भोपाल। प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नसबंदी का लक्ष्य पूरा न करने पर पुरुष बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का वेतन काटने और अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश वापस ले लिया है। सरकार के इस आदेश का प्रदेश में तीखा विरोध हुआ था और इसे लेकर विपक्षी भाजपा ने सरकार पर हमले तेज कर दिये थे।
मध्यप्रदेश सरकार ने उन पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (MPHWs) की सूची तैयार करने का आदेश दिया था, जो साल 2019-20 में एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं करा पाए। प्रदेश सरकार ने ऐसे कार्यकर्ताओं का वेतन रोकने और उन्हें जबरन रिटायर करने की चेतावनी दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने बीते 11 फरवरी को यह आदेश जारी किया गया था, जिसमें साफ कहा गया था कि जो पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता साल 2019-20 में नसबंदी के लिए एक भी आदमी नहीं जुटा पाए हैं, उनका वेतन वापस लिया जाए और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए। गौरतलब है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए 5 से 10 पुरुषों की नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया है।
विरोध हुआ, तो वापस लिया आदेश
प्रदेश सरकार के इस आदेश का तीखा विरोध शुरू हो गया था। विरोध करने वालों में कर्मचारी संगठन तो थे ही, विपक्षी भाजपा के नेता भी इस आदेश के लिए सरकार की आलोचना कर रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने तो इसे आपातकाल की वापसी कहते हुए कांग्रेस सरकार की इमर्जेन्सी पार्ट-2 करार दिया था। आदेश का विरोध तेज होता देख कमलनाथ सरकार ने शुक्रवार दोपहर में अपने ही इस आदेश को वापस ले लिया। जनसंपर्क मंत्री पी.सी.शर्मा ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने यह भी कहा कि जिस अधिकारी ने यह आदेश जारी किया था, उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जा रही है।