अस्पताल में एक्सपायरी डेट की दवाएं

 

दवा सप्लायर का फर्जीवाड़ा सामने आया 

 

रायसेन के बरेली सिविल अस्पताल में निःशुल्क दी जाने वाली दवाओं की मैन्युफेक्चरिंग में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है  | दवा निर्माता कम्पनी ने एक्सपायरी डेट की दवाओं के रेपर बदलकर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया है  | लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश में लगा हुआ है |

 

 ये नजर बरेली के सरकारी अस्पताल का है | यहां बच्चों को दस्त होने पर दी जाने वाली औराफलौकस- औ डी  दवाओं की शीशी पर लगे रैपर को निकालने पर दूसरा रैपर मिला है |  जिसमें दवाई की मैन्युफेक्चरिंग की तिथि मई 2017 और एक्सपायरी की तिथि अप्रेल 2019 लिखी हुई है | जबकि शीशी के उूपर चिपकाई गई पर्ची में मैन्युफेक्चरिंग की तिथि जन 2019 नजर आ रही है और दिसम्बर 2020 तक की एक्सपायरी बताई गई है | स्पस्ष्ट है कि यह गड़बड़ी सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजी गईं इन दवाओं के साथ बड़े स्तर पर छेड़छाड़ की गई है |  इस गड़बड़ी का सीधा संबंध दवाई बनाने वाली कंपनीऔर दवा खरीदने वाले विभाग के जिम्म्मेदारों से है | बरेली सिविल अस्पताल में मई और जून 2019 माह में 1500 औराफलौकस- औ डी  की शीशियां जिला मुख्यालय से भेजी गई हैं  | जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत दवाई मरीजों को वितरित की जा चुकी हैं  |  सीबीएमओ डाॅ. गिरीश वर्मा ने बताया कि बरेली अस्पताल से 50 शीशी दवाई  | इस पूरे मामले का खुलासा एक मरीज ने किया |

 

 

चिकित्सकों द्वारा औराफलौकस- औ डी ( दवाई छोटे बच्चों को दस्त होने की स्थिति में दी जाती है  | यह सायरप बच्चों को कुपच और पेट की गड़बड़ी

के ईलाज में दिया जाता है  | सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि इस दवाई की एक्सपायरी तिथि में होने से  इसकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है |  इस मामले का खुलासा होने पर  तहसीलदार बरेली  निकिता तिवारी ने इस मामले की जाँच की | उन्होंने कहा जांच में यह गड़बड़ी सामने आई है| 

 

 

 

यह दवाई जेकसन कंपनी द्वारा बनाई गई है | गड़बड़ी में यह सामने आया है कि कंपनी के द्वारा शीशी पर लगाए गए पुराने लेवल को छिपाने के लिए नया रैपर  लगाया है  |जिसमें एक्सपायरी की तिथि 5 माह अधिक लिखी हुई है  |  इससे अंदाजा यह लगाया जा सकता है कि इसमें कंपनी के द्वारा ही दवाई की शीशी से छेड़छाड़ कर पुरानी तारीख को बढ़ाया है  | क्योंकि विभाग के पास तो यह दवाई नए रैपर के साथ पहुुंची है  |  इसलिए गड़बड़ी की जिम्मेदारी सीधे तौर पर दवा निर्माता कंपनी की ही बनती है |

 

Shafali Gupta 11 August 2019

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