CG / सोना लेकर आता है मानसून
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जशपुरनगर से एक शानदार खबर। मानसून की पहली दस्तक और नदियों में पानी के बहाव बढ़ते ही पारसाबहार विकासखंड के ग्रामीण मिट्टी से सोना निकालने में जुट गए हैं। क्षेत्र के दर्जनों गांवों में निवासरत ग्रामीणों का यह पारंपरिक व्यवसाय बन गया है। इन दिनों ग्रामीण नदियों के किनारे मिट्टी छानकर सोना निकालने में व्यस्त हैं। परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्य इस कार्य में जुट गए हैं।

कृषि कार्य के लिए मानसून का इंतजार सभी को होता है। लेकिन पारसाबहार विकासखंड सहित कुनकुरी विकासखंड से जुड़े ग्रामीण मानसून का इंतजार सोना धातु की आस लिए करते हैं। यह सोना उन्हें कोई देने नहीं आता है बल्कि विशेष तकनीक का उपयोग कर यहां के नदी में ही सोना के कण ग्रामीणों को मिलते हैं, जिससे आसपास के ज्वेलर्स को ग्रामीण बेचते हैं।

पारसाबहार विकासखंड से होकर गुजरने वाली नदी ईब, बघीयाकानी, पमशाला,उतियाल, लुलकीडीह और सोना जोरी नाला सहित छोटे जल स्त्रोत भी सोना के केंद्र हैं। ग्रामीणों की मान्यता है कि यहां ये नदियां सोना बहाकर लाती हैं। इनके पानी से सोना छानकर गांवों के लोग साल भर की रोजी-रोटी का जुगाड़ कर लेते हैं। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होता है।

जशपुर जिले में मानसून के समय बाढ़ हमेशा बड़ी समस्या रही है। ये नदियां भी इस मौसम में खूब उफनती हैं। गांव के लोग बाढ़ कम होने का इंतजार करते हैं। जब पानी कम हो जाता है तो कुछ खास उपकरणों के साथ नदी में उतर जाते हैं।

ग्रामीण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई बालू और मिट्टी को एकत्रित कर विशेष तकनीक से छानते हैं। ग्रामीणों को इस प्रक्रिया में सोने के छोटे कण मिलते हैं, जिसे आसपास के बाजार में बेचा जाता है। यह एक जटिल प्रक्रिया होती है लेकिन क्षेत्र के रहवासियों के लिए यह आदत बन गई है। यह काम क्षेत्र के ग्रामीण वर्षों से करते आ रहे हैं। इस कार्य के लिए अब खास उपकरण का प्रयोग होने लगा है, जिसे प्रायः हर घर में पाया जाता है।

पारसाबहार विकासखंड में नदी से सोना के कण ग्रामीण निकालकर धान के माप से बेचते हैं। तराजू के एक ओर जहां धान को मापक के रूप में रखा जाता है वहीं दूसरी ओर सोना होता है।

वर्तमान में दो सो से तीन सौ रुपए में सोना ग्रामीण बेच रहे हैं। ज्वेलरी व्यवसाय से जुड़े लोग अब गांव-गांव आकर सोना खरीदने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे जितना मेहनत छोटे स्तर पर सोना निकालने में करते हैं, उससे उनकी मजदूरी भी ढंग से नहीं निकल पाता है।

Dakhal News 26 June 2017

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