निर्मला के 'निर्मल' बजट में हर भारतीय की चिंता
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-सियाराम पांडेय 'शांत' 
 
 केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारण ने अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करते हुए कई रिकॉर्ड तोड़े। यह और बात है कि इसके लिए प्रतिपक्ष ने उन्हें बधाई तो नहीं दी। अलबत्ता उनकी आलोचना जरूर की। एक झटके में  बजट को नकारना व्यवस्था को नकारने जैसा होता है। हालांकि आजादी के बाद से लेकर अब तक जितने भी बजट पेश हुए हैं, उससे विपक्ष कभी खुश नजर नहीं आया। राहुल गांधी को लगता है कि बेरोजगारी से निपटने का बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं है। माकपा नेता सीताराम येचुरी का मानना है कि जब तक मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा नेता भारतीय समाज को नष्ट करने के लिए काम करेंगे, तब तक देश में कोई भी आर्थिक पुनरुत्थान नहीं हो सकता। यह विपक्ष का पक्ष है लेकिन इस बजट में निर्मला सीतारमण ने भारतीय करदाताओं को बड़ी राहत दी है।
पांच लाख तक की वार्षिक आय को करमुक्त कर टैक्स स्लैब में व्यापक बदलाव किया है। इसका लाभ हर आम और खास को मिलना तय है। 
 
उन्होंने अनुमान जताया है कि 2020-21 में विकास दर 10 फीसदी रहेगी। आगामी वित्त वर्ष में सरकार की कुल कमाई 22.46 लाख करोड़ रुपये हो सकती है जबकि कुल खर्च 30.42 लाख करोड़ रुपये हो सकते हैं। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमानित खर्च 26.99 लाख करोड़ और कमाई 19.32 लाख करोड़ रुपये तक होने की उन्होंने बात कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2021 में उधारी 5.36 लाख करोड़ रह सकती है जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार की शुद्ध बाजार उधारी 4.99 लाख करोड़ रहेगी। उन्होंने देश को यह बताने का भी प्रयास किया है कि कर संग्रह में उछाल आने में समय लगेगा, क्योंकि हाल में कॉर्पोरेट टैक्स की कटौती के चलते अल्पकाल में कर संग्रह घट सकता है। मगर उन्होंने अपनी सकारात्मक सोच का इजहार किया है कि अर्थव्यवस्था को भारी लाभ होगा। बजट में वित्त वर्ष 2021 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 प्रतिशत रखा गया है। चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उनका मानना है कि सरकार से मिलने वाली राहत और छूट को छोड़ने वाले आयकरदाताओं को कर की दरों में उल्लेखनीय राहत मिलेगी। एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियों के पास कर्ज देने के लिए धन की कमी न हो, इसके लिए सरकार की ओर से लोन गारंटी स्कीम शुरू करने का वादा कर उन्होंने मरहम लगाने का भी काम किया है। एनबीएफसी के लघु और मध्यम इकाइयों को बिल आधारित कर्ज देने के लिए नियम-कायदे में संशोधन करने और सरकार के 15वें वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट की सिफारिशों को मान लेने की बात कहकर उन्होंने छोटे और मंझोले उद्योगों का भी सहारा बनने का काम किया है। 
 
लेखा परीक्षा के लिए कुल कारोबार की उच्चतम सीमा पांच करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव, स्टार्टअप प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में रियायत, लाभ की 100 प्रतिशत कटौती के लिए कुल कारोबार की सीमा 25 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ करने और विदेशी सरकारों व अन्य विदेशी निवेश की सॉवरेन धन निधि के लिए टैक्स रियायत की घोषणा कर उन्होंने भारत को औद्योगिक विकास के क्षितिज तक पहुंचने का प्रयास किया है।

विद्युत क्षेत्र में लाभांश वितरण टैक्स को हटाने का प्रस्ताव कर निवेशकों को लुभाने की कोशिश इस बजट में सहज ही देखी जा सकती है। एलआईसी के बड़े हिस्से को बेचने की घोषणा अवश्य ही चिंताजनक है। केंद्रीय बजट में नवगठित संघ राज्यों के लिए 2020-21 में 30,757 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव बेहद सराहनीय है। जल संकट से जूझ रहे देश के 100 जिलों में जरूरी उपाय करने की घोषणा की गई है। किसानों के लिए रेल और विमान चलाने का विचार किसी सरकार में पहली बार आया है।  ग्रामीण विकास के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन किसानों के लिए कितना हितकारी साबित होगा, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए 2500 करोड़ रुपये और संस्कृति मंत्रालय के लिए 3150 करोड़ की व्यवस्था कर उन्होंने देश की नब्ज को मजबूती प्रदान की है।

को-ऑपरेटिव सोसायटीज को अब 30 प्रतिशत की जगह 22 प्रतिशत टैक्स देना होगा। महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 28,600 करोड़ रुपए, 6 लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 10 करोड़ घरों की महिलाओं तक पहुंचने के लिए स्मार्टफोन देना यह बताता है कि महिला होने के नाते वे महिलाओं की पीड़ा को बखूबी समझती हैं। 
 
शिक्षा क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ रुपये का प्रस्ताव कर जल्द ही नई शिक्षा नीति घोषित करने की बात कह उन्होंने इस क्षेत्र की धड़कनें बढ़ा दी हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 69,000 करोड़ रुपये और रक्षा क्षेत्र के लिए भारी भरकम राशि का प्रस्ताव कर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि उनकी सरकार देश के विकास को लेकर तो गंभीर है ही लेकिन वह देश की सुरक्षा और संरक्षा से भी कोई समझौता नहीं करने जा रही है। 1860 में पहला टैक्स कानून बना था। आजाद भारत में टैक्स कानून 1961 में बना लेकिन सबसे बड़ा टैक्स सुधार इसी बार नजर आया । भले ही इसके साथ कुछ शर्तें जुड़ी हों और यह देश हित में है लेकिन इसका देश के विकास पर दूरगामी असर होना तय है।

यह और बात है कि मोदी सरकार के बजट को सातवीं बार भी शेयर बाजार ने खारिज किया है। 
वित्तमंत्री ने नई कर व्यवस्था में 70 तरह के डिडक्शन खत्म किए हैं। करदाता छूट के लिए पुरानी व्यवस्था का विकल्प ले सकते हैं। नई व्यवस्था किसी भी लिहाज से करदाताओं पर बोझ नहीं है। बजट में सारी चीजें बयां नहीं की जा सकतीं। बजट निर्माण की अपनी मजबूरियां होती हैं लेकिन इतना जरूर है कि इसमें सभी का ध्यान रखा गया है और यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। 
Dakhal News 4 February 2020

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