सरकारी अस्पतालों की बेहतरी के दावे हजार, हालत खराब


क्यों ऐसे ही हैं सरकारी अस्पताल
प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं वेंटिलेटर पर

मंत्री तुलसी सिलवाट जी यह खबर आपको समर्पित हैं  | क्योंकि आपके जो दावे हैं प्रदेश को  बेहतर स्वास्थ्य सेवाऐ देने के  वो  बेईमानी हैं  मंत्री जी  इस खबर देखने के बाद आपकी आंखे शर्मिंदगी से झुक जाएँगी   | तो देखिये  सरकारी अस्पताल के हालात जो सुधरने के बजाय दिनों दिन बिगड़ते  जा रहे है  मगर  जिम्मेदार प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सो रहा हैं  | 
  ध्यान दे भी तो क्यों सरकारी अस्पताल हैं  |  सो चल रहा हैं  | अव्यवस्था इस हद तक बढ़ चुकी हैं   | की यहां इलाज  के लिए आने वाले मरीजों और  उनके परिजनों को रोज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है  |  कह सकते हैं कि आपके प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर चल रही है  | 

 डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे प्रदेश में चिकित्सा विशेषज्ञ के 3195 पद स्वीकृत हैं  | बाबजूद इसके महज 1210 पद ही भरे है  |  इनमें से भी केवल 1063 विशेषज्ञ है  प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर की  कमी के कारण   | प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर चल रही है  |  किन हालातों से मरीजों को दो चार होना पड़ रहा है  |  इसे जाने के लिए हमारे संवाददाता नरसिंहपुर के शासकीय जिला चिकित्सालय पहुचे और तफ्तीश की तो ऐसी हकीकत सामने आई जिससे स्वास्थ सुविधाओं के वादे करती सरकार के दावों की पोल खुल गई  | देखिए "दख़ल न्यूज़" की ग्राउंड रिपोर्ट  | 

 मध्य प्रदेश में मरीजों की भरमार है  | मगर  अस्पतालों में डॉक्टर कहीं नजर नहीं आते   |  और हालात हैं की  सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं  | जिसका खामियाजा बेबस मरीजों को उठाना पड़ रहा है  |   चूँकि सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी हैं तो इसलिए डॉक्टरों के उपलब्ध रहने का समय सुबह 9 से शाम 4 बजे तक निर्धारित किया गया है  | मगर इस  निश्चित समय में डॉक्टर कभी नहीं मिलते  |   कैसे मिलेंगे यह बड़ा सवाल है  |  नरसिंहपुर की जिला अस्पताल में भी जब हमने डॉक्टरों को खोजना चाहा तो ड्यूटी टाइम में भी डॉक्टर नदारद ही मिले   .... हमें ऐसे कई मरीज मिल गए जो सुबह से दोपहर तक परिजन के साथ  डॉक्टरों को ही खोजते देखें  | साहब  डॉक्टर हो तब तो उन्हें मिले   थक हार कर मरीज प्राइवेट अस्पतालों में महंगे खर्च पर इलाज कराने को मजबूर है  |  आप खुद ही सुनिए मरीज और उनके परिजनों की मुंह जुबानी | 

अब जरा पहले से अस्पताल में भर्ती इन मरीजों की हाल भी देख लीजिए   |  जो पिछले 1 सप्ताह से अस्पतालों में नर्स और वार्ड बॉय के भरोसे ही इलाज कराने को मजबूर है  |  मरीज बताते हैं कि भर्ती होने के बावजूद भी कई दिन हो गए डॉक्टर देखने नहीं आए   |  सिर्फ नर्स आती हैं   |  और दवा देकर चली जाती हैं   |  उनसे पूछो तो वह कहती हैं कि डॉक्टर साहब अस्पताल में ही नहीं है तो आएंगे कहां से  कुछ मरीज तो ऐसे हैं जो एचआईवी से पीड़ित हैं जिन्हें सघन जांच की जरूरत है  लेकिन उन्हें भी डॉक्टर नसीब नहीं है  | अगर मज़बूरी में इलाज करना हैं तो नर्स और वार्ड बॉय के भारी अस्पताल में भर्ती हो  |

अस्पताल के कई बारदों की हालत तो नर्क से भी बदतर है  |  फटे बदबूदार बिस्तर और संक्रमण के बीच मरीज अपना इलाज कराने को मजबूर है  |  और तो और अस्पताल के कई एक्यूपमेंट  निर्जीव पड़े हुए हैं  | जिन्हें लाखों खर्च करके अस्पताल में लाया गया  |  जैसे ब्लड बैंक में कई महीनों से सीबीसी मशीन खराब पड़ी हुई है  | और लैब टेक्नीशियन मरीजों को बाहर से टेस्ट कराने की सलाह देते नजर आते हैं  |  ऐसा नहीं है कि उन्होंने शिकायत नहीं की लगातार शिकायतों के बाद भी सुनने वाला कोई नहीं  | 

जिला अस्पताल को 2 वर्ष पहले ट्रामा सेंटर की सौगात मिली  | और जिले में एक करोड़ सत्तर लाख कि चलित एंबुलेंस सुविधा मिली जो आपरेशन से लेकर वेंटिलेटर सहित तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है  | लेकिन डॉक्टर की कमी के चलते वह भी कबाड़ में बदल रही है  खुद जिले के मुख्य चिकत्साधिकारी बताती है कि जिला अस्पताल में 31मेडिकल ऑफिसर के पद है  | जिसमें से केवल चार डाक्टर ही वर्तमान में पदस्थ है। जिला अस्पताल में एक भी फिजिशियन ड्रमोटोलाजिस्ट, कड़ियोलाजिस्ट  नहीं हैं  | इससे भी बड़ी बात यह हैं की लगभग 500 डिलेवरी होने के बाद भी गायनिक डाक्टर नहीं है  | और मजबूरन फिजिएमो द्वारा डिलेवरी कराई जाती है  |   यहां तक की इतने बड़े हॉस्पिटल में केवल एक ही सर्जन मौजूद है और उन्ही में से डे और नाईट सिफ्ट में ड्यूटी रहती है | 

Dakhal News 1 September 2019

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