए। साथ ही घी की जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB), गुजरात में सैंपल भेजे। जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में फैट का जिक्र था। इसके बाद TTD ने तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स की तरफ से भेजे गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। इसके बाद TTD ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदना शुरू कर दिया। पुराने सप्लॉयर से घी 320 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से खरीदा जाता था। जबकि तिरुपति ट्रस्ट अब कर्नाटक कोआपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) से 475 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से घी खरीद रहा है। घी की शुद्धता का परीक्षण करने वाली प्रयोगशाला NDDB CALF ने तिरुपति को घी की शुद्धता की जांच करने के लिए एक मशीन दान करने पर सहमति दी है। इसकी लागत 75 लाख रुपए है। अमूल बोला- तिरुपति मंदिर में कभी घी सप्लाई नहीं किया इस बीच तिरुपति लड्डू में मिलावट को लेकर विवाद के बीच डेयरी कंपनी अमूल ने भी सफाई दी। कंपनी ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर बयान जारी कर बताया कि उसने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को कभी घी नहीं दिया।
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पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टर्स आज कोलकाता में साल्ट लेक स्थित स्वास्थ्य भवन के बाहर 10 सितंबर से जारी धरना-प्रदर्शन खत्म कर देंगे। धरना खत्म करने से पहले वे स्वास्थ्य भवन से सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित CBI ऑफिस तक मार्च करेंगे। जूनियर डॉक्टरों ने 19 सितंबर की देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि वे शनिवार, 21 सितंबर से काम पर लौटेंगे। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के बाद डॉक्टर्स पिछले 41 दिनों से हड़ताल पर हैं। डॉक्टरों ने कहा कि उनकी हड़ताल आंशिक रूप से जारी रहेगी। वे अभी इमरजेंसी और जरूरी सेवाएं देंगे। बाढ़ प्रभावित इलाकों में मेडिकल कैंप भी लगाएंगे। हालांकि, OPD और कोल्ड ऑपरेटिंग थिएटरों के कामकाज में वे शामिल नहीं होंगे। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि न्याय के लिए हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हम बंगाल सरकार को एक हफ्ते का समय दे रहे हैं। अगर इस दौरान सरकार अपने सभी वादों को लागू नहीं करती है तो हम फिर से हड़ताल शुरू करेंगे। प्रदर्शनकारियों में शामिल डॉ. अकीब ने न्यूज एजेंसी ANI को कहा कि पश्चिम बंगाल में बाढ़ की स्थिति और हमारी कुछ मांगों पर राज्य सरकार की सहमत के कारण हमने आंशिक रूप से काम पर लौटने का फैसला किया है। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमारी मांग पर कोलकाता पुलिस कमिश्नर, मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर और हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर को हटाया गया है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि आंदोलन खत्म हो गया है। राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने और अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की हमारी मांग अभी भी जारी है। बंगाल सरकार ने विनीत गोयल को पुलिस कमिश्नर पद से हटाया था मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 16 सितंबर को डॉक्टरों के साथ मीटिंग की थी। मीटिंग के बाद ममता ने कहा कि हमने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मान ली हैं। CM ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील करते हुए कहा था वे प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन नहीं लेंगी। डॉक्टरों की मांग पर बंगाल सरकार ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटा दिया था। उनकी जगह मनोज वर्मा ने पद संभाला। स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है। ममता-डॉक्टरों की मीटिंग को लेकर 7 दिन टकराव चला डॉक्टरों और ममता की मीटिंग को लेकर कोलकाता में 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें। डॉक्टरों और CM की 16 सितंबर की मीटिंग के बाद स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया। मेडिकल एजुकेशन डायरेक्टर डॉ. कौस्तुव नायक को स्वास्थ्य-परिवार कल्याण का डायरेक्टर बनाया गया। स्वास्थ्य सेवाओं के डायरेक्टर डॉ. देबाशीष हलदर को पब्लिक हेल्थ का OSD बनाया गया है। त्रिपुरारी अथर्व को DEO का डायरेक्टर चुना गया। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए। जावेद शमीम ADG कानून व्यवस्था, विनीत गोयल ADG और IG स्पेशल टास्क फोर्स, ज्ञानवंत सिंह ADG और IG इंटेलिजेंस ब्यूरो, दीपक सरकार नॉर्थ कलेक्टर, अभिषेक गुप्ता CO EFR सेकंड बटालियन का नाम शामिल है।
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सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब चैनल शुक्रवार (20 सितंबर) को हैक हो गया है। शीर्ष अदालत के यूट्यूब चैनल पर US बेस्ड क्रिप्टोकरेंसी XRP को बढ़ावा देने वाले वीडियो दिखाई दे रहा था, जिसे रिपल लैब्स ने डेवलप किया है। हैक किए गए चैनल पर "ब्रैड गार्लिंगहाउस: रिपल ने SEC के $2 बिलियन जुर्माने पर प्रतिक्रिया दी! XRP मूल्य भविष्यवाणी" शीर्षक वाला एक खाली वीडियो लाइव था। इससे पहले हैकर्स ने चैनल का नाम बदला और पहले की सुनवाई के वीडियो प्राइवेट किए। अब कम्युनिटी गाइडलाइन वायलेंस के कारण चैनल को यूट्यूब ने हटा दिया है। इस चैनल पर शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के सामने आने वाले मामलों और जनहित से जुड़े मामलों की सुनवाई को लाइव स्ट्रीम किया जाता है। हाल ही में आरजी कर मेडिकल कॉलेज, रेप और हत्या के मामले की सुनवाई को लाइव स्ट्रीम किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की IT टीम ने NIC से मदद मांगी सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम इस बारे में निश्चित नहीं हैं कि वास्तव में क्या हुआ है। लेकिन ऐसा लगता है कि चैनल से छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल में समस्या के बारे में शुक्रवार सुबह पता चला और सुप्रीम कोर्ट की IT टीम ने इसे ठीक करने के लिए नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) से मदद मांगी है। रिपल ने खुद यूट्यूब पर मुकदमा दायर किया रिपल ने खुद अपने CEO ब्रैड गारलिंगहाउस का फर्जी अकाउंट बनाने से हैकर्स को रोकने में विफल रहने के लिए यूट्यूब पर मुकदमा दायर किया है। 27 सितंबर 2022 को पहली बार सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही लाइव स्ट्रीमिंग हुई थी पूर्व CJI यूयू ललित की अध्यक्षता में कोर्ट की मीटिंग में प्रमुख सुनवाइयों की लाइव स्ट्रीमिंग करने को लेकर सर्वसम्मत निर्णय लिया गया था। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में तय किया कि सभी संविधान पीठों की सुनवाई यूट्यूब चैनल पर लाइव-स्ट्रीम की जाएगी। पहली बार 27 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही लाइव स्ट्रीमिंग हुई थी, जिसमें तब के CJI एनवी रमना ने अपने रिटायरमेंट वाले दिन 5 मामलों में फैसला सुनाया था।
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तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम की पवित्रता और शुद्धता को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने 2 दिन के अंदर दो दावे किए। नायडू सरकार ने नया आरोप लगाते हुए कहा कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाला घी और फिश ऑयल मिलाया गया था। TDP ने ये आरोप एक लैब रिपोर्ट के हवाले से लगाए। उधर,YSR कांग्रेस ने इस विवाद पर हाईकोर्ट का रुख किया। पार्टी ने हाईकोर्ट से नायडू के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाने की मांग की। कोर्ट 25 सितंबर को सुनवाई करेगा। इससे पहले 18 सितंबर को आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि पिछले 5 साल में जगन मोहन सरकार और YSRCP के नेताओं ने तिरुमाला की पवित्रता को धूमिल किया। तिरुपति मंदिर के 300 साल पुराने किचन में रोजाना 3.50 लाख लड्डू बनते हैं। तिरुमाला ट्रस्ट हर साल प्रसादम से सालाना 500 करोड़ रुपए कमाता है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने मंदिर प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, घी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए चार सदस्यीय विशेष समिति बना दी है। लैब रिपोर्ट 17 जुलाई को मिली थी। तभी से ही यह रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। रिपोर्ट में ना तो जारी करने वाली संस्था का नाम लिखा है और ना ही किस जगह के सैंपल की जांच की गई है, उसका जिक्र है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने इस मामले में जगन मोहन रेड्डी, ठेकेदार और टीटीडी के अफसरों के खिलाफ शिकायत की है। इसमें कहा कि इन्होंने प्रसादम में जानवरों की चर्बी वाला घी मिलाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। उन्होंने कहा कि इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और सख्त कार्रवाई हो। उधर केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। प्रसाद में शामिल घी में मिलावट, YSRCP-TDP सरकार के अलग-अलग सप्लॉयर YSRCP ने पिछले साल घी सप्लॉयर बदला था, मिली थी गड़बड़ी दरअसल पिछले 50 साल से कर्नाटक KMF रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। हर छह महीने में 1400 टन घी मंदिर में लगता है। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन सरकार (YSRCP) ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। जिसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी। TDP सरकार ने इसी साल जुलाई में घी बेचने वालों को ब्लैक लिस्ट किया टीडीपी सरकार ने इस साल जून में सीनियर IAS अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का नया एक्जीक्यूटिव ऑफिसर अपॉइंट किया था। उन्होंने प्रसादम (लड्डू) की क्वॉलिटी जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई। प्रसाद के टेस्ट और क्वॉलिटी को बेहतर बनाने के लिए कमेटी ने कई सुझाव दिए। साथ ही घी की जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड (NDDB), गुजरात में सैंपल भेजे। जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में फैट का जिक्र था। इसके बाद TTD ने तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स की तरफ से भेजे गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। इसके बाद TTD ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदना शुरु कर दिया। पुराने सप्लॉयर से घी 320 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट से खरीदा जाता था। जबकि तिरुपति ट्रस्ट अब कर्नाटक कॉपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) से 475 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट से घी खरीद रहा है।
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हिंसा से जूझ रहे मणिपुर की राजधानी इंफाल में आम लोगों को सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की कैंटीन से सामान मिलने लगा। इसकी शुरुआत बुधवार से से हुई। कैंटीन में सामान पर 30 से 40% डिस्काउंट भी होगा। यहां CRPF के 21 भंडार पहले से थे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्लान पर 16 आउटलेट और खोले गए हैं। जरूरत का सामान खरीदने के लिए लांगजिंग इलाके की CRPF कैंटीन में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। कैंटीन पर पहुंचे स्थानीय व्यक्ति ने कहा- यहां चीजें बहुत सस्ते दाम पर मिल रही है। मार्केट से सामान खरीदने में कठिनाई आ रही थी, क्योंकि सड़कें ब्लाक है, साथ ही सामान महंगा भी है। वहां जाने में रिस्क भी है। CRPF कैंटीन में सामान सस्ता भी है और यहां सुरक्षा की गारंटी भी है। जनता के लिए साढ़े चार घंटे खुलेगा स्टोर CRPF कैंटीन में आम लोगों के लिए सुबह 9.30 से दोपहर 1 बजे तक सामान दिया जाएगा। हफ्ते में चार दिन- सोमवार, मंगलवार, बुधावार और शुक्रवार को यह सुविधा मुहैया रहेगी। गुरुवार, शनिवार और रविवार को ये स्टोर आम लोगों के लिए बंद रहेंगे। CRPF के IG विपुल कुमार ने ANI को बताया- मिनिस्टरी ऑफ होम अफेयर्स की गाइडलाइन के तहत हमारे सभी ऑफिसर काम पर हैं। वह यह देख रहें हैं कि स्टोर में सभी सामान उपलब्ध हो। घाटी के जिलों में 16 और पहाड़ी जिलों में 8 स्टोर खोले गए हैं। हिंसा के बाद से अब तक 6,523 FIR दर्ज हुई मणिपुर में हिंसा की वजह से 120 से ज्यादा गांव, 3,500 घर, 220 चर्च, और 15 मंदिर जल गए। हिंसा के चलते स्कूल और खेत भी बर्बाद हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मणिपुर में कानून-व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। राज्य में जातीय हिंसा के दौरान करीब तीन महीने तक FIR ही दर्ज नहीं की गई। मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बर बर्ताव के शर्मनाक वीडियो भी जारी हुए थे। स्नाइपर से सब इंस्पेक्टर की हत्या हो गई थी। मणिपुर के मुख्यमंत्री ने एडिटर्स गिल्ड के खिलाफ FIR कराई थी। मणिपुर में 67 हजार लोग विस्थापित हुए जिनेवा के इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) ने 11 मई 2023 को रिपोर्ट जारी की। जिसमें कहा है कि साल 2023 में साउथ एशिया में 69 हजार लोग विस्थापित हुए। इनमें से 97 फीसदी यानी 67 हजार लोग मणिपुर हिंसा के कारण विस्थापित हुए थे। रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में साल 2018 के बाद हिंसा के कारण पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन देखने को मिला। इस हिंसा में करीब 200 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। साथ ही लगभग 67 हजार लोगों को अपना घर छोड़कर राहत शिविर या दूसरी जगहों पर आसरा लेना पड़ा था। 4 पॉइंट्स में - मणिपुर हिंसा की वजह मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST केटेगरी में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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वक्फ बिल में संशोधन के लिए गुरुवार (19 सितंबर) को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की चौथी बैठक जारी है। बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई। पिछले 28 दिनों में JPC की तीन बैठकें हो चुकी हैं। जिसमें चर्चा के दौरान काफी हंगामा भी हुआ। दरअसल, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल को मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष के विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था। 5 सितंबर, तीसरी बैठक: वक्फ बिल का प्रेजेंटेशन दिया गया वक्फ बिल में संशोधन के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की तीसरी बैठक में मंत्रालयों के अधिकारियों ने कमेटी को वक्फ बिल के बारे में प्रेजेंटेशन दिया। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि प्रेजेंटेशन के दौरान सरकारी अधिकारी कमेटी को बिल के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे रहे। साथ ही कहा कि मिनिस्ट्री के अधिकारी अपना स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं अपना रहे। वे बिना किसी विचार-विमर्श के सरकार के रुख को ही बढ़ावा दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा विरोध AAP सांसद संजय सिंह और TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने किया। JPC की दूसरी बैठक में विपक्षी सदस्यों ने कुछ देर के लिए बैठक से वॉक आउट किया। यह बैठक करीब 8 घंटे तक चली बैठक में ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा और इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स, राजस्थान मुस्लिम वक्फ, दिल्ली और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के विचारों को सुना। सूत्रों के अनुसार, मुस्लिम संगठनों ने बिल के कई प्रावधानों पर कहा कि यह मुसलमानों के लिए चिंता का विषय हैं। बैठक में 'वक्फ बाय यूजर्स' पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह धार्मिक आस्था और व्यवहार का मामला है। इसलिए सरकार को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। 22 अगस्त को 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक हुई थी। इसमें समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया था कि बिल पर विचार करने के दौरान सभी 44 बदलावों (अमेंडमेंट्स) पर चर्चा होगी। सभी हिस्सेदारों की बात सुनी जाएगी। मुस्लिम जानकारों से भी राय ली जाएगी। अल्पसंख्यक मामलों और कानून मंत्रालय के अधिकारी ने समिति को ड्राफ्ट कानून में जो बदलाव किये गए हैं, उसके बारे में बताया।
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस को लेकर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों और बंगाल सरकार के बीच बुधवार को दूसरे दौर की बातचीत हुई। डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर बंगाल के चीफ सेक्रेटरी मनोज पंत के साथ ढाई घंटे बैठक की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। डॉक्टरों ने कहा कि वे सरकार से हुई बातचीत से असंतुष्ट हैं और अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। डॉक्टरों ने यह आरोप लगाया कि बैठक में डॉक्टरों राज्य सरकार ने बैठक की लिखित कार्यवाही (मिनट्स ऑफ मीटिंग) मांगे थे, जिसे देने से सरकार ने इनकार कर दिया। इस बीच पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पंजीकरण रद्द कर दिया है। संदीप से पहले स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन 13 दिन से ज्यादा निकलने के बाद भी कोई स्पष्टीकरण न मिलने पर काउंसिल ने यह कदम उठाया। उधर, नए कमिश्नर मनोज वर्मा, गुरुवार को आरजी कर कॉलेज और हॉस्पिटल का दौरा करने पहुंचे। इसी घटना के विरोध में TMC से राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले 16 सितंबर को जूनियर डॉक्टर और ममता के बीच मीटिंग हुई थी। इसमें ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मान ली थीं। उन्होंने मंगलवार को पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटाया था। उनकी जगह मनोज वर्मा को कमिश्नर बनाया गया। लेकिन डॉक्टर राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। साथ ही अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इन मांगों पर चर्चा करने को लेकर डॉक्टरों ने मनोज पंत को ईमेल भेजकर एक और मीटिंग की मांग की थी। इस पर पंत ने 30 डॉक्टरों को शाम 6:30 बजे मिलने के लिए बुलाया था। बैठक 7:30 बजे शुरू हुई और 10 बजे तक चली। डॉक्टर आज भी अपने साथ स्टेनोग्राफर को ले गए थे, ताकि बैठक की डिटेल रिकॉर्ड की जा सके। डॉक्टर बोले- हमें प्रदर्शन जारी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा एक डॉक्टर ने बताया कि जब हमने बैठक की मांग की, तो हमें बताया गया कि हमें अपनी सभी जरूरतें ईमेल के जरिए भेजनी होंगी। सरकार हमारी मांगों की जांच करेगी और फिर हमसे संपर्क करेगी। जब हम बैठक में गए थे, तो हमें बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन अब हम बेहद निराश हैं। हम भी चाहते हैं कि यह प्रदर्शन खत्म हो, लेकिन हमें इसे जारी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं ममता-डॉक्टरों की मीटिंग को लेकर 7 दिन तक टकराव डॉक्टरों और ममता की मीटिंग को लेकर कोलकाता में 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें। डॉक्टरों और CM की 16 सितंबर की मीटिंग के बाद स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया। मेडिकल एजुकेशन डायरेक्टर डॉ. कौस्तुव नायक को स्वास्थ्य-परिवार कल्याण का डायरेक्टर बनाया गया। स्वास्थ्य सेवाओं के डायरेक्टर डॉ. देबाशीष हलदर को पब्लिक हेल्थ का OSD बनाया गया है। त्रिपुरारी अथर्व को DEO का डायरेक्टर चुना गया। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए। जावेद शमीम ADG कानून व्यवस्था, विनीत गोयल ADG और IG स्पेशल टास्क फोर्स, ज्ञानवंत सिंह ADG और IG इंटेलिजेंस ब्यूरो, दीपक सरकार नॉर्थ कलेक्टर, अभिषेक गुप्ता CO EFR सेकंड बटालियन का नाम शामिल है। CBI बोली- पुलिस ने 2 दिन तक अहम सबूत जब्त नहीं किए CBI ने बुधवार सुबह बताया कि कोलकाता पुलिस ने आरोपी संजय कपड़े समेत अन्य चीजों को जब्त करने में दो दिन लगा दिए। ये सबूत केस के लिए अहम हो सकते थे। दरअसल, रॉय को पुलिस ने 10 अगस्त को CCTV फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया था। इसके बाद CBI ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस के SHO अभिजित मोंडल को गिरफ्तार किया था। CBI संजय और घोष-मोंडल के कनेक्शन की जांच कर रही CBI ने बताया कि घोष और मोंडल पर दुर्भावनापूर्ण इरादे से केस के सबूतों को नष्ट करने का आरोप है। अब दोनों के बीच कनेक्शन के बारे में पता लगाया जा रहा है। साथ ही घोष-मोंडल और संजय के बीच आपराधिक साजिश थी या नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है। इसके लिए तीनों के फोन रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। CBI ने बताया कि घोष और मोंडल ने ट्रेनी डॉक्टर का अंतिम संस्कार कराने में भी जल्दी की थी, जबकि ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने दूसरी ऑटोप्सी कराने की मांग रखी थी। विक्टिम के पिता बोले- ममता ने 2021 में संदीप घोष पर एक्शन लिया होता, तो बेटी जिंदा होती विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने ममता बनर्जी पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर ममता ने 2021 में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ एक्शन लिया होता तो आज उनकी बेटी जिंदा होती। विक्टिम के पिता बोले- 'CBI अपना काम कर रही है। जो लोग इस मर्डर से किसी भी तरह जुड़े हैं, या जो सबूतों की छेड़छाड़ में शामिल हो सकते हैं, उन सबकी जांच हो रही है। जो जूनियर डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे तकलीफ में हैं। वे मेरे बच्चों जैसे हैं। उन्हें ऐसे देखकर हमें भी तकलीफ होती है। जिस दिन आरोपियों को सजा दी जाएगी, उस दिन हमारी जीत होगी। साल 2021 में भी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई गई थीं, अगर मुख्यमंत्री ने तब संदीप घोष के खिलाफ कार्रवाई की होती तो मेरी बेटी जिंदा होती।'
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वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शीतकालीन सत्र में बिल पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में वन नेशनल वन इलेक्शन का वादा किया था। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दी गई स्पीच में भी प्रधानमंत्री ने वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं। वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है। पैनल का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। यह रिपोर्ट स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च का नतीजा है। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है। पैनल के 5 सुझाव... सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए। हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडी के इलेक्शन कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा। कोविंद पैनल ने एकसाथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है। कमेटी में 8 सदस्य, सितंबर 2023 में बनी थी पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुआई में 8 मेंबर की कमेटी पिछले साल 2 सितंबर को बनी थी। 23 सितंबर 2023 को दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं। अभी ऐसी है वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। साथ ही इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे। पहला चरणः 6 राज्य, वोटिंगः नवंबर 2025 में बिहारः मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा। असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े 3 साल होगा। दूसरा चरणः 11 राज्य, वोटिंगः दिसंबर 2026 में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा। गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा। इन दो चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। सूत्रों के अनुसार, कोविंद कमेटी विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने की बात कही जाएगी। क्या है वन नेशन वन इलेक्शन भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
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दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना ने बुधवार को अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मंजूरी के लिए भेज दिया है। साथ ही उन्होंने नई मुख्यमंत्री आतिशी के शपथ ग्रहण के लिए 21 सितंबर की तारीख का प्रस्ताव भी राष्ट्रपति को भेजा है। इधर, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके अरविंद केजरीवाल अपना सरकारी आवास छोड़ेंगे। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने बुधवार को कहा कि हमने सुरक्षा को लेकर उनसे कहा कि सरकारी आवास ना छोड़ें, लेकिन वे नहीं माने। एक दिन पहले 17 सितंबर को AAP विधायक दल की मीटिंग में आतिशी को मुख्यमंत्री चुना गया था। इसके बाद केजरीवाल ने शाम को LG विनय सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। केजरीवाल पर कई बार हमले हुए, हमें चिंता-AAP संजय सिंह ने कहा, "केजरीवाल अपनी सभी सरकारी सुविधाएं छोड़ने जा रहे हैं। हम लोगों को चिंता है। केजरीवाल पर कई बार हमले हो चुके हैं। जब उनके माता-पिता घर में थे, तब भी उन पर हमला हुआ है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि केजरीवाल कहां रहेंगे। उन्होंने कहा है कि वे जनता के बीच रहेंगे, जगह अभी तय नहीं है।" बंगले का रिनोवेशन हुआ था, 52.71 करोड़ खर्च हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले और इसके कैम्पस में बने ऑफिस के रिनोवेशन किया गया था। इस पर 52.71 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। उपराज्यपाल विनय सक्सेना को भेजी गई फैक्चुअल रिपोर्ट में यह जानकारी आई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि बंगले पर 33.49 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, वहीं 19.22 करोड़ रुपए उनके कैंप ऑफिस पर खर्च हुए। उनके पुराने बंगले को गिराकर नया बंगला बनाया गया था। आतिशी ने LG से शपथ ग्रहण की तारीख मांगी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने 17 सितंबर शाम को उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना को CM पद से इस्तीफा सौंपा था। उनके साथ आतिशी और 4 मंत्री मौजूद थे। इसके बाद आतिशी ने नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया। उपराज्यपाल से शपथ ग्रहण की तारीख तय करने की भी मांग की है। दिल्ली सरकार ने 26 और 27 सितंबर को 2 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया है। 26-27 सितंबर को विधानसभा सत्र, आतिशी बोलीं- केजरीवाल को CM बनाना लक्ष्य इसी दिन सुबह AAP की विधायक दल की बैठक में केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। इस पर विधायकों ने सहमति जताई। CM चुने जाने के बाद आतिशी ने कहा था कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं। पहला- दिल्ली के लोगों की भाजपा के षड्यंत्र से रक्षा करना। दूसरा- केजरीवाल को फिर से CM बनाना। आतिशी के दो बड़े बयान... 1. ये हमारे लिए दुख का क्षण केजरीवाल के खिलाफ केंद्र सरकार ने दुष्प्रचार किया, फर्जी आरोप लगाए। 6 महीने जेल में रखा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा किया। कोई और व्यक्ति होता तो वह तुरंत CM की कुर्सी पर बैठ गया होता। केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली की जनता का फैसला मानूंगा। ये हमारे लिए दुख का क्षण है। दिल्ली के लोग इस बात का प्रण ले रहे हैं कि अगले चुनाव में वे केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएंगे। 2. दिल्ली की जनता गुस्से में है दिल्ली आज गुस्से में है। उन्हें पता है कि केजरीवाल CM नहीं रहे तो फ्री बिजली नहीं मिलेगी, सरकारी स्कूल बदहाल हो जाएंगे, अस्पतालों में अच्छा इलाज नहीं मिलेगा, मोहल्ला क्लिनिक बंद हो जाएगी, महिलाओं की फ्री बस यात्रा, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा बंद हो जाएगी। उन्होंने देखा है कि 22 राज्यों में भाजपा की सरकार है। किसी एक में भी फ्री बिजली, बस यात्रा नहीं दे पा रहे।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जयपुर मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNIT) के दीक्षांत समारोह में 1300 से ज्यादा स्टूडेंट्स को डिग्रियां प्रदान कीं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज 20 गोल्ड मेडल में से 12 बेटियों को मिले हैं, ये अनुपात प्रमाण है कि उन्हें समान अवसर मिले तो वे सफलता हासिल कर सकती हैं। इस साल का सबसे बड़ा प्लेसमेंट भी एक बेटी को ही मिला है। बुधवार को हुए कॉलेज के 18वें दीक्षांत समारोह में स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचईडी व एमबीए की डिग्रियां प्रदान गईं। समारोह में पहुंचीं राष्ट्रपति का मंत्रोच्चार के साथ स्वागत हुआ। कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल ने कहा कि यह दौर सूचना और प्रौद्योगिकी का है। इस क्षेत्र में एमएनआईटी ने काफी अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दौर में AI काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा कि समारोह को संबोधित करते मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा के प्रदेश के युवाओं के लिए युवा नीति लाई जाएगी। सरकार अगले 5 साल में 4 लाख से ज्यादा पदों पर भर्ती की जाएगी। राष्ट्रपति के संबोधन की बड़ी बातें आपकी सफलता में शिक्षकों और अभिभावकों का अहम योगदान है। रिसर्च और डेवलपमेंट में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है। एमएनआईटी की फैकल्टी में एक तिहाई महिलाएं हैं। यह भी सराहनीय है। एमएनआईटी स्थानीय प्रतिभा को अवसर देता है। तो वहीं भारत की विविधता को भी दिखाता है। एमएनआईटी के 125 स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं। सुपरविजन पर विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है एमएनआईटी जयपुर को भविष्य में आप टॉप टेन में जगह दिलाएंगे। एनआईटी के स्टूडेंट देश विदेश की प्रतिष्ठित संस्थानों में जुड़े हैं। यहां कैंपस ग्रीन और एक मेगावाट का सोलर प्लांट लगा हुआ है। पर्यावरण संरक्षण में आप लोगों ने अपने नाम से पेड़ लगाए हैं। यह काफी महत्वपूर्ण है। आप जो भी कार्य करें वह तटस्थता और निष्ठा के साथ करें। नेशन फर्स्ट की भावना से काम करने की आप से प्रेरणा है। आपको अपने देश को आगे बढ़ाना है।
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 सितंबर) को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर स्टे नहीं दिया। मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनने का फैसला सुनाया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा- मुस्लिम पक्ष गलत तरीके से सुप्रीम कोर्ट गया। हमारी तरफ से ऑब्जेक्शन दाखिल किया गया था। पहले इनको (मुस्लिम पक्ष) हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दाखिल करनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट में 4 नवंबर को मामले में सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा- इस दौरान मुस्लिम पक्ष चाहे तो हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दाखिल कर सकता है। दरअसल, 1 अगस्त को हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से जुड़ी हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनने का फैसला सुनाया था। कोर्ट का कहना था कि सभी याचिकाएं एक नेचर की हैं। एक साथ सुनी जाएंगी। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का तर्क था कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनने योग्य नहीं है। ऐसे में मुस्लिम पक्ष ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद 6 अगस्त को हिंदू पक्ष ने कैविएट दाखिल की थी। कहा था- हमें सुने बिना मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर एकतरफा आदेश न दें। आज याचिका पर पहली बार सुनवाई हुई। हिंदू पक्षकारों के 11 तर्क ढाई एकड़ में बनी शाही ईदगाह कोई मस्जिद नहीं है। ईदगाह में केवल सालभर में 2 बार नमाज पढ़ी जाती है। ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया भगवान कृष्ण का गर्भगृह है। सियासी षड्यंत्र के तहत ईदगाह का निर्माण कराया गया था। प्रतिवादी के पास कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है। जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है। बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित कर दी। भवन पुरातत्व विभाग से संरक्षित घोषित है। पुरातत्व विभाग (ASI) ने नजूल भूमि माना है। इसे वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते। मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें समझौता 1968 का है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। मुकदमा सुनवाई लायक नहीं। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत मुकदमा आगे ले जाने के काबिल नहीं है। 15 अगस्त 1947 वाले नियम के तहत जो धार्मिक स्थल जैसा है वैसा रहे, उसकी प्रकृति नहीं बदल सकते। लिमिटेशन एक्ट, वक्फ अधिनियम के तहत इस मामले को देखा जाए। वक्फ ट्रिब्यूनल में सुनवाई हो, यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला नहीं।
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (17 सितंबर) को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने रातिरेर साथी योजना के तहत महिला डॉक्टरों की नाइट ड्यूटी खत्म करने के फैसले पर बंगाल सरकार को फटकार लगाई। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? उन्हें कोई रियायत नहीं चाहिए। सरकार का काम उन्हें सुरक्षा देना है। पायलट, सेना जैसे सभी प्रोफेशन में महिलाएं रात में काम करती हैं। कोर्ट ने विकिपीडिया को मृत ट्रेनी डॉक्टर का नाम और तस्वीर हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़ित की पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि वह एक हफ्ते के बाद अगली सुनवाई करेगा। CJI बोले- अस्पतालों में 18-23 साल की डॉक्टर्स काम कर रहीं, वहां पुलिस होनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर प्राइवेट एजेंसियों के सुरक्षाकर्मियों की नियुक्त पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम रहे लोगों को 7 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है और वे पूरे अस्पताल में घूमते हैं। इनके जरिए सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि रेप-मर्डर मामले का मुख्य आरोपी भी एक सिविक वॉलंटियर ही है। बंगाल में 28 सरकारी अस्पताल हैं। वहां 18-23 साल की युवा डॉक्टर काम कर रही हैं। राज्य के 45 मेडिकल कॉलेजों में लड़कियां 12वीं कक्षा के बाद आती हैं। वे बहुत छोटी हैं। उनमें इंटर्न भी हैं। ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पूरी तरह से असुरक्षित है। CJI ने कहा कि राज्य सरकार को सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में पुलिस बल तैनात करना चाहिए। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भी प्रोग्रेस काफी स्लो है। वहां 415 अतिरिक्त CCTV कैमरे लगाने की मंजूरी मिली है, लेकिन अब तक सिर्फ 36 लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट में इन 4 मुद्दों पर भी चर्चा हुई... 1. जूनियर डॉक्टर्स बोले- हम हड़ताल खत्म करना चाहते हैं: वकील इंदिरा जयसिंह ने जूनियर डॉक्टरों का पक्ष रखते हुए कहा कि डॉक्टर्स हड़ताल खत्म करना चाहते हैं। बंगाल सरकार ने डॉक्टरों के काम पर लौटने की तारीख पूछी। जयसिंह ने कहा कि जब तक डॉक्टर अपने एसोसिएशन की बैठक नहीं कर लेते, तब तक कोई तारीख नहीं दी जा सकती। बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। 2. कोर्ट बोला- CBI पीड़ित के माता-पिता से मिले इनपुट की जांच करे: CJI ने कहा कि बेंच खुली अदालत में CBI की जांच पर टिप्पणी नहीं करना चाहती। इससे आगे की जांच खतरे में पड़ जाएगी। बेंच ने CBI को 24 सितंबर को रेप-मर्डर और वित्तीय अनियमितता की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने CBI को पीड़ित के माता-पिता से मिले इनपुट की जांच करने का निर्देश दिया। CJI ने कहा कि पीड़ित के पिता ने 12 सितंबर को एक लेटर लिखा था, जिसमें कई चिंताएं व्यक्त की गई थीं। CBI को इन सुरागों की जांच करनी चाहिए। 3. कोर्ट का सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग से इनकार: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग की। सिब्बल ने कहा कि बंगाल सरकार का पक्ष रखने वाले वकीलों को सोशल मीडिया पर रेप और एसिड अटैक की धमकियां मिल रही हैं। हालांकि, CJI ने कहा कि कोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग बंद नहीं करेगा, क्योंकि यह जनहित का मुद्दा है। अगर किसी को ऐसा कोई खतरा है तो हम कदम उठाएंगे। 4. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पद से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज: सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील से कहा कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है। आप बार के सदस्य हैं। हम जो कहते हैं उस पर हमें आपकी वैधता की जरूरत नहीं है। कोर्ट रूम लाइव... CJI चंद्रचूड़: जांच पूरी होने में अभी वक्त है। हमें CBI को पर्याप्त समय देना होगा, वे सोते नहीं रहेंगे। उन्हें सच्चाई सामने लाने के लिए समय दिया जाना जरूरी है। वकील (डॉक्टरों की तरफ से): क्राइम सीन पर कई लोग मौजूद थे। हम उन लोगों के नाम सीलबंद कवर में CBI को सौंपने को तैयार हैं। मैं अदालत में सार्वजनिक नहीं कर रही हूं। CJI चंद्रचूड़: जांच में कुछ जरूरी सुराग मिलने को लेकर मृतक के पिता की ओर से चिंता जताई गई है। हम उनके लेटर का खुलासा नहीं करेंगे, यह गोपनीय है। हम कहेंगे कि CBI के लिए ये बहुत अहम इनपुट है। सॉलिसिटर जनरल: एक चिंता की बात है, विकिपीडिया में लड़की का नाम और फोटो अभी भी मौजूद है। CJI चंद्रचूड़: हम आदेश पारित करेंगे, नाम और फोटो नहीं हो सकता। वकील: विकीपीडिया से इसे हटाने के लिए कहा गया है। उसने कहा कि इसे सेंसर नहीं किया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल: यह सेंसरिंग नहीं है, यह अपराध न करने के लिए कहना है। CJI चंद्रचूड़: ठीक है हम इससे निपटेंगे, हम एक आदेश पारित करेंगे। वकील: कोलकाता पुलिस ने केवल 27 मिनट की CCTV फुटेज दी। पूरी फुटेज नहीं दी। CBI को पूरी फुटेज जब्त करनी होगी। सिब्बल: ये सच नहीं है। 7-8 घंटे की फुटेज दी गई है। CJI चंद्रचूड़ (सॉलिसिटर जनरल से): क्या आप पुलिस से आपको फुटेज सौंपने के लिए नहीं कह सकते? आपने ब्लॉकर डिवाइस का इस्तेमाल किया है या नहीं? हमें उम्मीद है कि CBI पूरी डीवीआर और फुटेज जब्त करेगी। वकील: जिस जगह पर कैमरा लगाया गया था वह प्रवेश कक्ष में नहीं था। वहां और कैमरे भी लगे हैं। इसमें कोई विवाद नहीं है कि कोई शव चालान भी नहीं है। CJI चंद्रचूड़ (सॉलिसिटर जनरल से): क्या आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका वकील पता लगाए कि हाई कोर्ट में क्या हुआ था, जब जहां चालान दिखाया गया था। सॉलिसिटर जनरल: जब कलकत्ता पुलिस ने दस्तावेज दिए थे तो शव चालान नहीं दिया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि हम स्पष्ट कर दें कि इस ऑर्डर में सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइंस के अवैध अतिक्रमण नहीं शामिल हैं। केंद्र ने इस ऑर्डर पर सवाल उठाया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- अगर कार्रवाई दो हफ्ते रोक दी तो आसमान नहीं फट पड़ेगा। आप इसे रोक दीजिए, 15 दिन में क्या होगा? कोर्ट रूम लाइव... सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह: हर दिन तोड़फोड़ हो रही है। एसजी तुषार मेहता: 2022 में नोटिस दिए गए और उसके बाद कार्रवाई की गई। इस बीच अपराध किए। जस्टिस गवई: राज्य सरकार को खबर दी जानी चाहिए। 2024 में इतनी जल्दबाजी क्यों हो रही है, जब नोटिस 2022 में जारी किए गए थे तो। जस्टिस विश्वनाथन: मैं साफ कर दूं कि अगली तारीख तक, अदालत की अनुमति के बिना डिमोलिशन पर रोक होनी चाहिए। एसजी मेहता: एक नैरेटिव बनाया जा रहा है। जस्टिस विश्वनाथन: हमें कोई प्रभावित नहीं कर रहा है। हम इस समय इस सवाल पर नहीं जाएंगे कि किस समुदाय ने यह पूछा है। अगर अवैध ढंग से घर गिराने का एक भी मामला है, तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। जस्टिस गवई: हम पर कोई नैरेटिव असर नहीं डाल रहा। हमने साफ कर दिया है कि हम अतिक्रमण के बीच में नहीं आएंगे, लेकिन कार्यपालिका खुद जज नहीं हो सकती। एसजी मेहता: याचिकाकर्ताओं का दावा है कि डिमोलिशन एक धर्म विशेष के लोगों के घरों को लेकर हो रहा है। जस्टिस विश्वनाथन: इस कार्रवाई का इकलौता मकसद बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई को व्यवस्थित करना है। एसजी मेहता: जिनके घर टूटे वे कोर्ट इसलिए नहीं पहुंचते, क्योंकि वे जानते हैं उनकी संपत्ति अवैध है। सीयू सिंह: कोर्ट ने पिछली तारीख पर आदेश दिया। निर्देश के बावजूद 12, 14 तारीख को, उसी दिन पत्थरबाजी की घटना हुई। उसी रात तोड़फोड़ की गई। ऐसा रोज हो रहा है। एक ही इलाके में, ऐसा नहीं हो सकता कि सिर्फ एक घर ही अवैध हो। जस्टिस गवई: आप आवेदन दाखिल करें। एसजी मेहता: मध्य प्रदेश में, मामला यहां चल रहा है। नियमों का पालन करने के बाद 70 दुकानें तोड़ दी गईं। 50 से ज्यादा दुकानें हिंदुओं की थीं। जस्टिस गवई: मामले को 1 अक्टूबर को दोबारा लिस्ट करें। अगली तारीख पर, जब तक वैधानिक आदेश नहीं आ जाते, तब तक कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। अपने हाथ रोकिए। इस कोर्ट की परमिशन के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। हालांकि यह आदेश सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन, जल निकायों पर हुए अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा। जस्टिस विश्वनाथन: इस पर निगरानी होनी चाहिए। जस्टिस गवई: आदेश के बाद, ऐसे बयान आए हैं कि बुलडोजर एक्शन जारी रहेगा... यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि सुनवाई किसके हाथ में है। जस्टिस विश्वनाथन: 2 सितंबर के बाद बुलडोजर एक्शन पर बहुत जोर दिया गया। इसे सही ठहराया गया। क्या हमारे देश में ऐसा होना चाहिए? क्या चुनाव आयोग को नोटिस दिया जाना चाहिए? हम गाइडलाइन बनाएंगे। एसजी मेहता: तेलंगाना में कुछ नोटिस भेजे गए हैं। जस्टिस गवई: अगले हफ्ते तक ऐसी कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए। एसजी मेहता: लेकिन यह पूरे देश में नहीं रुक सकता। जस्टिस गवई : हम रोक लगा रहे हैं, आप नहीं रुक सकते। जस्टिस विश्वनाथन : 15 दिन कार्रवाई रोक दी तो आसमान नहीं गिर पड़ेगा। कोर्ट ने कहा था- अतिक्रमण को संरक्षण नहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि भले ही कोई दोषी क्यों न हो, फिर भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। हालांकि बेंच ने यह भी स्पष्ट किया था कि वह सार्वजनिक सड़कों पर किसी भी तरह अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा। लेकिन, इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की थी- किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना। यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है। एक और सुनवाई में कहा- बुलडोजर एक्शन कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को भी कहा था कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है।मामला जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच में था। सितंबर में यह दूसरा मौका है, जब SC ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, गुजरात में नगरपालिका की तरफ से एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी गई थी। याचिका लगाने वाला खेड़ा जिले के कठलाल में एक जमीन का सह-मालिक है। उनके खिलाफ 1 सितंबर 2024 को एक मामले में FIR दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था- आरोपी के खिलाफ अपराध को कानूनी प्रक्रिया के जरिए कोर्ट में साबित किया जाना चाहिए। जिस देश में कानून सर्वोच्च है, वहां ऐसी धमकियों को कोर्ट नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नगरपालिका अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। साथ ही यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। कोर्ट ने गुजरात सरकार और नगर निगम से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है तीन राज्य जहां पिछले 3 महीने में बुलडोजर एक्शन हुआ अगस्त 2024 : मध्यप्रदेश के छतरपुर में पुलिस पर पथराव के आरोपी पर एक्शन मध्यप्रदेश के छतरपुर में 21 अगस्त को कोतवाली थाने पर पथराव के 24 घंटे के भीतर सरकार ने यहां 20 हजार स्क्वायर फीट में बनी 20 करोड़ रुपए की तीन मंजिला हवेली को जमींदोज कर दिया था। जब उनकी हवेली गिराई जा रही थी, तब भी उनके परिवार का कोई सदस्य यहां मौजूद नहीं था। FIR के मुताबिक, चारों भाइयों ने भीड़ को पुलिस पर हमला करने के लिए उकसाया था।
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वक्फ बोर्ड की शक्तियों की सीमित करने के उद्देश्य से लाए गए वक्फ संशोधन बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है. इसे लेकर जेपीसी की अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं. इस दौरान जेपीसी की ओर से आम जनता से वक्फ संशोधन बिल को लेकर उनके सुझाव मांगे गए थे. इस मामले में जेपीसी के सामने अब तक करीब 84 लाख सुझाव ईमेल के जरिए आ चुके हैं. इसके साथ ही लगभग 70 बॉक्स लिखित सुझावों से भरे हुए भी संयुक्त संसदीय समिति के पास आए हैं. गौरतलब है कि जेपीसी ने सुझाव देने की आखिरी तारीख 16 सितंबर रात 12 बजे तक के लिए बढ़ा दी थी. 19 और 20 सितंबर को होगी अगली बैठक संयुक्त संसदीय समिति की अगली बैठक 19 और 20 सितंबर को होगी. 19 सितंबर को पटना लॉ कालेज के वीसी के साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अधिकारी को बुलाया गया है. 26 से 1 अक्टूबर के बीच देश के 6 बड़े शहरों में जेपीसी के सदस्य जाएंगे और वहां के संभ्रांत लोगों और मुस्लिम संगठनों से राय लेंगे. जेपीसी के सदस्य मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु शहरों में जाएंगे. वक्फ संशोधन बिल के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल हैं, जो बीजेपी से सांसद हैं. जेपीसी में शामिल कई सांसदों ने बिल पर जताया विरोध वक्फ (संशोधन) बिल पर जेपीसी की पहली बैठक से ही अलग-अलग विपक्षी दलों के कई सांसदों का कहना था कि बिल के मौजूदा प्रारूप से स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता व समानता के कानूनों का उल्लंघन होगा. एक बड़ा एतराज वक्फ ट्रिब्यूनल में डीएम व अल्पसंख्यक समुदाय के बाहर के सदस्यों को शामिल करने पर जताया गया है. शीतकालीन सत्र से पहले पेश होगी रिपोर्ट जेपीसी की ओर से ईमेल और लिखित सुझावों पर विचार करने के साथ ही कुछ विशेषज्ञों और हितधारकों की राय और सुझाव भी सुने जाएंगे. समिति बिल पर विचार विमर्श करने के बाद संसद के शीतकालीन सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- देश में कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वही इस देश के कर्ताधर्ता हैं। उन्होंने हिंदू धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा- जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों को लेकर भी चिंता जताई। कहा- देश में परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। यह चिंता का विषय है। संघ कैसे काम करता है, ये समझना जरूरी- भागवत मोहन भागवत 5 दिन के अलवर प्रवास पर हैं। नगर एकत्रीकरण कार्यक्रम के पहले दिन रविवार (15 सितंबर) को इंदिरा गांधी स्टेडियम में स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा- अगले साल संघ की स्थापना को 100 साल पूरे हो रहे हैं। संघ की कार्य पद्धति लंबे समय से चली आ रही है। हम कार्य करते हैं तो उसके पीछे विचार क्या है? यह हमें ठीक से समझ लेना चाहिए। अपनी कृति के पीछे यह सोच हमेशा जागृत रहनी चाहिए। हमें देश को समर्थ करना है। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है। हिंदू समाज इसका उत्तरदायी है। संघ प्रमुख के भाषण की 5 बातें 1. हिंदू का मतलब विश्व का सबसे उदार मानव राष्ट्र को परम वैभव संपन्न और सामर्थ्यवान बनाने का काम पुरुषार्थ के साथ करने की आवश्यकता है। हमें समर्थ बनना है। इसके लिए पूरे समाज को योग्य बनाना पड़ेगा। जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। हिंदू मतलब सब कुछ स्वीकार करने वाला। सबके प्रति सद्भावना रखने वाला। जो विद्या का उपयोग विवाद पैदा करने के लिए नहीं करता, ज्ञान देने के लिए करता है। 2. छुआछूत को लेकर मन बदलना होगा हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए हैं। इसलिए छुआछूत चला। ऊंच-नीच का भाव बढ़ा। हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है, जहां संघ का काम प्रभावी है। संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, श्मशान सब हिंदुओं के लिए खुले होंगे। यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है। सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है। 3. संघ को अब विरोधी लोग भी मानने लगे हैं पहले संघ को कोई नहीं जानता था। अब सब जानते हैं। पहले संघ को कोई मानता नहीं था। आज सब लोग मानते हैं, जो हमारा विरोध करने वाले लोग हैं वह भी। होठों से तो हमारा विरोध करते हैं, लेकिन मन से तो मानते ही हैं। इसलिए अब हमें हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए करना है। 4. नई पीढ़ी संस्कार भूल रही भारत में भी परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। इसलिए हफ्ते में एक बार निश्चित समय पर अपने कुटुंब के सब लोगों को एक साथ बैठना चाहिए। अपनी श्रद्धा अनुसार घर में भजन-पूजन, उसके बाद घर में बनाया हुआ भोजन साथ में करें। समाज के लिए भी कुछ न कुछ करें। इसके लिए छोटे-छोटे संकल्प लें। 5. बाहर के देशों का सामान तभी खरीदें, जब जरूरी हो अपने घर में स्वदेशी से लेकर स्व गौरव तक सारी बातें हैं। हमें उनके बारे में पता होना चाहिए। सबकुछ अपने देश में बनता है। वह बाहर देश का नहीं खरीदना, यदि जीवन के लिए जरूरी है तो अपनी शर्तों पर खरीदना। जीवन में कम खर्च को अपनाना होगा।
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कोलकाता रेप-मर्डर केस में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के जवाब गुमराह करने वाले पाए गए हैं। संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट और वॉइस एनालिसिस किया गया था। सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) की रिपोर्ट में जब घोष के बयानों की जांच की गई तो बयान भटकाने वाले मिले। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने केस से जुड़े अफसरों के हवाले से यह जानकारी दी। हालांकि, पॉलीग्राफ टेस्ट में सामने आई जानकारी को सबूत के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है। जांच एजेंसियां पॉलीग्राफ टेस्ट के आधार पर सबूत जुटा सकती हैं। CBI ने घोष को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था। उनके साथ ताला पुलिस स्टेशन के ऑफिसर इन चार्ज (OC) अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया गया था। 15 सितंबर को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया। एजेंसी को 3 दिन तक दोनों की कस्टडी दी गई है। पूर्व प्रिंसिपल और पुलिस अफसर पर CBI के आरोप CBI ने 15 सितंबर को कोर्ट में पेश किया था। CBI ने आरोप लगाया कि घोष को रेप-मर्डर की जानकारी 9 अगस्त की सुबह 9:58 मिल गई थी, लेकिन उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना नहीं दी। बाद में मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट के जरिए एक अस्पष्ट शिकायत करवाई, जबकि पीड़ितक को 12:44 बजे ही मृत घोषित कर दिया गया था। न सिर्फ FIR में देरी की गई, बल्कि सुसाइड की नई थ्योरी बनाई गई। जबकि पीड़ित की चोटें और उसकी बॉडी की स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं था। पीड़ित की बॉडी के निचले हिस्से पर कपड़े भी नहीं थे। घोष ने ताला पुलिस स्टेशन के OC मंडल को सुबह 10:03 बजे फोन किया। इसके बाद उन्होंने दोपहर 1:40 बजे उनसे मुलाकात की। अननैचुरल डेथ का केस रात 11:30 बजे दर्ज किया गया। OC मंडल को सूचना सुबह ही मिल गई थी, लेकिन वो एक घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे। केस डायरी में लिखा गया कि पीड़ित अचेत अवस्था में थी, जबकि डॉक्टर उसे पहले ही मृत घोषित कर चुके थे। अस्पताल के अधिकारियों और अज्ञात लोगों ने जनरल डॉयरी में गलत शुरुआती जानकारियां देने की साजिश की। OC मंडल की FIR में देरी और घटना स्थल पर देरी से पहुंचने की वजह से जरूरी सबूतों को नुकसान पहुंचा। OC मंडल ने आरोपी संजय रॉय और दूसरे लोगों को बचाने की कोशिश की, जिन्हें क्राइम सीन तक जाने दिया गया। इससे सबूतों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने जल्दबाजी में अपने जूनियर्स को आदेश दिया कि पीड़ित की बॉडी को मुर्दाघर ले जाया जाए। यह एक बड़ी साजिश हो सकती है, जिसमें पूर्व प्रिंसिपल घोष और OC मंडल दोनों शामिल हों। घटना के दिन दोनों एक-दूसरे के संपर्क में थे और घोष बता रहे थे कि पुलिस अफसर रेप और मर्डर के केस में किस तरह से कार्यवाही करें। दोनों ने इस घटना को दबाने की कोशिश की। पुलिस को इस जघन्य घटना के बाद खुद ही तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए थी। 5 सितंबर: जांच में खुलासा- घोष ने घटना के अगले दिन रेनोवेशन का ऑर्डर दिया 5 सितंबर को CBI की जांच में सामने आया था कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के अगले दिन ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल में ही मिला था। सूत्रों के मुताबिक, CBI को ऐसे डॉक्यूमेंट मिले हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है कि संदीप घोष ने 10 अगस्त को लेटर लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को सेमिनार हॉल से लगे कमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इस परमिशन लेटर पर घोष के साइन भी हैं। PWD स्टाफ ने सेमिनार हॉल से लगे कमरे का रेनोवेशन शुरू कर दिया था। हालांकि, कॉलेज स्टूडेंट्स ने इस केस को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिसके चलते रेनोवेशन के काम को वहीं रोक दिया गया। जांच अधिकारियों का कहना है कि रेनोवेशन लेटर से यह साफ हो रहा है कि घोष को यह काम कराने की जल्दी थी, लिहाजा यह डॉक्यूमेंट रेप-मर्डर केस और आरजी कर कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के केस के बीच कड़ी जोड़ने में मदद कर सकता है। 14 सितंबर: आरजी कर हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल को CBI ने अरेस्ट किया कोलकाता रेप-मर्डर केस मामले में 14 सितंबर को CBI ने आरजी कर कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और एक थाने के SHO अभिजीत मंडल को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक, दोनों पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगा है। अभिजीत मंडल ताला पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) के पद पर तैनात था। दोनों को 17 सितंबर तक CBI की कस्टडी में भेज दिया गया। आरजी कर मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोपी संजय रॉय को कोलकाता पुलिस ने वारदात के दूसरे दिन गिरफ्तार किया था।
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मणिपुर सरकार ने शुक्रवार को पांच जिलों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस पर लगे बैन को हटा दिया। हालांकि मोबाइल इंटरनेट पर लगा प्रतिबंध 15 सितंबर तक जारी रहेगा। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। सितंबर महीने की शुरुआत में कुकी उग्रवादियों ने मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट से हमला किया था। इसमें 2 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इसके बाद राजधानी इंफाल में मैतेई समुह के छात्रों ने प्रदर्शन किया था। छात्रों ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े थे। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं... 1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इम्फाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। 3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इम्फाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। 6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। 7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। CRPF की दो बटालियन और तैनात केंद्र सरकार ने 10 सितंबर को मणिपुर में CRPF की दो और बटालियन भेजने का फैसला किया था। 2,000 जवान तेलंगाना के वारंगल से और दूसरी झारखंड के लातेहार से मणिपुर आएगी। एक बटालियन का मुख्यालय चुराचांदपुर जिले के कांगवई में होगा और दूसरी बटालियन इंफाल के आसपास तैनात की जाएगी। राज्य में पहले से 16 CRPF बटालियन तैनात हैं। मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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मणिपुर सरकार ने शुक्रवार को पांच जिलों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस पर लगे बैन को हटा दिया। हालांकि मोबाइल इंटरनेट पर लगा प्रतिबंध 15 सितंबर तक जारी रहेगा। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। सितंबर महीने की शुरुआत में कुकी उग्रवादियों ने मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट से हमला किया था। इसमें 2 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इसके बाद राजधानी इंफाल में मैतेई समुह के छात्रों ने प्रदर्शन किया था। छात्रों ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े थे। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं... 1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इम्फाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। 3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इम्फाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। 6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। 7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। CRPF की दो बटालियन और तैनात केंद्र सरकार ने 10 सितंबर को मणिपुर में CRPF की दो और बटालियन भेजने का फैसला किया था। 2,000 जवान तेलंगाना के वारंगल से और दूसरी झारखंड के लातेहार से मणिपुर आएगी। एक बटालियन का मुख्यालय चुराचांदपुर जिले के कांगवई में होगा और दूसरी बटालियन इंफाल के आसपास तैनात की जाएगी। राज्य में पहले से 16 CRPF बटालियन तैनात हैं। मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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महिला फ्लाइंग अफसर से रेप मामले में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने आरोपी विंग कमांडर को प्री-अरेस्ट बेल दे दी है। आरोपी विंग कमांडर ने ही याचिका लगाकर गिरफ्तारी पर रोक की मांग की थी। कोर्ट ने शुक्रवार को जारी किए बेल ऑर्डर में कहा- याचिकाकर्ता विंग कमांडर के पद पर हैं। उनकी गिरफ्तारी की स्थिति में उनकी प्रतिष्ठा के साथ-साथ करियर पर भी फर्क पड़ेगा। कोर्ट ने कि जमानत के लिए विंग कमांडर को 50-50 हजार के दो बेल बॉन्ड भरने होंगे। वे कोर्ट की इजाजत के बिना जम्मू-कश्मीर से बाहर नहीं जा सकते हैं। इसके अलावा अदालत ने कहा कि पुलिस को मामले की जांच जारी रखनी चाहिए। हालांकि, कोर्ट की इजाजत के बिना चार्जशीट फाइल नहीं होनी चाहिए। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले को लेकर एयर फोर्स आंतरिक जांच शुरू कर चुका है। दरअसल, एयरफोर्स की एक महिला फ्लाइंग अफसर ने अपने सीनियर विंग कमांडर पर रेप का आरोप लगाया था। महिला ने कहा था कि उनके साथ 31 दिसंबर 2023 को न्यू ईयर पार्टी के दौरान यौन शोषण हुआ था। महिला ने इसकी जानकारी 9 महीने बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस को दी। जम्मू-कश्मीर के बडगाम पुलिस ने 10 सितंबर को FIR दर्ज कराई है। गिरफ्तारी से बचने के लिए ही विंग कमांडर ने 11 सितंबर को याचिका लगाई थी। याचिका लगाई थी। महिला अफसर की पूरी शिकायत पढ़ें... NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, FIR में महिला अफसर ने कहा कि वह पिछले दो साल से विंग कमांडर के हाथों हैरेसमेंट, सेक्शुअल असॉल्ट और मेंटल टॉर्चर झेल रही है। 31 दिसंबर 2023 को ऑफिसर मेस में हुई न्यू ईयर पार्टी में गिफ्ट देने के बहाने विंग कमांडर उसे अपने कमरे में ले गया और वहां उसके साथ रेप किया। महिला अफसर ने बताया कि न्यू ईयर पार्टी में विंग कमांडर ने उससे पूछा कि क्या उसे गिफ्ट मिल गया है। जब उसने कहा कि अभी नहीं मिला तो विंग कमांडर ने कहा कि गिफ्ट मेरे रूम में है। ऐसा कहकर वह महिला अफसर को अपने कमरे में ले गया। जब महिला अफसर ने पूछा कि आपका परिवार कहां है तो विंग कमांडर ने बताया कि सभी लोग कहीं गए हैं। महिला अफसर ने कहा- अपने कमरे में विंग कमांडर ने मुझे ओरल सेक्स करने के लिए मजबूर किया और मेरा रेप किया। मैंने उन्हें बार-बार रुकने के लिए कहा और खुद को बचाने की पूरी कोशिश की। आखिरकार मैंने उन्हें धक्का दिया और वहां से भाग गई। विंग कमांडर ने मुझसे कहा कि वे मुझसे शुक्रवार को मिलेंगे, जब उनकी फैमिली चली जाएगी। महिला अफसर ने कहा कि मुझे ये समझ पाने में कुछ वक्त लगा कि मेरे साथ क्या हुआ। मैं डरी हुई थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। क्योंकि ऐसे कुछ मामले पहले भी हुए थे, जब मुझे शिकायत दर्ज कराने से रोका गया था। इस घटना के बाद विंग कमांडर मेरे ऑफिस आए। उन्होंने ऐसे बर्ताव किया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। उनकी आंखों में कोई पछतावा नहीं था। विक्टिम ने कहा कि इसके बाद मैंने दो महिला अफसरों को इस घटना के बारे में बताया। उन्होंने मुझे शिकायत दर्ज कराने में मदद की। मैं बता नहीं सकती कि एक फौज में आने वाली अनमैरिड लड़की होने के नाते जिस तरीके से मुझे ट्रीट किया गया, उससे मानसिक रूप से मैं कितनी परेशान हुई। महिला अफसर बोली- विंग कमांडर के साथ ही बैठाकर मेरा बयान दर्ज कराया गया महिला अफसर ने कहा कि इस शिकायत के बाद कर्नल रैंक के अधिकारी ने मामले में जांच के आदेश दिए। इस साल जनवरी में दो बार मुझे और विंग कमांडर को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया। मैंने आपत्ति जताई कि मैं विंग कमांडर की मौजूदगी में अपना बयान नहीं दर्ज कराऊंगी। इसके बाद एडमिनिस्ट्रेशन की गलती छिपाने के लिए जांच ही बंद कर दी गई। इसके बाद मैंने इंटरनल कमेटी के पास नई एप्लिकेशन फाइल की। इस कमेटी ने दो महीने बाद मुझसे मुलाकात की। सेक्शुअल ऑफेंडर की मदद करने के लिए जिस तरीके से स्टेशन अथॉरिटीज ने काम किया, वह मेरे लिए दुखद रहा। मेरा मेडिकल चेकअप भी तब हुआ, जब मैंने कई बार इसके लिए जिद की। -विक्टिम
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को कोलकाता में स्वास्थ्य भवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से खुद मिलने पहुंचीं। डॉक्टर्स 10 सितंबर से यहां प्रदर्शन पर बैठे हैं। ममता ने डॉक्टरों से कहा, 'मेरा पद नहीं, लोगों का पद बड़ा है। मैं मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि आपकी दीदी बनकर आपसे मिलने आई हूं।' ममता ने कहा- आप काम पर लौटिए, मैं मांगों पर विचार करूंगी। CBI से कहूंगी कि दोषियों को फांसी दी जाए। मैं आपके प्रदर्शन को सलाम करती हूं। आपके साथ अन्याय नहीं होने दूंगी। ममता ने आगे कहा कि यह मेरी तरफ से बातचीत की आखिरी कोशिश है। आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि मैं लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने में विश्वास नहीं करती। ममता ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों को भंग करने की भी घोषणा की। ममता अब तक तीन बार डॉक्टरों से बैठकर बातचीत की पहल कर चुकी हैं। हालांकि, डॉक्टरों ने उनके तीनों प्रस्तावों को खारिज कर दिया। उनकी 5 मांगें हैं। उन्होंने सरकार से बातचीत के लिए 4 शर्तें भी रखी हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में रेप-मर्डर केस को लेकर जूनियर डॉक्टर्स 36 दिनों से हड़ताल पर हैं। ममता ने 3 बार बुलाया; इंतजार करती रहीं, डॉक्टर्स नहीं पहुंचे... 10 सितंबर: डॉक्टरों ने पुलिस मुख्यालय से स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाला। ममता सरकार ने शाम 5 बजे डॉक्टरों को मीटिंग के लिए नबन्ना सचिवालय बुलाया। ममता लगभग एक घंटा 20 मिनट तक वहां बैठी रहीं। डॉक्टर्स नहीं आए। डॉक्टर्स ने कहा- हम जिसका (राज्य स्वास्थ्य सचिव) इस्तीफा मांग रहे हैं, वही बैठक के लिए बुला रहा है। उसमें भी सरकार ने सिर्फ 10 डॉक्टरों को बुलाया। ये आंदोलन का अपमान है। 11 सितंबर: जूनियर डॉक्टरों ने बंगाल सरकार को मेल भेजकर मीटिंग का समय मांगा। सरकार ने शाम 6 बजे का समय दिया। हालांकि, डॉक्टर्स मीटिंग के लिए अपनी 4 शर्तों पर अड़े रहे।सरकार ने शर्तें मानने से इनकार कर दिया। 12 सितंबर: बंगाल सरकार ने डॉक्टरों को तीसरी बार बातचीत करने के लिए बुलाया। 32 डॉक्टर सचिवालय पहुंचे। सरकार ने सिर्फ 15 को बुलाया था। उन्हें बताया गया कि बैठक का लाइव टेलीकास्ट नहीं होगा। इससे डॉक्टर आक्रोशित हो गए और बैठक में नहीं गए। वहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2 घंटे 10 मिनट इंतजार करती रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितंबर तक हड़ताल खत्म करने को कहा था सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई के दौरान जूनियर डॉक्टरों को 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आदेश न मानने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। हालांकि, डॉक्टरों ने कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे।
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महाराष्ट्र के नागपुर में ऑडी हिट-एंड-रन मामले में पुलिस ने दावा किया है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले के बेटे संकेत के बार जाने का CCTV फुटेज गायब है। वह रविवार (8 सितंबर) की रात अपने दोस्तों के साथ ला होरी बार गया था। वहां संकेत ने शराब पी। चिकन और मटन भी खाया। फिर दोस्तों के साथ ऑडी कार में निकल गया। संकेत की ऑडी ने 8-9 सितंबर की रात करीब 1 बजे रामदासपेठ में कई वाहनों को टक्कर मार दी, जिससे दो लोग घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक, 10 सितंबर को जांच टीम ला होरी बार गई थी। वहां मैनेजर ने CCTV फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दिखाने से इनकार कर दिया। पुलिस ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी, तब उसने रिकॉर्डिंग दिखाई। हालांकि, 8 सितंबर की रात के बाद से कोई CCTV फुटेज ही नहीं है। संकेत ने कबूला- कार में मौजूद था; FIR में नाम नहीं पुलिस ने 9 सितंबर को कहा था कि संकेत बावनकुले की ऑडी उसका दोस्त अर्जुन हावरे चला रहा था। ऑडी पहले एक कार से टकराई। फिर एक बाइक को टक्कर मारी। फिर आगे जाकर मनकापुर में एक अन्य कार को टक्कर मार दी। कार सवार लोगों ने ऑडी का पीछा किया और उसमें मौजूद अर्जुन हावरे और रोनित चित्तवम्वार का पकड़ लिया। पुलिस ने हावरे और रोनित के खिलाफ केस दर्ज किया। हावरे को 9 सितंबर की रात गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसे जमानत मिल गई। संकेत बावनकुले का नाम FIR में नहीं था। पुलिस ने पहले कहा था कि संकेत गाड़ी में नहीं था। हालांकि, 10 सितंबर को जब संकेत से पूछताछ की गई, तो उसने कबूल किया कि वह हादसे के समय कार में ही था। संजय राउत बोले- फडणवीस होम डिपार्टमेंट नहीं चला पा रहे शिवसेना (उद्धव गुट) नेता संजय राउत ने मंगलवार (10 सितंबर) को कहा, 'भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का बेटा नशे में था। हैरानी की बात यह है कि FIR में उसका नाम नहीं है। हादसे के बाद कार की नंबर प्लेट भी हटा दी गई थी। नागपुर के रहने वाले डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस अगर होम डिपार्टमेंट सही तरीके से नहीं चला पा रहे हैं तो वे इस पद के लिए योग्य नहीं हैं।' संजय राउत ने आरोप लगाया था कि भाजपा अध्यक्ष के बेटे ने बार में बीफ खाया था और शराब पी थी। पुलिस ने बुधवार (11 सितंबर) को बताया कि संकेत ने मटन-चिकन खाया था। उन्होंने 12 हजार रुपए की शराब मंगवाई थी। बीफ नहीं खाया था। इसकी पुष्टि बार का बिल देखकर हुई है। भाजपा चीफ ने माना- गाड़ी बेटे के नाम पर रजिस्टर्ड महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने भी मान चुके हैं कि गाड़ी उनके बेटे के नाम पर रजिस्टर्ड है। उन्होंने 10 सितंबर को कहा, 'कार मेरे बेटे के नाम पर है। पुलिस को हादसे की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। न्याय किसी के लिए भी अलग-अलग नहीं है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे कोई राजनीति से संबंध ही क्यों न रखता हो। कानून सभी के लिए समान होना चाहिए।' पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के नाबालिग आरोपी ने बाइक सवार सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 2.5 करोड़ की लग्जरी पोर्श कार चला रहा था। आरोपी शहर के नामी बिल्डर का बेटा है। जुवेनाइल बोर्ड ने 22 मई को नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह भेजा था। हालांकि, 25 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे दी। पुणे में 22 जून की देर रात NCP विधायक (अजित पवार गुट) दिलीप मोहिते पाटिल के भतीजे मयूर ने बाइक को टक्कर मार दी। बाइक सवार की मौके पर मौत हो गई। हादसा पुणे-नासिक हाईवे पर एकलाहारे इलाके में हुआ। आरोपी गलत दिशा में फॉर्च्यूनर कार चला रहा था। पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज करने के बाद उसे गिरफ्तार भी कर लिया। NCP विधायक दिलीप मोहिते ने बताया कि उनका भतीजा नशे में नहीं था। वह मौके से भागा भी नहीं था। मुंबई के वर्ली में 7 जुलाई को एक तेज रफ्तार BMW ने स्कूटी सवार दंपती को टक्कर मार दी। आरोपी ने मौके से भागने के दौरान 45 साल की महिला को कार से 100 मीटर तक घसीटा, जिससे उनकी मौत हो गई। कार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना के नेता राजेश शाह का 24 साल का बेटा मिहिर शाह चला रहा था। उसके साथ ड्राइवर भी था। घटना के दो दिन बाद, करीब 60 घंटे बाद पुलिस आरोपी को पकड़ने में कामयाब हुई थी।
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दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार, 13 सितंबर को जमानत मिल गई। केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से बाहर आएंगे। अदालत ने जमानत के लिए वही शर्तें लगाई हैं, जो ED केस में बेल देते वक्त लगाई गई थीं। केजरीवाल के खिलाफ 2 जांच एजेंसी (ED और CBI) ने केस दर्ज किया है। ED मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। AAP ने इस फैसले को सत्य की जीत बताया है। शराब नीति केस में एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने उन्हें 21 मार्च को अरेस्ट किया था। बाद में 26 जून को CBI ने उन्हें जेल से हिरासत में लिया था। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा: 1. अगर कोई व्यक्ति पहले से हिरासत में है। जांच के सिलसिले में उसे दोबारा अरेस्ट करना गलत नहीं है। CBI ने बताया है कि उनकी जांच क्यों जरूरी थी। 2. याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं है। CBI ने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। उन्हें जांच की जरूरत थी। इसलिए इस केस में अरेस्टिंग हुई। जस्टिस उज्जवल भुइयां ने कहा: 1. CBI की गिरफ्तारी जवाब से ज्यादा सवाल खड़े करती है। जैसे ही ED केस में उन्हें जमानत मिलती है। CBI एक्टिव हो जाती है। ऐसे में अरेस्टिंग के समय पर सवाल खड़े होते हैं। 2. CBI को निष्पक्ष दिखना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी में मनमानी न हो। जांच एजेंसी को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए। शराब नीति केस- केजरीवाल 156 दिन जेल में बिता चुके केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। 10 मई को 21 दिन के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया। ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी। 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। आज यानी 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई हो जाती है तो उन्हें जेल गए कुल 177 दिन हो जाएंगे। इनमें से वे 21 दिन अंतरिम जमानत पर रहे। यानी केजरीवाल ने अब तक कुल 156 दिन जेल में बिताए हैं। आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा, यह बहुत बड़ा फैसला है। 6 महीने के लंबे संघर्ष के बाद अरविंद केजरीवाल वापस लौट रहे हैं। पिछले 6 महीने AAP परिवार, केजरीवाल परिवार और पूरे I.N.D.I.A के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहे हैं। आखिरकार न्याय की जीत हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के पक्ष में फैसला सुनाया है। उनकी रिहाई से AAP मजबूत होगी। वह हरियाणा में चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगे।
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यूपी में अवैध धर्मांतरण मामले में लखनऊ के NIA कोर्ट ने बुधवार (11 सितंबर) को 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। 4 दोषियों को 10-10 साल की सजा दी गई। कोर्ट के फैसला सुनाते वक्त सभी दोषी कोर्ट में मौजूद थे। अवैध धर्मांतरण मामले में यह पहला केस है, जिसमें एक साथ 16 लोगों को सजा दी गई। मंगलवार को NIA-ATS कोर्ट के स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी को दोषी को करार दिया था। कोर्ट ने 10 सितंबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। ATS ने बताया कि ये लोग नौकरी समेत कई तरह का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराते थे। फतेहपुर का मोहम्मद उमर गौतम गिरोह का सरगना है, वह खुद हिंदू से मुसलमान बना था। फिर उसने करीब एक हजार लोगों का अवैध तरीके से धर्मांतरण कराया। 17 आरोपी थे, इनमें से 16 को सजा सरकारी वकील एमके सिंह ने बताया कि अवैध धर्मांतरण मामले में कुल 17 आरोपी थे। एक आरोपी इदरीश कुरैशी को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। कोर्ट ने मोहम्मद उमर गौतम, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, भुप्रियबंदों मानकर उर्फ अरसलान मुस्तफा, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, कौशर आलम, डॉक्टर फराज शाह, मौलाना कलीम सिद्दीकी, धीरज गोविंद, सरफराज अली जाफरी,अब्दुल्ला उमर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। चार दोषियों मन्नू यादव उर्फ अब्दुल, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को 10-10 साल की सजा दी गई है। विदेशी फंड से धर्मांतरण का कारोबार ATS की नोएडा यूनिट के सब इंस्पेक्टर विनोद कुमार ने 20 जून 2021 को लखनऊ के गोमती नगर थाने में FIR दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया- ATS को बीते कुछ समय से सूचना मिल रही थी कि कुछ असामाजिक तत्व विदेशी संस्थाओं की मदद से लोगों का धर्म परिवर्तन कर देश के जनसंख्या संतुलन में बदलाव की कोशिश कर रहे हैं। धर्म परिवर्तन किए गए लोगों में उनके मूल धर्म के प्रति नफरत का भाव पैदा कर कट्टरपंथी बनाया जा रहा है। उन्हें मानसिक तौर पर देश के विभिन्न धार्मिक वर्गों में वैमनस्यता फैलाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके जरिए वे देश के सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश में शामिल हैं। 1000 लोगों का किया धर्म परिवर्तन दोषी उमर गौतम ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि वह करीब एक हजार गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन करा चुका है। उनकी बड़ी संख्या में मुसलमानों से शादी कराई है। उमर ने यह भी बताया है कि धर्म परिवर्तन के लिए ही जोगाबाई एक्सटेंशन जामिया नगर दिल्ली में एक संस्था इस्लामी दवाह सेंटर (आईडीसी) चल रही है। धर्मांतरण के लिए विदेश से फंडिंग इस गिरोह का मुख्य उद्देश्य गैर मुसलमानों का धर्म परिवर्तन कराना था। इसके लिए संस्था के बैंक खातों और अन्य माध्यमों से रकम जमा कराई जाती। धर्म परिवर्तन के लिए विदेश से फंडिंग भी होती थी। इस खेल में उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के लोग शामिल हैं। ATS ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए विशेष अदालत में 17 आरोपियों के खिलाफ 5 चार्जशीट दाखिल कीं। इसमें एफआईआर से संबंधित सबूत भी पेश किए। एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर इस्लामिक स्कॉलर बना कलीम उम्रकैद की सजा पाने वाला मौलाना कलीम सिद्दीकी यूपी में मुजफ्फरनगर के फुलत गांव का रहने वाला है। उसने पिकेट इंटर कॉलेज से 12वीं करने के बाद मेरठ कॉलेज से बीएससी की शिक्षा ली। इसके बाद दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस में दाखिला लिया। लेकिन, डिग्री पूरी नहीं की। पढ़ाई छोड़कर कलीम इस्लामिक स्कॉलर बना। 18 सालों तक मौलाना दिल्ली के शाहीन बाग में रहा। उसे 22 सितंबर, 2021 की रात यूपी एटीएस ने दिल्ली-देहरादून हाईवे पर दौराला-मटौर के बीच गिरफ्तार किया था। मौलाना कलीम ने फुलत गांव में 1991 में जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया मदरसा स्थापित किया था। लेकिन, बाद में मदरसे को केरल की एक संस्था के हवाले कर दिया। वह ग्लोबल पीस फाउंडेशन का अध्यक्ष भी रहा। ATS का आरोप था कि कलीम, उमर गौतम और अन्य सभी धर्मांतरण की साजिश रचने में शामिल थे और फॉरेन फंडिंग की मदद से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे।
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मणिपुर के जिरीबाम जिला स्थित बोरोबेक्रा में उपद्रवियों ने बुधवार रात करीब 12.50 बजे एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आग लगा दी। घटना पुलिस चौकी से महज 150 मीटर दूरी हुई। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। घटना के पीछे कुकी समुदाय के लोगों के शामिल होने की आशंका है। दूसरी तरफ, राजधानी इंफाल में कल पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। इंफाल ईस्ट और वेस्ट में कर्फ्यू जारी है। मैतेई बहुल 5 जिलों में इंटरनेट बंद है। राज्यपाल एल. आचार्य असम चले गए। उनके पास मणिपुर गवर्नर का अतिरिक्त प्रभार है। इंफाल में 10 सितंबर को सुरक्षाबलों और स्टूडेंट्स में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें करीब 100 स्टूडेंट्स घायल हुए थे। इस प्रदर्शन में इंफाल घाटी के 100 से ज्यादा स्कूल-कॉलेजों के बच्चे शामिल थे। CRPF डीआईजी का कहना है कि हालात तनावपूर्ण, लेकिन नियंत्रण में हैं। इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन कर रहे कर्फ्यू के बावजूद इंफाल के इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन पर डटे हुए हैं। भास्कर ने प्रदर्शन को लीड करने वालों में से एक छात्र नेता दीजेन तालेख मायुम से बात की। वे धनामांजुरी यूनिवर्सिटी में छात्र संघ महासचिव हैं। उन्होंने कहा कि हम लंबी लड़ाई की तैयारी में हैं। हमने बांग्लादेश में छात्रों की ताकत देखी है। बीते 16 महीने में राज्य बर्बाद हो चुका है, इसलिए हम राज्यपाल से मांगें मनवाकर ही घर लौटेंगे। जब भास्कर ने उनसे वजह पूछी तो उन्होंने कहा- कुकी उग्रवादी ड्रोन हमले कर रहे, सरकार सुरक्षा नहीं दे पा रही है। हमारे माता-पिता प्रदर्शन करते-करते थक चुके हैं। कभी कर्फ्यू तो कभी हिंसा के चलते बाजार बंद। स्कूल-कॉलेज खुले हैं, लेकिन वहां पढ़ने कैसे जाएं? ऐसे में अब हम खुद को बचाने नहीं उतरेंगे तो कौन उतरेगा?कुकी बोले- हमने रॉकेट-ड्रोन हमले नहीं किए, मैतेई झूठ फैला रहे उधर, कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (KSO) के गृह सचिव मांग खोंगसाई ने भास्कर से कहा कि मणिपुर पुलिस आईजी और असम राइफल्स के डीजी बुधवार (11 सितंबर) को कुकी बहुल चूराचांदपुर आए थे। उन्होंने हमारे साथ बैठक की। इसमें डीजी ने मुद्दों को सुलझाने और 10 दिन के लिए सीजफायर करने की अपील की है। ड्रोन और रॉकेट हमलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि 3 मई 2023 के बाद से दोनों जनजातियां सर्विलांस के लिए ड्रोन इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन, ड्रोन से बम गिराने और रॉकेट से मिसाइलें दागने के आरोप गलत हैं। खोंगसाई ने कहा कि हम अपने इलाकों की रक्षा के लिए पुंपि का इस्तेमाल करते हैं। पुंपि धातु से बनी एक पाइप होती है, जिसमें बारूद और लोहे के टुकड़े भरे होते हैं। इसे हम 1919 के एंग्लो-कुकी वॉर के समय से बना रहे हैं। मणिपुर में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन, दो दिन कॉलेज बंद मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष जारी है। इस महीने 1 सितंबर से मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट हमलों के बाद हिंसा और बढ़ गई है। हमलों के खिलाफ 8 सितंबर से लोगों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। सरकार ने राज्य में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन कर दिया है। 12 सितंबर तक कॉलेज बंद हैं। इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट सहित तीन जिलों में कर्फ्यू लगा है। केंद्र ने मणिपुर में 2,000 और CRPF जवान भेजने का फैसला किया है। छात्रों का हिंसक प्रदर्शन; 4 जरूरी पॉइंट्स मणिपुर के लोग राज्य के डीजीपी, सुरक्षा सलाहकार, केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने, 16 महीने से छिड़े गृह युद्ध जैसे हालात खत्म करने और सुरक्षा बलों की यूनिफाइड कमांड को केंद्रीय गृह मंत्रालय के हाथ से लेकर मुख्यमंत्री को सौंपने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये सभी हमारी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। ड्रोन और रॉकेट अटैक के बाद से हम 24 घंटे डर के माहौल में जी रहे हैं। 8 सितंबर को मैतेई समुदाय के छात्रों ने इंफाल में किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च निकाला। प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। सुरक्षाबलों ने छात्रों को अगले दिन यानी 9 सितंबर को ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर रात भर प्रदर्शन करते रहे। 9 सितंबर को सैकड़ों स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की। इस दौरान सुरक्षाकर्मी भागते दिखे। सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड लगाकर रोका। कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे। इसमें 20 स्टूडेंट्स घायल हो गए। 10 सितंबर को छात्रों का प्रदर्शन और हिंसक हो गया। उन्होंने राज्य सरकार को अपनी छह मांगें सौंपी थीं। इन्हें पूरा करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन जब सरकार से कोई जवाब नहीं मिला तो करीब 2500 छात्र-छात्राएं आक्रोशित हो गए। राजभवन की ओर मार्च कर रहे स्टूडेंट्स की सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। छात्रों ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया और गुलेल से छर्रे मारे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। इस दौरान 50 से ज्यादा लोग घायल हुए। 1 सितंबर से तीन ड्रोन हमले, अब तक 8 की मौत मणिपुर में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक, एक हफ्ते के बीच हिंसा की चार घटनाएं हुईं। इनमें 8 लोगों की मौत और 12 घायल हो गए। चार में से तीन हमले ड्रोन और रॉकेट से किए गए थे। चारों घटनाएं सिलसिलेवार पढ़ें... 1 सितंबर: 1 साल से जारी हिंसा में पहली बार ड्रोन अटैक, 2 मौतें मणिपुर में मई 2023 से हिंसा जारी है। हालांकि, इस साल सितंबर में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में 1 सितंबर को उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।
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कर्नाटक के मांड्या के नागमंगला में बुधवार रात गणपति विसर्जन जुलूस पर पथराव हुआ। घटना रात 8 बजे की है। मैसूर रोड पर बनी दरगाह के सामने पहुंचने पर कुछ लोगों ने पत्थर फेंके। इसके बाद हिंदुओं ने भी प्रदर्शन किया। इलाके की कुछ दुकानों और वहां खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी गई। भीड़ को तितर-बितर करने पुलिस ने लाठीचार्ज किया। कन्नड़ न्यूज चैनलों के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जुलूस पर पत्थरों के अलावा तलवार, रॉड और जूस की बॉटल से भी हमला किया गया। इस घटना में 15 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। 52 लोग हिरासत में, धारा 163 लागू हिंदू समुदाय ने कार्रवाई की मांग करते हुए गणेश प्रतिमा को थाने के सामने रोक दिया था। पिछले साल भी बदरिकोप्पल के मैसूर रोड पर बनी इसी दरगाह के सामने हंगामा हुआ था। इलाके में 3 दिन के लिए BNS की धारा 163 (CrPC में यह धारा 144 थी) लागू कर दी गई है। घटना के विरोध में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने गुरुवार को बंद बुलाया है। घटना के बाद पुलिस दोनों पक्षों के 52 लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले गई। उनसे पूछताछ कर रही है। इधर कलेक्टर ने नागमंगला में आज स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी है। लखनऊ में गणेश पूजा पंडाल पर कुछ युवकों ने पथराव किया। आरती के वक्त 20-25 युवक पहुंचे। उन्होंने देखते-देखते ईंट और पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। ईंट लगने से भगवान गणेश का कलश टूट गया। आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए फरार हो गए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने चिनहट थाना घेर लिया। लोगों ने जमकर हंगामा किया। अफसरों ने मुश्किल से भीड़ को शांत कराया। गुजरात में सूरत के सैयदपुरा मोहल्ले में 8 सितंबर की रात गणेश पंडाल पर पथराव हुआ था। 6 युवकों ने पंडाल पर पथराव किया था। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद आरोपियों के घरवाले सैकड़ों लोगों के साथ प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पथराव शुरू हो गया। इलाके में देर रात तक जमकर हिंसा हुई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। इस मामले में 33 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। आरोपियों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की। सोमवार को कई आरोपियों के अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलवा दिया गया। मध्यप्रदेश के रतलाम में शनिवार 7 सितंबर की रात गणेश प्रतिमा के जुलूस में पथराव का आरोप लगाकर 500 से ज्यादा लोगों ने स्टेशन रोड थाने का घेराव किया और रोड पर जाम भी लगा दिया था। उनकी मांग पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की और जांच करने पहुंचे। पुलिस के पीछे-पीछे आई भीड़ ने हंगामा किया और पथराव शुरू कर दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने हल्का लाठी चार्ज किया। आंसू गैस के गोले भी छोड़े। रात करीब साढ़े आठ बजे शुरू हुआ हंगामा-प्रदर्शन करीब 12 बजे खत्म हुआ। इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन कर रहे कर्फ्यू के बावजूद इंफाल के इमा मार्केट में 300 से ज्यादा छात्र प्रदर्शन पर डटे हुए हैं। भास्कर ने प्रदर्शन को लीड करने वालों में से एक छात्र नेता दीजेन तालेख मायुम से बात की। वे धनामांजुरी यूनिवर्सिटी में छात्र संघ महासचिव हैं। उन्होंने कहा कि हम लंबी लड़ाई की तैयारी में हैं। हमने बांग्लादेश में छात्रों की ताकत देखी है। बीते 16 महीने में राज्य बर्बाद हो चुका है, इसलिए हम राज्यपाल से मांगें मनवाकर ही घर लौटेंगे। जब भास्कर ने उनसे वजह पूछी तो उन्होंने कहा- कुकी उग्रवादी ड्रोन हमले कर रहे, सरकार सुरक्षा नहीं दे पा रही है। हमारे माता-पिता प्रदर्शन करते-करते थक चुके हैं। कभी कर्फ्यू तो कभी हिंसा के चलते बाजार बंद। स्कूल-कॉलेज खुले हैं, लेकिन वहां पढ़ने कैसे जाएं? ऐसे में अब हम खुद को बचाने नहीं उतरेंगे तो कौन उतरेगा? कुकी बोले- हमने रॉकेट-ड्रोन हमले नहीं किए, मैतेई झूठ फैला रहे उधर, कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (KSO) के गृह सचिव मांग खोंगसाई ने भास्कर से कहा कि मणिपुर पुलिस आईजी और असम राइफल्स के डीजी बुधवार (11 सितंबर) को कुकी बहुल चूराचांदपुर आए थे। उन्होंने हमारे साथ बैठक की। इसमें डीजी ने मुद्दों को सुलझाने और 10 दिन के लिए सीजफायर करने की अपील की है। ड्रोन और रॉकेट हमलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि 3 मई 2023 के बाद से दोनों जनजातियां सर्विलांस के लिए ड्रोन इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन, ड्रोन से बम गिराने और रॉकेट से मिसाइलें दागने के आरोप गलत हैं। खोंगसाई ने कहा कि हम अपने इलाकों की रक्षा के लिए पुंपि का इस्तेमाल करते हैं। पुंपि धातु से बनी एक पाइप होती है, जिसमें बारूद और लोहे के टुकड़े भरे होते हैं। इसे हम 1919 के एंग्लो-कुकी वॉर के समय से बना रहे हैं। मणिपुर में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन, दो दिन कॉलेज बंद मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष जारी है। इस महीने 1 सितंबर से मैतेई इलाकों में ड्रोन और रॉकेट हमलों के बाद हिंसा और बढ़ गई है। हमलों के खिलाफ 8 सितंबर से लोगों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। सरकार ने राज्य में 15 सितंबर तक इंटरनेट बैन कर दिया है। 12 सितंबर तक कॉलेज बंद हैं। इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट सहित तीन जिलों में कर्फ्यू लगा है। केंद्र ने मणिपुर में 2,000 और CRPF जवान भेजने का फैसला किया है। छात्रों का हिंसक प्रदर्शन; 4 जरूरी पॉइंट्स मणिपुर के लोग राज्य के डीजीपी, सुरक्षा सलाहकार, केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने, 16 महीने से छिड़े गृह युद्ध जैसे हालात खत्म करने और सुरक्षा बलों की यूनिफाइड कमांड को केंद्रीय गृह मंत्रालय के हाथ से लेकर मुख्यमंत्री को सौंपने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये सभी हमारी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। ड्रोन और रॉकेट अटैक के बाद से हम 24 घंटे डर के माहौल में जी रहे हैं। 8 सितंबर को मैतेई समुदाय के छात्रों ने इंफाल में किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च निकाला। प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। सुरक्षाबलों ने छात्रों को अगले दिन यानी 9 सितंबर को ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर रात भर प्रदर्शन करते रहे। 9 सितंबर को सैकड़ों स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की। इस दौरान सुरक्षाकर्मी भागते दिखे। सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड लगाकर रोका। कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे। इसमें 20 स्टूडेंट्स घायल हो गए। 10 सितंबर को छात्रों का प्रदर्शन और हिंसक हो गया। उन्होंने राज्य सरकार को अपनी छह मांगें सौंपी थीं। इन्हें पूरा करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन जब सरकार से कोई जवाब नहीं मिला तो करीब 2500 छात्र-छात्राएं आक्रोशित हो गए। राजभवन की ओर मार्च कर रहे स्टूडेंट्स की सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। छात्रों ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया और गुलेल से छर्रे मारे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। इस दौरान 50 से ज्यादा लोग घायल हुए। 1 सितंबर से तीन ड्रोन हमले, अब तक 8 की मौत मणिपुर में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक, एक हफ्ते के बीच हिंसा की चार घटनाएं हुईं। इनमें 8 लोगों की मौत और 12 घायल हो गए। चार में से तीन हमले ड्रोन और रॉकेट से किए गए थे। चारों घटनाएं सिलसिलेवार पढ़ें... 1 सितंबर: 1 साल से जारी हिंसा में पहली बार ड्रोन अटैक, 2 मौतें मणिपुर में मई 2023 से हिंसा जारी है। हालांकि, इस साल सितंबर में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में 1 सितंबर को उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।
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पटना के गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली में हुए सीरियल ब्लास्ट में पटना हाईकोर्ट ने 4 आतंकियों की फांसी को उम्रकैद में बदला है। सिविल कोर्ट ने सभी को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने बाकी 2 दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। ब्लास्ट में निचली अदालत ने 4 को फांसी और 2 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। स्पेशल पीपी (पब्लिक प्रोसिक्यूटर) NIA मनोज कुमार सिंह ने कहा कि 'ये बहुत अच्छा फैसला है। कोर्ट ने आरोपियों की उम्र को देखते हुए फांसी की सजा उम्र कैद में बदला है। सभी आरोपियों की उम्र कम है। हम लोगों ने घटना की गंभीरता को लेकर दलील दी थीं। न्यायालय ने कहा कि उम्र कम है, इन लोगों को भी जीने का अधिकार है। इसलिए फांसी की सजा नहीं दी गई।' फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी दोषियों के वकील इमरान घानी ने बताया कि 'अपील पर सुनवाई करते हुए 4 दोषियों को आजीवन कारावास (30 साल) की सजा सुनाई है, जबकि 2 दोषियों के लिए निचली अदालत के फैसले को सुरक्षित रखा है। यह फैसला जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने दिया है। नुमान अंसारी, मोहम्मद मजीबुल्ला, हैदर अली, इम्तियाज आलम को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। वहीं, उमैर सिद्दकी और अजरहुद्दीन कुरैशी के लिए निचली अदालत का जो आजीवन कारावास का फैसला है, उसे यथावत रखा है। बचाव पक्ष के वकील इमारन घानी ने बताया कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।'
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस में हड़ताली जूनियर डॉक्टर्स बुधवार को सरकार से बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक ईमेल भेजकर मिलने का समय मांगा। डॉक्टरों की शर्त है कि पूरी मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग की जाए। बंगाल के चीफ सेक्रेटरी ने डॉक्टरों को आज शाम 6 बजे मुलाकात का टाइम दिया है। इसमें लाइव स्ट्रीमिंग का जिक्र नहीं है। पहले डॉक्टरों ने अपने डेलिगेशन से 30 लोगों के शामिल होने की बात कही थी, लेकिन सरकार के नए मेल में 12-15 लोगों के मिलने की इजाजत दी गई है। CM ममता ने मंगलवार (10 सितंबर) को डॉक्टरों को मीटिंग के लिए सचिवालय बुलाया था। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उन्हें मेल भेजा गया। ममता ने डॉक्टर्स का करीब 80 मिनट इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आए। फिर ममता लौट गईं। डॉक्टर्स ने मीटिंग में आने से इनकार करते हुए कहा- हम जिसका (राज्य स्वास्थ्य सचिव) इस्तीफा मांग रहे हैं, वही बैठक के लिए बुला रहा है। उसमें भी सरकार ने सिर्फ 10 डॉक्टरों को बुलाया। ये आंदोलन का अपमान है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितंबर तक आंदोलन खत्म करने को कहा था कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन का आज 32वां दिन हैं। वे कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल, राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी, हेल्थ एजुकेशन डायरेक्टर (DHE) और हेल्थ सर्विसेज डायरेक्टर (DHS) को पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को जूनियर डॉक्टरों को 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का आदेश दिया था। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती, वे ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे। आंदोलनकारी डॉक्टर्स मंगलवार (10 सितंबर) से स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। कल पीड़ित के पेरेंट्स भी प्रदर्शन में पहुंचे। पीड़ित की मां ने कहा कि मेरे हजारों बच्चे सड़कों पर हैं। इसलिए मैं घर पर नहीं रह सकती थी। मुख्यमंत्री ने त्योहार में शामिल होने के लिए कहा था, अब यही मेरा त्योहार है। बंगाल कैबिनेट का फैसला- 5 और POCSO कोर्ट खुलेंगे पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने राज्य में 5 और स्पेशल POCSO कोर्ट बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद से ऐसे कोर्ट की संख्या बढ़कर 67 हो गई है। वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि 6 ई-पॉक्सो कोर्ट भी मामलों के जल्द निपटारे के लिए काम कर रहे हैं। उधर, एक सूत्र ने बताया कि बंगाल कैबिनेट में यह फैसला भी लिया गया है कि CM ममता के अलावा आरजी कर कॉलेज के मामले पर कोई भी मंत्री बयान नहीं देगा। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 51 डॉक्टरों से पूछताछ आज आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की इन्क्वायरी कमेटी ने मंगलवार को 51 डॉक्टरों को नोटिस जारी करके बुधवार (11 सितंबर) को पूछताछ के लिए बुलाया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने कॉलेज में डर की संस्कृति को बढ़ावा दिया है और लोकतांत्रिक माहौल को खतरा पहुंचाया है। इन डॉक्टरों को अस्पताल प्रशासन के सामने अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। स्पेशल काउंसिल कमेटी ने फैसला लिया है कि इन 51 डॉक्टरों को कैंपस में तब तक नहीं आने दिया जाए, जब तक इन्क्वायरी कमेटी उनसे पूछताछ पूरी नहीं कर लेती। काम पर क्यों नहीं लौटे, डॉक्टर्स ने 5 वजह बताईं सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर की सुनवाई में डॉक्टरों को 10 सितंबर शाम 5 बजे से पहले काम पर लौटने को कहा था। कोर्ट ने आदेश ना मानने पर राज्य सरकार को डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा था। जूनियर डॉक्टर्स ने काम पर लौटने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें और पीड़ित को न्याय नहीं मिला है, इसलिए वे काम पर नहीं लौटेंगे। इसलिए डेडलाइन खत्म होने के बाद भी उनका प्रदर्शन जारी रहा। संदीप घोष की पत्नी ने बंगाल सरकार की मंजूरी के बिना खरीदी प्रॉपर्टी प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि आरजी कर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की पत्नी डॉ. संगीता ने पश्चिम बंगाल सरकार की मंजूरी के बिना दो अचल संपत्तियां खरीदीं। ED ने 6 सितंबर को कोलकाता में घोष के 7 ठिकानों पर छापा मारा था। इस दौरान उसे डॉक्टर दंपती के लगभग आधा दर्जन घरों, फ्लैटों और एक फार्महाउस से जुड़े स्तावेज मिले हैं। दिलचस्प बात यह है कि डॉ. संगीता घोष को 2021 में डॉ. संदीप घोष ने ही ये प्रॉपर्टी खरीदने के लिए परमिशन दी थी। तब संदीप घोष आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल के रूप में और डॉ. संगीता घोष वहां सहायक प्रोफेसर थीं। इधर, भ्रष्टाचार केस में अलीपुर कोर्ट ने संदीप घोष और उसके दो साथियों मेडिकल इक्विपमेंट्स सेलर बिप्लब सिंघा और फार्मेसी शॉप ओनर सुमन हजारा को 23 सितंबर तक ज्यूडीशियल कस्टडी में भेज दिया है।
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शराब नीति केस में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में CM अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 सितंबर तक बढ़ाई गई है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। इसी मामले में आरोपी और AAP विधायक दुर्गेश पाठक को अदालत ने जमानत 1 लाख रुपए के बॉन्ड पर जमानत दे दी है। CBI की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर होने के बाद कोर्ट के समन पर वे अदालत में पेश हुए थे। दरअसल, CBI ने अरविंद केजरीवाल, दुर्गेश पाठक, विनोद चौहान, आशीष माथुर, सरथ रेड्डी के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश की थी। 3 सितंबर को कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को आज यानी 11 सितंबर तक अदालत में पेश होकर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। जवाब दाखिल होने के बाद कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ाई और दुर्गेश पाठक को जमानत दे दी। CBI केस में गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई है। 5 सितंबर को इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया। वहीं, ED मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। चार्जशीट में केजरीवाल का नाम मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल CBI ने 30 जुलाई को चौथी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें केजरीवाल को आरोपी बनाया गया था। एजेंसी ने आरोप लगाया गया कि केजरीवाल शराब नीति घोटाले में मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं। CBI को राउज एवेन्यू कोर्ट से 23 अगस्त को केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली थी। CBI ने पांचवी और आखिरी चार्जशीट में कहा- केजरीवाल शुरू से आपराधिक साजिश में शामिल रहे इस केस में CBI ने 7 सितंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी पांचवी और आखिरी चार्जशीट दाखिल की। CBI ने कहा कि जांच पूरी हो गई है और इसमें सामने आया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति बनाने और उसे लागू करने की आपराधिक साजिश में शुरू से शामिल थे। वे पहले से ही शराब नीति के प्राइवेटाइजेशन का मन बना चुके थे। चार्जशीट के मुताबिक, मार्च 2021 में जब तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में शराब नीति तैयार की जा रही थी, तब केजरीवाल ने कहा था कि पार्टी को पैसों की जरूरत है। उन्होंने अपने करीबी और AAP के मीडिया और संचार प्रभारी विजय नायर को फंड जुटाने का काम सौंपा था।
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देश में मंकीपॉक्स (MPox) का पहला मरीज मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार (9 सितंबर) को इसकी पुष्टि की है। मंत्रालय ने बताया कि विदेश से लौटे एक व्यक्ति को 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया था। सैंपल लेकर जांच कराई गई, जिसमें मंकीपॉक्स के स्ट्रेन वेस्ट अफ्रीकन क्लेड 2 की पुष्टि हुई है। लेकिन ये स्ट्रेन WHO की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी में शामिल स्ट्रेन क्लेड1 नहीं है। 2022 में क्लेड 2 के 30 केस मिले थे। आइसोलेशन में मौजूद व्यक्ति की हालत ठीक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि आइसोलेशन में मौजूद व्यक्ति की हालत ठीक है। उसके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है। चिंता करने की कोई बात नहीं है। प्रोटोकॉल के तहत व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग कराई गई है। उसकी ट्रैवल हिस्ट्री भी निकाली गई। WHO ने मंकीपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। भारत ने 20 अगस्त को देश के सभी पोर्ट, एयरपोर्ट के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था। यह दो साल में दूसरी बार है, जब WHO ने मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी। अफ्रीका के दस देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। इसके बाद ये तेजी से पड़ोसी देशों में फैली। आशंका है कि यह दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल सकती है। कोरोना की तरह यह विमान यात्रा और ट्रैवलिंग के दूसरे साधनों से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रही है। WHO इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है। क्या है मंकीपॉक्स मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है। भारत में 2022 से मंकीपॉक्स के 30 केस मिले WHO के मुताबिक, 2022 के बाद से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। इस साल अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें दर्ज की गई हैं। 2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स (Clade 2) के तीस मामले सामने आए हैं। आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 32 लेबोरेटरी हैं। आज ही केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंकीपॉक्स को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की। चंद्रा ने कहा- मंकीपॉक्स के खतरे को रोकने के लिए सभी राज्यों को हेल्थ एक्शन लेना चाहिए। राज्यों को मंकीपॉक्स पर स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के मंकीपॉक्स पर जारी सीडी-अलर्ट (कम्यूनिकेवल डिजीज अलर्ट) पर एक्शन लेना चाहिए। इसके अलावा राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करनी चाहिए। सीनियर अधिकारियों को जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेना चाहिए। यूपी में मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने 30 अगस्त को अलर्ट जारी किया था। शासन की तरफ से सभी 75 जिलों के डीएम और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को बाहर से आने वाले मरीजों की एंट्री पॉइंट्स पर स्क्रीनिंग कर उनको अलग करने के निर्देश दिए गए थे। अधिकारियों का निर्देश था कि कोई भी संदिग्ध मिलने पर उसे आइसोलेट कर रेफेरल हॉस्पिटल में रखा जाएगा। जांच के लिए KGMU, लखनऊ को नोडल सेंटर बनाया गया है।
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर के विरोध में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल मंगलवार को 31वें दिन भी जारी है। डॉक्टर्स करुणामयी (सॉल्ट लेक) से स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाल रहे हैं। उनकी मांग है कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव को भी बर्खास्त किया जाए। इससे पहले कोलकाता के पुलिस कश्मिनर को सस्पेंड करने की मांग उठी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर की सुनवाई में डॉक्टरों को 10 सितंबर शाम 5 बजे से पहले काम पर लौटने को कहा है। कोर्ट ने आदेश ना मानने पर राज्य सरकार को डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा है। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें और पीड़ित को न्याय नहीं मिला है, इसलिए वे काम पर नहीं लौटेंगे। डॉक्टरों ने भी सरकार को शाम 5 बजे तक मांगें मानने का टाइम दिया है। जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल जारी रखने के तर्क... राज्य सरकार किसी भी तरीके से हमारा प्रदर्शन रोकना चाहती है। वे हमें बदनाम करने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण लोग मर रहे हैं। हम बता दें कि राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में पेशेंट सर्विस चालू हैं। सीनियर डॉक्टर्स काम पर लगे हैं। राज्य में 245 सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें से केवल 26 मेडिकल कॉलेज हैं। जूनियर डॉक्टरों की संख्या 7,500 से भी कम है। जबकि 93,000 रजिस्टर्ड डॉक्टर हैं। ऐसे में सिर्फ कुछ जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मेडिकल सर्विस कैसे ध्वस्त हो सकती है। सरकार झूठ फैला रही है और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही है। ममता सरकार ने 27 अगस्त को एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा का दोष हम पर मढ़ दिया है। हम उन्हें याद दिलाना चाहते हैं कि हमने 26 अगस्त को कहा था कि हमारा उस कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं है। हम किसी भी हिंसक घटना का समर्थन नहीं करते हैं और भविष्य में भी नहीं करेंगे। घटना के 30 दिन बाद भी राज्य सरकार ने आंदोलन की मुख्य मांगों को लेकर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। वे सारा दोष CBI जांच पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस की लापरवाही या स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संदीप घोष को सस्पेंड करने का फैसला महज लीपापोती जैसा लगता है। आंदोलन के पहले दिन से ही हमने सुरक्षा से जुड़ी मांगें उठाई हैं। हमने ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों के लिए अलग से रेस्ट रूम और बाथरूम, पर्याप्त सुरक्षा कर्मी, सीसीटीवी और महिलाओं के लिए महिला सुरक्षा कर्मी की मांग की है। सिर्फ पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने और डॉक्टरों के कमरे अलग करने से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी। मुख्यमंत्री के प्रेस बयान से हमें पता चला कि पुलिस कमिश्नर ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी। उन्होंने खुद जांच में लापरवाही की बात स्वीकार की है तो उनका इस्तीफा क्यों स्वीकार नहीं किया गया? क्या पुलिस का काम सिर्फ त्योहारों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करना है? महिलाओं की सुरक्षा क्या ऐसी पुलिस फोर्स कर पाएगी। 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता रेप-मर्डर केस के बाद जारी डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर सुनवाई हुई थी। कोर्ट में राज्य सरकार की दलील और कोर्ट का आदेश... राज्य सरकार की दलील: डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से 23 लोगों की जान चली गई। 6 लाख लोगों को इलाज नहीं मिला। रेजिडेंट डॉक्टर OPD में नहीं आ रहे। 1500 से अधिक रोगियों की एंजियोग्राफी नहीं की गई। डॉक्टरों को काम पर वापस जाने के लिए कहा जाए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश: हम निर्देश देते हैं कि जूनियर डॉक्टर 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर वापस नहीं आते हैं तो हम राज्य सरकार को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते। यदि वे काम पर वापस आते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि हम मामले से अवगत हैं। ममता सरकार ने 51 डॉक्टरों को नोटिस जारी किया ममता सरकार ने 51 डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उन्हें 11 सितंबर को जांच कमेटी के सामने उपस्थित होने को कहा है। इन डॉक्टरों पर अव्यवस्था फैलाने और संस्थान में डर का माहौल पैदा करने का आरोप है। इन डॉक्टरों पर मेडिकल कॉलेज के अंदर घुसने पर भी बैन लगा है।
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मणिपुर में जारी हिंसा के बीच सोमवार को तीन जिलों इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट और थाैबल में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही राज्य में 15 सितंबर की शाम 3 बजे तक के लिए इंटरनेट बैन कर दिया गया है। राज्य में ड्रोन हमलों के बाद मैतेई समुदाय के लोगों ने 8 और 9 सितंबर को राजभवन और मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन किया था। 9 सितंबर को प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे थे। इसमें 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। देर रात को महिलाओं ने मशाल जुलूस निकाला था। इसके बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। छात्रों का नेतृत्व कर रहे एम. सनाथोई चानू ने बताया- हमने DGP, राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग की है। साथ ही CRPF के पूर्व DG कुलदीप सिंह के नेतृत्व में बनी यूनिफाइड कमांड राज्य सरकार को सौंपने की मांग की है। महिलाओं के प्रदर्शन की तस्वीरें मणिपुर राजभवन पर पथराव हुआ था, सुरक्षाकर्मी जान बचाकर भागे थे इंफाल में 9 सितंबर को सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। मैतेई समुदाय के ये छात्र मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं को लेकर 8 सितंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च के बाद प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। सोमवार को सुरक्षाबलों ने ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर प्रदर्शन करते रहे। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे यहां डटे रहेंगे। इस दौरान उनकी सुरक्षाबलों के साथ झड़प भी हुई। स्टूडेंट्स 1 और 3 सितंबर को मैतेई इलाकों में हुए ड्रोन हमलों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य के 60 में से 50 मैतेई विधायकों से अपना रुख स्पष्ट करने या इस्तीफा देने को कहा। इन स्टूडेंट्स ने यह भी डिमांड की है कि राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। 11 दिन में 8 की मौत मणिपुर में जारी हिंसा और अराजकता थम नहीं रही है। बीते 11 दिन में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। कुकी बहुल कांग्पोक्पी के थांगबू गांव में रविवार शाम संदिग्ध मैतेई हथियारबंद लोगों ने गोलीबारी की थी, जिसमें नेंगजाखल लहुगडिम (50) की मौत हो गई। विष्णुपुर के सुगनू गांव पर भी हमला हुआ। दरअसल, विष्णुपुर मैतेई बहुल इंफाल और कुकी बहुल चूराचांदपुर के बीच बफर जोन है। यहां ज्यादातर मैतेई रहते हैं, लेकिन सुगनू गांव में कुकी हैं, जो चूराचांदपुर से सटा है। मैतेई बहुल कोत्रुक, मोइरांग में सन्नाटा; 20 गांव निशाने पर थे इंफाल से 20 किमी दूर कोत्रुक गांव में कुछ परिवारों को छोड़ दें तो 500 लोग घर छोड़ चुके हैं। जो बचे हैं, वो कई रात से सोए नहीं, क्योंकि हर वक्त ड्रोन हमले का खतरा है। यहीं 1 सितंबर को ड्रोन बम हमले हुए थे। विष्णुपुर जिले के मैतेई हिस्से में आने वाले मोइरांग में रॉकेट हमला हुआ था। यह 80% गांव खाली है। कोत्रुक के रहने वाले एन. मैक्रॉन सिंह ने बताया, ज्यादातर लोग रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। उन्होंने दावा किया कि 1 सितंबर को उग्रवादी 20 गांवों पर बम गिराने वाले थे, लेकिन सुरक्षाबलों ने फायरिंग करके रोक दिया। सेना मोइरांग से कांग्पोक्पी तक सर्च ऑपरेशन चल रही है। इसमें कई जगह हथियार जब्त किए गए हैं। इसमें RPG और हाई एंड असॉल्ट राइफल शामिल हैं। रिटायर्ड जवान की हत्या मणिपुर के इंफाल वेस्ट में सोमवार सुबह असम राइफल्स के रिटायर्ड जवान लालबोई माते का शव मिला है। माते कुकी बहुल कांग्पोक्पी के मोटबुंग के रहने वाले थे। बताया गया है कि माते बफर जोन को पार कर मैतेई क्षेत्र में घुस आए थे। बीते 7 दिनों में हिंसा बढ़ी, 8 लोगों की मौत हुई मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। बीते 7 दिनों से हिंसा बढ़ गई है। इसमें 8 लोगों की मौत हुई है। 15 से ज्यादा घायल हैं। हाल ही में मणिपुर में ड्रोन से भी हमले हुए हैं। इनमें 2 लोगों की मौत हुई है। 1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए। 3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। 6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। 7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया। मणिपुर के आईजी (इंटेलिजेंस) के. कबीब ने शनिवार (7 सितंबर) को बताया कि एक मजबूत एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के नए हथियार खरीदे जा रहे हैं। सीनियर पुलिस अफसर ग्राउंड पर उतारे गए हैं। आर्मी के हेलिकॉप्टर के जरिए हवाई पेट्रोलिंग जारी है। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कर्मियों तैनात हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की शक्तियां बढ़ाने की मांग की सीएम बीरेन सिंह ने गवर्नर लक्ष्मण आचार्य को 8 सूत्रीय मांगों की एक लिस्ट सौंपी है। इसमें संविधान के अनुसार राज्य सरकार को पावर और जिम्मेदारियां देने की बात कही गई है। साथ ही CM ने कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौते को रद्द करने की मांग की है, ताकि सिक्योरिटी फोर्सेज पूरी ताकत से कुकी उग्रवादियों पर कार्रवाई कर सकें। इसके अलावा नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया शुरू करने और सभी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की भी बात कही गई है। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर केस में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने तीन मुद्दों - CBI जांच रिपोर्ट, डॉक्टरों की हड़ताल और CISF जवानों की सुविधाओं पर सुनवाई की। CBI की स्टेटस रिपोर्ट में कई बातें सामने आईं। कोर्ट ने कहा कि, FIR में 14 घंटे की देरी हुई है। वहीं कुछ जरूरी दस्तावेज भी गायब हैं। ऐसे में मामला गड़बड़ लगता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को मिसिंग डॉक्यूमेंट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। वहीं हड़ताल को लेकर कोर्ट ने डॉक्टरों से तुरंत काम पर लौटने को कहा है। CJI ने कहा, 'अगर मंगलवार शाम 5 बजे तक डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं लौटे तो उनके खिलाफ राज्य सरकार को कार्रवाई करने से नहीं रोका जा सकता। डॉक्टरों का पेशा ही मरीजों की सेवा करना है।' उधर CISF जवानों की सुविधाओं पर कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को आदेश दिया कि सभी जवानों को रहने के लिए घर मुहैया कराया जाए। ये जवान अस्पताल की सुरक्षा के लिए आए हैं। उनको अतिरिक्त सुरक्षा उपकरण भी दिए जाएं। मामले में अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। 2 मुद्दों पर कोर्ट रूम LIVE... पहला मुद्दा- ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर पर CBI जांच की स्टेटस रिपोर्ट CJI: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल के घर के बीच कितनी दूरी है?SG: 15 से 20 मिनट CJI: अननैचुरल डेथ का केस कितने बजे रजिस्टर्ड हुआ। SG: कृपया चार्ट देखें। आखिर वह हम सभी की बेटी है। सिब्बल: डेथ सर्टिफिकेट दोपहर 1:47 बजे दिया गया। पुलिस स्टेशन में अननैचुरल डेथ की एंट्री दोपहर 2:55 बजे की गई। CJI: क्या अननैचुरल डेथ नंबर 861 है? सिब्बल: हां CJI: घटनास्थल की जांच और सबूत कब जुटाए गए? सिब्बल: रात 8:30 बजे से 10:45 बजे तक। यह शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाने के बाद की बात है। SG: लेकिन यह किसके द्वारा की गई? यह भी ध्यान रखने वाली बात है। CJI: देखिए सीसीटीवी फुटेज से साफ पता चलता है कि आरोपी किस समय सेमिनार रूम में गया और कब बाहर आया। उसके बाद 4:30 बजे के बाद की फुटेज होगी। क्या वह फुटेज CBI को दी गई। SG: हां, हमें सारी रिकॉर्डिंग मिली है। हमें सीन रिक्रिएट करना था। CJI: क्या कोलकाता पुलिस ने सुबह 8:30 बजे से रात 10:45 बजे तक की पूरी फुटेज सौंप दी है? CJI: हां, 5:42 बजे; 5:65 बजे; 5:76 बजे और 6:81 बजे की एंट्री संदेह में डालती है। CBI यह जानती है और वह जांच कर रही है। CJI: जब जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है, तो एक चालान भेजा जाता है, इसके बिना पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर शव को लेते नहीं हैं। CJI: चालान कहां हैं? हम इसे देखना चाहते हैं। सिब्बल: कृपया हमें समय दें। हम इसे अदालत में पेश करेंगे। जहां तक मुझे पता है चालान को CJM ने खुद भरकर भेजा था। CJI: इसका मतलब है, क्या बिना चालान भेजे पोस्टमॉर्टम कर दिया गया? SG: ऐसा नहीं हो सकता। यह एक कानूनी प्रक्रिया है। जस्टिस पारदीवाला: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तीसरे कॉलम में फॉर्म ले जाने वाले कॉन्स्टेबल का नाम है। चालान का कहीं जिक्र नहीं है। अगर यह दस्तावेज गायब है तो कुछ गड़बड़ है। एक अन्य वकील: मेरे पास उन बदमाशों के नाम हैं जो अस्पातल में घुस आए थे, जिन्होंने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की। सिब्बल: सीबीआई ने खुद नहीं कहा है कि सील टूटी है। गीता लूथरा: यह पूरी तरह से गड़बड़ है। लूथरा: एक तो लोगों को बिना पहचान पत्र देखे अस्पताल के अंदर जाने दिया जा रहा है। लूथरा: एक और रिक्वेस्ट है कि सोशल मीडिया पर ट्रेनी डॉक्टर की तस्वीरें वायरल की जा रही हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए CJI: हम सभी तस्वीरों को हटाने का आदेश देते हैं। CJI: हम उम्मीद करते हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार टास्क फोर्स की रिपोर्ट का इंतजार किए बिना डॉक्टरों के काम करने के लिए सुरक्षित जगह बनाने के बारे में सोचे। सिब्बल: कृपया स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट देखें। कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। CCTV से निगरानी भी हो रही है। CJI: ठीक है, जैसा कि बताया जा रहा है कि 3,700 CCTV पहले से ही काम कर रहे थे। फिर यह अपराध क्यों हुआ? सरकार हमें यह बताए कि मामला कोर्ट में आने के बाद आरजी कर अस्पताल में राज्य सरकार ने सुरक्षा को लेकर क्या-क्या किया है? सिब्बल: डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से 23 लोगों की जान चली गई। 6 लाख लोगों को इलाज नहीं मिला। रेजिडेंट डॉक्टर ओपीडी में नहीं आ रहे। 1500 से अधिक रोगियों की एंजियोग्राफी नहीं की गई। डॉक्टरों को काम पर वापस जाने के लिए कहा गया। अब यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यदि वे काम पर नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। CJI: डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से कौन पेश हो रहा है? सीनियर एडवोकेट नंदी: हम यहां आए हैं। डॉक्टरों के दो समूह हैं। एडवोकेट लूथरा भी डॉक्टर की तरफ से हैं। CJI: क्या सभी डॉक्टर ड्यूटी पर हैं? एडवोकेट लूथरा: पश्चिम बंगाल के मेडिकल डॉक्टर और जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं हैं। 1700 अस्पताल हैं, 1500 में डॉक्टर ड्यूटी पर हैं लेकिन कलकत्ता में जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं हैं। उन्हें अभी भी धमकियां मिल रही हैं। CJI: हम निर्देश देंगे कि यदि डॉक्टर काम पर वापस नहीं आते हैं तो हम राज्य सरकार को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते। यदि वे काम पर वापस आते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी क्योंकि हम मामले से अवगत हैं। एडवोकेट लूथरा: लेकिन डॉक्टरों को धमकियां मिल रही हैं। इनमें से कई डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया और इसलिए उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। CJI: बेहतर होगा कि आप उन अस्पतालों में वापस चले जाएं जहां आपको काम करना चाहिए। CJI: अगर डॉक्टर कल शाम 5 बजे या उससे पहले ड्यूटी पर रिपोर्ट करते हैं तो उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि अगर डॉक्टर लगातार काम से दूर रहते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में पिछली 2 सुनवाई... 22 अगस्त: सुनवाई में कोर्ट ने कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह 22 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में CBI ने कोर्ट में कहा था कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है। इस पर जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। मैंने जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 अगस्त को CISF के 92 जवान आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं।
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दिल्ली सरकार ने इस साल भी त्योहारों पर आतिशबाजी के उपयोग पर बैन लगाया है। पटाखों के स्टोर करने, प्रोडक्शन, बिक्री पर पूरी तरह से बैन रहेगा। दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पटाखों की ऑनलाइन बिक्री/डिलीवरी पर भी बैन लगाया गया है। ये बैन 1 जनवरी 2025 तक लागू रहेगा
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बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सोमवार को भारत और अमेरिका की सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू हुआ। इसमें पहली बार अमेरिका के हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) का प्रदर्शन किया जा रहा है। इस आर्टिलरी की मारक क्षमता 310 किलोमीटर है। यूक्रेन वॉर के दौरान इसी सिस्टम से रूसी गोला-बारूद ढेर किए गए थे। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है। इसमें भारत-अमेरिका के कुल 1200 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। आज सुबह करीब 10:30 बजे परेड समारोह के साथ युद्धाभ्यास का आगाज हुआ। दोनों देशों के झंडों को फहराया गया। दुश्मन के ड्रोन हमलों से बचाव का भी होगा अभ्यास युद्धाभ्यास में भारत की साउथ वेस्टर्न कमांड के 600 और अमेरिका के 600 जवान हिस्सा ले रहे हैं। दोनों देशों के जवान मिलकर 15 दिन तक दुश्मन को घेरकर मारने सहित कई रणनीतियों का अभ्यास करेंगे। इस दौरान एयरबोर्न और हेलीबोर्न ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा। गांव में छिपे आतंकियों को खोजकर मारने के अलावा ड्रोन हमलों से बचाव का भी अभ्यास किया जाएगा। एक-दूसरे के हथियार चलाना सीखेंगे इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं की आंतरिक क्षमता को बढ़ाना और जरूरत पड़ने पर एक साथ काम करने की संभावनाओं को मजबूत करना है। संयुक्त अभियान में कई सैन्य रणनीति और जॉइंट एक्सरसाइज शामिल हैं, जिसका उद्देश्य एक-दूसरे देश की विशेषताओं और क्षमताओं का आदान-प्रदान है। यह अभ्यास भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों काे देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिका का रॉकेट सिस्टम मुख्य आकर्षण युद्धाभ्यास का मुख्य आकर्षण अमेरिकी सेना का हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है। इस सिस्टम का उपयोग यूक्रेन में रूस के खिलाफ हो चुका है। इसे सी-130 विमान पर ले जाना आसान है। मात्र 20 सेकेंड में रॉकेट तैयार किए जा सकते हैं। 45 सेकेंड के भीतर सभी रॉकेट दागे जा सकते हैं। ये छह मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम के साथ एक ही पॉड में समाहित हैं। इसकी मारक क्षमता करीब 310 किलोमीटर तक है। आर्मी टैक्टिकल मिसाइल (ATACMC) के रूप में जाना जाता है। यूक्रेन में 2022 में युद्ध के दौरान इस सिस्टम को रूसी लक्ष्यों के खिलाफ बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था।कई रूसी कमांड पोस्ट, गोला-बारूद भंडारण, सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों के जमावड़े तथा पुलों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था, जिनमें से कई अग्रिम पंक्तियों से बहुत दूर थे। यह सिस्टम लंबी दूरी तक सटीक हमले करने में सक्षम है। अभ्यास के दौरान भारत अपनी नई पीढ़ी की हथियार प्रणाली का प्रदर्शन भी करेगा। संयुक्त सैन्य अभियानों में अत्याधुनिक तकनीक को एकीकृत करने पर जोर दिया गया है। दोनों देशों की सेना का एक साथ 20वीं बार युद्धाभ्यास ऐसा 20वीं बार हो रहा है, जब दोनों देशों की सेना एक साथ मिलकर हथियारों को चलाने का अभ्यास कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेश के बाद दोनों देशों ने साथ में अभ्यास शुरू किया था। एक बार भारत और एक बार अमेरिका में होने वाले इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के जवान हिस्सा लेते हैं। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में इससे पहले युद्धाभ्यास का 16वां संस्करण फरवरी 2021 में हुआ था। भारत जहां इस युद्धाभ्यास में स्वदेशी हथियारों का प्रदर्शन करेगा, वहीं अमेरिका अपने सर्वश्रेष्ठ हथियारों की शृंखला से रूबरू करवााएगा। सुबह से रात तक चलेगा युद्धाभ्यास दोनों देशों के जवान अब रोज सुबह उठने से लेकर रात को सोने से पहले तक युद्धाभ्यास में ही रहेंगे। सुबह जवान वॉक और रन करेंगे। इसके अलावा सुबह फायरिंग और आर्टिलरी ट्रेनिंग होगी। भारत की 9 राजपूत इंफेंट्री सेना है। अमेरिका की सेना एयर बोर्न 1-24 आर्कटिक डिवीजन है, जिनके हथियार माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तापमान में युद्ध कौशल दिखाने में सक्षम हैं।
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भारतीय वायु सेना का सबसे बड़ा अभ्यास 'तरंग-शक्ति' (फेज 2) जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर चल रहा है। शनिवार को ओपन-डे शो हुआ। आसमान में भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई-30, तेजस और हेलिकॉप्टर प्रचंड ने करतब दिखाए। सूर्यकिरण के 9 हॉक्स विमान ने आसमान में तिरंगा बनाया और दर्शकों को रोमांचित किया। इससे पहले आज सुबह 6 बजे एयरफोर्स स्टेशन पर भारत सहित 24 देशों के 400 जवानों ने सामूहिक योग किया। एयरफोर्स स्टेशन पर हरक्यूलिस सी-130 विमान के सामने यूएई, सिंगापुर, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और श्रीलंका के जवानों ने प्राणायाम व आसन किए। हेलिकॉप्टर प्रचंड ने दिखाई ताकत, सूर्यकिरण ने बनाई फॉर्मेशन सुबह 11 बजे ओपन-डे शो की शुरुआत में अग्निवीर वायु की महिला जवानों ने प्रस्तुति दी। इसके बाद फाइटर जेट ने करतब दिखाना शुरू किया। सबसे पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस आसमान में उड़ा। तेजस ने करीब 10 मिनट तक आसमान में करतब दिखाए। तेजस के बाद सूर्यकिरण के हॉक्स विमान उड़े। ये दर्शकों के एकदम ऊपर से निकले तो सभी रोमांचित हो गए। सूर्यकिरण के 9 हॉक्स विमान ने लो लेवल फ्लाइंग की। धुएं से 'तिरंगा' बनाया। इन विमान में बैठे विंग कमांडर हवा में एक-दूसरे को क्रॉस करते हुए अपने-अपने विमान को लेकर गए। हॉक्स विमान 360 डिग्री राउंड लेते हुए हवा में उड़े। सूर्यकिरण के 9 हॉक्स विमान ने यूथ को डेडिकेट करते हुए 'Y' फॉर्मेशन बनाई। डीएनए और राइट एंड लेफ्ट फॉर्मेशन भी बनाई। इसके बाद सुखोई-30 एमकेआई ने उड़ान भरी। सुखोई-30 ने करीब 150 मीटर की ऊंचाई पर लूप और 180 डिग्री में उड़ते हुए वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन बनाया। हेलिकॉप्टर प्रचंड ने भी आकाश में कलाबाजियां दिखाईं। इंडियन एयरफोर्स की एयर वॉरियर ड्रिल टीम के 28 मेंबर ने हाथ में राइफल लेकर म्यूजिक पर परफॉर्मेंस दी। इस दौरान उन्होंने राइफल से करतब दिखाते हुए डिफरेंट फॉर्मेशन बनाई। एयर वॉरियर ड्रिल टीम (AWDT) सुब्रतो इंडियन एयरफोर्स की इवेंट टीम है। तरंग-शक्ति 2024 का दूसरा फेज तरंग-शक्ति 2024 का ये दूसरा फेज है। इससे पहले 6 से 14 अगस्त तक तमिलनाडु के सुलार में इसका पहला फेज पूरा हुआ था। इसमें 30 देशों के वायुसेना के जवान शामिल हुए थे। जोधपुर में हो रही इस एक्सरसाइज के दूसरे चरण में भारत, अमेरिका, ग्रीस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, श्रीलंका की वायुसेना के जवान एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड एक्सरसाइज कर रहे हैं। अमेरिकी एयरफोर्स चीफ उड़ाएंगे तेजस 12 सितंबर को 12 देशों के एयर चीफ जोधपुर आएंगे। पहली बार जोधपुर के आसमान में दुनिया की सबसे शक्तिशाली अमेरिकी एयरफोर्स चीफ जनरल डेविड डब्ल्यू एल्विन तेजस उड़ाएंगे। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल स्टीफन चैपल, जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के चीफ जनरल हिरोआकी उच्कुरा, यूएई डिफेंस फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इस्सा अल मजरूई और भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चौधरी एक-दूसरे देश के लड़ाकू विमान उड़ाएंगे।
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कोलकाता रेप-मर्डर केस में CBI की जांच लगभग पूरी हो गई है। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसी को ट्रेनी डॉक्टर के साथ गैंगरेप के सबूत नहीं मिले हैं। 10 पॉलीग्राफ टेस्ट, 100 लोगों से पूछताछ और अबतक की जांच में CBI का मानना है कि वारदात को आरोपी संजय रॉय ने अकेले अंजाम दिया है। ट्रेनी डॉक्टर की बॉडी और क्राइम सीन से मिले सैंपल से आरोपी संजय का DNA भी मैच हो गया है। CBI ने DNA रिपोर्ट, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य सबूतों को AIIMS दिल्ली के डॉक्टरों को भेजा है। डॉक्टरों के फाइनल ओपिनियन के बाद एजेंसी जांच खत्म कर संजय के खिलाफ चार्जशीट फाइल करेगी। दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। अस्पताल के सेमिनार हॉल में उनकी अर्धनग्न बॉडी मिली थी। उनकी आंखें, मुंह और प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। गर्दन की हड्डी भी टूटी थी। CBI को आशंका थी कि गिरफ्तार किए गए सिविक वॉलेंटियर संजय के अलावा वारदात में और भी लोग शामिल हैं, लेकिन अब तक इसके सबूत नहीं मिले हैं। 3 घंटे तक चले पॉलीग्राफ टेस्ट में संजय ने जुर्म कबूला, 3 बातें कहीं... 1. CBI और सेंट्रल फोरेंसिक टीम के मेंबर्स ने 25 अगस्त को 3 घंटे संजय का पॉलिग्राफ टेस्ट किया। संजय ने कबूला कि उसी ने ट्रेनी डॉक्टर का रेप करने के बाद हत्या की थी। 2. संजय ने पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान CBI को बताया कि उसने 8 अगस्त को अपने एक दोस्त के साथ शराब पी थी। इसके बाद वह रेड लाइट एरिया गया। रास्ते में उसने एक लड़की को मॉलेस्ट किया। इसके बाद संजय ने देर रात अपनी गर्लफ्रेंड से वीडियो कॉल पर बात की न्यूड तस्वीरें मांगीं। 3. संजय ने बताया कि सुबह करीब 4 बजे संजय हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल पहुंचा, जहां ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद वह सुबह अपने दोस्त के घर गया। उसका दोस्त कोलकाता पुलिस में ऑफिसर था। संजय के साइकोलॉजिकल टेस्ट की रिपोर्ट- पोर्न देखने का आदी था पॉलीग्राफ टेस्ट से पहले संजय रॉय की साइकोएनालिटिकल प्रोफाइल से कुछ बातें सामने आई। CBI के अधिकारी ने बताया कि वह विकृत मानसिकता का व्यक्ति और पोर्नोग्राफी का आदी था। उसके फोन में कई अश्लील वीडियो भी मिले हैं। CFSL की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस में वॉलेंटियर संजय की प्रवृत्ति जानवरों जैसी है। पूछताछ के दौरान भी उसे कोई पछतावा नहीं था। उसने बिना किसी हिचकिचाहट के पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया। ब्लूटूथ इयरफोन से पकड़ाया था संजय 9 अगस्त को सुबह क्राइम सीन पर कोलकाता पुलिस को एक ब्लूटूथ ईयरफोन मिला था। CCTV फुटेज में आरोपी संजय सुबह 4 बजे सेमिनार हॉल में अंदर जाते दिखाई दिया। इस दौरान उसने कानों में ईयरफोन लगाया हुआ था। कुछ देर बाद जब वह हॉल से बाहर आया तो उसके पास ईयरफोन नहीं था। इसके बाद संजय समेत कुछ संदिग्धों को पूछताछ के लिए बुलाया गया। पुलिस ने क्राइम सीन पर मिले ईयरफोन को सभी संदिग्धों के फोन से कनेक्ट करने की कोशिश की। ईयरफोन संजय के फोन से कनेक्ट हो गया। पूछताछ के दौरान संजय ने रेप और मर्डर की बात कबूली। स्टूडेंट्स का आरोप- संजय पैसे लेकर मरीजों को बेड दिलाता था आरजी कर अस्पताल में PGT की स्टूडेंट गौरी सरकार ने दैनिक भास्कर से कहा- कई डॉक्टरों ने हमें बताया कि संजय अस्पताल में दलाली करता था। वो मरीजों को बेड दिलाने के नाम पर अस्पताल लाता और बदले पैसे लेता था। घटना की रात ट्रॉमा सेंटर में मौजूद डॉ. सौरभ भी संजय के बारे में यही बताते हैं। वे कहते हैं, 'सिविल वॉलंटियर ही मरीजों को अस्पताल लेकर आते हैं। रात में इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में भीड़ होती है। ये सिविल वॉलंटियर दिखने में पुलिस जैसे होते हैं, इसलिए इन्हें कोई नहीं रोकता।’ ‘संजय की बड़े अधिकारियों से पहचान थी। वो उन्हें कॉल कर देता था और वो बेड दिलवा देते थे। इमरजेंसी और ट्रॉमा में सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, न्यूरोसर्जरी में डॉक्टर उसकी पहचान वाले थे। वो वहां अक्सर आता-जाता था।' पश्चिम बंगाल के गवर्नर आनंद बोस ने बंगाल विधानसभा से पास हुआ अपराजिता बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया है। इसकी जानकारी उन्होंने शुक्रवार (6 सितंबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी। गवर्नर ने कहा- बिल में कई खामियां थीं। पहले तो बिल के साथ भेजी जाने वाली टेक्निकल रिपोर्ट नहीं दी गई थी।
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दिल्ली शराब नीति घोटाले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जांच एजेंसी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी पांचवी और आखिरी चार्जशीट दाखिल कर दी है। CBI ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति बनाने और उसे लागू करने की आपराधिक साजिश में शुरू से शामिल थे। वे पहले से ही शराब नीति के प्राइवेटाइजेशन का मन बना चुके थे। चार्जशीट के मुताबिक, मार्च 2021 में जब तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में शराब नीति तैयार की जा रही थी, तब केजरीवाल ने कहा था कि पार्टी को पैसों की जरूरत है। उन्होंने अपने करीबी और AAP के मीडिया और संचार प्रभारी विजय नायर को फंड जुटाने का काम सौंपा था। केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। फिर CBI ने भ्रष्टाचार मामले में उन्हें तिहाड़ जेल से ही 26 जून को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ED मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन भ्रष्टाचार मामले में वे जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर को CBI केस में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसले सुरक्षित रख लिया है। वहीं, उनके करीबी विजय नायर को 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। नायर लगभग दो साल बाद जेल से बाहर आए हैं। CBI ने उन्हें नवंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था।नायर से पहले मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त और BRS नेता के कविता को 27 अगस्त को जमानत मिली थी। CBI का दावा- विजय नायर ने साउथ ग्रुप से 100 करोड़ वसूले नायर दिल्ली एक्साइज बिजनेस के स्टेकहोल्डर्स के संपर्क में थे। वे शराब नीति में उन्हें फायदा देने के बदले पैसों की मांग करते थे। नायर वो जरिया थे, जिन्होंने केजरीवाल के लिए BRS नेता के. कविता की अध्यक्षता वाले साउथ ग्रुप के लोगों से डील की। नायर ने ही शराब नीति में फायदा देने के बदले में साउथ ग्रुप के लोगों से 100 करोड़ रुपए वसूले थे। दो अन्य आरोपियों- विनोद चौहान और आशीष माथुर के माध्यम से इन पैसों को गोवा भेजा गया। एजेंसी बोली- CM के कहने पर गोवा विधानसभा चुनाव में पैसा खर्च हुआ CBI का आरोप है कि केजरीवाल ने ही साउथ ग्रुप से वसूले 100 करोड़ रुपए गोवा विधानसभा चुनाव में खर्च करने का निर्देश दिया था। इसलिए वे चुनाव के दौरान गलत तरीके से कमाए पैसों का इस्तेमाल करने के भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि इसका फायदा आम आदमी पार्टी को ही मिला है। एजेंसी के मुताबिक, साउथ ग्रुप ने अपने हिसाब से शराब नीति बनवाने के लिए AAP को करीब 90 से 100 करोड़ रुपए दिए थे। इसमें से 44.5 करोड़ कैश चुनाव-संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए गोवा भेजे गए थे। दो पूर्व विधायकों ने चुनाव में पार्टी से पैसे मिलने का दावा किया CBI के अनुसार, AAP के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले गोवा के दो पूर्व विधायकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें एक पार्टी वालंटियर ने चुनाव खर्चों के लिए कैश दिए थे। एजेंसी ने अवैध रुपए लेने और उसके इस्तेमाल के लिए AAP के गोवा प्रभारी दुर्गेश पाठक को भी जिम्मेदार ठहराया है। एजेंसी का दावा है कि शराब नीति के तीन स्टेकहोल्डर्स- शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं का एक गुट तैयार हुआ था। सभी ने अपने-अपने फायदे के लिए नियमों का उल्लंघन किया। पब्लिक सर्वेंट्स और साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को आर्थिक लाभ मिला, लेकिन सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
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कोलकाता में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के बाद से ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच मीडिया एजेंसी PTI ने खुद की खबरों के हवाले से देशभर में रेप केसेस की एक रिपोर्ट जारी की। यह आंकड़ा 1 जुलाई से 31 अगस्त के बीच का है। 18 साल से छोटी बच्चियों के साथ सबसे अधिक रेप केस इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 2 महीने में देश में 149 रेप केस दर्ज हुए हैं। इनमें सबसे अधिक 93 केस 13 से 18 साल की बच्चियों के साथ हुए हैं। यौन हिंसा की शिकार हुई सबसे छोटी बच्ची की उम्र सिर्फ 18 महीने है। वहीं रेप केस के ज्यादातर मामलों में आरोपी कोई पहचान वाला या फिर रिश्तेदार था। रिपोर्ट के अनुसार देशभर में सबसे अधिक रेप के मामले महाराष्ट्र के ठाणे, यूपी के बलिया और राजधानी दिल्ली से आए। पश्चिम बंगाल विधानसभा में 3 सितंबर को एंटी रेप बिल पास हो गया। नए कानून के तहत रेप केस की 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। इसके अलावा पीड़ित के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा होगी। भाजपा ने भी बिल का समर्थन किया है। इसे अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) नाम दिया गया है। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके बाद यह राष्ट्रपति के पास जाएगा। दोनों जगह पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा।
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष के 6 ठिकानों पर शुक्रवार को ED ने छापा मारा। अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर यह कार्रवाई की। इससे पहले CBI इसी मामले में भ्रष्टाचार के आरोप पर घोष को गिरफ्तार कर चुकी है। ED ने सुबह घोष के बेलियाघाटा स्थित घर और उनके करीबियों के हावड़ा और सुभाषग्राम स्थित दो ठिकानों पर छापेमारी की। 7 घंटे की कार्रवाई के बाद ED ने संदीप घोष के करीबी प्रसून चटर्जी को सुभाषग्राम के डे पारा इलाके में उनके आवास से हिरासत में लिया। चटर्जी को आरजी कर के सेमिनार हॉल से वायरल हुए वीडियो में भी देखा गया था। घोष को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका मिला। घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी का मामला CBI को सौंपने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को CBI को आरजी कर रेप-हत्या केस और अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी की जांच सौंपी थी। CBI ने घोष को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था। पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग घोष को सस्पेंड कर चुका है। 28 अगस्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी संदीप घोष की सदस्यता रद्द कर दी थी। CBI की जांच में खुलासा- संदीप घोष ने घटना के अगले दिन रेनोवेशन का ऑर्डर दिया इस बीच 5 सितंबर को CBI की जांच में सामने आया है कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के अगले दिन ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल में ही मिला था। सूत्रों के मुताबिक CBI को ऐसे डॉक्यूमेंट मिले हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है कि संदीप घोष ने 10 अगस्त को लेटर लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को सेमिनार हॉल से लगे कमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इस परमिशन लेटर पर घोष के साइन भी हैं। रेप-मर्डर केस और वित्तीय गड़बड़ी के बीच कड़ी बन सकता है यह लेटर जांच अधिकारियों का कहना है कि रेनोवेशन लेटर से यह साफ हो रहा है कि घोष को यह काम कराने की जल्दी थी, लिहाजा यह डॉक्यूमेंट रेप-मर्डर केस और आरजी कर कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के केस के बीच कड़ी जोड़ने में मदद कर सकता है। स्टूडेंट्स के विरोध के बाद रोक दिया गया था रेनोवेशन का काम 13 अगस्त की शाम को जब कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने CBI को यह केस हैंडओवर किया था, उसके कुछ ही घंटों बाद PWD स्टाफ ने सेमिनार हॉल से लगे कमरे का रेनोवेशन शुरू कर दिया था। हालांकि, कॉलेज स्टूडेंट्स ने इस केस को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिसके चलते रेनोवेशन के काम को वहीं रोक दिया गया। विरोध प्रदर्शन कर रहे पश्चिम बंगाल की मेडिकल फ्रेटरनिटी के सदस्यों का कहना है कि आरजी कर कॉलेज अकेला कॉलेज नहीं था, जहां रेप और मर्डर किए जा रहे हैं। ट्रेनी डॉक्टर को इसलिए मारा गया क्योंकि उसे कॉलेज की वित्तीय गड़बड़ियों के बारे में पता चल गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने IFS अफसर राहुल को उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व का डायरेक्टर बनाने पर नाराजगी जताई है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्र, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुधवार को कहा- जिस अफसर को पेड़ों की अवैध कटाई के केस में जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से हटाया गया, उसे रिजर्व का डायरेक्टर क्यों बना दिया? कोर्ट ने कहा, हम सामंती युग में नहीं हैं कि जैसा राजा जी बोलें वैसा ही होगा। वन संबंधी मामलों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी समिति ने बताया- उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने राहुल को डायरेक्टर बनाया है, जबकि विभागीय मंत्री व मुख्य सचिव इस पक्ष में नहीं थे। हालांकि, राज्य सरकार ने बताया कि नियुक्ति आदेश 3 सितंबर को वापस ले लिया गया है। जिम कार्बेट में गड़बड़ी का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और CBI जांच जारी है। उत्तराखंड सरकार के वकील ने अगली सुनवाई पर स्पष्टीकरण देने की बात कही। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। जस्टिस गवई ने पूछा- वे मुख्यमंत्री हैं तो क्या कुछ भी कर सकते हैं? मंत्री, मुख्य सचिव से मतभेद हों तो लिखित कारण के साथ विवेक का इस्तेमाल करना था। उत्तराखंड सरकार के वकील एएनएस नाडकर्णी: CM के पास किसी की भी नियुक्ति करने का विशेषाधिकार होता है। जस्टिस गवई: आपने सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंक दिया। भ्रष्टाचार के आरोपी के निलंबन की जगह ट्रांसफर सही नहीं। वे मुख्यमंत्री हैं तो क्या कुछ भी कर सकते हैं? नाडकर्णी: राहुल अच्छे अफसर हैं। CBI को जांच में कुछ नहीं मिला है। IFS अफसर को केवल इसलिए पीछे नहीं कर सकते कि उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। परमेश्वर (न्यायमित्र): सरकार अफसर को संत बनाने पर तुली है। सिविल सेवा बोर्ड से सिफारिश न होने के बावजूद राहुल को निदेशक बनाया। नाडकर्णी: जब तक ठोस सामग्री नहीं मिलती, विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकती। जस्टिस गवई: जब तक उन्हें विभागीय जांच से मुक्त नहीं किया जाता, तब तक हम उन्हें केवल अच्छा अधिकारी कह ही सकते हैं। नाडकर्णी: मीडिया गलत रिपोर्टिंग कर उनकी छवि खराब कर रहा है। जस्टिस गवई: कोई गलत रिपोर्टिंग नहीं हुई है। सरकार की नोटिंग्स से साफ है कि मंत्री और मुख्य सचिव ने ट्रांसफर की अनुशंसा नहीं की। इसमें गलत क्या है? टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिए काटे गए थे पेड़ यह मामला 2017 से 2022 के बीच का है। जब जिम कार्बेट में टाइगर सफारी और दूसरी टूरिज्म सर्विस स्पॉट बनाने के लिए पेड़ों को काटा गया था। राष्ट्रीय उद्यान में चारदीवारी और इमारतों को भी बनाया गया। उस समय हरक सिंह रावत राज्य के वन मंत्री थे। देहरादून की रहने वाली अनु पंत ने भी उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। तब याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कार्बेट में 6,000 पेड़ों की कटाई की गई थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा। CBI भी मामले की जांच कर रहा है।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (5 सितंबर) को विकिपीडिया से कहा कि हम भारत में आपका बिजनेस बंद कर देंगे। सरकार से विकिपीडिया बंद करने के लिए कहेंगे। अगर आपको भारत पसंद नहीं है तो यहां काम मत करिए। दरअसल, मामला विकिपीडिया के खिलाफ मानहानि केस से जुड़ा है। न्यूज एजेंसी ANI ने जुलाई 2024 में विकिपीडिया पर मुकदमा किया था। ANI का आरोप है कि विकिपीडिया पर उसे केंद्र सरकार का प्रोपेगेंडा टूल बताया गया है। ANI ने विकिपीडिया से इसे हटाने की मांग की और 2 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है। ANI बोला- विकिपीडिया ने बदनाम करने के लिए झूठा कंटेट पब्लिश किया न्यूज एजेंसी ने दावा किया कि विकिपीडिया फाउंडेशन ने न्यूज एजेंसी की इमेज खराब करने और उन्हें बदनाम करने के लिए झूठा और अपमानजनक कंटेट पब्लिश किया। ANI का आरोप है कि प्लेटफॉर्म अपने पेज पर यूजर्स को एडिट करने की इजाजत देता है। हाईकोर्ट ने 9 जुलाई को विकिपीडिया को एक समन जारी किया था। 20 अगस्त को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने विकिपीडिया से ANI पेज पर एडिट करने वाले 3 सब्सक्राइबर्स की जानकारी मांगी थी। कोर्ट ने विकिपीडिया को नोटिस जारी किया हालांकि, विकिपीडिया ने कोर्ट को सब्सक्राइबर्स की जानकारी नहीं दी। ANI ने कोर्ट का आदेश नहीं मानने का आरोप लगाते हुए 5 सितंबर को विकिपीडिया के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर विकिपीडिया को नोटिस जारी किया है। विकिपीडिया का पक्ष रखने वाले वकील ने कहा कि भारत में उनकी यूनिट नहीं है। इसलिए उन्हें जवाब देने में और समय लगेगा। जस्टिस नवीन चावला ने इस दलील पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने 25 अक्टूबर को विकिपीडिया के प्रतिनिधि को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। विकिपीडिया पर लिखा- ANI पर गलत रिपोर्टिंग करने का आरोप विकिपीडिया के पेज पर न्यूज एजेंसी ANI के बारे में लिखा है- ANI पर मौजूदा केंद्र सरकार के लिए प्रोपेगेंडा टूल के रूप में काम करने, फेक न्यूज वेबसाइटों के विशाल नेटवर्क से कंटेट बांटना और कई मौकों पर घटनाओं की गलत रिपोर्टिंग करने का आरोप है। विकिपीडिया ने जुलाई में कहा- हम कंटेट एडिट नहीं करते विकिपीडिया ने जुलाई में एक बयान में कहा था कि विकिपीडिया अपने प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित कंटेट में कुछ भी एडिट नहीं करता है। विकिपीडिया का कंटेट उसके वॉलंटियर एडिटर्स की ग्लोबल कम्युनिटी (विकिपीडिया कम्युनिटी) तय करती है, जो जरूरी विषयों पर जानकारी इकट्ठा और साझा करते हैं।
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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख एवं यौन शोषण का दोषी राम रहीम 21 दिन की फरलो काटने के बाद बुधवार को रोहतक स्थित सुनारिया जेल में आएगा। फरलो के दौरान वह बागपत के बरनावा आश्रम में रहा। वहीं विधानसभा चुनाव से पहले यह फरलो दी गई थी। इधर, जेल जाने के बाद राम रहीम 10वीं बार जेल से बाहर आया था। साध्वियों के यौन शोषण और कत्ल केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो मंजूर हुई थी। इससे 2 दिन पहले ही पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को कहा था कि वह राम रहीम को सोच-समझकर ही फरलो या पैरोल दे। इसके बाद सरकार ने राम रहीम को इस शर्त पर फरलो दी कि वह सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में नहीं जाएगा। वह पूरे 21 दिन बागपत स्थित बरनावा आश्रम में रहेगा। इसलिए वो 21 दिन की फरलो के दौरान बागपत के बरनावा आश्रम में रहा। पहले भी चुनाव से पहले बाहर आ चुका विधानसभा चुनाव से पहले राम रहीम को फरलो दी थी। राम रहीम का चुनाव से पहले जेल से बाहर आना नई बात नहीं है। इससे पहले भी उसे अलग-अलग चुनाव से पहले पैरोल-फरलो मिल चुकी है। वह हरियाणा के पंचायत चुनावों के अलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में बाहर आ चुका है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी राम रहीम जेल से बाहर आना चाहता था। उसने कहा था कि वह 14 दिन की पैरोल का हकदार है। हालांकि हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने राम रहीम को पैरोल नहीं दे सकी।
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भारतीय वायुसेना का सबसे बड़े अभ्यास तरंग-शक्ति की एयर एक्सरसाइज जोधपुर में की जा रही है। भारत सहित 8 देशों की वायुसेना के जवान एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड एक्सरसाइज कर रहे हैं। इस एयर एक्सरसाइज में यूएसए के A10 ने भारत के सुखोई 30 एमकेआई के साथ उड़ान भरी। वहीं ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स के EA18 के साथ तेजस ने एयर एक्सरसाइज की। हवा के साथ ही ग्राउंड लेवल पर भी एक्सरसाइज जारी है। ये एक्सरसाइज 30 अगस्त से 14 सितंबर तक चलेगी। 7 सितंबर को ओपन डे रखा गया है। एक्सरसाइज के तहत पहली बार सूर्यकिरण के 9 हॉक्स ने जोधपुर के आसमान में तिरंगा बनाया। वहीं एयर एक्सरसाइज में अमेरिकी एयरफोर्स के चीफ भारत का तेजस विमान उड़ाएंगे। सुखोई के साथ अमेरिकी वॉटहॉग ने भरी उड़ान यह एक्सरसाइज 30 अगस्त से शुरू हो चुकी थी। मंगलवार को जोधपुर एयरबेस से भारतीय लड़ाकू विमानों के साथ अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स के सहायक लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरने के साथ टारगेट फिक्स किए। भारतीय वायुसेना के सुखोई 30 एमकेआई के साथ अमेरिका के ए10 वॉटहॉग ने उड़ान भरी। अमेरिका का ए 10 क्लोज एयर सपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जो जमीन पर मौजूद सेना को सहायता देने के लिए विशेष तौर पर अमेरिकी एयरफोर्स के लिए तैयार किया गया है। तेजस के साथ ऑस्ट्रेलिया के ग्रावलर्स की एयर एक्सरसाइज एयर एक्सरसाइज में भारत के स्वदेशी तेजस के साथ ऑस्ट्रेलियाई ईए 18 ग्रावलर्स ने उड़ान भरी। यह इलेक्ट्रॉनिक अटैक एयरक्राफ्ट है, जो रडार, कम्युनिकेशन सहित अन्य मिलिट्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को खराब कर देता है। इस आयोजन में सुखोई 30 एमकेआई का भी सोलो डिस्प्ले होगा। करीब 17 देश ऑब्जर्वर के रूप में हिस्सा ले रहे हैं। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश भी अपनी वायुसेना के ऑफिसर को ऑब्जर्वर के रूप में भेजेगा। श्रीलंका एयरफोर्स के जवान सी 130 हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के साथ पहुंचेंगे। ये देश हो रहे हैं शामिल भारत अमेरिका ग्रीस यूएई ऑस्ट्रेलिया जापान सिंगापुर श्रीलंका कई देशों के वायुसेना के अधिकारी लेंगे हिस्सा तरंग-शक्ति 2024 का ये दूसरा फेज है। इससे पहले 6 से 14 अगस्त तक तमिलनाडु के सुलार में इसका पहला फेज पूरा हुआ था। इसमें 30 देशों के वायुसेना के जवान शामिल हुए थे। जोधपुर में हो रही इस एक्सरसाइज के दूसरे चरण में तेजस, सुखोई के साथ लूफ्तवाफे जर्मन एयरफोर्स, स्पेनिश एयरफोर्स के यूरोफाइटर टाइफून उड़ान भरेंगे। तरंग शक्ति की मेजबानी करके भारत सैन्य मजबूती और ताकत के साथ सुरक्षा ग्लोबल डिफेंस इको सिस्टम में भागीदारी निभाने का संदेश देगा। इंटर ऑपरेटीबिलिटी के साथ इंटेरिगेशन को बढ़ावा मिलेगा। इस एक्सरसाइज से दुश्मन देश को कड़ी चेतावनी मिलेगी। अमेरिकी एयरफोर्स चीफ उड़ाएंगे तेजस 12 सितंबर को 12 देशों के एयर चीफ जोधपुर आएंगे। पहली बार जोधपुर के आसमान में दुनिया की सबसे शक्तिशाली अमेरिकी एयरफोर्स चीफ जनरल डेविड डब्ल्यू एल्विन तेजस उड़ाएंगे। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल स्टीफन चैपल, जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के चीफ जनरल हिरोआकी उच्कुरा, यूएई डिफेंस फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इस्सा अल मजरूई और भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चौधरी एक-दूसरे देश के लड़ाकू विमान उड़ाएंगे। भारतीय हथियारों का होगा दुनिया के सामने प्रदर्शन भारत में बने हथियारों और लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन दुनिया के सामने होगा। तमिलनाडु के सुलार एयरबेस में प्रचंड और तेजस ने जलवा बिखेरा था। अब पश्चिमी राजस्थान में विश्व की शक्तिशाली एयरफोर्स के सामने स्वदेशी फाइटर तेजस और अटैक हेलिकॉप्टर प्रचंड की ताकत दिखाई जाएगी। एक्सरसाइज के दौरान विदिन विजयुल रेंज (वीवीआर) कॉम्बेट मिशन, बीवीआर (बियोंड विजयुल रेंज) मिशन, लार्ज फोर्स इंगेजमेंट, एयर मोबिलिटी ऑपरेशन्स, डायनेमिक टारगेटिंग, एयर टू एयर रिफ्यूलिंग मिशन, कॉम्बेट सर्च एंड रेस्क्यू जैसे कई मिशन का अभ्यास किया जाएगा।
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सलमान खान के घर पर फायरिंग करने के आरोप में जेल में बंद विक्की गुप्ता और सागर पाल को अपनी हत्या का डर सता रहा है। न्यूज एजेंसी ANI को आरोपियों के वकील ने बताया कि दोनों ने जेल अधिकारियों से इसकी शिकायत की है। उनके परिवार वालों ने महाराष्ट्र और बिहार सरकार से शिकायत करके सुरक्षा की मांग की है। उनका दावा है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गों द्वारा विक्की और सागर की हत्या की साजिश रची जा रही है। हालांकि, वकील ने यह नहीं बताया कि दोनों शूटर्स को जेल में धमकी किस माध्यम से दी गई है। इसी साल 14 अप्रैल को मुंबई के बांद्रा इलाके में सलमान खान के घर पर फायरिंग हुई थी। दोनों शूटर्स के भाइयों ने लिखा पत्र अब शूटर विक्की गुप्ता के भाई सोनू गुप्ता और शूटर सागर पाल के भाई राहुल पाल ने सरकार को एक पत्र लिखा है। दोनों ही बिहार के पश्चिमी चंपारण के मझरिया का रहने वाले हैं। दोनों आरोपी इस वक्त मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद हैं। कहा जा रहा है कि पत्र लिखने से पहले दोनों आरोपियों के भाइयों ने जेल में उनसे मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान आरोपियों ने उन्हें बताया था कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गे उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं। सह-आरोपी अनुज थापन जैसा हश्र होगा इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि दोनों आरोपियों का भी वही हश्र होगा जो उनके सह-आरोपी अनुज थापन का हुआ था। अनुज की मई में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने जेल में फांसी लगा ली थी। आरोपियों को डी कंपनी की ओर से मिली धमकी जेल में बंद आरोपी विक्की गुप्ता के वकील ने भी इस मामले पर ANI से बात की। उन्होंने कहा, ‘विक्की गुप्ता और सागर पाल ने अपनी जान की सुरक्षा के लिए अधिकारियों को एक आवेदन दिया है। उनका कहना है कि उन्हें डी कंपनी की ओर से धमकाया जा रहा है। आरोपियों ने अपने परिवार को इस बारे में सूचित कर दिया है।’ सलमान पर लगाए आरोप वकील ने आगे बताया, ‘आरोपियों (विक्की गुप्ता और सागर पाल) का आरोप है कि सलमान खान के किसी गैंगस्टर से संबंध हैं, शायद वह आरोपी को मरवाना चाहता है। हमने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र और बिहार सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए लिखा है।’ गुजरात से गिरफ्तार हुए थे आरोपी 14 अप्रैल को दो बाइक सवार लोगों ने सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग की थी। इस घटना के बाद मुंबई पुलिस ने फायरिंग करने वाले शूटर्स विक्की गुप्ता और सागर पाल को गुजरात से गिरफ्तार किया था। अनुज थापन (32) को इस मामले में एक अन्य व्यक्ति के साथ 26 अप्रैल को पंजाब से गिरफ्तार किया गया था। गैंगस्टर अनमोल ने ली थी हमले की जिम्मेदारी मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि गैंगस्टर लॉरेंस और उसके भाई अनमोल को इस मामले में वांछित आरोपी घोषित किया गया है। अनमोल ने हमले के बाद फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर सलमान के घर के बाहर हुई फायरिंग की जिम्मेदारी ली थी। इससे पहले सलमान को कब-कब मिली धमकी जून 2022 में मॉर्निंग वॉक पर निकले सलमान के पिता सलीम खान जब घर लौटे तब उन्हें एक अज्ञात पत्र मिला था, जिसमें उन्हें और सलमान को जान से मारने की धमकी दी गई थी। पत्र में लिखा था- 'तेरा मूसेवाला जैसा हाल बना देंगे सलमान खान।' इसके बाद सलीम खान ने अपने सुरक्षाकर्मी की मदद से पुलिस से संपर्क किया और बांद्रा थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया। पिछले साल मुंबई पुलिस ने फोन कर सलमान को जान से मारने की धमकी देने वाले को हिरासत में लिया था। धमकी देने वाला 16 साल का एक नाबालिग था। उसने मुंबई पुलिस को एक कॉल के जरिए धमकी देते हुए अपना नाम रॉकी भाई बताया था। कहा कि वो राजस्थान के जोधपुर का रहने वाला है और 30 अप्रैल को सलमान को मार देगा। पिछले साल ही जोधपुर के रहने वाले धाकड़राम ने सलमान के ऑफिशियल मेल पर 3 ई-मेल किए थे। इसमें लिखा था कि सलमान खान अगला नंबर तेरा है, तू जोधपुर आते ही सिद्धू मूसेवाला की तरह मारा जाएगा। जनवरी 2024 में सलमान खान के फार्म हाउस में 2 अनजान लोगों ने फेंसिंग के तार तोड़कर अंदर जाने की कोशिश की थी। पुलिस ने जब पकड़ा तो दोनों ने खुद को सलमान का फैन बताया। उनके पास से फर्जी आधार कार्ड बरामद हुए थे। इस वजह से दोनों पर FIR भी दर्ज की गई है। सलमान खान लॉरेंस गैंग के निशाने पर हैं।
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नेटफ्लिक्स अपनी सीरीज IC 814- द कंधार हाईजैक के कंटेंट की समीक्षा करेगा। नेटफ्लिक्स की इंडिया कंटेंट हेड मोनिका शेरगिल ने मंगलवार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सामने यह बात कही। द कंधार हाईजैक में आतंकियों के हिंदू नामों पर विवाद हुआ था और इसे बैन करने की मांग उठी। इसके बाद मंत्रालय ने मोनिका को जवाब देने के लिए बुलाया था। मोनिका ने मंत्रालय को भरोसा दिलाया कि हम सीरीज के कंटेंट का रिव्यू करेंगे। उन्होंने गारंटी दी कि नेटफ्लिक्स पर भविष्य में भी कंटेंट लाते वक्त देश की भावनाओं का ध्यान रखा जाएगा। मंत्रालय ने कहा था, "किसी को भी देश के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का हक नहीं है। भारत की संस्कृति और सभ्यता का सम्मान हमेशा सर्वोपरि है। किसी भी चीज को गलत तरीके से दिखाने से पहले आपको सोचना चाहिए। सरकार इसके प्रति बेहद सख्त है।' 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर IC 814 सीरीज रिलीज हुई है, जो कि कंधार विमान हाईजैक पर बेस्ड है। इसमें आतंकियों के नाम भोला और शंकर रखे गए हैं। इसी पर विवाद है। सीरीज पर विवाद, 3 पॉइंट 1. हाईकोर्ट में बैन की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को एक जनहित याचिका के जरिए OTT सीरीज 'IC 814: द कंधार हाईजैक' को बैन करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने फिल्म मेकर पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया गया। यह याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने दायर की है। 2. आतंकियों के हिंदू नाम सुरजीत सिंह ने कहा कि कि सीरीज में आतंकवादियों के हिंदू नाम दिखाए गए हैं, जिनमें भगवान शिव के अन्य नाम 'भोला' और 'शंकर' शामिल हैं, जबकि उनके असली नाम कुछ और थे। याचिका में कहा गया है कि इससे हिंदू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। हाईजैक करने वाले आंतकियों के नाम इब्राहिम अख्तर, शाहिद अख्तर, सन्नी अहमद, जहूर मिस्त्री और शाकिर थे, लेकिन वेबसीरीज में इनके नाम बदल भोला, शंकर, चीफ, डॉक्टर और बर्गर किए गए हैं। 3. BJP बोली- गलत काम छिपाने का वामपंथी एजेंडा सीरीज रिलीज होने के बाद पिछले दिनों भाजपा IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इसके कंटेंट पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने गलत काम को छिपाने के लिए वामपंथियों के एजेंडे का सहारा लिया। IC 814 के हाईजैकर्स खूंखार आतंकी थे। उन्होंने अपनी मुस्लिम पहचान छिपाने के लिए काल्पनिक नाम अपनाए थे। सीरीज की कहानी क्या है? इस सीरीज की कहानी 24 दिसंबर 1999 की सत्य घटना पर आधारित है। जब पांच आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान IC 814 को काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरते वक्त हाईजैक कर लिया था। जिसमें 176 यात्री सफर कर रहे थे। आतंकवादी प्लेन को अमृतसर, लाहौर, दुबई होते हुए कंधार में ले जाते हैं। यात्रियों को सात दिन तक बंधक बना कर रखा गया था। इस दौरान प्लेन के अंदर यात्रियों का क्या हाल होता है। उनके परिवार वालों पर क्या बीतती है। सरकार के सामने इन यात्रियों को छुड़ाने के लिए क्या शर्त रखी जाती है। यह सब इस सीरीज में दिखाया गया है। किताब फ्लाइट इन टु फियर से ली गई सीरीज की कहानी इस सीरीज की कहानी सीनियर जर्नलिस्ट श्रींजॉय चौधरी और देवी शरण की किताब 'फ्लाइट इन टु फियर- द कैप्टंस स्टोरी' से ली गई है। सीरीज के डायरेक्टर अनुभव सिन्हा हैं। 6 एपिसोड की इस सीरीज में नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, विजय वर्मा, दीया मिर्जा, पत्रलेखा,अरविंद स्वामी और कुमुद मिश्रा ने मुख्य भूमिका निभाई है। डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने वेब सीरीज 'IC 814 द कंधार हाईजैक’ के जरिए OTT पर डेब्यू किया है। यह सीरीज नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुकी है। 6 एपिसोड की इस सीरीज में नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, विजय वर्मा, दीया मिर्जा, पत्रलेखा,अरविंद स्वामी और कुमुद मिश्रा की मुख्य भूमिका है। दैनिक भास्कर ने इस सीरीज को 5 में से 3.5 स्टार रेटिंग दी है।
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मणिपुर में इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में सोमवार (3 सितंबर) की शाम उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। जिसमें में एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि यह 2 दिन में दूसरा ड्रोन अटैक है। सोमवार शाम करीब 6.20 बजे सेजम चिरांग के रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए। जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की। जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। सेजम चिरांग गांव, कोत्रुक से करीब 3 किमी दूर है, जहां रविवार 1 सितंबर को ड्रोन हमले और गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी और 9 लोग घायल भी हुए थे। ये आशंका जताई जा रही है कि कुकी उग्रवादियों को ड्रोन वॉरफेयर के लिए म्यांमार से टेक्निकल सपोर्ट और ट्रेनिंग मिल रही है, या वे सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं। ड्रोन से आबादी और सुरक्षा बलों पर बम गिराना आतंकवाद है। मैं इस कायरता की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। राज्य सरकार कार्रवाई करेगी। मणिपुर के लोग नफरत और अलगाववाद के खिलाफ एकजुट होंगे।- एन बीरेन सिंह, मुख्यमंत्री (मणिपुर) 2 बम घरों पर गिरे, तीसरा नदी किनारे फटा ड्रोन से पहला बम सेजम चिरांग गांव के मानिंग लीकाई में 65 साल के वाथम गंभीर के घर की छत पर बम गिरा, दूसरा बम उसके घर के बगल वाली गली में गिरा, जबकि तीसरा बम नदी के किनारे फटा। वाथम गंभीर की बेटी सनातोम्बी (23) के पेट में छर्रे लगे। उसे तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। सनातोम्बी को शिजा अस्पताल रेफर कर दिया गया। गंभीर के छोटे भाई जोतिन (56) को भी विस्फोट में कंधे पर मामूली चोट लगी। पुलिस को तलाशी में गोला-बारूद मिला मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि तलाशी अभियान के दौरान कांगपोकपी जिले के खारम वैफेई गांव के पास से एक ड्रोन बरामद किया है। कांगपोकपी जिले के कांगचुप पोनलेन में सुरक्षा बलों के तलाशी अभियान के दौरान हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए। इनमें दस 12 इंच की सिंगल-बोर बैरल राइफलें, एक इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार, नौ इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार बैरल, 20 जिलेटिन रॉड, 30 डेटोनेटर, दो देशी रॉकेट जब्त किए गए। रविवार 1 सितंबर को हुए हमले के बाद की तस्वीरें... खाली पड़े 5 घरों में भी आग लगाई रविवार को इंफाल से 18 किमी दूर बना कोत्रुक गांव में मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं। रविवार दोपहर 2 बजे गोलीबारी हुई। जिसके बाद लोग वहां से जान बचाकर भागे। उग्रवादियों ने खाली पड़े घरों में लूटपाट की। साथ ही 5 घरों और वहां खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी। हालांकि सुरक्षा बलों ने रविवार रात को हमलावरों को खदेड़ दिया। ड्रोन हमले के बाद गांव के सभी 17 परिवार भागे इंफाल वेस्ट जिले के कौत्रुक गांव समेत 3 गांव में रविवार रात कुकी हथियारबंद उग्रवादियों ने ड्रोन से बम गिराकर हमला किया था। इसके बाद कौत्रुक गांव के सभी 17 परिवार गांव छोड़कर भाग गए हैं। सभी अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर सुरक्षित जगहों जैसे इंफाल, खुरखुल और सेक्माई चले गए हैं। लोगों में डर है। उन्हें अंदेशा है कि एक बार फिर बड़े स्तर पर हिंसा भड़क सकती है। कौत्रुक निवासी प्रियोकुमार ने बताया कि गांव में अब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं, जिससे सभी ने डर कर गांव छोड़ दिया है। इस बीच, कौत्रुक और आसपास के क्षेत्रों के छात्रों को डर है कि हिंसा भड़कने के कारण कॉलेज फिर से बंद हो सकता है। विधायक व CM के दामाद की केंद्रीय बलों को हटाने की मांग भाजपा विधायक व सीएम बीरेन सिंह के दामाद राजकुमार इमो सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिख केंद्रीय बलों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है। उनकी मांग है कि सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अब राज्य को दी जानी चाहिए। राज्य में 60 हजार केंद्रीय बलों की मौजूदगी से शांति बहाल नहीं हो पा रही है, इसलिए बेहतर है कि सुरक्षा बलों को हटा दिया जाए। कुकी वॉलंटियर्स की धमकी- 3 दिन में गांव खाली करें CM बीरेन सिंह के बयान से नाराज कुकी-जो विलेज वॉलंटियर्स ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने धमकी दी है कि मैतेई लोगों ने 3 दिन में गांव खाली नहीं किए तो कुकी वॉलंटियर्स उन्हें खदेड़ देंगे। वीडियो में एक कुकी वॉलंटियर यह कहता दिख रहा है- मैतेई उग्रवादी चूराचांदपुर-कांग्पोकपी को लगातार निशाना बना रहे हैं, और CM ने कहा है कि राज्य में शांति है। वे हमें मूर्ख समझते हैं। कुकी-जो संगठनों की मणिपुर में कुकीलैंड की मांग कुकी-जो समुदाय के लोगों ने 31 अगस्त को मणिपुर के चुराचांदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल में रैलियां निकालीं। इन संगठनों की मांग है कि मणिपुर में अलग कुकीलैंड बनाया जाए, जो केंद्र शासित प्रदेश हो। इन संगठनों का कहना है कि पुडुचेरी की तर्ज पर विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाना ही राज्य को जातीय संघर्ष से बाहर निकालने का इकलौता रास्ता है। CM बीरेन के इंटरव्यू और वायरल ऑडियो का विरोध मणिपुर में 31 अगस्त को निकाली गई रैलियों में CM बीरेन सिंह के न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू का विरोध किया गया। मुख्यमंत्री ने कुकी समूहों की अलग प्रशासन (कुकीलैंड) की मांग को खारिज कर दिया था। CM बीरेन ने कहा था कि वे राज्य की पहचान को कमजोर नहीं होने देंगे। बीरेन मैतेई समुदाय से आते हैं, हालांकि उन्होंने जिस इलाके में कुकी रहते हैं, उस क्षेत्र के लिए एक विशेष विकास पैकेज देने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा CM बीरेन के एक अन्य वायरल ऑडियो पर भी बवाल मचा है। इस ऑडियो को CM बीरेन सिंह का बताया गया है। ऑडियो में मणिपुर में मई 2023 से जारी हिंसा पर आपत्तिजनक टिप्पणियां सुनाई दे रही हैं। हालांकि, मणिपुर सरकार का कहना है कि ऑडियो क्लिप में मुख्यमंत्री की आवाज से छेड़छाड़ की गई है। यह हिंसा से प्रभावित राज्य में शांति की पहल को पटरी से उतारने के लिए किया जा रहा है। BJP नेता के घर में आग लगाई गई मणिपुर के पेनियल गांव में 31 अगस्त को BJP प्रवक्ता टी माइकल एल हाओकिप के पिता के घर पर आग लगा दी गई। हाओकिप ने X पर वीडियो शेयर करते हुए आरोप लगाया था कि यह काम कुकी लोगों का है। हाओकिप ने कहा था कि उनके घर पर एक साल में तीसरी बार हमला हुआ। पिछले हफ्ते भी 30 से ज्यादा हथियारबंद लोगों ने कई राउंड फायरिंग की थी। मई 2023 से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा लोग मारे गए मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा की अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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गुजरात के पोरबंदर तट के पास इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) का एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ध्रुव) अरब सागर में गिर गया। हेलिकॉप्टर पर सवार 4 में से 3 क्रू मेंबर्स लापता हैं। एक को बचाया गया है। हेलिकॉप्टर का मलबा मिल गया है। घटना सोमवार (2 सितंबर) की है। ICG ने मंगलवार (3 सितंबर) को सुबह 10:12 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर हादसे की जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि हेलिकॉप्टर पोरबंदर तट से 45 किलोमीटर दूर कार्गो शिप पर रेस्क्यू मिशन के लिए गया था। हेलिकॉप्टर पर 2 पायलट और 2 गोताखोर सवार थे। इनमें 1 गोताखोर को बचाया गया है। कोस्ट गार्ड ने सर्च के लिए 4 जहाज और 2 विमान भेजे कोस्ट गार्ड ने बताया कि दोनों पायलट और एक गोताखोर की तलाश के लिए 4 जहाज और 2 विमान भेजे हैं। ALH ने हाल ही में गुजरात में बाढ़ प्रभावित इलाकों से 67 लोगों का रेस्क्यू किया था। कार्गो शिप पर घायल क्रू मेंबर को लाने गया था हेलिकॉप्टर कोस्ट गार्ड के मुताबिक, कार्गो शिप हरि लीला पर एक क्रू मेंबर घायल था। उसे निकालने के लिए सोमवार रात 11 बजे हेलिकॉप्टर गया था। हेलिकॉप्टर हरि लीला के पास पहुंचा ही था, तभी उसे इमरजेंसी हार्ड लैंडिंग करनी पड़ी। इस दौरान वह समुद्र में गिर गया। 2023 में ध्रुव हेलिकॉप्टर कई बार हादसे का शिकार हुआ एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) को ध्रुव भी कहा जाता है। कोस्ट गार्ड, सेना और नेवी, तीनों इसका इस्तेमाल करती हैं। इसे बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने हाल ही में सेना के AHL बेड़े में सुरक्षा से जुड़े अहम अपग्रेडेशन किए हैं। पिछले साल डिजाइन से जुड़ी दिक्कतों के कारण ध्रुव हेलिकॉप्टर कई बार दुर्घटनाओं का शिकार हुआ था, जिससे इसके सेफ्टी पर सवाल खड़े हो गए थे। मई, 2023 में आर्मी ने ध्रुव हेलिकॉप्टर का ऑपरेशंस एक महीने के लिए रोक दिया था। मार्च में नेवी और कोस्ट गार्ड ने ध्रुव हेलिकॉप्टर की अपनी फ्लीट के ऑपरेशंस पर रोक लगाई थी। 2023 में ध्रुव हेलिकॉप्टर से जुड़े तीन बड़े हादसे... 8 मार्च: अरब सागर में नेवी के ध्रुव हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग मुंबई से भारतीय नौसेना के ALH ध्रुव की अरब सागर में इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। घटना 8 मार्च, 2023 को सुबह हुई, जब नेवी इस हेलिकॉप्टर से पेट्रोलिंग के लिए निकली थी। पावर और हाइट की कमी के कारण पायलट ने हेलिकॉप्टर को पानी पर ही उतारा। टेक्निकली इसे डिचिंग कहते हैं, यानी पानी पर इमरजेंसी लैंडिंग करना। इस घटना की जानकारी इंडियन नेवी ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए दी। जिसमें लिखा था- मुंबई से नियमित उड़ान पर निकले ALH को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। सेना ने तुरंत ही दूसरे एयरक्राफ्ट को भेजकर क्रू के तीन लोगों को बचाया। इसके बाद नौसेना ने घटना की जांच के आदेश दिए थे और जांच पूरी होने तक फ्लीट को ग्रांउड कर दिया था। 26 मार्च: केरल में कोस्ट गार्ड के ध्रुव हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग की गई केरल के कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास 26 मार्च, 2023 को इंडियन कोस्ट गार्ड के एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) ध्रुव मार्क 3 हेलिकॉप्टर की टेस्ट उड़ान की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई थी। लैंडिंग के समय हेलिकॉप्टर 25 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। हादसे में एक ट्रेनी पायलट का हाथ फ्रैक्चर हुआ था। 4 मई: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में ध्रुव हेलिकॉप्टर क्रैश, 1 जवान की मौत, दो घायल जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में 4 मई, 2023 को ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। हादसे में क्राफ्ट्स मैन पब्बल्ला अनिल की मौत हो गई थी। दो पायलटों को चोटें आई थीं। आर्मी के मुताबिक सुबह 11:15 बजे हेलिकॉप्टर ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को तकनीकी खराबी की जानकारी दी थी। इसके बाद वह एहतियाती लैंडिंग के लिए आगे बढ़े। खराब और अंडरग्रोथ जमीन की वजह से हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। भारतीय सेनाओं के पास 300 ध्रुव हेलिकॉप्टर भारत की तीनों सेनाओं में 300 से ज्यादा ध्रुव हेलिकॉप्टर शामिल हैं। इनमें एयरफोर्स के पास 70, आर्मी के पास 191 और नेवी के पास 14 हेलिकॉप्टर्स हैं। कोस्ट गार्ड भी ध्रुव हेलिकॉप्टर का ही इस्तेमाल करता है। ध्रुव हेलिकॉप्टर का रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन, रेकी, मेडिकल इमरजेंसी में रेस्क्यू, सैन्य परिवहन, इंटरनल कार्गो जैसे काम में इस्तेमाल होता है। यह सियाचिन ग्लेशियर और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में भी अच्छा परफॉर्म करता है। इसने समुद्र में भी अपनी क्षमता साबित की है।
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पश्चिम बंगाल में OBC सर्टिफिकेट रद्द किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (2 सितंबर) को सुनवाई होगी। इससे पहले 27 अगस्त को मामले की सुनवाई हुई थी। इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने बहुत सारे दस्तावेज पेश किए हैं। इन्हें पढ़कर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए। दरअसल 22 मई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य में 2010 के बाद कई जातियों को मिले OBC स्टेटस को रद्द कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और राज्य द्वारा के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में मिलने वाले आरक्षण को अवैध ठहराया था। इसके विरोध में बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने OBC में शामिल नई जातियों से जुड़ा डेटा मांगा था सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की अपील पर 5 अगस्त को कोर्ट ने कहा था, ‘मुस्लिम कम्युनिटी समेत 77 नई जातियों को OBC लिस्ट में क्यों शामिल किया गया। राज्य सरकार इन नई जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का डेटा दें।’ इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग की। राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट के फैसले की वजह से NEET-UG 2024 पास करने वाले उम्मीदवारों को प्रवेश में दिक्कतें आ रही हैं। ममता बोलीं थी- हाईकोर्ट का आदेश नहीं मानेंगे हाईकोर्ट के फैसले को लेकर बंगाल सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि वे हाईकोर्ट और भाजपा के आदेश को नहीं मानेंगी। राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा। एक रैली में ममता ने कहा था कि ओबीसी आरक्षण लागू करने से पहले कई सर्वे कराए गए थे। इस मामले में पहले भी कई केस दर्ज कराए गए हैं, पर उनका कोई नतीजा नहीं निकला। ये लोग भाजपा शासित प्रदेशों में नीतियों पर बात क्यों नहीं करते हैं। ममता ने यह भी कहा था कि पीएम मोदी लगातार बात करते आए हैं कि कैसे माइनॉरिटीज तापाशिली आरक्षण को छीन लेंगी और इससे संविधान ध्वस्त हो जाएगा। माइनॉरिटीज कभी तापाशिली या आदिवासी रिजर्वेशन को हाथ भी नहीं लगा सकती हैं, लेकिन भाजपा के शातिर लोग एजेंसियों के जरिए अपने काम करवाते हैं। अमित शाह बोले- हम सुनिश्चित करेंगे कि कोर्ट का आदेश लागू हो इस मामले पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी ने बिना किसी सर्वे के 118 मुस्लिमों को OBC रिजर्वेशन दिया। कोई कोर्ट चला गया और कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए 2010 से 2024 के बीच दिए सभी OBC सर्टिफिकेट रद्द कर दिए। ममता बनर्जी पिछड़े वर्गों का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को देना चाहती हैं। मैं कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। ममता जी का कहना है कि वे हाईकोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी। मैं बंगाल के लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या ऐसा कोई मुख्यमंत्री हो सकता है, जो कहे कि कोर्ट का फैसला न माने। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। हम सुनिश्चित करेंगे कि कोर्ट का फैसला लागू हो। 2011 में दाखिल की गई थी हाईकोर्ट में याचिका ममता सरकार के ओबीसी आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ 2011 में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इसमें दावा किया गया कि 2010 के बाद दिए गए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट 1993 के पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम को दरकिनार कर दिए गए। याचिका में ये भी कहा गया कि जो लोग वास्तव में पिछड़े वर्ग से थे, उन्हें उनके सही सर्टिफिकेट नहीं दिए गए। इसे लेकर अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को 1993 के कानून के मुताबिक आयोग की सिफारिश विधानसभा को सौंपनी होगी। इसी के आधार पर ओबीसी की लिस्ट बनाई जाएगी। तपोब्रत चक्रवर्ती की बेंच ने कहा, ‘ओबीसी किसे माना जाएगा, इसका फैसला विधानसभा करेगी। बंगाल पिछड़ा वर्ग कल्याण को इसकी सूची तैयार करनी होगी। राज्य सरकार उस लिस्ट को विधानसभा में पेश करेगी। जिनके नाम इस लिस्ट में होंगे उन्हीं को ओबीसी माना जाएगा।
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जम्मू-कश्मीर के सुंजवान मिलिट्री स्टेशन पर सोमवार सुबह आतंकियों ने सेना पर फायरिंग की है। इसमें एक जवान शहीद हो गया है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने मिलिट्री स्टेशन के बाहर से छिपकर स्नाइपर गन से गोलियां चलाई थीं। जवान के घायल होने के बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। सेना और पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। ड्रोन से भी इलाके की निगरानी की जा रही है। सांबा में 3 पिस्तौल और गोला-बारूद बरामद जम्मू-कश्मीर के सांबा में सुरक्षाबलों ने 3 पिस्तौल और गोला-बारूद बरामद किया है। सुरक्षाबलों ने बताया कि ये हथियार ड्रोन से गिराए गए थे। BSF और पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है। सर्च ऑपरेशन भी तेज कर दिया गया है। कुपवाड़ा में 5 दिन पहले 3 आतंकी ढेर हुए थे जम्मू-कश्मीर में 5 दिन में यह दूसरा हमला है। इससे पहले 29 अगस्त को कुपवाड़ा में एनकाउंटर में 3 आतंकी मारे गए थे। इनमें दो टेररिस्ट माछिल और एक तंगधार में मारा गया था। सेना ने बताया था कि माछिल और तंगधार में 28-29 अगस्त की देर रात खराब मौसम के बीच संदिग्ध गतिविधि देखी गई थी। इसके बाद यहां सेना और पुलिस ने सर्चिंग शुरू की। इस दौरान मुठभेड़ शुरू हो गई थी। डोडा में 18 दिन पहले कैप्टन दीपक सिंह शहीद हुए थे 14 अगस्त को डोडा में आतंकियों से एनकाउंटर में राष्ट्रीय राइफल के आर्मी कैप्टन दीपक सिंह शहीद हो गए। वह डोडा में असार फॉरेस्ट एरिया में चल रहे एनकाउंटर में टीम को लीड कर रहे थे। एनकाउंटर में एक आतंकी मारा गया। 16 जुलाई को भी डोडा के डेसा इलाके में मुठभेड़ के दौरान एक कैप्टन समेत 5 जवान शहीद हुए थे।
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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देशभर में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा, "अगर कोई दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।" सुप्रीम कोर्ट जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें आरोप लगाया गया है कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। अब इस केस की सुनवाई 17 सितंबर को होगी। बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट के कमेंट, केंद्र का जवाब हम यहां अवैध अतिक्रमण के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं- सुप्रीम कोर्ट किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना! यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है- सुप्रीम कोर्ट किसी भी आरोपी की प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई क्योंकि उसने अपराध किया। आरोपी के अवैध कब्जों पर म्युनिसिपल एक्ट के तहत एक्शन लिया है- केंद्र सरकार याचिका में आरोप-पीड़ितों को बचने का मौका नहीं दिया जमीयत के वकील फारूक रशीद का कहना है कि अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न करने और उन्हें डराने के लिए राज्य सरकारें घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर एक्शन को बढ़ावा दे रही हैं। याचिका में यह भी आरोप है कि सरकारों ने पीड़ितों को अपना बचाव करने का मौका ही नहीं दिया। बल्कि कानूनी प्रक्रिया का इंतजार किए बिना पीड़ितों को तुरंत सजा के तौर पर घरों पर बुलडोजर चला दिया। तीन राज्य जहां पिछले 3 महीने में बुलडोजर एक्शन हुआ अगस्त 2024 : मध्यप्रदेश के छतरपुर में पुलिस पर पथराव के आरोपी की कोठी पर एक्शन मध्यप्रदेश के छतरपुर में 21 अगस्त को कोतवाली थाने पर पथराव के 24 घंटे के भीतर सरकार ने यहां 20 हजार स्क्वायर फीट में बनी 20 करोड़ रुपए की तीन मंजिला हवेली को जमींदोज कर दिया था। जब उनकी हवेली गिराई जा रही थी, तब भी उनके परिवार का कोई सदस्य यहां मौजूद नहीं था। FIR के मुताबिक, चारों भाइयों ने भीड़ को पुलिस पर हमला करने के लिए उकसाया था। अगस्त 2024 : राजस्थान के उदयपुर में दो बच्चों में चाकूबाजी के बाद आरोपी के घर चला बुलडोजर उदयपुर के एक सरकारी स्कूल में 10वीं में पढ़ने वाले एक बच्चे ने दूसरे को चाकू मारकर घायल कर दिया था। इसके बाद पूरे शहर में आगजनी और हिंसक प्रदर्शन हुए। 17 अगस्त को आरोपी छात्र के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ था। इससे पहले सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने आरोपी के पिता सलीम शेख को अवैध बस्ती में बने मकान को खाली करने का नोटिस दिया था। जून 2024 : उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और बलिया में 2 आरोपियों की 6 संपत्तियां तोड़ी गईं मुरादाबाद में विवाहिता के अपहरण की कोशिश करने वाले के घर पर बुलडोजर चला था। आरोपी ने अपहरण का विरोध कर रहे महिला के मां-बाप और भाई को गोली मार दी थी। वहीं, बरेली में रोटी के विवाद में युवक की पीट-पीटकर हत्या करने वाले होटल मालिक जीशान का होटल जमींदोज कर दिया गया। सनी का 26 जून को बर्थडे था। सनी ने मशाल होटल के मालिक जीशान को 150 रोटी का आर्डर दिया था। जीशान ने सिर्फ 50 रोटी दी और 100 रोटी देने से मना कर दिया था। विवाद बढ़ा तो जीशान ने अपने साथियों के साथ मिलकर सनी की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस के 20 दिन बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पहला बयान आया है। उन्होंने कहा कि मैं घटना को लेकर निराश और डरी हुई हूं। अब बहुत हो चुका। समाज को ऐसी घटनाओं को भूलने की खराब आदत है। राष्ट्रपति मुर्मू ने मंगलवार (27 अगस्त) को ‘विमेंस सेफ्टी: इनफ इज इनफ’ नाम के एक आर्टिकल को लेकर PTI के एडिटर्स से चर्चा में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह की अत्याचारों की इजाजत नहीं दे सकता। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8-9 अगस्त की रात 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। उनका शव सेमिनार हॉल में मिला था। उनकी गर्दन टूटी थी। मुंह, आंखों और प्राइवेट पार्ट्स से खून बह रहा था। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जब स्टूडेंट्स, डॉक्टर्स और नागरिक कोलकाता में प्रोटेस्ट कर रहे थे, तो अपराधी दूसरी जगहों पर शिकार खोज रहे थे। विक्टिम में किंडरगार्टन की बच्चियां तक शामिल थीं। समाज को ईमानदारी, निष्पक्षता के साथ आत्म-विश्लेषण करने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को खुद से कुछ कठिन सवाल पूछने होंगे। अक्सर घृणित मानसिकता वाले लोग महिलाओं को अपने से कम समझते हैं। वे महिलाओं को कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान के रूप में देखते हैं। द्रौपदी मुर्मू ने कहा- निर्भया कांड के बाद 12 सालों में रेप की अनगिनत घटनाओं को समाज ने भुला दिया है। समाज की भूलने की यह सामूहिक आदत घृणित है। इतिहास का सामना करने से डरने वाला समाज ही चीजों को भूलने का सहारा लेता है। राष्ट्रपति ने कहा- अब समय आ गया है कि भारत अपने इतिहास का पूरी तरह से सामना करे। हमें जरूरत है कि इस विकृति का सब मिलकर सामना करें ताकि इसे शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाए। द्रौपदी मुर्मू ने कहा- महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझते हैं लोग महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करते हुए द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिलाओं ने हर एक इंच जमीन जीतने के लिए लड़ाई लड़ी है। सामाजिक धारणाओं और कई परंपराओं और प्रथाओं ने महिलाओं के अधिकारों को बढ़ने से रोका है। यह एक घटिया सोच है जो महिलाओं को कम समझती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग महिलाओं को उपभोग की वस्तु की तरह देखते हैं। यही महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की वजह है। ऐसे लोगों के दिमाग में महिलाओं को लेकर यह सोच गहरी हो चुकी है। राष्ट्र और समाज का काम है कि इस सोच के खिलाफ खड़े हों। मुर्मू ने कहा कि रेप रोकने के लिए कानून बने हैं और सोशल कैंपेन भी चलाए गए हैं। हालांकि, फिर भी कोई न कोई चीज हमारे रास्ते में आ जाती है और हमें परेशान करती है। इतिहास अक्सर हमें तकलीफ देता है और इसलिए समाज इतिहास का सामना करने से बचने के लिए चीजों को भूल जाता है। राष्ट्रपति बोलीं- समाज को खुद के अंदर झांकने की जरूरत उन्होंने कहा कि समाज शुतुरमुर्ग की तरह रेत में अपना सिर छिपा लेता है। अब समय आ गया है कि हम न सिर्फ इतिहास का हिम्मत से सामना करें, बल्कि अपनी आत्मा के अंदर झांकें और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की मानसिकता समझने की कोशिश करें। राष्ट्रपति ने कहा- हमें मिलकर सामना करने की जरूरत है, ताकि इसे शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाए। हम ऐसा तभी कर पाएंगे, जब हम पीड़ितों की याद को सम्मान देंगे। समाज पीड़ितों को याद करने की एक संस्कृति तैयार करें ताकि हमें याद रहे कि हम कहां चूके थे और इसे याद रखकर हम भविष्य में चौकन्ने रहें। मुर्मू ने कहा- समाज को खुद के अंदर झांकना होगा और मुश्किल सवाल पूछने होंगे। हमसे कहां गलती हुई? इन गलतियों को दूर करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? इन सवालों का जवाब ढूंढ़े बिना, आधी आबादी उतनी आजादी से नहीं जी पाएगी, जितनी आजादी से बाकी आधी आबादी जीती है भाजपा ने ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में छात्र संगठनों के प्रोटेस्ट मार्च के एक दिन बाद बुधवार (28 अगस्त) को 12 घंटे का बंगाल बंद बुलाया है। बंद के दौरान कई जिलों में पुलिस और भाजपा समर्थकों के बीच झड़प हुई। कई नेताओं-वर्कर्स को हिरासत में लिया गया है। नॉर्थ 24 परगना जिले के भाटपारा में भाजपा नेता प्रियंगु पांडे की कार पर फायरिंग हुई। प्रियंगु ने बताया- TMC के लगभग 50-60 लोगों ने हमला किया। गाड़ी पर 6-7 राउंड फायरिंग की और बम फेंके गए। ड्राइवर समेत दो लोगों को गोली लगी है। एक गंभीर है।
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इंदौर के एरोड्रम पुलिस ने हाईकोर्ट एडवोकेट के साथ हुई ठगी के मामले में धोखाधड़ी की धाराओं मे केस दर्ज किया है। बताया जाता है कि आरोपी ने लिंक भेजकर उसे क्लिक करने के लिए कहा। जिस पर क्लिक करने के बाद मोबाइल का कंट्रोल अपने हाथ में लेकर आरोपी ने वकील के क्रेडिट कार्ड अकाउंट से करीब 51 हजार रुपए निकाल लिए। एरोड्रम पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक विस्मित पनौत निवासी अशोक नगर की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात मोबाइल कस्टमर के खिलाफ 318 (4) बीएनएस काे लेकर केस दर्ज किया है। विस्मित ने पुलिस को की गई शिकायत में बताया कि वह हाईकोर्ट एडवोकेट है। 2 अगस्त 2024 को उनके पास एक नंबर से कॉल आया। बात करने वाले वन कार्ड क्रेडिट कार्ड कंपनी का एजेंट बताया। पुरानी शिकायत के निवारण को लेकर विस्मित के ई मेल आईडी से खुद ईमेल आईडी पर एक लिंक भेजी। उसे खोलने के बाद विस्मित को दूसरी लिंक भेजी गई। उसे ओपन करते ही गूगल मीट के माध्यम से एडवोकेट के मोबाइल का कंट्रोल खुद करने लगा। क्रेडिट कार्ड से धोखाधड़ी करते हुए 51 हजार से अधिक की अमाउंट का ट्रांजैक्शन कर लिया। विस्मित के मोबाइल पर उक्त राशि को लेकर मैसेज आया। उन्होंने समझदारी दिखाते हुए तुंरत कॉल काट दिया। इसके बाद क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवा दिया। उन्होंने मामले की साइबर सेल में शिकायत भी कर दी। जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की है। कोर्ट के लॉकर से फाइल और रुपए चोरी जिला कोर्ट में बने लॉकर से एक वकील की फाईल और रूपए चोरी हो गए। पुलिस ने केस दर्ज कर मामला जांच में लिया है। एमजी रोड़ पुलिस के मुताबिक मंजुलता चौहान निवासी सत्य साई बाग कॉलोनी की शिकायत पर पर अज्ञात चोर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मंजू ने बताया कि किसी व्यक्ति द्वारा जिला कोर्ट के टेबल टेनिस हॉल में बने लॉकर से उनकी फाईल ओर करीब 5 हजार रूपए नकदी किसी ने चुराए है। पुलिस ने इस मामले में सीसीटीवी के आधार पर आरोपी की तलाश शुरू की है।
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सुनो बे, ...जैसी शकल वाले मनोज वाजपेयी, इसकी (कोर्ट नोटिस) बत्ती बना और…उखाड़ क्या उखाड़ना…तेरा बाप हूं मैं…। ये पोस्ट फिल्म क्रिटिक केआरके (कमाल राशिद खान) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर की है। इसे फिल्म एक्टर मनोज वाजपेयी को टैग भी किया है। पोस्ट के साथ केआरके ने इंदौर कोर्ट का वो नोटिस भी लगाया है, जो 30 मई 2024 को इंदौर जिला कोर्ट से जारी हुआ है, जिसमें 24 जुलाई 2024 को उन्हें पेश होने के लिए कहा गया था। लेकिन केआरके कोर्ट में पेश नहीं हुए। एक्टर मनोज वाजपेयी ने केआरके पर इंदौर में मानहानि का केस लगाया है। केस में तारीख पर तारीख लग रही है। 24 जुलाई के बाद 30 जुलाई फिर 5 अगस्त, 8 अगस्त, 9 अगस्त, 20 अगस्त, 27 अगस्त तारीख लगी। मंगलवार को अगली तारीख 4 सितंबर लगी है। जज के छुट्टी पर होने के कारण केस में लगातार तारीख मिल रही है। केआरके की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट ने फिर से मामले को गर्मा दिया है, क्योंकि मनोज वाजपेयी की तरफ से जो मानहानि का केस लगाया गया है वो केआरके की इसी तरह की पोस्ट को लेकर है। केस के बावजूद केआरके लगातार मनोज के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं। इस बार तो उन्होंने कोर्ट का नोटिस तक पोस्ट के साथ टैग किया और उसे लेकर भी आपत्तिजनक बातें लिखी है। केआरके ने ये पोस्ट भी की है “मनोज वाजपेयी मुंबई में रहते हैं लेकिन उन्होंने इंदौर जाकर मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जो कोर्ट में चल रहा है। यह आदमी मेरे प्रति इतना जुनूनी है कि फिर, वह मेरे खिलाफ एक और मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए इंदौर तक चला गया। इसलिए वह पूरी तरह से मां-बहन…की का हकदार हैं।'’ अब पूरा मामला समझिए बात 26 जुलाई 2021 की है। ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE…से एक ट्वीट किया गया ‘These are Biggest Charsi of Bollywood! Manoj Bajpayee, Nawazuddin, Naseeruddin Shah, Anurag Kashyap and … (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ये हैं बॉलीवुड के सबसे बड़े चरसी! मनोज वाजपेयी, नवाजुद्दीन, नसीरुद्दीन शाह, अनुराग कश्यप और…। इस तरह KRK ने मनोज वाजपेयी को सबसे बड़ा चरसी कह दिया था।) वहीं 26 जुलाई 2021 को ही ट्विटर हैंडल KRK@kamaalrk...से एक ट्वीट किया गया। ‘I am not a Lukka and Faaltu in life, So I don't watch web series. Better you ask Sunil Pal. But why do you like to watch a Charsi, Ganjedi Manoj? You can't be selective. If you hate Charsi Ganjedi in Bollywood, So you should hate everyone.’ (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ‘मैं लाइफ में लुक्खा और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता। बेहतर होगा आप सुनील पाल से पूछें। लेकिन आप एक चरसी, गंजेड़ी मनोज को क्यों देखना पसंद करते हैं? आप चयनात्मक नहीं हो सकते। अगर आप बॉलीवुड में चरसी गंजेड़ी से नफरत करते हैं तो आपको सबसे नफरत करनी चाहिए।’) बवाल इसलिए बढ़ गया क्योंकि उसी वक्त एक्टर मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन 2 रिलीज हुई थी। केआरके के इस ट्वीट को उसी से जोड़कर देखा गया था। इसी ट्वीट से नाराज होकर एक्टर ने KRK के खिलाफ इंदौर कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया। केस में KRK के खिलाफ वारंट जारी हुआ, जिसके बाद उन्हें इंदौर आना पड़ा। केस को लेकर KRK ये सफाई दे चुके KRK कह चुके हैं कि ‘मुझे प्रताड़ित करने के लिए झूठा केस उन्होंने (मनोज वाजपेयी) किया है। मुझे तो याद भी नहीं है कि 'वो ट्वीट' कब किए? और किस हैंडल से किए गए हैं। वो जिस हैंडल की बात कर रहे हैं, ऐसा कोई हैंडल ट्विटर पर है ही नहीं। जाहिर सी बात है फेक केस है। इस तरह से वो मुझे हरेस (परेशान) करना चाह रहे हैं। वो अकेले नहीं है, बॉलीवुड में इस तरह के बहुत सारे लोग हैं जो मुझे हरेस करना चाहते हैं। उनको क्या बीमारी है, क्या तकलीफ है ये तो वो ही बता सकते हैं।’ हाई कोर्ट से भी केआरके को लगा था झटका ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE में मनोज वाजपेयी को बॉलीवुड का सबसे बड़ा चरसी कहने के मामले में मानहानि केस दर्ज होने के बाद KRK कोर्ट में पेश नहीं हुए। साथ ही जिला कोर्ट में मनोज बाजपेयी की याचिका को रद्द कराने के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। हालांकि इसका फैसला उनके पक्ष में नहीं आया। KRK ने दलील दी थी कि ये वाला (केआरकेबॉक्सऑफिस) ट्विटर हैंडल उनका है ही नहीं। वे इस ट्विटर हैंडल को 22 अक्टूबर 2020 को सलीम अहमद को बेच चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने उनकी ये दलील नहीं मानी। कोर्ट ने माना कि जब 2021 में ट्वीट हुए तब दोनों ट्विटर हैंडल का उपयोग KRK ही कर रहा था। घटना से पहले उसने ट्विटर हैंडल बेच दिया, ये मैटर ऑफ एविडेंस है। लिहाजा 13 दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया। सवाल है कि वाजपेयी ने मुंबई के बजाय इंदौर में केस दर्ज क्यों कराया? अब सवाल ये उठता है कि KRK पर इंदौर में ही केस क्यों किया गया तो इसका जवाब फरियादी और कलाकार मनोज बाजपेयी के वकील परेश जोशी बताते हैं कि ‘ट्वीट से संबंधित खबर मनोज वाजपेयी के मित्र ने इंदौर में पढ़ी। इसके बाद उन्होंने मनोज को सूचना दी कि इस तरह KRK ने ट्वीट कर मानहानि की है। इसके बाद मनोज की तरफ से KRK पर मानहानि का केस किया गया।’ लिहाजा इंदौर दोनों के बीच शुरू हुई कानूनी लड़ाई का केंद्र बन गया है। वकीलों का कहना है कि जहां से मानहानि पता चलती है, न्यायालयीन क्षेत्र वही बनता है। तब मनोज वाजपेयी की आई थी ये वेब सीरीज कलाकार मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन वर्ष 2021 में आई थी। जिसे मनोज के फैंस ने काफी पसंद किया था। KRK के ट्वीट से मनोज के प्रशंसक नाराज हुए थे और उन्होंने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। KRK ने अपने ट्वीट में भी लिखा कि ‘मैं लाइफ में लुक्का और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता।’ उनके ट्वीट के जवाब में मनोज के प्रशंसकों ने ट्वीट भी किए थे।
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सुनो बे, ...जैसी शकल वाले मनोज वाजपेयी, इसकी (कोर्ट नोटिस) बत्ती बना और…उखाड़ क्या उखाड़ना…तेरा बाप हूं मैं…। ये पोस्ट फिल्म क्रिटिक केआरके (कमाल राशिद खान) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर की है। इसे फिल्म एक्टर मनोज वाजपेयी को टैग भी किया है। पोस्ट के साथ केआरके ने इंदौर कोर्ट का वो नोटिस भी लगाया है, जो 30 मई 2024 को इंदौर जिला कोर्ट से जारी हुआ है, जिसमें 24 जुलाई 2024 को उन्हें पेश होने के लिए कहा गया था। लेकिन केआरके कोर्ट में पेश नहीं हुए। एक्टर मनोज वाजपेयी ने केआरके पर इंदौर में मानहानि का केस लगाया है। केस में तारीख पर तारीख लग रही है। 24 जुलाई के बाद 30 जुलाई फिर 5 अगस्त, 8 अगस्त, 9 अगस्त, 20 अगस्त, 27 अगस्त तारीख लगी। मंगलवार को अगली तारीख 4 सितंबर लगी है। जज के छुट्टी पर होने के कारण केस में लगातार तारीख मिल रही है। केआरके की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट ने फिर से मामले को गर्मा दिया है, क्योंकि मनोज वाजपेयी की तरफ से जो मानहानि का केस लगाया गया है वो केआरके की इसी तरह की पोस्ट को लेकर है। केस के बावजूद केआरके लगातार मनोज के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं। इस बार तो उन्होंने कोर्ट का नोटिस तक पोस्ट के साथ टैग किया और उसे लेकर भी आपत्तिजनक बातें लिखी है। केआरके ने ये पोस्ट भी की है “मनोज वाजपेयी मुंबई में रहते हैं लेकिन उन्होंने इंदौर जाकर मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जो कोर्ट में चल रहा है। यह आदमी मेरे प्रति इतना जुनूनी है कि फिर, वह मेरे खिलाफ एक और मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए इंदौर तक चला गया। इसलिए वह पूरी तरह से मां-बहन…की का हकदार हैं।'’ अब पूरा मामला समझिए बात 26 जुलाई 2021 की है। ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE…से एक ट्वीट किया गया ‘These are Biggest Charsi of Bollywood! Manoj Bajpayee, Nawazuddin, Naseeruddin Shah, Anurag Kashyap and … (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ये हैं बॉलीवुड के सबसे बड़े चरसी! मनोज वाजपेयी, नवाजुद्दीन, नसीरुद्दीन शाह, अनुराग कश्यप और…। इस तरह KRK ने मनोज वाजपेयी को सबसे बड़ा चरसी कह दिया था।) वहीं 26 जुलाई 2021 को ही ट्विटर हैंडल KRK@kamaalrk...से एक ट्वीट किया गया। ‘I am not a Lukka and Faaltu in life, So I don't watch web series. Better you ask Sunil Pal. But why do you like to watch a Charsi, Ganjedi Manoj? You can't be selective. If you hate Charsi Ganjedi in Bollywood, So you should hate everyone.’ (हिंदी में इसे ऐसे पढ़ सकते हैं- ‘मैं लाइफ में लुक्खा और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता। बेहतर होगा आप सुनील पाल से पूछें। लेकिन आप एक चरसी, गंजेड़ी मनोज को क्यों देखना पसंद करते हैं? आप चयनात्मक नहीं हो सकते। अगर आप बॉलीवुड में चरसी गंजेड़ी से नफरत करते हैं तो आपको सबसे नफरत करनी चाहिए।’) बवाल इसलिए बढ़ गया क्योंकि उसी वक्त एक्टर मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन 2 रिलीज हुई थी। केआरके के इस ट्वीट को उसी से जोड़कर देखा गया था। इसी ट्वीट से नाराज होकर एक्टर ने KRK के खिलाफ इंदौर कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया। केस में KRK के खिलाफ वारंट जारी हुआ, जिसके बाद उन्हें इंदौर आना पड़ा। केस को लेकर KRK ये सफाई दे चुके KRK कह चुके हैं कि ‘मुझे प्रताड़ित करने के लिए झूठा केस उन्होंने (मनोज वाजपेयी) किया है। मुझे तो याद भी नहीं है कि 'वो ट्वीट' कब किए? और किस हैंडल से किए गए हैं। वो जिस हैंडल की बात कर रहे हैं, ऐसा कोई हैंडल ट्विटर पर है ही नहीं। जाहिर सी बात है फेक केस है। इस तरह से वो मुझे हरेस (परेशान) करना चाह रहे हैं। वो अकेले नहीं है, बॉलीवुड में इस तरह के बहुत सारे लोग हैं जो मुझे हरेस करना चाहते हैं। उनको क्या बीमारी है, क्या तकलीफ है ये तो वो ही बता सकते हैं।’ हाई कोर्ट से भी केआरके को लगा था झटका ट्विटर हैंडल KRKBOXOFFICE में मनोज वाजपेयी को बॉलीवुड का सबसे बड़ा चरसी कहने के मामले में मानहानि केस दर्ज होने के बाद KRK कोर्ट में पेश नहीं हुए। साथ ही जिला कोर्ट में मनोज बाजपेयी की याचिका को रद्द कराने के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। हालांकि इसका फैसला उनके पक्ष में नहीं आया। KRK ने दलील दी थी कि ये वाला (केआरकेबॉक्सऑफिस) ट्विटर हैंडल उनका है ही नहीं। वे इस ट्विटर हैंडल को 22 अक्टूबर 2020 को सलीम अहमद को बेच चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने उनकी ये दलील नहीं मानी। कोर्ट ने माना कि जब 2021 में ट्वीट हुए तब दोनों ट्विटर हैंडल का उपयोग KRK ही कर रहा था। घटना से पहले उसने ट्विटर हैंडल बेच दिया, ये मैटर ऑफ एविडेंस है। लिहाजा 13 दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया। सवाल है कि वाजपेयी ने मुंबई के बजाय इंदौर में केस दर्ज क्यों कराया? अब सवाल ये उठता है कि KRK पर इंदौर में ही केस क्यों किया गया तो इसका जवाब फरियादी और कलाकार मनोज बाजपेयी के वकील परेश जोशी बताते हैं कि ‘ट्वीट से संबंधित खबर मनोज वाजपेयी के मित्र ने इंदौर में पढ़ी। इसके बाद उन्होंने मनोज को सूचना दी कि इस तरह KRK ने ट्वीट कर मानहानि की है। इसके बाद मनोज की तरफ से KRK पर मानहानि का केस किया गया।’ लिहाजा इंदौर दोनों के बीच शुरू हुई कानूनी लड़ाई का केंद्र बन गया है। वकीलों का कहना है कि जहां से मानहानि पता चलती है, न्यायालयीन क्षेत्र वही बनता है। तब मनोज वाजपेयी की आई थी ये वेब सीरीज कलाकार मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन वर्ष 2021 में आई थी। जिसे मनोज के फैंस ने काफी पसंद किया था। KRK के ट्वीट से मनोज के प्रशंसक नाराज हुए थे और उन्होंने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। KRK ने अपने ट्वीट में भी लिखा कि ‘मैं लाइफ में लुक्का और फालतू नहीं हूं, इसलिए मैं वेब सीरीज नहीं देखता।’ उनके ट्वीट के जवाब में मनोज के प्रशंसकों ने ट्वीट भी किए थे।
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दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में CM अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत मंगलवार को 3 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। केजरीवाल तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका शुगर लेवल डाउन हो रहा है। इसी वजह से लंच करने की इजाजत मांगी है। CBI ने 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी की मांग की थी, लेकिन अदालत ने एक हफ्ते ही हिरासत बढ़ाई। इससे पहले 20 अगस्त को लोअर कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 27 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी थी। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 अगस्त को केजरीवाल की CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही जमानत के लिए लोअर कोर्ट जाने को कहा था। 23 अगस्त को CBI ने कोर्ट को बताया कि उन्हें शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल और आप विधायक दुर्गेश पाठक पर केस चलाने की मंजूरी मिल गई है। CBI ने केजरीवाल के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है। इस पर भी आज सुनवाई होगी। 26 जून को CBI ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था शराब नीति केस में केजरीवाल के खिलाफ ED और CBI का केस चल रहा है। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इस मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। वहीं CBI केस में वह जेल में बंद हैं। CBI ने 26 जून को शराब नीति केस में भ्रष्टाचार के आरोपों पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल को 12 जुलाई को ED केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी सुप्रीम कोर्ट ने ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई को जमानत दे दी थी। जमानत देते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है।
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महाराष्ट्र के बदलापुर में स्कूल के अंदर 2 बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में मंगलवार (27 अगस्त) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में प्रोसीजर फॉलो न करने पर पुलिस को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- यह साफ दिख रहा है कि पुलिस ने केस को रजिस्टर करने में प्रोसीजर फॉलो नहीं किया। पुलिस ने बच्ची और उसके परिवार को शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जो असंवेदनशील और नियमों के खिलाफ है। इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच कर रही है। सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट में पक्ष रखा। कोर्ट रूम लाइव... जस्टिस मोहिते डेरे: यह साफ दिख रहा है कि पुलिस ने केस को रजिस्टर करने में प्रोसीजर फॉलो नहीं किया। पुलिस ने बच्ची और उसके परिवार को शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जो असंवेदनशील और नियमों के खिलाफ है। AG सराफ: हम केस प्रक्रिया को तेज कर रहें हैं। अब तक 3 अधिकारियों को सस्पेन्ड किया जा चुका है। जस्टिस मोहिते डेरे: जांच कहां तक पहुंची। AG सराफ: टेस्ट आईडेंटीफिकेशन परेड (TIP) प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है जस्टिस चौहान: क्या आरोपी स्कूल का शौचालय साफ करने अकेला स्वीपर था? क्या उसने पहले भी मैनेजमेंट के साथ काम किया था? क्या उसका स्कूल मैनेजमेंट में कोई परिचित था? आरोपी का बैकग्राउंड क्या है? AG सराफ: वह पहले चौकीदार के तौर पर काम करता था। उसके माता-पिता और चचेरे भाई उसी स्कूल में काम करते हैं। उसकी तीन बार शादी हुई थी। उसकी पत्नि का बयान भी दर्ज करा लिया गया है। 22 अगस्त को कोर्ट ने पुलिस को जांच में देरी पर फटकार लगाई थी कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे संज्ञान के बाद दूसरी बच्ची और उसके परिवार का बयान दर्ज किया गया। अब तक इसमें देर क्यों हुई। कोर्ट ने कहा कि अगर स्कूल ही सेफ नहीं है तो शिक्षा के अधिकार और बाकी चीजों की बात करने का क्या मतलब। हाईकोर्ट ने मामले की जानकारी छिपाने के आरोप में स्कूल प्रशासन के खिलाफ पॉक्सो के तहत केस दर्ज करने को कहा है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने सरकार से केस डायरी और FIR की कॉपी भी मांगी है। एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा- स्कूल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं किया 21 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले को स्वतः संज्ञान में लिया था। 22 अगस्त को कोर्ट ने मामले की सुनवाई की थी। इस दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा, क्या बच्चियों ने स्कूल प्रशासन से यौन शोषण की शिकायत की थी। सरकार ने कहा- हां। कोर्ट ने स्कूल प्रशासन को भी आरोपी बनाने को लेकर भी सवाल किया। सरकार ने कहा कि SIT का गठन किया गया है। अब केस दर्ज किया जाएगा। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि बच्ची के पेरेंट ने जैसे ही FIR दर्ज कराई, आपको स्कूल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि हम यह जानकर हैरान हैं कि बदलापुर पुलिस ने दूसरी बच्ची के परिवार का बयान भी दर्ज नहीं किया था। हमने संज्ञान लिया तब पुलिस ने दूसरी बच्ची के पिता के बयान दर्ज किए, वह भी आधी रात के बाद। आप आधी रात के बाद बयान कैसे दर्ज कर सकते हैं? इतनी देरी क्यों? हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चियों ने खुद यौन शोषण की जानकारी दी है। इसके बारे में बोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत है। कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस से कहा कि अगर आपने किसी भी तरह मामले को दबाने की कोशिश की, तो हम एक्शन लेने से नहीं हिचकिचाएंगे। आरोपी को दादा बोलती थीं बच्चियां पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी 1 अगस्त को ही स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। बच्ची उसे दादा (बड़े भाई के लिए मराठी शब्द) पुकारती थी। बच्ची के मुताबिक ‘दादा’ ने उसके कपड़े खोले और गलत तरीके से छुआ। स्कूल में जहां घटना हुई, वहां महिला कर्मचारी नहीं थी। MVA के महाराष्ट्र बंद पर बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक बदलापुर घटना को लेकर 21 अगस्त को महाविकास अघाड़ी (MVA) ने 24 अगस्त को बुलाया था, लेकिन इससे एक दिन पहले 23 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बंद बुलाए जाने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति या फिर राजनीतिक पार्टी को बंद बुलाना गैरकानूनी है। इसके बाद MVA ने बंद का फैसला वापस लिया और 24 अगस्त को काली पट्टी बांध कर विरोध जताया। बाल आयोग बोला- स्कूल प्रशासन ने केस दबाने की कोशिश की महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने आरोप लगाया कि स्कूल ने बच्चियों के पैरेंट्स की मदद करने के बजाय अपराध को छुपाया। स्कूल समय पर संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज करवाता तो अराजक स्थिति से बचा जा सकता था। मामले को लेकर आयोग ने CM शिंदे को रिपोर्ट पेश की है। बाल आयोग की रिपोर्ट की 2 बड़ी बातें... रिपोर्ट में बताया गया है कि एक बच्ची के माता-पिता ने यौन शोषण के बारे में प्रिंसिपल को जानकारी दी थी। 14 अगस्त को प्रिंसिपल ने स्कूल मैनेजमेंट को घटना के बारे में बताया था। फिर भी दो दिनों तक अभिभावकों से कोई बातचीत नहीं की। मैनेजमेंट को दूसरी बच्ची के साथ हुए यौन शोषण की जानकारी भी 16 अगस्त मिल गई थी। बच्चियों के अभिभावकों ने पुलिस और पॉलिटिक्स से जुड़े लोगों के साथ स्कूल से संपर्क किया था, लेकिन मैनेजमेंट ने खुद से पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर को लेकर मंगलवार (27 अगस्त) को छात्रों और राज्य कर्मचारी संगठनों का प्रदर्शन जारी है। पश्चिम बंग छात्र समाज और संग्रामी जौथा मंच नबन्ना अभिजान मार्च निकाल रहे हैं। नबन्ना, पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय है, जहां मुख्यमंत्री, मंत्री और अफसरों के दफ्तर हैं। प्रदर्शनकारियों की रैली दोपहर करीब 12.45 बजे शुरू हुई। विरोध कर रहे लोगों ने हावड़ा से लगे संतरागाछी में बैरिकेडिंग तोड़ दी। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का इस्तेमाल भी किया। पुलिस ने हिंसा का हवाला देते हुए प्रदर्शनकारियों की रैली को गैर-कानूनी करार दिया। वहीं, पुलिस की कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी जख्मी हुए हैं। प्रदर्शनकारियों को नबन्ना (सचिवालय) जाने से रोकने के लिए 7 रास्तों पर तीन लेयर में 6 हजार की फोर्स तैनात है। 19 पॉइंट्स पर बैरिकेंडिंग और 21 पॉइंट्स पर डीसीपी तैनात किए गए हैं। हावड़ा ब्रिज बंद कर दिया है। निगरानी के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। राज्य सचिवालय नबन्ना के पास BNS की धारा 163 (CrPC की धारा 144) लगा दी गई है। यहां एक साथ 5 से ज्यादा लोग नहीं जुटेंगे। इसके अलावा यहां क्रेन के जरिए भारी कंटेनर भी सड़कों पर रखे गए हैं, ताकि प्रदर्शनकारी आगे न बढ़ पाएं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8 अगस्त की रात को ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की बॉडी मिली। इसके बाद देशभर के डॉक्टर सड़क पर उतर आए थे। सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद कई अस्पतालों के डॉक्टरों ने हड़ताल कैंसिल कर दी। हालांकि, प्रदर्शन का दौर जारी है। केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 3 सितंबर तक बढ़ी दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में CM अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत मंगलवार को 3 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। केजरीवाल तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका शुगर लेवल डाउन हो रहा है। इसी वजह से लंच करने की इजाजत मांगी है। CBI ने 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी की मांग की थी, लेकिन अदालत ने एक हफ्ते ही हिरासत बढ़ाई। इससे पहले 20 अगस्त को लोअर कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 27 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी थी। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 अगस्त को केजरीवाल की CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही जमानत के लिए लोअर कोर्ट जाने को कहा था। 23 अगस्त को CBI ने कोर्ट को बताया कि उन्हें शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल और आप विधायक दुर्गेश पाठक पर केस चलाने की मंजूरी मिल गई है। CBI ने केजरीवाल के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है। इस पर भी आज सुनवाई होगी। 26 जून को CBI ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था शराब नीति केस में केजरीवाल के खिलाफ ED और CBI का केस चल रहा है। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इस मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। वहीं CBI केस में वह जेल में बंद हैं। CBI ने 26 जून को शराब नीति केस में भ्रष्टाचार के आरोपों पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल को 12 जुलाई को ED केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी सुप्रीम कोर्ट ने ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई को जमानत दे दी थी। जमानत देते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है।
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पुरानी पेंशन व्यवस्था की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है. केंद्र सरकार ने शनिवार को नई पेंशन व्यवस्था लागू कर दिया है. इसी बीच मोदी सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए एक और बड़ा फैसला ले सकती है. यूक्रेन की यात्रा से वापस आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (24 अगस्त) संयुक्त सलाहकार तंत्र (जेसीएम) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में जेसीएम के प्रतिनिधियों ने न्यूनतम वेतन में संशोधन की मांग उठाई है. इस दौरान उन्होंने कहा कि पेंशन की मांग तो लगभग पूरी हो गई. न्यूनतम वेतन को लेकर उठाई ये मांग इस बैठक में जेसीएम की राष्ट्रीय परिषद के प्रमुख ने सरकारी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन को संशोधित कर 32,500 रुपये प्रति माह करने की मांग रखी है. इसके अलावा सरकारी विभागों, खासकर रेलवे में नए पदों के सृजन पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह भी किया है. इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा था, 'केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए जेसीएम के कर्मचारी पक्ष के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने यूपीएस के बारे में कैबिनेट के फैसले पर खुशी जताई.' बता दें कि जेसीएम, सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए बातचीत के लिए एक वैधानिक निकाय है. इसमें एक तिहाई से अधिक लोग रेलवे कर्मचारी हैं. इस बैठक के बाद जेसीएम प्रमुख एम राघवैया ने कहा, 'सरकार के सामने हमने जो भी मुद्दे उठाए थे, उनमे से अधिकांश को माना लिया गया है.' जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कही ये बात इस बैठक को लेकर जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, 'PM में हमारी लगभग सभी मांगों को मान लिया है'. ये पहली बार हुआ जब प्रधानमंत्री ने जेसीएम को बुलाकर उनसे चर्चा की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि प्रधानमंत्री ने जेसीएम की लगभग सभी मांगों को मान लिया है. जेसीएम 32 लाख केंद्रीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है.
