शिवराज बोले-आदिगुरु का दर्शन जन-जन तक पहुँचाना लक्ष्य
आदिगुरु शंकराचार्य

आदिगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा के लिए धातु संग्रहण अभियान का शुभारंभ 26 अगस्त ऋषि पंचमी के दिन होगा। आदिगुरु के मध्यप्रदेश स्थित स्मृति स्थलों से संग्रहण यात्राएँ प्रारंभ होगी। सभी यात्राएँ ओंकारेश्वर में मिलेगी। सर्वसम्मत से यह निर्णय आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में संतों की विमर्श-सभा में लिया गया। विमर्श-सभा जनजातीय संग्रहालय के सभागार में की गयी। इस अवसर पर चिन्मयानंद मिशन के स्वामी प्रबोधानन्द सरस्वती, स्वामी विष्णुदत्त जी बौरासी, स्वामी राघवेन्द्रदत्त जी महाराज, लोक निर्माण मंत्री श्री रामपाल सिंह और संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार आदिगुरु शंकराचार्य का दर्शन जन-जन तक पहुँचाने और उनकी विशाल प्रतिमा स्थापना द्वारा सन्‍मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित करने का प्रयास कर रही है। भारत को सांस्कृतिक रूप से एक करने का काम आदिगुरु शंकराचार्य ने किया है। आदिगुरु ने देश की चारों दिशाओं को ऐसे तार से जोड़ा, जिससे देश बिखर नहीं पाये। टूट नहीं सके। उन्होंने कहा कि आज भारत का जो स्वरूप है उसके लिये, देश आदिगुरु का ऋणी है। उन्होंने कहा कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को शांति का दिग्दर्शन आदिगुरु शंकराचार्य का दर्शन कराएगा। आदिगुरु ने मनुष्य को पूर्णता का आभास करवाया। सब में एक ही चेतना है, इसका अहसास हो जाये तो सारे राग, द्वेष खत्म हो जाएंगे। सारा द्वंद और उथल-पुथल समाप्त हो जायेगा और सारी दुनिया एक परिवार बन जायेगी।

मुख्यमंत्री ने उनके अनुरोध पर आचार्य सभा द्वारा अभियान का दायित्व स्वीकारने के लिये संतों का आभार ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि संत समाज की अगुआई में अभियान ऐसा अदभुत प्रसंग बनेगा, जो प्रदेश के वातावरण को रचनात्मक आध्यात्मिकता से भर देगा। उन्होंने संतों को आगामी दो जुलाई को 6 करोड़ पौधे रोपित करने की जानकारी दी और उन्हें आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि विकास, निर्माण कार्यों के साथ ही पर्यावरण रक्षा भी सरकार का दायित्व है। राज्य सरकार इसी भाव से काम कर रही है। राज्य में रेत के लिये नदियों का उपयोग नहीं होने दिया जाएगा। पर्याप्त चिंतन के बाद वैज्ञानिक उत्खनन की व्यवस्था की जायेगी। वर्तमान बोली लगाकर उत्खनन के मॉडल को बदला जायेगा। उत्खनन महिलाओं युवाओं के स्व-सहायता समूह मानव श्रम से करेंगे। रेत की बिक्री पर सरकार का नियंत्रण होगा। रेत के व्यापार से होने वाला मुनाफा गरीब की झोपड़ी में जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के क्रियान्वयन में प्रदेश अग्रणी है। स्वच्छता अभियान में देश के पहले दो स्वच्छ नगर राज्य के हैं। देश के कुल 100 में से 22 स्वच्छ नगर मध्यप्रदेश के हैं। नगरीय विकास योजनाओं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भी अग्रणी है। देश के अन्न भंडारों को भरने में भी राज्य पंजाब, हरियाणा से आगे निकल रहा है। ग्रामीण विकास में भी बेहतर काम हो रहा है।

विमर्श सभा में महामंडलेश्वर जगदगुरु स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि आदिगुरु ने देहधर्म की नहीं आत्मा की बात की है। मध्यप्रदेश की धरती ने ही बालक शंकर को आदिगुरु शंकराचार्य बनाया है। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर वैदिक विद्या का केन्द्र बने। यहाँ पर कार्यशालाएँ व्याख्यान मालाएँ आयोजित हो। उन्होंने कहा कि नीर से ही नारायण है। नदी संरक्षण का कई सौ सालों से नर्मदा सेवा यात्रा जैसा कोई अभियान और उपक्रम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की पहल का अन्य प्रदेशों में भी अनुसरण, अनुगमन हो। राज्य की आध्यात्मिक तरंगें, ओज, ऊर्जा पूरे देश के लिये कल्याणकारी हो।

आचार्य सभा के संयोजक स्वामी परमानन्द सरस्वती ने कहा कि आदिगुरु ने धर्म-संस्कृति और आध्यात्मिकता को उजागर करने का कार्य किया। उसी अनुरूप ओंकारेश्वर को नई पहचान दी जाये। वह अनुसंधानात्मक ज्ञान का केन्द्र बने जो हिन्दू धर्म की भ्रांतियों को दूर करने के अनुरूप हो। धर्म की रक्षा करें। आचार्य सभा संगठित हिन्दू चेतना को विकसित करने के लिये तत्पर है। स्वामी हरिहरानंद ने कहा कि वे भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार के राज्य सरकार के प्रयासों से अभिभूत है। नर्मदा सेवा यात्रा सत्य-कर्त्तव्य निर्वहन का अनुकरणीय प्रयास है। स्वामी अखिलेश्वरानन्द ने अभियान संचालन के लिये संगठनात्मक स्वरूप को जिला, संभाग और राज्य स्तर पर संयोजित किये जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर एक मार्गदर्शक मंडल बनाया जाये।

प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने परियोजना की जानकारी दी। अभियान सांस्कृतिक एकता का जन-आंदोलन है। उन्होंने बताया कि आदिगुरु शंकराचार्य की जन-सहयोग से प्रतिमा निर्माण दुनिया में अपनी तरह का पहला कार्य होगा। दुनिया में किसी भी दार्शनिक की प्रतिमा जन-सहयोग से निर्मित नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश से आदिगुरू शंकराचार्य की स्मृतियां जुड़ी हैं। अभियान में जन-जागृति यात्राएँ इन्हीं स्थानों से शुरू की जायेगी।

विमर्श के दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं अतिथियों ने अभियान गीत की सी.डी. और चतुर्मठ खेल का लोकार्पण किया। डॉ. संजय द्विवेदी ने आदिगुरु की रचना गुरुपादष्टम का गायन किया। श्री महेश श्रीवास्तव रचित अभियान गीत का समूह गायन भी हुआ।

Dakhal News 26 May 2017

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