काजल की कोठरी में राजनीति की काली बिल्लियों का खेल
उमेश त्रिवेदी

उमेश त्रिवेदी

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी-सरकार की तीसरी सालगिरह पर आयोजित होने वाले भव्य मोदी-फेस्ट की राजनीतिक-किलकारियों के पहले काजल की कोठरी में बैठी राजनीति की काली बिल्लियों की गुर्राहट और किट-किट ने कर्कशता के नए आयाम अख्तियार कर लिए हैं। काली कमाई की तलाश में राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव के यहां आयकर विभाग के और यूपीए के पूर्व वित्त एवं गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के यहां सीबीआय के छापों के बाद राजनेताओं में सुगबुगाहट उठने लगी है कि यह विपक्ष को बदनाम करने की सुनियोजित कोशिशों का हिस्सा है। 

काली कमाई के नाम पर विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं को बदनामी के काले परदों के पीछे ढकेलने की रणनीति के तहत मोदी-सरकार एक तीर से कई निशाने साध रही है। पहला, मोदी-सरकार इस बहाने राष्ट्रपति चुनाव के पहले विपक्ष के साझा उम्मीदवार की उम्मीदों को नेस्तनाबूद करना चाहती है। दूसरा, मोदी-सरकार की तीन साल की उपलब्धियों के सुनहरेपन को घनीभूत करने की गरज से भाजपा सभी विपक्षी दलों और उनकी राजनीति को काले 'बेक-ड्राप' में बांधना चाहती है। विपक्षी की काली भंगिमाओं के कैनवास पर मोदी-सरकार की उपलब्धियों का सुनहरापन आकर्षक 'कंट्रास्टो' रचता है। विपक्ष के काले अंधेरों में भाजपा की उपलब्धियों के जुगनू खूब चमकेंगे और भाजपा के चेहरे पर जड़े सितारे ज्यादा चटक नजर आएंगे।  

राजनीतिक परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में हैं और अनुकूलताएं आगे-आगे दौड़ रही हैं। सिर्फ लालू यादव, पी. चिदम्बरम या अरविंद केजरीवाल भाजपा के राजनीतिक-आक्रमण की चपेट में नहीं हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ जांच को आगे बढ़ाने के मामले में आयकर विभाग को छूट दे दी है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव पर आयकर विभाग की छापेमारी के परिणाम दोहरे रहे हैं। एक तो भाजपा को भ्रष्टाचार के मामलों में राजनीतिक-रूप से लालू यादव को घेरने की आसान राह मिली है, वहीं यह कार्रवाई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच मनोमालिन्य पैदा करने में सफल रही है। जो राजनीतिक दृष्टि से राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की रणनीति में मददगार होगा। नीतीश कुमार के इस कथन ने भी आग में घी का काम किया है कि लालू यादव के गलत कार्यों की जांच से उन्हें कौन रोक रहा है?  इसके पहले नीतीश 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के रूप में विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनने से भी इंकार कर चुके हैं। नीतीश ने कहा था कि वो राजनीतिक-मूर्ख नहीं हैं।

छापों के बाद लालू यादव ने ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यकत करते हुए कहा था कि 'भाजपा को नया अलायंस-साथी मुबारक हो...।' लालू यादव का यह ट्वीट बिहार में नीतीश की गठबंधन सरकार के लिए अलर्ट माना जा रहा है। लालू के ट्वीट से राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के लिए प्रयासरत राजनीतिक पार्टियों के नेता परेशान हैं। वो किसी भी कीमत पर बिहार के 71 जेडीयू विधायकों को खोना नहीं चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार की गठबंधन-सरकार में नीतीश कुमार के विधायकों की संख्या 71 है। भाजपा चाहती है कि किसी भी कीमत पर बिहार का गठबंधन टूट जाए और नीतीश कुमार को अपनी सरकार बचाने के लिए भाजपा की शरण में आना पड़े।

पी. चिदम्बरम के आवास पर सीबीआय की छापेमारी कांग्रेस के आसपास जमा बदनामी को गहराने वाली है। चिदम्बरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम पर आरोप है कि पिता की हैसियत का लाभ उठाकर उन्होंने आईएनएक्सम मीडिया समूह को विदेशी निवेश के मामले में क्लीयरेंस दिलाने की एवज में 2008 में भारी रिश्वत ली थी। कांग्रेस का मानना है कि लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए भाजपा-सरकार ने यह कदम उठाए हैं। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल किया है कि मोदी-सरकार स्पष्ट करे कि वह अपने किस काम के लिए जश्न मना रही है? यह सवालों की शुरूआत है। विरोधी ऐसे कई असुविधाजनक सवाल उठा सकते हैं, लेकिन विपक्षी नेताओं को काली कमाई की हथकड़ियों से बांधने के बाद क्या मीडिया और लोग उनके सवालों को सुनेंगे...?[  लेखक उमेश त्रिवेदी सुबह सवेरे के प्रधान संपादक है।]

Dakhal News 22 May 2017

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.