आषाढ़ में शनिश्चरी अमावस्या पर शनि उपासना
shani dev

आषाढ़ मास में 10 साल बाद 24 जून को शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बना है। इस दिन त्रिवेणी संगम पर स्नान होगा। वर्षा की दृष्टि से भी यह अमावस्या अनुकूल रहेगी। संपूर्ण भारत में इसका प्रभाव अतिवृष्टि, सामान्य वर्षा तथा खंड वृष्टि के रूप में नजर आएगा।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार वर्ष 2007 में आषाढ़ मास की अमावस्या शनिवार के दिन आई थी। इसके बाद 2017 में ऐसा संयोग बन रहा है। अमावस्या पर शनिवार का दिन, आर्द्रा नक्षत्र, वृद्धि योग तथा नाग करण अपने आप में महत्वपूर्ण है। पंचागीय गणना के इन पांच योगों का प्रभाव शनि साधना के लिए विशेष है। प्राकृतिक परिवर्तन की दृष्टि से भी इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्योंकि वर्तमान ग्रह गोचर की स्थिति देखें तो शनि वक्री चल रहे हैं।

शनि की वक्र दृष्टि विभिन्न् राशियों पर त्रिपाद, पंचम, नवम, सप्तम तथा दशम स्थिति में है। इसलिए प्राकृतिक परिवर्तन अधिक नजर आएंगे। शनि से प्रभावित जातक यह करें जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यांतर्दशा चल रही हो या शनि के कारण कष्ट बढ़ रहा हो, उन्हें अमावस्या पर शनि की साधना करना चाहिए। शनि की शांति के शनि स्तवराज, शनि स्तोत्र, शनि अष्टक का पाठ करें। शनि के बीज मंत्र का जप तथा शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।

शनि को वायु का कारक ग्रह माना जाता है। वर्षा ऋतु में आंधी-तूफान, गरज और चमक के साथ तेज बारिश होगी। सामुद्रिक तूफान के साथ प्राकृतिक प्रकोप भी देखने को मिलेगा। हालांकि इसका प्रभाव अगस्त माह तक विशेष रहेगा। इसलिए पश्चिम उत्तर दिशा में यह खासतौर पर नजर आएगा।

 

Dakhal News 14 June 2017

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.