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पूजा खेडकर केस ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नई बहस छेड़ दी है. इसे लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. इस बीच एक ऐसा डेटा सामने आया है जो काफी हैरान करने वाला है. दरअसल, 2019 तक नौ साल तक चली एक आधिकारिक जांच में फर्जी जाति प्रमाण पत्र सरकारी नौकरियां हासिल करने की 1,084 शिकायतों का पता लगा है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के रिकॉर्ड से पता चलता है कि इन मामलों में से 92 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से प्राप्त रिकॉर्ड से इस बात का खुलासा हुआ है. सरकार के अधीन 93 मंत्रालयों और विभागों में से 59 के लिए आरटीआई रिकॉर्ड उपलब्ध कराए गए थे. ये आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में रेलवे ने 349 ऐसी शिकायतें दर्ज कीं, इसके बाद डाक विभाग (259), जहाजरानी मंत्रालय (202) और खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (138) ने शिकायतें दर्ज कीं. डीओपीटी के सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई मामले विभिन्न अदालतों में भी लंबित हैं. संसदीय समिति की शिकाय के बाद डेटा किया गया कलेक्ट जुलाई में पूजा खेडकर विवाद के बाद द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से दायर एक ऐप्लिकेशन पर आए जवाब से इसका खुलासा हुआ है. इस जवाब से पता चलता है कि डीओपीटी ने 2010 में तत्कालीन लोकसभा भाजपा सांसद रतिलाल कालिदास वर्मा की अध्यक्षता वाली एससी/एसटी के कल्याण पर तत्कालीन संसदीय समिति की सिफारिश के बाद ऐसी शिकायतों का डेटा एकत्र करना शुरू किया था. समिति ने तब सभी मंत्रालयों/विभागों, पीएसयू, बैंकों, स्वायत्त निकायों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सिफारिश की थी कि झूठे जाति प्रमाणपत्रों के मामलों की प्रगति और निपटान की निगरानी के उद्देश्य से नियमित रूप से जानकारी प्राप्त करते रहें, ताकि इनसे निपटने की प्लानिंग की जा सके. DOPT समय-समय पर कार्रवाई के लिए जारी करता है निर्देश रिकॉर्ड से पता चलता है कि इस तरह के डेटा की मांग करने वाला आखिरी कम्यूनिकेशन 16 मई, 2019 को जारी किया गया था. डीओपीटी ने 8 अगस्त, 2024 को अपने आरटीआई जवाब में कहा, “आज तक, इन विभागों में ऐसा कोई डेटा केंद्रीय रूप से बनाए नहीं रखा गया है. डीओपीटी ने जाति प्रमाण पत्र का समय पर सत्यापन सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को समय-समय पर निर्देश जारी किए हैं. जाति प्रमाण पत्र जारी कर
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सऊदी अरब सरकार ने 2025 से हज यात्रा पर जाने वाले भारतीय पति-पत्नी को एक ही कमरे में रुकने पर रोक लगा दी है. सऊदी अरब सरकार ने 2025 से हज यात्रा पर जाने वाले भारतीय पति-पत्नी को एक ही कमरे में रुकने पर रोक लगा दी है. इसे लेकर हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी गाइडलाइन जारी कर दी हैं. सऊदी अरब सरकार ने ऐसा फैसला इसलिए लिया है क्योंकि कुछ लोगों की शिकायत आती थी कि पति और पत्नी के एक ही कमरे में रुकते हैं, जिससे उनके बीच बेपर्दगी होती है. इस बात की जानकारी हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी अरब सरकार को दी थी. इसे लेकर हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी गाइडलाइन जारी कर दी हैं. सऊदी अरब सरकार ने ऐसा फैसला इसलिए लिया है क्योंकि कुछ लोगों की शिकायत आती थी कि पति और पत्नी के एक ही कमरे में रुकते हैं, जिससे उनके बीच बेपर्दगी होती है. इस बात की जानकारी हज कमेटी ऑफ इंडिया ने भी अरब सरकार को दी थी. हज कमेटी ऑफ इंडिया ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नियम तैयार किए हैं. पति-पत्नी के कमरे आस-पास में रखे जाएंगे. हज कमेटी ऑफ इंडिया ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नियम तैयार किए हैं. पति-पत्नी के कमरे आस-पास में रखे जाएंगे. हज कमेटी के मुताबिक, जहां पर हज यात्रियों को ठहराया जाएगा उसके हर फ्लोर पर एक रिसेप्शन का इंतजाम किया जाएगा, ताकि पति-पत्नी उस जगह बैठकर एक-दूसरे से बातचीत कर सकें. हज कमेटी के मुताबिक, जहां पर हज यात्रियों को ठहराया जाएगा उसके हर फ्लोर पर एक रिसेप्शन का इंतजाम किया जाएगा, ताकि पति-पत्नी उस जगह बैठकर एक-दूसरे से बातचीत कर सकें. इससे पहले केवल भारतीय पुरुष और महिला को ही सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान एक कमरे में रहने की अनुमति थी. दुनियाभर के दूसरे देशों से आए पति-पत्नी अलग-अलग कमरे में ही रहते थे. इससे पहले केवल भारतीय पुरुष और महिला को ही सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान एक कमरे में रहने की अनुमति थी. दुनियाभर के दूसरे देशों से आए पति-पत्नी अलग-अलग कमरे में ही रहते थे. भारत को यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि भारत से हज यात्रा पर जाने वाले अधिकतर लोग कम पढ़े-लिखे और ज्यादा उम्र के होते थे. भारत को यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि भारत से हज यात्रा पर जाने वाले अधिकतर लोग कम पढ़े-लिखे और ज्यादा उम्र के होते थे.
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मध्य प्रदेश में जन्माष्टमी के अवसर पर हर साल शैक्षणिक संस्थाओं की छुट्टी घोषित रहती है, लेकिन इस बार जन्माष्टमी के पर्व पर स्कूल खुले रहने वाले हैं. इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से आदेश भी जारी किया गया है. आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी स्कूलों और कॉलेजों में भी मनाई जाएगी. राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के अपर मिशन संचालक की ओर से यह आदेश जारी किया गया है, जिसमें मध्य प्रदेश के सभी प्राचार्य, जिला परियोजना समन्वयक को निर्देशित किया गया है कि जन्माष्टमी पर्व पर स्कूलों में विशेष आयोजन किए जाएं. पूरे मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाएगी जन्माष्टमी पत्र में यह भी लिखा गया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में 7 अगस्त 2024 को आयोजित समीक्षा बैठक में निर्णय लिया गया था कि पूरे प्रदेश में 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व का आयोजन किया जाएगा. इस संबंध में स्कूलों में भी अलग-अलग प्रकार के आयोजन होंगे. योग समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रम शासकीय, गैर शासकीय विद्यालयों और महाविद्यालय में भारतीय विशिष्ट परंपरा, योग आदि पर व्याख्यान और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएंगे. इसी आदेश के तहत जन्माष्टमी पर भी बच्चों को स्कूल आना होगा. बच्चे जानें श्रीकृष्ण का जीवन दर्शन राज्य शिक्षा केंद्र ने 26 अगस्त को विद्यालय और महाविद्यालय खुले रहने के निर्देश जारी करते हुए आयोजन को लेकर भी विषय बताए हैं. इसमें कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा और मित्रता के प्रसंग और जीवन दर्शन पर आधारित विभिन्न विषयों पर व्याख्यान तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. फोटो और वीडियो अपलोड करने के निर्देश आदेश में यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश के जिलों में आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी राज्य शिक्षा केंद्र जिले को मेल की गई गूगल शीट पर 29 अगस्त तक अपलोड करें. इसके साथ इ
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पटना के बापू सभागार में आयोजित जन सुराज महिला संवाद में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जाति जनगणना को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने विकास के मुद्दे को लेकर बिहार के नेताओं पर भी तंज कसा. उन्होंने पूछा कि जातीय गणना से क्या बिहार में गरीबी दूर गई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस शासित राज्य में जातीय गणना कराना चाहिए. मोदी सरकार के स्कीम की तारीफ की केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए शनिवार (25 अगस्त 2024) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी. प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिये यूपीएस स्कीम लाई है, जिसमें 23 लाख कर्मचारी आते हैं. केंद्र ने ओपीएस और एनपीएस की बीच रास्ता निकालने की कोशिश की है." तेजस्वी यादव पर निशाना साधा प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब विकास की बात करते हैं तो हास्यपद लगता है. उन्होंने कहा, "तेजस्वी यादव 6 महीना पहले तक तो नीतीश कुमार के साथ थे. नीतीश कुमार ने पहले ही कर्मचारी का हक मार लिया है." प्रशांत किशोर ने कहा, "जन सुराज 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 40 फीसदी महिला प्रत्याशी होंगी. बिहार में महिला की स्थिति बहुत खराब है. अब बिहार को लालू यादव, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का राज नहीं जनता का राज चाहिए." प्रशांत किशोर ने कहा, "जिन नेताओं ने बिहार को लूटा है, जिन नेताओं ने यहां के लोगों को गरीब बनाया है, बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है, उसे वोट नहीं देना है." उन्होंने वहां मौजूद महिलाओं से अपील की है कि आधा पेट खाएं, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढाएं. उन्होंने कहा कि जब तक आपके बच्चे पढ़ेंगे नहीं तब तक उन्हें कोई डॉक्टर-इंजीनियर नहीं बना सकता.
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पटना के बापू सभागार में आयोजित जन सुराज महिला संवाद में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जाति जनगणना को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने विकास के मुद्दे को लेकर बिहार के नेताओं पर भी तंज कसा. उन्होंने पूछा कि जातीय गणना से क्या बिहार में गरीबी दूर गई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस शासित राज्य में जातीय गणना कराना चाहिए. मोदी सरकार के स्कीम की तारीफ की केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए शनिवार (25 अगस्त 2024) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी. प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिये यूपीएस स्कीम लाई है, जिसमें 23 लाख कर्मचारी आते हैं. केंद्र ने ओपीएस और एनपीएस की बीच रास्ता निकालने की कोशिश की है." तेजस्वी यादव पर निशाना साधा प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब विकास की बात करते हैं तो हास्यपद लगता है. उन्होंने कहा, "तेजस्वी यादव 6 महीना पहले तक तो नीतीश कुमार के साथ थे. नीतीश कुमार ने पहले ही कर्मचारी का हक मार लिया है." प्रशांत किशोर ने कहा, "जन सुराज 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 40 फीसदी महिला प्रत्याशी होंगी. बिहार में महिला की स्थिति बहुत खराब है. अब बिहार को लालू यादव, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का राज नहीं जनता का राज चाहिए." प्रशांत किशोर ने कहा, "जिन नेताओं ने बिहार को लूटा है, जिन नेताओं ने यहां के लोगों को गरीब बनाया है, बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है, उसे वोट नहीं देना है." उन्होंने वहां मौजूद महिलाओं से अपील की है कि आधा पेट खाएं, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढाएं. उन्होंने कहा कि जब तक आपके बच्चे पढ़ेंगे नहीं तब तक उन्हें कोई डॉक्टर-इंजीनियर नहीं बना सकता.
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पटना के बापू सभागार में आयोजित जन सुराज महिला संवाद में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जाति जनगणना को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने विकास के मुद्दे को लेकर बिहार के नेताओं पर भी तंज कसा. उन्होंने पूछा कि जातीय गणना से क्या बिहार में गरीबी दूर गई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस शासित राज्य में जातीय गणना कराना चाहिए. मोदी सरकार के स्कीम की तारीफ की केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए शनिवार (25 अगस्त 2024) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी. प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिये यूपीएस स्कीम लाई है, जिसमें 23 लाख कर्मचारी आते हैं. केंद्र ने ओपीएस और एनपीएस की बीच रास्ता निकालने की कोशिश की है." तेजस्वी यादव पर निशाना साधा प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब विकास की बात करते हैं तो हास्यपद लगता है. उन्होंने कहा, "तेजस्वी यादव 6 महीना पहले तक तो नीतीश कुमार के साथ थे. नीतीश कुमार ने पहले ही कर्मचारी का हक मार लिया है." प्रशांत किशोर ने कहा, "जन सुराज 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 40 फीसदी महिला प्रत्याशी होंगी. बिहार में महिला की स्थिति बहुत खराब है. अब बिहार को लालू यादव, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का राज नहीं जनता का राज चाहिए." प्रशांत किशोर ने कहा, "जिन नेताओं ने बिहार को लूटा है, जिन नेताओं ने यहां के लोगों को गरीब बनाया है, बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है, उसे वोट नहीं देना है." उन्होंने वहां मौजूद महिलाओं से अपील की है कि आधा पेट खाएं, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढाएं. उन्होंने कहा कि जब तक आपके बच्चे पढ़ेंगे नहीं तब तक उन्हें कोई डॉक्टर-इंजीनियर नहीं बना सकता.
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PM नरेंद्र मोदी ने आज ( 25 अगस्त) को मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया. यह मन की बात का 113वां एपिसोड था. इस दौरान PM मोदी ने कहा, 'हमारे देश के युवा बड़ी संख्या में राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं. बस उन्हें सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है.' PM मोदी ने कहा, 'इस साल मैंने लाल किले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीतिक प्रणाली से जोड़ने का आह्वान किया है. मेरी इस बात पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया आई है.' राजनीती में आने को तैयार हैं युवा-PM पीएम मोदी ने कहा, इस साल मैंने लाल क़िले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीतिक प्रणाली से जोड़ने का आह्वान किया था. इस पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है. इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी संख्या में हमारे युवा, राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं. बस उन्हें सही मौक़े और सही मार्गदर्शन की तलाश है. मुझे इस विषय पर कई युवाओं के पत्र मिले हैं. सोशल मीडिया पर लोगों का रिएक्शन मिल रहा है. लोगों ने मुझे कई तरह के सुझाव भेजे हैं. इसमें कई युवाओं ने लिखा कि अपने दादा या माता-पिता की ओर से कोई राजनीतिक विरासत न होने के कारण वे चाहते हुए भी राजनीति में प्रवेश नहीं कर सके. ' सुझाव भेजने के लिए PM मोदी ने किया सभी का धन्यवाद मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "सुझाव भेजने के लिए हर किसी का धन्यवाद करता हूं . मुझे उम्मीद है कि अब हमारे सामूहिक प्रयास से ऐसे युवा, जिनकी कोई राजनतिक पृष्ठभूमि नहीं है, वे भी राजनीति में आगे आ सकेंगे, उनका अनुभव, और उनका जोश, देश के काम आएगा.' स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र से ऐसे अनेकों लोग सामने आए थे, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्टभूमि नहीं थी. उन्होनें खुद को भारत की आजादी के लिए झोंक दिया था. आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी स्पिरिट की जरूरत है. मैं अपने सभी युवा साथियों को कहूंगा इस अभियान से जरूर जुड़ें.
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गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना 2 अक्टूबर 2012 को हुई। अपनी स्थापना के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा था कि वो भ्रष्टाचार का अंत करने के लिए आएं हैं. हालांकि अब आम आदमी पार्टी पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले केस में मनीष सिसोदिया पिछले 17 महीने से जेल में थी. हाल में ही उन्हें जमानत मिली है. जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फिलहाल शराब घोटाला मामला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद हैं. हाल में ही आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट पर हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को लेकर बात की. पॉडकास्ट में उन्होंने प्रशांत किशोर को लेकर भी बात की. उन्होंने प्रशांत किशोर की तारीफ करते हुए कहा कि वो बिहार में अच्छा काम कर रहे हैं. 'मैंने दोनों को मना किया था' इस पॉडकास्ट में शुभांकर मिश्रा ने कुमार विश्वास से सवाल किया था कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया में कौन ज्यादा ईमानदार है. इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने दोनों को बता दिया कि दोनों चोट्टापना ना करो. तो उन्होंने कहा कि तू निकल ले यहां से. उसके बाद मैं वहां से निकल लिया. अब इस बात को कोर्ट जानें और जज जानें.' इसी बीच शुभांकर मिश्रा ने उनसे कहा कि अच्छा हुआ ना, वरना शायद आप भी तिहाड़ से वापस लौट रहे होते. इस पर कुमार विश्वास ने कहा, 'तिहाड़ जाना या जेल जाना कोई खराब बात नहीं हैं. लोक मंगल के लिए अगर जेल हो रही है, जनता के कष्ट निवारण के लिए जेल हो रही है, सत्य की रक्षा के लिए अगर जेल हो रही है तो ठीक है. लेकिन ये चोरी-चकारी, दारू के घोटाले के लिए अगर जेल हो रही है तो ये नीचताएं हैं.' प्रशांत किशोर को लेकर कही ये बात कुमार विश्वास जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की तारीफ की. उन्होंने कहा, 'बिहार में प्रशांत किशोर अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन लोग उन्हें भी शंका की निगाहों से देख रहे हैं क्योंकि एक व्यक्ति ने उसी तरह के मॉडल को अपनाकर उनका विश्वास तोड़ दिया है.'
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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदुओं के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर जाने-माने कवि और पूर्व आप नेता कुमार विश्वास ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार बांग्लादेश में हिंदुओं की बेटियों के साथ ही क्यों अत्याचार हुआ. भारत का पड़ोसी देश को लेकर जो रुख रहा, वह उससे बहुत खुश नहीं हैं. स्वतंत्र पत्रकार शुभांकर मिश्रा के साथ पॉडकास्ट के दौरान कुमार विश्वास ने बांग्लादेश को लेकर कहा, "शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ते हुए देखा. जो भीड़ उनकी मूर्ति तोड़ रही है, उनके पूर्वजों ने अत्याचार सहे हैं. जो लोग मूर्ति तुड़वा रहे हैं, उन्हीं लोगों के अत्याचार इस भीड़ के पूर्वजों ने सहे. अगर बांग्लादेश में यह आरक्षण के खिलाफ विरोध है तो हिंदू मंदिरों को क्यों जलाया जा रहा है. हिंदू बेटियों के साथ क्यों बदतमीजी की जा रही है?" मैं तो भारत से भी बड़ा चिंतित हूं: कुमार विश्वास बांग्लादेश को लेकर भारत के रुख के बारे में कुमार विश्वास बोले, "मैं तो भारत से भी बड़ा चिंतित हूं. भारत को जिस तरह का विरोध करना चाहिए था उस तरह का विरोध किया नहीं. यह सन 1964 का भारत नहीं रहा. यह 150 करोड़ की आबादी वाला देश है. ये राफेल जेट विमान किस लिए रखे हैं? घूमने के लिए तो राफेल रखे नहीं है?" "स्त्री का कष्ट हम नहीं समझ सकते" भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर भी कुमार विश्वास ने बातचीत के दौरान टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "मैडम गांधी ने क्या किया था…बदतमीजी कर रहे थे, इंदिरा गांधी ने कहा था कि बदतमीजी में करने नहीं दूंगी." उन्होंने आगे बताया कि स्त्री का कष्ट पुरुष नहीं समझ सकते हैं. पश्चिम बंगाल सरकार पर साधा निशाना कुमार विश्वास ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल अस्पताल में हुई ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या को लेकर बंगाल सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बंगाल की मुखर आवाजें इस मामले पर खामोश हैं. कवि ने इसके अलावा सांसद जया बच्चन को लेकर भी कहा कि नाम में पति का नाम न आ जाए कहने वाली जो विजयी आवाजें खामोश हो जाती है, वह पार्टी की स्त्रियां हैं.
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आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस का मुख्य आरोपी संजय रॉय ईयरफोन के साथ क्राइम सीन पर दिखा है. सीबीआई को यह सीसीटीवी फुटेज मिल गई है. संजय रॉय की यह फुटेज सेमिनार रूम के पास की है. आरोपी के गले में ब्लूटुथ ईयरफोन भी नज़र आ रहा है. बताया जा रहा है कि कोलकाता पुलिस ने हॉस्पिटल के इन्हीं सीसीटीवी फुटेज और ब्लूटुथ के आधार पर संजय रॉय को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी. जिसके बाद संजय रॉय ने अपना गुनाह कबूल किया था. फिलहाल संजय रॉय सीबीआई की हिरासत में है. आज सीबीआई उसका पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की तैयारी में है. आरोपी ने कोर्ट में खुद को बताया निर्दोष वहीं सीबीआई ने संजय रॉय को शुक्रवार को सियालदह कोर्ट में पेश किया. सूत्रों के अनुसार जब मैजिस्ट्रेट ने उससे पूछा कि वह पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमति क्यों दे रहा है तो वह फूट-फूटकर रोने लगा. उसने मजिस्ट्रेट से कहा, "मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मुझे फंसाया जा रहा है. शायद पॉलीग्राफ टेस्ट से यह साबित हो जाए." इससे अलग सीबीआई ने आरोपी संजय रॉय को शनिवार को 6 सितंबर तक के लिए जेल हिरासत में भेज दिया. मां भी बेटे को बता रही बेकसूर एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी संजय रॉय की मां ने कहा, "जो किया वो समझेगा. इस घटना में एक आदमी नहीं हैं, बल्कि कई आदमी है. मेरे बेटे ने कुछ भी गलत नहीं किया है, वह बेकसूर है." आरोपी की मां ने बताया कि उसके बेटे ने एक ही शादी की थी, उसकी चार शादी नहीं हुई है. जहां संजय रॉय की मां रहती हैं वहीं पास में उनकी बड़ी बहन भी रहती है. उन्होंने बताया कि संजय की दो शादी हुई थी. उन्होंने कहा कि रेप और हत्या मामले का जानकारी उन्होंने टीवी के माध्यम से मिली. आरोपी की बहन ने कहा कि अगर उसने कुछ गलत किया है तो उसे सजा मिले.
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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चार कर्मचारियों का पॉलिग्राफ टेस्ट कराएगा. इनमें तीन जूनियर डॉक्टर भी शामिल हैं. दरअसल सीबीआई पता लगाना चाहती है कि क्या ये लोग जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या में शामिल थे. इस क्रूर अपराध का आरोपी संजय रॉय का भी पॉलिग्राफ टेस्ट कराया जाएगा. महिला डॉक्टर 9 अगस्त को मृत पाई गई थी. रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, संजय रॉय सुबह 4 बजे सेमिनार हॉल में दाखिल हुआ, जहां पीड़िता अपनी 36 घंटे की शिफ्ट करने के बाद सो रही थी. इसके बाद वो 4 बजकर 40 मिनट पर बाहर निकला. कोलकाता पुलिस ने उसे सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया. सीबीआई क्यों कराएगी जूनियर डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई फर्स्ट ईयर ग्रेजुएशन के ट्रेनी डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराएगी क्योंकि उनके फिंगरप्रिंट सेमिनार रूम के अंदर पाए गए थे. महिला के सेमिनार रूम में आराम करने से पहले, दोनों पीजी डॉक्टरों ने उसके साथ खाना खाया. एक इंटर्न का भी टेस्ट किया जाएगा क्योंकि वह सेमिनार रूम में गया था और उससे बातचीत की थी. बाद में वह कमरे से बाहर चला गया और महिला वापस सो गई. एक हाउस स्टाफ सदस्य को भी यह परीक्षण करवाना होगा, क्योंकि उस कर्मचारी को फर्स्ट फ्लो के इमरजेंसी वार्ड से तीसरी मंजिल पर जाते देखा गया था. ये कर्मचारी रात 2.45 बजे तीसरी मंजिल पर गया और 3.45 बजे वापस लौटा. चारों लोगों में से किसी ने भी सेमिनार कक्ष से कोई शोर नहीं सुना. डॉ. संदीप घोष को भी होगा पॉलीग्राफ टेस्ट अधिकारियों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की भी अनुमति प्राप्त कर ली है, जिन्होंने घटना के दो दिन बाद इस्तीफा दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हत्या की एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी करने के लिए संदीप घोष और पश्चिम बंगाल पुलिस की खिंचाई की है. कोर्ट ने यह भी कहा कि घोष ने हत्या को आत्महत्या बताने की कोशिश की.
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•मामला: कर्नाटक हाई कोर्ट का है, जहां राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। •तारीख: 20 अगस्त को राधा के वकील ने खर्चों का विवरण दिया और कहा कि उन्हें हर महीने 6,16,300 रुपये की जरूरत है। •खर्चों का विवरण: oकपड़े, जूते और अन्य वस्तुओं के लिए 15,000 रुपये oखाने-पीने के लिए 60,000 रुपये oचिकित्सा उपचार के लिए 4-5 लाख रुपये •जज की प्रतिक्रिया: जज ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर राधा को इतना खर्च करना है, तो उन्हें खुद कमाना चाहिए। गुजारा भत्ता से संबंधित कानून के प्रावधान •प्रश्न 1: पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगने का पूरा मामला क्या है? oउत्तर: मामला कर्नाटक हाई कोर्ट का है। राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मांगा। oसुनवाई: 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान, राधा के वकील ने कपड़े, भोजन, दवा, उपचार और अन्य खर्चों का हवाला देते हुए 6 लाख 16 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। जज ने एक अकेली महिला के लिए इतने खर्च की आवश्यकता पर सवाल उठाया। •जज की टिप्पणी: oजज ने राधा के वकील से कहा, ‘कोर्ट को यह न बताएं कि यह सब एक व्यक्ति की जरूरत है। 6.16 लाख रुपये प्रति माह! क्या एक अकेली महिला अपने ऊपर इतना खर्च करती है? अगर वह खर्च करना चाहती है, तो खुद कमाए।’ oजज ने कहा कि धारा 24 का उद्देश्य पति को सजा देना नहीं है कि पत्नी के साथ विवाद होने पर पति को 6 लाख रुपये देने होंगे। एक उचित मांग लाएं। अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो याचिका खारिज कर दी जाएगी। •वीडियो: इस सुनवाई का वीडियो वायरल हो गया है।
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•मामला: कर्नाटक हाई कोर्ट का है, जहां राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। •तारीख: 20 अगस्त को राधा के वकील ने खर्चों का विवरण दिया और कहा कि उन्हें हर महीने 6,16,300 रुपये की जरूरत है। •खर्चों का विवरण: oकपड़े, जूते और अन्य वस्तुओं के लिए 15,000 रुपये oखाने-पीने के लिए 60,000 रुपये oचिकित्सा उपचार के लिए 4-5 लाख रुपये •जज की प्रतिक्रिया: जज ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर राधा को इतना खर्च करना है, तो उन्हें खुद कमाना चाहिए। गुजारा भत्ता से संबंधित कानून के प्रावधान •प्रश्न 1: पति से 6.16 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगने का पूरा मामला क्या है? oउत्तर: मामला कर्नाटक हाई कोर्ट का है। राधा मुनुकुंतला ने अपने पति से हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मांगा। oसुनवाई: 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान, राधा के वकील ने कपड़े, भोजन, दवा, उपचार और अन्य खर्चों का हवाला देते हुए 6 लाख 16 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा। जज ने एक अकेली महिला के लिए इतने खर्च की आवश्यकता पर सवाल उठाया। •जज की टिप्पणी: oजज ने राधा के वकील से कहा, ‘कोर्ट को यह न बताएं कि यह सब एक व्यक्ति की जरूरत है। 6.16 लाख रुपये प्रति माह! क्या एक अकेली महिला अपने ऊपर इतना खर्च करती है? अगर वह खर्च करना चाहती है, तो खुद कमाए।’ oजज ने कहा कि धारा 24 का उद्देश्य पति को सजा देना नहीं है कि पत्नी के साथ विवाद होने पर पति को 6 लाख रुपये देने होंगे। एक उचित मांग लाएं। अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो याचिका खारिज कर दी जाएगी। •वीडियो: इस सुनवाई का वीडियो वायरल हो गया है।
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उत्तर प्रदेश के कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस (19168) पटरी से उतर गई। 22 डिब्बे डिरेल हुए हैं। ट्रेन वाराणसी से अहमदाबाद जा रही थी। गनीमत रही कि हादसे में किसी की जान नहीं गई। कुछ यात्री घायल हुए हैं। हादसा देर रात 2.35 बजे कानपुर शहर से 11 किमी दूर भीमसेन और गोविंदपुरी स्टेशन के बीच हुआ। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा- ट्रेन का इंजन पटरी पर रखी किसी भारी चीज से टकराया। इंजन पर टकराने के निशान हैं। सबूत सुरक्षित रखे गए हैं। IB और UP पुलिस जांच कर रही है। नॉर्दन सेंट्रल रेलवे के GM उपेंद्र चंद्र जोशी ने कहा- यह तय है कि हादसा इंजन के किसी चीज से टकराने से हुआ है। मौके पर कोई चीज नहीं मिली है। हादसे के वक्त ट्रेन की स्पीड 70 से 80 के बीच थी। एक पहिया उतरते ही प्रेशर कम हुआ। ड्राइवर ने वक्त रहते इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए, जिस वजह से बड़ा हादसा होने से बच गया। UP के DGP प्रशांत कुमार ने कहा- दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार मौके पर पहुंचे। आसपास के लोगों से पूछताछ की। पटरी के टुकड़े को भी देखा। आशंका जताई जा रही है कि इसी टुकड़े को पटरी पर रखा गया था, जिस वजह से ट्रेन डिरेल हुई। हादसे से पटरियां उखड़ गईं। लोहे की क्लिप उखड़कर दूर जा गिरी। रेल अफसरों ने बताया- हादसे से 1 घंटे 20 मिनट पहले पटना-इंदौर एक्सप्रेस ट्रैक से गुजरी थी, तब तक ट्रैक सुरक्षित था। हादसे के बाद 16 ट्रेनों को रद्द किया गया। 10 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं। रेलवे का कहना है कि 24 घंटे में ट्रैक क्लियर कर देंगे।
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर की घटना के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का शनिवार को 8वां दिन है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी 24 घंटे के लिए अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चालू रखने की बात कही है। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टर्स से हड़ताल खत्म करने को कहा है। मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा- डॉक्टरों की मांग को लेकर कमेटी बनाई जाएगी। सुरक्षा के लिए राज्य सरकारों से भी सुझाव मांगे जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के इस फैसले के पहले IMA चीफ ने शनिवार को कहा- इमरजेंसी सेवाएं छोड़कर अस्पतालों में कामकाज बंद है। हमारी मांग है कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हमने ऐसा कुछ नहीं मांगा जो सरकार नहीं कर सकती है। दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या की गई थी। 14 अगस्त की देर रात इसी अस्पताल में हिंसा हुई, जिसके बाद IMA ने देशभर में प्रदर्शन का फैसला किया था। हड़ताल और रेप-मर्डर केस को लेकर आज के अपडेट्स IMA चीफ बोले- हम जीवन के अधिकार की मांग कर रहे हैं। यह मौलिक अधिकार है। हम प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे। मामले में उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए। PM ने 15 अगस्त की स्पीच में महिलाओं की सुरक्षा की बात कही थी। IMA के समर्थन में बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी के मेडिकल छात्र भी प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने ट्रेनी डॉक्टर को न्याय मिलने और पीड़ित परिवार को मुआवजा मिलने की मांग रखी है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों ने चिट्ठी लिखी। उन्होंने कहा कि कोलकाता वाली घटना से देश की आत्मा पर हमला हुआ है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। पश्चिम बंगाल सरकार ने अलग-अलग कॉलेज के 42 प्रोफेसर्स का तबादला किया। इनमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 2 प्रोफेसर्स डॉ. संगीता पॉल और डॉ. सुप्रिया दास भी हैं। हड़ताल का देशभर में असर 1. राजस्थान में जोधपुर में सबसे ज्यादा प्रदर्शन, 200 ऑपरेशन टाले गए राजस्थान के जोधपुर में शनिवार को रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से एमडीएम हॉस्पिटल, एम्स, महात्मा गांधी हॉस्पिटल और उम्मेद हॉस्पिटल में प्लान किए गए करीब 200 ऑपरेशन को टाल दिया गया है। हॉस्पिटल में भर्ती व इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की जिम्मेदारी सीनियर डॉक्टर्स पर आ गई है। 3. मध्य प्रदेश में सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टरों ने काम बंद किया भोपाल में एम्स सहित मध्य प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया। इससे राज्यभर में मेडिकल सेवाओं पर असर देखने को मिला। कई अस्पतालों में मरीजों को बिना इलाज के छोड़ दिया गया। OPD और OT सेवाएं ठप हैं। सिर्फ इमरजेंसी और ICU चालू रखा गया है। 2. कर्नाटक में सरकारी डॉक्टरों की छुट्टियां सस्पेंड IMA की हड़ताल को लेकर कर्नाटक सरकार ने सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारियों और सर्जनों की छुट्टियां सस्पेंड कर दीं। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित न होनी चाहिए, जिससे लोगों को परेशानी हो। 4. दिल्ली में 5 दिन में 1 लाख से ज्यादा मरीजों को नहीं मिला इलाज दिल्ली में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर की हड़ताल को 5 दिन हो गए हैं। हड़ताल के चलते दिल्ली में रोजाना करीब एक लाख से अधिक मरीजों को उपचार के बिना अस्पतालों से लौटना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, डॉक्टरों की काम रोको हड़ताल के चलते रोजाना लगभग 250 से 300 सर्जरी भी नहीं हो पा रही हैं।
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चीन की मदद से पाकिस्तान भारतीय वायुसेना से ज्यादा मजबूत होने की तैयारी कर रहा है. अभी तो भारतीय वायुसेना के सामने पाकिस्तान की एयरफोर्स टिक नहीं पाती है, लेकिन अगर जैसा पाक चाह रहा है, वैसा ही होता है तो ये भारत के लिए चिंता की खबर है. इसको लेकर पाकिस्तानी एयरफोर्स के रिटायर्ड एयर कमोडोर जिया उल हक शम्सी ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट के अधिग्रहण करेगा. इससे अगले 12-15 साल तक भारतीय वायुसेना पर महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी. शम्सी ने ये भी कहा कि इस अवधि में भारत बराबरी की क्षमता हासिल नहीं कर पाएगा, जिससे पाकिस्तान को लाभ मिलेगा. बता दें कि साल की शुरुआत में ही पाकिस्तानी एयरफोर्स के चीफ ने ऐलान किया था कि पाकिस्तान चीन में बने एफसी-31 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदेगा. इस जेट को J-31 नाम दिया गया है. यह 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे एफ-35 जैसे अपग्रेड विमानों की तरह लड़ने के लिए डिजाइन किया गया है. यह पाकिस्तानी एयरफोर्स के लिए बड़ा मददगार साबित होगा, जिससे उसे काफी लाभ मिलेगा. चीन की नेवी कर रही है इस्तेमाल पाकिस्तानी मीडिया बोल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए पाक के पायलट एफसी-31 को चलाने की चीन में ट्रेनिंग भी ले रहे हैं, जो दिखाता है कि पाकिस्तान इन फाइटर जेट्स को खरीदने के लिए गंभीर है. हालांकि रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं बताया गया कि कितने जेट खरीदे जाएंगे, क्योंकि अभी तक एफसी-31 को चीन की एयरफोर्स में भी शामिल नहीं किया गया है, पर इसका इस्तेमाल चीन की नेवी करती है. अगर पाकिस्तान चीन से एफसी-31 लेता है तो यह भारत के लिए टेंशन वाली बात होगी. जानें अभी क्या है भारत की स्थिति? अगर पाकिस्तान ऐसा कर पाता है तो यह भारत के लिए काफी बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि अभी भारत के पास चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं. हालांकि, राफेल और तेजस को अपग्रेड किया जा रहा है. भारतीय वायुसेना एफसी-31 का मुकाबला करने के लिए 5वीं पीढ़ी का विमान खरीदने की योजना नहीं बना रहा. इसकी जगह भारत खुद के अपने एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बना रहा है.
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जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है. खासतौर पर जम्मू डिविजन में, जो कभी बिल्कुल शांत इलाका हुआ करता था. ऐसे में अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फैसला किया है कि वह आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए जम्मू डिविजन के 10 में से आठ जिलों के लिए 19 स्पेशल काउंटर टेरर यूनिट्स स्थापित करेगी. यह तब हुआ जब केंद्र सरकार ने पूर्व एनएसजी प्रमुख नलिन प्रभात को जम्मू-कश्मीर के विशेष डीजीपी के रूप में नियुक्त किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस सूत्रों ने बताया है कि स्पेशल यूनिट्स बनाने का फैसला बुधवार को लिया गया था. हर एक यूनिट का नेतृत्व डिप्टी एसपी रैंक का एक अधिकारी करेगा. सूत्रों ने कहा कि यूनिट्स का गठन जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की तर्ज पर किया गया है. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को 2000 के दशक के मध्य में शांति बहाली के बाद जम्मू डिविजन में अधिकांश स्थानों पर से भंग कर दिया गया था. हालांकि, अब फिर से इसी तरह की यूनिट्स आतंक का खात्मा करेगी. किन जिलों में तैनात की जाएगी स्पेशल काउंटर टेरर यूनिट्स? स्पेशल यूनिट्स को उन जिलों में तैनात किया जाएगा, जहां आतंकवादियों की आवाजाही देखी जा रही है. कठुआ जिले के मल्हार और बानी जैसे क्षेत्रों में एक यूनिट तैनात होगी. रियासी जिले के पौनी-रांसू, माहौर, चसाना और गुलाबगढ़ इलाकों के अलावा सीमावर्ती पुंछ जिले के बफलियाज-बेहरामगल्ला, मंडी-लोरन और गुरसाई इलाकों में एक-एक यूनिट तैनात की जाएगी. कठुआ और रायसी में हाल के दिनों में कई बार आतंकी हमले भी हुए हैं. सूत्रों ने कहा कि उधमपुर जिले के लाटी और पंचेरी इलाकों; डोडा जिले के देसा-कास्तीगढ़ और असर क्षेत्रों; किश्तवाड़ जिले के दच्छन और द्रबशल्ला; राजौरी जिले के कालाकोट और रामबन जिले के रामसू, चंदरकोट-बटोटे और संगलदान-धर्मकुंड क्षेत्र में एक-एक यूनिट तैनात की जाएगी. सूत्रों ने कहा कि ये स्पेशल पुलिस यूनिट्स आतंकवाद विरोधी अभियान चलाएंगी और इन इलाकों में होने वाले अपराध को भी रोकेंगी.
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मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए बुधवार (14 अगस्त) की देर रात लिस्ट जारी कर दी गई है. चिकित्सा विभाग के अफसरों के अनुसार आज 15 अगस्त को आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं. बता दें प्रदेश के 30 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से प्रतिवर्ष करीब 5 हजार डॉक्टर तैयार होंगे. बुधवार देर रात चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा नीट यूजी काउंसलिंग के लिए सीट चार्ट जारी किया गया है. मध्य प्रदेश में 30 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें सरकारी कॉलेजों की संख्या 17, जबकि 13 प्राइवेट कॉलेज हैं. सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की 2488 सीटें और निजी कॉलेजों में 2450 सीटें सहित कुल 4938 सीटें हैं. हालांकि ऑल इंडिया, केन्द्र सरकार को कोटा और एनआरआई कोटे में 773 सीटें आरक्षित की गई हैं. जिससे प्रदेश के छात्रों को 4,165 सीटों पर ही दाखिल मिल सकेगा. यह है सीटों की स्थिति प्रदेश में कुल 17 सरकारी कॉलेज हैं, जिनमें कुल 2488 सीटें है, इनमें से 370 ऑल इंडिया कोटा, 29 जीओआई कोटा है. एमपी के छात्रों के लिए 2089 सीटें हैं, जबकि जीएस/पीडब्ल्यू/कोटा 334 और ओपन टू ऑल 1755 सीटें हैं. इसी तरह निजी कॉलेजों की संख्या 13 है, इनमें कुल सीटें 2450 हैं, एनआरआई कोटा 374, मध्य प्रदेश के लिए 2076 सीटें, जीएस/पीडब्लयू/कोटा 208 और ओपन टू ऑल सीटें 1868 हैं. 13 निजी डेंटल कॉलेज मध्य प्रदेश में 13 निजी डेंटल कॉलेज भी हैं. होने वाली काउंसलिंग में एमबीबीएस के साथ बीडीएस में भी दाखिला दिया जाएगा. प्रदेश में 13 निजी डेंटल कॉलेज, जिसमें कुल बीडीएस की 1220 सीटें हैं. इनमें अन्य कोटा हटाने के बाद सामान्य 1067 सीटें बचेंगी.
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रामलला की मूर्ति बनाने वाले कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज और उनके परिवार का वीजा एप्लिकेशन अमेरिका ने रिजेक्ट कर दिया है। अमेरिकन एम्बेसी ने इसकी वजह नहीं बताई। योगीराज को वर्जीनिया के रिचमंड में आयोजित विश्व कन्नड़ सम्मेलन में शामिल होना है। यह कार्यक्रम 30 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा। इसे कन्नड़ कूटस एसोसिएशन के द्वारा किया जा रहा है। वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होने पर अरुण के परिवार ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अरुण की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होना हैरान करने वाली बात है।मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं अरुण 37 साल के अरुण मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया, फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। फिर इस पेशे में आए। हालांकि, मूर्ति बनाने की तरफ उनका झुकाव बचपन से था। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं। अयोध्या में रामलला की प्रतिमा अरुण ने ही बनाई है अयोध्या में 22 जनवरी को अरुण की बनाई रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इससे 2 दिन पहले 20 जनवरी को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई थी।लोगों ने अरुण योगीराज की खूब तारीफ की। योगीराज ने काले रंग के एक ही पत्थर से पूरी प्रतिमा बनाई। इस पत्थर को कहीं से जोड़ा नहीं गया। अरुण की मां ने कहा था- चाहती थीं बेटा जॉब करे अरुण योगीराज की मां सरस्वती योगीराज ने कहा था कि बेटे अरुण की स्कूलिंग मैसूर के GSS बाल जगत स्कूल से हुई। 12वीं की परीक्षा मरीमाला स्कूल से पास की, बीकॉम की डिग्री JSS कॉलेज से की थी। उसके बाद उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया। मैं चाहती थी कि वो भी 8 घंटे की कॉर्पोरेट जॉब करें, सूट-बूट पहनकर ऑफिस जाएं। मेरी इच्छा का मान रखने के लिए अरुण ने बेंगलुरु की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब भी किया था, लेकिन सिर्फ दो महीने में ही उसे छोड़कर शिल्पकला में वापस आ गया। तुलसीदास की रामचरित मानस के बालकांड में भगवान राम के बाल स्वरूप का वर्णन है। उसमें राम के श्याम वर्ण, मुस्कान और शरीर के बाकी अंगों की सुंदर व्याख्या की गई है। अयोध्या के राम मंदिर में लगाए गए कृष्णशिला से बनी श्रीरामलला की मूर्ति बहुत हद तक वैसी ही है।
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के विरोध में गुरुवार रात प्रदर्शन हिंसक हो गया। भीड़ पुलिस बैरिकेड तोड़कर कॉलेज में घुस गई। ये लोग कौन थे यह साफ नहीं हो पाया है। BJP और TMC प्रदर्शनकारियों के बीच दंगाइयों को भेजने का आरोप लगा रही हैं। पहले इस भीड़ ने पुलिस के वाहनों में तोड़-फोड़ की, पुलिस पर पत्थर फेंके। इसके बाद भीड़ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भी घुसी और यहां भी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया। तोड़फोड़ करने वाले ज्यादा थे और पुलिस फोर्स कम, इसलिए वह भीड़ को कंट्रोल नहीं कर पाई। उन्हें काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस छाेड़ी। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि उपद्रवियों की संख्या एक हजार से ज्यादा थी। यह गलत मीडिया कैंपेन के चलते हुआ- पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल: जो कुछ यहां हुआ है वह गलत मीडिया कैंपेन के चलते हुआ है। यह दुर्भावनापूर्ण कैंपेन कोलकाता पुलिस के खिलाफ चलाया जा रहा था। कोलकाता पुलिस ने क्या नहीं किया? हमारे खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं। हमने कुछ गलत नहीं किया है फिर भी मीडिया के दुर्भावनापूर्ण अभियान की वजह से लोगों ने कोलकाता पुलिस पर भरोसा करना बंद कर दिया है। हमने कभी नहीं कहा कि एक ही आरोपी है। हम साइंटिफिक एविडेंस का इंतजार कर रहे हैं। इसमें समय लगता है। सिर्फ अफवाहों के आधार पर मैं किसी युवा पीजी छात्र को गिरफ्तार नहीं कर सकता, यह मेरे जमीर के खिलाफ है। मीडिया की तरफ से बहुत दबाव है। हमने वही किया जो सही था। अब जांच CBI के पास है। वह निष्पक्ष जांच करेगी। हम CBI को पूरा सहयोग देंगे। यहां बहुत झूठा प्रचार हो रहा है कि हड्डियां टूटी हुई हैं, यह किया गया है, वह किया गया है। गुंडागर्दी की सीमाएं पार हुईं- TMC नेता अभिषेक बनर्जी : तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने X पर पोस्ट किया कि आज रात आरजी कर में गुंडागर्दी और तोड़फोड़ सभी सीमा पार कर दी गईं। मैंने कोलकाता पुलिस कमिश्नर से बात की और उनसे कहा है कि वे इस हिंसा के लिए जिम्मेदार हर व्यक्ति की पहचान करें और अगले 24 घंटे में उन्हें कानून के घेरे में लाया जाए, चाहे उनका राजनीतिक संबंध कुछ भी हो। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की मांगें सही हैं। क्या वे सरकार से इतनी भी उम्मीद नहीं कर सकते हैं? उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ममता बनर्जी ने अपने गुंडे भेजे- भाजपा सुवेंदु अधिकारी : ममता बनर्जी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में चल रही गैर-राजनीतिक प्रदर्शन रैली में अपने गुंडे भेजे। ममता समझती हैं कि वे दुनिया की सबसे शातिर इंसान हैं और लोग उनका यह प्लान समझ नहीं पाएंगे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों जैसे दिखने वाले गुंडे भेजे जिन्होंने भीड़ में शामिल होकर कॉलेज में उपद्रव मचाया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रास्ता दिया, ताकि वे सबूतों को मिटा सकें और CBI को वे सबूत न मिल सकें, लेकिन ये गुंडे बेवकूफ थे और अपना प्लान अच्छे से पूरा नहीं कर सके। जब उन्होंने धरना मंच पर तोड़फोड़ की तो उन्होंने अपनी पहचान उजागर कर दी। अगर कोई प्रदर्शन का हिस्सा बनने आया है तो वह प्रदर्शन की जगह को नुकसान क्यों पहुंचाएगा? प्रदर्शन तो पूरे राज्य में हो रहे हैं, तो हिंसा सिर्फ आरजी कर कॉलेज में ही क्यों हुई? देशभर में 'रिक्लेम द नाइट' प्रदर्शन जारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई रेप और मर्डर की घटना के विरोध में देशभर में रात 11:55 बजे रिक्लेम द नाइट नाम का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। इसका मतलब है- रात पर अपना अधिकार हासिल करना। इस प्रदर्शन को आजादी की आधी रात में महिलाओं की आजादी की खातिर प्रदर्शन का नाम दिया गया है। 2012 में निर्भया कांड के बाद भी देशभर में कई जगहों पर रिक्लेम द नाइट प्रदर्शन किया गया था।
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बांग्लादेश में एक के बाद एक घटनाएं हो रही हैं, जिसपर पूरी दुनिया की नजर है. सबसे पहले शेख हसीना के हाथ से देश की सत्ता छीन ली गई और उनको देश से भागने पर मजूबर किया गया. इसके बाद मोहम्मद यूनुस को पेरिस से बुलाकर उनके हाथ में बांग्लादेश की सत्ता दे दी गई. इसके बाद भी बांग्लादेश में बवाल कम नहीं हो रहा है. अब बांग्लादेश में 15 अगस्त को लेक नया बवाल शुरू हो गया है. अब जब भारत 15 अगस्त को आजादी का जश्न मना रहा होगा, तभी बांग्लादेश में छुट्टी को लेकर बवाल मचा रहेगा. क्योंकि बांग्लादेश की नई सरकार ने 15 अगस्त को होने वाली छुट्टी को रद्द कर दिया है. शेख हसीना के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है. बांग्लादेश में 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी. स्वतंत्र बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और देश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान को राजधानी ढाका के धानमंडी में उनके घर पर परिवार समेत 15 अगस्त 1975 को मार डाला गया था. इस हत्याकांड को सेना की एक टुकड़ी ने अंजाम दिया था. हसीना ने की शोक दिवस मनाने की अपील बांग्लादेश की नई सरकार की तरफ से 15 अगस्त की छुट्टी रद्द करने पर अब नया बवाल शुरू हो गया है. इस मसले पर बांग्लादेश की नई सरकार और शेख हसीना आमने-सामने आ गई हैं. शेख हसीना ने इस फैसले का विरोध करते हुए आम बांग्लादेशियों से शोक दिवस मनाने को कहा है. शेख हसीना ने कहा कि 'मैं आपसे अपील करती हूं कि 15 अगस्त को पूरी श्रद्धा और गरिमा के साथ शोक दिवस मनाएं. बंगबंधु भवन जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करें, जिससे सभी आत्माओं को शांति मिले.' शेख हसीना की तरफ से यह पोस्ट उनके बेटे सजीब वाजेद ने अपने एक्स हैंडल पर किया है. मुजीबुर रहमान पर हो रहे हमले मुख्य सलाहकार कार्यालय ने बताया कि 15 अगस्त की छुट्टी को रद्द करने का फैसला सलाहकार परिषद की बैठक में हुआ है. फिलहाल, इस फैसले को लेना नई सरकार के लिए इतना आसान नहीं था. इस दौरान खूब कहासुनी भी हुई. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कई दल छुट्टी रद्द करने के विरोध में थे, जबकि कुछ लोग चाहते थे कि छुट्टी को रद्द कर दिया जाए. ऐसे में माना ये जा रहा है कि अब बांग्लादेश में 15 अगस्त को बवाल होना तय है. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यदि 15 अगस्त को बड़ा विरोध होता है, तो इसका मतलब है कि अब भी बांग्लादेश में शेख हसीना की जमीन बची हुई है. हालांकि देखेने में ये आया है कि जब से शेख हसीना की पकड़ कमजोर हुई है, उनके पिता से जुड़ी चीजों पर जमकर हमले हुए हैं.
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आरजी मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना पर पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने कोलकाता पुलिस के शुरुआती दावों का खंडन किया है. जिसमें पुलिस का कहना था कि अपराध में केवल एक शख्स ही शामिल था. डॉ. सुवर्ण गोस्वामी ने कहा कि मृतक के शरीर पर चोटों के निशानों से पता चलता है कि अपराध में एक से ज्यादा लोग शामिल थे. साथ ही पोस्टमार्टम में पीड़िता के शरीर में 150 मिलीग्राम सीमन मिला था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. सुवर्ण गोस्वामी का कहना है कि पीड़िता के शरीर में पाया गया सीमन एक शख्स का नहीं हो सकता. क्योंकि, इस बात की संभावना है कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप में एक से ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं. हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सामने आते ही कोलकाता पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने शुरु हो गए हैं. कोलकाता पुलिस ने आरोपी संजय रॉय को किया था अरेस्ट दरअसल, कोलकाता पुलिस ने रेप के बाद हत्या का मामला सामने आते ही 24 घंटे से भी कम समय में आरोपी संजय रॉय (35) को गिरफ्तार कर लिया था. जिसमें पुलिस का कहना था कि इस घटना में केवल एक ही शख्स शामिल है. जहां शुक्रवार, 9 अगस्त की सुबह लगभग 7.30 बजे, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर का शव अर्धनग्न अवस्था में मिला था. पीड़िता ने आखिरी बात सहकर्मियों से की थी बातचीत इस बीच मृतक महिला के सहकर्मी का कहना है कि "वह वार्ड में भर्ती मरीजों की जांच करने के लिए राउंड लगाती थी और रात में देर तक मरीजों की देखभाल में व्यस्त रहती थी. सिवाय रात 11 बजे के आसपास डिनर करने के लिए कुछ मिनट बिताने के. सहकर्मी ने आगे बताया कि "वह थोड़ा आराम करना चाहती थी और पढ़ाई भी करना चाहती थी और इसलिए अपने जूनियर को किसी भी आपात स्थिति में उसे बुलाने के लिए कहने के बाद सेमिनार रूम में चली गई और वह आखिरी बार था जब उसने सहकर्मियों से बातचीत की थी. आरोपी संजय रॉय को CBI को सौंपा गया कोलकाता पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार संजय रॉय को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में मेडिकल टेस्ट कराने के बाद सीजीओ कॉम्प्लेक्स में सीबीआई को सौंप दिया है. दरअसल, मंगलवार शाम को 2 सीबीआई अधिकारी टाला पुलिस स्टेशन गए और कोलकाता पुलिस की जांच से जुड़े दस्तावेज अपने साथ ले गए. क्योंकि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता पुलिस को निर्देश दिया था कि वह शाम तक केस डायरी केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को सौंप दे और सभी दस्तावेज 14 अगस्त की सुबह 10 बजे तक सौंप दें.
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देश में जाति के मुद्दे पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. हर गुजरते दिन के साथ नेताओं की बयानबाजी तेज होती जा रही है. अब इस कड़ी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र पांचजन्य के संपादकीय में जाति के मुद्दे को उठाया गया है. पांचजन्य के संपादकीय में जाति व्यवस्था को भारत को जोड़ने वाला अहम कारक बताया है.साप्ताहिक के संपादक हितेश शंकर ने लिखा, 'जाति व्यवस्था को मुगल नहीं समझ पाए और अंग्रेज इसे भारत पर आक्रमण में बाधा के रूप में देखते थे. जाति व्यवस्था एक जंजीर थी जो भारत के विभिन्न समुदायों को उनके पेशे और परंपरा के मुताबिक वर्गीकृत करके एक साथ रखने का काम करती थी. दावा किया गया कि जाति व्यवस्था को पूंजीपतियों ने देश के रक्षक के रूप में देखा था.' मुगलों और मिशनरियों पर निशाना संपादकीय में तर्क दिया गया, 'जाति व्यवस्था हमेशा से आक्रमणकारियों के निशाने पर रही है. मुगलों ने तलवार के बल पर तो मिशनरियों ने सेवा और सुधार की आड़ में जाति व्यवस्था को निशाना बनाया. भारत ने बहुत पहले ही ये बात समझ ली थी कि जाति से दगा करना देश से दगा करने जैसा होगा. भारत और उसके स्वाभिमान को तोड़ने के लिए जाति व्यवस्था या इसे एकजुट करने वाले कारकों को बाधा बताकर तोड़ने की कोशिशें हुई.' कांग्रेस पर भी साधा निशाना इस संपादकीय में लिखा गया है कि अंग्रेजों ने जाति व्यवस्था को फूट डालो और राज करो की नीति के लिए अपनाया था. अहम ये है कि इस लेख में कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए लिखा गया कि कांग्रेस ने इस व्यवस्था को हिंदू एकता के कांटे के रूप में देखा. कहा गया 'कांग्रेस इसलिए जाति जनगणना कराना चाहती है, क्योंकि उसका लक्ष्य देश में बंटवारे को बढ़ाना है.'
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बैंक अकाउंट आपके पैसों का मैनेजमेंट करने के लिए होता है. इसमें आप पैसा जमा और निकासी करते रहते हैं. हालांकि, आपका बैंक अकाउंट कई तरह के नियमों से बंधा होता है. यदि इसमें चूक की जाए तो आपको 60 फीसदी तक टैक्स चुकाना पड़ सकता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार, अगर आप अपने अकाउंट में कैश जमा करते हैं और आय का स्त्रोत बताने में असफल रहे तो आपसे यह भारी भरकम टैक्स वसूला जाएगा इसमें 25 फीसदी सरचार्ज और 4 फीसदी सेस भी शामिल है. आइए आपको कैश डिपॉजिट के नियमों से परिचित करवा देते हैं. इनकम का सोर्स न बता पाने पर देना होगा 60 फीसदी टैक्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) को इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) की धारा 68 के अनुसार, यह ताकत मिली हुई है कि वह इनकम का सोर्स न बता पाने के खिलाफ नोटिस जारी कर 60 फीसदी टैक्स की वसूली शुरू कर सकता है. सरकार की लगातार कोशिश यह रही है कि लोग कम से कम संख्या में कैश का इस्तेमाल करें. सेविंग अकाउंट में कैश डिपॉजिट लिमिट लगाकर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और अवैध वित्तीय गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है. 10 लाख रुपये से ज्यादा कैश डिपॉजिट करने पर देनी होगी सूचना इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, अगर आप सेविंग अकाउंट में एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा कैश डिपॉजिट करते हैं तो आपको टैक्स अधिकारियों को सूचना देनी पड़ेगी. करेंट अकाउंट में यह लिमिट 50 लाख रुपये है. हालांकि, यह जानना आवश्यक है कि लिमिट से ज्यादा कैश जमा करने पर तत्काल कोई टैक्स नहीं लगता है. साथ ही अगर आप सही जानकारी देने में सफल रहते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. एक करोड़ रुपये से ज्यादा विड्रॉल पर 2 फीसदी टीडीएस कटेगा इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 194N कहता है कि एक करोड़ रुपये से ज्यादा पैसा बैंक अकाउंट से निकालने पर 2 फीसदी टीडीएस काटा जाएगा. हालांकि, अगर आपने पिछले 3 साल से आईटीआर नहीं भरा है तो 20 लाख से ज्यादा रकम निकालने पर ही आपको 2 फीसदी टीडीएस और 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी पर 5 फीसदी टीसीएस देना होगा.
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरजी मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्याकांड की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने सभी दस्तावेज तत्काल सीबीआई को सौंपने को कहा है. इस दौरान हाई कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बनाने पर पश्चिम बंगाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया है कलकत्ता हाई कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से कहा कि वह अपने आप छुट्टी पर चले जाएं, वरना कोर्ट आदेश पारित करेगी. इस दौरान हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल पूछा है कि जब एक छात्र की मौत हुई थी, तो फिर उस मामले में प्रिंसिपल की तरफ से कोई शिकायत क्यों नहीं दी गई? यह संदेह को पैदा करता है. CBI को केस सौंपने की देरी होगी घातक इस बीच न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में एडवोकेट बिलवदल भट्टाचार्य ने कहा कि, "...मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया था कि उन्हें मामले को सीबीआई को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह समयबद्ध किया गया था कि इस विशेष समयावधि की समाप्ति के बाद, हम इसे सीबीआई को सौंप देंगे. लेकिन हमारा कहना है कि यह देरी बहुत घातक होगी. क्योंकि सबूत नष्ट हो जाएंगे. इसलिए हाई कोर्ट ने पक्षों की दलीलें सुनी हैं. आज पीड़ित लड़की के माता-पिता भी एक याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट के सामने मौजूद थे. पुलिस ने बरती लापरवाही- बिलवदल भट्टाचार्य एडवोकेट बिलवदल भट्टाचार्य ने आगे कहा कि मैंने अपने मुवक्किलों की ओर से तर्क दिया कि इस जघन्य हत्या के बावजूद, शव के इतनी रक्तरंजित अवस्था में और अर्धनग्न होने के बावजूद, पुलिस ने सुसाइड का मामला दर्ज करने में लापरवाही बरती है. जिसके कारण पुलिस को केस दर्ज करने और उसके बाद किसी को गिरफ्तार करने में काफी समय लगा. इसलिए यह दिखाने के लिए पर्याप्त था कि पुलिस का रवैया कितना लापरवाही भरा था. मृतका के माता-पिता की सुरक्षा के लिए उठाए जाएंगे जरूरी कदम उन्होंने कहा कि हम हाई कोर्ट के आभारी हैं कि मामला अब सीबीआई को सौंप दिया गया है. हम यह भी चाहते थे कि कोर्ट जांच की निगरानी करे. हालांकि, अब हाई कोर्ट ने सीबीआई को समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. यदि मृतक लड़की के माता-पिता को खतरा महसूस होता है, तो सीबीआई को हमेशा गवाह संरक्षण योजना के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए. देश भर में हड़ताल का ऐलान एफएआईएमए (फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन) ने (13 अगस्त मंगलवार) से देश भर में हड़ताल का एलान किया था. इसमें देश भर में ओपीडी सेवाओं को बंद करने को कहा गया. हालांकि, इससे पहले एफओआरडीए (फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने भी ऐलान किया था कि देश भर में हड़ताल की जाएगी.
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रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. यूक्रेन ने रूस की सेना को झटका दिया है. खबर है कि यूक्रेन की सेना रूस की सीमा में घुसकर कार्रवाई कर रही है. यूक्रेनी सेना रूस के क्षेत्र में 30 किलोमीटर तक अंदर घुस गई है. इमारतों पर यूक्रेनी सैनिक अपने देश का झंडा भी लगा रहे हैं. इसे रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का इसको लेकर ऑफिशियल बयान भी आया है. उन्होंने यूक्रेन की सेना के रूस में घुसने की पुष्टि की है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान वहीं, रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से भी बयान जारी किया गया है. रूस ने कहा कि उसकी सेना ने टोलपिनो और ओब्श्ची कोलोदेज गांवों के पास यूक्रेनी सैनिकों से मुठभेड़ की है. वहीं, यूक्रेन के अधिकारी कई दिनों तक इस खबर के बारे में चुप्पी साधे रहे. रूस के अंदर यूक्रेनी सैनिकों की तस्वीरें, विडियो और रिपोर्ट सामने आने के बाद ही बयान जारी किया गया.पुतिन के लिए इस घटना को शर्मिंदगी वाला बताया जा रहा है, क्योंकि रूस की सेना रविवार को छठे दिन भी यूक्रेन के सैनिकों को रोक नहीं पाई. कुर्स्क ऑपरेशन के जरिए ऐसा पहली बार हुआ है, जब यूक्रेन की सेना रूस में घुसी है. इसे रूस की सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. फेंक दिया रूस का झंडा वहीं, सोशल मीडिया पर भी कुछ ऐसे वीडियो सामने आए, जिनमें दिखाया गया था कि यूक्रेनी सेना बल रूसी क्षेत्र के गांव में हंसते जा रही है. एक विडियो में तो यूक्रेनी सैनिक अपने देश का झंडा लेकर इमारत तक जाता है और उसे दीवार पर खड़े साथी सैनिक को सौंपता है. सैनिक इमारत पर यूक्रेन का झंडा फहरा देते हैं. विडिया में रूस का झंडा जमीन पर फेंकते हुए भी यूक्रेनी सैनिक दिख रहे हैं.
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भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर कोई जज रिटायर होता है, तो उसके बाद उसे थोड़ा समय खुद को भी देना चाहिये. अगर वो राजनीति में जाना चाहते हैं तो भी पर्याप्त समयांतराल होना चाहिये. मुख्य न्यायाधीश के इस इंटरव्यू ने कूलिंग ऑफ पीरियड को फिर से चर्चा में ला दिया है. ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये कूलिंग ऑफ पीरियड क्या है, चर्चा में क्यों है और क्या अब जज रिटायरमेंट के बाद नहीं बन सकेंगे सांसद? क्या है कूलिंग ऑफ पीरियड यह किसी सरकारी कर्मचारी का रिटायरमेंट के बाद का समयांतराल है, जिस दौरान वह कोई अन्य पद स्वीकार नहीं कर सकता है. उदाहरण के लिए चुनाव आयोग और सरकारी अधिकारी का पद ही ले लीजिये. जब कोई सरकारी अधिकारी चुनावों में किसी पद पर होता है, तो उसे चुनाव से संबंधित कोई भी निर्णय लेने के बाद एक निश्चित अवधि तक कोई अन्य पद नहीं ग्रहण करना होता है. इसे ही कूलिंग ऑफ पीरियड कहा जाता है निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में कूलिंग ऑफ पीरियड: जब कोई व्यक्ति निजी क्षेत्र से सार्वजनिक क्षेत्र में आता है, तो उसे भी कूलिंग ऑफ पीरियड का पालन करना पड़ सकता है, ताकि वह अपने पिछले कार्यस्थल से जुड़ी कोई भी जानकारी या प्रभाव का अनुचित लाभ न उठा सके. कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरत क्यों न्यायाधीशों के संदर्भ में, कूलिंग ऑफ पीरियड का मतलब उस समयावधि से होता है जिसके दौरान एक न्यायाधीश यानी जज अपने पद से रिटायर होने के बाद किसी भी अन्य पद, खासकर सरकारी या राजनीतिक पद, को ग्रहण नहीं कर सकता. इसका उद्देश्य न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखना है, ताकि न्यायाधीश के फैसले में किसी भी तरह का संभावित हितों का टकराव न हो. भारत में, न्यायाधीशों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरत इसलिए होती है ताकि वह रिटायरमेंट के बाद कुछ वक्त तक किसी भी राजनीतिक या सरकारी पद को न स्वीकारें. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि न्यायाधीश अपने कार्यकाल के दौरान कोई ऐसा निर्णय न लें जो उनके भविष्य के लाभ के लिए हो. हालांकि, यह कूलिंग ऑफ पीरियड हर न्यायिक प्रणाली में अलग अलग हो सकता है और भारत में इस संबंध में अभी भी व्यापक चर्चा और बहस चल रही है. कौन से लोग हैं जो रिटायरमेंट के बाद राजनीति में नहीं आ सकते भारत के नियंत्रक लेखा महापरीक्षक गृह सचिव कैबिनेट सचिव जजों के राजनीति में शामिल होने पर और क्या बोले CJI चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "जजों को राजनीति में जाना चाहिए या नहीं, यह मामला अलग है. यह बहस का मुद्दा है. लेकिन अगर राजनीति में जा रहे हैं तो कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए. मुझे लगता है कि अगर आप एक बार जज नियुक्त हो जाते हैं तो आजीवन जज ही रहते हैं. चाहे आप अदालत में कार्यरत हैं या नहीं या फिर आप रिटायर हो जाएं. लेकिन आम नागरिक आपको देखता है तो सोचता है कि आप तो जज हैं." न्याय न केवल हो बल्कि होते हुए दिखे भी: CJI डीवाई चंद्रचूड़ सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "जज की बोलचाल, व्यवहार ये सब रिटायर होने के बाद भी वैसा ही दिखना चाहिए. मैं किसी और के फैसले की समीक्षा नहीं करना चाहता हूं. हम कहते हैं कि न्याय न केवल होना चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. मान लीजिए कि आज जज साहब अदालत में थे और कल रिटायर होकर उन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन कर लिया तो आम आदमी क्या सोचेगा?" रिटायरमेंट के बाद कितने जजों ने राजनीति को चुना भारत में कुछ ऐसे न्यायाधीश हुए हैं जो सेवानिवृत्ति यानी रिटायरमेंट के बाद राजनीति में शामिल हुए हैं. यह अक्सर चर्चा का विषय बनता है क्योंकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि न्यायाधीश राजनीति से दूर रहें. यहां कुछ प्रमुख न्यायाधीशों का उल्लेख किया गया है जो सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए. न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा: रंगनाथ भारत के 21वें मुख्य न्यायाधीश (1990-1991) वो रिटायरमेंट के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया. न्यायमूर्ति बहारुल इस्लाम: बहारुल इस्लाम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (1980-1983) थे. वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके थे. न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा. न्यायमूर्ति मीर कासिम: कासिम कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद, नेशनल कांफ्रेंस पार्टी में शामिल होकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है. न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू: मार्कंडेय काटजू सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (2006-2011) रह चुके हैं. उन्होंने प्रत्यक्ष राजनीति में प्रवेश नहीं किया, लेकिन कई बार अपने विचारों के माध्यम से राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर टिप्पणियां की हैं. हालांकि, वे सक्रिय राजनीति में नहीं आए, लेकिन उन्होंने राजनीतिक मामलों पर चर्चा करते हुए एक प्रमुख सार्वजनिक व्यक्तित्व के रूप में अपनी पहचान बनाई है.
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 अगस्त) को यूजीसी-नेट एग्जाम के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया. याचिकाकर्ताओं ने 18 जून को आयोजित हुई यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती दी थी. इस संबंध में दायर की गई याचिका पर शीर्ष अदालत ने इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया. यूजीसी-नेट परीक्षा का आयोजन दोबारा से 21 अगस्त को हो रहा है.चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 9 लाख लोग परीक्षा देने वाले हैं. उन्हें अनिश्चितता में नहीं डाला जा सकता. कुछ छात्रों का कहना था कि जून में हुई परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. उसकी सीबीआई जांच जारी है. ऐसे में जब तक सीबीआई जांच चल रही है, तब तक छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित नहीं करवाई जाए. यूजीसी नेट परीक्षा 18 जून को आयोजित हुई थी, लेकिन अगले ही दिन इसे रद्द कर दिया गया, क्योंकि सरकार को इस परीक्षा में गड़बड़ी होने की जानकारी मिली थी
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त, 2024) को मुंबई के एक कॉलेज के उस परिपत्र पर आंशिक रूप से रोक लगा दी है, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर पाबंदी लगाई गई है. कोर्ट ने कहा कि अगर कॉलेज का इरादा छात्राओं की धार्मिक आस्था के प्रदर्शन पर रोक लगाना था, तो तिलक और बिंदी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया. कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी कहा कि छात्राओं को यह चुनने की आजादी होनी चाहिए कि वह क्या पहनें. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शैक्षिक संस्थान छात्राओं पर अपनी पसंद को नहीं थोप सकते. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने एन जी आचार्य और डी के मराठे कॉलेज चलाने वाली चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी को नोटिस जारी किया और 18 नवंबर तक उनसे जवाब तलब किया है. बेंच ने मुस्लिम छात्रों के लिए ड्रेस कोड को लेकर उत्पन्न नए विवाद को लकेर चर्चा में आए कॉलेज प्रशासन से कहा, 'छात्राओं को यह चुनने की आजादी होनी चाहिए कि वे क्या पहनें और कॉलेज उन पर दबाव नहीं डाल सकता... यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अचानक पता चलता है कि देश में कई धर्म हैं.' कोर्ट ने एजुकेशनल सोसायटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील माधवी दीवान से पूछा कि क्या छात्रों के नाम से उनकी धार्मिक पहचान उजागर नहीं होती? हालांकि, पीठ ने कहा कि छात्राओं को कक्षा के अंदर बुर्का पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती और न ही परिसर में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति दी जा सकती है. बेंच ने कहा कि उसके अंतरिम आदेश का किसी के द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी दुरुपयोग के मामले में एजुकेशनल सोसायटी और कॉलेज को अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी. सुप्रीम कोर्ट परिसर के अंदर हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के कॉलेज के फैसले को बरकरार रखने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जैनब अब्दुल कयूम समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेस और वकील अबिहा जैदी ने कहा कि प्रतिबंध के कारण छात्राएं कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रही हैं.
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बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के चीफ रामदास अठावले ने एक बार फिर कोटे में कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असहमति जताई है. हालांकि उन्होंने पीएम मोदी पर भरोसा जताया है.रामदास अठावले ने कहा कि PM ने पूरा भरोसा दिया है कि SC, ST आरक्षण में क्रीमी लेयर नहीं होगा. उन्होंने पीएम का आभार जताते हुए कहा कि SC, ST आरक्षण में क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए. हालांकि मैं निजी तौर पर कोटे में कोटा का समर्थन करता हूं. बीजेपी एससी-एसटी वर्ग के सांसदों ने पीएम को सौंपा ज्ञापन बता दें कि रामदास अठावले की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) एससी और एसटी वर्ग के सांसदों ने शुक्रवार (9 अगस्त 2024) को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. पीएम ने सांसदों को दिया ये भरोसा इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससी-एसटी वर्ग के इन सभी सांसदो को इस बात से आश्वस्त किया कि एससी और एसटी के आरक्षण में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. ये सभी सांसद भी पीएम के आश्वासन से संतुष्ट दिखे. बीजेपी के कई और सहयोगी दल कर चुके हैं विरोध सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध सिर्फ रामदास अठावले ही नहीं, बल्कि एनडीए में शामिल कई और दल कर चुके हैं. पीएम मोदी के काफी विश्वसनीय माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास गुट) के प्रमुख चिराग पासवान भी इस फैसले का विरोध कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि वह इसे किसी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे. SC की 7 जजों की बेंच ने SC/ST पर क्या कहा? सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को 6:1 बहुमत से फैसला सुनाया था. इसमें उन्होंने कहा था कि राज्य इन समूहों में सबसे वंचित जातियों के लिए कोटा सुनिश्चित करने के लिए एससी और एसटी को और उप-वर्गीकृत कर सकते हैं. इस फैसले का समर्थन करने वाले 6 में से 4 जजों ने अलग-अलग फैसले लिखे, जिसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया गया.
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मुंबई के चेंबूर के एक कॉलेज में नकाब, हिजाब, स्टोल या कैप पर रोक के सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (09 अगस्त) को रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह में होगी. मुंबई के चेंबूर के एनजी आचार्य एंड डीके मराठे कॉलेज ने यह रोक लगाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म कोड के आधार पर सही ठहराया था.सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए यह साफ किया कि कॉलेज में बुर्का पहनने की इजाजत नहीं दी जा सकती. जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कॉलेज की वकील से यह सवाल भी किया कि अगर वह धार्मिक पहचान के कॉलेज में प्रदर्शन के विरुद्ध है, तो क्या उसने तिलक या बिंदी लगाने पर भी रोक लगाई है? कॉलेज का कहना था कि उसके यहां 441 मुस्लिम लड़कियां पढ़ती हैं. उनमें से सिर्फ 3 कॉलेज में नकाब पहनने की जिद कर रही हैं. कब और कैसे शुरू हुआ विवाद? दरअसल, ये विवाद 1 मई को शुरू हुआ, जब चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे. नोटिस में एक ड्रेस कोड की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी, बैज और स्टोल पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह "कानून के अनुसार गलत, निरर्थक और अमान्य" है. कॉलेज प्रशासन ने नहीं सुनी तो छात्र पहुंचे हाई कोर्ट इसके बाद छात्रों ने शुरू में कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल से संपर्क किया और क्लास में अपनी पसंद, सम्मान और गोपनीयता के अधिकार का हवाला देते हुए हिजाब, नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. जब उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया तो उन्होंने मामले को मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उप-कुलपति के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सामने उठाया और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्रदान करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर छात्रों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील अल्ताफ खान ने कुरान की आयतें पेश करके तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक जरूरी हिस्सा है. याचिका में कहा गया कि कॉलेज की कार्रवाई "मनमाना, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत" है. कॉलेज प्रशासन ने क्या कहा? कॉलेज प्रबंधन ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह एक समान ड्रेस कोड लागू करने और अनुशासन बनाए रखने का एक उपाय है. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करने के किसी भी इरादे से इनकार किया. कॉलेज का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड सभी धर्मों और जातियों के छात्रों पर लागू होता है. इसके बाद कोर्ट ने ये स्टे जारी रखा. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
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मुंबई के चेंबूर के एक कॉलेज में नकाब, हिजाब, स्टोल या कैप पर रोक के सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (09 अगस्त) को रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह में होगी. मुंबई के चेंबूर के एनजी आचार्य एंड डीके मराठे कॉलेज ने यह रोक लगाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म कोड के आधार पर सही ठहराया था.सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए यह साफ किया कि कॉलेज में बुर्का पहनने की इजाजत नहीं दी जा सकती. जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कॉलेज की वकील से यह सवाल भी किया कि अगर वह धार्मिक पहचान के कॉलेज में प्रदर्शन के विरुद्ध है, तो क्या उसने तिलक या बिंदी लगाने पर भी रोक लगाई है? कॉलेज का कहना था कि उसके यहां 441 मुस्लिम लड़कियां पढ़ती हैं. उनमें से सिर्फ 3 कॉलेज में नकाब पहनने की जिद कर रही हैं. कब और कैसे शुरू हुआ विवाद? दरअसल, ये विवाद 1 मई को शुरू हुआ, जब चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे. नोटिस में एक ड्रेस कोड की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी, बैज और स्टोल पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह "कानून के अनुसार गलत, निरर्थक और अमान्य" है. कॉलेज प्रशासन ने नहीं सुनी तो छात्र पहुंचे हाई कोर्ट इसके बाद छात्रों ने शुरू में कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल से संपर्क किया और क्लास में अपनी पसंद, सम्मान और गोपनीयता के अधिकार का हवाला देते हुए हिजाब, नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. जब उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया तो उन्होंने मामले को मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उप-कुलपति के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सामने उठाया और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्रदान करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर छात्रों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील अल्ताफ खान ने कुरान की आयतें पेश करके तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक जरूरी हिस्सा है. याचिका में कहा गया कि कॉलेज की कार्रवाई "मनमाना, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत" है. कॉलेज प्रशासन ने क्या कहा? कॉलेज प्रबंधन ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह एक समान ड्रेस कोड लागू करने और अनुशासन बनाए रखने का एक उपाय है. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करने के किसी भी इरादे से इनकार किया. कॉलेज का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड सभी धर्मों और जातियों के छात्रों पर लागू होता है. इसके बाद कोर्ट ने ये स्टे जारी रखा. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
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78वें स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के चलते राजधानी दिल्ली में पुलिस समेत अन्य सुरक्षाबल अलर्ट पर हैं। गुरुवार (8 अगस्त) को दिल्ली पुलिस के जवानों ने खान मार्केट के पास अलकायदा और खालिस्तान से जुड़े आतंकियों के पोस्टर लगाए हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त को दिल्ली स्थित लाल किले से प्रधानमंत्री देश के नाम संबोधन देंगे। यह स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित होने वाला देश का सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जाता है। ऐसे में सुरक्षाबल राजधानी के चप्पे-चप्पे पर कड़ी निगरानी रख रही है। सुरक्षा में जुटी पुलिस ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस के चलते सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। ऐसे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए आतंकियों को पोस्टर लगाए जा रहे हैं। सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने अंतराज्यीय पुलिस ने बैठक की दिल्ली पुलिस के कमिश्नर संजय अरोड़ा ने बुधवार (7 अगस्त) को बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक संकट के चलते पुलिस अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। पुलिस अधिकारियों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रह रहे और अपराध में शामिल बांग्लादेश के नागरिकों की पहचान करने को भी कहा है। ताकि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने अधिकारियों से कहा कि वे अपने एरिया में मोटर वर्कशॉप और गैराज से पता लगाएं कि क्या पिछले 10 दिनों में किसी वाहन में बदलाव किया गया है। पुलिस अधिकारियों को कूरियर कंपनियों के जरिए पिछले दो महीनों में बिना स्पष्ट जानकारी वाले पतों पर की गई डिलीवरी के बारे में भी पता लगाने का निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के मद्देनजर कई राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ दिल्ली पुलिस मुख्यालय में एक अंतरराज्यीय समन्वय बैठक भी की। बिहार में सीएम हाउस को उड़ाने की धमकी मिली थी इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। धमकी भरा ई-मेल सीधे तौर पर CMO के आधिकारिक ई-मेल आईडी पर भेजा गया था। ई-मेल में CMO को बम से उड़ाने की बात लिखने के साथ ही 'अलकायदा ग्रुप' लिखा हुआ था। पुलिस के मुताबिक सीएमओ के सरकारी मेल आईडी पर मेल आया कि सीएमओ को बम से उड़ा दिया जाएगा। बिहार की स्पेशल पुलिस भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। इसे हल्के में लेने की कोशिश न करें। मेल अलकायदा ग्रुप के नाम से भेजा गया था। शुरुआती जांच के बाद सचिवालय थाना में 2 अगस्त को इस मामले में FIR दर्ज की गई
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बांग्लादेश में बेशक अंतरिम सरकार का गठन हो गया हो, लेकिन वहां स्थिति अब भी तनावपूर्ण है. हालात को देखते हुए भारत सरकार ने बांग्लादेश में सभी भारतीय वीजा आवेदन केंद्र को अगले नोटिस तक बंद रखने का फैसला किया है. भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने के ऑनलाइन पोर्टल पर भी मैसेज लिखा आ रहा है कि अस्थिर स्थिति के कारण सभी आईवीएसी अगले नोटिस तक बंद रहेंगे. आवेदन की अगली तारीख मैसेज के जरिये जल्द बताई जाएगी. आपसे अनुरोध है कि पासपोर्ट अगले कार्य दिवस पर प्राप्त करें. सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश में हिंसा बढ़ने और अस्थिर स्थिति बनने के बाद भारत सरकार ने वहां अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों से गैर-आवश्यक कर्मचारियों और उनके परिवारों को वापस बुला लिया था. हालांकि, भारतीय राजनयिक वहां बने हुए हैं और अपना काम कर रहे हैं. चटगांव, राजशाही खुलना और सिलहट में है वाणिज्य दूतावास बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भारत का उच्चायोग है और चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में वाणिज्य दूतावास हैं. बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों ने 76 वर्षीय नेता को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत भागने को मजबूर कर दिया था. वहां अंतरिम सरकार का रास्ता साफ हो गया है. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व करेंगे. विदेश मंत्री ने कहा- बांग्लादेश में फंसे भारतीयों के संपर्क में टीम विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को पड़ोसी देश की स्थिति पर संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि बांग्लादेश में लगभग 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 9,000 छात्र हैं. उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद कई छात्र भारत लौट आए थे. सरकार वहां भारतीय समुदाय के साथ निकट संपर्क में है. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों के संबंध में स्थिति की निगरानी कर रही है.
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भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर से सीमा पर तनाव बढ़ने लगा है. भारतीय सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने गुरुवार (8 अगस्त) को कहा है कि पीर पंजाल क्षेत्र में अचानक से गतिरोध बढ़ा है. सीडीएस ने कहा कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा की वजह से चिंताएं पैदा हो गई हैं. उन्होंने ये भी कहा कि पड़ोसी देश में सत्ता में हुए बदलाव के बीच दूसरे देशों के साथ सीमा पर तनाव पहले से ही कायम है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 'मिलिट्री एम्यूनिशन' को लेकर आयोजित कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, "भारत के पास सुरक्षा चुनौतियों का अपना हिस्सा है. हम पहल से ही जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के जरिए छेड़े गए प्रॉक्सी वॉर से निपट रहे हैं. इसमें अब अचानक से पीर पंजाल रेंज में इजाफा देखने को मिला है." उन्होंने आगे कहा, "चीन के साथ लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है." बांग्लादेश हिंसा का सीडीएस ने किया जिक्र सीडीएस अनिल चौहान ने बांग्लादेश हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, "हम इस वक्त दो प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिसमें हमारे पड़ोस में अस्थिरता भी हमारे लिए चिंता की एक और वजह है. भारत जैसे बड़े देश के लिए सुरक्षा संबंधी बहुत सारी समस्याएं होती हैं." उन्होंने आगे कहा, "भारत जैसा देश युद्धक हथियारों के लिए विदेशी आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है. खासतौर पर तब जहां वैश्विक सुरक्षा और सरकार हमेशा अस्थिर स्थिति का सामना करती है." कश्मीर में आतंकी घटनाओं और बांग्लादेश हिंसा के बीच आया CDS का बयान सीडीएस चौहान का बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में काफी ज्यादा इजाफा देखने को मिला है. जुलाई के महीने में कई बार आतंकी घटनाएं हुईं, जिसमें सेना के कई जवान भी शहीद हुए. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उनका बयान ऐसे मौके पर भी आया है, जब बांग्लादेश राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. शेख हसीना पीएम पद से इस्तीफा देकर भारत में शरण ली हुई हैं. फिलहाल सेना ने बांग्लादेश की कमान संभाली हुई है.
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12 राज्यसभा सदस्यों के चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीख का ऐलान कर दिया है. बुधवार (07 अगस्त) को चुनाव आयोग ने कहा कि तीन सिंतबर को 12 राज्यसभा सदस्यों को चुनने के लिए उपचुनाव होगा. बता दें कि 12 राज्यसभा सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं.हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यसभा सदस्यों के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने की वजह से दस पद रिक्त हुए हैं. वहीं दो अन्य पद राज्यसभा सांसदों के इस्तीफा देने की वजह से खाली हुए हैं. राज्यसभा के लिए सदस्यों को मनोनीत किया जाना उनके कला, साहित्य, विज्ञान या सामाजिक सेवा में योगदान पर भी निर्भर करता है. किन नेताओं के पद हुए हैं खाली? लोकसभा चुनाव 2024 में कई राज्यसभा सांसदों ने चुनाव लड़ा और वो उच्च सदन से हटकर लोकसभा के सदस्य बन गए. जिन राज्यसभा सांसदों ने लोकसभा चुनाव लड़ा उसमें महाराष्ट्र से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, हरियाणा से दीपेंद्र सिंह हुड्डा, मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान से कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल भी शामिल हैं. क्यों खेला इन नेताओं पर दांव? इन राज्यसभा सांसदों पर राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव 2024 पर दांव खेला और ये नेता पार्टी आलाकमान के फैसले को सही ठहराने में कामयाब हुए. बता दें कि पीयूष गोयल, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और केसी वेणुगोपाल काफी अनुभवी नेता हैं. जब-जब इनके राजनीतिक दलों को इनकी जरुरत महसूस हुई, इन्होंने पार्टी को मजबूत करने का काम किया है. राज्यसभा से किन नेताओं ने दिया इस्तीफा? राज्यसभा में दो पद सांसदों के इस्तीफा देने से खाली हुए जिनमें भारत राष्ट्र समिति के सांसद के. केशव राव और बीजू जनता दल की सांसद ममता मोहंता शामिल हैं. जहां के. केशव राव ने पांच जुलाई को तो वहीं ममता मोहंता ने 31 जुलाई को राज्यसभा से इस्तीफा दिया. कब जारी होगी अधिसूचना? हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 राज्यसभा सदस्यों के उपचुनाव की अधिसूचना 14 अगस्त को जारी होगी जबकि 21 अगस्त तक नॉमिनेशन दाखिल किए जाएंगे. चुनाव आयोग की मानें तो 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि वोटों की गिनती तीन सितंबर को ही होगी.
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7 अगस्त 1942 की शाम. बॉम्बे में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक हुई और इस बैठक में ये तय हुआ कि अगले रोज बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) अंग्रेजों से सत्ता हासिल करने की मुहिम में एक विशाल जनसभा होगी. अगले दिन शाम को इसी मैदान महात्मा गांधी ने चर्चित भाषण दिया.इसी भाषण में उन्होंने करो या मरो का नारा दिया. इसके साथ ही बापू ने भीड़ की ओर ताकते हुए जोरदार आवाज में कहा, "भारत छोड़ो." इस नारे के साथ ब्रितानी सरकार का सूरज हमेशा के लिए डूबाने का इरादा बुलंद किया गया. यही से भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत हुई, इसे अगस्त क्रांति आंदोलन भी कहा जाता है. किन लोगों ने दिया था भाषण? 8 अगस्त 1942 को बॉम्बे के गोवालिया टैंक स्वतंत्रता सेनानियों के भाषण देने का सिलसिला शाम 6 बजे शुरू हुआ और ये रात 10 बजे तक चलता रहा. इस दिन कुल चार लोगों ने भाषण दिया था और ये भाषण इतिहास में दर्ज हो गया.सबसे पहले मौलाना अबुल कलाम आजाद ने भाषण दिया. इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और आखिरकार मोहनदास करमचंद गांधी ने जनसभा को संबोधित किया. इस दिन ही स्वतंत्रता आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के नाम से मशहूर अरुणा आसफ अली गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराया था.इस आंदोलन के नाम को लेकर बहुत चर्चा हुई थी. महात्मा गांधी चाहते थे कि आंदोलन का नाम ऐसा हो जो लोगों के जेहन में घर कर जाए. इसके लिए कई नाम सुझाए गए. आखिरकार 'भारत छोड़ो' का नारा यूसुफ मेहरअली ने दिया. यूसुफ ने ही 'साइमन वापस जाओ' का नारा भी दिया था. अंग्रेजों ने भर दिए थे जेल भारत छोड़ो आंदोलन के आगाज के साथ ही अंग्रेजी हूकूमत के कान खड़े हो गए. साल 1942 के अंत तक 60,000 से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया गया और सैकड़ों लोग मारे गये. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल सहित कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया. क्यों करना पड़ा भारत छोड़ो आंदोलन? भारत में ब्रितानी सरकार के खिलाफ हो रहे आंदोलन को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने स्टैफोर्ड क्रिप्स को एक नए संविधान और स्वशासन और भारतीय लोगों की दुविधा को हल करने के लिए मिशन भेजा गया था. यह मिशन विफल रहा. इसकी वजह ये कि ब्रिटिश सरकार भारत पूर्ण स्वतंत्रता नहीं बल्कि विभाजन के साथ-साथ भारत को डोमिनियन स्टेटस देने की पेशकश कर रही थी. डोमिनियन स्टेटस यानी ब्रितानी सरकार के आधिपत्य को स्वीकार करते हुए अपनी सरकार बनाना. इसके अलावा भारतीय स्वतंत्रता सेनानी दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय नागरिकों को भेजने के खिलाफ थे.
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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court ) की एकल पीठ की ओर से अवमानना के एक मामले में शीर्ष अदालत के खिलाफ की गई टिप्पणियों को बुधवार (07 अगस्त) को हटा दिया और कहा कि वे ‘‘अनुचित’’ और ‘‘अपमानजनक’’ थीं. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजबीर सेहरावत की आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. पीठ में कौन था शामिल? पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे. पीठ ने ‘‘न्यायिक अनुशासन’’ का उल्लेख किया और कहा कि उसे उम्मीद है कि भविष्य में ऊंची अदालतों के आदेशों पर विचार करते समय अधिक सावधानी बरती जाएगी. 'भारत का संविधान सर्वोच्च है' पीठ ने कहा कि न तो सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है और न ही हाई कोर्ट, वास्तव में भारत का संविधान सर्वोच्च है. पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने संबंधी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले में सुनवाई की और कहा कि उसे हाई कोर्ट के न्यायाधीश की टिप्पणियों से पीड़ा पहुंची है. किसने कीं अनावश्यक टिप्पणियां? पीठ ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कई चीजों के संबंध में अनावश्यक टिप्पणियां की हैं. उसने कहा कि न्यायाधीश ऊंची अदालतों द्वारा पारित आदेशों से खिन्न नहीं हैं, लेकिन न्यायिक अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति सहरावत ने उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना की थी. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सख्ती से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना पसंद का मामला नहीं है बल्कि ये एक संवैधानिक दायित्व है. बता दें कि ये मामला भूमि विवाद से जुड़ा है. भूमि विवाद के इस मामले पर जाब और हरियाणा हाई कोर्ट की सिंगल-जज बेंच ने टिप्पणी की थी.
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भारत एक विविध निर्यातक देश है और बांग्लादेश से निर्यात में गिरावट से समूचे वित्त वर्ष की उसकी समग्र व्यापार स्थिति पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को यह बात कही. बांग्लादेश 1971 में स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे खराब राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है. वहां भारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा. बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने सोमवार को घोषणा की थी कि एक अंतरिम सरकार देश की बागडोर संभालेगी. भारत का व्यापार द्विपक्षीय व्यापार संबंधों से काफी बड़ा - S&P सॉवरेन एंड इंटरनेशनल पब्लिक फाइनेंस रेटिंग्स के निदेशक (एशिया-प्रशांत) एंड्रयू वुड ने कहा, ‘‘ एसएंडपी को उम्मीद है कि इस दौरान बांग्लादेश में घरेलू मांग की स्थिति कमजोर रहेगी और संभवतः भारत सहित अन्य देशों से बांग्लादेश में निर्यात को कम समर्थन मिलेगा. ’’उन्होंने एक वेबिनार में कहा, ‘‘ भारत एक विविध निर्यातक है और उसका व्यापार बांग्लादेश जैसी अर्थव्यवस्थाओं के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों से काफी बड़ा है.’’ भारत को ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं वुड ने कहा, ‘‘ इसका जो भी प्रत्यक्ष प्रभाव होगा, उससे वित्त वर्ष की समग्र व्यापार स्थिति पर कोई सार्थक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है... ’’बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, जबकि भारत एशिया में पड़ोसी देश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है. वित्त वर्ष 2022-23 में बांग्लादेश को भारत का निर्यात 12.21 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2023-24 में 11 अरब डॉलर रह गया. बांग्लादेश को इन चीजों का निर्यात करता है भारत भारत के मुख्य निर्यात में सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, चीनी, रिफाइंड पेट्रोलियम तेल, रसायन, कपास, लोहा और इस्पात तथा वाहन आदि शामिल हैं. मुख्य आयातित चीजों में मछली, प्लास्टिक, चमड़ा और परिधान आदि शामिल हैं.
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बांग्लादेश में बिगड़े हालातों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में जानकारी दी है. राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री ने मंगलवार (06 अगस्त) को कहा कि हम हालात पर नजर रख रहे हैं. बांग्लादेश में जनवरी 2024 में हुए चुनाव के बाद से ही टेंशन का माहौल है. इसकी वजह से जून में छात्रों का प्रदर्शन शुरू हुआ.उन्होंने कहा कि सरकारी इमारतों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला किया गया है. जुलाई में पूरे महीने हिंसा चली है. हमने शांति के जरिए समाधान निकालने की गुजारिश की. विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे लिए चिंता की बात ये रही है कि अल्पसंख्यकों के दुकानों और मंदिरों में कई जगहों पर हमला हुआ है. अभी तक पूरी जानकारी सामने नहीं आ पाई है. एस. जयशंकर ने कहा, "बांग्लादेश हमारे बहुत करीब है. जनवरी से वहां टेंशन है. हिंसा जून जुलाई में हु़ई. हम वहां राजनीतिक पार्टियों के टच में थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बंग्लादेश में हालात बदले और हालात ऐसे बदले कि हसीना को इस्तीफा देना पड़ा. 4 अगस्त को सबसे ज्यादा हालात बिगड़े. सबसे ज्यादा वहां अल्पसंख्यकों पर हमले चिंता का विषय है. शेख हसीना फार द मूमेंट (कुछ वक़्त के लिए) भारत में हैं. हम भारतीय कम्युनिटी के टच में हैं. कई स्टूडेंट लौटे हैं. हमारा दूतावास सक्रिय है. हमें आशा है वहां की सरकार हमारे नागरिकों को सुरक्षा मुहैया करवाएगी. अल्पसंख्यकों पर हमले चिंता का विषय हैं. हम बंग्लादेश में संपर्क में हैं." ऑल पार्टी मीटिंग में विदेश मंत्री ने क्या कहा? इसके अलावा, जयशंकर ने सभी दलों के नेताओं को हिंसा प्रभावित देश की स्थिति और इस स्थिति के संभावित सुरक्षा, आर्थिक और कूटनीतिक नतीजों से निपटने के लिए भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्री ने अपदस्थ नेता का समर्थन करने के लिए बांग्लादेश में नई सरकार के साथ टकराव को सीमित करने की केंद्र की रणनीति पर चर्चा की. जयशंकर ने कथित तौर पर सांसदों से कहा, "यह एक मौजूदा स्थिति है. सरकार सही समय पर उचित कार्रवाई करेगी." जयशंकर ने कहा कि वे शेख हसीना को समय देना चाहते हैं, ताकि वे केंद्र को अपनी भावी कार्रवाई के बारे में बता सकें. वो वर्तमान में दिल्ली में हैं.
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फिजी के दौरे पर पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित किया गया है. फिजी के राष्ट्रपति रातू विलियामे मैवलीली कटोनिवेरे ने उन्हें पुरस्कार सौंपा. दक्षिण प्रशांत के इस छोटे से देश के दौरे पर गईं राष्ट्रपति मुर्मू ने फिजी की संसद को भी संबोधित किया. उन्होंने वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत भी की.विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा को लेकर जानकारी दी. उन्होंने कहा, "फिजी के राष्ट्रपति ने हमारे राष्ट्रपति को 'द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित किया, जिसकी राष्ट्रपति ने बहुत सराहना की. उन्होंने फिजी संसद को भी संबोधित किया. राष्ट्रपति ने सुवा में समुदाय के लोगों के साथ बातचीत भी की." राष्ट्रपति मुर्मू ने फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका के साथ भी बातचीत की. अमित शाह-जेपी नड्डा ने सम्मान मिलने पर दी राष्ट्रपति को बधाई 'कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित होने पर गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राष्ट्रपति मुर्मू को बधाई दी. अमित शाह ने कहा, "राष्ट्र के सर्वोच्च नागरिक सम्मान कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी से सम्मानित होने पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को मेरी हार्दिक बधाई. यह सम्मान न केवल वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राजनयिक संबंधों को भी मजबूत करता है. ये मानवता की भलाई के लिए हमारी साझेदारी को भी दिखाता है." स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को फिजी के राष्ट्रपति रातू विलियामे मैवलीली कटोनिवेरे के जरिए देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'द ऑर्डर ऑफ फिजी' से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक बधाई. भारत और फिजी के बीच आपसी सम्मान, सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित एक लंबा रिश्ता है. यह सम्मान हमारी मजबूत रणनीतिक साझेदारी और हमारे वैश्विक भागीदारों के साथ मजबूत संबंध बनाने के राष्ट्रपति के प्रयासों को दर्शाता है."
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बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सोमवार (5 अगस्त) को देश को संबोधित किया. सेना प्रमुख ने कहा कि देश में 48 घंटे के भीतर एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी. बांग्लादेश में शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया है और भारत के अगरतला शहर की तरफ रवाना हो गई हैं. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. हसीना साल 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं. PM शेख हसीना ने दिया इस्तीफा- सेना प्रमुख सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने कहा कि प्रधानमंत्री हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, अंतरिम सरकार देश को चलाएगी. हम देश में शांति वापस लाएंगे. हम नागरिकों से हिंसा रोकने का अनुरोध करते हैं. हम पिछले कुछ हफ्तों में हुई सभी हत्याओं की जांच करेंगे. सेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना ने सारी जिम्मेदारी ले ली हैं. सभी हत्याओं का मुकदमा होगा. उन्होंने कहा कि आइए हम सब संघर्ष नहीं, शांति के रास्ते पर लौटें. मैं सारी जिम्मेदारी लेता हूं.. सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से हुई बातचीत बांग्लादेश आर्मी के चीफ वकर-उज-जमान ने कहा कि समावेशी सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से बातचीत हुई है. जिसमें से बीएनपी, जमात इस्लाम अमीर, मामुनुल हक, डॉ. आसिफ नजरूल चर्चा में थे. हालांकि, अवामी लीग से कोई नहीं था. इस दौरान सेना प्रमुख सभी से घर वापस लौटने का आह्वान कर रहे हैं. हज़ारों छात्रों ने PM आवास पर की पत्थरबाज़ी वहीं, बांग्लादेश में हज़ारों छात्र शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं. रविवार (4 अगस्त) को हुए प्रदर्शन के दौरान कम से कम 90 लोगों की मौत हुई थी. बांग्लादेश में कुछ प्रदर्शनकारियों को ढाका में मौजूद प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में घुसते देखा गया है, जबकि हज़ारों छात्रों ने पीएम आवास पर पत्थरबाज़ी भी की है. जानें क्या है मामला? बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के ख़िलाफ़ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग है कि देश में ऊंचे सरकार पदों पर नौकरी में आरक्षण को खत्म किया जाए. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. छात्र बाद में शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.
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बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सोमवार (5 अगस्त) को देश को संबोधित किया. सेना प्रमुख ने कहा कि देश में 48 घंटे के भीतर एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी. बांग्लादेश में शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया है और भारत के अगरतला शहर की तरफ रवाना हो गई हैं. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. हसीना साल 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं. PM शेख हसीना ने दिया इस्तीफा- सेना प्रमुख सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने कहा कि प्रधानमंत्री हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, अंतरिम सरकार देश को चलाएगी. हम देश में शांति वापस लाएंगे. हम नागरिकों से हिंसा रोकने का अनुरोध करते हैं. हम पिछले कुछ हफ्तों में हुई सभी हत्याओं की जांच करेंगे. सेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना ने सारी जिम्मेदारी ले ली हैं. सभी हत्याओं का मुकदमा होगा. उन्होंने कहा कि आइए हम सब संघर्ष नहीं, शांति के रास्ते पर लौटें. मैं सारी जिम्मेदारी लेता हूं.. सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से हुई बातचीत बांग्लादेश आर्मी के चीफ वकर-उज-जमान ने कहा कि समावेशी सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से बातचीत हुई है. जिसमें से बीएनपी, जमात इस्लाम अमीर, मामुनुल हक, डॉ. आसिफ नजरूल चर्चा में थे. हालांकि, अवामी लीग से कोई नहीं था. इस दौरान सेना प्रमुख सभी से घर वापस लौटने का आह्वान कर रहे हैं. हज़ारों छात्रों ने PM आवास पर की पत्थरबाज़ी वहीं, बांग्लादेश में हज़ारों छात्र शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं. रविवार (4 अगस्त) को हुए प्रदर्शन के दौरान कम से कम 90 लोगों की मौत हुई थी. बांग्लादेश में कुछ प्रदर्शनकारियों को ढाका में मौजूद प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में घुसते देखा गया है, जबकि हज़ारों छात्रों ने पीएम आवास पर पत्थरबाज़ी भी की है. जानें क्या है मामला? बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के ख़िलाफ़ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग है कि देश में ऊंचे सरकार पदों पर नौकरी में आरक्षण को खत्म किया जाए. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. छात्र बाद में शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.
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बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सोमवार (5 अगस्त) को देश को संबोधित किया. सेना प्रमुख ने कहा कि देश में 48 घंटे के भीतर एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी. बांग्लादेश में शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया है और भारत के अगरतला शहर की तरफ रवाना हो गई हैं. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. हसीना साल 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं. PM शेख हसीना ने दिया इस्तीफा- सेना प्रमुख सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने कहा कि प्रधानमंत्री हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, अंतरिम सरकार देश को चलाएगी. हम देश में शांति वापस लाएंगे. हम नागरिकों से हिंसा रोकने का अनुरोध करते हैं. हम पिछले कुछ हफ्तों में हुई सभी हत्याओं की जांच करेंगे. सेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना ने सारी जिम्मेदारी ले ली हैं. सभी हत्याओं का मुकदमा होगा. उन्होंने कहा कि आइए हम सब संघर्ष नहीं, शांति के रास्ते पर लौटें. मैं सारी जिम्मेदारी लेता हूं.. सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से हुई बातचीत बांग्लादेश आर्मी के चीफ वकर-उज-जमान ने कहा कि समावेशी सरकार को लेकर राजनीतिक दलों से बातचीत हुई है. जिसमें से बीएनपी, जमात इस्लाम अमीर, मामुनुल हक, डॉ. आसिफ नजरूल चर्चा में थे. हालांकि, अवामी लीग से कोई नहीं था. इस दौरान सेना प्रमुख सभी से घर वापस लौटने का आह्वान कर रहे हैं. हज़ारों छात्रों ने PM आवास पर की पत्थरबाज़ी वहीं, बांग्लादेश में हज़ारों छात्र शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं. रविवार (4 अगस्त) को हुए प्रदर्शन के दौरान कम से कम 90 लोगों की मौत हुई थी. बांग्लादेश में कुछ प्रदर्शनकारियों को ढाका में मौजूद प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में घुसते देखा गया है, जबकि हज़ारों छात्रों ने पीएम आवास पर पत्थरबाज़ी भी की है. जानें क्या है मामला? बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के ख़िलाफ़ बांग्लादेश के छात्र पिछले महीने से ही आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग है कि देश में ऊंचे सरकार पदों पर नौकरी में आरक्षण को खत्म किया जाए. यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था, जिसमें अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है. छात्र बाद में शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.
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ये पहला मामला नही है जब सांसद द्वारा निजी ठेकेदार कंपनी वीना ट्रेड्स के फर्जीवाड़े से संबंधित समाचार को प्रकाशित करने से रोकने हेतु पत्रकारों पर ब्लैकमेलर का आरोप लगाते हुए शासन प्रशासन को पत्र जारी किया गया। उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम में वीना ट्रेडर्स द्वारा करोड़ों रुपए का हेर फेर के घोटाले की खबरें लिखे जाने पर कैसरगंज संसद सदस्य ब्रजभूषण शरण सिंह द्वारा शासन प्रशासन को कुश्ती का अखाड़ा बना दिया और खबर लिखने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ साम, दाम, दंड, भेद के सारे दांव आज़माइश पर लगा दिए लेकिन दमदार, ईमानदार खबरनवीस से सामना था, साथी बाराती यहाँ तक पत्रकारों के तमाम संघठन चुप्पी मारकर बैठे रहे, ऐसा लगता था कि बाहुबली के नाम से ही चौथे स्तंभ की मज़बूत दीवार हिलने लगती है लेकिन कुश्ती नरेश के सारे दांव से बिना डरे निडर भाव से पत्रकारो के हितों के लिए चल रहा संघर्ष रंग लाता दिख रहा । सांसद जी का इतिहास और भूगोल कौन नही जानता, भाजपा पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी दबंगई का बखान खुद ही कर डाला. उन्होंने एक मंच को साझा करते हुए कहा कि शुरुआत से ही उनका दबदबा कायम है. इतना ही नहीं भाजपा पूर्व सांसद ने कहा कि वह 8वीं में तीन बार फेल हो गए थे. परीक्षा के दौरान बगल बैठे छात्र से कॉपी लिखने के लिए कहा तो मना करने पर उसका पैर-हाथ तोड़ने की धमकी दे दी थी तो ऐसे में पत्रकारो के लिए कुछ भी लिखने वाले पूर्व संसद सदस्य की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है।
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लव जिहाद की शिकार एक हिंदू महिला ने सुनवाई के दौरान अश्लील सवाल पूछने और उसका चरित्र हनन करने का आरोप लगाया था। इसको लेकर महिला संगठनों ने प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति ज्ञापन सौंपकर जज के निलंबन की माँग की है। इसके साथ ही रेप की शिकार लव जिहाद पीड़िता ने अपना केस किसी और कोर्ट में ट्रांसफर कराने के लिए इंदौर के सीजेएम (प्रधान न्यायधीश) के यहाँ आवेदन दिया है।पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसके मामले की सुनवाई के दौरान क्रॉस क्वेशचन करते हुए जज ने उससे अश्लील व्यवहार किया था और उसकी मर्यादा को ठेस पहुँचाई थी। इसको लेकर लड़की ने राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), राष्ट्रीय महिला आयोग और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज को पत्र लिखा था। इसमें महिला ने जज का नाम भी लिखा है। पीड़िता ने कहा कि उससे सवाल करते समय स्त्री लज्जा का भी ध्यान नहीं रखा गया और उसे बाजारू औरत बता दिया गया। इस दौरान कोर्ट रूम में बैठे हुए लोग ठहाके लगाते रहे और वह शर्म से पानी-पानी होती रही। अपनी शिकायत में पीड़िता ने कोर्ट में पूछे गए सवालों के बारे में बताया है और लिखा कि अगर उसे न्याय नहीं दिया जा सकता है तो उसे इच्छामृत्यु की अनुमति दे दी जाए। पीड़िता ने बताया कि सुनवाई के दौरान उसके साथ धोखा देकर रेप करने वाले अशरफ मंसूरी के वकील को सवाल करने थे। इस दौरान जज ने वकील को रोक दिया और कहा, “इस तरह की लड़कियों से क्रॉस क्वेश्चन तो मैं स्वयं करता हूँ।’ उन्होंने सवाल करने से पहले कोर्ट रूम के बंद दरवाजे खुलवा दिए। इसके बाद जज ने पूछा, “एक गाड़ी में कैसे रेप हो सकता है? रेप के बाद तुम्हें रुपए मिल गए थे ”पीड़िता का कहना है कि जज के सवाल पर उसने अपने वकील के माध्यम से आपत्ति जताई तो जज ने वकील को डाँटकर चुप करा दिया। पीड़िता ने शिकायत में कहा “जज ने कोर्ट रूम का दरवाजा खुलवाकर मेरे बयान लिए। मुझसे ऐसे सवाल पूछे कि सिर शर्म से झुक गया। कोर्ट रूम में मौजूद सभी लोग हँस रहे थे। जज ने मुझे बाजारू लड़की कहा। पूछा कि तुम्हें रेप के बाद पैसे मिल गए कि नहीं?” जज पर सवाल उठाते हुए पीड़िता ने आगे कहा,“उन्होंने खुद के लिए कहा कि मैं भी जींस-टी शर्ट पहनकर निकलूँगा तो तुम्हारे जैसी लड़कियाँ मेरे साथ घूमने निकल जाएँगी। आजकल इस तरह की बाजारू लड़कियों का कोई चरित्र नहीं बचा है और ये रुपए लेने की नीयत से झूठे केस दर्ज कराती हैं। इस तरह के शब्द सुनकर कोर्ट में मौजूद आरोपित के वकील सहित सभी लोग ठहाके मारकर हँस रहे थे।“ पीड़िता बोली, “जिन शब्दों के साथ न्यायाधीश महोदय ने मेरे चरित्र और गरिमा का हनन किया है, वह वापस लौटना संभव नहीं है। जिस प्रकार से न्यायाधीश महोदय के द्वारा मेरे साथ अश्लील तरीके से चर्चा की गई है… आरोपित के वकील को जैसा विश्वास दिलाया गया… उससे ऐसा लग रहा है कि मुझे उनके न्यायालय में न्याय नहीं मिलेगा। मुझे न्याय नहीं दिलवा सकते तो इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करें।” क्या था मामला? पीड़िता ने बताया था कि साल 2015 में उसकी शादी हुई थी, लेकिन उसके पति किसी और को प्यार करते थे। इसके कारण दोनों साल 2017 में अलग हो गए। 2019 में ‘हेलो’ ऐप के माध्यम से आरोपित अशरफ मंसूरी उसके संपर्क में आया। अशरफ लगातार युवती को मैसेज भेजता था। के बाद एक दिन युवती ने कहा कि वो उससे दोस्ती नहीं कर सकती क्योंकि वो मुस्लिम है। घरवाले रिश्ते के लिए नहीं मानेंगे।उस दौरान अशरफ ने उसे बहुत मनाने की कोशिश की, लेेकिन युवती ने साफ मना कर दिया था। कुछ दिन के बाद अशरफ ने आशु नाम से आईडी बनाकर युवती से संपर्क किया। उसने खुद को हिंदू बताकर युवती से दोस्ती कर ली। धीरे-धीरे दोनों के बीच मुलाकात हुई और रिश्ता आगे बढ़ा। युवती ने कहा कि उसे शादी करनी है टाइम पास नहीं। तब अशरफ ने कहा कि भाई-बहन की शादी के बाद वह शादी करेगा। अशरफ की सुनकर युवती मान गई। आशु बनकर अशरफ बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ लाकर युवती को घुमाने लगा, दोस्तों के फ्लैट पर ले जाने लगा, संबंध बनाने लगा, मगर एक दिन अचानक उसका फोन बंद हो गया। युवती ने परेशान होकर उसके दोस्त को फोन किया और तब उसे पता चला कि वो आशु नहीं अशरफ मंसूरी है। पीड़िता यह सुन सदमे में आ गई।कुछ दिन के बार अशरफ का फोन आया तो उसने विरोध किया और अशरफ से बातचीत बंद कर दी। तब अशरफ उसके घर और दफ्तर के बाहर आकर तंग करने लगा। फोटो लीक करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल करने लगा। अंत में पीड़िता ने थाने में शिकायत दी। अशरफ के खिलाफ धारा 376, 354, एससी-एसटी एक्ट और मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया।
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नया कानून यूट्यूब पत्रकारों को खत्म कर सकता है दशकों पुराने केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की जगह नया कानून लाने का एक प्रयास है. संस्करण में स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए, अपने मंचों पर जारी की जाने वाली सामग्री से पहले उसकी स्क्रीनिंग के लिए जांच समितियों का गठन करें.विधेयक में सरकारी सदस्यता वाली एक प्रसारण सलाहकार परिषद के गठन का भी प्रावधान है, जो प्रसारकों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करेगी. इन आवश्यकताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक साधारण अधिसूचना के साथ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन इंफ्लुएंसर्स पर लागू किया जा सकता है.रिपोर्ट में राजनीतिक मुद्दों पर सामग्री अपलोड करने वाले यूट्यूबर एस. मेघनाद का हवाला दिया गया है. मेघनाद के 64 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. हाल ही में उनके द्वारा इस विषय पर प्रसारित एक वीडियो का शीर्षक था, यह नया कानून यूट्यूब पत्रकारों को खत्म कर सकता है.IFF ने अपने हालिया बयान में कहा है, “मंत्रालय के नियामक दायरे में आने वाले हर प्रसारक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा, और ऐसा न करने पर आर्थिक दंड या कारावास भी हो सकता है.”इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने ऑनलाइन समाचार और एंटरटेनमेंट माध्यमों को नियमों के दायरे में लाने वाले गुप्त बदलावों की निंदा की है. यह बदलाव प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक के मसौदे के तहत लाए जाने बताये गए हैं.द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, आईएफएफ ने अपने एक बयान में कहा कि, “सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नागरिक समाज, पत्रकारों या अन्य हितधारकों की मौजूदगी के बिना सिर्फ मीडिया के कुछ चुनिंदा लोगों से इस विषय पर मुलाकात की. संस्था का कहना है कि यह विधेयक ऑनलाइन मंचों के लिए और ज्यादा सेंसरशिप पैदा करेगा.”द हिंदू ने उसके पास एक विधेयक की कॉपी मौजूद होने की बात कही है, हालांकि इसे सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं किया गया है. इसका कारण दस्तावेज में ऐसे पहचान चिन्ह मौजूद हैं, जिससे मसौदा प्राप्त करने वाले व्यक्ति की पहचान खुल सकती है.विधेयक को लेकर जारी प्रेस नोट में जनता की टिप्पणी हेतु कहा गया है कि, यह दशकों पुराने केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की जगह नया कानून लाने का एक प्रयास है. संस्करण में स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए, अपने मंचों पर जारी की जाने वाली सामग्री से पहले उसकी स्क्रीनिंग के लिए जांच समितियों का गठन करें.विधेयक में सरकारी सदस्यता वाली एक प्रसारण सलाहकार परिषद के गठन का भी प्रावधान है, जो प्रसारकों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करेगी. इन आवश्यकताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक साधारण अधिसूचना के साथ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन इंफ्लुएंसर्स पर लागू किया जा सकता है.रिपोर्ट में राजनीतिक मुद्दों पर सामग्री अपलोड करने वाले यूट्यूबर एस. मेघनाद का हवाला दिया गया है. मेघनाद के 64 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. हाल ही में उनके द्वारा इस विषय पर प्रसारित एक वीडियो का शीर्षक था, यह नया कानून यूट्यूब पत्रकारों को खत्म कर सकता है.IFF ने अपने हालिया बयान में कहा है, “मंत्रालय के नियामक दायरे में आने वाले हर प्रसारक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा, और ऐसा न करने पर आर्थिक दंड या कारावास भी हो सकता है.”केंद्र सरकार नेगेटिव कंटेंट डालने वाले यूट्यूबर्स इंफ्लुएंसर्स को लेकर चिंता भी व्यक्त कर चुकी है. इसके तहत सरकार के मंत्रियों पर 2021 की एक रिपोर्ट में सरकार कहती है, “कुछ नकारात्मक प्रभाव डालने वाले लोग गलत बयान देते हैं और सरकार को बदनाम करते हैं, इन पर लगातार नजर रखने की जरूरत है, ताकि उचित समय प्रतिक्रिया दी जा सके.”
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ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, बुधवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने पूजा खेडकर के बतौर ट्रेनी IAS अधिकारी चयन को रद्द कर दिया है। साथ ही उनके भविष्य में यूपीएससी की कोई भी परीक्षा देने पर रोक लगा दी है। बता दें कि पूजा खेडकर कई बार फर्जी पहचान बताकर परीक्षा देने की आरोपी हैं और मामला कोर्ट में चल रहा है। गुरुवार को इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट अहम सुनवाई भी करने वाला है। यूपीएससी ने अपनी जांच में पाया दोषी हालांकि कोर्ट की सुनवाई के दूसरी तरफ संघ लोक सेवा आयोग ने अपनी जांच में पूजा खेडकर को फर्जी पहचान बताकर परीक्षा देने का दोषी पाया है और इसीलिए उनपर यह कार्रवाई हुई है। यूपीएससी ने एक बयान में कहा है, “पूजा खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा के नियमों के उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। पूजा खेडकर ने आयोग द्वारा 18 जुलाई, 2024 को आयोजित की गई सिविल सेवा परीक्षा-2022 (सीएसई-2022) में धोखाधड़ी की थी। नियमों के उल्लंघन के तहत उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था।” इस नोटिस में उनसे पूछा गया था कि इस धोखाधड़ी के लिए उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया जाए। गुरुवार को हाईकोर्ट सुनाएगी अग्रिम जमानत अर्जी पर फैसला यूपीएससी के इस एक्शन के बीच पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत पर दिल्ली हाईकोर्ट गुरुवार को अहम फैसला सुना सकती है। अगर उनकी यह याचिका खारिज हो जाती है तो उनके गिरफ्तारी संभव है। एडिशनल सेशन जज देवेंद्र कुमार जंगला ने बुधवार को खेडकर द्वारा दायर अर्जी पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। खेडकर ने अपने वकील के माध्यम से दायर अर्जी में दावा किया कि उन्हें ‘‘गिरफ्तारी का आसन्न खतरा’’ है। पूजा खेडकर से जुड़ा विवाद क्या है? आपको बता दें कि 2023 बैच की ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर के खिलाफ UPSC ने पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के मामले में FIR दर्ज कराई थी। यूपीएससी ने बताया कि पूजा के खिलाफ जांच में सामने आया है कि उन्होंने अपना नाम, माता-पिता का नाम, हस्ताक्षर, फोटो, ईमेल ID, मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलकर UPSC का एग्जाम दिया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और डिसेबिलिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। पूजा पर लगे ये भी आरोप पूजा पर ट्रेनिंग के दौरान पद का गलत इस्तेमाल करने और खराब आचरण का भी आरोप लगा। पुणे के डीएम ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया था। पूजा पर पहचान छिपाने और OBC , विकलांगता कोटे के दुरुपयोग करने का भई आरोप लगा। 16 जुलाई को पूजा की ट्रेनिंग रोक दी गई और उन्हें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) वापस बुला लिया गया। पूजा ने अपनी विकलांगता सर्टिफिकेट की पुष्टि के लिए दिल्ली में मेडिकल जांच के लिए कई बार अपॉइंटमेंट लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में बनी रिपोर्ट को UPSC में जमा कर दिया।
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SC-ST वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के मामले पर 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट की 7 न्यायधीशों की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुत से ऐतिहासिक फैसला दिया। पीठ ने इस दौरान आरक्षण के भीतर आरक्षण तय करने पर मुहर लगाई। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने एससी, एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमीलेयर को चिन्हित कर बाहर किए जाने की जरूरत है ताकि समानता आ सके। इस फैसले के दौरान 7 जजों में से एक मात्र दलित जस्टिस बीआर गवई ने पूरे मामले पर बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की।जस्टिस बीआर गवई ने कहा आरक्षण का सही उद्देश्य है कि देश में समानता को समझा जाए। असमानता वाले समूह में आखिर कैसे सबको एकसमान माना जाता है। इस दलील के आधार पर बेंच ने कहा कि एससी और एसटी में भी क्रीमी लेयर को लागू करना चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा, “सरकार को क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए कोई नीति बनानी चाहिए और लाभ पा चुके लोगों को उससे बाहर करना चाहिए। समानता को पाने का यही एकमात्र तरीका है।”जस्टिस गवई ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या एक आईएएस और आईपीएस के बच्चे या किसी सिविल सर्विस अधिकारी के बच्चे की तुलना एक ऐसे शख्स से करना उचित है जिसे आरक्षण का लाभ न मिला हो या वो ग्राम पंचायत या जिला परिषद के स्कूल में पढ़ता हो। उन्होंने कहा कि किसी अधिकारी बन चुके व्यक्ति के बच्चे को जाहिर है कि अच्छी शिक्षा मिलेगी। शायद उन्हें अतिरिक्त कोचिंग आदि भी मिले और घर का माहौल भी अच्छा मिले। वहीं दूसरे बच्चे को हर चीज उसके मुकाबले कम मिलेगा या उसके पास अच्छी शिक्षा उपलब्ध के स्रोत ही उपलब्ध नहीं होंगे। वह ऐसे माता-पिता के साथ रहेगा जो खुद इतने पढ़े-लिखे नहीं है कि बच्चे को पढ़ा सकें।उन्होंने यह गौर भी कराया कि असमानताएँ और सामाजिक भेदभाव आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक प्रचलित हैं। शहर और महानगरों में इनका असर कम होने लगता है। उन्होंने अपनी टिप्पणी के दौरान स्पष्ट कहा, “मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि सेंट पॉल हाई स्कूल और सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे और देश के पिछड़े और दूरदराज के क्षेत्र के एक छोटे से गाँव में पढ़ने वाले बच्चे को एक ही श्रेणी में रखना संविधान में निहित समानता के सिद्धांत को नकार देगा।” उन्होंने यह कहा कि अगर आज ये कहा जाए कि एससी-एसटी समुदाय से आने वाले दोनों श्रेणी के बच्चे एक समान हैं तो गलत होगा। वो बच्चा जिसके माता-पिता में से कोई आरक्षण के लाभ से उच्च पद पर पहुँच गया है और सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा नहीं है उसे गाँव में मजदूरी करने वाले के बेटे से तुलना करना संवैधानिक आदेश को पराजित करेगा।आगे उन्होंने इस बात को भी ध्यान में रखा कि संविधान स्वयं अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को समाज का सबसे पिछड़ा वर्ग मानता है इसलिए इस श्रेणी में आने वाले व्यक्ति को आरक्षण से अलग करने के मापदंड एक जैसे नहीं हो सकते। ऐसे में यदि इस श्रेणी का कोई व्यक्ति आरक्षण का लाभ पाकर चपरासी या शायद सफाई कर्मचारी का पद प्राप्त कर लेता है, तो वह सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग से संबंधित रहेगा। साथ ही, इस श्रेणी के लोग, जो आरक्षण का लाभ उठाकर जीवन में उच्च पदों पर पहुँच गए हैं, उन्हें सकारात्मक कार्रवाई का लाभ उठाने के लिए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा नहीं माना जा सकता। वे पहले ही उस स्थिति में पहुँच चुके हैं जहाँ उन्हें अपनी मर्जी से विशेष प्रावधानों से बाहर निकल जाना चाहिए और योग्य और जरूरतमंद लोगों को रास्ता देना चाहिए।
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राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा है। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह है, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी है। कहा है कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। इसके लिए दो शर्तें होंगी पहली: अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं। दूसरी: अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए। फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का है। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। फैसले का आधार: अदालत ने फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है, जिनमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों को सब-कैटेगरी में नहीं बांट सकते। फैसले के मायनेः राज्य सरकारें अब राज्यों में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेंगी। यानी अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा। मसलन- 2006 में पंजाब ने अनुसूचित जातियों के लिए निर्धारित कोटे के भीतर वाल्मीकि और मजहबी सिखों को सार्वजनिक नौकरियों में 50% कोटा और पहली वरीयता दी थी। CJI डीवाई चंद्रचूड़ : सब-क्लासिफिकेशन (कोटे में कोटा) आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि सब-कैटेगरीज को सूची से बाहर नहीं रखा गया है। आर्टिकल 15 और 16 में ऐसा कुछ नहीं है जो राज्य को किसी जाति को सब-कैटेगरी में बांटने से रोकता हो। SC की पहचान बताने वाले पैमानों से ही पता चल जाता है कि वर्गों के भीतर बहुत ज्यादा फर्क है। जस्टिस बीआर गवई : सब कैटेगरी का आधार राज्यों के आंकड़ों से होना चाहिए, वह अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकता। क्योंकि आरक्षण के बाद भी निम्न ग्रेड के लोगों को अपने पेशे को छोड़ने में कठिनाई होती है। ईवी चिन्नैया केस में असली गलती यह है कि यह इस समझ पर आगे बढ़ा कि आर्टिकल 341 आरक्षण का आधार है। जस्टिस गवई : इस जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता, एससी/एसटी के भीतर ऐसी कैटेगरी हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। सब कैटेगरी का आधार यह है कि बड़े समूह के अंतर्गत आने वाले एक समूह को ज्यादा भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अनुसूचित जातियों के हाई क्लास वकीलों के बच्चों की तुलना गांव में मैला ढोने वाले के बच्चों से करना गलत है। जस्टिस गवई : बीआर अंबेडकर ने कहा है कि इतिहास बताता है कि जब नैतिकता का सामना अर्थव्यवस्था से होता है, तो जीत अर्थव्यवस्था की होती है। सब-कैटेगरी की परमिशन देते समय, राज्य केवल एक सब-कैटेगरी के लिए 100% आरक्षण नहीं रख सकता है। जस्टिस शर्मा : मैं जस्टिस गवई के इस विचार से सहमत हूं कि एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान का मुद्दा राज्य के लिए संवैधानिक अनिवार्यता बन जाना चाहिए। असहमति जताने वाले जजों का बयान... जस्टिस बेला एम त्रिवेदी इस फैसले में असहमति जताने वाली इकलौती जज रहीं। उन्होंने कहा कि यह देखा गया कि आंध्र प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में स्टेटवाइज रिजर्वेशन के कानूनों को हाईकोर्ट्स ने असंवैधानिक बताया है। आर्टिकल 341 को लेकर यह कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रपति की अधिसूचना अंतिम मानी जाती है। केवल संसद ही कानून बनाकर सूची के भीतर किसी वर्ग को शामिल या बाहर करती है। अनुसूचित जाति कोई साधारण जाति नहीं है, यह केवल आर्टिकल 341 की अधिसूचना के जरिए अस्तित्व में आई है। अनुसूचित जाति वर्गों, जनजातियों का एक मिश्रण है और एक बार अधिसूचित होने के बाद एक समरूप समूह बन जाती है। राज्यों का सब-क्लासिफिकेशन आर्टिकल 341(2) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना के साथ छेड़छाड़ करने जैसा होगा। इंदिरा साहनी ने पिछड़े वर्गों को अनुसूचित जातियों के नजरिए से नहीं देखा है। आर्टिकल 142 का इस्तेमाल एक नया बिल्डिंग बनाने के लिए नहीं किया जा सकता है जो संविधान में पहले से मौजूद नहीं थी। कभी-कभी सकारात्मक कार्रवाई की नीतियों और संविधान में कई तरह से मतभेद होते हैं। इन नीतियों को समानता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। मेरा मानना है कि ईवी चिन्नैया मामले में निर्धारित कानून सही है और इसकी पुष्टि होनी चाहिए। पिछले सुनवाइयों में क्या-क्या हुआ 8 फरवरी 2024: कोर्ट ने कहा- सबसे पिछड़ों को फायदा पहुंचाने के लिए दूसरों को बाहर नहीं किया जा सकता सुनवाई के तीसरे दिन था। बेंच ने कहा कि मान लीजिए बहुत सारे पिछड़े वर्ग हैं और राज्य केवल दो को ही चुनता है। ऐसे में जिन्हें बाहर रखा गया है वे इसे चुनौती दे सकते हैं। सबसे पिछड़ों को लाभ देते समय राज्य सरकारें दूसरों को बाहर नहीं कर सकतीं। वरना यह तुष्टिकरण की एक खतरनाक प्रवृत्ति बन जाएगी। कुछ राज्य सरकारें कुछ जातियों को चुनेंगी, कुछ अन्य जातियों को चुनेंगी। हमें इसका पैमाना बनाना होगा।
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मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को यह फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी।जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया मस्जिद नहीं है। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का गर्भगृह है।वहीं, मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1968 में हुए समझौते के तहत मस्जिद के लिए जगह दी गई थी। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुस्लिम पक्ष की इस दलील को स्वीकार नहीं किया। अब 12 अगस्त से हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई होगी। विष्णु जैन ने कहा-अब हम सबूत पेश करेंगे हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा- 25 सितंबर 2020 को पहली याचिका दायर हुई थी। 4 महीने सुनवाई हुई। आज हाईकोर्ट ने 18 याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना। अब इस केस में ट्रायल चलेगा। हम लोगों को मौका मिलेगा कि हम सबूत पेश कर सकें। अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी पक्षकार बोले-अयोध्या की तरह मुस्लिम पक्ष केस लंबा खींचना चाहता था श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा- श्रीकृष्ण जन्मभूमि के इतिहास में आज का दिन मील का पत्थर साबित होगा। शुरू से ही शाही ईदगाह पक्ष के लोग रहे हों, या सुन्नी वक्फ बोर्ड के लोग... कहते रहें कि केस सुनवाई योग्य नहीं है। आज हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट कर दिया गया कि यह केस सुनवाई योग्य है। ये लोग (मुस्लिम पक्ष) लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट में केस को अयोध्या की तरह से लंबा खिंचना चाहते थे। हिंदू पक्ष बोला- नियमों के खिलाफ शाही ईदगाह कमेटी को जमीन दी गई हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल 18 याचिकाओं को शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने बहस के दौरान कहा- मथुरा कोर्ट में दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। मामला पूजा स्थल अधिनियम 1991 और वक्फ एक्ट के साथ लिमिटेशन एक्ट से बाधित है। इसलिए इस मामले में कोई भी याचिका न तो दाखिल की जा सकती है और न ही उसे सुना जा सकता है। हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया- इस मामले पर न तो पूजा स्थल अधिनियम का कानून और न ही वक्फ बोर्ड कानून लागू होता है। शाही ईदगाह परिसर जिस जगह मौजूद है वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन है। समझौते के तहत मंदिर की जमीन शाही ईदगाह कमेटी को दी गई, जो नियमों के खिलाफ है।
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सहारा इंडिया परिवार के लाखों निवेशक और कार्यकर्ता आज असमंजस और पीड़ा के दौर से गुजर रहे हैं। करोड़ों निवेशकों की रकम अभी भी फंसी हुई है, और हजारों कार्यकर्ता बेरोजगारी की कगार पर हैं। इस गंभीर स्थिति को लेकर सहारा इंडिया परिवार ने शनिवार 20 जुलाई को एक याचना पत्र बैतूल के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डीडी उइके को सौंपा है।इस याचना पत्र में सहारा इंडिया के कार्यकर्ताओं ने राज्य मंत्री से आग्रह किया है कि करोड़ों निवेशकों के भुगतान और लाखों सहारा इंडिया के कार्यकर्ताओं की बेरोजगारी की समस्या से केंद्र सरकार को अवगत कराएं। उन्होंने यह भी मांग की है कि सभी भुगतान सहकारिता विभाग की देखरेख में सहारा इंडिया के काउंटर से कराए जाएं। पीड़ितों ने बताया की सहारा इंडिया के निवेशकों की समस्याएं तब शुरू हुईं। जब सहारा समूह की सहकारी समितियों से जुड़े करोड़ों निवेशकों की जमाराशि के भुगतान के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। अमित शाह ने किया था वादा गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 18 जुलाई 2023 को इस पोर्टल का शुभारंभ किया था और कहा था कि पोर्टल पर पंजीकरण के उपरांत 45 दिनों के भीतर 10 हजार रुपये प्रत्येक जमाकर्ता के खातों में पहुंच जाएंगे। हालांकि, एक साल पूरा होने को है और बैतूल जिले के लाखों निवेशक अभी भी इस लाभ से वंचित हैं। कुछ प्रतिशत निवेशकों को ही 10 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई है। इसके बाद शेष जमा राशि और ब्याज का भुगतान कैसे और कब तक होगा, इसके बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं दिये जा रहे हैं। मार्च-2023 के बाद के खातों पर अनिश्चितता वर्तमान में केवल 31 मार्च 2023 के पहले पूर्ण हुए खातों का ही पोर्टल पर पंजीकरण हो पा रहा है। जिनकी परिपक्वता तिथि मार्च 2023 के बाद और आज दिनांक तक पूरी हो गई है। उनके बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलने से भ्रांतियों के कारण निवेशकों और कार्यकर्ताओं के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
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बिहार के मुजफ्फरपुर में फिर एक पत्रकार की हत्या किए जाने की जानकारी सामने आई है. जिले के तुर्की थाना क्षेत्र खरियार गांव में पत्रकार गौरव कुशवाहा की डेड बॉडी आम के पेड़ से लटकी पाई गई है. इस घटना से इलाके में हड़कंप का माहौल है.वारदात की जानकारी मिलते ही पुलिस और एफएसएल टीम ने मौके पर पहुंचकर छानबीन शुरू की. लोग पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि कुछ दिन पहले ही जिले में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई थी, अब फिर से यह दूसरा मामला है.मृतक के परिजनों का कहना है कि गौरव की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. ये समझ में नहीं आ रहा है कि किसने और क्यों उसकी हत्या कर दी. उसकी डेड बॉडी घर से मात्र 300 मीटर दूर बगीचे में आम की टहनी से लटकती मिली है.थाना प्रभारी तुर्की प्रमोद कुमार ने बताया कि शव पेड़ से लटकता हुआ पाया गया है. पुलिस हत्या के एंगल जांच कर रही है. गौरव के करीबियों और दोस्तों से जानकारी ली जा रही है. उनकी कॉल डिटेल्स भी खंगाली जा रही है.बता दें कि इससे पहले बी मुजफ्फरपुर में पत्रकार शिवशंकर झा की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी.
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मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से फेक न्यूज पेडलर मोहम्मद जुबैर को फॉलो करने की बात सामने आते ही सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। जिसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग के हैंडल को छोड़कर सभी को अनफॉलो कर दिया भारत में लोकसभा चुनाव हो या राज्यों में विधानसभा चुनाव। उस समय देश में सबसे ज्यादा ताकतवर पद कोई होता है, तो वो होता है मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) का। लेकिन भारत के मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, जिनके नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 2 माह पहले ही दुनिया के सबसे बड़े चुनाव अभियान को संपन्न कराया है, वो सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने की फैक्ट्री मोहम्मद जुबैर को फॉलो करते पाए गएयही नहीं, चुनाव आयोग पर सबसे ज्यादा हमला बोलने वाले राहुल गाँधी को भी वो एक्स पर फॉलो करते पाए गए। हालाँकि सोशल मीडिया पर जिस बात को लेकर लोगों का गुस्सा फूटा, वो मामला जुबैर को फॉलो करने से जुड़ा था। राजीव कुमार की फॉलोविंग लिस्ट में चुनाव आयोग का आधिकारिक हैंडल, आल इंडिया रेडियो न्यूज, राहुल गाँधी और मोहम्मद जुबैर था। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से फेक न्यूज पेडलर मोहम्मद जुबैर को फॉलो करने की बात सामने आते ही सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। जिसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग के हैंडल को छोड़कर सभी को अनफॉलो कर दिया। इस मामले में कई यूजर्स ने उन पर गुस्सा निकाला और पूछा कि मुख्य चुनाव आयुक्त मोहम्मद जुबैर को क्यों फॉलो करते हैं, जो कि फेक न्यूज फैलाने वाला व्यक्ति है। वो चुनाव आयोग के खिलाफ फेक न्यूज फैलाकर उसे बदनाम करता रहा है। कई लोगों ने बॉलीवुड फिल्म ‘द कश्मीर फाइल’ की मशहूर लाइन को लिखा, “सरकार भले ही आपकी हो, सिस्टम हमारा है। मिक्कू नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, “राजीव साब एक ऐसे आदमी को फॉलो कर रहे हैं जिसने चुनाव के समय चुनाव आयोग और ईवीएम में धांधली का दावा करने वाली हर पोस्ट को बढ़ावा दिया।”जयपुर डायलॉग्स ने लिखा, “भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ट्विटर पर सिर्फ़ 4 अकाउंट फ़ॉलो कर रहे हैं: चुनाव आयोग, राहुल गाँधी, एआईआर न्यूज़ और मोहम्मद ज़ुबैर, लेकिन अंदाज़ा लगाइए कि भारत में चुनावों को कौन प्रभावित कर रहा है?”सोशल मीडिया पर जबरदस्त गुस्सा देखते हुए सीईसी राजीव कुमार ने चुनाव निकाय को छोड़कर फर्जी खबर फैलाने वाले मोहम्मद जुबैर के एक्स हैंडल और विपक्ष के मौजूदा नेता राहुल गाँधी समेत बाकी सभी अकाउंट को अनफॉलो कर दिया। अपनी मौजूदा फॉलोइंग लिस्ट के अनुसार, सीईसी राजीव कुमार अब केवल चुनाव निकाय के आधिकारिक एक्स हैंडल को ही फॉलो कर रहे हैं।
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बीजेपी प्रवक्ता शाजिया इल्मी का मामला तूल पकड़ रहा है. अब भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. यह आरोप राजदीप द्वारा शाजिया इल्मी की एक वीडियो ट्वीट कर वीडियो जर्नलिस्ट के खिलाफ किए गए उनके व्यवहार को लेकर की गई आलोचना के बाद लगा है. मालवीय ने आरोप लगाते हुए कहा कि, “वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे चैनल के एंकर राजदीप सरदेसाई ने पार्टी प्रवक्ता शाजिया इल्मी का एक वीडियो जारी किया, जब वह अपने कपड़ों से माइक खोल रही थीं. उन्होंने कहा कि राजदीप का कृत्य यौन उत्पीड़न से कम नहीं है.” अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा है, “शो खत्म होनेया उसमें शामिल होने की सहमति वापस लेने के बाद भी किसी अतिथि की शूटिंग जारी रखना अनुबंध का घोर उल्लंघन है. शाजिया इल्मी की निजता और शारीरिक अखंडता का उल्लंघन करने के लिए इस विकृत व्यक्ति को अवश्य ही दोषी ठहराया जाना चाहिए.” वहीं इस मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “शाजिया इल्मी द्वारा शो से बाहर जाने का फैसला करने के बाद कैमरामैन द्वारा उनका वीडियो रिकॉर्ड करना शर्मनाक है और राजदीप सरदेसाई द्वारा वीडियो फुटेज जारी करना और भी शर्मनाक है.” बता दें शाजिया इल्मी द्वारा इंडिया टुडे के कैमरामैन से किए गए बर्ताव को लेकर सुबह से एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल है. अब यह वीडियो एक नए मोड़ की तरफ चल पड़ा है. बहुत से लोग इस वीडियो पर अपनी तरह से टिप्पणी कर रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने वीडियो साझा कर लिखा है, “TV शो से असहमति हो सकती है, एंकर से हो सकती है, किसी गेस्ट से हो सकती है, शो छोड़ सकते हैं लेकिन कैमरामैन के साथ इस अभद्रता का हक़ इनको किसने दिया है? वो तो अपना काम कर रहा था एक पत्रकार रहने के बावजूद यह बर्ताव-इतना अहंकार? Say sorry शाजिया इल्मी.”
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नोटिस पीरियड… ये शब्द कुछ लोगों के लिए सुखदायी होगा. पर इतनी ही पीड़ादायक भी है. पीड़ादायक तो क्या है मानसिक तनाव से कम नहीं है. नोटिस पीरियड कितने समय का होना चाहिए इसकी नियमावली कौन तय करेगा? क्या कंपनी अपने हिसाब से तय करे, या फिर लेबर कोर्ट कोई नियम लेकर आए? कहीं दो महीने का नोटिस पीरियड तो कहीं तीन महीने का. नोटिस पीरियड सर्व न करो तो तरह-तरह की धमकियां और दबाव बनाए जाते हैं. कंपनी केस करने की बात भी कहती है. क्या नोटिस पीरियड सर्व न करना एक बड़ा क्राईम है. दो से तीन महीने का नोटिस पीरियड करने का नियम किसने बनाया? सवाल इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि नोटिस पीरियड के दौरान सैलरी रोक दी जाती है. और आखिरी दिन के, कहीं 30 तो कहीं 45 दिन बाद सैलरी देने का प्रावधान है. अब मैं एचआर, उनके मैनेजमेंट और टॉप लेवल पर बैठे अधिकारियों से पूछना चाहता हूं कि दो महीने यानी 30 दिन + 45 दिन कुल मिलाकर 105 दिन तक किसी की तनख्वाह न देना कहां तक उचित है? कम से कम एक महीने की सेलरी तो दीजिए ताकि वो अपने खर्चे को नियमित कर आगे का काम कर सके. 105 दिन बिना रुपये के गुजारा कैसे किया जाए जनाब? चलो माना कि 2 महीने का 3 महीने तक का नोटिस पीरियड कर भी लिया जाए. पर जब आपको जरूरत होती है तो आप क्यों नहीं किसी कर्मचारी के लिए 2 महीने का इंतजार कर सकते हैं? तब तो सभी को एक हफ्ते के अंदर अंदर कर्मचारी ड्यूटी पर मिलना चाहिए. वर्ना तपाक से कह दिया जाता है कि अगर आप एक हफ्ते में ज्वाइन नहीं कर सकते तो हम दूसरे किसी को देख लेंगे. क्या यहां कर्मचारियों की कोई कीमत नहीं है? उसकी भावनाओं की जगह नहीं है? जब आप एक हफ्ते का इंतजार नहीं कर सकते तो अपनी कंपनी के कर्मचारियों पर दो महीने तीन महीने रुकने का दवाब क्यों बनाते हैं. जब ये सवाल मैंने कुछ सीनियर्स से पुछा तो उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि आपकी रिप्लेसमेंट को तलाशने में समय मिले. मैंने कहा चलिए ठीक है मेरी या किसी अन्य की रिप्लेसमेंट के लिए आपने 2 से 3 महीने का समय लिया. ये आपका मसला है. पर दो से तीन महीने तनख्वाह को रोक देना कहां तक उचित है? क्या दो महीने के नोटिस पीरियड में एक महीने की तनख्वाह नहीं देनी चाहिए? जब नोटिस पीरियड के नियम कंपनी बनाती है तो इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता व्यक्ति विशेष को मानसिक रुप से क्या क्या झेलना पड़ रहा होगा. 3 महीने के नोटिस पीरियड में न तनख्वाह हाथ में है न ही नई नौकरी का पता. ये तो वही बात धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का. कमाल है नोटिस पीरियड करे तो न सैलरी मिलेगी नई नौकरी का अता-पता होगा. नोटिस पीरियड नहीं करे तो सैलरी भी रोक दी जाएगी. केस होने का डर अलग से, और अनुभव प्रमाण पत्र न मिलने के कारण नई कंपनी में भी तलवार लटकी रहेगी. क्या इन सवालों का कोई जवाब है. यदि हां तो कृपया मेरी सभी मानव संसाधन, बोले तो एचआर हेड से निवेदन है कि इसका कोई तोड़ निकालें. और कर्मचारियों के हितों का भी ध्यान रखें. कल को वही कर्मचारी आपकी कंपनी में दोबारा आए तो फ्रेशनेस के साथ आए. मन में HR के प्रति नकारात्मकता लेकर नहीं!
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दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों की कई एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया। जस्टिस अनूप भंभानी की बेंच ने बाबा रामदेव को आदेश दिया है कि रामदेव 3 दिन के अंदर टिप्पणी वापस लें, जिसमें उन्होंने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। जस्टिस भंभानी ने कहा, ''मैंने पतंजलि, बाबा रामदेव और उनके प्रमोटरों को 3 दिनों में कुछ ट्वीट हटाने का निर्देश दिया है। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मीडिएटर इन ट्वीट को हटा देंगे।" दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। इसे लेकर डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी। डॉक्टरों ने पतंजलि के दावे के संबंध में अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोरोनिल से जुड़े बयानों को हटाने की अंतरिम राहत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 21 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। डॉक्टरों की याचिका में अपील- कोरोनिल को इम्यूनो बूस्टर का लाइसेंस मिला था डॉक्टरों की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि रामदेव ने कोरोनिल को कोविड की दवा बताते हुए कई भ्रामक दावे किए थे। जबकि, उन्हें कोरोनिल के लिए सिर्फ इम्यूनो-बूस्टर होने का लाइसेंस मिला था। डॉक्टरों के वकील ने यह मांग भी की थी कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोकने के लिए निर्देश दिए जाएं। रामदेव के वकील ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दर्ज कराए हैं, वे उन पर कायम हैं और हाईकोर्ट में उन बयानों को दोहरा सकते हैं। इस पर डॉक्टरों के वकील ने कहा था कि पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में यह वादा किया था कि वे बिना सोचे समझे ऐसे बयान नहीं देगा, जो कानून के मुताबिक न हों। कोरोनिल का मामला उस मामले से अलग है, लिहाजा इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला सुनाना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया दूसरी तरफ, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज पतंजलि आयुर्वेद पर कपूर उत्पाद बेचने पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश का उल्लंघन करने पर 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। 30 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने पतंजलि को कपूर उत्पाद बेचने से रोका था। एक हलफनामे में पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगी और अदालत के आदेशों का पालन करने की बात कही थी। अंतरिम आवेदन के जरिए कोर्ट को बताया गया था कि पतंजलि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। जस्टिस आरआई चागला ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ उसके कपूर प्रोडक्ट के संबंध में ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे में मंगलम ऑर्गेनिक्स के दायर अंतरिम आवेदन पर यह आदेश पारित किया है। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने दावा किया था कि पतंजलि ने 24 जून के बाद भी कपूर प्रोडक्ट बेचे। इसने आगे बताया कि 8 जुलाई को पतंजलि की वेबसाइट पर कपूर उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध थे। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने कहा कि पतंजलि के पेश हलफनामे में इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। पतंजलि ने 20 दिन पहले रोकी थी 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने 9 जुलाई सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि उसने बाजार में अपने 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री रोक दी है। उत्तराखंड ने अप्रैल में इन प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस सस्पेंड किए थे। यह जानकारी पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस से जुड़ी थी। यह केस IMA ने पतंजलि के खिलाफ दाखिल किया था।कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच को बताया कि लाइसेंस रद्द होने के बाद 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर्स को 14 प्रोडक्ट्स वापस लेने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मीडिया प्लेटफार्म्स से भी प्रोडक्ट्स के विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है। बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को दो सप्ताह के भीतर एक एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया। इसमें कपंनी को बताना है कि क्या सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर्स ने इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और क्या उन्होंने विज्ञापन वापस ले लिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि भ्रामक केस पर हुई थी सुनवाई पतंजलि भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं। उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने पतंजलि को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था। सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी इलाज के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। उत्तराखंड स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पूछा था- विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं। उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने पतंजलि को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था। सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी इलाज के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। उत्तराखंड स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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पुणे पोर्श केस में पुलिस ने करीब दो महीने बाद 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। सेशन कोर्ट में गुरुवार को दाखिल किए गए 900 पेज की चार्जशीट में 17 साल के नाबालिग आरोपी का नाम शामिल नहीं किया गया है। नाबालिग का मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के सामने है। वहीं, 7 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने और साक्ष्य मिटाने से संबंधित धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया है। इनमें नाबालिग के माता-पिता, ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टर और एक कर्मचारी और दो बिचौलिए शामिल हैं। नाबालिग ने पोर्श कार से बाइक को टक्कर मारी थी, दो लोगों की मौत हुई थी आरोपी ने 18-19 मई की रात पुणे के कल्याणी नगर इलाके में IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पोर्श स्पोर्ट्स कार चला रहा था। नाबालिग आरोपी को हाईकोर्ट ने जमानत दी बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून को नाबालिग को जमानत दे दी थी। तब कोर्ट ने कहा कि हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो।हाईकोर्ट के आदेश के बाद किशोर को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया और उसकी हिरासत उसकी मौसी को सौंप दी गई थी। हाईकोर्ट ने 3 आधार पर नाबालिग को जमानत दी... 1. हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी की उम्र 18 साल से कम, उसे ध्यान में रखना जरूरी आरोपी लड़के की आंटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिहाई की याचिका लगाई थी। इस याचिका में कहा गया था कि लड़के को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस भारती डांगरे और मंजुशा देशपांडे ने आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम भेजने के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया था। बेंच ने यह भी नोट किया कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश अवैध था और बिना जुरिस्डिक्शन के जारी किया गया था। एक्सीडेंट को लेकर रिएक्शन और लोगों के गुस्से के बीच आरोपी नाबालिग की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया। CCL 18 साल से कम उम्र का है, उसकी उम्र को ध्यान में रखना जरूरी है। 2. कोर्ट बोला- नाबालिग आरोपी के साथ बड़े आरोपियों जैसा बर्ताव नहीं कर सकता कोर्ट ने कहा कि हम कानून और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के उद्देश्य से बंधे हुए हैं और हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो। आरोपी रिहैबिलिटेशन में है, जो कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुख्य उद्देश्य है। वह साइकोलॉजिस्ट की सलाह भी ले रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा। 3. कोर्ट ने कहा था- एक्सीडेंट के बाद से आरोपी भी सदमे में है कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि, ये सही है कि इस एक्सीडेंट में दो लोगों की जान गई, लेकिन ये भी सच है कि नाबालिग बच्चा भी सदमे में है। कोर्ट ने पुलिस से भी पूछा था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने किस नियम के आधार पर अपने बेल ऑर्डर में बदलाव किया था। बेंच ने नोट किया था कि पुलिस ने जुवेनाइल बोर्ड के जमानत के आदेश के खिलाफ किसी ऊपरी अदालत में याचिका दाखिल नहीं की थी। इसे लेकर कोर्ट ने पूछा कि यह किस तरह की रिमांड है? इस रिमांड के पीछे कौन सी ताकत का इस्तेमाल किया गया है। यह कौन सी प्रक्रिया है जिसमें एक शख्स को बेल मिलने के बाद उसे कस्टडी में भेजने का आदेश दिया जाता है। नाबालिग को जमानत दे दी गई थी, लेकिन अब उसे ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है। क्या ये बंधक बनाने जैसा नहीं है। हम जानना चाहते हैं कि आपने किस ताकत का प्रयोग करके यह कदम उठाया है। हमें लगता था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड जिम्मेदारी से काम करेगा। महाराष्ट्र सरकार ने जुवेनाइल बोर्ड के मेंबर्स को भेजा था नोटिस 16 जून को महाराष्ट्र सरकार ने नाबालिग आरोपी को जमानत देने वाले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के दो सदस्यों को शो-कॉज नोटिस भेजा था।आरोपी को हादसे के बाद हिरासत में लिया गया था, लेकिन जुवेनाइल बोर्ड ने उसे 15 घंटे बाद ही जमानत दे दी थी। जमानत की शर्तों के तहत उसे सड़क दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने, ट्रैफिक पुलिस के साथ कुछ दिन काम करने और 7,500 रुपए के दो बेल बॉन्ड भरने को कहा गया था। राज्य सरकार ने जुवेनाइल बोर्ड के दो सदस्यों के कामकाज की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया कि दोनों ही सदस्यों के काम करने के तरीके में गड़बड़ियां मिली हैं। इसके बाद महिला व बाल विकास विभाग के कमिश्नर प्रशांत नरणावरे ने दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
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संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारतीय मीडिया क्षेत्र में 2023 में 1.7 लाख फ्लेक्सी या अनुबंधित कर्मचारी कार्यरत हैं। सर्वेक्षण में भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह संख्या ई-कॉमर्स क्षेत्र में नियोजित अनुबंधित कर्मचारियों के बराबर है।यह उन पत्रकारों के लिए अनिश्चित रोजगार स्थिति को दर्शाता है, जिन्हें सरकार को जवाबदेह ठहराना चाहिए। एक मीडिया प्रमुख ने नाम न बताने की शर्त पर हमारी सहयोगी वेबसाइट एक्सचेंज4मीडिया को बताया कि अनुबंधित और स्वतंत्र कर्मचारी स्थायी नियुक्तियों से जुड़ी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के बिना ही बदलते मार्केट ट्रेंड्स और प्रोजेक्ट्स की जरूरत के हिसाब से काम में फुर्ती दिखाते हैं। कुछ पत्रकारों के अनुसार, न केवल पारंपरिक और विरासत मीडिया घराने, बल्कि भारत और दुनिया भर में नए युग के डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म भी कम लागत पर कंटेंट क्रिएटर्स के अपने नेटवर्क को व्यापक बनाने के लिए फ्रीलांस कर्मचारियों को प्राथमिकता देते हैं डेटा सभी प्रमुख क्षेत्रों की फ्रीलांस, स्व-नियोजित या अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के काम पर निर्भरता को रेखांकित करता है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 15 प्रमुख क्षेत्रों में 54 लाख से अधिक लोग संविदा कर्मचारियों के रूप में कार्यरत हैं। ऐसे कर्मचारी अब विधायी प्रावधानों पर निर्भर नहीं रह सकते। 476 पन्नों का आर्थिक सर्वेक्षण इस बात पर जोर देता है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने कोविड के बाद अपनी रिकवरी को मजबूत किया है। नीति निर्माताओं ने आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वैश्विक अस्थिरता के बावजूद अर्थव्यवस्था का विस्तार जारी है।
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सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक मिनट से ज्यादा की अवधि का एक वीडियो वायरल है। बे-आवाज इस वीडियो में बीजेपी प्रवक्ता शाजिया इल्मी दिखाई पड़ रही हैं। शाजिया कान से ईयरफोन निकालती हैं, थोड़ी ही देर बाद वह किसी पर झपट्टा सा मारती दिखाई दे रही हैं। इस वीडियो को यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने शेयर कर लिखा है, “इंडिया टुडे के एक वीडियो जर्नलिस्ट के साथ भाजपा की संस्कारी प्रवक्ता शाजिया इल्मी द्वारा ये बर्ताव देखिये, माइक फेंका गया, गालियां दी गयी, घर के बाहर धक्के मारकर निकाला गया। क्यों? क्योंकि वो अपना काम कर रहा था? क्या BJP कार्यवाही करेगी? क्या चैनल भाजपा का बहिष्कार करेगा।”इससे पहले बीजेपी नेता शाजिया इल्मी ने एक्स पर राजदीप सरदेसाई, इंडिया टुडे और आजतक को टैग कर लिखा है, “क्या तुम फिर कभी मेरे साउंड फेडर को नीचे गिराओगे। याद रखें कि मैं दोनों पक्षों में रही हूं और जानती हूं कि आप जैसे बदमाशों को कैसे संभालना है। वैसे, पत्रकारों के भेष में उपदेश देने वाले राजनीतिक प्रचारकों को यह शोभा नहीं देता। और केवल शरारत पैदा करने के लिए एक पूर्व सेना प्रमुख को अन्य सभी रक्षा प्रमुखों के खिलाफ खड़ा करने से पहले अपने तथ्य जान लें। शाजिया ने आगे लिखा है, सेना प्रमुख का कहना है कि अचानक नहीं, अग्निपथ योजना ‘उचित परामर्श’ के बाद आई थी।” वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने शाजिया के ट्वीट को कोट कर जवाब दिया है कि, “महोदया, शाजिया इल्मी मैं हमेशा अपने सभी मेहमानों का सम्मान करता हूं। यदि कुछ भी हो, तो मैं बहुत अधिक कृपालु हूं: शो में क्रॉस टॉक और शोर से बचने के लिए ही साउंड फ़ेडर को नीचे किया गया है। यदि शो में आपकी मुझसे या सेना के किसी जनरल से शिकायत है, तो निःसंदेह यह आपका विशेषाधिकार है। और मैं उसका भी सम्मान करता हूं. लेकिन आपके लिए माइक को चकमा देना और हमारे वीडियो पत्रकार को गाली देना और उसे अपने घर से बाहर फेंकना अभी पूरा नहीं हुआ है। वह सिर्फ अपना काम कर रहे थे. बुरे व्यवहार के लिए कोई बहाना नहीं. बाकी मैं आप पर छोड़ता हूं. आपका सप्ताहांत मंगलमय हो.”
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कारगिल विजय दिवस पर जेपी बोले जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "बीजेपी का एक-एक कार्यकर्ता आज अपने जिले और इलाकों में फौजी भाइयों और देश के रक्षकों के साथ और जांबाज शूरवीरों के साथ गर्व से कारगिल विजय दिवस मना रहा है. हम लोगों के लिए ये दिन इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ रजत जयंती के रूप में मना रहे हैं. ये विजय सिर्फ कोई टाइगर हिल्स की विजय नहीं थी, ये विजय सिर्फ द्रास सेक्टर की विजय नहीं थी, ये विजय किसी पहाड़ी पर तिरंगे झंडे की विजय नहीं थी. ये भारत के शौर्य और अस्मिता की जीत थी. हमारा इतिहास है कि हम किसी पर पहले अटैक नहीं करते, लेकिन कोई अगर हम पर अटैक करे तो उसे नेस्तनाबूद करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते." करगिल दिवस पर क्या बोले अमित शाह? करगिल विजय दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "करगिल के युद्ध में वीर जवानों ने हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में पराक्रम की पराकाष्ठा का परिचय देते हुए दुश्मन की सेना को घुटने टेकने पर मजबूर किया और करगिल में पुन: तिरंगा लहराकर देश को गौरवान्वित किया. गृह मंत्री ने आगे बताया कि भारतीय सैनिकों के त्याग, समर्पण और बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं पाएगा. अमित शाह ने कहा, "आज “करगिल विजय दिवस” पर इस युद्ध में अपने साहस से मातृभूमि की रक्षा करने वाले वीर जवानों को नमन करता हूं." लोकसभा ने करगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी लोकसभा ने शुक्रवार को करगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. संसद के निचले सदन ने इस दौरान उनके सर्वोच्च बलिदान को याद किया. कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने करगिल युद्ध में शहीद होने वाले सैन्यकर्मियों और जवानों के पराक्रम का उल्लेख किया.
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पूर्व पत्रकार और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभात झा का निधन हो जाने का समाचार सामने आया है. आज सुबह गुरुग्राम के मेदांता में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. झा को लगभग 26 दिन पहले भोपाल के एक निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर गुरुग्रां ले जाया गया था. उनके बेटे अयत्न ने निधन की जानकारी देते हुए कहा कि अंतिम संस्कार ग्वालियर या पैतृक गांव कोरियाही, सीतामढ़ी (बिहार) में किया जाएगा. प्रभात झा मूलरूप से बिहार के रहने वाले थे. 4 जून 1957 को उनका जन्म दरभंगा स्थित हरिहरपुर गांव में हुआ था. वे परिवार के साथ मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जाकर बस गए थे. ग्वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी और माधव कॉलेज से पॉलिटिक्स में एमए और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी किया था. शादी के बाद उन्होंने स्वदेश नामक अखबार में रिर्पोर्टर की नौकरी की. पत्रकारिता के बाद राजनीति में प्रवेश किया. एमपी में मीडिया सेंटर की स्थापना करवाई. वे बीजेपी के मुखपत्र कमल संदेश के लंबे समय तक संपादक भी रहे थे. मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर कराने में उनका भी खासा योगदान रहा था. प्रभात झा अपनी कार्यकुशलता के चलते लंबे समय तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर काबिज रहे. उनके परिवार में पत्नी रंजना झा के अलावा दो पुत्र तुष्मुल और अयत्न झा हैं.
