भोपाल । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि पानी की उपलब्धता समाज और सरकार के सामने आने वाले समय में सबसे बड़ी चुनौती है। सब मिलकर ही इसका मुकाबला कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि मेरा स्वप्न है कि हर व्यक्ति को शुद्ध जल उसके घर पर मिले यह स्वप्न सबका हो तो जरूर इसमें सफल होंगे। उक्त बातें मुख्यमंत्री नाथ ने मंगलवार को जलाधिकार कानून को लेकर मध्यप्रदेश सरकार और जल-जन जोड़ो आंदोलन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय जल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। इस अधिवेशन में 25 राज्य के जल और पर्यावरण से जुड़े समाजसेवी, विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। अधिवेशन में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित राइट टू वाटर विषय पर विमर्श होगा।
राजधानी भोपाल स्थित मिंटो हॉल में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सोच के अभाव, लापरवाही के कारण जल संकट बढ़ रहा है जो आगे चलकर और भी गंभीर होने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारे पर्यावरण विद और जल संरक्षण के क्षेत्र में समर्पित भाव से काम करने वाले स्वयंसेवियों को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगी। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने मिलकर इसकी आज से चिंता नहीं की तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। नाथ ने कहा कि राइट टू वाटर कानून लाने का हमारा मकसद है कि जिन लोगों में पानी को बचाने के प्रति जागरूकता है वे सरकार के साथ इसके संरक्षण के लिए सहभागी बनें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में यह सरकार पर्याप्त पानी, पहुंच में पानी और पीने योग्य पानी का कानूनी अधिकार देने जा रही है। ऐसा अधिकार देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा। पांसे ने कहा कि वर्षा की एक-एक बूंद को सहेजने से लेकर उसे घर तक पहुंचाने के प्रत्येक पहलू का समावेश जल अधिकार कानून में रहेगा। पानी की रिसाक्लिंग, वाटर रिचार्जिंग उसका वितरण एवं उपयोग भी इस कानून के दायरे में आयेगा।
जल पुरुष मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त प्रो. राजेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री को बधाई दी कि उन्होंने जल अधिकार कानून बनाने की पहल कर पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर किया है कि वे जल संरक्षण और इसके बेहतर उपयोग के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि सभी राज्य सरकारों को मध्यप्रदेश की इस पहल का अनुसरण करना चाहिए। इस दौरान मुख्यमंत्री नाथ का राष्ट्रीय जल अधिवेशन में तरुण भारत संघ की ओर से राइट टू हेल्थ कानून बनाने की पहल के लिए अभिनंदन पत्र भेंट किया।
विषय-विशेषज्ञों ने दिये महत्वपूर्ण सुझाव
इस मौके पर कानूनविद् अनुपम सराफ, तेलंगाना जल बोर्ड के अध्यक्ष प्रकाश राव, झारखण्ड के पूर्व मंत्री सरयू राय, 2030 वाटर रिसोर्स ग्रुप (वर्ल्ड बैंक) के अनिल सिन्हा (नीरी), नागपुर के डॉ. कृष्णा खैरवार, जल गुरु महेन्द्र मोदी, पर्यावरणविद् सुइंदिरा खुराना, सुप्रतिभा शिंदे तथा डॉ. स्नेहिल दोंडे (मुम्बई), कर्नाटक के पूर्व मंत्री वी.आर. पाटिल के अलावा विभिन्न राज्यों से आये अनेक जल और पर्यावरण से जुड़े समाज-सेवी ओर विषय-विशेषज्ञों ने अपने विचार रखकर अपने अनुभव साझा किये। यूनिसेफ इण्डिया प्रमुख माइकल जूमा भी सम्मेलन में उपस्थित रहे।
सभी जल विशेषज्ञों एवं वक्ताओं ने जल के अधिकार और प्रदेश की नदियों को पुनर्जीवित किये जाने के संबंध में अनेक पहलुओं पर अपनी बात रखी और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये। विषय-विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त सुझावों को प्रदेश में तैयार किये जा रहे जल के अधिकार अधिनियम में समाहित किया जायेगा। सम्मेलन में पानी के मुद्दे पर महिलाओं की भागीदारी, जन-सामान्य को अधिकार के साथ-साथ जिम्मेदारियों से अवगत कराने के लिये जन-जागरूकता पर जोर दिया गया। विषय-विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि पानी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये स्थानीय स्तर पर जल को सहेजा जाना चाहिये। पानी की उपलब्धता के मान से लोगों को अपनी दिनचर्या एवं क्रिया-कलापों में बदलाव लाना होगा।
मंत्री पांसे ने सम्मेलन में 25 राज्यों से आये प्रतिनिधियों को स्मृति-चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। उन्होंने आशा जताई कि जल अधिकार कानून के विभिन्न पहलुओं पर सम्मेलन में हुई चर्चा और मंथन से बेहतर परिणाम निकलेंगे। इस मौके पर मुख्य सचिव एस.आर. मोहन्ती, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी संजय शुक्ला एवं देश भर से आए जल एवं पर्यावरण विशेषज्ञ उपस्थित रहे।