योगी को लेकर मीडिया के 'फ्लश-लाइट' में होड़ शुरू
योगी को लेकर मीडिया

उमेश त्रिवेदी

टीआरपी के लिहाज से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मीडिया के लिए इसलिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बने हुए हैं कि उनके बारे में लिखा सबसे ज्यादा पढ़ा जा रहा है। उनके 'विजुअल्स' ज्यादा बिकाऊ सिध्द हो रहे हैं। सोशल मीडिया के घाट उनके समर्थकों के हिलोरों से लहलहा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के बारे में राजनीतिक कौतुक और कौतूहल जल्दी ठंडा होना वाला नही हैं। मीडिया उनके पीछे दौड़ लगाता रहेगा। 

सोशल मीडिया पर योगी को लेकर आमजनों की सक्रियता बयां करती है कि लोगों की यह उत्सुकता और उन्माद कितना संवेदनशील है? मुख्यमंत्री के हर शॉट की समीक्षा के लिए उनके राजनीतिक वजूद की हितरक्षक रहीं धार्मिक और सांस्कृतिक कसौटियां मौजूद हैं। भाजपा और उनके समर्थक इस बात को समझ रहे हैं कि आदित्यनाथ अपने ही वैचारिक नाग-पाश में बुरी तरह बंधे हैं। जकड़न इतनी गहरी है कि राजनीतिक पिच पर योगी के लिए 'बैक-फुट' पर खेलना भी कठिन होगा और 'फारवर्ड-हिट' करना भी मुश्किल होगा। अभी तक योगी विपक्ष की राजनीति कर रहे थे, जहां प्रतिक्रियाओं के बाउन्सर को 'हैंडल' करके चौके-छक्के जड़ना आसान था। अब वो मुख्यमंत्री हैं और उन्हें सरकारी-प्रक्रियाओं की सधी हुई 'गुड-लेंग्थ' गेंदों पर रन बटोरना हैं। इसीलिए सोशल मीडिया पर उनके समर्थक इस धारणा को घनीभूत कर रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका दिया जाना चाहिए। मुद्दा यह है कि मीडिया की इस स्क्रीनिंग के पैमाने क्या और कैसे हों? लेकिन  लोगों के कौतूहल के मद्देनजर लगता नहीं है कि योगी आदित्यनाथ मीडिया के फ्लश-लाइट से बच पाएंगे?      

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'एक्शन-मोड' को लोगों ने शूट करना प्रारंभ कर दिया है। मुख्यमंत्री के रूप में तीन सूर्योदय देखने वाले महंत आदित्यनाथ के संबंध में मीडिया की हेडलाइन्स भी अजब-गजब चमत्कार पैदा कर रही हैं। एक जानी-मानी वेबसाइट तीन दिनों में ही इस निष्कर्ष पर पहुंच गई है कि योगी के सत्ता संभालते ही ताजनगरी में क्राइम का ग्राफ बढ़ गया है। योगी-राज में किसान की हत्या से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है। कार्य-भार संभालने के बाद जहां मीडिया योगी के पहले दिल्ली–प्रवास की राजनीतिक-वजनदारी को टटोलता रहा है, वहीं लखनऊ में उसने यह हिसाब भी लगा लिया कि गृह-प्रवेश के पहले शुध्दि के उपक्रम में गाय के कितने दूध से किस प्रकार मुख्यमंत्री निवास की धुलाई हुई? पांच पंडित की पूजा-अर्चना कितनी देर चली और आवास के गेट को किस प्रकार काले से सफेद किया गया? 

मीडिया ने यह हिसाब भी लगा लिया है कि तीन दिनों में योगी-सरकार पांच महत्वपूर्ण फैसले ले चुकी है। योगी-सरकार ने सभी जिलों मे एंटी-रोमियो दल गठित कर दिए हैं। गाजियाबाद में 15 अवैध बूचड़खानों को सील कर दिया गया है। नव-रात्रि और राम-नवमी के मद्देनजर सभी शक्तिपीठों और अयोध्या की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। राम म्यूजियम परियोजना को आगे बढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया है।          

योगी आदित्यनाथ अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत से ही चर्चित चेहरा रहे हैं। लव-जेहाद से लेकर घर-वापसी जैसे मुद्दों  पर उन्होंने जमकर राजनीति की है। आदित्यनाथ के बारे में लोग बहुत कुछ जानना चाहते हैं। उनके पुराने भाषणों को खंगाला जा रहा है। विवादास्पद वीडियो वायरल हो रहे हैं। तीखे बयानों के लिए योगी आदित्यनाथ को जेल की सीखचों के पीछे भेजने वाले अनुपम खेर जैसे बड़बोले एक्टर बगलें झांक रहे हैं। 

मुख्यमंत्री बनने के बाद सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने वाले व्यक्तियों में योगी आदित्यनाथ अव्वल थे। शपथ ग्रहण के पहले चौबीस घंटों में उनके सोशल मीडिया पेज को लाइक करने वालों की संख्या में 50 हजार से ज्यादा इजाफा हुआ था। यह सिलसिला अभी भी थमा नहीं है। महंत आदित्यनाथ के रूप में उनके फेसबुक पर अधिकृत पेज को 3,74,779 लोग लाइक करते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद यह संख्या 4,08,940 को पार कर निरन्तर बढ़ रही है। माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट ट्वीटर पर योगी के फॉलोअर 1 लाख 58 हजार से बढ़कर 2 लाख 10 हजार से ज्यादा हो चुके हैं। [ लेखक उमेश त्रिवेदी सुबह सवेरे के प्रधान संपादक है।]

 

Dakhal News 23 March 2017

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.