डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
गंगा दुनिया की सबसे पवित्र नदी है। इस तथ्य को वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है। ऋषियों ने आदिकाल में ही यह शोध कर लिया था। परतंत्रता के लंबे कालखंड और बाद में आने वाली सरकारों ने इसकी महिमा नहीं समझी। नरेंद्र मोदी ने पहली बार सरकार बनाने के बाद नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस परियोजना पर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया। इसके अनुकूल परिणाम मिले। गंगा यात्रा इसी भावना को आगे बढ़ा रही है।
योगी आदित्यनाथ मुजफ्फरनगर में पतित पावन यात्रा में सम्मिलित हुए। उन्होंने कहा कि गंगा जी हमारी आस्था, विश्वास और अर्थव्यवस्था का प्रतीक रही हैं। भारत की संस्कृति, आस्था एवं अर्थव्यवस्था में गंगा जी के योगदान के प्रति हम आभारी है। नमामि गंगे के तहत प्रदेश सरकार ने गंगा यात्रा प्रारम्भ की है। गंगा किनारे के 27 जनपद, 21 नगर निकाय, एक हजार अड़तीस ग्राम पंचायतों से यह यात्रा निकलेगी। सरकार विकास और आस्था दोनों के प्रति कटिबद्ध है। गंगा यात्रा आस्था का प्रतीक है। इसे ध्यान में रखते हुए यहां के किसानों एवं नौजवानों की आजीविका के साथ जोड़ा जाएगा। गंगाजी के किनारे गंगा मैदान, गंगा पार्क, गंगा नर्सरी, जिम आदि बनेंगे। गंगाजी को निर्मल बनाए जाने व लोगों में गंगाजी के प्रति जागरूकता के लिए बिजनौर व बलिया से गंगायात्रा का प्रारम्भ किया गया है।
यह गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने का अभियान है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बलिया से गंगायात्रा का शुभारंभ किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित आठ केंद्रीय मंत्री भी विभिन्न स्थानों पर यात्रा में शामिल होंगे। बिजनौर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यात्रा का शुभारंभ किया। यह यात्राएं प्रदेश के 87 विधानसभा क्षेत्रों 26 लोकसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। दोनों यात्राएं सड़क मार्ग से 1248 और नाव से 150 किमी की दूरी तय करेगी। गंगा का कुल बहाव 2525 किलोमीटर है। इसमें 1140 किमी लंबा क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है। बलिया से कानपुर तक 657 और बिजनौर से कानपुर तक 581 किमी की यात्रा सड़क मार्ग से होगी।
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बलिया में गंगा पूजन व आरती के बाद यात्रा को रवाना किया। उन्होंने कहा कि गंगा किनारे बसने वाले लोग भाग्यशाली हैं। गुजरात में मात्र एक नदी है। यहां नदियां ही नदियां हैं। मानव जीवन बचाने के लिए इन नदियों को प्रदूषित होने से बचाना पड़ेगा। पीने का पानी हम नदी से लेते हैं और गंदगी भी नदी में डालते हैं। लोगों ने नदियों के साथ उपजाऊ भूमि को भी केमिकल युक्त बना दिया। कारखानों का केमिकल युक्त पानी नदी में बहने देते हैं, इसका दुष्परिणाम हुआ। गम्भीर बीमारियां फैलने लगी, उपजाऊ भूमि का क्षरण होने लगा। इसपर हमको विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसपर विचार किया और नदियों को बचाने के लिए कदम उठाये गए। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते उन्होंने कारखानों के गन्दे जल को शुद्ध करके नदी में जाने के लिए एसटीपी प्लांट लगवाया। इससे नर्मदा निर्मल हो गई। अब नमामि गंगे अभियान चल रहा है। इससे गंगाजी निर्मल होंगी।
भारतीय परंपरा में नदियां,जीव-जंतु भी हमारे परिवार का हिस्सा हैं। इनके संरक्षण की जिम्मेदारी हमारी है। हमारे चिंतन में वसुधा भी कुटुंब है। सबको बचाने से ही हमारा जीवन बचेगा। पौधरोपण हम सबका कर्तव्य है। राज्य सरकार किनारे के गांवों में समुचित विकास, शुद्ध पानी की उपलब्धता, गंगा उद्यान, खेल मैदान सहित हर प्रकार की सुविधाओं को उपलब्ध करा रही है। गंगा जीवन यापन करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने वाली मां हैं। मां को स्वस्थ रखने का प्रयत्न करना हर गंगापुत्र का कर्तव्य है। बलिया और बिजनौर से चलने वाली दोनों यात्रा कानपुर में मिलेगी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी भी रहेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य गंगा किनारे गांवों को विकसित करना है। गंगा तटों के साथ अर्थ गंगा के रूप में एक आधुनिक व प्रदूषण मुक्त इलाका स्थापित करना है। गंगा किनारे गांवों में जीरो बजट खेती व ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। गंगा उद्यान, गंगा खेल मैदान, गंगा चबूतरा आदि का निर्माण होगा। शहर का मल, कारखानों का गंदा पानी गंगा में नहीं जाने दिया जाएगा। साढ़े तीन लाख करोड़ खर्च कर हर घर तक पाइप से शुद्ध पानी पहुंचाया जाएगा। गंगा यात्रा के अंतर्गत अनेक सांस्कृतिक व जागरूकता के कार्यक्रम भी सम्मिलित किये गए हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)