कमलनाथ को नहीं है अतिथि विद्वानों की चिन्‍ता गोपाल भार्गव
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भोपाल। बीते सोमवार को उमरिया जिले में पदस्थ एक अतिथि विद्वान संजय कुमार ने जो राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में चलर रहे अतिथि के आंदोलन में शामिल थे ने आर्थिक तंगी के चलते  फांसी लगाकर सोमवार की रात आत्महत्या कर ली थी।  मृतक संजय कुमार की पत्नी लालसा देवी के पास पति के शव को अपने गृह जिला बलिया तक ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। अतिथि विद्वानों एवं स्थानीय प्रशासन के सहयोग से संजय कुमार का शव उनके गृह जिले बलिया भेजा गया था । इस घटना से पहले एक और अतिथि विद्वान राजकुमार अहिरवार के 2 साल के मासूम बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई थी। अब नेता प्रतिपक्ष गोपाल  भार्गव ने इस घटना का  जिम्मेदार कमलनाथ सरकार को बताया है। 
 
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के मुखिया कमलनाथ निष्ठुर हो गए हैं। उन्हें अब मरते हुए अतिथि विद्वानों की चीखें भी नही सुनाई दे रही। उन्होंने कहा कि संजय अकेले नही है जो अवसाद से गुजरे संजय जैसी परिस्थितियों से आज हजारों अतिथि विद्वान गुजर रहे है।  मुख्यमंत्री जी आप कितनी ओर मौत होने का इंतज़ार कर रहे है। क्या सरकार के लिए इनकी जान की भी कोई कीमत नही? उन्होंने कहा कि इस सरकार को एक एक मौत का हिसाब विधानसभा के बजट सत्र में देना होगा। 
 
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि इस बार उमरिया जिले के चंदिया स्थित शासकीय महाविद्यालय के क्रीड़ा अधिकारी संजय कुमार को आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करनी पड़ी। संजय कुमार अतिथि विद्वान के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। अतिथि विद्वान लगभग दो माह से ज्यादा समय से अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने इंसानियत की पराकाष्ठा को ही पार कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की बेरुखी ने नाबालिगों के माथे से पिता का साया छीन लिया।
 
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा है कि कई अतिथि विद्वान आर्थिक तंगी के कारण  मौत को गले लगा रहे हैं  इन्हे भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। कई अतिथि विद्वानों को अपने बच्चों के साथ धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है, लेकिन प्रदेश की सरकार और उनके मुखिया कमलनाथ सब कुछ देखकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। आखिरकार सरकार इन अतिथि विद्वानों की मांगों को क्यों नहीं सुन रही है । और क्यों इनको आश्वसन नहीं दे पा रही है।
 
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि संवेदनहीन कमलनाथ सरकार की गलत नीतियों के कारण आज अतिथि विद्वान पाई-पाई के लिए मोहताज होकर आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अतिथि शिक्षकों कि न्याय की लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी साथ खड़ी है। पूरी मुखरता के साथ विधानसभा में हम अतिथि विद्वानों की आवाज उठाएंगे और इन्हें न्याय दिलाएंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा बजट सत्र में सरकार को इन अतिथि शिक्षकों की मौत का हिसाब देना होगा।
Dakhal News 12 February 2020

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