बीड़ी बनाने वाले हाथ अब बेल रहे खुशबू
बीड़ी बनाने वाले हाथ अब बेल रहे खुशबू

 

सागर जिले के मालथौन विकासखण्ड के ग्राम बरोदिया चंद्रपुर की स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने सदियों पुरानी बीड़ी बनाने की पंरपरा को तोड़ते हुये रोटी कमाने का नया जरिया शुरू किया है। इस गाँव में 150 से अधिक परिवार हैं, जो खेती के साथ-साथ बीड़ी बनाने का काम करते हैं। इस गाँव में 4 महिला स्व-सहायता समूहों का आजीविका मिशन के अंतर्गत गठन किया गया है। लक्ष्मी समूह में 12 महिलायें, शारदा और सीता समूह में 11-11 महिलायें, एवं जय माता समूह में 12 महिलायें समूह से जुड़ी हैं। ये महिलायें अपनी साप्ताहिक बैठक में 10 रूपये की बचत कर अपने खाते में जमा करती हैं। 

लक्ष्मी समूह की सदस्य है प्रेमरानी अहिरवार। यह मिडिल स्कूल परीक्षा पास है। इसे बीड़ी बनाने में तम्बाकू की धांस से सिर दर्द, आँखों में जलन और बदन दर्द होता है। इस कार्य से जुड़ी ज्यादातर महिलाओं को आखों की कमजोरी, बदन दर्द और कमजोरी की लगातार शिकायतें रहती है। आजीविका कमाने के लिये उन्हें दूसरा विकल्प नहीं सूझ रहा था।

आजीविका मिशन के माध्यम से इन महिलाओं को अगरबत्ती बनाकर आजीविका ब्रांड में बेचना अथवा बाईवेक सिस्टम के तहत् अगरबत्ती का निर्माण कर कच्ची अगरबत्ती को सीधा सप्लाई करने का काम बताया गया। समूह से जुड़ी 43 महिलाओं ने बीड़ी छोड़कर इस कार्य को अपनाया। उन्होने अगरबत्ती बनाने की मशीन खरीद ली हैं। मशीन से वे आसानी से 200 रूपया प्रतिदिन आमदनी प्राप्त कर रही है। समूह से जुड़ी सुलोचना अहिरवार, पुष्पा अहिरवार, वर्षा अहिरवार, उमेदी अहिरवार, शिवानी, अशोकरानी अहिरवार आदि महिला सदस्य अब अगरबत्ती बनाने के काम से खुश हैं। वे कहती है की हमारे घर मे अब खुशबू फैली रहती है। हमें अपने काम पर गर्व है। वे आजीविका मिशन से जुड़कर अगरबत्ती के साथ-साथ आजीविका के नये आयाम भी शुरू करना चाहती हैं।

 

Dakhal News 24 December 2017

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