भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से हो सकते हैं। इसके लिए सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। दरअसल, पिछले दिनों मुख्यमंत्री कमलनाथ और निर्वाचन आयुक्त की मुलाकात में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के संबंध में चर्चा हुई थी। जिसमें चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि अभी ऐसा कराया जाना संभव नहीं है। इसके लिए वक्त चाहिए। इसी के मद्देनजर मई में होने वाले चुनाव छह माह के लिए टाले जा सकते हैं।
प्रदेश के मंत्री भी इस बात पर सहमत हैं कि भले ही चुनाव में देर हो, लेकिन इसे बैलेट पेपर से ही कराया जाना चाहिए। ईवीएम से चुनाव कराए जाने से भाजपा गड़बड़ी कर सकती है। अब यह मामला मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास जाएगा। वही इस पर फैसला लेंगे। जिस तरह की तैयारी चल रही हैं, उसे देखकर संभावना जताई जा रही है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव अक्टूबर-नवम्बर तक हो सकते हैं।
मध्यप्रदेश में बोर्ड की परीक्षाएं खत्म होने के बाद अप्रैल-मई से चुनावों का सिलसिला शुरू हो जाएगा, जो सालभर चल सकता है। सबसे पहले त्रिस्तरीय पंचायतराज (जिला, जनपद और पंचायत) संस्थाओं के चुनाव कराने की तैयारी है। इसके बीच जौरा और आगर विधानसभा के उपचुनाव भी संभावित हैं। अक्टूबर में नगरीय निकाय चुनाव कराया जाना प्रस्तावित है। वहीं, सहकारी समितियों के चुनाव फरवरी 2018 से नहीं हुए हैं तो कृषि उपज मंडियों के चुनाव भी लंबित हैं। बताया जा रहा है कि इन चुनावों के मद्देनजर जो आदर्श आचरण संहिता लागू होगी, उससे संबंधित क्षेत्रों में न सिर्फ कामों की गति रुकेगी बल्कि नए काम भी नहीं होंगे।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अब चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। सबसे पहले अप्रैल-मई में 52 जिला पंचायत, 313 जनपद पंचायत और 23 हजार 922 पंचायतों के चुनाव कराए जाएंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष को छोडक़र बाकी पदों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।