राजनीतिक चश्मे से देखकर किसानों के परिश्रम का अपमान न करें अमरिंदर सिंह: विष्णुदत्त शर्मा
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भोपाल। किसान चाहे पंजाब के हों या मध्यप्रदेश के, उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए जी तोड़ परिश्रम किया है। पंजाब ने अगर सारे देश को खेती से समृद्धि हासिल करने का रास्ता दिखाया है तो वह उसके किसानों के परिश्रम के बलबूते पर ही संभव हुआ है और अगर आज मध्यप्रदेश समर्थन मूल्य पर सबसे ज्यादा गेहूं खरीदी वाला राज्य बना है तो वह भी किसानों की मेहनत का नतीजा है। ऐसे में सिर्फ राजनीतिक नजरिए से देखकर मध्यप्रदेश और पंजाब के किसानों में भेद करना उनके परिश्रम का अपमान है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदरसिंह को इससे बचना चाहिए। यह बात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने गुरुवार को मध्यप्रदेश को बासमती की जीआई टैगिंग  के संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदरसिंह द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने को अनुचित बताते हुए कही।
 
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बासमती चावल की खेती का पुराना इतिहास रहा है। देश की आजादी के काफी पहले से प्रदेश के कई जिलों में बासमती चावल की खेती होती रही है। अब तो मध्यप्रदेश के कई जिले चावल उत्पादक हो गए हैं, लेकिन 1940 के दशक के सिंधिया स्टेट के दस्तावेजों से भी प्रदेश के 13 जिलों में धान की खेती की पुष्टि होती है। वहीं, भारत सरकार द्वारा भी प्रदेश में खेती के लिए ब्रीडर बीज उपलब्ध कराए जाने के प्रमाण हैं। ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग मिलने पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि जहां तक अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात है, तो उसमें भी प्रदेश को जीआई टैगिंग मिलने से बासमती की कीमत को स्थिरता ही मिलेगी। सिर्फ इस वजह से मध्यप्रदेश को जीआई टैगिंग मिलने का विरोध करना कि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार है और पंजाब कांग्रेस शासित राज्य है, प्रदेश के लाखों किसानों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदरसिंह को एक किसान के नजरिए से इस मुद्दे से देखना चाहिए, सिर्फ राजनीतिक नजरिए से नहीं।
 
छोटे नजरिये नहीं, बड़े दिल से सोचें कै.अमरिंदर सिंह
 
शर्मा ने कहा कि आज मध्यप्रदेश ने गेहूं खरीदी में जो रिकॉर्ड बनाया है, उसके पीछे किसानों की मेहनत तो है ही, प्रदेश की भाजपा सरकार की सोच और 15 सालों का श्रम भी है। इन 15 सालों में भाजपा सरकार ने सिंचाई सुविधाएं बढ़ाई, बिजली की उपलब्धता बढ़ाई, शून्य प्रतिशत पर कर्ज उपलब्ध कराया और हर आपदा में किसानों का साथ दिया। देश में लंबे समय तक पंजाब खेती के मामले में रोल मॉडल रहा है। उस समय किसी राज्य को इससे परेशानी नहीं हुई, लेकिन आज मध्यप्रदेश के नंबर-1 बनने पर पंजाब के मुख्यमंत्री का रवैया बताता है कि कहीं न कहीं वो संकुचित नजरिया रखते हैं। शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश के किसानों के प्रति दुर्भावना दिखाने की बजाय कैप्टन अमरिंदरसिंह को यह सोचना चाहिए कि कहीं, पंजाब के पिछड़ने की वजह कांग्रेस सरकार की नीतियां तो नहीं हैं? उन्होंने कहा कि देश के किसानों की आय बढ़े, खेती लाभ का धंधा बने, इन सब के लिए आज एक बड़े दिल की जरूरत है, संकुचित दृष्टिकोण की नहीं।
Dakhal News 6 August 2020

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