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बीजेपी के सीनियर लीडर और पूर्व मध्यप्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा का निधन हो गया है। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आज सुबह 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 67 वर्षीय झा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे अयत्न ने कहा कि अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर 3 बजे बिहार के सीतामढ़ी जिले के कोरियाही गांव में होगा। प्रभात झा को करीब 26 दिन पहले भोपाल के एक निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर गुरुग्राम ले जाया गया था। एक नजर प्रभात झा के जीवन पर.. प्रभात झा मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे। उनका जन्म 4 जून 1957 को बिहार के दरभंगा के हरिहरपुर गांव में हुआ था। वे परिवार के साथ मध्यप्रदेश के ग्वालियर आ गए थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद प्रभात झा ने ग्वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी, माधव कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री ली। उनकी शादी रंजना झा से हुई थी। दो बेटे हैं। बड़े बेटे तुष्मुल और छोटे अयत्न झा हैं। शादी के बाद वे पत्रकारिता करने लगे। लंबे समय तक पत्रकारिता के बाद वे राजनीति में आए और बीजेपी के सदस्य बने। 8 मई 2010 से 16 दिसंबर 2012 तक बीजेपी के मध्यप्रदेश अध्यक्ष रहे। 2008 में पहली और 2014 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने कई किताबें भी लिखी थीं। पत्नी से कहा था- अंतिम संस्कार पैतृक गांव में हो प्रभात झा के बेटे तुष्मुल ने सोशल मीडिया पर लिखा- जिस सुबह का डर पिछले 20 दिन से था, आखिर वह सुबह आज आ ही गई। मेरे बाबा आज सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर अनंत लोक प्रस्थान कर गए। तुष्मुल और अयत्न को अकेला छोड़ गए। हम सब चाहते थे कि बाबा की कर्मस्थली मध्यप्रदेश (ग्वालियर) में उनकी अंत्येष्टि हो। लेकिन बाबा ने हमारी माता जी से कभी इच्छा जाहिर की थी कि उनकी अंत्येष्टि जन्म धरती पर जहां मेरे दादाजी की अंत्येष्टि हुई थी, वहीं हो। अतः हम लोगों ने निर्णय लिया है कि बाबा की अंत्येष्टि कल 27 जुलाई को 3 बजे हमारे पुश्तैनी गांव कोरियाही, जिला सीतामढ़ी, बिहार में होगी। लौटा दी थी माल्या की 'लिकर' गिफ्ट वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली ने बताया कि प्रभात झा कई कारणों से चर्चाओं में रहे। अक्टूबर 2009 में लिकर किंग विजय माल्या (तत्कालीन राज्यसभा सदस्य) ने उनके घर बतौर तोहफा शराब की बोतल भेजी थी। झा ने बोतल लौटाते हुए पत्र लिखा, ‘मेरा आपसे न तो कोई परिचय है और न ही मेरे आपके अंतरंग संबंध हैं। मैं शराब का शौकीन भी नहीं हूं। आपने शराब की जगह कोई किताब भेजी होती तो अच्छा होता।’ उन्होंने यह पत्र सार्वजनिक भी किया। इसकी देश-विदेश के मीडिया में चर्चा भी हुई थी। सिंधिया को भूमाफिया कहकर सुर्खियों में रहे प्रभात झा सामंतवाद के विरोधी थे लेकिन राजमाता विजयाराजे सिंधिया के लिए सदैव समर्पित रहते थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के साथ भी मित्रता का भाव निभाया लेकिन उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ तब तक मोर्चा खोले रखा, जब तक ज्योतिरादित्य भाजपा में शामिल नहीं हो गए। उनको भू माफिया तक कहा लेकिन सिंधिया ने हमेशा दरियादिली दिखाई और वे प्रभात के पुराने आचरण को भूलकर उनसे मिलते-जुलते रहे। प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि प्रभात झा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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भारतीय जनता पार्टी ने पत्रकार प्रदीप भंडारी को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता घोषित किया है। इस तरह अब भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की संख्या 31 हो गई है, जिसमें सांसदों संबित पात्रा और सुधांशु त्रिवेदी जैसे बड़े नाम भी शामिल है। अनिल बलूनी BJP के मुख्य प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी हैं। प्रदीप भंडारी ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद अर्णब गोस्वामी के चैनल ‘रिपब्लिक वर्ल्ड’ पर कवरेज के दौरान सुर्खियाँ बटोरी थी, वो महाराष्ट्र की तत्कालीन MVA सरकार के खिलाफ खुल कर सामने आए थे।प्रदीप भंडारी ‘जन की बात’ नामक सेफोलॉजिकल ब्रांड के संस्थापक भी हैं, कई चुनावों में उनके अनुमान सटीक साबित हुए हैं। साथ ही वो ITV नेटवर्क के ‘इंडिया न्यूज़’ के न्यूज़ डायरेक्टर भी रहे हैं, उसके बाद वो ‘Zee News’ से जुड़े रहे। हर चैनल पर उनके शो को खासी लोकप्रियता मिली। ‘ज़ी न्यूज़’ में उन्हें कंसल्टिंग एडिटर का पद दिया गया था। उन्होंने कर्नाटक स्थित ‘मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ (MIT) से इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्युनिकेशंस में इंजीनियरिंग कर रखा है।प्रदीप भंडारी अब तक 40 चुनावों को लेकर अनुमान लगा चुके हैं। ‘इंडिया न्यूज़’ पर वो रोज रात 8 बजे ‘जनता का मुकदमा’ नामक शो लेकर आते थे। फरवरी 2021 में उन्होंने ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ से बतौर कंसल्टिंग एडिटर इस्तीफा दे दिया था। ‘रिपब्लिक टीवी’ पर उन्हें ‘ललकार’ नामक शो के जरिए शोहरत मिली थी। वो थैलेसेमिया बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाते हैं, इसके ब्रांड एम्बेस्डर हैं। प्रदीप भंडारी अब टीवी पर भाजपा का पक्ष रखते हुए दिखेंगे।मुंबई में NCB की दफ्तर के बाहर कवरेज के दौरान प्रदीप भंडारी पर कुछ पत्रकारों ने ही हमला कर दिया था। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स के चलन को लेकर आवाज़ उठाने के कारण उन पर मुकदमा भी दर्ज किया गया था। खार पुलिस थाने में मुंबई पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया था। ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ जैसे प्रपंची मीडिया संस्थान अक्सर उनके खिलाफ झूठ फैलाते रहते हैं। प्रदीप भंडारी काफी ऊर्जावान तरीके से रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते रहे हैं।
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सरकार के विज्ञापन आवंटन को लेकर बात की जाए तो नरेंद्र मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल मोदी 2.0 से अलग होने वाला नहीं है।बजट दस्तावेजों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए सूचना एवं प्रचार का बजट 1,089.23 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। सूचना एवं प्रचार के लिए 38 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय भी आवंटित किया गया है। इन आवंटन को सामाजिक सेवाओं के तहत शामिल किया गया है। इस वर्ष का आवंटन पिछले तीन वर्षों के आवंटन- 1,078.09 रुपये (संशोधित वित्त वर्ष 2023-24) और 1,001.15 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2022-23) की तुलना में थोड़ा अधिक है, लेकिन यह लगभग समान सीमा में है। यह भारत के कुल विज्ञापन राजस्व का लगभग एक प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 23 में लगभग एक लाख करोड़ रुपये था और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के बजट का लगभग एक चौथाई है। अंतरिम बजट सत्र में की गई घोषणा के अनुसार, 2024-2025 में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के लिए आवंटित राशि 4,342.55 करोड़ रुपये है। प्रसारण के लिए आवंटित की गई राशि को 3,071.52 करोड़ रुपये से घटाकर 2,959.94 करोड़ रुपये कर दिया गया है। प्रसारण का मुख्य रूप से मतलब प्रसार भारती व सरकारी टेलीविजन, ऑल इंडिया रेडियो, सामुदायिक रेडियो और डीटीएच जैसे संबंधित बुनियादी ढांचे से है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही समाप्त हो चुकी है, जो कि काफी हद तक लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत रही। ऐसा माना जाता है कि प्रचार राशि का अधिकांश हिस्सा अगले नौ महीनों के लिए है।पिछले वर्षों में, प्रचार बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रिंट और टेलीविजन विज्ञापनों पर खर्च किया गया था, जो कि लगभग 40 प्रतिशत था। बड़े मीडिया के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा सरकारी विज्ञापन से आता है। आर्थिक मंदी के समय, मीडिया कंपनियां राज्यों और केंद्र सरकारों द्वारा किए जाने वाले विज्ञापन खर्च पर और भी अधिक निर्भर हो जाती हैं।
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से मंगलवार को OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स को समन जारी किया गया, जिसमें नेटफ्लिक्स इंडिया की वाइस प्रेजिडेंट (कंटेंट व पॉलिसी हेड) मोनिका शेरगिल को 29 जुलाई को आयोग के समक्ष पेश होने को कहा गया है।आयोग ने यह समन तब जारी किया जब उसे यह शिकायत मिली थी कि नेटफ्लिक्स के प्लेटफॉर्म पर सेक्सुअल कंटेट दिखाया जाता है और ये कंटेंट नाबालिगों के लिए भी बड़ी आसानी से उपलब्ध है। NCPCR ने नेटफ्लिक्स को भेजे पत्र में कहा है कि आयोग को सेव कल्चर भारत फाउंडेशन के उदय माहुरकर की ओर से शिकायत मिली थी। आयोग ने मंगलवार को नेटफ्लिक्स को भेजे पत्र में कहा है कि नेटफ्लिक्स विचित्र दृश्य दिखा रहा है और यह कंटेंट नेटफ्लिक्स पर नाबालिगों के लिए आसानी से उपलब्ध है। नाबालिगों तक अश्लील कंटेंट की बिना रोक टोक पहुंच पॉक्सो अधिनियम-2012 का उल्लंघन है। आयोग ने कहा है कि इसी मामले पर जून की शुरुआत में नेटफ्लिक्स को पत्र लिखा गया था, लेकिन उसका जवाब नहीं मिला था। इसलिए अब आयोग को मिले कानूनी शक्तियों के तहत कंपनी के अधिकारियों को पेश होने को कहा गया है। वहीं, कमीनश के जारी नए समन पर नेटफ्लिक्स की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया। आयोग ने CPCR एक्ट 2005 की धारा 14 के तहत नेटफ्लिक्स से जुड़े अधिकारियों से इस मामले में अबतक के उनके उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ 29 जुलाई को दोपहर 3 बजे फिजिकली उपस्थित होने का कहा है।
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पाकिस्तान अपने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के बजाय आतंकवाद को बढ़ावा देता है, यही वजह है आज पाकिस्तान की माली हालत है. उसे बार-बार कर्ज लेकर देश को संभालना पड़ रहा है. हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान की जितनी जीडीपी ही है, उससे कहीं ज्यादा तो केवल अकेले महाराष्ट्र की है. वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी जहां 3397 अरब डॉलर रही, वहीं पाकिस्तान की जीडीपी महज 338 अरब डॉलर पर सिमट गई. आज अकेले महाराष्ट्र की जीडीपी ही पाकिस्तान से कहीं ज्यादा है. इस वक्त महाराष्ट्र की जीडीपी 439 अरब डॉलर के करीब है, जो पाकिस्तान की 338 अरब डॉलर जीडीपी से कहीं ज्यादा है. तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश भी काफी आगे महाराष्ट्र के बाद भारत में तमिलनाडु और यूपी काफी मजबूत राज्य हैं. तमिलनाडु की जीडीपी 23.6 लाख करोड़ रुपये तो वहीं 22.6 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी के यूपी की है. 22.4 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी के साथ कर्नाटक चौथे स्थान पर, वहीं गुजरात पांचवें स्थान पर आता है, जिसकी जीडीपी 19.4 लाख करोड़ रुपये है. भारत में सबसे कम जीडीपी वाला राज्य मिजोरम है, इसकी जीडीपी 0.3 लाख करोड़ रुपये है. यूपी और बिहार में सबसे कम आय टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति आय भी कई देशों के बराबर है. दिल्ली, गोवा और सिक्किम की स्थिति दक्षिण अफ्रीका के बराबर है, वहीं यूपी और बिहार जैसे राज्यों का हाल रवांडा और सोमालिया जैसा है. रिपोर्ट में कहा गया कि सिक्किम में प्रति व्यक्ति सालाना जीडीपी 5.20 लाख रुपये है. वहीं गोवा में 4.72 लाख, दिल्ली में 4.45 लाख रुपये हैं. तेलंगाना में 3.12 रुपये प्रति व्यक्ति जीडीपी है, वहीं 3.02 लाख प्रति व्यक्ति आय के साथ कर्नाटक पांचवें स्थान पर है. दूसरी तरफ मेघालय, झारखंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे पिछड़े राज्य हैं. बिहार में सालाना प्रति व्यक्ति आय महज 54 हजार रुपये है, वहीं उत्तर प्रदेश सालाना 84 हजार रुपये प्रति आय के साथ नीचे से दूसरे स्थान पर है.
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अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए 5 नवंबर को चुनाव होने हैं, इसी बीच रविवार को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन अपनी दावेदारी से पीछ हट गए हैं. इसके साथ ही बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का समर्थन किया है. अब इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि नवंबर में होने वाले चुनाव में कमला हैरिस रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के सामने हो सकती हैं.साल की शुरुआत में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी में बाइडेन ने 19-22 अगस्ते के बीच होने वाले डेमोक्रेटिक सम्मेलन के लिए सभी प्रतिनिधियो में से करीब 95 प्रतिशत जीत हासिल की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि बाइडेन के समर्थन के बाद ये प्रतिनिधि कमला हैरिस का भी समर्थन करेंगे. बाइडेन की दावेदारी से पीछे हटने से पहले अमेरिका के एबीसी न्यूज ने इप्सोस पोल का आयोज किया था, जिसमें डेमोक्रेटिक मतदाताओं ने 60-39 से बाइडेन के हटने का समर्थन किया. ट्रंप के सामने बाइडेन हुए पीछे इसके अलावा ट्रंप की बात की जाए तो 15-18 जुलाई के बीच रिपब्लिकन सम्मेलन के बाद ट्रंप का वोट प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद जताई गई है. राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से बता चला है कि ट्रंप की बाइडेन पर बढ़त 13 जुलाई को 1.9 अंक से बढ़कर 3.2 अंक हो गई है. वोटों की हिस्सेदारी ट्रंप के लिए 43.5 प्रतिशत और बाइडेन के लिए 40.2 प्रतिशत आंकी गई है. दरअसल , अमेरिका में राष्ट्रपति पद का फैसला वोट से नहीं बल्कि ईवी से होता है. ऐसे में यह अनुमान लगाया गया कि ईवी प्रणाली में बाइडेन काफी पीछे चल रहे हैं. दो चीजों से हैरिस को मिलेगा फायदा मेलबर्न विश्वविद्यालय के चुनावी विश्लेषक एड्रियन ब्यूमोंट ने कमला हैरिस की उम्मीदवारी पर अपना विश्लेषण दिया है. इसमें उन्होंने कहा कि अभी हैरिस बनाम ट्रंप चुनाव का विश्लेषण करना जल्दबाजी होगी, फिलहाल उन्होंने हैरिस की उम्मीदवारी को उचित बताया है. चुनावी विश्लेषक ने दो चीजों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि दो चीजें हैं जिनकी वजह से हैरिस को फायदा हो सकता है. उम्र के मामले में हैरिस को मिलेगी बढ़त एड्रियन ब्यूमोंट ने कहा कि अमेरिका में आर्थिक आंकड़ों में सुधार हुआ है और मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, इसका फायदा सीधे तौर पर हैरिस को मिल सकता है. इसके अलावा बाइडेन चुनाव तक 82 साल के हो चुके हैं, जबकि हैरिस उस समय 60 साल की रहेंगी. दूसरी तरफ ट्रंप 78 साल के हैं, ऐसे में बाइडेन के लिए जो उम्र का मसला था, वह हैरिस के लिए अब फायदेमंद हो सकता है. फिर भी ऐसे उम्मीदवार का चयन करना जिसका प्राइमरी में चयन नहीं हुआ यह काफी जोखिम भरा हो सकता है. नया उम्मीदवार लाना समझदारी- चुनावी विश्लेषक हालांकि, बाइडेन की उम्र मतदाताओं के लिए चिंता का विषय है, साथ ही वह ट्रंप से पहले ही पीछे चल रहे हैं. ऐसे में एक नए उम्मीदवार को लाना यह डेमोक्रेटिक के लिए समझदारी भार कदम है. चुनावी विश्लेषक ने बताया कि ऐसे कदम पहले भी अन्य देशों में भी उठाए गए हैं.
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इजराइल-ग़जा युद्ध में अब तब 39,000 लोगों ने जान गंवाई है, इनमें 108 पत्रकार भी शामिल हैं. यह आंकड़ा सीपीजे ने जारी करके हुए कहा है कि, “यह1992 के बाद पत्रकारों के लिए सबसे घातक अवधि है.”7 अक्तूबर 2023 से शुरू हुए इस युद्ध को लेकर सीपीजे की तरफ से 22 जुलाई 2024 तक के आंकड़े जुटाए गए हैं. जिसके अनुसार अब तक मारे गए, घायल और लापता हुए पत्रकारों का रिकॉर्ड दिया गया है. नीचे देखें… 108 मीडियाकर्मियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जिनमें 103 फ़िलिस्तीनी, 2 इजराइली और 3 लेबनानी हैं. 32 पत्रकारों के घायल होने की खबर है. दो पत्रकारों के लापता होने की सूचना. 51 पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा अनेक हमले, धमकियां, साइबर हमले, सेंसरशिप और परिवार के सदस्यों की हत्याएं शामिल हैं. CPJ अन्य पत्रकारों के मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लेने, चोट पहुंचाने या धमकाने सहित मीडिया कार्यालयों तथा पत्रकारों के घरों को नुकसान पहुंचाने संबंधी रिपोर्टों की जांच कर रहा है. क्या है सीपीजे? सीपीजे (CPJ) पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बना एक अंतरार्ष्ट्रीय संगठन है, जो दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है. यह प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन और पत्रकारों पर हमलों की निगरानी और रिपोर्ट करता है. हिरासत में लिए गए पत्रकारों की ओर से कूटनीतिक और कानूनी वकालत करता है, साथ ही जरूरतमंद पत्रकारों को आपातकालीन सुविधा मुहैया कराता है.
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यूट्यूब की आड़ में अपहरण कर जबरन जिस्मफरोशी का धंधा कराने वाली एक महिला YouTuber को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी महिला का नाम सबा खान बताया जा रहा है। सहारनपुर की रहने वाली शहजादी (बदला हुआ नाम) ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उसका अपहरण कर सबा खान को डेढ़ लाख रुपये में बेच दिया गया था। जिसके बाद सबा ने उसे जबरन जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया। पुलिस ने 26 जून को इस आधार पर एक एफआईआर दर्ज की थी। जिसके बाद कथित यूट्यूबर सबा खान को गिरफ्तार किया गया है। एसएचओ सिटी जगदीश चंद्र के मुताबिक, सबा खान नामक महिला को हिरासत में लिया गया है। उसे न्यायालय में पेश कर तीन दिन की रिमांड की मांग की जाएगी। उससे गहनता से पूछताछ की जा रही है ताकि सभी पहलुओं की पड़ताल की जा सके। पुलिस ने बताया कि वह अपने आप को यूट्यूब पत्रकार बताती है और एक चैनल चलाती है। इसी की आड़ में उसने अवैध धंधे, जबरन जिस्मफरोशी और अपहरण इत्यादि संचालित किए हुए हैं। पीड़िता ने लगाए ये आरोप इसके अलावा पुलिस ने यह भी दावा किया कि सबा खान के खिलाफ कई और मामलों की भी जांच की जा रही है ताकि उससे जुड़े अन्य संदिग्धों की भी पहचान और भूमिका सुनिश्चित की जा सके। रुकसाना (काल्पनिक नाम) ने पुलिस को दिए अपने बयान में यह भी बताया कि सबा खान ने उसे मानसिक और शारीरिक यातनाएं दीं और जबरन इस घिनौने धंधे में शामिल किया। पुलिस ने रुकसाना (काल्पनिक नाम) को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है।
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कहते हैं कि अगर दिल में नेकी करने का इरादा हो तो राहें अपने आप बन जाती हैं. फिर भले ही आपके पास बहुत ज्यादा पैसा न हो लेकिन अच्छे काम के लिए साधन जुट जाते हैं. और इस बात को साबित कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के विशाल सिंह, जिन्हें आज फूडमैन के नाम से जाना जाता है. क्योंकि उनके प्रयासों के कारण ही सरकारी अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले 1,200 से ज्यादा गरीब लोग भूखे नहीं रहते हैं. 43 वर्षीय विशाल सिंह लखनऊ के तीन अस्पतालों – किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अपने गंभीर रूप से बीमार रिश्तेदारों के साथ आने वाले लोगों को फ्री में खाना खिलाते हैं. इस काम को उन्होंने अपने जीवन का मिशन बना लिया है. खुद के अनुभव से मिली प्रेरणा इस निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा विशाल सिंह को अपने अनुभवों से मिली. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2003 में, वह गुरुग्राम के एक अस्पताल में अपने बीमार पिता की देखभाल कर रहे थे. इलाज में उन्हें काफी खर्च करना पड़ा और एक मध्यम-वर्गीय परिवार के लिए यह खर्च काफी बड़ा था. इस कारण एक वक्त ऐसा आया कि उनके लिए दो वक्त के खाने की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा था. उनके पिता को अस्थमा के साथ-साथ फेफड़ों का संक्रमण भी था.रूड़की के मूल निवासी विशाल ने बीमारी के कारण अपने पिता को खो दिया. इसके बाद वह नौकरी के लिए लखनऊ आए और यहां बहुत मुश्किलों से अपना काम शुरू किया. लेकिन उनके भीतर एक संकल्प पनप रहा था. उन्होंने ठाना कि जब भी वह सक्षम होंगे तो वह सुनिश्चित करेंगे की अपने बीमार परिवारजन की देखभाल करने वाला एक भी व्यक्ति भूखा न रहे. ज्योतिष में स्नातक विशाल का मानना है कि नर (मनुष्य) की सेवा करना नारायण (भगवान) की सेवा करना है. साल 2005 से कर रहे हैं यह काम उन्होंने अपनी पहल शुरू करने के लिए सरकारी अस्पतालों को चुना क्योंकि इनमें ज्यादातर गरीब लोग आते हैं, जो इलाज का खर्च मुश्किल से वहन कर पाते हैं. सरकारी अस्पताल मरीजों को मुफ्त दवा और भोजन देते हैं, लेकिन इन अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले लोग शायद ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर पाते हैं. 2005 में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के अधिकारियों ने मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों की सेवा के लिए उनसे संपर्क किया था.उन्हें अपनी रसोई बनाने के लिए जगह भी दी गई. इसके साथ, उन्होंने ‘प्रसादम सेवा’ शुरू की, जो लगभग 100 लोगों को प्रतिदिन तीन बार भोजन परोसती थी. ‘प्रसादम सेवा’ तुरंत हिट हो गई और उनकी पहल को जो प्रतिक्रिया मिली इससे उन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिला. मरीजों के परिजनों को खाना खिलाने का क्रम दिन-ब-दिन चलता रहा. केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी उनके समर्पण को देखकर उन्हें अपनी रसोई चलाने के लिए जगह देने पर सहमति जताई. अब, उनकी पहल का दायरा तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों और लखनऊ में नई बनी डीआरडीओ कोविड सुविधा तक बढ़ गया है.लखनऊ में विशाल के शुरुआती दिन बहुत मुश्किल थे. सिंह ने हजरतगंज में पार्किंग अटेंडेंट के रूप में काम किया, साथ ही आजीविका चलाने के लिए एक छोटे रेस्तरां में बर्तन भी धोए. लेकिन उनका सपना कभी ओझल नहीं हुआ. उन्होंने एक चाय की दुकान भी चलाई. लगभग चार वर्षों के संघर्ष के बाद, वह एक इलेक्ट्रोड फैक्ट्री और अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के जरिए कुछ बेहतर स्थिति में पहुंचे. साल 2007 में उन्होंने अपने पिता विजय बहादुर सिंह के नाम पर विजयश्री फाउंडेशन का गठन किया.वर्तमान में, विशाल सिंह की ‘प्रसादम सेवा’ हर दिन 1200 से ज्यादा लोगों को बिना एक पैसा लिए खाना खिलाती है।.कोविड महामारी के दौरान यह संख्या लगभग 2500 तक पहुंच गई. महामारी की दूसरी लहर के दौरान उनके फाउंडेशन ने 7.5 लाख से अधिक भोजन पैकेट वितरित किए. इसके लिए उन्हें यूपी के राज्यपाल से पुरस्कार मिला. निःशुल्क भोजन सेवा के लिए तीनों अस्पतालों में प्रतिदिन दोपहर 12.30 बजे से 3.30 बजे के बीच ‘प्रसादम सेवा’ के टोकन वितरित किए जाते हैं. नियमित मेनू में रोटी, दाल, चावल, दो सब्जियां, सलाद और पापड़ शामिल हैं. वह जो भी परोसते हैं उसकी गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते. वह कहते हैं, ”मुझे लगता है कि मैं अपनी बेटी की शादी में मेहमानों को खाना खिला रहा हूं. यह कम क्वालिटी का कैसे हो सकता है?” कोविड महामारी के दौरान जब कोई व्यक्ति अपने घर से निकलने तक को तैयार नहीं था तब फूडमैन विशाल सिंह द्वारा पांच कम्युनिटी किचन बनाकर, खासतौर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बिहाफ पर डीआरडीओ कोविड केंद्र एवं हज हाउस कोविड सेंटर का संचालन उन्हें दिया गया था. यहां उन्होंने सैकड़ों की तादाद में मरीजों व उनके परिजनों को निशुल्क भोजन कराने के साथ ही ऑक्सीजन रेगुलेटर बनाकर लाखों लोगों की जिंदगी बचाई.
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सीतापुर के थाना रेउसा क्षेत्र में बीती 17 जुलाई को पत्रकार प्रेम प्रकाश वाजपेयी पर दर्ज किए गए मुकदमे को लेकर पत्रकारों में काफी रोष रहा। इस मामले को लेकर शुक्रवार को पत्रकारों ने एसपी चक्रेश मिश्रा से मिल कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पत्रकार प्रेम वाजपेयी पर दर्ज केस से गंभीर धाराएं हटाने और दूसरे पक्ष पर भी केस दर्ज करने की मांग रखी गई। ज्ञात हो आई बीती 17 जुलाई की शाम को रेउसा के रहने वाले पत्रकार प्रेम प्रकाश वाजपेयी का संदीप अवस्थी नाम के एक व्यक्ति से विवाद हो गया था। जिसके चलते संदीप अवस्थी ने अपने साथियों के साथ मिल कर पत्रकार की लात घूसों से पिटाई कर दी थी। वहीं जब पत्रकार द्वारा अपने बचाव के लिए हाथापाई की गई तो हमलावरों में इसका वीडियो बना कर प्रेम वाजपेयी पर ही मारपीट करने का आरोप लगा दिया। इतना ही नहीं लूट का आरोप लगाते हुए रेउसा थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी थी। इधर जब प्रेम वाजपेयी प्रार्थना पत्र लेकर थाने पहुचें तो पुलिस ने उनका केस दर्ज करने के बजाय उन्हें ही थाने में बैठा दिया था। जिसके बाद 18 जुलाई को प्रेम वाजपेयी के पेट व अन्य अंगों में भारी दर्द की शिकायत होने पर पुलिस उन्हें सीएचसी ले गई, बाद में उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। जहां पर उनका इलाज जारी है।प्रेम वाजपेयी पर लूट समेत अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज केस के विरोध में शुक्रवार को पत्रकारों ने एसपी चक्रेश मिश्रा से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें मांग की गई कि पत्रकार प्रेम वाजपेयी पर लगी फर्जी लूट की धारा हटाई जाए। इस पर एसपी ने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि प्रेम के केस से सभी गंभीर धाराएं हटा दी जाएगी। इसके साथ ही एसपी ने बताया कि संदीप अवस्थी की ओर से उनके साथ हुई मारपीट का वीडियो साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराया गया है। यदि पत्रकार की ओर से भी ऐसा कोई साक्ष्य मिल जाये तो इस पक्ष की ओर से भी केस दर्ज करा दिया जाएगा।एसपी ने पत्रकारों को आश्वासन दिया है कि मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच कराते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मौके पर पत्रकार सुधांशु सक्सेना, अजय विक्रम सिंह, सुभाष शुक्ला, श्रेष्ठ सक्सेना, अमरजीत सिंह, आशीष मिश्र, आनंद शुक्ला, ओम प्रकाश मिश्रा, हिमांशु सिंह, वैभव दीक्षित, रोहित मिश्रा, ज्ञान प्रकाश सिंह ष्प्रतीकष् साकेत चौहान, अनुज सिंह भदौरिया समेत अन्य कई पत्रकार साथी मौजूद रहे।
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छतरपुर: बागेश्वरधाम में भी दुकानदारों को अपनी दुकान के बाहर नेम प्लेट लगानी पड़ेगी, जिसमें इस बात का जिक्र करना होगा कि वह दुकान किसकी है। खुद बागेश्वर धाम सरकार के नाम से प्रसिद्ध धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ये बात कही है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने क्या कहा? धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि दुकानदारों को दस दिन के अंदर दुकान के बाहर नेम प्लेट लगानी पड़ेगी। शास्त्री ने कहा कि न हमें राम से दिक्कत है, न रहमान से दिक्कत है। हमें कालनेमियों से दिक्कत है। धीरेंद्र ने कहा कि नाम बताने में कोई दिक्कत नहीं है, आप जो हो, वो अपनी नेम प्लेट में बाहर टांग दो। धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं का धर्म भ्रष्ट न हो, यह मेरी आज्ञा है, नहीं तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी। अपने बाप को बाप कहना चाहिए दूसरे के बाप को नहीं: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हालही में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था कि दुकानों के बाहर नाम लिखना अच्छा काम है। उन्होंने सरकार के उस फैसले का स्वागत किया और साधूवाद दिया था, जिसमें दुकान के मालिकों से उनका पूरा नाम दुकान के बाहर लिखने के लिए कहा गया है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था, 'हमें अपने बाप को बाप कहना चाहिए, दूसरे के बाप को अपना बाप नहीं, सच सामने आना चाहिए। नाम लिखने मे क्या तकलीफ है।'
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मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, पूर्व मंत्री और पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की मुश्किलें खत्म नहीं होने का नाम ले रही हैं. प्रदेश के भिंड जिले के लहार स्थित मकान को अतिक्रमण बताने की प्रशासनिक कार्रवाई वाले मामले में उन्हें राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. उनके द्वारा मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में दायर रिट अपील में भी कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा है. वहीं उनकी कोठी के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है. जबकि डॉ सिंह ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है. जानिए आखिर क्या था पूरा मामला पूरा मामला जिला भिंड के लहार के मझतोरा चौराहे के पास बनी पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की कोठी से जुड़ा हुआ है. इस कोठी को लेकर आरोप है कि यह कोठी सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनाई गई है. इस मामले में 15 जुलाई को राजस्व निरीक्षक ने सीमांकन के लिए डॉ गोविंद सिंह को नोटिस जारी किया था. संभावित कार्रवाई की आशंका से गोविंद सिंह के बेटे अमित प्रताप ने हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर कर कोठी तोड़े जाने की आशंका जताई थी. हाईकोर्ट का कहना था कि नोटिस में सिर्फ सीमांकन की बात थी, गोविंद सिंह के परिवार को भी वहां मौजूद रहने को नोटिस में कहा गया था. इसलिए हाईकोर्ट का हस्तक्षेप फिलहाल इस याचिका में नहीं किया जा सकता. यह कहते हुए हाईकोर्ट ने डॉ गोविंद सिंह के बेटे की याचिका को खारिज कर दिया था. इसके खिलाफ डीबी में रिट अपील में सिंगल बेंच केन कोर्ट के आदेश को फिर चुनौती दी गई. इस पर भी डिवीजन बेंच ने डॉ गोविंद सिंह को कोई राहत नहीं दी है.हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए ये कहा डॉ गोविंद सिंह ने भिंड जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक अंबरीश शर्मा पर आरोप लगाया है कि सरकार उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है और उनका मकान तोड़ने पर आमादा है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन सत्ता पार्टी के दवाब में हमारा मकान तोड़ने पर आमादा है. डॉ सिंह ने कहा कि दो दिन की जांच में टीम को चिन्ह नहीं मिला अब पता चला कि वह सेटेलाइट के गलत नक्शे के आधार पर प्रशासन हर हाल में मकान तोड़ने पर आमादा है. बदले की भावना से की जा रही है कार्रवाई डॉ सिंह ने कहा कि मकान के लिए हमने जमीन खरीदी है और सभी से रजिस्ट्री करवाई थी. फिर भी अगर उन्हें लगता है कि हमने कुछ गलत किया है तो हमें नोटिस दें. अगर गलत होगा तो हम खुद अपने हाथों से तोड़ लेंगे. उन्होंने कहा स्थानीय विधायक चुन - चुनकर हमारे कार्यकर्ताओं को टारगेट कर रहे हैं और उन्हें जेल में डलवा रहे हैं. अब हमारा मकान तोड़कर हमें अपमानित करने का काम कर रहे हैं.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) खर्च के मामले में देश की सबसे बड़ी रीजनल पार्टी है। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में पार्टी की कमाई 333.45 करोड़ रुपए थी, जबकि खर्च 181.1 करोड़ रुपए किए।वहीं, कमाई के मामले में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) टॉप पर रही। 2022-23 में पार्टी की कमाई 737 करोड़ रुपए रही, जबकि खर्च के 57.47 करोड़ रुपए रहा। आंध्र प्रदेश के पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSR कांग्रेस कमाई के मामले में तीसरे और खर्च के मामले में दूसरे नंबर पर रही। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में देश की 57 में से 39 रीजनल पार्टियों की कमाई और खर्च का ब्योरा जारी किया है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, सभी पार्टियों को अपनी सालाना आय-व्यय की रिपोर्ट आयोग का सौंपनी होती है। रीजनल पार्टियों ने कमाई के मुकाबले एक चौथाई कम खर्च किया ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में 39 क्षेत्रीय पार्टियों की कुल आय एक हजार 740 करोड़ रुपए थी जो पिछले साल 2021-22 की तुलना में 20 करोड़ रुपए अधिक है। वहीं पार्टियों का खर्च केवल 481 करोड़ रुपए ही रहा। यानी कमाई के मुकाबले खर्च एक चौथाई से भी कम है। 18 पार्टियों ने ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करवाई ADR के मुताबिक, देश की 18 रीजनल पार्टियों ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की अपनी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को जमा नहीं की। इसमें शिवसेना, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, J&K नेशनल कॉन्फ्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (UBT) भी शामिल हैं। पार्टियों को 31 अक्टूबर, 2023 तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर एनुअल ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी थी। केवल 16 ने समय ही समय सीमा का पालन किया और 23 पार्टियों ने अपनी रिपोर्ट देरी से जमा की। 20 पार्टियों ने कमाई से ज्यादा किया खर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 19 रीजनल पार्टियों ने अव्ययित आय (अनस्पेंट इनकम) घोषित की। BRS की अव्ययित आय सबसे अधिक 680 करोड़ रुपए थी। उसके बाद बीजू जनता दल की 171 करोड़ रुपए और डीएमके की 161 करोड़ रुपए रही थी। इसके विपरीत 20 पार्टियों ने कमाई से ज्यादा खर्च होने की जानकारी दी। इसमें जनता दल (सेक्युलर) ने अपनी आय से 490% अधिक खर्च किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि दान और चुनावी बांड से पार्टियों को सबसे ज्यादा पैसा मिला, जिसकी राशि एक हजार करोड़ रुपए थी।
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UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि इस्तीफे के बाद सामाजिक और धार्मिक कामों पर ध्यान देंगे। उन्होंने 14 दिन पहले अपना इस्तीफा कार्मिक विभाग (DOPT) को भेजा था, इसकी जानकारी आज (20 जुलाई को) सामने आई है। अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। उनका कार्यकाल मई 2029 तक था। उन्होंने 16 मई 2023 को UPSC के अध्यक्ष के रूप में शपथ ली थी।राज्यसभा सांसद ने कहा- विवादों के बीच पद से हटाया गया इस्तीफे की जानकारी आने के बाद मनोज सोनी ने कहा है कि उनका इस्तीफा ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के विवादों और आरोपों से किसी भी तरह से जुड़ा नहीं है। वहीं, कांग्रेस लीडर और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने चेयरमैन के इस्तीफे पर कहा है कि उन्हें UPSC से जुड़े विवादों के बीच पद से हटाया गया है।उन्होंने कहा कि 2014 से अबतक लगातार संवैधानिक बॉडी की शुचिता बुरी तरह प्रभावित हुई है।मनोज सोनी के कार्यकाल के दौरान IAS ट्रेनी पूजा खेडकर और IAS अभिषेक सिंह विवादों में रहे। इन दोनों पर OBC और विकलांग कैटेगरी का गलत फायदा उठाकर सिलेक्शन लेने का आरोप लगा। पूजा खेडकर ने लो विजन का हवाला देते हुए विकलांग कैटेगरी से सिलेक्शन हासिल किया था। अभिषेक सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा विकलांग कैटेगरी से पास की थी। उन्होंने लोकोमोटिव डिसऑर्डर यानी खुद को चलने-फिरने में अक्षम बताया था। अभिषेक ने अपने एक्टिंग करियर के लिए IAS से इस्तीफा दे दिया थाUPSC भारत के संविधान में अनुच्छेद 315-323 भाग XIV अध्याय II के तहत संवैधानिक बॉडी है। यह आयोग केंद्र सरकार की ओर से कई परीक्षाएं आयोजित करता है। यह हर साल सिविल सेवा परीक्षाएं आईएएस, भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और केंद्रीय सेवाओं- ग्रुप ए और ग्रुप बी में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। आयोग में अध्यक्ष के अलावा 10 मेंबर गवर्निंग बॉडी में होते हैं। शुक्रवार तक अध्यक्ष के अलावा बॉडी में सात सदस्य थे। इनमें गुजरात लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष दिनेश दासा भी शामिल थे।
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रूस के साथ भारत की नजदीकियां बढ़ने की वजह से अमेरिका अपनी मनमानी करने लगा है. अब खबर है कि अमेरिका भारत को तेजस लड़ाकू विमान में इस्तेमाल होने वाले इंजन की सप्लाई में देरी कर रहा है. इसकी वजह से तेजस के प्रोडक्शन में कमी देखने को मिली है. स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट का कहना है कि अगर इसकी सप्लाई में देरी होती है तो भारत अमेरिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी खत्म कर सकता है स्पुतनिक ने भारतीय वायुसेना के एक रिटायर्ड अधिकारी के हवाले से लिखा, "अगर वाशिंगटन भारत के स्वदेशी विमान तेजस के लिए जेट इंजन की सप्लाई में पिछड़ता रहा तो अमेरिका के ऊपर सवाल उठ जाएंगे. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट को भी समाप्त किया जा सकता है." इंजन की सप्लाई नहीं होने से पड़ेगा IAF पर असर एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एम. माथेस्वरन ने कहा, "अमेरिकी F404 इंजन की सप्लाई में देरी से भारतीय वायुसेना पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि तेजस Mk1 और तेजस Mk1A के 6 स्क्वाड्रन जल्द ही सर्विस में शामिल किए जाने वाले हैं वहीं, रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय सेना से मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त पीके सहगल ने बताया कि भारत के लिए दूरदृष्टि रखना बहुत जरूरी है. 15 साल बाद क्या तकनीक आएगी, यह भी देखना है. पांचवीं पीढ़ी के अलावा छठी पीढ़ी की तकनीक भी आ सकती है. ऐसे में भारत को भी तकनीक के मामलों में दूसरों से आगे रहना है तो खत्म हो जाएगा भारत-अमेरिका का कॉन्ट्रैक्ट माथेस्वरन ने कहा, भारतीय वायु सेना 45 की जगह 32 स्क्वाड्रन से काम चला रही है. अगर तेजस लड़ाकू विमान की अगली पीढ़ी के Mk2 वर्जन के लिए F414 इंजन भारत को नहीं मिलते हैं तो कॉन्ट्रैक्ट खतरे में पड़ जाएगा वहीं, मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि तेजस को बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विमान के लिए विकल्पों के बारे में सोचना शुरू कर दिया है. जब तेजस योजना शुरू हुई थी, तब रूस कावेरी इंजन के लिए भारत के साथ हाथ मिलाने के लिए उत्सुक था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था. उनका मानना है कि इस क्षेत्र में रूस के साथ साझेदारी निश्चित रूप से भारत के लिए फायदेमंद होगी. कितने तेजस बनाने हैं अभी? तेजस अपनी कैटेगरी का सबसे छोटा और सबसे हल्का विमान है. इस विमान का इस्तेमाल जमीनी हमले, हवा से हवा में युद्ध और वायु रक्षा जैसी कई भूमिकाओं के लिए किया जा सकता है. तेजस Mk1, Mk1A और Mk2 वेरिएंट भविष्य में भारतीय वायु सेना के मिग-21, मिग-29 और जगुआर की जगह लेंगे. इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कर रही है तेजस मार्क 2 एक अधिक शक्तिशाली जेट है और इसे एक बड़े इंजन की आवश्यकता है. एचएएल ने आठ F414 इंजन खरीदे हैं. भारतीय वायु सेना तेजस Mk2 के 6 स्क्वाड्रन बनाना चाहती है और प्रोटोटाइप का परीक्षण 2026 में किए जाने की उम्मीद है.
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यूपी पीसीएस जे 2022 भर्ती परीक्षा में कॉपियों की अदला बदली और गड़बड़ी के विवाद से जुड़ी खबर सामने आ रही है. इस विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. यूपी लोक सेवा आयोग के चेयरमैन की तरफ से कोर्ट में दाखिल सप्लीमेंट्री एफिडेविट किया गया. हाईकोर्ट ने चेयरमैन के एफिडेविट पर जवाब दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता को दो हफ्ते का समय दिया गया है. याचिकाकर्ता श्रवण पांडेय की तरफ से आज अलग से एक अर्जी दाखिल की गई है. इस अर्जी में याचिका को संशोधित किए जाने की अपील भी की गई है श्रवण पांडेय की याचिका को जनहित याचिका के तौर पर सुने जाने की मांग भी की गई है. इसके अलावा पूरे मामले की जांच सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी से कराए जाने की भी मांग की गई. वहीं आयोग पहले ही 50 अभ्यार्थियों के कॉपियों की अदला-बदली की बात कबूल कर चुका है. इलाहाबाद हाईकोर्ट से जांच की मॉनिटरिंग किए जाने का भी अनुरोध किया गया है. लोक सेवा आयोग के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आपराधिक कार्रवाई किए जाने की भी मांग की गई है अदालत ने इन बिंदुओं पर यूपी लोक सेवा आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा है. अगस्त के दूसरे हफ्ते में अब इस मामले की सुनवाई होगी. जस्टिस एसडी सिंह और जस्टिस दोनाडी रमेश की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई. अभ्यर्थी श्रवण पांडेय की तरफ से याचिका दाखिल की गई है. आयोग पहले ही 50 अभ्यर्थियों के कॉपियों की अदला-बदली की गलती कबूल कर चुका है. आयोग के खिलाफ आरोपों में पीसीएस उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ और रिश्वत के बदले अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण अंक देने का आरोप शामिल है.
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इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। NGO कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) ने बॉन्ड के लेनदेन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की है। 22 जुलाई को इस पर सुनवाई होगी CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई करेगी। दोनों NGO की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने यह याचिका लगाई है। कोर्ट याचिका स्वीकार कर ली है और कहा है कि इससे जुड़े अन्य याचिकाओं को भी साथ में सुना जाएगा इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद यह याचिका लगाई गई है। इसमें दो मांगें रखी गई हैं। पहला- इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की जांच SIT से कराई जाए। SIT की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें दूसरा- याचिका में कहा गया है कि आखिर घाटे में चल रहीं कंपनियों (शैल कंपनियां भी शामिल) ने पॉलिटिकल पार्टीज को कैसे फंडिंग की। अधिकारियों को निर्देश दिया जाए की पॉलिटिकल पार्टियों से इलेक्टोरल बॉन्ड में मिली राशि वसूल करें। क्योंकि यह अपराध से जरिए कमाई गई राशि है।फायदे के लिए की गई फंडिंग याचिकाकर्ताओं का दावा है कि कंपनियों ने फायदे के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को बॉन्ड के जरिए फंडिंग की। इसमें सरकारी काम के ठेके, लाइसेंस पाने, जांच एजेंसियों (CBI, IT, ED) की जांच से बचने और पॉलिसी में बदलाव शामिल है। आरोप है कि घटिया दवाईयां बनाने वाली कई फार्मा कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।
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2023 बैच की ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर के खिलाफ UPSC ने FIR दर्ज कराई है। UPSC ने आरोप लगाया है कि पूजा ने अपनी पहचान बदल-बदलकर UPSC की तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम दिया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और डिसेबिलिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है इसके अलावा UPSC ने पूजा को नोटिस जारी कर सिलेक्शन कैंसिल करने को लेकर भी जवाब मांगा है। UPSC ने कहा कि पूजा के खिलाफ गहन जांच की गई। इसमें पाया गया कि उन्होंने अपना नाम, माता-पिता का नाम, सिग्नेचर, फोटो, ईमेल ID, मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलकर UPSC का एग्जाम दिया दरअसल, पूजा पर ट्रेनिंग के दौरान पद का गलत इस्तेमाल करने और खराब आचरण करने का आरोप लगा था। सबसे पहले पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया था इसके बाद पूजा खेडकर पर पहचान छिपाने और OBC , विकलांगता कोटे के दुरुपयोग करने का आरोप लगा। केंद्र की कमेटी इसकी जांच कर रही है। 16 जुलाई को पूजा की ट्रेनिंग रोक दी गई और उन्हें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) वापस बुला लिया गया। हालांकि, वे अभी भी वाशिम में ही हैं।डॉक्टर बोले- पूजा का सर्टिफिकेट फर्जी नहीं पूजा ने अलग-अलग विकलांगता सर्टिफिकेट लगाए। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदनगर जिला अस्पताल से भी पूजा को विकलांगता सर्टिफिकेट जारी किया गया है। अस्पताल के सिविल सर्जन ने पुष्टि की थी कि पूजा को जारी किया गया सर्टिफिकेट फर्जी नहीं है। इस सर्टिफिकेट में पूजा की मानसिक बीमारी और दोनों आंखों में मायोपिक डिजेनरेशन का जिक्र है। इसी सर्टिफिकेट की रिपोर्ट अहमदनगर कलेक्टर को सौंपी गई है। वे इस रिपोर्ट को नासिक के डिविजनल कमिश्नर को भेज रहे हैं। पुणे के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल से 24 अगस्त 2022 को जारी सर्टिफिकेट में उन्हें 7% विकलांग बताया गया था। UPSC के नियम के मुताबिक, विकलांग कोटे से सिलेक्शन के लिए 40% डिसेबिलिटी होना जरूरी है।YCM के डीन राजेंद्र वाबले ने 16 जुलाई को कहा- 7% का मतलब है कि शरीर में कोई बड़ी विकलांगता नहीं है। पूजा का मामला लोकोमोटर डिसेबिलिटी यानी चलने-फिरने में परेशानी से जुड़ा है। इस सर्टिफिकेट में पूजा ने अपना एड्रेस भी गलत बताया था।
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। वर्तमान में लखनऊ नगर निगम का बजट 2800 करोड़ रूपये से अधिक है। यहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला है। वर्तमान नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह की ईमानदारी पर कोई सन्देह नहीं कर सकता। वह 2015 बैच के आई. ए. एस.अधिकारी हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से उनको नगर निगम में पद स्थापित किये है। लेकिन उनके अधीनस्थ भारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। विगत कुछ दिनों पूर्व में हुए नगर निगम सदन में नगर में कूड़ा उठाने वाली फर्म को लेकर सदन में सरोजनीनगर वार्ड द्वितीय के पार्षद रावत द्वारा नगर आयुक्त पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये थे। जिससे ईमानदार नगर आयुक्त असहज हो गये थे। लेकिन यह भी तथ्य रोचक है कि नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह के ईमानदार होने का क्या फायदा कि उनके अधीनस्थ भारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। यह सर्वविदित है नगर निगम के नाली इन्टरलाकिंग तथा रोड के ठेकों में गुणवत्ता के विपरीत 45 प्रतिशत तक कमीशन लिया जा रहा है। यह ठेकेदार स्वयं बयां करते हैं। कहीं-कहीं तो गलियों के निर्माण में पुरानी टाईल्स निकाल कर उसमें नई टाईल्स मिलाकर लगा दी जा रही है और भुगतान प्राप्त कर लिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त संविदा पर कर्मचारियों को रखने वाले संविदा ठेकेदार संविदा कर्मियों का करोड़ों के प्राविडेन्ड फण्ड की धनराशि हजम कर जा रहे हैं। जबकि नगर निगम द्वारा संविदा कर्मियों के वेतन का 13 प्रतिशत नगर द्वारा तथा 10 प्रतिशत संबंधित संविदा कर्मचारी के वेतन से काटकर जमा कराने का प्राविधान है और कर्मचारी राज्य बीमा निदेशालय (ई.एस.आई.सी.) में भी 4.5 प्रतिशत धनराशि उसके वेतन से तथा नगर निगम द्वारा अपने अंश के साथ जमा कराने का प्राविधान है लेकिन यह सब नहीं हो रहा है और कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है। इससे कर्मचारियों और उनके परिवार के साथ घोर अन्याय हो रहा है। भ्रष्टाचारी संविदा ठेकेदार खूब फलफूल रहे हैं और ईमानदार नगर आयुक्त इस पर मौन हैं। उन्हें इस पर त्वरित कार्यवाही करना चाहिए।सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि नगर निगम लखनऊ के महापौर सुषमा खर्कवाल भारी भ्रष्टाचार की गंगा बहाये हुए हैं और भ्रष्टाचार के कीर्तिमान उन्होंने तोड़ दिये हैं। जिसको लेकर नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह असहज रहते हैं और उनके भ्रष्टाचार के आगे नतमस्तक रहते हैं। बताया जाता है कि महापौर सुषमा खर्कवाल की निधि 35 करोड़ रूपये वार्षिक है जिसके द्वारा नगर में विकास कार्य के ठेके अनुमोदित किये जाते हैं। महापौर सुषमा खर्कवाल के भ्रष्टाचार का आलम यह है कि उनके द्वारा खुले आम 15 प्रतिशत कमीशन लेकर धड़ल्ले से नाली, इन्टरलांकिग तथा रोड निर्माण के कार्य ठेकेदारों को अनुमोदित किये जा रहे हैं। जबकि कार्य की गुणवत्ता से उनका कोई लेना-देना नहीं रहता है। इसके अतिरिक्त महापौर सुषमा खर्कवाल का नगर निगम के अन्य आर्थिक कार्यों में भी हस्तक्षेप रहता है। चूंकि नगर आयुक्त की चरित्र पंजिका में प्रविष्टि लिखने का अधिकार महापौर का होता है. इसलिए नगर आयुक्त उनसे भयभीत रहते हैं और चुपचाप बिना इन्क्वारी किये उनकी फाइलों का अनुमोदन कर देते हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि नगर आयुक्त ने महापौर के आगे हथियार डाल दिये हैं। उनकी सारी ईमानदारी बेकार है और नगर निगम में चर्चा का विषय भी है। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि नगर निगम, लखनऊ में कई वर्षों से अपने रसूख के बल पर जमे हुए भ्रष्टाचारी अपर नगर आयुक्त (पशुपालन), डा. अरविन्द राव को महापौर सुषमा खर्कवाल का पूरा संरक्षण है और वह निर्बाध गति से भ्रष्टाचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार नगर में घूमने वाले आवारा पशुओं को उसके अधीनस्थ कर्मियों द्वारा पकड़ा जाता है और आवारा पशुओं के लिये बने कान्हा उपवन में उनको नहीं भेजकर उनको कटने के लिये कसाईयों को बेच दिया जाता है। कई बार पशुपालकों द्वारा डा. अरविन्द राव पर पथराव भी किया गया और वह जान छुड़ाकर भाग खड़ा हुआ लेकिन बताया जाता है कि रसूख के बल पर वह आवारा पशुओं को कटवा रहा है और महापौर का उसे पूरा संरक्षण है। इसकी जाँच हो जाय तो निश्चित रूप से सारे तथ्य उजागर हो जायेंगे। कान्हा उपवन में रखे गये आवारा पशु भूखे तगाने दिखाई पड़ सकते हैं और आँसू बहाते मिल जायेंगे। कान्हा उ 3/5 बिना अनुमति के पत्रकारों के साथ ही साथ किसी का भी जाना वाजत है। बताया जाता है कि नगर निगम लखनऊ क्षेत्र में आवारा कुत्तों की भरमार है जो आये दिन जनमानस को काट लेते हैं और इसकी खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं जबकि इसके लिए प्रति वर्ष करोड़ रूपये की धनराशि कुत्तों की नसबन्दी हेतु आवंटित की जाती है। लेकिन खेदजनक है कि स्वयं सेवी संस्था (एन.जी.ओ.) को कुत्तों की नसबन्दी की धनराशि आवंटित की जाती है और प्रति वर्ष बंदरबांट कर ली जाती है और ईमानदार नगर आयुक्त द्वारा बिना जांच पड़ताल के उसका भुगतान कर दिया जाता है जबकि उनको इसकी गहनता से जांच करनी चाहिए तथा एन.जी.ओ. के बजाए पशुपालन विभाग को धनराशि आवंटित कर उनसे कुत्तों की नसबन्दी का कार्य कराया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आर.आर. विभाग, प्रचार विभाग, कर विभाग, नगर निगम के सभी विभागों में भारी भ्रष्टाचार देखा जा सकता है जबकि सबसे रोचक तथ्य यह है कि नगर निगम, लखनऊ में कई पार्षद ऐसे हैं जो दूसरे दलों से भाजपा में आये हैं और पार्षद हैं तथा अरबो रूपये की सम्पत्ति के मालिक हैं। मुम्बई से लेकर श्रीलंका तक उनका नगर निगम के भ्रष्टाचार से अर्जित की हुई धनराशि उन्होंने विनियोजित कर रखी है और उनका भारतीय जनता पार्टी की किसी भी बैठकों से कोई लेना-देना नहीं रहता है तथा विगत 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार नहीं करने के कारण भाजपा का मध्य क्षेत्र का विधानसभा प्रत्याशी चुनाव हार गया और सपा का प्रत्याशी चुनाव जीत गया जिससे भाजपा की बहुत किरकिरी हुई। ऐसे पार्षदों को सिर्फ ठेके लेने में और उसके प्रबन्धन में ही दिमाग रहता है। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में काफी रोष रहता है। ऐसे पार्षदों की आय से अधिक सम्पत्ति की जाँच माननीय गृह मंत्री अमित शाह को संज्ञान लेकर ई.डी.व सी. बी.आई.से जाँच कराना चाहिए तभी भ्रष्टाचार उजागर होगा।नगर निगम, लखनऊ में व्याप्त भ्रष्टाचार का संज्ञान नगर विकास मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा तथा प्रमुख सचिव अमृत अभिजात को लेना चाहिए तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेन्स की नीति प्रभावी होगी।
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43 वर्षीय विशाल सिंह लखनऊ के तीन अस्पतालों – किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अपने गंभीर रूप से बीमार रिश्तेदारों के साथ आने वाले लोगों को फ्री में खाना खिलाते हैं. इस काम को उन्होंने अपने जीवन का मिशन बना लिया है. खुद के अनुभव से मिली प्रेरणा इस निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा विशाल सिंह को अपने अनुभवों से मिली. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2003 में, वह गुरुग्राम के एक अस्पताल में अपने बीमार पिता की देखभाल कर रहे थे. इलाज में उन्हें काफी खर्च करना पड़ा और एक मध्यम-वर्गीय परिवार के लिए यह खर्च काफी बड़ा था. इस कारण एक वक्त ऐसा आया कि उनके लिए दो वक्त के खाने की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा था. उनके पिता को अस्थमा के साथ-साथ फेफड़ों का संक्रमण भी था.रूड़की के मूल निवासी विशाल ने बीमारी के कारण अपने पिता को खो दिया. इसके बाद वह नौकरी के लिए लखनऊ आए और यहां बहुत मुश्किलों से अपना काम शुरू किया. लेकिन उनके भीतर एक संकल्प पनप रहा था. उन्होंने ठाना कि जब भी वह सक्षम होंगे तो वह सुनिश्चित करेंगे की अपने बीमार परिवारजन की देखभाल करने वाला एक भी व्यक्ति भूखा न रहे. ज्योतिष में स्नातक विशाल का मानना है कि नर (मनुष्य) की सेवा करना नारायण (भगवान) की सेवा करना है.साल 2005 से कर रहे हैं यह काम उन्होंने अपनी पहल शुरू करने के लिए सरकारी अस्पतालों को चुना क्योंकि इनमें ज्यादातर गरीब लोग आते हैं, जो इलाज का खर्च मुश्किल से वहन कर पाते हैं. सरकारी अस्पताल मरीजों को मुफ्त दवा और भोजन देते हैं, लेकिन इन अस्पतालों में अपने बीमार परिवार के सदस्यों की देखभाल करने वाले लोग शायद ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर पाते हैं. 2005 में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के अधिकारियों ने मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों की सेवा के लिए उनसे संपर्क किया था.उन्हें अपनी रसोई बनाने के लिए जगह भी दी गई. इसके साथ, उन्होंने ‘प्रसादम सेवा’ शुरू की, जो लगभग 100 लोगों को प्रतिदिन तीन बार भोजन परोसती थी. ‘प्रसादम सेवा’ तुरंत हिट हो गई और उनकी पहल को जो प्रतिक्रिया मिली इससे उन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिला. मरीजों के परिजनों को खाना खिलाने का क्रम दिन-ब-दिन चलता रहा. केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी उनके समर्पण को देखकर उन्हें अपनी रसोई चलाने के लिए जगह देने पर सहमति जताई. अब, उनकी पहल का दायरा तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों और लखनऊ में नई बनी डीआरडीओ कोविड सुविधा तक बढ़ गया है.
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इटली में मिलान की एक अदालत ने एक पत्रकार पर प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का मजाक उड़ाने के लिए 5,000 यूरो (4,57,114 रुपए) का जुर्माना लगाया है रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकार गिउलिया कोर्टेस (36) पर अक्टूबर 2021 में भी मेलोनी की कम हाइट का मजाक उड़ाने के लिए 1200 यूरो (1,09,723 रुपए) का जुर्माना लगा था। कोर्ट ने इसे बॉडीशेमिंग करार दिया था। कोर्टेस ने मेलोनी से कहा- तुम सिर्फ 4 फीट की हो 2021 में मेलोनी और गिउलिया के बीच सोशल मीडिया पर लड़ाई हो गई थी। इसके बाद इटली की दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली की नेता जॉर्जिया मेलोनी ने पत्रकार कोर्टेस के खिलाफ अदालत का रूख किया था। तब वो विपक्षी पार्टी की नेता थीं। कोर्टेस ने सोशल मीडिया पर मेलोनी की एक फर्जी तस्वीर शेयर की थी जिसके बैकग्राउंड में फासीवादी नेता बेनिटो मुसोलिनी की तस्वीर थी। मेलोनी के आपत्ति जताने के बाद पत्रकार कोर्टेस ने वो तस्वीर हटा ली थी। हालांकि अगले ही पोस्ट में उन्होंने मेलोनी की छोटी लंबाई का मजाक बनाया था। कोर्टेस ने पोस्ट कर लिखा- "तुम मुझे डरा नहीं सकती मेलोनी। तुम सिर्फ 4 फीट की हो। इतनी छोटी कि मुझे दिखाई भी नहीं देती हो। इटली की मीडिया रिपोर्ट्स में प्रधानमंत्री मेलोनी की लंबाई 5.2 फीट से 5.3 फीट के बीच बताई गई है। जुर्माने की रकम चैरिटी को दान करेंगी मेलोनी कोर्टेस के इस अपमानजनक बर्ताव को लेकर मेलोनी ने शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि कोर्ट ने कोर्टेस को ‘गलत तस्वीर’ मामले में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुसोलिनी के साथ मेलोनी का दिखाया जाना अपराध नहीं है। कोर्टेस को सजा के खिलाफ 90 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार है। वहीं, मेलोनी के वकील ने कहा कि कोर्टेस से मिलने वाले हर्जाने को वे किसी चैरिटी को दान कर देंगी। इटली में पत्रकारों के खिलाफ बढ़े मामले कोर्टेस के खिलाफ अदालत के फैसले पर पत्रकारों से जुड़ी रिपोर्ट्स विदाउट बॉडर्स (RWB) ने चिंता जताई है। RWB का कहना है कि इटली में पत्रकारों का मुंह बंद करने की कोशिशें तेज हुई हैं। उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे की संख्या बढ़ी है। यही वजह से 2024 में इटली विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में पांच स्थान नीचे गिरकर 46वें स्थान पर आ गया है। ये पहली बार नहीं है जब मेलोनी ने पत्रकारों को अदालत में घसीटा है। 2023 में रोम की एक अदालत ने बेस्ट-सेलिंग लेखक रॉबर्टो सविआनो पर 1,000 यूरो का जुर्माना लगाया था। सविआनो ने 2021 में टीवी पर मेलोनी का अपमान किया था। सविआनो मेलोनी से नाराज थे क्योंकि वह इटली आ रहे अवैध प्रवासियों के खिलाफ बेहद सख्त रूख रखती हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश पर लगी अंतरिम रोक को 22 जुलाई तक बढ़ा दिया है, जिसमें कन्नड़ न्यूज चैनल ‘पावर टीवी’ के पास उचित लाइसेंस न होने के आधार पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रसारण रोकने के आदेश दिया था।बता दें कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा पारित इसी आदेश पर रोक लगायी थी। इस आदेश में आरोप लगाया गया था कि न्यूज चैनल ने केबल टीवी नेटवर्क विनियमन अधिनियम का उल्लंघन किया है।केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि इस मामले पर दलीलें रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता विदेश में हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 जुलाई तक सुनवाई टालते हुए पावर टीवी का प्रसारण रोकने का आदेश देने के कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक 22 जुलाई तक बढ़ा दी। पावर टीवी ने जेडीएस नेताओं प्रज्वल और सूरज रेवन्ना के खिलाफ सेक्स स्कैंडल का वीडियो दिखाया था हालांकि इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने ‘पावर टीवी’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगायी। कोर्ट ने लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदनों के निपटारे तक ऐसे प्रतिबंधों के बारे में केंद्र से सवाल भी किया चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारे सामने डेटा पेश करें कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था और इनमें से कितनों को प्रसारण बंद करने के लिए कहा गया था। हम जानना चाहते हैं कि पिछले तीन सालों में नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले कितने टीवी चैनलों को मंजूरी मिलने तक प्रसारण बंद करने का आदेश दिया गया।” सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने जून में पावर टीवी के प्रसारण पर रोक लगायी थी। इसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से चैनल के पास लाइसेंस न होने का हवाला दिया गया था। चैनल की अपलिंक और डाउनलिंक न्यूज की अनुमति 12 अक्टूबर, 2021 को समाप्त हो गई थी और रिन्यूअल आवेदन अभी भी लंबित था। 3 जुलाई को हाई कोर्ट की एक बेंच ने अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए अंतिम निर्णय केंद्र को सौंप दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ चैनल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पर्याप्त मूल्यांकन के बिना हाई कोर्ट के प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए केंद्र सरकार को जमकर सुनाया।
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अंबानी पुत्र के विवाह स्थल में जबरन घुसने के आरोप में आंध्र के एक कारोबारी और एक यूट्यूबर पर मुक़दमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने दोनों व्यक्तियों की पहचान लुकमान मोहम्मद शफी शेख और वेंकटेश नरसैया अलूरी के रूप में की है, दोनों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया है। दोनों आरोपियों ने दावा किया कि वे शादी की चर्चा के चलते शादी देखने आए थे। यूट्यूबर अलूरी का दावा है कि वह शादी को रिकॉर्ड करके अपने चैनल पर दिखाना चाहता था। एफआईआर के अनुसार, सुबह करीब 10.40 बजे सिक्योरिटी गार्ड आकाश येवस्कर और उसके साथी ने अलूरी को सेंटर के पवेलियन एक के पास घूमते देखा। इसके बाद दो सुरक्षाकर्मियों ने उससे पूछताछ की और शुरुआत में गोलमोल जवाब देने के बाद अलूरी ने खुद को यूट्यूबर बताया और बताया कि वह आंध्र प्रदेश से है। लेकिन उसके पास कोई निमंत्रण नहीं था, इसके लिए उसे बीकेसी पुलिस के हवाले कर दिया गया।
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मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में कहीं आपको पत्रकार संपादक मीडिया मालिक दिखे? हो सकता है हों। मगर अननोटिस्ड। कहीं फोटो खबर या मुख्य महफिल में नहीं।मतलब मीडिया अब महत्वहीन रह गया है। उसे कोई पूछने वाला नहीं। सम्मान देना तो दूर की बात है। मगर पहले ऐसा नहीं था। पत्रकार की अपनी इज्जत होती थी और उसकी अपनी एक शख्सियत यह तो देश के सबसे बड़े पैसे वाले की शादी है। लेकिन पहले मुंबई में दिल्ली में देश के दूसरे राज्यों की राजधानी में छोटे शहरों में जब भी कोई बड़ी शादी होती थी तो पत्रकार वहां बड़े सम्मान पूर्वक आमंत्रित होते थे। वे दूसरे वीआईपी की तरह विशिष्ट लोगों में होते थे इससे पहले जो इससे भी ज्यादा चमक दमक वाली शादी सहाराश्री के बेटों की हुई थी उसमें मीडिया मालिक संपादक के साथ लखनऊ के सब पत्रकार बहुत सम्मान के साथ बुलाए गए थे। हर पत्रकार के लिए उसके नाम के साथ अलग टेबल रिजर्व थी बाहर से होस्टेस उसको एस्कॉर्ट करके अंदर ले जा रही थीं। दरवाजे पर अमिताभ बच्चन अमर सिंह खड़े होकर उनकी अगवानी कर रहे थे। उससे पहले यही मुकेश अंबानी जो अपने लड़के की शादी में सिर्फ नेताओं और सिलेब्रिटीज को पूछ रहे हैं अपनी शादी में पत्रकारों का हाथ जोड़-जोड़ कर आशीर्वाद ले रहे थे। धीरूभाई अंबानी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सारे पत्रकारों के पास चॉकलेट के डिब्बे पहुंचाए थे। और उस समय ऐसे स्वाभिमानी पत्रकार होते थे जिन्होंने वह डिब्बे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।अभी शादी पूर्व के समारोह में कुछ पत्रकारों को कैमरे लेकर बुलाया गया था। धन्य-धन्य हो रहे थे। हाथी को खिलाए जाने वाली खिचड़ी खाकर कह रहे थे इससे ज्यादा टेस्टी खिचड़ी कभी नहीं खाई! पत्रकारिता अभी और गिरेगी और पत्रकार की इज्जत इतनी हो जाएगी जैसे बाहर बोर्ड लगा दिए जाते हैं की खाना ड्राइवर और सिक्योरिटी के लिए वैसे ही उसमें पत्रकार और लिख दिया जाएगा। अभी नई पार्लियामेंट में यह हो गया। पत्रकारों के लिए जिस कैंटीन में खाना है वहां लिखा है स्टाफ और मीडिया। पहले पुरानी पार्लियामेंट में सिर्फ पत्रकारों के लिए अलग कैंटीन थी।खैर, पत्रकार अब कुछ नहीं कर सकता। उसके संपादक और मालिकों की हालत भी ऐसी ही हो गई है। पत्रकारिता सत्ता की, सेठों की दासी हो गई है। कभी वह जनता की आवाज थी। सत्य और साहस से चलती थी। अब केवल आदेशों पर!
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दिल्ली में व्यापारियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने टैक्स और बजट में कुछ बदलाव को लेकर केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने व्यापारियों को बजट में राहत मिलने के साथ बुजुर्गों को उनके अदा किए गए टैक्स के आधार पर कुछ सुविधाओं की मांग की है साथ ही यह भी कहा है कि, आयकर (इनकम टैक्स) का नाम बदल कर राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि रखा जाए. जिससे कि लोगों में ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने की भावना जागृत हो सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा कर कहा है कि, बुजुर्ग टैक्सपेयर को उनके टैक्स के आधार पर ओल्ड ऐज बेनिफिट मिलना चाहिए. टैक्सपेयर की वृद्धावस्था में पिछले सालों में दिये गये इनकम टैक्स के हिसाब से उसे सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट के लाभ दिये जाएं उन्होंने मिडिल क्लास टैक्सपेयरों के हित की बात करते हुए वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि 9 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है. इसे 7 लाख कर देना चाहिए. इससे मिडिल क्लास के उन करोड़ों टैक्स पेयर्स को लाभ होगा, जिन्हें टैक्स न होने के बावजूद रिटर्न जमा करानी पड़ती है वहीं, उन्होंने मिडिल क्लास को सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलने की हिमायत करते हुए कहा कि कार्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन सस्ती ब्याज दर से मिल जाता है, लेकिन मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की जो मुद्रा योजना है उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. इसलिए उनकी मांग है कि मिडिल क्लास को भी सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलना चाहिए आगे उन्होंने लिखा है कि, इनकम टैक्स में 45 दिन में पेमेंट का जो नया नियम आया है इससे करोड़ों व्यापारी और MSME व्यापारी परेशानी झेल रहे हैं, इसको वापस लिया जाए. जबकि .जीएसटी की नयी एमनेस्टी स्कीम का लाभ उन व्यापारियों को भी मिलना चाहिए जो पहले ही टैक्स, ब्याज और पेनल्टी जमा करा चुके हैं सीटीआई के चेयरमैन ने इन्शुरेन्स के बढ़ते प्रीमियम पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, पिछले कुछ सालों से मेडिकल इन्शुरेन्स प्रीमियम बेतहाशा बढ़ा है जिससे मध्यम वर्ग को भारी परेशानी हो रही है. इसके अलावा उन्होंने इनकम टैक्स में भी जीएसटी की तरह हाइब्रिड सिस्टम होने की बात की ताकि लोगों को उसकी व्यक्तिगत हियरिंग का मौका मिल सके उन्होंने कहा कि, आम जरूरत की बहुत सारी चीजों पर अभी भी 28% और 18% GST लगता है, इसलिए GST की दरों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है. उनका कहना है कि केन्द्र सरकार को व्यापारियों और उद्यमियों के हित के लिए ट्रेड एंड इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड का गठन करना चाहिए.
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कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए खजाना खोल दिया है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक मंत्रिमंडल ने सोमवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को एक अगस्त से लागू करने का फैसला किया है. इसके लागू होने के साथ ही कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. हालांकि, इसे लागू करने से सरकारी खजाने पर भारी भरकम बोझ बढ़ेगा पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री मंगलवार को विधानसभा में सात लाख से अधिक राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी के बारे में घोषणा कर सकते हैं. जहां पूर्व मुख्य सचिव के सुधाकर राव की अध्यक्षता वाले सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन में 27.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की सिफारिश की है सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मंगलवार को विधानसभा में इस फैसले की घोषणा कर सकते हैं. इसे एक अगस्त 2024 से लागू किया जाएगा. वहीं, इस कदम से राज्य सरकार के सात लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ होगा. इससे सरकारी खजाने पर सालाना 17,440.15 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की उम्मीद है वहीं, कर्नाटक राज्य सरकारी कर्मचारी संघ की अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की योजना की घोषणा के बाद से ही सिद्धारमैया सरकार पर वेतन बढ़ोतरी से संबंधित फैसले लेने का दबाव था. तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मार्च 2023 में कर्मचारियों के वेतन में अंतरिम तौर पर 17 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की थी. इसमें सिद्धारमैया सरकार 10.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकती है. सूत्रों ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत इससे मूल वेतन पर कुल 27.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी सातवां वेतन आयोग, कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिश करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित एक पैनल है. वहीं, सातवें वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में 23.55 फीसदी की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमले के बाद इस्कॉन की तरफ से बड़ा दावा किया गया है. इस्कॉन मंदिर कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि ट्रंप की जान भगवान जगन्नाथ ने बचाई है. दास ने एक्स पर लिखा कि ठीक 48 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव को बचाया था. अब उन्हीं की कृपा से ट्रंप की जान बची है. उन्होंने कहा, जब पूरी दुनिया जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, ऐसे में ट्रंप पर हमला किया गया. जगन्नाथ ने उन्हें बचाकर एहसान का बदला चुकाया दास ने कहा कि जुलाई 1976 में डोनाल्ड ट्रंप ने रथों के निर्माण के लिए मुफ्त में अपना ट्रेन यार्ड देकर इस्कॉन भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की थी. आज जब दुनिया 9 दिवसीय जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, उन पर यह हमला और उनका बाल-बाल बचना जगन्नाथ के हस्तक्षेप को दर्शाता है. बता दें कि पेंसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली में ट्रंप के ऊपर फायरिंग हुई थी. इस घटना में ट्रंप के कान से टच होकर गोली निकल गई थी. इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने ट्रंप के बाल-बाल बचने को दैवीय हस्तक्षेप बताया राधारमण दास के एक्स पर पोस्ट को इस्कॉन कोलकाता मंदिर के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी रीपोस्ट किया गया है. दास ने कहा कि ब्रह्मांड के भगवान महाप्रभु जगन्नाथ की पहली रथ यात्रा 1976 में संयुक्त राज्य अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सहायता से शुरू हुई थी. करीब 48 साल पहले जब इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) न्यूयॉर्क में रथ यात्रा निकालने वाली थी तो काफी चुनौतियां थीं, तब डोनाल्ड ट्रंप ने फिफ्थ एवेन्यू का उपयोग करने की अनुमति थी, जो वास्तव में एक बड़ी बात है इस्कॉन की ओर से कहा गया है कि ट्रंप की जान दैवीय कृपा के कारण बच गई. ऐसा इसलिए क्योंकि आज से ठीक 48 साल पहले ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा के लिए उम्मीद जगा दी थी. दास ने ये भी कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने 1976 में रथों के निर्माण के लिए फ्री में अपना ट्रेन यार्ड मुहैया करवाया था. उनके इस निर्णय से भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की थी
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दिल्ली शराब नीति मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत नहीं मिल रही है. पहले सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई और अब राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार (15 जुलाई) को सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 22 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था. राउज एवेन्यू कोर्ट में अगली सुनवाई 22 जुलाई को है दरअसल, मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके हैं. पिछले साल 26 फरवरी सीबीआई ने उन्हें शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद शराब नीति मामले से ही जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मार्च, 2023 में गिरफ्तार कर लिया. इस तरह अब सिसोदिया के खिलाफ ईडी और सीबीआई दोनों ही जांच एजेंसियों के केस चल रहे हैं शराब नीति मामले में जमानत के लिए सिसोदिया कभी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं तो कभी राउज एवेन्यू कोर्ट जा रहे हैं. मगर आम आदमी पार्टी के नेता को ना तो देश की शीर्ष अदालत से राहत मिल रही है और ना ही निचली अदालत से. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (11 जुलाई) को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी. मगर सुनवाई करने वाली पीठ में शामिल जस्टिस संजय कुमार ने निजी वजहों से खुद को मामले से अलग कर दिया सिसोदिया की जमानत याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संयज करोल और जस्टिस संजय कुमार को सुनवाई करनी थी. पीठ ने कहा कि एक अन्य पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार सदस्य नहीं हैं, शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. जस्टिस खन्ना ने कहा, "हमारे भाई को कुछ परेशानी है, वह इस मामले पर निजी वजहों से सुनवाई नहीं करना चाहते हैं
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सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक द्वारा भड़ास4जर्नलिस्ट द्वारा की जा रही सकारात्मक खबरों की सराहना करते हुए एक परिवार अनेक समाचार पत्र की प्रथा पर रोकथाम लगाई जाने की खबर प्रकाशित करने के मात्र 24 घंटे के अंदर ही अनेक ऐसे घराने हैं जिनकी रातों की नींद उड़ गई है और तरह-तरह के साजिश भड़ास4जर्नलिस्ट के विरुद्ध की जा रही है जबकि भड़ास4जर्नलिस्ट कभी भी पत्रकारिता के मूल्य उद्देश्यों से न तो भटका है और न है खबरों के साथ कोई समझौता किया गया है।भड़ास4जर्नलिस्ट में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेकर जिन तथाकथित जालसाज व्यक्तियों द्वारा कानूनी नोटिस दी गई थी उसके प्रतिउत्तर में साक्ष्यों को संलग्न करते हुए विधिक कार्यवाही की गई तो सब हाथ जोड़कर माफी मांगते नजर आए, वही बकलोल पत्रकार चारों तरफ घूम घूमकर केवल बकलोली करता दिखाई दे रहा है और अधिकारियों के सम्मुख गिड़गिड़ाते हुए हाथ पैर दबाता है।भड़ास द्वारा पोल खोली गई तो केवल बकलोली दिखती है, ना तो कोई कानूनी कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा सका और ना ही खबरों की सत्यता पर विधिक नोटिस जारी की गई जिससे प्रमाणित है भड़ास4जर्नलिस्ट खबरों की सत्यता को परख कर ही साक्ष्यों के उपलब्ध होने पर खबरों का प्रकाशन किया जाता है।
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आपसे सविनय निवेदन है कि पूर्व में भी प्रार्थी द्वारा अनेक पत्रों के माध्यम से आपको अवगत कराया गया था कि सरकारी भवनों में स्थित प्रेस कक्ष अथवा प्रेस रूम का दुरुपयोग किया जा रहा है परंतु आप द्वारा कार्रवाई न किए जाने से ऐसे तथाकथित पत्रकारों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं जिनको पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं है और सरकारी भवन में स्थित प्रेस रूम/प्रेस कक्ष में आए दिन जन्मदिन की पार्टियों का सिलसिला सोशल मीडिया पर तस्वीर बनाकर प्रचारित और प्रसारित किए जाने का कार्य किया जाता है ।उपरोक्त क्रम में आपको पुनः अवगत कराना है कि लाल बहादुर शास्त्री भवन में स्थित मीडिया कक्ष को चुनावी बैठकों और सरकारी योजनाओं के दुष्प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे तथाकथित पत्रकार जिनको नियम विरुद्ध राज्य मुख्यालय की मान्यता प्रदान की गई है उनकी बैठकी का अड्डा सरकारी परिसर में बना रहता है।आपसे निवेदन है कि आगामी 13 जुलाई दिन शनिवार को सार्वजनिक अवकाश के दिन तथाकथित पत्रकारों द्वारा एक चुनावी बैठक सरकारी भवन में आयोजित किए जाने के संदेश सोशल मीडिया पर प्रचारित हो रहे हैं।आपसे निवेदन है कि सार्वजनिक अवकाश के दिनों में सरकारी भवन में स्थित प्रेस कक्ष को बंद किए जाने के आदेश पारित किए जाने की महती कृपा की जाएगी और सरकारी भवन स्थित प्रेस कक्ष को केवल पत्रकारिता के कार्य हेतु उपयोग में लाये जाने हेतु दिशा निर्देश भी जारी किए जाएंगे जिससे आए दिन होने वाली जन्मोत्सव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रचारित प्रसारित कर सरकारी व्यवस्थाओं का जिस तरह से दुष्प्रचार किया जा रहा है उस पर रोक लगाई जा सकें।
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गुजरात में शराब तस्करी के आरोप में महिला पुलिसकर्मी नीता चौधरी और युवराज सिंह जडेजा को गिरफ्तार किया गया था. कच्छ ईस्ट पुलिस ने दो आरोपियों - हेड कांस्टेबल नीता चौधरी और युवराज सिंह जडेजा - की हिरासत मांगी थी, लेकिन भचाऊ के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट डी एस डाभी की अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.पहले उन पर पुलिस की वर्दी में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए मुकदमा चलाया गया था, लेकिन इस बार वह एक मशहूर शराब तस्कर के साथ पकड़ी गई हैं. इतना ही नहीं कॉन्स्टेबल नीता चौधरी के खिलाफ मद्यनिषेध अधिनियम की धारा 307 का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि तसकर नशे में था और पुलिसकर्मियों के रोकने पर उसने कार चढ़ाने की कोशिश कीकच्छ पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद जब नीता चौधरी को मीडिया के सामने पेश किया गया तो उनके चेहरे पर अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं था. नीता चौधरी के शराब की हेराफेरी में फंसने के बाद पूरे मामले में सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया है..इससे पहले गुजरात पुलिस ने ड्यूटी पर रील न बनाने और सोशल मीडिया पर संयम से व्यवहार करने की हिदायत दी थी. फिर भी नीता चौधरी इंस्टाग्राम पर नियमित रील्स पोस्ट करती नजर आई और वहां उनके अच्छे खासे फॉलोअर्स हैं.चौधरी की रील्स उनकी जीवनशैली को दर्शाती हैं. जिसमें वह सफेद रंग की महिंद्रा थार कार चलाते हुए नजर आ रही हैं. रील्स के कारण चर्चा में रहने वाली नीता चौधरी रविवार को सुर्खियों में आ गई.पूर्वी कच्छ जिले के एसपी सागर बागमार के मुताबिक, खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई की गई. यह बात सामने आई है कि नीता चौधरी और उनके साथ मौजूद शराब तस्कर युवराज सिंह जडेजा ने कार नहीं रोकी. इसके बाद पुलिस को कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार करना पड़ा.
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शंभु बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेडिंग हटाने का निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया कि वो राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकती है? हम कह रहे हैं कि अंबाला के पास वाले शंभु बॉर्डर पर लगाए गए अवरोधक हटाओ और ट्रैफिक नियंत्रित करो सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 वर्षीय युवक की मौत की न्यायिक जांच के खिलाफ हरियाणा की याचिका पर सुनवाई टालते हुए ये टिप्पणी की. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह निर्देश उस समय दिया जब हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि हम हाईकोर्ट के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया में है हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर बैरिकेडिंग हटा कर शंभु बॉर्डर को खोलने का आदेश दिया था. दरअसल, अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किसान 13 फरवरी से शंभू बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के पक्ष में दिल्ली की ओर बढ़ने की घोषणा की थी. इसके बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेडिंग कर दी थी.
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नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार (11 जुलाई) को जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर प्रतिक्रिया दी है. इस दौरान उन्होंने आतंकी हमले और नीट मामले को लेकर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हाल में जम्मू क्षेत्र में कई हमले करने वाले आतंकवादियों को कमजोर साबित करने के लिए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव समय पर होना जरूरी है. श्रीनगर में पार्टी के एक समारोह से इतर संवाददताओं से अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में स्थिति सामान्य नहीं है.उमर अब्दुल्ला ने कहा, "जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति नहीं है. क्या यहां हालात 1996 से भी बदतर हैं? अगर हां, तो उन्हें चुनाव नहीं कराने चाहिए. अगर वे इन हमलावर ताकतों के सामने झुकना चाहते हैं, तो चुनाव न कराएं. अगर आपको हमारे सशस्त्र बलों और पुलिस की श्रेष्ठता साबित करने के बजाय उग्रवाद की सर्वोच्चता साबित करनी है, तो चुनाव न कराएं.’’पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सरकार में साहस है तो चुनाव कराए जाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अगर साहस नहीं है और डरे हुए हैं तो बेशक से चुनाव मत कराइये, लेकिन अगर आपको हमारी पुलिस और सेना की ताकत दिखानी है, अगर हमारे शासकों में थोड़ा साहस है तो वे देश विरोधी इन ताकतों के आगे घुटने क्यों टेक रहे हैं. समय पर चुनाव करवाए जाने चाहिए और जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपनी सरकार खुद चुननी चाहिए.’’राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) पर एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि परीक्षा पर जल्द ही निर्णय होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘यह युवाओं के भविष्य के साथ अन्याय है. हमें उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में कोई निर्णय लिया जाएगा, चाहे वह जांच के माध्यम से हो या कोर्ट या सरकार के माध्यम से हो.’’
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बिहार के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गांवों से सपने लेकर लोग दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे बड़े शहरों की ओर जाते हैं. रोजगार के अभाव में लोगों को अपने घरों को छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है. चाहे वह आईटी इंजीनियर हो या फिर छोटे-मोटा रोजगार करने वाला कोई कामगार उनका गंतव्य यही बड़े शहर होते हैं जो उन्हें सपने की जीने की प्रेरणा देते हैं. जबकि इनके सपने को उड़ान देने का माध्यम बनती हैं रेलगाड़ियां और बस जो उन्हें उनके सपनों के शहर तक पहुंचाती हैं दिल्ली की दूरी तय करने के लिए 20-20 घंटे का सफर करना होता है लेकिन ये उनके मन में बसती बेहतर भविष्य की आस ही होती है जो उन्हें इस यात्रा में भी थकने नहीं देती. पूरे रास्ते वह यही सोचते हैं कि उनके सुखद जीवन की शुरुआत होने जा रही है लेकिन बीच रास्ते हुई सड़क दुर्घटना उनके ख्याल के साथ ही उनके सपनों को भी चकनाचूर कर देती है जैसा कि उन्नाव में हुई बस दुर्घटना में हुआ जहां 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी बिहार के सीवान से दिल्ली जा रही डबल-डेकर बस यूपी के उन्नाव में बुधवार तड़के लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना का शिकार हो गई. बस यहां दूध से भरे टैंकर से टकरा गई. इस घटना में 18 यात्रियों की मौत हो गई तो 19 लोग घायल हैं. घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मृतकों में अधिकांश बिहार के रहने वाले हैं. जबकि एक यात्री यूपी और एक दिल्ली का निवासी है. दुर्घटना में जिन लोगों को जान गंवानी पड़ी है उनमें 14 पुरुष, 2 महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं. मृतकों में छह एक ही परिवार के सदस्य हैं जो कि मोतिहारी के इजोरा बारा गांव के रहने वाले थे. मृतकों में दो भाई और उनकी पत्नी, एक भाई की बेटी और एक बेटा शामिल है. यहां मोतिहारी में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है बिहार से दिल्ली की यात्रा के लिए 17 से लेकर 24 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. हालांकि यह निर्भर करता है कि मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट क्या है. विमान से यह यात्रा दो से ढाई घंटे में पूरी हो जाती है लेकिन हर कोई विमान से सफर नहीं कर सकता. राजधानी पटना से दिल्ली के विमान का किराया अगर तत्काल लिया जाए तो 10 हजार रुपये से ज्यादा खर्च आता है जबकि अगर 10-12 दिन पहले टिकट लिया जाए तो फिर भी किराया 4 हजार से अधिक आता है.ट्रेन पर आरामदायक सफर के लिए लंबी वेटिंग मिलती है. इसके लिए दो-तीन महीने पहले बुकिंग करानी पड़ती है.
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बिहार के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गांवों से सपने लेकर लोग दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे बड़े शहरों की ओर जाते हैं. रोजगार के अभाव में लोगों को अपने घरों को छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है. चाहे वह आईटी इंजीनियर हो या फिर छोटे-मोटा रोजगार करने वाला कोई कामगार उनका गंतव्य यही बड़े शहर होते हैं जो उन्हें सपने की जीने की प्रेरणा देते हैं. जबकि इनके सपने को उड़ान देने का माध्यम बनती हैं रेलगाड़ियां और बस जो उन्हें उनके सपनों के शहर तक पहुंचाती हैं दिल्ली की दूरी तय करने के लिए 20-20 घंटे का सफर करना होता है लेकिन ये उनके मन में बसती बेहतर भविष्य की आस ही होती है जो उन्हें इस यात्रा में भी थकने नहीं देती. पूरे रास्ते वह यही सोचते हैं कि उनके सुखद जीवन की शुरुआत होने जा रही है लेकिन बीच रास्ते हुई सड़क दुर्घटना उनके ख्याल के साथ ही उनके सपनों को भी चकनाचूर कर देती है जैसा कि उन्नाव में हुई बस दुर्घटना में हुआ जहां 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी बिहार के सीवान से दिल्ली जा रही डबल-डेकर बस यूपी के उन्नाव में बुधवार तड़के लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना का शिकार हो गई. बस यहां दूध से भरे टैंकर से टकरा गई. इस घटना में 18 यात्रियों की मौत हो गई तो 19 लोग घायल हैं. घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मृतकों में अधिकांश बिहार के रहने वाले हैं. जबकि एक यात्री यूपी और एक दिल्ली का निवासी है. दुर्घटना में जिन लोगों को जान गंवानी पड़ी है उनमें 14 पुरुष, 2 महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं. मृतकों में छह एक ही परिवार के सदस्य हैं जो कि मोतिहारी के इजोरा बारा गांव के रहने वाले थे. मृतकों में दो भाई और उनकी पत्नी, एक भाई की बेटी और एक बेटा शामिल है. यहां मोतिहारी में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है बिहार से दिल्ली की यात्रा के लिए 17 से लेकर 24 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. हालांकि यह निर्भर करता है कि मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट क्या है. विमान से यह यात्रा दो से ढाई घंटे में पूरी हो जाती है लेकिन हर कोई विमान से सफर नहीं कर सकता. राजधानी पटना से दिल्ली के विमान का किराया अगर तत्काल लिया जाए तो 10 हजार रुपये से ज्यादा खर्च आता है जबकि अगर 10-12 दिन पहले टिकट लिया जाए तो फिर भी किराया 4 हजार से अधिक आता है.ट्रेन पर आरामदायक सफर के लिए लंबी वेटिंग मिलती है. इसके लिए दो-तीन महीने पहले बुकिंग करानी पड़ती है.
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जिस बच्चे को मां नौ महीने कोख में रखती है और उसकी हर हरकत पर फूल की तरह खिल उठती है. वही मां जब कोर्ट के सामने अपने उसी बच्चे को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देने की गुहार लगाए तो जाहिर है वजह कोई छोटी-मोटी तो हरगिज नहीं होगी. ऐसी ही एक गुहार अशोक राणा और उनकी पत्नी निर्मला देवी ने अपने बेटे हरीश के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के सामने लगाई हरीश जिंदा है, उसकी सांसें चल रही हैं, लेकिन वो 11 साल से विस्तर पर पड़ा हुआ है. क्वाड्रिप्लेजिया से पीड़ित, यानी 100 प्रतिशत विकलांगता. उसी विस्तर से एक यूरीन बैग लगा हुआ है और खाने का एक पाइप भी हरीश के पेट से चिपका है. वो एक जिंदा कंकाल की तरह 2013 से उसी विस्तर पर यूं ही पड़ा हुआ है. 'हरीश एक दशक से भी ज्यादा समय से इस हालात में है. हम हमेशा तो उसके पास नहीं रहेंगे न, तो फिर उसकी देखभाल कौन करेगा.' ये कहना है 62 साल के राणा का, जिन्होंने अपने बेटे को इच्छामृत्यु दिए जाने की गुहार दिल्ली हाई कोर्ट से लगाई, लेकिन कोर्ट ने इसे 8 जुलाई को खारिज कर दिया टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में अपने बेटे की इस हालत को देखते हुए उसके पिता अशोक राणा कहते हैं, 'हर रोज अपने बच्चे की मौत की गुहार लगाना आसान नहीं होता, लेकिन हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है क्योंकि हरीश जिस दर्द से गुजर रहा है वो असहनीय है.' हालात हमेशा ऐसे ही नहीं थे. हरीश मोहाली में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई कर रहा था. उसका जीवन भी आम युवाओं की तरह ही था, लेकिन 2013 में उस दिन सब बदल गया, जब हरीश अपने पीजी के चौथे माले से गिर गया और उसके सिर में गंभीर चोटें आ गईं. इस घटना के पहले दिन से ही हरीश को देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में अच्छा इलाज मिला, लेकिन वो फिर से पहले जैसा कभी न हो सका. हरीश का इलाज पीजीआई चंडीगढ़, एम्स, आरएमएल, लोक नायक और फॉर्टिस जैसे अस्पतालों में हुआ हरीश के पिता ने उसकी सेहत में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किया. वो बताते हैं कि उन्होंने हरीश के लिए 27 हजार रुपए हर महीने की कीमत पर एक नर्स भी रखी थी. ये कीमत उनकी हर महीने की सैलरी यानी 28 हजार रुपए के बराबर ही पड़ रही थी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन्होंने हर महीने 14 हजार रुपए हरीश की फीजियोथेरेपी पर भी खर्च किए. ये खर्च इतने ज्यादा थे कि उन्हें खुद ही उसकी देखभाल करना शुरू करना पड़ा. हरीश की दवाइयों का हर महीने का खर्च भी 20 से 25 हजार पड़ता है और उन्हें सरकार से भी किसी तरह की मदद नहीं मिलती. वो खुद ही सब मैनेज कर रहे हैं. सितंबर 2021 में राणा ने दिल्ली के महावीर एनक्लेव में अपने तीन मंजिल मकान को भी बेच दिया. इस वाकये के बारे में बताते हुए वो कहते हैं, '1998 से उस जगह को हम घर कहते आए थे. हमारी कई यादें उन दीवारों से जुड़ी हुईं थीं. हालांकि हमें उसे छोड़ना पड़ा, क्योंकि वहां तक एंबुलेंस नहीं पहुं पाती थी. हमारे घर तक डायरेक्ट एंबुलेंस का न पहुंच पाना हमारे लिए बड़ी बात थी, क्योंकि ऐसा होने से हमारे बेटे की जान से खिलवाड़ जैसे होता.'अब उसी बच्चे की जान लेने की गुहार लगाते हुए राणा कहते हैं, 'हम उसके अंगों को दान कर देंगे, ताकि कई अन्य लोगों को जिंदगी मिल सके. इससे हमें भी सुकून मिलेगा कि वो किसी और के शरीर में एक अच्छी जिंदगी जी रहा है.'
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पंचायत ग्रामीण मंत्री प्रहलाद पटेल की पीआरओ ने सुसाइड कर ली है. जनसम्पर्क में असिस्टेंट डायरेक्टर पूजा थापक की आत्महत्या के कारण का पूरी तरह से खुलासा नहीं हुआ है. वहीं पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है. हालांकि माना जा रहा है कि पारिवारिक कारणों के चलते उन्होंने आत्महत्या की है दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री प्रहलाद पटेल की पीआरओ पूजा थापक ने बीती रात 12 बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. बताया जा रहा है कि पूजा थापक का पति से विवाद हुआ था. पति भी सहायक संचालक स्तर के अधिकारी हैं. मंगलवार की रात नौ बजे ही पूजा थापक ने मंत्री प्रहलाद पटेल के विभाग से संबंधित खबर भेजी थी गोविंदपुरा पुलिस के अनुसार पूजा थापक साकेत नगर इलाके में परिवार के साथ रहती थीं. उनका मंगलवार को पति से विवाद हुआ था, जिसके बाद मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पूजा थापक मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की सहायत संचालक थीं और वर्तमान में मंत्री प्रहलाद पटेल की जनसंपर्क अधिकारी थीं. उनके पति मध्य प्रदेश सरकार सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग वैज्ञानिक हैं और सहायक संचालक स्तर के अधिकारी हैं. वर्ष 2022 में इनकी शादी हुई थी, इनका एक बेटा भी है
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केंद्र सरकार की कंपनियों में काम करने वाले वरिष्ठ कर्मचारियों को जल्दी ही डबल सैलरी का तोहफा मिल सकता है. सरकार इस बारे में एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है. यह प्रस्ताव निजी कंपनियों के वरिष्ठ कार्यकारियों की तुलना में सरकारी कंपनियों के वरिष्ठ कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी के अंतर को लेकर है ईटी की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि प्रस्ताव पर अमल होने के बाद संबंधित कंपनियों के टॉप कर्मचारियों की सैलरी में 100 फीसदी तक इजाफा हो सकता है. दरअसल सरकारी कंपनियों में काम करने वाले टॉप एक्जीक्यूटिव निजी क्षेत्र के अपने समकक्षों की तुलना में कम भुगतान पाते हैं. ऐसे में शीर्ष स्तर पर एक्जीक्यूटिव का पलायन होता है. सरकार को मिला प्रस्ताव सरकारी कंपनियों के साथ टॉप टैलेंट को जोड़कर रखने के लिए है यह प्रस्ताव उन सीपीएसई यानी सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज के लिए है, जिनका टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है. हालांकि 100 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाली सरकारी कंपनियों के शीर्ष कर्मचारियों की सैलरी में हाइक कई बातों पर निर्भर करेगी. सैलरी में हाइक परफॉर्मेंस पर बेस्ड होगी और उसका निर्धारण करने में एसेट मनीटाइजेशन, प्रोजेक्ट को पूरा करने की स्पीड, प्रॉफिट जैसे पैरामीटर्स को ध्यान में रखा जाएगा अधिकारियों का कहना है कि पब्लिक एंटरप्राइजेज सेलेक्शन बोर्ड से मिले प्रस्ताव में भी कंपनसेशन बढ़ाए जाने का सुझाव दिया गया है. बोर्ड का कहना है कि लीडरशिप पोजिशन के लिए कैंडिडेट खोजने में उसके सामने मुश्किलें आती हैं. उन्हें दूर करने के लिए सरकारी कंपनियों के शीर्ष पदों के लिए कंपनसेशन को बढ़ाए जाने की जरूरत है. पीएसईबी के अनुसार, पैकेज उतने आकर्षक होने चाहिए कि उससे सही उम्मीदवार आकर्षित हो पाएं संबंधित प्रस्ताव को बजट पेश होने से पहले आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी के पास भेजा जा सकता है. उसके बाद कैबिनेट कमिटी प्रस्ताव के ऊपर विचार करेगी. वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट इसी महीने पेश होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था. चुनावी साल के चलते उस समय अंतरिम बजट आया था. अब पूर्ण बजट आने वाला है
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चीन को अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन देश क्यूबा में जासूसी के लिए अक अड्डा मिल गया है, जहां से वह अमेरिका की गतिविधियों पर नजर रख सकेगा. क्यूबा में रूसी परमाणु पनडुब्बियों की मेजबानी के बाद इस बात का पता चला है कि चीन अमेरिका की जासूसी करने में सक्षम क्यूबा में एक नया रडार साइट बना रहा है. चीनी रडार सिस्टम अमेरिका के ग्वांतानामो बे नौसैनिक अड्डे के पास है, इसे अमेरिकी नौसेना ऑपरेट करती है. इस नए रडार साइट के शुरू होने के बाद चीन अमेरिकी युद्धपोतों, एयरक्राफ्ट कैरियर और परमाणु पनडुब्बियों पर निगाह रखने में सक्षम हो जाएगा. इसके अलावा वह अमेरिकी ग्वांतनामो बे नौसैनिक अड्डे पर होने वाली हर गतिविधि पर नजर रख सकेगा क्यूबा की नई रडार साइट की सैटेलाइट तस्वीरों का वॉशिंगटन थिंक टैंक, सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने विश्लेषण किया है. CSIS के मुताबिक, क्यूबा की निगरानी क्षमताओं में यह नवीनतम अपग्रेड है. नई रडार साइट चालू होने के बाद क्यूबा के लिए शक्तिशाली उपकरण साबित हो सकता है. यह अमेरिकी वायु सेना और नौसेना की समुद्री गतिविधियों की निगरानी करने में सक्षम होगा. CSIS ने क्यूबा की रडार फैसिलिटी को अत्यधिक आधुनिक बताया है, जो अमेरिकी उपग्रहों के डेटा को इंटरसेप्ट कर सकता है. साथ ही यह अमेरिकी रेडियो ट्रैफिक की निगरानी भी कर सकेगा CSIS की रिपोर्ट में बताया गया है कि फ्लोरिडा में ही केप कैनावेरल में प्रमुख अंतरिक्ष प्रक्षेपण परिसर है. सीएसआईएस ने इस रिपोर्ट को 'सीक्रेट सिग्नल: डिकोडिंग चाइनाज इंटेलिजेंस एक्टिविटी इन क्यूबा' नाम दिया है. इसी जगह पर अमेरिका के दक्षिणी कमान और सेंट्रल कमान दोनों का मुख्यालय है. ऐसे में अमेरिका केई पनडुब्बी और अन्य सैन्य अड्डे भी इसी जगह पर हैं. क्यूबा का नया सेंटर साल 2021 से सैंटियागो डे क्यूबा के पूर्व में एल सलाओ के पास बनाया जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बेस में लगभग 130 से 200 मीटर के व्यास के साथ एक गोलाकार एंटीना लगा है, जो 3 हजार से लेकर 8 हजार समुद्री मील के संकेतों को ट्रैक कर सकता है सीएसआईएस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि क्यूबा के दूसरे सबसे बड़े शहर सैंटियागो से 73 किलोमीटर पूर्व में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डों का चीनी सेंटर आसानी से निगरानी कर सकेगा. हालांकि, सीएसआईएस की रिपोर्ट में किए गए दावे का क्यूबा के उप विदेश मंत्री, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और अमेरिका में चीनी दूतावास ने खंडन किया है
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उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नये चुनाव को लेकर एक आम सभा की वैठक एनेक्सी मीडिया सेन्टर में 4 बजे आहूत की गई इस वैठक में 90 राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार (सदस्य) उपस्थित हुये । वैठक ने कोरम पूरा करते हुये सर्वसम्मत से एक प्रस्ताव पारित कर निर्णय लिया कि समिति के नये चुनाव की जल्द से जल्द घोषणा की जाये। एक चुनाव हो इसके लिये प्रस्ताव में कहा गया कि निर्वतमान कमेटी की कल 2 जुलाई को बुलाईं गई पदाधिकारियो की वैठक में आम सभा द्वारा दी गई तारीख 28 जुलाई 4 अगस्त 9 अगस्त 11 अगस्त की इन तारीखो में से कोई एक तारीख नये चुनाव के लिये घोषित कर आम सभा को सूचित किया जाये।अगर इन तारीखो में से किसी एक तारीख में चुनाव नही कराये गये तो उसके तीन दिन बाद आम सभा को मिले अधिकार से नये चुनाव घोषित कर दिये जायेगे।वैठक में मौजूदा मान्यता प्राप्त सदस्यो की संख्या का 10 प्रतिशत सदस्यो की संख्या से अधिक लोग उपस्थित थे जो आम सभा के कोरम को पूरा करता है। आज की वैठक में 8 पूर्व पदाधिकारी भी मौजूद थे।आम सभा की वैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर ने की।वैठक का संचालन प्रभात कुमार त्रिपाठी ने किया। वरिष्ठ पत्रकारों में भास्कर दुबे, मनोज मिश्रा, शेखर श्रीवास्तव, अनिल अवस्थी, आकाश शेखर शर्मा, अजय श्रीवास्तव , विश्व देव , अशोक मिश्रा, श्रीधर अग्निहोत्री , नीरज श्रीवास्तव, आलोक त्रिपाठी, शशि नाथ दुबे भारत सिंह अजय वर्मा पवन गुप्ता रतिभान सिंह, राजेंद्र गौतम अजीत सिंह शेखर पंडित सहित काफी संख्या में पत्रकार मौजूद रहे। महिलाओं में कौसर जहां ,तमन्ना फरीदी , दया बिष्ट , रितेश फोटोग्राफर ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के प्रतिनिधिमंडल ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर क्लब के संस्थापक/संयोजक विरेन्द्र पाठक के नेतृत्व में एडीजी जोन प्रयागराज भानु भास्कर से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। इस पर पत्रकारों की सुरक्षा के साथ उनका उत्पीड़न न किए जाने का आश्वासन दिया। पत्रकारों द्वारा दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप माफिया द्वारा अवैध कब्जा खाली कराया जा रहा है। किंतु माफिया के गुर्गे, कुछ पुलिस वालों की मिली भगत के जरिए पुन: जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। अगर इसका समाचार चलता है, तो वह पत्रकारों के खिलाफ फर्जी शिकायतें करते हैं। ऐसी ही एक घटना विगत दिनों गौस नगर करेली 12 मार्किट में हुई। कब्जे का समाचार जब चैनल पर चला तो कतिपय पुलिस वालों से सांठ-गांठ कर दलालों ने पत्रकार के खिलाफ झूठी शिकायत की। पत्रकारों ने उच्च अधिकारियों से मांग की कि बिना नाम वाली शिकायतों की जांच कराई जाए कि आखिर यह पुलिस और पत्रकारों को परेशान करने के लिए कौन शिकायत कर रहा है। साथ ही उन उन भ्रष्ट पुलिस वालों की भी जांच की जाए जिनका गठजोड़ अवैध कब्जा करने के साथ, बस अड्डा, खनन और पासर गैंग से है। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। पत्रकारों ने एडीजी जोन को यह भी बताया कि एक साजिश के तहत दलाल और भ्रष्ट पुलिस वाले फर्जी शिकायतें कर रहे हैं, और फिर मामला सुलझाने के नाम पर पैसा वसूल रहे हैं। इस काम में मीडिया की आड़ लेकर कुछ लोग भी शामिल है।सनद रहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब की बैठक में इन साजिशों के खिलाफ पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश सरकार तक यह बात पहुंचाने का निर्णय लिया गया। कि किस तरह से तथाकथित मीडिया की आड़ में दलाल और भ्रष्ट पुलिस वाले सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। धड़ल्ले से माफियाओं से खाली कराई गई जमीन पुन: कब्जा किया जा रहा है। ज्ञापन और मांग करने वाले लोगों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, पूर्व अध्यक्ष संदीप तिवारी, पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता, राजेश मिश्रा, सैय्यद मोहम्मद आमिर, शैलेश कुमार यादव, आरव भरद्वाज, प्रवीण मिश्रा, मोहम्मद लईक, विकास मिश्रा, रंजीत निषाद, नीतीश सोनी, धीरज कुमार, आशीष भट्ट, आयुष श्रीवास्तव, पंकज शुक्ला, सलाउद्दीन उमर, शायमु कुशवाहा, अभिनव केशरवानी, कुलदीप शुक्ला, टी के पांडेय, शिशिर गुप्ता, शकील खान,आदि लोग मौजूद थे।
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हाथरस के हादसे के बाद बाबाओं पर हमला शुरू हो गया। कुछ लोगों ने बाबाओं को फ्रॉड बताया, मज़मेबाज़ कहा। लेकिन तब तो हर तरह का मज़मेबाज़ एक बाबा ही हुआ। चाहे वह कपिल शर्मा हो या कोई राजनेता। भोले बाबा चूँकि जाटव बिरादरी से हैं इसलिए ब्राह्मण, ठाकुर, यादव पिल पड़े कि एक दलित बाबा कैसे बन गया। यदि बाबाओं की निंदा करनी है तो बागेश्वर से शुरू करो। ख़ैर बाबाओं की सभा में जुटती भीड़ पर सबसे अच्छा लिखा लक्ष्मी शर्मा ने। आप भी पढ़ें- “आसाराम हो, रामपाल या हाथरस का बाबा, इन की सबसे ज्यादा भक्त स्त्रियां ही होती हैं.इसके पीछे हमारे सामाजिक बन्धनों में जकड़ी स्त्रियों का मनोविज्ञान सबसे ज्यादा काम करता है घर में नौकरों की तरह काम, दोयम क्या अंतिम दर्जे का स्थान, वजह-बेवजह अपमान और सौ-सौ बंदिशों में घुट रही स्त्री के लिए बाबा की संगति वो स्पेस है जहाँ वे मुक्त और स्वायत्त अनुभव करती हैं. एक मर्द जिसके साथ मुक्त भाव से हँस-गा लेती हैं, लोक-लाज के डर से बरी उन्मुक्त भाव से नाच लेती हैं. इस भय से भी मुक्त कि कोई उन्हें फ्लर्ट करता है और वे भी खुले-खिले दिल से किसी को चार्म करती हैं, बिना परिजनों के डर के.कि बाबा ही सही एक मर्द है जो उन्हें सुंदर कहता है, अच्छी कहता है, उनकी बात सखा भाव से सुनता है. उन्हें रिजेक्ट करने या झिड़कने की बजाय प्रेम से अपनाता है. उन्हें प्रेम के बन्धन में बंधने की जगह प्रेम में मुक्ति की राह दिखाता है.दुनिया भर के बाबाओं की फेन फॉलोइंग का ये एक कड़वा लेकिन बहुत बड़ा सच है. हमारी सामाजिक जकड़नों से उपजी विसंगतियों का सच.”
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लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना के समय इंडिया टीवी की डिबेट में बैठीं कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने रजत शर्मा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने प्रवक्ता को गाली दी है. इस गाली की वीडियो क्लिप रागिनी नायक ने ट्वीट की थी. इस ट्वीट को लेकर एकल न्यायालय ने सात दिों के भीतर हटाने का निर्देश जारी किया था. ट्विटर (अब एक्स) ने आज बुधवार अदालत के उस आदेश को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें कांग्रेस नेताओं रागिनी नायक, जयराम रमेश औप पवन खेड़ा द्वारा किए गए ट्वीट को हाने का निर्देश दिया है. इस ट्वी में आरोप लगाया गया है कि इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने चुनाव रिज्लट वाले दिन एक शो के दौरान गाली का इस्तेमाल किया था एक्स की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट राजशेखर राव ने एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म इस बात से व्यथित है कि एकल न्यायाधीश ने शर्मा के मानहानि के मुकदमे में निषेधाज्ञा आवेदन को एकतरफा स्वीकार कर लिया उन्होंने कहा कि एक्स कॉर्प इस खेल में शामिल नहीं है लेकिन चिंता इस बात को लेकर है कि एकल न्यायाधीश ने विवादित आदेश कैसे पारित किया इस पर एक्टिंग चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से कहा कि मध्यस्थ होने के नाते एक्स को न्यायिक आदेश का पालन करना होगा. पीठ ने आगे कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार क्षेत्र पूरी तरह से क्षेत्रीय कानूनों के बारे में है, जो अदालतों के सामने एक बड़ी चुनौती है. अदालत ने यह भी कहा कि वह एक्स कॉर्प के अधिकार क्षेत्र के बारे में थोड़ा चिंतित है और यह मध्यस्थ की तरह व्यवहार नहीं कर रहा है न्यायालय ने साफतौर पर कहा कि एकल न्यायालय का आदेश अंतरिम आदेश है तथा निषेधाज्ञा आवेदन पर एकल न्यायाधीश द्वारा 11 जुलाई को सुनवाई और निपटारा किया जाएगा
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लखनऊ में सहारा इंडिया के ठिकाने पर ईडी का छापामार अभियान जारी है. यह छापेमारी ईडी की कोलकाता यूनिट द्वारा की जा रही है. रेड में लखनऊ यूनिट के भी कुछ अधिकारी शामिल हैं इनपुट है कि ये पूरा मामला कोलकाता की चिटफं कंपनी में कथित तौर पर हुए घोटाले से जुड़ा है. जिसे लेकर लखनऊ के कपूरथला स्थित सहारा के हेड ऑफिस में रेड चल रही है रेड के दौरान ऑफिस में मौजूद कर्मचारियों के मोबाइल फोन ED के अधिकारियों ने जब्त कर लिए हैं कहा जा रहा है कि ईडी की टीम ने ऑफिस को सील कर दिया है और किसी को भी ऑफिस में आने या ऑफिस से बाहर जाने नहीं दिया जा रहा है. ईडी के अधिकारी ऑफिस में दस्तावेजों को खंगालने में जुटे हुए हैं ईडी टीम के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई कोलकाता की चिटफंड कंपनी घोटाले से जुड़ी है. चिटफंड कंपनी के तार साहार ग्रुप से जुड़ रहे हैं. इसमें जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये डकार लिए जाने की बात सामने आ रही है
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सेटेलाइट चैनल जनता टीवी के रिपोर्टर आमिर ने अपने चैनल पर एक खबर चलाई। हुआ यूं कि 14 अक्टूबर 2023 को भू माफियाओ से करेली में छुड़ाई गई संपत्ति पर सांठ-गांठ करके अतीक के गुर्गों ने फिर कब्जा कर अवैध प्लाटिंग शुरू कर दी है। बाउंड्री पर किसका कब्जा है यह भी लिखा गया। जब खबर चली तो हंगामा हो गया। कुछ दलाल (पत्रकारिता की आड़ में पुलिस से साथ गांठ करने वाले लोग) परेशान हो गए 20 जून को कीडगंज थाने से आमिर के पास एक फोन पहुंचता है कि आईटी एक्ट के मामले में अपना बयान दर्ज करा दें आमिर को थाने में रोक लिया गया। आमिर के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब से जुड़े कुछ पत्रकार भी गए थे। जब उन्हें पुलिस की मंशा ठीक नहीं लगी तो दबाव देकर जानना चाहा कि क्या मामला है। कहा गया ऊपर से आदेश है। दोपहर से शाम 4:00 बज गया। बाद में पुलिस ने कहा कि शांति भंग की आशंका में 151 में इनका चलान कर दिया गया है। चालान बड़ी बात नहीं है, न्यायालय से जमानत मिल जाएगी पुलिस की मंशा ठीक नहीं थी। यह समझकर आमिर के साथ गए के कई पत्रकारों ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार ANI के ब्यूरो चीफ वीरेन्द्र पाठक को यह सूचना दी बहरहाल, जिले के आला अधिकारी फोन उठा नहीं रहे थे। न्यायालय में इंतजार हो रहा था कि रिपोर्टर को पेश कर कानूनी कार्रवाई पूरी की जाए और आमिर की जमानत ले ली जाए। जिससे उसे जेल न जाना पड़े। क्लब के कुछ सदस्य अधिवक्ता आदि न्यायालय में खड़े थे, इसे जानकर पुलिस पहले बेल ले गई। फिर उसको हर चौराहे पर घूमाती रही, टाइम जाया करती रही। पत्रकार साथी पुलिस के साथ लगे थे। बराबर मोमेंट कैमरे में कैद हो रहा था आपको याद हो, इसी तरह सोशल मीडिया पर काम करने वाले एक व्यक्ति को उठाकर जेल भेज दिया गया था। पुलिस की मंशा भांपकर संयोजक दबाव बढ़ाने लगे। न्यायालय में कई पत्रकार साथी, अधिवक्ताओं की टीम लगी रही। बात इलाहाबाद के हाईकोर्ट से संबंधित कुछ लोगों और लखनऊ में उच्च अधिकारियों तक पहुंचने लगी पुलिस कमिश्नरेट न्यायालय में पत्रकार साथी और अधिवक्ता खड़े हैं। यह जानकर आमिर को धोबी घाट चौराहे पर ले जाकर रोका गया। कार्यालय के बाबू कागज लेकर धोबी घाट चौराहे पहुंचे और वहां से उनका एक दिन का चालान कर दिया गया। पुलिस ने अपनी ताकत का इस्तेमाल किया। जबकि पैरवी करने वालों को पुलिस के सर्वोच्च अधिकारी यह कहते रहे कि बेल हो जाएगी जेल नहीं भेजा जाएगा। पुलिस द्वारा आमिर को जेल ले जाया जाने लगा। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संयोजक वीरेन्द्र पाठक ने उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी को भी यह जानकारी दी। जिससे उपमुख्यमंत्री नाराज हुए। हालात ऐसे बन गए कि चालान काटने के बाद 20 जून की रात 8:00 बजे कीडगंज पुलिस को नैनी जेल के पहले वापस आना पड़ा और आमिर की बेल दे दी गई उधर यह खबर आती रही कि ऊपर से दबाव है हर हालत में जेल भेजना है! इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब ने अपने सदस्य आमिर को जेल जाने से बचा लिया। 20 जून को पुलिस और पत्रकारों के बीच एक रस्साकसी चल रही थी जिसमें अंततः सच की जीत हुई। यह हार सही मायनो में उन दलाल पत्रकारों की है जो बस अड्डे, जुआ के अड्डे, खनन माफिया, भू माफिया से पैसा वसूलते हैं, झूठी एफआईआर दर्ज कर लोगों से पैसा वसूलते हैं पिछले मार्च माह से अलग-अलग थानों में बिना नाम और पते वाली शिकायतें कुछ पत्रकारों के विरुद्ध की गई हैं। जिसका कोई आधार नहीं था। यह काम मीडिया की आड़ लेकर दलाल कर रहे हैं। इस पर क्लब द्वारा कार्यवाही की जा रही है क्लब के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार श्री दिनेश त्रिपाठी ने इस मामले में लखनऊ तक पूरी बात ले जाने संबंधित पुलिस कर्मियों की करतूत को बताने की बात कही है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि माफिया के दलाल पुलिस से और मीडिया की आड़ में किस तरह का खेल खेल रहे हैं। अगर आप पत्रकार हैं और आपके खिलाफ भी इसी तरह की कोई साजिश रची जा रही हो तो कृपया अवगत कराएं। डाटा संकलन कर कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा पुलिस ने कुछ अच्छे काम भी किए हैं। मीडिया की आड़ में वसूली कर रहे लोगों के खिलाफ कार्यवाही भी की है जिनका स्वागत है।
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जाँच के दौरान सीबीआई ने एहसान उल हक और इम्तियाज आलम के साथ-साथ हजारीबाग के दो पत्रकारों- मोहम्मद जमालुद्दीन और मोहम्मद सलाउद्दीन को भी ट्रैक किया था। इसमें एक पत्रकार जमालुद्दीन को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। जमालुद्दीन झारखंड के एक हिंदी दैनिक अखबार से जुड़ा है। पेपर लीक मामले पर एहसान की जमालुद्दीन और सलाउद्दीन से लगातार बातचीत होती रहती थी। सीबीआइ को जानकारी मिली कि नीट परीक्षा के तत्काल बाद एहसान उल हक विदेश घूमने गया था और करीब एक सप्ताह तक इंडोनेशिया के बाली में था। परीक्षा के पहले और बाद के उसके फोन डिटेल में बिहार से भी कनेक्शन मिला है। पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने हजारीबाग में कई कोचिंग संचालकों से मोटी रकम लेकर प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए थे। इनमें एक प्रोफेसर की भूमिका भी संदिग्ध है NEET पेपर लीक मामले में CBI की कार्रवाई जारी है। सीबीआई ने शुक्रवार (28 जून) की शाम को शुक्रवार (28 जून) को झारखंड के हजारीबाग से ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक, वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज आलम और पत्रकार जमालुद्दीन को गिरफ्तार किया है। इसके पहले चार और आरोपित पकड़े गए हैं। सभी आरोपितों को CBI प्लेन से दिल्ली लाने की तैयारी में है जाँच के दौरान सीबीआई ने एहसान उल हक और इम्तियाज आलम के साथ-साथ हजारीबाग के दो पत्रकारों- मोहम्मद जमालुद्दीन और मोहम्मद सलाउद्दीन को भी ट्रैक किया था। इसमें एक पत्रकार जमालुद्दीन को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। जमालुद्दीन झारखंड के एक हिंदी दैनिक अखबार से जुड़ा है। पेपर लीक मामले पर एहसान की जमालुद्दीन और सलाउद्दीन से लगातार बातचीत होती रहती थी सीबीआइ को जानकारी मिली कि नीट परीक्षा के तत्काल बाद एहसान उल हक विदेश घूमने गया था और करीब एक सप्ताह तक इंडोनेशिया के बाली में था। परीक्षा के पहले और बाद के उसके फोन डिटेल में बिहार से भी कनेक्शन मिला है। पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने हजारीबाग में कई कोचिंग संचालकों से मोटी रकम लेकर प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए थे। इनमें एक प्रोफेसर की भूमिका भी संदिग्ध है CBI और पुलिस के मुताबिक, 3 मई को NEET के प्रश्न पत्र कूरियर एजेंसी ब्लू डार्ट के हजारीबाग नूतन नगर सेंटर से बैंक ले जाने की बजाय पहले ओएसिस स्कूल लाए गए। इसके बाद यहाँ से बैंक भेजे गए थे। माना जाता है कि ओएसिस स्कूल में ही पेपर का पैकेट खोला गया था। ये सभी सरगना संजीव मुखिया से जुड़े बताए जा रहे हैं। मुखिया का गैंग पेपर के बॉक्स का सील तोड़ने में माहिर है
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बदलते डिजिटल युग में पत्रकारिता का पूरा स्वरूप ही बदल गया है, मोजो जर्नलिज्म के चलन से पत्रकारिता का ताना-बाना पूरी तरह बदल गया है और इस इंटरनेट के दौर में एफ-एम रेडियो, मोबाईल मीडिया जैसे वैकल्पिक माध्यम हमारे जीवन के अंग बनते जा रहे हैं। इस बदलते मीडिया के रेडियो पत्रकारिता क्षेत्र में जमशेद भाई का अपना एक खासा रंग भी जम गया है। पत्रकारिता में खबरों के साथ तस्वीर ना हो तो खबर मुकम्मल नहीं बनती इसीलिए शायद यह कहा जाता है की एक तस्वीर हजार शब्दों की खबर बयान करती है लेकिन जमशेद भाई की रेडियो पत्रकारिता एक अलग तरह की पत्रकारिता है जिसमें तस्वीर नहीं होती, कागज़ पर बिखरे अल्फ़ाज़ नहीं होते, ऐसे में जमशेद रेडियो पर अपने शब्दों से एक पूरी कहानी बनाते है और उसी कहानी से पूरी तस्वीर बन जाती है जिसे सुनने वाले मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहते है और श्रोताओं के ज़हन में जमशेद की जादुई आवाज़ पूरी ख़बर का सजीव चित्रण बना देती है, जैसे महाभारत में धृतराष्ट्र को संजय पूरे युद्ध का हाल सुनाते थे और धृतराष्ट्र को युद्ध के साक्षात दर्शन हो जाते थे, उसी भूमिका में जमशेद खबरों का हाल बयान करते है महाभारत की कथा से इस बात की पुष्टि होती है कि रेडियो पत्रकारिता का चलन हमारे देश मे कितना पुराना है लेकिन रेडियो पत्रकारिता भी आज के हालात का शिकार हो गयी है, जिस तरह पूरे देश का मीडिया एक बुरे दौर से गुजर रहा है उससे रेडियो जगत की पत्रकारिता पर भी काफी असर पड़ा है, लोकल लेवल के ब्रॉडकास्ट होने वाली खबरों के प्रोग्राम पर रोक लग गई हैं और रेडियो से जुड़ी पत्रकारिता खतरे में है इन हालातों को देखकर लगता है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ जिसे मीडिया के नाम से जाना जाता है आज अपने जीर्ण शीर्ण हालातों में पहुंच चुका है और इस चौथे स्तंभ को मरम्मत की ठीक ठाक ज़रूरत है, अगर वक़्त रहते इस स्तंभ को नही बचाया गया तो ये इमारत ढह जाएगी। जिस तरह सरकारी मदद से पुरातत्व विभाग किसी ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए उस धरोहर की मरम्मत और रंग रोगन लगाकर उसे एक नया जीवन दान देता है आज मीडिया जगत को भी बचाने के लिए मोदी सरकार को कुछ वैसा ही करने की ज़रूरत है 80 करोड़ देशवासियों को भोजन इत्यादि की जो व्यवस्था की गई है वो मोदी सरकार की दूरगामी सोच का परिणाम है लेकिन 80 करोड़ देशवासियों के साथ साथ समाज के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार वर्ग के लिए अगर कुछ नही किया गया तो ये इमारात धाराशाई हो सकती है। आज इस मौके पर सभी साथियों ने मोदी और योगी सरकार से अपील की है कि देश की मीडिया से जुड़े लोगों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा कर इस धरोहर को बचाने की पुरजोर कोशिश की जानी चाहिए ।
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सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा खुफिया तौर पर ऐसे पत्रकारों के संबंध में जानकारी एकत्रित की जा रही है जिनका पत्रकारिता से कोई लेना देना नहीं है परंतु राज्य मुख्यालय की मान्यता प्राप्त करके लोक भवन एवं सचिवालय के प्रेस रूम में बैठकर ऊंट पटांग और ऊलजलूल व्याख्यान में लगे रहते हैं लेखन शैली से ना तो उनका कोई संबंध है और ना ही कोई खबरों से ताल्लुक केवल अपनी भाषा शैली और ऊंची आवाज में बोलकर साथी पत्रकारों को प्रभावित करके परिवार के नाम से दर्जनों अखबार निकाल कर दुकान चलाई जा रही है एक तरफ जहां मीडिया क्षेत्र में खांटी पत्रकारों के लिए आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है वही ऐसे तथाकथित पत्रकार जिनके द्वारा अपने परिवार के नाम पर दर्जनों समाचार पत्र का प्रकाशन किया जा रहा है उनके विज्ञापन के लिए सुबह से लोक भवन एवं सूचना निदेशक के कक्ष के बाहर तंबू गाड़ दिया जाता है और उनके अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के सम्मुख ऊंची आवाज में बकलोल करने का कार्य शुरू कर दिया जाता है जिसके चलते अभी हाल ही में सूचना निदेशक को अप्रिय घटना का सामना करना पड़ा और एक खास बकलोल टाइप के पत्रकार जिन्होंने अभी हाल ही में जेल की यात्रा का अपना स्वर्णिम इतिहास लिखा है अपनी बकलोल के चलते सूचना विभाग के निदेशक को शर्मसार कर दिया यही नहीं भोजपुरी फिल्मों के निर्माता निर्देशक का परिवार आए दिन सूचना परिसर और लोकभवन परिसर में अपनी बकलोल के चलते ख्याति प्राप्त है उच्च अधिकारियों के सम्मुख दंडवत प्रणाम करने वाला यह बकलोल पत्रकार कमरे के बाहर निकलते ही बड़ी-बड़ी डींगें हांकने लगता है और ऊंची आवाज में साथी पत्रकारों को अपशब्द भी बोलते सुना जाता है एवं सूचना विभाग कर अधिकारियों को दलाल बताने लगता है जिसके डर से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी कर्मचारी इसके समाचार पत्र को विज्ञापन ही नहीं देते बल्कि नियम विरुद्ध इसके पूरे परिवार की राज्य मुख्यालय की मान्यता प्रदान की गई है ऐसे बकलोल पत्रकारों कि राज्य मुख्यालय की मान्यता समाप्त नहीं की गई तो आने वाले वक्त में बकलोल पत्रकारों की मांग बढ़ाते जाएगी और उनकी देखा देखी अन्य पत्रकार भी बकलोल करने पर उतारू हो जाएंगे बकलोल कोई शिक्षित परिवार या किसी संस्कारी परिवार के गुण नहीं होते बल्कि सड़क छाप आम बाजरो चलन की भाषा शैली है और समाज से तिरस्कृत,अपेक्षित ही बकलोल करता दिखाई देता है । पूर्व में एक अनपढ़ पत्रकार की बकलोल के किस्से प्रेस रूम में विख्यात है जिसके द्वारा अपनी बकलोल के माध्यम से अधिकारियों को डरा धमका कर समाजवादी सरकार में लाखों करोड़ों का विज्ञापन का व्यापार किया गया और उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करके अपना डर का माहौल व्याप्त कर दिया था परंतु इस हकीकत को कोई झूठ नहीं सकता कि आज दुनिया से जाने के बाद ना तो वह दौलत काम आयी और ना ही उस बकलोल का कोई साथी झांकने गया और ना ही कोई आखिरी वक्त में बाराती दिखाई देते है
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पत्रकारों के साथ अभद्रता करना डीएसपी ट्रैफिक कौशल किशोर को भारी पड़ गया. धक्का-मुक्की और गालीगलौज के बाद जिले के दर्जनों पत्रकारों ने डीआईजी और एसपी से मिलकर कार्रवाई करने की मांग की है बताया जा रहा है कि बीते दिनों पूर्णिया में बतौर डीएसपी ट्रैफिक कौशल किशोर व सब इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार सिंह द्वारा कई पत्रकारों को गाली-गलौज और धक्का मुक्की करने की घटना सामने आई थी. इसे लेकर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के प्रतिनिधियों ने डीआईजी तथा एसपी से मुलाकात की है शिकायतकर्ताओं में प्रेस क्लब पूर्णिया के अध्यक्ष नंदकिशोर सिंह, दैनिक जागरण के प्रभारी राजीव कुमार, प्रबात खबर के प्रभारी अरुण कुमार, प्रेस क्लब पूर्णिया के सचिव प्रशांत चौधरी, डीडी वन बिहार एवं पीटीआई के रिपोर्टर स्मिथ कुमार और भास्कर डिजिटल के पत्रकार आकाश कुमार मौजूद रहे बातचीत के बाद प्रेस क्लब अध्यक्ष नंदकिशोर ने बताया कि डीआईजी द्वारा सारी बातों को सुनने के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है. इसके लिए डीएसपी पुष्कर कुमार को जांच सौंपी गई है
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भारतीय बंदरगाहों से लेकर उर्जा कारोबार तक झंडा गाड़ने के बाद गौतम अडानी की नजरें अब देश के डिफेंस सेक्टर पर टिक गई हैं. अडानी ग्रुप डिफेंस सेक्टर में बड़ा धमाका करने की तैयारी में जुट गया है ग्रुप की कंपनी अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस, भारतीय वायु सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले रूद्र और प्रचंड हेलीकॉप्टरों के लिए 70 एमएम रॉकेट बनाएगी. कंपनी ने इसके लिए शुक्रवार 28 जून 2024 को फ्रांस के थेल्स ग्रुप के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए बता दें कि दोनों ग्रुपों के बीच यह पार्टनरशिप मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत हुई बताई जा रही है मूह के लिए सौर उपकरणों की एक मजबूत और स्वदेशी आपूर्ति श्रंखला बनाने में मदद कर सकते हैं कंपनी ने अपने प्रस्तुतीकरण में आठ विदेशी साझेदारों का उल्लेख किया है. ये सभी चीन से जो मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) और आपूर्ति श्रंखला विक्रेता बताए गए हैं अब जब प्रधानमंत्री मोदी चीन को लाल आंखें दिखाकर डरा ही चुके हैं तो जाहिर सी बात है इन तीस चीनी इंजीनियरों की नियुक्ति का आदेश जल्द ही अडानी समूह के लिए जारी किया जा सकता है वैसे भी सरकार के पास अडानी और अपनी कुर्सी सलामत रखने के अलावा दूसरा कोई काम भी तो नहीं है
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग कर रहे एक पत्रकार को मोबाइल बंद करने और तुरंत न्यायालय परिसर से बाहर निकल जाने का आदेश दिया. पत्रकार की पहचान ‘लाइव लॉ’ के एसोसिएट एडिटर स्पर्श उपाध्याय के रूप में हुई है स्पर्श अदालत की कार्यवाही में मौजूद एकमात्र पत्रकार थे जो अपने मोबाइल फोन से लाइव लॉ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लाइव पोस्ट अपडेट कर रहे थे. न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण रुमार सिंह देशवाल की पीठ ने उन्हें यह कहते हुए निकाल दिया कि, आप बाहर जाकर अपनी रिपोर्टिंग करिए इस तरह की घटनाओं से, अदालतों की उन दलीलों पर कहीं न कहीं सवाल जरूर खड़ा होता है, जिसमें अदालत प्रेस की स्वतंत्रता पर जोर देती है. ऐसी घटनाएं न सिर्फ मीडिया पर अंकुश लगाने बल्कि जनता के भरोसे और जवाबदेही को खत्म करने का जोखिम भी पैदा करती हैं बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में इन दिनों रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद के रूप में राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. जिसकी रिपोर्टिंग करते हुए पत्रकार को बाहर निकाल दिया गया
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग कर रहे एक पत्रकार को मोबाइल बंद करने और तुरंत न्यायालय परिसर से बाहर निकल जाने का आदेश दिया. पत्रकार की पहचान ‘लाइव लॉ’ के एसोसिएट एडिटर स्पर्श उपाध्याय के रूप में हुई है स्पर्श अदालत की कार्यवाही में मौजूद एकमात्र पत्रकार थे जो अपने मोबाइल फोन से लाइव लॉ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लाइव पोस्ट अपडेट कर रहे थे. न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण रुमार सिंह देशवाल की पीठ ने उन्हें यह कहते हुए निकाल दिया कि, आप बाहर जाकर अपनी रिपोर्टिंग करिए इस तरह की घटनाओं से, अदालतों की उन दलीलों पर कहीं न कहीं सवाल जरूर खड़ा होता है, जिसमें अदालत प्रेस की स्वतंत्रता पर जोर देती है. ऐसी घटनाएं न सिर्फ मीडिया पर अंकुश लगाने बल्कि जनता के भरोसे और जवाबदेही को खत्म करने का जोखिम भी पैदा करती हैं बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में इन दिनों रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद के रूप में राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. जिसकी रिपोर्टिंग करते हुए पत्रकार को बाहर निकाल दिया गया
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यूपी के अंबेडकर नगर में एक पत्रकार को गोली मारे जाने की खबर सामने आई है. घटना गुरुवार देर शाम की है और पत्रकार स्थिर हालात में अस्पताल में भर्ती है जानकारी के मुताबिक राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के गांव जयसिंहपुर के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार मौर्या देर शाम अपने घर जा रहे थे. इसी दौरान रास्ते में घात लगाकर बैठे करीब आधा दर्जन की संख्या में लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया, इसके बाद पत्रकार पर कई फायर झोंक दिए. गोली पत्रकार के बाएं पांव की जांघ में लगी है सूचना पर पहुंची पुलिस ने पत्रकार राजकुमार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहांगीरगंज पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया थानाध्यक्ष विजय तिवारी ने बताया कि मामले में छानबीन की जा रही है. मामले को आपसी रंजिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है इनपुट है कि कुछ माह पहले पत्रकार राजकुमार मौर्या के साथ उनके घर पर चढ़ाई कर मारपीट की गई थी. मामला इलाके के ही कुछ लोगों से जुड़ा था. बाद में पुलिस ने थाने में सुलह करा दिया था. लेकिन अब पत्रकार को गोली मारे जाने के बाद पुलिस पर सवाल के साथ चर्चाओं का बाजार भी गर्म है
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यूपी के अंबेडकर नगर में एक पत्रकार को गोली मारे जाने की खबर सामने आई है. घटना गुरुवार देर शाम की है और पत्रकार स्थिर हालात में अस्पताल में भर्ती है जानकारी के मुताबिक राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के गांव जयसिंहपुर के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार मौर्या देर शाम अपने घर जा रहे थे. इसी दौरान रास्ते में घात लगाकर बैठे करीब आधा दर्जन की संख्या में लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया, इसके बाद पत्रकार पर कई फायर झोंक दिए. गोली पत्रकार के बाएं पांव की जांघ में लगी है सूचना पर पहुंची पुलिस ने पत्रकार राजकुमार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहांगीरगंज पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया थानाध्यक्ष विजय तिवारी ने बताया कि मामले में छानबीन की जा रही है. मामले को आपसी रंजिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है इनपुट है कि कुछ माह पहले पत्रकार राजकुमार मौर्या के साथ उनके घर पर चढ़ाई कर मारपीट की गई थी. मामला इलाके के ही कुछ लोगों से जुड़ा था. बाद में पुलिस ने थाने में सुलह करा दिया था. लेकिन अब पत्रकार को गोली मारे जाने के बाद पुलिस पर सवाल के साथ चर्चाओं का बाजार भी गर्म है
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार (27 जून) को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने नई सरकार की प्राथमिकताओं को संसद के सामने रखा. उन्होंने कहा कि आज दुनियाभर में भारत में हुए चुनाव की चर्चा हो रही है. दुनिया ने देखा है कि किस तरह से भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार बहुमत के साथ स्थिर सरकार बनाई है. राष्ट्रपति ने जब ये कहा तो इस दौरान विपक्षी सांसदों की तरफ से शोर भी मचाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनी है. अठाहरवीं लोकसभा के गठन के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने पहली बार संयुक्त बैठक को संबोधित किया. नई लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हुआ. राज्यसभा का सत्र आज से शुरू हो रहा है. राष्ट्रपति ने 18वीं लोकसभा के सभी सभी नव निर्वाचित सदस्यों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आप सभी लोग देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर आए हैं. आप लोग राष्ट्र प्रथम के तौर पर काम करेंगे राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने अभिभाषण में हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ये दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था. करीब 64 करोड़ मतदाताओं ने उत्साह और उमंग के साथ अपना कर्तव्य निभाया है. इस चुनाव में सुखद तस्वीर जम्मू-कश्मीर से भी आई है, जहां कश्मीर घाटी में वोटिंग के अनेक दशकों से रिकॉर्ड टूटे. पिछले चार दशक में बंद और हड़ताल को देखा गया, जिससे कम मतदान हुआ. भारत के दुश्मनों ने इसे दुनियाभर में खूब प्रचारित किया.
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भाजपा नेता व पूर्व मंत्री रघुनंदन दास का एक हैरतअंगेज कारनामा सामने आया है. इस कारनामे में मंत्री ने महिला पत्रकार पर कुत्ते छोड़ दिए. महिला पत्रकार ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई मामला भुवनेश्वर का है. यहां बुधवार को महिला पत्रकार चिन्मयी साहू अपनी टीम के साथ पूर्व बीजद विधायक और पार्टी के संगठन सचिव प्रणब दास के आलीशान सरकारी आवास पर चल रही विध्वंस गतिविधियों को कवर करने पहुंची थी शहर में पूर्व बीजद विधायक प्रणव प्रकाश दास को आवंटित किए गए सरकारी मकान में तोड़फोड़ की कवरेज के दौरान उनके पड़ोस में रहने वाले पूर्व मंत्री रघुनंदन दास ने अपने कुत्ते महिला पत्रकार के पीछे दौड़ा दिए.सूत्रों की माने तो प्रणब प्रकाश दास, जिन्हें बॉबी दास के नाम से भी जाना जाता है, को साल 2019 में जाजपुर निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद राजधानी में सरकारी मकान संख्या, VlllMR -1 आवंटित किया गया था मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बाद में बॉबी दास ने बगल के दो और सरकारी मकान पर कब्जा कर लिया. अब इन तीनों की तोड़फोड़ कराकर एक भूमिगत मंजिल सहित चार मंजिला आलीशान महल खड़ा कर रहे हैं. इसकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है 2014 के आम चुनावों में बॉबी दास केंद्रीय शिक्षा मंत्री से संबलपुर लोकसभा सीट हार गए. सूत्रों की माने तो बॉबी दास को सरकारी मकान खाली करना है, इसीलिए बीजद के संगठन सचिव द्वारा ध्वस्तीकरण की गतिविधि की जा रही है. जिसकी कवरेज करने पहुंची महिला पत्रकार पर पड़ोसी पूर्व मंत्री ने कुत्ते छोड़ दिए
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हाई कोर्ट ऑफ मद्रास में पत्रकारों, यूट्यूबर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों को तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल बेंच के गठन की मांग संबंधी एक याचिका दायर की गई है मामला कार्यवाहक चीफ जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस मोहम्मद शफीक की बेंच में आया तो पीठ ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या के आंकड़े देने का निर्देश दिया. साथ ही प्रतिवादियों को याचिका का जवाब देने का भी निर्देश दिया गया याचिकाकर्ता एस मुरलीधरन ने आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ़ दल किसी भी पत्रकार/यूट्यूबर्स के खिलाफ विंच-हंट कर रहा है और जब भी कोई असहमति की आवाज उठती है तो उनके खिलाफ मामले दर्ज कर दिए जा रहे हैं. उन्होंने तर्क दिया कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की रक्षा की जानी चाहिए और किसी भी प्रकार की चुप्पी को रोका जाना चाहिए. उन्होंने आगे तर्क दिया कि राज्य असहमति जताने वालों के खिलाफ मामले दर्ज कर प्रतिशोध की राजनीति में लिप्त है हाईकोर्ट के वकील ने तर्क दिया कि रोस्टर के मास्टर होने के नाते मुख्य न्यायाधीश के पास किसी भी मामले की सुनवाई के लिए बेंच तय करने का विशेषाधिकार है. उन्होंने कहा कि वर्तमान मामले में रजिस्ट्रार जनरल को प्रतिवादी बनाया गया है.जो केवल प्रशासन का प्रमुख हैऔर रोस्टर तय करने में उसका कोई रोल नहीं है.इस पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा कि, क्या आप हमें आंकड़े दे सकते हैं कि हाई कोर्ट में पत्रकारों के खिलाफ कितने मामले लंबित हैं. हम मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए कदम उठा सकते हैं, लेकिन इसके लिए हम विशेष पीठ का गठन नहीं कर सकते. यदि आप कोई आंकड़े देते हैं तो हम अभी भी कुछ कर सकते हैं न्यायालय ने अपने कथन में जोड़ा कि मामले को उचित आदेश के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने के लिए प्रार्तना में बदलाव किया जा सकता है, अदालत ने यह बात फिर से इसी पहलू पर जोर देते हुए कहा कि, याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष पत्रकारों के खिलाफ लंबित मामलों का कोई सांख्यिकीय विवरण नहीं दिया है.
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बिहार की नीतीश कुमार सरकार में भू-माफिया बेकाबू होकर दिन के उजाले में आतंक ढहाते नजर आ रहे हैं. जिला मोतिहारी में भू-माफिया ने पुलिस के संरक्षण में गुंडई की दम पर पत्रकार का घर गिरवा दिया. पत्रकार ने जब पुलिस से मदद की गुहार लगाई तो थानेदार ने कन्नी काटते हुए दूसरी जगह जाने की बात कही जानकारी के मुताबिक, थाना चकिया से 200 कदम दूर एक पत्रकार के घर कुछ भू-माफिया पहुंचे और अहाते में बने कमरे में तोड़फोड़ शुरू कर दी. पत्रकार ने पुलिस से शिकायत की तो एसएचओ चकिया ने अनसुना कर दिया. पत्रकार ने 112 नंबर डायल किया. थाना चकिया की पुलिस आधे घंटे बाद मौके पर पहुंची लेकिन पुलिस की मौजूदगी में दबंग पत्रकार के घर में तोड़फोड़ करते रहे भू-माफिया की इस तरह खुलेआम दहशत के बाद पत्रकार का परिवार सहमा हुआ है. बताया जा रहा है कि घर में तोड़फोड़ के दौरान दबंगों ने परिवार पर पथराव भी किया पुलिसिया सिस्टम की लाचारगी तब और दर्दनाक बन गई जब पत्रकार द्वारा दी गई शिकायत के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी थानेदार ने एफआईआर दर्ज नहीं कराई. हालात ये हैं कि दहशत में पत्रकार की पत्नी चकिया रेफरल अस्पताल में भर्ती है पीड़िता पत्रकार ने मोतिहारी के एसपी कान्तेश मिश्रा को भू-माफिया के आतंक का वीडियो भेजकर न्याय की गुहार लगाई है. वहीं, एसपी कान्तेश मिश्रा ने मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि, एफआईआर दर्ज कर भू-माफिया की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया गया है बताया जा रहा है कि भू-माफिया ने पत्रकार की की जमीन का किसी से सौदा कर लिया है. और अब पत्रकार की जमीन कब्जाना चाहता है. भू-माफिया में शामिल एक शख्स पत्रकार का दूर का रिश्तेदार भी बताया जा रहा है. चकिया में इस तरह की खुलेआम वारदात के बाद पुलिस के इकबाल पर भी सवाल उठ रहे हैं
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय आज मंगलवार को विज्ञापनों के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र की अनिवार्यता लागू करने के लिए अहम बैठक करेगा. बैठक में इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स के साथ एसडीसी अपलोड करने या प्राप्त करने के संबंध में विज्ञापनदाताओं के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी बता दें कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जून के सेकंड वीक में ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया, इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी, डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन, इंडियन सोसायटी ऑफ ऐडवर्टाइजर्स सहित गूगल व अन्य प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग की थी. जिसमें मंत्रालय की तरफ से साफ किया गया था कि सरकार न तो शासनादेश में कोई संशोधन करेगी और न ही क्रियान्वयन की तारीख ही आगे बढ़ाएगी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को 9 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट में अब तक की कार्रवाई का हलफनामा दाखिल कर जानकारी देगा. इस हलफनामे के बाद मंत्रालय को एसडीसी कार्यान्वयन के बाद हितधारकों के अनुभव को रखने का भी अवसर मिलेगा वहीं विज्ञापन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने जनादेश के कार्यान्वयन पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. क्योंकि उनका मानना है कि भले ही सरकार की मंशा सही हो, लेकिन इसे लागू करने का तरीका सही नहीं है
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मशहूर अंग्रेजी लेखक विक्रम सेठ ने हनुमान चालीसा का इंग्लिश अनुवाद किया है। विक्रम सेठ का जब भी जिक्र होता है तो उनकी माँ जस्टिस लीला सेठ कीआत्मकथा याद आती है। लीला जी के अनुसार एक बार स्कूल में विक्रम से किसी ने उनकी मातृभाषा के बारे में पूछा तो बालक विक्रम ने जवाब दिया- मेरी माँ की मातृभाषा इंग्लिश है लेकिन मेरी मातृभाषा हिन्दी है यह देखकर अच्छा लगा कि भारतीय भाषाओं के प्रति विक्रम जी में वह संवेदनशीलता उम्र के इस पड़ाव पर भी मौजूद है।
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मशहूर अंग्रेजी लेखक विक्रम सेठ ने हनुमान चालीसा का इंग्लिश अनुवाद किया है। विक्रम सेठ का जब भी जिक्र होता है तो उनकी माँ जस्टिस लीला सेठ कीआत्मकथा याद आती है। लीला जी के अनुसार एक बार स्कूल में विक्रम से किसी ने उनकी मातृभाषा के बारे में पूछा तो बालक विक्रम ने जवाब दिया- मेरी माँ की मातृभाषा इंग्लिश है लेकिन मेरी मातृभाषा हिन्दी है यह देखकर अच्छा लगा कि भारतीय भाषाओं के प्रति विक्रम जी में वह संवेदनशीलता उम्र के इस पड़ाव पर भी मौजूद है।
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बिहार के खगड़िया में एक पत्रकार को फोन पर जान से मारने व 25 लाख रुपये की रंगदारी देने की धमकी मिलने का मामला सामने आया है. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है पत्रकार शशि भूषण प्रसाद महतो ने धमकी मिलने के बाद थाने में शिकायत देकर मामला दर्ज कराया है. उन्होंने बताया कि रविवार की दोपहर उनके मोबाइल नंबर पर एक के बाद एक कई फोन कॉल आए. फेन रिसीव करने पर उन्हें धमकी दी गई हालांकि धमकी किस बात को लेकर मिली यह साफ नहीं है. मामले में थानेदार ने बताया कि मामला दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है
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धार में महिला की पिटाई का एक वीडियो सामने आया जिसमे कुछ लोग डंडे से महिला की पिटाई कर रहे है जबकि कुछ लोग महिला को बचाने के बजाए घटना का वीडियो बना रहे है पुलिस के मुताबिक यह घटना 20 जून को हुई थी जिससे पहले महिला एक व्यक्ति के साथ घर से भाग गई थी पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि वीडियो का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने मामले में कार्रवाई की और महिला को पीटने वाले मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है वहीं इस घटना पर कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने मोहन सरकार पर सवालिया निशान खड़े करते हुए पूछा कि क्या धार की ये बहन आपकी सरकार से यह उम्मीद रख सकती हैं कि इस घटना की निष्पक्ष एवं त्वरित जांच होगी और उसे प्राथमिकता से न्याय मिलेगा आखिर क्यों आपकी सरकार महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने में बार-बार असफल हो रही है
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अभी पूरे देश की लोकसभा और चार राज्यों की विधानसभा चुनावों की खुमारी उतरी भी नहीं है कि अब उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. पहले आम चुनावों पर लाखों करोड़ का खर्च होने के बाद अब उपचुनावों पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है. ये सारे पैसे उसी टैक्स पेयर्स की जेब से जाने वाले हैं, जो किसानों का कर्ज माफ करने पर कहते हैं कि पैसा हमारा है तो किसानों की कर्ज माफी क्यों. ये पैसा उन्हीं टैक्स पेयर्स की जेब से जाने वाला है, जो सस्ती शिक्षा, पढ़ाई और दवाई जैसी वेलफेयर स्कीम्स पर सरकार के पैसे खर्च करने के नाम पर मुंह बिचकाते हैं, लेकिन ऐसे चुनावों में पानी की तरह बह रहे पैसे पर चुप्पी साध लेते हैं लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा. दोनों ही जीते. वायनाड की सीट छोड़ी और रायबरेली अपने पास रखी. तो अब खाली पड़ी वायनाड सीट पर उपचुनाव होंगे. उत्तर प्रदेश के 9 विधायक अब सांसद बन गए तो उनकी विधानसभा पर उपचुनाव होंगे. एक सीट पर विधायक को सजा हो गई और विधायकी खत्म हो गई तो वहां उपचुनाव होंगे. बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक में उपचुनाव होने हैं. एक कानून की वजह से ऐसे उपचुनावों पर जो पैसा खर्च होगा, आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं
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माउंट आबू में एक विश्वसनीय और प्रतिष्ठित समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका के संवाददाता एवं एजेंसी धारक पर अवैध वसूली के आरोप लगाए जा रहे हैं जानकारी के मुताबिक माउंट आबू में राजस्थान पत्रिका के स्थानीय रिपोर्टर और एजेंसी धारक के खिलाफ नगर पालिका के एक ठेकेदार को धमकाने व अवैध वसूली करने का मामला सामने आया है। माउंट आबू थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर हरिपाल सिंह उखरड़ा ने एक ठेकेदार को धमकी देकर दस हजार रुपए वसूल किए और अखबार में नकारात्मक खबर न छापने की एवज में एक लाख रुपए की मांग की। परिवादी ठेकेदार की ओर से दर्ज रिपोर्ट में उल्लेख है कि वह अपनी फर्म के जरिए नगरपालिका में सफाई एवं अन्य कार्य का ठेके लेता है। हाल ही में उसे मानसून पूर्व शहर के नालों की सफाई का कार्य मिला था। निविदा संबंधी औपचारिकताएं पूरी होते ही उसने नालों की सफाई का कार्य शुरू कर दिया इसी दौरान राजस्थान पत्रिका का स्थानीय रिपोर्टर हरिपाल सिंह उखरड़ा उसे मिला और धमकी दी कि वह सही काम नहीं कर रहा। अगर ऐसा ही रहा तो वह राजस्थान पत्रिका में उसके खिलाफ खबरें छापेगा। एफआईआर के मुताबिक आरोपी ने कहा कि अगर खबर रुकवानी है और ठेके का काम जारी रखना है तो उसे एक लाख रुपए देने होंगे परिवादी ने बताया कि उसने दबाव में आकर राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर को दस हजार रुपए नगद दे दिए। इसके बाद भी आरोपी ने उससे रुपयों की डिमांड बढ़ा दी। एफआईआर में आरोप है कि पत्रिका रिपोर्टर ने ठेकेदार को धमकी दी है कि अगर वह उसे एक लाख रुपए नहीं देगा तो उसके खिलाफ लगातार नकारात्मक खबरें छपेंगी। इसके बाद परिवादी ने माउंट थाने में पत्रिका रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई ठेकेदार का कहना है कि एफआईआर होने के बाद भी रिपोर्टर से किसी प्रकार की पुलिस द्वारा पूछताछ नहीं की गई है. इस मामले आरोपी रिपोर्टर से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन, उससे संपर्क नहीं हो पाया
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राजधानी रायपुर के नगर निगम बिल्डिंग के पास स्थित छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के दफ्तर में आग लग गई. आनन-फानन में कर्मचारियों-अधिकारियों को बाहर निकाला गया. आग लगने की घटना में कई दस्तावेजों के खाक होने की बात कही जा रही है. लेकिन आग कैसे लगी यह किसी को पता नहीं है लोक सेवा आयोग के दफ्तर में आग की सूचना पाकर मौके पर कई पत्रकार कवरेज के लिए पहुंच गए. इस दौरान पत्रकारों से कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा धक्का-मुक्की व गाली गलौज की बात सामने आई है. इसे लेकर पत्रकारों में रोष है. पत्रकारों का कहना है कि लोक सेवा में कार्यरत पढ़े-लिखे कर्मचारी और अधिकारी यदि गुंडों बदमाशों वाली शैली अपनाते हैं तो जनता से किस तरह मुखातिब होते होंगे? वहीं जब पत्रकारों ने अपने साथ हुई बदसलूकी का विरोध किया तो लोक सेवा आयोग के आयुक्त टीपी शर्मा ने सामने आकर पत्रकारों से माफी मांगी इसके अलावा उन्होंने पत्रकारों से बदसलूकी करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन भी दिया
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सोनी पिक्चर्स नेटवर्क को लीगल नोटिस भेजे जाने का मामला सामने आया है. यह नोटिस टीवी रियलिटी शो ‘शार्ट टैंक’ की प्रतिभागी कंपनी ‘फिट एंड फ्लेक्स’ ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट निष्क्रिय करने को लेकर भेजा है नोटिस में कहा गया है कि कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट ने फिट एंड फ्लेक्स के साथ पार्टनरशिप की शर्तों का उल्लंघन किया है. जिस कारण उसके परिचालन में व्यवधान उत्पन्न हुआ. कंपनी ने सोनी पर अनुबंध के दायित्व का पालन न करने और समझौते के अपने हिस्से को पूरा करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया है मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिट एंड फ्लेक्स का आरोप है कि सोनी की हरकतों के कारण उसका सोशल मीडिया अकाउंट निलंबित कर दिया गया है फिट एंड फ्लेक्स के फाउंडर पथिक पटेल की तरफ से कहा गया है कि इन दिक्कतों का समाधान निकालने के कई प्रयास किए गए लेकिन हमें सोनी की तरफ से पूरी तरह खामोशी का सामना करना पड़ा, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गई हैं और जवाबदेही की कमी देखने को मिली. पटेल ने इंडस्ट्री के हितधारकों से अधिक ट्रांसपैरेंसी और निष्पक्षता के लिए सोनी की प्रथाओं की जांच करने के लिए भी कहा है
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बिजली कटौती के बारे में ट्वीट करने और यह कहने पर कि एक लाइनमैन ने एक महिला को परेशान किया है, एक पत्रकार पर हैदराबाद में मामला दर्ज किया गया है। तेलंगाना राज्य दक्षिणी विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (TGSPDCL) के एक सहायक अभियंता द्वारा पत्रकार के बयान पर विवाद करने की शिकायत के बाद रचाकोंडा की एलबी नगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है हैदराबाद की पत्रकार रेवती पोगडदंडा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया था कि हैदराबाद के एलबी नगर की एक महिला को बिजली विभाग के कर्मियों ने प्रताड़ित किया था, जिन्होंने उससे बिजली कटौती के बारे में अपना ट्वीट हटाने के लिए कहा था। सुश्री रेवती का ट्वीट, शाम 4.52 बजे पोस्ट किया गया। मंगलवार को उन्होंने कहा, “बार-बार बिजली कटौती से तंग आकर उन्होंने घटना के बारे में ट्वीट किया और एक लाइनमैन उनके आवास पर आया और उनसे ट्वीट हटाने की मांग की। उन्होंने बिजली विभाग को फोन कर इस बारे में बताया उनसे अनुरोध किया कि ऐसे लोगों को उन्हें धमकी देने के लिए उनके पास न भेजें। फिर अधिकारी ने उनसे कहा कि उसे उन्हें फोन करना चाहिए और इसके बारे में ट्वीट नहीं करना चाहिए क्योंकि बिजली विभाग पर ‘ऊपर के लोगों’ का बहुत दबाव है इसके बाद पत्रकार ने स्क्रीनशॉट साझा किया कि कैसे राचाकोंडा पुलिस ने उसे शाम 5.21 बजे एक्स पर मैसेज किया। उससे संपर्क विवरण साझा करने के लिए कहा जा रहा है। इससे पूर्व आईटी मंत्री केटी रामा राव से लेकर नेटिज़न्स में आक्रोश फैल गया। रामा राव ने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और अन्य पत्रकारों से सवाल किया कि पुलिस विभाग उपयोगकर्ताओं के स्थान को कैसे ट्रैक करने में सक्षम है। उन्होंने पत्रकार के प्रति एकजुटता भी दिखाई और इस संबंध में कार्रवाई की मांग की मंत्री केटी रामा राव ने ट्वीट किया, “तेलंगाना में चौंकाने वाली स्थिति। बिजली के संबंध में नागरिकों की दुर्दशा के बारे में वास्तविक चिंता उठाने वाले पत्रकार को घुसपैठ करने और परोक्ष धमकियाँ जारी करने का तेलंगाना पुलिस को क्या अधिकार है? क्या पुलिस विभाग ऊर्जा विभाग चला रहा है या यह सिर्फ सादा पुलिस राज है जहां सोशल मीडिया पर सवाल उठाने वाले पर आप केस दर्ज कर देंगे? कोई जवाब तेलंगानाडीजीपी गारू या राचकोंडाकॉप।”
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न्यूज़ चैनल ‘India TV’ के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा को मानहानि के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने राहत दी है। साथ ही कॉन्ग्रेस नेताओं को रजत शर्मा के खिलाफ किए गए ट्वीट्स डिलीट करने के लिए कहा गया है। ‘आप की अदालत’ इंटरव्यू शो के लिए लोकप्रिय रजत शर्मा पर कॉन्ग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया था कि पार्टी की प्रवक्ता रागिनी नायक को उन्होंने बीच शो में धीमे से गाली दी। हालाँकि, वीडियो में गाली सुनाई नहीं दे रही है कॉन्ग्रेस के कम्युनिकेशन विभाग के सेक्रेटरी इंचार्ज जयराम रमेश, मीडिया एवं पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के चेयरमैन पवन खेड़ा और पार्टी के विदेश मामलों की संयोजक रागिनी नायक को अब रजत शर्मा के खिलाफ किए गए ट्वीट्स हटाने पड़ेंगे। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने इसके लिए तीनों नेताओं को एक सप्ताह का समय दिया है। Google को आदेश दिया गया है कि जो वीडियो सार्वजनिक हो चुके हैं उन्हें प्राइवेट किया जाए, बिना न्यायिक आदेश के उन्हें सार्वजनिक न किया जाए साथ ही इन तीनों नेताओं ने YouTube और X (पूर्व में ट्विटर) पर इस संबंध में जो भी पोस्ट किए, उनके URLs को हटाने के लिए भी दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है। मामला लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना के दिन चल रहे डिबेट शो का है। तीनों नेताओं ने एक एडिटेड वीडियो को ये कह कर पोस्ट किया कि ये इंडिया टीवी के डिबेट शो के रॉ फुटेज हैं। कोर्ट ने टी डिबेट का फुटेज देख कर कहा कि प्रारंभिक रूप से लगता है कि रजत शर्मा ने किसी गाली का इस्तेमाल नहीं किया हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ये वीडियो सार्वजनिक मीडिया में मौजूद रहते हैं तो इससे रजत शर्मा को भविष्य में बदनाम किए जाने की आशंका बनी रहेगी और उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए व्यावहारिक रूप से नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकेगी। कोर्ट ने कहा कि मानहानि और आलोचना के बीच एक पतली सी रेखा है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति एवं बोलने की आज़ादी के तहत किसी की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुँचाई जा सकती।
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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक बैठक में मीडिया और डिजिटल राइट्स संगठनों ने सरकार से प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाले कानूनों को वापस लेने की अपील की है. पीसीआई द्वारा पारित प्रस्ताव में उन बिंदुओं को शामिल किया गया है जिसकी मांग पत्रकार संगठनों ने की है.
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पत्रकारों के लिए सैंज के पर्यटन स्थलों, सैंज और शांघड़ के होटलों में मुफ्त ठहरने की सुविधा मिलेगी. सैंज प्रेस क्लब में आज आयोजित एक सम्मान समारोह में इस बात की घोषणा की गई कुल्लू के पत्रकारों के लिए यह घोषणा करते हुए द शंगचुल शांघड़ होटल हाईट के चैयरमैन एवं समाज सेवी महेश शर्मा ने कहा कि, उनके अपने सभी होटलों में आज रविवार से यह सेवा शुरू कर दी गई है. शर्मा ने कहा कि समाज में पत्रकारों की भूमिका अहम होती है. कुल्लू के पत्रकारों द्वारा समस्याओं को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने में विशोष भूमिका अदा की जा रही है. जिस कारण यहां का विकास हो रहा है इस मौके पर प्रेस क्लब जिला कुल्लू के प्रधान धनेस गौतम ने कहा कि महेश शर्मा की ओर से सैंज और शांघड़ में अपने होटलों में पत्रकारों के लिए शुरू की गई योजना से पत्रकारों को लाभ होगा. इसके लिए उन्होंने महेश शर्मा का आभार जताया है पत्रकारों के लिए सैंज के पर्यटन स्थलों, सैंज और शांघड़ के होटलों में मुफ्त ठहरने की सुविधा मिलेगी. सैंज प्रेस क्लब में आज आयोजित एक सम्मान समारोह में इस बात की घोषणा की गई कुल्लू के पत्रकारों के लिए यह घोषणा करते हुए द शंगचुल शांघड़ होटल हाईट के चैयरमैन एवं समाज सेवी महेश शर्मा ने कहा कि, उनके अपने सभी होटलों में आज रविवार से यह सेवा शुरू कर दी गई है. शर्मा ने कहा कि समाज में पत्रकारों की भूमिका अहम होती है. कुल्लू के पत्रकारों द्वारा समस्याओं को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने में विशोष भूमिका अदा की जा रही है. जिस कारण यहां का विकास हो रहा है इस मौके पर प्रेस क्लब जिला कुल्लू के प्रधान धनेस गौतम ने कहा कि महेश शर्मा की ओर से सैंज और शांघड़ में अपने होटलों में पत्रकारों के लिए शुरू की गई योजना से पत्रकारों को लाभ होगा. इसके लिए उन्होंने महेश शर्मा का आभार जताया है
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(प्रवीण कक्कड़) कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता। कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।। भारत जैसे देश में पिता के लिए कोई एक दिन नहीं होता सातों दिन भगवान के क्या मंगल क्या पीर...ठीक ऐसा ही पिता के साथ है। पिता पृथ्वी पर तो साक्षात् भगवान हैं। इसीलिए हम परमपिता को भी परमेश्वर कहते हैं। लेकिन जो पिता जन्म देता है, बचपन से लेकर जवानी तक हमें काबिल बनाता है। अपनी इच्छाओं को मारकर हमारी जरूरतों को पूरा करता है। दिन-रात अपने परिवार और संतानों के लिए परिश्रम करता है। उस लौकिक पिता का महत्व अलौकिक परमपिता से ज्यादा है। क्योंकि इससे संसार से परिचय हमें पिता ही कराता है। वह केवल हमें संसार में लेकर नहीं आता बल्कि संसार के महासागर में तैरना भी सिखाता है। पिता घरों की नींव है, पिता हमारी शान। कड़वा रुखवा नीम का, इसमें सबकी जान।। फादर्स डे या पिता दिवस पश्चिम की एक परंपरा हो सकती है लेकिन भारत में पिता का अर्थ बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण है। भारत में पिता श्रद्धा और समर्पण का पर्याय है। यदि संतान पिता के प्रति श्रद्धा रखी है तो पिता भी संतानों के प्रति समर्पण का भाव रखता है। अपने पुरुषार्थ का अधिकांश हिस्सा अपनी संतानों को समर्पित करता है। एक परिवार को विकसित और पल्लवित करता है और फिर राष्ट्र के निर्माण में बहुमूल्य योगदान देता है। यदि जननी राष्ट्र के निर्माण की पहली सीढ़ी है तो पिता राष्ट्र के निर्माण की नींव है। यदि जननी सहनशीलता की पराकाष्ठा है तो पिता धैर्य का महासागर है। पश्चिम का दर्शन कहता है कि माता प्रथम शिक्षक हैं लेकिन हमारे वांग्मयम में पिता को अंतिम गुरु कहा गया है। पिता आश की जोत है, संतति का विश्वास। घर का सूरज है पिता, नाता सबसे खास।। एक पिता तभी गौरवान्वित होता है जब उसकी संतान उससे चार कदम आगे चले। जब उसकी संतान की उपलब्धियां उससे कहीं ज्यादा हों। जब उसकी संतान की सामाजिक और आर्थिक हैसियत उससे आगे बढ़कर हो। संसार में पिता ही एकमात्र प्राणी है जो उसकी संतान के उत्कर्ष का आनंद लेता है। भाई - भाई की प्रतिष्ठा से जल सकता है। बहनों में ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा का भाव हो सकता है। मित्र, पड़ोसी और शुभचिंतक भी अपने किसी खास का उत्कर्ष कई बार बर्दाश्त नहीं कर पाते लेकिन पिता वह है जो अपने पुत्र के आगे बढ़ते हर कदम पर गौरवान्वित और प्रसन्न होता है। वह अपनी संतान की उपलब्धियों से खुद को ऊंचाइयों पर महसूस करता है। सब धरती कागज करूँ लिखनी (लेखनी ) सब बनराय। सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥ जैसे गुरु का गुण लिखने के लिए महासागर की स्याही भी कम पड़ती है वैसे ही पिता की महत्ता लिखने के लिए पूरी धरती को कागज बनाकर लिखना भी कम पड़ सकता है। एक संतान की सबसे बड़ी सफलता वही है कि उसके पिता उससे संतुष्ट रहें, सुखी रहें, उसे देखकर सदैव खुश रहें। यदि पिता अपनी संतान को देखकर खुश है, गौरवान्वित है, अभिभूत है तो फिर मानकर चलिए कि संतान ने अपने जीवन की समस्त उपलब्धियों को पा लिया है। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग परंपरा होती है। हम भारत के लोग सभी अच्छी परंपराओं का अनुसरण करते हैं। पिता के लिए तो सभी 365 दिन है किंतु फिर भी पश्चिम में मनाए जाने वाले पिता दिवस या फादर्स डे के दिन हम अपने आप से यह सवाल तो कर ही सकते हैं कि क्या हमारे पिता हमें देखकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। यदि इसका जवाब हां है तो आप एक सफल संतान हैं। सजग पिता लिखता सदा, बच्चों की तकदीर। पूत सफल हो तो लगे,पा ली जग की जागीर।। बॉक्स 19 जून 1910 को पहली बार मनाया गया फादर्स डे फादर्स डे सर्वप्रथम 19 जून 1910 को वाशिंगटन में मनाया गया। साल 2019 में फादर्स-डे के 109 साल पूरे हो गए। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है- सोनेरा डोड की। सोनेरा डोड जब नन्ही सी थी, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरो के जीवन में मां की कमी नहीं महसूस होने दी और उसे मां का भी प्यार दिया। एक दिन यूं ही सोनेरा के दिल में ख्याल आया कि आखिर एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं हो सकता? इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की। 1972 में अमेरिका में फादर्स डे पर स्थायी अवकाश घोषित हुआ। फ़िलहाल पूरे विश्व में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। भारत में भी धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता जा रहा है। इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढती भूमंडलीकरण की अवधारणा के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा सकता है और पिता के प्रति प्रेम के इज़हार के परिप्रेक्ष्य में भी।
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पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए ने लोकसभा चुनाव 2024 में शानदार जीत दर्ज की। एक तरफ पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी कर रहे थे, तो दूसरी तरफ भारत विरोधी शक्तियाँ भारत सरकार और खासकर मोदी सरकार को बदनाम करने के प्रयास में लगातार जुटे हुए थे। इन्हीं प्रयासों में एक है ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) की कथित ‘पत्रकार’ अवनि डायस द्वारा झूठ फैलाने का प्रयास, जिसमें अवनि ने 5 जून 2024 को भारत के संविधान के बारे में फर्जी बातें प्रसारित की।अवनि डायस ने कुछ समय पहले ही ये फर्जी खबर फैलाई थी कि ‘निगेटिव रिपोर्टिंग’ की वजह से भारत सरकार ने उनका वीजा रद्द कर दिया है, जबकि वो दावा फर्जी निकला था। इस बार अवनि ने दावा किया है कि ‘धर्मनिरपेक्षता’ भारतीय संविधान का अहम हिस्सा है, वो भी अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद यानी 1947 से। अवनि ने ‘नरेंद्र मोदी से पहले के भारत की कहानी’ हेडलाइन के साथ एक वीडियो बनाकर ये बताने की कोशिश की कि भारत में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की धर्मनिरपेक्षता किस तरह के खतरे में है।अपने वीडियो के 9.19 मिनट पर अवनि डायस ने कहा, “आपको बता दें कि जब 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भारत की स्थापना हुई थी, तो इसके संविधान में लिखा गया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जिसका मतलब है कि धर्म के आधार पर देश में सभी को आजादी होनी चाहिए।” अवनि ने दावा किया कि भारत के संविधान में सेक्युलर शब्द पेज नंबर 33 पर बड़े अक्षरों में लिखा है
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पत्रकार और पत्रकारिता की गरिमा समय समय पर गिरती रही है. कभी सरकारों द्वारा अर्दब में ले लिए जाने से तो कभी खुद के कर्मों से पत्रकारों ने खुद की इज्जत गिरा ली है. ताजा मामला राजस्थान पत्रिका में कार्यरत, आगरा के वरिष्ठ पत्रकार और कई किताबों के लेखक भानु प्रताप सिंह के साथ घटा, जिसने पत्रकारिता का चीर हरण कर लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी दरअसल, भानु प्रताप प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के विश्व मुख्यालय ज्ञान सरोवर, माउंट आबू, राजस्थान में राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन में भाग लेकर 26 मई 2024 को आगरा लौट रहे थे. वह जब आबू रोड रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो तबीयत में कुछ असहजता दिखी. स्टेशन पर उन्होंने शौचालय तलाशा काफी तलाशने के बाद पे एंड यूज के स्लोगन वाला शौचालय मिला. बाहर बैठे संचालक ने भानु प्रताप से 10 रुपये मांगे. लेकिन शौचालय आने से पहले भानु पर्स व जेब में पड़े रुपये पत्नी को पकड़ाकर आए थे. अलबत्ता उन्होंने संचालक से कहा कि वे निपटकर आने के बाद दे देंगे. गार्ड ने हामी भर दी शौचालय से बाहर आने पर संचालक ने 10 रुपये मांगे. जिसपर उन्होंने कहा कि पत्नी से लेकर देता हूं. यह सुनकर शौचालय का संचालक मुस्कराया और बोला, कोई लौटकर नहीं आता. पैसे तो आपको देकर ही जाना पड़ेगा. तभी उसने भानु प्रताप से पूछा क्या करते हैं..आप? “पत्रकार हूं”, भानु प्रताप ने जवाब दिया पत्रकार सुनकर संचालक ने व्यग्यपूर्ण लहजे में कहा, अच्छा पत्रकार हो. पत्रकार तो बिना पैसे के खबर नहीं छापते हैं. समाज में पत्रकारों की ये वाली छवि सुनकर भानु प्रताप अंदर तक हिल गए. भानु को लगा कि यह किसी पत्रकार द्वारा पीड़ित है, जाने नहीं देगा. इसी गरज से उन्होंने शौच के 10 रुपये के बदले अपनी उँगली में पड़ी सोने की अंगूठी उसे उतारकर दी और बाद में पत्नी से 10 रुपये लाकर उसे दिए. 10 रुपये देने के बाद उनकी सोने की अंगूठी छूटी यह किस्सा जब उन्होंने चलती ट्रेन में अपनी पत्नी को सुनाया तो उसने भी माथा पीट लिया. इसलिए आप भी अगर पत्रकार हैं तो किसी को परिचय देते समय 10 बार जरूर सोचें. और हां सोने के आभूषण भी पहनना शुरू कर दीजिए. क्या पता कब कैसी जरूरत पड़ जाए, क्योंकि आप पत्रकार हैं!
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार द्वारा ऐसे पत्रकारों का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए जो ब्लैकमेलिंग और असमाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं मामला पत्रकार पुनीत मिश्रा और एक समाचार पत्र विक्रेता पर आम लोगों की मर्जी के बिना उनकी तस्वीरें लेकर उनसे जबरन वसूली करने और निर्दोष आम लोगों के खिलाफ उक्त सामग्री प्रकाशित करने को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है आरोपियों के वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में आरोपितों को जानबूझकर फंसाया गया है और पुलिस द्वारा आरोप-पत्र भी बिना किसी पर्याप्त जांच के दाखिल कर दिया गया वहीं, राज्य की तरफ से महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि पूरे प्रदेश में एक गिरोह चल रहा है जिसमें बहुत से पत्रकार शामिल हैं. ये गिरोह आम लोगों के खिलाफ अखबार में खबरें छापकर समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने का डर दिखाकर उनसे जबरन वसूली जैसी कई असमाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह मामला बहुत गंभीर है और अगर पत्रकार अपने लाइसेंस की आड़ में इस तरह की असमाजिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं तो राज्य मशीनरी को इसका संज्ञान लेना चाहिए. साथ ही ऐसे पत्रकारों का लाइसेंस रद्द करना चाहिए
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शपथ ग्रहण समारोह में सेना अध्यक्ष व CDS का अपमान शर्मनाक हमारे सेनानायक धन्ना सेठों, अभिनेताओं से पीछे प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के शपथ समारोह में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ और थल सेना अध्यक्ष को धन्ना सेठों और फिल्मी सितारों से बहुत पीछे की कतार में बिठाया गया था समारोह में मुकेश अंबानी, उनके पुत्र अनंत, सुपर स्टार शाहरुख खान आदि CDS (Chief of Defence Staff ) और Chief of Army Staff (COAS) से बहुत आगे की कतार में बैठे दिखाई दे रहे हैं उनके बहुत पीछे गोल घेरे में दोनों सेना अधिकारी बैठे हैंये न केवल सेना का अपमान है बल्कि निर्धारित प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी है
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राजनीति की अब तक की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है. इस खबर के मुताबिक नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह को भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया है. नीचे वेबसाइट का लिंक दिया गया है. जिसमें पहले मोदी, राजनाथ, लालकृष्ण आडवाणी और उसके बाद मुरली मनोहर जोशी का फोटो लगा है वरिष्ठ पत्रकार सुनील सिंह बघेल ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए हैरानी जताते हुए लिखा है कि, “भाजपा ने अपने मार्गदर्शक मंडल मे दो नए सदस्य शामिल किए हैं. कहीं वेबसाइट हैक तो नही हुई? पहले मार्गदर्शक मंडल में सिर्फ मुरली मनोहर जोशी और आडवाणी जी ही दिखते थे अब वेबसाइट पर श्री राजनाथ सिंह और मोदी जी भी नजर आ रहे हैं.”
