सर्जिकल स्ट्राइक का पहला प्रयोग हनुमान जी ने लंका में किया
सर्जिकल स्ट्राइक का पहला प्रयोग हनुमान जी ने लंका में किया

आखिर क्या है सर्जिकल स्ट्राइक

भारतीय सेना ने पकिस्तान को जो ईंट का जवाब पत्थर से दिया उसे सर्जिकल स्ट्राइक कहा जाता है। दुनिया में सर्जिकल स्ट्राइक की शुरुवात इसी भारत भूमि से शुरू हुई। इसका पहली बार इस्तेमाल त्रेता युग में हनुमान जी ने किया था वो भी रावण के खिलाफ। पवन पुत्र हनुमान जी महाराज लंका ऐसे ही सीता माता की खोज में  गए थे और रावण की सोने की लंका में त्राहिमाम मचा के उसे जला के वापस लौटे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का यह विश्व का पहला और अनौखा उदाहरण है। भारतियों के लिए सर्जिकल स्ट्राइक शब्द अटपटा हो सकता है लेकिन युद्ध कौशल की इस विधा से न हम वाफिक हैं बल्कि इसका समय समय पर उपयोग करते रहे हैं।  

सर्जिकल स्ट्राइक यानी सही समय पर सटीक निशाना। चूक की बिलकुल गुंजाइश नहीं होती है इस तरह के ऑपरेशंस में। एक साधारण युद्ध और सर्जिकल स्ट्राइक में बहुत अंतर होता है। सर्जिकल स्ट्राइक के साथ सबसे खास बात यह होती है कि इसमें सेना पहले टारगेट चुनती है, उस जगह की भौगालिक परिस्थितियों का विश्लेषण करती है, समय चुनती है, कब किन हथियारों के साथ हमला करना है, इस पर लंबी चर्चा होती है।

कितने दुश्मन हैं इसका भी पता होता है, यह भी पता होता है कि दुश्मन के पास कितने हथियार हैं और किस तरह के हथियार हैं। इसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक होती है। सर्जिकल स्ट्राइक के कमांडोज के साथ डॉक्टर्स की भी एक टीम जाती है, ताकि कोई जवान घायल हो जाए, तो उसे तुरंत उपचार मिल सके।

सर्जिकल स्ट्राइक को तभी कामयाब माना जाता है, जब इसमें हमारा कोई नुकसान न हो। यदि एक जवान भी सर्जिकल स्ट्राइक में शहीद होता है, तो ऑपरेशन पर सवाल खड़ा हो जाता है। बुधवार रात जिस सर्जिकल स्ट्राइक को हमारे जवानों ने अंजाम दिया है, वो हमारी सेना की दक्षता को साबित करता है।

एक मीटर भी इधर-उधर तो हैलिकॉप्टर क्रेश

पीओके की भौगोलिक स्थिति एेसी है कि वहां घने जंगल औन पानी के नाले हैं। एेसे में हमारे जवान हैलीकॉप्टर के जरिए टारगेट तक पहुंचे। रात के अंधेरे में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, यदि एक मीटर भी इधर-उधर हो, तो हैलिकॉप्टर क्रेश हो सकता था। इसके साथ ही छह कैम्पों को टारगेट किया गया।

एेसी विपरीत परिस्थितियों में एक साथ छह ठिकानों पर कार्रवाई करना और उस कार्रवाई को को-ऑर्डिनेट करना बहुत मुश्किल होता है। यह ऑपरेशन हमारे मजबूत राजनीतिक नेतृत्व को भी दर्शाता है।इससे पहले भी कई बार एेसे मौके आए, जब हमारी सेना सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए तैयार थी, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में हमारे जवान दुश्मन को जवाब नहीं दे पाए।

हालांकि हमारी सेना ने कुछ भी गलत नहीं किया है, क्योंकि पाकिस्तान की सरकार हमेशा आतंकियों को नॉन स्टेट एक्टर बताती आई है। एेसे में यदि हमारी सेना ने पीओके में घुसरक आतंकियों को मारा है, तो कुछ गलत नहीं किया। हमने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया।सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी भी पाकिस्तान के डीजीएमओ को दे दी गई थी। फिर भी पाकिस्तान के मुंह पर यह सर्जिकल स्ट्राइक एक करार तमाचा है। यदि हम सांप को भी मारते हैं, तो वो पूंछ पटकता है। एेसे में पाकिस्तान भी अपनी नाक बचाने के लिए कुछ तो करेगा, लेकिन हमारी सेना पूरी तरह तैयार है। यदि और आंतकी आए, तो हम और मारेंगे।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमा पर तनाव बढ़ सकता है, लेकिन इससे युद्ध की आशंका नहीं है। हमारी सेना ने पाकिस्तान को अपनी योग्यता दिखाई है।लेकिन उसने कुछ हिमाकत की तो उसे उसका जवाब देने के लिए भी हमारी सेना और सैनिक तैयार हैं। 

 

Dakhal News 30 September 2016

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