किस थाली की चिंता है जया जी, सिनेमा तो नशे की नाली बन गया है!
bhopal, Jaya worried, about which plate, cinema has become,drain of intoxication

-निरंजन परिहार

अगर वह किसी हिंदी सिनेमा का कोई सीन होता, और वे इतने ही दमदार तरीके से बोलतीं, तो लोग हर डायलॉग पर तालियां बजाते, वाह वाह करते और खुश हो जाते। क्योंकि वे अभिनय बहुत अच्छा कर लेती हैं। जीवन भर किया भी तो वहीं है। सो, जया बच्चन सुपर हिट हो जाती। लेकिन बात थी जमाने की परवाह न करनेवाले सिनेमा में नशे को कारोबार की, और जगह थी संसद, जहां पर जो कह दिया, वही दर्ज हो जाता है इतिहास में। संसद में फिल्मों की तरह रीटेक के अवसर नहीं होते। यह वे जानती थीं। इसीलिए जमकर बोलीं। लेकिन बोलने पर बवाल मच गया। क्योंकि जिंदगी कोई सिनेमा नहीं है, जहां पटकथा के पात्रों को पढ़े पढ़ाए डायलॉग पर जीना होता है। यहां तो लोग खुलकर खेलते हैं, बोलते हैं और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर गालियां तक परोस देते हैं, जो कि जया बच्चन को सोशल मीडिया पर मिल भी खूब रही हैं।

जया बच्चन ने संसद में कहा कि बॉलीवुड को बदनाम करने की साजिश चल रही है। कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसमें ही छेद करते हैं। ये गलत बात है। मनोरंजन उद्योग के लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से बदनाम किय़ा जा रहा है। उनकी तकलीफ यही थी कि बॉलीवुड को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। जया बच्चन के कहने का अर्थ यही था कि सिनेमा के निष्पाप लोगों को अचानक गुनाहगार साबित किया जा रहा है। लेकिन संसद में यह कहते वक्त जया बच्चन शायद यह भूल गई थी कि सिनेमा के कलाकारों को तो अपनी बदनामी की असल में कोई चिंता ही नहीं होती। अगर होती, तो क्या वे फिल्में हिट करवाने के लिए खुद को बदनाम करने के नुस्खे ढूंढते ? खुद ही खुद के खिलाफ षड़यंत्र फैलाते ? और खुद ही खुद की इज्जत की भद्द पिटवाने की कारस्तानियां करते ? सो, ऐसे फिल्मवालों की क्या तो इज्जत और क्या ही उनकी बदनामी की चिंता।

संसद में जया जब सोशल मीडिया के उलाहने दे रही थीं, तो उन्हें इस बात का कतई अंदेशा नहीं था कि वही सोशल मीडिया उनके लिए सनसनाता जबाव लेकर बाहर तैयार खडा मिलेगा। कंगना रणौत ने सोशल मीडिया पर ही उनसे पूछा – ‘जयाजी, क्‍या आप तब भी यही कहतीं अगर मेरी जगह पर आपकी बेटी श्‍वेता को किशोरावस्था में पीटा गया होता, ड्रग्‍स दिए गए होते और शोषण होता। क्‍या आप तब भी यही कहतीं अगर अभिषेक एक दिन फांसी से झूलते पाए जाते? थोड़ी हमदर्दी हमसे भी दिखाइए।‘ जाहिर है कंगना के इस सवाल का सीधा, सरल, सहज और सामान्य सा जवाब माननीय सांसद महोदया के पास हो ही नहीं सकता। कंगना के बाद तो बॉलीवुड सहित देश भर में जया बच्चन के विरोध और समर्थन में जो स्वर उठने लगे, उनमें उनके प्रति आभार के मुकाबले गालियां और गोलियां बहुत ज्यादा हैं। जया बच्चन के खिलाफ यह गुबार इसलिए भड़क रहा है, क्योंकि सिनेमा जगत में ड्रग्स की असलियत से अच्छी तरह वाकिफ होने के बावजूद जया बच्चन संसद में जो बोली, उसमें कितना सच था और कितना झूठ, यह वे खुद भी जानती है।

यह सच है कि ‘सिलसिला’, ‘शोले’, ‘गुड्डी’, ‘अभिमान’, ‘जंजीर’ और ऐसी ही ढेर सारी फिल्मों में गजब का अभिनय करने वाली जया बच्चन आजकल बडे पर्दे पर कुछ खास नहीं कर पा रही हैं, लेकिन संसद में वे अभिनय जैसा ही कुछ करने में जबरदस्त कामयाब रही हैं। उन्हें सिनेमा के संसार की उड़ रही इज्जत की चिंता है। लेकिन सिनेमा खुद अपनी इज्जत की परवाह न करते हुए कोकीन, स्मैक और हेरोइन के धुएं में अपनी इज्जत उडाने को हर पल बेताब दिखता है और ड्रग्स की पार्टियां करता है। जया बच्चन चाहे कहे कुछ भी, लेकिन जानती वे भी हैं कि सिनेमा के संसार में सबसे ज्यादा नशेड़ी बसते हैं, और अक्सर वहीं से, किसी न किसी कलाकार के नशीले धुंए में धंसे होने की गंध आती रहती है। फिर भी वही सिनेमा, जया बच्चन की नजरों में दूध का धुला है, किसी हवन की आहुति से प्रज्वलित ज्वाला सा पवित्र है और सूरज की किरणों से निकली चमक सा पावन है। उसे कैसे कोई बदनाम करने की जुर्रत कर सकता है। सो, जया ने कहा, बॉलीवुड को बदनाम करने की साजिश चल रही है। कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसमें ही छेद करते हैं। ये गलत बात है।

कायदे से देखें, तो बीजेपी के सांसद रविकिशन ने तो ऐसा कुछ कहा भी नहीं था, जिस पर जया बच्चन इतना बवाल मचाती। उल्टे जया बच्चन को तो रविकिशन समर्थन करना चाहिए था। क्योंकि उन्होंने तो पाकिस्तान और चीन से ड्रग्स की तस्करी रोकने और फिल्म उद्योग में इसके सेवन को लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की जांच का मुद्दा उठाया था और इस दिशा में कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन वे तो भड़क उठीं। उसके उलट आश्चर्यजनक रूप से अमिताभ बच्चन चुप हैं। एकदम चुप। वे अकसर कई ज्वलंत विषयों पर ब्लॉग लिखते हैं। लेकिन फिल्म जगत में बहुत दिनों से हो रहे बवाल पर कुछ नहीं बोले। माना जा रहा है कि अमिताभ की बात उनकी पत्नी जया बच्चन ने कह दी है। वह भी सीधे संसद में। इसीलिए जया के साथ अमिताभ भी निशाने पर है। सोशल मीडिया में दोनों को लेकर जबरदस्त विरोध के स्वर सुलग रहे हैं। हर छोटे – बड़े मामले पर भी मुखर होकर अपना मत व्यक्त करनेवाले अमिताभ का राम मंदिर के शिलान्यास पर कुछ नहीं बोलना भी सोशल मीडिया में मुद्दा बना हुआ है और जया बच्चन का तो विरोध हो ही रहा है। जय़ा के जवाब में रवि किशन ने कहा है कि जिस थाली में जहर हो उसमें छेद करना ही पड़ेगा। और भी बहुत कुछ कहा जा रहा है। तो. अब शायद अमिताभ भी सोच रहे होंगे कि कभी कभी किसी मुद्दे पर न बोलना, बोलने के मुकाबले बहुत बेहतर होता है।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Dakhal News 17 September 2020

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