2022 तक किसानों की आय दोगुनी होगी
bhupen hajarika

 

केंद्र सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर पीएम मोदी ने तिनसुकिया में देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया। इसके बाद यहा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने इस ब्रिज का नाम मशहूर गायक भूपेन हजारिका के नाम पर रखा है।

पीएम यहां से धेमाजी पहुंचे जहां उन्होंने धेमाजी में कृषि अनुसंधान केंद्र की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की नई योजना संपदा की घोषणा की। यह योजना फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि मैं आज एक नई योजना की जानकारी देता हूं और इसका नाम है संपदा योजना। उन्होंने तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी को समर्पित करते हुए कहा कि उन्‍होंने तीन साल में अटल जी के सपने को पूरा किया है।

धेमाजी में कृषि अनुसंधान केंद्र की आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, '2022 तक हमारे किसानों की आय दोगुनी होनी चाहिए। अब धीरे-धीरे आगे बढ़ने का समय नहीं है।' उन्‍होंने आगे कहा कि इतने बड़े देश के लिए तीन साल का वक्‍त बहुत कम है। वेस्‍ट से बेस्‍ट बनाने की दिशा में काम बढ़ाने की बात कहते हुए उन्‍होंने कहा, कृषि में आधुनिकता के साथ ऊंचाई पर जाना है। हमें एवरग्रीन रिवोल्‍यूशन की ओर बढ़ना है। नॉर्थ ईस्‍ट में जैविक खेती की संभावनाएं बताते हुए पीएम ने कहा कि किसानों को सॉयल हेल्‍थ कार्ड का अभियान शुरू करना होगा। उन्‍होंने आगे बताया कि देश में पहले 15 लैब थीं जो आज 9 हजार से भी अधिक हैं।

इससे पहले पीएम ने कहा कि भूपेन हजारिका असम के गायक थे और इस ब्रिज को उन्हीं के नाम से पुकारा जाएगा। पीएम ने आगे कहा कि एक साल में भाजपा सरकार ने असम में कई समस्याओं को खत्म किया है। ढोला-सादिया पुल को बनाने में कई रुकावटें आईं। 2003 में भाजपा के असम से विधायक जगदीश भुयान ने इस तरह के एक पुल की मांग की थी और अटल जी ने उसे मंजूरी दी थी। इसके ठीक बाद सरकार बदल गई और पुल का काम लगातार पिछड़ता गया है।

इससे पहले पीएम डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट पहुंचे जहां पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने उनका स्वागत किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने तीनसुकिया पहुंचकर ढोला सादिया पुल का उद्घाटन किया। उनके साथ इस मौके पर मुख्यमंत्री सोनोबाल भी मौजूद थे।

मूल रूप से ब्रह्मपुत्र की सहायक लोहित नदी पर बने ढोला-सदिया ब्रिज की कुल लंबाई 9.15 किमी है। यह पुल शुरू हो जाने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सड़क संपर्क स्थापित हो जाएगा। खास बात यह है कि यह ब्रिज सामरिक रूप से भी अहम होगा। यह पुल 60 टन युद्धक टैंक का भार सह सकता है।

 

Dakhal News 26 May 2017

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