पाकिस्तान सहयोगी नहीं,बड़ा खतरा है
 पाकिस्तान बड़ा खतरा है

खबर वॉशिंगटन से । तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क के लिए पाकिस्तान अब भी पनाहगाह बना हुआ है और वह एक सहयोगी होने की बजाय खतरा अधिक है। यह दावा अमेरिका के एक प्रमुख थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज ने किया है। थिंक टैंक ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रंप प्रशासन को इस्लामाबाद को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यदि वह तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क को समर्थन देना जारी रखता है तो उसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।

सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनैशनल स्टडीज (सीएसआईएस) ने एक रिपोर्ट में कहा कि अफगानिस्तान संघर्ष, और अपनी सैन्य, राजनीतिक, शासन एवं गरीबी हर संदर्भ में पाकिस्तान बुरा प्रदर्शन कर रहा है। वह अब भी तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क को शरण दे रहा है, जिसके कारण पाकिस्तान सहयोगी होने के बजाए खतरा अधिक है।

इस रिपोर्ट को एंथनी एच कॉर्ड्समैन ने तैयार किया है, जिसमें कहा गया है कि युद्ध के सैन्य एवं असैन्य आयामों में बेहतर दृष्टिकोण एवं बेहतर रणनीति होनी चाहिए। कोई भी प्रतिबद्धता असीमित नहीं होनी चाहिए। अफगानिस्तान को बहुत अधिक, बहुत बेहतर करना होगा, ताकि अमेरिकी प्रतिबद्धता के हर आगामी वर्ष को न्यायोचित ठहराया जा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका को पाकिस्तान को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यदि वह तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को समर्थन देना जारी रखता है, तो उसे मिलने वाली मदद पूरी तरह बंद कर दी जाएगी और उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे। साथ ही चीन को भी यह स्पष्ट तौर पर अमेरिका को बता देना चाहिए कि अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान संबंधी समस्या से निपटने में चीन का सहयोग चीन और अमेरिका दोनों के हित में होगा।

 

Dakhal News 6 June 2017

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