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जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों पर आतंकी हमले की दुनियाभर में निंदा की जा रही है इस हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकियों ने ली है हमले के विरोध में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल 12 जून को सभी केंद्र एवं जिलों पर विरोध प्रदर्शन कर महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपेगा विश्व हिन्दू परिषद् के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर के रियासी में इस्लामिक जिहादियों ने हमला किया जिसमें महिला बच्चे समेत 10 लोगों की मौत हुई विश्व हिंदू परिषद इसकी निंदा करता है 12 जून को बजरंग दल सभी जिला केंद्रों पर प्रदर्शन और पुतला दहन करेगा जम्मू कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद फैल रहा है इसको लेकर हम सबको जागरूक करेंगे पाकिस्तान समर्थक इस्लाकमि आतंकवाद जम्मू कश्मीर में फिर से पैर पसार रहा है उसे कुचलना जरूर है
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सतपुड़ा से बाघिन मछली और शावकों की मनमोहक Video सतपुडा टाइगर रिजर्व की रानी बाघिन मछली के शावक बड़े हो रहे है जिनको जंगलों में रहने के दांवपेच उनकी माँ बाघिन मछली द्वारा सिखाया जा रहा है बाघिन मां मछली कभी उन्हें लड़ना सिखाती है तो कभी शिकार करना इसी बीच बाघ परिवार का एक और बहुत सुंदर वीडियो सतपुडा टाइगर रिजर्व चूरना से सामने आया है जहाँ बाघिन मछली अपनी निगरानी में अपने तीन शावकों को पानी मे तैरना सीखा रही है 41 सेकेंड का वीडियो सतपुडा टाइगर रिजर्व चूरना के भीमकुंड का है जहाँ बाघिन मछली अपने शावकों को पानी मे तैरना सीखा रही है यह वीडियो 15 मई का है
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सवा करोड़ कीमत के 501 मोबाइल बरामद ग्वालियर पुलिस की साइबर टीम ने सैकड़ो लोगों के चेहरे की खुशी लोटाई है उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनका खोया सामान जिसके मिलने की उम्मीद ना के बराबर होती है उसको ग्वालियर पुलिस ने खोज निकाला है दरअसल, ग्वालियर पुलिस की साइबर टीम ने एक करोड़ से अधिक कीमत के मोबाइल फोन जब्त किए हैं इसके बाद उन मोबाइल्स को उनके असली मालिकों को लौटाया है टीम की इस बड़ी कार्रवाई के लिए जहां अधिकारी उन्हें मुबारकबाद दे रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ जिन लोगों के मोबाइल वापस मिले हैं वे तहे दिल से पुलिस का शुक्रिया अदा कर रहे हैं
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शावक को देखकर रोमांचित हुए पर्यटक भीषण गर्मी से इंसानों के साथ जानवर भी बेहाल हैं और उन्हें भी छाया की तलाश रहती है बाघों के लिए प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में भी गर्मी का असर दिखाई दे रहा है गर्मी की वजह से बाघ, बाघिन और शावक भी छाया और ठंडक वाले स्थान में दिखाई दे रहे हैं इस बीच भीषण गर्मी में छांव और ठंडक की तलाश में एक वनराज शावक हवा महल में पहुंच गया और वहां अपना डेरा जमा लिया सफारी के दौरान पर्यटक बाघ शावक का अंदाज देखकर रोमांचित हो गए एक पर्यटक ने शावक के इस अनोखे अंदाज को अपने कैमरे पर कैद कर लिया अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है वायरल शावक का वीडियो देख लोग काफी उत्साहित हो रहे हैं इस शावक की उम्र लगभग 10 माह बताई जा रही है वहीं, वायरल वीडियो को लेकर वन परीक्षेत्राधिकारी ने सभी कर्मचारियों को सतर्क रहने के निर्देश दे दिए गए हैं
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भोपाल की युवती दोस्त के साथ गई थी मनाली राजधानी भोपाल के शाहपुरा इलाके में रहने वाले वाली शीतल कौशल घर से बिना बताए अपने हरियाणा के दोस्त विनोद ठाकुर के साथ मनाली घूमने गई थी यहां दोनों ने होटल केडी विला का कमरा नंबर-302 बुक किया था बीती शाम के समय जब युवक विनोद अकेला ही होटल से जाने लगा तो उसने वॉल्वो बस स्टैंड जाने के लिए टैक्सी मंगवा ली ऐसे में वह एक भारी भरकम बैग को गाड़ी में डाल रहा था इस दौरान होटल के स्टाफ को भी शक हुआ और तुरंत मनाली पुलिस को सूचना दी इस बीच युवक मौके से फरार हो गया...पुलिस की टीम तुरंत मौके में पहुंची और टैक्सी में रखे गए बैग को जब बोला गया तो उसमें युवती का शव पाया गया पुलिस की टीम ने तुरंत नाकाबंदी शुरू कर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया भोपाल जोन वन डीसीपी प्रियंका शुक्ला का कहना है कि इस मामले में मनाली पुलिस कार्रवाई कर रही है
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गिरोह की दो युवतियां और एक युवक गिरफ्तार छतरपुर के नौगाँव थाना पुलिस ने फोन कॉल के जरिये अश्लील बातें कर युवकों को अपने जाल में फ़साने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है गिरोह को पति -पत्नी मिलकर चलाते थे गिरोह के शिकार एक फरियादी की शिकायत के बाद पुलिस ने गिरोह की दो शातिर महिलाओं और एक युवक को गिरफ्तार किया है गिरोह का सरगना निगरानी शुदा बदमाश और एक अन्य आरोपी फरार है..जिनकी पुलिस तलाश कर रही है गिरोह की महिलाएं युवकों से फोन पर अश्लील बातें कर उन्हें फंसाती थी फिर उन्हें मिलने के बहाने साथियों के साथ ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठती थी पीड़ित युवक की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरोह का भंडाफोड़ किया
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भोपाल में नाबालिग से दुष्कर्म ऐशबाग थाना प्रभारी जितेंद्र गंढवाल ने बताया कि नाबालिग लड़की के साथ एक युवक ने इंस्टाग्राम में दोस्ती की दोस्ती करने के बाद मोबाइल नंबर आदान प्रदान किया गया लड़के ने नाबालिग लड़की को अपना नाम करण बताया और उसको बहला फुसलाकर नजदीक के होटल में ले गया जहां उसके साथ गलत काम किया किशोरी ने जब उससे बातचीत करना बंद कर दिया तो आरोपी उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी देने लगा परेशान होकर पीड़िता ने घटनी की जानकारी परिजनों को दी उसके बाद परिजन उसे लेकर ऐशबाग थाने पहुंचे जहां पीड़िता ने दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया
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स्कूटी का प्रलोभन देकर धंधा करवाया नाबालिग युवती को स्कूटी दिलाने का प्रलोभन देकर बंधक बनाकर देह व्यापार कराने के आरोप मे संतोषी तिवारी नाम की महिला को गिरफ्तार किया गया है डेढ महीने पहले इस नाबालिग युवती पर देह व्यापार के अड्डे पर गोली मारकर घायल करने वाला चालीस अपराधो मे संलग्न मंजू पटैरिया पहले ही गिरफ्तार हो चुका है ,आरोपी महिला का देह व्यापार मे सहयोग करने वाले दो अन्य आरोपी भी पहले ही गिरफ्तार किये गए हैं ,आरोपी महिला पहले भी देह व्यापार के आरोप मे हो गिरफ्तार हुई है। आरोपी महिला पर छतरपुर और यूपी के महोबा के थाने मे मामले दर्ज हैं
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स्टूडेंट ने किया टीचर पर कट्टे से फायर अमरपाटन के सतना रोड़ एमपी कंप्यूटर के पास रहने वाले टीचर अशोक कुमार पांडे के यहाँ घुस स्टूडेंट ने कट्टे से फायर कर उन्हें मारने का असफल प्रयास किया स्टूडेंट कट्टे से फायर करता इससे पहले ही शिक्षक ने युवक का हाथ पकड़ लिया,ओर शोर शराबा किया जिससे डरता हुआ पंकज पयासी नामक युवक भाग निकला, वही घटना के पहले ओर बाद का सीसीटीवी भी सामने आया हैं ,जिसमें युवक भागता नजर आ रहा हैं, पीड़ित परिवार घटना के बाद दहशत में हैं , घटना की जानकारी लगते ही अमरपाटन पुलिस पहुँची पीड़ित शिक्षक ग्राम भीषमपुर हाई स्कूल में लेब असिस्टेंट के पद पर पदस्थ हैं पीड़ित शिकक की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी हैं शिक्षक अशोक कुमार पांडे की मां ने बताया युवक एक दिन पहले भी उनके घर मंदिर बनवाने का चंदा मांगने आया था ,इसके बाद वह आज दोबारा उनके यहां पहुंचा था जहां पहुंचते ही उसने उनकी कनपटी पर कट्टा अड़ा दिया और फायर करने की कोशिश की आरोपी पंकज प्यासी पीड़ित शिक्षक का पुराना स्टूडेंट है।
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प्रबंधन ने जारी की मादा चीता गामिनी की शॉर्ट मूवी कूनो प्रबंधन के अधिकारियों ने मदर चीता गामिनी की शॉर्ट मूवी जारी की है इसमें मादा चीता और नन्हें शावक जंगल में उछलकूद और मस्ती करते हुए दिखाई दे रहे हैं वीडियो में 5 साल की गामिनी कूनो के जंगल में अपने 6 नन्हें शावकों को पालकर बड़ा कर रही है, यह दिखाने की कोशिश की गई है शावक उछलकूद करते अपनी मां के साथ मौज मस्ती करते दिखाई दे रहे हैं एक शावक पेड़ की टहनी पर बैठा हुआ दिखाई दे रहा है इससे पहले आशा और ज्वाला चीते की शॉर्ट मूवी जारी की गई थी इनमें सभी की सफलता की कहानी और वह अपने मां होने का फर्ज किस तरह निभा रही हैं यह दिखाया गया है तीनों माता चीता अपने शावको को खिलाने पिलाने से लेकर उनकी उचित देखरेख करके उन्हे वह सबकुछ सिखा रही हैं जिसकी जरूरत हर चीते को रहती है मां चीता और शावकों की यह वीडियो वाकई में बेहद दिलचस्प है जिसे हर कोई देखना चाहेगा
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एसडीएम को भ्रष्टाचारी बताने वाले पोस्टर चर्चा में जबलपुर के चौराहों और मुख्य सड़कों की दीवारों पर लगे इन पोस्टरों में गोरखपुर एसडीएम पंकज मिश्रा पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए है इसके साथ ही गोरखपुर तहसील को भ्रष्टाचारियों का अड्डा करारा दिया है पोस्टर में सबसे ऊपर टेबल के नीचे से रिश्वत लेते हुए एक व्यक्ति दिखाया गया है पोस्टर में एसडीएम गोरखपुर के आगे लाल अक्षरों से ईमानदार और काले अक्षरों से रिश्वतखोर/चोर लिखा हुआ है शहर में संभवत पहली बार एसडीएम स्तर के किसी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ इस तरह के पोस्टर लगे है
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फरियादी से फोन पर की अभद्रता ""तेरी नेताओ की ऐसी की तैसी तू सुन ले अच्छे से और रिकॉर्ड भी कर ले "मुझे घंटा कोई फर्क पड़ता राजनीतिक दबाव का फालतू की बकवास न कर तेरे बाप ने तुझे एक जूता मारा था" मेरे सामने आएगा तो मैं दो जूते मारूंगी तुझे"यह शब्द है रीवा जिले के चाकघाट थाना की टीआई उषा सिंह सोमवंशी के टीआई उषा हमेशा अपने अभद्र आचरण के कारण चर्चा में रहती है इन दिनों उनका एक कथित ऑडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा हा है जिसमें वो फरियादी के साथ फोन पर अमर्यादित बातचीत करते हुए सुनाई दे रहीं है
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कैमरे में कैद हुआ रोमांचित करने वाला नजारा जंगल बुक वाले मोगली का साथी बघीरा एक बार फिर मोगली लैंड में नजर आया ब्लैक पैंथर बघीरा खतरनाक जंगल में मोगली का मित्र, रक्षक और सलाहकार बन के सामने आया था बघीरा शब्द हिंदी में पैंथर या तेंदुए के लिए इस्तेमाल किया जाता है मध्यप्रदेश के मोगली लैंड पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यटकों उस समय रोमांचित हो गए जब उन्हें काला पैंथर बघीरा नजर आया पर्यटकों को सफारी के दौरान काला तेंदुआ यानी मोगली का दोस्त बघीरा देखने को मिला सफारी के दौरान पेंच टाइगर रिजर्व के टुरिया गेट से सफारी के लिए प्रवेश करने वाले पर्यटकों को यह दुर्लभ काला तेंदुआ दिखाई दिया लंबे समय के बाद अचानक नजर आये इस काले तेंदुए को देख कर पर्यटक काफी रोमांचित हो गए पेंच नेशनल पार्क में सैलानी प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेने आते हैं जहां उन्हें बाघ, तेंदुआ, हिरन, बारासिंघा सहित कई वन्य प्राणी देखने को मिल जाते हैं। जिन्हें देखकर लोग आनंदित हो जाते हैं
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साेशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो वायरल वीडियो में 4-5 सेवादार युवक और युवती को धमकाते हुए नाम पता पूछ रहे हैं साथ ही बैग में रखे सामान चेक करते हुए दिखाई दे रहे हैं इतना ही नहीं सेवादार युवक-युवती के साथ मारपीट कर रहे हैं सेवकों द्वारा युवक युवती के सम्बन्धों को लेकर सन्देह व्यक्त किया जा रहा है इस दौरान सेवादारों ने ही घटना का वीडियो भी बना लिया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है हालांकि, वायरल वीडियो को कब का है इस बारे में अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है वायरल वीडियो में दिखने वाले युवक युवती उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के बताए जा रहे का मामला संज्ञान में आने के बाद एसपी ने इस पूरे मामले के जांच के आदेश दिये है
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वीडियो वायरल होने के बाद मचा हड़कंप भोपाल में भाजपा जिला पंचायत सदस्य विनय मेहर ने नाबालिग बेटे से अपना वोट डलवाया उन्होंने मोबाइल से इसका वीडियो बनाया और उसे वायरल भी कर दिया मामला तूल पकड़ने के बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दिया वहीं अब इस मामले में कांग्रेस हमलावर हो गई है कांग्रेस प्रदेश मीडिया प्रभारी मुकेश नायक का कहना है कि मामले में चुनाव आयोग मूठ बन बैठा हुआ है अगर कोई दिव्यांग या बीमार है तो उसकी तरफ से वोट करने वाला व्यक्ति की आयु 18 साल का होनी चाहिए18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को वोट डालने का अधिकार नहीं है जो वीडियो वायरल हो रहा है इस पर तत्काल निर्वाचन आयोग संज्ञान ले.... और उचित कार्रवाई करें कार्यवाही करें
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वार्ड 15 के रहवासी पानी की समस्या से परेशान अमरपाटन नगर परिषद वार्ड 15 के रहवासियों का कहना है कि वह लंबे समय से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन विभाग कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है वार्ड पार्षद ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा वाॅल बंद करके वार्ड में पानी आने से रोका जा रहा है पार्षद और रहवासियों ने सीएमओ को ज्ञापन सौंपते हुए जल्द समस्या दूर करने की मांग रखी जिस पर नगर परिषद सीएमओ ने जल्द ही समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया
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गोपनीयता भंग करना भाजपा नेता को पड़ा भारी ग्वालियर में पूर्व पार्षद पति रिंकू परमार मतदान करने डीआरपी लाइन स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय पहुंचे थे वह अपने साथ मोबाइल अंदर ले गए मोबाइल अंदर ले जाने के बाद ईवीएम पर मतदान करते हुए वीडियो बना लिया वीडियो इंटरनेट मीडिया पर अपलोड कर दिया इसी तरह पोहरी के रहने वाले होकम वर्मा ने ईवीएम पर वोट डालते हुए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया दोनों ही पोस्ट खूब वायरल हुई नेताओं से लेकर आम लोगों तक ने इस तरह गोपनीयता भंग करने पर आपत्ति की जिसके बाद प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लेकर दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया
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शादी कर लाखो रुपए लूटने वाली दुल्हन गिरफ्त में देवास की भौरासा पुलिस पिछले तीन महीनो से लुटेरी दुल्हन की खोजबीन में लगी थी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर एकता नगर नीलगंगा थाना उज्जैन से अपने दोस्त के घर पर आराम कर रही लुटेरी दुल्हन को गिरफ्तार किया और थाना भौरासा ले आई फरियादी रवि ने रिपोर्ट दर्ज करवाई की उज्जैन निवासी राधिका यादव और उसके अन्य साथियों ने मेरे साथ शादी का नाटक कर 2 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है जिस पर थाना भौरासा ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना में लिया राधिका के साथ देने वाले अन्य आरोपी महेश यादव,राजेश उर्फ राजू सुनहरे,धर्मसिंह उर्फ मोहन सिंह जादौन,अखलेश यादव को पूर्व में गिरफ्तार किया था तब लुटेरी दुल्हन राधिका गायब हो गई थी 3 महीने से फरार चल रही राधिका की सूचना के लिए देवास पुलिस अधीक्षक ने दो हजार केनाम देने की भी घोषणा की थी राधिका यादव पर अन्य जिलों में भी इसी प्रकार शादी कर साथियों के साथ लूटने की घटना को अंजाम दे कर मुकदमा दर्ज हैं भौरासा थाना प्रभारी संजय मिश्रा ने बताया की राधिका शादी कर रुपए ऐठने का काम करती थी और पुलिस की धमकी देती थी जिससे लोग बदनामी के डर से सामने नही आते थे अब ये पकड़ी जा चुकी है सभी से अनुरोध हे की अब सामने आकर इसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाए।
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भिंड और मुरैना में वेब कास्टिंग की सुविधा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कल एमपी के 9 लोकसभा सीटो पर मतदान किया जाएगा इन 9 लोकसभा सीटो में 19 जिले शामिल है गर्मी को ध्यान में रखते हुए मिनि ICU पानी,टेंट,पंखे,कुर्सियों की व्यवस्था की गई है सुरक्षा के लिए 299 प्राइम स्क्वाड तैनात है 9 सीटो पर कुल 127 उम्मीदवार है जिनमें 9 महिलाए और 118 पुरुष है... सबसे ज्यादा प्रत्याशी भोपाल लोकसभा सीट पर कुल 22 प्रत्यासी है,सबसे कम भिंड लोकसभा सीट पर 7 प्रत्याशी है 9 सीटो पर 20 हजार 456 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं 2043 पिंक पोलिंग बूथ है चुनाव घोषणा के बाद से अब तक 280 करोड़ रूपए से अधिक की जप्ती की गई है पहले और दूसरे चरण में करीब 60 से 65% बूथों वेब कास्टिंग की गई थी तीसरे चरण में भिंड और मुरैना में वेब कास्टिंग की सुविधा दी गई है
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तस्कर सहित चार आरोपी हथियार समेत गिरफ्तार पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने खुलासा करते हुए बताया कि थाना कोतवाली पुलिस को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई थी कि हाउसिंग बोर्ड कालोनी संकट मोचन के पास अजीज मोहम्मद काफी दिनों से अवैध हथियार खरीदकर क्षेत्र में उनका विक्रय कर रहा है सूचना की तस्दीक करने पर मुख्य आरोपी अजीज मोहम्मद को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ करने पर उसने छतरपुर शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कई व्यक्तियों को खरगौन से अवैध हथियार लाकर उनका विक्रय करने की बात बताई पुलिस ने हथियार खरीदने वाले तीन आरोपियाें को भी गिरफ्तार किया है
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कांग्रेस इंदिरा फेलोशिप के तहत हुई परिचर्चा भोपाल लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी अरूण श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बनाया 1971 में देश में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में युद्ध लड़ा गया इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बहुत सारी समस्याओं का समाधान किया गया भाजपा पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि वह 10 साल से विधनसभा और लोकसभा में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात कह रहे है लेकिन अब तक नहीं दे पाये है इमरती देवी को लेकर दिये विवादित बयान पर जीतू पटवारी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उनके कहने का मतलब गलत नहीं था वह तो बस इतना कहना चाह रहे थे कि इमरती देवी का प्रभाव अब खत्म हो चुका है
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बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई तो संविधान खतरे में होगा जीतू पटवारी ने मीडिया से कहा कि भाजपा संविधान खत्म करने की कोशिश में है वह आरक्षण के खिलाफ है पीसीसी चीफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना काल में लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई और अब यह जानलेवा साबित हो गई है कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी से मोदी सरकार ने पार्टी फंड में 50 करोड़ का चंदा लिया इसके साथ ही उन्होंने ग्वालियर मुरैना और भिंड लोकसभा सीटें कांग्रेस सौ फीसदी जीत का दावा किया
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महिला पर पहले से आपराधिक मामले दर्ज पुलिस ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर कोतवाली टीआई अरविंद कुजूर महिला पुलिस के साथ अवैध जहरीली शराब संग्रह करने वाले स्थान पर पहुंचे यहां से नशा का कारोबार करने वाली अरोपी महिला मुन्नी उर्फ अफसाना खातून को गिरफ्तार किया आरोपी महिला के पास से 25 लीटर ओपी जहरीली कैमिकलयुक्त अवैध शराब जब्त की है कोतवाली थाना पुलिस ने आबकारी अधिनियम के तहत कार्यवाही की है
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लड़की के परिजनों को किया गया तलब दखल न्यूज़ पर कॉलेज का रील काण्ड दिखाए जाने के बाद अमरपाटन शासकीय महाविद्यालय के अंदर बन रही इंस्टाग्राम रील के मामले में प्राचार्य ने कार्यवाही की हैं कॉलेज में चेतना कुशवाहा नामक युवती लगातार महाविद्यालय के अंदर से रील बना कर रही इंस्टाग्राम व फेसबुक पर पोस्ट कर वायरल कर रही थी , इस खबर को दखल न्यूज ने प्रमुखता से दिखाया तो खबर का बड़ा असर हुआ इसके बाद प्राचार्य एक्शन में आए और छात्रा को नोटिस जारी किया ,साथ ही उसके माता पिता को भी तलब किया हैं व अनुशासन समिति कोइस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है
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बच्ची को दाल-चावल में खिलाया नशीला पदार्थ जिस स्कूल में बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ उसका नाम ज्ञान गंगा एकेडमी है nयहां दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली आठ वर्षीय छात्रा से ज्ञानगंगा बोर्डिंग स्कूल के हॉस्टल में दुष्कर्म किया गया है बच्ची को दाल चावल में कुछ नशीला पदार्थ खिलाया गया जिससे वह बेसुध हो गई जब बच्ची को होश आया तो एक व्यक्ति उसके साथ गलत काम कर रहा था घटना 4-5 दिन पुरानी बताई जा रही है बच्ची की मां ने मिसरोद पुलिस को बताया कि 15 दिन पहले ही हॉस्टल में दाखिला कराया था सोमवार को मां इंदौर से स्कूल पहुंची मां को देखते ही बच्ची लिपटकर रोने लगी बच्ची ने मां को पूरा वाकया बताया इसके बाद मां तुरंत बच्ची को लेकर जेपी अस्पताल गई जहां चेकअप के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट में सूजन और ब्लीडिंग हुई है परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने हॉस्टल वार्डन समेत 3 लोगों को आरोपी बनाया गया है
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मप्र में 29 और यूपी में 80 सीटों पर विजयश्री मिलेगी दतिया पहुंचे उप्र के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मप्र में भाजपा पूरी 29 की 29 सीटें जीत रही है जबकि यूपी में 80 की 80 सीटों पर विजयश्री मिलेगी दतिया से मौर्य सड़क मार्ग से उत्तरप्रदेश के झांसी जिले में लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए रवाना हो गए वहां वे झांसी से भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होंगे
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मामला निपटाने के नाम पर मांग रहे मोटी रकम छतरपुर में व्यापारियों के पास साईबर ठगों के फोन आ रहे है साईबर ठग सीबीआई अधिकारी बनकर व्यापारियों को धमका रहे है मामला निपटाने के नाम पर व्यापारियों से मोटी रकम मांगी जा रही है रकम न देने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी अपराधी दे रहे है अब तक तीन व्यापारियों के पास इस तरह के फोन आने की चर्चा शिकायत मिलने के बाद एसपी ने इस संबंध में एडवाईजरी जारी की है और लोगों से इस तरह के ठगों से बचकर रहने और पुलिस को शिकायत करने के लिए कहा गया है
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खंडवा रेल्वे स्टेशन पर बड़ा हादसा टल खंडवा रेलवे स्टेशन पर मंगलवार सुबह एक मालगाड़ी के 5 डिब्बे पटरी से उतर गए बताया जा रहा है कि यह मालगाड़ी बगैर इंजन के 200 मीटर तक दौड़ गई थी इस कारण ओएचई पोल क्षतिग्रस्त हो गया इस घटना के बाद एक नंबर और 6 नंबर प्लेट लाइन पर यातायात बाधित हो गया घटना के कारण तीन नंबर लाइन पर हावड़ा मेल खड़ी है इसके अलावा अन्य ट्रेनें भी जो खंडवा जंक्शन से गुजरने वाली थीं उन्हें आसपास के रेलवे स्टेशनों पर रोक दिया गया है
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सिंगरौली अस्पताल में ईलाज जारी सिंगरौली बाल न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आयुष कनेश सड़क हादसे का शिकार हो गए वे अपने परिवार के साथ कही जा रहे थे इस दौरान परसौना देवरी के पास उनके वाहन की आटो से भिड़ंत हो गई हादसे में न्यायाधीश के परिवार को गंभीर चोट आई है हालत गंभीर होने पर न्यायाधीश को सिंगरौली हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है जहां उनका ईलाज जारी है
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सतपुडा टाइगर रिजर्व ने शेयर किये वीडियो सतपुडा टाइगर रिजर्व मढ़ई के वन क्षेत्र में दो दिन पूर्व एक टाइगर बायसन का शिकार करते देखने को मिला टाइगर, बायसन का शिकार करने उसके पीछे दौड़ा लेकिन शिकार करने में टाइगर असफल रहा पर्यटकों ने इस नजारे को अपने कैमरों में कैद कर लिया अब ये वीडियो खूब वायरल हो रहा है ये वीडियो जंगल के राजा की बेबसी को बयान कर रहा हे वहीँ एक मादा भालू अपने शावक के साथ मढ़ई वन क्षेत्र की कच्ची सडकों पर घूमती मिली इन दोनों वनप्राणियों को देख पर्यटक खूब रोमांचित हुये सतपुडा टाइगर रिजर्व ने अपने पर्सनल सोशल मीडिया पेज पर यह दोनों वीडियो शेयर किये है
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बघेल ने पूर्व सांसद स्वर्गीय देवव्रत की भावनाओं को ठेस पहुंचाई छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विवादों से पुराना नाता रहा है लगातार छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के चलते उन पर विभिन्न जांच एजेंसियां पहले ही सक्रिय है वर्तमान में वह राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार है इस बीच पूर्व सांसद स्वर्गीय देवव्रत सिंह की पत्नी विभा सिंह ने भूपेश बघेल पर राजा साहब के वजूद को मिटाने का आरोप लगाया उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम बघेल तलाक शुदा पदमा सिंह को स्वर्गीय देवव्रत की पत्नी बताकर जनता को गुमराह कर रहे हैं और वोट बटोरने का प्रयास कर रहे हैं
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सबसे ज्यादा होशंगाबाद में 40% मतदान हुआ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने मतदान की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में 12 हजार 828 मतदान केंद्रों पर सुबह 11:00 बजे तक 28.15% मतदान हुआ है संसदीय क्षेत्र के हिसाब से समझे टीकमगढ़ में 26. 96% दमोह में 26.84% खजुराहो में 28.14% सतना में 30.23% रीवा 24.64 % होशंगाबाद में 40% मतदान हुआ है वहीं मतदान प्रारंभ होने के पश्चात 14 B U, 12 C U , 22 V V PAT बदले जा चुके हैं
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पुलिस ने व्यवस्था का लिया जायजा दूसरे चरण में 89 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं जिसके तहत सतना लोकसभा सीट पर भी मतदान होगा इसको लेकर सतना लोकसभा सीट के मैहर जिले में चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए मैहर पुलिस ने पूरी तरह से कमर कस ली है मैहर पुलिस कप्तान के द्वारा जिले के अमरपाटन थाना में ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों की बैठक ली गई उन्होंने मतदान को शांतिपूर्ण ढंग से कराने एवं मतदान के दौरान होने वाली कार्यवाही संबंधित चर्चा की
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असिस्टेंट मैनेजर की मौत, 5 घायल NCL की निगाही कोयला खदान के पश्चिमी अनुभाग में मंगलवार की देर शाम कोयले का परिवहन करने वाले बड़े होलपैक डंपर ने बोलेरो वाहन को कुचल दिया घटना में असिस्टेंट मैनेजर की मौके पर मौत हो गई वहीं पांच गंभीर रूप से घायल हैं होलपैक डंपर के वजन से कार के परखच्चे उड़ गए है घटना के बाद मौके पर पहुंचे NCL के अधिकारियों व पुलिस ने घायलों को इलाज के लिए जयंत स्थित नेहरू चिकित्सालय में भर्ती कराया है जहां घायलों का इलाज जारी है हादसे पर सीटू नेता रामलल्लू गुप्ता ने दुख व्यक्त करते हुए घटना की उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है
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एक युवक की मौत, दूसरा गंभीर मध्य प्रदेश में सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे है....ताजा मामला अमरपाटन का है यहां नेशनल हाइवे पर सडक किनारे खड़े ट्रक में पीछे से आ रही तेज रफ्तार बाइक जा टकराई टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक सवार दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए सूचना के बाद हाइवे एम्बुलेंस की सहायता से दोनों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमरपाटन लाया गया जहाँ एक ने ईलाज दौरान एक युवक ने दम तोड़ दिया घायल युवक की हालत गंभीर होने पर उसे रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया हैं
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पुलिस ने जारी किया था नोटिस छिपा सोसायटी के प्रबन्धक की आत्महत्या मामले में पुलिस का कहना है कि आत्महत्या का कारण 28 लाख रुपए की आर्थिक गड़बड़ी थी जिसको लेकर डोंगरगढ़ पुलिस ने तत्कालीन सेवा सहकारी बैंक के अध्यक्ष नवाज खान को नोटिस जारी किया था प्रकरण दर्ज होने के बाद नवाज़ खान ने पुलिस के सामने पेश होना था लेकिन वह अपना मोबाइल बन्द कर फ़रार हो गया फ़िलहाल पुलिस नवाज़ ख़ान की तलाश कर रही है
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बिजली पोल से गुजर रही डिक्स केबल में आग परासिया के ईडीसी कॉलोनी में शनिवार सुबह अचानक आग लग गयी जिससे निवासियों के बीच में अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया लोगों ने काफ़ी प्रयास किया आग पर काबू पाने की लेकिन कुछ बिजली के खम्भो में करंट आने लगा जिसके बाद तत्काल बिजली विभाग को बुलाया गया मौके से पहुंच बिजली विभाग के लोगो ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया बता दे की इस घटना का आरोप निवासियों ने प्रशासन पर लगाया
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गाड़ियों में फंसे लोगों की जान बचाई आई बी सी 24 के पत्रकार बृजेश जैन रोज की तरह देर रात ऑफिस से अपने घर जा रहे थे बिलखिरिया इलाके में उन्होंने देखा कि एक एम्बुलेंस और कार की टक्कर हो गई है टक्कर इतनी जोरदार थी कि एम्बुलेंस ड्राइवर गाड़ी में ही फंसकर रह गया ऐसे में पत्रकार ने पत्रकारिता को एक और रखा और अंधेरी सड़क पर गाड़ी में फंसे व्यक्ति को निकलने के काम को शुरू किया कुछ स्थानीय लोगों से मदद लेकर बृजेश जैन ने एम्बुलेंस का गेट तोड़ने का फैसला किया क्योंकि ऐसा किये बिना ड्राइवर को बचा पाना नामुमकिन था फिर बृजेश सब्बल की मदद से गाडी का दरवाजा तोड़ा और घायल को निकालकर अस्पताल पहुँचाया इस हादसे में चार लोग घायल हुए बृजेश जैन भोपाल के चर्चित और शालीन पत्रकार माने जाते हैं उनके इस मानवीय और संवेदनशील व्यवहार की खूब प्रशंसा हो रही है
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कई जिलों में ओला गिरने की आशंका मध्यप्रदेश का मौसम एक बार फिर बदल गया है मौसम विभाग का कहना है हवाओं के साथ बारिश होने की सम्भावना है कुछ इलाकों में गरज चमक के साथ ओले भी गिर सकते हैं मध्य प्रदेश के मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल ली है सुबह से ही बादल छाए हुए हैं ठंडी हवाएं चल रही हैं मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी से लगातार नमी आने के कारण मौसम में बदलाव हैं प्रदेश के नर्मदापुरम, जबलपुर, भोपाल, सागर, रीवा, शहडोल, ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलों में हल्की बूंदाबांदी के साथ बारिश होने की संभावना जताई जा रही है मौसम विभाग की माने तो रेड अलर्ट के साथ मौसम विभाग ने जबलपुर नर्मदापुरम संभाग के जिलों में कहीं-कहीं ओले भी गिरने की आशंका जताई है यह सिलसिला रुक-रुककर चार दिन तक चल सकता है
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हवाई सेवाओं से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा हल्द्वानी से कई शहरों के लिए हवाई सेवाओं की शुरुआत की गयी जिसका शुभारंभ शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल रूप से किया उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी से कुमाऊं के कई शहरों के लिए शुक्रवार को वर्चुअली हवाई सेवा का शुभारंभ किया जो हवाई सेवा संचालन करने वाली हेरिटेज एविएशन के मुताबिक 7 सीटर हेलीकॉप्टर प्रतिदिन दो उड़ाने हल्द्वानी से भरेगा बता दे की इस दौरान लालकुआँ विधायक डॉ मोहन सिंह बिष्ट सहित कई जनप्रतिनिधि व अधिकारी भी मौजूद रहे
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काशीपुर राजकीय प्राथमिक विद्यालय में रिश्वत का लेन देन रंगे हाथ गिरफ्तार हुए प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक टोल फ्री नम्बर 1064 पर दर्ज शिकायत के अनुसार विजिलेंस टीम ने छापेमारी कर राजकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक और सहायक अध्यापक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा खबर काशीपुर ग्राम बांसखेडा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से सामने आया है जहां राजकीय प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक दिनेश शर्मा और सहायक अध्यापक अंकुर प्रताप को रिश्वत लेते हुए विजिलेंस टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया है इस कामयाबी के लिए ट्रैप टीम को पुरस्कृत किये जाने की घोषणा की है जिसमे विजिलेंस इंस्पेक्टर ललिता पांडे, ट्रैप प्रभारी भानु प्रकाश आर्य टीम मे शामिल है
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इश्क हुआ तो मंच से सभी को बताऊंगा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने लव मैरिज करने से इंकार कर दिया है शास्त्री नेकहा वे मातापिता की इच्छा से शादी करेंगे लेकिन अगर उन्हें किसी से इश्क हो गया तो वे ये बात सभी को मंच से बताएँगे शादी के मौसम में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की शादी की चर्चाएँ एक फिर सामने आयीं जिसके बाद धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि जब भी शादी करूंगा ,सबको बताकर करूंगा ,प्रेम विवाह करने की उनकी इच्छा नही है माता -पिता की पसंद पर ही शादी करूंगा ,यदि किसी से इश्क हुआ तो मंच से सभी को बताऊंगा
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प्रदेश के हिस्सों में गरज-चमक और हल्की बारिश मध्यप्रदेश में मौसम ने फिर अपना मिजाज बदल लय हैं प्रदेश में विपरीत दिशा की हवाओं का संयोजन हो रहा है इस वजह से बादल छाने लगे हैं इसके प्रभाव से महाराष्ट्र की सीमा से लगे नर्मदापुरम, जबलपुर संभाग के कुछ जिलों में रविवार सुबह बूंदाबांदी हुई वही राजधानी भोपाल में भी बादल छाए रहे जाते - जाते ठण्ड ने एक बार फिर अपने तेवर दिखा दिए भले ही मौसम बदलने से रात में ठंड का असर कम हो गया हो लेकिन बादल छाने की वजह से दिन का पारा कम हो गया है मौसम विज्ञानियों के अनुसार वर्तमान में दक्षिणी गुजरात पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है इस चक्रवात से लेकर कर्नाटक तक एक द्रोणिका बनी हुई है प्रदेश में फिलहाल विपरीत हवाओं का संयोजन के कारण कई इलाकों में बादल छा गए हैं मौसम विभाग के मुताबिक एक-दो दिन तक मौसम का मिजाज इसी तरह बना रहेगा इस दौरान खासकर पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश हो सकती है
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विजेताओं को मिलेगा सर्टिफिकेट,31000 कैश 10 फरवरी को परासिया में संभाग स्तरीय बॉडी बिल्डिंग एवं मेन्स फिजिक चैंपियनशिप प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा विजेताओं को मेडल ट्रॉफी के साथ साथ 31000 कैश दिया जाएगा परासिया में बॉडी बिल्डिंग एवं फिजिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन की बैठक हुई जिसमे आगामी 10 फ़रवरी को संभाग स्तरीय बॉडी बिल्डिंग एवं मेन्स फिजिक चैंपियनशीप का आयोजित करने का निर्णय लिया गया चैम्पियनशिप प्रतियोगिता स्व. श्री राजेश दुबे की स्मृति में राजेश श्री ट्रॉफी के नाम से परासिया जाटा छापर काली मंदिर में कराया जा रहा है चैंपियनशिप विजेताओं को मेडल ट्रॉफी सर्टिफिकेट के साथ साथ 31000/- कैश देकर सम्मानित किया जायेगा
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जल्द लगवा लें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाए जाने का काम शुरू हो गया है परिवहन विभाग ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए चैकिंग अभियान शुरू किया है हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगवाने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाएगी सिंगरौली जिले में भी बीते माह जारी आदेश के अनुसार प्रदेश भर के परिवहन अधिकारी ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को लेकर चेकिंग अभियान तेज कर दिया है परिवहन अधिकारी विक्रम सिंह राठौड़ ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को लेकर लोगों से अपील की है कि सभी वाहन मालिक एचएस आरपी जल्द से जल्द लगवा लें वरना चालान कटवाने के लिए तैयार रहें उन्होंने कहा कि ये एल्युमिनियम निर्मित नंबर प्लेट होती है जो वाहन के फ्रंट और रियर में लगाई जाती है जिसे लगवाना अति आवश्यक है
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चौहान ने कहा अतिक्रमण बड़ी समस्या कुश्म चौहान को हरिद्वार का सिटी मजिस्ट्रेट बनाया गया पद संभालने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट चौहान ने कहा की अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है जिसके लिए समय-समय पर अभियान चलाया जायेगा कुश्म चौहान का ट्रांसफर संयुक्त सचिव एमडीडीए से हरिद्वार डिप्टी कलेक्टर पद पर हुआ था शनिवार को हरिद्वार डीएम के आदेश पर कुश्म चौहान को हरिद्वार का सिटी मजिस्ट्रेट बनाया गया है जिसके बाद कुश्म चौहान ने सिटी मजिस्ट्रेट ऑफिस पहुंचकर अपना चार्ज संभाला चार्ज संभालने के बाद चौहान ने कहा कि हरिद्वार में अवैध अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है जिसके लिए समय-समय पर अभियान चलाकर हटाया जाएगा
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बीएसएनल भारतीयों के हृदय में बसा है भारत संचार निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक सुनील कुमार ने कहा हमारी यह यात्रा डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए है लगातार घर-घर इंटरनेट सर्विस हो इसके लिए वह मार्केट में किफायती स्कीमों के साथ उपभोक्ताओं के बीच में है बीएसएनएल मध्य प्रदेश के महाप्रबंधक सुनील कुमार ने दतिया में मां पीतांबरा देवी की पूजा अर्चना की उन्होंने ग्वालियर और दतिया के बीएसएनएल अधिकारियों के साथ व्यापारियों ,समाज सेवियों, पत्रकारों व व्यापारियों से चर्चा करते हुए कहा बीएसएनल भारतीयों के हृदय में बसा है इसके नंबरों की साख है फाइबर ब्रॉडबैंड नेटवर्क में भी वह गांव गांव तक पहुंच रहा है हमारी यह यात्रा डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए है
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गांधीजी के सिद्धांतों ने विश्व को दिया सत्य और अहिंसा का आधुनिक दर्शन (प्रवीण कक्कड़) आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। गांधीजी दुनिया के ऐसे अनोखे राजनेता हैं, जिन्हें लोग नेता से बढ़कर संत के रूप में याद करते हैं। गांधी जी के सिद्धांतों ने विश्व को सत्य और अहिंसा का आधुनिक दर्शन दिया है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर से लेकर बराक ओबामा तक उन्हें आदर्श मानते हैं, भारत ही नहीं पूरे विश्व में न केवल उनके विचारों की व्यापक स्वीकार्यता है, बल्कि उनके सिद्धांतों को प्रासंगिक मानकर उन पर चलने का प्रयास किया जा रहा है। जब भी महात्मा गांधी का नाम लिया जाता है तब सबसे पहले जहन में दो शब्द आते हैं वो हैं सत्य और अहिंसा। गांधी जी ने सत्य के प्रति अडिग रहकर अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया, उन्होंने अपने विचारों से न केवल भारत को आजादी दिलायी, बल्कि समाज में अनेक सुधार भी किए। इसी तरह गांधीजी के अहिंसा का आधुनिक दर्शन दिया। विश्व में पहले किसी विरोध का मतलब होता था हिंसक लड़ाई लेकिन महात्मा गांधी के अहिंसा दर्शन ने इस सोच को बदल दिया। इसी पर लोकतंत्र की नींव रखी गई और इस बात को साबित किया गया कि अब देश रूल ऑफ़ लाॅ से चलेगा न कि रूल ऑफ़ साॅर्ड से। यानी आधुनिक सरकार तलवार के जोर से नहीं कानून के जोर से चलती है। तलवार का मुकाबला तलवार से यानी हिंसा का मुकाबला हिंसा से किया जा सकता है लेकिन कानून तो आम सहमति से ही बदले जा सकते हैं, इसके लिए जन सत्याग्रह यानी अहिंसक आंदोलन ही एकमात्र सास्ता है। गांधीजी के सत्य, अहिंसा, स्वराज और सत्याग्रह के विचार शाश्वत हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि उन्होंने जमीनी तौर पर अपने विचारों का परीक्षण किया और जीवन में सफलता अर्जित की। महात्मा गांधी के अहिंसा के आधुनिक दर्शन से पूरी दुनिया ने प्रेरणा ली। भारत की आजादी के बाद अधिकांश देशों ने इसी तरह के आंदोलन का सहारा लिया। विश्व में हुए अहिंसक आंदोलनों को सफलता भी मिली। गांधी जी ने अपना जीवन सत्य या सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गलतियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया। उन्होंने अपनी खोज और प्रयासों से सत्य का नया दर्शन दिया। गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। गांधीजी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है, बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। इस प्रकार सत्य में गांधी के दर्शन है "परमेश्वर"। यही कारण है कि आज भारत ही नहीं दुनिया के सभी देश महात्मा गांधी को आदर्श और उनके सिद्धांतों को प्रासंगिक मानते हैं। आज हमें महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने के साथ ही यह भी विचार करना चाहिए कि कैसे हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। कैसे सत्य के सहारे हम अपनी बाधाओं का मुकाबला करें। अहिंसा के जरिए हम अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़े और मजबूत चरित्र निर्माण के साथ पूरे समाज को एक सूत्र में बांधते हुए समभाव के साथ राष्ट्र निर्माण करें। सत्य और अहिंसा गांधी जी के दो सिद्धांत हैं। यही वजह है कि 15 जून 2007 को यूनाइटिड नेशनल असेंबली ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया। ऐसे मिली राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता कहे जाने के पीछे भी एक कहानी है। महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा था। इसके बाद कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी।
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गिरफ्तार किये गए अभियुक्त पहले भी जा चुके हैं जेल काशीपुर में लंबे समय से चोरी हो रही मोटरसाइकिल चोरों का पुलिस ने खुलासा किया है चोरी की दस मोटर साइकिल के साथ दो अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है जिनके पास से 9 मोटर साइकिल और एक स्कूटी मिली है मोटर साइकिल चोरी को लेकर पुलिस ने खुलासा किया है चैकिंग अभियान के दौरान पुलिस को देखकर एक बिना नम्बर प्लेट की मोटर साईकिल पर सवार दो व्यक्ति मोटर साईकिल वापस मोड़कर भागने का प्रयास करने लगे जिन्हें शक के आधार पर पुलिस टीम ने पकड़ लिया गिरफ्तार किये गए अभियुक्तों वसीम अली और लाभ सिंह दोनों के पास से 9 मोटर साइकिल और एक स्कूटी मिली है दोनों अभियुक्त थाना आई टी आई ग्राम वीरपुर कटैया के रहने वाले हैं जो चोरी के मामले में पहले भी जेल जा चुके है
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विजयी व्यापारियों ने निकाला जुलूस देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल के चुनाव हल्दूचौड़ में संपन्न हुए चुनाव नतीजे आने के बाद विजयी प्रत्याशियों ने ढोल नगाड़ों और आतिशबाजी करते हुए जुलूस निकाला हल्दूचौड़ देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल में चार पदों पर चुनाव कीमतगणना प्रक्रिया 12 राउंड में संपन्न कराई गई नतीजे आने के बाद पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में विजयी प्रत्याशियों ने ढोल नगाड़ों और आतिशबाजी करते हुए हल्दूचौड़ बाजार में जुलूस निकाला
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युवाओं से हेलमेट पहन कर गाडी चलने की अपील सड़क सुरक्षा अभियान से इस बार पुलिस ने बच्चों को भी जोड़ा और उन्हें समझाया गया की हमेशा यातायात के नियमों का पालन करें और हेलमेट पहन कर ही वाहन चलाएं सड़क सुरक्षा जागरूकता पखवाड़े के समापन अवसर पर स्कूल कॉलेज एवं एनजीओ के लोगों को सम्मानित किया गया इस अवसर पर पुलिस आयुक्त हरीनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि इस पखवाड़े में हमने स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों और एनजीओ के बच्चों को चित्रकला संगीत, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जोड़ा और उन्हें पुरुस्कृत भी किया युवाओं से अपील की है कि वह हेलमेट लगा कर चलें शराब पीकर गाड़ी ना चलाएं इसके साथ सभी को ई चलान लेकर भी जागरूक किया गया
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विस्थापित शरणार्थियों से पहले अखंड भारत ही था मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के एक बयान से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है पाकिस्तान ने अपने बयान में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीएम के पिछले दिनों दिए गए बयान का उल्लेख किया है इसके बाद सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसका जवाब दिया और कहा पाकिस्तान कितनी आपत्ति जताये सच तो सच है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा- सदियों पुरानी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को चरमपंथियों की भीड़ ने ध्वस्त कर दिया अफसोस की बात है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने न केवल इस घृणित कृत्य के लिए जिम्मेदार अपराधियों को बरी कर दिया, बल्कि ध्वस्त मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर के निर्माण की भी अनुमति दे दी पाकिस्तान ने अपने बयान में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीएम के पिछले दिनों दिए गए बयान का भी उल्लेख किया है इस पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा पाकिस्तान लाख आपत्ति जताए, लेकिन हम जानते हैं कि सिंध से जो लोग विस्थापित हो कर यहाँ आये उससे पहले अखंड भारत ही था ननकाना साहब अखंड भारत के जो हिस्से रहे हैं हमारे राष्ट्रगान में भी है पंजाब सिंध गुजरात मराठा है तो हम इसको अलग नहीं कर सकते
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बरैया EVM ने हरा दिया कांग्रेस को मध्यप्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के लिए कांग्रेस नेता EVM को दोषी ठहरा रहे हैं कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया का कहाँ है कांग्रेस को EVM के जरूये हरवाया गया है छतरपुर मे टीकमगढ़ लोकसभा सीट की बैठक लेने आये काग्रेंस विधायक और टीकमगढ़ लोकसभा प्रभारी फूल सिंह बरैया ने आरोप लगाया है कि ई वी एम मशीन की वजह से उनकी पाटीँ चुनाव मे हारी है उनका कहना है बिना evm के भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती उन्होंने अयोध्या मे राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह खडे करते हुये आरोप लगाया कि जब अधूरे मंदिर पर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चारो शंकराचार्य ने गलत बताते हुये अयोध्या जाने से इंकार कर दिया तो हमारे नेता क्यो प्राण प्रतिष्ठा मे शामिल होते
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बोट क्लब को श्री राम की झांकी बनाकर सजाया गया मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भोपाल के बोट क्लब को राम के नाम सजाया ऐसे में पुलिस बैंड ने भक्तिमय धुन की के साथ भजनों की प्रस्तुति दी राम आएंगे तो अंगना सजायेंगे कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी,एवं हनुमान चालीसा की धुन से भोपाल का बोट क्लब राममय हो गया मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने भगवान राम की रंगोली सजाई बोट क्लब आने वाले इस नाजारे को देख कर मंत्रमुग्ध हो गए राम जी की प्राण प्रतिष्ठा पर पुलिस बैंड की प्रस्तुति से सभी अविभूत हो गए बोट क्लब पर जितनी भी नाव थी सब पर भगवा ध्वज लगाया गया
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शहर की कई मेकअप आर्टिस्ट ने लिया हिस्सा कॉस्मेटिक ब्रांड नायका ने भोपाल में एक दिवसीय मेकअप सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे मेकअप को लेकर रुचि रखने वाली महिलाएं और शहर की कई मेकअप आर्टिस्ट ने हिस्सा लिया और मेकअप के गुर सीखे कॉस्मेटिक ब्रांड नायका द्वारा राजधानी भोपाल में एकदिवसीय मेकअप सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे युवतियों के साथ महिलाएं और शहर की कई मेकअप आर्टिस्ट ने हिस्सा लेकर मेकअप की और बारीकियों को सीखा इस मौके पर मेकअप एक्सपर्ट रचना सेवानी ने लाइव डेमो देकर मेकअप की बारीकियां सिखाई
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सुरक्षा की दृष्टि से लोगों से आह्वान सड़को पर रहे सावधान काशीपुर में सड़क सुरक्षा माह कार्यक्रम का आयोजन किया गया सड़क सुरक्षा कार्यक्रम के माधयम से लोगों को जागरूक किया गया और सड़क सुरक्षा से जुडी जानकारिया भी दी गईं काशीपुर में सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है सड़क सुरक्षा माह कार्यक्रम के माध्यम से लगा को जागरूक किया गया जब भी सड़को पर चले तो सुरक्षा की दृष्टि से चले एआरटीओ असित कुमार झा.ओर जितेंद्र चंद्र ने संयुक्त रूप से राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह में लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी दी इस दौरान उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा को लेकर समस्त जनता का कर्तव्य है कि वह वाहन चलाते समय अपनी सुरक्षा स्वयं करें और दूसरों की सुरक्षा में सहयोग प्रदान करें
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108 दृष्टि दिव्यांगजनों ने किया रामायण पाठ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले भोपाल के बीजेपी प्रदेश कार्यालय में अखंड रामायण पाठ किया जा रहा है दृष्टि बाधित दिव्यांगजन ब्रेल लिपि से इस रामायण पाठ को कर रहे हैं रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में बीजेपी प्रदेश कार्यालय में बने मंदिर में अखंड रामायण पाठ किया जा रहा है यह रामायण पाठ दृष्टि दिव्यांगजनों द्वारा किया जा रहा ब्रेल लिपि से दिव्यांजन कर रहे रामायण पाठ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा सहित तमाम कार्यकर्ता शामिल हुए वीडी शर्मा ने प्रभु श्री राम की पूजा कर रामायण जी का पाठ प्रारंभ किया
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(प्रवीण कक्कड़) आप सभी को श्रीराम मंदिर के उद्घाटन की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। वास्तव में श्रीराम ने अपने जीवन में मनुष्य से देवत्व तक की यात्रा को न केवल तय किया है, बल्कि चरित्र के सर्वश्रेष्ठ स्तर को हासिल करने का उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने हर स्थिति और व्यक्ति के साथ संबंध निभाकर जीवन का प्रबंधन समझाया है और समाज के अंतिम तबके को अपने साथ जोड़कर समाजवाद को भी परिभाषित किया है। चलिए चर्चा करते हैं त्रेतायुग में अयोध्या में जन्में श्रीराम के मनुष्य से देवत्व को हासिल करने की यात्रा पर। बालपन में ही अपने छोटे भाईयों के प्रति स्नेह हो या गुरू के आश्रम पहुंचकर शिक्षा ग्रहण करना, बात माता-पिता की आज्ञा पालन की हो या सखाओं से मित्रता निभाने की, उन्होंने हमेशा ही अपने कर्मों से मर्यादा को प्रस्तुत किया और देवत्व की ओर यात्रा पर बढ़ चले। जब गुरूकुल से शिक्षा-दीक्षा पूरी कर श्रीराम: मनुष्य से देवत्व की यात्रा श्रीराम अयोध्या वापस लौटे तो वहां ऋषि विश्वामित्र का आगमन हुआ। उन्होंने राजा दशरथ से कहा कि मुझे राम को अपने साथ ले जाना है इस पर राजा चिंतित हो गए और कहने लगे कि आप मेरी सेना ले जाईये, मुझे साथ ले चलिए, आप राम ही को क्यों ले जाना चाहते हैं। इस पर ऋषि विश्वामित्र ने कहा कि यौवन, धन, संपत्ति और प्रभुत्व में से एक भी चीज किसी को हासिल हो जाए तो उसमें अहंकार आ जाता है, आपके पुत्र के पास यह चारों हैं लेकिन फिर भी वह विनम्र है इसलिए इसे ले जा रहा हूं। ऋषि विश्वामित्र के साथ वन जाकर श्रीराम ने राक्षसी ताड़का का वध किया, वहीं शिला बन चुकीं अहिल्या देवी का उद्धार किया। जनकपुरी में वे सीता स्वयंवर में पहुंचे। यहां बड़े-बड़े राजा जिस शिव धनुष को हिला भी न सके थे उसे प्रत्यंचा चढ़ाते हुए श्रीराम ने तोड़ दिया। इससे क्रोधित भगवान परशुराम को श्रीराम ने स्वयं मीठी वाणी बोलकर शांत किया। इसके साथ ही उनका देवी सीता से विवाह हुआ। आज छोटी-छोटी चीजों पर हम डिप्रेशन में आ जाते हैं, वहीं जरा कल्पना कीजिए जिस युवक का अगली सुबह राजतिलक होने वाला हो और उसे रात में कहा जाए कि उसे वनवास पर जाना है। इस निर्णय को श्रीराम ने कितने रचनात्मक ढंग से लिया और वनवास जाने के लिए सहज तैयार हो गए। उन्होंने जहां एक ओर अपने पिता के वचन की लाज रखी, वहीं मां कौशल्या से कहा कि पिताजी ने मुझे जंगल का राज्य सौंपा है, वहां ऋषियों के सानिध्य में मुझे बहुत सेवा करने का अवसर मिलेगा। इसी कारण वन जाने से पहले जो अयोध्या के राजकुमार थे, वन से लौटकर वह मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए। वनवास के दौरान श्रीराम ने खर, दूषण और सुबाहू जैसे कई राक्षसों का अंत किया। उन्होंने किसी राजा से बात नहीं की न ही किसी राज्य का आश्रय लिया। बल्कि उन्होंने वंचितों से बात की। आदिवासियों से मिले, केवट के माध्यम से गंगा पार की, शबरी के जूठे बेर खाए और समाज के अंतिम तबके से मिले। हर व्यक्ति को समाज की मूल धारा में जोड़ने के लिए श्रीराम ने समाजवाद की स्थापना की। श्रीराम ने शौर्यवान, शक्तिशाली और पराक्रमी होने के बावजूद कभी धैर्य का साथ नहीं छोड़ा और सत्य पर अडिग रहे। इसलिए रावण वध को हम असत्य पर सत्य की जीत के रूप में याद रखते हैं। अयोध्या लौटने पर जब श्रीराम राजा बने तो उन्होंने सदा प्रजा के हित का विचार किया। इसके साथ ही रामराज्य की स्थापना हुई। जो आज भी इतिहास की सबसे श्रेष्ठ प्रशासनिक व्यवस्था के रूप में जाना जाता है। अंत में बस इतना बताना चाहूंगा कि श्रीराम किसी धर्म या देश के नहीं बल्कि श्रीराम तो पूरी कायनात के हैं। श्रीराम तो वह हैं जो हर भक्त के चिंतन में हैं और सृष्टि के कण-कण में हैं। राम तो करूणा में हैं, शांति में राम हैं, राम ही हैं एकता में, प्रगति में राम हैं। राम हम सब के मन में हैं। हम सबकी आस्था में हैं। अयोध्या में राम मंदिर वेदों एवं पुराणाों के अनुसार उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी का इतिहास प्राचीन है। श्रीराम के पूर्वजों के राज्य में अयोध्या राजधानी रही, श्रीराम का जन्म भी यहीं हुआ। श्रीराम ने भी अयोध्या को ही राजधानी बनाकर पूरे राज्य में शासन किया और इसका विस्तार किया। आज यहां श्रीराम के मंदिर का निर्माण पूरा हो गया है, यह सभी रामभक्तों की आस्था का केंद्र है। पूरे देश में इस उद्घाटन समारोह को लेकर उत्साह है और इसे दीपावली की तरह मनाया जा रहा है। मैं सभी रामभक्तों को इस उद्घाटन पर्व की शुभकामनाएं देता हूं।
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36 किलो चरस लेकर भोपाल पहुंचे थे तस्कर भोपाल में अब तक के इतिहास में सबसे बड़ी नशे की खेप पकड़ी गई है बिहार के 2 तस्कर नेपाल से 36किलो चरस लाए थे दोनों को क्राइम ब्रांच की टीम ने अयोध्या नगर बाइपास और निशातपुरा कोच फैक्ट्री के बीच जंगल से पकड़ा है इनके पास मिली चरस की कीमत साढ़े बारह करोड़ बताई गई है क्राइम ब्रांच ने मध्यप्रदेश के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही करते हुए चरस की बड़ी खेप पकड़ी है पुलिस ने अंतरराज्य गिरोह का पर्दाफाश करते हुए बताया नेपाल से भोपाल चरस लेकर आ रहे दो आरोपियों को क्राइम ब्रांच गिरफ्तार कर उनके पास से करीब 36 किलोग्राम चरस जब्त की जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 12 करोड़ 50 लाख रुपए बताई जा रही है पूरे मामले का खुलासा करते हुए पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि आरोपी सस्ते दामों में अवैध मादक पदार्थ बिहार के रास्ते नेपाल से लेकर आते थे क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सूचना मिली थी कि 2 आरोपी नेपाल से चरस की बड़ी खेप लेकर भोपाल पहुंचे हैं,और वह कोच फैक्ट्री के पास जंगल में सप्लाई के लिए बैठे हैं सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने घेराबंदी कर दोनो आरोपियों को गिरफ्तार किया दोनों तस्कर बिहार के रहने वाले है इन नाम हरकेश चौधरी और दूसरे ने विजय शंकर यादव हैं
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झांकी देखने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं लोग भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल के युवा सदन में रामलला मंदिर की झांकी का निर्माण कराया है जिसको देखने पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पहुंचे और उन्होंने मंदिर की प्रतिकृति के साथ सेल्फी भी ली 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है जिसका बेसब्री से पूरा देश इंतजार कर रहा है प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तरह तरह के नज़ारे देखे जा रहे है वही प्राण प्रतिष्ठा से पहले हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल के युवा सदन में अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर की झांकी का निर्माण कराया है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं झांकी को देखने शुक्रवार सुबह पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा युवा सदन पहुंचे जहां उन्होंने रामलाल के मंदिर के साथ सेल्फी ली
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जेल में बंद धमकी देने वाले कारोबारी की शिकायत पर ‘प्रभात खबर’ के संपादकों के खिलाफ FIR प्रतिष्ठित हिंदी अखबार ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी और स्थानीय संपादक विजय पाठक के खिलाफ रांची के खेलगांव थाने में प्राथमिकी दर्ज कर की गई है। यह प्राथमिकी रांची के बिरसा मुंडा कारागार में बंद शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी की शिकायत पर दर्ज की गई है।बता दें कि इससे पहले खबर आयी थी कि रांची में बंद शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी ने 29 दिसंबर की सुबह जेल से ही प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को फोन कर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। फोन करने वाले ने पहले खुद का नाम योगेंद्र तिवारी बताया था, इसके बाद उसने प्रभात खबर में छप रही खबरों का उल्लेख करते हुए धमकी दी थी।दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित की गई थी, जिसके बाद ही प्रधान संपादक को धमकी मिली।इसके बाद प्रभात खबर की ओर से पहले प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। सदर थाना की पुलिस ने आईपीसी की धारा 385, 503 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे सीआईडी को सौंप दिया गया है। सीआईडी इस मामले की जांच कर रही है।बता दें कि योगेंद्र तिवारी शराब, बालू और जमीन कारोबारी हैं और मनी लाउंड्रिंग के मामले में वह जेल में बंद है।वहीं, प्रभात खबर की ओर से कहा गया है कि प्रभात खबर आरंभ से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहा है। जनहित की पत्रकारिता के कारण प्रभात खबर को पहले भी निशाना बनाने की कोशिश की जाती रही है। उसे परेशान करने का प्रयास किया गया है। प्रभात खबर को झुकाने का प्रयास किया गया है। इसके बावजूद प्रभात खबर न पहले कभी झुका था और न कभी झुकेगा। हमेशा जनता की आवाज बना रहेगा। इतिहास बताता है कि जब-जब प्रभात खबर को परेशान किया गया है, झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास किया गया है, जनता की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया है, पाठक-जनता सड़कों पर प्रभात खबर के समर्थन में उतरी है। यही प्रभात खबर +की सबसे बड़ी ताकत रही है। यही कारण है कि जब भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़नेवाले देश-भर के जिन चुनिंदा अखबारों की चर्चा होती है, उसमें प्रभात खबर का महत्वपूर्ण स्थान होता है।
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‘इंडिया टुडे’ समूह में एक और बड़े पद पर अपनी भूमिका निभाएंगी कली पुरी जाने-माने मीडिया समूह ‘इंडिया टुडे’ (India Today) ग्रुप ने कली पुरी को एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया है। फिलहाल, कली पुरी ‘इंडिया टुडे’ समूह में वाइस चेयरपर्सन पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।‘इंडिया टुडे’ समूह के चेयरमैन अरुण पुरी के ऑफिस की ओर से इस संबंध में एंप्लॉयीज को एक इंटरनल मेल जारी किया गया है।इस मेल में कहा गया है, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं, कली पुरी काफी समय से बिजनेस और संपादकीय डोमेन का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर रही हैं। उनकी भूमिका के अनुरूप, मैं उनके लिए एक अतिरिक्त पदनाम की घोषणा करना चाहता हूं। ऐसे में मैं उन्हें एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ के रूप में नामित कर रहा हूं। वह पूर्व की तरह वाइस चेयरपर्सन पद पर अपनी जिम्मेदारी निभाती रहेंगी।’
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रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने अपना 'रिपब्लिक वर्ल्ड ऐप' लॉन्च किया है। नेटवर्क ने एक विज्ञप्ति में कहा कि यह ऐप यूजर्स के लिए वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में कार्य करता है, जो ब्रेकिंग न्यूज, पॉलिटिक्स, ओपिनियन, लाइव स्ट्रीम, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट व बिजनेस सहित विभिन्न बीट्स में गहन कवरेज प्रदान करता है, लेकिन यह यहीं तक ही सीमित नहीं है। रिपब्लिक वर्ल्ड ऐप का लॉन्चिंग ऐडवर्टाइजर्स के लिए नए रास्ते भी खोलता है, जिससे उन्हें एक विश्वसनीय मीडिया प्लेटफॉर्म पर ग्लोबल व रीजनल ऑडियंस से जुड़ने की सुविधा मिलती है। ऐप की पहुंच महत्वपूर्ण उपभोक्ता तक है, जो ब्रैंड्स को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अपने लक्षित दर्शकों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है।रिपब्लिक वर्ल्ड ऐप क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली और कन्नड़ में कंटेंट प्रदान करता है। यह बहुभाषी दृष्टिकोण समावेशिता और विविध श्रोता वर्गों की सेवा के प्रति नेटवर्क की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी ने डिजिटल न्यूज स्पेस में एक अद्वितीय न्यूज एक्सपीरियंस प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की उत्साहपूर्वक पुष्टि की। लॉन्च पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने ऐप की सफलता पर अटूट विश्वास जताया और भारतीय दर्शकों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर आगामी डिजिटल-फर्स्ट न्यूज प्रॉडक्ट के लिए आशावाद व्यक्त किया
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कही 'मन की बात' कांग्रेस नेता राहुल गाँधी अब आम चुनाव से पहले एक यात्रा निकालने वाले हैं। राहुल 14 जनवरी को मणिपुर से मुंबई के लिए यात्रा पर निकलेंगे। जो की 20 मार्च तक चलेगी। 14 राज्यों से गुजरने वाली यह यात्रा पूर्वोत्तर भारत से देश के पश्चिमी हिस्से को जोड़ेगी। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' से एक पोस्ट की और अपनी बात रखी।उन्होंने लिखा, मणिपुर से मुंबई तक राहुल गांधी का यात्रा करना अच्छा विचार है। पैदल और बस से यह यात्रा राहुल गांधी करेंगे क्योंकि, इस बार दूरी भी अधिक है 6200 किमी, लेकिन इस बार की यात्रा भारत जोड़ो यात्रा नहीं है। अब भारत न्याय यात्रा होगी। दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकारों का संकट ही यही है कि, किसी भी विमर्श पर स्वयं भीतर से तैयार हुए बिना शुरू हो जाते हैं। शायद यही वजह है कि, भारत जोड़ो से न्याय हो गया।आपको बता दें कि 14 राज्यों से गुजरने वाली यह यात्रा पूर्वोत्तर भारत से देश के पश्चिमी हिस्से को जोड़ेगी। लंबे समय से चर्चा थी कि राहुल गांधी एक और यात्रा पर निकलने वाले हैं, जिसका अब ऐलान हुआ है।कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि रणनीति के तहत इसकी शुरुआत मणिपुर से करने का फैसला हुआ है, जहां भीषण दंगे हुए थे। इससे कांग्रेस दंगों के मामले में भाजपा को घेरने की कोशिश करेगी।मणिपुर से #मुंबई तक राहुल गांधी का यात्रा करना अच्छा विचार है। पैदल और बस से यह यात्रा राहुल गांधी करेंगे क्योंकि, इस बार दूरी भी अधिक है 6200 किमी, लेकिन इस बार की यात्रा भारत जोड़ो यात्रा नहीं है। अब भारत न्याय यात्रा होगी।
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स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान को दीपक चौरसिया ने बताया ओछी हरकत समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर हिंदू धर्म को लेकर 'जहर' उगला है। उन्होंने दिल्ली में कहा कि हिंदू एक धोखा है। वेसै भी 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिंदू कोई धर्म नहीं है। यह जीवन जीने की एक शैली है। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भी दो बार कहा है कि हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है।मौर्य ने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है।' उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने अपने 'एक्स' हैंडल से एक पोस्ट की और उनके बयान की भरसक निंदा की है।दीपक चौरसिया ने लिखा, 'जिस तरह से स्वामी प्रसाद मौर्या हिंदू धर्म को लेकर आये दिन मज़ाक़, कटाक्ष करते रहते हैं इसका अंजाम हर समय विपक्ष को देखना पड़ रहा है। स्वामी प्रसाद ये सब करके ओछी हरकत कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने पहले भी नसीहत दी थी लेकिन लग रहा है कि स्वामी जी अब अकेले की पार्टी बनाना चाहते हैं। ये दुर्भाग्य है। हर बार इलेक्शन में अगड़ा-पिछड़ा, जाति-धर्म के नाम पर ऐसा प्रपंच रचने की कोशिश होती रही है। लेकिन ऐसा करना अब फ़ायदे का सौदा रहा नहीं ! जनता सब जानती है, उसे राष्ट्र की उन्नति चाहिए।'
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दिल जीतने के लिए काम करता हूं दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा के साथ पीएम मोदी ने ख़ास बातचीत की है। उन्होंने हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी है। उन्होंने कहा, 'एक राजनीतिक वर्ग था जो कि ये कहता था कि राष्ट्रीय स्तर पर तो भाजपा के सामने कोई चुनौती नहीं है, लेकिन राज्यों में पार्टी को उतना समर्थन नहीं मिल रहा। जो परिणाम आए, उससे वह मिथक भी टूट गया है। हमने तीन राज्यों में तो सरकार बनाई ही है, तेलंगाना में भी भाजपा के वोट प्रतिशत में रिकार्ड वृद्धि हुई है। ये दिखाता है 2024 के चुनाव में भाजपा एक बार फिर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने जा रही है।' एकजुट विपक्ष के मसले पर उन्होंने कहा, 'ये धारणा भी विपक्षी गठबंधन की बनाई हुई है कि ये चुनाव सिर्फ कांग्रेस के विरुद्ध थे, जबकि हकीकत कुछ और है। ये नए-नए प्रयोग करते रहते हैं । इस चुनाव में भी इन्होंने ऐसा करने की कोशिश की। इन्होंने हर सीट पर ऐसे उम्मीदवार उतारे और ऐसे दलों को सपोर्ट किया, जिससे भाजपा को मिलने वाले वोटों का विभाजन हो सके। भाजपा के सामने ये आइएनडीआइए गठबंधन तो था ही एक नई प्रकार की रणनीति और एक नया प्रयोग भी था।'
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अडानी ग्रुप के अधिग्रहण के बाद से एनडीटीवी कई बदलावों के दौर से गुजर रहा है। इस बीच ग्रुप ने अपनी एडिटोरियल टीम को और मजबूत करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं, जिसके चलते हाल ही में एक के बाद कई नियुक्तियां भी देखने को मिली हैं। इसी कड़ी में अब एक और नियुक्ति की खबर सामने आयी है। दरअसल, एनडीटीवी ग्रुप ने डॉ. भरत अग्रवाल को नियुक्त किया है, जो अभी तक 'दैनिक भास्कर' में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद कार्यरत थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्हें एनडीटीवी ग्रुप का सीनियर मैनेजिंग एडिटर नियुक्त किया है। डॉ. भरत अग्रवाल को कॉर्पोरेट अफेयर्स का अच्छा-खासा अनुभव है और उन्हें एक कुशल समाधानकर्ता के तौर पर जाना जाता है। दैनिक भास्कर में वह ग्रुप एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर का पद संभाल रहे थे। साथ उन पर कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस व पब्लिक रिलेशंस की भी जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही वह एडिटोरियल हेड हंटिंग और नई परियोजनाओं की भी देखरेख कर रहे थे। उनके पोर्टफोलियो में कॉन्सेप्ट से लेकर प्री-लॉन्च स्टेजेस तक विभिन्न प्रोजेक्ट शामिल हैं, जिन पर उन्होंने काम किया है। डॉ. अग्रवाल जटिल कार्यों को भी बेहद आसान तरीके से मैनेज करने में माहिर हैं। सहज, रचनात्मक और प्रेरक दृष्टिकोण के चलते उनके पास एक मजबूत नेटवर्क है और वह एक कुशल नेगोशिएटर हैं। एडिटोरियल से लेकर मार्केटिंग तक फैली बड़ी क्रॉस-डोमेन टीम्स को कुशलतापूर्वक मैनेज करने में उनकी सहयोगात्मक नेतृत्व शैली स्पष्ट है।माना जा रहा है कि डॉ. भरत अग्रवाल के एनडीटीवी ग्रुप में शामिल होने से नेटवर्क की एडिटोरियल स्ट्रैटजी और ओवरऑल डायरेक्शन पर महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलेगा।
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जन की बात के संस्थापक और सीईओ प्रदीप भंडारी ने गुरुवार शाम 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल जारी किया। उन्होंने नेटवर्क 18 पर आंकड़ों का विश्लेषण किया। प्रदीप भंडारी ने जैसे ही पोल जारी किया थोड़ी देर के बाद सोशल मीडिया पर इसपर चर्चा हुई।पोल जारी होने के कुछ ही मिनटों बाद जन की बात एग्जिट पोल सोशल मीडिया पर नंबर एक पर ट्रेंड करने लगा। तो वहीं प्रदीप भंडारी का नाम भी ट्विटर पर टॉप ट्रेंडिंग बन गया।गुरुवार को पांच राज्यों में चुनाव सम्पूर्ण हो चुके हैं। तेलंगाना में वोटिंग समाप्त होने के बाद ही राजनैतिक गलियारों में एग्जिट पोल की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। प्रदीप भंडारी ने 5 राज्यों के लिए जन की बात का एग्जिट पोल जारी कर दिया है। मध्य प्रदेश में जन की बात के एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार एमपी में काटें की टक्कर नजर आ रही हैं।मध्य प्रदेश में बीजेपी 100 से 123 सीटें ला सकती है। कांग्रेस 102 से 125 सीटें लाने की उम्मीद है। अन्य को 5 सीटें आ सकती हैं। राजस्थान में जन की बात के एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार बीजेपी सरकार बनाती हुई दिख रही है। जन की बात के एग्जिट पोल के हिसाब से इस बार राजस्थान में बीजेपी 100 से 122 सीटें ला सकती है। कांग्रेस 62 से 85 सीटें लाने की उम्मीद है। अन्य को 14 से 15 सीटें आ सकती हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने कह दी ये बड़ी बात केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा का कहना है की 'सीएए' का अंतिम मसौदा अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की संभावना है।' ये बात उन्होंने उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए कही। आपको बतादें की 'सीएए' में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान के हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है । उनके ये बयान सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर (एक्स) पर पोस्ट करते हुए एक बड़ी बात लिखी। उन्होंने लिखा की, 'केंद्र का अब कहना है कि सीएए को इस साल मार्च में अधिसूचित किया जाएगा। 2015 से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने के लिए सीएए को 2020 में संसद द्वारा पारित किया गया था।सीएए अधर में लटका हुआ है क्योंकि इसे लागू करने के नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। कल्पना करना, यह तब है, जब 2020 के बाद से पाकिस्तान में औसतन हर साल 1000 हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। जो लोग विरोध करते हैं उनका उल्लंघन किया जाता है या उन्हें मार दिया जाता है।'
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जवाब में 'न्यूज़ 18 इण्डिया' ने ये दिया जवाब न्यूज़ 18 मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा देने के बाद से वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र खूब चर्चा में हैं। इसकी वजह है उन्होंने राहुल गाँधी पर लिखी एक किताब अपनी किताब, जिसका बिमोचन दिसंबर को होने वाला है। दरअसल दयाशंकर मिश्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर (एक्स) पर एक पोस्ट लिखी और सफाई में उन्होंने कहा की इस्तीफे के पीछे ये किताब है। अपने इस्तीफे के लिए अप्रत्यक्ष रूप से किताब को बड़ी वजह बताते हुए कहा, किताब को लेकर कंपनी खुश नहीं है। दयाशंकर मिश्र के अनुसार, मेरे पास विकल्प था की में किताब वापस लेलूं। नौकरी करता रहूं। चुप रहूं। लेकिन मैंने किताब को चुना, जो हमारा बुनियादी काम है। इसलिए मैं किताब चुना। सच के साथ रहा। इसलिए पहले इस्तीफा फिर किताब। दयाशंकर के इस ट्वीट के बाद से 'न्यूज़ 18 इण्डिया' ने भी जवाब में एक ट्वीट करते हुए दयाशंकर मिश्रा के पोस्ट को भ्रामक और बेबुनियाद बताया। इस ट्वीट में 'न्यूज़ 18 इंडिया' का कहना है की कंपनी के नियम के हिसाब से कोई भी किताब लिखने से पहले अथवा संसथान से बाहर किसी भी तरह के योगदान को लेकर एम्प्लॉयीज को अनुमति लेनी होती है। तमाम मीडिया व प्रठिस्तानो में ऐसा ही होता है। लेकिन हमारी हिंदी वेबसाइट के एडिटर के रूप में दयाशंकर ने हमसे अनुमति नहीं ली। 'न्यूज़ 18 इण्डिया' के अनुसार जब 9 नवंबर 2023 को दयाशंकर मिश्रा ने बताया की वे किताब लिख रहे हैं। जो की दिसंबर के माह में पब्लिश होगी। तो उन्हें स्पष्ट रूप से कंपनी की पॉलिसी के बारे में बताते हुए इसका पालन करने के लिए कहा गया। तो उन्होंने 22 नवंबर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा की उन्होंने किताब के लिए निशाना जा रहा है। जबकि वे इस किताब के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे थे। न्यूज़ 18 इण्डिया का कहना है की दयाशंकर ने कंपनी के नियमों की अवहेलना की है। कंपनी के पास ये अधिकार है की वे उनके खिलाफ और इस तरह के झूठ फैलाने वालों के खिलाफ एक्शन ले सकती है।
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वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने किया तीखा पलटवार देश में चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं वैसे ही राजनेता अपने-अपने बयान दे रहे हैं। ऐसा ही बयान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दे दिया है जिससे वो फिलहाल विवादों में घिर गई हैं। दरअसल उन्होंने कहा, 'अगर वर्ल्डकप का फाइनल अगर कोलकाता में होता तो भारतीय टीम की जीत होती। भारतीय टीम ने विश्व कप में सभी मैच जीते, सिवाय एक मैच के, जिसमे पापी मौजूद थे।' उनके इस बयान को लेकर वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने अपने शो मे बात की और उनके इस बयान को बेतुका कहा। उन्होंने कहा, 'वर्ष 1996 का वर्ल्ड कप भी भारत में ही खेला गया था और उस समय भारत की टीम सेमीफइनल तक पहुंची थी। और ये मुकाबला भी कोलकाता के इसी ईडन गार्डन में खेला गया था। जिसका जिक्र ममता बनर्जी ने किया है। और उस समय श्रीलंका की टीम ने भारत को इसी स्टेडियम में हरा दिया था। तो क्या उस मैच में कोलकाता का ये स्टेडियम भारत की हार के लिए पनोती था ? उन्होंने आगे कहा, उस समय कोलकाता के जो लोग थे वह नाराज हुए थे उन्होंने प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिए थे और स्टेडियम में आगजनी कर दी थी क्योंकि वे हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए थे।
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इस से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने उठाए कदम हाल ही में भारत में डीपफेक मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस मामले में केंद्र सरकार अब अलर्ट मोड पर है। इस पर कैसे लगाम लगाया जाये इसके लिए लगातार बैठक की जा रही है और साथ ही कड़े नियम बनाये जाने का विचार कर रहे हैं। आपको बतादें हाल ही में कई फेमस पर्सोनिलिटिस की डीपफेक वीडियो सामने आई थी। उसके बाद से सोशल मीडिया में लोगों के बिच काफी गेहमागहमी देखने को मिल रही है। ताजा घटनाक्रम में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ऐसे कंटेंट की जांच के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। सोशल मीडिया कंपनियों से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा की डीपफेक कंटेंट के खिलाफ कारवाई करने के लिए अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। राजीब चंद्रशेखर ने कहा की इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक वेबसाइट विकसित करेगा। जिस पर यूजर्स आईटी नियम के उलंघन के बारे में अपनी चिंता को बता सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा एमईआईटीवाई यूजर्स को आईटी नियमों के उलंघन के बारे में सूचित करने और एफआईआर दर्ज करवाने में सहायता करेगा। उन्होंने आगे कहा, पोस्ट शेयर करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। अगर वो खुलासा करते हैं की पोस्ट कहाँ से आई है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। उसके बाद उन्होंने कहा की सोशल मीडिया प्लेटफार्म को अपनी उपयोग की शर्तो को आईटी नियमो के अनुरूप करने के लिए 7 दिनों का समय दिया गया है । चन्द्रशेखर ने कहा,आज से आईटी नियमों का उलंघन बिलकुल भी बर्दास्त नहीं किया जाएगा। बयान में कहा गया कि ऐसे किसी भी कंटेंट की रिपोर्ट किए जाने पर उसे रिपोर्टिंग के 36 घंटों के भीतर ही हटा दिया जाए और आईटी नियम 2021 के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मंत्री ने कहा कि सरकार डिजिटल क्षेत्र में भारतीयों के लिए सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही केंद्र ने कहा कि डीपफेक के निर्माण और प्रसार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल की जेल की कड़ी सजा का प्रावधान है।
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इजराइल ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों की 15वीं बरसी से पहले मंगलवार को पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी संगठन की सूची में डाल दिया। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को कई जगहों पर हुए आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे जिनमें कई इजराइली नागरिक भी शामिल थे।नई दिल्ली स्थित इजराइली दूतावास ने एक बयान में कहा, 'मुंबई आतंकी हमलों की 15वीं बरसी पर इजराइल ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया है।'इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर एक पोस्ट कर भारत सरकार से एक अपील की है।उन्होंने पोस्ट किया, 'जैसे ही भारत मुंबई 26/11 हमले के 15 साल पूरे होने की तैयारी कर रहा है, एकजुटता दिखाते हुए, इजराइल ने पाक स्थित लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया। इस इस्लामी आतंकवादी समूह ने गजवा-ए-हिंद के हिस्से के रूप में 26/11 की साजिश रची थी। भारत को हमास पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए, जो सहयोगी इजराइल के अस्तित्व के लिए खतरा है।
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‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने मंगलवार को टेलीविजन चैनल्स को एडवाइजरी जारी कर उत्तराखंड के सिलक्यारा में चल रहे राहत व बचाव अभियान को सनसनीखेज न बनाने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरंग स्थल के नजदीक से किसी भी तरह की लाइव पोस्ट या वीडियो करने से बचने की सलाह भी दी गई है।इसके साथ ही मंत्रालय ने टीवी चैनल्स को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि ऑपरेशन स्थल के पास या आसपास कैमरामैन, पत्रकारों या उपकरणों की उपस्थिति से विभिन्न एजेंसियों द्वारा मानव जीवन बचाने की गतिविधियां किसी भी तरह से बाधित न हों।मंत्रालय ने कहा है कि सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और दो किलोमीटर लंबी सुरंग वाले हिस्से में फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है।अपनी एडवाइजरी में मंत्रालय का कहना है, ‘विभिन्न सरकारी एजेंसियां 41 श्रमिकों की सुरक्षित निकासी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। सुरंग के आसपास चल रहा ऑपरेशन बेहद संवेदनशील प्रकृति का है, जिसमें कई लोगों की जान बचाना शामिल है। टीवी चैनल्स द्वारा ऑपरेशन से संबंधित वीडियो फुटेज और अन्य तस्वीरों के प्रसारण, विशेष रूप से बचाव अभियान स्थल के करीब कैमरे और अन्य उपकरण लगाने से यहां चल रहे बचाव व राहत अभियानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।’मंत्रालय ने टीवी चैनल्स को सलाह दी है कि वे इस मामले पर रिपोर्टिंग करते समय सतर्क और संवेदनशील रहें, खासकर हेडलाइन, वीडियो और तस्वीरें डालते समय ऑपरेशन की संवेदनशील प्रकृति, परिवार के सदस्यों की मनोवैज्ञानिक स्थिति का भी ध्यान रखें।बता दें कि उत्तराखंड में यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर बन रही एक सुरंग के धंस जाने से उसमें काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए हैं। यह सुरंग उत्तरकाशी जिले में सिल्कयारा और डांडलगांव को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है। 12 नवंबर की सुबह से मजदूर टनल में फंसे हुए हैं। मजदूरों को बचाने का काम जारी है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में तमाम रुकावटें आ रही हैं।
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‘न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड’ यानी कि एनडीटीवी (NDTV) के कार्यालय का पता अब जल्द ही बदल जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, नए साल की शुरुआत में कार्यालय नोएडा सेक्टर 129 में शिफ्ट हो जाएगा। एनडीटीवी ने नए कार्यालय के लिए मैक्स स्क्वायर लिमिटेड के साथ की डील की जानकारी हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज को दे दी है, जिसके मुताबिक आने वाले महीनों में एनडीटीवी का नया पता- Plot No. C3-C, Jaypee Wishtown, Sector 129, Noida, Uttar Pradesh – 201304 होगा।
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'बीक्यू प्राइम' चैनल (BQ Prime channel) एक नए ब्रैंड नेम एनडीटीवी प्रॉफिट के तहत फिर से लॉन्च होने को तैयार है। सूत्रों के मुताबिक, चैनल को 'एनडीटीवी प्रॉफिट' के नाम से रीब्रैंड किया जाएगा और 8 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा। इंडस्ट्री जगत में पहले चर्चा थी कि 'एनडीटीवी प्रॉफिट' को 29 नवंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फिर से लॉन्च किया जाएगा।'बीक्यू प्राइम' चैनल का स्वामित्व पहले क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया के पास था, जिसे पिछले साल अडानी ग्रुप ने अधिग्रहित कर लिया था।'एनडीटीवी प्रॉफिट' को 5 जून, 2018 को बंद कर दिया गया था। बढ़ते राजस्व घाटे के चलते प्रणय रॉय के स्वामित्व वाले इस चैनल को बंद करने का निर्णय लिया गया था।चैनल के रीलॉन्च के संबंध में घोषणा इस साल जनवरी में अडानी ग्रुप द्वारा एनडीटीवी के अधिग्रहण के बाद आयोजित एक टाउन हॉल के दौरान की गई थी। पिछले साल दिसंबर में, गौतम अडानी की कंपनी ने एनडीटीवी ग्रुप में 65 प्रतिशत की नियंत्रण हिस्सेदारी हासिल कर ली, जिसके कारण फाउंडर प्रणय रॉय और राधिका रॉय को कंपनी बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा।
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दिल्ली को क्रांति का सपना दिखा कर ठगा गया है देश की राजधानी नई दिल्ली में हवा लगातार जहरीली बानी हुई है। लोगों की आँखों, सीने में जलन और गले में खराश की समस्या बानी हुई है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। आनंद विहार और आस-पास के इलाकों में AQI 999 दर्ज किया गया है। शून्य से 50 के बीच AQI अच्छा, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI ‘गंभीर’ माना जाता है। इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन ने अपने डिबेट शो कहा कि दिल्ली की जनता को आज ऐसी हवा में सांस लेनी पड़ रही है जो बेहद जहरीली है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों हैं? इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों हैं? ये है तो एक फिल्म का गाना लेकिन इस वक्त दिल्ली की जनता को इसी तक़लीफ़ में सांस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है लेकिन उसे कम करने के बजाय पंजाब टू हरियाणा गियर शिफ्ट करने वाली पॉलिटिक्स चल रही है।'
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इतिहास, वर्तमान और भविष्य बहादुरों का होता है मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बिच एक बेहद रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। जो मैच एक समय तक अफगानिस्तान की झोली में जा चूका था लेकिन जब मैक्सवेल बल्लेबाजी करने आए तो मैच का रुख मोड़ लिया। मैक्सवेल ने 128 गेंदों में 202 रनों की तूफानी पारी खेली। जिसमे 10 छक्के और 21 चौके शामिल थे। मैक्सवेल की ये पारी देख वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी राय दी है।उन्होंने लिखा, 'लोग कहते हैं एक अकेला क्या कर सकता है? इतिहास का सृजन झुंड में रहने वाले नहीं बल्कि एक अकेला ही करता है। एक पैर के सहारे। शरीर पर अनगिनत चोट। 100 रन के भीतर 7 साथी निपट चुके थे। और एक छोर पर अकेला मैक्सवेल और फिर अंजाम दुनिया ने देखा। इतिहास, वर्तमान और भविष्य बहादुरों का होता है।'आपको बता दें कि पैट कमिंस ने मैक्सवेल के साथ मिलकर 202 रनों की अहम साझेदारी की। भले ही उन्होंने इसमें सिर्फ 12 रनों का योगदान दिया, मगर उन्होंने एक छोर संभाले रखा।
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पोस्ट कर कही ये बात दिल्ली में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच 'टाइम्स नाउ नवभारत' के सीनियर गेस्ट कोऑर्डिनेटर दीपक शर्मा की सोमवार को इस बीमारी से जान चली गई। जानकारी के मुताबिक, पिछले चार दिनों से डेंगू से जूझ रहे पत्रकार को शुक्रवार को दिल्ली के प्रीत विहार स्थित मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार को उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई, जिसके बाद डॉक्टरों को उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। तमाम चिकित्सीय प्रयासों के बावजूद, शर्मा को बचाया न जा सका। दीपक शर्मा के निधन पर 'अमर उजाला' समूह के वरिष्ठ सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर भावुक करने वाली बात कही।उन्होंने लिखा, 'कुछ दिन पहले ही प्रिय दीपक को मैंने सेहत का ख्याल रखने की सलाह दी थी। क्या पता थी कि ये दीपक से मेरी आखिरी मुलाकात होगी। कल जब से ये दु:खद खबर मिली तब से दीपक का हमेशा हंसता हुआ चेहरा आंखों के सामने घूम रहा है। हमेशा याद आओगे। विनम्र श्रद्धांजलि।'बता दें कि करीब 15 दिनों पहले ही दीपक को एक बेटा हुआ था। उनकी एक बेटी भी थी। दीपक के परिवार में उनकी पत्नी, दो बच्चे और उनके माता-पिता हैं। मूल रूप से आगरा जिले के बिठौली गांव के रहने वाले शर्मा ने अपना करियर 'न्यूज24' से शुरू किया था। इसके बाद वह 'नेटवर्क18' और 'इंडिया टीवी' के साथ भी काम चुके थे।
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‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network) के अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘न्यूजएक्स’ ‘NewsX’ की सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर प्रिया सहगल को संस्थान ने प्रमोशन का तोहफा दिया है। उन्हें अब ‘न्यूजएक्स’ का एडिटोरियल डायरेक्टर बनाया गया है। प्रिया सहगल को मीडिया में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने खुद को एक प्रमुख टीवी टॉक शो होस्ट और राजनीतिक पत्रकार के रूप में स्थापित किया है और अपने उत्कृष्ट काम के चलते इस क्षेत्र में खासी पहचान अर्जित की है। प्रिया सहगल को दो पुरस्कार विजेता शो 'द राउंडटेबल' (The Roundtable) और 'कवर स्टोरी' (Cover Story) की एंकर के रूप में खासी पहचान मिली है। अपने अब तक के करियर में उन्होंने ‘इंडिया टुडे’ (India Today), ‘द आउटलुक’ (The Outlook) और ‘संडे मैगजींस’ (Sunday magazines) जैसे जाने-माने मीडिया आउटलेट्स में अहम भूमिका निभाई है। राजनीतिक पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रिया सहगल को महारत हासिल है। पत्रकार के साथ-साथ प्रिया सहगल एक लेखिका भी हैं और उन्होंने ‘The Contenders’ नामक किताब भी लिखी है। इस किताब में देश के 16 उभरते राजनीतिक नेताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिनमें राहुल गांधी, अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल और बादल जैसी जानी-मानी हस्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, ‘द संडे गार्जियन’ में अपने साप्ताहिक कॉलम के माध्यम से वह देश के राजनीतिक घटनाक्रमों पर प्रकाश डालती हैं।
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पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में धुंध छायी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के प्रदूषित शहरों में से दिल्ली एक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, शुक्रवार सुबह आठ बजे तक दिल्ली के मुंडका इलाके का औसत एक्यूआई 500, आईटीओ में 451, नजफगढ़ में 472, आईजीआई एयरपोर्ट में 500, नरेला में 500 दर्ज किया गया। वहीं नोएडा के सेक्टर-125 में एक्यूआई 400 पर 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गया है। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार और हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो में उन्होंने कहा, 'क्या आप जानते हैं कि पिछले 27 दिनों में इजरायल के द्वारा गाजा में लगभग 18 हजार टन बारूद गिराया गया है। आप अगर गाजा पर निगाह डालेंगे तो आपको हर तरफ सिर्फ बारूद का ढेर, मलबे का धुआं और मिट्टी ही दिखाई देगी लेकिन गाजा का एयर क्वालिटी इंडेक्स आज भी दिल्ली-एनसीआर से अच्छा बना हुआ है जो कि सिर्फ 37 के आस-पास है।' उन्होंने वीडियो में आगे कहा कि दिल्ली एनसीआर के वायु प्रदूषण की स्थिति आज भी गाजा की स्थिति से बेकार है। दिल्ली-एनसीआर में आजकल ऐसा माहौल हो गया है कि आंखों में जलन होती है और मास्क लगाने का मन करता है।
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‘अडानी’ (Adani) समूह ने ‘क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया’ (Quintillion Business Media) में शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की है, जो 'BQ Prime' का संचालन करती है। अडानी समूह ने हाल ही में हुई शेयरहोल्डर मीटिंग में यह घोषणा की है।एक प्रेस स्टेटमेंट में कंपनी का कहना है, ‘हम सूचित करना चाहते हैं कि AMNL, क्विंटिलियन मीडिया लिमिटेड (QML), क्विंट डिजिटल लिमिटेड (QDL) और QBML ने क्विंटिलियम बिजनेस मीडिया लिमिटेड में शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए एक शेयर खरीद समझौता (Share Purchase Agreement) किया है।’मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज ने अडानी एंटरप्राइजेज के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एएमजी मीडिया द्वारा क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया में शेष 51% हिस्सेदारी के अधिग्रहण के संबंध में समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding) की सूचना दी। हालांकि, कंपनी ने लेनदेन के वित्तीय विवरण का खुलासा नहीं किया है।
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हर किसी को आलोचना के घेरे में लेना ठीक नहीं इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा है कि भारत के वर्क कल्चर को सुधारने की जरूरत है। युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की जरूरत है, तभी वह ग्लोबल स्टेज पर मौजूद प्रतियोगिता का मुकाबला कर सकते हैं। हालांकि उनके इस बयान पर कई लोगों ने आपत्ति भी जताई है। उनकी चारों ओर हो रही आलोचना के बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।उन्होंने लिखा, 'युवाओं से अधिक मेहनत करने की अपील करने के कारण एन आर नारायण मूर्ति को आलोचनाओं के घेरे में लेना हैरान करता है। लोगों ने पूरी बहस को सत्तर घंटे प्रति सप्ताह काम के तर्क के इर्द-गिर्द समेट दिया। नारायण मूर्ति देश के श्रम मंत्री नहीं हैं, जो उनका कहा कानून बन जाएगा। वे एक ऐसी हस्ती हैं जिन्होंने पहले करके दिखाया, फिर लोगों से वैसा करने को कहा। जिन्हें काम नहीं करना है, वे न करें। वे तो वैसे भी काम न करने के पचास बहाने ढूंढ ही लेंगे लेकिन यह समझना जरूरी है कि नारायण मूर्ति भारत को विकसित देश बनाने के लिए कठोर परिश्रम, अनुशासन और भ्रष्टाचार विहीन समाज पर जोर दे रहे हैं
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी कि सेबी अब 'प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण' (SAT) द्वारा जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के सीईओ पुनीत गोयनका के खिलाफ उसके ऑर्डर को रद्द किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह खबर सामने आयी है।दरअसल, सेबी ने पुनीत गोयनका के खिलाफ अपने आदेश में कहा था कि फंड्स डायवर्जन मामले की जारी जांच पूरी होने तक वह किसी भी लिस्टेड कंपनी में अहम पद पर शामिल नहीं हो सकते हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, SAT द्वारा गोयनका के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद जी बोर्ड भी जल्द ही गोयनका की भूमिका पर चर्चा करने को लेकर मीटिंग कर सकता है।सेबी ने पुनीत गोयनका और डॉ. चंद्रा के खिलाफ एक अंतरिम आदेश पारित कर उन्हें एक साल के लिए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या उसकी सहायक कंपनियों में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद रखने से रोक दिया था।बाजार नियामक ने एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और गोयनका को एक साल के लिए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद संभालने से रोक दिया था। दोनों के खिलाफ अपने निजी लाभ के लिए सूचीबद्ध इकाई से धन निकालने के लिए यह कार्रवाई की गई थी। इसके बाद गोयनका सेबी के आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण का रुख किया था।सैट द्वारा सेबी के आदेश को खारिज किए जाने के साथ, इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों ने कहा कि इससे जी-सोनी विलय प्रक्रिया में तेजी आ सकती है, क्योंकि कंपनी को अब उन कानूनी अनिश्चितताओं से राहत मिल गई है जिनके कारण वह परेशान थी।
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'तक चैनल्स' के सीईओ विवेक गौड़ ने दिया इस्तीफा 'तक चैनल्स' के सीईओ व कंसल्टेंट (सीनियर मैनेजमेंट पर्सोनेल) विवेक गौड़ ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। नेटवर्क द्वारा सेबी को दी जानकारी में इसका खुलासा हुआ है। विवेक गौड़ ने अन्य अवसरों का लाभ उठाने के लिए 18 अक्टूबर को अपना इस्तीफा दे दिया है।सेबी को लिखे पत्र में सेक्रेट्रियल व कंपनी सेक्रेट्री के ग्रुप हेड आशीष सभरवाल ने नियामक को सूचित किया कि गौड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। फिलहाल वह 18 जनवरी 2024 तक पद पर बने रहेंगे।
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संपादकों की शीर्ष संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild Of India) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 28 अक्टूबर को अपनी वार्षिक आम बैठक (AGM) का आयोजन किया।इस बैठक में 'द कारवां' के संपादक अनंत नाथ (Anant Nath) को ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ का प्रेजिडेंट चुना गया। इसके साथ ही ‘आउटलुक’ (Outlook) के पूर्व एडिटर-इन-चीफ रुबेन बनर्जी को जनरल सेक्रेट्री और ‘द ट्रिब्यून’ (The Tribune) के पूर्व सीनियर एसोसिएट एडिटर केवी प्रसाद को सर्वसम्मति से ट्रेजरार चुना गया है।‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के इन नए पदाधिकारियों की घोषणा तीन सदस्यीय चयन समिति ने की। इस समिति में वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, विजय नाइक और कुमकुम चड्ढा जैसे जाने-माने नाम शामिल थे।
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वरिष्ठ पत्रकार ने कह दी ये बात कतर की अदालत द्वारा 8 पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई है। यह खबर हम भारतीयों के लिए काफी आश्चर्य जनक है। भारत सरकार ने इस पर हैरानी जताई है और कहा है की वो कानूनी विकल्प तलाश कर रही है। ताकि सभी भारतीयों को बचाया जा सके। भारत सरकार का कहना है की वे सभी के परिवार के संपर्क में है और आगे की कारवाही पर विचार कर रही है। इस घटनाक्रम में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर भारत सरकार से अपील की है। उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा, 'कतर में भारतीयों को मृत्युदंड दिया जाना स्पष्ट कर रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह के हथकंडे अपनाए जा सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि, हमारी सरकार हर संभव कोशिश करेगी और भारतीयों का जीवन बचाया जा सकेगा। अब जिनको इसमें भी आनंद का अनुभव हो रहा है कि पीएम मोदी को कमजोर कह सकेंगे, उनकी बीमारी लाइलाज है।' आपको बतादें की उन पर क्या-क्या आरोप लगे हैं इसकी पुष्टि कतर ने सार्वजनिक नहीं की गई है। लेकिन जासूसी के मामले में उन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। इस वक्त भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है की वे किस तरह आठों भारतीयों को फांसी के फंदे पर लटकने से बचा सकती है।
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भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने अपने कथित अश्लील वीडियो को अपलोड किये जाने के मामले में महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, मराठी न्यूज़ चैनल लोकशाही और यूट्यूबर अनिल थट्टे के खिलाफ बंबई उच्च न्यायलय में मानहानि के तीन मुक़दमे दायर किये हैं। वहीं, न्यायमूर्ति एसएम मोदक की एकल पीठ ने बुधवार को प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है।सोमैया ने वीडियो को लेकर उनके खिलाफ दिये गये अपमानजनक बयानों के लिए मानहानि के हर्जाने के तौर पर सभी से अलग-अलग सौ करोड़ रुपये का दावा किया है।उन्होंने प्रतिवादियों को वीडियो हटाने, भविष्य में ऐसा कोई अपमानजनक वीडियो अपलोड न करने या उनके (सोमैया के) खिलाफ बयान न देने का निर्देश देने की भी मांग की है। सोमैया के वकील हृषिकेश मुंदरगी ने अदालत को सूचित किया कि लोकशाही न्यूज चैनल ने जुलाई में मानहानिकारक बयानों के साथ कथित अश्लील वीडियो चलाया था। मुंदरगी ने कहा कि प्रतिवादियों (लोकशाही चैनल और दानवे) ने निंदनीय मंतव्य दिये। सोमैया एक शादीशुदा व्यक्ति हैं और उनके बच्चे भी हैं। उनकी समाज में एक राजनीतिक प्रतिष्ठा है। उन्होंने कुछ नेताओं के कई घोटालों का खुलासा किया है, जिसके बाद ये कथित वीडियो सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि सोमैया द्वारा पहले ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है और जांच जारी है। याचिका के अनुसार, थट्टे ने भी अपने यूट्यूब चैनल पर सोमैया की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले वीडियो जारी किए।
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कहा, 'अगर इस्लाम कबूलता तो पाकिस्तान का कप्तान होता' 42 साल के पूर्व पाकिस्तानी खिलाडी दानिश कनेरिया ने आजतक के प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी के साथ बातचीत में कई बड़े खुलासे किये। दानिश कनेरिया ने कहा, 'उन्हें एक हिन्दू होने के नाते पाकिस्तान में काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। उनसे पूछा गया की अगर मान लीजिए आपने धर्म परिवर्तन कर लिया होता और इस्लाम कबूल कर लिया होता तो आपका जीवन और क्रिकेट करियर कैसा होता, जवाब में दानिश कनेरिया ने कहा 'में जिस समस्या से जूझ रहा हूँ शायद ये ना आई होती और शायद में कप्तान बन गया होता। रिकॉर्ड भी तोड़ देता। लेकिन में ये कभी सोच भी नहीं सकता। इतना गिरना मेरे लिए नामुमकिन है। मुझे सनातन धर्म से बहुत प्यार है। मेरे लिए मेरा धर्म ही सब कुछ है। आपको बतादें की दानिश कनेरिया पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेल चुके है।
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न्यूज़ एंकर ऋचा सिंह ने जयपुर स्थित 'सच बेधड़क' न्यूज़ चैनल के साथ पत्रकारिता में अपनी नई पारी शुरू की है। उन्होंने यहाँ बतौर सीनियर एंकर ज्वाइन किया है। इस से पहले ऋचा ने नोएडा के न्यूज़ चैनल 'हिंदी खबर' में बतौर एंकर काम करती रही। लेकिन हालही में उन्होंने 'हिंदी खबर' से इस्तीफा दे दिया है। ऋचा करीब 1 साल वहाँ न्यूज़ एंकर की भूमिका अदा की थी। ऋचा सिंह मूल रूप से उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में रहने वाली हैं। उनको मीडिया इंडस्ट्री में काम करने का करीब 8 साल का अनुभव है। ऋचा ने कई न्यूज़ चैनल में काम किया है जैसे की 'न्यूज़ इंडिया' 'आर 9 न्यूज़' 'नेशनल वॉइस' 'भारत समाचार ' और 'इंडिया न्यूज़।' ऋचा ने 'न्यूज़ इंडिया' से अपनी पत्रकारिता की शुरुवात की थी। उन्होंने 'अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय' (AMU) से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन किया है।
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करना चाहते है अपना खुद का कुछ काम वरिष्ठ पत्रकार शरीक खान ने 'NDTV' में ढाई दशक से ज्यादा बिताने के बाद पिछले दिनों अपना इस्तीफा दे दिया है। शारिक ने बताया की उन्होंने पत्रकारिता पूरी तरह से छोडने का फैसला लिया है। और वे अब मीडिया से हट कर अपना कुछ और काम करेंगे। शारिक खान मूल रूप से बिहार के कटिहार के रहने वाले हैं। शारिक करीब 27 साल पहले कैमरामैन के तौर पर इस चैनल के साथ मीडिया में अपने करियर की शुरुवात की थी। इसके बाद वे तमाम पदों पर होते हुए इन दिनों सीनियर न्यूज़ एंकर कम एसोसिएट न्यूज़ एडिटर के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे थे। आपको बतादें की उनको उनकी बेहतरीन रिपोर्टिंग के कारण शारिक खान को 'रामनाथ गोयनका अवार्ड' से भी नवाजा जा चूका है।
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राजस्थान में बहुमत के साथ भाजपा की बन सकती है सरकार राजस्थान में होने वाले चुनाव में बीजेपी की सर्कार बन सकती है। दरसल, इंडिया टीवी-सीएनएक्स ओपिनियन पोल के सर्वे के मुताबिक बिपक्षी पार्टी भाजपा को 200 सीटों वाली विधानसभा में लगभग 125 सीटो पर जीत हासिल हो सकती है। जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस को 72 सीटों पर ही सिमट सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 73 सीट और कांग्रेस को 100 सीटें मिली थी। इस बार निर्दलीयों और छोटी पार्टियों को सिर्फ तीन सीटें मिल सकती हैं, जबकि 2018 में इन्होने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। ओपिनियन पोल में वोट शेयर के अनुमान के मुताबिक, भाजपा को 44.92 प्रतिशत, कांग्रेस को 40.08 प्रतिशत और अन्य को 15 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा को 38.77 प्रतिशत, कांग्रेस को 39.3 प्रतिशत और अन्य को 21.93 प्रतिशत वोट मिले थे। ओपिनियन पोल में सीएम पद के लिए 32.5 प्रतिशत वोटरों ने अशोक गहलोत को, और 26.98 प्रतिशत ने वसुंधरा राजे को पसंद किया। सचिन पायलट को 12.35 प्रतिशत मिले, जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत को 10.07 प्रतिशत, राज्यवर्धन सिंह राठौर को 7.81 प्रतिशत, और दीया कुमारी को 3 प्रतिशत मत मिले।
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इजरायल-फिलिस्तीन के बिच हो रहे युद्ध में काफी तनाव बढ़ते जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि यह युद्ध अब लम्बा चल सकता है। दरअसल, इजरायल ने शुक्रवार को तड़के फिर गाजा पर जबरदस्त बमबारी की। इजरायल ने दक्षिणी क्षेत्र में उन स्थानों पर बम, रॉकेट और मिसाइलों से हमला किया जहां फिलस्तीनियों को सुरक्षा के मद्देनजर जाने के लिए कहा गया था। इस पूरे मामले पर राज्यसभा सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के डिबेट शो में अपने विचार व्यक्त किए।उन्होंने कहा, 'भारत की इजरायल फिलिस्तीन नीति एकदम साफ है कि हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में फिलिस्तीन का समर्थन करते है लेकिन एजेंडा चलाने वाले उसके आगे की लाइन नहीं बताते। हम फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं मगर इजरायल के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से लेकिन अब शांतिपूर्ण वार्ता तो कहीं दिखाई नहीं दे रही है। यहां हमास का आतंक दिखा जिसका समर्थन भारत नहीं करता। पर इस युद्ध में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एकमात्र नेता है जिन्होंने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति और इजरायल के राष्ट्रपति दोनों से बातचीत की है और दोनों देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का समान रूप से सम्मान करते हैं। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की कुशल विदेश नीति और उनके प्रति विश्व में सम्मान और उनके नेतृत्व में भारत के स्थान का परिचायक भी है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा के एक अस्पताल में बड़ी संख्या में लोगों के मरे जाने पर गहरा दुःख जताया है। पीएम ने एक्स पर लिखा,गाजा के अल-अहलि अस्पताल में आम लोगों की जान जाने पर गहरा सदमा पंहुचा है। पीड़ितों के परिवारवालों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।पीएम मोदी की इस पोस्ट पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने रिपोस्ट करते हुए अपनी राय प्रकट की है। उन्होंने लिखा, गाजा पट्टी के अस्पताल पर हमले में मारे गये नागरिकों कि निर्मम हत्या पर शोक व्यक्त करता भारत, ये भी जानता है कि ऐसे हमलों से आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई कमजोर होती है। अब तक क़रीब 250 इज़राइली बंधक और क़रीब 1400 इज़राइली नागरिक मारे जा चुके हैं, 7 अक्टूबर के बाद से आतंकी हमलों में।लेकिन किस हक़ से क़रीब 600 बच्चों समेत 3500 लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है गाजा पट्टी में और कैसे निर्दोष हत्याओं को आतंक के ख़िलाफ़ लड़ाई का जामा पहनाया जा सकता है ? वो भी तब जब इज़राइल के प्रधानमंत्री को देश को ज़्यादातर नागरिकों का विरोध झेलना पड़ रहा है। कुछ तो गड़बड़ है।इज़राइली प्रधानमंत्री और उनकी सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए कब तक निर्दोष इज़राइली नागरिकों के अपहरण और हत्या की आड़ में दुसरे मुल्क पर क़हर ढाते रहेंगे। आपको बता दे, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि गाजा सिटी के एक अस्पताल पर इजरायल के हवाई हमले में कम से कम 500 लोगों की मौत हो गई है। हमले के वक्त अल-अहली अस्पताल में सैकड़ों लोगों ने शरण ली हुई थी।
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बच्चों का मारा जाना बिल्कुल गलत: ऋचा अनिरुद्ध पिछले दिनों हुए गाज़ा में हुए इजराइली हमले में काफी लोगों की मौत हुई। इस हमले के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ अरब नेताओं का शिखर सम्मलेन रद्द हो गया। वे जॉर्डन की राजधानी अम्मान में अरब नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन करने वाले थे। इन सभी मामलों के बीच बाइडेन तेल अवीव पहुंचे हैं। गाजा में अस्पताल पर हुए हमले के मामले पर वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, जब दो तरफ से बराबरी से हिंसा हो तो एक की तरफ़दारी करने का कोई मतलब नहीं है। दुनिया को हिंसा के खिलाफ एकजुट होना होगा लेकिन ऐसा होगा नहीं। एक ने हमला किया दूसरे ने पलटवार किया। अब पहला फिर पलटवार करेगा फिर दूसरा करेगा। हर पलटवार पहले से ज़्यादा घिनौना होगा और मासूम मारे जाएंगे। दुखद है।उनके इस ट्वीट के बाद एक यूजर ने लिखा, 'अभी तक तो आप इजराइल के समर्थन में बोल रही थीं अचानक ह्रदय परिवर्तन की कोई खास वजह?' इसके जवाब में ऋचा ने लिखा, 'आज भी हमास के विरोध और इज़राइल के समर्थन में ही हूं। बस किसी भी तरफ बच्चे मारे जाएं तो वो गलत है। युद्ध की जड़ तो हमास ही है।'गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कम से कम 500 लोगों के मारे जाने की खबर है। इस घटना के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। हमास ने आरोप लगाया कि इजराइल ने यह बड़ा हमला किया है। वहीं इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले के लिए हमास को जिम्मेदार ठहराया।
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जम्मू कश्मीर के शारदा मंदिर में देश की आजादी के बाद पहली बार हुई है। आपको बतादें यह मंदिर कुपवाडा के टिटवाल में स्थित है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऐतिहासिक घटना पर ख़ुशी जताई है। मंदिर का उद्घाटन इस साल 23 मार्च 2023 को अमित शाह ने किया था। चैत्र नवरात्री के पहले दिन मंदिर के गर्वगृह में देवी शारदा की प्रतिमा रखी गई थी। मंदिर को उसी स्थान और शैली में बनाया गया है। जहां भारत के विभाजन से पहले मौजूद था।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, '1947 के बाद पहली बार, कश्मीर के ऐतिहासिक शारदा मंदिर में नवरात्रि पूजा आयोजित की गई। 76 वर्षों तक "धर्मनिरपेक्षवादियों" द्वारा हिंदुओं को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित कर "कश्मीरियत" के रूप में प्रचारित किया गया। कुछ लोगों के लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब अभी भी भारत के सनातन धर्म को दफनाना है।'आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'ये अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व की बात है कि 1947 के बाद से पहली बार कश्मीर के ऐतिहासिक शारदा मंदिर में इस साल नवरात्रि की पूजा हुई है। इसी साल यहां चैत्र नवरात्रि की पूजा हुई थी और अब शारदीय नवरात्रि के मंत्र गूंज रहे हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार अलोक कुमार ने 'टाइम्स नेटवर्क' में अपनी पारी को विराम दिया है। वे 'टाइम्स नेटवर्क' में करीब पौने चार साल बतौर एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे थे। 13 अक्टूबर 2023 को अलोक कुमार का 'टाइम्स नेटवर्क' में बतौर एडिटर आखिरी कार्यदिवस था। सूत्रों से जानकारी मिली है की वे अब 'जी न्यूज़' में बड़ी ज़िम्मेदारी संभालेंगे। लेकिन आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। आपको बतादें की 'टाइम्स नेटवर्क'से पहले वे 'टीवी 9' समूह के साथ जुड़े हुए थे। और एक्सिक्यूटिव एडिटर के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे थे। अलोक कुमार बिहार में मुजफ्फरपुर के निवासी हैं। उनको मीडिया क्षेत्र में काम करने का काफी ज़्यादा अनुभव है। पूर्व में वे डिजिटल प्लेटफॉर्म के रीजनल विंग की कमान संभल चुके हैं। वे वहाँ से मई 2015 में ‘लाइव इंडिया’ से इस्तीफा देकर ‘नेटवर्क18’ आए थे।‘ लाइव इंडिया' में वे डिजिटल एडिटर के तौर पर बहुत ही कम समय तक रहे। जहाँ उन्होंने बस 5 महीने ही बिताये। इसके पहले तक आलोक कुमार ने ‘सहारा समय’, ‘बीबीसी’ (BBC), ‘यूएनआई’ (UNI) और‘नेटजाल’ (www.netjaal.com) डिजिटल पोर्टल के साथ काम किया। देश के प्रतिष्ठित मीडिया शिक्षण संस्थान ‘आईआईएमसी’ से वर्ष 2001 में पत्रकारिता की तालीम हासिल करने वाले आलोक ने पत्रकारिता का सफर ‘नेटजाल’ (www.netjaal.com) के साथ बतौर कॉपी राइटर शुरू किया।
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सुचना-प्रसारण मंत्रालय की हालही में आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि डिजिटल मीडिया ने मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक सब-सेक्टर के तौर पर लगभग 100 के आसपास स्टार्टअप का उदय देखा है। 2022 में जो मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर का कुल 28.20 प्रतिशत था। मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में अगला सबसे बड़ा योगदानकर्ता 28 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ स्टार्टअप का एंटरटेनमेंट सब-सेक्टर था। डिजिटल मीडिया न्यूज़ व पब्लिशिंग सेक्टर में कुल मिलकर 36 नए वेंचर्स का उदय हुआ है। ओओएच मीडिया व डिजिटल मीडिया ब्लॉगिंग स्टार्टअप का 2022 में बस 3 स्टार्टअप की शुरुवात की और उसके साथ पाई चार्ट में सबसे काम यानी मात्र 0.80 प्रतिशत हिस्सा रहा। 2023 की EY-FICCI रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए M&E रिपोर्ट में पिछले पांच वर्षों में डिजिटल मीडिया सेक्टर की बृद्धि का भी उल्लेख किया गया है। 2017 में यह सेक्टर सिर्फ 119 अरब रूपए का था और 2022 से बढ़कर 571 अरब डॉलर रूपए का हो गया है। जिससे पांच वर्षों में इसमें 380 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
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डॉ. प्रवीण तिवारी ने मीडिया जगत में अपनी नई पारी की शुरुआत कर दी है।वे 'भारत एक्सप्रेस' के साथ ग्रुप एडिटर डिजिटल के तौर पर जुड़ गए हैं। इससे पहले वह 'अमर उजाला' की वीडियो टीम को हेड कर रहे थे। उनके नेतृत्व में अमर उजाला की वीडियो टीम ने अच्छी ग्रोथ की और अमर उजाला का वीडियो प्लेटफर्म चर्चा का विषय बना। भारत एक्सप्रेस ग्रुप डिजिटल क्षेत्र में एक बड़े इन्वेस्टमेंट के साथ आ रहा है।डॉ. प्रवीण तिवारी पत्रकारिता के साथ-साथ एकेडमिक्स और लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अभी तक सात पुस्तकों का लिखा है। यूजीसी के रजिस्टर्ड प्रोफेसर के तौर पर कई एकेडमीशन उनके मार्गदर्शन में पीएचडी भी कर रहे हैं।उन्होंने 25 साल के पत्रकारिता जीवन में प्रिंट टीवी और डिजिटल तीनों ही माध्यमों में लंबा समय दिया है।मुख्य रूप से 'लाइव इंडिया' के प्रधान संपादक के रूप में, फिर 'न्यूज18 इंडिया' के प्राइम टाइम एंकर के तौर पर उनकी भूमिकाएं और कार्य उल्लेखनीय है। 'जी बिजनेस' के साथ उनका कार्यक्रम 'इनोवेट इंडिया' भी काफी चर्चा में रहा । दूरदर्शन के साथ उनका लंबा साथ रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय चैनल के साथ 'अवकेनिंग इंडिया' और कई अन्य प्रोग्राम बनाए हैं। आगामी दिनों में वह अपने लेखन और अकादमी कार्यों को भी जारी रखेंगे। डॉ. प्रवीण तिवारी मास कम्युनिकेशन में पीएचडी करने वाले चुनिंदा पत्रकारों में से एक है। हाल ही में उन्होंने साइकोलॉजी में भी मास्टर डिग्री हासिल की है। उनकी पुस्तक जिसे ब्लूम्सबरी ने पब्लिश किया था, बेस्ट सेलर रही।
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प्रवीण कक्कड़ नवदुर्गा प्रकृति की शक्तियों की उपासना का पर्व है। केवल स्त्री के सम्मान और श्रद्धा की बात नहीं बल्कि यह लैंगिक समानता और स्त्री को मानव के रूप में मान्यता देने का पर्व भी है। स्त्री और पुरुष दोनों में देवीय तत्व है और दोनों के ईश्वरीय रूपांतरण की पूजा - अर्चना का विधान भारतीय वांगमय में किया गया है। ईश्वर या देवीय तत्व का कोई लिंग नहीं है। इसलिए अर्धनारीश्वर की कल्पना हमारी संस्कृति और हमारे धर्म में मौजूद है। शिव महापुराण में उल्लेख है - ‘शंकर: पुरुषा: सर्वे स्त्रिय: सर्वा महेश्वरी ।’ इसका भाव यही है कि समस्त पुरुष भगवान सदाशिव के अंश और समस्त स्त्रियां भगवती शिवा की अंशभूता हैं, उन्हीं भगवान अर्धनारीश्वर से यह सम्पूर्ण चराचर जगत् व्याप्त हैं। इसे और अधिक स्पष्ट शब्दों में समझे तो स्त्री और पुरुष में भेद केवल उनकी नैसर्गिक जिम्मेदारियों का है। स्त्री जननी है उसे मां बनना है, सृष्टि के क्रम को चलायमान रखना है। जबकि पिता होने का दायित्व पुरुष को सृष्टि ने सौंपा है। इन दोनों दायित्व में कोई भी कमतर नहीं है और कोई भी उच्चतर नहीं है। पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। शायद इसीलिए नवदुर्गा से पहले पितृपक्ष आता है। पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः। पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥ पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च। तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥ दूसरी तरफ मातृत्व भी उतना ही उत्कृष्ट और उच्चतम गुण है, जो संसार में सृष्टि को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण दायित्व निभाती है। नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा॥ माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं॥ माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये स्त्री पुरुष दोनों ही महत्वपूर्ण है और कोई भी किसी से कम नहीं है। पितृपक्ष के बाद नवदुर्गा का पूजन मातृ पक्ष ही है। यह शक्ति के पूजन की परंपरा है। शक्ति जिससे संसार चलता है और जो अपनी रचनात्मकता से संसार को आगे बढ़ती है। स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर सृजन करते हैं। किसी एक की अनुपस्थिति में सृजन संभव नहीं। लेकिन मध्यकाल में एक ऐसा दौर आया जब पाशविक बल को ही सर्वोच्च समझा जाने लगा और पुरुष को स्त्री से ज्यादा बलवान समझकर स्त्री को दबा कर रखा गया। उसे सीमाओं में बांधने की कोशिश की गई। शोषण, अपमान, घुटन और पीड़ा उसके हिस्से में आई। वर्ष में दो-दो बार नवदुर्गा के रूप में स्त्री शक्ति की पूजा करने वाले देश में स्त्रियों की स्थिति निरंतर खराब होती चली गई। किंतु अब वह बुरा दौर खत्म होने की तरफ है। आज की स्त्री चैतन्य है, अपनी शक्ति पहचानती है, अपनी सीमाओं को जानती है, और हर वह काम करना चाहती है जिस स्त्री के लिए एक समय में वर्जित किया गया था। यही कारण है कि स्त्री चेतना के इस दौर में पुरुष प्रधान समाज को भी बाध्य होकर संसद और विधानसभा में स्त्रियों को 33% आरक्षण देने का निर्णय करना पड़ा है। यह बदलाव स्त्री शक्ति को सर्वोच्च मान्यता प्रदान करने के साथ-साथ स्त्री चेतना के प्रति सम्मान का प्रकटन भी है। अब जानना यह है कि समाज और पुरुष स्त्री को मानवी के रूप में स्वीकार करने के लिए कितना तत्पर है। इस नवदुर्गा का यही संदेश है कि जो सर्व शक्तिशाली है, जो जगदंबा है, जगतजननी है और सृष्टि की निर्मात्री है, उसे बराबरी का हक और सम्मान देना अब आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है। आप सभी के लिए नवरात्रि पर्व मंगलमय हो, आप सभी को दुर्गोत्सव की शुभकामनाएं
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दीपक चौरसिया ने सरकार से की ये अपील विश्व में फ़िलहाल इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है। इस लड़ाई में विश्व भर के देशों ने अपने-अपने विचार सब के सामने रख रहे हैं। इस तरह ही भारत के प्रधानमंत्री ने अपना समर्थन इजरायल को दिया है। लेकिन भारत के ही अंदर भरी संख्या में एक विशेष समुदाय से गाजा व फिलिस्तीन के समर्थन में आ रहे हैं। आपको बतादें बेंगलुरु की जामिया मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद इमरान ने कहा कि इजरायली सेना फिलिस्तीन के मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने फिलिस्तीन में शांति बहाली की दुआ की। झारखंड के जमशेदपुर में भी मुस्लिम समुदाय फिलिस्तीन का समर्थन कर रहा है। जमशेदपुर के मानगो आजाद नगर में जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन कर इजरायल के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, सनातन के समृद्ध अगुआ ऋषि सुनक ने यूके में फिलिस्तीनी झंडा फहराने पर पाबंदी लगा दी है। इतना ही नहीं जर्मनी ने भी फिलिस्तीनी झंडे पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के साथ ही सारे सहयोग बंद कर दिये हैं और फिलिस्तीन समर्थक समूहों को भी बैन कर दिया है। फ्रांस ने भी फिलिस्तीनी रैली और नारे पर रोक लगा दी है। अब बारी है भारत की, आगे आये और हमास समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का रुख अख्तियार करें। इन्हें पालने-पोषने की जगह इनके इलाज करने की जरूरत है।
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वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने पूछा ये सवाल! भारत और पकिस्ताब के बीच शनिवार को अहमदाबाद में मैच खेला जायेगा। इस मुकाबले से पहले पाकिस्तान क्रिकेट टीम अहमदाबाद पहुंच चुकी है। पाकिस्तान की टीम के स्वागत के लिए खास इंतज़ाम किए गए है। यहाँ स्वागत के लिए लड़कियों से डांस करवाया गया। इसके साथ ही खिलाड़ियों पर फूलों की बारिश की गई। पाक खिलाड़ियों का भव्य स्वागत भारत के फैंस को रास नहीं आ रहा। इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' (ट्विटर) पर पोस्ट कर एक बड़ा सवाल पूछा है। उन्होंने लिखा, 'अहमदाबाद में पाकिस्तान की टीम के आने पर ढोल,नृत्य,पुष्प वर्षा की गई। पाक टीम ने इस तरह के भव्य स्वागत के लिए BCCI का धन्यवाद किया। ये वही टीम है जो क्रिकेट मैच को जिहाद से जोड़ती है। उनके लिए हर जयकार उनके नफरत से भरे दृष्टिकोण के लिए जयकार है। उन्हें मिलने वाला हर निमंत्रण उस देश को वैध बनाता है, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।'आपको बता दें कि पाक खिलाड़ियों के स्वागत में सजी युवतियां गुजराती पहनावे में नजर आईं। उनके साथ-साथ ढोल भी था। टीम इंडिया की बात करें तो उसने पहला मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला, इसे उसने 6 विकेट से जीता था। वहीं दूसरा मैच अफगानिस्तान के खिलाफ दिल्ली में खेला। भारत ने यह मैच 8 विकेट से जीता।
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सुधीर चौधरी ने कह दी ये बड़ी बात पाकिस्तानी विकेटकीपर बल्लेबाज फ़िलहाल एक पोस्ट कर विवादों में घिर गए हैं। दरसल उन्होंने विश्वकप में श्रीलंका के खिलाफ अपनी टीम की जीत 'गाजा के भाई बहनों को समर्पित की है। मैच के बाद रिज़वान ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा की, यह गाजा के हमारे भाई बहनों के लिए है। जीत में योगदान देकर खुशहूँ। पूरी टीम खास कर अब्दुल्ला शफ़ीक़ और हसन अली को इस जीत को आसान बनाने का श्रेय जाता है। शानदार मेज़बानी और हमारी टीम को समर्थन करने के लिए हैदराबाद की जनता का दिल से धन्यवाद करता हूँ। रिज़वान की इस पोस्ट के बाद उनकी सोशल मीडिया पर काफी ज़्यादा संख्या में ट्रॉल्लिंग हुई। हिंदी न्यूज़ चैनल 'आजतक' के प्राइम टाइम शो के सुधीर चौधरी ने एक पोस्ट कर कड़ी बात कह दी। उन्होंने लिखा, पाकिस्तान क्रिकेटर और विकेटकीपर बल्लेबाज मुहम्मद रिज़वान ने अपना विजयी शतक गाजा के लोगों को समर्पित किया वहीं उन्होंने पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए हैदराबाद के लोगों को भी धन्यवाद दिया। आईसीसी क्रिकेट वर्ल्डकप 2023 सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा है अब यह राजनीतिक और धार्मिक विचारधारा का युद्धक्षेत्र भी है।इस पुरे मामले पर लोग आईसीसी की भी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि 2019 विश्व कप में आईसीसी ने धोनी का बलिदान बैज हटवा दिया था, इसके अलावा इंग्लैंड के ऑलराउंडर मोईन अली पर भी रिस्टबैंड पहनने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। हमास के आतंकवादियों ने पिछले हफ्ते इजरायल पर हमला किया जिसमें 900 से अधिक लोग मारे गए।
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कांग्रेस नेता का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस समय जातीय जनगणना को अपना चुनावी मुद्दा बना कर राजनीती कर रहे हैं। कांग्रेस ने अपनी सत्ता वाले सभी राज्यों में जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। राहुल गाँधी ने सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की मीटिंग के बाद इसका ऐलान किया। राहुल गाँधी ने कहा कि पूरा देश आज जातीय जनगणना चाहता है। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बगल में बिठाकर राहुल गांधी ने कहा कि हम अपनी सत्ता वाले सभी राज्यों में जातीय जनगणना कराएंगे। राहुल गांधी के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार और पद्मश्री आलोक मेहता ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, लालू यादव से एक कदम आगे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं या उकसाना चाहते हैं कि वे समर्थन या हमला करने के लिए पत्रकारों या मालिकों से अपनी जाति की पहचान करने के लिए कहें। कांग्रेस का रवैया काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। राहुल गाँधी ने यहाँ तक की प्रेस वार्ता में भी पत्रकारों से पूछा की क्या वे दलित या OBC है तो हाथ उठाये ? राहुल गांधी , आपने अपनी मीडिया कंपनी प्रकाशन और प्रचार पार्टी की सोशल मीडिया टीम में कितने ओबीसी, एससी एसटी पत्रकारों को नियुक्त किया है? मारी राय में मीडिया जगत में हर समुदाय और व्यक्ति अपनी क्षमता पर काम करता है। बता दें कि बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद राहुल गांधी इस मुद्दे को और तेजी से उठा रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडा का मुकाबला करने के लिए जाति आधाारित गणना पर जोर दिया है
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सुशांत सिन्हा ने कह दी ये बात विश्व में अभी फिलिस्तीन और इजराइल के बीच बड़ा विवाद चल रहा है। जो की काफी सुर्खियां बटोर रहा है। इस विषय को लेकर लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वहीं भारत में यह मामला चर्चे में है। इसी मामले को लेकर अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों (AMU) ने फिलिस्तीन के समर्थन में कैंपस में पैदल मार्च और अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल का समर्थन किया। वहीं दूसरी ओर (AMU) के छात्रों ने फिलिस्तीन के समर्थन प्रदर्शन किया। (AMU) में फिलिस्तीन के समर्थन के मार्च निकालने बाद पुलिस ने इस मामले में जाँच शुरू करने बाद फिलहाल 4 छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों में एमबीए, पीएचडी के छात्र शामिल हैं। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर अपनी राय दी है। उन्होंने लिखा, '100 करोड़ हिंदुओं के देश में हिंदू अपनी धार्मिक आस्था के केंद्र की कानूनी लड़ाई लड़ता है, प्रभु राम के होने के सबूत देता है, ज्ञानवापी-मथुरा का इतिहास याद दिलाता है तब भी हिंदुत्व को खतरा बता दिया जाता है जबकि अपनी जमीन और धार्मिक मान्यताओं के लिए बच्चे और महिलाओं को मारनेवाले हमास को भी समर्थन मिल जाता है। ये बताकर कि फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा हुआ है।जाने लोग ऐसा डबल स्टैंडर्ड कहां से लाते हैं लेकिन अफसोस ये कि अब भी इस देश में कुछ लोग इस डबल स्टैंडर्ड को देख नहीं पाते। आपको बतादें की (AMU) में हुए मार्च की वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेज़ी से फैल रही है। इस वीडियो पर लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है छात्रों ने फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन किया। कैम्पस में फ्री-फ्री फिलिस्तीन के नारे लगाए गए।
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मिली नई ज़िम्मेदारी अंग्रेजी अख़बार 'हिंदुस्तान टाइम्स' के वरिष्ठ पत्रकार प्रांशु मिश्रा को रेजिडेंट एडिटर पद पर प्रमोट किया है। इस भूमिका में वे एचटी के मैनेजिंग एडिटर कुणाल प्रधान को रिपोर्ट करेंगे।आपको बतादें की प्रांशु मिश्रा इससे पहले अंग्रेजी न्यूज़ चैनल 'CNN News18' लखनऊ में करीब 7 साल से काम कर रहे थे। उन्होंने इस साल जून में इस चैनल के यूपी ब्यूरो चीफ पद से इस्तीफा दिया और 'हिंदुस्तान टाइम्स' के साथ डिप्टी रेजिडेंट एडिटर (यूपी) के पद पर अपना सफर शुरू किया था। अब ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ लखनऊ में रेजिडेंट एडिटर सुनीता एरोन के सेवानिवृत्त होने के बाद मैनेजमेंट ने प्रांशु मिश्रा को प्रमोशन का तोहफा देते हुए रेजिडेंट एडिटर पद की जिम्मेदारी सौंपी है। उनको प्रिंट और टीवी मीडिया में काम करने का 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने मीडिया क्षेत्र में अपने करियर की शुरुवात 2001 में की थी। उसके बाद वे 'दैनिक जागरण' और 'टाइम्स नाउ' में भी अपनी भूमिका अदा कर चुके हैं। प्रांशु मिश्रा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढाई पूरी की है।
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जानिए क्या है वजह? इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर), यूट्यूब और टेलीग्राम को भारत में अपने मंचों से बाल यौन शोषण संबंधी सामग्री हटाने के लिए नोटिस जारी किया है।उन्होंने ने कहा कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां तेजी से काम नहीं करती है, तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत उनके 'बचाव' को वापस ले लिया जाएगा, जिसका मतलब है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर सीधे लागू होने वाले कानून और नियमों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।चंद्रशेखर ने कहा, हमने एक्स, यूट्यूब और टेलीग्राम को नोटिस भेजे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके मंचों पर कोई भी बाल यौन शोषण सामग्री न हो। सरकार सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत एक सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि आईटी अधिनियम की धाराएं- 66ई, 67, 67ए और 67बी अश्लील सामग्रियों के ऑनलाइन प्रसारण के लिए कड़े दंड और जुर्माने के प्रावधान करती हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार ने दिया ये बयान चीन में हो रहे एशियन गेम्स 2023 में भारत की टीम हर खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रही है। चीन में हो रहे एशियन गेम्स में भारत की टीम ने अपना सर्वश्रेस्ठ प्रदर्शन किया है। खेलों के इतिहास में भारत ने कभी 100 मेडल्स नहीं जीते थे। लेकिन इस बार भारत की टीम ने 100 से ज़्यादा मेडल्स जीत कर इस एशियन गेम्स को यादगार बना दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय दाल को बधाई देते हुआ एक्स (ट्विटर) पर लिखा, एशियाई खेलों में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि। भारत के लोग इस बात से रोमांचित हैं कि हम 100 पदकों की उल्लेखनीय उपलब्धि तक पहुंच गए हैं। भारत की इस उपलब्धि पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने भी पोस्ट कर अपनी राय दी है। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, भारत के खिलाड़ियों की चमक चीन में दिख रही है। हम 100 पदकों का आंकड़ा पार करते दिख रहे हैं। सभी खिलाड़ियों ने भारत का गौरव बढ़ाया है, लेकिन इसके साथ नरेंद्र मोदी सरकार के खेलों को बढ़ावा देने के प्रयासों की प्रशंसा होनी चाहिए।नरेंद्र मोदी की नीतियों की इसमें बड़ी भूमिका है। यह सब लंबे समय की रणनीति के साथ प्राप्त होता है। भारत कई क्षेत्रों में लंबी रणनीति के साथ कार्य कर रहा है और उसके परिणाम अब दिखने लगे हैं। खेल का क्षेत्र उनमें से एक है। धीरे-धीरे ऐसे दूसरे क्षेत्रों में भी भारत की चमक सम्पूर्ण विश्व देखेगा। बस, हम भारत के लोग अपना आत्मविश्वास बनाए रखें। आपको बतादें की चीन में हो रहे एशियन गेम्स में भारत ने पहली बार 100 मेडल्स जीते है। इससे पहले जकार्ता में भारत ने 16 गोल्ड,23 सिल्वर और 31 ब्रोंज मैडल के साथ कुल 70 मेडल्स जीते थे।
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जानिये किन-किन भाषा के लिए हैं ये एंकर्स इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरमैन कली पुरी ने 5 अक्टूबर गुरुवार को 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई 2023' के दौरान ग्रुप के 5 नए AI एंकर्स को लॉन्च किआ। यैह 5 AI एंकर्स अलग अलग भाषा में अपडेट देंगे। जैसे मराठी, हिंदी, भोजपुरी, बंगाली और अंग्रेजी। आपको बतादें की हिंदी खबरों के लिए ऐश्वर्या, मराठी खबरों की पेशकश साइली, बंगाली खबरों की पेशकश ऐना, भोजपुरी खबरों की पेशकश नैना और अंग्रेजी भाषा में खबरों के लिए मेल एंकर जय पेश करेंगे। AI एंकर लॉन्च करते हुए कल्ली पुरी ने कहा की वे इस साल मार्च में इंडिया टुडे ग्रुप ने अपनी पहली AI एंकर सना को अपनी टीम का हिस्सा बनाया था। बतादें की सना ने तब से लेकर अब तक विभिन्न शैलियाँ भाषा और प्लेटफार्म पर 200 घंटे का कार्यक्रम सफलता पूर्वक किए हैं। इंडिया टुडे ग्रुप की समाचार प्रसार प्रणाली में AI एंकर्स का एकीकरण मीडिया इंडस्ट्री में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा- भारत के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ बताया था। इसी के बाद लगातार दोनों देशों के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। इस बीच, विवाद को सुलझाने के लिए ओटेवा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भारत के साथ निजी बातचीत की इच्छा जाहिर की है।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, कनाडा ट्रूडो द्वारा भारत विरोधी खालिस्तानियों को पनाह देने पर भारत के साथ 'निजी बातचीत' चाहता है। इसके बाद नई दिल्ली ने कनाडा से 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा। इसलिए ट्रूडो सार्वजनिक रूप से भारत पर आरोप लगाते हैं लेकिन "निजी तौर पर बातचीत" चाहते हैं। नई दिल्ली को इस संरक्षणवादी दोहरेपन को अस्वीकार करना चाहिए।
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मंगलवार को पत्रकारों के लिए सरकार ने कई कल्याणकारी सुविधाओं की घोषणा की है। दरहसल विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने महिला पत्रकारों के लिए फेलोशिप और छोटे समाचार पत्रों के लिए विज्ञापनों की गारंटी शामिल है। दरअसल, सरकारी विज्ञापनों की कमी से जूझने के कारण आर्थिक संकट झेल रहे कई छोटे अखबारों के लिए यह राहत भरी खबर है।सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को 28 करोड़ रुपये की लागत से दो साल में बनने वाले स्टेट मीडिया सेंटर की आधारशिला रखने के बाद पत्रकारों के लिए कई कल्याणकारी सुविधाओं की घोषणा की। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और (सरकार के) जनसंपर्क विभाग के माध्यम से विकासात्मक कार्यों का अध्ययन करने के लिए हर साल पांच महिला पत्रकारों को फेलोशिप मिलेगी।आर्थिक संकट झेल रहे कई छोटे अखबारों को राहत पहुंचाने की बात करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि छोटे अखबारों को हर दूसरे महीने कम से कम एक सरकारी विज्ञापन मिलेगा। साथ ही 70 साल से अधिक उम्र के पत्रकारों को स्थायी मान्यता कार्ड मिलेंगे। शिवराज सिंह चौहान ने जनसंपर्क विभाग के पात्र अधिकारियों को वरिष्ठ पद और सहायक निदेशकों के लिए उचित वेतन बढ़ोतरी सहित रियायतों की भी घोषणा की। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता को समृद्ध बनाने में दिवंगत पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, हरिशंकर परसाई, डॉ. वेद प्रताप वैदिक और प्रभाष जोशी जैसे प्रसिद्ध पत्रकारों के योगदान को भी याद किया।सीएम शिवराज ने कहा, मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के दौर में विश्वसनीयता का संकट देखने को मिल रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि स्टेट मीडिया सेंटर इन पत्रकारों के संवाद, खबरों के संचार और हमारे संपर्क का केंद्र बनेगा। साथ ही सीएम शिवराज ने स्वतंत्रता संग्राम, आपातकाल, युद्ध की अवधि और कोविड -19 महामारी के दौरान पत्रकारों के योगदान के बारे में भी बात की।स्टेट मीडिया सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल, मिनी ऑडिटोरियम, आर्ट गैलरी, लाइब्रेरी, आउटडोर और इनडोर गेम सुविधा, वर्क स्टेशन, मीडिया कार्यालयों और रेस्तरां सहित कई सुविधाएं होंगी।
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बने 'इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी' के नए प्रेजिडेंट आईटीवी ग्रुप और 'गुड मॉर्निंग मीडिया इंडिया' के निर्देशक राकेश शर्मा को इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी (INS) का नया प्रेजिडेंट चुना गया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये हुई (INS) की 84 वी वार्षिक आम बैठक में उनको यह पद दिया गया। उनको के. राजा प्रसाद रेड्डी (साक्षी) की जगह यहाँ ज़िम्मेदारी दी गयी। गुड मॉर्निंग ग्रुप 'आज समाज', 'द डेली गार्डियन', 'द संडे गार्डियन', 'इंडिया न्यूज' और 'बिजनेस गार्डियन' जैसे प्रतिष्ठित अखबार का प्रकाशन करता है। राकेश शर्मा को पिछले 50 वर्षों से मीडिया का अनुभव है। और उन्होंने शीर्षस्थ पदों पर कार्य किया है। इसके साथ ही एमवी श्रेयम्स कुमार (मातृभूमि) को ‘आईएनएस’ का डिप्टी प्रेजिडेंट, विवेक गुप्ता (सन्मार्ग) को वाइस प्रेजिडेंट और तन्मय माहेश्वरी (अमर उजाला) को मानद कोषाध्यक्ष चुना गया है। वहीं, मैरी पॉल को सेक्रेट्री जनरल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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कुछ लोगों के कलेजे में नफरत घर कर चुकी है यूपी के वाराणसी में एक मासूम बच्ची करंट की चपेट में आकर जान बचाने की गुहार लगाने लगी, लोगों ने कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। उसी समय एक बुजुर्ग शमीम कुरैशी को बच्ची के करंट लगने का ऐहसास हुआ और वह वहीं से गुजर रहे थे। उन्होंने कोशिश की और सूझबूझ से बच्ची को बचाने के लिए एक लकड़ी का डंडा मंगाया और फिर बच्ची को हिम्मत देकर उसे करंट वाले एरिया से बाहर निकाल लिया।इसी घटना पर वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने अपने शो में बात की थी। उनके सोशल मीडिया क्लिप पर एक यूजर ने कमेंट किया कि आचार्य राहुल शर्मा के बारे में बात नहीं करोगे, क्योंकि तुम्हारा घर ही ब्राह्मण को गाली देकर उनके खिलाफ झूठ फैलाकर चलता है। हालांकि इस बात में सच्चाई नहीं थी।उज्जैन के आचार्य राहुल ने जब रेप पीड़िता की मदद की तो वो खबर भी संकेत ने अपने शो में दिखाई और जिस वीडियो पर सवाल खड़ा किया गया, उस वीडियो के शुरू में ही संकेत, आचार्य राहुल की तारीफ कर रहे हैं। संकेत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, इसी क्लिप की शुरुआत में उज्जैन के साधु बात हो रही है। इससे ठीक पहले चली स्टोरी में भी पत्थर दिल उज्जैन में साधु की भूमिका पर विस्तार से बात हुई। दिक्कत आप जैसे लोगों के कलेजे में घर कर चुकी नफरत है जिसको सिर्फ खौंखियाना आता है। समाज में अच्छाई देखना नहीं।इसके अलावा संकेत उपाध्याय ने एक और पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा, जब उज्जैन पत्थर दिल बना हुआ था तो आचार्य जी आगे आए। पीड़िता की मदद की। कल हमने आपको काशी के शमीम भाई की कहानी बताई। आज उज्जैन के आचार्य राहुल जी की कहानी देखिए। फरिश्ते जिंदा हैं।
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‘एबीपी नेटवर्क’ के सीईओ अविनाश पांडेय को एक बार फिर से ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ के इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट चुना गया है।इसके साथ ही अन्य निर्वाचित सदस्यों में फ्री प्रेस जर्नल ग्रुप के प्रेजिडेंट अभिषेक करनानी उपाध्यक्ष, मीडिया दिग्गज नंदिनी दास सचिव और के फाउंडर जयदीप गांधी कोषाध्यक्ष शामिल हैं। बुधवार को ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ की वार्षिक आम बैठक में सदस्यों ने सर्वसम्मति से इन्हें चुना है।पांच सदस्यों को वोटिंग मेंबर्स के तौर पर चुना गया है। इनमें कथित तौर पर आर.के. स्वामी लिमिटेड के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीनिवासन के. स्वामी; मातृभूमि प्रिंटिंग एंड पब्लिशिंग कंपनी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एम.वी. श्रेयम्स कुमार; ग्रुपएम में दक्षिण एशिया के सीईओ प्रशांत कुमार; द इंडियन एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका; ब्लू लॉजिक सिस्टम्स की डायरेक्टर जनक सारदा शामिल हैं।
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'न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेडट' यानी कि NDTV को तीन हाई डेफिनिशन चैनल्स को लॉन्च करने की सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) से मंजूरी मिल गई है। अडाणी ग्रुप के स्वामित्व वाले इस समूह ने मंगलवार को एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी जानकारी दी है। समूह ने अपनी जानकारी में बताया कि कंपनी को सूचना-प्रसारण मंत्रालय से 25 सितंबर, 2023 को एक पत्र मिला है, जिसमें कंपनी को हाई डेफिनिशन में तीन न्यूज व करेंट अफेयर्स के चैनल्स को अपलिंक और डाउनलिंक करने की अनुमति मिलने की बात कही गई है। बता दें कि मंत्रालय से समूह को जिन चैनल्स के लिए प्रसारण की अनुमति मिली है, उनके नाम हैं- NDTV 24x7 HD, NDTV India HD और NDTV Profit HD. ये तीनों ही नए चैनल्स HD यानी हाई डेफिनिशन की क्वॉलिटी वाले होंगे। बता दें कि NDTV 24x7 HD अंग्रेजी न्यूज चैनल है और NDTV India HD हिंदी न्यूज चैनल है, जबकि NDTV Profit HD बिजनेस जगत की खबरों पर केंद्रित चैनल है। कंपनी ने यह भी जानकारी दी कि तीनों ही चैनल्स की लॉन्चिंग पर वह स्टॉक एक्सचेंजों इसकी सूचना देगा।
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केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित खरे का कार्यकाल बढ़ा । खरे को 12 अक्टूबर 2021 को दो साल के लिए अनुबंध के आधार पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।इस पद पर खरे का कार्यकाल 12 अक्टूबर 2023 को समाप्त हो रहा था, लेकिन अब इसे प्रधानमंत्री के वर्तमान कार्यकाल के साथ समाप्त होने वाली अवधि तक के लिए विस्तार दे दिया गया है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बारे में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सामान्य नियमों और शर्तों पर अनुबंध के आधार पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित खरे के कार्यकाल में विस्तार को मंजूरी दे दी है। इस पद पर उनका कार्यकाल अब प्रधानमंत्री के वर्तमान कार्यकाल के साथ समाप्त होने तक या अगले आदेश तक (जो भी पहले हो) लागू होगा।’गौरतलब है कि 1985 बैच के झारखंड-कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे उच्च शिक्षा सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को आकार देने में अपना योगदान दिया था। ‘आईआईएम’ अहमदाबाद से एमबीए करने वाले खरे ने दिसंबर 2019 में उच्च शिक्षा सचिव के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय (MIB) सचिव के रूप में भी कार्य किया है।
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वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने महिला आरक्षण पर कहा, मेरा मानना है कि जो हम तय करते हैं कि उसे हमें करना ही चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक के लिए विशेष सत्र बुलाकर नए संसद भवन की शुरुआत करना एक बड़ा संदेश है न सिर्फ भारत के लिए बल्कि विश्व के लिए। जो आप (विपक्ष) ने आज तक नहीं किया, उसे अगर मौजूदा सरकार करा पाती है तो यह उसकी प्रतिबद्धता दर्शाता है। हमारे यहां पुरुष देवों से ज्यादा स्त्री देवियों की संख्या है, लेकिन काल खंड में धीरे-धीरे महिलाएं पीछे होती गईं। मैं निजी तौर पर मानता हूं कि समाज के वंचित तबके को आगे लाने के लिए सरकार को विशेष व्यवस्थाएं करनी चाहिए, लेकिन यह एक निश्चित कालखंड के लिए होनी चाहिए।जो पार्टियां आलोचना कर रही हैं कि तत्काल इसे क्यों नहीं लागू किया क्या, वह अगले चुनाव से अपनी पार्टी से 33 फीसदी महिलाओं को टिकट देंगी। बीते कई वर्षों से परिसीमन से सरकारें बचती रही हैं। मेरा मानना है कि विरोध करने वाले इतिहास में अपना नाम अंकित कराने से चूक गए हैं। मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि महिलाओं में पुरुषों से काम करने की क्षमता बहुत ज्यादा है। अगर महिलाएं किसी क्षेत्र में आएंगी तो उसमें आपको एक बड़ा बदलाव दिखेगा। हमारे यहां कहा गया है कि अरे हंस अगर तुम ही पानी और दूध में भेद करना छोड़ दोगे तो दूसरा कौन करेगा।
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अंजना ओम कश्यप का बनाया AI देश के चर्चित न्यूज चैनल 'आजतक' वैसे तो तकनीक के प्रयोग के मामले में हमेशा आगे ही रहता है, लेकिन अब 'आजतक' ने एक ऐसा अनूठा प्रयोग किया है, जिसे देखकर लोग हैरान रह गए। आपको बता दे की आजतक' की प्राइम टाइम एंकर अंजना ओम कश्यप के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्जन को लॉन्च किया गया है। इसके बारे में अंजना ओम कश्यप ने शाम को ट्वीट कर जानकारी दी थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, इसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी। मेरे लिए भी यह अनूठा अनुभव है क्योंकि टीवी न्यूज के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है। जैसे ही रात को 8 बजे लोगों ने अंजना ओम कश्यप के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले वर्जन को देखा, तो वो हैरान हो गए यह पहचानना मुश्किल हो गया की कौन असली है और कौन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है? कई लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया और अंजना ओम कश्यप ने उन लोगों को रिप्लाई भी किया। एक यूजर ने लिखा अंजना जी आपकी पार्टनर बहुत ही सुंदर हैं, तो उसके जवाब में अंजना ओम कश्यप ने लिखा की हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। एक यूजर ने लिखा,कौन असली है और कौन नकली है यह पहचानना बहुत मुश्किल हो रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले 'आजतक' ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से 'सना' नाम की एंकर को लॉन्च किया था
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राणा यशवंत ने कही ये बड़ी बात भारत और कनाडा के बीच चल रहे तनाव के बीच मोदी सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सेवाएं सस्पेंड कर दी हैं। अगली सूचना तक सेवाएं निलंबित की गई हैं।इससे कनाडा के नागरिक फिलहाल भारत नहीं आ सकेंगे। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने बड़ी बात कही है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, जब आप नहले पर दहला मारने का हौसला और हैसियत पा लेते हैं तो दुनिया संभलकर रहती है। कनाडा वालों के लिए वीजा रोककर सरकार ने भारत की शक्ति जताई। ट्रूडो सरकार का रवैया अगर भारत के हितों के खिलाफ है तो फिर उनके हितों की परवाह भारत को भी नहीं, यह बात मोदी सरकार ने बता दी।
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद को संबोधित करते हुए भारत को खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय दूतावास के एक राजनयिक को भी वापस लौटने का आदेश दिया। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है और कनाडा के एक शीर्ष राजनयिक को पांच दिनों के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया है। इसी बीच हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने शो में कनाडा के पीएम को एक सुझाव दिया है। सुधीर चौधरी ने अपने शो में कहा, क्षेत्रफल में कनाडा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। वहां के ब्रिटिश कोलंबिया जैसे प्रांत में पंजाब के बराबर 19 राज्य बन सकते हैं। कनाडा को वहीं पर खलिस्तान का निर्माण करके तमाम खलिस्तानियों को बसा देना चाहिए। सुधीर ने यह भी कहा कि अगर वो चाहे तो वही 'खालिस्तान' नाम का एक अलग राज्य बनाकर अपनी मंशा पूरी कर सकते हैं। वहां उन्हें वो पूरी सुविधा दे सकते है, उनके रहने का इंतजाम किया जा सकता है और वो यह घोषणा भी कर सकते हैं कि जिसे भी इस राज्य में आकर बसना हो वो रह सकता हैं। इसके जरिए वो 'खालिस्तान' के रहनुमाओं का विश्वास भी जीत सकते हैं और उन्हें अपनी सरकार गिरने के डर भी नहीं होगा।
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कहा- मीडिया के स्व-नियमन के लिए लाएं नई गाइडलाइंस सुप्रीम कोर्ट ने कथित तौर पर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) से टीवी न्यूज चैनलों की निगरानी के स्व-नियामक तंत्र को 'सख्त' बनाने के लिए नई गाइडलाइंस लाने को कहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने NBDA को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया है। पीठ ने उन दलीलों पर ध्यान दिया कि NBDA पहले से ही क्रमशः अपने वर्तमान और पूर्व अध्यक्षों, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए के सीकरी और आर वी रवींद्रन के परामर्श से गाइडलाइंस पर काम कर रहा था। इस बीच, न्यूज ब्रॉडकास्टर फेडरेशन ऑफ इंडिया (NBFI) ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि उसे भी अपने स्वयं के नियम प्रस्तुत करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि यह एनबीडीए के विपरीत, 2022 नियमों के अनुसार केंद्र के साथ पंजीकृत एकमात्र नियामक संस्था है। इस पर सीजेआई ने कहा कि हम चाहते हैं कि स्व-नियामक तंत्र को कड़ा किया जाए। उन्होंने कहा कि सुझावों और दिशानिर्देशों का स्वागत है। सीजेआई ने कथित तौर पर कहा कि हम आपके वैचारिक मतभेदों (एनबीडीए और एनबीएफआई) को यहां नहीं सुलझा सकते। हम नहीं चाहते कि यह याचिका प्रतिद्वंद्वी संगठनों के शोरगुल में खो जाए। हम उनके नियमों को देखेंगे और फिर आपके नियमों को भी देखेंगे।
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हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया डेली लाइव’ ने हाल ही में एक स्टिंग ऑपरेशन किया है। 'लुटेरी लाश' नाम से किए गए इस स्टिंग ऑपरेशन में देश भर के कई राज्यों में फैले मजारों को लेकर संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया गया। ‘इंडिया डेली लाइव’ के अनुसार, उसने इस स्टिंग के माध्यम से लोगों को बताया कि कैसे अवैध मजार बनाने के लिए लाशों का सौदा किया जाता है और अगर लाश ना भी हो तो लोगों को भ्रमित करने के लिए मजार बना दी जाती है और इसमें एक संगठित गिरोह काम करता है।‘इंडिया डेली लाइव’ का कहना है कि चैनल की टीम के अंडरकवर रिपोर्टर्स ने कई दिनों तक ग्राउंड पर जाकर खुफिया कैमरे की मदद से इस स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया। यहां तक कि कैसे इसकी फ्रेंचाइजी दी जाती है, इसका भी पर्दाफाश किया। चैनल के अनुसार, ये स्टिंग ऑपरेशन सोशल मीडिया ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर नंबर1 पर काफी देर तक ट्रेंड भी करता रहा। चैनल पर शनिवार को शाम पांच से सात बजे के बीच प्रसारित 'ऑपरेशन लुटेरी लाश' का देशभर से असर भी देखने को मिला। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस स्टिंग ऑपरेशन को सराहा और इसे चैनल की अच्छी पहल बताया। इसके साथ ही कई अन्य नेताओं ने भी ‘ऑपरेशन लुटेरी लाश’ की तारीफ की और इस मामले में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
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कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्राइम टाइम न्यूज एंकर और ‘आजतक’ न्यूज चैनल के कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में पुलिस को त्वरित कार्रवाई (precipitative action) नहीं करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि सुधीर चौधरी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला है और इसकी जांच की जानी चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह सुधीर चौधरी द्वारा एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर देगी और तब तक हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, सुधीर चौधरी द्वारा स्टे के लिए मांगे गए अंतरिम आदेश को हाई कोर्ट द्वारा मंजूरी नहीं दी गई, क्योंकि हाई कोर्ट ने याचिका को 20 सितंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट करने का आदेश दिया था। अपनी याचिका में चौधरी ने कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम लिमिटेड के सहायक प्रशासनिक अधिकारी शिवकुमार एस की शिकायत के बाद बेंगलुरु के शेषाद्रिपुरम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी। याचिका पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की एकल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथमदृष्टया जांच का मामला बनता है।
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विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए ने तय किया है कि वह अपने किसी भी प्रवक्ता को सुधीर चौधरी सहित 14 पत्रकारों के शो में नहीं भेजेंगे। इस संबंध में आईएनडीआईए की समन्वय समिति ने गुरुवार को एक पत्र जारी कर कहा कि 13 सितंबर को आईएनडीआईए ने अपनी बैठक में निर्णय लिया है कि विपक्षी दलों का संगठन आईएनडीआईए का कोई भी प्रतिनिधि पत्रकार अमन चोपड़ा, प्राची पाराशर, रुबिका लियाकत, चित्रा त्रिपाठी, सुधीर चौधरी, अमीश देवगन, अर्नब गोस्वामी, नविका कुमार, आनंद नरसिम्हन, गौरव सावंत, अदिति त्यागी, सुशांत सिन्हा, अशोक श्रीवास्तव और शिव अरूर के शो में हिस्सा लेने नहीं जाएगा। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि अब नफ़रत की दुकान चलाने वालों का धंधा बंद हो जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने इस लिस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आईएनडीआईए गठबन्धन ने उन पत्रकारों की लिस्ट जारी की है, जिन्होंने ‘चरण चुंबक’ बनने से इनकार कर दिया। अब देखना ये है कि भारत का मीडिया इसका क्या जवाब देता है।
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सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि आकाशवाणी न्यूज और दूरदर्शन ने जी-20 शिखर सम्मेलन की कवरेज का सराहनीय कार्य किया है। डीडी न्यूज से बातचीत में अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि दूरदर्शन ने अल्ट्रा हाई डेफिनिशन फॉर के प्रसारण प्रौद्योगिकी वाले कैमरों के इस्तेमाल के माध्यम से विश्व भर के दर्शकों को सम्मेलन का लाइव प्रसारण दिखाया। आकाशवाणी न्यूज से बातचीत करते हुए प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी नेकहा कि दूरदर्शन ने जी20 सम्मेलन के लिए 80 से अधिक कैमरे लगाए थे और सवा तीन सौ से अधिक कर्मचारियों को तैनात किया गया था। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया को उनकी आवश्यकता के अनुसार फुल एचडी, एचडी और 4K फीड उपलब्ध कराई गई।
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सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि आकाशवाणी न्यूज और दूरदर्शन ने जी-20 शिखर सम्मेलन की कवरेज का सराहनीय कार्य किया है। डीडी न्यूज से बातचीत में अपूर्व चन्द्रा ने कहा कि दूरदर्शन ने अल्ट्रा हाई डेफिनिशन फॉर के प्रसारण प्रौद्योगिकी वाले कैमरों के इस्तेमाल के माध्यम से विश्व भर के दर्शकों को सम्मेलन का लाइव प्रसारण दिखाया। आकाशवाणी न्यूज से बातचीत करते हुए प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी नेकहा कि दूरदर्शन ने जी20 सम्मेलन के लिए 80 से अधिक कैमरे लगाए थे और सवा तीन सौ से अधिक कर्मचारियों को तैनात किया गया था। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया को उनकी आवश्यकता के अनुसार फुल एचडी, एचडी और 4K फीड उपलब्ध कराई गई।
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार 7 सितंबर को पत्रकारों के सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के हित में कई बड़ी घोषणाएं की। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की बात कही है। दरअसल इसके लिए पहले तो वरिष्ठ पत्रकारों की कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी द्वारा प्राप्त सुझावों के आधार पर ही कानून बनाया जाएगा।अधिमान्यता प्राप्त बुजुर्ग पत्रकारों को अब प्रतिमाह दस हजार के स्थान पर बीस हजार रुपए सम्मान निधि दिए जाने की बात भी सीएम ने कही है। इसके अतिरिक्त पत्रकार भवन के नए स्वरूप में स्टेट मीडिया सेंटर का निर्माण किया जाएगा। साथ ही स्टेट मीडिया सेंटर में प्रेस कान्फ्रेंस के लिए सभागार की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार सुबह पत्रकार समागम में कहा कि पत्रकार और मीडिया लोकतंत्र का आधार स्तंभ हैं। वे जनता की आवाज को सबके सामने लाते हैं। मध्य प्रदेश सरकार पत्रकारों के हितों के लिए संकल्पबद्ध है। पत्रकारों के कल्याण के लिए पत्रकार बीमा सहित कई योजनाएं सरकार द्वारा संचालित की जा रही हैं। अब बीमारी की स्थिति में पत्रकारों की आर्थिक सहायता बढ़ाई जाएगी। बीमा के प्रीमियम का वहन मध्य प्रदेश सरकार करेगी। यह ऐलान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार सुबह पत्रकार समागम में किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकारों की सम्मान निधि दस हजार रुपए से बढ़कर बीस हजार रुपए की जाएगी। सम्मान निधि प्राप्त करने वाले पत्रकारों के स्वर्गवास पर उनकी पत्नी/पति को एकमुश्त आठ लाख रुपए दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को आवास ऋण ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत अधिकतम ऋण की सीमा को 25 लाख से बढ़कर 30 लाख रुपए किया जाएगा। अधिमान्य पत्रकार के बेटे/बेटियों की शिक्षा के लिए अगर कोई बैंक से लोन लेता है, तो 5 साल तक राज्य सरकार उस ब्याज पर 5% अनुदान देगी। इतना ही नहीं, सरकार ने यह भी ऐलान किया कि छोटे कस्बों शहरों के पत्रकारों को आवश्यकता के अनुसार भोपाल में डिजिटल पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। यह प्रशिक्षण माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सहयोग से दिया जाएगा। पत्रकार सोसाइटियों को जमीन देकर उनके लिए कॉलोनी की व्यवस्था की जाएगी। सीएम ने कहा कि बीमा कंपनी ने इस बार प्रीमियम में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। बढ़ी हुई प्रीमियम राशि राज्य सरकार वहन करेगी। 65 साल से अधिक के उम्र के सीनियर पत्रकारों और उनके जीवन साथी की संपूर्ण प्रीमियम राशि सरकार भरेगी। इसके लिए बीमा प्रीमियम की तिथि 16 सितंबर से बढ़ाकर 25 सितंबर कर रहे हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार और ‘दूरदर्शन’ (DD) में सीनियर कंसल्टिंग एडिटर अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि आज के दौर में वैश्विक स्तर पर भारत का मीडिया कहां खड़ा होता है, हमें इस पर चिंतन करने की जरूरत है। अशोक श्रीवास्तव ‘बदलते परिदृश्य में मीडिया: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर समाचार4मीडिया की ओर से आयोजित ‘मीडिया संवाद 2023’ को बतौर प्रमुख वक्ता संबोधित कर रहे थे।इस मौके पर अशोक श्रीवास्तव का कहना था, ‘आज हम अर्थव्यवस्था के मामले में ब्रिटेन से आगे निकल गए हैं। ऐसे में मेरे मन में एक सवाल आता है कि आज भारत का कोई ऐसा मीडिया संस्थान क्यों नहीं है, जिसे हम सही मायने में वैश्विक मीडिया कह सकें। जो दुनिया में भारत की बात रख सके और भारत का दृष्टिकोण रख सके।’इसके साथ ही अशोक श्रीवास्तव का यह भी कहना था, ‘आज टीआरपी की बात होती है, वो टीआरपी कुछ और नहीं बल्कि हम और आप हैं। हमारे हाथ में टीवी का रिमोट है और हम जो देखना चाहते हैं, वह देख सकते हैं।’ इसके अलावा भी अशोक श्रीवास्तव ने मीडिया को लेकर तमाम चुनौतियों और संभावनाओं पर अपनी बात रखी। एक्सचेंज4मीडिया (।exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से एक सितंबर 2023 को पर्दा उठ गया। राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह के मुख्य आतिथ्य में दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के सेमिनार हॉल- 1, 2 और 3 में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। इससे पहले सुबह नौ बजे से ‘मीडिया संवाद 2023’ का आयोजन किया गया, जिसके तहत विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था।यह इस कार्यक्रम का दूसरा एडिशन था। अपने दूसरे साल में ही हमें प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल से जुड़े युवा पत्रकारों की ओर से तमाम एंट्रीज प्राप्त हुई थीं। विभिन्न मापदंडों के आधार पर इनमें से करीब 94 पत्रकारों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसके बाद 20 मई 2023 को हुई वर्चुअल ‘जूरी मीट’ में हमारे प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने तमाम स्तरों पर मूल्यांकन के बाद समाचार4मीडिया ‘पत्रकारिता 40 अंडर 40’ सूची के लिए इनमें से 40 पत्रकारों का चयन किया था, जिनके नामों की घोषणा एक सितंबर को आयोजित कार्यक्रम में की गई।
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जाने माने न्यूज एंकर राहुल शिवशंकर ‘नेटवर्क18’ समूह के साथ जुडने जा रहे है । नेटवर्क18 के साथ जुडने पर उन्होने कहा की मैं नेटवर्क18 के साथ काम करने को लेकर बहुत उत्साहित हूं जो लोगों को सच बताने वाले तथ्यों की रिपोर्टिंग करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण देश का प्रभावशाली न्यूज नेटवर्क बन गया है बता दें कि इस समूह के पास CNN-News18, News18 India, CNBCTV18, CNBC Aawaz और News18 रीजनल चैनल्स जैसे देश के प्रमुख न्यूज ब्रैंड्स हैं। इसके अलावा इसके पास Moneycontrol, Firstpost, News18.com जैसे प्रमुख डिजिटल न्यूज ब्रैंड्स भी हैं। समूह में राहुल शिवशंकर का स्वागत करते हुए नेटवर्क18 के सीईओ (डिजिटल) और प्रेजिडेंट (कॉरपोरेट स्ट्रैटेजी) पुनीत सिंघवी का कहना है, ‘राहुल काफी विशेष पत्रकार और संपादक हैं, जिनका दर्शकों से खास जुड़ाव है। वह लगभग दो दशकों तक प्राइम टाइम टीवी पत्रकारिता का चेहरा और एक प्रमुख स्तंभकार रहे हैं। उनका काम टीवी और डिजिटल दोनों पर हमारे कवरेज में एक नया आयाम जोड़ेगा।’ बता दें कि राहुल शिवशंकर को प्रिंट और टीवी पत्रकारिता में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। राहुल शिवशंकर ने 1990 के दशक के मध्य में प्रिंट मीडिया में बतौर रिपोर्टर अपना करियर शुरू किया था। इसके बाद वर्ष 2003 में वह ‘हेडलाइंस टुडे’ (Headlines Today) की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बने और इसके बाद जल्द ही चैनल में मुख्य राइटर की भूमिका संभाल ली। पत्रकारिता में उनके कौशल को देखते हुए उन्हें जल्द ही ‘हेडलाइंस टुडे’ में एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर प्रमोट कर दिया गया। इसके बाद राहुल शिवशंकर का अगला पड़ाव ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) था। शिवशंकर इस चैनल की लॉन्चिंग टीम में शामिल रहे और जल्द ही चैनल पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले एंकरों में से एक बन गए। मुंबई में वर्ष 2008 में हुए आतंकी हमलों की लगातार कवरेज के कारण उन्हें काफी प्रशंसा मिली। इसके साथ ही राहुल शिवशंकर ने इसके बारे में एक किताब भी लिखी है। वर्ष 2024 के चुनावों पर पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा उनकी एक किताब जल्द ही मार्केट में आने वाली है।
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रीजनल न्यूज चैनल की दिशा में NDTV तेजी से अब अपने पंख फैला रहा है। इस कड़ी में NDTV अब अपने भरोसे की विरासत को लेकर राजस्थान पहुंच गया है। समूह ने अब 'NDTV राजस्थान' नाम से एक और रीजनल चैनल लॉन्च किया है। न्यूज ब्रॉडकास्टर एनडीटीवी का ये दूसरा रीजनल चैनल है। पिछले महीने समूह ने 'NDTV मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़' लॉन्च किया था। NDTV समूह के मुताबिक, प्रदेश में 'NDTV राजस्थान' प्रदेशवासियों के समक्ष महज राजनीति तक सीमित न रहने के वादे के साथ समूह की 35 वर्षों की पत्रकारिता के बेमिसाल अनुभव पर आधारित खबरें लेकर हर पल हाजिर रहेगा। वीर भूमि के दर्शकों के लिए 'एनडीटीवी राजस्थान' की ये प्रतिबद्धता रहेगी कि उन्हें खबरें सिर्फ जयपुर से न मिलें बल्कि पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक प्रदेश के हरेक कोने से जनता की आवाज उठाई जाएगी। राजस्थान में एनडीटीवी के बैनर तले 5 सितंबर से शुरू हुआ ये खबरों का सिलसिला युवा, बच्चे-महिला, बुजुर्ग, जलवायु और गांव-शहरों से सीधे जुड़े स्थानीय मुद्दों को लेकर अनवरत जारी रहेगा। जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान दर्शक एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट, चुनावी समझ और विश्लेषण की लंबी विरासत से भरपूर कवरेज प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा, चैनल राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, इतिहास, गीत-संगीत, नृत्य, भाषा और उद्यमिता को भी समेटे रहेगा। एनडीटीवी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया का कहना है, ‘राजस्थान में रीजनल चैनल लॉन्च करने का हमारा निर्णय प्रदेश की जनता को स्थानीय और उनके लिए प्रासंगिक खबरें पेश करने की चाह से प्रेरित है। हमारे रिपोर्टर, स्ट्रिंगर यह सुनिश्चित करेंगे कि राजस्थान का हरेक गांव, शहर राजधानी से अलग-थलग न महसूस करें।'
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(प्रवीण कक्कड़) शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को सम्मान देने की परंपरा है, छात्र ही नहीं बल्कि समाज का हर तबका शिक्षक को सम्मान देता है। बड़े से बड़ा अधिकारी और राजनेता भी शिक्षक को सम्मानित करते हैं। इसकी बुनियाद में सबसे बड़ा कारण यह है कि शिक्षक ही राष्ट्र का प्रथम निर्माता है। यदि माता को प्रथम शिक्षक कहा गया है तो शिक्षक को प्रथम राष्ट्र निर्माता कहा जा सकता है। शिक्षक कभी साधारण नहीं होता प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं। चाणक्य के उक्त वचन को प्रत्येक शिक्षक दिवस पर दोहराया जाता है। क्योंकि इससे शिक्षक की असाधारण विशेषता परिलक्षित होती है। लेकिन चाणक्य का यह कथन आज के दौर में सत्य और प्रासंगिक सिद्ध हो रहा है। हम देख रहे हैं कि जो राष्ट्र आगे बढ़े हैं, जहां ज्ञान - विज्ञान की प्रगति हुई है, जहां का समाज सुदृढ़ हुआ है, वहां शिक्षकों का सम्मान है और महत्व भी है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रपति अपने बच्चों के शिक्षकों से समय लेकर मिलता है। स्वीडन जैसे देश में यदि किसी सभा में शिक्षक उपस्थित है तो उसे सबसे पहले सम्मान दिया जाता है। फ्रांस, पोलैंड, जर्मनी, जापान जैसे देशों में समाज में सर्वोच्च स्थान शिक्षकों को प्राप्त है। स्वयं आचार्य चाणक्य ने जब मगध में एक शक्तिशाली साम्राज्य की नींव रखी तो शिक्षकों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बल्कि मगध की धनानंद की सत्ता को तो शिक्षकों की उपेक्षा के कारण ही चाणक्य ने उखाड़ फेंका था। क्योंकि चाणक्य जानते थे कि जिस समाज में शिक्षक महत्वपूर्ण नहीं होगा वह समाज पतन की तरफ अग्रसर हो जाएगा। आज भारत का चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर पहुंच चुका है। बल्कि हम तो वह पहले देश भी बन गए हैं जिसने पहली बार चंद्रमा के उसे क्षेत्र में कदम रखा है, जहां पर कोई पहले नहीं पहुंच सका। इस अभूतपूर्व उपलब्धि का सबसे बड़ा श्रेय इस देश के शिक्षकों को जाता है। जिन्होंने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इंजीनियर्स को अपनी कक्षाओं में पढ़ाया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों को सही दिशा दी। उनके हाथ में कलम थमाई और कलम ने कमाल कर दिया। एक छात्र के कोरे मस्तिष्क को कैनवास मानकर उसे पर सर्वोत्तम चित्र अंकित करने वाला शिक्षक ही राष्ट्र का असली निर्माता है। कैनवास को कुरूप और वीभत्स भी किया जा सकता है और सुंदर भी बनाया जा सकता है। सृष्टि ने मां को सर्वोच्च शक्ति दी है कृतित्व की। मां अपने गर्भ में संतान की रचना करती है। और शिक्षक अपने क्लास रूम में उस संतान को श्रेष्ठ नागरिक बनाते हैं। शिक्षक का कृतित्व भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मां का कृतित्व। इन दोनों रचनाकारों के अवदान को यह समाज कभी विस्मृत नहीं कर सकता। इसलिए जो शिक्षक छात्र के मस्तिष्क के कैनवास पर सर्वश्रेष्ठ चित्र बना सकता है वह निर्माण और विध्वंस दोनों में ही समर्थ है। हमारे शिक्षक अच्छे छात्रों को तैयार करें और उन्हें सही दिशा दिखाएं ताकि देश प्रलय की तरफ नहीं निर्माण की तरफ बढ़ सके और भारत एक विकसित, सशक्त, शक्तिशाली राष्ट्र बन सके। यही इस शिक्षक दिवस की कामना है और यही शिक्षक दिवस का सबसे बड़ा लक्ष्य है। समस्त राष्ट्र निर्माता शिक्षकों को बारंबार प्रणाम।
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समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40 की प्रतिष्ठित जूरी के सदस्य और ‘एनडीटीवी’ में कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी का कहना है कि समय के साथ पत्रकारिता का स्वरूप तो बदल सकता है, लेकिन पत्रकारिता को कोई खतरा नहीं है और यह हमेशा बनी रहेगी। सुमित अवस्थी एक सितंबर को समाचार4मीडिया की ओर से आयोजित ‘मीडिया संवाद 2023’ को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।‘मीडिया संवाद 2023’ में ‘बदलते परिदृश्य में मीडिया: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय अपनी बात रखते हुए सुमित अवस्थी का कहना था, ‘आज के दौर में चुनौतियां बहुत हैं, लेकिन ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसे जीता नहीं जा सकता। परेशानियां, मीडिया का बदलता परिदृश्य, टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया, अखबार, मैगजीन, प्रिंट और डिजिटल होता रहा है और होता रहेगा। हो सकता है कि दो साल या पांच साल बाद मुझे इस मंच पर फिर आने का मौका मिले, तब तक कोई नया शिगूफा आ चुका हो और हम उस पर चर्चा कर रहे हों। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तो मानकर चल रहा हूं कि यह आ ही चुका है। मैं उसके आगे की बात कर रहा हूं। चैट जीपीटी तो चल ही रहा है। अब तो चैट जीपीटी का तोड़ लाने की तैयारी भी चल रही है।’सुमित अवस्थी का कहना था, ‘चुनौतियां और परेशानियां तो बनी रहेंगी, लेकिन पत्रकारिता कहीं जाने वाली नहीं है, क्योंकि लोगों के अंदर जानने की जिज्ञासा हमेशा बनी रहेगी।’
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अमीश देवगन जन्म 01 मार्च 1984 को नई दिल्ली में हुआ था। मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा पूरा करने के बाद, अमिश देवगन 2002 में डेस्क रिपोर्टर के रूप में हिंदुस्तान टाइम्स में शामिल हो गए. उसके एक साल बाद, वे ज़ी मीडिया में एक बिजनेस रिपोर्टर के रूप में शामिल हुए। Zee ग्रुप ने 2005 में अपना एक्सक्लूसिव बिजनेस चैनल Zee Business शुरू किया था और अमिश की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें प्राइम टाइम एंकर के रूप में चुना गया। अमिश शादीशुदा है और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ नोएडा में रहते है। अमिश को इस फिल्ड में काफी तजुर्बा हो चूका है। अमिश देवगन को कभी कभी हिंदी वाला अर्नब गोस्वामी भी कहते है। क्योंकि वे अर्नब की तरह ही डिबेट शो करते है। अमिश अपने डिबेट शो (आर-पार) की वजह से और सुर्खियों में आने लगे।
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सुशांत सिन्हा ने पूछा ये बड़ा सवाल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शराब कारोबारी अमनदीप ढल द्वारा पांच करोड़ रुपए के कथित भुगतान के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक पवन खत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। ढल दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में कथित तौर पर मदद चाहता था। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने ट्वीट कर एक बड़ा सवाल पूछा है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, दिल्ली शराब घोटाले के मामले में CBI ने ED के ही अधिकारी और कर्मचारियों पर एक आरोपी को बचाने के नाम पर रिश्वत लेने के आरोप में FIR दर्ज कर ली है। इससे ये तो साफ हो गया कि ED या CBI सिर्फ नेता नहीं बल्कि अपने लोगों को भी नहीं छोड़ती अगर मामला बने। लेकिन सवाल तो ये कि केजरीवाल जी तो कहते हैं कि घोटाला हुआ ही नहीं तो फिर (आरोप के मुताबिक) एक शराब कारोबारी गिरफ्तारी से बचने के लिए 5 करोड़ रुपए की रिश्वत देने को क्यों तैयार हुआ? उसे ऐसा क्यों लगा कि उस तक गिरफ्तारी का संकट पहुंचेगा ही पहुंचेगा। कुछ किया नहीं, कुछ हुआ नहीं तो गिरफ्तारी से बचने के लिए इतनी मोटी रकम कोई देने को क्यों तैयार हुआ भई? इन सवालों का जवाब कब मिलेगा?
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अमन चोपड़ा एक भारतीय पत्रकार और समाचार एंकर हैं। वह भारत के बेहतरीन टेलीविजन पत्रकारों और एंकरों में से एक हैं। राजनीतिक खबरों पर उनकी अच्छी पकड़ है और वह राजनीतिक डिबेट शो होस्ट करते हैं। उनके पास पत्रकारिता में बीस वर्षों से अधिक का अनुभव है। अमन चोपड़ा का जन्म 07 दिसंबर 1985 को भारत की राजधानी दिल्ली में हुआ था। अमन चोपड़ा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई रविंद्र पब्लिक स्कूल पीतमपुरा दिल्ली से की, उसके बाद आगे पढ़ाई टेक्निया इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन किया। इनके अलावा जनसंपर्क में स्नातकोत्तर डिप्लोमा करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में भाग लिया। बाद में Aman Chopra ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में MA किया। अमन चोपड़ा ने अपने कैरियर की शुरुआत अपने कॉलेज के टाइम से ही कर दी थी कॉलेज के दिनों में Aman Chopra एक थिएटर आर्टिस्ट थे इन्होंने उस समय कई नाटकों में हिस्सा लिया तथा स्वतंत्र पत्रकारिता के तौर पर काम भी किया। अमन चोपड़ा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ ही प्रिंट मीडिया से अपनी पत्रकारिता की जर्नी को शुरू कि और एक पीआर एजेंसी में काम करने लग गई। इसके साथ ही Aman Chopra इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ आ गए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आने के बाद इन्होंने सबसे पहले IBN7 (अब News18 India) में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर काम कर रहे है।
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अंजना ओम कश्यप भारत की एक वरिष्ठ पत्रकार और समाचार प्रस्तोता है। वह आज तक समाचार चैनल की एक कार्यकारी संपादक है। वह भारत के सबसे सफल और प्रसिद्ध पत्रकारों में से एक है। अंजना का जन्म 12 जून 1975 को झारखंड के रांची शहर में हुआ था। अंजना ने अपनी स्कूल की पढाई लॉरेटो कॉन्वेन्ट स्कूल, रांची से की थी। और कॉलेज की पढाई दौलत राम कॉलेज, जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई थी। 2002 से अंजना ने जनियाँ से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की और 2003 उन्होंने पत्रकारिता प्रारंभ कर दिया। अंजना का सफर दूरदर्शन के कार्यक्रम आंखों देखी से शुरू हुआ। उसके बाद वो जी न्यूज़, News24 और स्टार न्यूज़ के साथ भी जुड़ी, पर उनके आज तक काफी लकी साबित हुआ आज तक में अंजना को जर्नलिस्ट्स से स्टार जनरलिस्ट बनाया। वह अपने ब्राह्मणवादी पालन-पोषण और मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद प्रचलित सामाजिक तनावों का योगदान कारकों के रूप में उल्लेख करती हैं।उन्होंने पहले अन्य हिन्दी चैनलों में बड़ी बहस और दो टूक जैसे बहस कार्यक्रमों की मेजबानी की है।
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एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की जा रही 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से एक सितंबर 2023 को पर्दा उठ जाएगा। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के सेमिनार हॉल- 1, 2 और 3 में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। बता दें कि पुरस्कार वितरण समारोह से पहले 'मीडिया संवाद 2023' कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। एक सितंबर को सुबह नौ बजे से होने वाले इस कार्यक्रम में विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल होगा। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर भूपेंद्र चौबे भी शामिल होंगे। पत्रकारिता जगत में भूपेंद्र चौबे के सफर की बात करें तो उन्होंने एक रिपोर्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी और अपनी मेहनत व काबिलियत के दम पर एक न्यूज चैनल के प्रमोटर तक का सफर तय किया है। भूपेंद्र चौबे ने पत्रकारिता में अपना करियर सितंबर 1999 में ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में बतौर रिपोर्टर शुरू किया। वर्ष 2005 में उन्होंने यहां अपनी पारी को विराम दे दिया और ‘सीएनएन आईबीएन’ (CNN IBN) की टीम में शामिल हो गए। ‘सीएनएन News18’ (पूर्व में ‘सीएनएन आईबीएन’) में अपनी करीब 15 साल लंबी पारी के दौरान अपनी प्रतिभा के दम पर वह यहां एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद तक पहुंच गए। पिछले दो दशकों से भी अधिक समय में उन्होंने तमाम बड़ी स्टोरीज को दर्शकों के सामने रखा है और एक निष्पक्ष व खरी-खरी कहने वाले प्राइम टाइम एंकर के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पिछले डेढ़ दशक में वह तमाम प्रमुख राजनेताओं समेत कई जानी-मानी शख्सियतों का इंटरव्यू कर चुके हैं।
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नौकरी की तलाश में जुटे पत्रकारों के लिए यह खबर काफी काम की है। दरअसल, ‘श्रेयमन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड’ कंपनी के बैनर तले लॉन्च हुए नेशनल डिजिटल न्यूज चैनल ‘रिपोर्टर जी’ में कई पदों पर वैकेंसी है।इसके तहत ‘रिपोर्टर जी’ द्वारा एंकर (तीन पद) और कंटेंट राइटर (तीन से चार पद) के अलावा डिजिटल टीम को हैंडल करने (दो पद) के लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इन पदों पर नियुक्ति के लिए फ्रेशर्स भी अप्लाई कर सकते हैं। इच्छुक आवेदक अपना अपडेटेड रिज्युमे reporterji.in@gmail.com पर भेज सकते हैं। बता दें कि इस डिजिटल न्यूज चैनल का ऑफिस और स्टूडियो दिल्ली से सटे गुरुग्राम के सुशांत लोक इलाके में बनाया गया है। इस चैनल की जिम्मेदारी लता सिंह संभाल रही हैं। लता सिंह को विभिन्न नेशनल न्यूज चैनल्स समेत पत्रकारिता जगत में काम करने का लंबा अनुभव है।
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मुसलमानों का पढ़ना बहुत जरूरी है यूपी के मुजफ्फरनगर से हैरान करने वाला वीडियो सामने आया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि स्कूल चलाने वाली महिला टीचर क्लास के दूसरे बच्चों से एक मुस्लिम छात्र को पिटवा रही हैं। तृप्ता एक-एक कर जमीन पर बैठे छात्रों को बुलाती हैं और अपने पास खड़े छात्र के गाल पर उन लोगों से चांटा मारने को कहती हैं। दूसरे छात्र लाइन से आ रहे हैं और खड़े हुए लड़के के गाल पर जोरों से चांटा जड़ रहे हैं। इस पूरी घटना पर वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ये तस्वीरें किसी भी मां को अंदर से कचोट कर रख सकती हैं। जब एक टीचर इतना घिनौना काम करती है तो दुख बढ़ना लाजमी है। तृप्ति त्यागी नाम की इस महिला को मुसलमान बच्चों से कुछ खास नफरत लग रही है। एक मासूम बच्चा रोता-बिलखता क्लास के सामने खड़ा है और एक-एक कर बच्चे आकर उसे पीट रहे हैं। मामला मुजफ्फरनगर के नेहा पब्लिक स्कूल का है। पिता ने केस दर्ज करवाने से इनकार कर दिया है। कह रहे हैं कि मामला सुलझ गया है लेकिन इस महिला को पढ़ाने का कोई हक नहीं होना चाहिए। इस देश को आगे बढ़ना है तो मुसलमानों का पढ़ना बहुत जरूरी है और उनकी पढ़ाई में बाधा डालने वाला देश का भला नहीं कर सकता।
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नस्लीय भेद का जहर आज भी इनके खून में चंद्रयान-3 की सफलता के बाद से विदेशी मीडिया में भारत को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। इसी बीच बीबीसी का चार साल पुराना एक वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। यह चंद्रयान-2 के समय का है जिसे भारत ने 2019 में छोड़ा था। वीडियो में बीबीसी एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए। इस वीडियो के वायरल होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, इंग्लैंड के राजा के साम्राज्यवादी टीवी चैनल, बीबीसी के इस एंकर की भाषा अहंकार की है। भारत के मून मिशन और चंद्रयान की सफलता ने इनके नस्लीय अहंकार को कुचला है। इनका दर्द स्वाभाविक है। एंकर कहता है की भारत मून मिशन पर इतना पैसा क्यों खर्च कर रहा है। भारत तो गरीब देश है। दरअसल ये कुंठा किसी लुटेरे साम्राज्य की सोच का हिस्सा है।200 साल तक भारत की धन संपदा लूटकर इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था चलाने वाली सोच भिखमंगो की होती है। नैतिकता का झूठा लबादा ओढ़े इन अनैतिक लोगों ने भारत से कभी माफी नहीं मांगी, जो लूट पाट, हिंसा, युद्ध, कत्लेआम किया। इन एंकर महोदय के बाप दादा भी शायद भारत से लूट कर ले जाए गए पैसों से पले होंगे लेकिन नस्लीय भेद का जहर आज भी इनके खून, सोच और दिमाग में भरा है।बीबीसी को माफी मांगनी चाहिए। बता दे, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है।
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विनोद अग्निहोत्री ने देश के वैज्ञानिकों को किया नमन 40 दिन का भारत का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ। पृथ्वी से चंद्रमा तक 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर कामयाबी के साथ उतर गया। इसी के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने ट्वीट कर देश के महान वैज्ञानिकों को नमन किया। उन्होंने लिखा, चांद पर भारत ने रचा इतिहास। आज इस ऐतिहासिक उपलब्धि में आजादी के बाद से अब तक के समस्त वैज्ञानिकों की प्रतिभा नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व के योगदान को कोटिशः साधुवाद। संपूर्ण देशवासियों को बधाई। इसरो से शुरू हुई भारत की अंतरिक्ष यात्रा में आर्यभट्ट ,भास्कर कई उपग्रहों का प्रक्षेपण राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा भारतीय चंद्रयान-1 मंगलयान प्रक्षेपण अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के उतरने तक कई उपलब्धियां हैं। ये मुकाम हैं मंजिल नहीं। देश आगे बढ़ता रहेगा। आज कल्पना चावला को याद करने राकेश शर्मा और सुनीता विलियम्स को बधाई देने और भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डा.विक्रम साराभाई और इससे जुड़े रहे सभी वैज्ञानिकों को नमन करने का दिन है। ये सभी हमारे राष्ट्रीय गौरव और नायक हैं। जय हिन्द वंदे मातरम्।
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बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए अपना अभियान शुरू कर दिया है। सोमवार को स्वर्गीय कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर अलीगढ़ में आयोजित रैली में विषय भी स्पष्ट था और लक्ष्य भी। पार्टी ने हिन्दू गौरव दिवस का आयोजन किया। इस मौके पर बीजेपी ने एक मंच पर सभी जातियों के नेताओं को इकट्ठा किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिमंडल के तमाम सदस्यों के अलावा, दिल्ली से गृह मंत्री अमित शाह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, संजीव बालियान और बी. एल. वर्मा भी पहुंचे। अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह के सारे सपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे किए हैं।कल्याण सिंह चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, वो हो रहा है। कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग को उनका हक देना चाहते थे, नरेन्द्र मोदी वही काम कर रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह ने पहली बार बीजेपी को यूपी में 80 में से 73 सीटें जितवाईं, अब 2024 में यूपी की सभी 80 सीटों पर बीजेपी को जिताना है। यही कल्याण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अमित शाह ने 80 सीटों का लक्ष्य घोषित किया। मुद्दा हिन्दुत्व होगा, राम मंदिर का निर्माण होगा और बीजेपी की कोशिश होगी कि जात-पांत भूलकर सभी को हिन्दुत्व के मुद्दे पर एकजुट किया जाए। बहुत से लोग कह रहे हैं कि बीजेपी की निगाह अब पिछड़े वर्ग के वोट पर है। बीजेपी पिछड़े नेताओं को आगे करेगी, पिछड़े वर्ग की बात करेगी। चूंकि कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग के बड़े नेता थे इसीलिए बीजेपी ने उनकी पुण्य तिथि पर इतना भव्य प्रोग्राम किया, लेकिन यदि आप अमित शाह, योगी और दूसरे नेताओं की बात सुनेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी की रणनीति इससे अलग है।अलीगढ़ में आज बीजेपी ने अपने नेताओं की पूरी फौज उतार दी थी। कल्याण सिंह की पुण्य तिथि पर सभी छोटे बड़े नेता पहुंचे, अगड़ी, पिछड़ी और दलित, सभी जातियों के नेता शामिल हुए। अमित शाह और योगी के अलावा वसुन्धरा राजे, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, मंत्री अनिल राजभर, मंत्री संदीप सिंह, स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री जतिन प्रसाद, और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मंच पर मौजूद थे।
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत को अब कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य नियुक्त किया गया है। बता दें कि 2022 में कांग्रेस ने सुप्रिया श्रीनेत को अपने कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट में सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्म का चेयरपर्सन नियुक्त किया था। पांच साल से भी कम समय में सुप्रिया श्रीनेत के राजनीतिक करियर में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। उन्होंने महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र से 2019 का भारतीय आम चुनाव (लोकसभा चुनाव) लड़ा था। राजनीति में आने से पहले सुप्रिया श्रीनेत ने प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 18 साल योगदान दिया। उन्होंने 2001 में 'इंडिया टुडे' के साथ स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट के तौर पर अपना करियर शुरू किया और बाद में 2004 में असिसटेंट एडिटर के तौर पर 'एनडीटीवी' में शामिल हो गईं। 'ET नाउ' के साथ उनका कार्यकाल 2008 में बतौर चीफ एडिटर (न्यूज) शुरू हुआ। उसी वर्ष, उन्हें 'ET नाउ' में पॉलिसी एडिटर व एग्जिक्यूटिव एडिटर के बनाया गया। राजनीति में उतरने का फैसला करने से पहले उन्होंने एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर अपने दस साल पूरे कर लिए थे।
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जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने अपने नए सफर का आगाज पिछले दिनों दैनिक भास्कर की डिजिटल विंग से किया है। उन्हें यहां डिजिटल विंग का मैनेजिंग एडिटर बनाया गया है। अभी तक वह यूएस-यूके आधारित थिंकटैंक 'ग्लोबल पॉलिसी इनसाइट्स' (जीपीआई) के इंडिया चैप्टर में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। साथ ही साथ वह इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल 'न्यूजतक' में कंसल्टेंट की भूमिका भी निभा रहे थे। बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने मई 2016 में ‘एबीपी न्यूज‘ बतौर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया था। 2019 में उन्होंने 'एबीपी गंगा' को बतौर एडिटर लॉन्च कराया था। 2021 में 'एबीपी गंगा' छोड़कर वह एबीपी ग्रुप में एडिटर-एट-लॉर्ज बन गए। ‘एबीपी न्यूज‘ से पहले राजकिशोर देश के बड़े हिंदी अखबारों में शामिल ‘दैनिक जागरण‘ से जुड़े हुए थे, जहां वह नेशनल चीफ ऑफ ब्यूरो के पद पर कार्यरत थे। ‘दैनिक जागरण‘ में 15 राज्यों के 42 संस्करणों के लिए राष्ट्रीय ब्यूरो का नेतृत्व करने वाले राजकिशोर न सिर्फ 15 राज्यों के स्टेट यूनिट्स के साथ समन्वय का काम देखते थे, साथ ही दैनिक जागरण के नेशनल इनपुट प्लान से लेकर जागरण डॉट कॉम, नई दुनिया तक के लिए नेशनल इश्यूज की खबरों को जुटाने वाली पूरे नेशनल ब्यूरो की अगुआई करते थे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विस्तृत इंटरव्यू भी कर चुके हैं, जो हिंदी मीडिया में पीएम का पहला इंटरव्यू था।करीब दो दशक से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे राजकिशोर ने 2003 में ‘दैनिक जागरण‘ जॉइन किया था। यहां के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पीएमओ, बीजेपी, संघ परिवार, प्रेजिडेंट हाउस, कांग्रेस, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय समेत कई बीट्स पर काम किया है। ‘दैनिक जागरण‘ से पहले राजकिशोर ‘अमर उजाला‘ के साथ कानपुर में बतौर चीफ रिपोर्टर भी काम कर चुके हैं। वह वर्ष 2000 में ‘अमर उजाला‘ की पंजाब और हरियाणा लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार श्रुतिजीत केके ने अंग्रेजी के बिजनेस अखबार ‘मिंट’ (Mint) के साथ अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह यहां बतौर एडिटर-इन-चीफ अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने शुक्रवार को अपनी टीम को लिखे एक लेटर में इस बारे में घोषणा की है। अपने लेटर में उन्होंने लिखा है, ‘यहां मेरा कार्यकाल संभवत: सितंबर के आखिर तक होगा।’बता दें कि श्रुतिजीत ने नवंबर 2020 में ‘मिंट’ जॉइन किया था। इस अखबार के साथ श्रुतिजीत की यह दूसरी पारी थी। वर्ष 2007 में जब यह अखबार लॉन्च हुआ था, तब श्रुतिजीत इसकी फाउंडिंग टीम के मेंबर थे। उन्होंने इसके रिपोर्टर के तौर पर भी काम किया था।उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, वह ‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर अपनी नई पारी शुरू कर सकते हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।अपने नए कदम के बारे में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के साथ बातचीत में श्रुतिजीत केके ने कहा, ‘जैसा कि मैंने कल अपने सहयोगियों को सूचित किया था कि मैंने लगभग तीन वर्षों के कार्यकाल के बाद मिंट के एडिटर-इन-चीफ के रूप में पद छोड़ दिया है। अपने अगले कदम के बारे में फिलहाल मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा।’श्रुतिजीत को प्रिंट के साथ डिजिटल में काम करने का अनुभव है। उन्होंने ‘डीएनए’ (DNA) अखबार के साथ अपना करियर शुरू किया था। वह इसकी लॉन्चिंग टीम में शामिल थे।पूर्व में वह ‘ईटी मैगजीन’,‘हफपोस्ट’के इंडिया एडिशन के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह ‘एप्पल इंक’ में इंडिया ऐप के स्टोर एडिटर के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
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डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अधिकतर भारतीय मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए हैं, जिसका एक उदाहरण कश्मीर घाटी में देखा जा सकता है जहां अधिकांश कश्मीरी पंडितों ने इस्लाम धर्म अपना लिया।जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'भारत में अधिकतर मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए हैं। इसका उदाहरण कश्मीर में देखने को मिलता है। 600 साल पहले कश्मीर में मुसलमान कौन थे? सभी कश्मीरी पंडित थे। वे इस्लाम में परिवर्तित हो गए। सभी हिंदू धर्म में पैदा हुए हैं। 'गुलाम नबी आजाद के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश कुमार सिंह ने ट्वीट कर अपनी राय दी है। उन्होंने लिखा, गुलाम नबी आजाद ने गलत क्या कहा है? भारत के ज्यादातर मुसलमानों के पूर्वज हिंदू रहे हैं, ये तो ऐतिहासिक तथ्य है। कश्मीर के जो नेता सियासत के तहत इसे लेकर आजाद पर पिल पड़े हैं, उनमें से ज्यादातर के पूर्वज भी कश्मीरी पंडित ही रहे हैं।यहां तक कि मशहूर शायर और नेता इकबाल के पूर्वज भी। अपने एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, भारत के जो मुसलमान अपनी हिंदू पृष्ठभूमि को याद करने में शर्म महसूस करते हैं, उन्हें दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देश इंडोनेशिया के मुसलमानों से सीख लेनी चाहिए, जो साफ तौर पर कहते हैं कि उन्होने सिर्फ अपना धर्म बदला है, अपने पूर्वज व संस्कार नहीं बदले हैं, न ही संस्कृति और इतिहास।
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इस चैनल के बने CEO व एडिटर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त रहे पवन अरोड़ा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली है। वह अब अपनी नई पारी मीडिया से शुरू करने जा रहे हैं। इस कड़ी में वह अपने सफर का आगाज 'फर्स्ट इंडिया न्यूज' चैनल से कर रहे हैं। बता दें कि उन्हें चैनल का CEO व एडिटर नियुक्त किया गया है। वह शुक्रवार 18 अगस्त शाम 6.30 बजे से अपनी पारी शुरू करेंगे।पवन, इसके साथ ही 'फर्स्ट इंडिया' अखबार के भी सीईओ व एडिटर होंगे। वहीं, चैनल के CMD व एडिटर-इन-चीफ जगदीश चंद्र बने रहेंगे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को संबोधित किया। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को पीएम मोदी ने बुराई बताया और इन्हे जड़ से खत्म करने की बात की है। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने उन्हें बधाई दी है। उन्होंने एक टीवी डिबेट में कहा, भारत में स्वतंत्रता आज के समय जितनी है उतनी शायद ही दुनिया की किसी देश में होगी और हम उसका रोज एहसास करते हैं। जब देश का प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से बोलता है तो पूरा देश उम्मीद, आशा और भविष्य की संभावनाओं पर काम करने के लिहाज से उसे सुनता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण को सरकारी भाषण ना रखकर उसमें कुछ चीजें व्यक्तिगत रूप से जोड़ी हैं, जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। हर्षवर्धन त्रिपाठी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में हो रही घटनाओं को लेकर जो बयान दिया वो उन्हें अप्रत्याशित लगा।दरअसल प्रधानमंत्री भी इस चीज को समझते हैं कि मणिपुर का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण को खत्म करने की बात कही है यह बहुत ही काबिले तारीफ है। मुझे याद नहीं है कि आज से पहले किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से इस प्रकार की बातें की हो।
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सूचना व प्रसारण सेक्टर को मिले ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (FDI) में बंपर बढ़ोतरी हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसमें 231 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) में सूचना व प्रसारण सेक्टर को 3745 रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 1129 करोड़ रुपये था। जहां फिल्म और एडवर्टाइजिंग श्रेणियों को एफडीआई के रूप में 811 करोड़ रुपये मिले, वहीं रेडियो ब्रॉडकास्टिंग को नौ करोड़ रुपये का फायदा हुआ।रिपोर्ट्स के अनुसार, चौथी तिमाही में इस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पिछले साल इसी तिमाही में 375 करोड़ रुपये की तुलना में दोगुना से ज्यादा बढ़कर 820 करोड़ रुपये हो गया है।
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गुरुग्राम पुलिस ने ‘सुदर्शन न्यूज’ के रेजिडेंट एडिटर मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया है। उन पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने का आरोप है। बताया जाता है कि ये पोस्ट हरियाणा के नूंह और आसपास के जिलों में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित थे।गुरुग्राम पुलिस का कहना है कि मुकेश कुमार के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसी के तहत साइबर क्राइम की टीम ने मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आठ अगस्त को मुकेश कुमार ने अपने एक्स हैंडल (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘@AJENews (अल जज़ीरा न्यूज़ चैनल) गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर को कॉल कर रहा है और उन पर हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बना रहा है। और कॉल प्राप्त करने के बाद @DC_Gurugram इतने दबाव में आ जाती है कि वह कहीं से भी हिंदू कार्यकर्ताओं को उठा लेती है।’वहीं, न्यूज चैनल ने इस गिरफ्तारी को प्रेस की आजादी पर हमला बताया है।
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अक्षय कुमार ने किया एक साहसिक प्रयास अक्षय कुमार की फिल्म 'OMG 2' आज रिलीज हो रही है। फिल्म को अभिनेता सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने ट्विटर हैंडल पर फिल्म 'OMG 2' का रिव्यू लिखा है।उन्होंने फिल्म को देखकर लिखा, 'मुझे यह यौन शिक्षा पर एक अग्रणी फिल्म लगी, एक ऐसा विषय जिसके बारे में हम अपने घरों और स्कूलों में बात करने से बचते हैं। यह बहुत मजेदार और मनोरंजक भी लगा, बिल्कुल सच्चे और एक सुंदर संदेश के साथ। मुझे लगता है कि यह अक्षय कुमार जैसे स्थापित स्टार द्वारा किया गया एक बहुत ही साहसिक प्रयास है, जिन्हें जोखिम लेने की भी आवश्यकता नहीं है।उन्होंने एक जटिल विषय को बहुत परिपक्वता और दृढ़ विश्वास के साथ संभाला है। मैं कहूंगा कि प्रत्येक किशोर, माता-पिता और शिक्षक को इसे देखना चाहिए।' दुर्भाग्य से, ए प्रमाणपत्र ने OMG2 को एक वयस्क फिल्म में बदल दिया है, हालांकि यह किशोरों के लिए है। आपको बता दें कि अब A सर्टिफिकेट मिलने से टारगेट ऑडियंस ही फिल्म नहीं देख पाएगी।दरअसल, यह फिल्म फिल्म 12-17 साल के एज ग्रुप को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। ऐसे में उन्हें इस फिल्म को देखने की सबसे ज्यादा जरूरत है।
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डील से जुड़ी सभी आपत्तियों को किया खारिज ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (NCLT) ने ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) और ‘कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट’ (पूर्व में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) के विलय को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।कोर्ट ने इस मामले में 10 जुलाई को अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘एनसीएलटी’ ने इस डील से जुड़ी सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया।कथित तौर पर अदालत ने कहा कि विलय को ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ (सेबी) में लंबित मामले के आधार पर नहीं रोका जाना चाहिए।गौरतलब है कि ‘सोनी’ और ‘जी’ ने वर्ष 2021 के अंत में अपने टेलीविजन चैनल्स, फ़िल्म संपत्तियों और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का विलय करने का निर्णय लिया था। हालांकि, जी समूह की इकाई और ऋणदाताओं के साथ कानूनी लड़ाई सहित तमाम कई कारणों से यह डील परवान नहीं चढ़ पा रही थी।
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'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि चीन 'न्यूजक्लिक' को फंडिंग करता है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' में छपी खबर में बताया गया कि भारत के खिलाफ माहौल बनाने के लिए चीन की ओर से 38 करोड़ रुपए दिए गए। दरअसल, यह खुलासा 'न्यूजक्लिक' के प्रमोटर के ईमेल से हुआ है। NYT की रिपोर्ट में कांग्रेस पर 2021 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इसकी फंडिंग की जांच के दौरान 'न्यूजक्लिक' का बचाव करने का भी आरोप लगाया गया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार गौरव सावंत ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने लिखा, चीन से पैसा लेकर भारत के खिलाफ लिखना और बोलना। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत विरोधी एजेंडा चलाना वो भी भारत विरोधी तत्वो से चंद सिक्के लेकर दिखाता है कि मीर जाफर/आंभी हर युग में रहे हैं। और आज भी है। सबूतो के आधार पर कानूनी कार्रवाई होगी या फिर सिक्के ही फिर जीत जाएंगे?
