पक्के मकान में रहता है रामकिशन का परिवार
हितेन्द्र भदौरिया

 

हितेन्द्र भदौरिया

रामकिशन बरार ग्वालियर शहर की ढ़लाननुमा बस्ती गोल पहाड़िया क्षेत्र में एक कच्ची पाटौर में अपने परिवार के साथ रहते थे। इस क्षेत्र में बरसात के मौसम में पाटौरों के धसकने की दुर्घटनायें हो चुकी थीं। तेज बारिश में जब बिजली कड़कती तो रामकिशन दम्पत्ति अपने बच्चों को सीने से लगा लेते थे। हाथ ठेला श्रमिक रामकिशन के लिये खुद का मकान तो एक सपना था। रोज सुबह 5 बजे रामकिशन अपना हाथ ठेला लेकर लक्ष्मीगंज सब्जीमंडी पहुँच जाते थे। दिन भर हाड़-तोड़ मेहनत कर कारोबारियों का माल इधर से उधर पहुँचाते थे। इससे जो मजदूरी मिलती उसी से परिवार का गुजारा चलता था। रामकिशन ने एक दिन टीवी पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के भाषण में सुना कि सरकार हर जरूरतमंद को मकान मालिक बनायेगी। यहीं से उनके मन में एक उम्मीद की किरण जागी। 

रामकिशन ने नगर निगम कार्यालय पहुँचकर आवास के लिये आवेदन भर दिया। एकीकृत शहरी आवास एवं गंदी बस्ती विकास योजना के तहत उनका नाम पक्के आवास के लिये चयनित हुआ। इस योजना के तहत नगर निगम ने गेंडे वाली सड़क, बकरा मंडी में एक सर्वसुविधायुक्त मल्टी का निर्माण कराया। इसी मल्टी में रामकिशन को भी एक पक्का फ्लैट मिल गया।

जब रामकिशन को मकान की चाबी मिली तो पूरे परिवार में खुशियाँ छा गईं। इस फ्लैट में एक बैडरूम, ड्राइंग रूम, शौचालय और रसोई सहित सभी बुनियादी सुविधायें उपलब्ध हैं। रामकिशन के बच्चों ने घर को सुंदर-सुंदर तस्वीरों से सजा लिया है। उनके बच्चे नजदीक के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं। पाटौर का जितना किराया देते थे, उससे भी कम किस्त मकान के लिये उन्हें अदा करनी पड़ रही है।

घर की चिंता दूर हुई तो रामकिशन अब दूने उत्साह के साथ काम करते हैं। जाहिर है उनकी आमदनी भी बढ़ गई है। देर शाम जब वो घर लौटते हैं तो कुछ फल और मिठाई भी लेते आते हैं। परिवार के साथ जब अपने पक्के घर में एक साथ भोजन करने बैठते हैं तो सारी थकान दूर हो जाती है। रामकिशन दम्पत्ति प्रदेश सरकार को दुआयें देते नहीं थकती।

Dakhal News 14 December 2017

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