उभर रहे हैं शिवराज विरोधी
महेश दीक्षित
मप्र भाजपा भले ही वर्ष 2018 में होने वाले विधानसभा को लेकर नए कसीदे गढ़ रही है और नई रणनीति बना प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने का ख्वाब देख रही हो, पर खुद भाजपा के कुनबे में भीतर ही भीतर जिस तरह से असंतोष खदबदा रहा है और नए शक्ति केंद्र उभर रहे हैं उससे भाजपा की हवा बिगडऩे लगी है। इन बेरुख हवाओं ने भाजपा के केंद्रीय आलाकमान और सरकार के मुखिया के माथे पर सलवटें ला दी हैं।
भाजपा के रणनीतिकार कहने लगे हैं कि हवाओं यही आलम रहा, तो 2018 में भाजपा सत्ता से बे-राह हो सकती है। भाजपा के वरिष्ठ नेता पार्टी की गाइड लाइन को खूंटी को टांग कर हर दिन भाजपा सरकार के खिलाफ बोल रहे हेैं। पार्टी के भीतर अलग शक्ति केंद्र उभर रहे हैं। वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर और सरताज सिंह पार्टी के भीतर नए शक्ति केंद्र बन रहे हैं। जब से उन्हें शिवराज मंत्रिमंडल से हटाया गया है, उन्होंने पार्टी का लिहाज ही छोड़ दिया है। गौर तो हर रोज सरकार पर हमले कर रहे हैं। इसी तरह भाजपा के विधायक राजेंद्र पांडे, ओम प्रकाश सखलेचा, विधायक बहादुर सिंह चौहान और आरडी प्रजापति ने विधानसभा में सरकार पर जिस तरह से आरोप लगाए, यह विरोध बता रहा है कि भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
हालांकि, भाजपा के अंदर शिवराज के खिलाफ विरोध के स्वर पहले से उठते रहे हैं और विरोधी स्वरों को राग भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और विधायक कैलाश विजयवर्गीय, वरिष्ठ भाजपा नेता प्रभात झा, रघुनंदन शर्मा, कैलाश चावला तथा प्रहलाद पटेल देते रहे हैं। ये नेता पहले से मौकों की तलाश में रहे हैं। ऐसे में गौर-सरताज के कारण पार्टी में नया शक्ति केंद्र खुलने का खतरा पैदा हो गया है। अपने नेताओं के इन सरकार विरोधी बोलों ने भाजपा आलाकमान और सरकार के मुखिया की नींद उड़ा दी है। हालांकि पार्टी आलाकमान इन विरोधी स्वरों को रोकने के फार्मूले को तलाश रही है, लेकिन यह तो तय है कि असंतोष के ये नए शक्ति केंद्र पार्टी में नया गुल खिलाएंगे और शिवराज के लिए मुसीबत बनेंगे।[महेश दीक्षित की वॉल से ]