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(प्रवीण कक्कड़) जिंदगी की राह को आसान बनाता है "मित्रता का अनोखा रिश्ता" जिस देश के वांग्मय में ब्रम्हा - विष्णु - महेश की मैत्री का सर्वोच्च उदाहरण उपस्थित हो, जहां पर कृष्ण अपने आंसुओं से सुदामा के पैर धोते हों और जहां पर धर्म की रक्षा के लिए अपने सगे भाई का त्याग करके प्रभु श्री राम के साथ मित्रता धर्म निभाने में विभीषण जैसे धर्मात्मा आगे हों, वहां मित्रता दिवस तो वर्ष के हर दिन होता है. मित्रता को किसी दिवस की परिधि में बांधना पश्चिम की अवधारणा हो सकती है लेकिन मित्रता को अनंत आनंद, प्रेम और उत्कर्ष की सीमा तक ले जाना यह भारतीय अध्यात्म और वांग्मय की अवधारणा है. यही कारण है कि जब पूरी दुनिया और पश्चिम मित्रता की उत्सवधर्मिता को एक दिवस तक समेटना चाहते हैं भारतीय अध्यात्म इसे चेतना के उच्चतम स्तर तक ले जाना चाहता है. उस स्तर तक जहां प्रेम, करुणा और सामर्थ्य का विस्तार बिना किसी भेदभाव के मैत्री तक भी पहुंचे. हमारी परंपरा में जिंदगी की राह को आसान बनाने वाला मित्रता का अनोखा रिश्ता हमेशा मौजूद रहा है। इसीलिए जब अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1958 से हुई उससे भी हजारों वर्ष पहले भारतीय पौराणिक गाथाओं में मित्रता के अनेक किस्से दर्ज हुए. और लगभग 400 वर्ष पहले तुलसीदास ने मानस की चौपाईयों में अनेक जगह मित्रता को महिमामंडित किया... जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दु:ख रज मेरु समाना॥1॥ जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है. अपने पर्वत के समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु पर्वत के समान जानें. तुलसीदास के रामचरितमानस की यह चौपाईयां मैत्री में करुणा के उच्चतम स्तर को दर्शाती हैं. लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है तुलसीदास कहते हैं कि एक अच्छा मित्र बनने के लिए समझदार होना भी आवश्यक हैं, जिससे आपका मित्र जब भी किसी गलत राह पर जाएं तो आप उसे सही राह दिखा सकें, और अपने मित्र के सभी अवगुणों को दूर करके उसके गुणों को निखार सकें यह कार्य सिर्फ समझदार व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र ही कर सकता है. जिन्ह के असी मति सहज ना आई। ते सठ कत हठी करत मिताई॥ कुपथ निवारी सुपंथ चलावा। गुण प्रगटे अव्गुनन्ही दुरावा॥ सबसे प्रमुख बात तो यह है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र के प्रति बगैर किसी भेदभाव के जिस प्रेम और सम्मान को प्रकट किया उसके बारे में त्रेता युग में पहले ही विचार और मंथन हो चुका था. इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा... देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित कराई॥ विपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति का संत मित्र गुण एहा॥ इसका अर्थ केवल इतना है कि किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन दौलत हो अगर वो मुसीबत पर अपने मित्र के काम ना आ सका तो वो धन व्यर्थ हैं, विपत्ति के समय अपने मित्र के हमेशा साथ रहना चाहिए और हर रूप में उसकी मदद करनी चाहिए,वेदों और शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय साथ देने वाला और स्नेह करने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता हैं. इतना ही नहीं गोस्वामी तुलसीदास ने मित्र की विशेषता भी बतलाई है और कहा है कि..जो मित्र हमारे मुंह पर मीठी मीठी बातें करे और पीठ पीछे बुराई करें वो मित्र हो ही नहीं सकता, ऐसे मित्र के साथ कभी नहीं रहना चाहिए. जो मन में आपके प्रति कुटिल विचार, बुरा विचार रखता है हो वह दोस्त नहीं कुमित्र होता हैं, ऐसे लोगों को अपने जीवन से निकाल देना ही उचित है. आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥ जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहीं भलाई॥ हमारे साहित्य की अनमोल धरोहर इन चौपाइयों और श्रीकृष्ण - सुदामा, कृष्ण - अर्जुन, निषादराज - श्री राम जैसे पौराणिक उदाहरणों से यह तो स्पष्ट है कि भारत में सच्ची मित्रता की अवधारणा सदियों पुरानी है. और सच्ची मित्रता को भारत इस सीमा तक स्वीकार करता है कि मित्र को अपने हृदय में हर पल अंकित करना चाहता है. शायद इसीलिए भारत में किसी मित्रता दिवस की आवश्यकता नहीं पड़ी. जहां हर क्षण, हर पल सच्चे मित्र का हो वहां पर मित्रता दिवस की क्या आवश्यकता. और मैत्री को जताने की क्या आवश्यकता. किंतु फिर भी हम मित्रता दिवस मनाने के विचार का स्वागत करते हैं. इस नवोन्मेष को हमें स्वीकार करना होगा. क्योंकि आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं ना कहीं मित्रता दिवस हमें अपने सच्चे मित्रों की याद दिलाता है और मित्रों के प्रति कर्तव्य का स्मरण भी कराता है. दुनिया के देश दो बार मित्रता दिवस मनाते हैं. भारत 2011 समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश हर साल अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाते हैं. हालांकि अन्य कई देशों में 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. दिवस कोई भी हो लेकिन हमें मित्रता को एक सार्थक पड़ाव तक ले जाना है. मित्रता अनौपचारिक स्तर पर तो फलतू-फूलती ही है, किंतु विश्वास मित्रता को सर्वोच्च स्तर पर ले जाता है. जो अपने मित्र का विश्वस्त है वह मानवीय गुणों से भरपूर है और सर्वोच्च सम्मान का पात्र है. जो अपने मित्र के रहस्य अपने सीने में रखे वह सच्चा मित्र है. जो अपने मित्र की कमजोरियों को जानते हुए भी उन्हें ढंकने की कोशिश करें और उसकी खूबियों को उजागर करें वह मित्र वंदनीय है. तप्त हृदय को, सरस स्नेह से,जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर,जो नहला दे, मित्र वही है।
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(प्रवीण कक्कड़) जिस देश के वांग्मय में ब्रम्हा - विष्णु - महेश की मैत्री का सर्वोच्च उदाहरण उपस्थित हो, जहां पर कृष्ण अपने आंसुओं से सुदामा के पैर धोते हों और जहां पर धर्म की रक्षा के लिए अपने सगे भाई का त्याग करके प्रभु श्री राम के साथ मित्रता धर्म निभाने में विभीषण जैसे धर्मात्मा आगे हों, वहां मित्रता दिवस तो वर्ष के हर दिन होता है. मित्रता को किसी दिवस की परिधि में बांधना पश्चिम की अवधारणा हो सकती है लेकिन मित्रता को अनंत आनंद, प्रेम और उत्कर्ष की सीमा तक ले जाना यह भारतीय अध्यात्म और वांग्मय की अवधारणा है. यही कारण है कि जब पूरी दुनिया और पश्चिम मित्रता की उत्सवधर्मिता को एक दिवस तक समेटना चाहते हैं भारतीय अध्यात्म इसे चेतना के उच्चतम स्तर तक ले जाना चाहता है. उस स्तर तक जहां प्रेम, करुणा और सामर्थ्य का विस्तार बिना किसी भेदभाव के मैत्री तक भी पहुंचे. हमारी परंपरा में जिंदगी की राह को आसान बनाने वाला मित्रता का अनोखा रिश्ता हमेशा मौजूद रहा है। इसीलिए जब अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1958 से हुई उससे भी हजारों वर्ष पहले भारतीय पौराणिक गाथाओं में मित्रता के अनेक किस्से दर्ज हुए. और लगभग 400 वर्ष पहले तुलसीदास ने मानस की चौपाईयों में अनेक जगह मित्रता को महिमामंडित किया... जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दु:ख रज मेरु समाना॥1॥ जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है. अपने पर्वत के समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु पर्वत के समान जानें. तुलसीदास के रामचरितमानस की यह चौपाईयां मैत्री में करुणा के उच्चतम स्तर को दर्शाती हैं. लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है तुलसीदास कहते हैं कि एक अच्छा मित्र बनने के लिए समझदार होना भी आवश्यक हैं, जिससे आपका मित्र जब भी किसी गलत राह पर जाएं तो आप उसे सही राह दिखा सकें, और अपने मित्र के सभी अवगुणों को दूर करके उसके गुणों को निखार सकें यह कार्य सिर्फ समझदार व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र ही कर सकता है. जिन्ह के असी मति सहज ना आई। ते सठ कत हठी करत मिताई॥ कुपथ निवारी सुपंथ चलावा। गुण प्रगटे अव्गुनन्ही दुरावा॥ सबसे प्रमुख बात तो यह है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र के प्रति बगैर किसी भेदभाव के जिस प्रेम और सम्मान को प्रकट किया उसके बारे में त्रेता युग में पहले ही विचार और मंथन हो चुका था. इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा... देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित कराई॥ विपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति का संत मित्र गुण एहा॥ इसका अर्थ केवल इतना है कि किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन दौलत हो अगर वो मुसीबत पर अपने मित्र के काम ना आ सका तो वो धन व्यर्थ हैं, विपत्ति के समय अपने मित्र के हमेशा साथ रहना चाहिए और हर रूप में उसकी मदद करनी चाहिए,वेदों और शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय साथ देने वाला और स्नेह करने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता हैं. इतना ही नहीं गोस्वामी तुलसीदास ने मित्र की विशेषता भी बतलाई है और कहा है कि..जो मित्र हमारे मुंह पर मीठी मीठी बातें करे और पीठ पीछे बुराई करें वो मित्र हो ही नहीं सकता, ऐसे मित्र के साथ कभी नहीं रहना चाहिए. जो मन में आपके प्रति कुटिल विचार, बुरा विचार रखता है हो वह दोस्त नहीं कुमित्र होता हैं, ऐसे लोगों को अपने जीवन से निकाल देना ही उचित है. आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥ जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहीं भलाई॥ हमारे साहित्य की अनमोल धरोहर इन चौपाइयों और श्रीकृष्ण - सुदामा, कृष्ण - अर्जुन, निषादराज - श्री राम जैसे पौराणिक उदाहरणों से यह तो स्पष्ट है कि भारत में सच्ची मित्रता की अवधारणा सदियों पुरानी है. और सच्ची मित्रता को भारत इस सीमा तक स्वीकार करता है कि मित्र को अपने हृदय में हर पल अंकित करना चाहता है. शायद इसीलिए भारत में किसी मित्रता दिवस की आवश्यकता नहीं पड़ी. जहां हर क्षण, हर पल सच्चे मित्र का हो वहां पर मित्रता दिवस की क्या आवश्यकता. और मैत्री को जताने की क्या आवश्यकता. किंतु फिर भी हम मित्रता दिवस मनाने के विचार का स्वागत करते हैं. इस नवोन्मेष को हमें स्वीकार करना होगा. क्योंकि आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं ना कहीं मित्रता दिवस हमें अपने सच्चे मित्रों की याद दिलाता है और मित्रों के प्रति कर्तव्य का स्मरण भी कराता है. दुनिया के देश दो बार मित्रता दिवस मनाते हैं. भारत 2011 समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश हर साल अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाते हैं. हालांकि अन्य कई देशों में 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. दिवस कोई भी हो लेकिन हमें मित्रता को एक सार्थक पड़ाव तक ले जाना है. मित्रता अनौपचारिक स्तर पर तो फलतू-फूलती ही है, किंतु विश्वास मित्रता को सर्वोच्च स्तर पर ले जाता है. जो अपने मित्र का विश्वस्त है वह मानवीय गुणों से भरपूर है और सर्वोच्च सम्मान का पात्र है. जो अपने मित्र के रहस्य अपने सीने में रखे वह सच्चा मित्र है. जो अपने मित्र की कमजोरियों को जानते हुए भी उन्हें ढंकने की कोशिश करें और उसकी खूबियों को उजागर करें वह मित्र वंदनीय है. तप्त हृदय को, सरस स्नेह से,जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर,जो नहला दे, मित्र वही है। आप सभी को मित्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएं....
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6 अगस्त फ्रेंडशिप डे पर विशेष (प्रवीण कक्कड़) जिस देश के वांग्मय में ब्रम्हा - विष्णु - महेश की मैत्री का सर्वोच्च उदाहरण उपस्थित हो, जहां पर कृष्ण अपने आंसुओं से सुदामा के पैर धोते हों और जहां पर धर्म की रक्षा के लिए अपने सगे भाई का त्याग करके प्रभु श्री राम के साथ मित्रता धर्म निभाने में विभीषण जैसे धर्मात्मा आगे हों, वहां मित्रता दिवस तो वर्ष के हर दिन होता है. मित्रता को किसी दिवस की परिधि में बांधना पश्चिम की अवधारणा हो सकती है लेकिन मित्रता को अनंत आनंद, प्रेम और उत्कर्ष की सीमा तक ले जाना यह भारतीय अध्यात्म और वांग्मय की अवधारणा है. यही कारण है कि जब पूरी दुनिया और पश्चिम मित्रता की उत्सवधर्मिता को एक दिवस तक समेटना चाहते हैं भारतीय अध्यात्म इसे चेतना के उच्चतम स्तर तक ले जाना चाहता है. उस स्तर तक जहां प्रेम, करुणा और सामर्थ्य का विस्तार बिना किसी भेदभाव के मैत्री तक भी पहुंचे. हमारी परंपरा में जिंदगी की राह को आसान बनाने वाला मित्रता का अनोखा रिश्ता हमेशा मौजूद रहा है। इसीलिए जब अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1958 से हुई उससे भी हजारों वर्ष पहले भारतीय पौराणिक गाथाओं में मित्रता के अनेक किस्से दर्ज हुए. और लगभग 400 वर्ष पहले तुलसीदास ने मानस की चौपाईयों में अनेक जगह मित्रता को महिमामंडित किया... जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दु:ख रज मेरु समाना॥1॥ जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है. अपने पर्वत के समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु पर्वत के समान जानें. तुलसीदास के रामचरितमानस की यह चौपाईयां मैत्री में करुणा के उच्चतम स्तर को दर्शाती हैं. लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है तुलसीदास कहते हैं कि एक अच्छा मित्र बनने के लिए समझदार होना भी आवश्यक हैं, जिससे आपका मित्र जब भी किसी गलत राह पर जाएं तो आप उसे सही राह दिखा सकें, और अपने मित्र के सभी अवगुणों को दूर करके उसके गुणों को निखार सकें यह कार्य सिर्फ समझदार व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र ही कर सकता है. जिन्ह के असी मति सहज ना आई। ते सठ कत हठी करत मिताई॥ कुपथ निवारी सुपंथ चलावा। गुण प्रगटे अव्गुनन्ही दुरावा॥ सबसे प्रमुख बात तो यह है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र के प्रति बगैर किसी भेदभाव के जिस प्रेम और सम्मान को प्रकट किया उसके बारे में त्रेता युग में पहले ही विचार और मंथन हो चुका था. इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा... देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित कराई॥ विपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति का संत मित्र गुण एहा॥ इसका अर्थ केवल इतना है कि किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन दौलत हो अगर वो मुसीबत पर अपने मित्र के काम ना आ सका तो वो धन व्यर्थ हैं, विपत्ति के समय अपने मित्र के हमेशा साथ रहना चाहिए और हर रूप में उसकी मदद करनी चाहिए,वेदों और शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय साथ देने वाला और स्नेह करने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता हैं. इतना ही नहीं गोस्वामी तुलसीदास ने मित्र की विशेषता भी बतलाई है और कहा है कि..जो मित्र हमारे मुंह पर मीठी मीठी बातें करे और पीठ पीछे बुराई करें वो मित्र हो ही नहीं सकता, ऐसे मित्र के साथ कभी नहीं रहना चाहिए. जो मन में आपके प्रति कुटिल विचार, बुरा विचार रखता है हो वह दोस्त नहीं कुमित्र होता हैं, ऐसे लोगों को अपने जीवन से निकाल देना ही उचित है. आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥ जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहीं भलाई॥ हमारे साहित्य की अनमोल धरोहर इन चौपाइयों और श्रीकृष्ण - सुदामा, कृष्ण - अर्जुन, निषादराज - श्री राम जैसे पौराणिक उदाहरणों से यह तो स्पष्ट है कि भारत में सच्ची मित्रता की अवधारणा सदियों पुरानी है. और सच्ची मित्रता को भारत इस सीमा तक स्वीकार करता है कि मित्र को अपने हृदय में हर पल अंकित करना चाहता है. शायद इसीलिए भारत में किसी मित्रता दिवस की आवश्यकता नहीं पड़ी. जहां हर क्षण, हर पल सच्चे मित्र का हो वहां पर मित्रता दिवस की क्या आवश्यकता. और मैत्री को जताने की क्या आवश्यकता. किंतु फिर भी हम मित्रता दिवस मनाने के विचार का स्वागत करते हैं. इस नवोन्मेष को हमें स्वीकार करना होगा. क्योंकि आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं ना कहीं मित्रता दिवस हमें अपने सच्चे मित्रों की याद दिलाता है और मित्रों के प्रति कर्तव्य का स्मरण भी कराता है. दुनिया के देश दो बार मित्रता दिवस मनाते हैं. भारत 2011 समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश हर साल अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाते हैं. हालांकि अन्य कई देशों में 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. दिवस कोई भी हो लेकिन हमें मित्रता को एक सार्थक पड़ाव तक ले जाना है. मित्रता अनौपचारिक स्तर पर तो फलतू-फूलती ही है, किंतु विश्वास मित्रता को सर्वोच्च स्तर पर ले जाता है. जो अपने मित्र का विश्वस्त है वह मानवीय गुणों से भरपूर है और सर्वोच्च सम्मान का पात्र है. जो अपने मित्र के रहस्य अपने सीने में रखे वह सच्चा मित्र है. जो अपने मित्र की कमजोरियों को जानते हुए भी उन्हें ढंकने की कोशिश करें और उसकी खूबियों को उजागर करें वह मित्र वंदनीय है. तप्त हृदय को, सरस स्नेह से,जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर,जो नहला दे, मित्र वही है। आप सभी को मित्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएं....
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दैनिक जागरण में कार्य करने वाले पत्रकार प्रणव सिरोही को संस्थान ने सीनियर डिप्टी न्यूज एडिटर (सीनियर डीएनई) के पद पर प्रमोट किया है। वह पिछले साढे 6 वर्षों से संस्थान के साथ जुड़े हुए हैं। जागरण में वह एडिट और ओपेड डेस्क का हिस्सा हैं।पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले प्रणव सिरोही भारत के पहले हिंदी आर्थिक समाचार पत्र 'बिजनेस स्टैंडर्ड' की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रहे हैं, जहां उन्होंने 9 वर्ष काम किया। उन्होंने भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की किताब 'अंधेरे से उजाले की ओर' का अनुवाद भी किया है, जो 2016 में प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित हुई।हाल ही में उनके द्वारा अनुवाद की गई पुस्तक 'भारत एक नई सोच' रिलीज हुई है, जिसे पेंगुइन रैंडम हाउस ने प्रकाशित किया है। यह किताब हर्ष मधुसूदन और राजीव मंत्री की चर्चित किताब 'ए न्यू आइडिया इंडिया' का अनुवाद है।
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मीडिया जगत के जाने-माने पत्रकार और ‘भारत एक्सप्रेस’ न्यूज नेटवर्क के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने जल्द ही नया हिंदी अखबार लॉन्च करने की घोषणा की है। यह दैनिक अखबार होगा और इसे ‘भारत एक्सप्रेस’ के नाम से ही लॉन्च किया जाएगा।बताया जाता है कि ‘भारत एक्सप्रेस’ चैनल की तरह यह अखबार भी नेटवर्क के मूल मंत्र सत्य, साहस और समर्पण के प्रति प्रतिबद्ध होगा। पहले चरण में इस अखबार के दिल्ली एनसीआर, लखनऊ, वाराणसी, देहरादून और गोरखपुर संस्करणों को शुरू किया जाएगा।‘भारत एक्सप्रेस’ न्यूज नेटवर्क द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, न्यूज चैनल के ‘Bringing the News Back’ के अपने आदर्श वाक्य की तरह प्रिंट मीडिया में नेटवर्क की नई पहल युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करना है, ताकि सोशल मीडिया के इस दौर में अखबार पढ़ने की आदत को वापस लाया जा सके और उन्हें व्यावहारिक, जानकारीपूर्ण और समृद्ध अनुभव प्रदान किया जा सके। यह अखबार उभरते भारत की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा और उन स्टोरीज को प्राथमिकता देगा जो आमजन को सीधे प्रभावित करती हैं।इस बारे में ‘भारत एक्सप्रेस’ के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय का कहना है, ‘न्यूज मीडिया में आने के बाद से भारत एक्सप्रेस ने न्यूज व्युअर्स और मीडिया जगत में समान रूप से रुचि जगाई है। दैनिक भारत एक्सप्रेस के साथ हमारा इरादा पत्रकारिता की उच्च गुणवत्ता और अखंडता के उसी पथ का अनुसरण करने का है। मुझे पूरा विश्वास है कि समर्पित पत्रकारों और मीडिया प्रोफेशनल्स की टीम के सपोर्ट से भारत एक्सप्रेस अखबार मीडिया में नया मानदंड स्थापित करेगा।’
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देश के बड़े नेटवर्क एबीपी न्यूज़ ने अपनी पहली आर्टिफिशियली इंटेलिजेंस (AI) एंकर जिसका नाम ‘आईरा’ है उसे लॉन्च किया है। दरहसल एबीपी नेटवर्क का तमिल भाषी डिजिटल चैनल ‘एबीपी देसम’ सफलतापूर्वक अपने दो वर्ष पूरे कर रहा है। इस मौके पर एबीपी नेटवर्क ने एक नया प्रयोग किया है, जिसके तहत ‘एबीपी देसम’ अब आर्टिफिशियली इंटेलिजेंस (AI) एंकर के जरिए भी लोगों तक खबरें पहुंचाएगा। इस AI एंकर का नाम ‘आईरा’ है। वैसे बता दें कि ‘आईरा’ का मतलब है, जिसके पास सभी तरह की जानकारी हो। AI आईरा एबीपी देसम के AI न्यूज एंकर के तौर पर काम करेगी। आईरा में एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित न्यूज रिपोर्टिंग प्रणाली होगी। यह सिस्टम आईरा को न्यूज पढ़ने में सक्षम बनाएगा। आईरा को किसी भी अन्य न्यूज रिपोर्टर की तरह प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे वह अन्य पत्रकारों की तुलना में अधिक तेज और सटीक होगी। आईरा एबीपी की प्रौद्योगिकी प्रणालियों को और आगे बढ़ाएगी। साथ ही वह चौबीसों घंटे काम कर सकती है। 'आईरा' आधुनिकता और परंपरा का प्रतीक है, जो न्यूज, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट और अन्य क्षेत्रों में विविध सामग्री प्रस्तुत करने के लिए बुद्धिमत्ता, स्मार्टनेस और विशेषज्ञता का संयोजन है। आईरा एबीपी देसम की वेबसाइट, ऐप और सोशल मीडिया हैंडल पर उपलब्ध होगी।
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आजतक में बतौर न्यूज़ एंकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे ,शुभांकर मिश्रा जल्द नई पारी की शुरुआत करने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक शुभांकर जी न्यूज़ के साथ एक बार फिर से जुड़ने वाले हैं। हालांकि इस ख़बर की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है।आपको बता दें कि ‘आजतक’ से पहले शुभाकंर मिश्रा ‘टीवी9’ भारतवर्ष में करीब 3 सालों की लंबी पारी ख़ेल चुके हैं। ‘टीवी9’ से पहले वह ‘जी न्यूज’ के साथ जुड़े हुए थे। शुभांकर ‘इंडिया न्यूज' में भी बतौर न्यूज एंकर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। शुभांकर स्टूडियो एंकरिंग के साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए भी जाने जाते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘टाइगर हिल्स’ से रिपोर्टिंग रही है, जहां कारगिल युद्ध हुआ था। शुभांकर मिश्रा की सोशल मीडिया पर काफी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। ‘इंस्टाग्राम’ पर उनके फॉलोअर्स की संख्या ने हाल ही में 4 मिलियन का आंकड़ा पार किया है।वहीं इनकी पढ़ाई की बात करें तो यूपी के गोंडा से ताल्लुक रखने वाले शुभांकर मिश्रा की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से हुई। आगे चलकर उन्होंने दिल्ली से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लेकिन उनकी रुचि इंजीनियरिंग में नहीं होने के कारण इंजीनियरिंग छोड़ दी और डिजिटल की दुनिया से टीवी की दुनिया में क़दम रख दिया।
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भोपाल में ‘राष्ट्रीय मीडिया संग्रहालय’ की स्थापना की जा रही है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई ‘एमसीयू’ की महापरिषद की बैठक में यह जानकारी दी गई।कुलपति प्रो. (डॉ.) के जी सुरेश ने मंत्रालय में आयोजित महापरिषद को पिछले तीन वर्षों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी l वहीं, मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय में केंद्रीय स्टूडियो, डिजिटल मीडिया लैब, सिनेमा अध्ययन और भाषा लैब समेत भारतीय भाषाओं पर केन्द्रित पृथक विभागों तथा भरतमुनि शोध पीठ की स्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। जनवरी 2018 के बाद हुई महापरिषद की बैठक में पूर्व वर्षों के बजट अनुमान, लेखों एवं अंकेक्षण प्रतिवेदन का अनुमोदन किया गया। विभिन्न प्रबंधकीय विषयों पर भी निर्णय लिए गए।बताया गया कि एशिया के पहले और देश के सबसे बड़े पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू किया गया है। ‘इंडिया टुडे’ और ‘द वीक’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं द्वारा विश्वविद्यालय को देश के प्रथम 10 शिक्षण संस्थानों में शामिल किया गया है।
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प्रोफेसर सुरेश को मिला 'हेल्थ कॉम्स पुरस्कार 2023' माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. प्रोफेसर केजी सुरेश को स्वास्थ्य संचार के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए 'हेल्थ कॉम्स पुरस्कार 2023' से सम्मानित किया गया है यह पुरस्कार प्रोफेसर सुरेश को ऑनलाइन समारोह में प्रदान किया गया आपको बता दें इस समारोह में लंदन से पी आर मोमेंट के संस्थापक बेन स्मिथ भी जुड़े थे। आपको बता दें प्रोफेसर डॉ. केजी सुरेश मीडिया जगत में अपने अतुल्यनीय योगदान के लिए जाने जाते हैं प्रोफेसर सुरेश ने स्वास्थ्य संचार को मीडिया पाठ्यक्रम में पहली बार यूनिसेफ, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और थॉमसन रायटर्स के सहयोग से 2016 में तब सम्मिलित किया था जब वह भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक थे बता दें प्रो सुरेश विश्व स्वास्थ संगठन की पल्स पोलियो समीक्षा समिति में भी रह चुके हैं इसके साथ ही उन्होंने कोरोना काल में यूनिसेफ मध्य प्रदेश के सहयोग से भोपाल, रीवा, खंडवा एवं नोएडा परिसर में साक्ष्य आधारित स्वास्थ्य पत्रकारिता पर पत्रकारों के लिए कार्यशाला आयोजित किया।
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वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक मेहरोत्रा जिनको पत्रकारिता में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव का अनुभव है हाल ही में वह 'न्यूज 24' से ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के रूप में जुड़ गए हैं। ‘न्यूज 24’ का हिस्सा बनने से पहले वह BW बिजनेसवर्ल्ड की हिंदी वेबसाइट में डिजिटल एडिटर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। BW बिजनेसवर्ल्ड से पहले अभिषेक मेहरोत्रा ZeeNews.com के संपादक थे। अपने अब तक के करियर में उन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के साथ काम किया है। वह Jagran.com, टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड, e4m, अमर उजाला और दैनिक जागरण में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।‘बीएजी फिल्म्स एंड मीडिया लिमिटेड’ की चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अनुराधा प्रसाद ने अभिषेक मेहरोत्रा की नियुक्ति पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि अभिषेक मेहरोत्रा का प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड और रणनीतिक दृष्टि उन्हें हमारी संपादकीय टीम का नेतृत्व करने के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाती है। हमें विश्वास है कि अभिषेक मेहरोत्रा की विशेषज्ञता कंपनी के विकास में सहायक साबित होगी।
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वरिष्ठ व मशहूर पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर संदीप चौधरी ने अब न्यूज चैनल ‘न्यूज24’ को अलविदा कर दिया। वह करीब नौ साल से इस चैनल के साथ कार्यरत थे और ‘सबसे बड़ा सवाल’ शो होस्ट करते थे। बुधवार को चैनल के तमाम सहयोगियों ने संदीप चौधरी को फेयरवेल दी। संदीप चौधरी का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं लग सकी है। लेकिन, अंदरखाने के सूत्रों से मिली खबर के अनुसार वह ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के साथ अपनी नई पारी शुरू कर सकते हैं। बता दें कि संदीप चौधरी को मीडिया में काम करने का करीब ढाई दशक का अनुभव है। मीडिया में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ (अब दिवंगत) के साथ एक प्रॉडक्शन हाउस के साथ की थी। इसके बाद वह 'आजतक' से जुड़ गए। हालांकि, यहां उनका सफर सीमित ही रहा। इसके बाद संदीप चौधरी ने 'आजतक' को बाय बोल दिया और 'स्टार न्यूज' (Star News) के साथ अपनी नई पारी शुरू की। वह 'स्टार न्यूज' की लॉन्चिंग टीम में शामिल थे। संदीप चौधरी ने करीब नौ साल तक 'नेटवर्क18' के साथ भी काम किया है। फिर वह यहां से 'न्यूज24' आ गए और अब यहां से उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। 'न्यूज24' में हुए संदीप चौधरी के फेयरवेल के वीडियो को आप यहां भी देख सकते हैं।
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नवंबर में होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर “भारत-24” की Editorial Team में एक बड़ा फेरबदल किया गया है। अभी कुछ दिन पहले ही वरिष्ठ Anchor और वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत को चैनल में Vice President नियुक्त किया गया था।अब Network18 में कार्यरत सिद्धिनाथ विश्वकर्मा को “भारत-24” में बुलाकर मैनेजिंग एडिटर नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही जगदीश चंद्रा के पुराने सहयोगी और चैनल के सीनियर एडिटर सैयद उमर को पदोन्नत कर उन्हें चैनल का News Director बनाया गया है। सैयद उमर और सिद्धिनाथ ने आज सुबह अपने पदों का कार्यभार संभाल लिया है।चैनल के सीईओ एवं एडिटर-इन-चीफ जगदीश चंद्रा ने यह आशा व्यक्त की है कि यह नई टीम चैनल को और आगे ऊंचाइयों तक ले जाएगी और 2023 और 2024 के चुनाव में अपनी एक अलग छाप छोड़ेगी ।
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प्रहलाद पटेल की उपस्थिति में हुआ पुस्तक का विमोचन भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार अंशुमन भार्गव की पुस्तक 'बाय द वे' का विमोचन हुआ विमोचन समारोह में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और अन्य वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे केंद्रीय मंत्री पटेल ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा की अंशुमन भार्गव का लेखन बहुत ही प्रभावशाली था उन्हें समसामयिक मामलों के अलावा पर्यटन, पर्यावरण और सामाजिक विकास जैसे मुद्दों की भी गहरी समझ थी कुछ लोग अपने अल्फ़ाज़ों से जागृति की मशाल जलाते हैं उनके जाने के बाद भी ये मशाल समाज में जागृति की रौशनी फैलाती रहती है कुछ ऐसी ही मशाल जलाई थी वरिष्ठ पत्रकार अंशुमन भार्गव ने अपने कॉलम 'बाय द वे' के माध्यम से, जो आज भी समाज में जागृति लाने में सक्षम है उनके कॉलम में छपे आलेखों को कॉफ़ी टेबल बुक के रूप में संकलित कर अमर करने की अविस्मरणीय पहल की डॉ मेघा विजयवर्गीय एवं मयंक विश्नोई ने किया केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा की अंशुमन भार्गव युवा पत्रकारों के लिए प्रेरणास्रोत हैं मैं आशा करता हूँ कि इस पुस्तक के माध्यम से वे अपने मित्रों, शुभचिंतकों और पाठकों के दिलों में हमेशा जागृति की मिसाल बनकर रहेंगे मैं मेघा विजयवर्गीय और मयंक बिश्नोई को भी उनकी इस सराहनीय पहल के लिए दिल से बधाई देता हूं।
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इस बारिश के मौसम मै जहां जगह जगह नदी नाले उफान पर है,इस कारण सभी मीडिया चैनल्स इसके कवरेज में लगे हुए हैं। आपको बता दे बीते चार दिन से यमुना के जलस्तर में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी ने दिल्ली वालों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। भले ही जलस्तर अब कम हो रहा है, लेकिन संकट अभी भी बरकरार है। भारी बारिश के बाद दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नदी का उफान बरकरार है।यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई इलाकों में हालात बिगड़ गए हैं। इसी बीच लगभग सभी मीडिया चैनल्स इस बाढ़ की कवरेज में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें चैनल के रिपोर्टर अपनी जान तक जोखिम में डालकर रिपोर्ट कर रहे हैं।इसी मसले पर वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी ऋचा अनिरुद्ध ने ट्वीट कर पत्रकारों को सलाह दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, बाढ़ में अपनी जान जोखिम में डाल कर रिपोर्टिंग करने वाले साथी ये याद रखें कि जिस दिन चैनल को 100-200-300 लोगों की नौकरी लेनी होगी, उस दिन आपका ये सारा काम भुला दिया जाएगा। इसलिए जरूरत से ज्यादा खतरे से बचिए। चैनल का नहीं, परिवार का सोचिए। चैनल आप,आपके परिवार का कभी नहीं सोचेगा।आपको बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आईटीओ सहित विभिन्न जगहों पर यमुना का दौरा किया। इस दौरान उपराज्यपाल ने बताया कि दिल्ली में बाढ़ के हालात से निपटने के लिए सेना, एनडीआरएफ, दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ विभाग सहित दिल्ली सरकार के अन्य विभाग मिलकर युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।
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डिजिटल फर्स्ट चैनल्स का चलन लगातार बड़ता जा रहा है इसी को देखते हुए ‘इंडिया टुडे’ समूह ने डिजिटल प्लेटफॉर्म 'Tak' का विस्तार करते हुए 'छत्तीसगढ़ Tak' लॉन्च किया है। इंडिया टुडे ग्रुप के Tak क्लस्टर की यह नई पेशकश एक नए यूट्यूब चैनल ( मौजूदगी को और मजबूत करेगी।Tak क्लस्टर के इन न्यूज प्लेटफॉर्म्स का उद्घाटन शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया। इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ Tak को शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर भूपेश बघेल का कहना था, ‘अभी तक राष्ट्रीय चैनल्स पर छत्तीसगढ़ की नक्सली हमले से जुड़ी खबरों को ही जगह मिलती थी। लेकिन, अब छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की हर खबर को दिखाने और रीजनल खबरों को प्रमुखता देने की इंडिया टुडे समूह की पहल काफी सराहनीय है।' इस दौरान उन्होंने मंच से नारा देते हुए कहा, 'इंतजार करिए कल तक, देखते रहिए छत्तीसगढ़ तक।'
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बीते 21 साल से जुड़े रहने के बाद एबीपी न्यूज़ के पश्चिम भारत संपादक जीतेंद्र दीक्षित ने चैनल से इस्तीफा दे दिया है। जीतेंद्र मुंबई ब्यूरो के प्रभारी थे और महाराष्ट्र गुजरात और गोवा राज्यों से समाचार संपादन की उनकी जिम्मेदारी थी। इस्तीफे के बाद जीतेंद्र का कहना है कि ये स्क्रीन से उनका अस्थाई ब्रेक है और इस ब्रेक का उपयोग वे लेखन और भ्रमण के लिए करेंगे।जीतेंद्र साल 2003 में इस चैनल से जुड़े थे जब इसका नाम स्टार न्यूज़ हुआ करता था। वे इसकी संस्थापक टीम के सदस्य थे। साल 2007 में तत्कालीन संपादक उदय शंकर ने उन्हें 27 साल की उम्र में मुंबई ब्यूरो का प्रमुख बनाया था। ब्यूरो संचालन के अलावा जीतेंद्र ने चैनल में रहते हुए देश और दुनिया की कई बड़ी खबरों पर रिपोर्टिंग की। जैसे मार्च 1993 मुंबई बम कांड का मुकदमा, 26 नवंबर 2008 का आतंकी हमला, साल 2011 में सुनामी के कारण जापान में मची तबाही, 2013 में केदारनाथ में आई आपदा, भारत और इटली के बीच कूटनीतिक तनाव, 2015 में इंडोनेशिया में छोटा राजन की गिरफ्तारी, 2019 मैं महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा इत्यादि।
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यदि आप पत्रकारिता में नौकरी की तलाश कर रहें हैं तो ‘हिन्दी खबर’ न्यूज चैनल से जुड़ने का काफी अच्छा मौका है। दरअसल, चैनल को नोएडा स्थित ऑफिस के लिए फीमेल एंकर, आउटपुट प्रड्यूसर, मोशन ग्राफिक डिजाइनर और वीडियो एडिटर की जरूरत है। इसके लिए योग्य व इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। जिन पदों पर वैकेंसी है, उनमें आउटपुट (10), न्यूज एंकर (दो), वीडियो एडिटर (पांच) और मोशन ग्राफिक डिजाइनर (दो) शामिल हैं। इसके अलावा यहां एक रिसेप्शनिस्ट की भी जरूरत है।इच्छुक उम्मीदवार दस जुलाई 2023 तक अपना अपडेटेड रिज्युमे hr@hindikhabar.com पर भेज सकते हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन ने 72 वर्ष की उम्र में दुनिआ से अलविदा ले लिया। दरहसल यह कुछ समय पहले से ही बीमार चल रहे थे और इन दिनों दिल्ली स्थित ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ में भर्ती थे, जहां जहाँ उनका निधन हो गया। मनमोहन के निधन पर जाने-माने पत्रकार (पद्मश्री) आलोक मेहता समेत तमाम पत्रकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। बता दें कि मनमोहन अपने समय के जाने-माने खोजी पत्रकार थे। वह ‘द स्टेट्समैन’ , ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ , ’द टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘द ट्रिब्यून’ जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में लंबे समय तक प्रमुख पदों पर कार्यरत रहे थे। इसके अलावा वह ‘द संडे गार्डियन’ अखबार में कॉलम भी लिखते थे।
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न्यूज नेशन में रात 9 से 10 बजे के प्राइप टाइम बैंड के इंचार्ज हेमंत मिश्र ने न्यूज नेशन को बाय बाय बोल दिया है..हेमंत मिश्र ने अपनी नई पारी शमशेर सिंह के नए चैनल इंडिया डेली लाइव के साथ शुरू की है। हेमंत मिश्र को ने यहां बतौर असोसिएट एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर ज्वाइन किया है।इससे पहले भी हेमंत शमशेर सिंह के साथ जी हिन्दुस्तान का हिस्सा थे। जी हिन्दुस्तान में भी हेमंत प्राइम टाइम का बैंड देख रहे थे। जी हिन्दुस्तान से पहले हेमंत टीवी9 भारतवर्ष में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आजतक न्यूज चैनल में हेमंत 5 साल तक शम्स ताहिर खान की टीम का हिस्सा थे।हेमंत ने अपने करियर की शुरुआत जी न्यूज के रीजनल चैनल जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ में बतौर ब्यूरो हेड की थी..हेमंत ने रिपोर्टिंग के दौरान कई बड़े खुलासे किए थे..बतौर रिपोर्टर हेमंत ने मुंबई में भी अपनी सेवाएं दी थी। हेमंत श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट से संबंध रखते हैं..छत्तीसगढ़ के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय से उन्होंने एमजे किया है। हेमंत 2008 के गोल्ड मेडलिस्ट थे।वे इस वक्त वर्तमान में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्व विद्यालय से पत्रकारिता के क्षेत्र में ही पीएचडी कर रहे हैं। हेमंत को उनकी धारधार स्क्रिप्टिंग और जानदार आवाज के लिए जाना जाता है। हेमंत को पत्रकारिता के क्षेत्र में डेढ़ दशक का अनुभव है।
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(प्रवीण कक्कड़) - गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें गुरु के गुरुत्व का स्मरण दिलाता है गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः | गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः || बात केवल गुरु के ब्रह्मा, विष्णु, महेश अथवा परम ब्रह्म होने तक नहीं है बल्कि बात गुरु के गुरुत्व की भी है। गुरु शब्द दो अक्षरों "गु" और "रु" से बना है जहाँ गु का अर्थ है 'अन्धकार और रु का अर्थ है' प्रकाश। जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वही गुरु है। इसलिए गुरु का पर्व भी गुरु पूर्णिमा के दिन ही आता है। पूर्णिमा यानी प्रकाश से सराबोर रात्रि। जिस रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश अपने चरम पर हो वही पूर्णिमा है और जिसके जीवन में गुरु का प्रकाश अपने चरम पर हो वही सच्चा साधक है। गुरु का सच्चा साधक किसी पूर्णिमा के समान ही दमकता है। लेकिन गुरु में गुरुत्व होना भी जरूरी है। गुरुत्व दो तरह का होता है पहला जो अपनी तरफ खींचता है जैसे गुरुत्वाकर्षण। और दूसरा जो सत्य के मार्ग की तरफ प्रेरित करता है जैसे गुरु का आकर्षण। ज्ञान जीवन में बहुत आवश्यक है और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आपको गुरु की शरण में जाना ही होगा। लेकिन ज्ञान कैसा? इस प्रश्न का उत्तर बहुत गहरा है। कुछ लोग शिक्षक को गुरु कहते हैं। लेकिन शिक्षक गुरु नहीं हो सकता। वह किताबी ज्ञान देता है। और इसके बदले में उसे मानदेय मिलता है। किंतु गुरु किसी मानदेय की अपेक्षा के बगैर अपने अनुयाई के जीवन को संवार देता है। इसलिए गुरु को कुछ दिया नहीं जा सकता। उसके मार्ग पर चलकर उसकी शिक्षाओं का अनुसरण करके हम गुरु को गुरु दक्षिणा दे सकते हैं। क्योंकि गुरु जो देता है वह समाज के लिए होता है, राष्ट्र के लिए होता है, विश्व के लिए होता है। व्यक्ति विशेष तो उससे प्रेरणा लेता है। गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। कबीर ने इस दोहे में गुरु के गुरुत्व का चित्र खींचा है, और कहा है कि परमपिता परमेश्वर से भी बढ़कर गुरु की शक्ति है, क्योंकि गोविंद भी गुरु से ही प्रेरणा प्राप्त हैं। यह गुरु की विशालता को दर्शाता है। संत कबीरजी कहते हैं, 'जिसके जीवन में सद्गुरु नहीं हैं वह अभागा है।' कबीर आगे कहते हैं तीरथ जाने से एक फल मिलता है, संत के मिलने से चार फल मिलते हैं, लेकिन गुरु के मिलने से अनंत फल मिलते हैं। यानी गुरु का सानिध्य अनंत फलदायक है। तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार। सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार। तुलसीदास ने भी कहा है गुरु बिनु भवनिधि तरई ना कोई जो बिरंचि संकर सम होई। भले ही कोई विष्णु या शंकर के समान हो लेकिन गुरु के बिना नैया पार नहीं लगती। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि गुरु की महिमा अपरंपार है। लेकिन गुरु और अनुयाई के इस रिश्ते में पात्र - कुपात्र का बहुत महत्व है। गुरु का ज्ञान तो जल है, जैसे जल जिस पात्र में जाता है उसी आकृति का हो जाता है वैसे ही गुरु का ज्ञान उसके अनुयाई या शिष्य में उसके आचरण और स्वभाव के अनुरूप ही परिवर्तन लाता है। यही कारण है कि शुक्राचार्य और पुलस्त्य ऋषि जैसे गुरु भी रावण के स्वभाव को नहीं बदल सके। विद्वान होकर भी वह अत्याचारी रहा। इसलिए गुरु के गुरुत्व को ग्रहण करना है तो सुपात्र बनें कुपात्र नहीं। इस गुरु पूर्णिमा यही संकल्प लेना है कि हमें गुरु के अनुरूप बनना है। उसकी शिक्षाओं को सही दिशा में ग्रहण करना है। श्री गुरुवे नमः।
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अगले छह महीने में ये और कम होने के आसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI और मशीन लर्निंग के बाद ढेर सारी नौकरियों की ज़रूरत ही नहीं है। टेक्स्ट और वीडियो की एडिटिंग मशीन से हो रही है। आदमी से बेहतर मशीन कर रही है। इमोशन भी डाल रही हैं। ट्रांसलेशन मशीन कर रही है।ओपिनियन का काम पूरी तरह से AI ने सँभाल लिया है।आदमी से बेहतर स्क्रिप्ट मशीन लिख रही हैं। एंकरिंग भी मशीन पर जा रही है। फ़ैसले के लिए कमांड देने वाले कुछ लोग बच जाएँगे। कुछ सुपरवाइज़र रह जाएँगे। मीडिया मालिक ये समझ चुके हैं। समझना ही चाहिए। वरना उनका बिज़नेस ख़राब हो जाएगा। छँटनी करनी पड़ेगी, वरना ऑपरेशन महँगा हो जाएगा। रेवेन्यू पर पहले से प्रेशर है। न्यूज लोग सोशल से ले रहे हैं। चैनलों का कोई काम ही नहीं रहेगा।यहां बात किसी चैनल में छँटनी की नहीं है बल्कि अगले छह महीने में दिल्ली और नोएडा में मीडिया में 10,000 तक नौकरियाँ जाएँगी,इससे संख्या ज़्यादा भी हो सकती ह, कम नहीं। क्योंकि संपादक से बेहतर फ़ैसले मशीन करेगी।
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आज तक के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी प्रशंसकों अपने जन्मदिन पर रिटर्न गिफ्ट दिया है सुधीर ने अपने गिफ्ट के तोर पर माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म 'कू' (KOO) की प्रीमियम पेशकश पर एक खास चैनल लॉन्च किया है आपको बता दे कि सुधीर काफी जानेमाने पत्रकार है और उनके ट्विटर पर 7.6 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं, जबकि 'कू' (KOO) पर 3.4 मिलियन फॉलोअर्स हो चुके है कू प्रीमियम पर सुधीर चौधरी ने अपने फॉलोअर्स को चैनल से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि जो भी उनके इस चैनल का हिस्सा बनेगा, वह उनकी विशेष सामग्री तक पहुंच सकता है। साथ ही साथ वह उनके साथ लाइव चैट कर सकता है, उनसे व्यक्तिगत रूप से मिल सकता है। अपने कू प्रीमियम चैनल की घोषणा करते हुए, सुधीर चौधरी ने कहा, 'मैं अपने सभी फॉलोअर्स के प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं अपने कू प्रीमियम चैनल के माध्यम से अपने प्रशंसकों से जुड़ने और बातचीत करने का एक नया तरीका पाकर रोमांचित हूं।
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जल्द लॉन्च होने वाले हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया डेली लाइव’ के साथ लोगों के जुड़ने का सिलसिला जारी है। इस कड़ी में अब ऋषभ सिंह का नाम जुड़ गया है, जिन्हें यहां रिपोर्टर की जिम्मेदारी दी गई है।‘इंडिया डेली लाइव’ से पहले ऋषभ ‘भारत एक्सप्रेस’ में कार्यरत थे, जहां वह क्राइम बीट कवर रहे थे। वहीं इसके पहले वह ‘इंडिया न्यूज’ में प्रड्यूसर की भूमिका में थे।पत्रकारिता की पढ़ाई गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी और कुरुकक्षेत्र यूनिवर्सिटी से करने वाले ऋषभ ने ‘जी हिन्दुस्तान’, ‘अमर उजाला’ और ‘यूएनआई’ से इंटर्नशिप की और इसके बाद अपने करियर की शुरुआत ‘जन की बात’ से बतौर रिपोर्टर की। ऋषभ बिहार के बेगुसराय के मूल निवासी हैं और रिपोर्टिंग के दौरान दिल्ली दंगों के अलावा उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड चुनावों को कवर किया है।
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आजतक’ के डिजिटल न्यूज पोर्टल से जुड़े पत्रकार अमित राय ने यहां से विदाई ले ली है। वह यहां सीनियर असिस्टेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे थे।बता दें कि अब उन्होंने अपनी नई पारी का आगाज 'टीवी9 भारतवर्ष' के डिजिटल प्लेटफॉर्म से किया है, जहां उन्हें एसोसिएट एडिटर की जिम्मेदारी मिली है।अक्टूबर 2018 में अमित राय ने 'आजतक' का डिजिटल प्लेटफॉर्म बतौर असिसटेंट एडिटर जॉइन किया था। उनके बेहतरीन काम को देखते हुए मैनेजमेंट ने बाद में उन्हें सीनियर असिसटेंट एडिटर बना दिया। 'आजतक' में उनका योगदान डिजिटल और असाइनमेंट के बीच पूल का काम करना, सभी सेक्शन के बीच कोऑर्डिनेशन, फॉरवर्ड प्लानिंग को आकार देना, टीम मैनेजमेंट, क्राइम, पॉलिटिक्स और सिनेमा पर लिखना समेत बड़े प्लान को एक्जिक्यूट कराना था। वह 'आजतक' हिंदी दैनिक ‘नवभारत टाइम्स’ से आए थे, जहां वह लंबे समय से कार्यरत थे।2005 में ‘जनसत्ता’ से ट्रेनी के तौर पर अपने पत्रकारिता का सफर शुरू करने वाले अमित राय ने यहां करीब एक साल तक अपना योगदान दिया और इसके बाद 2006 में वह ‘अमर उजाला’ आ गए। जहां उन्होंने जूनियर सब एडिटर के तौर पर अपनी पारी को आगे बढ़ाया। सितंबर, 2007 में वह ‘नवभारत टाइम्स’ से जुड़ गए। ‘नवभारत टाइम्स’ के साथ उनका लंबा सफर, 15 अक्टूबर 2018 को थमा। इन 11 वर्षों में उन्हें कुल 4 प्रोमोशन मिले। कॉपी एडिटर के तौर पर उन्होंने यहां अपनी पारी शुरू की और अंत में डिप्टी मेट्रो एडिटर के तौर पर अपनी पारी पर विराम लगाया। अंत में वह एनबीटी में पेज-1, ऑनलाइन,महानगर से कोआर्डिनेट करने के साथ-साथ एनसीआर आउटपुट हेड की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज24' में कार्यरत दो पत्रकारों का रविवार सुबह सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि यह हादसा सुबह करीब आठ बजे हुआ, जब दोनों पत्रकार रविवार सुबह ऑफिस से शिफ्ट पूरी करके अपने-अपने घर जा रहे थे। गाजियाबाद के रहने वाले इन दोनों पत्रकारों के नाम गौरव और मनोज कुमार है। गौरव आउटपुट डेस्क पर कार्यरत थे, जबकि मनोज सिंह लाइब्रेरी में। जानकारी के मुताबिक, एलिवेटेड रोड पर पिकअप गाड़ी ने इनकी बाइक को टक्कर मार दी, जिससे इनकी बाइक डिवाइडर से जा टकराई, जहां 38 वर्षीय गौरव की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 45 वर्षीय मनोज सिंह ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। मनोज कुमार और गौरव के आकस्मिक निधन से पत्रकारों में शोक की लहर दौड़ गई।
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18 जून फादर्स डे पर विशेष (प्रवीण कक्कड़ ) पुं नरकात् त्रायते इति पुत्र: सर्वत्र जयमन्विच्छेत्, पुत्रादिच्छेत् पराभवम्। सार यह है- संतान वह है जो पिता को उनकी वर्तमान स्थिति से ऊंचा ले जाए। पिता सारे जहां को जीतने की इच्छा रखते हैं। वे ये भी चाहते हैं कि उनके सारे कीर्तिमान संतान तोड़ दें और उनसे आगे बढ़ जाए। संतान का कर्तव्य तभी पूरा होगा जब वह एक पल के लिए भी पिता के गर्व का कारण बन सके। एक पिता तभी गौरवान्वित होता है जब उसकी संतान उससे चार कदम आगे चले। जब उसकी संतान की उपलब्धियां उससे कहीं ज्यादा हों। जब उसकी संतान की सामाजिक और आर्थिक हैसियत उससे आगे बढ़कर हो। संसार में पिता ही एकमात्र प्राणी है जो उसकी संतान के उत्कर्ष का आनंद लेता है। भाई - भाई की प्रतिष्ठा से जल सकता है। बहनों में ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा का भाव हो सकता है। मित्र, पड़ोसी और शुभचिंतक भी अपने किसी खास का उत्कर्ष कई बार बर्दाश्त नहीं कर पाते लेकिन पिता वह है जो अपने पुत्र के आगे बढ़ते हर कदम पर गौरवान्वित और प्रसन्न होता है। वह अपनी संतान की उपलब्धियों से खुद को ऊंचाइयों पर महसूस करता है। कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता। कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।। भारत जैसे देश में पिता के लिए कोई एक दिन नहीं होता सातों दिन भगवान के क्या मंगल क्या पीर... पिता तो भगवान है इसलिए उसके सभी दिन होते हैं। इसीलिए हम परमपिता को भी परमेश्वर कहते हैं। लेकिन जो पिता जन्म देता है, बचपन से लेकर जवानी तक हमें काबिल बनाता है। अपनी इच्छाओं को मारकर हमारी जरूरतों को पूरा करता है। दिन-रात अपने परिवार और संतानों के लिए परिश्रम करता है। उस लौकिक पिता का महत्व अलौकिक परमपिता से ज्यादा है। क्योंकि इससे संसार से परिचय हमें पिता ही कराता है। वह केवल हमें संसार में लेकर नहीं आता बल्कि संसार के महासागर में तैरना भी सिखाता है। फादर्स डे या पिता दिवस पश्चिम की एक परंपरा हो सकती है लेकिन भारत में पिता का अर्थ बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण है। भारत में पिता श्रद्धा और समर्पण का पर्याय है। यदि संतान पिता के प्रति श्रद्धा रखी है तो पिता भी संतानों के प्रति समर्पण का भाव रखता है। अपने पुरुषार्थ का अधिकांश हिस्सा अपनी संतानों को समर्पित करता है। एक परिवार को विकसित और पल्लवित करता है और फिर राष्ट्र के निर्माण में बहुमूल्य योगदान देता है। यदि जननी राष्ट्र के निर्माण की पहली सीढ़ी है तो पिता राष्ट्र के निर्माण की नींव है। यदि जननी सहनशीलता की पराकाष्ठा है तो पिता धैर्य का महासागर है। पश्चिम का दर्शन कहता है कि माता प्रथम शिक्षक हैं लेकिन हमारे वांग्मयम में पिता को अंतिम गुरु कहा गया है। सब धरती कागज करूँ लिखनी (लेखनी ) सब बनराय। सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥ जैसे गुरु का गुण लिखने के लिए महासागर की स्याही भी कम पड़ती है वैसे ही पिता की महत्ता लिखने के लिए पूरी धरती को कागज बनाकर लिखना भी कम पड़ सकता है। एक संतान की सबसे बड़ी सफलता वही है कि उसके पिता उससे संतुष्ट रहें, सुखी रहें, उसे देखकर सदैव खुश रहें। यदि पिता अपनी संतान को देखकर खुश है, गौरवान्वित है, अभिभूत है तो फिर मानकर चलिए कि संतान ने अपने जीवन की समस्त उपलब्धियों को पा लिया है। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग परंपरा होती है। हम भारत के लोग सभी अच्छी परंपराओं का अनुसरण करते हैं। पिता के लिए तो सभी 365 दिन है किंतु फिर भी पश्चिम में मनाए जाने वाले पिता दिवस या फादर्स डे के दिन हम अपने आप से यह सवाल तो कर ही सकते हैं कि क्या हमारे पिता हमें देखकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। यदि इसका जवाब हां है तो आप एक सफल संतान हैं। बॉक्स 19 जून 1910 को पहली बार मनाया गया फादर्स डे फादर्स डे सर्वप्रथम 19 जून 1910 को वाशिंगटन में मनाया गया। साल 2019 में फादर्स-डे के 109 साल पूरे हो गए। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है- सोनेरा डोड की। सोनेरा डोड जब नन्ही सी थी, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरो के जीवन में मां की कमी नहीं महसूस होने दी और उसे मां का भी प्यार दिया। एक दिन यूं ही सोनेरा के दिल में ख्याल आया कि आखिर एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं हो सकता? इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की। 1972 में अमेरिका में फादर्स डे पर स्थायी अवकाश घोषित हुआ। फ़िलहाल पूरे विश्व में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। भारत में भी धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता जा रहा है। इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढती भूमंडलीकरण की अवधारणा के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा सकता है और पिता के प्रति प्रेम के इज़हार के परिप्रेक्ष्य में भी। (लेखक पूर्व पुलिस अधिकारी और समाजसेवी हैं।)
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चित्रा त्रिपाठी के शो में अजय आलोक का पलटवार अमेरिका के शिकागो में एक कार्यक्रम के दौरान AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बयान दिया है। उन्होंने कहा, दिल्ली में हमारी नई संसद है। संसद के अंदर एक अखंड भारत का चित्र दिख रहा है। इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान का नक्शा भी शामिल है।ओवैसी ने कहा, मैंने बीजेपी नेताओं से पूछा कि चलिये इन देशों को फतह करते हैं जैसा कि आपने पहले ही संसद के अंदर अपने मानचित्र में उनका उल्लेख किया है। इसी मसले पर हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के डिबेट शो 'दंगल' में बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने ओवैसी के इस बयान पर पलटवार किया। शो की एंकर चित्रा त्रिपाठी ने उनसे पूछा कि ओवैसी कह रहे हैं कि भारत सरकार की दिक्क्त बढ़ने वाली है। उनके इस सवाल के जवाब में अजय आलोक ने कहा, जिसको भारत के इतिहास का, शौर्य गाथाओं का, गौरव का कोई ज्ञान नहीं है, वह व्यक्ति ही विदेश में जाकर के ऐसी घटिया टिप्पणी कर सकता है।उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि ओवैसी साहब राहुल गांधी से कुछ ज्यादा ही इंस्पायर हो गए हैं इसीलिए वह विदेशों में जाकर ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि जिस अखंड भारत को लेकर के वह बयानबाजी कर रहे हैं, उन्हें शायद यह पता नहीं है कि मौर्य काल में और अशोका के काल में यह अखंड भारत वास्तविकता में था। उन्होंने आगे कहा कि ओवैसी साहब को शायद इस इतिहास की जानकारी नहीं है क्योंकि तब तक भारत में मुगलों का आक्रमण नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वह अपने आप को इस महान देश का हिस्सा नहीं मानते हैं इसीलिए विदेशों में जाकर के उनके मुंह से ऐसी ओछी टिप्पणियां निकल रही है।
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‘द मीडियालैब’ ने प्रीमियम ज्वेलरी ब्रैंड ‘जोस अलुक्कास’ (Jos Alukkas) के लिए 100 करोड़ रुपये का एकीकृत मीडिया जनादेश (integrated media mandate) जीता है। इस मीडिया जनादेश में ऑनलाइन, ऑफलाइन, डेटा साइंस और न्यूरोसाइंस शामिल हैं और यह 15 जून 2023 से प्रभावी होगा। मीडिया बिजनेस 100 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। जोस अलुक्कास के लिए यह साल काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके पास विस्तार की काफी बड़ी योजनाएं हैं। यह ब्रैंड 5500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 100 नए स्टोर लॉन्च करने जा रहा है और यह देश में सोने की रिटेल बिक्री में सबसे बड़ी विस्तार योजना होगी। बता दें कि ‘चंद्रप्रभा मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड‘ (CHANDRAPRABHAMEDIA INDIA PRIVATE LIMITED) की इकाई ‘द मीडियालैब’ मीडिया प्लानिंग एंड बाइंग स्पेस में नई है और इसने एक स्वतंत्र मीडिया एजेंसी के रूप में अपनी शुरुआत के छह महीने पूरे कर लिए हैं। इसकी स्थापना दीपक शर्मा द्वारा की गई थी, जो देश के जाने-माने मीडिया प्लानिंग एंड बाइंग प्रोफेशनल हैं और उन्हें मीडिया प्लानिंग व बाइंग में करीब 25 साल का अनुभव है। वहीं, जोस अलुक्कास ज्वैलरी इंडस्ट्री का एक जाना-माना ब्रैंड है, जिसे लगभग 60 साल पहले देश की स्वर्ण राजधानी के नाम से मशहूर त्रिशूर (केरल) में स्थापित किया गया था। ‘द मीडियालैब’ के मैनेजिंग डायरेक्टर दीपक शर्मा ने तत्काल प्रभाव से जोस अलुक्कास मीडिया बिजनेस को संभालने की खबर की पुष्टि की है। उनके फाउंडिंग ब्रैंड पार्टनर्स में ‘तोशिबा अप्लायंसेज’ (Toshiba Appliances), ‘मिसेज बेक्टर्स फूड’ (Mrs Bectors Food), ‘शार्प अप्लायंसेज’ (SHARP appliances), ‘क्रेज बिस्किट’ (एजको ग्लोबल वेंचर्स) शामिल हैं। एजेंसी मॉन्टेसरी ऐप बिजनेस- Montekids में कालीकट से एक और ब्रैंड लॉन्च कर रही है।
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उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले स्थित पुरोला में 15 जून को लव जिहाद के खिलाफ महापंचायत होने जा रही है। पुरोला में विरोध की आग तब भड़की थी जब एक मुस्लिम युवक और उसका साथी एक नाबालिग हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जा रहा था, तभी स्थानीय लोगों ने उसे पकड़ लिया। इसी मसले पर हिंदी न्यूज चैनल 'जी न्यूज' के डिबेट शो 'ताल ठोक के' में शो के एंकर दीपक चौरसिया ने AIMIM प्रवक्ता, सैयद आसिम वकार से पूछा कि क्या लव जिहाद होता है? दीपक चौरसिया के सवाल के जवाब में सैयद आसिम वकार ने कहा कि लव जिहाद नाम की कोई भी चीज नहीं होती है। उसके बाद शो के एंकर दीपक चौरसिया उनसे पूछते हैं कि अगर लव जिहाद नाम की कोई चीज नहीं है तो यह लोग कौन हैं जो अपना नाम बदलकर अपनी पहचान बदल कर रहते हैं और बाद में पकड़े जाते हैं। दीपक चौरसिया ने आगे कहा कि ऐसे सैकड़ों केस हमारे सामने आ रहे हैं जहां अपनी पहचान छुपाकर के हिंदू लड़की से दोस्ती की गई और बाद में उसका धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की गई, यही मेरा आपसे सवाल है। इस सवाल के जवाब में आसिम वकार ने कहा कि देखिए इस्लाम में शराब हराम है और इसके बाद भी अगर मुसलमान शराब पीता है तो इसका मतलब यह तो नहीं है कि इस्लाम में कोई बुराई है। उन्होंने आगे कहा कि इसी प्रकार से इस्लाम में जुआ, बेईमानी, झूठ, सब हराम है लेकिन फिर भी अगर कुछ लोग इसे करते हैं तो इसमें इस्लाम कहां से बुरा हो गया? सैयद आसिम वकार ने आगे कहा कि इस्लाम की बात जिसने मानी और समझी उसने अपने जीवन में अच्छा काम किया और जो इस्लाम की बात को नहीं समझता वह अपने जीवन में बुरा काम कर रहा है।उनके इन तर्कों के जवाब में शो के एंकर दीपक चौरसिया ने कहा तो आखिरकार आप यह मान रहे हैं कि लव जिहाद जैसी कोई चीज अस्तित्व में है, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो आप इन सब चीजों का उदाहरण देकर के बिल्कुल भी ना कहते कि इस्लाम में इस चीज की मना है लेकिन उसके बाद भी यह हो रहा है।
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ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल मुकाबले में भारत को 209 रनों से हरा दिया है। इस तरह टीम इंडिया को लगातार दूसरी बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। भारत के सामने जीत के लिए 444 रनों का लक्ष्य था, लेकिन पूरी टीम महज 234 रनों पर सिमट गई।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने अपने शो में बात की। उन्होंने WTC फाइनल में भारत की हार और IPL का कनेक्शन बताया। उन्होंने कहा, 5 दिनों तक चले इस टेस्ट मैच में दोनों टीमों ने कुल मिलाकर 339 ओवर डाले।ऑस्ट्रेलिया ने उनकी दोनों पारियों में 206 ओवर खेले जबकि भारत की टीम ने अपनी दोनों पारियों में सिर्फ 133 ओवर खेले। यानी कि भारत की टीम ने ऑस्ट्रेलिया की टीम से 73 ओवर कम खेले।अगर आप इन आकंड़ो को ध्यान से समझें तो इतने ओवर में तो T20 के दो मैच पूरे हो जाते हैं यानी कि ऑस्ट्रेलिया की टीम तो इस मैच को टेस्ट समझ करके ही खेल रही थी लेकिन भारत की टीम इस मैच को T20 समझकर खेल रही थी।ऑस्ट्रेलिया की टीम ने अपनी पहली पारी में 121 ओवर बैटिंग की और अपनी दूसरी पारी में लगभग 84 ओवर और खेले। वहीं भारत की टीम दोनों पारियों में न सिर्फ ऑल आउट हुई बल्कि दोनों पारियों में खेले गए ओवरों की संख्या भी काफी कम थी।सुधीर चौधरी ने अपने शो में यह भी बताया कि इस पूरे टेस्ट मैच में 339 ओवर डाले गए लेकिन भारत के टॉप 4 बल्लेबाज 301 गेंद खेल पाए। इससे एक चीज साबित होती है कि टेस्ट मैच खेलने के लिए जो धैर्य और जो अनुशासन चाहिए उसकी कमी भारतीय टीम में पूरे तरीके से दिखाई दी है।उन्होंने यह भी बताया कि अब भारतीय टीम के सभी फॉर्मेट के खिलाड़ियों का चयन आईपीएल में होने वाले प्रदर्शन के आधार पर होने लगा है। सुधीर चौधरी ने बताया कि इस प्रकार की चयन प्रक्रिया होने के कारण जो टेस्ट मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं उन्हें मौका नहीं मिलता और वह खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट ही खेलते रह जाते हैं।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने बड़ा आरोप लगाया है। जैक डोर्सी का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में हुए विरोध प्रदर्शन के समय सरकार ने आलोचना करने वाले कई ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के निर्देश दिए थे। डोर्सी ने दावा किया कि भारत सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाया गया और ट्विटर को भारत में बंद करने की भी धमकी दी गई। उनके इस आरोप के बाद वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने लिखा, एक समय के ट्विटर सीईओ के रूप में, डोर्सी ने एक अपारदर्शी आंतरिक इकाई की स्थापना की, जो चुनिंदा रूप से रूढ़िवादी वैचारिक विरोधियों को हटाती और दबाती थी। पीएम मोदी की एनडीए सरकार के द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने पर उनका 'खुलासा' एजेंडा से प्रेरित और पाखंडी है।आपको बता दें कि नवंबर 2020 में भारत सरकार ने देश में तीन कृषि कानून लागू किए थे। हालांकि कानून लागू होने के साथ ही उनका विरोध भी शुरू हो गया था और एक साल तक देशभर में जगह जगह विरोध प्रदर्शन, धरने हुए।
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के प्रचार अभियान की शुरुआत जबलपुर से की। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के यहां पहुंचने के बाद मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी की पूजा अर्चना की। प्रियंका की यात्रा के लिए शहर में कई जगह बजरंगबली के कट आउट लगाए गए थे। प्रियंका गांधी के कार्यक्रम के बाद अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस इस बार एमपी चुनाव में हिन्दुओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली है वहीं अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी जोर शोर से चल रहा है जिसे बीजेपी भी पूरी तरह से आम चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगी। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने ट्वीट कर राजीव गांधी को याद किया। उन्होंने लिखा, यही तो मुद्दा है, नदी। क्या ये सुपर हिंदुत्व कांग्रेस को राजीव गांधी के दौर की कांग्रेस बना सकता है? ध्यान रहे कि राजीव गांधी के दौर में ही राम मंदिर का शिलान्यास हुआ और दरवाज़े खुले। राजीव गांधी ने ही अयोध्या से चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए राम राज्य का उद्घोष किया। कांग्रेस क्या हिंदुत्व की जड़ों की तरह लौट रही है? आपको बता दें कि हिमाचल और कर्नाटक की विजय ने कांग्रेस के भीतर एक नया उत्साह भरने का काम किया है और कांग्रेस का दावा है की वो एमपी में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रहे हैं।
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युवराज के दम पर जीते थे दोनों वर्ल्ड कप भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर अपने दमदार बयानों के लिए जाने जाते हैं। अब उन्होंने एक और धमाकेदार खुलासा किया है। हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज 18 इंडिया' पर एंकर 'अमिश देवगन' से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए क्रिकेटर गौतम गंभीर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने युवराज सिंह की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि युवराज सिंह इतने प्रतिभाशाली बल्लेबाज है कि उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने आगे कहा, युवराज को अपने प्रदर्शन के लिए उतनी सराहना नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी। युवराज सिंह को याद करते हुए उन्होंने कहा, जब हम 2007 वर्ल्ड कप की बात करते हैं तो युवराज सिंह का नाम नहीं लेते। जब 2011 वर्ल्ड कप की बात करते हैं तो भी युवराज का नाम नहीं लेते। क्यों नहीं लेते? युवराज सिंह हिंदुस्तान की क्रिकेट के सबसे अंडररेटेड खिलाड़ी हैं। शायद दोनों वर्ल्ड कप किसी ने भारत को जिताए हैं तो वह युवराज सिंह हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर हम 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचे तो उसमें युवराज सिंह का अहम योगदान था। अगर वह नहीं होते तो हम कभी भी विजयी नहीं होते। गौतम गंभीर ने कहा कि वो 'टेस्ट क्रिकेट' में उतना नहीं खेल पाए क्योंकि उस समय मिडिल आर्डर में उनके लिए जगह नहीं बन पाई वरना वह इतने रिकॉर्ड तोड़ देते जिसका शायद उन्हें खुद अंदाजा नहीं हैं।
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने दिल्ली सीएम केजरीवाल पर कसा तंज पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने आम आदमी को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, पंजाब में पेट्रोल और डीजल महंगा हो गया है। पंजाब सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों पर वैट बढ़ा दिया है। यह इस साल में दूसरा मौका है जब ईंधन कीमतें बढ़ी हैं। फरवरी में आप सरकार ने पेट्रोल और डीजल दोनों पर 90 पैसे प्रति लीटर का उपकर लगाया था। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने ट्वीट कर आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा है। उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा, अरविंद केजरीवाल रामलीला मैदान में कह रहे हैं कि, प्रधानमंत्री से देश नहीं संभल रहा। महंगाई बढ़ रही है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए हैं। प्रधानमंत्री को चौथी पास राजा कह रहे अरविंद को शायद पता नहीं है कि, पंजाब में आज ही पेट्रोल-डीजल महँगा हो गया। अरविंद की आवाज फटी हुई है। अपने एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, आम आदमी का भला करने के लिए सस्ती बिजली, पानी देने का दावा करने वाली पंजाब की आम आदमी सरकार ने VAT बढ़ा दिया। अब पंजाब के आम आदमियों को भी महंगा पेट्रोल-डीजल खरीदना पड़ेगा। बता दे, वैट में बढ़ोतरी के साथ पंजाब में पेट्रोल और डीजल की दरें पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक हो गई हैं।
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पत्रकार ने ट्वीट कर कही ये बात सीनियर न्यूज एंकर अमन चोपड़ा ‘न्यूज18 इंडिया’ में ‘देश नहीं झुकने देंगे’ डिबेट शो को होस्ट करते हैं। हाल ही में उनकी डिबेट का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें एक महिला पैनेलिस्ट एक पुरुष पैनेलिस्ट को अपशब्द कहते हुए नजर आ रहीं हैं। वीडियो को देखने पर पता चलता है कि पुरुष पैनेलिस्ट ने महिला के पति और बच्चे को लेकर एक आपत्तिजनक बात की, जिसके बाद महिला पैनेलिस्ट ने अपना आपा खो दिया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद न्यूज एंकर 'अमन चोपड़ा' को काफी ट्रोल किया गया। हालांकि 'अमन चोपड़ा' ने ट्वीट कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, अगर हमारा मकसद टीआरपी बटोरना होता तो हमने हाथापाई के उस हिस्से को 'ऑन एयर' क्यों नहीं किया? ना टीवी और ना ही डिजिटल पर, तथ्य ये है कि जिस वीडियो को देखकर कुछ लोग सनसनी मचा रहे है वो हिस्सा हमारे डस्टबिन में पड़ा है। हमने हाथापाई का वो हिस्सा हटाकर शो को ऑन एयर किया है। उन्होंने आगे लिखा कि जो वीडियो आप लोग देख रहे हैं वो शायद किसी दर्शक ने रिकॉर्ड किया और उसे बाद में सोशल मीडिया पर शेयर किया।
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श्रवण गर्ग ने यूं लगाई क्लास दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर महारैली को संबोधित किया। केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ बुलाई गई रैली में प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर हमला बोला। केजरीवाल ने कहा, सरकार ने मनीष सिसोदिया को जेल में डाल दिया, सत्येंद्र जैन को जेल में डाल दिया। हमारे पास एक मनीष सिसोदिया नहीं है, हमारे पास 100 मनीष सिसोदिया हैं। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने उन्हें जमकर फटकार लगाई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, इनके बिगड़े बोल जरा सुनिए! आजादी की लड़ाई के दौरान कांग्रेस ने अंग्रेजों से कभी नहीं कहा कि आप एक गांधी या नेहरू को जेल में डाल दीजिए हमारे पास सौ गांधी और नेहरू हैं। बस कुल मिलाकर यही फर्क है पढ़े लिखों और पढ़े-लिखे मूर्खों के बीच! आपको बता दें कि केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ पार्टी की रैली में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल भी शामिल हुए। केजरीवाल ने रैली में आने के लिए कपिल सिब्बल को शुक्रिया कहा। केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी वाले मुझे रोज गालियां देते हैं और मेरा अपमान करते हैं लेकिन मुझे अपने अपमान की परवाह नहीं है।
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‘अडानी’ (Adani) समूह द्वारा टेकओवर किए जाने के बाद ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में एंप्लॉयीज की सैलरी में बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। बताया जाता है कि नेटवर्क के सभी वर्टिकल्स में औसतन 11.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। खास बात यह है कि यह बढ़ोतरी न सिर्फ इंडस्ट्री के औसत से काफी अधिक है बल्कि एनडीटीवी में पिछले 23 सालों में सबसे ज्यादा भी है।इस बारे में ‘एनडीटीवी’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सेंथिल चेंगलवारायण का कहना है, ‘जैसा कि एनडीटीवी समूह विकास के अगले चरण में प्रवेश कर रहा है, यह हमारी प्रतिभाशाली टीम है जो इसका नेतृत्व करेगी। एनडीटीवी की सफलता के पीछे उनका बहुत बड़ा हाथ है और हम उनकी कड़ी मेहनत से बहुत खुश हैं और उन्हें आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध हैं। हमारी आक्रामक विस्तार योजना, जिसमें क्षेत्रीय भाषा प्लेटफार्म्स की शुरूआत और डिजिटल को आगे बढ़ाना शामिल है, विकास के नए अवसरों के साथ-साथ नई जिम्मेदारियों को पेश करेगी।’ बता दें कि एनडीटीवी के फाउंडर्स और प्रमोटर्स प्रणय रॉय व राधिका रॉय ने पिछले साल 29 नवंबर को ‘आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड’ में निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था और इसे अडानी समूह द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया था।
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महाराष्ट्र के कोल्हापुर में औरंगजेब और टीपू सुल्तान की तारीफ वाली वीडियो का स्टेटस लगाने पर बवाल खड़ा हो गया है। 5 जून को सोशल मीडिया पर औरंगजेब को लेकर एक पोस्ट वायरल हुआ और इसके विरोध में मंगलवार को हिंदू संगठन से जुड़े लोग बड़ी संख्या में थाने का घेराव करने पहुंचे थे।पुलिस के मुताबिक, भीड़ हिंसक हो उठी जिसके बाद पुलिस को एक्शन लेना पड़ा और फिर पहले लाठीचार्ज हुआ बाद में आंसू गैस के गोले तक छोड़े गए। कोल्हापुर से तीन सौ किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के अहमदनगर में कुछ युवक हाथ में औरंगजेब की तस्वीर लेकर जुलूस निकाल रहे थे।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा कि अब आगे देखने का समय ना कि पीछे झांकने का। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, कर्नाटक में बजरंगबली नहीं चले। मुझे डर है कि महाराष्ट्र में औरंगजेब नहीं होगा। हमारे राजनेता (और हां, मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी) कब जानेंगे कि राजनीतिक लाभ के लिए पिछले धार्मिक विरोधों को भड़काने की तुलना में अधिक लोग नौकरियों और एलपीजी की कीमतों के बारे में चिंतित हैं। भारत को पीछे के शीशे से न देखें आगे की सोचें।वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अहमदनगर और कोल्हापुर में हुई घटनाओं की पृष्ठभूमि में दावा किया कि महाराष्ट्र में कुछ छोटे मुद्दों को धार्मिक रंग दिया जा रहा है।
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पिछले दिनों ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) की डिजिटल टीम में चीफ कंटेंट ऑफिसर (CCO) के पद से इस्तीफा देने के बाद प्रसाद सान्याल ने अपनी नई पारी शुरू की है। मिली खबर के मुताबिक प्रसाद सान्याल ने अब ‘टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड’ (TIL) में बिजनेस हेड के तौर पर जॉइन किया है।बता दें कि ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ से पहले प्रसाद सान्याल ‘जी मीडिया’ में ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे। प्रसाद सान्याल ने वर्ष 2000-01 में ‘आईआईएमसी’ (IIMC) से पत्रकारिता का डिप्लोमा करने के दौरान ही प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) में कदम रखा और करीब पांच साल तक यहां रहे। 2005 में जब यहां से अलग हुए तब वह प्रड्यूसर कम रिपोर्टर के तौर पर कार्यरत थे। यहां से निकलने के बाद वह सीएनएन-आईबीएन से जुड़ गए और 2007 तक प्रड्यूसर के पद पर यहां अपनी सेवाएं दीं।इसके बाद उनका अगला पड़ाव एनडीटीवी रहा, जहां वह सीनियर आउटपुट एडिटर के तौर पर जुलाई 2009 तक रहे। फिर वह न्यूजएक्स आ गए और यहां न्यूज एडिटर के पद काम किया। एक साल काम करने के बाद वह वर्ष 2010 में दोबारा एनडीटीवी पहुंचे और इस बार उन्हें सीनियर न्यूज एडिटर की जिम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने 2010 से 2014 तक बखूबी निभाया।अप्रैल 2014 में उन्हें एनडीटीवी में प्रमोट कर एडिटर (न्यूज) बना दिया गया और यहां उन्होंने अगस्त 2015 तक सफलतापूर्वक काम किया। इसके बाद वह टाइम्स इंटरनेट और फिर जी मीडिया का हिस्सा बने। वह जुलाई 2017 में जी मीडिया के साथ जुड़े थे, जबकि इसके पहले वह टाइम्स इंटरनेट के अंग्रेजी न्यूज पोर्टल timesofindia.com के एडिटर के तौर पर पर कार्यरत थे। वह अगस्त 2015 से जुलाई 2017 तक यहां रहे।जी मीडिया में सान्याल इस समूह के डिजिटल पोर्टल Zeenews.com, ZeeBiz.com, Original Video, Wionews.com, India.com, BollywoodLife.com, BGR.in, TheHealthSite.com, CricketCountry.com, DNA.com का नेतृत्व कर रहे थे।इसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स, डिजिटल के साथ अपनी पारी शुरू की थी, जहां से पिछले दिनों ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और अब ‘TIL’ के साथ नई पारी शुरू की है। प्रसाद सान्याल आईआईएमसी एल्युमनी एसोसिएशन के प्रेजिडेंट भी रह चुके हैं।
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देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘एचटी मीडिया’ (HT Media) की पिछले दिनों तिमाही टॉउन हॉल मीटिंग हुई। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, ‘एचटी मीडिया’ के एमडी और सीईओ प्रवीण सोमेश्वर ने इस टॉउन हॉल मीटिंग में एंप्लॉयीज के लिए औसत 60-65 प्रतिशत तक वैरिएबल पेआउट (variable payout) देने की घोषणा की है।मामले से जुड़े सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) से पुष्टि की है कि प्रवीण सोमेश्वर ने तत्काल प्रभाव से इसे देने की घोषणा की है। इसके तहत विभिन्न रेटिंग्स के आधार पर यह दिया जाएगा। मापदंडों के अनुसार अपेक्षाओं से कम प्रदर्शन के लिए रेटिंग 1, अपेक्षाओं को पूरा करने वालों के लिए रेटिंग 2, अपेक्षाओं से बढ़कर प्रदर्शन करने वालों के लिए रेटिंग 3, बहुत अच्छे प्रदर्शन के लिए रेटिंग चार 4 और शानदार प्रदर्शन के लिए रेटिंग पांच दी जाएगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछली तिमाही में सोच-विचार के बाद यह निर्णय लिया गया था, हालांकि इसकी घोषणा अब की गई है। निवेशकों के साथ चौथी तिमाही की अर्निंग कॉल के दौरान एचटी मीडिया के ग्रुप चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) पीयूष गुप्ता ने बताया कि न्यूजप्रिंट की कीमतें लगभग 60,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन हैं। उनका कहना था कि यदि अगले साल की ओर देखें तो हम पहले से ही इनमें नरमी देख रहे हैं, इसलिए हमें पूरी उम्मीद है कि ये कीमतें यहां से लगभग 10% से 15% नीचे आ जाएंगी।सूत्रों के अनुसार, पीयूष गुप्ता का यह भी कहना था, ‘अब, जैसा कि हम अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत कर रहे हैं, हमने पहले ही मई का महीना लगभग पूरा कर लिया है। बेहतरी की दिशा में हमने कदम उठाए हैं। हमें इसके परिणाम मिलने की उम्मीद है और हम कोविड पूर्व अपनी स्थिति पर वापस जाएंगे।’
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‘एनडीटीवी’ (NDTV) और इसके डिजिटल वेंचर ‘गैजेट360’ (Gadgets360.com) ने घोषणा की है कि टेक्निकल गुरुजी के नाम से मशहूर गौरव चौधरी उनके टेक्नोलॉजी वर्टिकल का नया चेहरा होंगे। इसके तहत शुरुआत में एनडीटीवी और गौरव चौधरी दो वीकली टेक्नोलॉजी शो 'गैजेट्स 360 विद टेक्निकल गुरुजी' (Gadgets 360 with Technical Guruji) और 'टेक विद टीजी' (Tech with TG) पेश करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। दोनों शो शनिवार (10 जून) को एनडीटीवी 24×7 और एनडीटीवी इंडिया दोनों पर लाइव होने वाले हैं। इसके साथ ही वह एनडीटीवी के डिजिटल प्लेटफॉर्म गैजेट्स360 डॉट कॉम पर विशेष रूप से उपलब्ध रहेंगे।इस बारे में ‘एनडीटीवी नेटवर्क’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सेंथिल सिन्नैया चेंगलवारायण का कहना है, ‘एनडीटीवी इनोवेटिव और लीक से हटकर शोज में अग्रणी रहा है, जो हमेशा विकसित होती टेक्नोलॉजी की दुनिया के बारे में विस्तृत जानकारी देता है। एनडीटीवी परिवार में टेक्निकल गुरुजी के नाम से मशहूर गौरव चौधरी का शामिल होना हमारे लिए काफी खुशी की बात है। हमें पूरा विश्वास है कि उनकी विशेषज्ञता, ज्यादा से ज्यादा दर्शकों के साथ जुड़ने की क्षमता और इतने बड़े विषय की अनूठी प्रस्तुति शैली हमारी पेशकश को बढ़ाएगी और इस महत्वपूर्ण शैली में एक लीडर के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करेगी।’Gadgets360.com (Red Pixels Ventures Limited) के सीईओ वैभव सहगल का कहना है, ‘दुनिया के सबसे लोकप्रिय टेक्नोलॉजी इंफ्लूएंसर का दुनिया के सबसे अधिक बार देखे जाने वाले और विश्वसनीय टेक्नोलॉजी न्यूज पोर्टल और टीवी टेक्नोलॉजी प्रोग्रामिंग में अग्रणी के साथ साझेदारी तकनीक की दुनिया को हमेशा के लिए बदलने जा रही है। एनडीटीवी और गैजेट्स 360 फैमिली में गौरव का शामिल होना हमारे लिए काफी रोमांचक है। उनकी विशाल सोशल मीडिया मौजूदगी, जटिल टेक्निकल अवधारणाओं को सरल बनाने में विशेषज्ञता और उनके व्यक्तित्व ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई है। उनकी उपस्थिति उच्च-गुणवत्ता और अत्याधुनिक तकनीकी कंटेंट प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को गति प्रदान करेगी ताकि हम अपने दर्शकों और पाठकों को सर्वश्रेष्ठ देने में सबसे आगे रहें और यह सुनिश्चित करें कि प्रौद्योगिकी और गैजेट के प्रति उत्साही लोगों के लिए हम गो-टू हब बने रहें।’ वहीं, गौरव चौधरी का कहना है, ‘एनडीटीवी परिवार का हिस्सा बनकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। टेक्नोलॉजी के लिए मेरे जुनून को एक और विश्वसनीय मंच मिल गया है, जिसके साथ मैं देश की गहरी जड़ों तक पहुंच सकता हूं, ताकि इसे जनता के लिए और अधिक सरल बनाया जा सके। मुझे विश्वास है कि एनडीटीवी और गैजेट्स 360 में मेरी मौजूदगी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बदलाव के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी और इसे नए क्षितिज तक ले जाएगी। मैं अपने सभी व्युअर्स और सबस्क्राइबर्स का शुक्रगुजार हूं। उनके मुझ पर विश्वास के कारण ही मैं इन नई ऊंचाइयों तक पहुंचा हूं। मैं इस नए सफर के लिए उत्साहित हूं।
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मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार व दैनिक भास्कर के नेशनल पॉलिटिकल एडिटर अवनीश जैन का गुरुवार रात इंदौर में निधन हो गया। वह 54 वर्ष के थे और लंबे समय से लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। पिछले 10 दिनों से दिल्ली के यकृत एवं पित्त संस्थान में भर्ती थे। बुधवार को उन्हें दिल्ली से एयर एंबुलेंस से इंदौर बॉम्बे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया था, जहां गुरुवार रात करीब 9.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि उनके परिवार में पत्नी श्रीमती संगीता जैन और पुत्र सिद्धांत हैं। निधन की खबर मिलने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कई भाजपा व कांग्रेस नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है। जैन के निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर शोक जताते हुए लिखा कि वरिष्ठ पत्रकार अवनीश जैन जी के निधन का दु:खद समाचार सुन हृदय व्यथित है। उनका अवसान पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।
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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र करते हुए बड़ा दावा किया है। कांग्रेस ने कहा कि आरएसएस के सर्वे से बीजेपी में हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ रही हैं। भाजपा को 50 से भी कम सीटें मिलेंगी।इस मामले पर हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज24' पर एक डिबेट शो में एंकर मानक गुप्ता के एक सवाल का जवाब देते हुए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि उन्हें ये सब कांग्रेस का दिमागी खेल दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि हमेशा बीजेपी इस प्रकार की चीजों में आगे रहती थी लेकिन अब कांग्रेस पहली बार बीजेपी से आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।आरएसएस को लेकर उन्होंने कहा कि वो हमेशा से यह कहते रहे हैं कि आरएसएस किसी भी प्रकार का कोई सर्वे नहीं करता है। वह सिर्फ अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से नेताओं का और पार्टी के काम का फीडबैक लेते हैं इसलिए उन्हें इस प्रकार के सर्वे की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें 3 दशक से भी अधिक के करियर में ऐसे कई मौके आए हैं और इस प्रकार के सर्वे की कोई गंभीरता नहीं होती है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर आरएसएस ने बीजेपी के नेताओं का कोई फीडबैक लिया भी है तो वो कांग्रेस के पास कैसे पहुंचा ये बड़ा सवाल है?
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सीबीआई की एक दस सदस्यीय टीम ने मंगलवार को ओडिशा के बाहानगा में उस स्थल का मुआयना किया जहां तीन ट्रेन आपस में एक दूसरे से टकरा गईं थीं। सीबीआई ने एक केस दर्ज किया है। अभी मृतकों की संख्या 288 तक पहुंच गयी है, तीन घायलों की मंगलवार को मौत हो गई। विरोधी दल अब रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अश्विनी वैष्णव तीन दिन से लगातार दुर्घटना स्थल पर जमे हैं और चौबीसों घंटे काम में लगे हैं। दुर्घटना स्थल पर ट्रेनों का आवागमन फिर से शुरू हो गया है। पटरियों को ठीक कर लिया गया है। हादसे के 51 घंटे बाद रेलगाडियां फिर से चलने लगी हैं। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतना बड़ा हादसा हुआ कैसे? किसकी गलती से हादसा हुआ। जानकारों का कहना है कि ये टेक्निकल फॉल्ट नहीं हो सकता, इस हादसे के पीछे साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि हमारे रेलवे में सिग्नल सिस्टम पूरी तरह बदल चुका है। पूरी दुनिया में ट्रेनें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और इंटरलॉकिंग सिस्टम से चलती हैं। यही सिस्टम हमारे देश में भी है। पहले सिंग्नल सिस्टम मैन्युल था, अब सब कुछ टैक्निकल है। एक बार सिग्नल लॉक हो जाए तो अपने आप ट्रैक चेंज हो ही नहीं सकता, इसलिए अब इस सवाल का जवाब मिलना जरूरी है कि आखिर दो ट्रेन एक साथ लूप लाइन पर कैसे पहुंच गईं। स्टेशन मास्टर का कहना है कि सिग्नल ठीक से काम कर रहे थे, रूट क्लीयर था। उन्हें खुद समझ नहीं आया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन पर कैसे चली गई। वहीं, हादसे की शिकार हुई ट्रेन के ड्राइवर ने बताया था कि उसे तो लूप लाइन में जाने का ग्रीन सिग्नल मिला था, इसीलिए ये सवाल उठ रहा है कि कहीं किसी ने साजिश के तहत सिंग्नल सिस्टम में गड़बड़ी तो नहीं की? अब इसी बात की जांच हो रही है। विरोधी दल भी सवाल उठा रहे हैं। उनका विरोध जायज है, इतना बड़ा रेल हादसा हुआ है, इसलिए इसकी जिम्मेदारी तो तय होनी चाहिए। लेकिन रेल मंत्री का इस्तीफा मांगने से तो हादसे बंद नहीं होंगे। अश्विनी वैष्णव अगर राजनीतिक नेता होते तो शायद वह भी पुराने रेल मंत्रियों की तरह इस्तीफा दे देते, लेकिन वह IAS अफसर रहे हैं, वह समस्याओं से भागने वालों में नहीं हैं। पहली बार मैंने देखा कि हादसे के बाद कोई रेल मंत्री बिना देर किए दुर्घटना स्थल पर पहुंचा हो, बचाव के काम से लेकर पटरियों को ठीक करवाने, मृत लोगों की शिनाख्त कराने, शवों को उनके परिवारों तक पहुंचाने के सारे इंतजाम खुद देख रहा हो। इतना बड़ा हादसा होने के बाद 51 घंटों में ट्रैक पर फिर से ऑपरेशन शुरू हो गया, ये भी पहली बार हुआ है। आम तौर पर इस तरह के हादसों के बाद सरकार मुआवजे का ऐलान कर देती है और फिर हादसे के शिकार लोगों के परिजन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं। पुराने रेल हादसों के शिकार सभी परिवारों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है, लेकिन मैंने पहली बार देखा कि बालेश्वर में रेलवे स्टेशन पर रेलवे के बड़े बड़े अफसर बैठे हैं, जिन शवों की पहचान हुई है, उनमें से जिनके परिवार वाले वहां पहुंच रहे हैं, उनका आइडेंटिटी प्रूफ देखकर उसी वक्त उन्हें पचास हजार रुपए नगद और साढ़े नौ लाख रुपए का चैक दिया जा रहा है। ये बड़ी बात है, इससे उन लोगों को फौरी मदद मिलेगी, जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खोया है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब तक ये पता नहीं लगेगा कि इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ, किसकी गलती से हुआ, ये इंसानी गलती था या किसी साजिश का नतीजा, तब तक इस तरह के हादसों को नहीं रोका जा सकता। इसलिए मुझे लगता है कि इस दिल दहलाने वाले हादसे पर सियासत करने की बजाए फोकस हादसे की वजह का पता लगाने पर होना चाहिए।
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देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) की चीफ पीपुल ऑफिसर (CPO) कविता दासन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस संस्थान में बतौर CPO बुधवार उनका आखिरी दिन था। वह इस नेटवर्क से करीब चार साल से जुड़ी हुई थीं।कविता दासन ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया वह जल्द ही नए असाइनमेंट पर काम करेंगी। यह नया असाइनमेंट क्या होगा, इस बारे में कविता दासन का कहना था कि वह जल्द ही इस बारे में जानकारी देंगी। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट कविता दासन मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। कविता दासन को इंडस्ट्री में काम करने का करीब 24 साल का अनुभव है। ‘एबीपी नेटवर्क’ से पहले वह ‘Dewan Housing Finance Corporation Ltd’ (DHFL) में वाइस प्रेजिडेंट (एचआर) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। पूर्व में वह ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ में वाइस प्रेजिडेंट (एचआर) रह चुकी हैं। इसके अलावा वह ‘DCM SHRIRAM LTD’ और करीब आठ साल तक ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ (The Times Of India) भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।
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बिहार के खगड़िया में गंगा नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा गिरकर नदी में समा गया है। रविवार को हुई यह घटना कैमरे में भी कैद हो गई और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है। यह पुल करीब 1717 करोड़ की लागत से भागलपुर जिले के सुल्तानगंज और खगड़िया जिले के अगुवानी के बीच बन रहा था। इसी मसले पर हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के एक डिबेट शो में तेज तर्रार एंकर चित्रा त्रिपाठी ने 'जेडीयू' के प्रवक्ता इमतियाज अंसारी से कड़े सवाल किए। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरजेडी को एक बार के लिए हम इस बहस में नहीं लेकर के आते हैं, क्योंकि आपके नेता नीतीश कुमार अपनी सहूलियत के हिसाब से बारी बारी इन लोगों के साथ सरकार बना लेते हैं।वो उनकी अपनी मजबूरी हो सकती है, लेकिन क्या आप नीतीश कुमार के सीएम रहते कोई एक ऐसा काम गिना सकते हैं, जो देश के सामने एक उदाहरण बना सके कि आपने ये काम कर दिया है? चित्रा त्रिपाठी ने आगे कहा कि आप एक पुल को बनाने में 9 साल लगा देते हैं, जनता की कमाई का 1700 करोड़ रुपया खर्च कर देते हैं और उसके बाद भी वो 3 बार टूट जाता है! उन्होंने कहा कि नौ साल से ये पुल बनता आ रहा था और लोग अपना अपना कमीशन खा रहे थे।उन्होंने आगे सवाल किया कि इस पूरे मामले की जिम्मेदारी क्या सीएम नीतीश कुमार की नहीं बनती है? लोग क्या उनसे सवाल नहीं पूछेंगे? नए संसद भवन पर सवाल उठाने वाले 9 साल में बिहार के जनता को एक पुल क्यों नहीं दे पाए?
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महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा है कि जो लोग हमारे मेडल को 15-15 रुपए का बता रहे थे, वे अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गए हैं। हमारी जिंदगी दांव पर लगी है, उसके आगे तो नौकरी बहुत ज्यादा छोटी चीज है। साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने ट्वीट कर साफ कर दिया है कि उन्होंने धरना-प्रदर्शन खत्म नहीं किया है। ये सभी दावे तब से होने शुरू हुए, जब पहलवानों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर सुमित अवस्थी ने भी ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने लिखा, यही तो कई लोग चाह रहे हैं कि पहलवान बोलें। खुलकर बोलें ताकि उन पर फिर कई और मुकदमे (जैसे मानहानि आदि) लाद दिये जायें। ये मुकदमे ही इन प्रदर्शनकारी पहलवानों के खेल करियर के लिये बहुत बड़ी बाधा हैं।प्रदर्शनकारी पहलवान (सफाई में) बोलें या न बोलें, ये फैसला पीड़ितों पर ही ‘फिलहाल’ छोड़ देना चाहिये। बच्चियों ने वैसे भी बहुत झेल लिया और ना जाने और कितना इन्हें झेलना पड़ेगा। ‘आरोपी’ बहुत ही ताकतवर है।भारत के इन शानदार खिलाड़ियों का ‘हौसला’ और ‘हिम्मत’ बनी रहना चाहिये। बीते एक हफ्ते से पूरे सिस्टम से लड़ रहे हैं पहलवान। ब्रजभूषण शरण सिंह से चल रही जंग तो जैसे पीछे छूटती जा रही है।
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‘द हिंदू’ (The Hindu) समूह ने निर्मला लक्ष्मण को ‘द हिंदू ग्रुप पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड’ (THGPPL) के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) का चेयरपर्सन नियुक्त किया है। इस पद पर उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। निर्मला लक्ष्मण, मालिनी पार्थसारथी का स्थान लेंगी, जिन्होंने पांच जून को बोर्ड की बैठक में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर चेयरपर्सन का पद छोड़ दिया है। निर्मला लक्ष्मण ने पीएचडी की है। उनके पास ‘द हिंदू’ के विभिन्न पब्लिकेशंस में एडिटर, राइटर और स्ट्रैटेजिस्ट के तौर पर काम करने का चार दशक से ज्यादा का अनुभव है।‘द हिंदू’ में जॉइंट एडिटर के रूप में अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने कई फीचर सेक्शंस की पुन: लॉन्चिंग और 'द हिंदू लिटरेरी रिव्यू', 'यंग वर्ल्ड' और 'द हिंदू इन स्कूल' आदि का निर्माण व नेतृत्व किया।वह ‘द हिंदू’ के साहित्यिक उत्सव ‘Lit for Life’ की संस्थापक और क्यूरेटर हैं। इसके अलावा वह तमिल अखबार ‘The Hindu Tamil Thisai’ के पब्लिशर ‘कस्तूरी मीडिया लिमिटेड’ (KML) की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं।
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पत्रकार गौरव सावंत ने दी ये बड़ी नसीहत पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अफगानिस्तान का एक शख्स उन्हें जमकर खरी खोटी सुना रहा है। यह घटना फ्रांस की राजधानी पेरिस की है, जहां उस अफगानिस्तानी नागरिक ने बाजवा को बड़ा बेइज्जत किया है।वह कह रहा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को बर्बाद कर दिया। मानवाधिकारों का उल्लंघन और उनके देश में जेहाद फैलाने के पीछे भी वही है। जनरल बाजवा कहते हैं कि वह अब सेना प्रमुख नहीं हैं लेकिन वह शख्स नहीं रुकता।वह बार-बार कहता है कि पाकिस्तान ने तालिबान के साथ मिलकर उसके देश को बर्बाद कर दिया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद पत्रकार और एंकर गौरव सावंत ने ट्वीट कर पाकिस्तान को नसीहत दी है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, पाकिस्तानी सेना को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। पाक सेना के जनरलों को इतना नापसंद क्यों किया जाता है? भारत में। अफगानिस्तान में। अमेरिका में और अब पाकिस्तान में भी। सात दशक से आतंक का कैंसर फैलाने वाला पाकिस्तान और उसकी सेना, आईएसआई अब उनकी करनी ही भुगत रहे हैं। यह वीडियो उसी घृणा का प्रतीक है।आपको बता दें कि भारत अमेरिका जहां अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने की बात करते रहे हैं, वहीं पाकिस्तान इस्लामिक कानून का हवाला देते हुए तालिबान के साथ खड़ा रहा।
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भरपाई के लिए देगी 40 करोड़- रिपोर्ट आयकर विभाग ने ब्रिटिश मीडिया कंपनी 'बीबीसी' (BBC) पर फरवरी में शिकंजा कसते हुए उसके दिल्ली-मुंबई के दफ्तर का सर्वे किया था, जिसके बाद उस पर टैक्स चोरी का आरोप लगा था। हालांकि मीडिया कंपनी टैक्स चोरी के आरोपों से लगातार इनकार करती रही, लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आयी है कि बीबीसी ने पूर्व में कथित तौर पर कम टैक्स भरने की बात को स्वीकार कर लिया है।दरअसल आयकर विभाग ने इसी साल फरवरी में बीबीसी पर टैक्स सर्वे किया था, जिसमें 2016 से टैक्स कम दिए जाने की बात सामने आयी थी पकड़ी गई थी। बीबीसी ने अब स्वीकार कर लिया है कि उसने 2016 से कम टैक्स दिया है।मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीसीसी ने न केवल कम टैक्स देने की बात को स्वीकार किया है बल्कि उसने लगभग 6 वर्षों की अवधि के दौरान यानी 2016 से 2022 तक अपनी कर चोरी के लिए 40 करोड़ रुपए खर्च करने पर सहमति व्यक्त की है।
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जानी-मानी पत्रकार मालिनी पार्थसारथी ने ‘द हिंदू ग्रुप पब्लिशिंग प्रा. लि.’ (THGPPL) के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। इस बारे में मालिनी पार्थसारथी ने एक ट्वीट भी किया है। अपने ट्वीट में पार्थसारथी ने लिखा है, ‘हिंदू ग्रुप में चेयरपर्सन के रूप में मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया है। इसके साथ ही मैंने इसके बोर्ड से भी इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि मुझे लगता है कि मेरे संपादकीय विचारों को समूह में उचित स्थान नहीं मिल रहा था। चेयरपर्सन और डायरेक्टर (एडिटोरियल स्ट्रैटेजी) के रूप में मेरा पूरा प्रयास यह सुनिश्चित करना था कि हिंदू समूह स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की अपनी विरासत को पुनर्जीवित करे।'पार्थसारथी ने यह भी लिखा है 'इसके अलावा मेरा प्रयास इसे वैचारिक पूर्वाग्रह से मुक्त करने का था। इसलिए मैंने यहां से इस्तीफा देने का फैसला लिया है। मैं अपने सभी शुभचिंतकों और दोस्तों को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने इस चुनौतीपूर्ण सफर में मेरा सपोर्ट किया है।’
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पत्रकार ने दिया करारा जवाब ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 250 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 900 से अधिक लोग घायल हैं। इस हादसे के बाद वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने एक ट्वीट किया था जिसे बाद में उन्होंने एडिट किया और 'कवच' शब्द हटा दिया।उनके इस ट्वीट पर एक सोशल मीडिया ट्रोल ने उन्हें टैग करते हुए ट्वीट किया और लिखा, आपने जो कवच टेक्नोलॉजी पर सवाल किया था उसको एडिट करके ‘कवच’ शब्द क्यों हटाया? इतनी डरी-डरी पत्रकारिता क्यों रुबिका जी? कवच किसने भेदा यह सवाल सबको करना चाहिए, क्योंकि 250 लोग आज हमारे बीच नहीं रहे। इस ट्वीट के बाद रुबिका लियाकत ने उसे करारा जवाब दिया और लिखा, क्योंकि मुझे आपकी तरह एजेंडा चलाने की बीमारी नही। कवच उस रूट पर है ही नहीं तो क्यों झूठ फैलाना? लाशों के ऊपर मंडराते गिद्ध और आपमें ज्यादा फर्क नहीं। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ये इस सदी का सबसे बड़ा रेल हादसा है। तस्वीरें लाखों सवाल पूछ रही हैं। टेक्नोलॉजी कैसे फेल हो गई? 288 लोगों की मौत, 900 से ज्यादा घायल, 3 ट्रेनें एक ही हादसे का शिकार हो जाएं ये कैसे संभव है? इस घड़ी में मरने वालों के परिवार के साथ पूरा देश है।
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पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब किताब' वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर 'टीवी टुडे नेटवर्क' के 'तक चैनल्स' के मैनेजिंग एडिटर हैं और हर रविवार सोशल मीडिया पर उनका साप्ताहिक न्यूजलेटर 'हिसाब किताब' प्रकाशित होता है। इस सप्ताह मिलिंद खांडेकर ने भारत की अर्थव्यवस्था मापने वाले GDP के आंकड़ो को लेकर बात की है।उन्होंने लिखा, भारत की अर्थव्यवस्था मापने वाले GDP के आंकड़े इस हफ्ते खुशखबरी लेकर आएं। भारत की अर्थव्यवस्था 2022-23 में 7.2% की रफ्तार से बढ़ी। ये चमत्कार कैसे हुआ? रिजर्व बैंक का अनुमान था कि पिछले वित्त वर्ष की आखिरी छमाही में ग्रोथ घट सकती है। रिजर्व बैंक महंगाई कम करने के लिए लगातार ब्याज दर बढ़ा रहा था। बाकी दुनिया में भी मंदी के बादल मंडराने लगे थे। ये अनुमान सही लग रहा था क्योंकि अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में ग्रोथ 4.1% रही थी। आखिरी तिमाही में सबका अनुमान था कि 5.1% ग्रोथ रहेगी इसके विपरीत ग्रोथ 6.1% रही। इसका मतलब हुआ कि पूरे साल की ग्रोथ 7.2% हो गई। कंस्ट्रक्शन, खेतीबाड़ी, होटल जैसे सेक्टर में तेजी रही।अच्छी खबर यहीं खत्म हो जाती है। हम पहले भी बता चुके हैं कि GDP तीन खर्च को मिल कर बनता है। सरकार, कंपनियां और हम आप जैसे लोगों का खर्च यानी प्राइवेट खर्च। सरकार और कंपनियों ने निवेश तो बढ़ाया है, जनता फिर भी जेब ढीली नहीं कर रही है। जनता के खर्च बढ़ने की रफ्तार कम हुई है। यही सबसे बड़ी चिंता का कारण है। सरकार सड़कों और रेलवे पर मोटा पैसा लगा रही है उसका फायदा दिख रहा है।कंपनियों ने भी खर्च बढ़ाया है और जानकारों का कहना है कि महंगाई की वजह से जनता खर्च करने से बच रही है। हम इस बात पर खुश हो सकते हैं कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। आकार में भी दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। सवाल उठता है कि फिर जनता खर्च क्यों नहीं कर रही हैं? जनता के हाथ में पैसे क्यों नहीं पहुंच रहे हैं? इसका जवाब है हमारी प्रति व्यक्ति आय। अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय हमसे 40 गुना ज़्यादा है, ब्रिटेन की 16 गुना और चीन की 5 गुना। इंडियन एक्सप्रेस में छपा है कि बाकी देश की ग्रोथ जीरो कर दें तब भी हमें अमेरिका के लेवल पर पहुंचने के लिए 25 साल लगेंगे। हमें हर साल 15% से ग्रोथ करना पड़ेगी यानी 7.1% ग्रोथ अच्छी है लेकिन अच्छे दिन लाने के लिए काफी नहीं है।
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हैकर्स ने डिलीट किया पूरा कंटेंट सीनियर जर्नलिस्ट बरखा दत्त द्वारा संचालित यू-ट्यूब चैनल 'मोजो स्टोरी' को हैक किए जाने की खबर सामने आयी है। बता दें कि हैक करने के बाद हैकर्स ने उनके यू-ट्यूब चैनल से पूरा कंटेंट डिलीट कर दिया है।एक ट्वीट में बरखा दत्त ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मोजो स्टोरी का ईमेल और यूट्यूब चैनल हैक कर लिया गया था और वह और उनकी टीम प्लेटफॉर्म तक पहुंचने में असमर्थ थी। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि हैकर्स द्वारा चैनल के सभी कंटेंट को डिलीट कर दिया गया है - चार साल का खून, मेहनत, पसीना, आंसू, 11 हजार वीडियो, 3 साल का कार्य, सब चला गया। मेरा दिल टूट गया है।उन्होंने आगे कहा कि घंटों की मशक्कत के बाद यू-ट्यूब की टीम की ओर से आश्वासन दिया गया है कि इस पर कार्रवाई की जा रही है।
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‘टाइम्स समूह’ (Times Group) के एमडी विनीत जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की काफी तारीफ की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विनीत जैन का कहना है कि इस सरकार ने भारतीय एंटरप्रिन्योर्स के लिए ऐसे तमाम अवसरों के द्वार खोले हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में हुई एक मीडिया कॉन्क्लेव में विनीत जैन का कहना था कि यही भारत के असली विकास की वास्तविक कहानी है और पीएम मोदी की मजबूत और बोल्ड सरकार के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा इस कॉन्क्लेव में उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक स्तर पर तमाम चुनौतियों के बीच देश किस तरह ‘सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था’ के रूप में उभर रहा है।
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देश के प्रमुख न्यूज नेटवर्क्स में शुमार ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार इस नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) से जानी-मानी एंकर रुबिका लियाकत ने इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों की मानें तो रुबिका अब एंटरप्रिन्योरशिप की दुनिया में कदम बढ़ाना चाहती हैं, इसलिए उन्होंने यहां से अलविदा कह दिया है। वहीं, अंदरखाने में यह भी चर्चा है कि लंबे समय से सैलरी न बढ़ने व अन्य तमाम कारणों से रुबिका ने यह फैसला लिया है।इस खबर की पुष्टि के लिए समाचार4मीडिया की टीम ने एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय, 'एबीपी न्यूज' के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज और प्रॉडक्शन) संत प्रसाद राय और रुबिका लियाकत को मेल व मैसेज कर उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन खबर लिखे जाने तक वहां से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। खबर यह भी है कि रुबिका लियाकत पिछले साल लॉन्च हुए नए हिंदी न्यूज चैनल से अपनी नई पारी शुरू कर सकती हैं। हालांकि, यह चैनल फिलहाल बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहा है। रुबिका लियाकत ने इस्तीफा क्यों दिया और उनका अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।बता दें कि रुबिका लियाकत की गिनती टीवी पत्रकारिता की दुनिया में तेज-तर्रार महिला एंकर के रूप में होती है। वह वर्ष 2018 से 'एबीपी न्यूज' के साथ जुड़ी हुई थीं। रूबिका की हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी पर मजबूत पकड़ है और अपने इस हुनर का वो शब्दों के चयन में पूरा इस्तेमाल करती हैं। मूलरूप से उदयपुर की रहने वालीं रुबिका मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं, उनके पास मास कम्युनिकेशन की डिग्री भी है। ग्रेजुएशन के बाद वह 'लाइव इंडिया' का हिस्सा बन गईं। जून 2007 से लेकर सितंबर 2008 तक वह ‘लाइव इंडिया’ से जुड़ीं रहीं। 2008 में नए लॉन्च हुए चैनल ‘न्यूज24’ में बतौर एंकर उन्होंने काम किया था।उसके बाद उन्होंने ‘जी न्यूज’ के साथ रिपोर्टिंग और एंकरिंग की पारी शुरू की। खबरों की समझ, भाषा कौशल और लगभग हर क्षेत्र पर पकड़ के चलते जल्द ही उन्होंने ‘जी न्यूज’ में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की। इसके बाद वह ‘एबीपी न्यूज’ में आ गईं और अब यहां से उनके इस्तीफे की खबर सामने आ रही है।
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का संगम ही ‘‘जीवन’’ है... प्रवीण कक्कड़ 5 जून 1992 की बात है जब ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जैव विविधता पर पृथ्वी शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में दुनिया भर के सभी जागरूक और जिम्मेदार देश शामिल हुए लेकिन दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका इस सम्मेलन के समझौते का हिस्सा नहीं था। भारत ने इस सम्मेलन में पूरी जिम्मेदारी के साथ भाग लिया जिसके फैसलों को 29 दिसंबर 1993 को लागू किया गया। इसके 20 साल पहले वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। 16 सितंबर 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में ओजोन परत को बचाने के लिए समझौता किया गया। बाद में वैज्ञानिक सहमति के आधार पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए 1992 में क्योटो प्रोटोकॉल पर बड़ी संख्या में देशों ने हस्ताक्षर किए थे। भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1986 में पारित किया गया था। इसे संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत पारित किया गया था। यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ था। ऐसे अनेक मील के पत्थर हैं। जिनका जिक्र यहां करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि पर्यावरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार समझौते कागजों पर होते आए हैं लेकिन उसके बाद भी पर्यावरण की स्थिति बिगड़ती जा रही है। मनुष्य और पर्यावरण का संगम ही जीवन है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर समझौते हो रहे हैं, वहीं सामाजिक स्तर पर कई संकल्प लिए जा रहे हैं लेकिन हम जब तक इन पर व्यवहारिक अमल नहीं करेंगे तब तक इन समझौतों और संकल्पों का अर्थ नहीं है। 1972 में जब पहली बार स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण सम्मेलन में दुनिया के बढ़ते तापमान पर चिंता व्यक्त की गई थी तब से लेकर अब तक औसत तापमान में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है। ग्लोबल वॉर्मिंग हम सभी के लिए चिंता का विषय है। चिंता होना भी स्वभाविक भी है, क्योंकि जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में पेड़ों का क्षरण हुआ है, प्रकृति का शोषण हुआ है उससे आने वाले समय में यह ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते स्तर के रूप में एक बड़ी चुनौती बन जायेगा। हमने जिस तेजी से विकास के प्रति दौड़ लगाई उसमें हमने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया। इनमें प्रकृति और पर्यावरण सबसे बड़े मुद्दे थे और अब आज साफ दिखाई दे रहा है कि हमारी नदियां हों, जंगल हों वायु, मिट्टी हो यह सब कहीं न कहीं खतरे में आ गयें हैं। यह सब प्रमाणित कर रहे हैं कि आज हमारे चारों तरफ जो कुछ भी हो रहा है यह सब इन्हीं कारणों से हैं। अंटार्कटिका की बर्फ की परत छलनी हो गई है। समुद्र का जल स्तर इतना बढ़ गया है कि मालदीप जैसे देशों का अस्तित्व खत्म होने का खतरा मंडराने लगा है। तटवर्ती शहरों के कभी भी जलमग्न होने की आशंका है। शहर कभी भी जलमग्न हो सकते हैं। तापमान बढ़ने के कारण पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा जल प्रलय का शिकार हो सकता है। हम सुनामी का मंजर देख चुके हैं। आज बढ़ते तापमान के बीच जल प्रलय या अग्नि प्रलय की आशंका हमें अपनी उन पौराणिक घटनाओं की याद दिलाती है जब पृथ्वी पर पर्यावरण नष्ट होने से जीवन खत्म हो गया था। आज की परिस्थितियों को देखते हुए वह घटनाक्रम सत्य प्रतीत होता है। पर्यावरण और जलवायु को लेकर समझौते तो बहुत हो चुके हैं लेकिन समझौते लागू करने की दिशा में कोई पहल नहीं होती। इसके बहुत से कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है हमारी अपनी स्वार्थ लिप्सा। हम थोड़े से लाभ के चक्कर में दीर्घकालीन हानि को आमंत्रित करते हैं। लम्हों की खता करते हैं सदियों की सजा पाते हैं। इतना सब होने के बाद भी पर्यावरण को लेकर जागरूकता का बेहद अभाव है। आए दिन जंगलों को साफ करने वाले लकड़ी तस्कर पकड़े जा रहे हैं। जंगल माफिया जंगल को साफ कर रहा है। जमीन माफिया खेत निगल रहा है और बिल्डिंग माफिया उन जमीनों पर बिल्डिंग बना रहा है। यह खेल सारी दुनिया में चल रहा है ताकतवर लोगों ने पर्यावरण को अपनी मुट्ठी में कैद करके रखा है। और इस भ्रम में की मैं कुछ नहीं कर रहा हूं, मैं तो निर्दोष हूं, सारी दुनिया का पर्यावरण नष्ट किए जा रहे हैं। हम जितने ताकतवर हुए हैं। हमारा कार्बन फुटप्रिंट उतना ही बढ़ गया है। यानी हमारी ताकत पृथ्वी के लिए गंदगी और प्रदूषण से भरपूर है। हम जितने साधन संपन्न हुए हैं पर्यावरण को उतना ही नुकसान पहुंचाया है। हम जितने सुविधाभोगी हुए हैं उतना ही पृथ्वी को कष्ट में डाला है। ईश्वर ने यह पृथ्वी बनाई है सामंजस्य और सद्भाव के लिए, प्रेम के लिए। पृथ्वी किसी एक प्राणी की नहीं है बल्कि सबसे सूक्ष्म जीव से लेकर सबसे विशाल जीव तक सभी के लिए पृथ्वी एक समान है। यह सहनशील है और हमारी अनजानी भूलों को माफ करने की क्षमता रखती है लेकिन जब हम जानबूझकर भूल करते हैं तो फिर पृथ्वी भी दंड देती है। हमारी जानबूझकर की गई भूलों का दंड विधान अब चल रहा है। तूफान, सूखा, अतिवर्षा, बढ़ता तापमान यह सब पृथ्वी का दंड विधान है। यह दंड विधान और क्रूरतम न हो इसकी फिक्र हर मानव को करना है। दुनिया के ताकतवर देश एक टेबल पर बैठकर समझौता कर सकते हैं लेकिन इन समझौतों को लागू करना हम मानवों का कर्तव्य है। क्योंकि इस पृथ्वी पर मानव ही पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। इस पर्यावरण दिवस यही चिंतन करने की जरूरत है कि एक इंसान के रूप में हम अपने आसपास के पर्यावरण को कैसे बचा सकते हैं। अपना खुद का कार्बन फुटप्रिंट कितना कम कर सकते हैं। और कितने अधिक पेड़ पौधे लगाकर उन्हें सहेज सकते हैं। अन्यथा पृथ्वी के दंड विधान से बचना असंभव है। पर्यावरण दिवस पर यही चिंतन सर्वोपरि है।
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मणिपुर के ज्यादातर इलाकों में हालात अब सामान्य हो रहे हैं। इसे देखते हुए कर्फ्यू में भी ढील दी जा रही है। जानकारी के मुताबिक, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और बिष्णुपुर में कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी जाएगी। यहां सुबह पांच बजे से शाम पांच बजे तक कर्फ्यू में ढील रहेगी। इस पूरे मामले पर 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक से बातचीत की और उनकी राय जानी।उन्होंने कहा, मणिपुर में स्थिति सामान्य होने के संकेत सुखद हैं, पर अभी इसे पूरे मामले का पटाक्षेप मान लेना जल्दबाजी होगी। ये अच्छी बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील पर लोग अपने हथियार जमा कर रहे हैं। इससे गोलीबारी और अन्य घटनाओं पर कुछ अंकुश लग सकता है।इसके बाद भी इस मामले से निपटने में देरी भी हुई है और विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी भी नजर आई है। दो समुदायों के संघर्ष को उसकी पूरी संवेदनशीलता के साथ समझे बगैर बयान जारी होते रहे। कोई हिंसा करने वालों को उपद्रवी कह रहा था, कोई आतंकवादी और कोई चरमपंथी। इंफाल के आस पास बसे मैतेई समुदाय और जंगलों और पहाड़ियों में बसे कुकी और नागा आदिवासियों के बीच का संघर्ष नया नहीं है।इस लड़ाई को मैतेई को मिलने वाले आरक्षण और जमीन पर कब्जे की लड़ाई ने और हवा दे दी। इस संघर्ष में 90 से अधिक लोगों के मारे जाने और दो हजार से ज्यादा के घायल होने के बाद जो उपाय किए गए वो पहले ही हो जाते तो बेहतर रहता।अभी भी संघर्ष टला है, खत्म नहीं हुआ है। सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण इस खूबसूरत सीमावर्ती राज्य में स्थायी शांति की बहाली के लिए दूरगामी उपाय आवश्यक हैं। इस बीच मणिपुर पुलिस ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद मणिपुर में अलग-अलग जगहों पर 140 हथियार सौंपे गए हैं।जैसे की आशंका थी, गृह मंत्री अमित शाह के लौटने के एक दिन बाद ही फिर सुरक्षा बलों और उपद्रवियों में संघर्ष हुआ है। इसीलिए इस समस्या का स्थायी समाधान बहुत आवश्यक है।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। दौरे के बीच राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग पर एक बयान दिया है, जिस पर बवाल मच गया है। राहुल गांधी ने इंडियन मुस्लिम लीग पार्टी को 'पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष' कहकर नया मुद्दा खड़ा कर दिया है।केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के साथ कांग्रेस के गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, मुस्लिम लीग पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, मुस्लिम लीग के बारे में कुछ भी गैर-धर्मनिरपेक्ष नहीं है। राहुल गांधी के इस बयान के बाद वरिष्ठ पत्रकार शिवकांत ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, राहुल गांधी ने वह कर दिखाया जो महात्मा गांधी नहीं कर पाए। मुस्लिम लीग को भी सेक्युलर बना दिया। भारत को जोड़ दिया और कद जिन्ना साहब से भी ऊंचा हो गया। पहले अवतार लिया होता तो बेहतर होता? देर आयद दुरुस्त आयद। सांप्रदायिक तो केवल भाजपा और संघ हैं। उन्हें निकाल पाकिस्तान में विलय करे।आपको बता दे कि 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग' की स्थापना 30 दिसंबर, 1906 को हुई थी। तब अविभाजित भारत के कई मुस्लिम नेता ढाका में इकट्ठे हुए और कांग्रेस से अलग मुस्लिमों के लिए 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग' बनाने का फैसला किया।
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वर्तमान समय में देश मुफ्त की राजनीति से गुजर रहा है। जहां निगाह घुमाए वहीं फ्री की राजनीति चरम पर नजर आ रही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी से शुरू हुआ ये चलन अब कांग्रेस पार्टी की ढाल बन गया लगता है।आज कर्नाटक में सिद्धारमैया मंत्रिमंडल ने पांच गारंटी को लागू करने का फैसला किया है। गृह ज्योति योजना के तहत प्रत्येक घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी।प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया को दो हजार रुपए की मासिक सहायता, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के हर सदस्य को प्रत्येक महीने 10 किलो मुफ्त चावल, सार्वजनिक बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा शक्ति योजना और 18 से 25 साल की उम्र वाले प्रत्येक स्नातक बेरोजगार को हर महीने तीन हजार रुपए देने का वादा किया गया है।इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, 2024 में जो जितने अधिक लोकलुभावन वादे करेगा, उसका पलड़ा उतना ही भारी रहेगा। अगला लोकसभा चुनाव लोगों को छप्पर फाड मालामाल कर देगा। अगले दस महीने, हर कोने से एक ही आवाज आएगी- मुफ्त, मुफ्त, मुफ्त।
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तो बोले हर्षवर्धन- पूरा सच आए सामने बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने पहलवानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बृजभूषण ने एक बार फिर कहा कि मेरे खिलाफ एक भी आरोप साबित हुआ, तो मैं फांसी पर चढ़ने को तैयार हूं।बृजभूषण ने कहा,आरोप लगाए जाने के बाद से मैं पूछ रहा हूं कि ये सब कहां और कब हुआ? मुझ पर आरोप लगे 4 महीने हो चुके हैं और मैं अपने बयान पर आज भी कायम हूं।उनके इस बयान के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, पहलवानों और बृजभूषण के मामले सबसे खराब बात होगी कि, मामला अंत तक न पहुंचे। आवश्यक है कि, इस मामले का पूरा सच सामने आए और, दोषी को सजा मिले। अपना-अपना सच तो दोनों पक्ष पूरी शक्ति से बता ही रहे हैं। साथ ही खेल संघों की मूलभूत गड़बड़ दूर करने पर भी कुछ हो। वरना, एक और बनकर रह जाएगा।आपको बता दें कि पहलवानों के गंगा में मेडल बहाने को उन्होंने इमोशनल ड्रामा बताया। बृजभूषण ने कहा, गंगा में मेडल बहाने से कुछ हासिल नहीं होगा।
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अभिव्यक्ति के दुरुपयोग से घातक होंगे परिणाम राहुल गांधी ने बुधवार सुबह कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में एक कार्यक्रम में भारतीयों को संबोधित किया। सैन फ्रांसिस्को में राहुल गांधी ने अपने संबोधन के दौरान भारत के मुसलमानों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा, 'जो हाल 80 के दशक में दलितों का था, वही हाल अब मुसलमानों का हो गया है।उनके इस बयान पर समाचार4मीडिया से बात करते हुए आलोक मेहता ने कहा कि सचमुच विदेशों में राहुल गांधी के भाषण भारत के सम्बन्ध में एक नेता के बजाय एक्टिविस्ट की तरह हैं जो भारत की सामाजिक, राजनीतिक स्थितियों को भयावह रूप में पेश कर रहे हैं।अब 80 के दशक में कांग्रेस राज के दौरान दलितों की स्थिति बदतर होने की तुलना वर्तमान में मुस्लिम की हालत से कर रहे हैं। उनके सलाहकार शायद यह ध्यान नहीं दिला रहें कि भारत के मुस्लिम समुदाय के गरीब लोग अन्य करोड़ों भारतीयों के साथ समान अनाज,आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेती या रोजगार के प्रशिक्षण की सुविधाएं पा रहे हैं, क्योंकि भाजपा या कांग्रेस अथवा अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों में किसी भी योजना में धर्म के आधार पर भेदभाव संभव नहीं है।यही नहीं, उनके सांसद रहते कांग्रेस सरकार के बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय में रही धनराशि का 600 से 800 करोड़ रुपए तक की धनराशि साल में खर्च ही नहीं हो पाती थी, रिकॉर्ड चेक कर लें। अब भी कांग्रेस के नेता और उनके कार्यकर्त्ता क्या उत्तर प्रदेश-बिहार जैसे राज्यों में मुस्लिमों के बीच सक्रिय रहकर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में क्या कोई सहायता कर रहे हैं?दुनिया के मुस्लिम देश तो मोदी सरकार का समर्थन कर बड़े पैमाने पर पूंजी लगा रहे हैं। पाकिस्तान के कई नेता और अन्य लोग भारत की हालत बेहतर बता रहे हैं। बहरहाल,अभिव्यक्ति के दुरुपयोग से विदेशी समर्थन और लाभ लेने के दूरगामी परिणाम घातक भी हो सकते हैं। कुछ विदेशी ताकतें तो हमेशा भारत में राजनीतिक अस्थिरता और अराजकता पैदा करने के लिए अवसर और मोहरे तलाशती रहती है।
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विनोद अग्निहोत्री बोले- ये सरकार की साख का सवाल हरिद्वार में गंगा में मेडल विसर्जन करने पहुंचे पहलवानों को भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत और खाप चौधरियों ने रोक लिया और उनसे पांच दिन का समय मांगा है।टिकैत ने रेसलर्स से कहा कि अगर उन्हें मेडल नहीं रखने हैं तो वह उन्हें गंगा में प्रवाहित करने की जगह सीधे राष्ट्रपति को सौंप दें और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने सरकार को पांच दिन का अल्टीमेटम दिया है।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, संतोष है खेल पुत्रियों ने अपने अंतरराष्ट्रीय विजेता पदक गंगा में विसर्जित करने का फैसला किसान नेता खाप चौधरी नरेश टिकैत के आग्रह पर टाल दिया है। सरकार के पास पांच दिन हैं। सरकार इनकी कानून सम्मत मांगों का संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे। ये सरकार की साख बेटियों के सम्मान का सवाल है।आपको बता दें कि टिकैत ने ऐलान किया है कि एक जून को मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में ऐतिहासिक चौपाल पर पंचायत होगी, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और यूपी के खाप चौधरी हिस्सा लेंगे। इसमें चर्चा की जाएगी कि बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के लिए सरकार पर पांच दिनों में कैसे दवाब बनाया जाए।
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सुशांत झा ने किया अरुण जेटली को याद भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के कथित यौन शोषण के आरोप लगे हुए हैं। उनके विरोध में पहलवान जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन दिल्ली पुलिस के द्वारा हिरासत में लेकर उन्हें जंतर मंतर के धरना स्थल से हटा दिया गया।सरकार की इस कार्यवाही के बाद पहलवानों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला कर लिया है। आपको बता दें कि पहलवानों ने यह कहा है कि वह अपने सारे जीते हुए पदक गंगा नदी में फेंक देंगे और इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। इस बात की जानकारी ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने ट्वीट करके दी है।देश के पहलवानों ने 23 अप्रैल को बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया था। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत झा ने भी ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि भाजपा सरकार विरोध प्रदर्शनों से निपटने में सक्षम नहीं है। उन्होंने लिखा कि जिस तरह से पहलवानों के साथ व्यवहार किया गया और मीडिया के सामने जो खराब दृश्य सामने आए वह नहीं आने चाहिए थे। किसानों के विरोध प्रदर्शन के समय भी ऐसा ही दृश्य लोगों के सामने आया था। ऐसा लगता है कि अरुण जेटली जैसे नेताओं के निधन के बाद कम्युनिकेशन की भारी कमी सरकार को परेशान कर रही है।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनो विपक्षी दलों के नेताओं का समर्थन जुटा रहे हैं। दरअसल केंद्र सरकार के अध्यादेश को कानून बनने से रोकने के लिए इस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को विपक्षी नेताओं के समर्थन की बेहद आवश्यकता है।इसी को लेकर उन्होंने लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दफ्तर में हुई इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया के सामने बातचीत की और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को लेकर एक बयान दिया।अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा यदि कल राजस्थान के खिलाफ सरकार कोई ऐसा अध्यादेश लाती है तो वह निश्चित तौर से कांग्रेस सरकार का साथ देंगे। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने ट्वीट कर बड़ी बात कही।उन्होंने अरविंद केजरीवाल से पूछा कि आपकी यह सोच तो बिल्कुल सही है कि विपक्ष को एकजुट होकर सत्ता पक्ष से लोहा लेना चाहिए लेकिन गुजरात, पंजाब, हिमाचल और गोवा के चुनाव में आपकी यह सोच कहां चली गई थी। क्या आप यह कह रहे हैं कि अब राजस्थान के चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेंगे? क्या मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करेगी?उन्होंने आगे लिखा कि कांग्रेस को यह भरोसा दे दीजिए और विपक्षी एकजुटता की बात कीजिए! क्या कर सकेंगे? पूरे विपक्ष में यही तो सबसे बड़ी चुनौती है हर किसी को अपने अपने किले की पड़ी है, देश के बारे में कौन सोच रहा है। आगे उन्होंने यह भी लिखा कि अब तो आम आदमी पार्टी नेशनल पार्टी बन गई है।
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अमन चोपड़ा ने उठाया ये बड़ा सवाल महिला खिलाड़ियों के उत्पीड़न को लेकर बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों ने अपने मेडल्स को गंगा में बहाने का ऐलान किया था। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक अपने मेडल्स को गंगा में प्रवाहित करने हरिद्वार पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने अपने मैडल विसर्जन के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है।दरअसल भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत पहलवानों से मिलने पहुंचे। उन्होंने पहलवानों से बात की, काफी देर तक उन्होंने पहलवानों को समझाया। इस बातचीत के दौरान पहलवान भावुक भी हुए। टिकैत ने अपने मन की बात कही। उन्होंने पहलवानों को यह भरोसा दिलाया कि वह उनको इंसाफ दिलाने के लिए, उन्हें न्याय दिलाने के लिए बात करेंगे। उन्होंने पहलवानों से 5 दिन का समय भी मांगा है।नरेश टिकैत की बात मानने के बाद पहलवान करीब पौने 2 घंटे के बाद वापस दिल्ली लौट गए। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार और सीनियर एंकर अमन चोपड़ा ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो जारी किया और इस वीडियो में उन्होंने सवाल उठाए हैं कि क्या मैडल विसर्जन का पूरा कार्यक्रम सुनियोजित था।वह वीडियो की शुरुआत में कहते हुए दिखाई देते हैं कि शाम को मेडल विसर्जन का कार्यक्रम था, इसके बाद नरेश टिकैत अचानक से प्रकट हो जाते हैं! पहनवालों से मेडल ले लेते हैं और उसके बाद उन्हें 5 दिन का समय दे देते हैं। 5 दिन के बाद हो सकता है कि मैडल विसर्जन का कार्यक्रम दोबारा किया जाए या नहीं किया जाए, उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है।वीडियो में वह आगे कहते हैं कि लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या मेडल विसर्जन का यह पूरा कार्यक्रम स्क्रिप्टेड तो नहीं था? उन्होंने वीडियो में आगे कहा कि उन्होंने इस मेडल विसर्जन के कार्यक्रम का पहले भी विरोध किया था क्योंकि व्यक्तिगत रूप से उनका यह मानना है कि मेडल किसी खिलाड़ी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं होती है, वह राष्ट्र के सम्मान में आपको मिलता है और वह राष्ट्र को रिप्रेजेंट करता है।
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प्रो. के.जी. सुरेश ।। आज ही के दिन 1826 में पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने साप्ताहिक पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ का पहला संस्करण भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से प्रकाशित किया था। तब से लेकर अब तक हिंदी पत्रकारिता की एक ऐतिहासिक यात्रा रही है। इस यात्रा में संघर्ष भी रहा है, इस यात्रा में सफलताएं भी रही हैं। आज पूरे विश्व में हिंदी को जो सम्मान मिला है, उसमें हिंदी पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है, फिर चाहे वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हो या स्वतंत्रता के पश्चात जो एक नए राष्ट्र के निर्माण के लिए संघर्ष रहा, उसके लिए हो या आपातकाल में तानाशाही के विरोध का हो। हिंदी पत्रकारिता का जो इतिहास है, उसे स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा सकता है।मैं तो अंग्रेजी पत्रिकारिता के अपने छात्रों को भी बताता हूं कि वे नियमित रूप से हिंदी पत्रकारिता के लिए एक हिंदी अखबार जरूर पढ़ें और एक चैनल भी जरूर देखें। इसका कारण यह है कि हिंदी पत्रकारिता जन सरोकार की पत्रकारिता है। हिंदी पत्रकारिता में मिट्टी की खुशबू आती है। वो ग्रामीण अंचलों से, हमारे खेत-खलिहानों से हम तक समाचार पहुंचाती है। जन-जन के, जिसमें गरीब, निर्धन, संघर्षशील, मजदूर सभी के मुद्दों को राष्ट्र के सामने, सरकार के सामने लाती है और सरकार व जनता के बीच में एक मजबूत सेतु का कार्य करती रही है। हिंदी पत्रकारिता का भविष्य डिजिटल युग में भी बहुत ही उज्जवल है। आज बहुत बड़ी संख्या में युवा पाठक, दर्शक, श्रोता डिजिटल मीडिया की ओर आकर्षित हुए हैं और यदि आप आंकड़े देखेंगे तो हिंदी पत्रकारिता ने भारत में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी को अपनी ओर अकर्षित किया है। कुछ समस्याएं जरूर हैं, कुछ कठिनाइयां हैं, कुछ कमियां हैं, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाला भविष्य बहुत उज्जवल है और हम सब मिलकर हिंदी पत्रकारिता में नए मील के पत्थर को जरूर स्थापित कर पाएंगे।
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आशुतोष चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार ।। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई, 1826 को पहले हिंदी समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड का प्रकाशन प्रारंभ किया था। देश में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत उदंड मार्तण्ड से ही मानी जाती है। यह साप्ताहिक समाचार पत्र हर मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। वैसे तो जुगल किशोर शुक्ल पेशे से वकील थे और कानपुर के रहने वाले थे, पर उनका कार्यक्षेत्र कोलकाता था। वे खुद उदंड मार्तण्ड के संपादक और प्रकाशक थे। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने उदंड मार्तण्ड का प्रकाशन प्रारंभ किया और आर्थिक कठिनाइयों के कारण अखबार ज्यादा दिनों तक प्रकाशित नहीं हो पाया।उस समय औपनिवेशिक दौर था और भारत पर ब्रिटिश शासन था। सत्ता का केंद्र कोलकाता था और उस दौर में भारतवासियों के हित की बात करना बहुत बड़ी चुनौती थी। अंग्रेजी शासकों की भाषा थी, उसके बाद बांग्ला और उर्दू का प्रभाव था। उस दौर में कोलकाता से अंग्रेजी और बांग्ला कई समाचार पत्र प्रकाशित होते थे। लेकिन हिंदी भाषा का एक भी अखबार नहीं निकलता था। इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां छपीं। हिंदी भाषी पाठकों की कमी की वजह से उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल सके। दूसरी बात कि हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण उन्हें समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था। डाक दर बहुत ज्यादा थी इसलिए इसे हिंदी भाषी राज्यों में भेजना आर्थिक रूप से महंगा सौदा हो गया था। जुगल किशोर ने सरकार ने बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दे दें, जिससे हिंदी भाषी प्रदेशों में पाठकों तक समाचार पत्र भेजा जा सके, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत इसके लिए तैयार नहीं हुई और डेढ़ साल में यह समाचार पत्र बंद हो गया, लेकिन अपने साहसिक प्रयास के लिए जुगल किशोर शुक्ल आज भी याद किए जाते हैं।आज दौर बदल गया है। हिंदी पत्रकारिता ने एक लंबा सफर तय कर लिया है। अखबारी पत्रकारिता के क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया है, साक्षरता बढ़ी है और राजनीतिक चेतना भी बढ़ी है। नतीजतन, हिंदी पाठकों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। स्थानीय संस्करणों ने ग्रामीण इलाकों में अखबारों की पैठ बढ़ा दी है। हिंदी पत्रकारिता के भी विभिन्न आयाम हो गए हैं। हिंदी के अखबार तो हैं ही, साथ ही टीवी और सोशल मीडिया भी प्रभावी माध्यम बनकर उभरे हैं, लेकिन सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर अक्सर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, सोशल मीडिया दोधारी तलवार है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सोशल मीडिया अभिव्यक्ति के एक असरदार माध्यम के रूप में उभरा है। आज कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रख सकता है और उसे हजारों-लाखों लोगों तक पहुंच सकता है। राजनीतिक, सामाजिक संगठन और आमजन इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं। दूसरी ओर सोशल मीडिया के दुरुपयोग के भी अनेक मामले सामने आए हैं। इसके माध्यम से समाज में भ्रम व तनाव फैलाने की कोशिशें हुईं हैं।कोरोना संकट के दौर को ही देख लें। इस दौर में भी सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर फेक वीडियो व फेक खबरें बड़ी संख्या में चलीं। हम सबके पास सोशल मीडिया के माध्यम से रोजाना कोरोना के बारे में अनगिनत खबरें और वीडियो आते रहे। फेक न्यूज को तथ्यों के आवरण में ऐसे लपेटकर पेश किया जाता है कि आम व्यक्ति उस पर भरोसा कर ले और और उसे पता ही न चले कि वह कब फेक न्यूज का शिकार हो गया।सूचना के एक अन्य सशक्त माध्यम टीवी पर नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि हिंदी टीवी चैनल खबरों के बजाय बेवजह की बहस आयोजित करने पर ज्यादा जोर देते नजर आते हैं। स्थिति यह है कि टीवी की गंभीरता पर बार-बार सवाल उठते रहें हैं। दूसरी ओर अखबारों की ओर नजर दौड़ाएं तो आप पाएंगे कि वे आज भी सूचनाओं के सबसे विश्वसनीय स्रोत हैं। अखबार की खबरें काफी जांच पड़ताल के बाद प्रकाशित की जाती हैं और वे उनसे मुकर नहीं सकते हैं।ऐसा भी नहीं कि हिंदी अखबारों में कमियां नहीं हैं। अधिकांश हिंदी अखबार शहर केंद्रित हो गए हैं। हालांकि, इसकी बड़ी वजह विज्ञापन हैं। दूसरे उत्तर पूर्व कभी हिंदी अखबारों की प्राथमिकता सूची में नहीं रहा है। यहां तक कि दक्षिण भारत की भी तभी खबर बनती है, जब वहां से कोई सनसनीखेज मामला सामने आता है। बावजूद इसके आज भी हिंदी अखबार खबरों के सबसे प्रमाणिक स्रोत हैं।
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राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है ये देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका शुभारंभ किया। नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। नई संसद को लेकर देश में राजनीति भी खूब हुई।इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने लिखा कि ये भवन राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है और इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। अपनी एक फेसबुक पोस्ट में जयदीप कर्णिक ने लिखा, नई संसद के उद्घाटन को लेकर पक्ष-विपक्ष, तर्क-वितर्क, सारे वाद-विवाद एक तरफ। महत्वपूर्ण बात ये है कि ये भवन इस बात का प्रतीक है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति होती क्या है? सरकार ठान ले तो क्या कर सकती है?जहां एक ओर एक फ्लायओवर बनने में पांच साल से ज्यादा लग जाते हैं, जहां देश के कई गांव आज भी बिजली और साफ पानी को तरस रहे हैं, कई गली मोहल्लों की सड़कों पर केवल एक गड्ढा भरे जाने के लिए आवेदन पर आवेदन होने के बाद भी गड्ढा जस का तस है, जहां कई सरकारी स्कूल और अस्पताल अपनी टपकती छत और टूटे दरवाजों के ठीक होने का इंतजार कर रहे हों, वहां इतना भव्य और दिव्य संसद भवन, इतनी सुविधाओं और इतनी आधुनिकता के साथ केवल दो साल में बन जाना वाकई काबिल-ए-तारीफ है।ये अद्भुत और प्रशंसनीय है। हर राजनीतिक दल, हर सरकार, हर राजनेता, हर मुख्यमंत्री, हर मंत्री, हर अधिकारी अगर इससे सबक ले और अपने-अपने क्षेत्र की हर परियोजना को इसी संकल्प शक्ति, इसी इच्छाशक्ति, इसी गति से पूरा करे तो सोचिए ये देश अगले कुछ ही सालों में कहां होगा? अगर ऐसा हो पाया तो ही हमारे लोकतंत्र का ये मंदिर, हमारी जम्हूरियत का ये सबसे बड़ा मरकज अपने सही उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेगा।
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28 मई को वीर सावरकर की जयंती होती है और इसी दिन पीएम मोदी ने देश की नई संसद का उद्घाटन किया। उन्होंने, 'मन की बात' के 101वें एपिसोड को संबोधित करते हुए वीर सावरकर को याद किया।उन्होंने कहा, वीर सावरकर के बलिदान और साहस से जुड़ी कहानियां आज भी भारतीयों को प्रेरित करती हैं। हालांकि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत एक दर्जन से अधिक दलों ने संसद के उद्घाटन से दूरी बनाए रखी। इस मसले पर पत्रकार और लेखक नीरज बधवार ने ट्वीट करते हुए अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने लिखा, वीर सावरकर उतने ही बड़े देशभक्त थे, जितने गांधी जी। वो उतने ही बहादुर थे जितने भगत सिंह। वह उतने ही दूरदर्शी थे जितने पटेल। वह उतने ही चतुर थे जितने चाणक्य। सावरकर पर सवाल उठाकर आप अपनी कुपढ़ता का परिचय तो दे सकते हैं, मगर इससे उनकी महानता पर रत्ती भर भी आंच नहीं आती।आपको बता दें कि पीएम मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को इस रेडियो कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करते हैं। रेडियो कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर शुरू किया गया था।पीएम मोदी ने कहा, वीर सावरकर के व्यक्तित्व में दृढ़ता और उदारता शामिल थी। उनके निडर और स्वाभिमानी स्वभाव ने गुलामी की मानसिकता की बिल्कुल भी सराहना नहीं की।
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रजत शर्मा ने कहा - खुद ही का किया नुकसान पीएम मोदी ने देश को नया संसद भवन समर्पित किया है। इस मौके पर उन्होंने नए संसद भवन में पहली बार संबोधन दिया। उन्होंने कहा, 'देश की विकास यात्रा में कुछ पल अमर हो जाते हैं। 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। कांग्रेस समेत एक दर्जन से अधिक विपक्षी पार्टियां इस समारोह में शामिल नहीं हुए। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने ट्वीट कर इस कदम को गलत और अनुचित बताया।उन्होंने लिखा, नई संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर लगा सभी दलों के नेता यहां होते, तो और अच्छा होता। संसद देश की होती है और प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी के नहीं होते। उद्घाटन कौन करता है, इससे क्या फर्क पड़ता है? बेकार में इतना बड़ा इश्यू बनाया। बहिष्कार से मोदी का क्या गया? नुकसान तो विपक्ष का हुआ।अपने एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, अभी-अभी नया संसद भवन देखा। पहले जब पार्लियामेंट हाउस जाते थे, तो हम कहते थे, देखो अंग्रेजों ने कितनी जबर्दस्त बिल्डिंग बनाई। हमारे बस का तो कुछ नहीं। वो जो बना गये, सो बना गये, लेकिन आज लगा अब अंग्रेज भी कहेंगे, हिन्दुस्तानियों ने कितनी कमाल की पार्लियामेंट बनाई। अब तक हम अंग्रेजों और मुगलों के बनाये भवन और महल देखते थे। मुझे गर्व है, आज ये बदल गया। खुशी है कि मुझे इस नई पहल का साक्षी बनने का अवसर मिला।
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प्रणव सिरोही ने कहा- ऐसे अधिकारी को मिले कड़ी सजा छत्तीसगढ़ के कांकेर में 1 लाख रुपए के मोबाइल के लिये एक अफसर पर 21 लाख लीटर पानी बहाने का आरोप है, जिससे डेढ़ हजार एकड़ के खेत में सिंचाई हो सकती थी। कांकेर जिले के पखांजुर में खेरकट्टा परलकोट जलाशय के ओवर फ्लो में फूड ऑफिसर का एक लाख रुपए की कीमत वाला मोबाइल गिर गया। इसके बाद उसे खोजने स्थानीय लोग पानी में उतरे और जब फोन नहीं मिला तो 3 दिनों तक 30 एचपी के 2 डीजल पम्प लगाकर पानी को खाली किया गया, फिर फोन को निकाला गया। इस घटना के सामने आने के बाद पत्रकार प्रणव सिरोही ने ट्वीट कर अपना रोष व्यक्त किया।उन्होंने लिखा, यह उदाहरण दिखाता है कि लोक-सेवक जनता के हितों को किस प्रकार ताक पर रखकर अपने पद के मद में चूर होकर अमानवीय एवं प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाली हरकतें करने से भी बाज नहीं आते। ऐसे अधिकारियों को ऐसी कड़ी सजा दी जानी चाहिए जो एक मिसाल बने। अन्यथा इनकी करतूतें बंद नहीं होने वालीं। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि उस अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है।
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विपक्ष इसका महत्व समझ नहीं पा रहा है देश में नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। पीएम ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था।उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर 15 दल बीजेपी के समर्थन में आ गए हैं, वहीं कांग्रेस ने नई संसद के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है, 20 अन्य विपक्षी दलों ने भी उसका साथ दिया है।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज24' पर आयोजित एक डिबेट में कहा कि उद्घाटन के बहिष्कार की बात तो बाद की है विपक्ष तो पहले दिन से ही इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है।उन्होंने कहा कि जब इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ तब भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था। इसके बाद जब इसका काम आगे बढ़ाया गया तब भी नए संसद भवन का विरोध किया गया। उन्होंने आगे मायावती के बयान का संदर्भ देते हुए कहा कि उनकी बात सार्थक दिखाई पड़ती है।अगर आपको आदिवासी महिला से इतना ही लगाव था तो आपने राष्ट्रपति को निर्विरोध निर्वाचित क्यों नहीं होने दिया? उन्होंने कहा कि मान लीजिए अगर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू इसका उद्घाटन करती तो भी विरोध के स्वर सामने आते! फिर विपक्ष ये कहता कि 28 मई को क्यों यह किया जा रहा है? वीर सावरकर से आप इसको जोड़ रहे हैं मतलब हिन्दू एजेंडा पर सवाल खड़े हो जाते!
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कांग्रेस शासनकाल में राष्ट्रपति पद को अपमानित किया गया नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह का आदेश देना उसका काम नहीं है।इसी मुद्दे पर हिंदी न्यूज चैनल 'डीडी न्यूज' के डिबेट शो '5 की पंचायत' में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने शो की एंकर 'रीमा पाराशर' के एक सवाल के जवाब में कहा कि आज हम इस बहस में पड़े हुए कि बड़ा कौन है? प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति! लेकिन वो समय याद करिए जब पीएम राजीव गांधी थे और राष्ट्रपति वेंकटरमण थे।उस समय मॉस्को में आयोजित हुए 'इंडिया फेस्टिवल' में तत्कालीन राष्ट्रपति ने पीएम राजीव गांधी का संदेश पढ़कर सुनाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में ना सिर्फ राष्ट्रपति बल्कि कई संवैधानिक पदों को अपमानित किया गया है।अगर देश के नए संसद भवन के उद्घाटन की बात है, तो ये उसी व्यक्ति का हक है जिसे देश की जनता ने जनादेश दिया है। उन्होंने बताया कि जब इस संसद का पहला सत्र होगा तो जाहिर सी बात है उसकी शुरुआत देश की माननीया राष्ट्रपति ही करेंगी। उन्होंने कहा कि इस देश की आदिवासी महिला पूरे शानो शौकत और मान सम्मान के साथ सत्र की शुरुआत करेंगी।
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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार, 23 मई को सिविल सर्विस परीक्षा 2022 के परिणामों की घोषणा की है। इन परिणामों के सामने आने के बाद ही कई उम्मीदवारों के संघर्ष की कहानियां लोगों के सामने आई है।वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर 'सुधीर चौधरी' ने अपने शो में एक ऐसे ही प्रतिभागी 'सूरज तिवारी' के संघर्ष की कहानी सुनाई जो कि आपके लिए प्रेरणा देने का काम करेगी। सुधीर चौधरी ने बताया कि UPSC 2022 की परीक्षा में सूरज की रैंक 917 आई है, लेकिन जिस हालात में उन्होंने पढ़ाई कर ये मुकाम हासिल किया है वो अंदर से आपको झकझोर देता है।उन्होंने बताया, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी के दोनों पैर नहीं हैं। एक हाथ भी नहीं है और दूसरे हाथ में सिर्फ 3 उंगलियां हैं। 6 साल पहले एक हादसे में उन्होंने शरीर के ये बेहद जरूरी अंग खो दिए। बात 2017 की है जब एक ट्रेन हादसे में ये सब कुछ हुआ। कुछ ही समय बाद सूरज के एक भाई की मौत हो गई। इससे घर की माली हालत और खराब हो गई।सूरज के पिता राजेश तिवारी टेलर मास्टर हैं, लेकिन सूरज ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने UPSC की परीक्षा देने का इरादा किया। इसके लिए पूरी शिद्दत से तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है। वीडियो के अंत में सुधीर चौधरी ने इस देश के युवाओं से कहा कि आज आपको सूरज से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
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रजत शर्मा ने कहा, यह भारतीयों के लिए गर्व का विषय पीएम मोदी अपनी छह दिवसीय विदेश यात्रा को सम्पूर्ण करके वतन आ गए हैं। उनकी यह विदेश यात्रा बेहद सफल हुई और उन्हें अभूतपूर्व सम्मान प्राप्त हुआ है। उनकी इस विदेश यात्रा के पूरे होने पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने ब्लॉग में इस विदेश यात्रा का विश्लेषण किया है।उन्होंने लिखा, ऑस्ट्रेलिया में नए भारत की ताकत दिखाई दी। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने स्टेडियम में तीस हजार लोगों के सामने कहा, मोदी इज द बॉस, सिडनी के कुडोस बैंक अरेना में प्रोग्राम तो ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीयों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इंटरैक्शन का था, लेकिन इस प्रोग्राम में ऑस्ट्रेलिया की पूरी सरकार, विपक्ष के नेता और दूसरे दलों के नेता भी पहुंचे। यहां ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने जो माहौल देखा, लोगों में जोश देखा,मोदी के प्रति लोगों की जो दीवानगी देखी, तो वो भी हैरत में पड़ गए। लेकिन मोदी ने न सियासत की बात की, न किसी की आलोचना की, सिर्फ भारत और भारतीयों की बात की।मोदी ने बताया कि आजकल दुनिया भारत को क्यों सलाम कर रही है! उनकी सरकार का मंत्र क्या है,उनकी सरकार के काम क्या हैं और उसका असर क्या हो रहा है। इस प्रोग्राम में मोदी ने आज जो कहा, उसे सुनना और देखना जरूरी है क्योंकि इससे पता चलता है कि मोदी को अब वर्ल्ड लीडर क्यों कहा जाता है।मोदी के प्रति लोगों में इतना भरोसा क्यों है.. 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तो बहुत सारे लोग पूछते थे कि ये विदेश नीति कैसे चलाएंगे, ये बड़े बड़े मुल्कों के नेताओं से संबंध कैसे बनाएंगे? आज उन लोगों को देखना और सुनना चाहिए कि कैसे ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मोदी को बॉस कहा, सिर्फ पिछले चार दिन में हमने देखा अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन मोदी को ढूढ़ते हुए आए और उन्हें गले लगाया।अमेरिका के प्रेसीडेंट ने कहा कि मोदी की लोकप्रियता इतनी है कि लगता है उन्हें भी मोदी का ऑटोग्राफ लेना पड़ेगा। पापुआ न्यू गिनी के प्राइम मिनिस्टर ने मोदी के पैर छुए, ये छोटी बात नहीं है। पिछले नौ साल में मोदी जिस भी देश में गए उन्होंने वहां नेताओं से संबंध बनाए और भारत का मान बढ़ाया।इस बात में कोई शक नहीं कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरी दुनिया में भारत के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। मैं जब भी विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों से बात करता हूं तो वो कहते हैं इस बदलाव को हर रोज अपने लाइफ में महसूस करते हैं, चाहे अमेरिका हो ,यूरोप हो या अफ्रीकी देश हर जगह भारत भारतीय और भारतीयता का सम्मान दिखाई देता है और इसका बहुत बड़ा श्रेय नरेन्द्र मोदी को जाना ही चाहिए।मोदी ने देश के लिए प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की बहुत दिमाग लगाया, छोटी छोटी चीजों का ध्यान रखा, बड़े बड़े फैसले लिए और ये काम आसान नहीं था। आज अगर कोई देश यूक्रेन और रशिया दोनों से आंख में आंख डालकर बात कर सकता है तो वो भारत है। मुसीबत के वक्त दुनिया का कोई देश किसी दूसरे मुल्क से मदद की उम्मीद करता है. तो वो भारत है। दुनिया के किसी भी कोने में फंसे अपने नागरिकों की सबसे पहले हिफाजत करता है तो वो भारत है।अगर तरक्की के लिए, बढ़ते प्रभाव के लिए किसी देश की मिसाल दी जाती है. तो वो भारत है। हिन्दुस्तान की ये पहचान नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में बनी है इसीलिए नरेन्द्र मोदी को आज वर्ल्ड लीडर माना जाता है, और ये मान सम्मान सिर्फ तस्वीरों और स्पीचेज तक सीमित नहीं रहता है। पूरे मुल्क को इसका फायदा व्यापार में होता है, टूरिज्म में होता है, इन्वेस्टमेंट में होता है। जब किसी देश का नेता बड़ा बनता है तो दुनिया में उसका मान बढता है, उसका फायदा देश के ओवरऑल डेवलपमेंट को होता है।
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‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी ने अवमानना से जुड़े वर्ष 2016 के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी है।‘टेरी’ (TERI) के पूर्व एग्जिक्यूटिव वाइस चेयरमैन आर.के पचौरी ने वर्ष 2016 में अरनब गोस्वामी और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। कोर्ट के आदेश के बावजूद आर.के पचौरी के खिलाफ मीडिया रिपोर्टिंग पर अवमानना याचिका दायर की गई थी।28 अप्रैल को हाई कोर्ट में पेश किए गए गोस्वामी के हलफनामे में कहा गया है, ‘मैं माननीय अदालत से माफी मांगता हूं और अनुरोध करता हूं कि यह माननीय अदालत माफी स्वीकार करने और उनके खिलाफ तत्काल कार्यवाही को बंद करने की कृपा करे।’हलफनामे में यह भी कहा गया है कि अरनब गोस्वामी कानून का पालन करने वाले और देश के सम्मानित नागरिक हैं। वह दिल्ली हाई कोर्ट समेत सभी अदालतों को उच्च सम्मान देते हैं।हलफनामे के अनुसार, ‘न्यायालय के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था। यह कथित प्रसारण इस विश्वास के तहत किया गया था कि माननीय न्यायालय द्वारा 18.02.2015 को पारित आदेश के संदर्भ में इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया था। यह कथित प्रसारण भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत मिली स्वतंत्रता के मद्देनजर निष्पक्ष रिपोर्टिंग के हिस्से के रूप में किया गया था।’
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राणा यशवंत ने कही मन की बात संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है। इस बार यूपीएससी की परीक्षा में पहला और दूसरा रैंक प्राप्त करने वाली दोनों बेटियां बिहार की हैं। पहला स्थान पटना की इशिता किशोर को, जबकि दूसरा स्थान बक्सर की गरिमा लोहिया को मिला।इशिता का परिवार पहले पटना में ही रहता था और अब वो नोएडा में रहते हैं। बिहार की बेटियों की इस सफलता पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने ट्वीट कर उन्हें बधाई तो दी ही उसके साथ ही अपने मन की एक पीड़ा भी व्यक्त की।उन्होंने लिखा, UPSC में पहला और दूसरा स्थान बिहार की बेटियों का है। इशिता और गरिमा की सफलता ने गांव देहात में पढ़ने वाली बिहार की लाखों बेटियों के सपनों को साहस दिया होगा। बदकिस्मती ये है कि इशिता और गरिमा जैसी लड़कियों को क्वॉलिटी एजुकेशन और सही माहौल के लिए बिहार से बाहर आना पड़ता है।आपको बता दें कि UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 के तहत आईएएस, आईपीएस समेत सर्विसेज में 1011 पदों पर भर्ती निकाली थी। इसमें चयनित उम्मीदवारों में 345 जनरल, 99 ईडब्ल्यूएस, 263 ओबीसी, 154 एससी, 72 एसटी उम्मीदवार हैं।
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अनुराग दीक्षित ने किया ये बड़ा सवाल नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार में विपक्ष एकजुट हो गया है। नए संसद भवन के उद्घाटन में तमाम पार्टियों को शामिल होने के लिए न्योता दिया गया था और अब 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है।देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भवन का उद्घाटन करेंगे, लेकिन अब इस खूबसूरत बिल्डिंग को लेकर देश में सियासत छिड़ गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था- नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं।अब इस मसले पर पत्रकार अनुराग दीक्षित ने ट्वीट कर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री की गैरजरूरी बहस के बीच संसद भवन के उद्घाटन समारोह में कांग्रेस शामिल नहीं होगी! जिस इमारत की मांग खुद कांग्रेस सरकार में हुई थी, विरोध की सियासत के चलते उसी इमारत से दूरी का ऐलान! वैसे संविधानिक पद की दुहाई वो पार्टी दे रही हैं, जो देश को ना सिर्फ आपातकाल देती है, बल्कि PM मनमोहन सिंह के ऊपर 'सुपर PM' बिठाती है - NAC मुखिया के तौर पर!
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम ने बाद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश पर अपनी नजरें जमा दी हैं। प्रदेश के चुनावी साल में अब घोषणाओं की झड़ी शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी। साथ ही 200 यूनिट तक की खपत पर आधे बिल का ही भुगतान उपभोक्ताओं को करना होगा।इस बयान के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, क्या कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की 'संजीवनी' छीन ली है? इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि कांग्रेस अब आम आदमी पार्टी को कहीं उठने नही देगी। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का 'फ्री' ब्रह्मास्त्र पूरी तरह हाईजैक कर लिया है। हिमाचल और कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश चुनावों में भी कांग्रेस ने यही ब्रम्हास्त्र चल दिया है। मध्य प्रदेश के लिए कांग्रेस ने अभी से 100 यूनिट फ्री बिजली, लोन माफी, 500 रुपए में सिलेंडर और ओल्ड पेंशन स्कीम का ऐलान कर दिया है।आपको बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार पहले से 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली दे रही है। आप के इस ऐलान के बाद पार्टी लगातार दो विधानसभा चुनावों में सफल रही है। दिल्ली में मुफ्त बिलजी योजना इसकी बड़ी भूमिका मानी जाती है।
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के चैंपियन चुप कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार आने के बाद सीएम सिद्धरमैया के एक निर्णय के बाद विवाद हो गया है। दरअसल, प्राइमरी स्कूल के एक टीचर को महज इस वजह से सस्पेंड कर दिया गया, क्योंकि उसने फेसबुक पोस्ट में सीएम के खिलाफ आपत्तिजनक बात लिखी थी।सरकार ने सिविल सर्विसेज रूल्ज 1966 के तहत होसदुर्गा तालुका के प्राइमरी शिक्षक शांता मूर्ति एमजी के खिलाफ कार्रवाई की। इस पूरे मामले पर पत्रकार अर्चना सिंह ने एक ट्वीट करते हुए इसे गलत निर्णय करार दिया।उन्होंने लिखा, कर्नाटक के चित्रदुर्ग के प्राइमरी टीचर शांता मूर्ति को सीएम सिद्धारमैया की फ्री पॉलिटिक्स की आलोचना करने पर सस्पेंड कर दिया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर छाती पीटने वाले चैंपियन चुप, क्योंकि ये कांग्रेस के राज में हुआ,बीजेपी का राज्य होता तो लोकतंत्र संविधान खत्म इमरजेंसी लग गई होती।आपको बता दें कि शांता मूर्ति ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि सिद्धरमैया मनमुताबिक मुफ्त योजनाओं का ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि पहले सीएम रहते उन्होंने बेतहाशा कर्ज लिया था। सरकार को इस फेसबुक पोस्ट का पता तब चला, जब ये पोस्ट वॉट्सऐप ग्रुप पर वायरल हो गई।उसके बाद सीएमओ एक्शन में आया और चित्रदुर्ग के शिक्षक को 6 माह के लिए सस्पेंड करने का आदेश जारी किया गया। पत्रकार अर्चना सिंह के द्वारा किये गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं।
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चित्रा त्रिपाठी बोलीं- कश्मीर में लौट रहा अमन-चैन जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक जम्मू कश्मीर में हो रही है। इस इवेंट को लेकर श्रीनगर से लगातार खूबसूरत तस्वीरें आ रही हैं। श्रीनगर में जी20 की बैठक के दौरान सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम हैं।श्रीनगर में एक तरफ पर्यटकों की गहमा-गहमी है, तो दूसरी तरफ जी20 के डेलीगेट्स का स्वागत सत्कार और बैठक चल रही है। अगस्त 2019 में घाटी से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम यहां चल रहा है, जिसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। आसमान से जमीन पर नजर रखी जा रही है। इस आयोजन पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर चित्रा त्रिपाठी ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 37 सालों के बाद घाटी में हो रहा ये सबसे बड़ा आयोजन है. 370 के खात्में का असर दिख रहा है। कश्मीर में 2022 में रिकॉर्ड पौने दो करोड़ से ज़्यादा पर्यटक पहुंचे थे। इस बार ये आंकड़ा दो करोड़ को पार कर सकता है। इस आयोजन से दुनिया भर का भरोसा मजबूत हुआ है कि घाटी के अच्छे दिन आ गए हैं। कश्मीर में 80 के दशक का अमन-चैन लौट रहा है। आख़िरी बड़ा आयोजन-1986 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का मैच हुआ था।आपको बता दें कि जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की तीसरी बैठक में एलजी मनोज सिन्हा ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा ज्ञान, ज्ञान और लुभावने परिदृश्य का केंद्र रहा है। 30 वर्षों तक शांति की इस भूमि को हमारे पड़ोसी देश द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार होना पड़ा।
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जयदीप कर्णिक ने दी ये नसीहत नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर एक नया सियासी संग्राम शुरू हो गया है। पीएम मोदी 28 मई को इस नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं, हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि ‘सर्वोच्च संवैधानिक पद’ पर होने के नाते राष्ट्रपति को इसका उद्घाटन करना चाहिए और इसकी शुरुआत खुद राहुल गांधी ने ट्वीट करके की थी।28 मई को वीर सावरकर की जयंती है, जो बीजेपी के सबसे बड़े आदर्श माने जाते रहे है वहीं कांग्रेस का आरोप है कि इस तारीख का चयन देश के संस्थापक पिताओं का 'अपमान' है। इस मामले पर 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक से बात की।उन्होंने कहा, नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जो विवाद है वो मूलतः राजनीतिक है। सौ बरस पुराने भवन के स्थान पर भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए नया भवन बनना चाहिए ये तो सभी दल मान रहे थे। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही इसे प्राथमिकता दी और अब दूसरा कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इसका उद्घाटन होने जा रहा है, तो ये बड़ी उपलब्धि है।सरकार इसे अपने पक्ष में भुनाएगी ही। अगर इसकी बनावट में कोई गड़बड़ हुई है, कोई घोटाला हुआ है, कोई काम सही नहीं हुआ है तो विपक्ष को उसे उठाना चाहिए। उद्घाटन कौन कर रहा है, इस मुद्दे को उठाने से विपक्ष को कोई लाभ नहीं मिलने वाला।आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी ने भी यह कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जगह प्रधानमंत्री मोदी को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया जाना उनके साथ-साथ देश के आदिवासी और पिछड़े समुदायों का ‘अपमान’ है।
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पद्मश्री आलोक मेहता ने कही ये बड़ी बात जम्मू-कश्मीर में जी-20 के टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की मीटिंग को लेकर पाकिस्तान और चीन दोनों को ही मिर्ची लगी हुई है। दरअसल, जी-20 पर्यटन कार्य समूह की तीन दिवसीय तीसरी बैठक श्रीनगर में शुरू हो गई है। विभिन्न सदस्यों देशों के प्रतिनिधि श्रीनगर हवाईअड्डे पर पहुंच चुके हैं। इस दौरान उन्हें स्वागत स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।इसके बाद स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा लाइव संगीत और पारंपरिक नृत्य की झलक दिखाई गई। हालांकि इस बैठक से पाकिस्तान और चीन दोनों ही खुश नहीं है, क्योंकि दोनों मुल्कों ने इस बैठक को रोकने के भरसक प्रयास किए थे। चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि 'विवादित क्षेत्र' में किसी तरह की बैठक आयोजित करने का चीन दृढ़ता से विरोध करता है।इस मामले को लेकर 'समाचार4मीडिया' ने पद्मश्री आलोक मेहता से बातचीत की है। उन्होंने बताया कि श्रीनगर कश्मीर में जी 20 देशों के संगठन के नेताओं की बैठक ऐतिहासिक मोड़ और भविष्य में नई प्रगति का विश्वास दिलाई देती दिख रही है। हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं और डल झील से आतंकवाद के विरुद्ध शांति खुशहाली की हवा और खुशबू दुनिया तक पहुंच रही है। सम्पन्न विकसित देशों का समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से मिल रहा है और कश्मीर में सम्पन्नता के रास्ते खुल रहे हैं। इससे पर्यटन, टेक्सटाइल उद्योग का विस्तार और रोजगार से लाखों युवाओं महिलाओं को लाभ मिलेगा। जय कश्मीर जय भारत।
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वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह ने बताया कैसे बदला भारत भारत के पीएम नरेंद्र मोदी इस समय अपने 6 दिवसीय विदेशी दौरे पर हैं। इस दौरान पीएम मोदी कई देशों के राजनेताओं से मिलने के साथ ही कई कार्यक्रमों में भी शामिल हो रहे हैं।इस विदेशी दौरे पर पीएम मोदी को जो आदर सत्कार मिल रहा है, वो अभूतपूर्व है। पीएम मोदी को फिजी और पापुआ न्यू गिनी के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। इसके साथ विदेश में एक बार फिर पीएम मोदी का डंका बज गया।इसी मुद्दे को लेकर 'डीडी न्यूज' के डिबेट शो में वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह ने बताया कि आज कैसे विदेश नीति में भारत आगे निकल रहा है। शो की एंकर रीमा पाराशर के एक सवाल के जवाब में रामकृपाल सिंह जी ने कहा कि मैं 26 साल संपादक रहा हूं और मुझे याद है कि जब राजीव गांधी अमेरिका गए थे वो वहां के अखबारों के आखिरी पन्ने पर एक छोटी सी खबर छप जाती थी और ये वो दौर था जब वो 400 लोकसभा सीट के प्रचंड बहुमत से पीएम बने थे।आगे उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से पीएम मोदी का विदेश में सम्मान हो रहा है और वहां के मीडिया और अखबार जिस तरह देश की चर्चा कर रहे हैं, वो देखकर उन्हें अच्छा लगता है। उन्होंने शो में यह भी कहा कि जब 'जॉर्ज बुश' भारत आते थे, तो यहां के अखबार पहले पन्ने पर उनकी खबर लगाते थे और हमारे लोग जब वहां जाते थे तो उन्हें उचित कवरेज नहीं मिलती थी और ये देखकर एक संपादक के नाते उन्हें पीड़ा होती थी।
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अखिलेश शर्मा ने कही ये बात प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप देशों में भी पीएम नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता अब बढ़ रही है। पापुआ न्यू गिनी में पीएम मोदी का जिस तरह का स्वागत किया गया है उसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। अब पापुआ न्यू गिनी ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है। पापुआ न्यू गिनी के गवर्नर जनरल सर बाब दबाई ने पीएम मोदी को ग्रैंड कैम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहु दिया।इस दौरान इस क्षेत्र के एक दूसरे देश फिजी ने भी अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान से पीएम मोदी को सम्मानित किया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने समाचार4मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को मिला हर सम्मान भारत का सम्मान है। यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेशी धरती पर ऐसा सर्वोच्च सम्मान मिला हो। इससे पहले भी उन्हें कई देशों में अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा है।सऊदी अरब, अफगानिस्तान, फिलस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, मालदीव, बहरीन, अमेरिका, भूटान आदि देशों के विभिन्न सम्मान दिए जा चुके हैं। इनके अलावा पीएम को सोल पीस प्राइज़, संयुक्त राष्ट्र का चैंपियन्स ऑफ द अर्थ अवार्ड, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन का ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड भी दिया जा चुका है।
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आतंक देखना हो तो प.बंगाल को देखिए 'द केरल स्टोरी' इस समय देश के सिनेमाघरों में धूम मचा रही है और फिल्म की कमाई 200 करोड़ को छूने वाली है। लेकिन पश्चिम बंगाल के मूवी हॉल से 'द केरल स्टोरी' इस समय भी गायब है।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिल्म पर पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिबंध को पलट दिया और सरकार से कहा कि फिल्म पर रोक नहीं लगाई जा सकती और सुरक्षा के इंतज़ाम करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसके बाद भी बंगाल के सिनेमाघरों में यह फिल्म नहीं दिखाई जा रही।इसी बीच फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उन्हें कई हॉल मालिकों ने बताया है कि उन्हें धमकी दी गई है और फिल्म को प्रदर्शित नहीं करने के लिए कहा है। इस पुरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट कर अपनी राय दी है।उन्होंने लिखा, तानाशाही और एक तानाशाह शासक का आतंक देखना हो तो प.बंगाल को देखिए। ममता बनर्जी ने सेंसर का सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी 'द केरल स्टोरी' पर बैन लगाया और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि बैन हटाओ,गलत है। पर सर्वोच्च अदालत के फैसले के 2 दिन बाद भी प.बंगाल के किसी थियेटर में फिल्म नहीं चली।इस फिल्म में बताया गया है कि कैसे केरल की महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया था और आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) में भर्ती किया गया था। वरिष्ठ पत्रकार और एंकर अशोक श्रीवास्तव के द्वारा किए गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं |
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हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' के एक डिबेट शो में एंकर चित्रा त्रिपाठी और स्वराज्य इंडिया के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव के बीच एक मामले को लेकर हुई बहस ट्विटर पर तीखी नोकझोंक में बदल गई।दरअसल अपने डिबेट शो में चित्रा त्रिपाठी ने देश में पहली बार हुए चुनावों के जातीय आंकड़े सामने रखे थे। उन्होंने जानकरी दी कि किस प्रकार आजादी के बाद लोकसभा और विधानसभा में ब्राह्मण सदस्यों की संख्या अधिक थी। योगेंद्र यादव ने शो के दौरान इसे ‘पीड़ा’ बताते हुए कई तरह के सवाल खड़े किए थे। योगेंद्र यादव ने चित्रा त्रिपाठी से कहा कि 'मैं मानता हूं कि ये आपकी व्यक्तिगत पीड़ा नहीं होगी।' इसके जवाब में चित्रा त्रिपाठी ने कहा कि उनका मकसद सिर्फ एक तथ्य की ओर ध्यान दिलाना था। इसके बाद वह इस मुद्दे को लेकर ट्विटर पर भी कूद पड़े और ट्वीट करते हुए इस मुद्दे को और ज्यादा उछालना शुरू कर दिया।उन्होंने लिखा, मैने पूछ ही लिया कि 'आजतक' बार बार उस युग को क्यों याद कर रहा है, जब अधिकांश मुख्यमंत्री और एक चौथाई सांसद ब्राह्मण होते थे? कहीं इसके पीछे कोई पीड़ा तो नहीं? या उस अतीत का मोह? जाहिर है सवाल मेरी ही नीयत पर उठाए गए।उनके इस ट्वीट के बाद चित्रा त्रिपाठी ने भी ट्विटर पर उन्हें जवाब देते हुए लिखा कि आपकी व्यक्तिगत कुंठा को समझा जा सकता है। मुझे आपके साथ सहानुभूति है। पहले अन्ना आंदोलन में अपने आपको कामयाब करने की कोशिश, फिर पद नहीं मिलने पर केजरीवाल से अदावत, फिर स्वयंभू बनने की कोशिश स्वराज आंदोलन से, अंततोगत्वा राहुल गांधी की शरण में (जो एक जनेऊधारी ब्राह्मण हैं), मैं ये नहीं कहूंगी कि आप अतिपाखंडी हैं मगर अपनी महत्वाकांक्षा के लिए मीठी जुबान से समाज को विभाजित करना देश के साथ गद्दारी होती है। मेरा सवाल काट कर मुझे ट्रोल कराने के लिए धन्यवाद। ईश्वर आप पर रहम करें।
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‘टाइम्स समूह’ (Times Group) में समीर जैन और विनीत जैन के बीच कारोबार के बंटवारे की खबरों के बीच कंपनी ने अपने एंप्लॉयीज के लिए एक स्टेटमेंट जारी कर मीडिया में इस बारे में चल रही अटकलों को गलत बताया है।इस बारे में ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (BCCL) के कंपनी सेक्रेट्री कौशिक नाथ की ओर से एंप्लॉयीज के लिए जारी स्टेटमेंट में कहा गया है, ‘कंपनी में एक प्रमुख पद पर होने के नाते एंप्लॉयीज को सूचित करना मेरा कर्तव्य है कि उन्हें कंपनी के पुनर्गठन के बारे में मीडिया में चल रही अटकलों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सोशल मीडिया में इस बारे में तमाम अटकलें और गलत जानकारी है।’मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बंटवारे के तहत समीर जैन को समूह का प्रिंट बिजनेस और उनके छोटे भाई विनीत जैन को ब्रॉडकास्ट, रेडियो मिर्ची और एंटरटेनमेंट (ENIL) समेत अन्य बिजनेस की कमान मिलेगी।
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विक्रम चंद्रा एक भारतीय पत्रकार हैं। जिन्होंने एक बहुभाषी वीडियो समाचार मंच, एडिटरजी टेक्नोलॉजीज की स्थापना की। विक्रम चंद्रा का जन्म 7 जनवरी 1967 को हुआ था। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद, चंद्रा ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली में दाखिला लिया और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने ऑक्सफोर्ड में एक इनलैक्स स्कॉलरशिप पर अध्ययन किया। उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में मास मीडिया में तीन महीने का कोर्स भी किया है। उन्होंने सीमा चंद्रा से शादी की है। चंद्रा ने 1991 में टेलीविज़न पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत न्यूज़ट्रैक नामक एक टीवी समाचार पत्रिका के साथ की। वह 1994 से नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड के साथ हैं। इन वर्षों के दौरान, उन्होंने प्राइम टाइम 9 ओ'क्लॉक न्यूज , गैजेट गुरु ( राजीव मखनी के साथ ) पर काम किया, जो नई तकनीकों के बारे में एक समीक्षा शो था। 2000 में चंद्रा ने NDTV.com की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो देश की शीर्ष वेबसाइटों में से एक बन गई। 2007 में, उन्हें एनडीटीवी नेटवर्क्स के सीईओ नामित किया गया था, और 2011 में उन्हें एनडीटीवी समूह के सीईओ के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 2016 में एनडीटीवी से इस्तीफा देकर 'एडिटरजी' की स्थापना की। और उनकी जगह केवीएल नारायण राव को एनडीटीवी के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया। जिनके पास पहले से ही एनडीटीवी के सीईओ के रूप में एक कार्यकाल था।
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इंडिया टुडे टेलीविजन और आजतक मशहूर एंकर राहुल कंवल का जन्म 14 सितम्बर 1980 को डोलली, महाराष्ट्र (Home Town बिहार की राजधानी पटना) में हुआ था। राहुल ने जन संचार में डिग्री हासिल करके पत्रकारिता की दुनिया में नाम कमाएं है। राहुल ने पटना बिहार से संचार संकाय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। आजतक से पहले राहुल इंडिया टुडे में काम करते थे। यह आजतक पर हेडलाइन टुडे के एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं, और देश, दुनिया के ज्वलंत मुद्दों पर भी चर्चा का कार्यक्रम करते है। राहुल कँवल ने Hostile Environment Journalism का कोर्स भी किया है। राहुल ने आजतक न्यूज़ चैनल वर्ष 2002 में ज्वाइन किया था।
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रोहित सरदाना का जन्म 22 सितंबर 1981 को हरियाणा में हुआ था। रोहित ने हरियाणा से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अपनी आगे की पढ़ाई के लिए वह हिसार चले गए और उन्होंने गुरु जम्बेश्वर विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दाखिला लिया। उन्होंने वहां से मनोविज्ञान में स्नातक(BA) की डिग्री हासिल की है, और उसी यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स (MA) की डिग्री हासिल की है। बचपन से रोहित का सपना था चाहे जो हो मुझे टीवी पर आना है, इसीलिए उन्होंने पत्रकारिता में करियर बनाने का सोचा। शुरुआत में रोहित कुछ अखबारों के लिए भी लिखते थे, और यही वजह रही उनके टीचर ने उन्हें पढ़ाई के साथ काम करने के लिए भी कहा. रोहित ने फिर कुछ इंटरव्यू दिए और उनकी रेडिओ स्टेशन में नौकरी लग गई। रोहित पढाई के साथ ही नौकरी भी करने लगे। 2004 में, सहारा के लिए उन्हें सहायक निर्माता के रूप में काम करने का मौका मिला और ज़ी न्यूज़ में कार्यकारी संपादक के रूप में शामिल होने से पहले उन्होंने सहारा में दो साल तक काम किया। रोहित सरदाना आज तक के लिए काम कर रहे थे. कुछ दिनों से वे अस्पताल में कोरोना संक्रमित होने के कारण भर्ती थे। इसी दौरान हृदयगति रुकने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी। 30 अप्रेल 2021 को सुबह जब उन्हें अटैक आया उसके बाद डॉक्टर उन्हें वेंटीलेटर पर भी ले गए. लेकिन डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।
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नीरज बधवार ने कही यह बड़ी बात पटना में बाबा बागेश्वर की हनुमान कथा भले ही खत्म हो गई है, लेकिन उनकी कथा में उमड़े जन सैलाब ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। माना जा रहा है कि उनकी कथा में दस लाख से अधिक की भीड़ आई और उतनी भीड़ बिहार की जनता ने कभी नहीं देखी।राजधानी पटना से सटे नौबतपुर के तरेत पाली में पांच दिवसीय हनुमंत कथा का आयोजन किया गया था और इस कथा आयोजन पर सियासत भी खूब हुई। इस पूरे मामले पर लेखक और पत्रकार नीरज बधवार ने ट्वीट कर अपनी राय दी है। उन्होंने लिखा, जिस समाज में व्यवस्था जितनी कमजोर होती है, वहां माफिया और धर्मगुरु उतने ही मजबूत हो जाते हैं।जब व्यवस्था आम लोगों को न्याय नहीं दिलाती तो उस न्याय के लिए लोग बाहुबल और चमत्कार के भरोसे हो जाते हैं। आप व्यवस्था को मजबूत कर दीजिए, माफिया, फर्जी धर्मात्मा, टोना-टोटका खुद ब खुद खत्म हो जाएंगे। एक गरीब इंसान जो अपने बच्चे का इलाज प्राइवेट अस्पताल में नहीं करा सकता। अच्छे सरकारी अस्पताल में उसका नंबर नहीं आता, उसे किसी चमत्कारी बाबा का पता लगेगा, तो उसे आखिरी उम्मीद मान उसके पास जाएगा ही जाएगा। समाज का हर वंचित इंसान, समाज के हर शातिर इंसान के लिए एक आसान शिकार है।जब सरकारें अपने ही कमजोर लोगों को उनके हाल पर छोड़ देती हैं, उनके साथ न्याय नहीं करती, तो न्याय के नाम पर उनका शोषण करने के लिए ठगों की एक समानान्तर व्यवस्था खड़ी हो जाती है।आपको ठगों से चिढ़ हैं तो उससे ज्यादा गुस्सा उस व्यवस्था से होना चाहिए, जो ऐसे ठगों और माफियाओं को जन्म लेने देती है।
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अभिषेक उपाध्याय ने बताई अंदर की बात पांच दिनों तक चले गहरे सियासी मंथन के बाद कर्नाटक को नया सीएम मिल गया है। कांग्रेस ने कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री का नाम फाइनल कर दिया है और वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ही कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। डीके शिवकुमार भी लगातार सीएम पद के लिए कोशिश करते रहे, लेकिन वह रेस में पीछे छूट गए।इसके लिए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी से लेकर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी तक से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। इस पूरे सियासी घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने लिखा, डीके शिवकुमार ने कोई त्याग नहीं किया है। बल्कि बुद्धिमत्ता से समझदारी भरा सौदा किया है। वे अपने धैर्य और समझदारी के चलते बेहद फायदे में रहे हैं। वे खुद जानते थे कि ED/CBI और IT के लंबित मामलों के चलते उनका CM बनना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हैं। ऐसे में उन्होंने इस मामले को वहां तक खींचा जहां तक उन्हें सिद्धारमैया के बाद का 'सर्वश्रेष्ठ' हासिल हो सके। वह उन्हें मिल भी गया है।
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा - ले डूबा बड़बोलापन केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय वापस ले लिया है। उनकी जगह राजस्थान से आने वाले अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया है। माना जा रहा है कि इस साल के अंत में राजस्थान में चुनाव के चलते सरकार ने ये निर्णय लिया है।किरेन रिजिजू बतौर केंद्रीय कानून मंत्री लगातार चर्चा में रहे और उन्होंने पिछले दिनों न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। अब किरेन रिजिजू को कानून मंत्रालय से बदलकर भू विज्ञान मंत्रालय दिया गया है। इस फेरबदल पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने भी अपनी राय व्यक्त की है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, किरेन रिजिजू को बड़बोलापन ले डूबा। मोदी सरकार शासन में बड़े सुधार चुपचाप करती रही है। न्याय पालिका में भी सुधार पर मोदी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन किरेन रिजिजू ने उसे इस तरह से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया था कि सरकार और मुख्य न्यायाधीश के बीच कोई जवाबी कव्वाली चल रही हो।
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आनंद नरसिम्हन ने कही ये बड़ी बात कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस पार्टी में अभी भी मंथन चल रहा है। हालांकि सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने सिद्धारमैया के पक्ष में फैसला लिया है और उन्हें अभी अकेले ही शपथ दिलवाई जाएगी। राहुल गांधी फिलहाल डीके शिवकुमार से बात कर रहे हैं और उन्हें राजी किया जा रहा है कि वह डिप्टी सीएम बन जाएं। डीके शिवकुमार को यह भी समझाया गया है कि भविष्य में वही पार्टी के चेहरा होंगे। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार आनंद नरसिम्हन ने इस पूरे मसले पर ट्वीट किया और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, अगर सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले सीएम हैं तो क्या डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनना चाहेंगे? या क्या वह अपने भाई डीके सुरेश को डिप्टी सीएम बनवा देंगे! इसके अलावा महत्वपूर्ण विभागों को सुरक्षित करने के लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव डालेंगे। सरकार में अपना आदमी, पार्टी का नियंत्रण। बराबरी का दर्जा! वफादारी और रॉयल्टी।
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बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ती चली जा रही हैं। पाकिस्तान स्थित पंजाब सरकार का कहना है कि इमरान के जमान पार्क स्थित घर में 30-40 आतंकी छिपे हैं। पंजाब की अंतरिम सरकार ने पीटीआई को पूर्व प्रधानमंत्री के लाहौर स्थित जमान पार्क आवास में शरण लेने वाले 30-40 आतंकवादियों को पुलिस को सौंपने के लिए 24 घंटे की समय सीमा दी है।वहीं इमरान खान के ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट भी किया गया है और गिरफ्तारी की आशंका जताई गई है। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने ट्वीट कर अपनी राय दी है।उन्होंने लिखा, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की बेबसी और डर का अंदाजा लगाइए। जिस पाकिस्तानी आर्मी के कारनामों और हॉरर फाइल्स को भारत सालों से दुनिया के सामने रख रहा था आज उसी आर्मी की बैगैरती को नजदीक से महसूस कर रहे हैं! खान साहब,बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए। आपकी सलामती की दुआएं, हैं तो आप पड़ोसी ही।
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नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (New Delhi Television Ltd.) यानी कि 'एनडीटीवी' विभिन्न भारतीय भाषाओं में 9 न्यूज चैनल शुरू करेगा। यह फैसला 17 मई को हुई बोर्ड मीटिंग में लिया गया। इसके लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय की अनुमति लेने के प्रस्ताव को बोर्ड ने मंजूरी दे दी है।मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद चैनलों के लॉन्च करने की तारीख की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दी जाएगी।बता दें कि AMG मीडिया नेटवर्क्स ने एक सब्सिडियरी के जरिए 30 दिसंबर 2022 को राधिका रॉय और प्रणय रॉय से NDTV में 27.26% हिस्सा खरीदा था, जिसके बाद AMG मीडिया की NDTV में कुल हिस्सेदारी 64.71% है। NDTV ने इसी महीने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया था कि कंपनी का नया मैनेजमेंट अब कंटेंट और मार्केटिंग-डिस्ट्रिब्यूशन में निवेश करने की योजना बना रहा है, जिससे लॉन्ग टर्म ग्रोथ हासिल की जा सके और सभी सेगमेंट में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई जा सके।
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जयदीप कर्णिक बोले- कांग्रेस की राह नहीं आसान कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की है और डीके शिवकुमार के बाद सिद्धारमैया ने भी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की है।इसी बीच सियासी हलकों में चर्चा है कि कर्नाटक के अगले सीएम सिद्धारमैया होंगे और उनके नाम पर पार्टी सहमत है। हालांकि दिल्ली रवाना होने से पहले कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी एकजुट है।दरअसल, कर्नाटक में नए मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस के अंदर लगातार मंथन जारी है। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पहुंचे।इसी बीच 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक से कर्नाटक के सियासी घटनाक्रम पर बात की और पूछा कि अगर डीके शिवकुमार को सीएम नहीं बनाया गया, तो क्या कर्नाटक में भी एमपी और राजस्थान जैसा संकट पैदा हो सकता है?इस सवाल के जवाब में जयदीप कर्णिक ने कहा कि कर्नाटक में ऐतिहासिक जीत के बाद भी कांग्रेस अभी बेचैन है। मुख्यमंत्री का पद उसके लिए गले की हड्डी बन गया है। गुप्त मतदान में सिद्धारमैया को ज्यादा वोट मिले हैं। वहीं जीत में डीके शिवकुमार के योगदान को दरकिनार नहीं किया जा सकता। जीत के बाद निकले उनके आंसू अभी गीले ही हैं। वो इनकी कीमत भी बखूबी जानते हैं। उनके भाई भी डटे हुए हैं। ज्योतिरादित्य को दरकिनार करने की सजा कांग्रेस मध्यप्रदेश में भुगत चुकी है। राजस्थान में सचिन पायलट लगातार सिरदर्द बने हुए हैं। ऐसे में जीत के बाद भी कांग्रेस की राह आसान नहीं है। पूरे पांच साल ठीक से सरकार चला ले जाना बहुत बड़ी चुनौती होगी।
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बागेश्वर सनातनी नहीं बोलेंगे अल्लाह-हू-अकबर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों पटना में हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बिहार दौरे को लेकर खूब सियासत हो रही है। बाबा की कथा में ऐसी भीड़ उमड़ रही है जो शायद ही कभी बिहार की जनता ने देखी हो, ऐसे में सियासी तूफान उठना तो तय है।वैसे भी बीजेपी तो बाबा की आवभगत में लगी ही हुई है। इसी बीच झारखंड कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी ने बागेश्वर बाबा को लेकर टिप्पणी की है। जामताड़ा विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि यदि बागेश्वर बाबा सच्चे हैं तो सभी धर्मों का सम्मान करें। वह अपने मंच से अल्लाह-हू-अकबर का भी नारा लगाएं।इसी मामले बीजेपी बिहार के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने 'आजतक' की एंकर चित्रा त्रिपाठी के शो 'दंगल' में उनसे खास बात की। जब चित्रा त्रिपाठी ने उनसे ये पूछा कि इरफान अंसारी तो बाबा से 'अल्लाह हू अकबर' बोलने के लिए कह रहे हैं, तो उसके जवाब में गिरिराज सिंह ने कहा कि वो कब से संतों को सलाह देने लगे?आगे उन्होंने कहा कि मुस्लिम हो या ईसाई हो ये सभी धर्म हजारों साल से होंगे, लेकिन सनातन धर्म का कोई आदि अंत नहीं है। उन्होंने कहा, हमारें पास पूजन करने के लिए 33 कोटि देवता है जिनकी सेवा करने के लिए एक जन्म भी कम पड़ेगा।
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दीपक चौरसिया ने यूं दिया जवाब बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री इस समय बिहार में है और उनको सुनने के लिए इतनी भीड़ उमड़ रही है कि बाबा को अनहोनी की आशंका होने लगी है। माना जा रहा है कि बाबा को सुनने कम से कम 10 लाख लोग आ रहे हैं।इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया के डिबेट शो ‘क़सम संविधान की’ में आरजेडी नेता सैयद फैजल अली ने धीरेंद्र शास्त्री की तुलना अमृपताल से कर दी जिसका वीडियो खुद दीपक चौरसिया ने ट्वीट करते हुए शेयर किया है।उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, मेरे शो ‘क़सम संविधान की’ में आज आरजेडी नेता सैयद फैजल अली ने साफ साफ कहा कि बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री ठीक वैसे ही बात कर रहे हैं जैसी आतंकी संगठन से ताल्लुक रखने वाला अमृतपाल किया करता है। क्या ये तुलना सही है, आप खुद विचार करिए।इस वीडियो में दीपक चौरसिया कहते हैं कि भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म का प्रचार करने की इजाजत देता है। अगर बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं तो इसमें क्या बुरा है?आपको बता दें कि बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की पटना में चल रही कथा में शामिल नहीं होंगे। दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री के पटना आने का राजद के कई नेता विरोध कर चुके हैं। पटना में पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा, हमारे यहां बहुत सारे निमंत्रण आते रहते हैं। जहां जनता का काम होता है, वहीं हमलोग जाते हैं।
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विनोद अग्निहोत्री ने कही ये बड़ी बात कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कई आलोचक पीएम मोदी पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी के शानदार रोड शो और रैलियों के बाद भी बीजेपी 70 सीट के भीतर सिमट गई।इस मामले को समझने के लिए 'समाचार4मीडिया' ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री जी से बात की और पूछा कि क्या वाकई ऐसा है? क्या एक चुनाव हारने भर से मोदी का जादू कम हो गया? क्या यूपी निकाय चुनाव में जीत मिलने से अब योगी पीएम मोदी से अधिक लोकप्रिय हो जाएंगे?इन सवालों के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने कहा, किसी एक चुनाव के नतीजों को किसी भी नेता के करिश्मे और लोकप्रियता के घटने बढ़ने का पैमाना नहीं माना जा सकता है। हर चुनाव के मुद्दे माहौल परिदृश्य अलग अलग होते हैं।कर्नाटक चुनाव में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतना सघन प्रचार नहीं करते तो बीजेपी की सीटें 50 से भी कम हो सकती थीं, क्योंकि राज्य सरकार के खिलाफ लोगों में जबरदस्त नाराजगी थी और कर्नाटक में येदुरप्पा के बाद उनके जैसा कोई दूसरा नेता नहीं है, जिसका पूरे राज्य में प्रभाव हो।मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई बेहद कमजोर नेता साबित हुए। सारा दारोमदार सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी पर था, जबकि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के खिलाफ कोई नाराजगी नहीं है। स्थानीय निकायों में बीजेपी शुरू से मजबूत रही है। पिछली बार भी कुल 17 नगर निगमों में 14 में बीजेपी के महापौर थे और आम तौर पर निकाय चुनावों में सत्ताधारी दल को ही फायदा मिलता है।हाल के वर्षों में जिस तरह कुछ नामी माफिया नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई, कई अपराधी मारे गए उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक मजबूत नेता की बनी और उन पर भ्रष्टाचार का भी आरोप नहीं है। इन सबका फायदा भी बीजेपी को निकाय चुनावों में मिला। लेकिन इससे मोदी के नेतृत्व को कमजोर मानना अभी जल्दबाजी होगी। इसी साल अन्य चार राज्यों के होने वाले चुनावों के नतीजों का हमें इंतजार करना चाहिए।
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देश की जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) के एडिटर राजेश महापात्रा के बारे में एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर के अनुसार, राजेश महापात्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि महापात्रा ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) में अपनी करीब 11 साल पुरानी पारी को विराम देकर पिछले साल जून में ही ‘पीटीआई’ जॉइन किया था।अपने 25 साल के लंबे करियर में महापात्रा बिजनेस पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ (public policy expert), न्यूजरूम लीडर और एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।वह एक कॉलमनिस्ट और कमेंटेटर भी हैं, जो ओडिशा और भारत में बड़े पैमाने पर पब्लिक पॉलिसी डिबेट को आकार देने और उसमें योगदान करने की मांग कर रहे हैं। महापात्रा ने फोरम फॉर ओडिशा डायलॉग्स (Forum for Odisha Dialogues) यानी ‘ओडिशा अलोचना चक्र’ की स्थापना की है, जो एक नॉन-पार्टिज़न थॉट लीडरशिप फोरम है।‘पीटीआई’ से पहले वह लगभग 11 साल तक ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में थे, जहां उन्होंने संगठनात्मक परिवर्तन और डिजिटल इनोवेशन का नेतृत्व किया। उन्होंने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ और ‘ब्रिज न्यूज’ जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए भारत की आर्थिक क्रांति को भी कवर किया।‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में आखिरी बार उन्होंने एडिटर एट लार्ज भूमिका निभाई थी। 2008 में वह बिजनेस के ब्यूरो चीफ के तौर पर इस मीडिया हाउस में शामिल हुए थे, जहां वह एचटी के लिए बिजनेस व फाइनेंशियल की कवरेज करते थे।
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इलेक्ट्रॉनिक्सऔर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) एक फैक्ट चेकिंग टीम बनाने की तैयारी कर रही है, जो सोशल मीडिया और इंटरनेट पर डाली गई सरकार से संबंधित सभी सूचनाओं की जांच करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह की संभावनाएं जतायी जा रही हैं। बताया जा रहा है कि टीम में तीन सदस्य होंगे, जिनमें दो आईटी मंत्रालय से और तीसरा सदस्य कोई कानूनी विशेषज्ञ होगा। फैक्ट को सत्यापित करने के लिए यह निकाय अन्य विभागों के साथ तालमेल मिलाकर काम करेगा।वहीं इससे पहले, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MEITY) द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में किए गए संशोधन को पर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें पत्र सूचना ब्यूरो (PIB) को खबरों की सत्यता निर्धारित करने का और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 'फेक' समझे जाने वाले कंटेंट को हटवाने का अधिकार दिया गया था | गिल्ड ने कहा था, ‘यह नई प्रक्रिया मूल रूप से स्वतंत्र प्रेस को दबाने में इस्तेमाल हो सकती है और पीआईबी या ‘तथ्यों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी’ को उन ऑनलाइन मध्यस्थों को सामग्री को हटाने के लिए मजबूर कर सकती है, जिससे सरकार को समस्या हो सकती है।’
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हर्षवर्धन त्रिपाठी ने दी तीखी प्रतिक्रिया कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं और कांग्रेस पार्टी ने इस बार प्रचंड बहुमत प्राप्त किया है। बीजेपी को कर्नाटक की जनता का प्यार नहीं मिला और उसे सिर्फ 66 सीट प्राप्त हुईं। कांग्रेस 135 सीटों के साथ अपने दम पर सरकार बनाने में इस बार समर्थ है।चुनाव और उसके परिणाम मीडिया के लिए एक उत्सव की तरह होते हैं और हर संपादक कुछ ना कुछ अलग और नया करने की सोचता है। इसी बीच हिंदी दैनिक अखबार 'दैनिक जागरण' की एक हेडिंग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने आपत्ति जतायी।दरअसल अखबार की हेडिंग में यूपी निकाय चुनाव परिणाम को भी जोड़कर एक नया प्रयोग किया गया। हेडिंग में लिखा गया 'कर्नाटक की जनता को कांग्रेस भाई, उप्र में भाजपा छाई', अब जाहिर सी बात है कि अगर यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी ने बम्पर जीत हासिल की है तो किसी भी अखबार के लिए उसे भी जगह देना आवश्यक है लेकिन वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने ट्वीट कर इस पर नाराजगी जाहिर की है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, क्या और किसी अखबार ने विधानसभा चुनाव नतीजों के बैनर में निकाय चुनावों को धंसाया है? सुना है टीवी चैनलों ने जरूर यह किया (वरना अपना चेहरा छिपाते कहां?)!उनके इस ट्वीट कर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने करारा जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, सर, आप कभी किसी ढंग की प्रसार संख्या वाले समाचार पत्र के संपादक रहे नहीं। पाठकों के लिहाज से सोचा नहीं। दैनिक जागरण देश का सबसे बड़ा समाचार पत्र है और इसका बड़ा पाठक वर्ग देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में है। आपकी बुद्धि में गजब धंसान है।
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रजत शर्मा ने योगी को लेकर कही ये बड़ी बात उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के परिणाम आ गए है। बीजेपी ने यूपी की सभी मेयर सीट पर जीत हासिल की है, इसके अलावा पार्षद, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद सदस्य, नगर पंचायत अध्यक्ष और नगर पंचायत सदस्यों के पदों पर भी विपक्षी पार्टियों को पछाड़ते हुए सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के परिणाम की वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने ब्लॉग पर समीक्षा की।उन्होंने लिखा, बीजेपी के लिए अच्छी खबर उत्तर प्रदेश से आई। शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है और सभी 17 बड़े शहरों में मेयर के पद जीत लिए। समाजवादी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। नगर निगम के चुनाव में इस बार बीजेपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को दिल खोलकर टिकट दिया था, उनमें से भी कई उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है। यूपी में दो विधानसभा सीटें, रामपुर की स्वार और मिर्जापुर की छानबे, इन पर चुनाव हुए, दोनों सीटें बीजेपी के मित्र दल, अपना दल ने जीतीं।रामपुर की स्वार सीट पर NDA की जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सीट आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई थी। इस इलाके में आजम खां का दबदबा है, लेकिन बीजेपी ने अपना दल के टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा और जीत दर्ज की ये बड़ी बात है।अपना दल के उम्मीदवार शफीक अहमद अंसारी ने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार अनुराधा चौहान को 8724 वोट से हराया, जबकि छानबे विधानसभा सीट पर अपना दल की रिंकी कोल ने समाजवादी पार्टी की कीर्ति कोल को 9587 वोट से हराया। उत्तर प्रदेश में हालांकि चुनाव स्थानीय निकायों का था, लेकिन यहां खेल बड़ा था।अगर बीजेपी हार जाती, तो सब लोग मिलकर योगी आदित्यनाथ की नाक में दम कर देते, लेकिन योगी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि चाहे कुछ नेता उनसे नाराज हों, जातियों के ठेकेदार उनके खिलाफ रहें, पर जनता योगी के साथ है। योगी ने कानून और व्यवस्था में सुधार करके, गुंडागर्दी खत्म करके, यूपी के लोगों को विकास का जो रास्ता दिखाया है, उसका फायदा उन्हें हर चुनाव में मिला है।स्थानीय निकायों के चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए खतरे का संकेत हैं क्योंकि, बीजेपी ने पहली बार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, कई जगह जीत हुई। मुसलमानों का बीजेपी को समर्थन देना, समाजवादी पार्टी के लिए चिंता का सबब हो सकता है। कई इलाकों में तो, समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर आ गई।
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वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज इंडिया’ (News India) में अपनी पारी को विराम दे दिया है। बतौर एडिटर-इन-चीफ वह इस चैनल में एक साल से ज्यादा समय से अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। विजय त्रिवेदी का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।विजय त्रिवेदी को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 35 साल से ज्यादा का अनुभव है। राजनीतिक मामलों पर उनकी गहरी पकड़ है और अब तक वह तमाम बड़ी राजनीतिक घटनाओं व संसद की कवरेज के साथ-साथ कई राजनेताओं, नौकरशाहों और सेलेब्रिटीज का इंटरव्यू कर चुके हैं।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक के दौर में बीजेपी का कितना विस्तार हुआ है, विजय त्रिवेदी इस पर केंद्रित चार किताबें भी लिख चुके हैं। अपनी नवीनतम पुस्तक 'संघम शरणम गच्छामि' (Sangham Sharnam Gachachhami) में विजय त्रिवेदी ने ‘आरएसएस’ के इतिहास और भारतीय राजनीति में इसके स्थान और भविष्य का गहन विश्लेषण किया है। इसके अलावा उनकी अन्य किताबों में ‘बीजेपी, कल आज और कल’, ‘यदा यदा हि योगी’ और ‘हार नहीं मानूंगा’ शामिल हैं।विजय त्रिवेदी करीब 17 साल तक ‘एनडीटीवी’ (NDTV) इंडिया के साथ भी काम कर चुके हैं और यहां कंसल्टिंग एडिटर भी रहे हैं। इसके बाद वह हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) में एडिटर (नेशनल अफेयर्स) और ‘न्यूज स्टेट’ (News State) में एडिटर-इन-चीफ भी रहे हैं।वह तमाम लोकप्रिय टीवी शो जैसे- ‘सत्य की विजय’, ‘द विजय त्रिवेदी शो’, ‘चक्रव्यूह’, ‘विजय चौक’, ‘बिग फाइट लाइव’, ‘हमसे है इंडिया’, ‘दिल्ली चलो’, ‘इंडिया दिस वीक’, ‘हॉटलाइन’, ‘सवाल आपके’ और ‘रविवार और आईना’ भी होस्ट कर चुके हैं। यही नहीं, वह राजस्थान के रीजनल न्यूज चैनल ‘फर्स्ट इंडिया टीवी’ (First India TV) को भी लॉन्च करा चुके हैं। इसके बाद वह डिजिटल पत्रकारिता की दिशा में मुड़ गए और जानी-मानी बहुभाषी न्यूज एजेंसी ‘हिन्दुस्थान समाचार’ (Hindusthan Samachar) के यूट्यूब चैनल ‘एच.एस न्यूज’ (H.S. News) की लॉन्चिंग टीम में शामिल रहे। विजय त्रिवेदी ने पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1985 में ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ (The Times of India) समूह के हिंदी अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ (Navbharat Times) से की थी। वह ‘इंडिया टुडे’ (India Today) के साथ भी काम कर चुके हैं। विजय त्रिवेदी नई दिल्ली में ‘राजस्थान पत्रिका’ (Rajasthan Patrika) के नेशनल एडिटर भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह ‘यूएनआई’ न्यूज एजेंसी की हिंदी सेवा ‘यूनिवार्ता’ (UNIVARTA) के एडिटर के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
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सुशांत झा ने आम चुनाव को लेकर कही ये बात कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में दांव पर लगी 224 सीटों पर शुरुआती रुझान आ चुके हैं। फिलहाल, कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है और रुझानों में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। वहीं, क्षेत्रीय दल जनता दल सेक्युलर ने कुछ देर इंतजार करने का फैसला किया है।दरअसल कर्नाटक चुनाव को लेकर अधिकतर एग्जिट पोल ने पहले ही कांग्रेस की सरकार बनने का दावा कर दिया था। इन चुनावों के रुझान पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत झा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'जैसा की एग्जिट पोल को देखने के बाद लगा था ठीक वैसे ही आज चुनाव के परिणाम आ रहे हैं। एग्जिट पोल अब परिपक्व होते जा रहे हैं। भाजपा हलकों में भी संभावित हार की चर्चा थी। जाहिर तौर पर बीजेपी ने राज्य में अपने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए खराब प्रदर्शन नहीं किया। इसका कुछ मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा, लेकिन लोकसभा चुनावों में राज्य में ज्यादा नहीं होगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे को लेकर बड़ी हलचल है। दरअसल हाल ही में सचिन पायलट ने राज्य के सीएम अशोक गहलोत पर आरोप लगाया कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं वसुंधरा राजे हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। इसी बीच पीएम मोदी के दौरे पर एक ऐसा वाकया हुआ जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है।दरअसल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजदूगी में राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे में विभिन्न परियोजनाओं के लोकार्पण समारोह को संबोधित करने के लिए खड़े हुए, लेकिन इस दौरान लोग 'मोदी-मोदी' के नारे लगाने लगे। इसके बाद पीएम मोदी हाथ के इशारे से लोगों को बैठने को कहते हैं ताकि सीएम अशोक गहलोत अपनी बात रख सकें।वायरल हो रहे वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि पीएम मोदी ने मंच पर मौजूद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से भी लोगों को शांत करवाने को कहा। इस वायरल वीडियो पर वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अशोक गहलोत दोनों राजस्थान में एक ही मंच पर मौजूद थे जब भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाना शुरू कर दिये। पीएम ने भीड़ को नारे लगाने से रोका। राजनीतिक अदब का उदाहरण एक तरफ पीएम दे रहे थे दूसरी तरफ गहलोत भी उसी शिष्टाचार से पीएम और मंच पर बैठ लोगों का नाम ले रहे थे। मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद न हो। म्हारे राजस्थान में दोनों नेताओं ने दी मिसाल।
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विष्णु शर्मा ने कही ये बड़ी बात हिंदी न्यूज चैनल 'टाइम्स नाउ नवभारत' की महिला पत्रकार भावना किशोर को 5 मई 2023 को पंजाब पुलिस ने उनके सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया था। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। इसके बाद पत्रकार भावना किशोर ने खुद टीवी पर आकर सबको बताया कि उनके साथ कैसा सलूक किया गया और यह बताते हुए वो फूट-फूट कर रोने लगी।दरअसल, भावना ने बताया कि हिरासत के दौरान उनसे दरवाजा खोलकर वाॅशरूम जाने को कहा गया और उनकी जाति को लेकर सवाल पूछा गया। भावना ने बताया, 'मेरी सेहत बिगड़ रही थी, वो मुझे वॉशरूम लेकर गए और कहा गया कि आप वॉशरूम का दरवाजा बंद नहीं कर सकती', इस पर ग्रुप एडिटर नाविका कुमार भावुक हो जाती हैं।फिर पत्रकार भावना किशोर कहती हैं कि इसके बाद भी मैंने वॉशरूम किया और यह कहते हुए वो सिसक-सिसक कर रोने लगती हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार विष्णु शर्मा ने ट्वीट कर बड़ी बात कह दी।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, जो महिला मित्र सीएम केजरीवाल और भगवंत मान की समर्थक हैं, उन्हें ये वीडियो जरूर देखना चाहिए कि 'द केरल स्टोरी' की लड़कियों के साथ जो हुआ, भावना किशोर के साथ कई मायनों में उससे भी ज्यादा बुरा हुआ।
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दीपक चौरसिया ने RSS को लेकर कही ये बात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अर्धसैनिक बलों द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाने के बाद उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद में प्रदर्शन और हंगामा किया।इमरान खान को अर्धसैनिक बलों ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिये इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद इस्लामाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है, क्योंकि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पूरे शहर में प्रदर्शन किया और दंगे जैसी स्थिति पैदा कर दी।इस समय पाकिस्तान में जो हालात हैं, उसे देखकर साफ ऐसा लग रहा है कि ये मुल्क अब गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 75 साल पहले दो देश बने। पहला भारत और दूसरा मज़हब के आधार पर पाकिस्तान, आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और पाकिस्तान गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। भारत में भी कई ऐसे लोग हैं जो मज़हब के आधार पर विशेष सुविधाओं की मांग करते हैं। वो ये भी कहते हैं कि BJP, RSS और VHP विभाजनकारी एजेंडा चला रही है और मुसलमानों को परेशान कर रही है, सवाल ये है कि ये तीनों संगठन पाकिस्तान में तो नहीं हैं फिर वहां ऐसा क्यों हो रहा है?
