कृषि कैबिनेट की घोषणा पूर्व में की गई घोषणाओं जैसी कागजी साबित होगी: भूपेन्द्र गुप्ता
भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि कैबिनेट की घोषणा किए जाने के बाद कांग्रेस की ओर से बयानबाजी तेज हो गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सबसे पहले जब कृषि कैबिनेट बनाई गई थी तब उसकी एकमात्र बैठक में स्वयं कृषि मंत्री उपस्थित नहीं हुए थे। केवल हेड लाइन बनाने और किसानों को ठगने के लिए इस तरह की घोषणाओं का औचित्य भाजपा की सरकार ही बता सकती है।
उन्होंने भाजपा सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि कृषि कैबिनेट के होते हुए 9 साल में 11000 किसानों ने आत्महत्या क्यों की? क्यों मध्य प्रदेश की सरकार नकली बीज और खाद सप्लाई करने वाले माफिया को रोक नहीं सकी ?क्यों किसानों को उसने पिछले 15 सालों में लुटने दिया? यह बड़े प्रश्न है जिनका जवाब देने से बचने के लिए यह सरकार कृषि कैबिनेट बनाने जैसा स्वांग कर रही है ।
भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि नरोत्तम जी शायद नहीं जानते कि सरकार के बासमती जीआई टेग का विरोध एपिडा चेन्नई में स्थित कर रहा है जो केन्द्र सरकार का संगठन है, उस पर सवाल उठाने से क्यों डर रहे हैं शिवराज जी? बासमती का जी आई का मुकदमा हाई कोर्ट चेन्नई में हारने के बाद पंजाब पर आरोप लगाकर न्यायालयीन मामले को राजनैतिक बनाने की कुटिलता क्यों कर रहे है ? बासमती चावल पर हिमालय के प्लेन्स के हरियाणा, पंजाब, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश एवं जम्मू एवं कश्मीर को जी आई टेग मिला हुआ है साथ ही पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों को भी मिला हुआ है। जिस तरह से यह लड़ाई मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार लड़ रही है उससे अंतरराष्ट्रीय राइस एक्सपोर्टर सिंडिकेट को मदद पहुंच रही है।
गुप्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश के लगभग एक लाख किसानों को मध्य प्रदेश के बासमती के नाम पर जी आई टेग लेने से लाभ पहुंच सकता है जिससे प्रदेश के किसानों को 400 करोड़ रुपये की आमदनी प्रतिवर्ष अपेक्षित होगी। लेकिन सरकार के अंदर बैठे कुछ अधिकारी इस लड़ाई को गुमराह कर रहे हैं। अपना पक्ष अच्छे से न्यायालयों में नही रख रहे है। जिसका फायदा पाकिस्तान को पहुंच रहा है। जो राज्य मध्यप्रदेश के दावे का विरोध कर रहे हैं उसमें पंंजाब छोडक़र सभी भाजपा शासित प्रदेश हैं। गुप्ता ने कहा कि नरोत्तम जी सरकार से कहें कि बार बार हारने वाले वकील हटा लें और सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष पुरजोर तरीके से रखें। प्रदेश को बासमती सहित अन्य वस्तुओं का भी जीआई करवाये जिससे कि प्रदेश को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन सके। उत्पादन करने वालों को सही कीमत मिल सके, आमदनी दुगनी हो सके और प्रदेश भौतिक संपदा संरक्षित हो सके।