अनिल दवे की वसीयत मेरा स्मारक मत बनवाना, पेड़ लगाना
अनिल दवे

 

राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे की लंबी बीमारी से निधन होन के बाद उनकी वसीयत भी अब सामने आ गई है। आमतौर पर सादा जीवन जीने वाले अनिल माधव दवे ने अपनी वसीयत में लिखा है कि संभव हो सके तो मेरा अंतिम संस्कार होशंगाबाद जिले के बांद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर कराना।

इसके अलावा दवे ने अपनी वसीयत में लिखा कि अंतिम संस्कार की सभी उत्तर क्रिया वैदिक कर्म के साथ ही संपन्न कराई जाए, जिसमें किसी भी प्रकार का आडंबर या दिखावा नहीं किया जाए।

उन्होंने अपनी वसीयत में मुख्य रूप से इस बात का उल्लेख किया है कि मेरी मौत के बाद मेरी स्मृति में कोई स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा आदि न स्थापित की जाए।

दवे के निधन ने सभी को चौंकाया

केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी समेत कई राजनेताओं ने दुख जताया है। प्रधानमत्री ने दवे के निधन पर दुख जताते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए और कहा कि अनिल माधव दवे जी को एक प्रतिबद्ध जनसेवक के तौर पर जाना जाता रहेगा, वह पर्यावरण को बचाने के लिए काम करते रहे। वहीं कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी शोक जताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश ने एक श्रेष्ठ नेता को खो दिया है।

वही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि दवे जी की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता है। व्यक्तिगत और पार्टी के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षति है। मप्र सरकार ने अनिल माधव दवे के निधन पर दो दिन के लिए राजकीय शोक घोषित किया है।

वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह कि मैं दवे जी के निधन से स्तब्ध हूं। वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी अनिल माधव दवे को बेहतरीन रणनीतिकार बताते हुए कहा कि उनके जाने से पार्टी को जो क्षति हुई है, उनकी भरपाई कभी भी नहीं की जा सकेगी।

 

Dakhal News 18 May 2017

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