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दीपक चौरसिया ने RSS को लेकर कही ये बात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अर्धसैनिक बलों द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाने के बाद उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद में प्रदर्शन और हंगामा किया।इमरान खान को अर्धसैनिक बलों ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिये इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद इस्लामाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है, क्योंकि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पूरे शहर में प्रदर्शन किया और दंगे जैसी स्थिति पैदा कर दी।इस समय पाकिस्तान में जो हालात हैं, उसे देखकर साफ ऐसा लग रहा है कि ये मुल्क अब गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 75 साल पहले दो देश बने। पहला भारत और दूसरा मज़हब के आधार पर पाकिस्तान, आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और पाकिस्तान गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। भारत में भी कई ऐसे लोग हैं जो मज़हब के आधार पर विशेष सुविधाओं की मांग करते हैं। वो ये भी कहते हैं कि BJP, RSS और VHP विभाजनकारी एजेंडा चला रही है और मुसलमानों को परेशान कर रही है, सवाल ये है कि ये तीनों संगठन पाकिस्तान में तो नहीं हैं फिर वहां ऐसा क्यों हो रहा है?
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सुशांत सिन्हा ने कहा सच जीता और अहंकार हारा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को 'टाइम्स नाउ नवभारत' के कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमिंदर सिंह को अंतरिम जमानत दे दी है। वहीं, रिपोर्टर भावना किशोर की अंतरिम जमानत 22 मई तक बढ़ा दी है।जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मैसिस ने सबसे पहले गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी पर और बाद में मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए रिमांड आदेश पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी और रिमांडिंग मजिस्ट्रेट द्वारा कानून के प्रावधानों को ध्यान में नहीं रखा गया।।इस पूरे मामले पर 'टाइम्स नाउ नवभारत' के सीनियर एंकर सुशांत सिन्हा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, सच जीता..अहंकार हारा। भावना, कैमरामैन मृत्युंजय और ड्राइवर परमिंदर..तीनों को अंतरिम जमानत मिल गई है। पंजाब सरकार के वकील ने कोर्ट में मान लिया कि कैमरामैन और ड्राइवर की गिरफ्तारी गैरजरूरी थी। जज: ऐसा लगता है कि कानून के प्रावधान को ध्यान में नहीं रखा गया गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी और रिमांड देने वाले मजिस्ट्रेट द्वारा। जज ने साफ साफ कह दिया कि गिरफ्तार करना गैरजरूरी था। जीने के अधिकार को छीना गया |
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राजस्थान में कांग्रेस का सफाया तय! राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत पर जमकर हमला बोला है। सचिन पायलट ने अपने आवास पर बुलाई प्रेस वार्ता में कहा कि वर्तमान में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जी की नेता सोनिया गांधी नहीं हैं, बल्कि वसुंधरा राजे हैं।उन्होंने कहा, 'मुझे निकम्मा, नाकारा, गद्दार कहा गया गया। जो लोग सार्वजनिक जीवन में होते हैं, उनके लिए जनता ही तय करती है कि कौन निकम्मा है। कौन गद्दार है। उन्होंने आगे कहा, सीएम के भाषण से लगता है कि अनुशासनहीनता किसने की है। बहुत लोग मुझे बोलते हैं कि यहां हजारों करोड़ का घोटाला हो गया। मैं इसे मंच पर कहूं, शोभा नहीं देता है। मैं पिछले डेढ़ साल से चिट्टी लिख रहा हूं।वसुंधरा राजे के कार्यकाल में घोटाले हुए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। राजस्थान कांग्रेस में मचे इस घमासान के बीच वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है- उन्होंने लिखा, सचिन पायलट ने तय कर लिया है कि वो तो डूबेंगे लेकिन कांग्रेस को भी डुबायेंगे। अगर अब भी कांग्रेस आलाकमान एक्शन नहीं लेता तो फिर राजस्थान में कांग्रेस का सफाया तय है। इसके लिये आलाकमान के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं होगा |
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रजत शर्मा बोले, होगी कांटे की टक्कर कर्नाटक में वोटिंग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने ब्लॉग में लिखा कि इस बार कांटे की टक्कर दिखाई देगी। उन्होंने लिखा, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार सोमवार शाम को खत्म होने के साथ राजनीतिक पंडित नतीजों के आकलन में जुट गए हैं। दो हफ्ते पहले जब प्रचार अभियान शुरू हुआ तो विशेषज्ञों ने जो एक आकलन किया था उसके मुताबिक कांग्रेस शुरुआत में आगे चलती नजर आ रही थी। कांग्रेस ने बीजेपी की बोम्मई सरकार पर 40 प्रतिशत कमीशन का मुद्दा सफलतापूर्वक चिपका दिया था।ऐसे में बीजेपी बचाव की मुद्रा में दिखी। बीजेपी के भी कुछ नेता ऐसे थे जो इस तरह का आरोप लगा रहे थे। बीजेपी को दूसरा धक्का तब लगा जब उसने नई पीढ़ी को मौका देने की कोशिश की और पुराने लोगों के टिकट काटे। ऐसे में जगदीश शेट्टार, लक्ष्मण सावदी जैसे पुराने और अनुभवी नेता बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। हवा कांग्रेस के पक्ष में बनने लगी थी, लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने एक के बाद एक, कई गलतियां की।चुनाव घोषणापत्र में पीएफआई और बजरंग दल को एक जैसा बता दिया और मुस्लिम आरक्षण को बहाल करने का वादा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात को पकड़ लिया। उन्होंने चुनावी सभाओं में बजरंग बली का जयघोष किया और पासा पलट दिया। तीन दिन तक तो कांग्रेस इसी की सफाई देने के चक्कर में पड़ी रही। इसके बाद कांग्रेस ने एक और गलती की।पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हुबली में अपनी जनसभा में कर्नाटक की ‘संप्रभुता’ की रक्षा करने की बात कही। अमित शाह ने इसे मुद्दा बना दिया और फिर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी। दो हफ्ते पहले तक कांग्रेस आक्रामक थी और बीजेपी बचाव की मुद्रा में थी लेकिन आज स्थिति उलटी है। अब कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में है।शुरुआत में कांग्रेस आगे दिखाई दे रही थी लेकिन पूरे कर्नाटक में नरेंद्र मोदी के तूफानी प्रचार के बाद बीजेपी अब कांग्रेस की बराबरी पर आ गई है। जिस चुनाव में टक्कर जितनी कांटे की होती है, जहां हार जीत के अंतर कम होने के आसार होते हैं, वहां किसी के लिए भी यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है कि सरकार किसकी बनेगी। ऐसे कांटे के टक्कर वाले चुनाव में ज्यादातर ओपिनियल पोल भी गलत साबित हो जाते हैं।
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शोभना यादव ने लगाई फटकार दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों ने 8 मई को जमकर हंगामा किया और सरकार विरोधी नारेबाजी की। इसके अलावा किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ डाले।दरअसल, 16 दिनों से कुछ पहलवान भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं।इन पहलवानों के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों के जंतर-मंतर पहुंचने के वीडियो सामने आए हैं। इन वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बैरिकेड पर चढ़े कथित किसानों को ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी, आज नहीं तो कल खुदेगी’ के नारे लगा रहे हैं।इन वीडियो के वायरल होने के बाद अब यह सवाल खड़े होने लगे है कि कहीं पहलवानों का यह आंदोलन राजनीतिक रूप तो नहीं ले रहा है? इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर शोभना यादव ने ट्वीट कर इन नारेबाजी करने वालों को जमकर फटकार लगाई है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, हर बात पर जरूरी नहीं कि प्रधानमंत्री के लिए गलत बोला जाये। अब देश के प्रधानमंत्री की कब्र खोदने की बात कर रहे हैं। ना यह पहलवान है, ना यह शान्तिप्रिय आंदोलन है और ना ही यह जायज है। खिलाड़ियों को न्याय दिलाने के नाम पर मतलब कुछ भी?
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अमन चोपड़ा ने कही बड़ी बात फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। एक तरफ फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, तो वहीं इसका विरोध करने वालों की भी संख्या बढ़ती जा रही है।आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में फिल्म पर बैन लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विवादास्पद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के प्रदर्शन पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है, ताकि ‘नफरत और हिंसा की किसी भी घटना’ को टाला जा सके। ममता बनर्जी ने कहा था कि ‘द केरल स्टोरी’ में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जिसका इरादा केरल को बदनाम करना है।इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अमन चोपड़ा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने ट्वीट किया, फिल्म ISIS (आईएसआईएस) के खिलाफ है। फिल्म धर्मांतरण के आतंकी कनेक्शन को बताती है, लेकिन बंगाल में फिल्म को बैन कर दिया गया है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाली अदा शर्मा को जान से मारने की धमकी और जोधपुर में एक दलित को सर तन से जुदा की धमकी मिल चुकी है। फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर एंटी इंडिया विदेशी प्रोपगेंडा की उछल उछल कर भारत में स्क्रीनिंग कराने वाले सब अंडरग्राउंड हो चुके हैं।
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को 'टाइम्स नाउ नवभारत' की टीवी रिपोर्टर भावना किशोर को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी है, जबकि मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी है।सोमवार देर शाम जस्टिस एजी मसीह की कोर्ट में चीफ जस्टिस की मंजूरी के बाद मामला सुनवाई को पहुंचा। पंजाब सरकार की ओर से इस मामले में जवाब दाखिल किया गया और इस दौरान चली बहस के बाद कोर्ट ने मंगलवार को फिर से सुनवाई का आदेश दिया है। इसके साथ ही भावना की अंतरिम जमानत को भी मंगलवार तक बढ़ा दिया।सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि शनिवार को हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम तौर पर भावना को जमानत दे दी थी, लेकिन वाहन चला रहे ड्राइवर व चैनल के कैमरामैन को जमानत नहीं दी गई थी। सरकार ने कहा कि जमानत के लिए सीधे तौर पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। ऐसे में भावना को दी गई अंतरिम जमानत समाप्त करने की अपील की और अन्य दो आरोपियों की अंतरिम जमानत का विरोध किया।एससी/एसटी एक्ट में पत्रकार भावना किशोर की गिरफ्तारी के मामले में एफआईआर को राजनीतिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक उस राजनेता को पक्ष नहीं बनाया जाता जिस पर आरोप है, इस दलील पर आगे सुनवाई नहीं होगी। सोमवार को लंबी बहस के बाद जस्टिस दीपक सिब्बल ने इस मामले में शनिवार को सुनवाई करने वाली बेंच के पास ही इस याचिका को भेजने का निर्णय लेते हुए याचिका मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दी।भावना किशोर और दो अन्य को पंजाब पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। इन पर कथित तौर पर आरोप लगाया गया है कि उनके वाहन ने एक महिला को टक्कर मार दी थी। इससे उसके हाथ में चोट लग गई थी। रविवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने केंद्रीय जेल लुधियाना के अधीक्षक को जमानत बॉन्ड भरने के बाद टीवी रिपोर्टर को रिहा करने का आदेश दिया था।
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Rj Naved का जन्म 1 मई 1976 लखनऊ में हुआ था | नावेद का पूरा नाम नावेद खान / नावेद सिद्दीकी है | उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने स्थानीय गृहनगर स्कूल से पूरी की, एक साक्षात्कार में नावेद ने कहा कि उन्होंने 6 वीं कक्षा में अंग्रेजी सीखना शुरू किया। उन्होंने अपनी डिग्री बीबीएस (बैचलर ऑफ बिजनेस स्टडी) पूरी की | रेडियो मिर्ची में शामिल होने से पहले आरजे नावेद खान ने भारत में अग्रणी मोबाइल कंपनी ग्राहक सेवा में काम किया था। अपने करियर की शुरुआत में, वह मिमिक्री करना शुरू कर देता है, वह अलग-अलग व्यक्तियों के लिए मिमिक्री करने के लिए बहुत प्रसिद्ध है | आरजे नावेद ने अपने दर्शकों को बताया कि जब वह पिछली कंपनी में होते हैं तो एक 60 साल का व्यक्ति उन्हें बुलाता है, और आरजे नावेद के साथ लंबी बातचीत के बाद वह अपने आप शांत हो जाते हैं।2000 में रेडियो मिर्ची ने रेडियो जॉकी आरजे (हंट) नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया, ऑडिशन के बाद आरजे नावेद खान को इस नौकरी के लिए चुना गया, जिसके बाद उन्हें एफएम रेडियो मिर्ची नावेद के नाम से जाना जाता है। उसके बाद, वह एफएम रेडियो पर "दिल का डॉन" और "मिर्ची मुंडा" कार्यक्रमों की मेजबानी करते हैं, उन्हें अपने प्रदर्शन के कारण कई पुरस्कार भी मिले |
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बरखा दत्त का जन्म 18 दिसंबर 1971 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था. बरखा दत्त के पिता (Barkha Dutt Father) का नाम एस पी दत्त है. बरखा दत्त की माता का नाम प्रभा दत्त है. बरखा दत्त के पिता एयर इंडिया के एक अधिकारी थे. वहीं बरखा दत्त की माता पत्रकार थी. बरखा दत्त की बहन का नाम बहार दत्त है. बरखा दत्त की बहन भी एक टेलीविजन पत्रकार है.बरखा दत्त का जन्म 18 दिसंबर 1971 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था. बरखा दत्त के पिता (Barkha Dutt Father) का नाम एस पी दत्त है. बरखा दत्त की माता का नाम प्रभा दत्त है. बरखा दत्त के पिता एयर इंडिया के एक अधिकारी थे. वहीं बरखा दत्त की माता पत्रकार थी. बरखा दत्त की बहन का नाम बहार दत्त है. बरखा दत्त की बहन भी एक टेलीविजन पत्रकार है.बरखा दत्त ने अपने करियर की शुरुआत NDTV के साथ की. बरखा दत्त ने लगभग 21 साल तक NDTV में काम किया. बरखा दत्त ने जब NDTV में काम करना शुरू किया तब उनकी उम्र महज 21 वर्ष थी. बरखा दत्त को पहली बार प्रसिद्धी मिली साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान. उस समय बरखा दत्त ने कैप्टेन बिक्रम बत्रा का इंटरव्यू लिया था, जोकि काफी लोकप्रिय हुआ. बरखा दत्त ने अपने करियर में साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों, 2004 में आए भूकंप और सुनामी, 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले सहित कई महत्वपूर्ण मामलों पर रिपोर्टिंग की है. बरखा दत्त ने साल 2017 तक NDTV में काम किया.बरखा दत्त ने दो बार शादी की है. बरखा दत्त के पहले पति (Barkha Dutt First Husband) का नाम मीर है और वह एक कश्मीरी मुस्लिम है. हालांकि दोनों की शादी ज्यादा दिन नहीं चली और शादी के 6 महीने बाद ही बरखा दत्त और मीर का तलाक हो गया. बरखा दत्त के दुसरे पति (Barkha Dutt Second Husband) का नाम डॉ हसीब ड्राबू है और वह भी एक कश्मीरी मुस्लिम है. डॉ हसीब ड्राबू जम्मू कश्मीर बैंक के अध्यक्ष थे. हालांकि बरखा दत्त की यह शादी भी नहीं चली और उनका तलाक हो गया.
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नाविका कुमार ने कहा- न रहें किसी गलतफहमी में टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर नाविका कुमार ने एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि ऑपरेशन 'शीश महल' के बाद शुक्रवार 5 मई को पंजाब में टाइम्स नेटवर्क की एक महिला पत्रकार को हिरासत में ले लिया गया।हिंदी चैनल 'टाइम्स नाउ नवभारत' की संवाददाता भावना किशोर लुधियाना में आप संयोजक और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल से सवाल करने गई थीं, तभी उन्हें पुरुष पुलिसवाले अपने साथ उठा ले गए थे | उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि ये मीडिया पर बड़ा हमला है और वो पंजाब सीएम से मांग करती है कि उनके रिपोर्टर को तुरंत रिहा किया जाए। इस मामले पर चैनल के सीनियर एंकर और वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिंह ने भी ट्वीट किया है।उन्होंने लिखा, एक महिला रिपोर्टर को झूठा केस बनाकर अरेस्ट कर लेने से किसी को ये लगता है कि वो नवभारत को डरा देंगे, हमारा हौसला तोड़ देंगे, सवालों से बच जाएंगे तो ये उनकी गलतफहमी है। नवभारत की और बेटियां भी सवाल पूछ रही हैं केजरीवाल जी, इनको भी अरेस्ट कराएंगे क्या?
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लॉन्च की नई मीडिया कंपनी वरिष्ठ पत्रकार और न्यूज एंकर शीतल राजपूत को लेकर एक बड़ी खबर सामने आयी है। खबर है कि अपने 23 साल के पत्रकारिता करियर में एक नया आयाम जोड़ते हुए शीतल राजपूत ने अब अपनी खुद की मीडिया कंपनी लॉन्च की है। कंपनी का नाम है 'शीतल राजपूत मीडिया नेटवर्क'।शीतल राजतपूत ने कहा कि यह मीडिया नेटवर्क डिजिटल न्यूज चैनल्स और न्यूज पोर्टल के साथ न्यू मीडिया की दुनिया में धमाकेदार शुरुआत करने जा रहा है। इस कड़ी में नेटवर्क पहले 2 डिजिटल चैनल ‘SR LIVE भारत’ और ‘SR LIVE कर्नाटक’ 6 मई यानी आज रात 9 बजे से LIVE होंगे। उन्होंने कहा, ‘जर्नलिज्म ने मुझे बहुत कुछ दिया है और अब समय है इस पेशे के लिए कुछ अच्छा, सकारात्मक और चुनौतीपूर्ण करने का। डिजिटल हमारा ‘आज’ भी है और ‘भविष्य’ भी। इस नए सफर को लेकर बेहद उत्साहित हूं।’
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कोर्ट ने पुलिस के दावों पर उठाए सवाल पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने शनिवार शाम विशेष सुनवाई के दौरान 'टाइम्स नाउ नवभारत' की रिपोर्टर भावना किशोर को अंतरिम जमानत दे दी है। पंजाब पुलिस ने शुक्रवार को भावना किशोर को गिरफ्तार कर लिया था।भावना किशोर पर दलित महिला को कार से टक्कर मारने और उसके साथ गाली गलौज करने के आरोप में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था।न्यायमूर्ति ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने भावना किशोर द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका में अंतरिम जमानत दे दी।भावना किशोर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि जो लड़की बाहर से रिपोर्टिंग करने आयी है, उसको स्थानीय व्यक्ति की जाति के बारे में कैसे पता चल जाएगा। भावना के वकील चेतन मित्तल ने कहा कि भावना की गिरफ्तारी गैरकानूनी थी। कोर्ट ने इस पूरे मामले को सुना, जिसके बाद कोर्ट ने भावना को अंतरिम जमानत दे दी।पंजाब पुलिस ने भावना किशोर को शुक्रवार को लुधियाना में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद शनिवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इस मामले में पंजाब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे थे। बता दें कि पुलिस ने भावना किशोर के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है, पुलिस का दावा है कि भावना ने जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल किया था।हाईकोर्ट से पहले इस मामले की सुनवाई जब निचली अदालत में चल रही थी तब जज ने दो बार पुलिस से एफआईआर की कॉपी मांगी थी, जिसके बाद कोर्ट को एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराई गई। लुधियाना पुलिस ने दूसरी बार मांगने पर कोर्ट को एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराई थी, जिसके बाद कोर्ट ने भावना किशोर को 19 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
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राजदीप सरदेसाई का जन्म 24 मई 1965 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम दिलीप सरदेसाई है वह एक पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर थे और उनकी माँ का नाम नंदिनी है, वह सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख हैं। उन्होंने पत्रकार और लेखक सागरिका घोष से शादी की है।राजदीप सरदेसाई ने मुंबई के कैंपियन स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा की शुरुआत की, और द कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई से स्कूल की शिक्षा पूरी की। और सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में बैचलर की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे ऑक्सफोर्ड कॉलेज गये जहां उन्होंने मास्टर ऑफ आर्ट्स और बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की।अपने पिता स्वर्गीय दिलीप सरदेसाई के रूप में एक खेल पृष्ठभूमि से होने के कारण, एक प्रसिद्ध टेस्ट क्रिकेटर थे, उन्होंने ऑक्सफोर्ड में भी साबित कर दिया कि कई भारतीयों की तरह, उन्हें भी क्रिकेट का शौक है और विश्वविद्यालय में उन्होंने ऑक्सफोर्ड के लिए 6 प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रदर्शन किया और एक संयुक्त ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज पक्ष के लिए उन्हें क्रिकेट ब्लू से सम्मानित किया गया।राजदीप सरदेसाई 1988 में टाइम्स ऑफ इंडिया में शामिल हो गये, फिर छह साल तक उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ काम किया और जिसके बाद उन्हें मुंबई संस्करण के शहर संपादक बना दिया गया।उन्होंने 1994 में NDTV के राजनीतिक संपादक के रूप में टेलीविजन पत्रकारिता में प्रवेश किया। वह NDTV 24X7 और NDTV इंडिया दोनों के प्रबंध संपादक थे और दोनों के लिए समाचार नीति की देखरेख करते थे। उन्होंने NDTV पर द बिग फाइट जैसे लोकप्रिय शो की मेजबानी की।उन्होंने 17 अप्रैल 2005 को अमेरिकी कंपनी सीएनएन के सहयोग से अपनी खुद की कंपनी, ग्लोबल ब्रॉडकास्ट न्यूज शुरू करने के लिए एनडीटीवी छोड़ दिया। बाद में सीएनबीसी के भारतीय संस्करण को सीएनबीसी-टीवी18, हिंदी उपभोक्ता चैनल, सीएनबीसी आवाज और एक अंतरराष्ट्रीय चैनल, एसएडब्ल्यू कहा जाता है। यह 17 दिसंबर 2005 को ऑन एयर हुआ।1 जुलाई 2014 को, सीएनएन आईबीएन के प्रधान संपादक राजदीप ने पूरी संस्थापक टीम – संपादकीय और प्रबंधकीय – के साथ नेटवर्क 18 समूह से इस्तीफा दे दिया। और अब राजदीप सरदेसाई आज तक के सह चैनल इंडिया टुडे मे प्रधान संपादक और एंकर के तौर पर कार्यरत है।
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चित्रा त्रिपाठी का जन्म 11 मई 1986 को उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। चित्रा त्रिपाठी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर से प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्कूल शिक्षा गोरखपुर के A. D. गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कॉलेज से प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी से अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया।चित्रा त्रिपाठी ने डिफेन्स स्टडीज में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया। चित्रा इंडियन डिफेन्स में ज्वाइन करना चाहती थी। बचपन में उन्होंने एनसीसी कैडेट में गोल्ड मैडल हासिल हासिल किया था और वह गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर होने वाली परेड में भी हिस्सा ले चुकी हैं।2008 में उन्होंने अपने लंबे समय के प्रेमी अतुल अग्रवाल से शादी की, जो एक हिंदी टीवी पत्रकार और समाचार एंकर थे।त्रिपाठी वर्तमान में आजतक चैनल के साथ हैं। अपने स्नातक विद्यालय के दौरान उन्होंने कभी पत्रकार बनने के बारे में नहीं सोचा। क्योंकि वह भारतीय सेना में शामिल होना चाहती थी। लेकिन जब उन्होंने गोरखपुर के दूरदर्शन केंद्र में अपना करियर शुरू किया तो उन्होंने अपना विचार बदल दिया और पत्रकारिता में अपना करियर बनाने का फैसला किया।त्रिपाठी ने अपने करियर की शुरुआत 2005 में गोरखपुर दूरदर्शन से की थी। उन्होंने सहारा इंडिया, इंडिया न्यूज, न्यूज 24, ईटीवी नेटवर्क, एबीपी न्यूज जैसे कई समाचार चैनलों के साथ काम किया है।वह 2016 में एबीपी न्यूज़ में शामिल हुईं और कौन बनेगा राष्ट्रपति, 2019 कौन जीतेगा, मोदी के 4 साल, आदि जैसे कई शो की मेजबानी की।11 फरवरी को उन्होंने एबीपी से इस्तीफा दे दिया और बाद में आजतक से इस्तीफा देने और फिर से एबीपी में शामिल होने के लिए डिप्टी एडिटर के रूप में आजतक में शामिल हो गईं |
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी इस समय भारत में हैं। भुट्टो वर्तमान में गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए भारत आए हुए हैं और 'इंडिया टुडे' के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को खास इंटरव्यू भी दिया है।इस इंटरव्यू में उन्होंने भारत पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर खुलकर अपनी राय रखी है। जब राजदीप सरदेसाई ने उनसे ये पूछा कि अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं की! इस सवाल का जवाब देते हुए पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा कि 'जब तक भारत 5 अगस्त, 2019 (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) पर की गई कार्रवाई की समीक्षा नहीं करता है, पाकिस्तान भारत के साथ द्विपक्षीय रूप से जुड़ने की स्थिति में नहीं है।'उन्होंने आगे कहा कि 'जहां तक भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों या मेरे भारतीय समकक्ष के साथ किसी भी सार्थक जुड़ाव या बातचीत पर पाकिस्तान की स्थिति है, हमारी स्थिति अपरिवर्तित है।'आतंकवाद पर किए गए प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 'उनका देश आतंकवाद को खत्म करना चाहता है, इसलिए नहीं कि भारत ने ऐसा कहा या भारत सरकार ने ऐसा कहा, बल्कि इसलिए कि हम इस खतरे को खत्म करना चाहते हैं।'
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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री भारत के लिए अमृत काल के इस निर्णायक क्षण में अतुलनीय छाप छोड़ेगी। फिक्की फ्रेम्स 2023 में अपने संबोधन के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मानचित्र पर ले जाने की प्रतिबद्धता के लिए इंडस्ट्री की सराहना की।मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री द्वारा विश्व स्तर पर इस क्षेत्र की सीमाओं का विस्तार करने और दुनिया के दूर दराज के कोनों तक पहुंचने के सभी प्रयासों में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री दुनिया को यह संदेश दे सकती है कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में एक अद्वितीय प्रतिभा और कौशल के साथ बेहद प्रतिस्पर्धी मूल्य पर दुनिया को आर्थिक विकास और व्यापार वृद्धि के लिए बेजोड़ अवसर भी प्रदान करता है।मंत्री ने आधुनिक तकनीकों को कुशलतापूर्वक अपनाने के लिए इंडस्ट्री की सराहना की और कैमरों के रूप में स्मार्टफोन के व्यापक उपयोग का उदाहरण दिया। गोयल ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के आने से मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का तेजी से विकास होगा। गोयल ने 'अवतार' जैसी हॉलीवुड फिल्मों में शामिल भारतीय वीएफएक्स कंपनियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।मंत्री ने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री दुनिया को आज का नया भारत दिखा सकती है और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती है, देश को नए दर्शकों तक पहुंचने में मदद कर सकती है, विचारों को प्रभावित कर सकती है और सकारात्मकता फैला सकती है। उन्होंने कहा कि यह सकारात्मकता लोगों, सरकार और व्यवसायों को अधिक आकांक्षात्मक होने और बेहतर जीवन शैली और बेहतर व्यावसायिक अवसरों की मांग के साथ भविष्य को देखने के लिए प्रोत्साहित करती है।गोयल ने कहा कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री भारत के सांस्कृतिक दूत हैं और उन्होंने भारत को एक विशिष्ट पहचान दी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में लोगों, व्यवसायों और राष्ट्रों को जोड़ने की बहुत बड़ी क्षमता है, जिससे दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों और स्थितियों की बेहतर समझ और प्रशंसा हो सके।मंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया भी भारतीय कला और संस्कृति की सराहना कर रही है और हाल ही में 'नाटु-नाटु' गीत और 'एलिफेंट व्हिस्परर्स' के लिए ऑस्कर पुरस्कार इस वैश्विक प्रशंसा को प्रदर्शित करते हैं। इन पुरस्कारों ने भारत को एक सामाजिक संदेश देने में मदद की कि स्थिरता भारतीय संस्कृति और परंपरा के मूल में है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति के संदेश को भी प्रभावी ढंग से व्यक्त किया गया, क्योंकि पुरस्कारों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय महिलाएं नए भारत को परिभाषित कर रही हैं। इन उपलब्धियों से अरबों लोगों का मनोबल बढ़ रहा है।पीयूष गोयल ने कहा कि 'इंस्पायर, इनोवेट एंड इमर्स' थीम वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक है क्योंकि यह मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री द्वारा प्रदर्शित जीवंतता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह थीम इस विश्वास के साथ भी प्रतिध्वनित होता है कि रचनात्मकता वास्तव में वाणिज्य को बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री भारत की सांस्कृतिक पहचान और सांस्कृतिक विरासत के प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य करता है। मंत्री ने कहा कि फिक्की फ्रेम्स अब मीडिया और एंटरटेनमेंट क्षेत्र में एक स्थापित मंच बन गया है जो दुनिया को दिखाता है कि भारत वास्तव में किसी चीज का प्रतीक है |
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प्रसार भारती ने अपनी रेडियो सेवा ‘ऑल इंडिया रेडियो’ का नाम बदलकर 'आकाशवाणी' करने का फैसला किया है, जैसा कि कानून में उल्लेख किया गया है।आकाशवाणी की महानिदेशक वसुधा गुप्ता की ओर से बुधवार को जारी एक आंतरिक आदेश में उस वैधानिक प्रावधान का तत्काल प्रभाव से अनुपालन करने को कहा गया है जिसके अनुसार ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर आकाशवाणी कर दिया था।प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी ने कहा, ‘यह सरकार का बहुत पुराना फैसला है जो पहले लागू नहीं किया गया था। अब हम इसे लागू कर रहे हैं।’प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम, BCI) अधिनियम, 1990 में उल्लेख किया गया है कि 'आकाशवाणी' का अर्थ उन कार्यालयों, स्टेशनों और अन्य प्रतिष्ठानों से है जो अपनी शुरुआत के दिन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अखिल भारतीय रेडियो के महानिदेशक का हिस्सा या उसके अधीन थे। प्रसार भारती अधिनियम 15 नवंबर, 1990 को लागू हुआ था। आंतरिक आदेश में कहा गया है, 'उपरोक्त वैधानिक प्रावधान, जिसके तहत ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर 'आकाशवाणी' कर दिया था, को सभी के संज्ञान में लाया जा सकता है ताकि नाम और शीर्षक संसद द्वारा पारित प्रसार भारती अधिनियम 1997 के प्रावधानों के अनुरूप हो सकें। प्रसिद्ध कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने 1939 में कलकत्ता शॉर्टवेव सेवा के उद्घाटन के लिए लिखी एक कविता में ऑल इंडिया रेडियो को 'आकाशवाणी' का नाम दिया था |
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भारत की रैंकिंग पर पत्रकार अखिलेश शर्मा ने उठाया सवाल वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मौके पर फ्रांस आधारित संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (RSF) ने बुधवार 3 मई को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में भारत की स्थिति पर चिंता जताई गई है, क्योंकि 2023 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 11 पायदान गिरकर 161वें स्थान पर पहुंच गया है।RSF ने पिछले साल 180 देशों के एक सर्वे में भारत को 150वां स्थान दिया था। आरएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘तीन देशों- ताजिकिस्तान (एक स्थान गिरकर 153वें स्थान पर), भारत (11 स्थान गिरकर 161वें स्थान पर) और तुर्किये (16 स्थान गिरकर 165वें स्थान पर) में स्थिति ‘समस्याग्रस्त’ से ‘बहुत खराब’ हो गई है।’इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, यह सही है कि भारत में मिशन पत्रकारिता अंतिम सांस ले रही है। अभियानी पत्रकारिता सिमटती जा रही है। कॉर्पोरेट पत्रकारिता का बोलबाला है। लेकिन भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में तमाम खामियों के बावजूद प्रेस की आजादी पर वैसा संकट नहीं जैसा यह हास्यास्पद रैंकिग दिखाने की कोशिश कर रही है।
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‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के पद पर अभय ओझा की नियुक्ति को ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।इससे पहले फरवरी में ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ (BSE) को दी गई जानकारी में कंपनी ने कहा था, ‘हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि कंपनी की नामांकन और पारिश्रमिक समिति (Nomination and Remuneration Committee) ने 14 फरवरी 2023 को एक बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक (केएमपी) के रूप में नियुक्ति को लेकर अभय ओझा की उम्मीदवारी पर विचार किया है। इसके साथ ही अप-लिंकिंग दिशानिर्देशों के तहत ‘सूचना-प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने के लिए प्रबंधन को आवश्यक आवेदन फाइल करने की सलाह दी है।’बता दें कि अभय ओझा को पिछले साल नवंबर में ‘जी बिजनेस’ (Zee Business) और ‘विऑन’ (WION) को छोड़कर सभी लिनियर चैनल्स के चीफ बिजनेस ऑफिसर (CBO) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।अभय ओझा ने फरवरी 2022 में ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) को जॉइन किया था। तब उन्हें क्लस्टर-3 का हेड (P&L) नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह ‘चंगा’ (Changa) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे। इसके अलावा पूर्व में वह ‘एचयूएल’ (HUL) और ‘स्टार’ (Star) में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं।
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रुबिका लियाकत ने कसा विरोधियों पर तंज भारत में मंदी की संभावना शून्य है। ऐसा World of Statistics की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा मंदी का असर ब्रिटेन में दिखने का अनुमान है।यहां मंदी के 75 फीसदी रहने का अनुमान है और इसके बाद दूसरे नंबर पर न्यूजीलैंड है, जहां मंदी का 70 फीसदी असर हो सकता है। अमेरिका इस मामले में तीसरे नंबर पर रहेगा, जहां मंदी का असर 65 फीसदी होने की संभावना है। फ्रांस में 50 प्रतिशत मंदी का असर हो सकता है।वहीं कनाडा में 60 फीसदी, इटली में 60 फीसदी और जर्मनी में भी 60 फीसदी मंदी का असर दिख सकता है। इस डाटा के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने देश विरोधी बातें करने वालों को आईना दिखाने का काम किया है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मंदी की संभावना पर World of Statistics का पूर्वानुमान है कि भारत को मंदी छू भी न पाएगी। चांस है 0% ! वैधानिक चेतावनी- जिनके लिए ‘देश का बेड़ा गर्क’ हो गया है, उनके ‘एजेंडे’ को ‘दिल का दौरा’ पड़ सकता है। रुबिका लियाकत के इस ट्वीट पर लोग जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और यह वायरल हो रहा है।
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वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मौके पर फ्रांस आधारित संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने बुधवार 3 मई को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में भारत की स्थिति पर चिंता जताई गई है, क्योंकि 2023 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 11 पायदान गिरकर 161वें स्थान पर पहुंच गया है।आरएसएफ ने पिछले साल 180 देशों के एक सर्वे में भारत को 150वां स्थान दिया था। आरएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘तीन देशों- ताजिकिस्तान (एक स्थान गिरकर 153वें स्थान पर), भारत (11 स्थान गिरकर 161वें स्थान पर) और तुर्किये (16 स्थान गिरकर 165वें स्थान पर) में स्थिति ‘समस्याग्रस्त’ से ‘बहुत खराब’ हो गई है।’रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अन्य स्थिति जो सूचना के मुक्त प्रवाह को खतरनाक रूप से प्रतिबंधित करती है, वह नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने वाले कुलीन वर्गों की ओर से मीडिया संस्थानों का अधिग्रहण है।’इंडियन वुमन्स प्रेस कोर, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और प्रेस एसोसिएशन ने इंडेक्स में देश के स्थान में गिरावट पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया। संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘आरएसएफ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित कई देशों में प्रेस फ्रीडम के इंडेक्स खराब हुए हैं।’बयान में कहा गया कि ग्लोबल साउथ में विकासशील लोकतंत्रों के लिए जहां असमानता की गहरी खाई मौजूद है, मीडिया की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है। इसी तरह अनुबंध पर बहाली जैसी अस्थिर कामकाजी परिस्थितियां भी प्रेस की स्वतंत्रता के समक्ष चुनौतियां हैं। असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां कभी भी स्वतंत्र प्रेस में योगदान नहीं दे सकतीं।वहीं रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत के स्थान आयी गिरावट को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम सभी के लिए शर्म से सिर झुकने समय: विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 161वें स्थान पर पहुंच गया है’|
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क्रिकेट के लाखों चाहने वाले हुए घायल रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) और लखनऊ सुपर जाएंट्स (LSG) के मैच में विराट कोहली ने कई खिलाड़ियों के साथ बहस की थी। नवीन उल-हक से भिड़ने के बाद उन्होंने अमित मिश्रा और गौतम गंभीर से बहस की थी। इस वजह से उनकी पूरी मैच फीस काट ली गई। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नीरज बधवार ने बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, किसी भी खिलाड़ी को आदर्श मानने में उसका खेल ही नहीं उसका आचरण भी शामिल होता है। सचिन या धोनी इसलिए लेजेंड नहीं माने जाते कि उनके रेकॉर्ड बड़े हैं, वे इसलिए लेजेंड हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा मैदान में मर्यादित व्यवहार किया। ये मर्यादित व्यवहार ही आपको अच्छे खिलाड़ी से महान इंसान बनाता है।ये व्यवहार ही बतौर इंसान आपकी उपयोगिता बढ़ाता है। वो आपको सिर्फ खिलाड़ी तक सीमित न रखकर आदर्श बनाता है। मगर जब कोई बड़ा खिलाड़ी इस जिम्मेदारी को भूलकर अपने गुस्से या अहम के हाथों मजबूर हो झगड़ने या गाली गलौज करने लगे तो वो उस महानता के पायदान से बहुत नीचे गिर जाता है। तकलीफ की बात ये है कि एक दशक से लंबे करियर के बाद विराट कोहली ये बात नहीं समझ पाए कि हार-जीत और आंकड़ों से कहीं बड़ी बात ये होती है कि उस हार जीत को पाने के क्रम में आपने कैसा बर्ताव किया।बतौर खिलाड़ी आपका मूल्यांकन आपके आकंड़ों के साथ-साथ आपके बर्ताव से किया जाता है। यही बात गंभीर को लेकर भी है। गंभीर खुद कई बार स्वीकार चुके हैं कि उन्हें मैदान में आक्रमक रहना पसंद है। मगर वह भी ये भूल गए कि सोमवार को वह मैदान में खिलाड़ी नहीं कोच की भूमिका में थे। क्रिकेट में इस स्तर पर कोच का काम खिलाड़ियों को तकनीक सीखना नहीं बल्कि अपनी भावनाओं को कैरी करना सीखना होता है। एक कोच या मेंटोर खिलाड़ियों को ये बताता है कि असफलता और गुस्से के वक्त कैसे खुद पर काबू रखें। मगर कोच जब खुद बार-बार बेकाबू हो जाए, तो ये बताता है कि वो उस पद के लिए मानसिक तौर पर मजबूत नहीं है।
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पलकी शर्मा उपाध्याय ने जताई ये आशंका अमेरिका का एक और दिग्गज बैंक 'फर्स्ट रिपब्लिक बैंक' डूब गया है। अमेरिकी नियामकों ने इस बैंक की सारी संपत्ति जब्त कर ली है। इसके साथ ही जेपी मॉर्गन चेस बैंक ने संकटग्रस्त फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को खरीद लिया है और उसकी सभी जमाओं और अधिकांश संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है।इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर पलकी शर्मा उपाध्याय ने ट्वीट कर बड़ी आशंका जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, मार्च के बाद से अमेरिका में तीसरी बैंक विफलता। अमेरिका के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा। जेपी मॉर्गन फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को खरीदता है। पिछले साल, एक शेयर 200$ पर था और पिछले महीने, यह 5$ से कम था। 11 बैंकों ने 30 बिलियन डॉलर की मदद की, लेकिन उससे भी कोई मदद नहीं हो पाई। क्या अमेरिकी बैंकिंग संकट खत्म हो रहा है या बिगड़ रहा है?आपको बता दें, सैन फ्रांसिस्को स्थित फर्स्ट रिपब्लिक मार्च की शुरुआत से बुरे वक्त का सामना कर रहा था और ऐसा माना जा रहा था कि बैंक ज्यादा वक्त तक एक स्वतंत्र संस्था के रूप में जीवित नहीं रह सकता है।
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वरिष्ठ पत्रकार और महिला पत्रकारों के प्रमुख संगठन 'Indian women's Press Corps' (IWPC) की लगातार दूसरी बार निर्वाचित प्रेजिडेंट शोभना जैन से हाल ही में एक मुलाकात के दौरान IWPC चुनाव में उनके द्वारा पेश किए गए घोषणापत्र समेत मीडिया से जुड़े तमाम प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। शोभना जैन ने अंग्रेजी साहित्य से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा जर्मन भाषा का कोर्स भी किया है। मीडिया में अपने करियर की शुरुआत मैंने न्यूज एजेंसी ‘यूनिवार्ता’ (Univarta) से बतौर इंटर्न की थी। इसके बाद मैं वहां ब्यूरो चीफ के पद तक पहुंची।वर्तमान में 'इंडियन वुमेंस प्रेस कॉर्प्स' के सदस्यों की संख्या 800 से अधिक है। यहां आम महिलाओं से जुड़े सरोकारों के साथ-साथ महिला पत्रकारों से जुड़े तमाम मुद्दे जैसे उनकी फ्रीडम और उनके कल्याण से जुड़े जैसे मुद्दों को हम प्राथमिकता देते हैं। इसके अलावा सामाजिक सरोकारों से जुड़े तमाम मुद्दों को भी हम उठाते हैं।
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राहुल मिश्रा ने नोएडा से प्रसारित ‘लोकमंच न्यूज’ चैनल के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत की है। राहुल ने यहां ब्यूरो चीफ, यूपी के पद पर जॉइन किया है।इससे पहले राहुल मिश्रा हिंदी न्यूज चैनल ‘एएनबी नेशनल’ (Anb National) में करीब दो साल से बतौर विशेष संवाददताता लखनऊ में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। यहां वह इस चैनल की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा थे।राहुल मिश्रा पूर्व में करीब तीन साल ‘ओके इंडिया’ नेशनल न्यूज़ चैनल में और करीब दो साल तक ‘के न्यूज’ चैनल में ब्रेकिंग डेस्क पर असाइनमेंट प्रड्यूसर रहे हैं। इसके अलावा वह भोपाल से प्रसारित Mkn National में भी लंबे समय तक कार्यरत रहे हैं। वह Vk News चैनल में ब्यूरो चीफ, लखनऊ और हर खबर नेशनल में भी कार्य कर चुके हैं।मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले राहुल मिश्रा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट किया है। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश राजश्री टंडन गवर्मेंट यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है |
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इस घटना पर बोले सुमित अवस्थी : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह लगातार पहलवानों के आरोप को लेकर सफाई दे रहे हैं। WFI चीफ ने कहा कि उनके खिलाफ जंतर-मंतर पर शीर्ष पहलवानों के धरने राजनीति से प्रेरित है। बृजभूषण ने कहा कि इसके पीछे देश का एक बड़ा उद्योगपति और एक बाबा है।उन्होंने कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा का भी नाम लिया और कहा की अगर पीएम मोदी, अमित शाह या जेपी नड्डा कहेंगे तो वो इस्तीफा दे देंगे। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने ट्वीट कर बड़ी बात कही है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ब्रजभूषण शरण सिंह ने अपने कुश्ती संघ के विवाद में पीएम, गृहमंत्री और पार्टी अध्यक्ष का नाम घसीटकर आलाकमान के लिये आफत ही खड़ी कर दी है। ऐसा लग रहा है कि बीजेपी आलाकमान ने ही सिंह से कहा है कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष की कुर्सी से चिपके रहो, चाहे महिला खिलाड़ी कितना भी विरोध करती रहें।कुश्ती संघ से इस्तीफा देना या ना देना खुद बृजभूषण शरण सिंह को तय करना है! वो चाहें तो कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं। अगर वो इस्तीफा देना तय कर लें तो कोई उन्हें रोक सकता है क्या? सार्वजनिक जीवन में शुचिता जरूरी है। अतीत में अपने ऊपर लगे इल्जाम के बाद बीजेपी के बड़े नेता लालकृष्ण अडवाणी त्यागपत्र देकर एक मॉडल स्थापित कर चुके हैं। देश की पहलवानों से जुड़ी इस खबर का असर जाने-अनजाने में कर्नाटक चुनाव में भी पड़ने का भी खतरा बढ़ता जा रहा है।
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सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने 12 अप्रैल, 2023 और 31 अप्रैल, 2023 के बीच 11 मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) यानी कि केबल ऑपरेटर्स का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया है। बता दें कि रजिस्टर्ड MSOs की कुल संख्या 12 अप्रैल, 2023 को 1,747 थी, जिसकी तुलना में 31 अप्रैल, 2023 तक 1,736 रह गई है।महत्वपूर्ण सूचनाएं छिपाने के कारण MSOs सस्मिता नेटवर्क (Sasmita Network) के रजिस्ट्रेशन के अनुरोध को 20 अप्रैल, 2023 को खारिज कर दिया गया। इस बीच, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 10ए और नियम व शर्तों के उल्लंघन के कारण डीईबी टीवी (DEB TV) का रजिस्ट्रेशन 26 अप्रैल 2023 को कैंसिल कर दिया गया। वहीं इन्हीं नियमों के उल्लंघन के चलते बनगांव केबल टीवी नेटवर्क (Bongaon Cable TV Network) का रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल कर दिया गया।टेलीकम्युनिकेशन (ब्रॉडकास्टिंग एंड केबल) सर्विसेज इंटरकनेक्शन (एड्रेसेबल सिस्टम्स) विनियम, 2017 के विनियम 15(1) और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 10ए के उल्लंघन के कारण एडवांस मल्टीसिस्टम ब्रॉडबैंड कम्युनिकेशंस लिमिटेड (Advance Multisystem Broadband Communications Ltd ) का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया गया है। यह रजिस्ट्रेशन 24.04.2023 को कैंसिल किया गया है। इसी तरह से हॉर्नबिल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन नियम व शर्तों का पालन न करने के कारण 21.04.2023 को कैंसिल कर दिया गया है। अन्य MSOs में एससीवी स्काई विजन (SCV Sky Vision) शामिल है।
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अशोक श्रीवास्तव ने कही 'मन की बात' 'डीडी न्यूज' के लोकप्रिय शो 'दो टूक' ने अपने सात साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट कर अपने 'मन की बात' कही है। उन्होंने ट्विटर पर बताया कि कैसे इस शो को शुरू करने की प्रेरणा उनको मिली और कैसे उसे मूर्त रूप दिया गया और आज सात साल से यह शो चला आ रहा है और आज डीडी न्यूज का सबसे अधिक देखे जाने वाला शो बन गया है।अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट किया कि 2016 में जब JNU में नारे लगे थे 'भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह' तब इससे व्यथित होकर और इस जहरीली विचारधारा से लड़ने के उद्देश्य से डीडी न्यूज पर 'दो टूक' कार्यक्रम को शुरू किया था। बहुत लड़ाई लड़नी पड़ी, संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि डीडी न्यूज पर कोई राजनीतिक डिबेट का कार्यक्रम होता ही नहीं था। पर आज खुशी होती है कि मेरा प्रोग्राम 'दो टूक' एक ब्रैंड बन गया है। और आज डीडी न्यूज का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला कार्यक्रम है।इस बारे में समाचार4मीडिया से बातचीत करते हुए अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि उनका यह शो सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे से 10 बजे तक प्रसारित होता है और यह ऐसा राजनीतिक डिबेट शो है जहां बिना तथ्य के कोई बात नहीं की जाती है।उन्होंने बताया कि आज इस डिबेट शो की लोकप्रियता के पीछे सिर्फ उनका ही नहीं बल्कि उनकी पूरी टीम का हाथ है। उन्होंने बताया कि उनकी टीम इस शो के लिए बहुत मेहनत और शोध करती है, उनके बिना इस शो की कल्पना नहीं की जा सकती है और यह आश्वासन दिया कि जल्द ही उनका यह शो शनिवार को भी प्रसारित होगा।
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ट्विटर पर आर्टिकल पढ़ने के लिए मीडिया पब्लिसर्स यूजर्स से ले सकेंगे पैसे एलन मस्क ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर पर बड़े बदलाव करने का ऐलान किया है, जोकि मीडिया पब्लिसर्स से जुड़ा है। दरअसल, ट्विटर अब मीडिया पब्लिसर्स को अगले महीने से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आर्टिकल पढ़ने के लिए यूजर्स से शुल्क लेने की अनुमति देगा। कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने शनिवार को इसकी घोषणा की।इस नई घोषणा को एलन मस्क ने मीडिया ऑर्गनाइजेशंस और जनता दोनों के लिए जीत बताया। मस्क ने कहा कि अगले से महीने शुरू होने वाला है, यह प्लेटफॉर्म मीडिया पब्लिसर्स को प्रति आर्टिकल के आधार पर यूजर्स से शुल्क लेने की अनुमति देगा। एलन मस्क ने कहा कि इस फीचर के रोल आउट होने के बाद वे यूजर भी आर्टिकल पढ़ सकेंगे, जिनके पास मंथली सब्सक्रिप्शन नहीं है और कभी-कभार आर्टिकल पढ़ना चाहते हैं। ऐसे यूजर्स को प्रति आर्टिकल के हिसाब से अधिक कीमत चुकानी होगी
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श्रम का अवमूल्यन ना हो, बस यही तो मजदूर चाहता है (प्रवीण कक्कड़) हम ने हर दौर में तज़लील सही है लेकिन हम ने हर दौर के चेहरे को ज़िया बख़्शी है हम ने हर दौर में मेहनत के सितम झेले हैं हम ने हर दौर के हाथों को हिना बख़्शी है साहिर लुधियानवी की इन पंक्तियों में मजदूरों का दर्द भी छुपा है और उनके योगदान का अक्स भी दिखाई देता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस दुनिया में अलग अलग नाम से मनाया जाता है। लेकिन भावना वही है, इस धरती को जिन्होंने बनाया है, उन मजदूरों को इज्जत और सम्मान देना। उनके वजूद को महसूस करना और उनके महत्व को समझना। और उनके अधिकारों को बाधित ना करना। दुनिया में सुई से लेकर अंतरिक्ष में जाने वाले राकेट तक, सड़क से लेकर गगनचुंबी इमारतों तक, शहर से लेकर गांव तक, साइकिल से लेकर प्लेन तक सब कुछ मजदूर ही तो बनाते हैं। मजदूर याने श्रमिक। इसलिए श्रम और श्रमिक का सम्मान जरूरी है। दुनिया के सभी मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या है श्रम का अवमूल्यन। लाभ का एक बड़ा हिस्सा जब पूंजीपति की जेब में जाता है तो श्रम का अवमूल्यन शुरू हो जाता है। और यहीं से शोषण शुरू होता है। यह शोषण सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र में है। जिन देशों में मजदूरों के लिए सख्त कानून बने हैं, वहां स्थिति थोड़ी बेहतर है। लेकिन जहां बड़ी जनसंख्या है और लगातार प्रतिस्पर्धा है, वहां मजदूरों की स्थिति विचारणीय है। ऐसा नहीं कि सरकारें कुछ नहीं करती। लेकिन सरकार से ज्यादा यह समाज के सरोकार का विषय है। आमतौर पर कहा जाता है कि पूंजीवाद में श्रमिक का शोषण होता है लेकिन यह सच नहीं है। श्रमिकों का शोषण हर जगह होता है। जहां श्रम का उचित पुरस्कार नहीं मिलता। जहां पर श्रमिक अपनी बुनियादी भौतिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ रहता है, वह उसका शोषण ही है। जहां लाभ का न्यायोचित वितरण ना हो और एक व्यक्ति के हाथ में सारी पूंजी केंद्रित हो, वहां मजदूर का शोषण हो सकता है। चाहे वह पूंजीवाद हो, साम्यवाद हो या समाजवाद। आजादी के बाद भारत में मजदूरों के हितों के लिए विशेष कानून बनाए गए। श्रमिक कल्याण कानूनों के उद्देश्यों को चार भागों में बांटा जा सकता है। पहला सामाजिक न्याय, दूसरा आर्थिक न्याय, तीसरा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और चौथा अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों के प्रति वचनबद्धता लेकिन यह कानून अपनी जगह है और व्यावहारिक परिस्थितियां अपनी जगह। कानून के मुताबिक किसी मजदूर से 8 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता उसे न्यूनतम वेतन देना जरूरी है और उसके दूसरे अधिकार भी उसे मिलने चाहिए। लेकिन कई बार विपरीत परिस्थितियों में यह सब चीजें मजदूरों को मिल नहीं पाती। मजदूरों को उनके अधिकार सुनिश्चित कराना एक कल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है। व्यवस्था कोई भी हो संवेदनशीलता नहीं रहेगी तो मजदूरों की समस्याओं का हल नहीं होगा। संवेदनशीलता समाज की भी जरूरी है। समाज को श्रमिक को हेय दृष्टि से देखना छोड़ना होगा। सही मायने में देखा जाए तो इस समाज का पहला निर्माता तो मजदूर ही है। मजदूर के मजबूत हाथों ने इस सभ्यता का निर्माण किया है। उसने शहर बनाए हैं, नगर बनाए हैं, अविष्कारों को अमलीजामा पहनाया है। उसने खेतों को जंगलों के बीच बनाकर उनसे अन्न निकाला है। उसने खदान की गहरी सुरंगों में जाकर बहुमूल्य धातुएं और खनिज निकाले हैं। उसने इंसानी सभ्यता के आगे बढ़ने के लिए दुर्गम रास्ते खोज निकाले हैं। और उन रास्तों को सुगम बना दिया है। इसलिए जरूरी है समाज, सत्ता और व्यवस्था मजदूरों के विषय में संवेदना पूर्वक विचार करें। उनकी समस्याओं का समाधान करे। जब उनका शरीर अशक्त हो और वह श्रम करने के काबिल ना हों उस वक्त उनके जीवन की व्यवस्था करे। उनके जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करे। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी - कपड़ा और मकान का प्रबंध करे। तभी इस समाज की उन्नति संभव है। सभ्यता के बढ़ते कदम की अग्रिम पंक्ति पर मजदूर ही तैनात है। जो हमारे अग्रज हैं। जिन्होंने हमारी सभ्यता की दिशा तय की है। जिन्होंने हमें घर बनाकर दिया है, भोजन दिया है, परिवहन दिया है और भी बहुत कुछ दिया है। उन मजदूरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन आवश्यक है। और यह तभी संभव हो सकेगा जब मजदूरों के प्रति समाज संवेदनशील बनेगा। सरकारें उनके अधिकारों के प्रति चैतन्य होंगी। बॉक्स मजदूर दिवस का इतिहास राजशाही के पतन और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की पूरी बात और संवाद के रूप में परिवर्तित होने के बाद ही दुनिया में मजदूरों के ऊपर होने वाले शोषण और उनके अधिकारों की चर्चा विधिवत शुरू हुई। अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है, जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। मई दिवस की दूसरी ताकत रूस में कोई बोल्शेविक क्रांति के बाद मिली जो कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों पर मजदूरों की सरकार मानी गई। भारत में सबसे पहले यह विचार दिया था कि दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ। इस तरह देखें तो पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों ही प्रणालियों में मजदूर के महत्व को पहचाना गया। भारत में मई दिवस सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। इस की शुरूआत भारतीय मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रामाणित हो चुका है। (लेखक पूर्व पुलिस अधिकारी और समाजसेवी हैं)
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अंजना ओम कश्यप का जन्म 12 जून 1975 को रांची, झारखंड में हुआ था | उन्होंने बिहार से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। वर्ष 1995 में शादी के बाद अंजना ओम कश्यप के पति से कहने पर 2002 में उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज दिल्ली से पत्रकारिता करना प्रारंभ किया और बाद में वर्ष 2003 में दूरदर्शन के “आँखों देखी” कार्यक्रम के साथ काम करना शुरू किया।दूरदर्शन में कुछ समय ही काम करने के बाद अंजना ने जी न्यूज़ में काम करना शुरू किया, यहां पर 5 साल काम करने के बाद वर्ष 2007 में अंजना ने हिंदी न्यूज़ चैनल News24 के लिए काम करना शुरू कर दिया। न्यूज चैनल News24 से अंजना ओम कश्यप पूरे भारत में काफी ज्यादा लोकप्रिय और पॉपुलर पत्रकार बन गई।इसके बाद अंजना ओम कश्यप इंडिया टुडे ग्रुप के चैनल आज तक से जुड़ गई और आज भी इसी न्यूज़ चैनल के साथ काम करती है।
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रिचा का जन्म 31 मई 1975 को रीवा मध्य प्रदेश में हुआ ।इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर-प्रदेश राज्य के धनोर से प्राप्त की। दसवीं की पढ़ाई सेंट फ्रांसिस कान्वेंट स्कूल से करने के बाद 11वीं और 12वीं की शिक्षा इन्होंने क्राइस्ट द किंग कॉलेज झांसी से पूरी की। इसके बाद इन्होंने स्नातक की शिक्षा बिपिन बिहारी डिग्री कॉलेज झांसी से प्राप्त की और वही इन्होंने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में 3 साल का मास्टर डिप्लोमा प्राप्त किया। इनके पिता हरीश बादल पेशे से एक डॉक्टर है । इनका विवाह साल 1997 में अनिरुद्ध थाट से हुआ । इनकी दो बेटियाँ है जिनका नाम आयशा और इशिता है । रिचा एक प्रसिद्ध टीवी एंकर, पत्रकार, यूट्यूबर, रेडियो जॉकी होने के साथ ही एक सामाजिक कार्यकर्त्ता भी है। इन्हें युवा फीमेल जर्नलिस्ट का अवार्ड भी मिला। यह सोशल वर्कर भी है और लड़कियों की पढ़ाई के लिए कार्य करती हैं। इन्होंने मेरी लाडली नामक फाउंडेशन भी शुरू किया है जिसमें यह बच्चियों को अडॉप्ट करके देख भाल करती हैं।
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उम्र संबंधी उन मानदंडों को पूरा न करने से हुआ था अकाउंट लॉक ‘ट्विटर’ (Twitter) ने जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल’ (ANI) के अकाउंट को शनिवार को लॉक कर दिया। इसका कारण यह बताया गया कि यह न्यूज एजेंसी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करने के न्यूनतम उम्र संबंधी मानदंडों को पूरा नहीं करती है। हालांकि, देर रात न्यूज एजेंसी के ट्विटर अकाउंट को बहाल कर दिया गया।बता दें कि एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने ट्विटर की ओर से भेजे गए उस मेल का स्क्रीनशॉट अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया था, जिसमें बताया गया था कि न्यूज एजेंसी ANI का अकाउंट लॉक कर दिया गया है। स्मिता प्रकाश ने जिस मेल का स्क्रीनशॉट शेयर किया था, उसमें लिखा था ‘ट्विटर अकाउंट को क्रिएट करने के लिए आपको कम से कम 13 साल का होना चाहिए। ट्विटर ने पाया है कि आप उम्र संबंधी उन मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं, इसलिए आपका ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया गया है और इसे ट्विटर से हटा दिया जाएगा।’एएनआई का ट्विटर अकाउंट जैसे ही दिखना बंद हुआ, स्मिता प्रकाश ने एक ट्वीट कर कहा, ‘जो लोग एएनआई को फॉलो करते हैं, उन्हें बता दें कि ट्विटर ने देश की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी, जिसके 7.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं, उसे लॉक कर दिया है और 13 साल से कम उम्र का हवाला देते हुए यह मेल भेजा है। पहले हमारा गोल्ड टिक लेकर उसकी जगह हमें ब्लू टिक दिया गया और इसके बाद हमारा अकाउंट लॉक कर दिया गया है।’
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अंग्रेजी न्यूज चैनल 'सीएनएन-न्यूज18' (CNN-News18) ने अपनी विज्ञापन दरों में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। संशोधित दरें चैनल पर विज्ञापन देने वाले सभी मौजूदा और नए क्लाइंट्स पर लागू होंगी।चैनल ने अपने बयान में कहा कि यह कदम अंग्रेजी न्यूज जॉनर में उल्लेखनीय उपलब्धि के एक साल बाद उठाया गया है, जिसमें राष्ट्रीय व वैश्विक घटनाओं की बेहतरीन न्यूज कवरेज और पूरा एनालिसिस शामिल है। विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी के फैसले पर टिप्पणी करते हुए 'नेटवर्क18' में बिजनेस क्लस्टर की सीईओ स्मृति मेहरा ने कहा, 'सीएनएन-न्यूज18' को अंग्रेजी न्यूज स्पेस में अपने बेमिसाल नेतृत्व पर गर्व है और भारत व दुनिया भर की स्टोरीज पर सूक्ष्म विश्लेषण और वस्तुनिष्ठ रिपोर्टिंग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने क्लाइंट्स के लिए बेहतरीन विज्ञापन अनुभव के साथ विश्व स्तरीय प्रोग्रामिंग प्रदान करने के लिए हम कुछ साहसिक कदम उठा रहे हैं। जैसे ही हम अपनी विज्ञापन दरों में वृद्धि करेंगे, हम विज्ञापनदाताओं को लक्षित दर्शकों के साथ जुड़ने में मदद करने के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशन ऑफर करेंगे।उन्होंने आगे कहा कि आने वाले वर्ष में कुछ प्रमुख राज्यों में चुनाव होंगे, सितंबर में नई दिल्ली में 18वां G20 राष्ट्राध्यक्षों और सरकार का शिखर सम्मेलन, अक्टूबर और नवंबर में क्रिकेट विश्व कप और अंत में 2024 में आम चुनाव होंगे और फिर आने वाला साल टीवी न्यूज जॉनर के लिए ढेर सारी संभावनाएं लेकर आएगा और CNN-News18 अपने विज्ञापनदाताओं के लिए वैल्यू ऐड करना जारी रखेगा। हम अपने सभी मौजूदा विज्ञापनदाताओं को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने हम पर विश्वास बनाए रखा। वहीं हम नए क्लाइंट्स का स्वागत करने के लिए भी तत्पर हैं।
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श्वेता ने कहा खिलाड़ियों का कर्ज है हम पर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई और इस दौरान दिल्ली पुलिस के लिए पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने तय किया है कि आज एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार शाम को कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में बृजभूषण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की। पहला केस एक नाबालिग पीड़िता की शिकायत के आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। वहीं, दूसरी एफआईआर एक अन्य महिला पहलवान की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। दिल्ली पुलिस ने दोनों केस की जांच शुरू कर दी है।दरअसल बृजभूषण के खिलाफ कई नामी पहलवान दिल्ली में धरने पर बैठे हैं। ये दूसरी बार है जब पहलवान इस मामले में के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके पहले जनवरी में भी पहलवानों ने कई दिनों तक प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर मनमाने तरीके से संघ चलाने और महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर श्वेता सिंह ने भी ट्वीट कर बड़ी बात कही है।
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हिंदी न्यूज चैनल 'इंडिया टीवी' पर हर शनिवार रात 10 बजे प्रसारित होने वाले लोकप्रिय शो 'आप की अदालत' में देश विदेश की जानी मानी हस्ती शिरकत करती हैं और यह टीवी पर प्रसारित होने वाले सबसे लोकप्रिय शो में से एक है। लेकिन आज यानी 29 अप्रैल को प्रसारित होने वाला एपिसोड कुछ अलग है।दरअसल आज रात 10 बजे 'आप की अदालत' में मेहमान के तौर पर सुपरस्टार सलमान खान शामिल होने वाले हैं और यह एपिसोड खास तौर से उनके लिए दुबई में शूट किया गया है। इस बारे में चैनल के एडिटर-इन -चीफ रजत शर्मा की ओर से एक ट्वीट भी किया गया है।उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि इस बार सलमान ने आप की अदालत में बहुत सारी अनकही, अनसुनी बातें बताईं। शाहरुख, आमिर ,संजय दत्त जैसे कई दोस्तों के किस्से सुनाए। इसी के साथ उन्होंने कार्यक्रम का प्रोमो भी शेयर किया है, जिसमें आप सलमान खान को देख सकते हैं।दुबई में इस शो को शूट करने के लिए बिल्कुल 'आप की अदालत' जैसा सेट डिजाइन किया गया है और दर्शकों की तालियों के बीच रजत शर्मा अपने चिर परिचित अंदाज में सलमान खान का स्वागत करते हुए नजर आ रहे हैं। इस शो में सलमान खान ने अपनी लव लाइफ को लेकर भी कई खुलासें किए है।
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मीडियाकर्मियों की मांगों को लेकर होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन! देश के मीडियाकर्मियों के अधिकार और हितों के लिए संघर्ष करने वाले सात सशक्त संगठनों ने कॉन्फेड्रेशन ऑफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजेंसीस एम्प्लॉइज ऑर्गनाइजेशन के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने का फैसला किया है। दरअसल, इस संगठन ने वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, वेज बोर्ड को लागू कराने, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट में संशोधन और जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की मांग की है।कॉन्फेड्रेशन के चंडीगढ़ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत मान ने मीडियाकर्मियों की मांग का समर्थन करते हुए इसे लागू करने का आश्वासन दिया है।ट्रिब्यून एम्प्लॉयीज यूनियन द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में कॉन्फेड्रेशन के महासचिव एम.एस. यादव, नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष रास बिहारी, महासचिव प्रदीप तिवारी, कोषाध्यक्ष डॉ. अरविन्द सिंह, उपाध्यक्ष राणेश राणा, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी, महासचिव बलबिंदर जम्मू, इंडियन फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी, महासचिव परमानंद पांडे, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पीटीआई एम्प्लॉयीज यूनियन के अध्यक्ष भुवन चौबे, यूएनआई वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष एम.एल. जोशी, ऑल इंडिया न्यूजपेपर्स एम्प्लॉयीज यूनियन के सचिव सी.एस. नायडू समेत बड़ी संख्या में पत्रकार और गैर पत्रकार सदस्यों ने हिस्सा लिया।
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सीएम केजरीवाल के बंगले की 'मुंहदिखाई' अब जरूरी हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ के ऑपरेशन ‘शीश महल’ में हुए खुलासे के बाद से ही मीडिया में इसकी चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने अपने सरकारी बंगले को सजाने के लिए 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और वह अब एक ‘शीश महल’ में रहते हैं।इसी मामले पर वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने अपने प्राइम टाइम शो में एक बड़ी बात कह दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि दिल्ली के सीएम बंगले की मुंह दिखाई अब जरूरी है। उन्हें खुद ही अपने भव्य बंगले के दरवाजे दिल्ली की आम जनता के लिए खोल देने चाहिए। वो जनता को अपने घर आमंत्रित करें और खुद ही दिखा दें कहां क्या लगा है। इससे सब कुछ 'ब्लैक एंड व्हाईट' हो जायेगा।इसके साथ ही उन्होंने अपने शो की एक वीडियो क्लिप भी साथ में शेयर की है। इसमें वह कह रहे हैं कि सरकारी पैसे से जो आलिशान महल उन्होंने बनवाया है उसे देखकर तो आज अडानी को भी शर्म आ जायेगी। आगे सुधीर कहते हैं कि ये वही सीएम केजरीवाल हैं, जो सीएम बनने से पहले कहते थे कि हम सरकारी आवास, गाड़ी और सुविधा कुछ भी नहीं लेंगे लेकिन आज जनता की कमाई के 45 करोड़ खर्च कर अपना महल बनवा रहे हैं।उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सरकारी सुरक्षा नहीं लेने की बात करने वाले सीएम केजरीवाल आज 28 गाड़ियों के काफिले के साथ चलते हैं और उनकी सुरक्षा में 106 जवान तैनात हैं, ऐसा बीजेपी का आरोप है। उन्होंने बताया कि अकेले दिल्ली में 50 हजार लोग ऐसे हैं जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है और ये आम आदमी पार्टी के ही वोटर्स हैं।दिल्ली के सीएम कहते हैं कि वह इन्हीं आम लोगों की तरह हैं और वह देश के सच्चे और आम आदमी हैं। सुधीर चौधरी ने सीएम केजरीवाल से सवाल पूछा है कि अगर वह आम आदमी हैं, तो क्या उन्होंने अपने बंगले पर 45 करोड़ खर्च करने से पहले इन आम आदमियों के बारे में सोचा?
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रुबिका लियाकत का जन्म 18 अप्रैल 1983 को उदयपुर, राजस्थान में हुआ था. उनका ज्यादातर बचपन उदयपुर में बीता. उनके पिता का नाम अमर लियाकत है. उनकी माता का नाम फातमा लियाकत है जो पेशे से एक वैज्ञानिक हैं और पर्यावरण विज्ञान में पीएच.डी धारक हैं. उनकी एक बहन है जिसका नाम अंजुम लियाकत है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा उदयपुर के सेंट ग्रेगोरियस सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की. अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से मास मीडिया में ग्रेजुएशन पूरा किया।पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान रुबिका ने साल 2003 में चैनल 24 के साथ 3 महीने की इंटर्नशिप की थी. उन्होंने साल 2005 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था | अप्रैल 2012 में, उन्होंने एक पत्रकार नावेद कुरैशी से शादी की थी. उनके दो बच्चे हैं, एक लड़का और एक लड़की। रुबिका लियाकत ने अपने करियर की शुरुआत साल 2007 में चैनल लिव इंडिया से एक न्यूज एंकर के रूप में की थी. उन्होंने सितंबर 2008 तक वहां काम किया, और फिर उन्होंने न्यूज 24 को जॉइन किया।इसके बाद वह जी न्यूज से जुड़ीं. उन्होंने “ताल ठोक के” नामक शो की मेजबानी करके लोकप्रियता हासिल की. उन्होंने कुछ समय के लिए ZEE न्यूज में सीनियर एंकर और एडिटर के रूप में काम किया। अगस्त 2018 में, रुबिका ने ज़ी न्यूज़ से इस्तीफा दे दिया और एबीपी न्यूज़ को जॉइन किया. वह तब से एबीपी न्यूज़ में काम कर रही हैं।
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सुधीर चौधरी का जन्म ७ जून १९७४ हरियाणा में हुआ था |उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था । ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली में दाखिला लिया।सुधीर चौधरी बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे| सुधीर चौधरी ने पत्रकारिता में डिप्लोमा किया था | सुधीर ने अपने करियर की शुरुआत 1993 में ज़ी न्यूज़ से पत्रकार के रूप में की थी। यह वह समय था जब Zee News चैनल नया नया शुरू ही हुआ था। उन्होंने एक समाचार एंकर के रूप में चैनल में शामिल हुए और 2001 के भारतीय संसद हमले और कारगिल युद्ध सहित कई प्रमुख कहानियों को कवर किया। 2003 में, उन्होंने ज़ी न्यूज़ से अपने पद से इस्तीफा दे दिया और हिंदी समाचार चैनल, सहारा समय में शामिल हो गए | 2012 में, सुधीर ज़ी न्यूज़ में लौट आए और प्रधान संपादक के रूप में कार्यालय पर कब्जा कर लिया। सुधीर को 2013 के लिए “हिंदी प्रसारण” श्रेणी में पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिला। उन्होंने दिल्ली की 16 दिसंबर की सामूहिक बलात्कार पीड़िता के दोस्त के साथ अपने साक्षात्कार के लिए पुरस्कार जीता।वरिष्ठ संपादक सुधीर चौधरी की कुल संपत्ति लगभग 37 करोड़ रूपये से ज्यादा है और सुधीर चौधरी की सैलरी के रूप में 25 लाख प्रति माह कमाते है । सुधीर चौधरी ने जुलाई २०२२ में जी न्यूज़ से फिर से इस्तीफा दे दिया और आज तक में शामिल हो गए | आज तक में आ कर सुधीर ने अपना प्राइम टाइम शो ब्लैक एंड वाइट को होस्ट कर रहे है |
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अर्नब गोस्वामी का जन्म ७ मार्च १९७३ असम के गुवाहाटी शहर में हुआ था | अर्नब ने भारत के अलग-अलग स्कूलों से अपनी पढ़ाई पूरी की क्योंकि उनके पिता एक सेना में जवान थे | अर्नब दिल्ली कैंट में स्थित सेंट मैरी स्कूल से उन्होंने अपनी माध्यमिक परीक्षाएं की और बाद में जबलपुर छावनी के केंद्रीय विद्यालय में जाकर अपनी वरिष्ठ माध्यमिक पढ़ाई पूरी की। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से उन्होंने समाजशास्त्र में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल करने के बाद सोशल एंथ्रोपॉलजी में मास्टर डिग्री के लिए सैंट एंथोनी कॉलेज ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इंग्लैंड में दाखिला लिया | ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्णव फेलिक्स के विद्वान रह चुके हैं। कॉलेज में उन्हें एक लड़की जिसका नाम समयव्रत रे गोस्वामी था उससे प्यार हो गया जिसके बाद उन्होंने उससे शादी कर ली। अब उनका एक प्यारा सा बेटा भी है। अर्नब को पत्रकारिता से बहुत ज्यादा लगाव था उन्होंने कोलकाता के इंग्लिश समाचार पेपर जिसका नाम द टेलीग्राफ के साथ काम करना शुरू किया लेकिन 1 साल भी वहां टेक कर काम नहीं कर पाए और दिल्ली आ गए।उसके बाद उन्हें एनडीटीवी से जुड़ने का मौका मिला जिसमें उन्होंने न्यूज़ आवर की एंकरिंग से अपने करियर की शुरुआत फिर से की | साल 2004 के दौरान अर्नब ने न्यूज़ नाइट एंकरिंग के लिए एशियाई टेलीविजन पुरस्कारों में एशिया का बेस्ट समाचार एंकर का अवार्ड अपने नाम कर लिया।अर्नब ने बहुत सारे चैनलों के साथ जुड़ने के बाद रिपब्लिक टीवी शुरू किया जो एशिया नेट द्वारा फंडेड था जिसकी शुरुआत 6 मई 2017 को हुई। एशिया में यह एक मात्र इंग्लिश न्यूज़ चैनल है जो लगातार 100 हफ़्तों तक नंबर एक की पोजीशन पर रहा है |
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भारत की मशहूर पत्रकारों में से एक है श्वेता सिंह | स्वेता सिंह का जन्म २१ अगस्त १९७७ में हुआ था | श्वेता सिंह एक फिल्म निर्देशक बनना चाहती थीं, लेकिन वह एक पत्रकार बन गई।पटना में स्नातक के प्रथम वर्ष के दौरान श्वेता ने पत्रकारिता करनी शुरू कर दी |१९९८ में, उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पहला कदम रखा। वर्ष २००२ में आज तक में कार्य करने से पहले उन्होंने ज़ी न्यूज़ और सहारा में कार्य किया। स्वेता सिंह खेल संबंधी समाचारों को कवर करने में काफी निपुण मानी जाती हैं।वर्ष २००५ में, उनका शो “सौरव का सिक्स” को स्पोर्ट्स जर्नलिज़म फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजेएफआई) के द्वारा सर्वश्रेष्ठ खेल कार्यक्रम के लिए पुरस्कृत किया गया | वर्ष 2013 में, श्वेता सिंह को सर्वश्रेष्ठ एंकर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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रजत शर्मा का जन्म १८ फरवरी १९५७ में दिल्ली में हुआ | वे अपने माता पीता अपने ६ भाई और १ बहन के साथ रहते थे | इस दौरान इनके घर में न तो बिजली का प्रबंध था और न ही पानी का. इस कारण प्रत्येक दिन इनके और इनके परिवार के लिये परीक्षा से पूर्ण होता था | रजत शर्मा की शिक्षा सनातन धर्म मिडिल स्कूल से शुरू हुई, बचपन ग़रीबी से भरा होने के कारण इन्हें सब्ज़ी मंडी रेलवे स्टेशन के लैंप पोस्ट की रौशनी में अपनी पढाई करनी पड़ती थी | बाद में इन्होंने करोल बाग़ स्थित रामजस स्कूल में दाखिला लिया, ये अपने घर से स्कूल पैदल जाया करते थे. इन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से स्नातक की पढ़ाई पूरी की | रजत शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1982 में पाक्षिक पत्रिका ऑनलुकर में ट्रेनी रिपोर्टर के रूप में की थी. ऑनलुकर में अपने पहले लेख के एवज़ में इन्हें कुल 300 रूपए प्राप्त हुए, यह इनके करियर की पहली कमाई थी | अपने कड़े परिश्रम के बल पर इन्होंने दो वर्ष के अंदर ही यानि वर्ष 1984 में ऑनलुकर के ‘चीफ़ ऑफ़ ब्यूरो’ का और वर्ष 1985 में संपादक पद को प्राप्त किया | इसके बाद वर्ष 1987 में इन्होंने ‘सन्डे ऑब्जर्वर’ के संपादक का कार्यभार संभाला, यहाँ इन्होंने दो वर्ष तक कार्य किया. इसके बाद वर्ष 1989 में इन्होंने ‘द डेली’ के संपादक के रूप में काम करना शुरू किया, यहाँ इन्होंने वर्ष 1992 तक संपादन का कार्य किया | इन स्थानों पर काम करने के बाद इन्होंने ‘आप की अदालत’ शुरू की, जो काफी सफल प्रोग्राम रहा. इसका पहला एपिसोड 14 मार्च 1993 में प्रसारित हुआ था | इन्होंने टीवी प्रोड्यूसर रीतू धवन से विवाह किया | वर्ष 2004 में शुरू होने वाले इंडिया टीवी से रजत शर्मा को उनकी मेहनत का बेहद अच्छा फल मिला. चार वर्ष के कठिन परिश्रम के बाद चैनल का कुल रेवेन्यु ग्रोथ 120 प्रतिशत का हो गया. अपने द्वारा किये गये शो से इनके चैनल की टीआरपी बनी रही और इन्हें काफी लाभ प्राप्त हुआ. इस समय इनके पास लगभग 15 मिलियन डॉलर की संपत्ति है |
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पत्रकार रजनीश शर्मा ने अब वरिष्ठ टीवी पत्रकार शमशेर सिंह के नेतृत्व में नोएडा से जल्द ही लॉन्च होने वाले नए न्यूज चैनल से अपनी नई पारी का आगाज किया है। रजनीश शर्मा यहां इन्वेस्टीगेटिंग रिपोर्टिंग करेंगे।रजनीश को रिपोर्टिंग में काम करने का 14 साल से ज्यादा का अनुभव है। अब तक वह दिल्ली दंगे, सीएए एनआरसी, किसान आंदोलन, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्या व श्रद्धा हत्याकांड जैसी तमाम बड़ी घटनाओं की कवरेज समेत दिल्ली के बड़े माफियाओं पर इन्वेस्टीगेटिंग स्टोरीज कर चुके हैं। इस से पहले रजनीश शर्मा ‘जी हिंदुस्तान’, ‘रिपब्लिक भारत’, ‘इंडिया न्यूज’ और ‘एएनआई’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। रजनीश शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद ‘भारतीय विद्या भवन‘ से मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया है। इसके बाद उन्होंने हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
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प्रवीण कक्कड़ अतीक अहमद का खात्मा हो गया। उसके साथ बहुत से दूसरे गुंडों को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया। इस पूरे प्रकरण पर जमकर राजनीति हुई। राजनीति दो पक्षों में विभक्त दिखाई दी। राजनीति होना लाजमी है। क्योंकि जो व्यक्ति 5 बार विधायक रहा हो और सांसद चुना गया उसकी हत्या को राजनीतिक नजरिए से देखना जरूरी हो जाता है। लेकिन हम यहां राजनीति की बात नहीं कर रहे। वह एनकाउंटर जायज हैं या नाजायज। कस्टोडियल हत्या अचानक हुई या सुनियोजित। इस मुद्दे पर बहस करना उन लोगों का काम है जिनके अपने राजनीतिक पूर्वाग्रह हैं। लेकिन अतीक के प्रकरण को उसके अतीत को ध्यान में रखते हुए, सामाजिक नजरिए से देखना बहुत जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अतीक जैसे प्रकरण समाज की दिशा और दशा तय कर रहे हैं। अतीक अहमद की एक साधारण व्यक्ति से खूंखार गुंडा बनने की कहानी बहुत लंबी है। लुब्बेलुबाब यह है कि छोटे-मोटे अपराध करने वाला एक अपराधी राजनीतिक संरक्षण पाकर वर्चस्व के पायदान पर चढ़ता गया और विधायक फिर सांसद बन गया। सारे देश में अपराध का यही तरीका है। कोई भी अपराधी लगातार पनपता रहता है। और बाद में समाज में उसकी स्वीकार्यता बढ़ जाती है। अतीक अहमद का अपराध की दुनिया में आना कोई बड़ी बात नहीं है। फ्रॉयड का मनोविज्ञान कहता है कि अपराध की मनोवृति थोड़ी बहुत सब में रहती है। लेकिन किसी में जुनून की हद तक अपराध पनपे तो वह अपराधी बन जाता है। अपराध में उसको मजा आने लगता है। यह आनंद उस वक्त और ज्यादा बढ़ जाता है जब उसके अपराध को सामाजिक स्वीकार्यता मिलती है। उसके वर्चस्व, ताकत और दौलत में अपराध की दम पर वृद्धि होती जाती है। अतीक अहमद की ताकत अपराध की दुनिया में लगातार बढ़ती रही। पुलिस - प्रशासन के अपने नियम कायदे हैं। लेकिन समाज का कायदा अलग है। समाज के लिए यह जरूरी है कि वह अपराध को पनपने ना दे। अपराध पनपने की जमीन समाज में ही तैयार होती है। यदि कोई अपराधी रातों-रात एमएलए बन जाए। सांसद बन जाए, पार्षद बन जाए। या मंत्री बन जाए। तो कहीं ना कहीं इसमें समाज की बड़ी भूमिका है। समाज उसके अपराध को अनदेखा करता है। उसके वर्चस्व और गुंडागर्दी को स्वीकार लेता है। कहीं ना कहीं इससे यह स्थापित होता है कि अपराध की डगर पर चलकर राजनीति की ऊंचाइयों पर पहुंचा जा सकता है। और फिर राजनीतिक ताकत पाने के लिए अपराध का सहारा लेना एक प्रचलन बन जाता है। अकेले अतीक अहमद की बात नहीं है। सारे देश में राजनीतिक पकड़ वाले अपराधियों की संख्या बहुत बड़ी है। किसी एक दल की बात नहीं है बल्कि सारे राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को कभी ना कभी टिकट देते हैं। इसका कारण उनकी लोकप्रियता और सामाजिक स्वीकार्यता है। अपराध का यह मनोविज्ञान बहुत गंभीर और जटिल है। आखिर क्या कारण है कि जो हत्या करता है, लूटपाट करता है, फिरौती वसूलता है वह चुनाव भी जीत जाता है। उसका आभामंडल इतना विस्तृत हो जाता है कि कोई भी उसे वोट दे आता है। समाज यह समझने को तैयार ही नहीं होता कि वह अपराधी है, उसे राजनीति में नहीं आना चाहिए, उसे वोट नहीं मिलना चाहिए। अतीक अहमद के राजनीतिक जीवन की यात्रा को देखें तो समझ में आता है कि वह एक नहीं पांच बार विधायक बना। सांसद भी बन गया। क्या उसकी जीत आतंक और डर के कारण हुई। या फिर उसको सहज स्वाभाविक समर्थन मिला। गंभीरता से विचार करने पर यह समझ में आता है कि आतंक और डर की एक सीमा है। हमारी चुनाव प्रणाली इतनी सशक्त है कि कोई भी यह पता नहीं लगा सकता कि किसने किसको वोट दिया है। इसलिए आतंक और डर के साथ-साथ कहीं ना कहीं आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति की सामाजिक स्वीकार्यता भी काम करती है। शायद जनमानस यह मानता है कि अच्छे लोग कुछ कर नहीं सकते। लिहाजा बुरे लोगों के हाथ में ही सत्ता सौंपना मजबूरी है। या फिर कुछ लोग गुंडे, माफिया के आभामंडल से प्रभावित हो जाते हैं। कारण चाहे जो हो, लेकिन समाज के बीच अपराध की स्वीकार्यता अपराध शास्त्र का नया आयाम है। इसकी कोई कैफियत नहीं दी जा सकती। बल्कि इसमें सुधार करने की जरूरत है। यदि समाज बुरे को ठुकरा देगा तो शायद बुरा व्यक्ति इतना खतरनाक नहीं होगा। बुराइयों को पनपने से पहले उनकी जड़ों में मट्ठा डालने की कोशिश समाज को करनी होगी। अपराध और अपराधी के प्रति उदासीनता का भाव समाज को दिशाहीन कर सकता है। और यह दिशाहीनता एक भयानक संक्रमण है। अतीक अहमद और पैदा ना हो इसकी कोशिश समाज को करनी है, सत्ता को नहीं।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार व न्यूज एंकर नेहा खन्ना अभी तक ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में बतौर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और सीनियर एंकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। बताया जा रहा है की सीनियर टेलिविजन जर्नलिस्ट नेहा खन्ना ‘न्यूज9’ के साथ अपनी नई पारी शुरू की है। बता दें कि ‘न्यूज9’ सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर देश की पहली पूरी तरह से इंटीग्रेटिड डिजिटल न्यूज सर्विस है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ को यह जानकारी दी है। इस जानकारी के अनुसार, यहां बतौर डिप्टी एडिटर व सीनियर एंकर नेहा खन्ना कोर एडिटोरियल टीम का हिस्सा होंगी। इसके अलावा वह इस प्लेटफॉर्म के कई शो में अपनी प्रमुख भूमिका निभाएंगी।बता दें कि खन्ना इससे पहले ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में बतौर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और सीनियर एंकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। इस दौरान उन्होंने रात आठ बजे के शो ‘Fineprint’, रात दस बजे के शो ‘Pulse’ और वीकली शो ‘Inside South Asia’ समेत कई प्राइम टाइम शोज में एंकरिंग की। नेहा खन्ना ने इतने वर्षों में अधिकांश प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्टोरीज को कवर किया है। इसके अलावा उन्होंने शीर्ष भारतीय और वैश्विक हस्तियों का इंटरव्यू भी लिया है।
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'आजतक' के मशहूर एंकर सुधीर चौधरी के शो में डेब्यू करने वाली है पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI एंकर सना। बता दें कि सना सुधीर चौधरी के साथ शो की को-होस्ट करेंगी। हाल ही में, इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 के दौरान ग्रुप का पहला बॉट कॉलेबोरेटिव AI एंकर सना को लॉन्च किया था।'ब्लैक एंड व्हाइट' शो 'आजतक' पर रात 9 बजे प्रसारित होता है। हाल ही में सामने आयी 46वें हफ्ते रेटिंग में वीकडेज पर 9 बजे कार्यक्रम के प्रसारण की रेटिंग में यह शो सबसे ऊपर है। यह शो 19 जुलाई 2022 को लॉन्च किया गया था और लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है।सना के बारे में बताते हुए कली पुरी ने कहा था, 'यह हमारी पहली बॉट एआई कॉलेबोरेटिव एंकर है, जो बहुत होनहार, दिलकश, एजलेस, कभी ना थकने वाली और कई भाषाएं बोलने वाली एंकर है।'
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जाने माने पत्रकार और हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ में कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी को कांग्रेस के एक नेता ने लीगल नोटिस भेजा है। यह नोटिस इंडियन यूथ कांग्रेस के नेशनल प्रेजिडेंट श्रीनिवास बीवी ने भेजा है।अपने अधिवक्ता के माध्यम से भेजे गए इस नोटिस में कांग्रेस नेता ने एक वीडियो का हवाला देते हुए सुधीर चौधरी और ‘आजतक’ पर ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ शो के माध्यम से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि खराब करने का आरोप लगाया है।यही नहीं, कांग्रेस नेता ने इन दोनों से माफी मांगने और उक्त वीडियो को मानहानिकारक बताते हुए सभी प्लेटफॉर्म्स से तुरंत डिलीट करने के लिए कहा है। इसके साथ ही अपने चैनल पर बिना शर्त माफीनामा प्रसारित करने और उस माफीनामे को ट्विटर हैंडल पर भी पोस्ट करने के लिए कहा है। ऐसे न करने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी भी दी गई है।
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जानी मानी न्यूज़ एंकर शोभना यादव ने अब अपनी नई मंज़िल खोज ली है और ‘एबीपी न्यूज’ को अलविदा कह दिया है। शोभना यादव ने अपनी नई पारी का आगाज अब ‘जी न्यूज’के साथ शुरू किया है। वह यहां बतौर सीनियर न्यूज एंकर प्राइम टाइम शो पर नजर आएंगी। समाचार4मीडिया से बातचीत में शोभना यादव ने खुद इसकी पुष्टि की है।बता दें कि ‘एबीपी न्यूज’ में शाम के स्लॉट की शोभा बढ़ाने वालीं शोभना यादव ने कुछ मुद्दों को लेकर कुछ दिनों पहले भी वहां से इस्तीफा दे दिया था। इस बारे में 'समाचार4मीडिया' और हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' ने उस समय खबर भी दी थी कि शोभना यादव ने इस चैनल को बाय बोल दिया है। हालांकि, पिछले दिनों एबीपी नेटवर्क और शोभना यादव के साथ हुई आपसी बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने फैसला कर लिया था कि शोभना यादव चैनल के साथ बनी रहेंगी।उस समय विश्वस्त सूत्रों के हवाले से खबर मिली थी कि शोभना यादव के चैनल से इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद ‘एबीपी’ नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय और चीफ पीपुल ऑफिसर कविता डासान की उनके साथ लंबे दौर की बातचीत हुई थी। इस बातचीत के बाद शोभना यादव ने नेटवर्क में बने रहने का फैसला लिया था। हालांकि, अब शोभना ने यहां से बाय बोल दिया है।
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पत्रकार अरविंद द्विवेदी ने दिया दैनिक जागरण में इस्तीफा अब उन्होंने की शुरुवात नई पारी की। आपको बता की अरविंद द्विवेदी हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ में साउथ दिल्ली के ब्यूरो प्रमुख रहे पर अब अरविंद कुमार द्विवेदी ने प्रबंधन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उनका दैनिक जागरण में 28 फरवरी उनका काम करने का आखिरी दिन था। समाचार4मीडिया से उन्होंने खुद इस खबर की पुष्टि की है।बता दें कि अरविंद पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता जगत में कार्यरत हैं। वर्ष 2014 से ‘दैनिक जागरण’ में कार्यरत हैं और यहां रहते हुए उन्होंने क्राइम, राजनीति, पर्यावरण, शिक्षा व सामाजिक सरोकार से जुड़ी खबरों को कवर किया।
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वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गौतम ने किया ‘टीवी9 भारतवर्ष’ को अलविदा कह दिया। दिनेश गौतम ‘टीवी9 भारतवर्ष’ में साढ़े तीन साल से सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर काम कर रहे थे। यहां वह लोकप्रिय टीवी शो ‘अड़ी’ समेत तमाम प्रमुख शो होस्ट करते थे।पिछले दिनों ‘टीवी9’ नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘टीवी9 भारतवर्ष‘ से इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ टीवी पत्रकार दिनेश गौतम ने अपनी नई पारी की शुरुआत की है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, दिनेश गौतम अब ‘टाइम्स नेटवर्क’ के साथ जुड़ गए हैं। उन्होंने इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत‘ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया है। बता दें कि ‘टीवी9 भारतवर्ष‘ में दिनेश गौतम सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर करीब साढ़े तीन साल से अपनी भूमिका निभा रहे थे, जहां से पिछले दिनों उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। ‘टीवी9 भारतवर्ष‘ में दिनेश गौतम लोकप्रिय टीवी शो ‘अड़ी’ समेत तमाम प्रमुख शो होस्ट करते थे।
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पत्रकार पुलक बाजपेयी ने ‘दैनिक भास्कर’ को अलविदा कह दिया यह भोपाल में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर (डिजिटल) अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने कुछ दिनों पहले इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने करीब दो साल पूर्व इस मीडिया समूह को जॉइन किया था।‘दैनिक भास्कर’ समूह की डिजिटल डिवीजन ‘डीबी डिजिटल’ को पिछले दिनों अलविदा कहने के बाद पत्रकार पुलक बाजपेयी ने नई मंजिल तलाश ली है। विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर के अनुसार, वह ‘जी डिजिटल’के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत करने जा रहे हैं। वह इस समूह की हिंदी न्यूज वेबसाइट ‘इंडिया.कॉम’ (india.com) में बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे।बता दें कि पुलक बाजपेयी इससे पहले भोपाल में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर (डिजिटल) अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने करीब दो साल पूर्व इस मीडिया समूह को जॉइन किया था। ‘दैनिक भास्कर’ समूह के साथ उनकी यह तीसरी पारी थी।‘दैनिक भास्कर’ में अपनी पारी शुरू करने से पहले पुलक बाजपेयी करीब चार साल से ‘जी बिजनेस’ में डिप्टी एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
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देश के किसानों के लिए समर्पित ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप का डिजिटल चैनल ‘किसान तक’ मंगलवार को लॉन्च हो गया। नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर ने ‘किसान तक’ यू-ट्यूब चैनल का उद्घाटन किया।उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला भी मौजूद रहे, जिन्होंने ‘किसान तक’ वेबसाइट का उद्घाटन किया। तोमर और रूपाला समेत कई गणमान्य कार्यक्रम में मौजूद रहे।‘किसान तक समिट’ में इंडिया टुडे समूह के डिजिटल चैनल को लॉन्च करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म 'किसान तक' किसान कल्याण का माध्यम बनेगा। तोमर ने किसान तक समिट 2023 में कहा कि पीएम मोदी किसानों की समस्याओं के समाधान की दिशा में निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं।कृषि मंत्री ने कहा, यदि छोटे किसान की ताकत नहीं बढ़ेगी तो देश की अर्थव्यवस्था की ताकत भी नहीं बढ़ेगी, क्योंकि छोटे किसानों की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत तक है। कोरोना संकट में भी किसानों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छोटे किसानों को ताकतवर बनाने के लिए एफपीओ को टूल बनाया जा रहा है जिससे किसान समूह में खेती कर खेती को आसान बना सकेंगे। किसान समूह में खेती करेंगे तो क्रॉप पैटर्न से लेकर तकनीक पर विचार करेंगे।
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पत्रकार नीतू झा ने ‘जी मीडिया' समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। नीतू पिछले साल से जी मीडिया के डिजिटल टीम में बतौर एंकर अपनी भूमिका निभा रही थी। वह 'जी हिन्दुस्तान' में देश और दुनिया की तमाम खबरों पर वीडियो बनाती थी। पत्रकार नीतू ने अपनी नई पारी की शुरुआत अब इंडिया टुडे (India Today) समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘गुड न्यूज टुडे’ के साथ की है। उन्होंने दिल्ली के लिए बतौर कॉरेस्पोंडेंट के तौर पर जॉइन किया है।समाचार4मीडिया से बातचीत में नीतू ने बताया कि ‘जी मीडिया’ में काम करने के दौरान उन्होंने कई मौकों पर फील्ड रिपोर्टिंग के साथ बड़े मीडिया इवेंट्स भी कवर किया है, सबसे बड़ी बात उन्होंने जी में टीवी के लिए वर्ल्ड कप कवर किया और एक महीने रोजाना घंटो तक लाइव किया।मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले से रहने वाली नीतू मौजूदा वक्त में दिल्ली में रह रही है। वह साल 2018 में मीडिया में जुड़ी थी और अपने सफर कि शुरुआत उन्होंने 'सुदर्शन न्यूज' से बतौर संवाददाता की थी, इसके बाद उन्होंने एचएनएन न्यूज, समाचार प्लस में बतौर एंकर और रिपोर्टर काम किया और फिर अपने सफर में आगे बढ़ते हुए एबीपी न्यूज पहुंचीं, इसके बाद वो जी मीडिया के साथ जुड़ गई थी।
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वरिष्ठ पत्रकार अनुराग सिंह ने हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत एक्सप्रेस’ के साथ अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने यहां दो महीने पहले ही जी न्यूज को अलविदा कहकर मैनेजिंग एडिटर के पद पर जॉइन किया था। समाचार4मीडिया से बातचीत में अनुराग सिंह ने अपने इस्तीफा देने की बात से इनकार करते हुए कहा कि वह फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी पर हैं। बता दें कि अनुराग सिंह इससे पहले ‘जी न्यूज’ में करीब सवा साल से बतौर आउटपुट हेड अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। ढाई दशक से ज्यादा समय से मीडिया में सक्रिय अनुराग सिंह को टीवी के साथ-साथ प्रिंट में काम करने का भी काफी अनुभव है।अनुराग सिंह ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत ‘अमर उजाला’ के साथ की थी। यहां वह इस समूह के बिजनेस अखबार ‘कारोबार’ से जुड़े थे। इसके बाद उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ और ‘दैनिक भास्कर’ में भी अपनी सेवाएं दीं और फिर प्रिंट को बाय बोलकर टीवी की दुनिया का रुख कर लिया।
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टीवी चॅनेल को PEMRA ने दी चेतावनी इस आदेश का पालन नहीं करने पर उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा I पाकिस्तान में एक बार फिर न्यूज चैनल पर कार्रवाई की गई है। इस बार लोकप्रिय न्यूज चैनल ARY टीवी पर गाज गिरी है। दरअसल, चैनल ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रतिबंधित भाषण को प्रसारित किया था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।हुआ यूं कि पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामकीय प्राधिकरण (PEMRA) ने रविवार रात को विभिन्न सेटेलाइट टेलीविजन चैनल पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सीधा या रिकॉर्डेड भाषण के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। हालांकि इसके कुछ घंटे बाद ही चैनल पर उनका भाषण दिखाया गया था, जिसके बाद पाकिस्तान के मीडिया नियामक ने सोमवार को चैनल का प्रसारण बंद कर दिया, क्योंकि इस्लामाबाद पुलिस इमरान खान को गिरफ्तार नहीं कर पायी थी।PTI के नेताओं ने पूरे देश में प्रदर्शन की चेतावनी दी। हालांकि कुछ देर बाद वह घर के बाहर आये और तीखा भाषण दिया, इसी के बाद यह कार्रवाई की गयी है। इमरान खान ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगवाने के लिए सोमवार को अदालत का रुख किया।
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'दैनिक जागरण’ की सीनियर रिपोर्टर ने दिया इस्तीफा दो दशक से दैनिक जागरण से जुड़े रहने के बाद दैनिक जागरण की सीनियर रिपोर्टर प्रियंका दुबे मेहता ने दिया इस्तीफा फिलहाल नोटिस पीरियड पे चल रही हैं I वह इस अखबार के गुरुग्राम ब्यूरो में सीनियर रिपोर्टर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। उन्होंने कुछ दिनों पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और फिलहाल नोटिस पीरियड पर चल रही हैं। समाचार4मीडिया से बातचीत में प्रियंका दुबे मेहता ने बताया कि वह फिलहाल कुछ समय तक ‘ब्रेक’ पर रहेंगी और इसके बाद अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगी।बता दें कि प्रियंका दुबे मेहता को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब दो दशक का अनुभव है। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2004 में ‘दैनिक जागरण’, मेरठ से की थी। वहां कुछ समय अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद प्रबंधन ने वर्ष 2007 में उनका तबादला गुरुग्राम कर दिया, तब से वह यहीं पर थीं।
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(प्रवीण कक्कड़) होली दहन कैसे शुरू हुआ यह कहानी पौराणिक है और जन जन को ज्ञात है कि हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। उसने अपने पिता के बार-बार समझाने के बाद भी भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए किंतु वह सफल नहीं हुआ। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठे, क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था इसलिए होलिका प्रहलाद को लेकर चिता मे जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई । तब से होलिका-दहन का प्रचलन हुआ। जीवन भी ऐसा ही है। जीवन में हमेशा छल और कपट की होलिका का दहन होकर ही रहता है। जब छल इतना बढ़ जाए कि एक पिता अपने पुत्र को और एक बुआ अपने भतीजे को अग्नि में भस्म करने के लिए प्रवृत्त हो उठे तो होलिका दहन घटित हो ही जाता है। इसलिए होलिका दहन हमें बताता है कि अंत में झूठ, कपट और दुष्ट चरित्र की होलिका का दहन होना अवश्यंभावी है। होली को गिले-शिकवे भुलाने का त्यौहार भी कहा जाता है, इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर जैसे हम पुराने मनमुटाव भूल जाने की परम्परा है, वैसे ही हमें अपने मन के साथ भी करना चाहिए, इसमें अगर घृणा, द्वेष, ईर्ष्या जैसे भाव हों तो उन्हें होलिका में दहन कर दीजिए और अपने मन को निर्मल कर लीजिए। जब अंतर्मन सफेद वस्त्र की भांति साफ हो जाता है तो इस कैनवास पर हर रंग चढ़ता भी है और खिलता भी है। एक बात याद रखिए जिसने अपने मन में प्रेम, सौहाद्र, करूणा और दया के रंग भर लिए उसकी दुनिया कभी बदरंग नहीं हो सकती। हम सब अपने जीवन में कभी न कभी यह अनुभव करते हैं कि जो व्यक्ति निश्चल है, कपट रहित है, सच्चरित्र है, दोष रहित है, न्याय प्रिय है, वह जीवन का आनंद हमसे कहीं अधिक ले रहा है। निश्चलता, मासूमियत, सत्यनिष्ठा, सच्चरित्रता, न्याय प्रियता जैसे गुण रूपी रंगों से जो सराबोर है असली होली तो उसी की है। वह अपने रंग में सबको रंगता है और दूसरों के रंग में भी रंग जाता है। उसे दूसरे की प्रगति से ईर्ष्या नहीं है इसलिए दूसरे की प्रगति और संपन्नता उसे संतोष देती है। वह दूसरे के सुख में अपने सुख का अनुभव करता है। वह दूसरे के उन्नयन में अपनी प्रगति देखता है। और इन सब का आनंद भोगता है। आओ होलिका दहन में हम अपनी बुरी प्रवृत्तियों को जलाकर भस्म कर दें और अपने निर्मल मन में खुशियों के रंग भर लें। यही होली की सच्ची भावना है। उत्सव धर्मिता का यह सर्वथा नया आयाम है। प्रेम का यह सबसे परिष्कृत रूप है। द्वैत से अद्वैत की ओर जाने की यात्रा का यह पहला चरण भी है। अपने अंतर्मन को प्रभु भक्ति में रंगने का यह सबसे उत्तम अवसर भी है। थोड़ा अभ्यास कीजिए। थोड़ा प्रयास कीजिए। सुनियोजित नहीं तो अनायास कीजिए। प्रभु आपके अंतर्मन को प्रेम के रंगों से सराबोर कर देंगे। तब होली के रंग जितने अंतर में बिखरेंगे उतने ही बाहर भी बिखर जाएंगे। रंगों के पर्व पर आप अंदर और बाहर रंगों से भर उठें यही शुभकामना है। बॉक्स भारत के प्रसिद्ध होली उत्सव भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है। ब्रज की होली आज भी सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। बरसाने की लठमार होली काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी प्रकार मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है। कुमाऊँ की गीत बैठकी में शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। यह सब होली के कई दिनों पहले शुरू हो जाता है। छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है और मध्यप्रदेश के निमाड़-मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। होली के कुछ दिन पहले से ही आदिवासियों का पर्व भगोरिया भी शुरू हो जाता है, जिसमें मेलों की धूम और ढोल-मांदल की थाप नजर आती है। हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र की रंग पंचमी में सूखा गुलाल खेलने, गोवा के शिमगो में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तथा पंजाब के होला मोहल्ला में सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन की परंपरा है। बिहार का फगुआ जम कर मौज मस्ती करने का पर्व है और नेपाल की होली में इस पर धार्मिक व सांस्कृतिक रंग दिखाई देता है। इसी प्रकार विभिन्न देशों में बसे प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग प्रकार से होली के श्रृंगार व उत्सव मनाने की परंपरा है।
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युवा पत्रकार सुधांशु शुभम ने हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह यहां टेक कवर कर रहे थे और लंबे समय से कंपनी के साथ जुड़े हुए थे। ‘आजतक’ में अपनी पारी के दौरान उन्होंने टेक से जुड़े कई इवेंट्स और प्रोग्राम को कवर किया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में सुधांशु शुभम ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। हालांकि, उन्होंने अपनी नई पारी के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी है।सुधांशु ने बताया कि वह जल्द ही अपनी नई पारी की शुरुआत एक बड़े चैनल के साथ करने जा रहे हैं। हालांकि, यहां वह बतौर टेक जर्नलिस्ट नहीं जुड़ रहे हैं और जॉइन करने के बाद इस पर विस्तृत जानकारी साझा करेंगे।मूल रूप से समस्तीपुर (बिहार) के रहने वाले सुधांशु शुभम ‘इंडिया टुडे’ समूह के साथ वर्ष 2018 से जुड़े हुए थे। ‘आजतक’ में टेक जर्नलिस्ट से पहले वह दिल्ली आजतक में प्रोडक्शन का काम देख रहे थे। उन्होंने मीडिया वेबसाइट्स के लिए फ्री-लांसिंग से अपने करियर की शुरुआत की थी।पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने मॉस कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। शुरुआती शिक्षा उन्होंने बिहार से ही पूरी की है। पढ़ाई के दौरान ही वह स्थानीय न्यूज पोर्टल के लिए काम करने लगे थे। समाचार4मीडिया की ओर से सुधांशु शुभम को उनकी आगामी पारी के लिए अग्रिम बधाई और ढेरों शुभकामनाएं।
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‘Zee डिजिटल’ के वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शेखर ने ‘Zee डिजिटल' को अलविदा कह दिया है। ‘Zee डिजिटल' में उनका सफर 3 तक रहा उन्होंने ‘जी डिजिटल’ की अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ‘इंडिया.कॉम’ में एडिटर अपनी भूमिका संभाल रहे थे। समाचार4मीडिया से बातचीत में अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए हिमांशु शेखर ने बताया कि 16 फरवरी इस संस्थान में उनका आखिरी दिन है।हिमांशु शेखर ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2020 में ‘इंडिया.कॉम’ में बतौर एडिटर जॉइन किया था। वह यहां संपादकीय और ‘क्रिकेट कंट्री’ समेत तमाम प्रॉडक्ट इनिशिएटव में अहम भूमिका निभा रहे थे। इस दौरान इस वेबसाइट ने digital first, mobile first, video first और user first approach जैसी कई पहल शुरू कीं। हिमांशु शेखर का कहना है, ‘इंडिया.कॉम और क्रिकेट कंट्री हमेशा मिले दिल के नजदीक रहेंगी। जी डिजिटल में अपनी पारी के दौरान मुझे बेहतरीन टीम के साथ काम करने का मौका मिला। यहां मुझे काफी कुछ सीखने का मौका मिला और मैं यहां के अपने पलों को संजोकर रखूंगा।’ इसके साथ ही हिमांशु शेखर का यह भी कहना था कि वह जल्द ही अपनी नई पारी की शुरुआत एक बड़े मीडिया संस्थान से करेंगे। फिलहाल उन्होंने उसके नाम का खुलासा नहीं किया है।
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वरिष्ठ पत्रकार ब्रजमोहन कुमार ने ‘भारत एक्सप्रेस’ से दिया इस्तीफा दे दिया है। ब्रजमोहन कुमार पिछले दिनों लॉन्च हुए इस न्यूज चैनल में एग्जिक्यूटिव एडिटर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार ब्रजमोहन कुमार ने पारिवारिक कारणों के चलते यह इस्तीफा दिया है।ब्रजमोहन कुमार का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में पता नहीं चल सका है। बता दें कि ब्रजमोहन कुमार को मीडिया में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। ‘भारत एक्सप्रेस’ से पहले वह करीब सात साल से हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’ में बतौर सीनियर एडिटर कार्यरत थे।पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ‘नवभारत टाइम्स’ में बतौर रिपोर्टर की थी। पूर्व में वह ‘दैनिक जागरण’, ‘बीआई टीवी’, ‘आईबीएन7’ (अब न्यूज18 इंडिया), ‘स्टार न्यूज’, ‘आजतक’ और ‘एएनआई’ में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा पूर्व में वह ‘ढाई आखर’ फिल्म में एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं।
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दख़ल प्राइड अवॉर्ड से भोपाल।विभिन्न क्षेत्रों में लीक से हटकर और बेहतर काम करने वाली विभूतियों को चर्चित लेखक और प्रख्यात अभिनेता आशुतोष राना 19 फरवरी की शाम दख़ल प्राइड अवॉर्ड से सम्मानित करेंगे।इस दौरान मीडिया की भूमिका पर भी आशुतोष राना प्रकाश डालेंगे। दख़ल प्राइड अवॉर्ड के चौथे सीजन में कवि,पत्रकार आलोक श्रीवास्तव, भाजपा मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर,कांग्रेस नेता डॉ विक्रांत भूरिया,प्रशासनिक अधिकारी माया अवस्थी, एएसपी समीर यादव,पत्रकार सुरेश गुप्ता,मनोज सैनी,राजीव जैन ,धनंजय प्रताप सिंह,मकरंद काले,अनूप दुबे ,अंबुज माहेश्वरी,राजन मेहता ,चिकित्सक डॉ सुबोध वार्ष्णेय, डॉ अंशुल राय, डॉ करिश्मा प्रधान देवेंद्र,शिक्षा क्षेत्र से डॉ राखी तिवारी, डॉ अनुपम चौकसे ,गौरव तिवारी,समाज सेवी माही भाजनी,कवियत्री नीलिमा पाठक सामंतरे,पर्वतारोही मेघा परमार,क्रिकेटर सौम्या तिवारी ,योगाचार्य डॉ पावन गुरु को सम्मानित उनकी विशेष उपलब्धियों के लिए अभिनंदित किया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद भदौरिया करेंगे ,समारोह के विशेष अतिथि पूर्व मंत्री ,विधायक संजय पाठक होंगे।
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हिमाचल प्रदेश को मिली एक खुशखबरी , अब 24×7 आधारित न्यूज चैनल ‘डीडी हिमाचल’अब हिमाचल प्रदेश मै। गुरुवार को ‘डीडी हिमाचल’ का शुभारंभ केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने किया। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी मौजूद रहे। इस मौके पर सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो सपना कई साल पहले देखा था, वह आज पूरा हो गया है। यह चैनल फ्री-डिश पर देखा जा सकेगा। हिमाचल की संस्कृति अब देश व विश्व भर में देखी जा सकेगी। यह प्रदेश के लोगों को समर्पित रहेगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस चैनल पर देवभूमि के धार्मिक स्थलों की लाइव आरती दिखाने का प्रयास किया जाएगा। हिमाचल के कार्यक्रम को डीडी नेशनल पर भी दिखाने का प्रयास होगा। हिमाचल की संस्कृति और पर्यटन को भी दिखाया जाएगा। साथ ही प्रदेश के फ्रीडम फाइटर को भी चैनल के माध्यम से दिखाया जाएगा। इस चैनल में नवीनतम तकनीक का प्रयोग किया गया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि इस मंच का हिमाचल की प्रतिभा के लिए सदुपयोग हो सकेगा। हर गांव की संस्कृति और कला को चैनल के माध्यम से पहचान दिलाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि डीडी हिमाचल एक सप्ताह में सालभर का कैलेंडर बनाए। इस मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पहला दूरदर्शन का प्रसारण जब शुरू हुआ, तो दो श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि यह पूरे देश का चैनल है। धीरे-धीरे दूरदर्शन को पंख लगे और यह चैनल अपनी महता को बढ़ाता चला गया। इसमें सबसे ज्यादा योगदान रामायण और महाभारत का रहा है। जब हिमाचल में दूरदर्शन शुरू हुआ था, तो यहां आधा-पौने घंटे का प्रसारण होता था। अब मैं धन्यवाद करता हूं अनुराग ठाकुर का, जो हिमाचल की आवाज बने और आपकी बदौलत ही हिमाचल को 24 घंटे का प्रसारण शुरू किया। यह आपके ही प्रयासों का नतीजा है। हिमाचल की जनता का विकास करने का उद्देश्य मौजूदा सरकार का है। सीएम ने कहा कि पर्टियां भिन्न हो सकती हैं, विचारधारा भिन्न हो सकते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य हिमाचल का विकास होना चाहिए।
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शाम के स्लॉट की शोभा बढ़ाने वाली जो प्राइम टाइम का चेहरा हैं, सीनियर न्यूज़ एंकर शोभना यादव जुडी रहेगी 'एबीपी न्यूज' के साथ। बता दें कि कुछ मुद्दों को लेकर शोभना यादव ने वहां से इस्तीफा दे दिया था। इस बारे में 'समाचार4मीडिया' और हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' ने खबर भी दी थी कि शोभना यादव ने इस चैनल को बाय बोल दिया है। हालांकि, पिछले दिनों एबीपी नेटवर्क और शोभना यादव के साथ हुई आपसी बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने फैसला लिया है कि शोभना यादव चैनल के साथ बनी रहेंगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, शोभना यादव के चैनल से इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद ‘एबीपी’ नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय और चीफ पीपुल ऑफिसर कविता डासान की शोभना यादव के साथ लंबे दौर की बातचीत हुई। इस बातचीत के बाद शोभना यादव ने नेटवर्क में बने रहने का फैसला लिया। हालांकि, चैनल में उनकी वापसी को लेकर तभी से चर्चाएं शुरू हो गई थीं, जब चैनल के मैनेजिंग एडिटर संत प्रसाद राय के भाई की शादी में भी शोभना यादव नजर आई थीं।
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‘न्यूज18 इंडिया’ को बाय बोलकर पत्रकार प्रिया चौहान चल पड़ी है अपने नए सफर पर , पत्रकार प्रिया चौहान ने ‘टीवी9 नेटवर्क’ के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत की है। उन्होंने इस नेटवर्क के डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘न्यूज9 प्लस’ में बतौर सीनियर प्रड्यूसर जॉइन किया है।इससे पहले प्रिया चौहान करीब सात साल से ‘नेटवर्क18’ समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज18 इंडिया’ में बतौर सीनियर एसोसिएट प्रड्यूसर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। पिछले दिनों उन्होंने यहां से बाय बोल दिया था और इन दिनों नोटिस पीरियड पर चल रही थीं।प्रिया चौहान ने ‘न्यूज18 इंडिया’ में अपनी पारी के दौरान तमाम एंटरटेनमेंट शो के अलावा ‘चौपाल’ को भी लगातार पांच साल तक होस्ट किया है। लोकप्रिय फैक्ट चेक शो ‘खबर पक्की है’ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ भी मिल चुका है।
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यदि आप पत्रकार हैं और नई नौकरी की तलाश में हैं तो आपके लिए यह खबर काफी काम की हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ‘जी समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में पत्रकारों के लिए नौकरी का मौका है।दरअसल, टीवी आउटपुट में न्यूज और बिजनेस डेस्क के लिए 'विऑन' न्यूज राइटर के पद पर भर्ती करने जा रहा है। इसके लिए योग्य व इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। आवेदकों के पास दो से 12 साल का अनुभव होना चाहिए।चुने गए आवेदक को इंटरनेशनल न्यूज की स्क्रिप्ट्स और पैकेज को लिखना और संपादित करना होगा। स्टोरी आइडिया तलाशने होंगे और उन पर काम करना होगा। ऑनएयर स्टोरीटैलिंग के लिए स्पेशल एलीमेंट्स डेवलप करने होंगे।नियुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित ‘जी मीडिया’ परिसर में पांच जनवरी 2023 की सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक वॉक इन इंटरव्यू होंगे।
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संसद का बजट सत्र आज 31 जनवरी से शुरू हो गया है। एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगी। अपने कार्यकाल के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये लगातार पांचवां बजट भाषण होगा। मोदी सरकार के लिए 2024 के आम चुनाव से पहले पेश होने वाला ये बजट बेहद खास है, लिहाजा इस दौरान तमाम मीडिया संस्थानों ने बजट की कवरेज को लेकर अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। कुछ चैनलों ने बजट पेश होने के दो दिन पहले ही स्पेशल प्रोग्राम चलाने शुरू कर दिए हैं, जिनमें हिंदी न्यूज चैनल‘आजतक’कुछ खास रहा। ‘आजतक’ने अपने नए और यूनीक कॉन्सेप्ट के जरिए बजट के दो दिन पहले ही दर्शकों को अपने स्पेशल प्रोग्राम ‘बजट की उड़ान’ पेश कर दर्शकों को नोएडा के अद्भुत नजारा दिखाया और वह भी करीब 160 फीट की ऊंचाई से। दरअसल चैनल ने इस विशेष पेशकश के लिए फ्लाई स्टूडियो तैयार किया, जो जमीन और आसमान के बीच झूलता रहा। इस स्पेशल शो को चैनल की जानी-मानी एंकर श्वेता सिंह, अंजना ओम कश्यप, नेहा बाथम और सईद अंसारी ने होस्ट किया। एंकर्स के साथ गेस्ट के एक पैनल ने फ्लाई स्टूडियो में बैठकर चर्चा में हिस्सा लिया। हालांकि‘आजतक’का यह यूनीक कॉन्सेप्ट चर्चा में बना हुआ है।
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वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने ‘एनडीटीवी’ में अपनी करीब तीन दशक पुरानी पारी को विराम देने की घोषणा की है। वर्तमान में इस चैनल में ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे श्रीनिवासन जैन ने एक ट्वीट के जरिये अपने फैसले की घोषणा की है। अपने ट्वीट में श्रीनिवासन जैन ने लिखा है, 'एनडीटीवी पर लगभग तीन दशक से चला आ रहा सिलसिला आज समाप्त हो गया। इस्तीफा देने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन.. यही है जो है। बाकी बातें बाद में।'जैन वर्ष 1995 से NDTV के साथ काम कर रहे थे। वह NDV 24x7 पर साप्ताहिक शो ‘Truth vs Hype’ की एंकरिंग करते थे। वह वर्ष 2003 से 2008 तक मुंबई ब्यूरो चीफ रहे और NDTV के बिजनेस चैनल ‘प्रॉफिट’ के प्रबंध संपादक रहे थे। इसके अलावा उन्होंने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के लिए संपादकीय भी लिखे हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) गणतंत्र दिवस पर एक सवाल सबके जेहन में होता है आखिर इतनी विविधता के बाद भी भारत एक गणतंत्र के रूप में एक कैसे है. वह कौन सा राग भैरवी है जो इन सारे सरगम के सुरों को एक कर देता है. आखिर इतने वैविध्य के बावजूद एक कैसे है भारत. इसका सवाल हजारों वर्ष प्राचीन उस इंसानी सभ्यता में छुपा हुआ है जो इस धरती पर तब जन्मी जब दुनिया के अधिकांश भाग आदिम युग में ही थे. जब दुनिया इंसान के रूप में विकसित हो रही थी तब भारत एक इंसानी सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था. जब दुनिया शक्तिशाली साम्राज्यों के नीचे एकत्र हो रही थी उस समय भारत में गणराज्य विकसित हो चुके थे. वैशाली जैसे गणराज्य दुनिया के नक्शे पर आ चुके थे. शायद यही कारण है कि भारत का गणतंत्र भारत की ही नहीं कि विश्व की पहचान है. यह धरती पर सबसे विविधता पूर्ण और सबसे अनूठा गणतंत्र है. जितनी भाषा, जितनी संस्कृति और जितने धर्म भारत की धरती पर हैं उतने दुनिया में किसी और जगह नहीं मिलते. हमारा गणतंत्र निश्चित रूप से हमारी अलग पहचान है. यह कहना न्याय संगत नहीं है कि गणतंत्र की अवधारणा हमने अपने संविधान को आत्मसात करने के बाद ही प्राप्त की. इतना अवश्य है कि हमारे संविधान के निर्माताओं ने संविधान बनाने से पूर्व विश्व के अनेक संविधानों का अध्ययन किया था इसलिए उन सारे संविधानों का अक्स हमारे संविधान में भी दिखाई देता है. लेकिन इस संविधान की मूल आत्मा तो भारत की ही है. संविधान का मूल स्वरूप तो भारत भूमि पर 3000 वर्ष पूर्व विकसित हो चुके उन गण राज्यों की शासन व्यवस्था से ही मिलता जुलता है. हमने कानून प्रणाली भले ही दुनिया के दूसरे संविधानों से ली हो लेकिन सच तो यह है कि गणराज्य की अवधारणा भारतवर्ष में तीन सहस्त्राब्दी पुरानी है. इसलिए भारत गणतंत्र का अनुभव तो बहुत पहले ही कर चुका था. किंतु बीच में एक समय ऐसा आया जब साम्राज्यवादी ताकतों ने भारत भूमि को अपनी चपेट में ले लिया. मुक्ति के संघर्ष के उस दौर को अलग रखा जाए तो भारत मूल रूप से एक गणतंत्र ही रहा है. यह बात अलग है कि आज भारत एक आधुनिक गणतंत्र है. यानी एक प्राचीन गणतंत्र आधुनिक गणतंत्र में बदल चुका है. भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया. जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ.संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है. संविधान की निर्माण प्रक्रिया इतनी आसान नहीं थी. इतने विविधता पूर्ण देश में एक संविधान का निर्माण एक चुनौती ही थी. संविधान सभा, जिसकी अध्यक्षता बाबा साहब अंबेडकर कर रहे थे, के समक्ष यह चुनौती लगातार उपस्थित होती रही. किंतु संविधान सभा के अद्भुत मस्तिष्कों ने भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए जो संविधान निर्मित किया आज वही भारत के लोकतंत्र का आधार है. इतने विद्वानों के होने के बावजूद यह संविधान इतनी आसानी से नहीं बना बल्कि भारत के संविधान को बनने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा. संविधान निर्माताओं ने हर पहलू पर विचार किया. भारत में रहने वाले निवासियों की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता का गहराई से अध्ययन किया. भारत के समाज के निचले तल पर जाकर परीक्षण किया और उसके बाद संविधान का खाका तैयार किया. हमारे संविधान की यही तो खूबसूरती है कि इसकी शुरुआत होती है, 'हम भारत के लोग' से. इस संविधान में भारत को एक प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक देश बनाने का संकल्प है और इसी संकल्प की तरफ हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. अलग-अलग विचारधारा की लोकतांत्रिक पार्टियां होने के बाद भी संविधान की अधिकार सीमा का कोई अतिक्रमण नहीं करता यही इस संविधान की खूबसूरती और शक्ति है और यही गणतंत्र की शक्ति है. संविधान में जहां व्यक्ति के बुनियादी अधिकारों की बात है तो वही बुनियादी कर्तव्यों की बात भी है. यदि अधिकार चाहते हैं तो कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा. कर्तव्य एक नागरिक के रूप में और एक भारतवासी के रूप में. बिना कर्तव्य भावना के अधिकार की चाहत देश को दिशाहीन कर सकती है. इसलिए संविधान नागरिकों के कर्तव्य के प्रति भी नागरिकों को सचेत करता है और यही एक सफल गणतंत्र का गुण है. आज संविधान की वर्षगांठ के अवसर पर हमें एक नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का बोध होना बहुत आवश्यक है. हमें राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने की आवश्यकता है. राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी परिलक्षित होती है कानून का पालन करने से. ईमानदारी बरतने से और मेहनत और लगन से काम करने से. विशेष बात यह है कि यह सारे गुण हमारे भारतीय वांग्मय में और हमारे धर्म ग्रंथों में भी लिखे हुए हैं. इसलिए जब हम कर्मण्येवाधिकारस्ते के सिद्धांत का पालन करते हैं तब राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध स्वतः ही हो जाता है. यदि हम वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को अपनाते हैं तो राष्ट्र के हर निवासी के प्रति सद्भाव और सौहार्द स्वतः ही विकसित हो जाता है. यह सब हमारे धर्म, हमारी संस्कृति और हमारे साहित्य का हिस्सा है. और यही संविधान में एक व्यवस्था के रूप में हमें प्रदान किया गया है. गणतंत्र दिवस पर जिस संविधान को हमने अपनाया था उसकी मूल भावना का पालन करते हुए अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों के निर्वहन करने का संकल्प लेना ही संविधान और गणतंत्र को सच्चे अर्थों में आत्मसात करना है.
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50 हज़ार बच्चों को परोसा जायेगा खाना सरकारी स्कूलो में मिडे मील का होगा वितरण,भोपाल में प्रदेश की सबसे बड़ी रसोई अक्षय पात्र की शुरुआत होने जा रही है जिसका उद्गाटन 25 जनवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे अक्षय पात्र फाउंडेशन की यह देश की 66 वी और मध्यप्रदेश की पहली रसोई होगी जिसके माध्यम से रोज़ लगभग 50 हज़ार बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध कराया जाएगा भोपाल में प्रदेश की सबसे बड़ी रसोई का उद्गाटन होने जा रहा है जिसका उद्गाटन मुख्यमंत्री शिवराज करेंगे यह रसोई अक्षय पात्र फाउंडेशन HEG , इस्कान और सरकार के सहयोग से काम मिड डे मील तैयार करेगी यह की देश की 66वीं और प्रदेश की पहली रसोई है इस अक्षय पात्र रसोई से पीएम पोषण कार्यक्रम के तहत रोज़ लगभग 50 हज़ार बच्चों को मिड डे मील परोसा जायेगा।
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पत्रकार पिंकी राजपुरोहित ने ‘एबीपी न्यूज़’ (ABP News) के साथ अपनी पारी को विराम दे दिया है। ‘एबीपी न्यूज़’ में अपनी करीब सात साल की इस पारी के दौरान पिंकी राजपुरोहित ने दक्षिण का कार्यभार संभालने के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में चुनाव, रक्षा और स्पेस जर्नलिज्म के क्षेत्र में काफी काम किया और अपनी अलग पहचान बनाई। पिंकी राजपुरोहित ने नए साल पर अपनी नई पारी की शुरुआत ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) के साथ की है। यहां वह ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) के लिए दक्षिण का जिम्मा संभालेंगी। मूल रूप से राजस्थान के सिरोही की रहने वाली पिंकी राजपुरोहित को मीडिया में काम करने का करीब दस साल का अनुभव है। ‘एबीपी न्यूज़’ से पहले वह ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) और ‘एएनआई’ (ANI) में भी काम कर चुकी हैं। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो पिंकी राजपुरोहित ने चेन्नई से ग्रेजुएशन किया है।
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दो दशक से अधिक समय से देश के तमाम प्रमुख मीडिया संस्थानों में विभिन्न पदों पर योगदान दे चुके वरिष्ठ पत्रकार एवं कहानीकार रामनाथ राजेश अब ‘एबीपी’ (ABP) से जुड़ गए हैं। उन्होंने समूह की डिजिटल विंग में बतौर कंसल्टेंट जॉइन किया है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले रामनाथ राजेश ने वर्ष 1987 में पटना में ‘नवभारत टाइम्स‘ से पत्रकारिता की शुरुआत की। लगभग 10 साल तक पटना स्थित ‘भारतीय व्यापार प्रबंधन संस्थान‘ से बतौर फैकल्टी मेंबर जुड़े रहे। वर्ष 2000 में जब पटना में ‘दैनिक जागरण‘ की शुरुआत हुई तो उसकी संपादकीय टीम के साथ संस्थापक सदस्य के रूप में जुड़े। करीब तीन साल बतौर रिपोर्टर काम करने के बाद जनरल डेस्क पर आए। वर्ष 2005 के दिसंबर में जब दिल्ली में ‘दैनिक जागरण‘ की सेंट्रल डेस्क की शुरुआत हुई तो बतौर बिहार-झारखंड के सेंट्रल डेस्क प्रभारी वह यहां आ गए और वर्ष 2015 तक अपनी भूमिका निभाई। ‘दैनिक जागरण‘ के बाद ‘लाइव इंडिया‘ से बतौर कंसल्टेंट उन्होंने डिजिटल मीडिया की दुनिया में कदम रखा और वर्ष 2016 में ‘इंडो एशियन न्यूज सर्विस‘ (IANS) में बतौर उपमुख्य संपादक रहे। फिर वर्ष 2017 में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में ‘न्यूज18’ की डिजिटल विंग से जुड़े और करीब तीन साल हैदराबाद रहे। वर्ष 2000 में जब दिल्ली लौटे तो कोरोना का कहर शुरू हो गया। इस दौरान वह ‘ईटीवी भारत’ (Etv Bharat) की संपादकीय टीम के साथ बतौर अनुवादक जुड़े रहे। 58 साल की उम्र पूरी कर चुके रामनाथ राजेश ‘एबीपी’ से जुड़ने से पहले ‘ईटीवी भारत’ के झंडेवालान स्थित दफ्तर में दिल्ली की खबरों को देख रहे थे। वर्ष 1991 के एमबीए डिग्रीधारी राजेश का वर्ष 2016 में आया कहानी संग्रह 'वाट्सएप' काफी चर्चित रहा था। दो दर्जन से अधिक कहानियां और करीब 50 से अधिक कविताएं लिख चुके रामनाथ राजेश का जन्म बिहार के भोजपुर जिले के पीरो अनुमंडल स्थित बचरी में हुआ था। राजेश की शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से हुई। वर्ष 1972 में पटना जिला के बिहटा स्थित सरकारी स्कूल से पढ़ाई के बाद उन्होंने दानापुर स्थित बीएस कॉलेज से बीएससी और आईआईबीएम पटना से एमबीए (मगध विश्वविद्यालय) और पीजीडीसीए किया है। रामनाथ राजेश दिल्ली के आधा दर्जन से अधिक मीडिया संस्थानों में बतौर विजिटिंग फैकल्टी शिक्षण से भी जुड़े रहे हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) मकर संक्रांति पूरे देश में हर्षोंल्लास से मनाया जा रहा है। सूर्यदेव की अराधना, तिल-गुड़ खाने और पतंग उड़ाने के साथ ही मकर संक्रांति पर्व कई संदेश देता है, हमें जीवन प्रबंधन की कला सिखाता है। संक्रांति यानी सूर्य का उत्तरायण, सूर्य धीरे-धीरे दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने लगते हैं। जो हमें जीवन में सकारात्मकता लाने और प्रकाश की ओर बढ़ने का संकेत देता है। तिल-गुड़ के संगम से संगठन की क्षमता, लोहड़ी की अग्नि में क्रोध और ईर्ष्या को जलाना और पतंगबाजी से जीवन में उल्लास लाने व खुशियां बांटने के संदेश मिलते हैं। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहा जाता है। देश के अधिकांश हिस्सों में इसे मकर संक्रांति ही कहा जाता है, वहीं इसकी पूर्व संध्या पर उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। हर भारतीय त्यौहार का एक वैज्ञानिक महत्व है, हमारा हर पर्व रहन-सहन, खान-पान, फसलों व प्रकृति के परिवर्तनों पर आधारित है। हमारे पर्वों में जहां पौराणिक कथाओं का उल्लेख मिलता है, वहीं खगोलीय घटना, धरती के वातावरण, मनुष्य के मनोविज्ञान व सामाजिक कर्तव्यों की सीख भी परिलक्षित होती है। ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार देखें तो मकर संक्रांति वर्ष का पहला पर्व है। सूर्य को ब्रह्मांड की आत्मा माना जाता है। मकर संक्रांति सूर्य देव की अराधना का पर्व है। उत्तर भारत में लोहड़ी तो दक्षिण भारत में पोंगल भी इसी दौरान मनाया जाता है। चलिए अब बात करते हैं मकर संक्रांति के वैज्ञानिक महत्व और प्रबंधन को लेकर। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश परिवर्तन को दर्शाता है, हमें यह सीख देता है कि परिवर्तन ही प्रकृति का सबसे बड़ा नियम है और समय व परिस्थिति के साथ हमें स्वयं में परिवर्तन के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। पोंगल व संक्रांति का सीधा संबंध सूर्य से है सूर्य यानी उजास, रोशनी, सकारात्मकता और उंचाई। संक्रांति पर्व हमें सिखाता है कि हमारे लक्ष्य किस तरह उंचे और बड़े होना चाहिए। जिससे इन्हें हासिल करने के लिए हम मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ सकें। बॉक्स तिल-गुड़ से सीखिये संगठित होना हमारे शास्त्रों के अनुसार तिल को सृष्टि का पहला अन्न माना गया है। इसलिए हमेशा हवन-पूजन में तिल का प्रयोग होता है। तिल में एंटीऑक्सिडेंट, कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट होता है, इसे पानी में डालकर स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है, वहीं इसके तेल की मालिश से त्वचा में चमक आती है। इसे गुड में मिलाकर खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। गुड़ में मिले तिल के दाने हमें संगठन का संदेश देते हैं, वहीं गुड़ रिश्तों में मिठास की सीख देता है। लोहड़ी में जला दीजिये अहंकार इसी तरह लोहड़ी पर आग जलाकर जश्न मनाया जाता है, अग्नि को सबसे पवित्र माना जाता है, यह हमें संदेश देती है कि बैर, क्रोध, ईर्ष्या लालच और अहंकार जैसी भावनाओं को लोहड़ी की अग्नि में जला दिया जाए और इस आग की तरह गर्मजोशी से रिश्तों को निभाया जाए। पतंगबाजी से भरिये जीवन में उल्लास मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है, पतंगबाजी हमें जीवन में उल्लास सिखाती है, यह संदेश देती है कि किस तरह हम जीवन को रंगों से भर सकते हैं, वहीं पतंग की डोर हमें संदेश देती है कि उड़ान कितनी ही उंची हो, उसकी कमान हमेशा सही हाथ में होनी चाहिए, नहीं तो वह जीवन को भटका सकती है। बस अगर अपने त्यौहारों के पीछे छुपे इस फंडे को हम समझ गए तो त्यौहार हम सिर्फ परंपरा निभाने के लिए नहीं मनाएंगे बल्कि जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए भी मनाएंगे।
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मीडिया फर्म ‘नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड‘ (NDTV) से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। इस खबर के मुताबिक ‘एनडीटीवी’ की ग्रुप प्रेजिडेंट सुपर्णा सिंह ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बारे में कंपनी की ओर से 'बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज' (BSE) को भी जानकारी दी गई है। ‘बीएसई’ को दी गई जानकारी के अनुसार, सुपर्णा सिंह के अलावा चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर अरिजीत चटर्जी और चीफ टेक्नोलॉजी व प्रॉडक्ट ऑफिसर कंवलजीत सिंह बेदी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी का कहना है कि एक नई लीडरशिप टीम को नियुक्त करने की प्रक्रिया जारी है, जो कंपनी के लिए नई रणनीतिक दिशा और लक्ष्य निर्धारित करेगी। बाद में कंपनी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने भी इस खबर के बारे में एनडीटीवी के एंप्लॉयीज को एक इंटरनल मेल लिखा है। इस मेल में पुगलिया का कहना है, ‘हमारे तीन सहयोगियों: सुपर्णा सिंह, अरिजीत चटर्जी और कंवलजीत सिंह बेदी ने एनडीटीवी से हटने का फैसला लिया है और अपना इस्तीफा सौंप दिया है। वे समूह के लिए मजबूत स्तंभ रहे हैं और कंपनी को लाभप्रदता में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।’ इस मेल में कहा गया है, ‘टाउन हॉल में मैंने कहा था कि अडानी समूह एनडीटीवी को नए जमाने के ग्लोबल डिजिटल मीडिया ऑर्गनाइजेशन में परिवर्तित करने के लिए प्रतिबद्ध है। जैसा कि मैंने एनडीटीवी में आप में से कई लोगों के साथ बातचीत की है, उसके आधार पर मैं आश्वस्त हूं कि इन आकांक्षाओं को जल्द पूरा करने के लिए हमारे पास वैल्यू सिस्टम, मानसिकता, क्षमता और विश्वसनीयता है। हम साथ मिलकर काम करेंगे और आपको हर स्तर पर अपडेट रखेंगे।’ बता दें अमेरिका की सायरेकस यूनिवर्सिटी से टीवी, रेडियो और फिल्म में पोस्ट ग्रेजुएट सुपर्णा सिंह वर्ष 1994 से एनडीटीवी से जुड़ी हुई थीं और इस दौरान तमाम पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी थीं।
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(प्रवीण कक्कड़) स्वामी विवेकानंद एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने देश के आध्यात्म, शिक्षा और स्वाभिमान को विश्व पटल पर अंकित किया। करीब 118 वर्ष पहले अमेरिका के शिकागो में हुए उनके भाषण को आज भी याद किया जाता है। वास्तव में स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के वे आदर्श प्रतिनिधि हैं। जिनकी प्रेरणाएं हमें आज भी मार्ग दिखाती हैं। शिकागो में जब विवेकानंद को दुनिया ने सुना तो जाना कि भारत की धरती पर एक ऐसा व्यक्तित्व पैदा हुआ है जो दिशाहारा मानवता को सही दिशा देने में समर्थ है। शिकागो में विवेकानंद ने कहा था "मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी"। इसका अर्थ यह है कि विवेकानंद भी भारत की सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव को भारत की सबसे बड़ी पूंजी मानते थे। वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को दुनिया से परिचित कराने में विवेकानंद का अभूतपूर्व योगदान था। 11 सितंबर 1893 का वह दिन विश्व के इतिहास में अविस्मरणीय बन गया जब शिकागो में विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया। उसके बाद से ही विवेकानंद के सिद्धांतों को दुनिया समझने की कोशिश करती रही लेकिन समझ में आया 118 वर्ष बाद, जब 11 सितंबर 2001 की सुबह अल-कायदा के 19 आतंकियों ने उसी अमेरिका के ट्विन टॉवर्स को ध्वस्त करके मानवता को सबसे बड़ा आघात पहुंचाया जिस अमेरिका में सार्वभौमिक सहिष्णुता की बात विवेकानंद ने की थी। इसीलिए 11 सितंबर की तारीख जहां विश्व में विवेकानंद के मुख से निकले सार्वभौमिक सहिष्णुता के सिद्धांत की दृष्टि से अभूतपूर्व है तो वह तारीख सबसे बड़े आतंकी हमले में उस सिद्धांत को आघात पहुंचाने की दृष्टि से भी अविस्मरणीय है। विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन विवेकानंद के सिद्धांत पूरी दुनिया में 12 महीनों के 365 दिन प्रासंगिक हैं। जिस वेदांत को उन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में रचा उसे उन्होंने जीवन पर्यंत अपनाया भी। वेदांत एक सिद्धांत के रूप में नहीं बल्कि एक व्यवहारिकता के रूप में विवेकानंद के जीवन में था। इसीलिए अपने छोटे से जीवन काल में विवेकानंद इतना प्रभाव उत्पन्न कर पाए। उन्होंने भारतीय वांग्मय और भारतीय धर्म-संस्कृति का ही विश्व को परिचय नहीं कराया बल्कि सार्वभौमिक सहिष्णुता के उस सिद्धांत को संसार के हर कोने तक पहुंचाने की कोशिश भी की। आज 2-2 विश्व युद्ध के बाद, सारे संसार में बढ़ती हिंसा और आतंकवाद के खतरों के बाद यदि किसी सिद्धांत को अपनाने की आवश्यकता है तो वह सार्वभौमिक सहिष्णुता का सिद्धांत ही है जो एक तरफा नहीं है। बल्कि जिसे दोनों तरफ से निभाने की आवश्यकता है। विवेकानंद की जयंती पर जरूरत है प्रज्ञावान बनने की, स्वयं को पहचानने की, अपनी आयु से ऊपर उठकर विचार करने की। आप सभी को स्वामी विवेकानंद की जयंती की अनेकानेक शुभकामनाएं। बॉक्स स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू के रूप में स्वामी विवेकानंद का नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन के कारण हुआ। इस उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद द्वारा सभी को ‘‘भाईयों एवं बहनों’’ कहकर संबोधित किए जाने ने सभी के मन पर गहरा प्रभाव डाला। वे संत रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी की, जो आज भी अपना काम कर रहा है। युवा दिवस स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में 12 जनवरी 1984 को युवा दिवस की घोषणा की गई थी। इसके बाद से हर साल इस दिन युवा दिवस मनाया जाता है। वास्तव में स्वामी विवेकानंद आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद से बढ़कर दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता जिसने विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी हो। उन्होंने हमें जो स्वाभिमान दिया है वह उत्तराधिकार के रूप् में प्राप्त कर हमारे अंदर आत्मसम्मान और अभिमान जगा देता है। स्वामीजी ने जो लिखा वह हमारे लिए प्रेरणा है। यह आने वाले लंबे समय तक युवाओं को प्रेरित व प्रभावित करता रहेगा।
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जाने-माने पत्रकार उपेंद्र राय के नेतृत्व में जल्द लॉन्च होने वाले ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) न्यूज नेटवर्क से तमाम पत्रकारों के जुड़ने का सिलसिला जारी है। अब इस कड़ी में वरिष्ठ टीवी पत्रकार सुमित कुमार झा का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने यहां डिप्टी एडिटर और सीनियर एंकर के तौर पर जॉइन कर लिया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में सुमित कुमार झा ने खुद इसकी पुष्टि की है। बता दें कि सुमित कुमार इससे पहले ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) नेटवर्क से जुड़े हुए थे। उन्होंने मई 2022 में यहां बतौर ब्यूरो हेड (बिहार) जॉइन किया था। सुमित झा के अनुसार, ‘इस पारी के दौरान मैं मैंने न्यूज स्टेट बिहार/झारखंड को सफलतापूर्वक लॉन्च कराया। इस दौरान बिहार में सत्ता परिवर्तन की एक्सक्लूसिव कवरेज की। डिप्टी सीएम बनने के बाद तेजस्वी यादव का पहला एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया। शिक्षा मंत्री समेत कई मंत्रियों का इंटरव्यू लेने के अलावा मोकामा गोपालगंज उपचुनाव के दौरान भी शानदार कवरेज कर महज तीन महीनों में न्यूज स्टेट बिहार/झारखंड को नई पहचान दिलाई।‘मूल रूप से मधुबनी (बिहार) के रहने वाले सुमित कुमार झा को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत सुमित ने वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह के लोकप्रिय शो ‘आंखों देखी’ के साथ की थी। सुमित कुमार पूर्व में ‘महुआ न्यूज’, ‘जी मीडिया’ और ‘नेटवर्क18’ में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो सुमित ने हरियाणा में हिसार स्थित गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया है।
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बड़ी मात्रा में अमानक खाद्य सामग्री बरामद डिंडोरी में एक थोक किराना व्यापारी के ठिकाने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी टीम ने छापामार कार्रवाई की है खाद्य विभाग को उक्त ठिकाने पर मिलावट की सूचना मिली थी जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई वहीं इस दौरान किराना दुकान से बड़ी मात्रा में अमानक खाद्य सामग्री बरामद हुई है डिंडोरी में एक थोक किराना व्यापारी के खाद्य सामग्री में मिलावट होने की सूचना खाद्य सुरक्षा विभाग को लगी थी जिसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रभा तेकाम ने राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक और पटवारी की संयुक्त टीम के साथ मिलकर किराना दुकान पर छापामार कार्यवाही करते हुए बड़ी मात्रा में अमानक खाद्य पदार्थ बरामद किया है वहीं बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री में मिलाने वाले प्रतिबंधित रंग, को जप्त करने के साथ ही नष्ट करने के आदेश भी दिए हैं वही छापामार कार्रवाई के दौरान तेल, मिर्च पाउडर सहित अन्य खाद्य सामग्री के नमूने जब्त कर परीक्षण के लिए लेब भेज दिए गए हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की कही बात
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जानी-मानी न्यूज एंकर और वरिष्ठ पत्रकार कविता सिंह ने नए साल पर ‘भारत एक्सप्रेस’ के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत की है।उन्होंने यहां पर बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर/सीनियर एंकर जॉइन किया है। गौरतलब है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में कविता सिंह को डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है। इससे पहले वह ‘न्यूज24’ और ‘रिपब्लिक भारत‘ की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रह चुकी हैं।इसके अलावा पूर्व में वह ‘इंडिया टीवी‘ , ‘जी न्यूज’ , ‘न्यूज नेशन‘ और ‘सहारा समय‘ में भी वरिष्ठ पदों पर काम कर चुकी हैं। डिबेट, स्पॉट एंकरिंग और रिपोर्टिंग उनकी खास पहचान है। मीडिया के निर्भीक, प्रतिभाशाली, जुझारू और बेहद लोकप्रिय पत्रकारों में कविता सिंह की गिनती होती है।समाचार4मीडिया से बातचीत में कविता सिंह ने बताया कि वह इकलौती ऐसी एंकर हैं, जिन्होंने 42 दिन लगातार कुंभ से लाइव शो की एंकरिंग की। जम्मू में हुए आतंकी हमले में उन्होंने जान जोखिम में डालकर ग्राउंड जीरो से 18 घंटे कवरेज की। हाथरस कांड में भी उन्होंने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर ‘असली खबर’ दिखाई, जिसके बाद सच सामने आया। इस दौरान उन्हें धमकी भी दी गई, लेकिन वह डटी रहीं।बता दें कि बेहद वर्सेटाइल कविता सिंह की खूबी है कि वह हर तरह की खबरों (स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट,डिबेट व आउटडोर आदि) में बेहतरीन तैयारी के साथ दर्शकों से रूबरू होती हैं। ‘न्यूज नेशन’ में उनका ‘आईपीएल’ शो आज भी याद किया जाता है।इसी तरह ‘इंडिया न्यूज’ में उनका शो ‘बेटियां’ भी काफी पसंद किया जाता था, जिसे वह खुद लिखती, शूट करतीं और प्रोड्यूस करती थी। इसके अलावा उन्होंने सरहद से दिवाली, और नए साल पर जवानों के बीच भी शो एंकर किए हैं। उनकी इलेक्शन कवरेज भी काफी लोकप्रिय रही है। समाचार4मीडिया की ओर से कविता सिंह को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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देश के बड़े उद्योगपति गौतम अडानी का मीडिया कंपनी एनडीटीवी पर अब पूरी तरह नियंत्रण हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनडीटीवी पर अडानी समूह का नियंत्रण स्थापित होने के बाद कंपनी के फाउंडर प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय समेत अन्य चार डायरेक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है। प्रणव रॉय और राधिका रॉय एनडीटीवी के कार्यकारी सह-चेयरपर्सन थे। इस्तीफा देने वाले डायरेक्टर्स में डेरियस तारापोरवाला और इंडिपिडेंट डायरेक्टर्स किंशुक दत्ता, इंद्राणी रॉय एवं जॉन मार्टिन ओलॉन शामिल हैं। अडानी एंटरप्राइजेज ने स्टॉक एक्सचेंज को इस अधिग्रहण की सूचना देते हुए कहा कि उसकी सहयोगी और एनडीटीवी के प्रमोटर ग्रुप में शामिल आरआरपीआर (RRPR) ने एनडीटीवी में प्रणव रॉय और राधिका रॉय की 27.26 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण परस्पर ट्रांसफर के माध्यम से कर लिया है। चैनल में अब इनकी हिस्सेदारी अब 5 प्रतिशत रह गई है। वहीं, इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुमार और पूर्व सचिव अमन सिंह को एनडीटीवी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। एनडीटीवी प्रबंधन ने दोनों को एडिशनल डायरेक्टर बनाया हैं। इस संबंध में प्रबंधन की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। अडानी एंटरप्राइजेज की ओर से कहा गया कि एनडीटीवी के बोर्ड ने अमन कुमार सिंह को गैर-कार्यकारी अतिरिक्त निदेशक और सुनील कुमार को गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एनडीटीवी में ये नियुक्तियां 30 दिसंबर 2022 से तीन साल के लिए की गईं हैं। वहीं, पिछले हफ्ते भी अडानी ग्रुप ने संजय पुगलिया और सेंथिल एस चेंगलवरयन को एनडीटीवी में डायरेक्टर मनोनीत किया था। बता दें कि सुनील कुमार 2012 से 2014 तक छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव थे। सुनील कुमार 1979 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने फिजिक्स में स्नातक और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोत्तर की उपाधि ली है। वहीं, अमन कुमार सिंह भारतीय राजस्व सेवा के 1995 बैच के अधिकारी रहे हैं। वर्ष 2004 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी की रमन सिंह सरकार में प्रतिनियुक्ति पर मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव नियुक्त होने पर उन्होंने आईआरएस से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें फाइनेंस और प्लानिंग का विशेषज्ञ भी माना जाता है। उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर में भी काम किया। वह रतन इंडिया पावर में सीईओ भी रहे हैं। इसके बाद उन्हें अडानी ग्रुप में कॉरपोरेट ब्रैंड कस्टोडियन नियुक्त किया गया। वे कंपनी के अहमदाबाद स्थित कॉरपोरेट मुख्यालय में बैठते हैं और सीधे कंपनी चेयरमैन को रिपोर्ट करते हैं। वहीं, इस अधिग्रहण पर अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा, ‘अडानी ग्रुप को एनडीटीवी को विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे और प्रतिभा के साथ आगे बढ़ाने और एक बहु-मंचीय वैश्विक समाचार नेटवर्क में बदलने का सौभाग्य मिला है।’ बता दें कि रॉय दंपति ने अपनी एनडीटीवी में शेष 32.26% हिस्सेदारी में से 27.26 प्रतिशत हिस्सेदारी शुक्रवार को अडानी ग्रुप को बेच दी थी। इसके साथ ही अडानी ग्रुप ने इस टेलीविजन नेटवर्क पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया। इस हिस्सेदारी खरीद के साथ ही अडानी ग्रुप के पास अब एनडीटीवी की कुल 64.71 प्रतिशत हिस्सेदारी आ गई है। गौरतलब है कि न्यूज चैनल एनडीटीवी की शुरुआत करने वाले रॉय दंपति ने गत 23 दिसंबर को घोषणा की थी कि वे इस मीडिया कंपनी में अपनी बची हुई 32.26 प्रतिशत हिस्सेदारी में से 27.26 प्रतिशत हिस्सा अडानी ग्रुप को बेच देंगे। अडानी ग्रुप ने रॉय दंपति की हिस्सेदारी का अधिग्रहण 342.65 रुपये प्रति शेयर के भाव पर किया है। इस भाव पर 1.75 करोड़ शेयरों की बिक्री से रॉय दंपति को 602.30 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। यह भाव ओपन ऑफर में अडानी समूह की तरफ से निर्धारित 294 रुपये के भाव की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।
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(प्रवीण कक्कड़) साल का बदलना कैलेंडर में एक तारीख का बदलना ही तो है। दिसंबर का जनवरी में तब्दील होना ही तो है। 12 माह के चक्र का पूरा होना ही तो है। वही सूरज का उगना, वही नया दिन। वही सुबह, वही शाम और वही रात। किंतु ऐसा नहीं है। नए वर्ष में कैलेंडर ही नहीं बदलता बल्कि बहुत कुछ ऐसा होता है जो बदल जाता है। नया वर्ष हम सभी की उम्र में एक वर्ष जोड़ देता है। हमारे अनुभव की पूंजी में 12 माह की वृद्धि कर देता है। हमारे जीवन की गति को कुछ और तेज कर देता है। पूर्णाहुति की तरफ बढ़ रहे हमारे कदमों को अपनी मंजिल के कुछ और निकट ला देता है। इसलिए नया वर्ष जब आता है तो नए वर्ष का उगता सूरज हमें नए संकल्पों और नई ऊर्जा से सराबोर कर देता है। भारतीय वांग्मय में सूर्य की गति के अनुसार नए वर्ष के दिन और महीने तय किए जाते हैं। इसलिए भारतीय नववर्ष अंग्रेजी कैलेंडर से थोड़ा बाद में आता है या यूं कहें कि कुछ माह पहले आ जाता है। किंतु समय का चक्र तो वही है। चाहे दिसंबर के बाद जनवरी के रूप में आए या फिर अप्रैल (गुड़ी पड़वा)में हिंदू नव वर्ष के रूप में। जिसे नवसंवत्सर भी कहते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र मास की नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से होती है। लेकिन हमारे देश के सारे महत्वपूर्ण कार्य अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से ही चलते हैं। इसलिए जितना नवसंवत्सर का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व पर उतना ही लौकिक दृष्टि से जनवरी माह से प्रारंभ नव वर्ष का महत्व है। इसलिए इस नए वर्ष का आगाज सकारात्मकता के साथ करें। पुराने वर्ष की असफलता, दुख, नुकसान प्रियजन के बिछड़ने, कैरियर और व्यापार में घाटा होने, किसी से रिश्ता टूटने जैसे दुखों को भूल जाएं। बीते हुए वर्ष में जो कुछ पाया है उसकी खुशियां मनाते हुए नए साल का स्वागत करें। क्योंकि नया साल जीवन के बढ़ने का प्रतीक है। यह बीता हुआ समय हमें हर पल इस बात का स्मरण दिलाता है कि कोई भी परेशानी या सुख स्थाई नहीं है। परेशानी आती है तो जाती है और सुख भी आता है तो जाता भी है। आपका निष्काम कर्म योग ही आपके सुख की गारंटी है। नए वर्ष का केवल एक ही संकल्प है पुराने वर्ष की नकारात्मकता को भूलना और सकारात्मकता को याद रखना। बहुत से देशों में नए वर्ष पर पुराने बर्तनों को तोड़ने का रिवाज है। इसके पीछे भी यही तर्क है कि जो कुछ पुराना है और नकारात्मक है उसे भूल जाएं। 'नव गति, नव लय, ताल छंद नव, नवल कंठ नव जलद मंद्र रव। नव नभ के नव विहग वृंद को, नव पर नव स्वर दे।।' सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की इन पंक्तियों की तरह ही हमें अपने जीवन में नई सोच, नई उमंग और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ना है। उम्मीद है कि वर्ष 2023 हम सबको कुछ नया कर गुजरने के लिए उत्साहित करेगा। नए वर्ष में आप सभी को सुख शांति और समृद्धि मिले। नए वर्ष की यही शुभकामनाएं है और यही संकल्प है।
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युवा पत्रकार शिवम प्रताप सिंह ने ‘नेटवर्क18’ के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज18 इंडिया’ में बतौर करेसपॉन्डेंट जॉइन किया है | शिवम प्रताप सिंह इससे पहले ‘जी’ समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘जी हिन्दुस्तान’ में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से पिछले दिनों उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। ‘जी हिन्दुस्तान’ में करीब डेढ़ साल से बतौर रिपोर्टर वह पॉलिटिकल और क्राइम बीट कवर कर रहे थे।मीडिया में अब तक की अपनी पारी के दौरान उन्होंने गोरखपुर मंदिर हमला, मुंबई लाउडस्पीकर विवाद, पटियाला में खालिस्तानी हिंसा, नौसेना में INS वेला की लॉन्चिंग, अफगानिस्तान में तालिबान राज के दौरान भारतीयों की वापसी, श्रद्धा हत्याकांड और ज्ञानवापी मामले पर कई एक्सक्लूसिव स्टोरी की हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी में करीब चार महीने रिपोर्टिंग की | मीडिया से बातचीत में शिवम प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने ‘हिन्दी खबर’ में शुरुआती काम के दौरान दिल्ली चुनाव में प्रियंका गांधी का एक इंटरव्यू किया था, जो काफी वायरल हुआ था। इसके अलावा हाथरस रेप कांड में आरोपी के पिता का पहला और एक्सक्लूसिव इंटरव्यू भी उन्होंने किया था।मूल रूप से इटावा के रहने वाले शिवम प्रताप सिंह ने शुरुआती पढ़ाई कानपुर से करने के बाद दिल्ली में ‘इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी’ से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली है। मीडिया में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया न्यूज’ (India News) से की थी। यहां करीब एक साल तक असिस्टेंट प्रड्यूसर के तौर पर आउटपुट में अपनी जिम्मेदार निभाने के बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘हिन्दी खबर’ का रुख कर लिया था। हालांकि यहां उनका सफर छोटा ही रहा और करीब छह महीने यहां अपनी संक्षिप्त पारी को निभाने के बाद वह ‘जी हिन्दुस्तान’ से जुड़ गए थे। इसके बाद अब यहां से बाय बोलकर वह ‘न्यूज18 इंडिया’ पहुंचे हैं।
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पत्रकार प्रशांत सिंह ने ‘जी’ समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह करीब चार साल से ‘जी बिजनेस’ की अंग्रेजी वेबसाइट में बतौर डिप्टी एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। प्रशांत सिंह ने अपनी नई पारी की शुरुआत ‘टाइम्स नेटवर्क’ के साथ की है। यहां उन्होंने ‘ईटी नाउ’ की डिजिटिल टीम में सीनियर एडिटर के पद पर जॉइन किया है। वह यहां बिजनेस से जुड़ी खबरें देखेंगे। प्रशांत सिंह को मीडिया में काफी अनुभव है | मूल रूप से कानपुर के रहने वाले प्रशांत सिंह ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत ‘दैनिक जागरण’ से की थी। पूर्व में वह ‘डीडी न्यूज’, ‘डेली भास्कर’, ‘द फाइनेंसियल एक्सप्रेस’ और ‘जी न्यूज’ (अंग्रेजी) में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। प्रशांत सिंह को मीडिया में काम करने का डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है | प्रशांत सिंह News18.com के संस्थापक सदस्य और इसके पहले शिफ्ट हेड भी रहे हैं। इसके अलावा वह ‘पेटीएम’ की पैरेंट कंपनी One97 Communications और IndiaMART.com के साथ भी कार्य कर चुके हैं। प्रशांत सिंह ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (PTU) से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने ‘आईएमटी’ गाजियाबाद से एमबीए किया है।
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युवा पत्रकार आकांक्षा चौहान ने हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ में अपनी करीब एक साल पुरानी पारी को विराम दे दिया है। पत्रकारिता में अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अब जल्द लॉन्च होने वाले नेशनल न्यूज चैनल ‘भारत एक्सप्रेस’ से नई शुरुआत की है। यहां उन्होंने एंकर और विशेष संवाददाता के पद पर जॉइन किया है। बता दें कि ‘जी’ द्वारा आयोजित प्रतियोगिता ‘एंकर हंट’ जीतकर आकांक्षा ने ‘जी न्यूज’ से ही अपने करियर की शुरुआत की थी। कुछ ही महीनों में अपनी तेजतर्रार रिपोर्टिंग से वह ‘जी न्यूज’ का चेहरा बनकर उभरीं। एमसीडी चुनाव में उनकी शानदार रिपोर्टिंग को भी काफी सराहा गया था। मूल रूप से सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाली आकांक्षा ने सोफिया गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद रुड़की से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन पूरा किया और गोल्ड मेडलिस्ट बनीं।
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प्रवीण कक्कड़ 25 दिसंबर को पूरे विश्व में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जा रहा है। ईसा मसीह का जीवन दया, प्रेम और शांति का संदेश देता है। क्रिसमस का पर्व धर्म के दायरे में नहीं बल्कि इंसानियत के दायरे में मनाने वाला त्यौहार है। प्रभु यीशु ने जो कहा उसका संकलन बाइबिल में है लेकिन उन्होंने जो जीवन जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है। भारत की संस्कृति अद्वैतवाद की संस्कृति है। ऐसे में भारत में क्रिसमस पर्व सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है। इंसानियत के मसीहा प्रभु यीशु इस धरती पर तब अवतरित हुए जब मानवता आक्रांत थी। धार्मिक वैमनस्य चरम सीमा पर था। अपने-अपने सिद्धांतों के लिए लड़ाई झगड़ा और रक्तपात आम बात थी। ऐसे समय में शांति के मसीहा जीसस क्राइस्ट ने जन्म लिया। रोमन साम्राज्य की रक्त पिपासा के बीच जीसस शांतिदूत बनकर पृथ्वी पर आए। दिशाहारा मानवता को उन्होंने एक दिशा प्रदान की। भटके हुए लोगों को सही राह दिखाई और इंसानियत के लिए ही अपना बलिदान दिया। उनके अंतिम शब्द थे 'हे प्रभु इनको माफ कर देना क्योंकि यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं'। क्राइस्ट ने जो कहा उसका संकलन तो बाइबिल में है। लेकिन उन्होंने जो जिया उसका संकलन मानवता की स्मृतियों में है। यही कारण है कि शुरु में तो ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह के जन्म के बारे में ही एक मत नहीं थे, कोई 14 दिसंबर कहता तो कोई 10 जून, तो कोई 2 फरवरी को उनका जन्मदिन मनाता था। तीसरी शताब्दी में जाकर 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिन मनाना शुरु किया गया। क्रिसमस भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रकटन है। धर्म, जाति और संप्रदाय से परे सभी लोग मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं। यदि हम भारतीय वांग्मय में देखें तो अद्वैत की परिकल्पना सर्वश्रेष्ठ है। जब ईश्वर की प्रार्थना एकाकार होकर की जाए तो वह अद्वैत ही होता है। इसलिए ईशा का जन्म भले ही यरूशलम की धरती पर हुआ हो लेकिन वह भारत भूमि में भी उतने ही पूज्यनीय और मान्य हैं। भारत में इस त्यौहार का विशद रूप में मनाया जाना इस बात का प्रतीक है कि भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के बीच सांस्कृतिक एकता है और सांस्कृतिक प्रेम भी है। भारत भूमि पर अनेक धर्मों का जन्म हुआ किंतु जो धर्म भारत में नहीं जन्मे उन धर्मों को भी यहां सम्मान मिलता है। इसलिए क्रिसमस भी भारत की सांस्कृतिक एकता से जुड़ा हुआ है। ईसाई समुदाय इस दिन गिरजाघरों में जाकर प्रभु यीशु के समक्ष सर झुकाता है। गैर ईसाई बंधु इस दिन छुट्टियां मनाते हैं। पिकनिक मनाते हैं और एक दूसरे को मेरी क्रिसमस भी बोलते हैं। अनेक देशवासी सांता क्लॉस जैसी टोपी पहनते हैं यह भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सबसे बड़ा संदेश यही है कि हम त्योहार के समय एक दूसरे की खुशियां बांटें। हमारे मत हमारे सिद्धांत भले ही भिन्न-भिन्न हों लेकिन हम एक दूसरे से त्यौहार के दौरान अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करें। क्रिसमस का त्यौहार हमारी भावनाओं के आदान-प्रदान का एक अवसर है। ईश्वर के पुत्र प्रभु यीशु ने आपस में प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया है। इसलिए इस दिन को हम मानवता के एकता के प्रतीक के रूप में भी मना सकते हैं। आइए हम सब मिलकर क्राइस्ट के जन्म की खुशियों में शामिल हों।
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एडिटरजी टेक्नोलॉजीज’ (Editorji Technologies) के फाउंडर विक्रम चंद्रा नए साल पर ‘जी’ (Zee Media) समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' (WION) के साथ मिलकर ‘द इंडिया स्टोरी’ (The India Story) और ‘दिस वर्ल्ड’ (This World) नाम से दो साप्ताहिक न्यूज शो लेकर आ रहे हैं। बताया जाता है कि देश की आवाज को पूरी दुनिया तक ले जाने की ‘जी मीडिया’ की प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए ये दोनों शो ‘विऑन’ के रैखिक (linear) और डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर जनवरी 2023 की शुरुआत में लॉन्च किए जाएंगे। इस पार्टनरशिप के बारे में ‘जी मीडिया’ के पब्लिशर डॉ. सुभाष चंद्रा का कहना है, ‘विक्रम यकीनन एकमात्र ऐसे टीवी पत्रकार हैं, जो तटस्थ, गैर-विवादास्पद बने रहने और टीवी पर रात नौ बजे होने वाले ‘शोर' से ऊपर उठने में कामयाब रहे हैं। आज के ध्रुवीकरण के माहौल में यह एक खास विशेषता है। उन्हें निष्पक्ष और संतुलित पत्रकार के रूप में देखा जाता है, जो उच्च स्तर की विश्वसनीयता प्रदान करता है। किसी भी विषय पर लोग उनके विचारों पर भरोसा करते हैं। इस वजह से भी हम उनके साथ ये दो शो शुरू करने जा रहे हैं।’ विक्रम चंद्रा द्वारा विऑन पर पेश किए जाने वाले इन दोनों शोज का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर की प्रमुख घटनाओं को भारतीय दृष्टिकोण से समझने में मदद करना है। 'This World' की यही थीम होगी, जिसे विक्रम चंद्रा विऑन पर होस्ट करेंगे। वहीं, वैश्विक स्तर पर विऑन की पहुंच ‘The India Story’ को बेहतर पहुंच प्रदान करेगी, जो पहले से ही एडिटरजी पर चल रहा है। वहीं, विक्रम चंद्रा का कहना है, ‘मैं कई वर्षों से टीवी न्यूज से दूर हूं और एडिटरजी में ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार कर रहा हूं जो मुझे लगता है कि वीडियो न्यूज और इंफॉर्मेशन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। राजनीति के प्रभुत्व वाले न्यूज कार्यक्रमों के शोरगुल और हंगामे पर लौटने का मेरा कोई इरादा नहीं था, लेकिन विऑन कुछ अलग है। यह देश से बाहर एकमात्र सच्चा अंतर्राष्ट्रीय चैनल है और दुनियाभर में इसकी जबरदस्त पहुंच है। मैं 'The India Story' को विऑन पर लाने और 'This World' को प्रमुख वैश्विक घटनाओं को लेकर साप्ताहिक न्यूज शो बनाने के लिए उनकी प्रतिभाशाली टीम के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।’ इस पार्टनरशिप के बारे में विऑन के चीफ बिजनेस ऑफिसर मधु सोमन का कहना है, ‘आप मानें या न मानें, हम दोनों कुछ महीने पहले ही लिंक्डइन पर मिले थे। विक्रम मुझे बहुत पहले से नहीं जानते हैं, लेकिन आज वह विऑन की यात्रा में एक दोस्त और सहयोगी है और मुझे यकीन है कि हमारी साझेदारी 'This World' को आगे बढ़ाएगी और 'The India Story' को नया आयाम देगी।’ इन दो शो के अलावा ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ और ‘एडिटरजी टेक्नोलॉजीज’ मिलकर सामाजिक परिवर्तनों के कार्यक्रमों पर काम करेंगे, जिन्हें विक्रम चंद्रा के अनुभव और जी समूह के तमाम प्लेटफॉर्म्स की पहुंच का फायदा मिलेगा। बता दें कि ‘Editorji’ को शुरू करने से पहले विक्रम चंद्रा वर्ष 2011 से 2016 तक ‘एनडीटीवी’ में कंसल्टिंग एडिटर और सीईओ के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। एक पत्रकार के रूप में चंद्रा ने कश्मीर संघर्ष को कवर करते हुए अपनी नई पहचान बनाई। उन्हें ‘एनडीटीवी’ पर ‘Nine O'Clock News’, ‘Gadget Guru’ और ‘The Big Fight’ जैसे लोकप्रिय शो की मेजबानी के लिए जाना जाता है। चंद्रा को ‘वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम’ से ‘Global Leader for Tomorrow’ का खिताब भी मिल चुका है। वहीं, ‘WION’ की बात करें तो वर्ष 2015 में लॉन्च हुआ देश का डिजिटल-फर्स्ट यह इंटरनेशनल न्यूज चैनल तमाम चैनल्स की भीड़ में दर्शकों की बीच अपनी एक खास पहचान बनाने में कामयाब रहा है। भारतीय मीडिया के लिए ‘WION’ डॉ. सुभाष चंद्रा का एक बड़ा विजन है। वह देश को एक वैश्विक मंच पर ले जाने और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों का उन्मूलन करना चाहते हैं। वह वसुधैव कुटुम्बकम यानी (One World – One Family) में दृढ़ विश्वास रखते हैं।
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ABP न्यूज लाया नया प्राइम टाइम शो ‘ देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘एबीपी नेटवर्क’ के हिंदी न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ ने नया प्राइम टाइम शो शुरू किया है। रात आठ बजे ‘द इनसाइड स्टोरी’ नाम से शुरू हुए इस नए शो को टीवी पत्रकार और लंबे समय से ‘एबीपी न्यूज’ पर ‘घंटी बजाओ’ शो की एंकरिंग कर रहे अखिलेश आनंद होस्ट कर रहे हैं। जैसा कि शो का नाम है, उसी के मुताबिक दर्शकों को इस शो में हर खबर के अंदर की जानकारी दी जा रही है। बताया जाता है कि ‘द इनसाइड स्टोरी’ में न सिर्फ न्यूज होगी, बल्कि रिपोर्टर ग्राउंड जीरो से खबर के अंदर का सच भी दिखाया जाएगा। यहां बता दें कि पूर्व में ‘जी न्यूज’ और ‘न्यूज 24’ में एंकरिंग कर चुके अखिलेश आनंद लगभग दो दशक से मीडिया में सक्रिय हैं। ‘न्यूज 24’ में वह ‘सबसे बड़ा सवाल’ के नाम से डिबेट शो करते थे।राजनीतिक खबरों की ग्राउंड जीरो से एंकरिंग में माहिर अखिलेश आनंद ‘एबीपी न्यूज’ में ‘कौन बनेगा प्रधानमंत्री’ से लेकर ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ के दर्जनों एपिसोड होस्ट कर चुके हैं। पिछले दिनों अखिलेश आनंद को इंडियन टेलीविजन एकेडमी (ITA) अवॉर्ड्स से नवाजा गया है। अखिलेश आनंद को उनके शो ‘घंटी बजाओ’ के एपिसोड ‘वॉटर वेस्ट मैनेजमेंट’ के लिए ‘बेस्ट-शो न्यूज/ करेंट अफेयर्स’ कैटेगरी में यह अवॉर्ड दिया गया है।
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न्यूज़-24 चैनल 15 साल का हो गया. इस मौके पर मुझे भी कुछ पुरानी बातें याद आ रही हैं. साल 2007. शायद सितंबर का महीना था. न्यूज़-24 की पहली स्ट्रिंगर मीटिंग. देशभर के स्ट्रिंगर्स को बुलाया गया था. अजीत अंजुम जी ने 3 लोगों की ड्रेसिंग सेंस की तारीफ की थी. मैं भी उनमें से एक था. मीटिंग में खबरों का प्लान समझाया गया और लौट कर हम काम में जुट गए. फिर चैनल लॉन्च हुआ और नई ऊंचाईयों तक पहुंचा. श्वेता सिंह, अंजना ओम कश्यप, चित्रा त्रिपाठी, सईद अंसारी जैसे तमाम बड़े एंकर इस चैनल में एक साथ थे. ब्यूरो में एक से बढ़कर एक रिपोर्टर थे. असाइनमेंट पर बेहद ऊर्जावान साथी थे. मेरे ब्यूरो थे सलीम सैफी. उन्होंने पहले मुझे बुलंदशहर सिटी की जिम्मेदारी सौंपी और फिर जिला बुलंदशहर. इसके बाद ग्रेटर नोएडा भी. हालांकि बाद में कुछ और जिलों में जाकर भी काम करने का मौका मिला. सैंकडों फोन-इन, दर्जनों पीटीसी, एक लाइव. साढ़े तीन साल में मैं स्टार बन चुका था. पूरे वेस्ट यूपी की हर बड़ी खबर उंगलियों पर. 2009 का लोकसभा चुनाव कवर किया. 2007 का यूपी विधानसभा चुनाव कवर किया. एक से बढ़कर एक रैली कवर की. बड़े से बड़े नेताओं के इंटरव्यू किए. हर महीने कम से कम 30 खबरें कवर कीं. यानी 3 साल में 1000 खबरों से ज्यादा खबरें मैंने न्यूज़-24 के लिए कवर कीं। साल 2010 के जून में स्टार न्यूज़ में मेरा सलेक्शन हुआ और मैंने इसी महीने माइक आईडी वापस न्यूज़-24 में जमा करा दी. खैर, मैं आज जो कुछ भी हूं, उसमें न्यूज़-24 का भी एक अहम रोल है. मैं अच्छा रिपोर्टर बन सका, डेस्क पर आने के बाद लोकल खबरों को ठीक से समझ सका, डेस्क पर बैठकर भी रिपोर्टिंग कर सका, तो ये सब इसीलिए संभव हुआ क्योंकि न्यूज़-24 ने, मेरे ब्यूरो चीफ ने, असाइनमेंट के साथियों और वरिष्ठों ने मुझ पर भरोसा किया और मेरी खबरों में जान डाली. अब जब इस चैनल के 15 साल पूरे हो गए हैं तो कुछ पुरानी यादें ताजा हुई हैं.
