ग्वालियर कलेक्टर का विवादित फरमान, निलंबन के बाद सार्वजनिक अपमान
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भोपाल। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र की पूर्व संचालित छवि भारद्वाज द्वारा पुरुष नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं करने वाले कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने संबंधी आदेश का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी निलंबित कर्मचारियों के संबंध में विवादित फरमान कर जारी कर दिया है। उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिये हैं कि निलंबित अधिकारियों-कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था अलग की जाए। इस निर्देश पर सवाल उठने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले को संज्ञान में लिया है।

दरअसल, कलेक्टर अनुराग चौधरी ने सोमवार को समय-सीमा प्रकरण की समीक्षा बैठक में सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि कार्यालयों में निलंबित कर्मचारियों के बैठने के लिए स्थान तय किया जाए और वहां लिखा जाए कि यह स्थान निलंबित कर्मचारियों के बैठने के लिए है। ग्वालियर में सभी विभागों ने कलेक्टर के आदेश के परिपालन में एक सर्कूलर जारी कर दिया है। आमतौर पर प्र्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार, लापरवाही और अनैतिक गतिविधियों में शामिल अधिकारी एवं कर्मचारियों को निलंबन जैसी सजा मिलती है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर उन्हें अपमानित करने का कोई सरकारी नियम नहीं है। क्योंकि निलंबन के 99 फीसदी से ज्यादा मामलों में कर्मचारी बहाल हो जाते हैं। इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग के आला अधिकारी ने नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है। ग्वालियर जिला प्रशासन के फरमान पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी संज्ञान लिया है।

व्यवस्था सुधारने के लिए लिया फैसला: कलेक्टर 
 
जब इस संबंध में मंगलवार को ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी ने बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार लाने के लिए यह फैसला लिया है। किसी को अपमानित करने जैसी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन कर्मचारियों को निलंबित किया है, वे या तो लोकायुक्त में ट्रेप हुए हैं या लंबे समय से ड्यूटी से गायब हैं या फिर वित्तीय अनियमितता में घिरे हैं। जो अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाता है। जिन कर्मचारियों को निलंबित किया गया है, उन्हें निलंबन अवधि में आधा वेतन मिलता है। उन्हें मुख्यालय में अटैच किया जाता है। वे निलंबन अवधि में भी मुख्यालय से गायब रहते हैं। जनता के टैक्स से वेतन मिलता है। जनता के प्रति सभी की जवाबदारी है। बिना काम के वेतन क्यों दिया जाए। इसलिए सभी विभागों को ऐसे निर्देश गए हैं।

इस मामले में आरटीआई संयोजक अजय दुबे ने ग्वालियर कलेक्टर के फरमान का स्वागत किया है। उनका कहना है कि ग्वालियर में जिस तरह निलंबित कर्मचारियों को बैठाने की व्यवस्था है। क्या उसी तरह मंत्रालय में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को बैठाने की व्यवस्था की जाएगी। 
Dakhal News 25 February 2020

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