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18 April 2024जीएसटी देश में तेजी से बढ़ रहे ई-कॉमर्स कारोबार की राह आसान करेगा। इसके लागू होने पर टैक्सेशन और लॉजिस्टिक्स से जुड़े तमाम मुद्दों का हल निकालने में मदद मिलेगी। एक अध्ययन में यह बात कही गई है।
सीआईआई-डेलॉयट ने देश में ई-कॉमर्स उद्योग पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि यह तेजी से बढ़ा है, लेकिन कई चुनौतियां सामने आई हैं। इनमें टैक्सेशन, लॉजिस्टिक्स, पेमेंट, इंटरनेट की पहुंच और कुशल श्रम शक्ति की समस्याएं प्रमुख हैं।
टैक्सेशन का उदाहरण देते हुए कहा गया कि एकसमान टैक्स स्ट्रक्चर नहीं होने की वजह से देश में वस्तुओं के मुक्त प्रवाह में बाधा आती है। दोहरा-कराधान जैसे मुद्दे भी इसी का नतीजा हैं। हालांकि, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से एकसमान टैक्स स्ट्रक्चर के जरिये ऐसी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
जीएसटी में ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन के लिए स्पष्ट नियम और इन नियमों को बनाने में सलाहकार दृष्टिकोण सरकार और ई-कॉमर्स कंपनियों दोनों के पक्ष में होगा।
रिपोर्ट यह भी कहती है कि डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों का समय से और प्रभावी क्रियान्वयन ई-कॉमर्स वातावरण को समर्थन देगा। इससे ग्रामीण इंटनरेट पहुंच की दिक्कतों और कुशल श्रम शक्ति से जुड़ी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में इस सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में कई उपाय सुझाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि दस्तावेज संबंधी जरूरतों को आसान किया जाना चाहिए। पॉलिसी के साथ प्रशासन के मामले में अप्रत्यक्ष कर का माहौल भी उद्योग की क्षमता का लाभ उठाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। इनसे जुड़े कानूनों को विकसित और दोबारा तैयार करने की जरूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य और स्थानीय निकायों को सुनिश्चित करना होगा कि व्यापक कर को एक जैसा समझा जाए। साथ ही इसका क्रियान्वयन सेक्टर की ग्रोथ में मदद करे। जीएसटी कानूनों को विक्रेता की कर देनदारी का निर्धारण करने के लिए ट्रांजैक्शन की वास्तविक प्रकृति को ध्यान में रखना चाहिए।
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31 March 2017
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