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार नवेद कुरैशी ने हाल ही में हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज नेशन' (न्यूज नेशन) से अपनी पारी को विराम देने के बाद अब यू-ट्यूब चैनल NFM न्यूज ज्वाइन किया है। वह अनुबंध इस यू-ट्यूब चैनल से जुड़े हैं। इस यू-ट्यूब चैनल के 15 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं। बताएं कि 'न्यूज नेशन' में वह करीब पांच साल से एंकर एंकर और एंकर (स्पेशल दृष्टिकोण) के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। इस चैनल में नवेद की रूस-यूक्रेन युद्ध कवरेज ने बहुत सुरखियां बटोरी थीं। इसके अलावा यूपी चुनाव के दौरान उनका शो 'बड़े मियां किधर चले? भी काफी लोकप्रिय हुआ था। मूल रूप से उज्जैन (मध्य प्रदेश) के रहने वाले नवेद कुरैशी को मीडिया में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। विक्रम यूनिवर्सिटी, उज्जैन से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी। इस दौरान वह कई शहरों में 'दैनिक जागरण' सहित कई अखबारों में बंद रही। इसके बाद टीवी की दुनिया का रुख करते हुए वह 'वाइस ऑफ इंडिया' (वॉयस ऑफ इंडिया) से जुड़ गए। यहां करीब चार साल तक अपनी भूमिका निभाने के बाद उन्होंने यहां से बोलकर 'न्यूज24' (न्यूज24) का दामन थम लिया। करीब चार साल बाद यहां से वह 'न्यूज एक्सप्रेस' (न्यूज एक्सप्रेस) चली गई और यहां करीब एक साल की अपनी जिम्मेदारी निभाई और इसके बाद 'आजतक' (आजतक) से जुड़ गई। 'न्यूज नेशन' से पहले वह करीब पांच साल से 'आजतक' से जुड़े थे।
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न्यूज एंकर साक्षी मिश्रा ने हिंदी न्यूज चैनल ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, जल्द ही वह ‘भारत 24’ चैनल में बतौर एंकर अपनी नई शुरुआत करने जा रही हैं। साक्षी मिश्रा करीब एक साल से ‘TV9 भारतवर्ष’ में काम कर रही थीं। यहां वह पैकेजिंग के साथ-साथ ‘TV9’ नेटवर्क के लिए एंकरिंग और रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी भी संभाल रही थीं। कोरोना गाइडलाइंस पर उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग की काफी सराहना हुई थी।‘TV9’ के डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भी उन्होंने शो होस्ट किए थे। इससे पहले साक्षी ‘एनडीटीवी’ (NDTV) और ‘सीएनएन’ (CNN) के लिए भी काम कर चुकी हैं। साक्षी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में BA ऑनर्स किया है और वह अपना पॉडकास्ट भी चलाती हैं।
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युवा टीवी पत्रकार लवीना राज ने ‘नेटवर्क18’ (Network18) समूह के साथ मीडिया में अपना नया सफर शुरू किया है। उन्होंने इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज18 इंडिया’ में बतौर एंकर जॉइन किया है। बता दें कि लवीना राज इससे पहले करीब तीन साल से ‘जी समूह’ के साथ जुड़ी हुई थीं। यहां शुरू में इस समूह के रीजनल चैनल ‘जी’ (राजस्थान) में करीब डेढ़ साल बिताने के बाद पिछले करीब डेढ़ साल से वह ‘जी हिन्दुस्तान’ में बतौर एंकर अपनी भूमिका निभा रही थीं। इस चैनल पर वह दो प्राइम टाइम शो शाम सात बजे ‘मेरा राज्य मेरा देश’ और रात दस बजे ‘अखंड भारत’ होस्ट करती थीं। मूल रूप से जयपुर (राजस्थान) की रहने वाली लवीना को मीडिया में काम करने का करीब छह साल का अनुभव है। ‘जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी’ से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएट लवीना ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत ‘न्यूज इंडिया’ जयपुर से की थी। इसके बाद यहां से वह ‘A1 TV’ होती हुईं ‘जी समूह’ पहुंची थीं, जहां से अलविदा बोलकर उन्होंने अब ‘न्यूज18 इंडिया’ जॉइन किया है।
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युवा पत्रकार अनामिका सिंह ने 'नेटवर्क18' (नेटवर्क18) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस ग्रुप के हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज 18' (यूपी/यूके) में लखनऊ में लगी हुई थीं और करीब तीन साल से जिम्मेदारियां सीनियर स्पेशल करेसपंडेंट अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। खबर है कि अनजाना सिंह अब नोएडा में 'रिपब्लिक इंडिया' (रिपब्लिक भारत) से मीडिया में अपनी नई यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यहां पर उन्होंने अपना अधिकार न्यूज न्यूज/एंकर अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। बता दें कि मूल रूप से बलिया (उत्तर प्रदेश) का रहना अनामिका सिंह को मीडिया में काम करने वाला का करीब दस साल का अनुभव है। बलिया से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने 'महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी' से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है। अनामिका सिंह ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत 'सहारा' (सहारा) से की थी। इसके अलावा पूर्व में उन्होंने 'न्यूज नेशन' (न्यूज नेशन) में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई है।
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ABP न्यूज को मिला लोकप्रिय हिंदी न्यूज चैनल का अवॉर्ड देश के प्रतिष्ठित हिंदी न्यूज चैनल्स में शुमार ‘एबीपी न्यूज’ को मुंबई में आयोजित इंडियन टेलीविजन एकेडमी (ITA) अवॉर्ड्स के दौरान लगातार दूसरे साल ‘मोस्ट पॉपुलर हिंदी न्यूज चैनल’ का पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार जीआर 8 एंटरटेनमेंट लिमिटेड के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर शशि रंजन और जानी-मानी अभिनेत्री महिमा चैधरी के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम के दौरान एबीपी न्यूज के सीनियर एंकर्स रुबिका लियाकत और अखिलेश आनंद को अलग से पुरस्कार दिए गए। रुबिका को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनके इंटरव्यू के लिए ‘बेस्ट टॉक/ चैट शो’ का पुरस्कार मिला। वहीं अखिलेश आनंद को उनके शो ‘घंटी बजाओ’ के एपिसोड ‘वॉटर वेस्ट मैनेजमेंट’ के लिए ‘बेस्ट-शो न्यूज/ करेंट अफेयर्स’ कैटेगरी में सम्मानित किया गया। एबीपी न्यूज ने 22वें आईटीए अवॉर्ड्स के दौरान विशेष और अलग एंट्रीज में सबसे ज्यादा पुरस्कार जीते हैं। इस उपलब्धि पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडे ने कहा, ‘मैं इस पुरस्कार के लिए शशि रंजन, अनु रंजन और आईटीए को धन्यवाद देना चाहूंगा। यह पुरस्कार हमारे सैंकड़ों पत्रकारों के लिए है, जो दिन-रात कड़ी मेहनत कर दर्शकों के लिए गुणवत्तापूर्ण कंटेंट लेकर आते हैं। रेटिंग की होड़ के बीच इतने अच्छे परिणाम और सराहना हासिल करना अपने आप में सबसे बड़ी उपलब्धि है। एबीपी नेटवर्क इसी दृष्टिकोण में भरोसा रखता है और यही कारण है कि हम अपने दर्शकों के लिए उत्कृष्ट गुणवत्ता की खबरें लेकर आते हैं। इस अवसर पर मैं एबीपी न्यूज की ओर से हमारे लाखों दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने एबीपी न्यूज को अपना वोट देकर इसमें अपना भरोसा जताया और सबसे लोकप्रिय हिंदी न्यूज चैनल साबित किया है। हमारे दर्शकों ने एक बार फिर से बता दिया है कि एबीपी न्यूज़ के लिए उनके दिलों में खास जगह है और यही बात इस अवॉर्ड को हमारे लिए सबसे खास बनाती है।’ उन्होंने आगे कहा कि यह पुरस्कार अपने दूसरे वर्ष में है, जो एबीपी न्यूज की लगातार बढ़ती लोकप्रियता की पुष्टि करता है। हमारे नेटवर्क की मजबूत प्रोग्रामिंग तथा दर्शकों के लिए सटीक एवं पक्षपात रहित खबरें लाने के समर्पण की वजह से ही यह संभव हो पाया है। यह चैनल प्रोग्रामिंग की व्यापक रेंज पेश करता है जो हर तरह के दर्शकों को लुभाती है और इसे भारतीय दर्शकों का सबसे पसंदीदा चैनल बनाती है।
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सोशल मीडिया के चर्चित चेहरे और युवा पत्रकार श्याम त्यागी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) से मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने यहां पर बतौर प्रड्यूसर जॉइन किया है। ‘एबीपी न्यूज’ में अपनी पारी शुरू करने से पहले श्याम त्यागी वरिष्ठ पत्रकार जगदीश चंद्रा के नेतृत्व में शुरू हुए ‘भारत24‘ (Bharat24) में करीब ढाई महीने से अपनी सेवाएं दे रहे थे। ‘भारत24‘ में श्याम त्यागी ने मॉर्निंग शिफ्ट में काफी अहम जिम्मेदारियां निभाईं और ईवनिंग बैंड के डिबेट शो भी प्रोड्यूस किए।‘भारत24‘ से पहले श्याम त्यागी करीब ढाई साल तक ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) का हिस्सा थे। 'इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च' गाजियाबाद से पढ़े-लिखे श्याम त्यागी ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2010 में ‘बीएजी फिल्म्स’ (BAG Films) के साथ की थी। इस दौरान उन्होंने ‘बीएजी फिल्म्स’ द्वारा 'नेशनल जियोग्राफी' के लिए बनाए गए शो 'India Investigates' की प्रोडक्शन टीम में काम किया। दो शॉर्ट्स फिल्में भी बनाईं, जिन्हें बाद में अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया गया। बाद में श्याम त्यागी ‘न्यूज24’ (News24) का हिस्सा हो गए और वर्ष 2014 तक ‘न्यूज24’ के कई चर्चित शो में काम किया | वर्ष 2014 में निजी कारणों से ‘न्यूज24’ को अलविदा बोलकर श्याम त्यागी ने गाजियाबाद में ही मैगजीन की शुरुआत की। श्याम त्यागी को यूट्यूब/डिजिटल में भी महारत हासिल है। उनके अपने पर्सनल चैनल पर हजारों सबस्क्राइबर्स हैं। वह अक्सर यूट्यूब की बारीकियां लोगों को बताते रहते हैं।समाचार4मीडिया से बातचीत में श्याम त्यागी ने बताया कि वर्ष 2015 में उनके एक यूट्यूब चैनल के सबस्क्राइबर्स की संख्या एक लाख को पार कर गई थी। तब यूट्यूब की नीतियां काफी कठोर थीं। तब कॉपीराइट को लेकर यूट्यूब बहुत सजग था।श्याम की राजनीतिक खबरों में गहरी दिलचस्पी है। उन्हें व्यंग्य लिखना पसंद है। कोविड काल में फेसबुक पर लिखी गयी श्याम की पोस्ट को लाखों लोगों ने पढ़ा और शेयर किया था। बाद में खुद फेसबुक ने वो पोस्ट डिलीट कर दी थी, जिसे लेकर लोगों ने फेसबुक की काफी आलोचना की थी।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार व इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को लेकर मीडिया गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि वह इंडिया टुडे ग्रुप से अलग हो रहे हैं। दरअसल, इस तरह के कयास तब लगाए जाने लगे, जब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से मात्र दो शब्दों का एक ट्वीट किया। ट्वीट था ‘THE END’. बस फिर क्या था, उनके ट्वीट करते ही मीडिया गलियारों में इन शब्दों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। लोग कयास लगाने लगे कि उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप में अपनी पारी को THE END कह दिया है।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार के हाल ही में इस्तीफा देने के बाद 'NDTV इंडिया' से जुड़े कई पत्रकार एक के बाद एक ऑर्गनाइजेशन छोड़ रहे हैं। इसी कड़ी में अब वरिष्ठ टीवी पत्रकार अभिषेक शर्मा का नाम भी जुड़ गया है, जोकि 'NDTV इंडिया' के मुंबई ब्यूरो के अग्रणी सदस्यों में से एक हैं। उन्होंने 17 साल से अधिक समय तक चैनल से जुड़े रहने के बाद अब इस्तीफा दे दिया है। एक हफ्ते पहले, NDTV इंडिया के सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर रवीश कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया था। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता रवीश कुमार 'हम लोग', 'रवीश की रिपोर्ट', 'देश की बात' और 'प्राइम टाइम' सहित कई कार्यक्रमों की मेजबानी करते थे। उन्होंने यह फैसला प्रणय रॉय और राधिका रॉय के एनडीटीवी की प्रमोटर कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर पद से इस्तीफे के तुरंत बाद लिया था। बता दें कि 22 नवंबर को, अडानी समूह ने एक खुली पेशकश शुरू करके कंपनी में अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो 5 दिसंबर को समाप्त हो गई है।
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BARC के रेटिंग सिस्टम TVT में कोई गिरावट नहीं ‘टाइम्स नाउ’ के एडिटोरियल डायरेक्टर व एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर ने एक गोलमेज चर्चा के दौरान कहा कि ‘बार्क’ (BARC) इस समय अपने मौजूदा अवतार में साफ-सुथरा (क्लीन) है। BARC द्वारा रेटिंग फिर से शुरू किए जाने के बाद के रेटिंग सिस्टम पर बोलते हुए राहुल शिवशंकर ने कहा कि चैनल की TVT में कोई गिरावट नहीं आयी है, बल्कि यह केवल बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस समय मैन्युपुलेशन को लेकर बात कर रहा हूं, जो कथित तौर पर हुआ था। एक ऑडिट रिपोर्ट में भी यह बात साफ हुई है कि ‘टाइम्स नाउ’ के नंबर्स को जानबूझकर कम किया जा रहा था और हमें चयनित तरीके से टार्गेट किया गया था, क्योंकि हमें सहयोगी कॉम्पटीटर मार्केट में एक लीडर के तौर देखते थे। उन्होंने आगे कहा कि सिस्टम अब स्पष्ट और साफ है। अब हमारे पास तर्क हो सकते हैं कि कितने मीटर होने चाहिए, क्या सिस्टम जो प्रतिनिधित्व करता है, वह पर्याप्त है या नहीं। लेकिन मैं केवल प्रोसेस के बारे में बात कर रहा हूं और सुझाव है कि यह पूरी तरह से सही है। न्यूज जॉनर के दर्शकों की संख्या के बारे में बात करते हुए शिवशंकर ने कहा कि ओवरऑल रीच और TVT के आंकड़े दोनों में वृद्धि हुई है। सामूहिक रूप से दर्शकों की संख्य बढ़ी है। हालांकि, चुनौती प्रासंगिक बने रहने की है। जब आपके पास इतने अलग-अलग प्रकार के मीडिया माध्यम हैं, तो इसका मतलब है कि हमें अपनी कंटेंट स्ट्रैटजी को अलग तरीके से पेश करना होगा।’ उन्होंने यह भी साझा किया कि 2017 से 2019 तक मैन्युपुलेशन की वजह से ‘टाइम्स नाउ’ को ऐड रेवेन्यू का नुकसान उठाना पड़ा है और यह नुकसान लगभग 400 करोड़ रुपए का है। बावजूद इसके अब भी ‘टाइम्स नाउ’ के पास ही लीडरशिप है और चैनल को अब भी ऐड रेवन्यू की दोगुनी राशि मिलती है। BARC द्वारा फिर से रेटिंग शुरू किए जाने के बाद के समय को लेकर शिवशंकर ने कहा कि ‘टाइम्स नाउ’ की हिस्सेदारी 24% (जोकि रेटिंग के दोबारा शुरू किए जाने से पहले थी) से बढ़कर अब 40% हो गई है। उन्होंने कहा कि चैनल ने रीच और TSV दोनों में अपना नेतृत्व बरकरार रखा है।
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प्रियदर्शिनी पटवा को प्रसिद्ध मैगजीन ‘जीक्यू’ (GQ) इंडिया में मैनेजिंग एडिटर के पद पर नियुक्त किया गया है। वह यहां पहले की तरह एंटरटेनमेंट एडिटर की जिम्मेदारी भी संभालेंगी। एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से पटवा ने अपनी नई भूमिका के बारे में जानकारी शेयर की है।अपनी पोस्ट में पटवा ने लिखा है, ‘2022 मेरे लिए काफी अच्छा साल रहा है। इस दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला और तमाम डेवलपमेंट्स देखने को मिले। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मुझे अब जीक्यू इंडिया में मैनेजिंग एडिटर बनाया गया है। हालांकि, पूर्व की तरह मैं एंटरटेनमेंट एडिटर की भूमिका निभाना भी जारी रखूंगी।’ बता दें कि प्रियदर्शिनी पटवा करीब दो साल से ‘जीक्यू’ इंडिया के साथ काम कर कर ही है। पूर्व में वह ‘फ्री प्रेस जर्नल’ में फीचर एडिटर भी रह चुकी हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार नीरज सिंह ने वरिष्ठ टीवी पत्रकार जगदीश चंद्रा के नेतृत्व में इसी साल 15 अगस्त को नोएडा से लॉन्च हुए हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत24’ के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत की है। उन्होंने यहां पर बतौर आउटपुट हेड जॉइन किया है। नीरज सिंह इससे पहले जी’ समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘जी हिन्दुस्तान’ में बतौर आउटपुट हेड कार्यरत थे, जहां से पिछले दिनों उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। यहां टीवी के साथ-साथ नीरज ‘जी हिन्दुस्तान’ के सोशल और डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी लीड कर रहे थे। ‘जी समूह’ के साथ नीरज सिंह की ये दूसरी पारी थी। ‘रिपब्लिक भारत’ से जुड़ने से पहले नीरज ‘जी न्यूज’ से करीब पांच साल तक जुड़े रहे थे। बता दें कि 'जी हिन्दुस्तान' से पहले नीरज सिंह ‘रिपब्लिक भारत’ में कार्यरत रहे हैं। ‘रिपब्लिक भारत’ में वह सीनियर एसोसिएट एडिटर के पद पर थे। वहां अरनब गोस्वामी के मशहूर शो ‘पूछता है भारत’ की जिम्मेदारी नीरज सिंह के पास ही थी। ‘रिपब्लिक भारत’ की डिजिटल टीम को भी नीरज लीड कर रहे थे।. इसके अलावा वह ‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह की हिंदी न्यूज वेबसाइट ‘समाचार4मीडिया’ में एडिटर के तौर पर भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। नीरज सिंह उन चुनिंदा पत्रकारों में हैं, जो प्रिंट, डिजिटल और टीवी तीनों ही माध्यमों में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं।
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'BQ प्राइम’ से बतौर कंसल्टेंट जुड़ टीवी न्यूज की दुनिया के जाने-माने चेहरे और सीनियर न्यूज एंकर सुमित अवस्थी के बारे में एक बड़ी खबर निकलकर सामने आयी है। दरअसल, खबर यह है कि वह अब क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया ग्रुप की हिंदी न्यूज वेबसाइट ‘BQ प्राइम’ से बतौर कंसल्टेंट जुड़ गए हैं। ‘BQ प्राइम हिंदी’ पर उनका पहला वीडियो भी आ गया है, जिसमें उन्होंने जजों की नियुक्ति पर अपनी बेवाक राय भी दी है। बता दें कि इससे पहले सुमित अवस्थी ‘एबीपी न्यूज’ में वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज व प्रॉडक्शन) के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। सुमित अवस्थी ने वर्ष 2018 में ‘एबीपी न्यूज’ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘नेटवर्क18’ में डिप्टी मैनेजिंग एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह ‘जी न्यूज’ में रेजिडेंट एडिटर भी रह चुके हैं। सुमित अवस्थी करीब पांच साल तक ‘आजतक’ में भी रह चुके हैं। यहां वह डिप्टी एडिटर के तौर पर कार्यरत थे। सुमित राजनीति में अच्छी पकड़ और बेहतर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। सुमित अवस्थी को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें अब तक ‘दादा साहेब फाल्के एक्सीलेंस अवॉर्ड‘ और ‘माधव ज्योति अवॉर्ड‘ समेत तमाम प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है। इसके साथ ही उन्हें प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (ENBA) से भी नवाजा जा चुका है। सुमित अवस्थी का जन्म लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ है। केंद्रीय विद्यालय, इंदौर से अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद उन्होंने इंदौर में ही ‘होलकर साइंस कॉलेज’ से ग्रेजुएशन की है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्थित ‘भारतीय विद्या भवन‘ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। रिपोर्ट- शैफाली गुप्ता
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(प्रवीण कक्कड़) भारत में राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक यात्राओं का लंबा इतिहास है। कभी आमजन से जुड़ने, कभी समाज में चेतना को विकसित करने तो कभी राजनितिक परिवर्तन लाने के लिए यात्राएं निकलती रही हैं। इन दिनों देश में सबसे ज्यादा बातचीत किसी चीज की हो रही है तो वह है राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाने वाली पदयात्रा की। असल में बात किसी व्यक्ति की नहीं है बल्कि बात उस भावना की है जो लोगों को आकर्षित करती है। इतिहास में ऐसे अनेक प्रसंग मिलते हैं जब महान हस्तियों ने जनता से जुड़ने के लिए और अपनी बात रखने के लिए लंबी-लंबी यात्राएं की। अगर हम त्रेता युग से शुरू करें तो भगवान राम ने भी अयोध्या से रामेश्वरम तक पदयात्रा करने के बाद ही लंका पर चढ़ाई की थी। भगवान चाहते तो अपने भृकुटी विलास से ही किसी भी शत्रु को परास्त कर सकते थे लेकिन जब वह पैदल दूरदराज के इलाकों से निकले और जन सामान्य ने उनके दर्शन किए और उन्होंने जन सामान्य की परिस्थिति का अवलोकन किया तो नर और नारायण एक हो गए। भारत में पुराण काल में ही दूसरी महत्वपूर्ण यात्रा अगस्त मुनि की मानी जाती है। वह पहले ऐसे व्यक्ति माने जाते हैं जिन्होंने विंध्याचल पर्वत को पार किया। उत्तर भारत और दक्षिण भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में अगस्त्यमुनि का ही महात्म्य हमारे ग्रंथों में बताया गया है। तीसरी महत्वपूर्ण पदयात्रा आदि गुरु शंकराचार्य की है। केरल में जन्मे शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण किया और चारधाम की स्थापना की। उनकी इन्हीं यात्राओं से सनातन धर्म में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। इसी तरह गौतम बुद्ध और गुरु नानक देव जैसी विभूतियों ने उस दौर में यात्राएं करके जनमानस के बीच अपनी आध्यात्मिक चेतना का प्रसार किया। भारत के इतिहास में कुछ राजनीतिक यात्राएं भी हैं जिन्होंने भारत की राजनीति की दशा और दिशा को पूरी तरह बदल कर रख दिया। महात्मा गांधी की दांडी यात्रा ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। इस यात्रा में महात्मा गांधी ने। अहमदाबाद से दांडी तक 241 किलोमीटर की यात्रा करके नमक का कानून तोड़ा और भारतीय जनमानस में स्वतंत्रता के प्रति राष्ट्रीय चेतना का संचार किया। विनोबा भावे ने भी भूदान आंदोलन के दौरान लंबी पदयात्रा की। किंतु आजादी के बाद सबसे लंबी पैदल यात्रा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को है। 6 जनवरी 1983 को तमिलनाडु से निकली चंद्रशेखर की यात्रा 25 जून 1983 को दिल्ली में खत्म हुई। लगभग 170 दिन तक की इस यात्रा में चंद्रशेखर 4000 से अधिक किलोमीटर पैदल चले थे। चंद्रशेखर की पदयात्रा का उद्देश्य था पीने का पानी, कुपोषण से मुक्ति, हर बच्चे की पढ़ाई, हर इंसान को स्वास्थ्य का अधिकार और सामाजिक सद्भाव। इस पदयात्रा से चंद्रशेखर भारत की राजनीति में एक ताकतवर राजनेता बन कर उभरे। बाद में कुछ समय के लिए देश के प्रधानमंत्री भी बने। भारतीय राजनीति में दक्षिण पंथ को मजबूती से स्थापित करने वाले लालकृष्ण आडवाणी भी एक नहीं दो-दो बार यात्रा पर निकले। किंतु आडवाणी पैदल नहीं चले। बल्कि अपनी पहली यात्रा में रथ पर सवार होकर 1990 में सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकल पड़े। उनकी रथयात्रा को लालू यादव ने बिहार में रोक दिया। इसके बाद वर्ष 2011 में आडवाणी की जनचेतना रथ यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ 38 दिन तक चली और 23 राज्यों व चार केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरी। इससे पहले वर्ष 2003 में वाईएसआर रेड्डी ने पदयात्रा की थी। 2013 में चंद्रबाबू नायडू भी पदयात्रा पर निकले थे। 2017 में दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश में नर्मदा परिक्रमा यात्रा निकाली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी 7 सितंबर 2022 से पदयात्रा कर रहे हैं। कन्याकुमारी से प्रारंभ उनकी पदयात्रा का आधे से अधिक मार्ग तय हो चुका है। भारत जोड़ो यात्रा के नाम से विख्यात यह 150 दिन की पदयात्रा कश्मीर में पूरी होगी। राहुल गांधी कहते हैं कि यह गैर राजनीतिक यात्रा है। जनता के दुख दर्द को समझने की यात्रा है। बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी जैसी समस्याओं पर जनचेतना जागृत करने की यात्रा है। राहुल गांधी की यात्रा में बिना बुलाए बड़ी संख्या में लोगों का पहुंचना इस बात का प्रतीक है कि इस यात्रा से जनता में राजनीतिक चेतना का विस्तार हो रहा है। साथ ही इतना अवश्य है कि अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने आमजन से मिलकर देश की जनता के बीच अपनी छाप छोड़ी है। राजनीति हस्तियों की यात्राएं जनता से सीधा संवाद करने का अवसर प्रदान करती हैं। और राजनीतिक मुद्दों पर जनजागृति का काम भी करती हैं। निश्चित रूप से जनता के बीच जाने का फायदा तो होता ही है। विश्व के इतिहास में जिन-जिन राजनेताओं ने राजनीतिक यात्राएं की हैं उन्हें एक नई पहचान मिली है जनता से उनकी कनेक्टिविटी भी स्थापित हुई है। यात्राएं देश को जानने, समस्याओं को समझने, जनता से रूबरू होने का सबसे सुगम और सरल माध्यम हैं।
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एनडीटीवी इंडिया’ (NDTV India) के सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर रवीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह यहां चैनल के फ्लैगशिप शो ‘हम लोग’, ‘रवीश की रिपोर्ट’, ‘देश की बात’ और ‘प्राइम टाइम’ समेत तमाम कार्यक्रम होस्ट करते थे। इस बारे में चैनल की ओर से जारी एक इंटरनल मेल में कहा गया है कि रवीश कुमार का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो गया है। चैनल की ओऱ से जारी मेल में यह भी कहा गया है, ‘कुछ ही पत्रकार ऐसे हैं, जिन्होंने लोगों को रवीश जितना प्रभावित किया है। यह इस बात से परिलक्षित होता है कि वह जहां जाते हैं, लोग उनके पास खिंचे चले आते हैं। उनके बारे में लोगों से तमाम प्रतिक्रिया मिलती है। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है।’ चैनल के मेल के अनुसार, ‘रवीश कुमार कई दशक से एनडीटीवी का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। उनका योगदान अमूल्य रहा है और हम जानते हैं कि वह एक नई शुरुआत करेंगे और सफल होंगे।’ बता दें कि रवीश कुमार को देश के लोगों को प्रभावित करने वाले आम मुद्दों की बेहतरीन कवरेज के लिए जाना जाता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें दो बार प्रतिष्ठित ‘रामनाथ गोयनका’ अवॉर्ड और वर्ष 2019 में रैमन मैगसायसायअवॉर्ड मिल चुका है। गौरतलब है कि रवीश कुमार के इस्तीफे के एक दिन पहले ही ‘एनडीटीवी’ के फाउंडर्स प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने ‘एनडीटीवी’ की प्रमोटर फर्म ‘आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड’ (RRPR Holding Private Limited) में डायरेक्टर्स के पद से इस्तीफा दे दिया है।
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जी मीडिया’ के हिंदी न्यूज चैनल ‘जी हिन्दुस्तान’ में मैनेजिंग एडिटर के पद से पिछले दिनों इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ टीवी पत्रकार शमशेर सिंह अब नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। वह वरिष्ठ पत्रकार जगदीश चंद्रा के नेतृत्व में इसी साल 15 अगस्त को लॉन्च हुए हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत24’ में बतौर मैनेजिंग एडिटर जॉइन करने जा रहे हैं। शमशेर सिंह 28 नवंबर को नोएडा स्थित इस चैनल के मुख्यालय में अपना कार्यभार संभालेंगे। बता दें कि वरिष्ठ टीवी पत्रकार अजय कुमार ने पिछले दिनों ‘भारत24’ में मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से यह पद रिक्त था। हालांकि, सीनियर एडिटर सैयद उमर कार्यवाहक के तौर पर फिलहाल यह जिम्मेदारी संभाल रहे थे। गौरतलब है कि ‘जी हिन्दुस्तान’ में शमशेर सिंह की यह दूसरी पारी थी। ‘जी हिन्दुस्तान’ से पहले शमशेर सिंह हिंदी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ (Republi Bharat) में कार्यरत थे। शमशेर सिंह नवंबर 2018 से ‘रिपब्लिक भारत’ के साथ जुड़े हुए थे और बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। मूल रूप से पूर्णिया (बिहार) के रहने वाले शमशेर सिंह 'रिपब्लिक भारत' से पहले ‘इंडिया न्यूज’ चैनल के साथ बतौर एडिटर (नेशनल अफेयर्स) जुड़े हुए थे। उन्होंने ‘इंडिया न्यूज’के साथ अपना सफर मार्च, 2018 में शुरू किया था। इसके पहले 'जी हिन्दुस्तान' में अपनी पहली पारी के दौरान वह पॉलिटिकल एडिटर के तौर पर कार्यरत थे। यहां वह अप्रैल, 2017 से अक्टूबर, 2017 तक रहे। दो दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता में सक्रिय भूमिका निभाने वाले टीवी पत्रकार शमशेर सिंह ‘इंडिया टीवी’ और ‘आजतक’ के चर्चित चेहरों में से एक रहे हैं। 'जी हिन्दुस्तान' से पहले वह ‘इंडिया टीवी’ में बतौर एडिटर (करेंट अफेयर्स) कार्यरत थे। यहां वह नवंबर 2013 से अप्रैल 2017 तक रहे। शमशेर सिंह ने अपने करियर की शुरुआत टीवी न्यूज चैनल से ही की थी। अप्रैल 1998 में उन्होंने ‘आजतक’ न्यूज चैनल से पत्रकारिता में अपना सफर शुरू किया और विभिन्न पदों पर रहते हुए यहां वे डिप्टी एडिटर तक बने। ‘आजतक’ में उन्होंने जापान सुनामी, वॉशिंगटन में न्यूक्लियर सम्मिट, कोपनहेगन सम्मिट से लेकर कई चुनावों और बड़ी घटनाओं को कवर किया। 16 साल बाद यानी 2013 में ‘आजतक’ के साथ उनका सफर थम गया और ‘इंडिया टीवी’, 'जी हिन्दुस्तान', ‘इंडिया न्यूज’ और ‘रिपब्लिक भारत’ व वर्ष 2020 में फिर 'जी हिन्दुस्तान' होते हुए अब वह ‘भारत24’ से जुड़ने जा रहे हैं। शमशेर सिंह को एक्सक्लूसिव स्टोरीज और स्पेशल शोज का मास्टर माना जाता है। ‘आन द स्पॉट’ रिपोर्टिंग के लिए शमशेर को रामनाथ गोयनका अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पिछले दिनों उन्हें दिलीप सिंह पत्रकारिता अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। राजनीति के अलावा आंतरिक सुरक्षा और फॉरेन पॉलिसी पर भी उनकी खास पकड़ है।
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गुजरात विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। दो चरणों में यानी एक और पांच दिसंबर को होने वाले मतदान के लिए वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी। ऐसे में तमाम उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। इस महासमर को जीतने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियां जी-जान से लगी हुईं हैं। इस बीच तमाम मीडिया घरानों ने भी चुनाव से जुड़ी पल-पल की खबर अपने दर्शकों तक पहुंचाने के लिए कमर कस ली है। एबीपी न्यूज भी इनमें से एक है। एबीपी न्यूज की जानी-मानी एंकर रुबिका लियाकत अब अपनी ‘हुंकार’ टीम के साथ गुजरात के मैदान में उतर गई हैं। वह अब गुजरात में घर-घर जाकर यह पता लगाने की कोशिश करेंगी कि सूबे में किसकी सरकार बन सकती है, कौन हो सकता है अगला मुख्यमंत्री। यानी अब गुजरात के मैदान से ही रुबिका ‘हुंकार’ पर अब अपनी खबरों को देंगी धार और चुनाव से जुड़ी-जुड़ी पल की खबरों को दर्शकों तक पहुंचाने का करेंगी काम। रुबिका के प्रोग्राम हुंकार का एक ‘प्रोमो’ भी जारी किया गया, जिसमें वह एक कार से रिपोर्टिंग करती नजर आ रही हैं। बताया जा रहा है कि वह शहर-शहर गांव-गांव इसी कार से घूमकर रिपोर्टिंग करेंगी। बता दें कि गुजरात की कुल 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण में 89 सीटों पर और दूसरे चरण में 93 सीटों पर मतदान होगा। फिलहाल, गुजरात में बीते ढाई दशक से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री से त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद है। बहरहाल, मौजूदा गुजरात विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 18 फरवरी को समाप्त हो जाएगा रिपोर्टर- शैफाली गुप्ता
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दुर्गेश केशवानी भाजपा प्रवक्ता मप्र भाजपा के प्रवक्ता दुर्गेश केशवानी ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा ये यात्रा कम और सर्कस ज्यादा नजर आ रहा है,कमलनाथ द्वारा जन्मदिन पर मन्दिर की आकृति का केक काटने से हिंदुओ की आस्था आहत हुई,माफी मांगे कमलनाथ आष्टा । भाजपा द्वारा ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के एक दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में विषय के मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होने आष्टा आये मप्र भाजपा के प्रवक्ता डॉ दुर्गेश केशवानी ने आज चर्चा में राहुल गांधी की भारत जोडो यात्रा को ले कर कहा की ये भारत जोड़ो यात्रा कम सर्कस ज्यादा नजर आ रही है। आपने देखा चल रही यात्रा के दौरान वे हंटर मारते, कभी कुछ करते दिखे मतलब ये यात्रा कम सर्कस ज्यादा दिख रही है। श्री केशवानी ने कहा हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ द्वारा अपने जन्मदिन पर हनुमान जी के चित्र लगे,मन्दिर की आकृति के केक को काटा इससे हिंदुओ की धार्मिक भावना आहत हुई है। आखिर कमलनाथ जी को हिन्दू धर्म से इतनी घृणा क्यो है। उक्त केक को जिस प्रकार उन्होंने काटा उससे एक बार फिर मुगल आक्रांताओं की याद दिला दी। भगवान श्रीराम,हनुमान जी,राम मंदिर हमारी श्रद्धा आस्था के केंद्र बिंदु है। इस कृत्य के बदले कांग्रेस को ओर कमलनाथ जी को देश के हिंदुओं से माफी मांगना चाहिये। इसको लेकर देश उन्हें कभी माफ नही करेगा। उक्त कृत्य देश के हिंदुओं की धार्मिक भावना,उनकी आस्था पर प्रहार है। एक अन्य प्रश्न को लेकर केशवानी ने कहा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मप्र में आ रही है,उसको लेकर मप्र के गृहमंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा जी ने स्पष्ट कर दिया है की कोई परिंदा भी पर नही मार सकता है,कमलनाथ जी को असली में चिंता कांग्रेस में जो अंदरूनी कलाह चल रही है उसकी है,घर की आंतरिक लड़ाई से उन्हें असुरक्षा का भाव लग रहा है। आयोजित प्रशिक्षण वर्ग को लेकर केशवानी ने कहा भाजपा में बैठक,वर्ग,प्रशिक्षण सतत चलने वाली प्रक्रिया का हिस्सा है। हम पूरी तैयारी से 23 एवं 24 में होने वाले विधानसभा लोकसभा के चुनाव में जनता के बीच अपने कार्यो,किये विकास को लेकर जायेंगे। निश्चित देश प्रदेश में हुए विकास के बदले जनता का आशीर्वाद भाजपा को पुनः मिलेगा।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर दीपक चौरसिया लगभग एक साल बाद वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय के नेतृत्व में जल्द लॉन्च होने वाले न्यूज चैनल ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) के साथ टीवी मीडिया की दुनिया में वापसी करने जा रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, दीपक चौरसिया अपनी इस पारी के दौरान इस चैनल में रात आठ बजे के प्राइम टाइम शो में नजर आएंगे। बता दें कि ‘सहारा इंडिया मीडिया’, ‘तहलका मैगजीन’, ‘स्टार न्यूज’ एवं ‘सीएनबीसी-आवाज’ को अपनी सेवाओं और नेतृत्व से नई ऊंचाइयां देने वाले वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने कुछ समय पूर्व ही ‘भारत एक्सप्रेस’ मीडिया समूह की शुरुआत की है। यह मीडिया समूह हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषाओं में टीवी, डिजिटल और अखबार तीनों प्लेटफॉर्म पर जनता को अपनी सेवाएं देगा। उपेन्द्र राय का यह वेंचर टीवी के साथ-साथ अखबार और डिजिटल में खबरों के सभी पहलुओं पर जोर देगा। इस समूह के तहत 14 जनवरी 2023 को न्यूज चैनल लॉन्च किया जाना है, जिसमें दीपक चौरसिया जॉइन करने जा रहे हैं। फिलहाल चैनल ड्राई रन पर है। बता दें कि दीपक चौरसिया इससे पहले 'न्यूज नेशन' में कंसल्टिंग एडिटर के पद पर कार्यरत थे और वह पूर्व में 'दूरदर्शन', 'आजतक', 'इंडिया न्यूज' जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
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विष्णुदत्त शर्मा हम सभी को स्मरण है कि पिछले साल 15 नवंबर 2021 को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। विगत एक साल में हमने यह भी देखा है कि केंद्र की सरकार ने जनजाति समाज के हित के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। सबसे बड़ा फैसला यह लिया कि जनजातीय समाज से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को देश का राष्ट्रपति बनाया गया। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की इच्छाशक्ति के कारण आजादी के 70 साल बाद पहली बार देश के सर्वोच्च पद पर किसी जनजातीय महिला को स्थान मिला है। वस्तुतः विगत सात दशकों में भारतीय चेतना में यह बात गहरे रूप से बैठा दी गई थी कि जनजातीय समाज पिछड़ा समाज है, इसका कोई योगदान नहीं है, इनके पास कुछ भी गौरवशाली बात नहीं है। ऐसे अनगिनत झूठ थोपे और रोपे गये, जिसके पीछे बहुत बड़ी साजिश भी थी। क्योंकि एक भोले समाज को बरगलाना बहुत सरल है। उसे व्यवस्था के विरुद्ध भड़काना भी कठिन नहीं है। इसलिए यह तथ्य सभी को समझना चाहिए कि वांमपंथी इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों ने देशभर में जनजातीय समाज को हीन-दीन बनाने व जताने के लिए हर प्रकार से षड्यंत्रपूर्वक प्रयास किये हैं। जबकि सच्चाई यह है कि भारतीय वांग्मय में हमारे वनवासी बंधुओं का महत्व और उनका योगदान हर कालखंड में रेखांकित किया गया है। उनकी महिमा, उनकी कुशलता, उन पर सर्व समाज की निर्भरता का बखान हमारे प्रचीन साहित्यों में उपलब्ध है। रामायण, महाभारत ही नहीं वेदों, उपनिषदों की ऋचाएँभी जनजाति गौरव की गाथा कहते हैं। दरअसल, भारत में जो कुछ भी हमें औद्योगीकरण से पहले दिखाई देता है, या हमने हासिल किया है, उसमें आरण्यक समुदायों का महान योगदान रहा है। वन-क्षेत्रों के आसपास बनाए गए ऐतिहासिक धरोहर भी उन्हीं की बदौलत हैं।कला-शिल्प और कौशल के अनेक विधाओं में हमारी जनजातियां निपुण रही हैं। उनकी अपनी देशज ज्ञान परंपराएँ भी हैं। परंतु देश की प्रारंभिक सरकारों ने इन पक्षों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। उन्होंने उन्हें उत्पादक समाज की बजाय उपभोक्ता समाजकी तरह ट्रीट किया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में मोदी सरकार के आगमन के बाद देश में जनजातीय समाज के प्रति एक संवेदनशील युग की शुरुआत हुई। मोदी सरकार ने जनजातियों के लिए चल रही योजनाओं को और मजबूत किया है।साथ ही जनजातीय संस्कृति एवं परंपराओं को केंद्र में रखकर बड़े कदम उठाये हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति गौरव दिवसकेरूप में मनाने का निर्णय लिया। जनजातीय गौरव के तहत सभी सरकारें उनके विविध पक्षों पर चर्चा कर रही हैं तथा अनेक प्रकार की हितकारी योजनाओं को भी क्रियान्वित कर रही हैं। जनजातीय गौरव दिवस की स्थापना के पीछे का भाव भी यही है कि जनजातीय संस्कृति में विद्यमान प्रेरक प्रसंगों को आम जनमानस भी समझे और उसे आत्मसात करे। आने वाली पीढ़ियां हमारेसमस्त जनजातीय बंधुओं के गौरवशाली पक्षों को जान सकें और उन्हें अपनी विचार-यात्रा में स्थान दे सकें। कहना होगा कि स्वाधीनता के अमृत काल में लिया गया गया यह निर्णय भारतीय लोकतंत्र का सुनहरा अध्याय है। उल्लेखनीय है भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय समाज से निकले एक ऐसे प्रतीक हैं, जिन्होंने अपने समय में उन शक्तियों के सामने अपनी आवाज बुलंद की जिनके सामने आंख उठाने वाले कुचल दिए जाते थे। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध बिरसा मुंडा ने न केवल महाआंदोलन (उलगुलान) किया अपितु अपने लोगों को स्वधर्म की ओर लौटने की बड़ी मुहिम चलाई। उस मुहिम में वे अत्यंत सफल हुए और अंग्रेजों को यह संदेश देने में सफल हुए किउनके द्वारा संचालित धर्मांतरण का धंधा अब नहीं चल सकता। भगवान बिरसा मुंडा एक सनातनी धर्मयोद्ध थे, जिन्होंने अपने समाज को परधर्मियों के चंगुल से बचाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।इस अर्थ में वे पहले जनजाति नायक हैं जिन्होंने न केवल स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी बल्कि अपने स्वधर्म की रक्षा का संघर्ष भी छेड़ा। उन्होंने चर्च द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण से अपने लोगों को बचाने के लिए सद्मार्ग अपनाया और हजारों युवाओं को धर्म की ओर वापस मोड़ा। समय की आवश्य़कता के दृष्टिगत उन्होंने लोगों को नशामुक्ति से लेकर सदाचार के धर्मप्राण मार्ग बताए जिस पर लाखों लोग चल पड़े थे। 15 नवंबर 1875 को छोटानागपुर पठार के अत्यंत गरीब परिवार में जन्मे बिरसा मुंडा ने कम आयु में अंग्रेजों की नीतियों और कार्यशैली का प्रतिकार किया। मात्र 16 साल से 25 साल की कम आयु तक उन्होंने ऐसा आन्दोलन चलाया जो भारतीय संस्कृति की रक्षा में बड़ा अध्याय है। उन्होंने आस्थागत आक्रमण को समझकर लोगों को जागरुक किया। जून 1900 में जेल में उन्हें जहर देकर मार दिया गया । प्रारंभ में मिशनरी स्कूल से पढ़े बिरसा को अंग्रेजी और हिन्दी आती थी। उनके अनेक परिजन धर्म परिवर्तित कर चुके थे, वे भी चाहते तो उस समय अंग्रेजों के संरक्षण में बड़ा ओहदा हासिल कर सकते थे। लेकिन बिरसा मुंडा में अपनी धर्मचेतना से जागृत होकर मातृभूमि की रक्षा के साथ-साथ अपनी पहचान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, इसलिए बिरसा मुंडा को लोकजगत ने भगवान का स्थान दिया। वे हमारी समस्त पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। जनजातीय समाज और संस्कृति का इतिहास अनेक गौरवशाली प्रसंगों से भरा पड़ा है। लेकिन कई दशकों तक वामपंथी इतिहासकारों ने एक विशेष परिवार और दल को गौरव का सारा श्रेय देने के लिए अनेक अध्यायों को ढक दिया। ऐसे परिदृष्य में मोदी सरकार ने बिरसा मुंडा के जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में स्थापित करके उन सभी गौरवशाली पृष्ठों का पुनरुच्चारण किया है। आज हम इस अवसर पर जनजातीय गौरव के विविध पक्षों को सामने ला सकते हैं। यह हमारे लिए स्वाभिमान का पावन पर्व है। निःसंदेह केंद्र सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय गौरव की दिशा में कई ऐसे काम किये हैं, जिसकी चर्चा यहां लंबी हो सकती है लेकिन एक तथ्य जो आज चहुंओर स्वीकार किया जा रहा है कि भाजपा सरकारों ने जनजातीय इतिहास के उन नायकोंव नायिकाओं को विमर्श की मुख्य धारा में लाने में सफलता पाई है, जिन्हें अबतक भुलाया जाता रहा।साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय प्रतिनिधित्व का भी एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ है। आज हमारे लोकतंत्र के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर उसी समाज की एक बेटी विराजमान हुईं हैं, जिनके योगदान को कई साल तक कमतर आंका जाता रहा। जनजातीय गौरव दिवस की दूसरी वर्षगांठ और राष्ट्रपति बनने के बाद पहले जनजातीय गौरव दिवस परद्रौपदी मुर्मू जी का शहडोल में आगमन भी मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय है।(लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा से सांसद हैं)
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(प्रवीण कक्कड़) 14 नवंबर को महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। उनकी जयंती को हम सब बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। ऐसे में कई बार मन में सवाल आता है कि हम और भी किसी रूप में पंडित नेहरू का जन्मदिन मना सकते थे, जैसे कि राष्ट्र निर्माता के रूप में, प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में, लोकतंत्र को मजबूत करने वाले व्यक्ति के रूप में। फिर क्यों उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में चुना गया। इस बात को समझना है तो पंडित नेहरू के उन कार्यों पर निगाह डालनी पड़ेगी जो उन्होंने भारत का प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद किये। उन्होंने सबसे ज्यादा ध्यान अगर किसी चीज पर दिया तो वह था भारत के भविष्य का निर्माण। वह भविष्य किसके लिए बना रहे थे? भारत की आने वाली नस्लों के लिए, भारत के बच्चों के लिए। भारत के बच्चे आगे चलकर एक सभ्य, सुसंस्कृत और सुशिक्षित नागरिक के तौर पर विकसित हो और एक खुशहाल मुल्क बनाएं यही पंडित नेहरू का सपना और कार्यक्रम था। उन्होंने पहला काम यह किया कि भारत का कोई बच्चा भूखा ना रहे। आजादी के समय भारत में बड़े पैमाने पर भुखमरी की स्थिति थी और देश खाद्यान्न के भारी संकट से जूझ रहा था। ज्यादा उपज बढ़ाने के लिए पंडित नेहरू ने बड़े बांध और सिंचाई पर पूरा ध्यान लगा दिया। पंडित नेहरू ने सन 1955 तक भारत में सिंचित जमीन का इतना नया रकबा जोड़ दिया था जितना कि उस समय अमेरिका में कुल सिंचित क्षेत्र था। अपने शासन के 17 वर्ष में वह भारत को खाने के सामान की आत्मनिर्भरता की दहलीज तक ले आए थे और बाकी का काम लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में पूरा हुआ। दूसरा महत्वपूर्ण काम उन्होंने बच्चों के लिए यह किया है कि देश में शिक्षा के विश्वस्तरीय संस्थानों की स्थापना की। यह संस्थान सरकारी पैसे से बनाए गए और यहां पढ़ाई लगभग मुफ्त रही, लेकिन संस्थानों के प्रबंधन में सरकार का हस्तक्षेप ना के बराबर रहा। असल में पंडित नेहरू चाहते थे की ज्ञानी और विद्वान लोग अपने अनुसार संस्थानों को चलाएं और वहां बेवजह बाबूशाही हावी ना हो। भारत के सभी प्रमुख आईआईटी, आईआईएम, ऐम्स आदि संस्थान के निर्माण करने का श्रेय सीधे-सीधे पंडित नेहरू को ही जाता है। हम सब देखते हैं कि आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी वही संस्थान देश में सर्वश्रेष्ठ हैं जो पंडित नेहरू ने बनाए। इससे पता चलता है कि उन्होंने जो भी काम किया, बहुत ठोस ढंग से किया और भविष्य को निगाह में रखकर किया। बच्चों के प्रति इसी लगाव के कारण उन्हें पूरा देश चाचा नेहरू कहता था। यह चाचा नेहरु का ही विजन था कि आप देखें तो जो भी संस्थान या अन्य चीजें उन्होंने बनाई उनमें बड़े-बड़े खेल के मैदान, कसरत करने के स्थान, टहलने के लिए खूब सारी जगह जरूर मिलेगी। पंडित जी को पता था कि बच्चे एक खुशहाल और खुले वातावरण में ही अपना संपूर्ण विकास कर सकते हैं चारदीवारी की बंदिशों में बुद्धि अपनी असीमित क्षमताओं का पूरा प्रदर्शन नहीं कर पाती। जिस समय नेहरू जी देश के प्रधानमंत्री बने तब देश में उच्च शिक्षा की व्यवस्था तो बहुत कम थी ही साथ ही प्राथमिक शिक्षा भी ना के बराबर थी। नेहरू जी ने यह सुनिश्चित किया कि गांव-गांव में प्राथमिक विद्यालय खुल जाएं और बच्चे वहां तालीम हासिल कर सकें। शिक्षा के माध्यम को लेकर भी बहुत ज्यादा सजग थे। आजादी के पहले उच्च शिक्षा का माध्यम तो सिर्फ अंग्रेजी था। वहीं स्कूली शिक्षा या तो अंग्रेजी में या फिर फारसी प्रभाव वाली उर्दू में दी जाती थी। नेहरू जी ने सिद्धांत स्थापित किया है कि किसी भी स्थिति में बच्चे को प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में ही दी जाए। उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर उत्तर भारत के बहुत से परिवार किसी दूसरी भाषा की प्रमुखता वाले महानगर में रहते हैं तो वहां भी इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि हिंदी भाषी परिवारों के बच्चों के लिए हिंदी में शिक्षा का इंतजाम हो। वह अंग्रेजी के शत्रु नहीं थे लेकिन मातृ भाषाओं में पढ़ाई के कट्टर समर्थक थे। अभी एक 2 साल पहले भारत की जो नई शिक्षा नीति आई है उसमें भी पंडित जवाहरलाल नेहरु कि इसी दृष्टि को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है। पंडित नेहरू और बच्चों से उनके प्यार के बारे में बहुत सी बातें कही जा सकती हैं लेकिन यहां मैं पंडित नेहरू का वह भाषण याद दिलाना चाहता हूं जो उन्होंने आईआईटी खड़गपुर जो कि देश की पहली आईआईटी थी उसके पहले दीक्षांत समारोह के वक्तव्य में दिया था। नेहरू जी ने आईआईटी के पहले बैच के नौजवान इंजीनियरों से कहा था कि आप लोग यहां से पास होकर जा रहे हैं। इंजीनियर बन रहे हैं। जाहिर है? आप लोग एक सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे। आपके सामने आर्थिक संकट नहीं होंगे। आप अच्छी घर गृहस्थी बनाएंगे और सुख से रहेंगे। लेकिन अगर आप समझते हैं कि यही करना इस आईआईटी में पढ़ने का मकसद है तो फिर आपका पढ़ना बेकार है। आप यहां से जाइये और नए हिंदुस्तान का निर्माण करिए। ऐसे भी बहुत से देश हैं जो भारत से भी ज्यादा पिछड़े हैं, हम चाहते हैं कि अपने देश के साथ ही उन पिछड़े देशों को आगे बढ़ाने में भी आप अपने हुनर का परिचय दें। फिर नेहरु जी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि "आदमी बड़ा नहीं होता है, काम बड़ा होता है। छोटा आदमी भी बड़े काम से जुड़ जाता है तो उसके ऊपर बड़प्पन के कुछ छींटे पड़ जाते हैं। तो जाइए और आपने सामने जिंदगी में कोई बड़ा लक्ष्य रखिए और उसे पूरा करने में अपना जीवन समर्पित करिए।" पंडित नेहरू कि यह वह सोच है जिसके कारण उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। बच्चों को लाड़ दुलार और प्यार तो हर मां-बाप और चाचा कर सकता है, लेकिन बच्चों का भविष्य गढ़ना और उनके माध्यम से भारत माता का नाम ऊपर करने का सपना देखना पंडित नेहरू ही कर सकते हैं। इसीलिए वह देश के चाचा नेहरू हैं और उनका जन्म दिवस बाल दिवस।
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अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग को लेकर ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) की नई गाइडलाइंस ने इवेंट्स के लाइव टेलिकास्ट की प्रोसेसिंग फीस को लेकर ब्रॉडकास्टर्स की चिंता बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह खबर निकलकर सामने आई है। बता दें कि वर्तमान में प्रोसेसिंग फीस एक लाख रुपये है और ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि वह इसमें छूट की उम्मीद कर रहे थे। इन रिपोर्ट्स में इंडस्ट्री लीडर्स के हवाले से कहा गया है कि अब प्रत्येक खेल आयोजन (Sports Event) के लिए उन्हें चार करोड़ से पांच करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, चार बड़े ब्रॉडकास्टर्स प्रोसेसिंग फीस में छूट के लिए सरकार के समक्ष याचिका भेज सकते हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में देश में टीवी चैनल्स के लिए अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग की नई गाइडलाइंस जारी की हैं। दरअसल, 11 साल बाद पुरानी गाइडलाइंस में संशोधन कर इसे जारी किया गया है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने इससे पहले वर्ष 2011 में गाइडलाइंस जारी की थीं।
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- कीर्तनकारियों का सम्मान करने के बाद बोले भाजपा प्रवक्ता भोपाल। कमलनाथ और जगदीश टाइटलर के इशारे पर हजारों सिखों को रातों रात घर से निकालकर कत्ल कर दिया गया। किसी के गले में जलते हुए टायर डाले गए, तो किसी को हथियारों से निर्ममता पूर्वक कत्ल कर दिया गया। ऐसे नरसंहार के जख्म आज भी सिख समाज के दिलों में ताजा है और इन्हें एक बार फिर ताजा करने का काम कमलनाथ ने किया है। यह बात भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने बुधवार को ईदगाह हिल्स स्थित टेकरी साहिब गुरुद्वारे में कीर्तनकारी कुलविंदर सिंह, जसपाल सिंह और गुरप्रीत सिंह का सम्मान करने के बाद कही। दरअसल भाजपा प्रवक्ता इंदौर में कीर्तनकारी मनप्रीत सिंह कानपुरी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कड़ा विरोध करने के बाद टेकरी साहिब गुरुद्वारे पहुंचे थे। मुगलों के अत्याचारों से कराया मुक्त : भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सिख समाज हमेशा ही देश को नई दिशा दिखाता आया है। मुगल आक्रांता औरंगजेब के अत्याचारों से जब पूरा देश कांप रहा था। तब सिख समाज ने उनका कड़ा विरोध किया था। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अत्याचार भी सिख समाज को नहीं डरा सके। ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद सिख समाज के लोगों की निर्मम हत्याएं दो ऐसी घटनाएं हैं, जिन्होंने कांग्रेस की सिख विरोधी मानसिकता को उजागर किया है। डॉ. केसवानी ने कहा कि समय के साथ कई लोग कांग्रेस के इन अत्याचारों को भूल गए, लेकिन मंगलवार को इंदौर के खालसा काॅलेज में आयोजित गुरुनानक जयंती के कार्यक्रम में सिख दंगों के आरोपी कमलनाथ के सत्कार से कीर्तनकारी मनप्रीत सिंह कानपुरी ने लोगों को जागरूक करने का काम किया है। इसे उनके विरोध से ज्यादा लोगाें को जागरूक करने वाला संदेश माना जाना चाहिए। यह है मामला : इंदौर के खालसा कॉलेज में गुरुनानक जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के सत्कार से कीर्तनकारी मनप्रीत सिंह कानपुरी नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि जिनके इशारे पर हजारों सीखों का कत्ल हुआ। उनके घर दुकान जला दिए गए। उनका यहां सम्मान हो रहा है। इसके बाद उन्होंने गुरु गोविंद सिंह की कसम खाते हुए कहा कि आज के बाद वे कभी भी इंदौर नहीं आएंगे। कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और संजय शुक्ला भी मौजूद थे।
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प्रवीण कक्कड़ सिख समाज के संस्थापक गुरूनानक देव जी का 553वां प्रकाश पर्व मंगलवार को मनाया जाएगा। यह प्रकाश पर्व हमें निःस्वार्थ सेवा का संदेश देता है। गुरूनानक देव जी ने भूखे संतों को भोजन कराने से सेवा के जिस बीज को बोया था, उसे अन्य गुरूओं ने अपने उपदेशों से मजबूत किया और दशमेश पिता तक आते-आते सेवा का यह वृक्ष पूरी तरह समृद्ध हो गया। आज पूरे विश्व में सिख समाज को उसकी सेवा भावना के लिए जाना जाता है। जीवन मूल्यों में संस्कारों का बड़ा महत्व है। ऐसा ही एक संस्कार है सेवा का भाव। नि: स्वार्थ भाव से यथासंभव जरूरतमंद की मदद करना, सेवा करना हमारे संस्कारों की पहचान कराता है। तन, मन और वचन से दूसरे की सेवा में तत्पर रहना स्वयं इतना बड़ा साधन है कि उसके रहते किसी अन्य साधन की आवश्यकता ही नहीं रहती। क्योंकि जो व्यक्ति सेवा में सच्चे मन से लग जाएगा उसको वह सब कुछ स्वत: ही प्राप्य होगा जिसकी वह आकांक्षा रखता है। दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा का भाव रखना ही जीवन में कामयाबी का मूलमंत्र है। नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा से किसी का भी हृदय परिवर्तन किया जा सकता है। हमें अपने आचरण में सदैव सेवा का भाव निहित रखना चाहिए, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हुए कामयाबी के मार्ग पर अग्रसर हो सकें। सेवा भाव ही मनुष्य की पहचान बनाती है और उसकी मेहनत चमकाती है। सेवाभाव हमारे लिए आत्मसंतोष का वाहक ही नहीं बनता बल्कि संपर्क में आने वाले लोगों के बीच भी अच्छाई के संदेश को स्वत: उजागर करते हुए समाज को नई दिशा व दशा देने का काम करता है। जैसे गुलाब को उपदेश देने की जरूरत नहीं होती, वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। उसकी खुशबू ही उसका संदेश है। ठीक इसी तरह खूबसूरत लोग हमेशा दयावान नहीं होते, लेकिन दयावान लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं, यह सर्वविदित है। सामाजिक, आर्थिक सभी रूपों में सेवा भाव की अपनी अलग-अलग महत्ता है। बिना सेवा भाव के किसी भी पुनीत कार्य को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सकता। सेवा भाव के जरिए समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से समाप्त करने के साथ ही आम लोगों को भी उनके सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक किया जा सकता है। असल में सेवा भाव आपसी सद्भाव का वाहक बनता है। जब हम एक-दूसरे के प्रति सेवा भाव रखते हैं तब आपसी द्वेष की भावना स्वत: समाप्त हो जाती है और हम सभी मिलकर कामयाबी के पथ पर अग्रसर होते हैं। सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें। प्रकाश पर्व गुरूनानक देवजी की शिक्षाओं व उनकी निस्वार्थ सेवा के अनुसरण करने का दिन है। इस दिन गुरूग्रंथ साहिब को शीश नवाने के साथ ही कीर्तन और लंगर के आयोजन होंगे। इन लंगरों में हर जाति, पंथ, वर्ग के लोग एकसाथ भोजन करेंगे जो हमारी एकता और निस्वार्थ भावना का प्रतीक है। गुरूनानक देव के उपदेशों को अगर हम समझने का प्रयास करें तो उसमें मानवसेवा को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। यह उपदेश भारतीय संस्कृति की मूल भावना में निहित हैं। इस भावना ने न केवल देश और विश्व के उत्थान में योगदान दिया है बल्कि भेदभाव से उपर उठकर मानवता की सेवा की है। विश्व के विभिन्न भागों में सिख समाज द्वारा की जा रही मानव सेवा इसका उदाहरण है। बॉक्स गुरूनानक देवजी गुरूनानक देवजी का जन्म 1469 की कार्तिक पूर्णिमा पर ग्राम तलवंडी, पंजाब में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में है। वे सिख समाज के पहले गुरू थे। उन्होंने ही इस समाज की नींव रखी। गुरूनानक देव का जन्मदिन हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर प्रकाशपर्व के रूप में मनाया जाता है। उन्हें बाबा नानक और नानक शाह के नाम से भी पूजा जाता है। उनके उपदेशों में हमेशा नैतिकता, मेहनत, सच्चाई और सेवा भाव के संदेश रहे। उन्होंने विश्व को सांप्रदायिक एकता, शांति और सदभाव का संदेश भी दिया। 22 सितंबर 1539 को गुरूनानक देवजी का निर्वाण हुआ। जहां अब ननकाना साहिब गुरुद्वारा है। जो पूरे विश्व में उनके अनुयायियों की आस्था का केंद्र है।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विशेष कारणों का खुलासा किए बिना ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर मलयालम न्यूज चैनल ‘मीडिया वन’ पर लगाए प्रतिबंध को लेकर केंद्र सरकार से सवाल-जवाब किए। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि 'मीडिया वन' को सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने के क्या कारण हैं और उन कारणों का खुलासा क्यों नहीं किया जा सकता है? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि एक आपराधिक मामले में आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की जाती है और आरोप कितने भी संवेदनशील क्यों न हों, उन्हें आरोपी को बताया जाता है। पीठ ने आगे कहा कि वर्तमान मामले में अभी तक आपराधिकता ही नहीं बताई गई है, यहां तक कि चार्जशीट की प्रक्रिया तक भी नहीं पहुंचे हैं और यहां आप सुरक्षा मंजूरी से इनकार कर रहे हैं। पीठ ने केएम नटराज से कहा, ‘उन्हें (मीडिया वन की पैरेंट कंपनी माध्यमम को) कम से कम यह मालूम होना चाहिए कि यहां राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या उल्लंघन हुआ था। आप अपनी जानकारी के स्रोतों की रक्षा कर सकते हैं, लेकिन वह कौन-सी जानकारी थी जिसके कारण आपको सुरक्षा मंजूरी से इनकार करना पड़ा? मान लीजिए, आपको जानकारी मिली थी कि कोई अंतरराष्ट्रीय हवाला लेनदेन में शामिल था, या उसके नापाक जुड़ाव थे या फिर इसका स्वामित्व एक शत्रु देश के नागरिकों के हाथों में था... आपको स्वाभाविक तौर पर इसका खुलासा करना होगा।’ पीठ ने कहा कि मीडिया हाउस के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें पिछले 10 वर्षों में किए गए निवेश शामिल है, बीते एक दशक में बनाई उनकी प्रतिष्ठा जोखिम में है, लोगों को रोजगार दिया गया है। इस तरह से वे पिछले 10 सालों से चले आ रहे हैं, लिहाजा उनके लिए नवीनीकरण जरूरी है। अदालत ने यह भी जताया कि चैनल को जानने का मौका दिए बिना कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सामग्री दिया जाना भी अनुचित था। मीडिया संस्थान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और अधिवक्ता हैरिस बीरन ने तर्क दिया कि स्वतंत्र भाषण और प्रेस पर प्रतिबंध ‘संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत उचित प्रतिबंध’ के दायरे में आना चाहिए। दवे ने कहा कि अदालत को इस तरह के प्रतिबंधों की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अन्यथा, कोई भी मीडिया या प्रकाशन सुरक्षित नहीं है। किसी को कभी भी बंद किया जा सकता है। बता दें कि सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने 30 सितंबर, 2011 को माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा शुरू किए गए ‘मीडिया वन’ टीवी के लिए प्रसारण की अनुमति दी थी, लेकिन दस साल बीत जाने के बाद यह अनुमति 29 सितंबर, 2021 को समाप्त हो गई थी। लेकिन कंपनी अनुमति समाप्त होने से पहले यानी मई, 2021 में अगले 10 साल के लिए इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। लेकिन 29 दिसंबर 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देते हुए सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मंत्रालय ने इस साल 5 जनवरी को एक नोटिस जारी कर चैनल को यह बताने के लिए कहा था कि सुरक्षा मंजूरी से इनकार के मद्देनजर नवीनीकरण के लिए उसके आवेदन को खत्म क्यों नहीं किया जाना चाहिए? इसके बाद मंत्रालय ने 31 जनवरी, 2022 को न्यूज चैनल के प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने ‘मीडिया वन’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने वाले केंद्र के 31 जनवरी के फैसले पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। सरकार का कहना था कि 10 साल की और अवधि के लिए प्रसारण अनुमति के नवीनीकरण के लिए गृह मंत्रालय से सत्यापन और मंजूरी की जरूरत है। इसने कहा था कि एक टीवी चैनल के लिए अनुमति का नवीनीकरण अधिकार का मामला नहीं था। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने जवाब में कहा था, ‘टीवी चैनल के लिए अनुमति का नवीनीकरण किसी कंपनी के अधिकार का मामला नहीं है और इस तरह की अनुमति केवल अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों और अन्य प्रासंगिक वैधानिक ढांचे के तहत निर्धारित कुछ पात्रता शर्तों को पूरा करने पर ही दी जाती है।’
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जाने-माने पत्रकार सुदेश तिवारी ने अपनी नई पारी ‘भारत एक्सप्रेस’ मीडिया समूह के साथ शुरू की है। उन्होंने यहां पर बतौर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और ग्रुप एडिटर जॉइन किया है। पत्रकारिता का सफर इंदौर से शुरू करने वाले सुदेश तिवारी को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। अपने अब तक के करियर में वह तमाम मीडिया समूहों में ब्यूरो चीफ से लेकर संपादक तक की भूमिकाएं निभा चुके हैं।बता दें कि ‘भारत एक्सप्रेस’ से पहले सुदेश तिवारी ‘सहारा समय’ (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) में चैनल हेड के पद पर कार्यरत थे। सुदेश तिवारी ‘भारत एक्सप्रेस’ मीडिया समूह के चेयरमैन, सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय के बेहद करीबी और विश्वसनीय माने जाते हैं। उपेन्द्र राय के ही नेतृत्व और मार्गदर्शन में सुदेश तिवारी ने ‘सहारा समय’ (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) की कमान संभाली थी। जब उपेन्द्र राय ने ‘सहारा इंडिया’ न्यूज नेटवर्क छोड़ा तो सुदेश तिवारी ने भी उनके साथ ही सहारा को अलविदा कह दिया था।मूल रूप से रायबरेली (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले सुदेश तिवारी लंबे समय से इंदौर (मध्य प्रदेश) में रह रहे हैं। सुदेश तिवारी राजनीति से जुड़ी एक्सक्लूसिव खबरों के लिए भी जाने जाते हैं। यही कारण यह है कि प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ कॉरपोरेट जगत में भी उनकी मजबूत पैठ है। अपने लंबे पत्रकारिता जीवन में सुदेश तिवारी को तमाम अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।पत्रकारिता का सफर इंदौर से शुरू करने वाले सुदेश तिवारी ने बहुत ही कम समय में राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय पत्रकारिता में भी अपनी विशेष छाप छोड़ी है।
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युवा पत्रकार अंजीत श्रीवास्तव ने मीडिया में अपने नए सफर का आगाज किया है। उन्होंने हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’में बतौर डिप्टी एडिटर/एंकर जॉइन किया है। बता दें कि ‘न्यूज नेशन’ में यह उनकी दूसरी पारी है। अंजीत इससे पहले ‘न्यूज18 इंडिया’में बतौर एंकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। अंजीत को मीडिया में काम करने का करीब दस साल का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ’साधना न्यूज’ मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ से की थी। फिर वह कुछ समय के लिए ‘4 Real News’ में भी रहे। बाद में उन्होंने यहां से बाय बोल दिया और ‘न्यूज नेशन’ आ गए, जहां वह इस चैनल के प्राइम टाइम शो ‘सबसे बड़ा मुद्दा‘ को होस्ट करते थे। इसके बाद वह ‘जी मीडिया’ से जुड़ गए और करीब सवा साल तक ‘जी हिन्दुस्तान’चैनल में बतौर न्यूज एंकर अपनी पारी खेली। ‘जी हिन्दुस्तान’ में वह ’दस का दंगल’ शो होस्ट करते थे। इसके बाद यहां से बाय बोलकर वह ‘न्यूज18 इंडिया’ होते हुए अब फिर ‘न्यूज नेशन’ पहुंचे हैं। मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले अंजीत श्रीवास्तव ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से अंजीत श्रीवास्तव को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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नेटवर्क18’ के यूपी/उत्तराखंड में बतौर एंकर काम कर रहीं युवा पत्रकार आरजू साईं ने यहां से अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने अब अपनी नई पारी की शुरुआत ‘एनडीटीवी’ (NDTV) के साथ की है। यहां पर उन्होंने नेशनल ब्यूरो में बतौर एंकर और कॉरेस्पॉन्डेंट जॉइन किया है।मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की रहने वालीं आरजू साईं को मीडिया में काम करने का करीब पांच साल का अनुभव है। ‘नेटवर्क18’ में अपनी पारी के दौरान आरजू ने कई मौकों पर फील्ड रिपोर्टिंग के साथ-साथ बड़े मीडिया इवेंट्स को भी कवर किया है।‘नेटवर्क18’ (यूपी/उत्तराखंड) से पहले वह हैदराबाद में ‘नेटवर्क18‘ के राजस्थान चैनल में एंकर के रूप में काम कर रही थीं। ‘नेटवर्क18‘ से पहले आरजू ने करीब तीन साल ‘ETV भारत‘ में दिल्ली डेस्क पर एंकरिंग और स्क्रिप्ट राइटिंग का काम किया है। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला से पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुकीं आरजू को कविताएं लिखने और पढ़ने का बहुत शौक है। इनकी कई कविताएं इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लोकप्रिय रही हैं। इसके अलावा वह देश से जुड़े तमाम मुद्दों पर सोशल मीडिया पर बेबाकी से अपनी राय रखती हैं
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यह कन्यायें अपने त्याग, तपस्या और सेवा से अनेकों के जीवन परिवर्तन के लिए निमित्त बनेगी। 'स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन' का मंत्र जीवन में धारण करने वाली यह शिव शक्तियां अनेकों के कल्याण का कारण बनेगी। यही वह चैतन्य ज्ञानगंगायें हैं जो भोपाल ही नहीं वरन सारे विश्व के जन जन के मन को पावन बनाने का पुनीत कार्य करेंगी, यह कहना था लंदन से पधारी ब्रह्मा कुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका, संस्थान के विदेश स्थित शाखाओं की समन्वयक एवं विश्व स्तरीय वृक्षारोपण अभियान कल्पतरुह की निर्देशिका परम श्रद्धेय राजयोगिनी जयंती दीदी का। इस भावपूर्ण कार्यक्रम में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। चारों ही कन्याओं ने समर्पण की प्रतिज्ञा की। ब्रह्मा कुमारीज सुख शांति भवन की संचालिका बीके नीता दीदी ने समर्पण की प्रतिज्ञा का वाचन किया। और समर्पित होने वाली कन्याओं ने उसको दोहराया। उसके बाद कन्याओं के अभिभावकों को मंच पर बुलाया गया। उन्होंने तथा बीके नीता दीदी ने कन्याओं का हाथ आदरणीय राजयोगिनी बीके जयंती दीदी जी के हाथ में दिया। उसके बाद चारों कन्याओं को ईश्वरीय सौगात प्रदान की गई। इस भाव पूर्ण माहौल को और खुशनुमा बनाया सुपरस्टार सिंगर फेम मास्टर प्रत्युष तथा डॉ दिलीप नलगे के गीतों ने। दिल्ली से पधारे ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त मुख्य सचिव बृजमोहन भाई जी ने आशीर्वचन प्रदान किए। तथा मुख्यालय माउंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमारीज के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई जी ने चारों कन्याओं को तथा उपस्थित सभी को श्रेष्ठ कर्मों का महत्व बताकर प्रेरित किया। ब्रह्मा कुमारीज भोपाल जोन की निर्देशिका अवधेश दीदी ने सभी कन्याओं को ईश्वरीय उपहार प्रदान किए। कार्यक्रम का सूत्र संचालन वरिष्ठ राजयोगिनी बीके शैला दीदी ने किया।
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-भूपेन्द्र गुप्ता मध्यप्रदेश में महात्मा गांधी जब सबसे पहले 1918 में इंदौर हिंदी सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए थे तब उन्होंने घोषणा की थी कि देश की राष्ट्रभाषा बनने की शक्ति केवल हिंदी में है किंतु इसे लागू करने के लिए हमें देवनागरी लिपि और देश की अन्य भाषाओं की लिपि में समानता खोजनी पड़ेगी। इसके लिए गांधी जी ने काका कालेलकर की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई थी जिसका सचिव उन्होंने अपने पुत्र देवदास को बनाया था ताकि भारत की विभिन्न भाषाओं और लिपि में समानता खोजी जा सके और हिंदी की देवनागरी लिपि को सर्वग्राही बनाने के लिए आसानी हो सके। मातृभाषा से प्रेम की यह यात्रा लगभग 104 साल पुरानी है। मध्यप्रदेश में विश्व में पहली बार कुछ करने के काम का नशा तारी है और इसी उत्तेजना में जो प्रयोग हो रहे हैं उनमें से एक चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई हिंदी में करवाने का संकल्प भी है। भावनात्मक दृष्टि से यह बात उचित दिखाई पड़ती है किंतु व्यवहारिक रूप से यह एक आत्मघाती कदम है। मध्य प्रदेश में ये सारे प्रयोग लगभग 40 साल पुराने हैं किंतु इनमें सफलता ना मिल पाने के कारण बार-बार यह प्रयास छात्रों के लिए नुकसानदेह साबित होते रहे हैं ।यहां यह विचारणीय होगा कि 50 बरस पहले से यह प्रयोग मेडिकल कॉलेज के स्तर पर बार-बार हुए हैं। प्रोफेसर डॉक्टर के पी मेहरा जो कि गांधी मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी विषय के विभागाध्यक्ष थे उन्होंने इस पर बहुत काम किया था लेकिन जब वे कोशिश हार गए तो उन्होंने मेडिकल कॉलेज में ही हिंदी भाषायी छात्रों के लिए अंग्रेजी की कोचिंग की स्पेशल क्लास लगानी शुरू कीं। इन कक्षाओं को मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर लाल और डॉक्टर पारखी पढ़ाया करते थे। कांग्रेस की सरकार में हिंदी ग्रंथ अकादमी के माध्यम से कई विषयों पर काम शुरू किया गया कंप्यूटर साइंस के ऊपर कई पुस्तकों का हिंदी करण डॉक्टर संतोष चौबे ने किया किंतु वह भी प्रारंभिक शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पाया। टेक्स्ट की किताबें प्रतिवर्ष नए विज्ञान, नई फार्मोकोलॉजी ,नए साल्ट्स की खोज, नई डायग्नोस्टिक एप्लीकेशन आदि के कारण निरंतर बदलती रहती हैं ।आधी अधूरी तैयारी से अगर ये कोर्स शुरू किए जाते हैं तो यह मध्य प्रदेश के छात्रों के लिए आत्मघाती कदम ही होगा। पूर्व में अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा इंजीनियरिंग के कोर्स हिंदी माध्यम में शुरू किए गए थे किंतु अपेक्षित विकास ना हो पाने के कारण वह परवान नहीं चढ़ सके अंततः कोर्स बंद हो गए। जिन 8-10 छात्रों ने प्रवेश लिया था उनके कई वर्ष व्यर्थ हुए। राजनैतिक कारणों से एकेडमिक्स और करिकुलम में दखलअंदाजी भाव जगाने के लिए और वोट बैंक बनाने के लिए उत्तेजक लग सकती है किंतु आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में मध्यप्रदेश के बच्चों को निश्चित रूप से ऐसे प्रयोग पीछे की पंक्ति में खड़ा कर देंगे ।बहुत संभव है कि जैसा कई बरस पहले कई निजी नौकरियों में नोट लिखा रहता था कि मध्य प्रदेश के बच्चे आवेदन ना करें ।आज इस तरह के प्रयोग फिर से ऐसी परिस्थिति भी पैदा कर सकते हैं। किसी भी सरकार के जहन में पहला सवाल यह आना चाहिए कि जब प्रदेश में इंजीनियरिंग का कोर्स असफल हो चुका है 35 वर्ष से जो भाषागत प्रयोग हो रहे हैं वे सफल नहीं हो सके हैं। तब संपूर्ण कोर्स तैयार हुए बिना दो तीन किताबों के आधार पर ऐसी पढ़ाई शुरू करना मजाक ही कहा जाएगा ।ऐसा बताया जा रहा है कि फार्मोकोलॉजी, वायो टेक्नोलॉजी एवं एनाटॉमी में ही पुस्तकें अब तक तैयार की जा सकी हैं ।तो बाकी विषयों का क्या होगा? क्या सरकार ने यह विचार किया है कि ऐसा कोर्स करने के बाद प्रदेश के जो बच्चे दूसरे राज्यों से पीजी करना चाहेंगे उनके साथ क्या व्यवहार होगा? वर्तमान में जिन छात्रों ने नीट की परीक्षा दी है वे असमंजस में हैं कि जिस कॉलेज में उन्होंने चॉइस फिलिंग की है अगर वहां हिंदी में पढ़ाई की गई तो उन्हें अपनी पसंद बदलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा ।उनका विचार है कि सरकार को नीट परीक्षा के पहले ही यह बात घोषित करनी चाहिए थी कि अमुक-अमुक कॉलेजों में हिंदी में शिक्षा दी जाएगी। तो छात्र अन्य कालेजों को वरीयता देते किंतु यह उन विद्यार्थियों को जो किसी पसंद के कॉलेज से एमबीबीएस ही करना चाहते हैं किंतु अंग्रेजी माध्यम से, ऐसे छात्रों को मजबूरन अपनी पसंद का कालेज बदलना पड़ सकता है।यह उनकी रैंकिंग और मेरिट के साथ अन्याय ही होगा। पूरे विश्व में 'श्री हरि'के साथ दवाई हिंदी में लिखने का सरकारी सुझाव मजाक का विषय बना हुआ है।डाक्टर्स परेशान हैं कि चमड़े के सिक्के चलाने के पहले सभी डिनामिनेशन के सिक्के तैयार किये बिना ही सब कुछ बदला जा रहा है।सभी असहाय तो जरूर हैं पर क्या कर सकते हैं।ट्रेन तो तुगलकाबाद की तरफ चल पड़ी है। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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इस सभागार के माध्यम से भोपाल ही नहीं, देश- विदेश के जनमानस की भी सेवा होगी- जयंती दीदी भोपाल के इतिहास में इस सभागार का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। यहां आकर सबको सुख शांति की अनुभूति होगी। भोपाल ही नहीं, लेकिन देश विदेश के जनमानस की भी इस सभागार के माध्यम से सेवा होगी। भोपाल शहर के गौरव को बढ़ाने में यह मील का पत्थर साबित होगा। यहां से निकलने वाले ऊर्जा के सकारात्मक प्रकंपन जन-जन के जीवन की दशा और दिशा बदलने में कारगर सिद्ध होंगे। यह कहना था ब्रह्मा कुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका, संस्थान के विदेश स्थित शाखाओं की समन्वयक एवं विश्व स्तरीय वृक्षारोपण अभियान कल्पतरूह की निर्देशिका परम श्रद्धेय राजयोगिनी जयंती दीदी का। और मौका था ब्रह्मा कुमारीज सुख शांति भवन में नवनिर्मित अनुभूति सभागार के भव्य उद्घाटन का। कार्यक्रम का प्रारंभ कुमार कुशाग्र गुप्ता के निपुण तबला वादन से हुआ। अतिथियों द्वारा रिबन कटिंग से सभागार का उद्घाटन हुआ तथा दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम शुरू हुआ। पौधों द्वारा तथा पट्टा एवं पगड़ी पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया गया। ब्रह्मा कुमारीज भोपाल जोन की निर्देशिका राजयोगिनी अवधेश दीदी ने अपने मधुर वचनों से सबका स्वागत किया। स्वागत गीत डॉ दिलीप नलगे तथा स्वागत नृत्य हर्षिता, दिशा, सौम्या, सिमरन तथा अक्षया केशवानी ने किया। कार्यक्रम में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग के निदेशक श्री पुरुषोत्तम धीमान, मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर अनिल कोठारी, दैनिक स्वदेश के मालिक श्री अक्षत शर्मा, उद्योग, लघु उद्योग के प्रमुख सचिव एवं कमिश्नर श्री पी नरहरि जी आदि मेहमान उपस्थित थे। दिल्ली से पधारे ब्रह्मा कुमारीज के अतिरिक्त मुख्य सचिव आदरणीय राज योगी बृजमोहन भाई जी ने सबको आशीर्वचन प्रदान किए। मुख्यालय माउंट आबू से पधारे हुए ब्रह्माकुमारीज के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई जी ने अपने छोटे से उद्बोधन में सभागार के भविष्य के उपयोग की दृष्टि से अनेक दिशा निर्देश तथा प्रेरणायें प्रदान की। जयंती दीदी जी ने अपने उद्बोधन के पश्चात सबको राजयोग मेडिटेशन की अनुभूति द्वारा गहन शांति का अनुभव कराया। सुपरस्टार सिंगर फेम मास्टर प्रत्यूष ने बहुत ही सुंदर गीत गाकर कार्यक्रम का समा बांधा।कार्यक्रम का सूत्र संचालन सीधी से पधारी यूथ विंग की जोनल कोऑर्डिनेटर बीके रेखा दीदी ने किया। आभार प्रदर्शन ब्रम्हाकुमारीज़ सुख शांति भवन की डायरेक्टर बीके नीता दीदी ने किया।
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राष्ट्र गौरव की बात में कमी निकालती है कांग्रेस, बाहर के लोगों को बुलाकर करते हैं यात्रा बड़ी मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब भी राष्ट्र के गौरव की बात आएगी कांग्रेस उसमें मीन मेख निकालेगी इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा पर भी निशाना साधा | मध्यप्रदेश में हर दिन डेंगू का ख़तरा बढ़ता जा रहा हैं डेंगू पीड़ित मरीजों की रफ्तार हर दिन बढ़ती जा रही है डेंगू के कारण भोपाल में भी एक नर्स की मौत हो गई है सरकार के प्रवक्ता डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा डेंगू के प्रकोप को देखते हुए सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों को एहतियात बरतने और समुचित उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं | गृह मंत्री मिश्रा ने कहा कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में स्थानीय लोगों की भागीदारी ना के बराबर है कांग्रेसी बाहर के लोगों को बुलाकर यात्रा को बड़ी करते हैं हमारी पार्टी चुनाव को ध्यान में रखकर कोई कार्य नहीं करती बल्कि हमारी पार्टी सिर्फ विकास को दृष्टिगत रखते हैं कार्य करती है जब भी राष्ट्र के गौरव की बात आएगी कांग्रेस उसमें मीन मेख निकालेगी उन्होंने कहा केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व में हमारा देश नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहा है और मध्यप्रदेश भी उसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है केंद्रीय नेतृत्व का मध्य प्रदेश को लगातार सौगातों की झड़ी लगाने के लिए आभार प्रधानमंत्री जी केंद्रीय गृह मंत्री जी लगातार मध्य प्रदेश को सौगात दे रहे हैं |
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अनुराग उपाध्याय भोपाल में एक पत्रकारों का ऐसा गैंग सक्रिय है जो गाहे बगाहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कुर्सी से हटाता रहता है। इस गैंग की कोशिश रहती है कि कैसे भी नेताओं और अफसरों पर दबाव बना के अपना उल्लू सीधा किया जाए। इस गैंग ने हाल ही में मध्यप्रदेश में बड़े राजनैतिक फेबदल की खबरे फैलाई और उसके बाद कहा कि मध्यप्रदेश में बदलाव की शुरुवात भाजपा भोपाल के अध्यक्ष सुमित पचौरी को हटा के हो रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कार में बैठकर सुमित पचौरी से इस्तीफ़ा लिखवा लिया है और न जाने क्या क्या ? लेकिन जब इन मामलों की तह में जाओ तो पता चलता है ये सब सच्चाई से कोसों दूर है। अफवाह क्रियेटर गैंग के लोगों का मुख्य धंधा इधर की उधर करना है। कांग्रेस दफ्तर से भाजपा ,भाजपा दफ्तर से कांग्रेस और फिर जनसम्पर्क विभाग में जाकर इनकी ख़बरें अस्त हो जाती हैं। फिलहाल ये गैंग भाजपा को कमजोर बताने वाली अफवाहें फैलाकर कांग्रेस नेताओं से करीबी बढ़ाने का प्रयास कर रही है ताकि अगर कांग्रेस सत्ता में आ जाये तो ये वहां मजे मार सके। इस गैंग के लोगों के नाम हनी ट्रेप मामलों में भी सामने आते रहे हैं। [लेखक दख़ल न्यूज़ चैनल के मुख्यसंपादक हैं ]
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(प्रवीण कक्कड़) बाजार दीपोत्सव की रौनक से सजे हुए हैं, ऑटोमोबाइल्स से लेकर कपड़ा बाजार तक और स्वर्ण आभूषणों से लेकर गिफ्ट व मिठाईयों की खरीदी चल रही हैै। असल में भारत के पर्व इस अनुसार ढले हुए हैं कि जब त्यौहारों का समय आता है तो मौसम में भी उसी अनुसार बाहार नजर आती है और बाजार गुलजार दिखाई देते हैं। त्यौहारों पर लगने वाले बाजार अर्थव्यवस्था को भी गति देते हैं। प्राचीन समय से त्यौहारों के बाजार हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं, वहीं अब नए परिवेश में बाज़ारों में खरीदी के साथ ही लोग त्यौहारों पर आने वाले शुभ मूर्हुत के अनुसार शेयर ट्रेडिंग, आईपीओ और अन्य डिजिटल सिक्यूरिटिज में निवेश करने लगे हैं। जानकारों की मानें तो त्यौहारी सीजन इस बार देशभर के व्यापारियों के लिए बड़े कारोबार का अवसर लेकर आ रहा है। दीपावली पर त्यौहारी खरीद एवं अन्य सेवाओं के जरिए करीब ढाई लाख करोड़ रुपये की तरलता का बाजार में आने की संभावना कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जताई है। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को मिले दीपावली बोनस, खेतों में आई फसल बेचने से बाजार खरीदी करने निकले किसान और दीपोत्सव को लेकर युवाओं में खरीदी के उत्साह के कारण बाजार में कैश फ्लो बढ़ेगा। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन, संमृद्ध और वैज्ञानिक है। हम संस्कृति के अनुसार पर्व, परंपराएं और पूजन का विधान पूरा करते हैं। हर भारतीय त्यौहार का एक वैज्ञानिक महत्व है, हमारा हर पर्व रहन-सहन, खान-पान, फसलों व प्रकृति के परिवर्तनों पर आधारित है। हमारे पर्वों में जहां पौराणिक कथाओं का उल्लेख मिलता है, वहीं खगोलीय घटना, धरती के वातावरण, मनुष्य के मनोविज्ञान व सामाजिक कर्तव्यों की सीख भी परिलक्षित होती है। सारे त्यौहारों का हमारे जीवन में बहुत गहरा महत्व है। यह सारे त्यौहार हमारी सभ्यता और संस्कृति में इस तरह से रचे बसे हैं कि असल में इन्हीं के माध्यम से समरस समाज का निर्माण होता है। हमारे त्यौहार सांस्कृतिक एकता की सबसे बड़ी धरोहर होने के साथ ही अर्थव्यवस्था का पहिया भी हैं। हमारे पूर्वजों ने इन त्यौहारों में बड़ी ही शालीनता से हमारी संस्कृति ने आर्थिक और सामाजिक गतिविधियां भी जोड़ दीं। भारतीय त्यौहारों के दौरान बड़े पैमाने पर मेले लगते हैं, बाजार भराते हैं, छोटे बड़े कस्बों में भांति-भांति के आयोजन होते हैं, लोग जमकर खरीददारी करते हैं। घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, नए वाहन खरीदते हैं और बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जो होती तो असल में उत्साह से हैं, लेकिन उन्हें आर्थिक गतिविधि बड़े सलीके से पिरोई जाती है। एक तरह से यह त्यौहार हमारी धर्म और संस्कृति के साथ ही हमारी अर्थव्यवस्था का सबसे प्राचीन पहिया है। यह अमीर को खर्च करने का और गरीब को नई आमदनी हासिल करने का मौका देते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमाओं का निर्माण करने वाले, मां दुर्गा की प्रतिमाओं का निर्माण करने वाले और रावण के पुतले बनाने वाले ज्यादातर लोग कारीगर वर्ग से आते हैं। वे साल भर मेहनत करते हैं। इसी तरह दीपोत्सव पर सजने वाली बाजार के लिए मिट्टी के दिए जानी बताशे मूर्तियां, सजावटी सामान और इलेक्ट्रॉनिक झालरों से बाजार सजे रहते हैं जिन्हें साल भर तैयार करके कलाकार बाजार में लाते हैं। भारत में हिंदू धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के त्यौहार भी उसी उल्लास के साथ मनाया जाते हैं। धार्मिक और आर्थिक गतिविधि के साथ ही इन त्यौहारों में अलग-अलग धर्म के लोगों को एक दूसरे के रीति रिवाज और संस्कार समझने का मौका मिलता है। ऐसे में हिंदू जान पाता है पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के इस धरती पर आने से मानवता का क्या कल्याण हुआ और मुस्लिम समुदाय के लोग यह समझ पाते हैं कि भगवान राम ने असुरों का संहार करके यानी दुष्टों का संहार करके किस तरह से इस धरती को आम आदमी के रहने योग्य स्थान बनाया। वाल्मीकि जयंती पर वाल्मीकि समुदाय इसमें ना सिर्फ महर्षि वाल्मीकि की आराधना करता है, बल्कि उसे यह गौरव करने का अवसर भी प्राप्त होता है कि हिंदू समाज के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ वाल्मीकि रामायण की रचना उसी के समाज के महर्षि वाल्मीकि ने की थी। इस तरह से यह पर्व भारत में जात-पात के बंधन और ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करने का भी काम करते हैं। जब समाज के हर धर्म और हर जाति के लोग समान रूप से प्रसन्न होते हैं। एक दूसरे से घूलते-मिलते हैं। एक दूसरे के तीज त्यौहार में शिरकत करते हैं तो उससे इन सारी संस्कृतियों के मिलन से महान भारतीय संस्कृति का निर्माण होता है। भारत की यही वह संस्कृति है जिसको पूरी दुनिया में श्रद्धा और सम्मान की निगाह से देखा जाता है।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए दिल्ली के कुछ वामपंथी टाइप के पत्रकारों को हायर कर लाने के लिए कुछ पत्रकारों ने ठेकेदारी शुरू कर दी है। बाकायदा पैकेज अपोजिशन के नेताओं को दिए जा रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है ये अपनी गाडी और अपनी टीम के साथ पूरा मध्यप्रदेश घूमेंगे और शिवराज सरकार की हकीकत बताएँगे। खासकर आपके इलाके में तो सरकार की बैंड बजा देंगे। इनके आपके इलाके में रहने से आपका वोट प्रतिशत बढ़ेगा वगैरह -वगैराह। इन ठेकेदार बने पत्रकारों में से तो एक 90 के दशक में हुए हनीट्रैप मामले से जुड़ा व्यक्ति है। तो दूसरी टीम में नेशनल न्यूज़ चैनल से जुड़े दो पत्रकार और उनका एक पप्पू मीडिया का साथी है । आपको बता दें जिन बड़े पत्रकारों को एमपी में शिवराज सरकार के खिलाफ लाने की तैयारी हैं। उन पत्रकारों को अब दिल्ली में काम नहीं मिल पा रहा है। इससे पहले ये लोग इसी तरह उत्तरप्रदेश में योगी की बैंड बजने गए थे लेकिन वहां भी हुआ उल्टा ही और योगी ने भरपूर बहुमत हांसिल किया। [लेखक दखल न्यूज़ चैनल के मुख्य सम्पादक हैं
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- कांग्रेस शासन काल में परियोजना का स्वरूप बिगाड़ने की रची गई साजिश - केवल विशेष वर्ग को संरक्षण दे सकती है कांग्रेस हराभरा वतन, भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब 2016 के सिंहस्थ में उज्जैन आए थे। तभी उन्होंने मन में महाकाल मंदिर को नया स्वरूप देने की परिकल्पना कर ली थी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने महाकाल लोक के निर्माण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर के आसपास बड़े पैमाने पर हुए अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सीएम श्री शिवराज सिंह चौहान को मंदिर तक आसानी से पहुंचने के लिए एक अद्भुत कॉरिडोर बनाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ मन के विचार साझा करते हुए एक अद्भुत कॉरिडोर की कल्पना की थी। इसी कल्पना को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संकल्प बनाकर एक ऐसा कॉरिडोर बनाने का प्रण लिया, जिसका शिल्प और वास्तुकला अदभुत हो। बस यहीं से शुरुआत हुई श्री महाकाल लोक के निर्माण की। इस दौरान डॉ. केसवानी ने पूर्व सीएम कमलनाथ और पहले की कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में श्री महाकाल लोक के भव्य स्वरूप को बिगाड़ने और काम की रफ्तार को धीमा करने का ही काम किया गया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार अस्तित्व में नहीं आई होती, तो महाकाल लोक 2020 में ही लोकार्पित हो चुका होता। कांग्रेस केवल सनातनियों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का ही काम करती आई है। कांग्रेस को हिंदू धर्म के विकास से कोई सरोकार नहीं है। सनातन संस्कृति को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं पीएम:डॉ. केसवानी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी केवल सनातन संस्कृति को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कथन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज पूरे भारत में प्राचीन हिंदू मंदिर इमारतों को देखा जाए तो हमें ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में हमारे शिल्प और कला का वैभव पूरी दुनिया में सबसे अधिक था। यह तभी संभव है, जब देश पूरी तरह से संपन्न हो। इससे हमें ज्ञात होता है कि हम कितने वैभवशाली और संपन्न थे। बाद में आक्रमणकारियों ने इस वैभव को नष्ट करने का प्रयास किया। महाकाल मंदिर को भी लुटेरे इल्तुतमिश ने नष्ट कर दिया था। बाद में मराठों ने इसका पुनर्निर्माण किया। मंदिर के मूल शिवलिंग को भी सैकड़ों साल तक मुस्लिम आक्रांताओं से बचाकर रखा गया। ऐसे में पीएम मोदी ऐसा काम कर रहे हैं, जिसके कारण हजारों सालों तक फिर से हमारी सनातन संस्कृति का पताका सर्वोच्च शिखर पर लहराता रहेगा। सभी पौराणिक स्थलों का हो रहा जीर्णोद्धार : डॉ. केसवानी ने बताया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एक एक कर सभी पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार हो रहा है। जबकि कांग्रेस का तो हिंदू धर्म पर कभी भरोसा ही नहीं रहा। तो कैसे कांग्रेस कह सकती है उसके शासन काल में श्री महाकाल लोक की परिकल्पना की गई। उन्होंने कांग्रेस को सफेद झूठ बोलने वाली पार्टी कहते हुए कहा कि कांग्रेस केवल हिंदुओं को गुमराह ही कर सकती है। इसके पहले भी श्रीराम मंदिर के निर्माण के दौरान भी कांग्रेस हिंदू धर्मावलंबियों को बार बार गुमराह करती रही। यहां तक कि कपिल सिब्बल को कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ पैरवी करने के लिए भी खड़ा कर दिया। इसी कांग्रेस ने राम सेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाकर इसे तोड़ने के लिए भी योजना बनाई थी।
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- कांग्रेस शासन काल में परियोजना का स्वरूप बिगाड़ने की रची गई साजिश - केवल विशेष वर्ग को संरक्षण दे सकती है कांग्रेस हराभरा वतन, भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब 2016 के सिंहस्थ में उज्जैन आए थे। तभी उन्होंने मन में महाकाल मंदिर को नया स्वरूप देने की परिकल्पना कर ली थी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने महाकाल लोक के निर्माण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर के आसपास बड़े पैमाने पर हुए अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सीएम श्री शिवराज सिंह चौहान को मंदिर तक आसानी से पहुंचने के लिए एक अद्भुत कॉरिडोर बनाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ मन के विचार साझा करते हुए एक अद्भुत कॉरिडोर की कल्पना की थी। इसी कल्पना को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संकल्प बनाकर एक ऐसा कॉरिडोर बनाने का प्रण लिया, जिसका शिल्प और वास्तुकला अदभुत हो। बस यहीं से शुरुआत हुई श्री महाकाल लोक के निर्माण की। इस दौरान डॉ. केसवानी ने पूर्व सीएम कमलनाथ और पहले की कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में श्री महाकाल लोक के भव्य स्वरूप को बिगाड़ने और काम की रफ्तार को धीमा करने का ही काम किया गया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार अस्तित्व में नहीं आई होती, तो महाकाल लोक 2020 में ही लोकार्पित हो चुका होता। कांग्रेस केवल सनातनियों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का ही काम करती आई है। कांग्रेस को हिंदू धर्म के विकास से कोई सरोकार नहीं है। सनातन संस्कृति को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं पीएम: डॉ. केसवानी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी केवल सनातन संस्कृति को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कथन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज पूरे भारत में प्राचीन हिंदू मंदिर इमारतों को देखा जाए तो हमें ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में हमारे शिल्प और कला का वैभव पूरी दुनिया में सबसे अधिक था। यह तभी संभव है, जब देश पूरी तरह से संपन्न हो। इससे हमें ज्ञात होता है कि हम कितने वैभवशाली और संपन्न थे। बाद में आक्रमणकारियों ने इस वैभव को नष्ट करने का प्रयास किया। महाकाल मंदिर को भी लुटेरे इल्तुतमिश ने नष्ट कर दिया था। बाद में मराठों ने इसका पुनर्निर्माण किया। मंदिर के मूल शिवलिंग को भी सैकड़ों साल तक मुस्लिम आक्रांताओं से बचाकर रखा गया। ऐसे में पीएम मोदी ऐसा काम कर रहे हैं, जिसके कारण हजारों सालों तक फिर से हमारी सनातन संस्कृति का पताका सर्वोच्च शिखर पर लहराता रहेगा। सभी पौराणिक स्थलों का हो रहा जीर्णोद्धार : डॉ. केसवानी ने बताया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एक एक कर सभी पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार हो रहा है। जबकि कांग्रेस का तो हिंदू धर्म पर कभी भरोसा ही नहीं रहा। तो कैसे कांग्रेस कह सकती है उसके शासन काल में श्री महाकाल लोक की परिकल्पना की गई। उन्होंने कांग्रेस को सफेद झूठ बोलने वाली पार्टी कहते हुए कहा कि कांग्रेस केवल हिंदुओं को गुमराह ही कर सकती है। इसके पहले भी श्रीराम मंदिर के निर्माण के दौरान भी कांग्रेस हिंदू धर्मावलंबियों को बार बार गुमराह करती रही। यहां तक कि कपिल सिब्बल को कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ पैरवी करने के लिए भी खड़ा कर दिया। इसी कांग्रेस ने राम सेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाकर इसे तोड़ने के लिए भी योजना बनाई थी।
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- विष्णुदत्त शर्मा सदियों से भारत अपनी सांस्कृतिक आध्यात्मिकता के लिए विख्यात है। यह देश आध्यात्मिक ज्ञान का केंद्र रहा है। यहां बहने वाले आस्था के सैलाब को सारी दुनिया देखने आती रही है। अनेक विदेशी यात्रियों ने भी अपने संस्मरणों में इनका उल्लेख किया है। हजारों साल के इतिहास में हमारे श्रद्धा केंद्रों को विधर्मियों द्वारा ध्वस्त किये जाने के बावजूद ये पवित्र स्थल अपने पुण्य प्रवाह के साथ वर्षों से टिके हुए हैं। अपनी उत्कृष्टता का दंभ भरने वाले मिस्र, रोम जैसी सभ्यताओं के चिन्ह आज नहीं के बराबर हैं, उनका एक भी सांस्कृतिक अंश अपने मूल स्वरूप में उपस्थित नहीं है। परन्तु भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो यह दावा कर सकता है कि उसने लाखों विपत्तियों के बावजूद अपनी आध्यात्मिकता और आस्था केंद्रों की प्राण शक्ति से अपने सनातन चरित्र को जीवंत रखा है। बहरहाल, आजादी का सूरज निकलने के बाद उम्मीद थी कि स्वाधीन भारत की सरकारें इस पर ध्यान देंगी और हमारे आस्था के केंद्र अपनी प्राचीन अवस्था में पुर्नस्थापित होंगे परन्तु एक खास तरह के तुष्टिकरण की राजनीति ने अपनी जगह बना ली और भारत के अनेक श्रद्धा केंद्र विकास की राह ताकते रहे। यह दैवीय संयोग ही है कि 2014 से भारत के आध्यात्मिक जगत में सांस्कृतिक उत्थान के एक नये युग की शुरुआत हुई। 500 वर्षों से विवादित श्रीराम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ और आज मोदी सरकार के नेतृत्व में तेजी से मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। भारी प्राकृतिक आपदा झेल चुके हमारे चारधाम में एक केदारनाथ धाम का कायाकल्प भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति से सम्पन्न हो चुका है। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा नामक परियोजना परवान चढ़ चुकी है और लगभग सभी दुर्गम आस्था केंद्रों पर अब 12 महीने आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऋषिकेश और कर्ण प्रयाग को रेलवे मार्ग से भी जोड़ा जा रहा है, जो 2025 तक पूरा होगा। कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के बाद मंदिरों के पुनरुद्धार का काम शुरू हुआ है। श्रीनगर स्थित रघुनाथ मंदिर हो या माता हिंगलाज का मंदिर, सभी प्रमुख मंदिरों के स्वरूप को नवजीवन दिया जा रहा है। पिछले साल भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी का पुनरुद्धार नरेंद्र मोदी के कर कमलों से ही संभव हुआ है। वह उनका संसदीय क्षेत्र है इसलिए काशी का विकास हुआ, ऐसा नहीं है। क्योंकि पहले भी अनेक बड़े नेता वहां का संसदीय नेतृत्व कर चुके हैं लेकिन किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि काशी की सकरी गलियों में विश्वनाथ भागवान के लिए कॉरीडोर बन सकता है। परन्तु यह संभव हुआ है और बहुत तेज गति से हुआ है। आज काशी अपने नए रंगरूप में अपनी आध्यात्मिक पहचान के साथ चमचमा रही है। काशी न्यारी हो गई है। जहां दुनिया भर के लोग आकर वास्तविक भारत और उसकी आध्यात्मिक राजधानी को निहार रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितना ध्यान देशमंदिरों के पुनरुद्धार पर दिया है, उतना ही ध्यान विदेशों में भी जीर्ण शीर्ण हालत में पड़े पुराने मंदिरो की योजनाओं पर भी लगाया है। इस दिशा में सबसे पहले बहरीन स्थित 200 साल पुराने श्रीनाथ जी के मंदिर के लिए 4.2 मिलियन डालर खर्च किये जाने की योजना है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अबूधाबी में भी यहां के पहले मंदिर की 2018 में आधारशिला रखी गई। अभी पिछले सप्ताह संयुक्त अरब अमीरात में विशाल हिन्दू मंदिर का लोकार्पण आधिकारिक रूप से वहां की सरकार ने किया। जेबेली अली अमीरात के कॉरीडोर ऑफ चॉलरेस में स्थित इस विशाल मंदिर के बनने से वहां के हिन्दुओं का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ है, जिसके पीछे भारत की मोदी सरकार का अथक प्रयास है। बीते रविवार को गुजरात के मेहसाणा जिले में चालुक्य शासन में बनाए गये मोढेरा के सूर्य मंदिर का भी पुनरुद्धार हुआ। वहां 3डी प्रोजेक्शन लाइट एंड साउंड शो के उद्घाटन के दौरान देश के प्रधानमंत्री मोदी जब उसके अतीत का स्मरण करते हुए यह कह रहे थे कि इस स्थान पर अनगिनत आक्रमण किये गये लेकिन अब मोढेरा अपनी प्राचीन चरित्र को बनाए रखते हुए आधुनिकता के साथ बढ़ रहा है, तब वह देश की जनता को यह संदेश दे रहे थे कि भारत के सभी प्राचीन आस्था स्थल अपनी गौरवशाली पहचान के साथ आधुनिक सुविधाओं से लैस हो सकते हैं, और हो रहे हैं।लगभग एक साल पहले ही सोमनाथ के मंदिर के पुनरुद्धार और अन्य सुविधाओं के लिए पीएम ने कई परियोजनाओं का शुभारंभ किया था। आने वाले समय में सोमनाथ भी आधुनिक सुविधाओं से लैस दिखेगा। विगत जून महीने में पुणे के देहू में नये तुकाराम महाराज मंदिर और गुजरात के पावागढ़ मंदिर के ऊपर बने कालिका माता मंदिर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। पावागढ़ में मां कालिका को नमन करते हुए उन्होंने कहा था कि हमारे श्रद्धास्थल हर भारतीय के प्रेरणा केंद्र हैं और ये स्थल आस्था के साथ-साथ नई संभावनाओं का स्रोत भी बन रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की इस बात के बड़े गहरे अर्थ हैं क्योंकि यह स्वाभाविक है कि जिन मंदिरों या आस्था केंद्रों का पुनरुद्धार हो रहा है, वहां केवल मंदिर परिसर का ही कायाकल्प नहीं होता, बल्कि उसके साथ उस क्षेत्र का समग्र विकास भी होता है। काशी, सोमनाथ, केदारनाथ, देहू, पावागढ़ सहित सभी स्थलों पर पुनरुद्धार कार्य के साथ-साथ अनेक जरूरी, विकास और रोजगारपरक योजनाओं को भी अमलीजामा पहनाया जा रहा है। सभी स्थलों पर हजारों करोड़ों की परियोजनाओं को जमीन पर उतारा जा रहा है, जो नई संभावनाओं के द्वार खोलेंगे। निःसंदेह ऐसे सभी क्षेत्रों में आध्यात्म-संस्कृति का नया सवेरा हुआ है तो विकास की नई गंगा भी प्रवाहित हुई है। सबसे बड़े लोकतीर्थ अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ लाखों करोड़ की परियोजनाओं पर काम हो रहा है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर एक्सप्रेसवे तक बन रहा है और अयोध्या को वैश्विक सुविधाओं वाला महानगर बनाने का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। काशी, सोमनाथ, केदारनाथ सहित सभी स्थानों पर यही स्थिति है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटित धार्मिक-आस्था स्थलों को विकास के एक नये मॉडल के रूप में भी देखा जाना चाहिए। इन स्थलों पर यात्रियों की संख्या बढ़ेगी तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और राजस्व में भी वृद्धि होगी। देश की अर्थव्यवस्था को भी इससे नई उड़ान मिलेगी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के किसी भी हिस्से में जाते हैं तो वहां के प्रसिद्ध देवालयों में दर्शन-पूजन अवश्य करते हैं अथवा उनता पुण्य स्मरण करते हैं। हाल ही में नवरात्रि में शक्तिपीठ अंबाजी मंदिर में उन्होंने दर्शन-पूजन करते हुए कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। देश ने विगत 8 साल में अनेक ऐसे अवसर देखे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान से पहले मोदी ने माता वैष्णो देवी के दर्शन किये तो चुनाव समाप्त होते ही एक दिन के लिए केदारनाथ स्थित गुफा में ध्यान किया। यह नरेंद्र मोदी की ही प्रेरणा है कि राज्य सरकारों ने भी देवालयों पर विशेष ध्यान देना शुरु किया है। उत्तर प्रदेश का मथुरा, विन्ध्याचल, प्रयागराज हो या मध्यप्रदेश का उज्जैन हो, अनेक ऐसे उदाहरण हैं जहां आधुनिक सुविधाओं से लैस विकास कार्य हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उज्जैन की पावन धरा पर महाकाल लोक के नये कॉरीडोर तथा अन्य लोकमुखी सुविधाओं का उद्घाटन भी इस कड़ी में एक ऐतिहासिक पड़ाव है, जहां से भारत के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक पुनरुत्थान का नया अध्याय प्रारंभ होगा। महाकाल की नगरी विश्व भर में विशेष धार्मिक महत्व रखती है, जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं।उज्जैन राज्य सरकार द्वारा किया नवनिर्माण और उसका नामकरण हमारी आध्यात्मिक यात्रा में नया अध्याय जोड़ेगा। वस्तुतः भारतीय संस्कृति का आधार-आदर्श आध्यात्मिकता है। यही वह धुरी है जिससे भारत में व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक जीवन, राष्ट्रीय जीवन और आर्थिक जीवन के मध्य सदियों से सामंजस्य रहा है। हमारे शक्ति पीठों, मंदिरों, पुण्यस्थलों की सांस्कृतिक विरासत पर नरेंद्र मोदी जी की गहनदृष्टि से विगत 70 साल से जमी धूल हट रही है और भारत को उसकी प्राणशक्ति की ओर ले जा रही है। इस शक्ति की जागृति से भारत की सांस्कृतिक अस्मिता का पुनर्जागरण संभव हो रहा है और विश्व कल्याण में आध्यात्मिक अभ्युदय का नया दौर शुरु हुआ है। इस दौर का जब भी इतिहास लिखा जाएगा तब नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के आध्यात्मिक पुनरुत्थान का योगदान स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा। -लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा से सांसद हैं
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डॉ.दुर्गेश केसवानी, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में नव निर्मित भव्य महाकाल लोक का लोकार्पण करने के लिए पधार रहे हैं। कभी दुर्दांत आक्रांत इल्तुमिस के आक्रमण के कारण अपना वैभव खो चुका महाकाल मंदिर आज फिर पूरी दुनिया में गौरान्वित हो रहा है। महाकाल के प्रति भारत देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैले सनातनियों की आस्था जुड़ी है। बाबा महाकाल के दर्शन करने अन्य देशों के लोग भी पधारते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टिता के कारण यह मंदिर आज वैश्विक धरोहर के रूप में स्थापित हो गई है। मूर्तिकला के द्वारा हमारे पौराणिक धर्म को जीवंत करने का प्रयास इस मंदिर के द्वारा किया गया है। यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले भी 12 ज्योर्तिलिंगों को एक एक कर प्रधानमंत्री मोदी उनका खोया हुआ वैभव लौटा रहे हैं। इन मंदिरों को भूल चुकी युवा पीढ़ी इनको जान रही है। आज जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। वहीं हमारी खोई धार्मिक विरासतों के वापिस लौटने के कारण सनातन धर्म का डंका पूरी दुनिया में गूंज रहा है। मोदी काल में हमने राम मंदिर सहित 4 अन्य ज्योर्तिलिंगों का स्वरूप बदलते हुए देखा है। साथ ही जिन जगहों पर आक्रांताओं ने हमारे मंदिरों को जमींदोज कर दिया था। उन्हें फिर से स्थापित होते हुए भी देखा है। लगातार होते मंदिरों के जीर्णोद्धार के कारण प्रधानमंत्री सनातन धर्म के सबसे बड़े चेहरे के रूप में हम सबके सामने आए हैं। वहीं प्रधानमंत्री पूरे देश के लोग जो अपने तीर्थों को भूल गए थे। उनके लिए श्रवण कुमार बनकर सामने आए हैं। प्रधानमंत्री के इन कार्यों के कारण इन तीर्थ स्थानों तक पहुंचना सुलभ होगा। वहीं हम भविष्य में अन्य तीर्थ स्थानों का जीर्णोद्धार होते हुए भी देखेंगे। वहीं इन सबके बीच आइए जानते हैं पीएम मोदी के कार्यकाल में हमने कौन कौन सी धार्मिक विरासतें वापिस पाई हैं। 1. श्री महाकाल लोक, उज्जैन : 1234-35 में सुल्तान इल्तुतमिश ने महाकालेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर मूल शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया, तीन सौ साल तक शिवलिंग कुंड में पड़ा रहा। लेकिन इसके बाद भी सदियों तक इसका धार्मिक महत्व बना रहा। इसके बाद सिंधिया काल में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। लेकिन इस मंदिर के खोए हुए गौरव को लौटाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, जिन्होंने 920 मीटर लंबे नवीन कॉरिडोर की योजना के लिए मंजूरी दी। श्री महाकाल लोक को इस तरह बनाया गया है कि मंदिर तक जाने से पहले लोगों को लगेगा कि वे वास्तव में महाकाल लोक में उतर आए हैं और भगवान शिव के विभिन्न रूपों के साथ, सप्तऋषि, भगवान शिव के सभी अवतारों और शिव से जुड़ी कथाओं का प्रतिमाओं के द्वारा सजीव चित्रण देखते हुए मंदिर तक पहुंचेंगे। 2. राम मंदिर, अयोध्या : बाबर द्वारा लगभग 500 वर्ष पूर्व हमारे सबसे बड़े वैभव राम मंदिर को तोड़ दिया गया था। इसके बाद से ही मंदिर स्थल पर सदियों से सनातन धर्म के अनुयायी मंदिर होने का दावा करते आ रहे थे। लगभग 70 साल पहले मामला कोर्ट में गया और 7 दशकों की कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवंबर 2019 को श्री रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद हिंदू समाज का पांच सदियों पुराना सपना और संघर्ष पूरा हो गया। रामलला से जुड़ी लोगों की आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 500 सालों तक आसपास के 105 गांवों के सूर्यवंशी क्षत्रिय न तो पैरों में जूते पहनते थे और न ही सिर पर पगड़ी धारण करते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर निर्माण के साथ ही इनमें से हर एक सूर्यवंशी को उसका खोया हुआ सम्मान वापिस लौटाया है। अगस्त 2020 में जैसे ही पीएम ने इस मंदिर की नींव रखी। करोड़ों हिंदुओं की तपस्या पूरी हुई। 3. काशी विश्वनाथ, वाराणसी : काशी के विश्वनाथ सारी दुनिया में अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। वहीं मंदिर के चारों ओर स्थित गलियां इस पूरे वैभव को कमजोर कर देती थीं। काशी से सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके मूल स्वरूप को सुधारने पर खास काम करना शुरू किया। 8 मार्च 2019 को उन्होंने कॉशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की शुरुआत की। शुरुआत में इस परियोजना को असंभव माना जा रहा था। इस प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा संरचनाओं को संरक्षित कर मंदिर परिसर में नई सुविधाएं दी जाना थीं। मंदिर तक आवागतन सुलभ करना और मंदिर से घाट सीधा दिखे। इसकी व्यवस्था की जाना थी। प्रधानमंत्री मोदी मां गंगा और बाबा विश्वनाथ के बीच सीधा संबंध जोड़ना चाहते थे। असंभव दिखने वाला यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ और विश्व के सामने पीएम ने असंभव को संभव करने की नजीर रख दी। खास बात यह है कि पूरे प्रोजेक्ट में प्राचीन 40 अन्य मंदिर भी हमारे सामने आए। 4. सोमनाथ मंदिर, सोमनाथ : सोमनाथ 12 ज्योर्तिलिंगों में एक ऐसा ज्योर्तिलिंग है, जिसे दुर्दांत आक्रांताओं ने बार बार तोड़ा और यह फिर से जीवंत हो गया। माना जाता है कि 12 ज्योर्तिलिंगों में सर्वप्रथम बाबा सोमनाथ के मंदिर का निर्माण सबसे पहले स्वयं चंद्रदेव ने किया था। सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह स्थित इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने यहीं अपनी देह त्याग की थी। इस कारण यह मंदिर हर सनातनी के लिए सर्वप्रथम है। मंदिर के ईसा पूर्व भी होने के कई पौराणिक दस्तावेज मौजूद हैं। मंदिर का दूसरी बार निर्माण 649 ईस्वी में वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने किया। 725 ईस्वी में इसे मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने तुड़वा दिया। 815 में राजा नागभट्ट ने इसका तीसरी बार निर्माण कराया था। 1024 और 1026 में अफगानिस्तान के महमूद गजनवी ने दो बार मंदिर को तहस नहस कर लूट लिया। इस दौरान गजनवी ने हजारों निहत्थे लोगों को बर्बरता पूर्वक मार दिया। 1297 में नुसरत खां ने मंदिर को दुबारा तोड़ दिया। 1395 में मुज्जफरशाह और 1412 में उसके पुत्र अहमदशाह ने इसे तुड़वा दिया। बाद में 1665 और 1706 में इसे औरंगजेब के कार्यकाल में दो बार तोड़ा गया। 1783 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मूल मंदिर से कुछ दूरी पर एक अन्य शिव मंदिर का निर्माण कराया। 1950 में पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ पटेल ने संकल्प लेकर मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर को कैलाश महामेरू शैली में बनाया गया। वर्तमान मंदिर के निर्माण का श्रेय सरदार वल्लभ पटेल को जाता है। 1995 में इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर के वैभव को और बढ़ाने के लिए कई परियोजनाएं शुरू कीं। प्रधानमंत्री ने एक प्रदर्शनी केंद्र और समुद्र तट पर सैरगाह का निर्माण किया। 5. केदारनाथ धाम, रूद्रप्रयाग : 2013 की बाढ़ के बाद मंदिर परिसर को दोबारा से तैयार किया गया और मंदिर को पूरी तरह से बदल दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि केदारनाथ का पुन: विकास उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रिय है और वे यह बात 2013 और 2017 के अपने भाषण में कह भी चुके हैं। इसके अलावा सरकार ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तीर्थों को जोड़ने के लिए चारधाम परियोजना की शुरुआत की है। सड़क परियोजना के साथ ही रेल लाइन का काम भी तेज गति से चल रहा है। वहीं कश्मीर में भी ध्वस्त हो चुके प्रमुख हिंदू मंदिरों को बनाने का काम तेजी से चल रहा है। 952 हिंदू मंदिरों में से 212 चल रहे हैं, जबकि 740 जर्जर अवस्था में हैं। इनमें से कई धार्मिक स्थलों के नवीनीकरण का काम फिर से शुरु हो गया है। - श्री महाकाल लोक के बाद अन्य मंदिरों का भी वैभव फिर लौटेगा, दुनिया में गूंजेगा सनातन का डंका - मोदी एक एक कर लौटा रहे हैं देश की खोई हुई धार्मिक विरासतें, भूले-बिसरे गौरव को जान रही युवा पीढ़ी (लेखक भारतीय जनता पार्टी मप्र के प्रदेश प्रवक्ता हैं।)
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(प्रवीण कक्कड़) आज भागदौड़ भरे समय में रिश्तो के बीच संवाद घटता जा रहा है, हर व्यक्ति केवल स्वयं पर केंद्रित होकर आगे बढ़ रहा है लेकिन इन सबके बीच भी अगर विश्वास, त्याग और गहराई की बात की जाए तो पति-पत्नी का रिश्ता ही काफ़ी मजबूत नजर आता है। इसकी गहराई का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि हर रिश्ते का नाम लेने के लिए हमें दो शब्दों की जरूरत होती है, जैसे मां-बेटा, बाप-बेटी, भाई-बहन, चाचा-भतीजा लेकिन सिर्फ एक रिश्ता ऐसा है जो एक ही शब्द में बयां हो जाता है जीवनसाथी। इसी कारण इस रिश्ते को महत्वपूर्ण माना गया है। इसी रिश्ते के प्रति त्याग और समर्पण का प्रतीक है करवाचौथ। इस बार करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को आ रहा है। यह व्रत जहां पत्नी के पति के प्रति त्याग और समर्पण की भावना को बयां करता है, वहीं पति के पत्नी से भावनात्मक लगाव का भी परिचायक है। करवाचौथ… पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाके में सदियों से मनाया जाने वाला यह पर्व आज पूरे भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार बन गया है। अगर भारत के बाहर का कोई व्यक्ति आकर इस त्यौहार को देख ले, तो वह निश्चित तौर पर इसे अत्यंत कठिन व्रत के तौर पर देखेगा लेकिन भारतीय महिलाएं जिस उत्साह और आस्था के साथ दिनभर निराहार और निर्जला रहकर यह व्रत रखती हैं, वह अपने आप में बहुत ही विलक्षण बात है। दिन भर जल ग्रहण ना करना और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य चढ़ाकर पति के हाथ से पानी पीना बहुत ही श्रम साध्य काम है। व्रत की इस तपस्या और साधना के साथ ही इसके इस पक्ष पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह दांपत्य की पवित्रता का भी पर्व है। भारतीय संस्कृति में माना भी गया है कि प्रेम का मूल तत्व त्याग है। ऐसे में इस तरह त्याग का प्रदर्शन करके महिला दांपत्य के उस रिश्ते को एक नई ऊंचाई और गहराई प्रदान करती हैं जो असल में तो पति और पत्नी के बीच हमेशा ही होना चाहिए। यह उनके रिश्ते में आई किसी भी तरह की जड़ता को तोड़ने का काम करती है। आज सामूहिक परिवारों की तुलना में एकल परिवार बढ़ रहे हैं। ऐसे में पति-पत्नी पर स्वयं के करियर व एक-दूसरे से आपसी समझ के साथ ही भावी पीढ़ी को तैयार करने की जिम्मेदारी भी है। ऐसे में जीवनसाथी की भावनाओं को समझना और उनका सम्मान करना बेहद जरूरी है। भावनात्मक संबंध में यह सम्मान व विश्वास इस रिश्ते को खूबसूरत बनाए रखता है। हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे त्यौहार व करवाचौथ जैसे व्रत खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव रखते हैं। व्रत और पर्व पति-पत्नी के बीच संवाद और स्नेह का जरिया बनते हैं। ऐसे अवसर वैवाहिक जीवन में आ रही कड़वाहट को दूर करने का सबसे सटिक माध्यम हैं। कभी करियर की भागदौड़ तो कभी स्वयं को सही सिद्ध करने की होड़ में पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति संयम खो बैठते हैं। कभी अहंकार तो कभी अविश्वास रिश्ते पर हावी होने लगता है। ऐसे में करवाचैथ का पर्व उन्हें एक-दूसरे के करीब लाता है। प्रेम और त्याग का अहसास कराता है। इसलिए करवाचौथ सिर्फ पति और पत्नी के प्रेम का त्यौहार नहीं है, यह पारिवारिक रिश्ते की मिठास का त्यौहार भी है। अगर यह मिठास ना हो तो कोई महिला दिन भर भूखे प्यासे रहने के बाद शाम को इस तरह से सोलह सिंगार करके चंद्रमा और अपने पति की आरती नहीं कर सकती। अब तो कई पुरुष भी पत्नी का हौसला बढ़ाने के लिए उनके साथ जोड़े से व्रत करने लगे हैं, ऐसे त्योहारों की रचना भारतीय समाज ही कर सकता है और उनका निर्वाह भी।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए दिल्ली के कुछ वामपंथी टाइप के पत्रकारों को हायर कर लाने के लिए कुछ पत्रकारों ने ठेकेदारी शुरू कर दी है। बाकायदा पैकेज अपोजिशन के नेताओं को दिए जा रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है ये अपनी गाडी और अपनी टीम के साथ पूरा मध्यप्रदेश घूमेंगे और शिवराज सरकार की हकीकत बताएँगे। खासकर आपके इलाके में तो सरकार की बैंड बजा देंगे। इनके आपके इलाके में रहने से आपका वोट प्रतिशत बढ़ेगा वगैरह -वगैराह। इन ठेकेदार बने पत्रकारों में से तो एक 90 के दशक में हुए हनीट्रैप राजदूत मामले से जुड़ा व्यक्ति है। तो दूसरी टीम में मंत्री से रिश्वत में टीवी मांगने वाले नेशनल न्यूज़ चैनल से जुड़े दो पत्रकार और उनका एक पप्पू मीडिया का साथी है । आपको बता दें जिन बड़े पत्रकारों को एमपी में शिवराज सरकार के खिलाफ लाने की तैयारी हैं। उन पत्रकारों को अब दिल्ली में काम नहीं मिल पा रहा है। इससे पहले ये लोग इसी तरह उत्तरप्रदेश में योगी की बैंड बजने गए थे लेकिन वहां भी हुआ उल्टा ही और योगी ने भरपूर बहुमत हांसिल किया। [लेखक दखल न्यूज़ चैनल के मुख्य सम्पादक हैं
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जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (ZMCL) ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) इंडिया के टीवी ऑडियंस मेजरमेंट सिस्टम से बाहर निकलने का फैसला किया, जिसके बाद अब कंपनी ने एक स्टेटमेंट जारी कर अपने इस फैसले की सही ठहराया है। जी मीडिया ने अपने बयान में इस बात का जिक्र किया कि BARC ने न तो कोई समाधान निकाला था और न ही उसे स्वीकार किया था, लेकिन इस बीच उन्होंने लैंडिंग पेज व बार्कर पेज के लिए अपनी रिपोर्टिंग जारी रखी। बयान में यह भी कहा गया कि BARC डेटा को दोबारा शुरू किए जाने के बाद से न्यूज जॉनर लगातार सिकुड़ती दिखाई दे रही है, जबकि इसके विपरीत जब डेटा बंद किया गया था, तो यह जॉनर अपने चरम पर थी। BARC के साथ कई मीटिंग और बातचीत करने के बावजूद भी एजेंसी न केवल विफल रही, बल्कि इस तरह की भारी गिरावट की जानकारी देने में भी फेल रही है। बयान में यह भी कहा गया कि BARC ने अब तक टीआरपी घोटाले पर कोई श्वेत पत्र नहीं दिया है और यह बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय है कि इस षड्यंत्र में कौन शामिल थे और यदि वे अभी भी सिस्टम (लोग/ चैनल) का हिस्सा हैं, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है ? बयान में कहा गया कि इन वजहों से जी मीडिया ने रेटिंग एजेंसी से हटने का फैसला किया और BARC से जी मीडिया के सभी 14 चैनलों की रिपोर्टिंग तत्काल प्रभाव से बंद करने को कहा है।
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(प्रवीण कक्कड़) आज गांधी जयंती है, जब भी हम महात्मा गांधी का नाम लेते हैं तो सबसे पहले जो शब्द ज़हन में आता है वह है सत्य क्योंकि उन्होंने सत्य के प्रति अडिग रहकर अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। महात्मा गांधी ने अपने विचारों से न केवल भारत को आजादी दिलायी बल्कि समाज में अनेक सुधार भी किए। महात्मा गांधी के सिद्धांतों की प्रासंगिकता आज भी कायम है। गांधी कहते थे कि सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है। उनके अनुसार धर्म से तात्पर्य किसी धर्म विशिष्ट से नहीं है बल्कि उस तत्व से है जो उसमें समान रूप से व्याप्त है। वे धर्म और नैतिकता में भेद नहीं मानते थे। गांधी जी ने अपना जीवन सत्य, या सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया। गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं , भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है| बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। इस प्रकार , सत्य में गांधी के दर्शन है " परमेश्वर "| महात्मा गांधी जिनका नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था, उनका जन्म 2 अक्टूबर को 1869 में हुआ था। सत्य और अहिंसा गांधी जी के दो सिद्धांत थे, यही वजह है कि 15 जून 2007 को यूनाइटिड नेशनल असेंबली ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया। अब देश ही नहीं दुनिया भी गांधी जी के सत्य और अंहिसा के सिद्धांत को मानती है। गांधी जी मानते थे कि आंख के बदले आंख की सोच रखेंगे तो पूरी दुनिया ही अंधी हो जाएगी। पापी से लड़कर किसी को कुछ नहीं मिलेगा इसलिए हमें अपनी भावनाओं का चुनाव करना सीखना चाहिए। स्वतंत्रता दिवस में तो गांधी जी के अहम योगदान के बारे में सभी जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि गांधीजी ने 15 अगस्त 1947 का दिन कैसे बिताया था, उन्होंने इस दिन 24 घंटे का उपवास रखा। उस वक्त देश को आजादी तो मिली थी, लेकिन इसके साथ ही मुल्क का बंटवारा भी हो गया था। पिछले कुछ महीनों से देश में लगातार हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे। इस अशांत माहौल से गांधीजी काफी दुखी थे। महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता कहे जाने के पीछे भी एक कहानी है। महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था। इसके बाद कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी। इसी के साथ हम सभी को गांधी जी के सिद्धांतो को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। आज हमें महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने के साथ ही यह भी विचार करना चाहिए कि कैसे हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। कैसे सत्य के सहारे हम अपनी बाधाओं का मुकाबला करें। अहिंसा के जरिए हम अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़े और मजबूत चरित्र निर्माण के साथ पूरे समाज को एक सूत्र में बांधते हुए समभाव के साथ राष्ट्र निर्माण करें। बॉक्स असत्य पर सत्य की जीत सत्य हमारी परंपराओं में श्रेष्ठतम उपाधि प्राप्त शब्द है, आज गांधी जयंती के दिन हम सत्य की खोज में गांधीजी के जीवन समर्पण की चर्चा कर रहे हैं वहीं कुछ दिन बाद दशहरे का त्यौहार है। दशहरे को भी हम असत्य पर सत्य की जीत के रूप में देखते हैं। हिन्दुओं का यह प्रमुख त्योहार असत्य पर सत्य की जीत तथा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसे में सत्य के संकल्प के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। मां भगवती के विजया स्वरूप पर इसे विजयादशमी भी कहा है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी इसलिए भी इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की संयोग ऐसे होते हैं जिससे किये जाने वाले काम में विजय निश्चित होती है। भारतीय इतिहास में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जब राजा इस दिन विजय के लिए प्रस्थान किया करते थे।
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ओपी शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी की नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ होने के आज 5 साल पूरे हो गए है। वर्ष 2017 में आज ही के दिन उन्होंने सपत्नीक 300 परिक्रमावासियों के साथ लगभग 3200 किलोमीटर की यह पैदल यात्रा प्रारंभ की थी। इसे एक सुखद प्रसंग ही कहा जायेगा कि गत वर्ष इसी दिन उनकी नर्मदा परिक्रमा पर मेरे द्वारा लिखा गया यात्रा वृतांत "नर्मदा के पथिक" का विमोचन हुआ था। आज पुनः एक ऐसा सुखद प्रसंग है जब वे देश की सबसे पुरानी और राष्ट्रीय स्वतंत्रता की अलख जगाकर राजनीति में सत्य और अहिंसा को प्रधान तत्व बनाने वाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव में वे अपना नामांकन दाखिल कर रहे हैं। चुनाव प्रजातांत्रिक तरीके से सम्पन्न हो रहे है इसलिए उसके परिणाम पर अभी बात करना ठीक नही होगा लेकिन दिग्विजय सिंह जी का इस चुनाव में एक प्रमुख भागीदार के रूप में सामने आना कोई तिकड़मबाजी या परिस्थितिवश एकाएक हुई बात नही है। दिग्विजय सिंह जी को इस मुकाम तक उनके अध्यात्म ने ही शने:-शने: पंहुचाया है। आइए देखते है कि उनमें वे कौनसी आध्यात्मिक शक्तियां विकसित हुई जो उन्हें औरों से अलग बनाती है। उनका जीवन सनातन धर्म के प्रवाह में नर्मदा की भांति बहता हुआ है जिसमे कोई अवशिष्ट ठहर नही सकता। (1) सहयोग देने की शक्ति : अपने 50 साल के राजनीतिक सफर में उन्होने बिना सहयोग प्राप्त करने की अपेक्षा किये दूसरों को सहयोग दिया है। उनकी इसी सहयोग शक्ति के कारण उन्हें ठीक उसी प्रकार सहयोग मिलता गया जैसे नर्मदा को सैकड़ों छोटी नदियों और बड़े नद का सहयोग मिला। इन नदियों ने अपना अस्तित्व मिटाकर नर्मदा को बड़ा कर दिया। तो नर्मदा ने भी उन छोटी नदियों को अपने साथ ले जाकर समंदर बना दिया। (2) सहन करने की शक्ति : दिग्विजय सिंह जी की सहन करने की असीम शक्ति अद्भुद है। उनका जीवन नर्मदा की भांति जंगलों, मैदानों और चट्टानों के बीच बहता रहा है। अनेक बाधाएं उनके मार्ग में आई है। किंतु वे उन बाधाओं को सहते हुए आगे बढ़े है। बाधाओ से उन्हें कोई शिकायत नही। वे उन्हें रोकने वाली मजबूत चट्टानों को सहन करते है और उन्हें अपना सुंदर जलप्रपात बना लेते हैं। (3) समेटने की शक्ति : जब समय अपने अनुकूल न हो तो कछुआ अपने पैरों को समेट लेता है। नर्मदा भी अपने बिखरे हुए प्रवाह को सीमित कर लेती है। इसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी भी अपनी समेटने की अद्भुत शक्ति के कारण सदैव सुरक्षित रहते है। वर्ष 2018 में उन्होंने इसी समेटने की शक्ति का परिचय दिया तथा जब सरकार ने उनसे भोपाल में सरकारी घर खाली करवा लिया तो समय अनुकूल न पाकर उन्होंने अपना सारा सामान समेट लिया और किराए के घर मे चले गए। (4) समाने की शक्ति : जिस तरह नर्मदा में अनेक छोटी नदियाँ आकर मिलती है किंतु वह अपने साथ सबको बहाकर ले जाती है। समुद्र में अनेक नदियाँ मिलती है किंतु वह बिना प्रभावित हुए सबको अपने मे समा लेता है इसी तरह दिग्विजय सिंह जी भी एक समुद्र है जिसमे भिन्न भिन्न तरह के लोगों के विचार, उनके कार्य और परिणाम समा जाते हैं। यह उनकी बड़ी विशेषता है। (5) निर्णय करने की शक्ति : नर्मदा की भांति वे भी निर्णय शक्ति से सम्पन्न है। नर्मदा जंगलों से गुजरते हुए उन्हें औषधीय गुण देती जाती है, पहाड़ों से गुजरते हुए उन्हें सौंदर्य प्रदान करती है और मैदानों से गुजरते हुए अपने तटवासियों को जल, फसल और समृद्धि देती है। वह अपने निर्णय पर अडिग होती है। उसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी भी परिस्थिति वश जो भी निर्णय लेते है उस पर अडिग रहते है और कभी निर्णय न लेने को भी एक निर्णय बना देते है। (6) परखने की शक्ति: नर्मदा जिस तरह अपने मार्ग में मिलने वाले पत्थरों को परखकर उनमें से किसी को पूजा के योग्य शंकर बना देती है, किसी को इमारत बनाने वाली रेत बना देती है और किसी को नदी के सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए वैसे ही छोड़ देती है उसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी भी व्यक्तियों, परिस्थितियों और समय को परख लेते है और उसी अनुरूप उनका उपयोग करते है। (7) सामना करने की शक्ति : दिग्विजय सिंह जी का यह साहसिक गुण उन्हें सबसे न्यारा बनाता है। वे कठिन परिस्थितियों का सामना उसी प्रकार करते है जिस प्रकार नर्मदा कठोर चट्टानों का। या तो वह उन्हें काट देती है या उसपर से गुजर जाती है, पर रुकती नही। (8) साक्षी होने की शक्ति : दिग्विजय सिंह जी की यह शक्ति उन्हें हर हाल में समत्व भाव मे रखती है। यह उनका एक बड़ा आध्यात्मिक गुण है। गीता में कहा गया है- योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय । सिद्ध्यसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥ अर्थात- सफलता और असफलता की आसक्ति को त्याग कर तुम दृढ़ता से अपने कर्तव्य का पालन करो। यही समभाव योग कहलाता है। बारिश में उफनती, सर्दी में शांत बहती और ग्रीष्म में सिकुड़ती नर्मदा की जलधाराओ में जिस प्रकार उसके भक्तों का समान भाव रहता है उसी प्रकार दिग्विजय सिंह जी का भी किसी पद या सत्ता पर होने या न होने में वैसा ही समत्वभाव है। वे सदैव एक जैसे भाव मे रहकर कर्म करने में विश्वास करते है। उनकी सफलता का यही मूलमंत्र है। आज नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत के 5 साल होने पर मैं श्री दिग्विजय सिंह जी सहित सभी परिक्रमावासियों को बधाई देता हूँ। नर्मदा परिक्रमा में हम जो देखते और सीखते है वह दिग्विजय सिंह जी के व्यक्तित्व में प्रतिदिन मौजूद है। इस नवरात्रि नर्मदा जी से प्रार्थना है कि वह भी हम सभी को उपरोक्त अष्टशक्तियों से नवाज़े। ये सारी शक्तियां हमारे पास होगी तो हमारी आत्मा अवश्य ही बलवान होगी और हम हर स्थिति में खुश रह सकेंगे।
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अपनी पार्टी तो बचा नहीं पाए राहुल, चिंता देश की कर रहे हैं भोपाल। कांग्रेस का किला पहले तिनका तिनका कर बिखर रहा था, लेकिन जब से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं, तो कांग्रेस के किले के मजबूत स्तंभ एक एक कर ढह रहे हैं। कांग्रेस के पुराने लोगों ने मान लिया है कि कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने मंगलवार को कही। डॉ. केसवानी ने कहा कि राहुल गांधी की तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा अब कांग्रेस तोड़ो यात्रा में बदल चुकी है। राहुल की अपरिपक्वता के कारण पार्टी पूरी तरह से टूट चुकी है, लेकिन राहुल हैं कि मानने को तैयार ही नहीं हैं। डॉ. केसवानी ने आरोप लगाया की टूट रही पार्टी को बचाने की हिम्मत भी किसी में नहीं दिख रही है। सब लोग केवल अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। डॉ. केसवानी ने कहा कि बिखर रही पार्टी को एक अदद अध्यक्ष तक नहीं मिल पा रहा है। अशोक गहलोत सीएम पद छोड़ना नहीं चाहते हैं और कमलनाथ भी मप्र नहीं छोड़ रहे हैं। वे भी अपनी राजनीतिक लालसाओं को सिद्ध करने में लगे हैं। नटवर, अजीज और पीके ने भी दिखाया है आईना : डॉ. केसवानी ने कहा कि राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस बचाओ यात्रा पर निकलना चाहिए। कांग्रेस अंदर से पूरी तरह खोखली हो चुकी है। पहले तो राहुल को समझना होगा कि पार्टी की अंदरूनी स्थिति क्या है? हालांकि जिस तरह से कांग्रेस बिखरी है। उसका फिर से खड़ा हो पाना दूर की कौड़ी सा दिख रहा है। भाजपा प्रवक्ता ने राहुल के नेतृत्व को कमजोर बताते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ लोग ही उन्हें नकार चुके हैं। ऐसे में देश उन्हें कैसे स्वीकार करेगा। कांग्रेस नेता नटवर सिंह कह चुके हैं कि कांग्रेस को सोनिया गांधी और राहुल गांधी की जरूरत नहीं है। जबकि इन दोनों को कांग्रेस की जरूरत है। नटवर ने आरोप लगाया कि जब तक इन दोनों या गांधी परिवार में किसी के भी हाथ कांग्रेस की बागडोर रहेगी तो वे किसी भी योग्य व्यक्ति को आगे नहीं आने देंगे। अजीज कुरैशी ने भी राहुल गांधी को अपरिपक्व बताते हुए कहा था कि जब तक उनके हाथ कांग्रेस की बागडोर है, कांग्रेस का भला नहीं हो सकेगा। वहीं पीके ने भी राहुल को आइना दिखाते हुए कहा था कि उनके कार्यकाल में पार्टी 90 फीसदी चुनाव हारी है।
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praveenkakkar.com (प्रवीण कक्कड़ ) शक्ति पूजा का पर्व नवदुर्गा उत्सव प्रारंभ होने वाला है। देश में हर्षोल्लास का वातावरण है। शक्ति यानी रचियता, जिसमें रचने की शक्ति हो, जिसमें निर्माण की शक्ति हो, जिसमें संहार की शक्ति हो. नव दुर्गा के नौ रूप ऐसी ही शक्ति का प्रतीक हैं। दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अन्तर्गत देवी कवच स्तोत्र के श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि महागौरी और माँ सिद्धिदात्री। मां नव दुर्गा के यह नौ रूप हमें सांसारिक जीवन में शक्ति और संयम का संतुलन सिखाते हैं। जब शक्ति अनियंत्रित होती है तो विनाश होता है। नियंत्रित शक्ति (संयम) रचना करती है. निर्माण करती है। अराजक शक्ति समाज को नष्ट करती है। वीतराग शक्ति सन्यास और त्याग का मार्ग प्रशस्त करती है। न्याय शक्ति लैंगिक, आर्थिक, सामाजिक समानता की प्रेरणा देती है। प्रतिवर्ष 2 बार 9 दिन के लिए हम नव दुर्गा की पूजा करते हैं। वसंत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दोनों विशेष समय खास तौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। त्यौहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। शारदीय नवरात्रि इस देश का सबसे बड़ा उत्सव भी है। यूनेस्को ने इसे विश्व की सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया है। विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां वर्ष में दो बार स्त्री शक्ति की पूजा होती है। कन्याओं को भोजन कराया जाता है। नव दुर्गा के नव रूपों की उपासना होती है। भारत की संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण अंग है शक्ति पूजा। यही कारण है कि पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के अलग-अलग स्थानों पर स्थापित हैं। पुराण में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। नवरात्र के दौरान कुछ भक्त उपवास रखकर मैया को प्रसन्न करते हैं तो कुछ मंदिरों में पहुंचकर देवी की आराधना में लीन रहते हैं। कई घरों में भी कलश की स्थापना कर मैया की भक्ति की जाती है। कहीं मैया के मंदिरों के बाहर मेले लगते हैं तो कहीं गरबों की गूंज सुनाई देती है। नवरात्र के शुरू होते ही देशभर में गरबा और डांडिया रास का रंग चारों ओर बिखरने लगता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जगह-जगह गरबा नृत्य और डांडिया रास का आयोजन किया जाता है। खूबसूरत पारंपरिक पोशाक और डांडियों की खनक नवरात्र के इस माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं। नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्न करने के उपायों में से एक है नृत्य। शास्त्रों में नृत्य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है। नवरात्र पर्व के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन व कन्या भोज किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से नौ कन्याओं की पूजा की जाती है, जो देवी नवदुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। हिंदू दर्शन के अनुसार इन कन्याओं को सृजन की प्राकृतिक शक्ति की अभिव्यक्ति माना जाता है। आज शक्ति की साधना तो हम सभी कर रहे हैं किंतु लैंगिक समानता के धरातल पर हम सब अभी भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच सके हैं। देश में शक्ति पूजा पर्व मनाने के बावजूद हम स्त्री-पुरुष भेदभाव रोकने में असफल रहे हैं। स्त्रियों के प्रति अपराध और सामाजिक दूषण लगातार बढ़ रहा है। इस शक्ति पर्व में यही विचारणीय प्रश्न है। इस धरती की हर नारी शक्ति का स्वरूप है जिस तरह हम नवरात्रि में मातृशक्ति के अनेक स्वरूपों का पूजन करते हैं, उनका स्मरण करते हैं। उसी प्रकार नारी के गुणों का हम सम्मान करें। हमारे परिवार में रहने वाली माता, पत्नी, बहन, बेटी के साथ ही समाज की हर नारी को सम्मान दें। तभी मां शक्ति की आराधना की सच्ची सार्थकता साबित हो सकेगी।
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टीवी जर्नलिस्ट और सीनियर न्यूज एंकर निधि वासंदानी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ में अपनी करीब साढ़े तीन साल पुरानी पारी को विराम दे दिया है। वह इस चैनल की शुरुआत से ही इसके साथ जुड़ी हुई थीं और इन दिनों बतौर डिप्टी न्यूज एडिटर/सीनियर एंकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। मीडिया से बातचीत में निधि वासंदानी ने बताया कि 24 सितंबर इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस होगा। निधि ने बताया कि वह जल्द ही अपनी नई पारी शुरू करेंगी। ‘रिपब्लिक भारत’ को जॉइन करने से पहले निधि वासंदानी ‘इंडिया न्यूज’ में बतौर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और न्यूज एंकर की जिम्मेदारी निभा रही थीं। हालांकि, यहां उनका सफर महज आठ महीने ही रहा था। निधि वासंदानी को मीडिया में काम करने का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। ‘इंडिया न्यूज’ से पहले वह ’एबीपी न्यूज’ का चिर-परिचित चेहरा रही हैं। उन्होंने इस न्यूज चैनल के साथ करीब चार साल की पारी खेली। निधि वर्ष 2014 में ’एबीपी न्यूज’ के साथ जुड़ी थीं। वह 2014 के फीफा वर्ल्ड कप से लेकर ’एबीपी न्यूज’ के लोकप्रिय शो ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ तक कवर कर चुकी हैं। इसके साथ ही वह महाराष्ट्र और आस पास के राज्यों की खबरों वाला शो ‘मुंबई लाइव’ कवर कर चुकी हैं। निधि ये शो खुद ही बनाती थीं और इसकी एंकरिंग भी खुद ही करती थीं। नोटबंदी के दौरान निधि के काम को कई बार सराहा गया, क्योंकि उन्होंने कई ऐसे रिपोर्ट्स तैयार की थीं, जिसमें कैशलैस इंडिया की तस्वीर को उजागर किया गया था। ’एबीपी न्यूज’ से पहले निधि ’जी बिजनेस’ में कार्यरत थीं। यहां अप्रैल 2009 से मार्च 2014 तक अपनी पारी के दौरान उन्होंने प्रड्यूसर के साथ-साथ एंकरिंग की भी जिम्मेदारी संभाली। वह ‘जी मीडिया’ के अन्य न्यूज चैनलों में भी दे अपना योगदान दे चुकी हैं, जिनमें ‘जी’ यूपी/उत्तराखंड व ‘जी संगम’ शामिल है। इसके पहले वह मई 2007 से अप्रैल 2009 तक ‘सहारा समय’ में रही हैं। उन्होंने कुछ समय तक भोपाल में ‘राज न्यूज‘ और ‘भास्कर टीवी‘ के साथ भी काम किया है। निधि ने इकनॉमिक्स (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन किया है और वह डबल पोस्ट ग्रेजुएट (मास कम्युनिकेशन और पॉलिटिकल साइंस) हैं। निधि एक ट्रेंड क्लासिकल डांसर भी हैं, जिन्होंने कथक में ग्रेजुएशन किया है। वह कई स्टेज शो भी कर चुकी हैं। वह बच्चों को डांस भी सिखाती हैं। चूंकि उनका नाता भोपाल से हैं, लिहाजा वह भोपाल के दूरदर्शन में कई बार परफॉर्मेंस भी दे चुकी हैं। भोपाल की सर्वश्रेष्ठ क्लासिकल डांसर के तौर पर निधि को शिवराज सिंह चौहान सम्मानित भी कर चुके हैं।इसके अलावा निधि को वर्ष 2004 में सिंधि प्रतिभा के लिए नेशनल अवॉर्ड समेत कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
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पत्रकारों को राष्ट्रीय गौरव सम्मान विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वालों का भी हुआ सम्मान पत्रकार सही मायने में समाज का सजग प्रहरी होता है। वह समाज में घटित होने वाली हर अच्छाई और बुराई से अवगत कराता है। अपनी कलम और कैमरे से सकारात्मक संदेश देकर राष्ट्र का मान भी बढ़ाता है। ऐसे में राष्ट्र का मान बढ़ाने वालों सम्मान समाज को नई ऊर्जा प्रदान करता है। पद्मश्री बाबा लक्खा सिंह ने यह बात कही। ग्वालियर में विजयाराजे सिंधिया फॉउंडेशन एवं अटल भारत स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एसोसिएशन की ओर से बालभवन में आयोजित किये गए नेशनल गौरव अवॉर्ड सम्मान समारोह में बाबा लक्खा सिंह मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.केशव पाण्डेय ने की। जबकि मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष रघुराज कंषाना व सावित्री भदौरिया विशिष्ट अतिथि थे। मुख्य अतिथि श्री लक्खा सिंह ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में जब निःस्वार्थ भाव से सेवा करता है , तो वह स्वतः ही सम्मान का हकदार होता है। पत्रकारिता, चिकित्सा, शिक्षा, खेल, उद्योग, व समाज सेवा सहित विभिन्न क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं और यही लोग वास्तविक रूप से समाज, के साथ प्रदेश और देश का मान बढ़ाते हैं। विशिष्ट अतिथि श्री कंषाना ने कहा कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया फॉउंडेशन सेवा का संम्मान कर अनुकरणीय कार्य कर रहा है। इस तरह का सम्मान सेवा कार्य करने का उत्साह बढ़ाता है। इस दौरान जीवाराम मेमोरियल स्कूल के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं और पेशेवरों को राष्ट्रीय गौरव सम्मान से सम्मानित किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। संस्था के संस्थापक दिलीप चंद यादव ने स्वागत भाषण दिया और सचिव नरेंद्र सिंह गुर्जर ने संस्था की गतिविधियों से अवगत कराया। संचालन आयुषी ने तथा आभार व्यक्त डॉ. केशव पाण्डेय ने किया। ---- इनका हुआ सम्मान डॉ. सैम्युल रेडी मोटिवेटर हैदराबाद, डॉ. चिंता रविंद्रा चिकित्सक आंध्रप्रदेश, पोसुरु रतनाम समाजसेवी तेलंगाना, वी श्रीनिवास नायक बिल्डर हैदराबाद, यरराम वैंकटा रेडी चिकित्सक विजयवाड़ा, डी कोंडा समैया वास्तुविद करीमनगर, पत्रकारगण राकेश अचल, देव श्रीमाली, रामविलास शर्मा, रवि शेखर, महेश गुप्ता, प्रमोद भार्गव, जोगेंद्र सेन, हरीश दुबे, लाजपत अग्रवाल, जितेंद सिंह जादौन, संदीप शर्मा, नासिर गौरी, विनोद शर्मा, समाज सेवी दीपक तोमर, खिलाड़ी नेहा पाण्डेय, अंश जादौन एवं सुबोध शर्मा सहित अन्य प्रतिभयों को सम्मानित किया गया।
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स्वस्थ शैली से तय होगी उन्नत जीवन की राह (प्रवीण कक्कड़) मनुष्य के विकास में उसकी जीवनशैली का बहुत बड़ा योगदान होता है। यह जीवनशैली उसके व्यक्तित्व को दर्शाती है जिसका स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। इसमें उसकी दिनचर्या से लेकर उसका खान-पान, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक सब आता है। यदि, मनुष्य की जीवनशैली स्वस्थ होगी तो वह अपने कार्य पर पूर्ण रूप से ध्यान केंद्रित कर पाएगा लेकिन, यदि उसकी जीवनशैली सही नही हुई तो वह अपना पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केन्द्रित नहीं कर पाएगा। स्वस्थ दिनचर्या से ही स्वस्थ शरीर और स्वस्थ शरीर से स्वस्थ जीवन का निर्माण होता है। इसलिए, मनुष्य को अपनी जीवनशैली पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत है। स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवनशैली को हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती लेकिन कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं, दृढ़ संकल्प की कमी और व्यक्तिगत मुद्दों जैसे कई कारणों से इसका पालन नहीं कर पाते हैं। आजकल एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने के लिए बहुत दृढ़ संकल्प लेना पड़ता है। पूरे दिन के दौरान इतने सारे कार्यों को एक साथ पूरा करते हुए हमारा स्वास्थ्य का संतुलन अक्सर बिगाड़ जाता है। स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने और उसे किस तरीके से हासिल किया जा सकता है यह समझना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ जीवन शैली का अर्थ है स्वस्थ आहार खाने जैसी अच्छी आदतों का पालन करना, नियमित व्यायाम करना और रात में पर्याप्त नींद लेने के लिए समय निकालना। विभिन्न बीमारियों को दूर रखने और पूरी तरह से निरोगी जीवन जीने के लिए स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना आवश्यक है। हमारे ऋषि-मुनि कह गए हैं, 'पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में हो माया।' यदि काया अर्थात शरीर रोगी है तो आप धन कैसे कमाएंगे। यदि पहले से ही अपार धन है तो वह किसी काम का नहीं। धन से कोई रोग नहीं मिटता है। शरीर स्वस्थ और सेहतमंद है तभी तो आप जीवन का आनंद ले सकेंगे। घूमना-फिरना, हँसी-मजाक, पूजा-प्रार्थना, मनोरंजन आदि सभी कार्य अच्छी सेहत वाला व्यक्ति ही कर सकता है। अत: इसे समझना जरूरी है। यदि आप स्वस्थ हैं तो ही आपका जीवन है, अस्वस्थ काया में जीवन नहीं होता। व्यक्ति 4 कारणों से अस्वस्थ होता है: पहला मौसम-वातावरण से, दूसरा खाने-पीने से, तीसरा चिंता-क्रोध से और चौथा अनिद्रा से। मौसम और वातावरण आपके वश में नहीं, लेकिन घर और वस्त्र हों ऐसे कि वे आपको बचा लें। घर को आप वस्तु अनुसार बनाएं। हवा और सूर्य का प्रकाश भीतर किस दिशा से आना चाहिए, यह तय होना चाहिए ताकि वह आपके शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाले। हमें स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए कई चीजों से बचना भी बहुत जरूरी है। इनमें उस तरह की प्रथाएं और आदतें शामिल हैं जो हमारे लिए और हमारे आसपास के लोगों, यानी समाज के लिए भी हानिकारक हैं। इस तरह की प्रथाओं और आदतों में जुआ, धूम्रपान, शराब पीना, ड्रग्स या कोई अन्य चीजें शामिल हैं जो एक लत में बदल सकती हैं। ये आदतें न केवल आपके लिए बल्कि आपके आस-पास के सभी लोगों के लिए हानिकारक हैं, क्योंकि व्यसन अस्वास्थ्यकर दृष्टिकोण और व्यवहार का कारण बनता है। अन्य अस्वास्थ्यकर प्रथाओं में भोजन छोड़ना और जंक फूड खाना शामिल है। स्वस्थ जीवन शैली के लाभ कई गुना हैं एक स्वस्थ जीवन जीने से आप लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं, जिसका अर्थ है कि आपको अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता है। रोजाना व्यायाम करने से आपको एंडोर्फिन रिलीज करने में मदद मिलेगी और आपको खुशी महसूस करने में मदद मिलेगी। नियमित व्यायाम से आपकी त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है. साथ ही आपकी उपस्थिति भी बेहतर होती है। स्वस्थ जीवन शैली भी मुख्य रूप से आपके जीवन के लिए खतरनाक बीमारियों जैसे कैंसर, मधुमेह, आदि के जोखिम को कम करती है और हृदय गति रुकने की आपकी संवेदनशीलता को भी कम करती है। बॉक्स इन उपायों के साथ जीवनशैली स्वस्थ बनी रहेगी सुबह जल्दी उठना। ध्यान/मेडिटेशन करना। स्वस्थ जीवन शैली दिनचर्या में जरुरी है नियमित व्यायाम। अपने तनाव के स्तर को कम करना। सुबह का नाश्ता नियमित और अनिवार्य करना। स्वस्थ जीवन शैली अपनानी है तो हर दिन पर्याप्त नींद जरूर लेना। स्वस्थ और संतुलित आहार लेना।
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वरिष्ठ टीवी पत्रकार पलकी शर्मा द्वारा ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' में मैनेजिंग एडिटर पद से इस्तीफा देने के बाद से उनकी नई पारी को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं।अब मीडिया इंडस्ट्री में इस तरह की चर्चाएं हैं कि वह ‘नेटवर्क18’ समूह के साथ अपनी नई पारी शुरू कर सकती हैं। अंदरखाने के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वह यहां ‘नेटवर्क18’ समूह के किसी नए प्रोजेक्ट को लीड करेंगी। यह प्रोजेक्ट टीवी और डिजिटल दोनों के लिए शुरू होगा।सूत्रों का यह भी कहना है कि नेटवर्क प्रबंधन और पलकी शर्मा के बीच इस बारे में बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। हालांकि, आधिकारिक रूप से अभी इस बारे में कहीं से पुष्टि नहीं हुई है। बता दें कि पलकी शर्मा ने पिछले दिनों 'विऑन' में मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने प्राइम टाइम शो 'ग्रेविटास' के आखिरी एपिसोड की दो सितंबर को मेजबानी की थी। उन्हें इस साल मई में ही एग्जिक्यूटिव एडिटर से मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया था। पिछले करीब तीन साल से पलकी शर्मा और विऑन एक-दूसरे के पर्याय बन गए थे। पलकी शर्मा को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘दूरदर्शन न्यूज‘,‘हिन्दुस्तान टाइम्स‘,‘सीएनएन-आईबीएन‘ और ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।तमाम अहम जिम्मेदारियों के अलावा वह अब तक कई राष्ट्राध्यक्षों समेत देश-विदेश की जानी-मानी हस्तियों का इंटरव्यू भी कर चुकी हैं और कई बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों को कवर कर चुकी हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
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सहारा न्यूज नेटवर्क’ से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। दरअसल सहारा न्यूज नेटवर्क के सीईओ व एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए की है। हालांकि समाचार4मीडिया ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। ता दें कि वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने सितंबर, 2019 में सहारा समूह की मास मीडिया कंपनी से मेनस्ट्रीम मीडिया में वापसी की थी। उस दौरान उन्हें कंपनी में बतौर सीनियर एडवाइजर नियुक्त किया गया था। यहां इनकी ये दूसरी पारी थी। इसके बाद कंपनी ने उपेंद्र राय की जिम्मेदारी में परिवर्तन करते हुए उन्हें ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ के सीईओ व एडिटर-इन-चीफ की जिम्मेदारी सौंपी थी। गौरतलब है कि उपेन्द्र राय पूर्व में 'तहलका' समूह और सहारा समूह में सीईओ और एडिटर-इन-चीफ की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वह 'बिजनेस वर्ल्ड' मैगजीन के साथ भी एडिटोरियल एडवाइजर के तौर पर जुड़े रह चुके हैं। राय ने अपने करियर की शुरुआत 1 जून, 2000 को लखनऊ में ‘राष्ट्रीय सहारा’ से की थी। उन्होंने यहां विभिन्न पदों पर काम किया और वे यहां सबसे कम उम्र के ब्यूरो चीफ बनकर मुंबई पहुंचे। इसके बाद वे साल 2002 में ‘स्टार न्यूज’ की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बने। वहां उन्हें दो साल से भी कम समय में वरिष्ठ संवाददाता बनने का मौका मिला। वहीं से 'सीएनबीसी टीवी18' में 10 अक्टूबर, 2004 को प्रमुख संवाददाता के रूप में जॉइन किया। बतौर विशेष संवाददाता उन्होंने अक्टूबर 2005 में 'स्टार न्यूज' (अब 'एबीपी न्यूज') में वापसी की और दो वर्षो के अंदर एक और पदोन्नति मिली और चैनल में सबसे युवा एसोसिएट एडिटर बन गए। फिर जनवरी 2010 से दिसंबर 2014 तक 'सहारा न्यूज नेटवर्क' में एडिटर और न्यूज डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली। साथ ही वे इस दौरान प्रिंटर और पब्लिशर की भूमिका में भी रहे।
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पत्रकारों के बीमा प्रीमियम की बढ़ी हुई राशि शिवराज देंगे एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा पत्रकारों की बीमा राशि के बढ़े हुए प्रीमियम की राशि सरकार जमा करेगी,इसकी अवधि भी अब 16 सितम्बर से बढ़ाकर 30 सितम्बर कर दी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा हमारे पत्रकार मित्र, समाज के महत्वपूर्ण अंग है। लोकतंत्र के आधार स्तंभ है। हमारी सरकार हमेशा पत्रकारों के साथ रही है। कोविड के पहले भी, कोविड के समय भी और कोविड के बाद भी! उन्होंने कहा आगे भी उनका जीवन सहजता और सरलता से चलता रहे और जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करते रहें इसका सदैव प्रयास रहेगा।अभी इस दौरान अनेकों स्थान पर मुझे कई पत्रकार मित्रों ने कहा, कोविड काल में बीमा की बढ़ी हुई प्रीमियम की राशि सरकार ने भरी थी। अब वह प्रीमियम की राशि फिर बढ़ गई है। बढ़ी हुई राशि का व्यय सहन करने में कई तरह की परेशानियां रही है।इसलिए हमने तय किया है गत वर्ष के भांति इस वर्ष भी बीमा की बढ़ी हुई प्रीमियम की तरह पत्रकार मित्र नहीं भरेंगे, सरकार भरेगी।* मुख्यमंत्री ने कहा पत्रकार साथियों के मांग पर इसके फॉर्म भरने की तिथि को भी हमने 16 सितंबर से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया है।
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वरिष्ठ पत्रकार रवि के वैश्य ने हिंदी न्यूज चैनल ‘जनतंत्र टीवी’ के साथ मीडिया में अपने नए सफर का आगाज किया है। उन्होंने यहां पर बतौर मैनेजिंग एडिटर जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह सीधे चेयरमैन को रिपोर्ट करेंगे। इससे पहले रवि के वैश्य फिल्म और टीवी प्रॉडक्शन हाउस ‘D-Wish Production’ में करीब सवा चार साल से बतौर एडिटर और डिजिटल हेड अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। ‘D-Wish Production’ के साथ उनकी यह दूसरी पारी थी। मीडिया से बातचीत में रवि के वैश्य ने बताया कि ‘जनतंत्र टीवी’ में उन्हें टीवी के साथ डिजिटल का दायित्व भी मिला है। अपनी इस भूमिका में वह डिजिटल को आगे बढ़ाने के साथ-साथ चैनल के विस्तार की दिशा में भी काम करेंगे। उन्होंने बताया कि चैनल की उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब-हरियाणा में मौजूदगी है। जल्द ही बिहार और झारखंड में भी चैनल पहुंचेगा। इसके अलावा चैनल में जल्द ही अन्य बदलाव भी देखने को मिलेंगे। रवि के वैश्य पूर्व में ’अमर उजाला टीवी’ के हेड भी रह चुके हैं। हालांकि, यहां उनका कार्यकाल महज कुछ महीनों के लिए रहा था। उन्होंने अमर उजाला का डिजिटल टीवी लॉन्च करवाया था, जिसे प्रबंधन ने बाद में किन्हीं कारणों से बंद कर दिया था। रेजिडेंट एडिटर और कंसल्टेंट क्रिएटिव (डिजिटल हेड) के रूप में रवि के वैश्य ’एपीएन न्यूज’ में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा वह ‘टीवी टुडे नेटवर्क’ के हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ के साथ भी काम कर चुके हैं। ‘आजतक’ में अपनी करीब साढ़े पांच साल की पारी के दौरान वह क्राइम शो ‘वारदात‘ के प्रोड्यूसर और स्पेशल करेसपॉन्डेंट रहे। उन्होंने ही देश को पहला डेली क्राइम शो ‘क्राइम रिपोर्टर’ दिया था। वर्तमान में खुद को पूरी तरह से डिजिटल स्ट्रैटेजिस्ट के तौर पर स्थापित कर चुके रवि के वैश्य ने टीवी पत्रकारिता की शुरुआत ‘जी न्यूज’ से की थी। करीब सात साल तक उन्होंने यहां पर अपनी भूमिका निभाई। ‘जी’ में अपनी पारी के दौरान वह उत्तराखंड और चेन्नई ब्यूरो संभाल चुके हैं। रवि के वैश्य की पहचान एक खोजी पत्रकार के रूप में रही है। उन्होंने काफी दिनों तक साउथ अफ्रीका में रहकर ड्रग्स ट्रैफिकिंग पर भी स्टोरी की है। वह पूर्व दस्यु सुंदरी फूलन देवी पर सीरीज भी तैयार कर चुके हैं। खोजी पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। रवि के वैश्य के अनुसार उन्होंने वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा को सबसे पहले कवर किया। इसके लिए उनकी इनसाइड स्टोरी के साथ-साथ ‘आजतक’ की टीम को नेशनल टेलिविजन अवॉर्ड भी मिल चुका है। मूल रूप से बरेली के रहने वाले रवि के वैश्य को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। बरेली कॉलेज से ग्रेजुएट रवि के. वैश्य ने बरेली में ही ‘IASE Rohilkhand University’ से इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया है। इसके अलावा उन्होंने हरियाणा में हिसार स्थित ‘गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी’ से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है। दख़ल. नेट की ओर से रवि के वैश्य को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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(प्रवीण कक्कड़) हिंदू संस्कृति में पितृ पक्ष का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व पितरों यानि पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के सोलह दिनों तक मनाया जाता है। पितृ पक्ष लोगो द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पितृ पक्ष के पर्व में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए कई सारे प्रमुख स्थलों पर जाते है। इसके दौरान लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए श्रद्धाभाव से सभी धार्मिक रीती रिवाजों का पालन करते है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा पाठ और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। सरल शब्दों में कहें तो श्राद्ध पक्ष पूर्वजों के आदेशों को याद करने का समय है। उन्होंने अपने जीवन काल में जो मूल्य स्थापित के उन मूल्यों को आगामी पीढ़ी के लिए सहेजने और युवाओं को उससे अवगत कराने का समय श्राद्ध पक्ष है। हिन्दू धर्म में पूर्वजों की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए अनिवार्यता मानी गई हैं। पूर्वजों को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तथा उस उर्जा के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति का बड़ा सुन्दर और वैज्ञानिक विवेचन भी मिलता है। पितृपक्ष में जो तर्पण किया जाता है उससे वह पितृप्राण स्वयं आप्यापित होता है। पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो यव (जौ) तथा चावल का पिण्ड देता है, उसमें से अंश लेकर वह अम्भप्राण का ऋण चुका देता है। ठीक आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से वह चक्र उर्ध्वमुख होने लगता है। 16 दिन अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पितर उसी ब्रह्मांडीय उर्जा के साथ वापस चले जाते हैं। इसलिए इसको पितृपक्ष कहते हैं और इसी पक्ष में श्राद्ध करने से पित्तरों को प्राप्त होता है। पुराणों में कई कथाएँ इस उपलक्ष्य को लेकर हैं जिसमें कर्ण के पुनर्जन्म की कथा काफी प्रचलित है। एवं हिन्दू धर्म में सर्वमान्य श्री रामचरित में भी श्री राम के द्वारा श्री दशरथ और जटायु को गोदावरी नदी पर जलांजलि देने का उल्लेख है एवं भरत जी के द्वारा दशरथ हेतु दशगात्र विधान का उल्लेख भरत कीन्हि दशगात्र विधाना तुलसी रामायण में हुआ है। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण प्रमुख माने गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण तथा ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा वे सब बुजुर्ग भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने हमें अपना जीवन धारण करने तथा उसका विकास करने में सहयोग दिया। पितृपक्ष में सनातन व्यक्ति मन कर्म एवं वाणी से संयम का जीवन जीते हैं; पितरों को स्मरण करके जल चढाते हैं; निर्धनों एवं ब्राह्मणों को दान देते हैं। पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है, मैं यह कहना चाहूंगा कि दान और भोज तो अपनी जगह धार्मिक महत्व लिए हुए हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष वह समय है जब हम अपने पूर्वजों के आदर्शों को याद कर सकते हैं युवा पीढ़ी को पूर्वजों के आदेशों और संघर्षों से अवगत करा सकते हैं। जिस से आने वाली पीढ़ी को यह पता रहे कि वह किस विरासत के साथ वे दुनिया में आए हैं। हमारे धर्म-दर्शन के अनुसार जिस प्रकार जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है; उसी प्रकार जिसकी मृत्यु हुई है, उसका जन्म भी निश्चित है। ऐसे कुछ विरले ही होते हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। पितृपक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष के तथा तीन पीढ़ियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता हैं। इन्हीं को पितर कहते हैं। दिव्य पितृ तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण और दिव्य मनुष्य तर्पण के पश्चात् ही स्व-पितृ तर्पण किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं। जिस तिथि को पूर्वज का देहांत होता है, उसी तिथी को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं और घर-परिवार, व्यवसाय तथा आजीविका में हमेशा उन्नति होती है। सामान्य बोलचाल में श्राद्ध पक्ष को सिर्फ मरे हुये लोगों का काल कहा जाता है लेकिन यह धारणा सही नहीं है। श्राद्ध दरअसल अपने अस्तित्व से, अपने मूल से रूबरू होने और अपनी जड़ों से जुड़ने, उसे पहचानने और सम्मान देने की एक सामाजिक प्रक्रिया है। हम शादी पक्षों में अपने पूर्वजों को याद करें। उनके आदर्शों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाएं और समाज में भारतवर्ष के वही मूल्य स्थापित करें, जिसके कारण हम विश्व गुरु के रूप में जाने जाते हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) हिंदू संस्कृति में पितृ पक्ष का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व पितरों यानि पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के सोलह दिनों तक मनाया जाता है। पितृ पक्ष लोगो द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पितृ पक्ष के पर्व में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए कई सारे प्रमुख स्थलों पर जाते है। इसके दौरान लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए श्रद्धाभाव से सभी धार्मिक रीती रिवाजों का पालन करते है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा पाठ और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। सरल शब्दों में कहें तो श्राद्ध पक्ष पूर्वजों के आदेशों को याद करने का समय है। उन्होंने अपने जीवन काल में जो मूल्य स्थापित के उन मूल्यों को आगामी पीढ़ी के लिए सहेजने और युवाओं को उससे अवगत कराने का समय श्राद्ध पक्ष है। हिन्दू धर्म में पूर्वजों की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए अनिवार्यता मानी गई हैं। पूर्वजों को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तथा उस उर्जा के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति का बड़ा सुन्दर और वैज्ञानिक विवेचन भी मिलता है। पितृपक्ष में जो तर्पण किया जाता है उससे वह पितृप्राण स्वयं आप्यापित होता है। पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो यव (जौ) तथा चावल का पिण्ड देता है, उसमें से अंश लेकर वह अम्भप्राण का ऋण चुका देता है। ठीक आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से वह चक्र उर्ध्वमुख होने लगता है। 16 दिन अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पितर उसी ब्रह्मांडीय उर्जा के साथ वापस चले जाते हैं। इसलिए इसको पितृपक्ष कहते हैं और इसी पक्ष में श्राद्ध करने से पित्तरों को प्राप्त होता है। पुराणों में कई कथाएँ इस उपलक्ष्य को लेकर हैं जिसमें कर्ण के पुनर्जन्म की कथा काफी प्रचलित है। एवं हिन्दू धर्म में सर्वमान्य श्री रामचरित में भी श्री राम के द्वारा श्री दशरथ और जटायु को गोदावरी नदी पर जलांजलि देने का उल्लेख है एवं भरत जी के द्वारा दशरथ हेतु दशगात्र विधान का उल्लेख भरत कीन्हि दशगात्र विधाना तुलसी रामायण में हुआ है। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण प्रमुख माने गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण तथा ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा वे सब बुजुर्ग भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने हमें अपना जीवन धारण करने तथा उसका विकास करने में सहयोग दिया। पितृपक्ष में सनातन व्यक्ति मन कर्म एवं वाणी से संयम का जीवन जीते हैं; पितरों को स्मरण करके जल चढाते हैं; निर्धनों एवं ब्राह्मणों को दान देते हैं। पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है, मैं यह कहना चाहूंगा कि दान और भोज तो अपनी जगह धार्मिक महत्व लिए हुए हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष वह समय है जब हम अपने पूर्वजों के आदर्शों को याद कर सकते हैं युवा पीढ़ी को पूर्वजों के आदेशों और संघर्षों से अवगत करा सकते हैं। जिस से आने वाली पीढ़ी को यह पता रहे कि वह किस विरासत के साथ वे दुनिया में आए हैं। हमारे धर्म-दर्शन के अनुसार जिस प्रकार जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है; उसी प्रकार जिसकी मृत्यु हुई है, उसका जन्म भी निश्चित है। ऐसे कुछ विरले ही होते हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। पितृपक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष के तथा तीन पीढ़ियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता हैं। इन्हीं को पितर कहते हैं। दिव्य पितृ तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण और दिव्य मनुष्य तर्पण के पश्चात् ही स्व-पितृ तर्पण किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं। जिस तिथि को पूर्वज का देहांत होता है, उसी तिथी को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं और घर-परिवार, व्यवसाय तथा आजीविका में हमेशा उन्नति होती है। सामान्य बोलचाल में श्राद्ध पक्ष को सिर्फ मरे हुये लोगों का काल कहा जाता है लेकिन यह धारणा सही नहीं है। श्राद्ध दरअसल अपने अस्तित्व से, अपने मूल से रूबरू होने और अपनी जड़ों से जुड़ने, उसे पहचानने और सम्मान देने की एक सामाजिक प्रक्रिया है। हम शादी पक्षों में अपने पूर्वजों को याद करें। उनके आदर्शों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाएं और समाज में भारतवर्ष के वही मूल्य स्थापित करें, जिसके कारण हम विश्व गुरु के रूप में जाने जाते हैं।
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टीवी9 भारतवर्ष’ जॉइन हुई कीर्ति सक्सेना न्यूज24’ से खबर है कि यहां कीर्ति सक्सेना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे यहां डिजिटल में सोशल मीडिया को हेड कर रही थीं। फिलहाल ‘न्यूज24’ से अलग होकर उन्होंने ‘टीवी9 भारतवर्ष’ जॉइन किया है, जहां वे सीनियर सोशल मीडिया एसोसिएट की जिम्मेदारी संभालेंगी। भारतीय विद्या भवन से टीवी प्रॉडक्शन में पीजी डिप्लोमा करने वाली कीर्ति ने ‘न्यूज24’ में पांच वर्षों तक अपना योगदान दिया। यहां वे ग्रुप के ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक अकाउंट्स को हैंडल करती थीं। साथ ही यहां रहते हुए उन्हें एंकरिंग में भी हाथ आजमाएं। कीर्ति इससे पहले ‘इंडिया टीवी’ और ‘फोकस न्यूज’ में भी काम कर चुकी हैं। कुल दस वर्षों से वे मीडिया फील्ड में एक्टिव हैं।
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100 एपिसोड पूरे हुए तीन ताल के इंडिया टुडे’ समूह के ऑफिशियल पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म ‘आजतक रेडियो’ पर प्रसारित होने वाले ऑरिजनल पॉडकास्ट ‘तीन ताल’ के नाम एक खास उपलब्धि जुड़ने जा रही है। दरअसल, 10 सितंबर को इस शो के 100 एपिसोड पूरे होने जा रहे हैं। इस साप्ताहिक रेडियो पॉडकास्ट को वरिष्ठ पत्रकार और ‘इंडिया टुडे‘ समूह के न्यूज डायरेक्टर (डिजिटल) कमलेश किशोर, ‘आजतक‘ के एग्जिक्यूटिव एडिटर पाणिनि आनंद और ‘इंडिया टुडे‘ के एसोसिएट एडिटर कुलदीप मिश्रा होस्ट करते हैं। इस शो में उन्हें ’ताऊ’, ’बाबा’ और ’सरदार’ के उपनाम (निकनेम) से जाना जाता है। डेढ़ घंटे के इस शो पर तीनों वरिष्ठ पत्रकार मिलकर प्रत्येक शनिवार को राजनीतिक, सामाजिक, सोशल मीडिया पर वायरल कंटेंट, फूड, मूवीज समेत तमाम अहम मुद्दों पर बेहद ही रोचक तरीके से चर्चा करते हैं, जो लोगों को काफी पसंद आता है। सोशल मीडिया पर भी इस शो को काफी पसंद किया जाता है और लोग इस पर तरह-तरह के मीम्स बनाते रहते हैं। इस शो के सौ एपिसोड पूरे होने पर इसकी सफलता का जश्न मनाने के लिए 10 सितंबर को इंडिया टुडे ऑडिटोरियम में ‘तीन ताल सम्मेलन’ का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में श्रोताओं को अपने पसंदीदा होस्ट से मिलने और उनसे बातचीत करने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही वे रिकॉर्डिंग रूम में कैसे काम होता है, यह भी देख सकते हैं। बता दें कि अपनी शुरुआत के बाद से ‘आजतक रेडियो’ 23 पॉडकास्ट प्रड्यूस कर चुका है, जिनमें छह दैनिक, आठ साप्ताहिक और नौ आर्काइव्ड शो शामिल हैं, जिन्हें कभी भी सुना जा सकता है। ‘आजतक रेडियो’ हर हफ्ते 58 एपिसोड तैयार करता है, जिनमें 15 घंटे की ऑडियो प्रोग्रामिंग होती है। इस बारे में ‘इंडिया टुडे’ समूह की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी का कहना है, ‘आजतक रेडियो प्रभावशाली स्टोरीटेलिंग के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है, जो देश भर के श्रोताओं के लिए सुलभ, आकर्षक और प्रामाणिक है। ‘तीन ताल’ में मजाकिया अंदाज में जिस ईमानदारी से तमाम मुद्दों को लोगों के सामने रखा जाता है, वह उन्हें काफी पसंद आता है। इस शो को लोगों का जो प्यार मिला है, वह वाकई जबर्दस्त है।’
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बता दें कि मनोज मनु इससे पहले भी ‘आईटीवी नेटवर्क’ में एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। करीब नौ महीने पहले उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से यहां से बाय बोल दिया था। फिलहाल वह बंगाल की मीडिया कंपनी 'आरपी टेलिविजन' के साथ बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। यह कंपनी दिल्ली में अपना चैनल लॉन्च करने की तैयारी में है। 'कोलकाता टीवी' समेत बंगाल में इस मीडिया कंपनी के तीन चैनल्स हैं। गौरतलब है कि ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में अपनी पहली पारी से पहले मनोज मनु ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ में ग्रुप एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मूल रूप से ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के रहने वाले मनोज मनु ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत हिंदी दैनिक ‘स्वदेश’ से की और फिर ‘दैनिक भास्कर’ में काम किया। इसके बाद वह दिल्ली आ गए और वर्ष 2003 से ‘सहारा’ के साथ जुड़े हुए थे। इस नेटवर्क में छह चैनल हैं, जिनकी कमान मनोज मनु के हाथों में थी। दखल डॉट नेट की ओर से मनोज मनु को नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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बता दें कि मनोज मनु इससे पहले भी ‘आईटीवी नेटवर्क’ में एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। करीब नौ महीने पहले उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से यहां से बाय बोल दिया था। फिलहाल वह बंगाल की मीडिया कंपनी 'आरपी टेलिविजन' के साथ बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। यह कंपनी दिल्ली में अपना चैनल लॉन्च करने की तैयारी में है। 'कोलकाता टीवी' समेत बंगाल में इस मीडिया कंपनी के तीन चैनल्स हैं। गौरतलब है कि ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में अपनी पहली पारी से पहले मनोज मनु ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ में ग्रुप एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मूल रूप से ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के रहने वाले मनोज मनु ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत हिंदी दैनिक ‘स्वदेश’ से की और फिर ‘दैनिक भास्कर’ में काम किया। इसके बाद वह दिल्ली आ गए और वर्ष 2003 से ‘सहारा’ के साथ जुड़े हुए थे। इस नेटवर्क में छह चैनल हैं, जिनकी कमान मनोज मनु के हाथों में थी। दखल डॉट नेट की ओर से मनोज मनु को नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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वरिष्ठ पत्रकार पलकी शर्मा उपाध्याय ने ‘जी मीडिया’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'विऑन' से अपने इस्तीफे के खबर पर मुहर लगा दी है। इस बारे में उन्होंने एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में पलकी शर्मा ने लिखा है, ‘यह अब खबर नहीं है, लेकिन फिर भी बता दूं कि मैंने विऑन में अपने साढ़े पांच साल के सफर को विराम दे दिया है। इस दौरान मैं आपके सभी संदेशों और शुभकामनाओं से अभिभूत हूं। नई पारी का विवरण शेयर करने के लिए मैं इंतजार नहीं कर सकती हूं! बता दें कि पलकी शर्मा ने पिछले दिनों 'विऑन' में मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने प्राइम टाइम शो 'ग्रेविटास' के आखिरी एपिसोड की दो सितंबर को मेजबानी की थी। उन्हें इस साल मई में ही एग्जिक्यूटिव एडिटर से मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया था। पिछले करीब तीन साल से पलकी शर्मा और विऑन एक दूसरे के पर्याय बन गए थे। माना जा रहा है कि पलकी शर्मा ‘सीएनएन न्यूज18’ या ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप जॉइन कर सकती हैं। हालांकि, फिलहाल इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। पलकी शर्मा उपाध्याय को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘दूरदर्शन न्यूज‘,‘हिन्दुस्तान टाइम्स‘,‘सीएनएन-आईबीएन‘ और ‘आईटीवी नेटवर्क‘ में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।
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- प्रवीण कक्कड़ जिस प्रकार एक शिल्पकार पत्थर को आकार देता है और कच्ची मिट्टी को तपाकर उसके विकारों को दूर करता है। ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्रों के अवगुणों को दूर कर काबिल बनाता है। एक शिक्षक ही है जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है और जीवन में सही गलत को परखने का तरीका सिखाता है। जैसे एक मजबूत भवन के लिए पक्की नींव जरूरी है, वैसे ही हमें बेहतर जीवन के लिए शिक्षक का सानिध्य और मार्गदर्शन जरूरी है। शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। शिक्षक समाज में नैतिक मूल्यों और आदर्श नागरिकों का निर्माण करते हैं। भारत में प्रतिवर्ष शिक्षकों के सम्मान में 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को समाज के विकास में उनके अनकहे योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य जीवन की सीख देता है। शिक्षक ज्ञान का वह अविरल स्रोत है, जो लाखों छात्रों के भाग्य का निर्माण करता है। वह ज्ञान का एक ऐसा भंडार है, जो दूसरों को बनाने में स्वयं मिट जाता है। कहा जाता है कि, एक बच्चे के जन्म के बाद उसकी मां पहली गुरू होती है, जो अक्षरों का बोध कराती है। वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षक होते हैं, जो हमें काबिल बनाते हैं और सांसारिक बोध कराते हैं। जिंदगी के इम्तिहान में शिक्षकों के सिखाए गए सबक हमें सफलता की बुलंदियों पर ले जाते हैं। प्राचीन काल से ही गुरुओं का हमारे जीवन में विशेष योगदान रहा। 5 सितंबर को भारत देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ राधा कृष्णन का जन्म हुआ था। वह एक महान दार्शनिक शिक्षक भी थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनका अहम लगाव था। उन्होंने 40 साल तक शिक्षक के रूप में कार्य किया। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति का भी पदभार संभाल चुके हैं। अपने जीवन काल के दौरान वह एक मेधावी छात्र, प्रसिद्ध शिक्षक, एक बहुप्रसिद्ध लेखक और प्रसाशक भी रहे। साथ ही अपनी प्रतिभा के दम पर ही वह देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने। इतने ऊंचे पद पर रहने के बावजूद डॉक्टर साहब की सादगी देखने लायक थी। रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी एक पुस्तक में डॉ. साहब के जीवन से जुड़े एक किस्से का उल्लेख किया है। जब राधा कृष्णन मॉस्को में भारत के राजदूत थे, तब स्टालिन काफी लंबे समय तक उनसे मुलाकात के लिए राजी नहीं हुए। अंत में दोनों की मुलाकात हुई तो, डॉ. साहब ने स्टालिन को एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि हमारे देश में एक राजा था, जो बड़ा अत्याचारी और क्रूर किस्म का था। उसने काफी खून खराबा मचाया और उसी रक्त के आधार पर प्रगति की। किंतु एक युद्ध में उसके भीतर के ज्ञान को जगा दिया और तभी से उसने शांति और अहिंसा की राह को पकड़ लिया। स्टालिन आप भी उसी रास्ते पर क्यों नहीं आ जाते, स्टालिन ने राधा कृष्णन की इस बात पर कोई ऐतराज नहीं किया और वह मुस्कुरा उठे। इससे आप उनके लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते हैं। किसी भी देश के बेहतर भविष्य का निर्माण उस देश के शिक्षकों के जिम्मे रहता है। वे उस देश के नागरिक को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाने का रास्ता दिखाने का काम करते हैं। साथ हीं उन्हें सही और गलत को परखने का तरीका भी बताते हैं। इस तरह इंसान की पहली गुरु उसकी मां कही जाती है, जबकि शिक्षक उसे सांसारिक बोध कराने यानी जीवन में आगे बढ़ने का सही मार्गदर्शन करता है। शिक्षक के इसी महत्व को देखते हुए हमारे देश में हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस का महत्व किसी भी देश का उज्जवल भविष्य उस देश के शिक्षकों पर निर्भर करता है। वे युवाओं को सही दिशा में बढ़ने और सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं। वे ही अपनी शाला में देश के नेताओं, डॉक्टर, इंजीनियर, किसान, शिक्षक, व्यवसाइयों की नींव डालते हैं और देश की नियति को सही आकार देते हैं। इसके अलावा, समाज में नैतिक और आदर्श नागरिकों के निर्माण में भी उनका अभिन्न योगदान होता है। इतनी बड़ी भूमिका निभाने वाले शिक्षकों को सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
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पलकी शर्मा उपाध्याय का ‘विऑन’के मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा ने मीडिया इंडस्ट्री के गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।विऑन की मैनेजिंग एडिटर पलकी शर्मा के इस्तीफे के बाद ‘इंडिया अहेड’ के एडिटर-इन-चीफ व उनके पूर्व सहयोगी भूपेंद्र चौबे ने भी ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि पलकी शर्मा ने भारत में अंतरराष्ट्रीय न्यूज कवरेज की धारणा को ही बदलकर रख दिया है। अतीत में उनके साथ काम करने के बाद अपने अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि वह काफी लंबा सफर तय करेंगी। बड़े मीडिया हाउस हमेशा ही उन प्रतिभाओं को जोड़े रखने चाहता हैं, जिन्होंने अपने दम पर एक नई पहचान बनायी है। हालांकि कई मामलों में यह पहचान उनकी ब्रैंड से भी बड़ी हो जाती है। जैसा कि समाचार4मीडिया ने पहले ही बता चुका है कि आज शुक्रवार दोपहर 2 बजे ‘विऑन’ टीम के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की। फिलहाल वे आज रात अपने प्राइम टाइम शो 'ग्रेविटास' के आखिरी एपिसोड की मेजबानी करेंगी। गौरतलब है कि पलकी शर्मा दुनिया भर की खबरों को कवर करने में काफी आगे रहती हैं। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर उनकी रिपोर्ट की न केवल दुनिया भर के दर्शकों द्वारा, बल्कि भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा जैसे विश्व नेताओं द्वारा भी सराहना की गई है।
