ओली-मोदी के बीच समझौता,नेपाल-भारत के चलेगी रेल
ओली-मोदी के बीच समझौता

 

भारत दौरे पर आए नेपाल के पीएम केपी ओली और पीएम मोदी के बीच शनिवार को हुई द्विपक्षीय वार्ता में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें से एक भारत से काठमांडू के बीच रेल लाइन को लेकर भी है। वार्ता के बाद साझा बयान जारी हुआ।

इस दौरान संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नेपाल के विकास में भारत के योगदान का लंबा इतिहास है।मैंने पीएम ओली को आश्वासन दिया है कि भविष्य में भी यह जारी रहेगा। हम भारत और नेपाल के बीच वाटरवे और रेल नेटवर्क बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।

सीमा सुरक्षा और खुली सीमा के दुरुपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध हैं। हमने काठमांडू से भारत के बीच नई रेल लाइन पर काम करने का फैसला किया है।

वहीं नेपाल के पीएम ओली ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच सदियों पुराने संबंध हैं। हमारे पास एक दूसरे को देने के लिए कई चीजें हैं। मैंने पीएम मोदी को नेपाल आने का न्योता दिया है और उम्मीद है वो बहुत जल्द वहां आएंगे।

इससे पहले शनिवार को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत हुआ। गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने के बाद नेपाली पीएम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके लिए सबसे पहले दोस्ती है। ओली बोले कि दोस्ती सबसे महत्वपूर्ण है और इसकी कोई तुलना नहीं है। कोई भी ट्रीटी, समझौता दोस्ती से शुरू होता है। हम अपने पड़ोसी, खासतौर पर भारत से दोस्ती की उम्मीद करते हैं। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।

बता दें कि भारत दौरे पर आए ओली, आज पीएम मोदी के साथ हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता करेंगे जो लगभग आठ महीने बाद दोनों देशों के बीच शीर्षस्तरीय होगी। तब नेपाल के पीएम शेर बहादुर देऊबा ने कहा था कि वह द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव का कारण बन रहे हर कांटे को निकालने को तैयार हैं।

लेकिन दिसंबर, 2017 मे हुए आम चुनाव में वामपंथी गठबंधन को मिली जीत ने हालात को बदल दिया। पूर्व में भारत के प्रति बेहद तल्ख दृष्टिकोण रखने वाले केपी ओली की अगुवाई वाली सरकार ने पिछले महीने पाकिस्तान के पीएम अब्बासी को आमंत्रित कर भारत की चिंताओं को और बढ़ाया है। विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों व जानकारों के मुताबिक मोदी व ओली के बीच द्विपक्षीय वार्ता में उठने वाले मुद्दे काफी व्यापक हैं।

भारत आने से ठीक एक दिन पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने भारत और चीन को एक ही तराजू पर तौलने की बात कही है। साफ है कि श्रीलंका व मालदीव के बाद नेपाल में ड्रैगन की बढ़ती ताकत भारतीय कूटनीति के लिए बड़ी चुनौती है।

इसके बावजूद भारतीय पक्ष यह मान रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और ओली के बीच द्विपक्षीय वार्ता में चीन को लेकर भारत की चिंताओं पर वह ठोस आश्वासन देंगे। दूसरी तरफ, भारत ओली को इस बात का आश्वासन देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा कि उसकी मदद से नेपाल में लगाई जा रही परियोजनाओं को अब समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

भारतीय पक्ष इस बात को छिपाने की कोई कोशिश नहीं करेगा कि नेपाल जिस तरह से चीन की वन बेल्ट-वन रोड (ओबोर) परियोजना में हिस्सा बनने जा रहा है उसे वह अपने रणनीतिक सुरक्षा के लिए हानिकारक मानता है। माना जा रहा है कि भारत की यात्रा के कुछ ही महीनों बाद ओली चीन भी जाएंगे जहां ओबोर के तहत नेपाल में शुरू की जाने वाली परियोजनाओं पर हस्ताक्षर होगा।

चीन की योजना तिब्बत को सड़क व रेल नेटवर्क से नेपाल की राजधानी काठमांडू से जोड़ने की है। इस परियोजना के अलावा नेपाल में जिस आक्रामक तरीके से चीन की कंपनियों ने निवेश बढ़ाना शुरू किया है। वह भी भारत के लिए चिंता की वजह है।

नेपाल के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक जुलाई-फरवरी, 2018 के बीच चीन की कंपनियों ने नेपाल में 7.93 करोड़ डॉलर का निवेश किया है जो भारत की तरफ से किये गये 3.66 करोड़ डॉलर के निवेश से काफी ज्यादा है। इसके अलावा चीन की कंपनियों ने 8.3 अरब डॉलर के नए निवेश का प्रस्ताव किया है। जबकि भारतीय कंपनियों का प्रस्ताव महज 4 करोड़ डॉलर का है।

ओली की तरफ से यह मुद्दा उठाये जाने के आसार हैं कि भारत नेपाल में परियोजना लगाने की घोषणा तो करता है लेकिन उसे पूरा नहीं करता। हाल ही में उन्होंने पंचेश्वर बांध का मुद्दा उठाया है जिसे भारत ने वर्ष 1981 में ही शुरु किया था। पिछले वर्ष दोनो सरकारों के बीच भारतीय मदद से बनने वाली दर्जन भर से ज्यादा परियोजनाओं पर चर्चा हुई थी। ओली चाहेंगे कि भारत इन सभी परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करे। साथ ही ओली नेपाल के राष्ट्रीय बैंक में रखे हुए प्रतिबंधित भारतीय नोट का मुद्दा भी उठाएंगे।

Dakhal News 7 April 2018

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