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स्थिति गंभीर , अस्पताल में चल रहा है इलाज मुंगावली में पत्रकार स्वदेश शर्मा पर जानलेवा हमला करने का मामला सामने आया है कवरेज करने गए पत्रकार पर लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया ... मारपीट के साथ पत्रकार पर झूठा प्रकरण भी दर्ज कर लिया गया है वहीं बुरी तरह घायल पत्रकार को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है एक निजी चैनल के रिपोर्टर स्वदेश शर्मा पर कुछ लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया स्वदेश शर्मा ने मुंगावली थाना प्रभारी को हमले की आशंका जताई थी जिसके बाद भी सिर्फ एक कॉन्स्टेबल घटनास्थल पर भेजा गया जो कि मूकदर्शक बनकर वीडियो बनाता रहा पीड़ित पत्रकार ने आरोप लगाया है कि दशरथ यादव और उसके परिवार के सदस्यों ने हथियार से लैस होकर हमला किया पत्रकार के साथ उसके पूरे परिवार के छोटे-छोटे बच्चों तक को बेरहमी से पीटा गया और यह धमकी दी गई है कि आगे अगर कोई कार्रवाई की गई तो परिवार को इसका अंजाम देखना पड़ेगा पत्रकार पर झूठा प्रकरण भी दर्ज करने की खबर सामने आई है स्वदेश शर्मा की स्थिति गंभीर है जिनको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है
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स्वरूपानंद सरस्वती जी के प्राकट्योत्सव में हुए शामिल पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर भाजपा कितनी ही टीका टिपण्णी करे लेकिन कमलनाथ की हिंदुत्व में आस्था किसी से छिपी नहीं है कमलनाथ परमहंसी आश्रम पहुंचे और जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के 99वें प्राकट्योत्सव एवं शताब्दी प्रवेश वर्ष महोत्सव में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जब अवसर मिलता है वे धर्म कर्म में लगे नजर आते हैं आज भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सांसद नकुलनाथ एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति गोटेगांव स्थित परमहंसी झोतेश्वर आश्रम में जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के 99वें प्राकट्योत्सव एवं शताब्दी प्रवेश वर्ष महोत्सव में शामिल हुए इस दौरान कमलनाथ अपने धार्मिक अंदाज में नजर आये कमलनाथ के धर्म कर्म में व्यस्त होने पर भाजपा हमेशा टीका टिपण्णी करती रही है लेकिन कमलनाथ इस सब से बेफिक्र नजर आते हैं
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अलीम बजमी प्रशांत: नाम की तरह ही व्यक्तिव, लेखन भी आतिशी-रेशमी आज उसकी जयंती है। पुण्य स्मरण। विनम्र श्रद्धांजलि। आज हर दिल अजीज प्रशांत कुमार की जयंती है। गत 23 जून 2002 को उसकी पुण्य तिथि थीं। दोस्त की याद में कैफियत ठीक नहीं हैं। प्रशांत से जुड़ी ढेर सारी यादें आंखों के सामने घूम रही हैं। भोपाल दैनिक भास्कर के न्यूज रुम के भीतर और बाहर की मधुर स्मृतियां हैं। मेरा एक सच्चा दोस्त, सबका हमदर्द, भरोसेमंद साथी बहुत जल्द साथ छोड़कर चला गया। उसे विनम्र श्रद्धांजलि। फेस बुक पर पूर्व में लिखी पोस्ट शेयर कर रहा हूं। प्रशांत कुमार। शानदार इंसान। अच्छा पत्रकार। दोस्तों का मददगार। आंखों पर गोल। लेकिन बड़े फ्रेम का चश्मा। घुंघराले बाल। हमेशा मुस्कुराते रहना। उसकी पहचान। खबरों के कारण आम-खास में लोकप्रिय। लेखन कभी रेश्मी तो कभी आतिशी। चापलूसों की जमात से बहुत दूर। पत्रकारिता के ग्लैमर में कभी न तो खुद को बांधा। न ही अखबार नवीसों के किसी गिरोह से नाता रखा। पत्रकारिता के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई। न किसी का पिछलग्गू बना। न ही किसी की छाप लगने दी। इसको लेकर सत्ता के गलियारों से मंत्रालय तक था, सिर्फ भ्रम। क्या नेता- क्या अफसर। सबके बीच खुसूरपुसर रहती। कुछ पूछते कि यार, यह किसका खास है। कौन सी विचारधारा का है? दरअसल उसका लेखन ही ऐसा था कि वह सबके करीब था। लेकिन यह सच नहीं। जीहां, हुजूर। यकीन मानिए। कुछ लोगों को तो गलतफहमी होगी। वे कोई किस्सा और कहानी गढ़ सकते हैं। किस्सा गो की तरह सुना भी सकते है। हकीकत यह है कि वे सिर्फ और सिर्फ पत्रकार था। आम आदमी की आवाज था। सामाजिक सरोकारों का पैरोकार था। मेहनतकश, मजलूम, मासूम और बेबस, बेसहारा की आवाज बुलंद करता। कर्मचारी वर्ग हो या राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता। सब उसे जानते। मौका मिलता तो ऐसी जमात से वे खूब बतियाता। तभी तो उसके पास रहता खबरों का खजाना। मेरे जैसे कई उससे रश्क करते। लेकिन उसकी काबलियत। सलाम और तारीफ करने लायक। प्रशांत की पत्रकारिता का सफर दिलचस्प है। पहले बैंक में नौकरी की। छटपटाहट में छोड़ दी। कुछ करने को लेकर बैचेनी थी। दिल है कि मानता नहीं, की तर्ज पर पहले उसने एक साप्ताहिक अखबार निकालकर खुद को तौला। फिर भोपाल दैनिक जागरण ज्वॉइन किया। उसे लगा कि यहां मंजिल नहीं हैं। कुछ माह बाद वे वर्ष 1989 में भोपाल दैनिक भास्कर में रिपोर्टर बन गया। यहां उसे संपादक के रूप में परम आदरणीय महेश श्रीवास्तवजी मिले। उनकी पारखी नजरों ने प्रशांत को पहचान लिया। उसे सबसे पहले बरकत उल्ला विश्वविद्यालय की कवरेज का जिम्मा सौंपा गया। साथ ही एप्को, एमपी पीसीबी जैसा संस्थान भी बीट की शक्ल में दिए गए। देखते ही देखते कलम के बूते पर वे छा गया। बाद में उसे प्रशासनिक और राजनीतिक रिपोर्टिंग का जिम्मा सौंपा गया। वे मगरुर नहीं था। सहयोगियों को हमेशा प्रोत्साहित करता। किसी की खामी या कमी को कोई मुद्दा नहीं बनाता। न ही कोई व्यंग्य करता। इस गुण के कारण दफ्तर के अंदर-बाहर वह सबका चहेता था। वे खबरों को लेकर बहुत संजीदा रहता। एकाग्रता के साथ लिखता। इस कारण उसकी कापी में शायद कभी करैक्शन या कटेंट के लेवल पर गलती निकली हो। याद नहीं पड़ता। सिद्धांत वादी भी था। उसने कभी खबर के स्त्रोत का नाम भी साझा नहीं किया। साइंस के स्टूडेंट रहे प्रशांत को आइंसटीन और न्यूटन के सिद्धांत की समझ थी। शायद यही वजह थी कि प्रयोगधर्मी पत्रकारिता के चलते 1990 के दशक में उसका कोई सानी नहीं था। मैंने भास्कर में काम करते हुए सुना था कि पूर्व संपादक (स्वर्गीय) श्याम सुंदर ब्यौहार जब सिटी रिपोर्टर थे, तब केएफ रुस्तमजी जैसे आईजी उन्हें फोन करके पूछते थे कि सब खैरियत हो तो मुझे सोने की इजाजत है। कुछ इस तरह मैंने प्रशांत के साथ भी देखा। कई मंत्री, अफसर उससे रोजाना बात करते। इस दौरान वह बात-बात में खबर निकाल लेता। तब मैं,प्रशांत न्यूज रूम में साथ ही बैठते थे। रोजाना काफी वक्त भी साथ गुजारते। उसने कई विषयों पर लेखन किया। उसकी लिखी कई खबरें भाषा शैली के कारण यादगार है। दुष्यंत कुमार की कई गजलें और शेर उसे याद थे। वे कुछ खास मौके पर अपने अंतरंग मित्रों के बीच इन्हें खास अंदाज में गुनगुनाता। इसी तरह हिंदी फिल्में देखने का उसे खूब शौक था। वे हास्य फिल्में खास तौर पर देखता। फिर हंसी-मजाक में उस फिल्म के किसी पात्र के नाम से अपने दोस्तों को बुलाता। बाद में खूब हंसता। सम्मान के नाम से तौबा। उसे खुद का सम्मान कराने में झिझक होती। कई संगठन आग्रह करते। लेकिन विनम्रता से इंकार करता। वे कहता कि पहले इस लायक तो बन जाऊं। हालांकि विधानसभा का संसदीय रिपोर्टिंग एवं नगर निगम का राजनीतिक रिपोर्टिंग समेत माधवसप्रे संग्रहालय का पुरस्कार उसने जरुर ग्रहण किया। वे अपने अंतरंग मित्रों के बीच अन्नू था। उसके मित्र जैसे प्रलय श्रीवास्तव, विजय पेशवानी और मैं अमूमन इसी नाम से बुलाते थे। आज वो नहीं है। फानी दुनिया को अलविदा कहे उसे करीब 18 बरस हो गए। उसका जाना किसी वज्र की तरह कम नहीं। अब उसकी यादें शेष हैं। हर लम्हा, ऐसा लगता हैं कि वो अब आता ही है। लेकिन जाने वाले कहां आते। इतने अर्से में अब उसके सभी मित्रों ने खुद को संभाल लिया। उसके परिजनों से लेकर दोस्तों ने नियति के हुक्म को मान लिया। ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दें। यही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना हैं। एक बार फिर शत्-शत्- नमन्। सादर आदरांजलि।(लेखक दैनिक भास्कर के न्यूज़ एडिटर हैं)
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प्रवीण कक्कड़ श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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प्रवीण कक्कड़ श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए।भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं।गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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प्रवीण कक्कड़ श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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श्रीगणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए। भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद में नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया। अंग्रेज भी इससे घबरा गये। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी। रपट में कहा गया कि गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे - लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू। पूजन का आयोजन किया तो उनका मकसद सभी जातियो धर्मो को एक साझा मंच देने का था जहां सब बैठ कर मिल कर कोई विचार करें। इस तरह गणेश उत्सव ने पूरे स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत व्यापक और जन हितैषी भूमिका निभाई। गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। श्रीगणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश उत्सव के पावन पर्व के मौके पर इन सब बातों का इसलिए और ज्यादा महत्व है कि हम पूजा अर्चना के साथ इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व को भी समझें। यह आस्था का पर्व है श्रद्धा का पर्व है और देश के अभिमान का पर्व है। आप सबको गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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उन्होंने सितंबर 2008 में इस्तीफा देने से पहले 14 महीने की अवधि के लिए चैनल 24 के लिए काम किया. उसी वर्ष उन्हें न्यूज 24 के साथ नौकरी मिली और रुबिका को एंकर और एक वरिष्ठ संवाददाता का पद मिला. कुछ समय बाद, उन्हें Zee News से एक प्रस्ताव मिला और उन्होंने Zee News के लिए काम करना शुरू कर दिया. रुबिका अपने शो के लिए ताल ठोक के नाम से जानी जाती थी और यह शो ज़ी टीवी पर प्रसारित होता है. यह मूल रूप से एक डिबेट शो था.अगस्त 2018 में रुबिका लियाकत ने ज़ी न्यूज़ से इस्तीफा दे दिया और एबीपी न्यूज़ नेटवर्क में शामिल हो गई. एबीपी न्यूज में उन्होंने सोमवार से शुक्रवार तक रात 9 बजे से प्राइमटाइम शो “मास्टर स्ट्रोक” की मेजबानी करना शुरू कर दिया देश के सबसे प्रतिष्ठित पत्रकारों में शुमार रजत शर्मा के फॉलोवर्स न सिर्फ ट्विटर पर लाखों में हैं, बल्कि फेसबुक पर भी उन्हें 23 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। उनका स्पेशल शो 'आज की बात' दर्शकों में काफी पसंद किया जाता है। मैट नवारा ने 'State of Journalism on Twitter 2022' नाम से मीडिया से जुड़े कई आंकड़े जारी किए। उन्होंने ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले पत्रकारों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सबसे ज्यादा फॉलोवर्स के मामले में रजत शर्मा दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं।
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अमेरिकी सांसदों ने जर्नलिज्म कॉम्पिटिशन एंड प्रिजर्वेशन एक्ट का रिवाइज्ड वर्जन पेश किया। इस बिल के जरिए गूगल और फेसबुक जैसे बिग टेक प्लेटफॉर्म के साथ न्यूज पब्लिशर्स का एक साथ बातचीत करना संभव हो पाएगा और पब्लिशर्स को इससे उनके कंटेंट का सही रेवेन्यू मिलने में मदद मिलेगी। दरअसल, गूगल-फेसबुक जैसी कंपनियां न्यूज ऑर्गेनाइजेशन के कंटेंट का इस्तेमाल करती है लेकिन सही मात्रा में रेवेन्यू शेयर नहीं करती। अमेरिका का यह कदम भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत सरकार और देश के समाचार संगठन दोनों ही डिजिटल मीडिया स्पेस को डेमोक्रेटाइज करना चाहते हैं और अमेरिका का ये कदम उस दिशा में एक बड़ा बूस्ट है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका को लोकतंत्र और फ्री स्पीच के एक प्रकाशस्तंभ के रूप में देखा जाता है। डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) ने अमेरिका के इस डेवलपमेंट का स्वागत किया। DNPA भारत के टॉप मीडिया ऑर्गेनाइजेशन्स के डिजिटल आर्म का एक प्लेटफॉर्म है। DNPA के एक सूत्र ने कहा, 'अमेरिकी सांसदों का गूगल जैसे शक्तिशाली प्लेटफार्मों की मोनोपॉलिस्टिक टेंडेंसीज (एकाधिकारवादी प्रवृत्ति) को रोकने के लिए ऐसा कदम उठाना खुशी की बात है। यह सही दिशा में एक बड़ा कदम है।' DNPA पिछले कुछ साल से भारत के डिजिटल मीडिया हाउसेज के साथ गूगल के रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल को और अधिक पारदर्शी बनाने की मांग कर रहा है। इस साल की शुरुआत में DNPA की शिकायत पर कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने गूगल के खिलाफ जांच शुरू की थी। अमेरिका से यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब कई बिग टेक दिग्गज भारत में एक संसदीय पैनल के सामने अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। मंगलवार को फाइनेंस पर संसदीय स्थायी समिति ने देश में बिग टेक की मोनोपॉलिस्टिक पैक्ट्रिसेज (एकाधिकारवादी प्रथाओं) पर कुछ कठिन सवालों का सामना करने के लिए गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, नेटफ्लिक्स और कुछ अन्य के प्रतिनिधियों को बुलाया था। इससे पहले गूगल जैसे न्यूज इंटरमीडियरीज की मोनोपॉली और पोजीशन के गलत इस्तेमाल को लेकर कैनेडा और ऑस्ट्रेलिया में भी एक्ट पास हो चुका है। कैनेडियन ऑर्डर में न्यूज पब्लिशर्स के साथ उचित रेवेन्यू शेयर करने के प्रावधान किए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया में भी टेक कंपनीज को पब्लिशर्स के साथ सही रेवेन्यू शेयर करना पड़ता है। दरअसल न्यूज मीडिया कंपनीज की ओर से जेनरेट किया गया कंटेंट एक ऐसा प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जिस पर विज्ञापन चलाए जा सकते हैं।
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एशिया के सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडाणी न्यूज चैनल NDTV की 29.18% हिस्सेदारी खरीदने जा रहे हैं। इस डील के बाद NDTV के इन्वेस्टर्स को खूब फायदा हो रहा है और बुधवार को भी इसके शेयरों पर अपर सर्किट लगा है। शानदार तेजी के साथ NDTV का शेयर बीएसई पर 380 रुपए पर खुला। थोड़ी ही देर में यह 5% की छलांग लगाकर 388.20 रुपए पर पहुंच गया। फिलहाल इसमें अपर सर्किट लगा हुआ है।इससे पहले मंगलवार को भी NDTV के शेयर पर अपर सर्किट लगा था और यह 5% चढ़कर 366.20 रुपए पर बंद हुआ था। NDTV का शेयर अगस्त 2008 के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। पिछले 1 महीने में ही NDTV के शेयर ने 42% का दमदार रिटर्न दिया है। वहीं अगर बीते 1 एक साल की बात करें तो इसने 392.95% का शानदार रिटर्न दिया है। एक साल पहले यानी 24 अगस्त 2021 को NDTV का शेयर 78.75 रुपए पर था। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार गौतम अडाणी के NDTV में हिस्सेदारी खरीदने से आने वाले दिनों में NDTV के शेयरों में तेजी जारी रह सकती है। ऐसे में जिन लोगों के पास NDTV के शेयर हैं उन्हें इसे होल्ड करना चाहिए। वहीं अगर कोई अब इसके शेयर खरीदने का मन बना रहा है तो लॉन्ग टर्म के लिए इसमें निवेश करना फायदा दिला सकता एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन गौतम अडाणी NDTV में 29.18% की हिस्सेदारी खरीदने जा रहे हैं। मंगलवार शाम को अडाणी ग्रुप ने इसका ऐलान किया। AMG मीडिया नेटवर्क लिमिटेड (AMNL) की सहायक कंपनी विश्वप्रधान कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) के जरिए यह इनडायरेक्ट स्टेक लिया जाएगा। AMG मीडिया अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) की ही सब्सिडियरी है।वहीं अडाणी ग्रुप NDTV में अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए भी 294 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 493 करोड़ रुपए के ओपन ऑफर की पेशकश करेगा
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 27 अगस्त को रायपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय कार्यकाल को लेकर प्रकाशित पुस्तक 'मोदी एट द रेट 20" पर प्रदेश के चुनिंदा 1,500 प्रतिनिधियों से संवाद करेंगे। रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए अलग-अलग वर्ग के लोगों को न्योता भेजा गया है। इनमें वकील, समाजसेवी, सीए, इंजीनियर, बुजुर्ग और युवा शामिल हैं। शाह सिर्फ संवाद कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ही रायपुर आ रहे हैं।कार्यक्रम प्रभारी ओपी चौधरी ने बताया कि 'मोदी एट द रेट 20" पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यपद्धति पर आधारित है। देश की जानी-मानी हस्तियां मोदी के बारे में क्या सोचती हैं, उनके विचारों पर आधारित लेख इस पुस्तक में हैं। भारतरत्न स्वर्गीय लता मंगेशकर ने इस पुस्तक की प्रस्तावना लिखी है। देश के नागरिकों के लिए यूनिक आइडी के जनक नंदन नीलेकणी ने इस पुस्तक में पीएम मोदी के लिए लिखा है।अभी यह पुस्तक अंग्रेजी में है, लेकिन इसका हिंदी संस्करण जल्द ही बाजार में आएगा। इस पुस्तक का उद्देश्य देश की तरक्की के लिए लगातार प्रयासरत प्रधानमंत्री मोदी के बारे में देश के प्रबुद्धजनों की सोच को बताना है। देश के लिए सोचने वाले वर्ग के बीच इस पुस्तक का प्रसार किया जाना है। जिला स्तर पर भी संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
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सेना के लिए रक्तदान शिविर में इकट्ठा हुआ 27 यूनिट रक्त - गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी दी श्रद्धांजलि, युवाओं का किया उत्साहवर्द्धन भोपाल। शहर के वरिष्ठ समाजसेवी स्व. दादा निर्मल कुमार केसवानी की दूसरी पुण्यतिथि के अवसर पर शहर के लोगों ने उन्हें भावुक होकर याद किया। इस मौके पर जहांगीराबाद स्थित खटलापुरा श्रीराम मंदिर में ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया। इस मौके पर मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने शिविर स्थल पर पहुंचकर दादा निर्मल केसवानी को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर और सह मीडिया प्रभारी नरेंद्र पटेल ने भी उपस्थित होकर पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम का आयोजन खटलापुरा भक्त मंडल, जागृत हिंदू मंच और हमारा भोपाल संस्था के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने बताया कि कैंप में करीब 27 यूनिट रक्त इकट्ठा किया गया है। विभागीय अधिकारियों से कहा जाएगा कि यह रक्त सेना के जवानों के लिए ही विशेष रूप से भेजा जाए। शिविर के दौरान युवाओं ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया। रक्तदान करने के बाद युवा भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। गृहमंत्री ने किया बांटे सर्टिफिकेट : इस मौके पर मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने रक्तदान करने वाले युवाओं को सर्टिफिकेट देकर उनका उत्साहवर्द्धन किया। गृहमंत्री ने युवाओं से कहा कि देश के लिए किए गए कार्यों से ही देश का विकास होगा। इसलिए देश के प्रति समर्पित होकर काम करना चाहिए। रक्तदान शिविर के बाद मंदिर में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ और पूजा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर युवाओं को सेना की अग्नीवीर योजना के बारे में भी जानकारी दी गई। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक भंडारे का आयोजन भी किया गया।
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परिवार के 2 बच्चों सहित 5 लोग घायल सिंगरौली में पानी के तेज़ बहाव से एक घर ढह गया जिसके कारण परिवार के 2 बच्चों समेत 5 लोग घायल हो गए पीड़ित रामसागर बसोर का कहना है कि सड़क का काम कर रही संविदाकार कंपनी tbcl की लापरवाही के कारण यह घटना हुई है कंपनी वालों ने जानबूझकर हमारे घर की ओर पानी की निकासी की जिससे यह घटना हुई गोंदवाली निवासी पीड़ित रामसागर बसोर के जमीन और घर का मुआवजा नहीं दिया गया जिससे वह और उसका परिवार पुराने घर में रह रहा था जोकि nh39 के बिल्कुल पास में है पानी की निकासी के लिए निर्माणाधीन कंपनी के कर्मचारियों ने उसके घर की ओर रास्ता बना दिया जिसके कारण मिट्टी और पानी एक साथ भारी मात्रा में बहा और पूरा का पूरा घर मिट्टी और पानी से गिर गया और घर के अंदर के लोग दब गए जिससे उनको काफी चोट लगी है फिलहाल घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल भेज दिया गया है।
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(प्रवीण कक्कड़) हमारे देश में अतिवृष्टि आज भी एक भीषण समस्या है। मौजूदा दौर में लगातार बारिश से कई जगहों पर बाढ़ के हालात हैं। इससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। मानव द्वारा निर्मित कांक्रिट के जंगलों और अदूरदर्शी योजनाओं के बीच नदियों-तालाबों का प्राकृतिक बहाव प्रभावित है। ऐसे में इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। सिर्फ डिजास्टर मैंनेजमेंट के भरोसे चीजों को नहीं छोड़ा जा सकता। इसे लेकर प्री प्लानिंग जरूरी है, तभी हम आमजन और मुख्यरूप से ग्रामीण परिवेश की आबादी को सुविधा दे सकते हैं। अतिवृष्टि और बाढ़ प्रबंधन की तैयारियाँ पूरी तरह से करें। इसके साथ ही बाँधों में वर्षा जल के अधिक भराव को नहरों में छोड़कर फसल उगाने वाले किसानों के खेतों तक भी पानी पहुँचाना व्यर्थ पानी बहाने का अच्छा विकल्प हो सकता है। वर्षा जल संरक्षण पर वन , ग्रामीण विकास , जल-संसाधन विभाग समन्वित कार्य-योजना बनायें। कार्य-योजना ऐसी हो, जिसमें अतिवृष्टि से बाढ़ से बचाव के साथ-साथ वर्षा जल का उपयोग और संरक्षण भी किया जा सके। वर्षा जल संरक्षण महत्वपूर्ण कार्य है। भारत में घटित होने वाली सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अधिक घटनाएँ बाढ़ की हैं। यद्यपि इसका मुख्य कारण भारतीय मानसून की अनिश्चितता तथा वर्षा ऋतु के चार महीनों में भारी जलप्रवाह है, परंतु भारत की असम्मित भू-आकृतिक विशेषताएँ विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ की प्रकृति तथा तीव्रता के निर्धारण में अहम भूमिका निभाती हैं। बाढ़ के कारण समाज का सबसे गरीब तबका प्रभावित होता है। बाढ़ जान-माल की क्षति के साथ-साथ प्रकृति को भी हानि पहुँचती है। अतः सतत् विकास के नज़रिये से बाढ़ के आकलन की ज़रूरत है। सामान्यतः भारी वर्षा के बाद जब प्राकृतिक जल संग्रहण स्रोतों/मार्गों की जल धारण करने की क्षमता का संपूर्ण दोहन हो जाता है, तो पानी उन स्रोतों से निकलकर आस-पास की सूखी भूमि को डूबा देता है लेकिन बाढ़ हमेशा भारी बारिश के कारण नहीं आती है, बल्कि यह प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही कारणों का परिणाम है। बाढ़ का पानी संक्रमण को अपने साथ लाता है बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में कई तरह की बीमारियाँ, जैसे- हैजा, आंत्रशोथ, हेपेटाईटिस एवं अन्य दूषित जलजनित बीमारियाँ फैल जाती हैं। बाढ़ की स्थिति इसे और अधिक हानिकारक बना सकती है। असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश (मैदानी क्षेत्र) और ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात के तटीय क्षेत्र तथा पंजाब, राजस्थान, उत्तर गुजरात एवं हरियाणा में बार-बार बाढ़ आने और कृषि भूमि तथा मानव बस्तियों के डूबने से देश की अर्थव्यवस्था तथा समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मध्यप्रदेश के धार में कारम डैम में हमने गंभीर हालातों को देखा। देश में असम में बाढ़ हो या हिमाचल में अतिवृष्टि हर जगह सरकारी प्रबंधन बौने नजर आते हैं। बाढ़ से बचने के लिए इस बारे में गंभीरता से सोचना जरूरी है, बारिश पूर्व और अतिवृष्टि के क्षेत्रों में शासन-प्रशासन को अधिक मुस्तैदी से आंकलन कराने की जरूरत है। तालाबों के गहरीकरण, बांधों से नहरों में पानी छोड़ने के प्रबंधन, वाॅटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा और किसी भी निर्माण कार्य में दूरदर्शी सोच और योजना से कई हालातों को टाला जा सकता है।
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घाट से हटाई गई दुकाने ,बाढ़ जैसे हालात बन रहे चित्रकूट में लगातार हो रही बारिश से मंदाकनी नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है जल स्तर बढ़ने से रामघाट की सभी सीढ़िया और दुकानें डूब गई हैं लगातार बारिश के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं मध्यप्रदेश के कई जिलों में लगातार बारिश का दौर जारी है भारी बारिश के चलते नदी नाले उफान पर है वहीं जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया चित्रकूट में लगातार हो रही बारिश से मंदाकनी नदी का जलस्तर भी बढ़ा हुआ है लगातार बाढ़ का पानी शहर के अंदर प्रवेश कर रहा है घाट की सभी दुकानों में पानी भरने के कारण दुकानों को खाली कराया जा रहा है चित्रकूट की मंदाकनी नदी में बाढ़ आने से कई गांव प्रभावित हो सकते है पहाड़ क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए हैं।
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भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्व फोटोग्राफी दिवस पर प्रेस फोटोग्राफर्स के साथ पौध-रोपण किया। मुख्यमंत्री चौहान ने स्वयं प्रेस फोटोग्राफर्स की फोटो खींची तथा उन्हें विश्व फोटोग्राफी दिवस की शुभकामनाएँ दी।मुख्यमंत्री चौहान ने बादाम, पीपल और गोंदी के पौधे लगाए। फोटो जर्नलिस्ट वेलफेयर सोसाइटी भोपाल के अध्यक्ष शमीम खान, मुख्यमंत्री प्रेस प्रकोष्ठ के फोटोग्राफर सलीम मिर्जा, प्रदेश टाइम्स के रविंदर सिंह, हरिभूमि के जसप्रीत सिंह, स्वदेश के एन. चौकसे सहित प्रेस फोटोग्राफर संदीप गुप्ता, पृथ्वीराज और विष्णु भी पौध-रोपण में शामिल हुए। मुख्यमंत्री चौहान के साथ 6 वर्षीय दिव्यांका भोंसले ने भी पौधा लगाया .. छत्रपति शिवाजी सेवा कल्याण समिति भोपाल से जुड़े उनके परिवार के सदस्य दिनेश भोंसले, दुर्गेश भोंसले श्रीमती प्रियंका भोंसले ने भी पौध-रोपण किया। समिति के सदस्य मुकेश मेल, आकाश प्रजापति, विभा गरूड़, ज्योति अंधाडे भी पौध-रोपण में शामिल हुई।
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अनुराग भारत देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ "आजादी का अमृत महोत्सव" के अवसर पर नई दिल्ली एनसीआर के नोएडा स्थित सेक्टर 62 से नेशनल हिंदी न्यूज़ चैनल "भारत 24" (vision of new India) की धमाकेदार लॉन्चिंग की गई। न्यूज़ चैनल का उद्घाटन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर भारत 24 न्यूज़ चैनल के डायरेक्टर रमेश लांबा, चैनल के सीईओ जगदीश चंद्रा, मैनेजिंग एडिटर अजय कुमार सहित देश के जाने-माने न्यूज़ एंकर एवं रिपोर्टर सहित चैनल का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा ।उद्घाटन के इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भारत 24 न्यूज़ चैनल को बधाई देते हुए कहा की "भारत 24"(vision of new India) न्यूज़ चैनल भारत सरकार की बात जनता तक और जनता की आवाज भारत सरकार तक पहुंचाने का काम करेगा।
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माँ शारदा की नगरी मैहर के पत्रकारों को दिल से सलाम करने का मन कर रहा है। मैहर के पत्रकारों ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक शानदार तिरंगा यात्रा निकाली और हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने में अपनी महती भूमिका अदा की मैहर का हर छोटा बड़ा पत्रकार तिरंगे की खातिर सड़क पर आया। हलाँकि ये काम महानगरों के पत्रकारों को करना चाहिए था। लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं। तमाम पत्रकारों के संगठन और क्लब इस मामले में फिसड्डी ही साबित हुए। हर शहर में पत्रकारों के भी कई धड़े हैं लेकिन पर मैहर जैसी चेतना किसी की जागृत नहीं हुई। छोटी जगह के पत्रकारों में बड़ा काम कर दिखाया वहीँ बड़ी जगह के बड़े पत्रकार कुछ और ही तीन तेरह में लगे रहे।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश सरकार ने डिजीटल मीडिया में काम कर रहे लोगों को खुश खबरी दे दी है। सरकार डिजीटल मीडिया को विज्ञापन देने की पॉलिसी ले आई है। वेब साईट हों ओटीटी प्लेटफॉर्म हों या फिर सोशल मीडिया अब हर जगह मध्यप्रदेश सरकार अपना प्रचार करती नजर आएगी। इस समय देश में 76 फीसदी लोग डिजीटल मीडिया से जुड़े हुए हैं। ऐसे में उन तक अपनी बात पहुँचने के लिए इस तरह की पॉलिसी की जरुरत एक लम्बे आरसे से महसूस की जा रही थी। हालाँकि इस पॉलिसी में भी कुछ कमियां और कुछ खूबियां हैं लेकिन यह सरकार के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
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डॉ. केसवानी संतों को आवश्यकता नहीं लक्जरी लाइफ की, मिर्ची बाबा जीता है लक्जरी लाइफ स्टाइल, जांच होने पर और भी मामले आएंगे सामने भोपाल। हाल ही में बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार हुए वैरागयनंद उर्फ मिर्ची बाबा को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कहा है कि मिर्ची बाबा एक पाखंडी है, जिसका काम केवल और केवल संत समाज को बदनाम करना है। मिर्ची बाबा संतों का चोला ओढ़ कर कांग्रेस के बैनर पर अपनी वासनाओं की पूर्ति कर रहा है। ऐसे फर्जी बाबाओं के कारण संत समाज को अपमान के घूट पीने पड़ते हैं। वहीं कांग्रेस की नीति सदैव सनातन धर्म को अपमानित करने की रही है। इसलिए वो सदैव से ऐसे पाखंडियों को आगे कर भाजपा और हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश रचती रही है। डॉ. केसवानी ने कहा है कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी। संभवतः मिर्ची बाबा के और भी ऐसे मामले सामने आएंगे, जिसमें उसने मासूम युवतियों के साथ खिलवाड़ की होगी। मिर्ची बाबा साधु का चोला ओढ़ कर लक्जरी लाइफ स्टाइल जीता है। इसके आश्रम में छापा पड़ने के बाद कई वीआईपी प्रोडक्ट और ऐशो आराम की चीजें बरामद हुई थीं। दिग्विजय सिंह के हारने के बाद भी नहीं ली जल समाधि : मिर्ची बाबा को राजनीति में लाने का श्रेय दिग्विजय सिंह को जाता है। जिन्होंने इस पाखंडी को अपने फायदे के लिए हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए राजनीति में लॉन्च किया। बाबा धर्म का चोला ओढ़ हिंदुओं को कांग्रेस में जोड़ने का काम कर रहा था, लेकिन वो इसमें थोड़ा भी कामयाब नहीं हो पाया। लोकसभा चुनाव के समय बाबा ने घोषणा की थी कि यदि दिग्विजय सिंह भोपाल से चुनाव हार गए, तो वे जलसमाधि ले लेंगे। दिग्विजय चुनाव हार गए और बाबा कि जल समाधि की घोषणा भी झूठी साबित हुई। उसके बाद बाबा फिर से अपनी पाखंड की दुकान की ओर लौट गया, जिसके कारनामे अब सामने आने लगे हैं।कांग्रेस ने दिया था राज्य मंत्री का दर्जा :पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले मिर्ची बाबा को कांग्रेस ने राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। मिर्ची बाबा का काम धर्म की आड़ लेकर कांग्रेस की राजनीति चमकाना है। जबकि संत समुदाय का काम लोगों को धर्म की शिक्षा देकर लोगों में परस्पर भाईचारा बढ़ाना होता है, इसके विपरित मिर्ची बाबा हमेशा कड़वी बातें कर लोगों को भड़काता रहा। वो लगातार राजनीति की आड़ में अपनी इच्छापूर्ति के लिए काम करता रहा, जिसका अंजाम उन्हें इस रूप में भुगतना पड़ा। उनकी लाइफ स्टाइल को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो इसी तरह के कामों में लिप्त हैं। सरकार इस मामले की पूरी जांच जांच करेगी। ताकि जो भी पीड़ित हैं, उन्हें न्याय मिल सके।
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संसार की सबसे कीमती दौलत है “दोस्ती” प्रवीण कक्कड़ “कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत।” सुविख्यात कवि रहीमदास द्वारा रचित यह दोहा हम सब ने अपने किताबों में पढ़ा है। इस दोहे के माध्यम से कवि हम से कहता है, जब व्यक्ति के पास संपत्ति होती है तब उसके अनेक सगे-संबंधी तथा मित्र बनते हैं, उसके समीप आते हैं, पर विपत्ती के समय में जो आपका साथ दे, वहीं सच्चा मित्र है। आमतौर पर हम उसे दोस्त मानते हैं जो हमारे साथ पढ़ता है, काम करता है, खेलता है या मौज मस्ती करता है लेकिन इसके वास्तविक मायने काफी गहरे हैं। वास्तव में दोस्ती संसार की सबसे कीमती दौलत है अगर यह समय, साथ और समर्पण के सूत्र से बंधी हो। आज फ्रेंडशिप डे है। अन्तरराष्ट्रीय मित्रता दिवस या फ्रेंडशिप डे प्रत्येक वर्ष अगस्त के प्रथम रविवार को मनाया जाता है। सर्वप्रथम मित्रता दिवस 1958 को आयोजित किया गया था। वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे दोस्ती मनाने के लिए एक खास दिन है। यह दिन अमेरिकी देशों में बहुत लोकप्रिय उत्सव हो गया था जबसे पहली बार 1958 में पराग्वे में इसे 'अन्तरराष्ट्रीय मैत्री दिवस' के रूप में मनाया गया था। आरम्भ में ग्रीटिंग कार्ड उद्योग द्वारा इसे काफी प्रमोट किया गया, बाद में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा और इंटरनेट के प्रसार के साथ साथ इसका प्रचलन विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश और मलेशिया में फैल गया। इंटरनेट और सेल फोन जैसे डिजिटल संचार के साधनों ने इस परम्परा को को लोकप्रिय बनाने में बहुत सहायता की। फ्रेंडशिप डे को सेलिब्रेट करना भले ही आज मॉडर्न ट्रेंड हो, लेकिन दोस्ती की यह परंपरा प्राचीन है। राम-सु्ग्रीव व कृष्ण-सुदामा से लेकर अकबर-बीरबल तक कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनकी दोस्ती की आज भी चर्चा होती है। भारत के इतिहास व अनुश्रुतियों में इस तरह के कई उदाहरण दर्ज हैं। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे खून के रिश्ते की जरूरत नहीं होती। व्यक्ति को प्रत्येक रिश्ता अपने जन्म से ही प्राप्त होता है, अन्य शब्दों में कहें तो ईश्वर पहले से बना के देता है, पर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसका चुनाव व्यक्ति स्वयं करता है। सच्ची मित्रता रंग-रूप नहीं देखता, जात-पात नहीं देखता, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी तथा इसी प्रकार के किसी भी भेद-भाव का खंडन करती है। आमतौर पर यह समझा जाता है, मित्रता हम-उम्र के मध्य होती है पर यह गलत है मित्रता किसी भी उर्म में और किसी के साथ भी हो सकती है। जरा सोच कर देखिए बिना दोस्तों की जिंदगी कितनी बोरिंग सी लगती है. हम किसके साथ अपने दिल की बात शेयर करते और बातों-बातों में किसकी टांग खींचते हैं। हंसी-मजाक, रूठना- मनाना बस यही है दोस्ती। व्यक्ति के जन्म के बाद से वह अपनों के मध्य रहता है, खेलता है, उनसें सीखता है पर हर बात व्यक्ति हर किसी से साझा नहीं कर सकता। व्यक्ति का सच्चा मित्र ही उसके प्रत्येक राज़ को जानता है। पुस्तक ज्ञान की कुंजी है तो एक सच्चा मित्र पूरा पुस्तकालय, जो हमें समय-समय पर जीवन की कठिनाईयों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में दोस्तों की मुख्य भूमिका होती है। ऐसा कहा जाता है की व्यक्ति स्वयं जैसा होता है वह अपने जीवन में दोस्त भी वैसा ही चुनता है और व्यक्ति से कुछ गलत होता है तो समाज उसके दोस्तों को भी समान रूप से उस गलती का भागीदार समझते हैं। क्योकि दोस्तों का फर्ज होता है कि अगर दोस्त से गलती हो तो उसे सही राह दिखाएं और सदमार्ग पर लाने का प्रयास करें। जीवन के हर मोड़ में एक नया दोस्त बनता है। लेकिन गहरा संबंध कुछ ही दोस्तों के साथ हो पाता है हर जगह नहीं मुलाकात में एक नए दोस्त के रुप में कोई न कोई व्यक्ति आपके सामने जरूर आता है। लेकिन हर किसी के साथ गहरी दोस्ती नहीं हो पाती है। दोस्ती में कई बार झगड़े भी होते हैं। लेकिन बिना किसी घमंड के एक दूसरे से माफी मांग ली जाती है। क्योंकि यह रिश्ता निस्वार्थ रिश्ता है। आखिर में इतना कहूँगा कि अच्छे दोस्त बनाओ, कभी भी अपने दोस्तों का दिल मत दुखाओ और उन्हें कभी धोखा नहीं दो । चाहे दुःख हो या सुख हमेशा एक दूसरे का साथ दो और एक दूसरे की हमेशा सहायता करो। यही दोस्ती का असली रूप और असली मजा है।
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भ्रष्टाचारियों को है जेल में जाने का डर : डॉ. केसवानी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर भाजपा प्रवक्ता ने साधा निशाना भोपाल। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान पर निशाना साधा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे प्रधानमंत्री मोदी से नहीं डरते हैं। भाजपा प्रवक्ता ने उनको आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी से वही लोग डरते हैं, जिन्हें देश के विकास की नहीं बल्कि अपनी तिजोरियां भरने की चिंता है। डॉ. केसवानी ने कहा कि देश का विकास, उन्नति, एकता और अखंडता चाहने वाला हर व्यक्ति पीएम मोदी से प्यार करता है। वहीं प्रधानमंत्री भी दिन रात इसी प्रयास में हैं कि देश का हर व्यक्ति विकास की धारा से जुड़े और उसे सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार मिले। सुलभ हुआ इलाज, हर निर्धन को मिली छत डॉ. केसवानी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हर व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान देने की अनूठी योजना बनाई है। जिन लोगों को इस योजना के तहत पक्के मकान मिले हैं, वे पीएम से प्यार करते हैं। आयुष्मान योजना से जिन लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा मिली है, वे पीएम मोदी से प्यार करते हैं। उज्जवला योजना ने चूल्हे के धुंए से 10 करोड़ से ज्यादा माताओं बहनों को मुक्ति दिलाई है। वे भी पीएम के साथ हैं। ऐसे अनेकों योजनाएं हैं, जिन्होंने आम लोगो का तो जीवन बदला है। देश की दशा और दिशा बदली है, देश आज विकास की राह पर अग्रसर है। वहीं जो लोग भ्रष्टाचार के कारण घबराए हुए हैं, वही पीएम मोदी से डर रहे हैं और खुद की घबराहट छिपाने ना डरने का राग अलाप रहे हैं।
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अनुराग उपाध्याय मध्यप्रदेश कांग्रेस के बहुत सारे प्रवक्ता फेल हो गए हैं। कांग्रेस के भीतर प्रवक्ताई की परीक्षा हुई और उसके परिणामों ने सबको सकते में डाल दिया। बताते है कांग्रेस के दमदार प्रवक्ता के के मिश्रा को सौ में से 28 भूपेंद्र गुप्ता को 22 ,अब्बास हाफिज को 20 ,संगीता शर्मा को 20 , अजय सिंह यादव को 19 नंबर मिले हैं। इस परीक्षा में सबसे ज्यादा 98 नंबर मिथुन अहिरवार और और 95 नंबर आनंद जाट के आये हैं। लेकिन कांग्रेस की कसौटी पर कई बड़े प्रवक्ता पासिंग मार्क्स भी नहीं ला पाए हैं। हालाँकि कांग्रेस नेता के के मिश्रा परीक्षा की बात को ही सिरे से खारिज करते हुए इसे भाजपा की शरारत बताते हैं।
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अनुराग उपाध्याय कांग्रेस दफ्तर में बैठाए गए पत्रकार पियूष बबेले भी गिरोह बंदी का शिकार हो गए हैं। उनके आने के बाद से मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के काम काज में तो कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। अलबत्ता कुछ नए सहाफी उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते जरूर नजर आते हैं। नए पत्रकारों की मानें तो बबेले भी पत्रकारों की गोल्डन गैंग के आगे नतमस्तक नजर आते हैं और नए पत्रकारों को भाव नहीं देते हैं। यही वजह है कि एक मीडिया के व्यक्ति के बैठने के बावजूद कांग्रेस को मीडिया में वो जगह नहीं मिल पा रही जिसकी कांग्रेस हकदार है। वहीँ दूसरी तरफ भाजपा में पत्रकार लोकेन्द्र पराशर मोर्चे पर हैं। नए पत्रकार कहते हैं अगर पराशर और बबेले की तुलना की जाए तो लोकेन्द्र पाराशर को जहाँ सौ में से 80 नंबर दिए जा सकते हैं वहीँ पियूष बबेले के खाते में सिर्फ 20 नंबर जाते हैं।
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(प्रवीण कक्कड़) - ( चरक जयंती 2 अगस्त को ) - आज विदेशी भी अपना रहे हैं भारतीय आयुर्वेद सावन महीने की पंचमी को चरक जयंती मनाई जाती है। आयुर्वेद के ग्रंथ भावप्रकाश के अनुसार आज के ही दिन आयुर्वेद के महान आचार्य चरक का भी जन्म हुआ था। कहा जाता है कि आयुर्वेद को जानने और समझने के लिए आचार्य चरक के चिकित्सा सिद्धांतों को समझना बहुत जरूरी है। इसलिए आयुर्वेद के चिकित्सकों के बीच आचार्य चरक का महत्व सबसे ज्यादा है। चरक आयुर्वेद के पहले चिकित्सक थे, जिन्होंने भोजन के पाचन और रोगप्रतिरोधक क्षमता की अवधारणा को दुनिया के सामने रखा। भारत ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व में चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने आयुर्वेद का प्रमुख ग्रंथ ‘चरक संहिता’ लिखा था। मौजूदा दौर में भारतीय आयुर्वेद को देश के साथ ही विदेश में भी अपनाया जा रहा है और कारगर माना जा रहा है। इसलिए आचार्य चरक को याद करते हुए आज चर्चा करते हैं उनके आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर और भारतीय परिपेक्ष में आयुर्वेद पर।चरक संहिता आयुर्वेद का प्राचीनतम ग्रंथ है, जिसमें रोगनिरोधक व रोगनाशक दवाओं का उल्लेख मिलता है। इसके साथ ही साथ इसमें सोना, चांदी, लोहा, पारा आदि धातुओं से निर्मित भस्मों और उनके उपयोग की विधि भी बताई गई है। आज हम जिस आयुर्वेद को देखते हैं वह महर्षि पतंजलि और महर्षि चरक के श्रम और साधना का ही परिणाम है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है। आयुर्वेदीय चिकित्सा विधि सर्वांगीण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों दशाओं में सुधार होता है। आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं। अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है। व्यावहारिक रूप से आयुर्वेदिक औषधियों के कोई दुष्प्रभाव (साइड-इफेक्ट) देखने को नहीं मिलते। अनेकों जीर्ण रोगों के लिए आयुर्वेद विशेष रूप से प्रभावी है। आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकित्सा करता है बल्कि रोगों को रोकता भी है। आयुर्वेद भोजन तथा जीवनशैली में सरल परिवर्तनों के द्वारा रोगों को दूर रखने के उपाय सुझाता है। आयुर्वेदिक औषधियाँ स्वस्थ लोगों के लिए भी उपयोगी हैं।आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा में सरलता से उपलब्ध जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले काम में लाये जाते हैं। आयुर्वेदीय चिकित्सा विधि सर्वांगीण है एवं इस चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों दशाओं में सुधार होता है। आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं। अनेकों जीर्ण रोगों के लिए आयुर्वेद विशेष रूप से प्रभावी है। आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकित्सा करता है बल्कि रोगों को रोकता भी है। आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा में सरलता से उपलब्ध जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले काम में लाये जाते हैं। गत दिनों पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि आयुर्वेद विशेषज्ञों से रोगों के उपचार एवं महामारी विज्ञान के नए-नए क्षेत्रों में आयुर्वेद की प्रभावशीलता एवं लोकप्रियता को बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत के गांवों में आज भी पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियां प्रचलित हैं। उन्होंने कहा था कि अभी भी किसी अन्य चिकित्सा पद्धति ने इसका स्थान नहीं लिया है।
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भाजपा प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी बोले, मोदी की नीतियों से हुआ भाजपा मय देश भाजपा मय प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणामों में भाजपा को मिली शानदार जीत भोपाल। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणामों में मप्र में भाजपा द्वारा कांग्रेस को दिए गए क्लीन स्वीप के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी की न्यू इंडिया विजन, मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान की सेवा और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की चुनावी रणनीति का ही परिणाम है कि भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर साबित किया है कि भाजपा आज हर नागरिक के दिल में अपनी विशिष्ट जगह बना चुकी है। डॉ. केसवानी ने कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा भाजपा को शहर की पार्टी कहकर कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया गया। हालांकि नगरीय निकाय चुनाव परिणामों में भी भाजपा ने अपनी रणनीति और प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा किए गए विकास और न्यू इंडिया विजन का लोहा मनवाया, लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा आज देश और प्रदेश के कोने कोने में बैठे लोगों की दिल में जगह बना चुकी है। 65 हजार बूथों पर पहले डिजीटली फिर प्रत्यक्ष किया निरीक्षण : डॉ. केसवानी ने बताया कि इस जीत के लिए कार्यकर्ताओं ने दिन रात मेहनत की है। प्रदेश के 65 हजार बूथों पर भाजपा पहले डिजीटली पहुंची। बूथों के डिजीटल निरीक्षण के बाद भी कार्यकर्ता घर पर नहीं बैठे, बल्कि प्रत्यक्ष पहुंचकर बैठकें ली। इस दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के विकास के लिए किए जा रहे कार्यों और न्यू इंडिया विजन को प्रदेश के कोने कोने में पहुंचाया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 15 सालों की सेवा की जानकारी भी हर बूथ तक और कार्यकर्ताओं तक पहुंचाई गई। यह सीएम श्री शिवराज की मेहनत का ही परिणाम है, जिसके कारण प्रदेश विकास के मामले में नए कीर्तिमान रच रहा है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष माननीय श्री वीडी शर्मा की कुशल रणनीति के कारण ही भाजपा ने इतनी बड़ी जीत हासिल की है। कुछ इस तरह रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 के चुनाव परिणाम : कुल जिला पंचायतों की संख्या : 52 भाजपा : 41 कांग्रेस : 10 कोर्ट स्टे : 01 कुल जनपद पंचायतों की संख्या : 313 भाजपा : 227 कांग्रेस : 65 अन्य : 21 कोर्ट स्टे : 01 कुल ग्राम पंचायतें : 22924 भाजपा समर्थित : 20613
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सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा है कि अब हर वर्ष अटेर उत्सव मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार ओरछा उत्सव और अन्य उत्सव का आयोजन किया जाता है, उसी प्रकार संस्कृति विभाग द्वारा अटेर उत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन होगा। इस वर्ष अटेर में 27-28 नवम्बर को अटेर उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह बातें सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने भिण्ड में मीडिया प्रतिनिधियों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान कहीं। सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री माननीय सुश्री उषा ठाकुर जी ने अटेर उत्सव आयोजन के उनके आग्रह को स्वीकार किया। इसके लिये वह क्षेत्र की जनता की ओर से उनका ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि अटेर उत्सव आयोजन के लिये उनके द्वारा पिछले वर्षों से पहल की जा रही थी। सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि अटेर के ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक विरासत से नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिये अटेर उत्सव में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। भिण्ड जिले के अटेर की ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर के संरक्षण का कार्य भी होगा। अटेर उत्सव राज्य सरकार के सांस्कृतिक आयोजन के कैलेण्डर में सम्मिलित किया गया है।
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अपनी नाकामी छिपाने कार्यकर्ताओं की ले रहे हैं परीक्षा : डॉ. केसवानी भोपाल। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा हाल ही में आयोजित मीडिया कमेटी की परीक्षा पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने तंज कसा कसते हुए इस परीक्षा पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र में राहुल गांधी फेल और एमपी में कमलनाथ और पूरी कांग्रेस फेल हो गई है। तो इस तरह के एग्जाम क्यों कंडक्ट किए जा रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि नाथ अपनी और राहुल की फैलियर छिपाने कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं। इससे केवल और केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कमलनाथ हर मोर्चे और हर चुनाव में फेल साबित हुए हैं। देश और प्रदेश की जनता का भरोसा कांग्रेस से उठ गया है। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा एग्जाम भी हो, जिसमें राहुल गांधी और कमल नाथ सहित सभी दिग्गजों की दक्षता को आंका जाए। जिससे पता चले की पार्टी की भविष्य में दिशा और दशा क्या होगी? नटवर, अजीज और पीके ने भी दिखाया है आईना भाजपा प्रवक्ता ने बताया कि राहुल के नेतृत्व को कांग्रेस के वरिष्ठ लोग ही नकार चुके हैं। हाल में नटवर सिंह ने कहा है कांग्रेस को सोनिया गांधी और राहुल गांधी की जरूरत नहीं है। जबकि इन दोनों को कांग्रेस की जरूरत है। नटवर ने आरोप लगाया कि जब तक इन दोनों या गांधी परिवार में किसी के भी हाथ कांग्रेस की बागडोर रहेगी तो वे किसी भी योग्य व्यक्ति को आगे नहीं आने देंगे। अजीज कुरैशी ने भी राहुल गांधी को अपरिपक्व बताते हुए कहा था कि जब तक उनके हाथ कांग्रेस की बागडोर है, कांग्रेस का भला नहीं हो सकेगा। वहीं पीके ने भी राहुल को आइना दिखाते हुए कहा था कि उनके कार्यकाल में पार्टी 90 फीसदी चुनाव हारी है।लगातार हार रही है कांग्रेस भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 2018 में बनाई सरकार बनाई थी। लेकिन इसे नाथ संभाल नहीं पाए, 18 महीने बाद ये सरकार गिर गई। इसके बाद 28 उपचुनाव, नगरीय निकाय और जनपद हर चुनाव में कांग्रेस हारी ही है। ऐसे में एक टेस्ट तो नाथ का भी होना चाहिए। जिससे उनके कामकाज का आंकलन किया जा सके। ये है पूरा मामला कांग्रेस के मध्य प्रदेश चीफ कमल नाथ ने हाल ही में पीसीसी में कांग्रेस की प्रदेश मीडिया कमेटी का एक एग्जाम कंडक्ट किया था। इस एग्जाम में लगभग सभी पदाधिकारी फेल हो गए थे, एक पदाधिकारी को जीरो मार्क्स भी दिए गए। डॉ. केसवानी ने कहा कि इस तरह के एग्जाम केवल मनोबल को गिराने का ही काम करते हैं। इस कमेटी की जिम्मेदारी पार्टी के ऑफिशियल बयान मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाना है।
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(प्रवीण कक्कड़) भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बनीं और वरिष्ठ नेता श्री यशवंत सिन्हा ने संसदीय गरिमा के अनुरूप चुनाव में भाग लिया। इस लेख में हम राष्ट्रपति चुनाव की राजनीति के बजाय भारत के राष्ट्रपति के पद के महत्व के बारे में चर्चा करेंगे।जब भारत का संविधान बन रहा था, तब इस बात पर बड़ी गंभीरता से विचार चल रहा था कि भारत में अमेरिका की तर्ज की राष्ट्रपति प्रणाली होनी चाहिए या ब्रिटेन की तर्ज वाली संसदीय यानी प्रधानमंत्री प्रणाली। संविधान सभा की स्थापना से पहले ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विधि विशेषज्ञ और उस जमाने के प्रतिष्ठित न्यायाधीश श्री बी एन राऊ से आग्रह किया की वे भारत के लिए एक भविष्योन्मुखी और वर्तमान पर खरा उतरने वाले संविधान का निर्माण करें। बीएन राउ साहब दुनिया के अलग-अलग देशों में गए और वहां के संविधान और शासन प्रणाली का अध्ययन किया।उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पंडित नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना आजाद के साथ ही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आदि ने भारत की संसदीय प्रणाली के बारे में अपनी राय का निर्धारण किया।उस समय तक भारत में वर्तमान राष्ट्रपति के समकक्ष का पद गवर्नर जनरल का होता था। भारत के साथ आजाद हुए पाकिस्तान ने मोहम्मद अली जिन्ना को अपना पहला गवर्नर जनरल ही नियुक्त किया था। लेकिन भारत के लोगों ने तय किया कि भारत में कमोबेश ब्रिटेन की तर्ज का लोकतंत्र हो, जिसमें कैबिनेट सर्वोच्च हो और प्रधानमंत्री समान दर्जे के मंत्रियों के बीच पहला मंत्री बने। भारत में राष्ट्रपति का पद भी तय किया गया, जिसकी शक्तियां कुछ कुछ ब्रिटेन की महारानी की तरह होती है। लेकिन उसकी शक्तियां अमेरिका के राष्ट्रपति की तरह नहीं होती। अमेरिका का राष्ट्रपति एक सम्राट से थोड़ा कम और प्रधानमंत्री से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है।क्योंकि भारत के राष्ट्रपति का पद ग्रेट ब्रिटेन के राजा या रानी की तरह का होता है तो उसमें कई बार ऐसा लगता है कि वह रबड़ स्टांप होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। भारत के राष्ट्रपति को अपनी ज्यादातर जिम्मेदारियों का निर्वाह मंत्रिमंडल के परामर्श पर करना होता है, लेकिन उसके पास नीर क्षीर विवेक करने का पर्याप्त मौका भी होता है।इसकी प्रमुख वजह यह है कि वह जनता के द्वारा भले ही सीधे ना चुना गया हो लेकिन देश के विधायक और सांसद उसके लिए वोट डालते हैं। यानी राष्ट्रपति एकदम से बिना निर्वाचन के चुने जाने वाला व्यक्ति नहीं है।राष्ट्रपति से यह आशा की जाती है कि अगर लोकसभा लोकलुभावन फैसले लेने के दबाव में कोई कानून पास कर देती है और राज्यसभा के बुद्धिमान सदस्य भी उस पर अपनी मोहर लगा देते हैं तो उसके पास अधिकार है कि वह वापस संसद को उस कानून को एक बार फिर से देखने के लिए भेज सकें। भारत के राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का काम प्रधानमंत्री या दूसरा कोई व्यक्ति नहीं करता बल्कि भारत के प्रधान न्यायाधीश करते हैं।भारत का राष्ट्रपति एक ऐसी सर्वोच्च संवैधानिक कचहरी है, जहां पर हर कोई अपनी फरियाद कर सकता है। आपने बहुत से ऐसे मामले देखे होंगे जब विपक्ष के नेता प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री या केंद्र सरकार के खिलाफ शिकायत करने राष्ट्रपति के पास जाते हैं। राष्ट्रपति इनमें से ज्यादातर मामलों में संबंधित शिकायत को गृह मंत्रालय के पास ही भेज देते हैं लेकिन राष्ट्रपति के पास शिकायत करने का नैतिक महत्व बहुत अधिक होता है।इस देश में हमने ऐसे भी उदाहरण देखे हैं जब डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणव मुखर्जी तक राष्ट्रपति ने कई जगह संसद के कार्यकलाप की बहुत सटीक संवैधानिक आलोचना की है या उसके किए फैसलों पर आंख मूंद कर सहमति जताने से इनकार किया है। क्योंकि भारत के राष्ट्रपति की परिकल्पना बहुत हद तक ग्रेट ब्रिटेन के राजा की तरह होती है। और यह माना गया है कि राजा कोई गलती नहीं कर सकता। गलती ना करने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने हाथ से कोई काम ना करे। इसीलिए ब्रिटेन के राजा की तर्ज पर भारत का राष्ट्रपति भी स्वयं कोई काम नहीं करता, उसकी तरफ से मंत्रिगण ही सारे काम संपादित करते हैं। इस हैसियत के कारण राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होता है और उसके साथ लगभग वैसा ही सम्मान का व्यवहार किया जाता है, जैसा व्यवहार पुराने जमाने में राजाओं के साथ होता था। भारत में प्रधानमंत्री आवास बदलते रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति भवन आज तक वही है जो पहले राष्ट्रपति के लिए तय हुआ था। प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल 5 साल से पहले भी खत्म हो जाते हैं, लेकिन राष्ट्रपति पूरे 5 साल तक अपने पद पर रहता है।भारत का राष्ट्रपति अगर किसी कार्यक्रम में जाता है तो वह निर्वाचित प्रधानमंत्री या अन्य किसी संसदीय व्यक्ति की तुलना में उसकी कुर्सी सबसे ऊपर होती है। वह भारतीय लोकतंत्र की गरिमा का जीवंत प्रतिमान है।इसीलिए हम सबको याद रखना चाहिए कि राष्ट्रपति का सम्मान देश के सम्मान के समकक्ष है। वह चुनाव में उतरने से पहले ही अपने सभी किस्म के राजनीतिक राग द्वेष और संबंधों को त्याग देता है। पूरे देश में उसी के पास सुप्रीम कोर्ट में सुनाए गए फैसले के बारे में भी पुनर्विचार करने का अधिकार होता है। यह पद सर्वोच्च नैतिकता और सर्वोच्च सम्मान की मांग करता है। क्योंकि अगर पहली चीज नहीं आई तो दूसरी चीज चाह कर भी नहीं दी जा सकती। भारत के राष्ट्रपति के इन विशेषताओं और जिम्मेदारियों को हमें समझना चाहिए। और इन विशेषताओं के बहाने भारतीय लोकतंत्र की जटिलता और विकेंद्रीकृत स्वभाव को भी समझना चाहिए।
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प्रिंट की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कम जवाबदेह भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडियो को लेकर तीखी टिप्पणी की। CJI NV Ramana ने कहा, इन दिनों जजों पर हमले बढ़े हैं। बिना किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के न्यायाधीशों को उस समाज में रहना होगा जिसमें उन्होंने लोगों को दोषी ठहराया है। न्यायमूर्ति एसबी सिन्हा स्मृति व्याख्यान के अवसर पर CJI ने कहा, 'मैंने कई मौकों पर अदालतों में लंबित मुकदमों का मामला उठाया है। मैं न्यायाधीशों को उनकी पूरी क्षमता के अनुसार कार्य करने में सक्षम करने का प्रबल समर्थक रहा हूं। इसके लिए के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करने की आवश्यकता है।'इस दौरान उन्होंने देश में मीडिया की स्थिति पर भी बहुत कठोर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि मीडिया अपनी जिम्मेदारियों का उल्लंघन करता है, जिससे हमारा लोकतंत्र दो कदम पीछे जा रहा है। प्रिंट मीडिया भी कुछ हद तक जवाबदेह है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जवाबदेही शून्य हो गई है। मीडिया ऐसे मुद्दों पर कंगारू कोर्ट चला रहा है, जो जजों के लिए भी काफी मुश्किल होते हैं।उन्होंने आगे कहा, आधुनिक लोकतंत्र में एक न्यायाधीश को केवल एक कानून निर्माता के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। लोकतांत्रिक जीवन में न्यायाधीश का विशेष स्थान है। वह समाज की वास्तविकता और कानून के बीच की खाई को पाटता है, वह संविधान की लिपि और मूल्यों की रक्षा करता है।
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नेहा बग्गा बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बी.एल.ए भारतीय जनता पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं। सजग और उत्साहित त्रिदेव ने स्थानीय निकाय के चुनाव में भाजपा का परचम लहराया।जब से जनसंघ की स्थापना हुई और भारतीय जनता पार्टी बनी, तभी से वह पूरे देश में एक मात्र ऐसी पार्टी है जो संगठन और विचारधारा के आधार पर चलती है। सभी पार्टियों का आप एक एक कर विश्लेषण कर लीजिए, सभी नेताओं के आधार पर चलती हैं, घरानों के आधार पर चलती हैं और जातियों के आधार पर भी चलती हैं। एक अकेली बीजेपी ऐसी पार्टी है, जिसका प्राण तत्व है उसका संगठन और संगठन में भी उसका प्राण तत्व है बूथ कमेटी, बूथ के इंचार्ज। मध्यप्रदेश के सभी कार्यकर्ता नेता अभिनंदन के पात्र हैं जिन्होंने त्रिदेव योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने का कार्य किया।त्रिदेव बूथ के वह तीन कार्यकर्ता हैं जो भारतीय जनता पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं। अगर यह 3 कार्यकर्ता सजग हैं, उत्साहित हैं और अगर ये विजय का संकल्प लेते हैं तो कोई विजय को रोक नहीं सकता, विजय हो के रहती है। भारतीय जनता पार्टी जब भी चुनाव के मैदान में जाती है तो सबसे पहले बूथ के कार्यकर्ताओं को जागरूक और संगठित करने का कार्य करती है। जबकि बाकी सभी पार्टियां जातियों और नेताओं के आधार पर चुनाव लड़ती है। इसलिए आज नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी को16 नगर निगम में से 9 नगर निगम भाजपा की विजयी हुई है। 76 नगर पालिका में 50 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत है। (कुल 65) वही 255 नगर परिषद में से 185 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है, 46 में हमारी स्थिति अच्छी है। कुल (231).वर्ष 2014 में 98 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 54 सीटों पर विजयी हुई थी, कुल 55 प्रतिशत, इस वर्ष 76 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 65 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है, जीत का प्रतिशत 85 प्रतिशत रहा है।वर्ष 2014 में 264 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 154 सीटों पर विजयी हुई थी। कुल 58 प्रतिशत, इस वर्ष 255 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 231 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है। जीत का प्रतिशत 90.58 प्रतिशत रहा है। कटनी, रायसेन, राजगढ, सागर, जबलपुर, सिवनी, देवास, सीहोर, नरसिंहपुर, रीवा, मुरैना इन जिलों की नगर परिषदों में भाजपा का प्रदर्शन लगभग शत प्रतिशत रहा है।विदिशा, छिंदवाडा, सीहोर, सागर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर इन पांच जिलों की नगर पालिकाओं में हम शत प्रतिशत जीते है। छिंदवाडा जिले की तीनों नगर पालिकाओं (अमरवाडा, चौरई और परासिया) में भाजपा जीती है।जबलपुर में 8 में से 6 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है। मुरैना में 5 में से 4 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है। रीवा में 12 में से 11 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है।ग्वालियर में सभी 5 नगर परिषदों में कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा का प्रदर्शन बेहतर है। कटनी में 3 नगर परिषद में से 3 में भाजपा विजयी हुई है।16 नगर निगम के 884 वार्डों में से 491 वार्डो में भाजपा विजयी रही।76 नगरपालिकाओं के 1795 वार्डों में से 975 वार्डों में भाजपा विजयी रही। 255 नगर परिषदों के 3828 वार्डों में 2002 वार्डो में भाजपा विजयी रही। भारतीय जनता पार्टी पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस के आधार पर राजनीति को बदलना चाहती है, राजनीति में ऐसी कार्य संस्कृति बनाना चाहती है, जिसका आधार सरकार के काम हों और उसी को जन जन तक पहुंचाने का काम बीजेपी के संगठन में त्रिदेव और बूथ विस्तारक योजना के जमीनी कार्यकर्ताओं ने किया है, जो राजनैतिक और सामाजिक तौर पर 365 दिन 24 घंटे जनता के बीच में रहकर सरकार की योजनाओं को अंतिम पंक्ति में बैठे हुए व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए सक्रिय रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हर बूथ पर, हर गांव पर, हर पहाड़ पर संघर्ष कर पार्टी और सरकार के कार्य को घर-घर पहुंचाने में सफल हुआ है।यह सभी के लिए गौरव का क्षण है और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता यह अनुभूति करता है इस सरकार ने सदैव उनकी भी सेवा की जिन्होंने वोट नहीं दिया। वैक्सीन उनको भी लगाई जिन्होंने वैक्सीन का समर्थन नहीं किया। यह मेरी सरकार का संस्कार है। नरेंद्र मोदी जी का नारा है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। हम सर्वे भवन्तु सुखिन: वाली पार्टी हैं। पूरे प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में पार्षदों का चुन कर आना बीजेपी की बूथ विस्तारक योजना, बूथ के कार्यकर्ताओं के परिश्रम और जनता ने जिस तरीके से सहयोग किया वह भारतीय जनता पार्टी के प्रति लोगों के विराट विश्वास को दर्शाता है। (लेखिका भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता हैं | )
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सुधीर चौधरी आज तक पर प्रकट हुए तो उन्होंने कहा सिर्फ स्थान बदला है और नाम बदला है। अब परिवार और बड़ा हो गया है। अब रात नौ बजे से ‘आजतक’ पर सुधीर चौधरी शो ब्लैक एण्ड व्हाइट लेकर आये हैं ,ज़ी पर उनके शो का नाम डीएनए था।ज़ी छोड़ने के बाद से सुधीर चौधरी को लेकर तरह तरह की चर्चाएं थीं। जिन पर उनके आज तक पहुँचने पर विराम लगा। वे आजतक पहुंचे हैं तब से चर्चा थी कि उनके शो का नाम क्या होगा। इस काम में आजतक समूह भी जुटा हुआ था और अंततः उनके शो का नाम ब्लैक एण्ड व्हाइट रखा गया। सुधीर चौधरी का डीएनए शो जी न्यूज़ पर काफ़ी हिट था। खूब टीआरपी भी जबर आती थी। अब देखना है आजतक पर “ब्लैक एंड व्हाइट” शो जनता को कितना पसंद आता है और नंबर गेम में वो कहाँ तक पहुंचता है।
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हंगामे का वीडियो हुआ वायरल,अकेली छात्रा तीन छात्राओं पर भारी छतरपुर से एक हंगामे का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमे एक अकेली छात्रा तीन छात्राओं के साथ फ़िल्मी स्टाइल में मारपीट करती दिखाई दे रही हैं छात्राओं के बीच मारपीट में चाक़ू भी इस्तमाल किया गया है बताया जा रहा है ये छात्रा महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी की है जिसे अन्य कॉलेज की तीनो छात्राएं परीक्षा देने से रोकने आई थी छतरपुर में छात्राओं के बीच हुई मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है जिसमे महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी की एक छात्रा के साथ तीन छात्राऐं मारपीट करने पहुंची थी लेकिन जिस अकेली छात्रा को ये तीनो छात्राएं मारने पहुंची थी उस छात्रा ने तीनो छात्राओ की फिल्मी स्टाईल मे मारपीट कर दी छात्रों के बीच हुई मारपीट का वीडियो वहां खड़े हंगामा देख रहे कुछ छात्रों ने बना लिया जो अब सोशल मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है हंगामे की सूचना सिविल लाईन.पुलिस को लगते ही वह भी मौके पर पहुँच गयी और इस पूरे मामले की जांच में अनुशासन समिति जुटी है बताया जा रहा है की , छात्राओ के बीच किसी बात पर अनबन होना थी जो मारपीट मे बदल गयी मारपीट में चाक़ू का भी इस्तमाल किया गया है साथ ही यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ . जे पी मिश्रा , का कहना है कि यह सभी छात्राये गर्ल्स काँलेज की है जो यूनिवर्सिटी की छात्रा को परीक्षा देने से रोकने आई थी जिसकी लिखित शिकायत उनके पास है इस मामले को पुलिस को भेज दिया गया है।
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प्रवीण कक्कड़ गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः संसार में वैसे तो महत्वपूर्ण दिवसों की कमी नहीं है, लेकिन गुरु पूर्णिमा का महत्व उनमें सबसे अलग है। इस दिन हम अपने गुरु का स्मरण करते हैं, उनका सम्मान करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। यह तो हम सब जानते हैं कि गुरु का प्रचलित अर्थ अध्यापक, शिक्षक, टीचर या इसी तरह के दूसरे शब्द हैं। लेकिन गुरु शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई? गुरु शब्द में दो हिस्से हैं गु और रु। गु का अर्थ है अंधकार और रु का अर्थ है प्रकाश। अर्थात जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वही गुरु है। इस तरह देखें तो उपनिषद का वाक्य "तमसो मा ज्योतिर्गमय" कहीं ना कहीं गुरु के लिए ही कहा गया है। इसीलिए आज भी हम अपने समाज में देखते हैं तो बहुत से लोग आपको ऐसे मिल जाएंगे जो अध्यापकों के प्रति कृतज्ञ होते हैं और व्यावहारिक अर्थ में उन्हें अपना गुरु भी मानते हैं। लेकिन असल में वे किसी ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति को अपना गुरु मानते हैं जिससे उन्होंने दीक्षा ली हो। भारतीय परंपरा में गुरु दीक्षा का बहुत महत्व है। इस परंपरा का अनुभव करने वाले जानते हैं कि जब गुरु दीक्षा देता है तो संबंधित व्यक्ति के कान में कोई मंत्र देता है। सामान्यतः गुरु अपने शिष्य से कोई ना कोई एक चीज का त्याग करने का आग्रह भी करता है।आजकल तो लोग खाने या पीने की कोई चीज छोड़ देते हैं लेकिन असल में इसका मूल मकसद किसी बुराई को त्यागने से होता है। हमारा गुरु हमसे ऐसे त्याग की अपेक्षा करता है जो संसार के कल्याण में हो। एक बात और ध्यान रखिए कि आजकल गुरु बड़ी जल्दी से गुरु दीक्षा और गुरु मंत्र दे देते हैं, लेकिन पुराने समय में शिष्य लंबे समय तक गुरुकुल में रहते थे। भिक्षा मांग कर खाते थे। अपने गुरु से विद्या सीखते थे और गुरु की सेवा करते थे। जब यह शिक्षा पूर्ण हो जाती थी तो गुरुजी परीक्षा लेते थे। और परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाने के बाद ही उससे गुरु दक्षिणा स्वीकार करते थे। उस जमाने में मासिक फीस भरने का चलन नहीं था। प्राचीन भारत के गुरुकुल में राज पुत्र और गरीब के बेटे दोनों को एक समान व्यवस्था में अध्ययन करना होता था। यह भारतीय परंपरा का पुराना समाजवाद है। खैर आपको भी लगता होगा कि कहां इस गुरु पूर्णिमा पर पुराने जमाने की बातों का सिलसिला शुरू कर दिया गया। कुछ बातें नए जमाने की भी होनी चाहिए। तो नए जमाने की बात करें। आजकल गुरुकुल तो नहीं होते हॉस्टल जरूर होते हैं। बहुत से शिक्षक सिर्फ गुरु दक्षिणा के उद्देश्य से पढ़ाते हैं लेकिन आज भी ऐसे शिक्षक मौजूद हैं जो बच्चे को किताबी शिक्षा देने के साथ ही उसके समग्र व्यक्तित्व का विकास करने पर ध्यान देते हैं। जो बच्चे के मनोभावों को पकड़ते हैं, उसकी प्रतिभा को पहचानते हैं और उसे सही दिशा में गढ़ने की कोशिश करते हैं। अगर आपको मेरी बात पर सहज विश्वास ना हो रहा हो तो जरा याद करिए की पहली कक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक आपको कितने शिक्षकों ने पढ़ाया है। क्या आपको वह सारे शिक्षक याद हैं? जवाब होगा, नहीं। लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे होंगे जो आपको याद हैं। कुछ शिक्षक ऐसे होंगे जिनसे आप वर्षों से नहीं मिले लेकिन इस गुरु पूर्णिमा पर उन्हें फोन करेंगे, या सोशल मीडिया पर उन्हें प्रणाम निवेदन करेंगे। कई शिक्षक ऐसे होंगे, जिनका जिक्र आते ही आपका मन श्रद्धा से झुक जाता होगा। वर्तमान समय में यह जो अंतिम चरण का शिक्षक है असल में वही आपका गुरु है। असल में यह वही गुरु है जिसका वर्णन कबीर दास जी ने इस तरह किया है: गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ गढ़ काढ़े खोट| अंतर हाथ सहाय दे, बाहर मारे चोट|| कबीर दास जी ने इतना ही नहीं कहा। भक्ति आंदोलन से देखें तो उसने कहा गया "बिन गुरु मिले न ज्ञान"। कबीर दास जी के गुरु रामानंद जी थे, सूरदास जी के गुरु वल्लभाचार्य थे, स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस थे और बाकी संतो के गुरु की आप को खोजने पर मिल जाएंगे। असल में गुरु के महत्व पर इतना ज्यादा जोर इसलिए दिया गया है कि व्यक्ति ज्ञान तो कुछ भी प्राप्त कर सकता है लेकिन उसमें भटकाव की बहुत संभावना है। ज्ञान एकदम मौलिक चीज नहीं है बल्कि उसमें आपसे पहले की सभ्यता ने जो जो चीजें अर्जित की हैं वह सब शामिल हैं। गुरु का काम होता है कि वह अपने शिष्य को पूर्व अर्जित संपूर्ण ज्ञान से परिचित करा दे और उसके अंदर एक ऐसी दृष्टि विकसित करे जिससे वह अतीत के ज्ञान का उपयोग भविष्य की राह खोजने में कर सके। यही नहीं वह पूर्व संचित ज्ञान में अपने हिस्से का थोड़ा सा अनुभव भी जोड़ सके। अगर गुरु हमें पुराना ज्ञान नहीं देगा तो हमारा जीवन पुराने ज्ञान को समझने में ही निकल जाएगा और हम कोई नया काम नहीं कर पाएंगे। इस प्रक्रिया में पथभ्रष्ट होने की संभावना बहुत ज्यादा है। इसलिए गुरु और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।आजकल आप लोग अध्यापक की डांट से बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं। कई बार तो छोटे-छोटे बच्चे यह कहते हैं कि टीचर ने उनकी इंसल्ट कर दी। हमारे जमाने में तो माता-पिता अध्यापक से कह देते थे कि मास्टर जी हड्डी हड्डी हमारी और खाल खाल तुम्हारी। यानी अध्यापक महोदय आप बच्चे की इतनी पिटाई कर सकते हैं कि उसकी हड्डी ना टूटे, चमड़ी पर जितनी चाहे चोट पहुंच जाए। जाहिर है बदलती दुनिया में इस तरह के शारीरिक दंड की व्यवस्था अब समाप्त हो चुकी है। लेकिन दंड की व्यवस्था समाप्त होने का अर्थ यह नहीं है कि गुरु का सम्मान करने की व्यवस्था भी समाप्त हो जाए। इस तरह देखें तो गुरु हमारे जीवन में पहले भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं और आगे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। गुरु पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित रंजन को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि, आज सुबह (5 जुलाई) ही छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस उन्हें अरेस्ट करने पहुंची थी एंकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को भ्रामक बनाकर पेश करने और फर्जी वीडियो क्लिप चला दी थी बयान को तोड़-मरोड़ने पर रोहित पर छत्तीसगढ़-राजस्थान में केस दर्ज हुए हैं।बताया जा रहा है कि रायपुर पुलिस ने रोहित को कोर्ट का गिरफ्तारी वारंट भी दिखाया था। रोहित रंजन के ट्वीट करने के बाद उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस उनके फ्लैट पर पहुंची थी। जहां छत्तीसगढ़ पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस को गिरफ्तारी वारंट दिखाया था गाजियाबाद में सुबह-सुबह जी न्यूज एंकर रोहित रंजन के घर छत्तीसगढ़ पुलिस पहुंचने पर रोहित रंजन ने ट्वीट करते हुए कहा कि “लोकल पुलिस को जानकारी दिए बिना छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस मुझे अरेस्ट करने आई है।” जबकि इस ट्वीट के जवाब में रायपुर पुलिस ने कहा कि “सूचित करने का ऐसा कोई नियम नहीं है। हालांकि, इन सबके बीच जी न्यूज के एंकर रोहित रंजन को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
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महाराष्ट्र के महामंथन के बाद जो अमृत और जहर निकल कर सामने आये हैं, उसने भारत की आर्थिक राजनीति पर नियंत्रण करने की भाजपा की कशमकश को उजागर कर दिया है। इतना ही नहीं सैकड़ों वर्ष पुरानी हिंदू पदपाद शाही और पेशवाई के द्वंद भी सामने ला दिए हैं । इस महाभारत में अमृत मंथन के जो परिणाम सामने आए हैं वे ना केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि राजनैतिक विवशता की पराकाष्ठा को व्यक्त करते हैं। सभी जानते हैं कि देवेन्द्र फडनवीस 5 साल तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वे स्वयं ही शिवसेना के विद्रोही नेता एकनाथ शिंदे को उप-मुख्यमंत्री बनाने के ऑफर दे रहे थे। अचानक उन्ही फड़नवीस को विद्रोही एकनाथ शिंदे का उप-मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह कैडर आधारित पार्टी नहीं रही है, बल्कि पूर्णरूपेण राजनीतिक पार्टी बन गई है।सत्ता के लिए उसे किसी भी तरह के समझौते करने से कोई गुरेज नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर वह आतंकवाद की पोषक बताई जाने वाली पार्टी पीडीपी के साथ भी सत्ता में भागीदार बनने तैयार हैं। अपने ही एक सीनियर पूर्व मुख्यमंत्री को अल्पमत के विद्रोहियों के नीचे उप मुख्यमंत्री बनाने भी तैयार है। यह एक संदेश है कि कार्यकर्ता केवल कार्यकर्ता ही है और सत्ता प्राप्ति के लक्ष्य मार्ग में अगर उसकी गर्दन कटती है तो पार्टी दुश्मन को भी अपना बनाने तैयार है। सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग बहुत शक्तिशाली है छोटी-छोटी अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियां ना केवल लड़ाकू है बल्कि सैन्य संरचना और साहस को समझती हैं और शिवसेना प्रतीक रूप में उनकी पहचान बन चुकी है ।छत्रपति शिवाजी ने जिन पिछड़ी जातियों को जोड़कर अपनी राज्य व्यवस्था कायम की थी लगभग वही जाति संतुलन शिवसेना के गठन में परिलक्षित होता है ।अगड़ी जातियों द्वारा आर्थिक राजधानी पर कब्जा करने की नीयत से दिल्ली की सहायता से मुंबई पर जो हमला किया है उसे यह पिछड़ी जातियां किस सीमा तक सहन करेंगीं यह समय के गर्भ में है। किंतु यह तो साफ ही है कि भविष्य में अगड़ी और पिछड़ी का संघर्ष आर्थिक राजधानी से ही शुरू होगा । बहुत संभव है कि शिवसेना इसे मराठी मानुस और गुजराती अर्थ सत्ता के संघर्ष में बदल दे। अगर ऐसा हुआ तो भारत के सामने एक नया अर्थ संकट खड़ा होने जा रहा है। शिवसेना सरकार के पतन और एकनाथ की ताजपोशी को अर्थ जगत ने कैसे लिया है इसका प्रमाण है कि दो दिन में ही सेंसेक्स लगभग एक हजार प्वाइंट नीचे आ गया और जून का महीना खुदरा निवेशकों के लिये लुटने का जून हो गया है। विद्रोही एकनाथ शिंदे ने बहुत ही सफाई से इस गठबंधन को हिंदुत्व का पैरोकार बता कर दलबदल की अनैतिकता पर पर्दा डालने की कोशिश की है। यह मुंबई में सभी जानते हैं कि भाजपा के साथ पिछली पंचवर्षीय सरकार में जब शिवसेना शामिल थी तब एकनाथ शिंदे ने ही सार्वजनिक कार्यक्रम में अपना इस्तीफा देकर शिवसेना पर भाजपा गठबंधन से निकलने का दबाव बनाया था। उनका कहना था कि भा ज पा शिवसेना को खाने की चेष्टा कर रही है और उद्धव ठाकरे को भाजपा से गठबंधन तोड़ लेना चाहिए ।आखिर कब तक शिवसैनिक भाजपा की प्रताड़ना और भेदभाव पूर्ण व्यवहार को सहन करें ।आज वही एकनाथ शिंदे उसी भाजपा से कथित हिंदुत्व के नाम पर समझौता कर रहे हैं,बल्कि महाविकास अघाड़ी की नैतिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। देश के लगभग सभी दल जिन्होंने समय-समय पर भाजपा के साथ गठबंधन किया था यह मानते हैं कि भाजपा हमेशा सबसे पहले अपने ही गठबंधन के सहयोगियों को खाने की कोशिश करती है। पूर्व में चाहे बसपा रही हो, चाहे अकाली दल या नीतीश कुमार की पार्टी हो सभी पार्टियां लगभग समाप्त हो रहीं हैं,उनकी लीडरशिप का बड़ा हिस्सा भाजपा में जुड़ चुका है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और बी जे डी जरूर ऐसी पार्टियां हैं जो हाथ छुड़ाकर ना भागीं होतीं तो वे भी शिवसेना की तरह विभाजन की पीड़ा से गुजर रहीं होतीं।उन्होंने मगरमच्छ के मुंह से बाहर निकल कर जान तो बचा ली है मगर भाजपा अपना अपमान और लक्ष्य नहीं भूली होगी यह भी तय है। तात्कालिक सत्ता के लिये अल्पमत के नीचे बहुमत होते हुए भी भाजपा काम करने तैयार है। याद कीजिए यही समझौता बिहार में हुआ था जहां अल्पमत के नीतीश कुमार तो मुख्यमंत्री हैं और बहुमत की भाजपा का उपमुख्यमंत्री। सत्ता के लिये महाराष्ट्र का ताजा सौदा भले ही भाजपा के लिये आर्थिक राजधानी के खजाने के दरवाजे खोल दे मगर आने वाले समय में उसके कार्यकर्ताओं का खजाना भी लुट सकता है,यह भी संभावना है। महाराष्ट्र का यह महाभारत अभी तक राजनीति के गलियारों में था आगे चलकर इस महाभारत के समाज में उतरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और उसी अग्निपथ पर आर्थिक राजधानी का भविष्य निर्भर होगा।फिलहाल तो राजनीति बारूद के ढेर पर बैठकर अगरबत्ती सुलगा रही है। -भूपेन्द्र गुप्ता 'अगम' (लेखक कांग्रेस नेता एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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देश के हर बच्चे का शिक्षा पाना वाकई बहुत जरूरी स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया है। बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकारी मशीनरी गांवों और बस्तियों तक पहुंचकर हर बच्चे को स्कूल में प्रवेशित करने के प्रयास में लगी है। देश के हर बच्चे का शिक्षा पाना वाकई बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा वह शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि लक्ष्य की ओर बढ़ने वाले उम्मीदों के हर कदम को हम शिक्षा की राह दिखाएं। जिससे उनका भविष्य सुनहरा हो सके। यह खुशी की बात है कि हमारे देश के करीब 7 करोड़ बच्चे प्री प्रायमरी और प्रायमरी स्कूलों में जाते हैं लेकिन शिक्षा के लिए अभी ओर उचांईयों पर पहुंचना बाकी है। क्योंकि देश में 6 से 14 साल की आयु वर्ग के 60 लाख से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते। पहली कक्षा में प्रवेश लेने के बाद 37 प्रतिशत बच्चे प्रारंभिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाते और हाईस्कूल तक पहुंचते हुए तो यह संख्या चिंताजनक हो जाती है। स्कूल नहीं जाने वाले और स्कूल के बीच पढ़ाई छोड़ने वाले 75 फीसद बच्चे देश के छह राज्यों से आते हैं, इनमें से मध्यप्रदेश भी एक है। अन्य राज्यों में बिहार, ओड़िसा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।सरकार ने बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया है। इस कानून के तहत शिक्षा निशुल्क भी है और अनिवार्य भी। मतलब 6 से 14 साल के बीच के बच्चे को शिक्षा से वंचित रखना कानूनन अपराध की श्रेणी में माना जाता है। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी स्कूलों में तो शिक्षा, किताबें, ड्रेस और मध्याह्न भोजन निशुल्क मिलता ही है, साथ ही प्रायवेट स्कूलों पर भी यह नियम लागू होता है और वहां प्रारंभिक कक्षा में 25 प्रतिशत सीटें आरटीई के तहत आरक्षित की जाती हैं। जिससे वंचित वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में भी निशुल्क शिक्षा का अधिकार मिल सके। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी मशीनरी निजी स्कूलों में आरक्षित सीटोंर प्रवेश तो करा देती है लेकिन बाद में इन बच्चों की नियमितता की ओर न तो शिक्षा विभाग ध्यान देता है न ही निजी स्कूल का प्रबंधन। ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों से पलायन, निजी स्कूलों से तालमेल नहीं बैठा पाना, परिवार में शिक्षा का माहौल नहीं मिलना और बाल मजदूरी जैसे कई कारणों से 34 प्रतिशत से अधिक बच्चे आरक्षित सीटों पर प्रवेश मिलने के बावजूद आठवीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में शिक्षा का अधिकार अनिवार्य न होकर अधूरा रह जाता है। च्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्हें स्कूल भेजना तो जरूरी है लेकिन यह भी जरूरी है कि वहां उन्हें बेहतर माहौल मिल सके। आज कई जगह स्कूलों में व्यवस्थाएं बेहतर नहीं हैं, स्कूलों में सबसे जरूरी होते हैं शिक्षक लेकिन प्रदेश के 21077 स्कूल महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, प्रदेश में शिक्षकों के 87 हजार 630 पद खाली हैं। इस ओर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है, तभी बच्चों को वास्तविक रूप से शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा। बाॅक्स हम ऐसे निभाएं अपनी जिम्मेदारीहम गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए चिंतित होते हैं लेकिनहमें समझ नहीं आता कि किस प्रकार हम इनके लिए काम करें। इसके लिए मैं एकछोटा लेकिन महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहूंगा। हम सब केवल यह पता करें हमारे घर व आॅफिस में काम करने वाले चैकीदार, माली, कामवाली बाई, रसोईया या अन्य कर्मियों के बच्चे स्कूल जा रहे हैं कि या नहीं। इनके बच्चों को स्कूल में प्रवेश कराने में मदद करें, निजी स्कूलों में आरटीई के तहत आरक्षित सीटों की जानकारी दें, अगर निजी स्कूलों में संभव न हो तो सरकारी स्कूल में निशुल्क प्रवेश कराएं, उन्हें किताबें-काॅपी, स्कूल ड्रेस या स्टेश्नरी क्रय करने के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करें। आपका यह योगदान आने वाले देश के भविष्य के लिए सुदृढ़ युवाओं का निर्माण करेगा। (प्रवीण कक्कड़)
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स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया है। बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिएसरकारी मशीनरी गांवों और बस्तियों तक पहुंचकर हर बच्चे को स्कूल मेंप्रवेशित करने के प्रयास में लगी है। देश के हर बच्चे का शिक्षा पानावाकई बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा वह शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोगदुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है किलक्ष्य की ओर बढ़ने वाले उम्मीदों के हर कदम को हम शिक्षा की राह दिखाएं।जिससे उनका भविष्य सुनहरा हो सके।यह खुशी की बात है कि हमारे देश के करीब 7 करोड़ बच्चे प्री प्रायमरी औरप्रायमरी स्कूलों में जाते हैं लेकिन शिक्षा के लिए अभी ओर उचांईयों परपहुंचना बाकी है। क्योंकि देश में 6 से 14 साल की आयु वर्ग के 60 लाख सेअधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते। पहली कक्षा में प्रवेश लेने के बाद 37प्रतिशत बच्चे प्रारंभिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाते और हाईस्कूल तकपहुंचते हुए तो यह संख्या चिंताजनक हो जाती है। स्कूल नहीं जाने वाले औरस्कूल के बीच पढ़ाई छोड़ने वाले 75 फीसद बच्चे देश के छह राज्यों से आतेहैं, इनमें से मध्यप्रदेश भी एक है। अन्य राज्यों में बिहार, ओड़िसा,राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।सरकार ने बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू कियाहै। इस कानून के तहत शिक्षा निशुल्क भी है और अनिवार्य भी। मतलब 6 से 14साल के बीच के बच्चे को शिक्षा से वंचित रखना कानूनन अपराध की श्रेणी मेंमाना जाता है। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी स्कूलों में तो शिक्षा,किताबें, ड्रेस और मध्याह्न भोजन निशुल्क मिलता ही है, साथ ही प्रायवेटस्कूलों पर भी यह नियम लागू होता है और वहां प्रारंभिक कक्षा में 25प्रतिशत सीटें आरटीई के तहत आरक्षित की जाती हैं। जिससे वंचित वर्ग केबच्चों को निजी स्कूलों में भी निशुल्क शिक्षा का अधिकार मिल सके।शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी मशीनरी निजी स्कूलों में आरक्षित सीटोंपर प्रवेश तो करा देती है लेकिन बाद में इन बच्चों की नियमितता की ओर नतो शिक्षा विभाग ध्यान देता है न ही निजी स्कूल का प्रबंधन। ग्रामीण वआदिवासी क्षेत्रों से पलायन, निजी स्कूलों से तालमेल नहीं बैठा पाना,परिवार में शिक्षा का माहौल नहीं मिलना और बाल मजदूरी जैसे कई कारणों से34 प्रतिशत से अधिक बच्चे आरक्षित सीटों पर प्रवेश मिलने के बावजूद आठवींकक्षा तक निशुल्क शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में शिक्षा का अधिकारअनिवार्य न होकर अधूरा रह जाता है।बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्हें स्कूल भेजना तो जरूरी है लेकिनयह भी जरूरी है कि वहां उन्हें बेहतर माहौल मिल सके। आज कई जगह स्कूलोंमें व्यवस्थाएं बेहतर नहीं हैं, स्कूलों में सबसे जरूरी होते हैं शिक्षकलेकिन प्रदेश के 21077 स्कूल महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, प्रदेशमें शिक्षकों के 87 हजार 630 पद खाली हैं। इस ओर भी ध्यान दिया जानाजरूरी है, तभी बच्चों को वास्तविक रूप से शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा।बाॅक्सहम ऐसे निभाएं अपनी जिम्मेदारीहम गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए चिंतित होते हैं लेकिनहमें समझ नहीं आता कि किस प्रकार हम इनके लिए काम करें। इसके लिए मैं एकछोटा लेकिन महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहूंगा। हम सब केवल यह पता करें हमारेघर व आॅफिस में काम करने वाले चैकीदार, माली, कामवाली बाई, रसोईया याअन्य कर्मियों के बच्चे स्कूल जा रहे हैं कि या नहीं। इनके बच्चों कोस्कूल में प्रवेश कराने में मदद करें, निजी स्कूलों में आरटीई के तहतआरक्षित सीटों की जानकारी दें, अगर निजी स्कूलों में संभव न हो तो सरकारीस्कूल में निशुल्क प्रवेश कराएं, उन्हें किताबें-काॅपी, स्कूल ड्रेस यास्टेश्नरी क्रय करने के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करें। आपका यह योगदानआने वाले देश के भविष्य के लिए सुदृढ़ युवाओं का निर्माण करेगा। (प्रवीण कक्कड़)
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असफलताओं के सरताज है कमलनाथ भाजपा प्रवक्ता डॉ दुर्गेश केसवानी ने कसा पूर्व सीएम कमलनाथ पर तंज भोपाल। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के कदम से संकट में आई उद्धव सरकार को बचाने की जिम्मेदारी पूर्व सीएम कमलनाथ को जैसे ही मिली। भाजपा ने मामले पर चुटकी लेते हुए कहा कि को अपने विधायकों की नहीं सुन पाए। वे शिवसेना के विधायकों की क्या सुन पाएंगे। वो भी तब जब सभी विधायक बाला साहेब के सच्चे सिपाही हों। मामले में मीडिया से रूबरू होते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कहा कि कमलनाथ अपने विधायकों को तो बचा नहीं पाए। उद्धव सरकार को क्या खाक बचा पाएंगे। इस दौरान केसवानी ने नाथ को सबसे विफल नेताओं में से एक बताया। नाथ के नेतृत्व में हारे सभी चुनाव : डॉ. केसवानी ने नाथ को सबसे विफल नेताओं में से एक बताते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में भी कांग्रेस का प्रदर्शन फिसड्डी रहा है। लोकसभा चुनाव, उप चुनाव सहित अन्य चुनावों में पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई। कांग्रेस के लोग हमेशा आरोप लगाते आए हैं कि हमारे पास न नेता है, न नीति है और न ही नियत है। कांग्रेस नेता ने इसे बखूबी चरितार्थ किया है। साथ ही उद्धव सरकार को बचाने जैसे ही कमलनाथ के नाम की घोषणा हुई। ये बात एक बार फिर साबित हो गई है। कमलनाथ जी 28 उपचुनाव, लोकसभा चुनाव ने कोई जादू नहीं दिखा पाए। कांग्रेस के घर घर चले अभियान को घर घर बैठो अभियान बना दिया। मप्र के लोगों को दिए 973 वचनों में से एक भी वचन कमलनाथ पूरा न कर पाए। उनके हिस्से में केवल और केवल असफलताएं हैं। जब वे एक बार महाराष्ट्र जा रहे हैं तो फिर असफल साबित होंगे।
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प्रवीण कक्कड़ बच्चों के हाथ में श्रम नहीं शिक्षा दीजिए बालश्रम यानी कानून द्वारा निर्धारित आयु से कम उम्र में बच्चों को मजदूरी या अन्य श्रमों में झोंक देना। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे शोषण करने वाली प्रथा और कानूनन अपराध माना गया है। इसी अवधारणा को सोचकर विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत साल 2002 में ‘इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाईजेशन’ द्वारा की गई थी। इस दिवस को मनाने का मक़सद बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की ज़रूरत को उजागर करना और बाल श्रम व अलग - अलग रूपों में बच्चों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघनों को ख़त्म करना है। हर साल 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र एक विषय तय करता है। इस वर्ष वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 2022 की 'बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण' रखी गई है। इस मौके पर अलग - अलग राष्ट्रों के प्रतिनिधि, अधिकारी और बाल मज़दूरी पर लग़ाम लगाने वाले कई अंतराष्ट्रीय संगठन हिस्सा लेते हैं, जहां दुनिया भर में मौजूद बाल मज़दूरी की समस्या पर चर्चा होती है। आज हम सभी को आगे आने की जरूरत है और जरूरत है उस सोच को साकार करने की कि इन नन्हें हाथों में श्रम नहीं शिक्षा दी जाए, क्योंकि शिक्षा ही वह अधिकार है, जो अपने हक की लड़ाई का सबसे मजबूत हथियार है। बाल-श्रम का मतलब यह है कि जिसमें कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है। इस प्रथा को कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने शोषण करने वाली प्रथा माना है। अतीत में बाल श्रम का कई प्रकार से उपयोग किया जाता था, लेकिन सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा के साथ औद्योगीकरण, काम करने की स्थिति में परिवर्तन तथा कामगारों के श्रम अधिकार और बच्चों अधिकार की अवधारणाओं के चलते इसमें परिवर्तन हुआ है। देश एवं राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य के निर्माता उस देश के बच्चे होते हैं। अत: राष्ट्र, देश एवं समाज का भी दायित्व होता है कि अपनी धरोहर की अमूल्य निधि को सहेज कर रखा जाये । इसके लिये आवश्यक है कि बच्चों की शिक्षा, लालन-पालन, शारीरिक, मानसिक विकास, समुचित सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाये और यह उत्तरदायित्व राष्ट्र का होता है, समाज का होता है, परन्तु यह एक बहुत बड़ी त्रासदी है कि भारत देश में ही अपितु समूचे विश्व में बालश्रम की समस्या विकट रूप में उभर कर आ रही है । देश में श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे 5 वर्ष से 14 वर्ष तक के बालक बाल श्रमिक के अंतर्गत आते हैं ।
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प्रवीण कक्कड़ ग्लोबल वॉर्मिंग का बढ़ना हम सभी के लिए चिंता का विषय है। चिंता होना भी स्वभाविक भी है, क्योंकि जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में पेड़ों का क्षरण हुआ है, प्रकृति का शोषण हुआ है उससे आने वाले समय में यह ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते स्तर के रूप में एक बड़ी चुनौती बन जायेगा। आज सारा विश्व चिंतित है। धरती की सतह का तापमान बढ़ रहा है। 2050 तक यह 2 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाएगा और यह ग्लेशियर पिघलने लगेंगे। हमने जिस तेजी से विकास के प्रति दौड़ लगाई उसमें हमने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया। इनमें प्रकृति और पर्यावरण सबसे बड़े मुद्दे थे और अब आज साफ दिखाई दे रहा है कि हमारी नदियां हों, जंगल हों वायु, मिट्टी हो यह सब कहीं न कहीं खतरे में आ गयें हैं। यह सब प्रमाणित कर रहे हैं कि आज हमारे चारों तरफ जो कुछ भी हो रहा है यह सब इन्हीं कारणों से हैं। *आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हमें समझना होगा कि पेड़ों की कटाई और पर्यावरण का क्षरण समाज के लिए किस तरह चिंता का विषय है। बेहतर है कि हम अभी से ही पर्यावरण के प्रति सजक रहें क्योंकि अगर पर्यावरण स्वस्थ होगा तभी हम स्वस्थ होंगे। बेहतर पर्यावरण के बगैर स्वस्थ जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मैं खुद एक जागरुक नागरिक होने के नाते पेड़ों और पर्यावरण के प्रति हमेशा चिंतित रहता हूं। जब कभी देखने में आता है कि इस जगह पर इतने पेड़ काट दिये गये, उस जगह पर इतने पेड़ काटने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है। यह सब देख निश्चिततौर पर मन में एक आक्रोश का भाव आता है। आक्रोश होना भी चाहिए कि क्योंकि अगर हम विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई इसी तेजी के साथ करते चले गये तो वो दिन दूर नहीं जब हम सभी के लिए पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती के रूप में सामने खड़ा हो जाये। नहीं भूला जा सकता वो संकटकाल कोरोना काल का वो संकट भला कौन भूल सकता है जब पूरे देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था। चारो तरफ अफरा-तफरी का माहौल था, एक-एक व्यक्ति के लिए ऑक्सीजन जुटा पाना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन हम सभी को इस पर विचार करना होगा कि प्राकृतिक सोर्सेस से कम होते ऑक्सीजन स्तर का जिम्मेदार कौन है ? कोरोना के संकटकाल में अगर हम ऑक्सीजन के लिए परेशान हुए तो इसका जिम्मेदार कौन है ? यकीन मानिए अगर आप थोड़ा भी इस पर विचार करेंगे तो आपको इसका जबाव स्वतः प्राप्त होगा कि ऑक्सीजन की कमी के जिम्मेदार कहीं न कहीं हम और हमारा समाज है। हम दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन के प्राकृतिक रिसोर्सेस का क्षरण करते जा रहे हैं, पेड़ों को नष्ट कर नई बिल्डिंग, इमारतें, मॉल, आदि का निर्माण कर रहे हैं। मैं किसी भी प्रदेश और शहर के विकास का विरोधी नहीं हूं लेकिन विकास के नाम पर पेड़ों का इस तरीके से क्षरण हो, मैं उसके पक्ष में बिल्कुल नहीं हूं। क्योंकि आज यदि हम और आप मिलकर इस तरह से पेड़ों की कटाई कर देंगे तो वो दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ियां ऑक्सीजन के प्राकृतिक रिसोर्सेस के लिए परेशान होंगी। आखिर नये पेड़ लगाने की जिम्मेदारी किसकी मैं किसी सरकार या पार्टी की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन पर्यावरण प्रेमी होने के नाते मेरे मन में केवल एक सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर जो भी पेड़-पौधों को काटा गया। उसके एवज में किस जमीन पर पेड़ लगाए गए। जिस समय पेड़ काटे जा रहे थे उस समय बहुत बड़ी बात हो रही थी कि इन पेड़ों को काटने के बाद नए स्थानों पर हजारों-लाखों पेड़ लगाए जाएंगे। लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ होता दिखाई दे नहीं रहा है। अगर कहीं होता भी है, पेड़ लगाए भी जा रहे हैं तो वे पेड़ देखभाल के अभाव में पूरी तरह से नष्ट हो रहे है। अगर हमें सही मायनें में पेड़ लगाने का कार्य और पर्यावऱण संरक्षण की दिशा में काम करना है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि पेड़ लगाने की जिम्मेदारी किसकी हो। आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। अपने आसपास जितने कार्य हम पर्यावरण संरक्षण के लिए कर सकते हैं, वे सभी करें। पर्यावरण संरक्षण के लिए इन सुझावों को आप अपने जीवन में उतार सकते हैं 1. घर की खाली जमीन, बालकनी, छत पर पौधे लगायें 2. ऑर्गैनिक खाद, गोबर खाद या जैविक खाद का उपयोग करें 3. कपड़े के बने झोले-थैले लेकर निकलें, पॉलिथीन-प्लास्टिक न लें 4. लोगों को बर्थडे, त्योहार पर पौधे गिफ्ट करें 5. वायुमंडल को शुद्ध करने के लिए पेड़ लगाएं, भले एक पेड़ लगाएं लेकिन उसे बड़ा करने की जिम्मेदारी लें। 6. प्लास्टिक के खाली डब्बों में सामान रखें या पौधे लगायें 7. कागज के दोनों तरफ प्रिन्ट लें, फालतू प्रिन्ट न करें
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प्रवीण कक्कड़ हम जीवन में संतोष और खुशियां चाहते हैं लेकिन वास्तविक खुशियों की तलाश में आभासी खुशी के बीच खोकर रह जाते हैं। आज मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट और अन्य गेजेट्स से मिलने वाली वर्चुअल खुशी के बीच हम वास्तविक खुशियों को कहीं खो बैठे हैं। आज मोबाइल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, इससे ज्ञान, विज्ञान, संचार और लोगों से संपर्क तो आसान हो गया है लेकिन अब मोबाइल की लत हमारे जीवन को प्रभावित करने लगी है। पिछले दो सालों से आनलाइन क्लास के कारण बच्चों में भी मोबाइल की लत विकसित हो गइ है। अब बच्चे अधिकांश समय इसी पर बिताते हैं लेकिन कई शोध में पता चला है कि स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन के लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक उपयोग से व्यक्ति में चिड़चीड़ापन का होना, हमेशा सिर दर्द की समस्या, नेत्र संबंधित समस्या, अनिंद्रा व मोबाइल के हानिकार रेडिएशन से हृदय संबंधित रोग भी हो सकते हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। आज हम सभी के हाथ में एक टूल है, जिसे मोबाइल कहते हैं। मोबाइल की लत से आशय मोबाइल के न होने पर असहज (discomfort) महसूस करने से है। वर्तमान में हम बहुत अधिक हद तक मोबाइल पर निर्भर है। इसके ऑफ हो जाने पर या गिर जाने पर ऐसा लगता है जैसे सीने पर चोट लगी है। प्रतीत होता है जैसे डिजीटल इंडिया का मार्ग मोबाइल से होकर ही गुज़रता है। मोबाइल का साइज़ उसे यात्रा अनुकूल (Travel Friendly) बनाता है, इस वजह से लोगों को और अधिक मोबाइल की लत (बुरी आदत) होती जा रही है। यह हर लहजे से हमारे आने वाले जीवन के लिए बुरा है। मोबाइल की लत में हम स्वयं को अपने मोबाइल से दूर नहीं रख पाते हैं। कोई विषेश काम न होने पर भी हम मोबाइल को स्क्रोल करते रहते हैं। आज के समय में हमें मोबाइल की इतनी बुरी लत है, इसका अनुमान आप इस वाक्य से लगा सकते हैं- ‘मोबाइल की लत को दूर करने के उपाय हम घंटों लगाकर मोबाइल पर ही ढूँढते हैं’। यह आदत हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन की लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ साल पहले तक मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर पाना सबके बस में नहीं था, पर समय बीतने के साथ आज आम तौर पर यह सभी के पास देखा जा सकता हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। ये कुछ उपाय हैं जिससे बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है- •आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें •मोबाइल कम दें •बच्चे से बात करें •पासवर्ड लगाएं •प्रकृति से जोड़ें •बच्चे के करीब रहने की कोशिश करें
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प्रवीण कक्कड़ हम जीवन में संतोष और खुशियां चाहते हैं लेकिन वास्तविक खुशियों की तलाश में आभासी खुशी के बीच खोकर रह जाते हैं। आज मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट और अन्य गेजेट्स से मिलने वाली वर्चुअल खुशी के बीच हम वास्तविक खुशियों को कहीं खो बैठे हैं। आज मोबाइल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, इससे ज्ञान, विज्ञान, संचार और लोगों से संपर्क तो आसान हो गया है लेकिन अब मोबाइल की लत हमारे जीवन को प्रभावित करने लगी है। पिछले दो सालों से आनलाइन क्लास के कारण बच्चों में भी मोबाइल की लत विकसित हो गइ है। अब बच्चे अधिकांश समय इसी पर बिताते हैं लेकिन कई शोध में पता चला है कि स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन के लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक उपयोग से व्यक्ति में चिड़चीड़ापन का होना, हमेशा सिर दर्द की समस्या, नेत्र संबंधित समस्या, अनिंद्रा व मोबाइल के हानिकार रेडिएशन से हृदय संबंधित रोग भी हो सकते हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। आज हम सभी के हाथ में एक टूल है, जिसे मोबाइल कहते हैं। मोबाइल की लत से आशय मोबाइल के न होने पर असहज (discomfort) महसूस करने से है। वर्तमान में हम बहुत अधिक हद तक मोबाइल पर निर्भर है। इसके ऑफ हो जाने पर या गिर जाने पर ऐसा लगता है जैसे सीने पर चोट लगी है। प्रतीत होता है जैसे डिजीटल इंडिया का मार्ग मोबाइल से होकर ही गुज़रता है। मोबाइल का साइज़ उसे यात्रा अनुकूल (Travel Friendly) बनाता है, इस वजह से लोगों को और अधिक मोबाइल की लत (बुरी आदत) होती जा रही है। यह हर लहजे से हमारे आने वाले जीवन के लिए बुरा है। मोबाइल की लत में हम स्वयं को अपने मोबाइल से दूर नहीं रख पाते हैं। कोई विषेश काम न होने पर भी हम मोबाइल को स्क्रोल करते रहते हैं। आज के समय में हमें मोबाइल की इतनी बुरी लत है, इसका अनुमान आप इस वाक्य से लगा सकते हैं- ‘मोबाइल की लत को दूर करने के उपाय हम घंटों लगाकर मोबाइल पर ही ढूँढते हैं’। यह आदत हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन की लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ साल पहले तक मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर पाना सबके बस में नहीं था, पर समय बीतने के साथ आज आम तौर पर यह सभी के पास देखा जा सकता हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। ये कुछ उपाय हैं जिससे बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है- •आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें •मोबाइल कम दें •बच्चे से बात करें •पासवर्ड लगाएं •प्रकृति से जोड़ें •बच्चे के करीब रहने की कोशिश करें
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प्रवीण कक्कड़ हम जीवन में संतोष और खुशियां चाहते हैं लेकिन वास्तविक खुशियों की तलाश में आभासी खुशी के बीच खोकर रह जाते हैं। आज मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट और अन्य गेजेट्स से मिलने वाली वर्चुअल खुशी के बीच हम वास्तविक खुशियों को कहीं खो बैठे हैं। आज मोबाइल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, इससे ज्ञान, विज्ञान, संचार और लोगों से संपर्क तो आसान हो गया है लेकिन अब मोबाइल की लत हमारे जीवन को प्रभावित करने लगी है। पिछले दो सालों से आनलाइन क्लास के कारण बच्चों में भी मोबाइल की लत विकसित हो गइ है। अब बच्चे अधिकांश समय इसी पर बिताते हैं लेकिन कई शोध में पता चला है कि स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन के लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक उपयोग से व्यक्ति में चिड़चीड़ापन का होना, हमेशा सिर दर्द की समस्या, नेत्र संबंधित समस्या, अनिंद्रा व मोबाइल के हानिकार रेडिएशन से हृदय संबंधित रोग भी हो सकते हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। आज हम सभी के हाथ में एक टूल है, जिसे मोबाइल कहते हैं। मोबाइल की लत से आशय मोबाइल के न होने पर असहज (discomfort) महसूस करने से है। वर्तमान में हम बहुत अधिक हद तक मोबाइल पर निर्भर है। इसके ऑफ हो जाने पर या गिर जाने पर ऐसा लगता है जैसे सीने पर चोट लगी है। प्रतीत होता है जैसे डिजीटल इंडिया का मार्ग मोबाइल से होकर ही गुज़रता है। मोबाइल का साइज़ उसे यात्रा अनुकूल (Travel Friendly) बनाता है, इस वजह से लोगों को और अधिक मोबाइल की लत (बुरी आदत) होती जा रही है। यह हर लहजे से हमारे आने वाले जीवन के लिए बुरा है। मोबाइल की लत में हम स्वयं को अपने मोबाइल से दूर नहीं रख पाते हैं। कोई विषेश काम न होने पर भी हम मोबाइल को स्क्रोल करते रहते हैं। आज के समय में हमें मोबाइल की इतनी बुरी लत है, इसका अनुमान आप इस वाक्य से लगा सकते हैं- ‘मोबाइल की लत को दूर करने के उपाय हम घंटों लगाकर मोबाइल पर ही ढूँढते हैं’। यह आदत हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन की लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ साल पहले तक मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर पाना सबके बस में नहीं था, पर समय बीतने के साथ आज आम तौर पर यह सभी के पास देखा जा सकता हैं। मोबाइल की लत ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है, अतः हमें इस लत को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। ये कुछ उपाय हैं जिससे बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है- •आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें •मोबाइल कम दें •बच्चे से बात करें •पासवर्ड लगाएं •प्रकृति से जोड़ें •बच्चे के करीब रहने की कोशिश करें
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प्रवीण कक्कड़ प्रदेश के गुना में शिकारियों से मुठभेड़ में 3 पुलिसकर्मियों के शहीद होने की घटना दुखद और चिंताजनक है। खाकी वर्दी में पुलिस की नौकरी ऊपर से जितनी शानदार दिखती है, अंदर से उतनी ही चुनौतियां पुलिसकर्मियों के सामने होती हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण गुना की घटना है, जहां फर्ज निभाते हुए इन जांबाजों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। यह घटना केवल शिकारी और पुलिसकर्मियों की मुठभेड़ की नहीं है, बल्कि वेकअप कॉल है जो जाहिर कर रहा है कि अपराधियों में पुलिस का भय खत्म होता जा रहा है। आज समय है जब समाज, प्रशासन और राजनेताओं को पुलिसकर्मियों के हितों के बारे में विचार करना चाहिए। समाज की सुरक्षा करने वालों की सुरक्षा को भी जरूरी समझा जाना चाहिए। इस घटना पर नज़र डालें तो शिकारी न सिर्फ खुलेआम शिकार करने का दुस्साहस कर रहे हैं, बल्कि उनके मन में पुलिस का किसी तरह का भय भी नहीं है। सामान्य परिस्थितियों में पुलिस के ललकारने पर अपराधी मुठभेड़ करने के बजाए माल छोड़ कर भाग जाते हैं। लेकिन जब अपराधी इस तरह से मुकाबले की कार्रवाई करते हैं तो उसका मतलब होता है कि उस इलाके में पुलिस और प्रशासन का वकार कमजोर हो गया है। अपराधी अपराध करने को अपना अधिकार समझने लगे हैं और उनके मन में शासन का भय नहीं रह गया है। यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि यह सोचने का विषय भी है कि पुलिस को इस तरह के संसाधनों के अनुसार सुसज्जित किया जाए और अपराधियों को मिलने वाले इस तरह के संरक्षण को समाप्त किया जाए। इस घटना का यह महत्वपूर्ण पहलू है कि क्या शिकारियों और तस्करों से रात में मुठभेड़ करने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त सुरक्षा के उपाय हैं या नहीं। जिन जगहों पर पुलिस कर्मियों को सीधे गोलियों के निशाने पर आने का खतरा है। क्या कम से कम उन जगहों पर तैनात पुलिसकर्मियों को बुलेट प्रूफ जैकेट और नाइट विजन कैमरा जैसे उपकरण मुहैया नहीं कराए जाने चाहिए। क्या पुलिस वालों की इस बात की ट्रेनिंग दी गई है कि अगर शिकारी या अपराधी बड़ी संख्या में हो और उनके पास हथियार हो तो उनसे किस तरह से मुकाबला किया जाए। क्योंकि बिना पर्याप्त सुरक्षा इंतजामों के और बिना अत्याधुनिक हथियारों के इस तरह की मुठभेड़ आखिर पुलिस वालों के लिए किस हद तक सुरक्षित है। मध्य प्रदेश जैसे राज्य में इस विषय पर बहुत ही गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि आज भी मध्य प्रदेश देश के सबसे ज्यादा वन क्षेत्रफल वाले राज्यों में शामिल है। प्रदेश में बड़ी संख्या में अभयारण्य और नेशनल पार्क हैं। जिसमें दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं। सेना में भर्ती होने वाले लोगों के लिए चाहे वे सैनिक हों या उच्चाधिकारी बहुत सारी मानवीय सुविधाएं होती हैं। ऑफिसर्स के लिए अलग मैस होगा। सैनिकों का अपना मैस होता है। उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग से सैनिक स्कूल होते हैं। खेल कूद और व्यायाम के लिए शानदार पार्क और होते हैं। जवान खुद को चुस्त-दुरुस्त रख सकें इसके लिए बड़े पैमाने पर शारीरिक व्यायाम की सुविधा होती है। सेना के अपने अस्पताल होते हैं। जहां विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात रहते हैं। इसके अलावा खेलों में सेना के जवानों का विशेष प्रतिनिधित्व हो सके इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाते हैं। निश्चित तौर पर सेना की जिम्मेदारी बड़ी है और उसे सरहदों पर देश की रक्षा करनी होती है लेकिन पुलिस की जिम्मेदारी भी कम नहीं है, उसे तो रात दिन बिना अवकाश के समाज की कानून व्यवस्था को बना कर चलना होता है। राज्य सरकारों को पुलिस के लिए नए आवासों के निर्माण के बारे में ध्यान से सोचना चाहिए। पुलिस कर्मियों के बच्चे अच्छे स्कूलों में शिक्षा ले सकें, इसलिए शहर के किसी भी कन्वेंट या सैनिक स्कूल के मुकाबले के स्कूल पुलिस कर्मियों के बच्चों के लिए खोले जाने चाहिए। मौजूदा दौर में सबसे जरूरी है कि पुलिस के पक्ष में सोचा जाए। कभी पुलिसकर्मियों को राजनीतिक हस्तक्षेप से तो जांबाजी से एनकाउंटर करने के बाद भी आयोगों की जांच में परेशान होना पड़ता है। एक पूर्व पुलिस अधिकारी होने के नाते मैं पुलिस सेवा के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों को बखूबी समझ सकता हूं। आज पुलिस की सुरक्षा और संसाधनों के प्रति बढ़ाने हमें विचार करने की जरूरत है। इसके साथ ही परिदृश्य पर गौर करें तो राज्य पुलिस बलों में 24% रिक्तियां हैं,लगभग 5.5 लाख रिक्तियां। यानी जहां 100 पुलिस वाले हमारे पास होने चाहिए वहां 76 पुलिस वाले ही उपलब्ध हैं। इसी तरह हर एक लाख व्यक्ति पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत संख्या 181 थी, उनकी वास्तविक संख्या 137 थी। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार एक लाख व्यक्तियों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। इस तरह गौर करें तो राष्ट्रीय मानक से तो हम पीछे हैं ही अंतर्राष्ट्रीय मानक से तो बहुत पीछे हैं। गुना में हुई घटनाओं जैसे वेकअप कॉल में सभी का जागना जरूरी है, भले ही वे किसी भी पार्टी से जुड़े राजनेता हों, आला पुलिस अधिकारी हों या हमारा सिस्टम। ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए हमें पुलिस के लिए संसाधनों को बढाना होगा। सभी को मिलकर देशभक्ति और जनसेवा का जज्बा लिए पुलिसकर्मियों के लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। पुलिस पर हमला करने वालों को सख्त सजा मिले, शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिवार को मुआवजा मिले। इसके साथ ही ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए भी पुख्ता सिस्टम तैयार हो। यही इन शहीद पुलिस जवानों को सच्ची श्रध्दांजलि होगी।
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-प्रो.संजय द्विवेदी भारत में ऐसा क्या है जो उसे खास बनाता है? वह कौन सी बात है जिसने सदियों से उसे दुनिया की नजरों में आदर का पात्र बनाया और मूल्यों को सहेजकर रखने के लिए उसे सराहा। निश्चय ही हमारी परिवार व्यवस्था वह मूल तत्व है, जिसने भारत को भारत बनाया। हमारे सारे नायक परिवार की इसी शक्ति को पहचानते हैं। रिश्तों में हमारे प्राण बसते हैं, उनसे ही हम पूर्ण होते हैं। आज कोरोना की महामारी ने जब हमारे सामने गहरे संकट खड़े किए हैं तो हमें सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संबल हमारे परिवार ही दे रहे हैं। व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाए उसका गांव, घर, गली, मोहल्ला, रिश्ते-नाते और दोस्त उसकी स्मृतियां का स्थायी संसार बनाते हैं। कहा जाता है जिस समाज स्मृति जितनी सघन होती है, जितनी लंबी होती है, वह उतना ही श्रेष्ठ समाज होता है। परिवार नाम की संस्था दुनिया के हर समाज में मौजूद हैं। किंतु परिवार जब मूल्यों की स्थापना, बीजारोपण का केंद्र बनता है, तो वह संस्कारशाला हो जाता है। खास हो जाता है। अपने मूल्यों, परंपराओं को निभाकर समूचे समाज को साझेदार मानकर ही भारतीय परिवारों ने अपनी विरासत बनाई है। पारिवारिक मूल्यों को आदर देकर ही श्री राम इस देश के सबसे लाड़ले पुत्र बन जाते हैं। उन्हें यह आदर शायद इसलिए मिल पाया, क्योंकि उन्होंने हर रिश्ते को मान दिया, धैर्य से संबंध निभाए। वे रावण की तरह प्रकांड विद्वान और विविध कलाओं के ज्ञाता होने का दावा नहीं करते, किंतु मूल्याधारित जीवन के नाते वे सबके पूज्य बन जाते हैं, एक परंपरा बनाते हैं। अगर हम अपनी परिवार परंपरा को निभा पाते तो आज के भारत में वृद्धाश्रम न बन रहे होते। पहले बच्चे अनाथ होते थे आज के दौर में माता-पिता भी अनाथ होने लगे हैं। यह बिखरती भारतीयता है, बिखरता मूल्यबोध है। जिसने हमारी आंखों से प्रेम, संवेदना, रिश्तों की महक कम कर भौतिकतावादी मूल्यों को आगे किया है। न बढ़ाएं फासले, रहिए कनेक्टः आज के भारत की चुनौतियां बहुत अलग हैं। अब भारत के संयुक्त परिवार आर्थिक, सामाजिक कारणों से एकल परिवारों में बदल रहे हैं। एकल परिवार अपने आप में कई संकट लेकर आते हैं। जैसा कि हम देख रहे हैं कि इन दिनों कई दंपती कोरोना से ग्रस्त हैं, तो उनके बच्चे एकांत भोगने के साथ गहरी असुरक्षा के शिकार हैं। इनमें माता या पिता, या दोनों की मृत्यु होने पर अलग तरह के सामाजिक संकट खड़े हो रहे हैं। संयुक्त परिवार हमें इस तरह के संकटों से सुरक्षा देता था और ऐसे संकटों को आसानी से झेल जाता था। बावजूद इसके समय के चक्र को पीछे नहीं घुमाया जा सकता। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने परिजनों से निरंतर संपर्क में रहें। उनसे आभासी माध्यमों, फोन आदि से संवाद करते रहें, क्योंकि सही मायने में परिवार ही हमारा सुरक्षा कवच है। आमतौर सोशल मीडिया के आने के बाद हम और ‘अनसोशल’ हो गए हैं। संवाद के बजाए कुछ ट्वीट करके ही बधाई दे देते हैं। होना यह चाहिए कि हम फोन उठाएं और कानोंकान बात करें। उससे जो खुशी और स्पंदन होगा, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। परिजन और मित्र इससे बहुत प्रसन्न अनुभव करेगें और सारा दिन आपको भी सकारात्मकता का अनुभव होगा। संपर्क बनाए रखना और एक-दूसरे के काम आना हमें अतिरिक्त उर्जा से भर देता है। संचार के आधुनिक साधनों ने संपर्क, संवाद बहुत आसान कर दिया है। हम पूरे परिवार की आनलाईन मीटिंग कर सकते हैं, जिसमें दुनिया के किसी भी हिस्से से परिजन हिस्सा ले सकते हैं। दिल में चाह हो तो राहें निकल ही आती हैं। प्राथमिकताए तय करें तो व्यस्तता के बहाने भी कम होते नजर आते हैं। जरूरी है एकजुटता और सकारात्मकताः सबसे जरूरी है कि हम सकारात्मक रहें और एकजुट रहें। एक-दूसरे के बारे में भ्रम पैदा न होने दें। गलतफहमियां पैदा होने से पहले उनका आमने-सामने बैठकर या फोन पर ही निदान कर लें। क्योंकि दूरियां धीरे-धीरे बढ़ती हैं और एक दिन सब खत्म हो जाता है। खून के रिश्तों का इस तरह बिखरना खतरनाक है क्योंकि रिश्ते टूटने के बाद जुड़ते जरूर हैं, लेकिन उनमें गांठ पड़ जाती है। सामान्य दिनों में तो सारा कुछ ठीक लगता है। आप जीवन की दौड़ में आगे बढ़ते जाते हैं, आर्थिक समृद्धि हासिल करते जाते हैं। लेकिन अपने पीछे छूटते जाते हैं। किसी दिन आप अस्पताल में होते हैं, तो आसपास देखते हैं कि कोई अपना आपकी चिंता करने वाला नहीं है। यह छोटा सा उदाहरण बताता है कि हम कितने कमजोर और अकेले हैं। देखा जाए तो यह एकांत हमने खुद रचा है और इसके जिम्मेदार हम ही हैं। संयुक्त परिवारों की परिपाटी लौटाई नहीं जा सकती, किंतु रिश्ते बचाए और बनाए रखने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके साथ ही सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है। जरा-जरा सी बातों पर धीरज खोना ठीक नहीं है। हमें क्षमा करना और भूल जाना आना ही चाहिए। तुरंत प्रतिक्रिया कई बार घातक होती है। इसलिए आवश्यक है कि हम धीरज रखें। देश का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे ही पारिवारिक मूल्यों की जागृति के कुटुंब प्रबोधन के कार्यक्रम चलाता है। पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक अत्रे भी लोगों को पारिवारिक मूल्यों से जुड़े रहने प्रेरित कर रहे हैं। वे साफ कहते हैं ‘भारत में परिवार ही समाज को संभालता है।’ जुड़ने के खोजिए बहानेः हमें संवाद और एकजुटता के अवसर बनाते रहने चाहिए। बात से बात निकलती है और रिश्तों में जमी बर्फ पिधल जाती है। परिवार के मायने सिर्फ परिवार ही नहीं हैं, रिश्तेदार ही नहीं हैं। वे सब हैं जो हमारी जिंदगी में शामिल हैं। उसमें हमें सुबह अखबार पहुंचाने वाले हाकर से लेकर, दूध लाकर हमें देने वाले, हमारे कपड़े प्रेस करने वाले, हमारे घरों और सोसायटी की सुरक्षा, सफाई करने वाले और हमारी जिंदगी में मदद देने वाला हर व्यक्ति शामिल है। अपने सुख-दुख में इस महापरिवार को शामिल करना जरूरी है। इससे हमारा भावनात्मक आधार मजूबूत होता है और हम कभी भी अपने आपको अकेला महसूस नहीं करते। कोरोना के संकट ने हमें सोचने के लिए आधार दिया है, एक मौका दिया है। हम सबने खुद के जीवन और परिवार में न सही, किंतु पूरे समाज में मृत्यु को निकट से देखा है। आदमी की लाचारगी और बेबसी के ऐसे दिन शायद भी कभी देखे गए हों। इससे सबक लेकर हमें न सिर्फ सकारात्मकता के साथ जीना सीखना है बल्कि लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना है। बड़ों का आदर और अपने से छोटों का सम्मान करते हुए सबको भावनात्मक रिश्तों की डोर में बांधना है। एक दूसरे को प्रोत्साहित करना, घर के कामों में हाथ बांटना, गुस्सा कम करना जरूरी आदतें हैं, जो डालनी होंगीं। एक बेहतर दुनिया रिश्तों में ताजगी, गर्माहट,दिनायतदारी और भावनात्मक संस्पर्श से ही बनती है। क्या हम और आप इसके लिए तैयार हैं?
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(प्रवीण कक्कड़) एक जमाने में कहा जाता था कि भारतीय समाज में 3 सी सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। सिनेमा, क्रिकेट और क्राइम। लेकिन आज के सार्वजनिक संवाद को देखें तो इन तीनों से ज्यादा लोकप्रिय अगर कोई चीज है तो वह है पत्रकारिता। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल अपने इन तीनों स्वरूपों में पत्रकारिता 24 घंटे सूचनाओं की बाढ़ समाज तक पहुंचाती है और लोगों की राय बनाने में खासी मदद करती है। जैसे-जैसे समाज जटिल होता जाता है, वैसे वैसे लोगों के बीच सीधा संवाद कम होता जाता है और वे सार्वजनिक या उपयोगी सूचनाओं के लिए मीडिया पर निर्भर होते जाते हैं। उनके पास जो सूचनाएं ज्यादा संख्या में पहुंचती हैं, लोगों को लगता है कि वही घटनाएं देश और समाज में बड़ी संख्या में हो रही हैं। जो सूचनाएं मीडिया से छूट जाती हैं उन पर समाज का ध्यान भी कम जाता है। आजकल महत्व इस बात का नहीं है कि घटना कितनी महत्वपूर्ण है, महत्व इस बात का हो गया है कि उस घटना को मीडिया ने महत्वपूर्ण समझा या नहीं। जब मीडिया पर इतना ज्यादा एतबार है तो मीडिया की जिम्मेदारी भी पहले से कहीं अधिक है। आप सब को अलग से यह बताने की जरूरत नहीं है कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के अलावा मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। मजे की बात यह है कि बाकी तीनों स्तंभ की चर्चा हमारे संविधान में अलग से की गई है और उनके लिए लंबे चौड़े प्रोटोकॉल तय हैं। लेकिन मीडिया को अलग से कोई अधिकार नहीं दिए गए हैं। संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का जो अधिकार प्रत्येक नागरिक को हासिल है, उतना ही अधिकार पत्रकार को भी हासिल है। बाकी तीन स्तंभ जहां संविधान और कानून से शक्ति प्राप्त करते हैं, वही मीडिया की शक्ति का स्रोत सत्य, मानवता और सामाजिक स्वीकार्यता है। अगर मीडिया के पास नैतिक बल ना हो तो उसकी बात का कोई मोल नहीं है। इसी नैतिक बल से हीन मीडिया के लिए येलो जर्नलिज्म या पीत पत्रकारिता शब्द रखा गया है। और जो पत्रकारिता नैतिक बल पर खड़ी है, वह तमाम विरोध सहकर भी सत्य को उजागर करती है। संयोग से हमारे पास नैतिक बल वाले पत्रकारों की कोई कमी नहीं है। मीडिया को लेकर आजकल बहुत तरह की बातें कही जाती हैं। इनमें से सारी बातें अच्छी हो जरूरी नहीं है। पत्रकारिता बहुत से मोर्चों पर दृढ़ता से खड़ी है, तो कई मोर्चों पर चूक भी जाती है। आप सबको पता ही है की बर्नार्ड शॉ जैसे महान लेखक मूल रूप से पत्रकार ही थे। और बट्रेंड रसैल जैसे महान दार्शनिक ने कहा है कि जब बात निष्पक्षता की आती है तो असल में सार्वजनिक जीवन में उसका मतलब होता है कमजोर की तरफ थोड़ा सा झुके रहना। यानी कमजोर के साथ खड़ा होना पत्रकारिता की निष्पक्षता का एक पैमाना ही है। पत्रकारिता की चुनौतियों को लेकर हम आज जो बातें सोचते हैं, उन पर कम से कम दो शताब्दियों से विचार हो रहा है। भारत में तो हिंदी के पहला अखबार उदंत मार्तंड के उदय को भी एक सदी बीत चुकी है। टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदू जैसे अखबार एक सदी की उम्र पार कर चुके हैं। दुनिया के जाने माने लेखक जॉर्ज ऑरवेल ने आधी सदी पहले एक किताब लिखी थी एनिमल फार्म। किताब तो सोवियत संघ में उस जमाने में स्टालिन की तानाशाही के बारे में थी लेकिन उसकी भूमिका में उन्होंने पत्रकारिता की चुनौतियां और उस पर पड़ने वाले दबाव का विस्तार से जिक्र किया है। जॉर्ज ऑरवेल ने लिखा की पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह नहीं है कि कोई तानाशाह उसे बंदूक की नोक पर दबा लेगा या फिर कोई धन्ना सेठ पैसे के बल पर पत्रकारिता को खरीद लेगा लेकिन इनसे बढ़कर जो चुनौती है वह है भेड़ चाल। यानी एक अखबार या एक मीडिया चैनल जो बात दिखा रहा है सभी उसी को दिखा रहे हैं। अगर किसी सरकार ने एक विषय को जानबूझकर मीडिया के सामने उछाल दिया और सारे मीडिया संस्थान उसी को कवर करते चले जा रहे हैं, यह सोचे बिना कि वास्तव में उसका सामाजिक उपयोग कितना है या कितना नहीं। बड़े संकोच के साथ कहना पड़ता है कि कई बार भारतीय मीडिया भी इस नागपाश में फंस जाता है। सारे अखबारों की हैडलाइन और सारे टीवी चैनल पर एक से प्राइमटाइम दिखाई देने लगते हैं। भारत विविधता का देश है, अलग-अलग आयु वर्ग के लोग यहां रहते हैं। उनकी महत्वाकांक्षा अलग है और उनके भविष्य के सपने भी जुदा हैं। ऐसे में पत्रकार की जिम्मेदारी है कि हमारी इन महत्वाकांक्षाओं को उचित स्थान अपनी पत्रकारिता में दें। वे संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को मजबूत करें। कमजोर का पक्ष ले। देश की आबादी का 85% हिस्सा मजदूर और किसान से मिलकर बनता है। ऐसे में इस 85% आबादी को भी पत्रकारिता में पूरा स्थान मिले। मैंने तो बचपन से यही सुना है कि पुरस्कार मिलने से पत्रकारों का सम्मान नहीं होता, उनके लिए तो लीगल नोटिस और सत्ता की ओर से मिलने वाली धमकियां असली सम्मान होती हैं। राजनीतिक दल तो लोकतंत्र का अस्थाई विपक्ष होते हैं, क्योंकि चुनाव के बाद जीत हासिल करके विपक्षी दल सत्ताधारी दल बन जाता है और जो कल तक कुर्सी पर बैठा था, वह आज विपक्ष में होता है। लेकिन पत्रकारिता तो स्थाई विपक्ष होती है। जो सत्ता की नाकामियों और उसके काम में छूट गई गलतियों को सार्वजनिक करती है ताकि भूल को सुधारा जा सके और संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों के मुताबिक राष्ट्र का निर्माण किया जा सके। मध्यप्रदेश इस मामले में हमेशा से ही बहुत आगे रहा है प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर जैसे प्रसिद्ध संपादक मध्य प्रदेश की पवित्र भूमि की ही देन हैं। आज भी राष्ट्रीय पत्रकारिता के क्षेत्र पर मध्य प्रदेश के पत्रकार अपनी निष्पक्षता की छाप छोड़ रहे हैं। आशा करता हूं 21वीं सदी के तीसरे दशक में भारतीय पत्रकारिता उन बुनियादी मूल्यों का और दृढ़ता से पालन करेगी जिन्हें हम शास्वत मानवीय मूल्य कहते हैं।
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मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के जन्मदिन पर विशेष -डॉ. दुर्गेश केसवानी संसार में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनसे जितनी बार भी मिलें, हर बार की मुलाकात में एक नया अनुभव होता है। मप्र के गृहमंत्री माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी ऐसी ही शख्सियत हैं, जिनसे हर मिलने पर मन आनंदित हो जाता है। वैसे तो गृहमंत्री जी से मेरी मुलाकात लगभग डेढ़ दशक पुरानी है, लेकिन इतने सालों में जितनी बार भी उनसे मिला। हर बार कुछ नया सीखने को अवसर मिला। आज जन्मदिन के अवसर पर आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए आपके शतायु जीवन की कामना करता हूं। डॉ. नरोत्तम मिश्रा एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अच्छे पुत्र, एक अच्छे भाई, अच्छे पिता और अच्छे दादा भी हैं। उन्हें ईश्वर ने जीवन में जो भी जवाबदारी दी है। उसका उन्होंने पूरी ईमानदारी और लगन के साथ पालन किया है। बच्चों के साथ बच्चा बन जाना और बेजुबान जानवरों के साथ भी करुणा बनाए रखना। ऐसे गुण बिरले लोगों में ही मिलते हैं। इसके अलावा वे एक अच्छे मित्र भी हैं। जीवन के हर सुख-दुख में साथ देने के साथ ही सही बात को सराहते हैं और गलती होने पर सुधार करने की हिदायत भी देते हैं। सामाजिक और राजनैतिक जीवन में आने के बाद अपनी दिनचर्या में मर्यादा, गरिमा, दायित्वों और कर्तव्यों का पालन थोड़ा कठिन हो जाता है। आम लोगों का आप के प्रति भरोसा और प्रेम हमेशा बना रहे। इसके लिए अपने विचारों, भाषा और व्यवहार का खास ध्यान रखना होता है। डॉ. मिश्रा राजनीतिक जीवन के इन सभी बिंदुओं से परे आज स्वयं एक ऐसा उदाहरण बन चुके हैं, जो राजनीति में आए नौजवानों के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित हो चुकेहैं। उनके वर्तमान कार्यकाल की कुछ खास उपलब्धियों को आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। अपराध मुक्त होने की दिशा में बढ़ रहा प्रदेश : मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के कार्यकाल में जहां अपराधियों पर लगाम लगी है। वहीं सनातन धर्म पर उंगली उठाने वालों पर भी वे सख्त तेवर दिखाते नजर आए हैं। गरीब असहाय लोगों की सहायता हो या फिर संकट में फंसे प्रदेशवासी अपने अदम्य साहस और प्रेम के बल पर डॉ. मिश्रा ने हमेशा ही हम सबका दिल जीता है। उनके कार्यकाल में प्रदेश अपराध मुक्त होने की दिशा में काम कर रहा है। वहीं प्रदेश में आकर सनातन धर्म पर टिप्पणी करने से पहले वामपंथी 100 बार सोच रहे हैं। अपराधियों पर कस दी लगाम : प्रदेश की सियासत में संकटमोचक माने जाने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा वैसे तो हर वर्ग और हर समुदाय के चहेते हैं, लेकिन गृहमंत्री बनते ही उनके सख्त तेवरों को देख आम जनसमुदाय उनकी कार्यशैली का दीवाना हो गया है। पिछले साल 2021 में गृहमंत्री के मार्गदर्शन में आम लोगों की जमीनों पर कब्जा करने वाले 1705 भू माफियाओं को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान अवैध शराब के भी 139556 मामले दर्ज किए गए। खास बात यह रही कि इन भूमाफियाओं और दुर्दान्त अपराधियों की अवैध संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई। चिटफंड कंपनियों द्वारा 55774 निवेशकों से ठगे गए 179.50 करोड़ रुपए वापिस दिलवाए गए। इस अवधि में पुलिस विभाग द्वारा 15114 गुम बच्चों को भी वापिस ढूंढ लिया गया। इस कार्यकाल में 42 नए महिला थाने, 52 मानव दुर्व्यापार निरोधी ईकाई और 700 ऊर्जा महिला डेस्क की स्थापना भी की गई। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए 4500 गुम बालिकाओं को सकुशल उनके घर पहुंचाया गया। अनुसूचित जाति और जनजाति के भाई-बहनों को न्याय मिले। इसके लिए इन जातियों से होने वाले हॉटस्पॉट क्षेत्रों को चिन्हित कर अपराधों में कमी लाने के लिए निरंतर काम किया जा रहा है। वहीं अनुसूचित जनजाति के भाई बहनों को भड़काने वाले संगठनों पर कड़ी नजर रख उन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बारीक नजरों से न बच सका कोई : डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने अपने कार्यकाल में वामपंथियों को एहसास करा दिया है कि सनातन धर्म पर डिजीटल हमले करना आसान नहीं है। यह उन्हीं के ही प्रयास हैं कि डाबर ने माफी मांगते हुए अपना विज्ञापन वापस लिया। विवाह जैसे पवित्र बंधन के नाम पर अश्लीलता परोसने वाले सब्यसाची ने अपना मंगलसूत्र का विज्ञापन वापिस लिया। इसके अलावा श्वेता तिवारी के विवादित बयान हों या अमेजन कंपनी द्वारा खुलेआम जहर की डिलीवरी करना जोमैटो द्वारा सड़क सुरक्षा का खुलेआम उल्लंघन या हिंदू धर्म पर हमला करने वाले कव्वाल, डॉ. मिश्रा की बारीक नजरों से कोई भी नही बच सका। आतंक मुक्त मप्र बनाने की पहल : गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व में मप्र पुलिस लगातार अपराधियों पर सख्त कार्रवाई कर रही है। साथ ही मप्र को नक्सलवाद मुक्त और आतंकी संगठनों के मंसूबे नाकाम करने में भी लगातार काम कर रही है। मप्र पुलिस ने वर्ष 2020 से अब तक लगभग 82 लाख रुपए के ईनामी नक्सलवादियों को या तो सलाखों के पीछे पहुंचा दिया या फिर उन्हें मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस पूरी कार्रवाई में अपनी जान-जोखिम में डाल अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले 100 पुलिस पुलिसकर्मियों को क्रम से पूर्व ही पदोन्नत कर दिया गया। वहीं रतलाम में आतंकी संगठ अलसूफा के ईनामी आंतकी इमरान को भी गिरफ्तार किया गया और संगठन को जड़ से उखाड़ फेंका गया। वहीं मार्च माह में बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन के 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। शक्तिशाली हुआ पुलिस प्रशासन : शहरों को अपराध मुक्त रखने और पुलिस के अधिक पॉवर देने वाली कमिश्नर प्रणाली भोपाल और इंदौर में डॉ. मिश्रा के ही कार्यकाल में लागू हुई। इससे अपराधियों पर नियंत्रण करने में पुलिस को अधिक पावर मिली। सायबर अपराधों पर लगाम लगाने और लोगों को जागरूक करने के लिए 1 लाख से अधिक लोगों को सायबर सुरक्षा पर आधारित सेमिनारों में बुलाकर जागरूक किया गया। इसी के साथ रेडियो, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और पोस्टर के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने कार्यक्रम आयोजित किए गए। सभी पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में सायबर अपराधों के अनुसंधान व सहायता हेतु एडवांस टेक्निकल सेल की स्थापना की गई। ई एफआईआर की सुविधा शुरू की गई। इसके अलावा आम जनमानस को लाभ पहुंचाने हेतु डॉ. मिश्रा ने न जाने कितने कार्य किए हैं। यदि उन सबका उल्लेख करने बैठेंगे तो बात बहुत लंबी खिंच जाएगी। इसलिए किसी शायर की इन चंद पंक्तियों को डॉ. मिश्रा को समर्पित करते हुए अपनी बात को विराम देता हूं३ प्रेम है मुझे इस माटी से, देश के गद्दारों से लड़ने की तैयारी है लोगों की दौलत है पैसा, मेरी दौलत तो केवल ईमानदारी है सब लड़ते हैं सत्ता के लिए और मकसद है इनका चुनाव जीतना मैं तो हर अबला का बेटा हूं, दिलों को जीतने की मेरी तैयारी है -लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता है।
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मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के जन्मदिन पर विशेष -डॉ. दुर्गेश केसवानी संसार में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनसे जितनी बार भी मिलें, हर बार की मुलाकात में एक नया अनुभव होता है। मप्र के गृहमंत्री माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी ऐसी ही शख्सियत हैं, जिनसे हर मिलने पर मन आनंदित हो जाता है। वैसे तो गृहमंत्री जी से मेरी मुलाकात लगभग डेढ़ दशक पुरानी है, लेकिन इतने सालों में जितनी बार भी उनसे मिला। हर बार कुछ नया सीखने को अवसर मिला। आज जन्मदिन के अवसर पर आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए आपके शतायु जीवन की कामना करता हूं। डॉ. नरोत्तम मिश्रा एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अच्छे पुत्र, एक अच्छे भाई, अच्छे पिता और अच्छे दादा भी हैं। उन्हें ईश्वर ने जीवन में जो भी जवाबदारी दी है। उसका उन्होंने पूरी ईमानदारी और लगन के साथ पालन किया है। बच्चों के साथ बच्चा बन जाना और बेजुबान जानवरों के साथ भी करुणा बनाए रखना। ऐसे गुण बिरले लोगों में ही मिलते हैं। इसके अलावा वे एक अच्छे मित्र भी हैं। जीवन के हर सुख-दुख में साथ देने के साथ ही सही बात को सराहते हैं और गलती होने पर सुधार करने की हिदायत भी देते हैं। सामाजिक और राजनैतिक जीवन में आने के बाद अपनी दिनचर्या में मर्यादा, गरिमा, दायित्वों और कर्तव्यों का पालन थोड़ा कठिन हो जाता है। आम लोगों का आप के प्रति भरोसा और प्रेम हमेशा बना रहे। इसके लिए अपने विचारों, भाषा और व्यवहार का खास ध्यान रखना होता है। डॉ. मिश्रा राजनीतिक जीवन के इन सभी बिंदुओं से परे आज स्वयं एक ऐसा उदाहरण बन चुके हैं, जो राजनीति में आए नौजवानों के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित हो चुकेहैं। उनके वर्तमान कार्यकाल की कुछ खास उपलब्धियों को आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। अपराध मुक्त होने की दिशा में बढ़ रहा प्रदेश : मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के कार्यकाल में जहां अपराधियों पर लगाम लगी है। वहीं सनातन धर्म पर उंगली उठाने वालों पर भी वे सख्त तेवर दिखाते नजर आए हैं। गरीब असहाय लोगों की सहायता हो या फिर संकट में फंसे प्रदेशवासी अपने अदम्य साहस और प्रेम के बल पर डॉ. मिश्रा ने हमेशा ही हम सबका दिल जीता है। उनके कार्यकाल में प्रदेश अपराध मुक्त होने की दिशा में काम कर रहा है। वहीं प्रदेश में आकर सनातन धर्म पर टिप्पणी करने से पहले वामपंथी 100 बार सोच रहे हैं। अपराधियों पर कस दी लगाम : प्रदेश की सियासत में संकटमोचक माने जाने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा वैसे तो हर वर्ग और हर समुदाय के चहेते हैं, लेकिन गृहमंत्री बनते ही उनके सख्त तेवरों को देख आम जनसमुदाय उनकी कार्यशैली का दीवाना हो गया है। पिछले साल 2021 में गृहमंत्री के मार्गदर्शन में आम लोगों की जमीनों पर कब्जा करने वाले 1705 भू माफियाओं को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान अवैध शराब के भी 139556 मामले दर्ज किए गए। खास बात यह रही कि इन भूमाफियाओं और दुर्दान्त अपराधियों की अवैध संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई। चिटफंड कंपनियों द्वारा 55774 निवेशकों से ठगे गए 179.50 करोड़ रुपए वापिस दिलवाए गए। इस अवधि में पुलिस विभाग द्वारा 15114 गुम बच्चों को भी वापिस ढूंढ लिया गया। इस कार्यकाल में 42 नए महिला थाने, 52 मानव दुर्व्यापार निरोधी ईकाई और 700 ऊर्जा महिला डेस्क की स्थापना भी की गई। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए 4500 गुम बालिकाओं को सकुशल उनके घर पहुंचाया गया। अनुसूचित जाति और जनजाति के भाई-बहनों को न्याय मिले। इसके लिए इन जातियों से होने वाले हॉटस्पॉट क्षेत्रों को चिन्हित कर अपराधों में कमी लाने के लिए निरंतर काम किया जा रहा है। वहीं अनुसूचित जनजाति के भाई बहनों को भड़काने वाले संगठनों पर कड़ी नजर रख उन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बारीक नजरों से न बच सका कोई : डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने अपने कार्यकाल में वामपंथियों को एहसास करा दिया है कि सनातन धर्म पर डिजीटल हमले करना आसान नहीं है। यह उन्हीं के ही प्रयास हैं कि डाबर ने माफी मांगते हुए अपना विज्ञापन वापस लिया। विवाह जैसे पवित्र बंधन के नाम पर अश्लीलता परोसने वाले सब्यसाची ने अपना मंगलसूत्र का विज्ञापन वापिस लिया। इसके अलावा श्वेता तिवारी के विवादित बयान हों या अमेजन कंपनी द्वारा खुलेआम जहर की डिलीवरी करना जोमैटो द्वारा सड़क सुरक्षा का खुलेआम उल्लंघन या हिंदू धर्म पर हमला करने वाले कव्वाल, डॉ. मिश्रा की बारीक नजरों से कोई भी नही बच सका। आतंक मुक्त मप्र बनाने की पहल : गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व में मप्र पुलिस लगातार अपराधियों पर सख्त कार्रवाई कर रही है। साथ ही मप्र को नक्सलवाद मुक्त और आतंकी संगठनों के मंसूबे नाकाम करने में भी लगातार काम कर रही है। मप्र पुलिस ने वर्ष 2020 से अब तक लगभग 82 लाख रुपए के ईनामी नक्सलवादियों को या तो सलाखों के पीछे पहुंचा दिया या फिर उन्हें मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस पूरी कार्रवाई में अपनी जान-जोखिम में डाल अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले 100 पुलिस पुलिसकर्मियों को क्रम से पूर्व ही पदोन्नत कर दिया गया। वहीं रतलाम में आतंकी संगठ अलसूफा के ईनामी आंतकी इमरान को भी गिरफ्तार किया गया और संगठन को जड़ से उखाड़ फेंका गया। वहीं मार्च माह में बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन के 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। शक्तिशाली हुआ पुलिस प्रशासन : शहरों को अपराध मुक्त रखने और पुलिस के अधिक पॉवर देने वाली कमिश्नर प्रणाली भोपाल और इंदौर में डॉ. मिश्रा के ही कार्यकाल में लागू हुई। इससे अपराधियों पर नियंत्रण करने में पुलिस को अधिक पावर मिली। सायबर अपराधों पर लगाम लगाने और लोगों को जागरूक करने के लिए 1 लाख से अधिक लोगों को सायबर सुरक्षा पर आधारित सेमिनारों में बुलाकर जागरूक किया गया। इसी के साथ रेडियो, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और पोस्टर के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने कार्यक्रम आयोजित किए गए। सभी पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में सायबर अपराधों के अनुसंधान व सहायता हेतु एडवांस टेक्निकल सेल की स्थापना की गई। ई एफआईआर की सुविधा शुरू की गई। इसके अलावा आम जनमानस को लाभ पहुंचाने हेतु डॉ. मिश्रा ने न जाने कितने कार्य किए हैं। यदि उन सबका उल्लेख करने बैठेंगे तो बात बहुत लंबी खिंच जाएगी। इसलिए किसी शायर की इन चंद पंक्तियों को डॉ. मिश्रा को समर्पित करते हुए अपनी बात को विराम देता हूं३ प्रेम है मुझे इस माटी से, देश के गद्दारों से लड़ने की तैयारी है लोगों की दौलत है पैसा, मेरी दौलत तो केवल ईमानदारी है सब लड़ते हैं सत्ता के लिए और मकसद है इनका चुनाव जीतना मैं तो हर अबला का बेटा हूं, दिलों को जीतने की मेरी तैयारी है -लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता है।
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चौधरी मदन मोहन 'समर' कल रिलीव हो गया। परसों नई जगह ज्वाइन भी कर लूंगा। जिंदगी के दिन हमेशा की तरह करवट बदलकर अपने नए पथ नई जगह पर नए तौर-तरीकों से उदय-अस्त होने लगेंगे। लगभग सवा पांच साल तक मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी भोपाल में शिक्षक की भूमिका से पुनः मैदान में वर्दी के उत्तरदायित्व निभाने चला हूँ। 30 वर्ष विभिन्न थानों का प्रभारी रहा, वह भूमिका भी बदल चुकी है। अब थानों का दिक़दर्शक रहूंगा, अपने अनुभव साझा करूंगा साथियों के साथ एसडीओपी के रूप में। (इस पद को कई प्रदेशों में सीओ भी कहते हैं। महानगरों में यह एसीपी कहलाता है।) एसडीओपी सुहागपुर जिला नर्मदापुरम (होशंगाबाद) अकादमी में बिताए दिन मेरे लिए विशेष स्मरणीय दिन रहेंगे। यहां पर मेरे वरिष्ठ अधिकारी हों अथवा मेरे समकक्ष साथी या मेरे कनिष्ठ सहयोगी, एक परिवार की तरह हमलोग रहे। सबका स्नेह मिला। सच बताऊँ यह सिर्फ कहने अथवा औपचारिक नहीं मेरे हृदय से कहा सच है, जो सम्मान मुझे यहां पर मिला है वह पूरा आकाश भर है। रत्तीभर भी कम नहीं।यहां हमारे आवासीय परिसर में रहने वाले परिवार मेरे अपने परिवार थे।तीज-त्यौहार पर उत्साह और उल्लास हमने मनाया। वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रि पर्व पर हमने ग्यारह बार मेरे घर महोत्सव का आनन्द लिया। हर परिवार मुझे मेरा कुल-गोत्र लगा। बहुत कुछ पाया यहां मैंने। जीवन भर के लिए स्नेहिल और मधुर रिश्ते, उनकी मिठास और अपनापन। किसका नाम लूँ विशेष रूप से। सभी तो अपने से भी बढ़ कर लगे। अकादमी में प्रशिक्षण हेतु मैं क्या योगदान दे पाया यह तो पता नहीं लेकिन 256 युवा उप पुलिस अधीक्षक, 1000 से अधिक उपनिरीक्षक, साथ ही विभिन्न कोर्स में आने वाले अनेक साथी मेरी स्मृतियों में रहेंगे। पूरे प्रदेश में मैं मौजूद हूँ मेरे इन साथियों के संग। मैं अपनी उस हर त्रुटि अथवा धृष्टता के लिए क्षमा चाहूंगा जो मुझसे किसी के प्रति हुई हो। मेरा AIG-7 का पता, जो अब बदल जायेगा का आंगन, इसमें मेरे साथ मुस्कुराने वाले पेड़-पौधे, गाने वाली गौरैया, मैना, बुलबुल, तोते, और तमाम पक्षी मुझे गुदगुदाते रहेंगे।आम अमरूद चीकू पपीते कटहल जामुन नींबू हमेशा फलते फूलते रहेंगे झूमकर। विदा भौरी, विदा अकादमी। लेकिन अलविदा नहीं। आता रहूंगा किसी न किसी रूप में।
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(प्रवीण कक्कड़) राज्य सरकार की जितनी सेवाएं होती हैं, उनमें पुलिस का एक खास महत्व है। हम चाहें या ना चाहें पुलिस हमारे सामाजिक जीवन के हर हिस्से से जुड़ी है। स्कूल की परीक्षाएं कराने से लेकर राजनैतिक समारोह तक सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के पास ही है। परिवार का छोटा सा झगड़ा हो या बदमाशों का गैंगवार, मामला निपटाने की जिम्मेदारी अंततः पुलिस पर आती है। समाज में जिस तरह से छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग ज्यादा उग्र होने लगे हैं, उसे देखते हुए पुलिस की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञ इन समस्याओं और उनके प्रसार से लंबे समय से अवगत हैं। इसीलिए पुलिस सुधार की बात एक अरसे से चल रही है। पुलिस सुधार का मतलब क्या है? क्या पुलिस वालों के काम के तरीके को बदल देना? लेकिन इसमें कितना बदलाव आ सकता है, क्योंकि उनका मूल काम तो अपराध नियंत्रण का रहेगा ही। इसका मतलब है कि पुलिस सुधार का अर्थ कहीं व्यापक है। सबसे पहले तो यह देखना होगा कि पुलिस के ऊपर कहीं काम का ज्यादा बोझ तो नहीं है। राष्ट्रीय परिदृश्य पर गौर करें तो राज्य पुलिस बलों में 24% रिक्तियां हैं (लगभग 5.5 लाख रिक्तियां)। यानी जहां 100 पुलिस वाले हमारे पास होने चाहिए वहां 76 पुलिस वाले ही उपलब्ध हैं। हर एक लाख व्यक्ति पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत संख्या 181 है, उनकी वास्तविक संख्या 137 है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार एक लाख व्यक्तियों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। इस तरह गौर करें तो राष्ट्रीय मानक से तो हम पीछे हैं ही अंतर्राष्ट्रीय मानक से तो बहुत पीछे हैं। राज्य पुलिस बलों में 86% कॉन्स्टेबल हैं। अपने सेवा काल में कॉन्स्टेबलों की आम तौर पर एक बार पदोन्नति होती है और सामान्यतः वे हेड कॉन्स्टेबल के पद पर ही रिटायर होते हैं। इससे वे अच्छा प्रदर्शन करने को प्रोत्साहित नहीं हो पाते। एक तथ्य और महत्वपूर्ण है। राज्य सरकारों को पुलिस बल पर राज्य के बजट का 3% हिस्सा खर्च करना चाहिए जो कि अभी नहीं हो रहा है। राज्य पुलिस पर कानून एवं व्यवस्था तथा अपराधों की जांच करने की जिम्मेदारी होती है, जबकि केंद्रीय बल खुफिया और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विषयों (जैसे उग्रवाद) में उनकी सहायता करते हैं। जब दोनों के काम लगभग समान है तो बजट भी समान होना चाहिए। यह तो वे पक्ष हुए जो यह बताते हैं कि पुलिस वालों को प्रशासन की और बेहतर कृपा दृष्टि की जरूरत है। अच्छी तरह से काम करने के लिए उन्हें बेहतर संसाधन चाहिए। दूसरा पक्ष भी बड़ा महत्वपूर्ण है। सेना में भर्ती होने वाले लोगों के लिए चाहे वे सैनिक हों या उच्चाधिकारी बहुत सारी मानवीय सुविधाएं होती हैं। ऑफिसर्स मैस होगा, सैनिक स्कूल, अस्पताल खेल कूद और व्यायाम के लिए पार्क और बड़े पैमाने पर शारीरिक व्यायाम की सुविधा होती है। इसके अलावा खेलों में सेना के जवानों का विशेष प्रतिनिधित्व हो सके इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाते हैं। मेजर ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी इसी व्यवस्था से हमें प्राप्त हुए हैं। निश्चित तौर पर सेना की जिम्मेदारी बड़ी है और उसे सरहदों पर देश की रक्षा करनी होती है। लेकिन पुलिस की जिम्मेदारी भी कम नहीं है, उसे तो रात दिन बिना अवकाश के समाज की कानून व्यवस्था को बना कर चलना होता है। उसे अपने कानूनी दायित्व के साथ इस विवेक का परिचय भी देना होता है कि समाज में किसी तरह की अशांति ना फैले और बहुत संभव हो तो दो पक्षों का झगड़ा आपस की बातचीत से समाप्त हो जाए। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पुलिस के काम पर लगातार राजनीतिक नेतृत्व का एक खास किस्म का दबाव तो बना ही रहता है। ऐसे में पुलिस वालों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त उपाय करना पुलिस सुधार की पहली सीढ़ी होनी चाहिए। दूसरी बात यह होनी चाहिए कि भले ही कोई कांस्टेबल स्तर से भर्ती हुआ हो, लेकिन अगर वह पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता हासिल कर लेता है तो इस तरह की परीक्षाएं उसे उपलब्ध हों जिससे वह शीर्ष पद तक पहुंच सके। अभी जिस तरह की पुलिस लाइन बनी हुई है, उनमें बहुत से सुधार की आवश्यकता है। उनकी क्षमता भी इतनी नहीं है कि एक शहर में पदस्थ सारे पुलिस वाले वहां रह सकें। ऐसे में पुलिस के लिए नए आवासों के निर्माण के बारे में ध्यान से सोचना चाहिए। पुलिस कर्मियों के बच्चे अच्छे स्कूलों में शिक्षा ले सकें, इसलिए सैनिक स्कूल के मुकाबले के स्कूल खोले जाने चाहिए। यहां न सिर्फ कक्षा की पढ़ाई होनी चाहिए बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी होनी चाहिए। राज्य पुलिस में अब पहले की तुलना में महिलाओं का योगदान बढ़ा है। पुलिस सेवा का पूर्व अधिकारी होने के नाते मैं अपने अनुभव से जानता हूं की महिलाओं के लिए पुलिस की नौकरी करना पुरुषों की अपेक्षा कठिन है। दिन भर धूप में खड़े रहना, धरना प्रदर्शन आदि को नियंत्रित करना और पुरुष पुलिस कर्मियों के साथ अपराध के स्थानों पर जाकर अपराध को नियंत्रण करना। भारत के पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को किस तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है, इसे हम स्वीकार करें या ना करें, लेकिन समझ तो सकते ही हैं। खासकर ट्रैफिक पुलिस में बड़े पैमाने पर चौराहों पर ड्यूटी करती हुई महिला पुलिसकर्मी आपको मिल जाएंगी। किसी का चालान काटना, उसे ट्रैफिक नियमों का पालन करने की बात समझाना, इन मामलों में उन्हें वाहन चालकों के साथ कई तरह की बहस में पड़ना पड़ता है। इन सब परिस्थितियों से निपटने के लिए पुलिस के पुरुष और महिला कर्मचारियों की विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। यह ट्रेनिंग इस तरह की ना हो कि नौकरी में भर्ती समय हो गई और बाकी समय वह पुराने ढर्रे पर काम करते रहें। कम से कम 6 महीने या 1 साल में हर बार नई परिस्थितियों के अनुसार विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। पुलिस सुधार के यह वे पहलू हैं, जिनमें पुलिस को सक्षम बनाने के रास्ते बताए गए हैं। पुलिस के कामकाज में ऐसे बदलाव किस तरह किए जाएं कि जनता में पुलिस के प्रति समरसता का भाव उत्पन्न हो उसकी चर्चा हम इस लेख के दूसरे भाग में करेंगे।
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कौशल मूंदड़ा जी हां, आपने अबतक सुन ही लिया होगा, यूपी के शाहजहांपुर की बजरिया सब्जी मंडी से 60 किलो नींबू चोरी हो गए। चोरों ने लहसुन-प्याज और कांटा-बांट भी साथ लिया, लेकिन सर्वाधिक मात्रा में नींबू को टारगेट किया। भले ही, व्यापारी ने इसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई हो, लेकिन घटना हुई और इसकी चर्चा और भी जोरों पर हुई। लेकिन, यह घटना अखबारों के अंदर के पन्नों में सिंगल कॉलम में सिमट गई, जबकि इसे तो फ्रंट पेज पर हाईलाइट किए जाने की जरूरत थी। जब नींबू के भाव 300 पार होने की खबर हाईलाइट की गई तो 60 किलो नींबू चोरी की खबर को भी उचित स्थान मिलना तो बनता है। खैर, इस बार नींबू ने प्याज की याद दिला दी। गर्मी में जितना प्याज जरूरी है, उतना ही नींबू भी। लाखों हैं जिन्हें रात को नींबू सोड़ा पिये बिना चैन नहीं मिलता और चिलचिलाती दुपहरी में लू से बचने के लिए पुदीने वाली नींबू शिकंजी का गिलास ठंडक देता है। ऐसे में जब नींबू महंगा हो गया है तो जाहिर है सोडे से लेकर शिकंजी के गिलास तक सभी महंगे होने ही हैं। तो जनाब, कल ही हमने एक सोड़ा-शिकंजी वाले से पूछ ही लिया कि दाम बढ़ा दिये भैया, उसका भी जवाब था, भाईसाब, नींबू को भी तो देख लो, क्या करते। यहां तक तो बात समझ में आई लेकिन अगले सवाल का जवाब आपको हैरान जरूर करेगा... जब हमने पूछा कि नींबू सस्ता होते ही दाम फिर से पुराने करेंगे क्या, तो खी-खी करते हुए उन जनाब ने कहा कि ऐसा कभी हुआ है कि चढ़ा हुआ भाव कम हुआ हो। अब समझ में आया कि इन्होंने भी आपदा में अवसर खोज ही लिया। आखिर दो साल कोरोना में सोडा-शिकंजी का जोर नहीं चला, इस बार नींबू रूपी ‘आपदा’ ने इन्हें सहारा प्रदान कर दिया। इधर, अभी नींबू की खोज खत्म नहीं हुई है। पाव-भाजी खाने बैठे तो यह सोच रखा था कि नींबू नहीं आएगा, लेकिन गलत..... नींबू प्रकट हुआ.... पर जैसे ही हमने उसे निचोड़ने का प्रयास किया तो समझ में आ गया कि रस कम-छिलका जाड़ा (मोटा) है....। मित्रों के चेहरों पर मुस्कान आ गई। फिर एक मित्र से पूछा, भई वो होटल में जो हाथ धोने के लिए गुनगुने पानी वाला बाउल आता है, उसमें नींबू बचा या नहीं.... उसने कहा कि कहीं है तो कहीं नहीं। इसी बात पर सभी को वह दिन याद आ गए जब प्याज की बजाय सलाद में मूली ने जगह बना ली थी। ना.... ना.... अभी तो नींबू कथा जारी है। हर मंगलवार और शनिवार को ‘नजर’ से बचाने के लिए प्रतिष्ठानों के मुख्य द्वार के केन्द्र पर लटकने वाली नींबू-मिर्च की लड़ी पर भी ‘नजर’ लग गई है। नींबू की जुदाई में मिर्ची को भी इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल, इस लड़ी का ‘भाव’ नियमित बंधी के कारण फिक्स रहता है। कुछ मित्र दुकानदारों ने बताया कि इस वस्तु के फिक्स रेट के कारण लाने वाला किसी न किसी बहाने ‘अनुपस्थिति’ दर्ज करा रहा है। जो सीधे ही बाजार से खरीदते हैं, वे जरूर पांच-दस रुपये ज्यादा देकर खरीद रहे हैं। हम यहीं नहीं रुके, नींबू की खोज फिर जारी रखी गई। हमने मित्रों और परिवारजनों में जिनके पास फार्म हाउस हैं, उनसे पूछा कि भई नींबू उतर रहे हों तो थोड़े बुक कर देना... तो वहां से भी जवाब आया कि यदि नींबू उतर ही रहे होते तो फोन करने की जरूरत ही कहां पड़ती, बाजार में ही खूब उपलब्ध होते। यानी इस बार प्रकृति ने नींबू की खटाई कम भेजी है। अलबत्ता, आम की मिठास का दौर शुरू हो चुका है। नींबू की चर्चा यहीं खत्म नहीं हो रही है जी, इन दिनों जितने स्नेह भोज हो रहे हैं उनमें भी नींबू चर्चा में सर्वोपरि है। फिलहाल चर्चा खाने के स्वाद और आइटमों की संख्या की नहीं हो रही, सबसे पहले नींबू देखा जा रहा है कि सलाद वाली जगह पर नींबू की उपस्थिति है या नहीं। भई, अभी तो जिस जगह सलाद में प्रचुर नींबू उपलब्ध है, वह ‘शाही’ भोज से कम नहीं। खैर, जानकारों का कहना है कि नींबू को नीचे आने में कुछ दिन और लग सकते हैं, क्योंकि अभी तो सीजन चल रहा है। सूर्यदेव ने भी इस बार नींबू की जरूरत चैत्र में ही पैदा कर दी, बाकी तो वैशाख-जेठ की गर्मी में ही नींबू का उठाव ज्यादा होता रहा है। पर ऐसा नहीं हो जाए कि नींबू के इस बार के भाव को देखकर अगली फसल में नींबू ‘सिरमौर’ हो जाए और ‘भाव’ ही न रहे। फिलहाल डिमांड और सप्लाई की खाई थोड़ी चौड़ी है, इसलिए नींबू की खोज जारी रहेगी। तब तक यदि आपके घर पर पुराना नींबू का अचार है तो उसकी खटास का चटखारा लगाइये। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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इंदौर। महात्मा गांधी के प्रति टिप्पणी को लेकर कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे कालीचरण का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे हंसिया लहरा रहे हैं। उनका यह वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं, प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे कांग्रेस की दोहरी मानसिकता बताया है। कालीचरण मंगलवार को इंदौर आए थे। उस दौरान उनके भक्तों ने एयरपोर्ट से उनका जुलूस निकाला था। वीडियो उसी दौरान का है, जिसमें कालीचरण किसी भक्त द्वारा भेंट किए गए हंसिये को लहराते नजर आ रहे हैं। इस पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने कहा कि इंदौर में कालीचरण का खुलेआम तलवार और हंसिया लहराकर कानून को चुनौती देना यह सिद्ध करता है कि गोडसेवादी विचारधारा ने भाजपा पर कब्जा कर लिया है। वीडियो सामने आने के बाद भी पुलिस कमिश्नर खामोश हैं। आर्म्स एक्ट के तहत इस मामले में तीन साल की अधिकतम सजा हो सकती है। मप्र कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ के सीएम को वीडियो भेजकर कालीचरण की जमानत खारिज कराने का निवेदन किया है। इसके साथ ही मप्र के सीएम और डीजीपी से भी कालीचरण पर फिर से एफआईआर दर्ज कर रासुका के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस के इस रवैये को लेकर गुरुवार को इंदौर पहुंचे गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की टिप्पणी भी सामने आई है। उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान तंज कसा कि गोरखपुर में जो आतंकवादी पकड़ा है उसके बारे में कांग्रेस का कोई ट्वीट सुना क्या? दिग्विजयिसिंह का, उनके दोस्त जाकिर नाइकजी का? जाकिर नाइक का जो पट्ठा गोरखपुर मंदिर में मिला, उसके बारे में कांग्रेसी नहीं बोलेंगे। लेकिन कालीचरण के मामले में जरूर बोलेंगे।
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(प्रवीण कक्कड़) चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो गईं हैं। घर-घर में माता की पूजा चल रही है। इसके साथ ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भारतीय नव वर्ष भी शुरू हो गया है। शास्त्रोक्त तरीके से देखें तो भारत में वर्ष के लिए संवत शब्द बहुत पहले से प्रचलित है। हमारा यह नया वर्ष विक्रम संवत पर आधारित है। आजकल हम अपने इस्तेमाल के लिए जिस ग्रेगेरियन या सरल भाषा में कहें तो अंग्रेजी कलैंडर का प्रयोग करते हैं, उसकी तुलना में हमारा संवत्सर 57 साल पुराना है। यह सिर्फ हमारी प्राचीनता का द्योतक ही नहीं है, बल्कि यह भी बताता है कि खगोलीय गणनाओं, पृथ्वी की परिक्रमा, चंद्र और सूर्य की कलाओं और परिक्रमण की सटीक गणना भी हम बाकी संसार से बहुत पहले से न भी सही तो साथ-साथ जरूर कर रहे हैं। इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि विक्रम संवत सिर्फ एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि इतिहास के माथे पर भारत की विजयश्री का तिलक भी है। भविष्यत पुराण के अनुसार महाराजा विक्रमादित्य परमार राजवंश के राजा गंधर्वसेन के पुत्र थे। उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य ने उज्जैन से शकों को पराजित कर विजयश्री प्राप्त की थी। इसी विजय के लिए विक्रमादित्य को शक शकारि विक्रमादित्य भी कहा जाता है। इस तरह यह कैलेंडर राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का भी प्रतीक है। आज के बच्चों को लग सकता है कि भले ही विक्रम कलैंडर कभी गौरव का विषय रहा हो, लेकिन अब तो हम इसका उपयोग करते नहीं हैं। उन्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए। हम अपने दफ्तर और स्कूल के कार्यक्रम तो ग्रेगेरियन कैलेंडर से तय करते हैं, लेकिन हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक तीज त्योहारों का निर्धारण तो आज भी भारतीय पंचांग से होता है। शादी ब्याह की शुभ वेला भी भारतीय कैलेंडर देखकर तय की जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, वसंत पंचमी ये सारे त्योहार भारतीय पंचांग से ही तो तय होते हैं। कभी आपने सोचा कि जब ग्रेगेरियन भी पंचांग है और विक्रम संवत से भी पंचांग शुरू होता है तो फिर भारतीय पंचांग की तारीखें हर साल अंग्रेजी कैलेंडर से अलग क्यों हो जाती हैं। जैसे इस बार हमारा नव वर्ष 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है, जबकि पिछले सालों में यह किसी और तारीख से शुरू हुआ था। इस साल की भांति हर साल वर्ष प्रतिपदा दो अप्रैल को ही क्यों नहीं आती। इसकी कथा भी बड़ी दिलचस्प और खगोल विज्ञान के रहस्य संजोए है। असल में अंग्रेजी कैलेंडर विशुद्ध रूप से सौर पंचांग है। यानी सूर्य की गति से उसका संबंध है। वहीं भारतीय पंचांग सौर और चंद्र दोनों की गतियों पर निर्भर है। हमारे यहां वर्ष की गणना सूर्य की गति से होती है, जबकि महीने और तारीखों की गणना चंद्रमा की कलाओं से होती है। हमारे महीने के दो हिस्से होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। पूर्णिमा से अमावस्या के बीच में एक पक्ष पूरा हो जाता है। इस तरह हमारे हर महीने में 30 दिन ही होते हैं। जबकि सूर्य की चाल से मिलान के लिए अंग्रेजी कलैंडर में एक महीने में 28 से 31 दिन तक रखे गए हैं। अंग्रेजी कैलेंडर ने साल में 365 दिन करने के लिए महीनों में दिनों की संख्या समायोजित की है। वहीं भारतीय कैलेंडर में साल को 365 दिन का बनाए रखने के लिए महीने में दिनों की संख्या घटाने बढ़ाने के बजाय साल में सीधा महीना ही बढ़ा लिया जाता है। कभी हिंदी पंचांग को गौर से देखिये तो पचा चलेगा कि कई बार उसमें एक ही महीना दो बार आ जाता है। खगोल में आपकी दिलचस्पी हो तो इसे आप ज्योतिषाचार्यों से समझ सकते हैं। इतने सारे इतिहास और विज्ञान के बाद एक बाद और कहना जरूरी है कि भले ही विक्रम संवत विजय का प्रतीक हो लेकिन असल में तो यह विशुद्ध रूप से भारत के खेतिहर समाज का नववर्ष है। चैत्र के महीने में गेंहू की फसल कटकर घर आ जाती है। एक तरह से देखा जाए तो किसान को उसकी साल भर की मेहनत का फल मिल जाता है। इस नवान्न से वह अपने जीवन को नए सिरे से सजाता संवारता है। तो जो अन्न जीवन का नया प्रस्थान बिंदु लेकर आता है, उसी समय नव वर्ष मनाने का सबसे अच्छा मौका होता है। इस नव वर्ष में आप भी अपने लिये नए लक्ष्य और नए आनंदों का वरण करें। भारतीय नव वर्ष की बहुत शुभकामनाएं
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दैनिक हिंदुस्तान, गोरखपुर के संपादकीय विभाग में तैनात कर्मचारी पिछले 2 वर्षों से साप्ताहिक अवकाश के लिए तरस रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले दिनों संपादकीय में तानाशाही के कारण लगभग दर्जनभर कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी जिससे संपादकीय विभाग कर्मचारियों की कमी की समस्या से जूझने लगा। इस दौरान करोना लग गया और इसके कारण भर्तियां भी नहीं हो रही थी जिससे साप्ताहिक अवकाश बंद कर दिए गए। लेकिन वर्तमान में नियुक्तियां हो जाने के बाद भी कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिल रहा है। इससे कर्मचारी अंदर ही अंदर आक्रोशित हैं लेकिन अभी तक सप्ताहिक अवकाश को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया। कर्मचारी भी कई बार साप्ताहिक अवकाश के लिए कह चुके लेकिन छुट्टी जारी न करने से वह तनाव में जी रहे हैं।
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विश्व दीपक- क्या आप जानते हैं? हमारे पड़ोसी देश, श्रीलंका में अखबार छपने बंद हो चुके हैं. अखबार छापने के लिए कागज का स्टॉक लगभग खतम हो चुका है। इधर भारत में केंद्र सरकार अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री पर भी जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है. ये पहले लागू नहीं था. श्रीलंका में बहुत सारे लोगों को कई दिनों से दो जून का खाना नहीं मिल पा रहा। लोगों के पास रसोई गैस नहीं है. पेट्रोल भराने के लिए पैसे नहीं. जिनके पास पैसे हैं वो भरा नहीं पा रहे. कई लोग पेट्रोल भराने के लिए लाइन में खड़े-खड़े ही मर गए। उद्योग धंधे बंद होने लगे हैं. चारों तरफ छंटनी चल रही है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं. स्कूल, कॉलेज बंद होने लगे हैं। अस्पतालों ने इलाज करना बंद कर दिया है. बहुत जगहों पर ओपीडी बंद की जा रही है। कोलंबो में लाखों की जनता इकट्ठा है. राजपक्षे सरकार के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हो रहे हैं. पूरा देश कर्ज में डूबा है. लाखों लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. भारत आना चाह रहे हैं. मेरा मानना है कि भारत को खुशी-खुशी श्रीलंका के लोगों अपनाना चाहिए. उन्हें व्यवस्थित तरीके से कई राज्यों में भेजकर उनके रहने, खाने-पीने का इंतजाम करना चाहिए. भारत इतना कर सकता है. जब प्रधानमंत्री के लिए 8 हज़ार करोड़ का प्लेन खरीदा जा सकता है तो कम से कम 80 हज़ार श्रीलंकाई नगारिकों की जान भी बचाई जा सकती है. कोई बड़ी बात नहीं. भारत को बड़ा भाई बनकर यह फर्ज निभाना चाहिए. सवाल यह है कि श्रीलंका की यह हालत क्यों हुई? जाहिर है कई कारण हैं लेकिन दो अहम हैं जिनके बारे में जानना चाहिए – बहुत आसान शर्तों पर चीन का दिया हुआ कर्जा. कई सालों से श्रीलंका, चीन के डेट ट्रैप में हैं. चीनी साम्राज्यवाद की जकड़न से श्रीलंका टूटा. कई अफ्रीकी देश श्रीलंका की राह पर हैं. दूसरा कारण है रूसी तानाशाह पुतिन का यूक्रेन पर युद्ध थोपना. पुतिन द्वारा शुरू किए गए युद्ध की वजह से श्रीलंकाई संकट की प्रक्रिया तेज़ हो गई. जो अफरा-तफरी छह महीने में मचनी थी वह एक महीने में ही सतह पर आ गई. पुतिन सिर्फ रूस-यूक्रेन का ही नहीं संपूर्ण मनुष्यता का अपराधी है. याद रखिए अगर कच्चे तेल की कीमत 170-200 डॉलर प्रति बैरल तक गई तो समझिए कि हमारा आपका भी मिटना तय है. पड़ोसी देश श्रीलंका में अखबार छपने बंद हो चुके हैं क्यूंकि उनके पास कागज़ ही नहीं है. वहां परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. प्रश्न पत्र छपने तक के लिए कागज़ नहीं. महंगा कागज़ खरीदने के लिए पैसे नहीं. इसके पीछे एक बड़ा कारण पुतिन द्वारा, यूक्रेन पर थोपा गया युद्ध है. ये सब आप जान चुके हैं. अब सुनिए भारत का हाल. केंद्र सरकार अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री पर भी जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है.पहले लागू नहीं था जीएसटी का न्यूनतम क्राइटेरिया भी 5% से बढ़ाकर 8% किया जा सकता है भारत में भी कागज़ की किल्लत है. हालांकि स्थिति संकट जैसी नहीं लेकिन पहले से काफी महंगा हो चुका है कागज़ भारत का 40 फीसदी कागज़ कनाडा से आता है जो देश में बनता है, उसकी कीमत दो साल पहले तक 35 रुपए प्रति किलो थी. आज 75 रुपए प्रति किलो. यानि बस दो साल में दोगुना से ज्यादा कीमत बढ़ी विदेश से आयात होने वाला कागज पिछले साल यानी 2020 में 375 डॉलर प्रति टन था. आज 1000 डॉलर प्रति टन है7.भारत में बनने वाले कागज की एक तो क्वालिटी खराब होती है दूसरा लुगदी से बनता था. अब लुगदी वाली कंपनियां पैकेजिंग के लिए काम आने वाले बॉक्स आदि बनाने लगी हैं क्योंकि उसमे मुनाफा ज्यादा है फकीरचन्द की सरकार सब कुछ ऑनलाइन कर देने पर जो इतना जोर दे रही है, पेपरलेस होने की जो इतनी कवायद कर रही है — उसके पीछे यह एक बड़ा कारण है. समाज जितना पेपरलेस होगा, उतना ही माइंडलेस भी होगा. हां, एक फायदा हो सकता है. सरकार अब यह कहेगी कि कागज़ नहीं, मोबाइल दिखाओ.
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(प्रवीण कक्कड़) अगर आप अपनी जिंदगी को सुहाना बनाना चाहते हैं तो टूरिज्म का सहारा लीजिये। अधिकांश कामयाब लोगों के जीवन में एक चीज कॉमन है और वह हैं ट्रेवल यानी पर्यटन। हम सभी आज के दौर में एक रूटीन लाइफ जी रहे हैं। किसी को ऑफिस की चिंता है तो किसी को व्यापार की। ऐसे में हमारा दिमाग कुछ बातों में उलझ कर रह जाता है। पर्यटन हमारे दिमाग को खोलता है, हमें नई ऊर्जा देता है, स्ट्रेस से हमें दूर करता है और एक सामाजिक जीवन में हमें वापस लौटाता है। सही मायनों में टूरिज्म यानी पर्यटन आप की ग्रोथ करता है, आप में कॉन्फिडेंस का विकास होता है, आप में कम्युनिकेशन की कला विकसित होती है और आप अलग-अलग परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर पाते हैं। इसके साथ ही आपके लिए एक सुनहरी यादों का खजाना जुड़ जाता है जो जिंदगी भर के लिए एक अनमोल मेमोरी है। दुनिया में जो भी महान बना उसने सफर जरूर किया है। अगर त्रेता युग में श्रीराम की बात करें तो वह किसी एक वन में रहकर भी वनवास पूरा कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऋषियों के आश्रम जाकर आशीर्वाद और प्रेरणाएं लीं, वनवासियों की समस्या जानी, भेदभाव मिटाये और विकट परिस्थिति आने पर रावण का वध भी किया। इन्हीं अनुभव के आधार पर उन्होंने राम राज्य की स्थापना की। इसी तरह द्वापर युग में श्री कृष्ण ने भी भ्रमण किया, इसी दौरान उन्हें बेहतर विकल्प नजर आया और उन्होंने मथुरा से अपने राज्य को द्वारका में स्थापित किया। अब कलयुग में आदिगुरु शांकराचार्य हों या स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी हों या धीरूभाई अंबानी सभी ने खूब भ्रमण किया और अनुभव लिये, परिस्थितियों को समझा और उन्हें जीवन में उतारकार महान बने। अगर गहराई में समझा जाए तो हर महान व्यक्ति ने टूरिज्म से दोस्ती कर खुद को रि-डिस्कवर किया। अलग-अलग समाज, भाषा, खानपान, जलवायु, परंपरा और लोगों के रहन-सहन को जानकर इन्होंने खुद में जरूरी परिवर्तन किए और लोगों तक बेहतर ढंग से अपने संदेश को पहुंचा भी पाए। गर्मियों का मौसम सामने है और इसके साथ ही गर्मियों की छुट्टी की तैयारी होने लगी है। 2 साल कोरोनाकाल के कारण गर्मियों की छुट्टी बहुत संकट में गुजरी हैं। पिछला साल तो खासकर ऐसा रहा कि हर तरफ दुख और बीमारी का मंजर था। लॉकडाउन की पाबंदियां हमारे चारों तरफ कायम थी। लेकिन इस बार ईश्वर की कृपा से स्थितियां बेहतर हैं। ऐसे में गर्मियों की छुट्टी आते समय प्लानिंग का ध्यान करना बहुत जरूरी है। देश और प्रदेश में कुछ पर्यटन स्थल बहुत चर्चित हैं और ज्यादातर लोग उन्हीं जगहों का रुख कर लेते हैं। ऐसे में इन पर्यटन स्थलों पर बहुत ज्यादा भीड़ हो जाती है, और पर्यटन का जो आनंद लेने हम जाते हैं, वह पीछे छूट जाता है। इसलिए स्थान का चयन करने में सावधानी जरूर बरतनी चाहिए, क्योंकि 2 साल बाद घूमने फिरने का मौका मिला है तो हम इस तरह का इंतजाम करें कि घर के बूढ़े बुजुर्ग बच्चे और पूरा परिवार साथ मिलकर छुट्टियां मना सके। घर के बुजुर्ग सामान्य तौर पर इस तरह के सैर सपाटे में जाने से मना करते हैं, लेकिन यह तो उनके बच्चों और परिवार वालों की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें मनाए समझाएं और पूरी सुरक्षा के साथ पर्यटन पर ले जाएं। पर्यटन को सिर्फ मौज मस्ती का माध्यम नहीं समझना चाहिए। असल में यह तो खुद को तरोताजा करने और पुरानी थकान को भुलाकर नई शक्ति का संग्रहण करने का बहाना होता है। नई ताकत के साथ जब हम वापस काम पर लौटते हैं तो दिमाग नए तरह से सोचने की स्थिति में आ जाता है। पश्चिमी देशों में छुट्टियों का इस तरह का सदुपयोग लंबे समय से किया जाता है। बल्कि यह उनकी संस्कृति का एक हिस्सा है। बच्चों के लिए तो इस बार दोहरी खुशी है, पहले तो कई दिनों बाद स्कूल खुले तो बच्चों ने दोस्तों के साथ मस्ती की और अब परीक्षा के बाद की छुट्टी शुरू हो गई हैं। अब बच्चे छुट्टियों का आनंद लेना चाहते हैं। हमारा मध्य प्रदेश तो इस समय देश में पर्यटन का सबसे बड़ा गढ़ है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर, कश्मीर जैसे राज्यों में घूमने की बहुत अच्छी जगह हैं और उनका खूब प्रचार भी है। मध्यप्रदेश में बहुत ही सुंदर रमणीक जगह घूमने लायक हैं। हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम न केवल वहां घूमने जाएंगे बल्कि अपने अपने स्तर पर उनकी अच्छाइयों का खूब प्रचार प्रसार करें।
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(प्रवीण कक्कड़) आपने एक शब्द सुना होगा सकारात्मक सोच या पॉजीटिव थिंकिंग। छात्र हो या खिलाड़ी, नौकरीपेशा हो या व्यापारी हर कोई अपने जीवन में सकारात्मक सोच लाना चाहता है, दूसरी ओर कोच हो या शिक्षक हर कोई अपने अनुयायी को सकारात्मक सोच की घुट्टी पिलाना चाहता है लेकिन इस प्रक्रिया में हम थोड़ी सी गलती करते हैं। सकारात्मक सोच का अर्थ है अपने काम को सकारात्मक बनाना न की केवल नतीजों के सकारात्मक सपनों में खो जाना। हम अपने कर्म, लगन और व्यवहार को सकारात्मक करने की जगह केवल मन चाहे नतीजे के सकारात्मक सपने पर फोकस करने लगते हैं और सोचतें हैं कि यह हमारी पॉजीटिव थिंकिंग हैं। ऐसे में हमारे सफलता के प्रयास में कमी आ जाती है और हमारे सपनों का महल गिर जाता है, फिर हम टूटने लगते हैं। नकारात्मकता हम पर हावी हो जाती है। ऐसे में जरूरत है कि हम सकारात्मकता के वास्तविक अर्थ को समझें। सकारात्मक सोच यह है कि हम अपनी काबिलियत पर विश्वास करें, लगन से काम में जुटें और पूरी ऊर्जा से काम को पूरा करें। फिर नतीजे अपने आप सकारात्मक हो जाएंगे। जीवन में सकारात्मक सोच का होना बहुत जरूरी है। यह भी सच है कि सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति तेजी से आगे बढ़ते हैं व लक्ष्य को हासिल करते हैं लेकिन हमें समझना होगा कि सकारात्मक सोच है क्या… कुछ लोग कहते हैं जो मैं जीवन में जो पाना चाहता हूं वह मुझे मिल जाएगा, कुछ कहते हैं जैसा में सोच रहा हूं मेरे साथ वैसा ही होगा या कुछ कहते हैं मेरे साथ जीवन में कुछ बुरा हो ही नहीं सकता…अगर इस तरह के विचारों को आप सकारात्मक सोच मान रहे हैं तो मेरे अनुसार आप गलत हैं। केवल नतीजों के हसीन सपनों को लेकर खुशफहमी पाल लेना सकारात्मकता नहीं है। सकारात्मक सोच का सही अर्थ है अपने प्रयासों को लेकर सकारात्मक होना, ऊर्जावान होना और लगनशील होना। जीवन में आसपास के हालातों से असंतुष्ट नहीं होना और अपना 100 प्रतिशन देकर किसी काम में जोश व जूनून के साथ जुटे रहना भी सकारात्मक सोच है। आप सभी ने कभी न कभी क्रिकेट जरूर खेला होगा। जब हम किसी बॉल को मिस कर जाते हैं तो क्या मैदान छोड़कर चले जाते हैं, नहीं… हम अगली बॉल का इंतजार करते हैं और उस पर शॉट लगाने के लिए फोकस होते हैं। ऐसे ही अगर किसी बॉल पर छक्का मार देते हैं तो क्या नाचते हुए मैदान से बाहर चले जाते हैं, नहीं ना, फिर अगली बॉल का इंतजार करते हैं और बेहतर शॉट लगाने की योजना बनाते हैं। जीवन के क्रिकेट में जब तक हम जीवित हैं तब तक हम कभी आऊट नहीं होते न ही कभी गेंद खत्म होती हैं, सफलता रूपी रन बनाने के लिए अवसर रूपी गेंद लगातार आती रहती हैं। जीवन में बस इस एप्रोच की जरूरत है कि कोई अवसर छूट गया तो उसका अफसोस न करें, न ही जीवन से हार मानें, बल्कि अगले अवसर पर फोकस करें। इसी तरह अगर कोई सफलता मिल गई तो उसकी आत्ममुग्धता में खोएं नहीं बल्कि अगली सफलता के लिए रास्ता तैयार करने में जुट जाएं… यही सकारात्मकता है। अगर आप छात्र हैं और आपने लक्ष्य बनाया कि मुझे 95 प्रतिशत अंक हासिल करना है लेकिन आप लक्ष्य से पिछड़ गए तो हतोत्साहित न हों क्योंकि जिंदगी की गेंदबाजी जारी है, अगली गेंद पर इससे बेहतर प्रदर्शन का अवसर खुला है। अगर आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गए हैं तो यह मत सोचिए कि नौकरी मुझे मिलेगी या नहीं, बल्कि यह सोचिए कि इस संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए मैं क्या-क्या कर सकता हूं। अपना 100 प्रतिशत कैसे दे सकता हूं। यह उत्साह आपके व्यवहार में नजर आएगा और नौकरी आपको जरूर मिलेगी। स्वयं को काबिल बनाने में सकारात्मक सोच रखिए, नतीजे खुद-ब-खुद ही सकारात्मक आ जाएंगे।
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बाराबंकी । रंगों के पर्व होली पर डीजे बजाने को लेकर हुए विवाद में पुलिस ने एक पत्रकार समेत तीन लोगों के ऊपर शांति भंग में चालान करके सलाखों के पीछे डाल दिया। पत्रकार के पक्ष की तमाम महिलाएं व पुरूष भी कोतवाली पंहुचे और पुलिस की तरफ से गई एकतरफ़ा कार्यवाई की निंदा करते हुए लोगों ने एक स्वर होकर कहा कि पुलिस ने बेवजह कार्यवाई की जो निंदनीय है। यदि शांतिभंग मे कार्यवाई करनी थी तो दोनो पक्षों के विरुद्ध करनी चाहिए थी। बताते चलें कि वर्षों तक अमर उजाला, दैनिक स्वतंत्र भारत में बतौर क्राईम रिपोर्टर काम कर चुके और अब एक न्यूज़ पोर्टल समाचार टुडे से वर्षों से जुड़े पत्रकार कपिल सिंह के घर शहर के पैसार इलाके में वर्षो से रंगारंग कार्यक्रम होता आया है. इस बार रंगारंग कार्यक्रम के लिये डीजे लगवाया गया था जिसमें पत्रकार कपिल सिंह इत्यादि डीजे की धुन पर नाच रहे थे. शुक्रवार की शाम किसी ने पीआरवी 112 को सूचना दी कि कुछ अराजक लोग शराब पीकर अश्लील गानों पर डांस कर रहे हैं. इसी सूचना पर पीआरवी 112 मौके पर पंहुची और पत्रकार कपिल सिंह को तत्काल हिरासत में लेकर कोतवाली नगर ले आई. यहां पर करीब एक घण्टे तक बाहर बिठाने के बाद कपिल सिंह व उनके साथ मौजूद दो अन्य युवकों को हवालात में भेज दिया. शुक्रवार देरशाम हुई इस कार्यवाई से जिले के पत्रकारों में रोष व्याप्त है. सभी पुलिस कार्रवाई पर सवालिया चिन्ह लगा रहे हैं कि ये कोई इतनी बड़ी बात तो नहीं थी कि पत्रकार को रात भर हवालात में रखा जाए. होली को रातभर हवालात में रहे पत्रकार की मनोदशा क्या हो गई होगी, ये विचारणीय है. पत्रकारों ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी समेत अन्य वरिष्ठ लोगों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखने की तैयारी की है.
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